स्वतंत्रता दिवस विशेषः समय के साथ बदलते जा रहे आजादी के माइने
सवालों की बजाय आजादी में तलाशे जाने चाहिये जवाब
देहरादून। शायद आपने भी यह किस्सा सुना होगा। यह आज भी उतना ही प्रासांगिक है जितना कि उस वक्त रहा होगा। जब का इसे बताया जाता है। अब यह सही है या गलत, नही जानते परन्तु प्रेरक तो है ही।
बात उन दिनों की है तब देश ताजा ताजा आजाद हुआ था। बताते है कि उस दौरान समय मिलने पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रविवार को राम लीला मैदान में संबोधन के लिए जाते थे। अपने रूटीन में वे मंच से भाषण दे रहे थे। तब एक वृद्वा उनकी धोती खींच रही थी। शायद कुछ कहना चाहती थी।
नेहरू ने उसे रोका नही। अपना भाषण पूरा किया और जब मंच से उतरने लगे तो बड़े ही सम्मान से उससे पूछा-'माई, तू मेरी धोती क्यों खींच रही थी।' वृद्वा बोली-'बेटा, कुछ पूछना चाहती हूं। जवाब दोगे?' नेहरू ने सहमति दी तो वह बोली-'देश आजाद हुआ। तू प्रधानमंत्राी बना, राजेन्द्र बाबू राष्ट्रपति। कोई मंत्री बना तो कोई विधायक, सांसद लेकिन हमें क्या मिला।' इसपर नेहरू ने कहा-'अधिकार। अपने प्रधानमंत्री की धोती खींचने का अधिकार मिला।'
यह लोकतंत्र का खुबसूरत चेहरा है लेकिन आज इस अधिकार ने इसे बदरंग कर दिया है। लोग जो मुंह में आया बक रहे है। सोशल मीडिया ने बकवास को जैसे एक बड़ा सा मंच ही दे दिया। हालांकि सोशल मीडिया एक बेहतर मंच हो सकता है, यदि आप इसका उचित प्रयोग करना चाहें। लेकिन यह हो नही रहा। प्रोपगंड़ा करने में, उन्माद फैलाने में इसका जमकर प्रयोग हो रहा है।
वैसे भी अच्छी चीजें भले ही सीखनी पड़ती हों, बुरी बात अपने आप बन्दा सीख जाता है। यही हो भी रहा है। माना कि हमेशा निजाम की आलोचना होती है पर आज जो कुछ हो रहा है, वह कुण्ठा नही तो क्या है? सरकार की आलोचना से होते होते पार्टी और फिर व्यक्तिगत तौर पर नेता को निशाना बनाया जा रहा है। समाधान तो किसी के पास नही लेकिन शिकायतें इतनी कि हैरानी होती है। लोकतंत्र में बहुमत का सम्मान सर्वोपरि होता है लेकिन उसका लगातार अपमान हो रहा है।
आज से पहले इतना पत्तन विचारों का शायद ही कभी हुआ हो। समाज से होते हुये यह बुराई परिवार और व्यक्ति तक पहुंच गई है। दरअसल आजादी सवालों को दागने के लिए नही मिली बल्कि इसमें हमारी तरक्की और भविष्य का जवाब छिपा है जिसे तलाशे जाने की जरूरत है। लेकिन समय के साथ साथ आजादी के मायने भी बदलते जा रहे है। सच कहें तो इसका दुरूपयोग ही हो रहा है। कई बार मन में कौंधता भी है कि क्या हम आजादी हासिल करने को परिपक्व भी थे?
बुधवार, 15 अगस्त 2018
सवालों की बजाय आजादी में तलाशे जाने चाहिये जवाब
माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग
माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...

-
माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...
-
सातवें वेतन आयोग के बाद आएगा आठवां वेतन आयोग! एजेंसी नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के तहत सैलरी कंपोनेंट्स का फायदा...
-
बच्चों को सर्दी और जुकाम में देने वाले कफ सिरप में जहर 8 राज्यों में उक्त जहरीले कफ सीरप की बिक्री पर लगी रोक एजेंसी नई दिल्ली। कोल्डबेस्ट-प...