सोमवार, 31 मई 2021

फ्रिज का ठंडा पानी पीने से शरीर पर पड़ते विपरीत प्रभाव

  फ्रिज का ठंडा पानी पीने से शरीर पर पड़ते विपरीत प्रभाव



प0नि0डेस्क

देहरादून। गर्मियों में अक्सर लोगों को फ्रिज का ठंडा पानी अमृत के समान लगता है। फ्रिज के ठंडे पानी के बिना वह एक भी दिन या एक क्षण भर के लिए भी नहीं रह सकते हैं। गर्मियों में ठंडे पानी के बिना प्यास ही नहीं बुझती है लेकिन फ्रिज का ठंड़ा पानी पीने के कुछ दुष्प्रभाव है जिसके बारे में हमें पता होना चाहिये। 

फ्रिज के ठंडे पानी के पीने से प्यास तो बुझती है साथ ही साथ कुछ बीमारियां भी जन्म लेती है। फ्रिज के ठंडे पानी के पीने से बहुत सारी बीमारियां भी जन्म लेती है। ठंडे पानी के पीने से मनुष्य में कब्ज जैसी बीमारियां हो जाती है। उसके ठंडे पानी के पीने से पेट की जो आंतेंं, वह सिकुड़ जाती है। जिससे मनुष्य के पेट में खाना जल्दी से पच नहीं पाता और कब्ज की बीमारियां हो जाती है। जो सेहत के लिए हानिकारक होता है। 

यह तो सुना ही होगा कि कब्ज को सारी बीमारियों की जड़ कहा जाता है। कब्ज से शरीर का पूरा तंत्र और पाचन क्रिया बिगड़ जाती है जिससे और कई बीमारियों की समस्या उत्पन्न होती है। ठंडे पानी के पीने से दिल पर बड़ा असर पड़ता है। ठंडे पानी के पीने से शारीरिक तंत्र में सिकुड़न आ जाती है। ऐसे में कोशिकाओं के बार-बार सिकुड़ने से शरीर के मेटाबालिज्म पर असर पड़ता है। इससे दिल की धड़कनों पर बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़ता है। 

फ्रिज के ठंडे पानी के पीने से गले में खराश हो जाती है जिससे गले में टान्सिल जैसी समस्या हो जाती है और सेहत हानिकारक हो जाती है। इसलिए फ्रिज के ठंडे पानी के पीने की वजह मिट्टी के घड़े का पानी सेहत के लिए लाभदायक होता है।


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महिला समूहों को एनआरएलएम ने स्टार्ट अप फंड क्यों नहीं दियाः मोर्चा

 महिला समूहों को एनआरएलएम ने स्टार्ट अप फंड क्यों नहीं दियाः मोर्चा            


          

- प्रदेश में 31657 समूहों के सापेक्ष अब तक दिया गया 12351 को स्टार्ट-अप फंड 

- सीआईएफ के मामले में भी मात्र 40 फीसदी दिया गया फंड 

- वीआरएफ के मामले में मिशन को काम करने की जरूरत           

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं की आर्थिकी एवं उनके रोजगार को लेकर चलाए जा रहे रहे मिशन के तहत वर्ष 2015-16 तक पंजीकृत 31657 स्वयं सहायता समूह  (एसएचजी) के सापेक्ष मात्र 12,351 एसएचजी को लगभग 1.72 करोड़ स्टार्टअप फंड दिया गया यानी मात्र 40 फीसदी बहनों को ही इस योजना के तहत लाभ मिला।

इसी प्रकार कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड (सीआईएफ) के तहत मात्र 13,711 समूह को 68.80 करोड़ जारी किया गया, जोकि लगभग 40 फीसदी के आसपास है। रिवाल्विंग फंड (आरएफ) के मामले में 28,687 समूहों को लगभग 29.12 करोड जारी किए गए, जोकि लगभग 90 फीसदी है, सराहनीय है। 

वूलनेरेबिलिटी रिडक्शन फंड (वीआरएफ) के मामले में मिशन द्वारा लाभ नहीं दिया गया, जबकि महामारी के समय काफी काम करने की जरूरत थी, जोकि संजीवनी साबित हो सकती थी। नेगी ने कहा कि मिशन द्वारा वर्ष 2015-16 से 2020-21 तक 187. 21 करोड़ खर्च किया गया। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि समूहों से जुड़ी बहनों को स्टार्ट अप फंड, सीआईएफ व वीआरएफ जारी करने के निर्देश दे।        

पत्रकार वार्ता में मो0 असद व प्रवीण शर्मा पिन्नी शामिल थे।


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पहली और दूसरी डोज में अलग वैक्सीन लग जाए तो क्या होगा!

 पहली और दूसरी डोज में अलग वैक्सीन लग जाए तो क्या होगा!



एजेंसी

नई दिल्ली। देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जब किसी व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन का पहला टीका तो कोविशील्ड का लगा था और दूसरा कोवैक्सिन का लग गया या फिर इसका उल्टा हो गया। इसे लेकर तमाम तरह की आशंकाएं भी जाहिर की गई हैं, लेकिन सरकार का कहना है कि ऐसी स्थिति में घबराने की जरूरत नहीं है। 

नीति आयोग की स्वास्थ्य समिति के सदस्य डा0 वीके पाल का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन का अलग-अलग टीका लग जाता है तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यह पूरी तरह से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि सरकार खुद ही दो टीकों को मिलाकर लगाने की प्लानिंग कर रही है। उन्होंने कहा कि ट्रायल बेसिस पर ऐसा करने की तैयारी है।

वीके पाल ने कहा कि प्रोटोकाल के मुताबिक एक ही वैक्सीन की दोनों डोज लगनी चाहिए। लेकिन यदि किसी व्यक्ति को अलग-अलग वैक्सीन की डोज लग जाती हैं तो यह घबराने की बात नहीं है। हम खुद ट्रायल बेस पर दवाओं की मिक्सिंग पर विचार कर रहे हैं। देश में कोरोना संकट को लेकर बात करते हुए नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि सरकार की फाइजर कंपनी से बात चल रही है। उन्होंने कहा कि जुलाई तक भारत को फाइजर से टीकों की पहली खेप मिल सकती है।

आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध में पाया गया कि अगर दो टीकों को मिक्स किया जाए तो कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव पहले से ज्यादा होते हैं। अभी यह साफ नहीं है कि वैक्सीन का काकटेल कोरोना के खिलाफ कितनी इम्यूनिटी देता है। यह शोध आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन और फाइजर की वैक्सीन को लेकर की गई थी। इसमें यही देखने की कोशिश की गई थी कि क्या दो अलग-अलग खुराक देने पर लंबे समय तक इम्युनिटी बनी रहती है। 

10 लोगों को एस्ट्राजेनेका का टीका 4 हफ्रतों के अंतराल पर लगाया गया था उनमें बुखार के लक्षण दिखे थे, लेकिन जब उन्हें एक खुराक एस्ट्राजेनेका की और दूसरी फाइजर की लगाई गई तो दुष्प्रभाव 34 फीसदी ज्यादा हो गया। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी अब माडर्ना और नोवावैक्स वैक्सीन पर भी ऐसा ट्रायल कर रहा है। हालांकि कोविशल्ड और कोवैक्सीन कासे लेकर ऐसा कोई भी प्रयोग नहीं हुआ है।


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शनिवार, 29 मई 2021

नेपाल के प्रधान न्यायाधीश ने संविधान पीठ बनाई

 सदन भंग करने के खिलाफ दायर याचिकाएं सुनने के लिए नेपाल के प्रधान न्यायाधीश ने संविधान पीठ बनाई



एजेंसी

काठमांडू। नेपाल के प्रधान न्यायाधीश चोलेंद्र शमशेर राणा ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा भंग करने के खिलापफ दायर 30 रिट याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के गठन के लिए उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों को चुना है। मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई।

संवैधानिक मामलों संबंधी विवाद को निपटाने के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का प्रावधान है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सलाह पर संसद के निचले सदन को भंग करने की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी के 22 मई के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में करीब 30 याचिकाएं दर्ज की गई हैं।

काठमांडू पोस्ट की खबर के मुताबिक नव गठित पीठ में न्यायमूर्ति दीपक कुमार कार्की, आनंद मोहन भट्टाराई, तेज बहादुर केसी और बाम कुमार श्रेष्ठ के अलावा प्रधान न्यायाधीश शामिल होंगे। उच्चतम न्यायालय के संचार विशेषज्ञ किशोर पोडेल ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश राणा ने वरिष्ठतम न्यायाधीशों को शामिल कर पीठ का गठन किया है। उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश के अलावा वर्तमान में 13 वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

ऐसी 19 याचिकाओं पर शुरुआती सुनवाई प्रधान न्यायाधीश राणा नीत पीठ ने की थी। एकल पीठ ने इस पर आगे की सुनवाई के लिए दायर रिट याचिकाओं को संविधान पीठ को भेज दिया है। कुछ याचिकाकर्ताओं ने सदन भंग करने और राष्ट्रीय बजट प्रस्तुत करने के लिए सदन की बैठक बुलाए जाने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने की मांग की है। राणा ने इससे इनकार कर दिया।

संवैधानिक प्रावधान के मुताबिक सरकार को 29 मई तक संघीय बजट प्रस्तुत करना ही होगा। चूंकि कोई संसद है नहीं इसलिए सरकार अध्यादेश के जरिए बजट लाने की योजना बना रही है। राष्ट्रपति भंडारी ने 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा को 5 महीनों में दूसरी बार भंग कर दिया और प्रधानमंत्री ओली की सलाह पर 12 नवंबर और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की है।


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सुदिप्त सिंह कुंवर को मेंडेल यूनिवर्सिटी से मास्टर आफ साइंस की डिग्री

 सुदिप्त सिंह कुंवर को मेंडेल यूनिवर्सिटी से मास्टर आफ साइंस की डिग्री



संवाददाता

हल्द्वानी। सुदिप्त सिंह कुंवर को विश्वप्रसिद्व मेंडेल यूनिवर्सिटी इन ब्रनो यूरोप से यूरोपियन पफारेस्ट्री में मास्टर आपफ साइंस की डिग्री मिलने पर देवभूमि उद्योग व्यापार मण्डल ने बधाई दी है। 

सुदिप्त सिंह कुंवर ने निर्मला कान्वेंट से इंटर करने के बाद भीमताल बिरला इंस्ट्टीयूट आफ एप्लाइड साइंसेज से बीटेक करने के बाद जंगलों के संरक्षण में रुचि होने के कारण उत्तराखण्ड के जंगलों में शोध किया। इसी शोध के बाद उनको साल 2019 में यूरोप की नामी मेंडेल यूनिवर्सिटी इन ब्रनो चेक गणराज्य में फारेस्ट्री एंड वुड टेक्नोलाजी विषय में मास्टर आफ साइंस के लिए स्कोलरशिप मिली। 

ब्रनो शहर में आनुवंशिकी की खोज करने वाले ग्रेगोर योहान मेंडेल के नाम पर मेंडेल यूनिवर्सिटी इन ब्रनो को स्थापित किया गया। यह विश्व में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जो कि वन व कृषि क्षेत्र में शोध व अनुसंधान के लिए जाना जाता है। होने को तो यहां काफी विषयों में शोध एवं शिक्षा होती है, परन्तु वन व कृषि में यह बहुत जाना माना नाम है। 

सुदिप्त सिंह कुंवर देवभूमि उद्योग व्यापार मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष हुकम सिंह कुंवर के बड़े बेटे है। हुकम सिंह कुंवर ने बताया कि बचपन से जंगलों से लगाव के कारण ही आज उसको ये मुकाम मिला है। 

सुदिप्त को बधाई देने वालों में पंतनगर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति व बिड़ला भीमताल के निदेशक डा0 बीएस बिष्ट, सुरेश तिवारी, अनिल खंडेलवाल, राजकुमार केसरवानी, जगमोहन चिलवाल आदि शामिल रहे।


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सेहत ओपीडी पोर्टल का शुभारम्भ

 रक्षा मंत्री ने किया सेहत ओपीडी पोर्टल का शुभारम्भ



सशस्त्र बल कार्मिकों एवं पूर्व सैनिकों को टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान करना मकसद

एजेंसी

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कान्प्रफेंसिंग के माध्यम से सर्विसेज ई-हेल्थ असिस्टेन्स एवं टेली-कंसल्टेशन (सेहत) ओपीडी पोर्टल शुरू किया। यह पोर्टल सेवारत सशस्त्र बलों कार्मिकों, पूर्व सैनिकों तथा उनके परिवारों को टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान करता है। वेबसाइट ीजजचेरूध्ध्ेमींजवचकण्पदध् पर रजिस्ट्रेशन कराकर इन सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। सेहत ओपीडी पोर्टल का परीक्षण संस्करण अगस्त 2020 में शुरू किया गया था। सैन्य सेवा के डाक्टरों द्वारा बीटा संस्करण पर 6,500 से अधिक चिकित्सा परामर्श पहले ही दिए जा चुके हैं।

इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए), सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाएं (एएफएमएस), एकीकृत रक्षा स्टाफ (आईडीएस), प्रगत संगणन विकास केन्द्र (सी-डैक) मोहाली और पोर्टल के विकास में शामिल अन्य संगठनों की सराहना करते हुए कहा कि यह डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस के प्रति सरकार की प्रतिबद्वता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल से अस्पतालों का भार कम करने में मदद मिलेगी और मरीज आसान और प्रभावी तरीके से संपर्क रहित परामर्श प्राप्त कर सकेंगे।

रक्षा मंत्री ने एएफएमएस से आग्रह किया कि वे इस पोर्टल पर विशेषज्ञ डाक्टरों को जोड़ने पर विचार करें और सेवाकर्मियों के घरों में दवाओं के वितरण की सेवा को शामिल करें। उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त सेवाएं उपलब्ध होंगी और सशस्त्र बलों के कर्मियों को अधिक सुविधा सुनिश्चित होगी। राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि सेवाओं के बेहतर वितरण के लिए लाभार्थियों का नियमित फीडबैक लिया जाना चाहिए।

राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सशस्त्र बलों द्वारा दूसरी कोविड-19 लहर के खिलाफ लड़ाई में निभाई जा रही भूमिका की सराहना की। उन्होंने डीआरडीओ द्वारा दिल्ली, लखनऊ, गांधीनगर और वाराणसी सहित देश भर में कई स्थानों पर स्थापित किए जा रहे कोविड अस्पतालों और आक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के साथ-साथ वायरस से लड़ने के लिए 2-डीजी दवा के विकास का विशेष उल्लेख किया। 

उन्होंने कोविड अस्पतालों में अतिरिक्त चिकित्सा पेशेवरों की तैनाती और मामलों में वृद्वि से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एएफएमएस की भी सराहना की। राजनाथ सिंह ने देश-विदेश के भीतर से समय पर आक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों के परिवहन के लिए अथक परिश्रम करने के लिए वायु सेना और नौसेना की सराहना की। 

इस अवसर पर रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, रक्षा सचिव डा0 अजय कुमार, डीजी एएफएमएस सर्जन वाइस एडमिरल रजत दत्ता, डिप्टी चीफ आईडीएस (मेडिकल) लेफ्रिटनेंट जनरल माधुरी कानितकर और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ सिविल तथा सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।


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शुक्रवार, 28 मई 2021

नमक के पानी से गरारे के माध्यम से आरटी-पीसीआर जांच की अनूठी विधि

मक के पानी से गरारे के माध्यम से आरटी-पीसीआर जांच की अनूठी विधि 

नमक के पानी से गरारे, कोई स्वैब नहीं, सरल, तेज और सस्ता

तीन घंटे के भीतर परिणाम मिल जाएगा, ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त 


एजेंसी
नई दिल्ली। वैश्विक महामारी कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने के बाद से ही भारत अपने यहाँ इसकी जांच (परीक्षण) के बुनियादी ढांचे और क्षमता को बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहा है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के तहत नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) के वैज्ञानिकों ने इस कड़ी में एक और कीर्तिमान बना लिया है जिसके अंतर्गत जिसमें कोविड​​​​-19 के नमूनों के परीक्षण के लिए 'नमक के पानी से गरारे (सलाइन गार्गल) आरटी-पीसीआर विधि' ढूंढ ली गयी हैI

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एक विधि से कई लाभ  : सरल, तेज़, आरामदायक और किफायती

नमक के पानी से गगारे (सेलाइन गार्गल) की इस विधि से कई प्रकार के लाभ एक साथ मिलते हैंI यह विधि सरल, तेज, लागत प्रभावी, रोगी के अनुकूल और आरामदायक है और इससे परिणाम भी जल्दी मिलते हैंI न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए यह विधि ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। पत्र सूचना कार्यालय से बातचीत में राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसन्धान संस्थान (एनईईआरआई) में पर्यावरण विषाणु विज्ञान प्रकोष्ठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कृष्णा खैरनार ने कहा कि : “स्वैब संग्रह विधि के लिए समय की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, चूंकि इस तकनीक में सम्भावित संक्रमितों जांच के दौरान कुछ असुविधा का सामना भी करना पढ़ सकता है जिससे वे कभी-कभी असहज भी हो सकते। साथ ही इस प्रकार से एकत्र किए गए नमूनों को एकत्रीकरण केंद्र और जांच केंद्र तक ले जाने में भी कुछ समय लगता है। वहीं दूसरी ओर, नमक के पानी से गरारे (सेलाइन गार्गल) की आरटी-पीसीआर विधि तत्काल, आरामदायक और रोगी के अनुकूल है। नमूना तुरंत ले लिया जाता है और तीन घंटे में ही परिणाम मिल  जाएगा।”

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रोगी स्वयं ही अपना नमूना एकत्र कर सकता हैI

 

      डॉ. खैरनार के अनुसार यह विधि गैर-आक्रामक और इतनी सरल है कि रोगी स्वयं नमूना एकत्र कर सकता है। उन्होंने कहा कि, "नाक से और मुंह से  नासोफेरींजल और ऑरोफरीन्जियल स्वैब एकत्र करने जैसी संग्रह विधियों के लिए तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और इनमें समय भी लगता है। इसके विपरीत, नमक के पानी से गरारे (सेलाइन गार्गल) की आरटी-पीसीआर विधि में नमक के पानी (सेलाइन वाटर) से भरी एक साधारण संग्रह ट्यूब का उपयोग किया जाता है। रोगी इस घोल से गरारे करता है और उसे ट्यूब के अंदर डाल देता है। संग्रह ट्यूब में यह नमूना प्रयोगशाला में ले जाया जाता है जहां इसे कमरे के तापमान पर एनईईआरआई द्वारा तैयार एक विशेष बफर घोल (सौल्युशन) में  रखा जाता है। इस घोल को गर्म करने पर एक आरएनए टेम्प्लेट तैयार किया जाता है, जिसे आगे रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) के लिए संसाधित किया जाता है। नमूना एकत्र करने और उसे संसाधित करने की यह विशेष विधि हमें आरएनए निष्कर्षण की दूसरी अन्य महंगी ढांचागत आवश्यकता के स्थान पर इसका प्रयोग करने के लिए सक्षम बनाती है। लोग इससे स्वयं का परीक्षण भी कर सकते हैं, क्योंकि इस विधि अपना नमूना (सैम्पल) खुद ही लिया जा सकता है।" यह विधि पर्यावरण के अनुकूल भी है, क्योंकि इसमें अपशिष्ट उत्पादन कम से कम होता है।

 ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में परीक्षण के लिए वरदान

 वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि परीक्षण की यह अनूठी तकनीक ऐसे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद सिद्ध होगी जहां अभी तक बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं एक बाधा के रूप में सामने आ सकती हैं। इस गैर-तकनीक को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की मंजूरी मिल गई है। साथ ही एनईईआरआई से कहा गया है कि वह देश भर में इसके प्रयोग में मदद करने के लिए अन्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को प्रशिक्षित आवश्यक प्रशिक्षण की व्यवस्था करेंI

नागपुर नगर निगम ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है, जिसके बाद एनईईआरआई में स्वीकृत परीक्षण प्रोटोकॉल के अनुसार परीक्षण शुरू हो गया है।

पूरे भारत में  लागू करने की आवश्यकता

एनईईआरआई में पर्यावरणीय विषाणुविज्ञान प्रकोष्ठ (एनवायरनमेंटल वायरोलॉजी सेल) के वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और लैब-तकनीशियनों ने विदर्भ क्षेत्र में बढ़ते कोविड-19 संक्रमणों के बीच इस रोगी-अनुकूल तकनीक को विकसित करने के लिए अनथक प्रयास किए हैं। डॉ. खैरनार और उनकी टीम को उम्मीद है कि इस पद्धति को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप तेजी से और अधिक नागरिक-अनुकूल परीक्षण होंगे, और महामारी के खिलाफ हमारी लड़ाई को और मजबूती मिलेगी I

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गुरुवार, 27 मई 2021

उत्तराखंड के 62 फीसद पी0सी0एस0 अधिकारियों ने नहीं दिये वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण

 उत्तराखंड के 62 फीसद पी0सी0एस0 अधिकारियों ने नहीं दिये वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण



महज 18 फीसदी अधिकारियों ने ही दिया समय सीमा के अन्दर विवरण

कार्मिक विभाग द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को उपलब्ध करायी गयी सूचना से खुलासा

संवाददाता

काशीपुर।  प्रदेश में पादर्शिता तथा भ्रष्टाचार नियंत्रण के कितने ही दावे किये जाये लेकिन प्रदेश की नौकरशाही में बैठे अधिकारी ही पारदर्शिता व भ्रष्टाचार नियंत्रण के लिये लागूू किये गये नियमोें का पालन नहीं कर रहे हैैं। इसका खुलासा कार्मिक विभाग द्वारा पी0सी0एस0 अधिकारियों द्वारा वर्ष 2020 के वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण देने वाले अधिकारियोें की सूचना, सूचना अधिकार कार्यककर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) को उपलब्ध कराने से हुआ। इसके अनुसार कुल 151 पी0सी0एस0 अधिकारियों में  सेे केवल 38 पफीसद 57 अधिकारियोें नेे ही 2020 का वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण दिया है जिसमें से केवल 27 अधिकारियों ने ही निर्धारित समय सीमा अगस्त 2020 तक दिया है जबकि 30 अधिकारियोें ने इस  समय सीमा के बाद देरी से दिया है तथा 62 फीसदी 94 अधिकारियों ने दिया ही नहीं हैै।



काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड शासन केे कार्मिक विभाग केे लोक सूचना अधिकारी सेे वार्षिक सम्पत्ति विवरण देेने व न देेनेे वाले अधिकारियों तथा सम्बन्धित नियमोें की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में कार्मिक विभाग के लोेक सूचना अधिकारी/अनुसचिव हनुमान प्रसाद तिवारी नेे नदीम को अचल सम्पत्ति विवरण देेनेे वालेे पी0सी0एस0 अधिकारियोें की सूची अपने पत्रांक 8(1) दिनांक 15 अर्प्रैैल से उपलब्ध करायी है। 

उपलब्ध सूचना केे अनुसार प्रदेश में कुल 151 पी0सी0एस0 अधिकारी कार्यरत है। इसमें से केवल 57 पीसी0एस0 अधिकारियों ने अपना 2020 का वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण प्रस्तुत किया है। इसमें से केेवल 27 अधिकारियोें ने ही शासनादेश संख्या 408 दिनांक 21 अगस्त 2014 से निर्धारित समय सीमा 31 अगस्त तक उपलब्ध कराया है। 

अगस्त 2020 तक समय सीमा के अन्दर सम्पत्ति विवरण उपलब्ध कराने वाले 27 पी0सी0एस0 अधिकारियों में आलोक कुमार पांडेय, आशोक कुमार पाण्डेय, अवधेश कुमार सिंह, दिनेश प्रताप सिंह, डा0 अभिषेक त्रिपाठी, डा0 आनन्द श्रीवास्तव, डा0 ललित एन0 मिश्रा, गौैरव चटवाल, हेमन्त कुमार वर्मा, जगदीश सी0 कान्डपाल, कृष्णनाथ गोस्वामी, मनीष कुमार सिंह, मौहम्मद नासिर, मोहन सिंह बर्निया, मुक्ता मिश्रा, निर्मला बिष्ट, प्रत्युष सिंह, परीतोष वर्मा, प्रकाश चन्द्र, राकेश चन्द्र तिवारी, रामजी शरण शर्मा, रिंकू बिष्ट, शैलेन्द्र सिंह नेगी, शिप्रा जोशी, सोनिया पन्त, त्रिलोक सिंह मारतोलिया व विप्रा द्विवेदी शामिल है।

समय सीमा के कुछ बाद सितम्बर 2020 में सम्पत्ति विवरण देने वाले 9 अधिकारियों में अनिल कुमार चनयाल, अरविन्द कुमार पाण्डेय, हंसादत्त पाण्डेय, जय भारत सिंह, जीवन सिंह नगन्याल, झरना कमठान, कमलेश मेहता, मीनाक्षी पठवाल तथा नुपूर वर्मा शामिल है। 

अक्टूबर 2020 में देरी से सम्पत्ति विवरण देने वाले 5 अधिकारियों में अब्ज प्रसाद बाजपेयी, फिंचाराम चौैहान, सुधीर कुमार, वीर सिंह बुदियाल तथा विवेेक राय शामिल हैै। नवम्बर 2020 में सम्पत्ति विवरण देनेे वाले दो अधिकारियों में अनुराग आर्य व बुसरा अंसारी शामिल है। दिसम्बर 2020 में सम्पत्ति विवरण देने वाले अधिकारी में वैैभव गुप्ता शामिल है। वर्ष 2020 का सम्पत्ति विवरण 4 माह या अधिक की देेरी से 2021 में देनेे वाले 13 अधिकारियों में जनवरी में देने वाले हर गिरी व सुन्दर लाल सेमवाल शामिल है।

फरवरी 2021 में सम्पत्ति विवरण देनेे वाले दो अधिकारियों में बंशीलाल राणा व हरवीर सिंह शामिल है। मार्च 2021 में सम्पत्ति विवरण देने वाले 7 अधिकारियों में गोपाल राम बिनवाल, पंकज उपाध्याय, शालिनी नेगी, कुसुम चौैहान, लक्ष्मीराज चौैहान, विजयनाथ शुक्ल तथा सीमा विश्वकर्मा शामिल हैै। अप्रैल 2021 में सम्पत्ति विवरण देनेे वाले दो अधिकारियों में प्रताप शाह व कैैलाश टोेलिया शामिल है।


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पुलिस ग्रेड पे कटौती के खिलाफ यूकेडी का उपवास जारी

 पुलिस ग्रेड पे कटौती के खिलाफ यूकेडी का उपवास जारी



संवाददाता

देहरादून। पुलिस जवानों की ग्रेड पे कटौती के खिलाफ उत्तराखंड क्रांति दल के कार्यकर्ताओं का उपवास जारी है। सभी उक्रांद कार्यकर्ता काला मास्क पहने उपवास पर बैठे रहे।

उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि यदि होने वाली कैबिनेट बैठक में पुलिस जवानों की ग्रेड पे का मामला हल नहीं होता है तो वह मुख्यमंत्री निवास पर भूख हड़ताल शुरू कर देंगे। इसके अलावा उक्रांद नेता सेमवाल ने ग्रेड पे का मसला हल न होने तक काला मास्क धारण करने का संकल्प लिया है।

उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी सेमवाल ने पूछा है कि क्यों कोरोना वॉरियर्स के रूप में कार्य कर रही उत्तराखंड पुलिस कांस्टेबलों की भावनाओं को आहत किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि आखिर क्यों उत्तराखंड पुलिस के इन होनहार कांस्टेबलों का ग्रेड पे 4600 से घटाकर 2800 कर दिया गया।

 सेमवाल ने बताया कि उत्तराखंड पुलिस का हर एक सिपाही प्रोटोकाल से बंधा होता है यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस जवानों ग्रेड पे को कम किया गया है। ऐसा किसी और विभाग में होता तो वे लोग काम रोक कर आंदोलन कर लेते।

उक्रांद नेता अनिल डोभाल ने कहा कि एक बाबू वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी तक पहुंच जाता है। एक पटवारी तहसीलदार तक पहुंच जाता है। फोरेस्ट गार्ड, रेंजर तक पहुंच जाता है। लेकिन एक सिपाही सिपाही ही रह जाता है।

 जहां एक सिपाही को 20 वर्ष की विभागीय सेवा के पश्चात 4600 ग्रेड पे मिलना था, वहीं उसे अब 2800 ग्रेड पे मिलेगा। इससे वेतन में लगभग 20,000 से 25,000 का अंतर आने की आशंका है। एक सिपाही समूह ग की योग्यता को पूरा करने के बाद भी उसे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्रेणी से रिटायर होना पड़ेगा। लगभग 35-40 साल सेवा करने का यह फल तो नहीं होना चाहिए।

उक्रांद नेता सीमा रावत ने कहा कि उत्तराखंड के लगभग 90 प्रतिशत से ज्यादा जवान ग्रेजुएट हैं और विभिन्न योग्यताओं को रखते हैं। ऐसे में सरकार पर पुलिस विभाग की ही जरुरतों के हिसाब से इन्हीं जवानों को आवश्यकता अनुरूप प्रशिक्षण देकर तैनाती दी जाती है तो इससे सरकार पर अन्यत्र नियुक्तियों का वित्तीय बोझ नहीं पड़ता।

बहरहाल पुलिस विभाग मे भी इस फैसले को लेकर जहां एक तरफ कांस्टेबल इस फैसले से अचंभित हैं, वहीं उत्तराखंड पुलिस के डीजीपी द्वारा इस मसले पर कमेटी के माध्यम से इस समस्या के समाधान की बात कही गई है। आगे क्या होगा यह भविष्य की गर्त पर है लेकिन उम्मीद है जल्द इस फैसले को वापस लेकर प्रफंट लाइन वॉरियर्स को उनका हक दिया जाएगा।

कोविड नियमों के पालन करते हुए उपवास पर वार्ड अध्यक्ष सुरेश आर्य, उपेंद्र कैंतुरा, मुकेश गैरोला आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।


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पेटीएम और उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड के बीच करार

 पेटीएम और उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड के बीच करार



पेटीएम द्वारा प्रदेश के यूजर्स को किसी भी समय अपने बिल भुगतान की सुविधा 

उत्तराखंड के यूजर्स के लिये 1000 रूपये तक के निश्चित इनाम की घोषणा 

संवाददाता

देहरादून। डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेज प्लेटपफार्म पेटीएम ने घोषणा की है कि उत्तराखंड में उसके यूजर्स अब इस प्लेटफार्म पर किसी भी समय अपने बिजली बिल का भुगतान कर सकते हैं। कंपनी ने बिल के हर भुगतान पर 1000 रूपये तक के निश्चित इनाम की घोषणा भी की है। इस प्लेटफार्म पर पहली बार बिजली बिल का भुगतान करने वाले यूजर्स 50 रूपये तक का गारंटीड कैशबैक पाएंगे। पेटीएम ने यूपीसीएल उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड के साथ भागीदारी की है, ताकि उसके लाखों यूजर्स डिजिटल तरीके से अपने बिजली बिलों का भुगतान कर सकें।



पेटीएम अपने यूजर्स को बाधारहित और बिना रूकावट वाली सेवा प्रदान कर रहा है। पेटीएम के पास 20 मिलियन व्यापारियों का मजबूत आधार है और उम्मीद है कि ज्यादा से ज्यादा व्यवसाय बड़े पैमाने पर आनलाइन पेमेंट्स को स्वीकार कर रहे हैं। 

अपने यूजर्स को ज्यादा सुविधा देने के लिये पेटीएम ने हाल ही में बिजली बिल के भुगतान के लिये अपने यूआई का विस्तार किया है, जो ट्रांजेक्शन पूरा करने में एक मिनट से भी कम समय लेता है। यूजर्स को केवल अपना राज्य और सेवा प्रदाता चुनना है, बिल नंबर या कस्टमर अकाउंट नंबर एंटर करना है और फिर पेमेंट करना है। 

पेटीएम के प्रवक्ता ने बताया कि बिजली का बिल हमारे देश के लोगों के लिये बार-बार आने वाले सबसे महत्वपूर्ण खर्चों में से एक है और हम इसे सभी यूजर्स के लिये एक सुविधाजनक और बाधारहित अनुभव बनाने के लिये प्रतिबद्व हैं। 

पेटीएम बिजली बिल के भुगतान में अग्रणी है और उसने भारत में 70 से ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड्स के साथ भागीदारी की है ताकि इस सेगमेंट में लाखों यूजर्स को सेवा दे सके। पेटीएम के यूजर्स अपने घर बैठे सुविधा के साथ मोबाइल रिचार्ज, क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान, सिलेंडर की बुकिंग और कई रेगुलर पेमेंट्स भी कर सकते हैं। 


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15 जून से शुरू होगी सोने के आभूषणों की हालमार्किंग

 15 जून से शुरू होगी सोने के आभूषणों की हालमार्किंग


सरकार ने हितकारकों के अनुरोध पर बढ़ायी कार्यान्वयन की तारीख

एजेंसी

नई दिल्ली। सोने के आभूषणों की हालमार्किंग 15 जून से शुरू हो रही है। कोविड को देखते हुए सरकार ने हितधारकों के इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया है कि ज्वैलर्स को इसके कार्यान्वयन के लिए तैयार होने तथा इससे जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए कुछ और समय दिया जाये। इससे पहले यह योजना 1 जून से शुरू होने वाली थी।

उचित तालमेल सुनिश्चित करने और क्रियान्वयन के मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के महानिदेशक प्रमोद तिवारी इस समिति के संयोजक होंगे। उपभोक्ता मामले विभाग में अपर सचिव श्रीमती निधि खरे और ज्वैलर्स एसोसिएशन, व्यापार तथा हालमार्किंग निकायों आदि के प्रतिनिधि समिति का गठन करने जा रहे हैं।

भारत में सोने के आभूषणों की अनिवार्य हालमार्किंग के कार्यान्वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करते हुए उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, रेलवे तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि स्वर्ण आभूषणों में भारत के पास विश्व के सर्वाेत्तम मानक होने चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को बिना किसी और देरी के हालमार्क प्रमाणित सोने के आभूषण जल्द से जल्द पूरे देश में प्राप्त होने चाहिए।

बैठक में सर्राफा व्यापार के विभिन्न संघों, हालमार्किंग केंद्रों, देशभर के ज्वैलर्स, स्वर्ण आभूषणों के व्यापारी और निर्यात निकायों के अलावा उपभोक्ता मामले विभाग तथा भारतीय मानक ब्यूरो के अधिकारियों ने भाग लिया।

भारतीय मानक ब्यूरो की हालमार्किंग योजना के तहत आभूषण विक्रेता हालमार्क वाले गहने बेचने और परीक्षण तथा हालमार्किंग केंद्रों को मान्यता देने के लिए पंजीकृत हैं। बीआईएस (हालमार्किंग) अधिनियम 14.06.2018 से लागू किए गए थे। हालमार्किंग उपभोक्ताओं/आभूषण खरीदारों को सही विकल्प चुनने में सक्षम बनाएगी और उन्हें सोना खरीदते समय किसी भी अनावश्यक भ्रम से बचाने में भी मदद करेगी। 

गोयल ने कहा कि रचनात्मक सुझावों को शामिल किया जाएगा और कार्यान्वयन में शुरुआती मुद्दों का समाधान किया जाएगा। इससे पहले सरकार द्वारा 15 जनवरी 2020 को सोने के आभूषणों/कलाकृतियों की अनिवार्य हालमार्किंग के लिए गुणवत्ता नियंत्राण आदेश जारी किया गया था लेकिन गैर-हालमार्क वाले आभूषणों के पुराने स्टाक को हटाने के लिए अंतिम तिथि 1 जून तक बढ़ा दी गई थी।

बीते पांच वर्षों में परख एवं हालमार्किंग वाले केंद्रों में 25 फीसदी की वृद्वि हुई है। पिछले 5 वर्षों में इस तरह के एएंडएच केंद्रों की संख्या 454 से बढ़कर 945 हो गई है। वर्तमान में 940 परख एवं हालमार्किंग केंद्र कार्य कर रहे हैं। इसमें से 84 एएचसी विभिन्न जिलों में सरकारी सब्सिडी योजना के तहत स्थापित किए गए हैं।

वर्तमान में परख एवं हालमार्किंग केंद्र एक दिन में 1500 गहनों को हालमार्क कर सकते हैं, इन केंद्रों की प्रति वर्ष अनुमानित हालमार्किंग क्षमता 14 करोड़ आभूषण (500 गहने प्रति पाली और 300 कार्य दिवस मानते हुए) हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक भारत में करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं, इनमें से सिर्फ 35,879 को ही बीआईएस सर्टिफाइड किया गया है।


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बुधवार, 26 मई 2021

नियमों का पालन करने-वैक्सीन लगाने से हारेगा कोराना

 कोविड़ महामारी पर दहशत फैलाने की बजाय जागरूक करने से होगी जीत 



नियमों का पालन करने-वैक्सीन लगाने से हारेगा कोराना

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। हमारे देश में बड़ी पुरानी कहानी प्रचलित है कि बार-बार डराने से लोग लापरवाह हो जाते है। भेड़िया आया-भेड़िया आया कहकर लोगों को इकट्ठा करने वाला गड़रिया तब मारा गया जबकि सच में भेड़िया आ गया। लेकिन उसे बचाने आने वाले लोग इस बार नहीं आये। क्योंकि जब भी वे उसको बचाने आते, वह हंसकर टाल देता था। उसने खुद अपने भरोसे को तोड़ा इसलिए जब भेडिया आया तो कोई नहीं आया। आज कोरोना महामारी के दौर में भी उक्त गड़रिये की भूमिका मीडिया निभा रहा है। 

यकीनन आज की डेट में यदि कोई खबरिया चैनल देखने बैठे तो वह खौफ से मर जायेगा। यदि कोई कोविड-19 से बच भी गया तो उसे फंगस की बीमारी लील जायेगी। अब चाहे वह काला हो, सफेद हो या फिर पीला हो। आगे कोई गारण्टी नहीं कि उक्त फंगस किस रंग में वजूद में आ जायेगा। कहते है कि आटे में नकम चल जाता है। लेकिन नमक में आटा नहीं चलता। लेकिन कोविड महामारी के मामले में तो मीडिया ने कोहराम मचा दिया है। कभी शहर, कभी गांव तो कभी बच्चों या बूढ़ों पर इसके लहर का प्रकोप होने की संभावना जैसे मीडिया न होकर वह ज्योतिषी हो। 

उसे क्यों नहीं समझ नहीं आता कि मौत बताकर नहीं आया करती है। वह आयेगी तो अपने साथ कई कारण समेट कर ले आयेगी। चाहे वह कारण बीमारी हो या कोई दुर्घटना आदि। लाखों में एक मरीज की मौत हो जाती है तो इसमें नया क्या है? ऐसा हमेशा से होता चला आया है। दुर्घटना में भी अमूमन लोग मरते ही है। हालांकि कोई नहीं चाहता कि ऐसा हो। लेकिन होनी को कौन टाल सकता है!

लेकिन यकीनन कोविड़ महामारी को टाला जा सकता है। बशर्ते कि हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, दो गज की दूरी अपनायें और बार-बार हाथ धोयें। बेवजह घर से बाहर न निकलें और आपस में मिलना जुलना न करें तो निश्चित तौर पर हम इस बीमारी से दूर रह सकते है। लेकिन या तो हम उसके पीछे हो लेते है जो कहता भागता है कि आसमान गिर रहा है। आसानी से ऐसे बन्दे का यकीन कर लिया जाता है। या फिर बार-बार लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए भेडिया आया-भेडिया आया का राग अलापने लगते है। 

जबकि वास्तव में सच तो यह है कि कोविड़ महामारी यानि चायनीज बीमारी की दहशत फैलाने से कुछ होने वाला नहीं है। बल्कि लोगोें को जागरूक कर उनके मन से डर को भगाना होगा। तभी लोगों में विश्वास जायेगा कि कोविड नियमों का पालन करने और वैक्सीन लगवाने से हम जीत सकते है। आज के दौर में जान दांव पर लगाने की बजाय जान को बचाने में फोकस करना जरूरी है ताकि जान सलामत रहे। आज जो हीरो बनेगा, वह जीरो हो जायेगा। जबकि सामान्य रहने वाला निश्चित तौर पर खुद को ऐसे मुश्किल दौर में बचा सकेगा। 

याद रहे कि आज का जीवनमंत्र है खुद का बचाव। यदि आपने ऐसा किया तो निश्चित तौर पर आप अपने परिवार को, अपने समाज को कोविड़ के खतरनाक जबड़े से बचा सकेगे। इसके लिए डरकर घर बैठना पड़े तो हर्ज क्या है?


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बाबा रामदेव से इतनी नफरत क्यों है!

बाबा रामदेव से इतनी नफरत क्यों है!



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। जब से बाबा रामदेव ने योग को प्रमोट करना शुरू किया और बीमारी से बचने के उपाय लोगों के सामने रखे, उनकी ख्याति बढ़ती गई। उन्होंने आचार्य बालकृष्ण के साथ मिलकर आयुर्वेद को प्रसारित- प्रचारित किया। पतंजलि के जरिए लोगों को व्याधियों से छुटकारे का गुरूमंत्र क्या देना शुरू किया, चिकित्सकों का एक वर्ग उनकी आलोचना करने लगा। खासकर बिना दवा-दारू लोगों को बीमारियों से दूर रहने के उपाय उपलब्ध होने से कुछ डाक्टरों को लगा कि यह बन्दा तो पेट में लात मारने आ गया। ऐसे में जाहिर तौर पर उन्होंने बाबा रामदेव और उनकी विधा को अपना प्रतिस्पधर््ी मान लिया। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। यह साफ है कि वर्तमान में इलाज के लिए सबको एलोपैथी पद्वति अपनाना पड़ता है।  

फिर किसी के कहने भर से इतना भड़कने की क्या जरूरत है? ऐसा लगता है कि यह विरोध किसी पूर्वाग्रह और दुर्भावना की वजह से हो रहा है। जैसे लोग इंतजार में बैठे है कि गलती हो और तब बाल की खाल  निकाली जाये। जबकि बाबा रामदेव की संस्था पतंजलि ने इस पर सफाई दी और खुद बाबा रामदेव ने भी माफी मांग ली। जबकि इसकी कोई जरूरत नहीं थी। उनकी तरफ से कहा जा चुका है कि उन्होंने ऐसा नहीं कहा बल्कि वे तो सोशल मीडिया में प्रसारित मैसेज को पढ़कर बता रहे थे। लेकिन जिस तरह से डाक्टरों की संस्था आईएमए ने इसपर प्रतिक्रिया जतायी है? वो हैरान करता है। बिना तथ्य को जाने और समझे, डाक्टरों की र्शीष संस्था का बर्ताव उनकी मर्यादा के अनुरूप नही कही जा सकती है। 

वास्तव में आज के दौर में हम चाहते है कि सामने वाला सर्व गुण सम्पन्न हो। परन्तु यह संभव नहीं है। इंसान काम करता है तो उससे गलतियां भी होती है। बाबा रामदेव बढ़बोले हो सकते है उससे लेकिन उनके योगदान को कमतर करके नहीं आंका जा सकता। योग और पतंजलि की स्वास्थ भारत के प्रति भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। जिस तत्परता से आईएमए ने बाबा रामदेव के खिलाफ कड़वाहट उगली, इसी तरह यदि वह अपने सिस्टम और निजी अस्पतालों की संवेदनहीनता को दुरूस्त करने पर ध्यान दे तो बेहतर होगा। जब कभी ऐसे चिकित्सक या अस्पतालों के लूट की खबरें आती है तो यही संस्था तब गधे की सिंग की तरह गायब हो जाती है। दो बोल नहीं फूटते।


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सेना की सीएसडी कैंटीन में होने वाला है बड़ा बदलाव

 सेना की सीएसडी कैंटीन में होने वाला है बड़ा बदलाव



एजेंसी

नई दिल्ली। सेना की कई सीएसडी कैंटीन का एक दूसरे में विलय होगा। मैन पावर और जगह की बचत के साथ ही इंप्रफास्ट्रक्चर के बेहतर इस्तेमाल के लिए तय किया गया है कि सेना की उन यूनिट की कैंटीन मर्ज होंगी जो एक दूसरे के नजदीक हैं और जो एक ही जगह (स्टेटिक यूनिट) रहती हैं। आर्मी हेडक्वार्टर के क्वार्टरमास्टर जनरल ब्रांच ने सीएसडी (कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट) की उन यूनिट रन कैंटीन (यूआरसी) को मर्ज करने का आर्डर इश्यू किया जो एक ही स्टेशन में अलग अलग मिलिट्री इस्टेबलिस्मेंट में चल रही हैं।

24 मई को जारी आर्डर में कहा गया है कि सेना की स्टेटिक यूनिट (जिनका एक जगह से दूसरी जगह मूवमेंट नहीं होता)  की एक यूआरसी को जिसमें सबसे ज्यादा बैनिफिशयरी हैं उसे मर्ज्ड यूआरसी नामिनेट किया जाएगा और बाकी सभी यूआरसी सस्पेंडेड मोड में रहेंगी। इसमें कहा गया है कि इस आर्डर से सेना की उन यूनिट की यूआरसी प्रभावित नहीं होगी जिनका रोटेशन होता रहता है। उन्हें मर्जर से छूट मिलेगी। यह आर्डर तीनों सर्विसेस यानी आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के लिए जारी किया गया है। पूर्व सैनिकों के लिए जो कैंटीन हैं वह मर्ज नहीं होंगी क्योंकि इन कैंटीन पर ज्यादा निर्भरता है।

कौन सी यूआरसी रहेगी और उसमें आसपास की सारी यूआरसी मर्ज होंगी यह बोर्ड आफ आफिसर्स से तय होगा। बोर्ड में सभी स्टेकहोल्डर्स, फार्मेशन कमांडर्स, लोकल मिलिट्री अथारिटी और स्टेशन कमांडर होते हैं। जो यूआरसी तय की जाएगी वह ऐसी जगह पर स्थित होनी चाहिए ताकि सभी को आने जाने में सुविधा हो। इसमें कहा गया है कि जो यूआरसी सस्पेंडेड मोड में रहेंगी वह अपना नाम और यूआरसी कोड अपने पास रखेंगी। वे उसी से आपरेट करेंगी इसलिए मर्ज होने के बाद भी साफ्रटवेयर में बदलाव की जरूरत नहीं होगी। हालांकि सीएसडी डिपो इन सस्पेंडेड यूआरसी से आने वाली कोई डिमांड को आगे नहीं बढ़ाएगा। जो भी प्रोफिट होगा उसे संबंधित हेडक्वार्टर की निगरानी में सभी यूआरसी के साथ बांटा जाएगा।

आर्मी के एक अधिकारी के मुताबिक उन यूआरसी को मर्ज किया जाएगा जो स्टेटिक यूनिट में हैं और एक दूसरे से नजदीक हैं। जिनमें पहले से ही कम सामान रहता है और लगभग ना के बराबर टर्नओवर है। उन्होंने कहा कि एक बार यूआरसी मर्ज हो जाएंगी तो सभी को ज्यादा सुविधा होगी क्योंकि तब इंप्रफास्ट्रक्चर में सुधार होगा और कैंटीन किसी माल की तरह होंगी। मैनपावर की और जगह की बचत तो होगी ही, जिसका बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि स्टेशन कमांडर यह तय कर सकते हैं कि उनके स्टेशन में कितनी कैंटीन की जरूरत है। अभी इस सबसे बड़े स्टोर यानी सीएसडी के लेह से लेकर अंडमान तक कुल 33 डिपो हैं। जिसमें करीब 2500 सीएसडी कैडर हैं। अभी करीब 3700 यूआरसी हैं।


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रविवार, 23 मई 2021

नियम विरुद्व स्थानांतरण निरस्त कराने को मोर्चा ने मुख्य सचिव से लगाई गुहार

 नियम विरुद्व स्थानांतरण निरस्त कराने को मोर्चा ने मुख्य सचिव से लगाई गुहार       


                

- वन क्षेत्राधिकारियों के स्थानांतरण का है मामला                 

- प्रमुख वन संरक्षक ने शासनादेशों का उल्लंघन कर किए स्थानांतरण 

- सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 हेतु किया गया था स्थानांतरण सत्र शून्य घोषित           

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश को पत्र प्रेषित कर प्रमुख वन संरक्षक द्वारा 20/05/21  को वन क्षेत्राधिकारियों के कोरोना काल में शासनादेश के विपरीत किए गए स्थानांतरण निरस्त करने का आग्रह किया है।                

नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा कार्मिक विभाग के शासनादेश संख्या 116 दिनांक 20/05/20 के द्वारा इस स्थानांतरण सत्र (2020-2021) को शून्य घोषित किया गया था, लेकिन इसके बावजूद भयंकर महामारी में वन क्षेत्राधिकारियों के तबादले जनहित एवं स्वेच्छा में दर्शाकर एक तरफा कर दिए गए। 

स्वेच्छा के दृष्टिगत किए गए तबादलों से मोर्चा को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह भी एक तरह से शासनादेश का उल्लंघन है। ऐसे समय में जब देश/प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर व ब्लैक पफंगस जैसी खतरनाक बीमारी अपने पांव पसार चुकी हो, स्थानांतरण किया जाना कतई न्याय संगत प्रतीत नहीं होता। हैरानी की बात यह है कि अधिकारियों को न तो शासन की परवाह है और न ही सरकार की। 

मोर्चा ऐसे गैर-जिम्मेदार अधिकारियों के कृत्यों को लेकर सरकार से भी इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा।


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खुजली का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज

 समस्या जो कई कारणों से हो सकती है

खुजली का रामबाण आयुर्वेदिक इलाज 



देहरादून। खुजली एक ऐसी समस्या है, जो किसी एक नहीं बल्कि कई कारणों से हो सकती है। मौसम में बदलाव के कारण, किसी एलर्जी से, किसी केमिकल प्रोडक्ट के स्किन कान्टेक्ट में आने से या अन्य किसी कारण से खुजली हो जाती है। कई लोगों को हाथ-पैरों में खुजली की समस्या सालों पुरानी होती है। जब ये समस्या पुरानी हो जाये तो बढ़ती जाती है, जिसके बाद महंगी टैबलेट और क्रीम का सहारा लेना पड़ता है। 

कुछ ऐसे आयुर्वेद उपाय हैं, जिससे सालों पुरानी खुजली का समाधान चुटकियों में हो जायेगा। आयुर्वेद में ऐसी कई चीजें हैं, जो खुजली दूर करने के लिए रामबाण इलाज मानी जाती हैं। ऐसे कुछ घरेलु उपचारों के बारे में जानते हैं।

बेकिंग सोडाः खुजली की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिये बेकिंग सोड़ा का प्रयोग। सुनकर हैरत जरूर होगी लेकिन खुजली की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए बेकिंग सोडा से अच्छा विकल्प नहीं है। इसमें खुजली से बचाने वाले गुण होते हैं। 

दो चम्मच बेकिंग सोडा और एक चम्मच पानी मिलकर इसका पेस्ट बनायें। इस पेस्ट को 15 से 20 मिनट तक खुजली वाली जगह पर लगा रहने दें और फिर धो लें। बेकिंग सोडा का इस्तेमाल सावधानी सें करें। किसी कटी या जली हुई जगह पर इसका उपयोग न करें। 

दलिया से देसी इलाजः दलिया में मौजूद एंटीआक्सीडेंट गुण हमें खुजली से बचाते हैं। आप सोच भी नहीं सकते कि सेहत बनाने वाला दलिया खुजली की समस्या से भी छुटकारा दिला सकता है। दलिया में मौजूद एंटीआक्सीडेंट गुण खुजली से बचाते हैं। 

दो से तीन चम्मच दलिए को थोड़े पानी में मिलायें और इसे खुजली वाली जगह पर लगायें। उस भाग को एक कपड़े से ढंक दें और 30 मिनट बाद पानी से धोकर साफ कपड़े से पोंछ लें। 

नींबूः खुजली दूर करने का यह एक असरदार नुस्खा है क्योंकि नींबू में मौजूद एंटीसिट्रिक एसिड में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। नींबू जलन से बचाने वाले गुणों के कारण ज्यादा जाना जाता है। जब भी खुजली हो तो इसे निचोड़कर खुजली वाली जगह पर लगा लें। इसे सूखने दें और ठंडे पानी से धो लें। यह घर बैठे खुजली दूर करने का असरदार नुस्खा है। 

मिट्टीः खुजली का इलाज प्रफी में किया जा सकता है। मिट्टी से भी खुजली का इलाज संभव है। किसी भी तरह की खुजली हो, एक कप मिट्टी को पानी में मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इसके बाद मिट्टी के इस पेस्ट को खुजली वाली जगह पर लगायें और सूखने के बाद धो लें। इससे खुजली में आराम मिलेगा।


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शुक्रवार, 21 मई 2021

ब्लॉक स्तरीय ऑनलाइन ओपीडी की व्यवस्था करे सरकार: मोर्चा

 ब्लॉक स्तरीय ऑनलाइन ओपीडी की व्यवस्था करे सरकार: मोर्चा    



# प्रदेश के सुदूर इलाकों में नहीं मिल पाता  चिकित्सकीय लाभ  
# नगरीय क्षेत्र के अस्पतालों से भी छटेगी भीड़            
# ऑनलाइन ओपीडी से संक्रमण की संभावनाएं भी होंगी कम       
# मरीजों को मिलेगी आर्थिक रूप से राहत  
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं  जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर इस कोरोना महामारी में जनता को राहत प्रदान करने की दिशा में ब्लॉक स्तर पर चिकित्सकों की डयूटी लगाकर ऑनलाइन ओपीडी की व्यवस्था करने हेतु मांग की।  
नेगी ने कहा कि  सुदूरवर्ती इलाकों एवं नगरी क्षेत्र के चिकित्सालयों में  चिकित्सकों की कमी, मरीजों की भीड़भाड़ एवं  कोविड कर्फ्यू आदि तमाम असुविधाओं से निजात पाने हेतु एक-दो घंटे की ऑनलाइन ओपीडी से काफी राहत मरीजों को मिल सकती है तथा इससे अनावश्यक भीड़-भाड़  व संक्रमण से भी काफी निजात मिलेगी तथा इसके साथ-साथ आमजन को फौरी तौर पर एवं आर्थिक रूप से भी काफी राहत मिल पाएगी।
ऑनलाइन ओपीडी के तहत सरकार को ब्लॉक स्तर पर आमजन/मरीजों को चिकित्सकों के मोबाइल नंबर व नाम उपलब्ध कराकर सेवा मुहैया करवाकर उसका व्यापक प्रचार-प्रसार कराना चाहिए।           
नेगी ने कहा कि प्राय: देखने में आया है कि मरीज चिकित्सकीय सुविधा के अभाव में स्वयं के विवेक अथवा नीम हकीमों/ अप्रशिक्षित डॉक्टरों से अनाप-शनाप दवा ले रहे हैं, जोकि काफी नुकसानदेह/जानलेवा साबित होने के साथ ही कोरोना वायरस के संक्रमण का कारण भी हो सकता है।

गुरुवार, 20 मई 2021

यूपी, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भारी बारिश की आशंका

 यूपी, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में भारी बारिश की आशंका, गरज के साथ चलेंगी तेज हवाएं



चक्रवाती तूफान ताउते के कारण पश्चिमी विक्षोभ बनने से राज्‍यों में बारिश की संभावना जताई गई

एजेंसी

नई दिल्ली।  पश्चिम उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, तमिलनाडु और पुडुचेरी में अलग-अलग स्थानों पर गुरुवार को भारी से बहुत भारी वर्षा होने की आशंका है। भयंकर चक्रवाती तूफान ताउते के कारण पश्चिमी विक्षोभ बनने से इन स्थानों पर बारिश की संभावना जताई गई है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, असम, मेघालय, गंगीय पश्चिम बंगाल, केरल, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार में अलग-अलग स्थानों पर 30-40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गरज के साथ तेज हवा चलने की संभावना है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग के राष्ट्रीय मौसम पूवार्नुमान केंद्र ने आगे बंगाल की खाड़ी और उससे सटे दक्षिण अंडमान सागर पर तेज हवा (40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 60 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने की गति) का अनुमान लगाया है। मछुआरों को इन क्षेत्रों में नहीं जाने की सलाह दी गई है। शुक्रवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में अलग-अलग स्थानों पर बिजली और तेज हवा (40-50 किमी प्रति घंटे तक की गति) के साथ गरज के साथ बौछारें पड़ने की संभावना है।

शुक्रवार को झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल और माहे और लक्षद्वीप में अलग-अलग स्थानों पर बिजली और तेज हवा (30-40 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने की गति) की भी आशंका जताई गई है। शुक्रवार को बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, विदर्भ, असम और मेघालय, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, तटीय और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में अलग-अलग स्थानों पर इसी तरह की मौसम की स्थिति की उम्मीद है।


उधमसिंह नगर में महज 21 फीसदी गंभीर अपराध के मुकदमों में सजा

 उधमसिंह नगर में महज 21 फीसदी गंभीर अपराध के मुकदमों में सजा



वर्ष 2020 मेें आई0पी0सी0 के 18 मुकदमों में सजा, 66 में रिहाई

सूचना अधिकार के अन्तर्गत संयुक्त निदेशक अभियोजन कार्यालय द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध सूचना से हुआ खुलासा

संवाददाता

काशीपुर। 2020 में कोरोना काल में भले ही अदालतें सुचारू रूप से नहीं चल पायी हो लेकिन इस अवधि में भी उधमसिंह नगर के न्यायालयों ने कुल 5,176 मुकदमोें का फैसला किया हैै तथा भारतीय दंड संहिता के गंभीर अपराधों (सत्र न्यायालय) वाले मुकदमोें में 21 फीसदी 18 मुकदमों में सजायेें हुई जबकि 66 मुकदमोें में रिहाई हुई हैै।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने अभियोजन निदेशालय से वर्ष 2020 में मुकदमों में सजा व रिहाई सम्बन्धी विवरणों की सूचना मांगी थी। जिसके उत्तर में संयुक्त निदेशक अभियोजन कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी ने अपने पत्रांक 269 दिनांक 22 अप्रैल से सम्बन्धित विवरण की फोटोे प्रतियां उपलब्ध करायी गयी है।

नदीम कोे उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2020 में भारतीय दंड संहिता के सत्र न्यायालय में विचारण योग्य गंभीर मुकदमोें (हत्या, लूट, डकैती, बलात्कार आदि) के 87 मुकदमें निर्णीत हुये जिसमें 18 मुकदमों में सजा हुई है जबकि 66 मुकदमों में रिहाई हुई  हैै अर्थात अभियोजन व पुलिस अपराध के साबित करनेे में सपफल नहीं हुये हैैं। इस अवधि में 3 ऐसे मुकदमें क्वैश/दाखिल दफ्रतर भी हुये हैै। सजा का प्रतिशत 21 फीसद है।

अन्य अधिनियमोें के अन्तर्गत सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय गंभीर मुकदमोें में सजा का प्रतिशत 70 है। 2020 में ऐसे 145 मुकदमें निर्णीत हुये है जिसमें 98 मुकदमोें में सजा हुई हैै तथा 43 मुकदमोें में अपराध साबित नहीं हुये है व रिहाई हुई है। ऐसे 4 मामले दाखिल दफ्रतर/क्वैैश हुये हैै।

उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2020 में अधीनस्थ न्यायालयोें (मजिस्ट्रेटोें आदि के न्यायालयोें) में भारतीय दंड संहिता केे अपराधों केे 194 मामलों में सजा हुई है जबकि 99 मामलोें में रिहाई हुई है। इस अवधि में 148 मुकदमों में राजीनामा हुआ है तथा 4 मुकदमें शासन द्वारा वापस भी हुये है।

अन्य अधिनियम के अन्तर्गत अधीनस्थ न्यायालयोें द्वारा विचारणीय मुकदमोें में 4,214 मामलों में सजा हुई है जबकि 73 मामलोें में रिहाई हुई हैैं। सजा वाले मामलों में मोटर वाहन अधिनियम सहित अन्य अधिनियम के चालान व जुर्माने के मामले भी शामिल होते हैं।

उपलब्ध विवरण केे अनुसार 2020 के र्प्रारंभ में जिला उधमसिंह नगर के सत्र न्यायालयों में 1,120 मुकदमें लम्बित थे जोे वर्ष के अन्त में कम होकर 1,100 रह गये जबकि इस अवधि में 67 नये मामले दायर हुये हैं।

अन्य अधिनियमों के वर्ष के प्रारंभ में 1,110 मामले लम्बित थे जो वर्ष के अन्त में बढ़कर 1,210 हो गये जबकि वर्ष में ऐसे 245 नये मुकदमें दायर हुये है।

2020 केे प्रारंभ में जिले के अधीनस्थ न्यायालयों में भारतीय दंड संहिता के अपराधों के कुल 7,789 मुकदमें लम्बित थे जो वर्ष के अंत में बढ़कर 8,309 होे गये जबकि इस अवधि में 1,112 नये मुकदमें दायर हुये हैं।

अन्य अधिनियमोें के अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित मामलों की संख्या 2020 के र्प्रारंभ में 4,455 थी जो 2020 के अन्त में बढ़कर 4,790 होे गयी हैै। इस अवधि में ऐेसे 4,687 नये मुकदमें दायर हुये है।


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कम दबाव आक्सीजन गैस को तरल आक्सीजन में बदलने का खोजा फार्मूला

कम दबाव आक्सीजन गैस को तरल आक्सीजन में बदलने का खोजा फार्मूला



भारतीय सेना के इंजीनियरों द्वारा आक्सीजन को कुशलतापूर्वक रूपांतरित करने का समाधान खोजा

एजेंसी

नई दिल्ली। कोविड की दूसरी लहर के विरुद्व आक्सीजन और आक्सीजन सिलेंडरों की मांग में तेजी को पूरा करना बेहद अहम हो जाता है। चूंकि क्रायोजेनिक टैंकों में आक्सीजन को तरल रूप में स्थानांतरित किया गया, इसलिए तरल आक्सीजन गैस का इस्तेमाल की जाने वाली आक्सीजन में त्वरित रूपांतरण तथा रोगियों के बिस्तर पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना कोविड रोगियों का प्रबंधन कर रहे अस्पतालों के सामने एक बड़ी चुनौती था।



मेजर जनरल संजय रिहानी के नेतृत्व में सेना के इंजीनियरों की टीम ने इस चुनौती का समाधान खोजने की पहल की है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि गैस सिलेंडरों के उपयोग के बिना आक्सीजन उपलब्ध हो, इस नवाचार के लिए एक विशेष कार्य बल का गठन किया गया और गैस सिलेंडर बार-बार भरने की जरूरत को समाप्त किया गया।

सात दिनों से भी अधिक समय तक सीएसआईआर और डीआरडीओ के साथ सीधे परामर्श से वैपोराइजर्स, पीआरवी और तरल आक्सीजन सिलेंडरों का उपयोग करते हुए समाधान को खोजा गया। कोविड रोगी के बिस्तर पर अपेक्षित दबाव और तापमान पर तरल आक्सीजन के आक्सीजन गैस में निरंतर रूपांतरण को सुनिश्चित करने के लिए टीम ने छोटी क्षमता ;250 लीटरद्ध के स्वतः दबाव डाल सकने वाले तरल आक्सीजन सिलेंडर को विशेष रूप से डिजाइन किए गए वैपोराजर और सीधे उपयोग करने योग्य आउटलेट दबाव (4 बार) के माध्यम से अपेक्षित लीक प्रूफ पाइपलाइन और प्रेशर वाल्व के साथ संसाधित किया।

40 कोविड बिस्तरों हेतु दो से तीन दिन की अवधि तक आक्सीजन गैस प्रदान करने में सक्षम दो तरल सिलेंडर वाले प्रोटोटाइप को दिल्ली कैंट के बेस अस्पताल में क्रियाशील किया गया है। टीम ने अस्पतालों में रोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक मोबाइल संस्करण का भी परीक्षण किया है। यह प्रणाली आर्थिक रूप से व्यवहार्य है और उपयोग में सुरक्षित है क्योंकि यह पाइपलाइन या सिलेंडरों में उच्च गैस दबाव को दूर करती है और इसे संचालित करने के लिए बिजली की आपूर्ति की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यह प्रणाली अनेक स्थानों पर लगाने के लिए शीघ्रतापूर्वक तैयार की जा सकती है।

यह नवाचार जटिल समस्याओं के सरल और व्यावहारिक समाधान लाने में अभिनव समाधानों को बढ़ावा देने के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्वता का एक और उदाहरण है। सेना कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में राष्ट्र के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ी है।


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बुधवार, 19 मई 2021

श्रमिकों के मामले में आनलाइन भुगतान के निर्देश दे सरकारः मोर्चा

 श्रमिकों के मामले में आनलाइन भुगतान के निर्देश दे सरकारः मोर्चा          


        

- खाद्यान्न किट व अन्य सामान देने के बजाय आनलाइन भुगतान पर ध्यान दे विभाग

- श्रम मंत्री व कर्मकार बोर्ड सामान देने पर कर रहा विचार

- गत वर्ष भी किट वितरण में की गई थी भारी धांधली 

- लूट खसोट बंद कर शत-प्रतिशत लाभ दें श्रमिकों को 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष  मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले श्रम मंत्री हरक सिंह रावत व कर्मकार कल्याण बोर्ड ने वक्तव्य जारी कर कहा था कि विभाग प्रदेश के  पंजीकृत श्रमिकों को इस महामारी में खाद्यान्न किट/सामान इत्यादि वितरित करने का विचार कर रहा है।               

नेगी ने कहा कि श्रम विभाग को गरीब श्रमिकों को सामान/किट इत्यादि देने के बजाय उनके खाते में (डीबीटी) आनलाइन भुगतान के माध्यम से लाभ पहुंचाना चाहिए, जिससे श्रमिकों को शत-प्रतिशत लाभ मिल सके। प्रदेश का श्रमिक इस महामारी में आर्थिक रूप से तंगहाली में जीने को मजबूर है।                 

नेगी ने कहा कि गत वर्ष महामारी में कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा सामान/किट का वितरण किया गया था, जोकि बहुत ही घटिया एवं मात्रा में भी कम था, यानि उसमें भी बहुत बड़ी दलाली उस समय की गई थी तथा इसी प्रकार करोड़ों रुपए मूल्य की साइकिलें, सिलाई मशीन, सोलर लालटेन, छाते, वेल्डिंग मशीन, टूल किट आदि मामले की खरीद एवं वितरण में भी विभाग बहुत बड़ा घोटाला कर कीर्तिमान स्थापित कर चुका है। वैसे वर्तमान बोर्ड कुछ दिन पहले सराहनीय पहल कर चुका था, लेकिन फिर वही खामोशी।             

मोर्चा सरकार से मांग करता है कि श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिकों को सामान/किट इत्यादि बांटने के बजाय आनलाइन भुगतान के निर्देश विभाग को दें।


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सेहत की बातः पांच तरह के सिरदर्द

 कौन सा सिरदर्द है और क्या है इसका इलाज



सेहत की बातः पांच तरह के सिरदर्द 

प0नि0डेस्क

देहरादून। सिरदर्द एक ऐसा मर्ज है जो हर छोटी सी समस्या से हमको जकड़ लेता हैं। ये समस्या बहुत आम है। कुछ सिरदर्द आसानी से ठीक नहीं होते और हमें सालों तक परेशान कर सकते हैं। उनके बारे में सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। कुछ लोगों के लिए सिरदर्द इतनी तकलीफ देता है कि वो कुछ करने लायक स्थिति में नहीं रह जाते। 

अक्सर लोगों को लगता है कि उन्हें माइग्रेन हो रहा है पर ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें कोई और बीमारी हो। पांच सबसे आम सिरदर्द की जानकारी ले लेते है।

टेंशन वाला सिरदर्दः ये अधिक टेंशन के साथ होता है। काम का स्ट्रेस, पर्सनल लाइपफ का स्ट्रेस आदि सब मिलकर इस सिरदर्द को और बढ़ा देते हैं। इस तरह का सिरदर्द सबसे ज्यादा कामन होता है। यही सिरदर्द लगातार टेंशन के कारण हाइपर टेंशन सिरदर्द में बदल जाता है जो बहुत ज्यादा दुखदाई हो जाता है। 

इसके होने पर सिर में प्रेशर महसूस होता है। माथा सिकुड़ा हुआ सा लगता है। आंखों और अपर फोरहेड पर टेंशन से लकीरें बनी हुई लगेंगी। दर्द धीमा शुरू होता है और टेंशन बढ़ने के साथ ही बढ़ता है। ये अक्सर सुबह कम और शाम होते-होते ज्यादा हो जाता है। 

इस यह सिरदर्द के कारण

खराब पाश्चर, नींद में कमी, काम का या किसी पर्सनल बात का स्ट्रेस, किसी गलत पोजीशन में सिर को होल्ड करना आदि हो सकता है। इसे ठीक करने के लिए यदि ये लगातार बना हुआ है तो डाक्टर से सलाह लें। स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करें। हेल्दी डाइट लें और स्ट्रेस लेने से बचें। 

साइनस वाला सिरदर्द- साइनस की वजह से सिरदर्द की समस्या बढ़ जाती है और बहुत परेशानी होती है। इसके लक्षणों में सिरदर्द के साथ फीवर और नाक बंद। आंखों के नीचे और आईब्रो एरिया में टेंशन पफील होगी और प्रेशर होगा। गालों में भी प्रेशर सा पफील होने लगेगा। थकान महसूस होगी। 

अब सवाल यह कि इस तरह के दर्द के कारण क्या है। यह सिरदर्द साइनस के कारण होता है। यह सिरदर्द बुखार या सीजनल एलर्जी के बाद हो जाता है। इसे ठीक करने करने के लिए अपने डाक्टर द्वारा बताई गई दवाएं खाएं। बहुत ज्यादा ठंडी चीजों से दूर रहें। 

जिस भी चीज से साइनस ट्रिगर होता है जैसे धूल-मिट्टी, ठंडक, एसी की डायरेक्ट हवा आदि से बचें। 

तीसरा माइग्रेन का दर्द सबसे ज्यादा खतरनाक दर्द में से एक होता है। इसके लक्षण में सिर के किसी एक हिस्से में बहुत तेज सिरदर्द। 

ये चार स्टेजेस में होता है। पहली स्टेज 2 दिन तक चल सकती है जिसे प्रोड्रोम कहते हैं, दूसरी औरा कहलाती है जो 30 मिनट तक चलती है जिसमें बहुत सीरियस पेन होता है। तीसरी रेजुलेशन होती है जो 24 घंटे तक चल सकती है। वो टेंशन, ध्यान न लगना आदि से जुड़ी होती है और चौथी खुद सिरदर्द जो 72 घंटे तक बना रह सकता है। 

इस तरह के सिरदर्द के कारण है कोई चोट, हेरेडिटी के कारण, किसी बीमारी या दवा का साइडइफेक्ट, नर्व्स प्राबलम्स के कारण आदि। इसे ठीक करने के लिए माइग्रेन के लिए आप वो सब करें जो डाक्टर ने बताया हो। इसे पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल होता है। इसमें मेडिटेशन और रेगुलर एक्सरसाइज भी मदद कर सकती है। 

क्लस्टर सिरदर्द कामन नहीं होता और अक्सर किसी और सिरदर्द से कन्फ्रयूज कर लिया जाता है। ये पुरुषों को महिलाओं की तुलना में ज्यादा होता है। इसके होने पर आंखों के पीछे या उसके आसपास दर्द होता है। ये नींद के समय ज्यादा होता है। आंखों का लाल होना, लाइट से सेंसिटिविटी होना आदि इस तरह के सिरदर्द की समस्या होती है। ये 15 मिनट से 1 घंटे तक हो सकता है। 

इस तरह के सिरदर्द का होना हर व्यक्ति पर अलग अलग निर्भर करता है। किसी को ये समस्या हेरेडिटरी हो सकती है तो किसी को ये किसी तरह की चोट या बीमारी का साइड इफेक्ट भी हो सकता है। अगर ऐसा सिरदर्द हो रहा है तो डाक्टर से संपर्क करें। खुद को एक्टिव रखें और हेल्दी डाइट खाएं। ऐसे समय में स्क्रीन देखने या किसी तरह का स्ट्रेस लेने से बचें। 

बहुत ज्यादा शराब का सेवन करने से हैंगओवर की समस्या हो सकती है और इस बढ़ी हुई समस्या का इलाज करने के लिए देसी नुस्खों को आजमा लेना चाहिए या फिर एंटी-हैंगओवर मेडिसिन डाक्टर की सलाह पर ले लेनी चाहिए। इसके लक्षण में एक दिन शराब पीने के बाद दूसरे दिन बहुत तेज सिरदर्द। दिन भर थकान महसूस होना। सिरदर्द के साथ अपच या उल्टी होना। 

बहुत ज्यादा शराब का सेवन करना एक कारण हो सकता है। शराब के साथ किसी तरह का सिरदर्द 24 घंटे तक रह सकता है। देसी नुस्खे जैसे नींबू का रस आदि इस तरह के सिरदर्द में मदद कर सकते हैं। 


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यूपीजेई एसो0 द्वारा ऊर्जा कार्मिकों को वैक्सीनेशन किये जाने की मांंग

 यूपीजेई एसो0 द्वारा ऊर्जा कार्मिकों को वैक्सीनेशन किये जाने की मांंग



संवाददाता
देहरादून। यूपीजेईए की यूपीसीएल एवं पिटकुल संयुक्त शाखा के प्रान्तीय महासचिव पवन रावत ने प्रबन्ध निदेशक यूपीसीएल एवं प्रबन्ध निदेशक पिटकुल को लिखे पत्र में अवगत कराया कि वर्तमान में सम्पूर्ण प्रदेश में कोरोना महामारी का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में अनुरक्षण एवं मरम्मत कार्य करने, उपभोक्ता शिकायतों का निस्तारण करने, कैश काउंटर एवं कार्यालयों में आम जनता की आवाजाही के कारण ऊर्जा कार्मिकों में लगातार कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि वितरण क्षेत्र के ऊर्जा कार्मिकों के पास उपभोक्ताओं के बीच कार्य करने हेतु कोई कोरोना किट उपलब्ध नहीं है एवं फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स के तौर पर उनका वैक्सीनेशन भी नहीं किया गया है। 
यूपीसीएल एवं पिटकुल प्रबंधन को अवगत कराते हुए उन्होंने कहा कि यूपीसीएल एवं पिटकुल के समस्त ऊर्जा कार्मिक सम्पूर्ण मनोयोग एवं सेवाभाव से अपने कार्यक्षेत्रों में डटे हैं जिससे कि समस्त आपात सेवाओं में विधुत आपूर्ति सुचारू रहे। वैक्सीनेशन नहीं होने से राजधानी से लेकर सुदूर दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात कार्मिकों में संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। 
उन्होंने प्रबंधन को अवगत कराया कि कोरोना संक्रमित होने से यूपीसीएल में एक अधिशाषी अभियंता, दो उपखंड अधिकारी, एक प्रभारी अवर अभियंता एवं पिटकुल में एक अधिशाषी अभियंता की धर्मपत्नी एवं एक अवर अभियंता की जीवन क्षति हो चुकी है। ऊर्जा के दोनों निगमों के लिए उनके वरिष्ठ एवं अनुभवी कार्मिकों को खोना अपूर्णनीय क्षति है। इससे समस्त ऊर्जा कार्मिकों में भी कोरोना संक्रमण के प्रति डर का माहौल है। उन्होंने यह भी अवगत कराया कि वर्तमान में अनेक ऊर्जा कार्मिक एवं उनके परिजन कोरोना संक्रमण परीक्षण में पॉजिटिव पाये जाने पर आइसोलेशन में हैं एवं गम्भीर मानसिक अवसाद से जूझ रहे हैं।
प्रान्तीय महासचिव ने प्रबंधन को यह भी अवगत कराया कि ऊर्जा सचिव के वक्तव्य के अनुसार ऊर्जा कार्मिक पूर्व से ही कोरोना वारियर्स घोषित हैं परन्तु फिर भी कोरोना वारियर्स के तौर पर उनका वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। इससे समस्त ऊर्जा कार्मिक स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। 
उन्होंने प्रबंधन से समस्त ऊर्जा कार्मिकों को विधिवत फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स घोषित कराते हुए शीघ्र ही वैक्सीनेशन करने की मांंग की। उन्होंने यह भी मांंग की कि ऊर्जा के जिन कार्यरत कार्मिकों की जीवन क्षति कोरोना संक्रमण से हुई है उनके आश्रितों को शासन द्वारा फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स को घोषित पचास लाख रुपये की अनुग्रह क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान करने के आदेश निर्गत करायें। 

मंगलवार, 18 मई 2021

किसानों को डीबीटी के माध्यम से होगा भुगतान, मोर्चा की बड़ी जीत: नेगी

 किसानों को डीबीटी  के माध्यम से होगा भुगतान, मोर्चा की बड़ी जीत: नेगी    


       
      

# किसानों को विभागीय लूट से बचाने को  लेकर मोर्चा द्वारा लड़ी गई थी लड़ाई                          
# प्रतिवर्ष करोड़ों  रुपए  की होती थी सब्जियों/फूल के बीज तथा सामान की खरीद               
# खरीद एवं वितरण में होता था भारी घोटाला     
# किसानों को घटिया क्वालिटी का बीज थमा कर की जाती थी खानापूर्ति             
# किसान हित में सरकार का सराहनीय कदम    
संवाददाता    
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा प्रदेश के  उद्यान एवं  कृषि से जुड़े कृषकों को सरकारी योजनाओं का लाभ, बीज खरीद एवं अन्य योजनाओं का भुगतान डीबीटी यानी डायरेक्ट कृषकों के खातों में धनराशि डालकर किया जाएगा, जोकि सरकार का सराहनीय कदम है। इस प्रक्रिया से  किसानों को  विभागीय लूट से भी  बहुत बड़ी राहत मिलेगी एवं कमीशनखोरी पर भी लगाम लगेगी।         
नेगी ने कहा की मोर्चा द्वारा किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ एवं बीज खरीद मामले में डीबीटी यानी ऑनलाइन भुगतान को लेकर लड़ाई लड़ी गई थी तथा इस मामले में कृषि एवं उद्यान के क्षेत्र में महारत हासिल  विशेषज्ञ डा0 राजेंद्र कुकसाल द्वारा भी मोर्चा को इन सभी विभागीय लूट एवं कृषकों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर अवगत कराया था।  नेगी ने कहा कि उद्यान एवं कृषि विभाग द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए मूल्य के सब्जियों, फूलों के बीज तथा सरकार द्वारा संचालित योजनाओं  हेतु  सामान/ उपकरण की खरीद विभाग द्वारा कर प्रदेश के किसानों को घटिया गुणवत्ता का सामान, बीज इत्यादि नि:शुल्क वितरित किया जाता था। 
नेगी ने कहा कि विभाग द्वारा कागजों में खरीद उच्च क्वालिटी की दर्शाई जाती थी, लेकिन इसके विपरीत खरीद बिल्कुल घटिया क्वालिटी की होती थी, जोकि बामुश्किल 20-30 फ़ीसदी ही धरातल पर उगती थी। इसके साथ साथ वितरण में भी भारी अनियमितता बरती जाती थी।

बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने ज्ञापन प्रेषित कर नौकरी दिलाने की मांग की

 आयुर्वेदिक बेरोजगार डिप्लोमा फार्मासिस्टों को मिले शीघ्र नियुक्तिः डा0 डी0सी0 पसबोला

बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने ज्ञापन प्रेषित कर नौकरी दिलाने की मांग की



संवाददाता

देहरादून। राज्य के बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर कोरोना काल में सम्बन्धित विभाग में नौकरी दिलाने की मांग की है। बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने कहा कि यदि सरकार उन्हें रोजगार देने का निर्णय लेती है तो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहे ग्रामीणों को चिकित्सा सेवा का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही कोरोना महामारी में स्वास्थ्य कर्मियों कमी से भी निजात मिलेगी।

राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखंड के प्रदेश मीडिया प्रभारी डा0 डी0सी0 पसबोला ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एवं आयुष मंत्री डा0 हरक सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित किया है, जिसकी एक प्रति उन्हें भी प्रेषित की गयी है। जिसमें मुख्यमंत्री एवं आयुष मंत्री से राज्य के विभिन्न राजकीय आयुर्वेदिक एवं एलौपैथिक चिकित्सालयों में रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति देने की मांग की गयी है। 

इसके अलावा आयुर्वेद विश्वविद्यालय, नगर निगम, सेना के चिकित्सालयों एवं नगर पंचायत स्तर पर भी रोजगार देने तथा एलोपैथिक फार्मासिस्टों की तरह लाइसेंस देने की भी मांग की गयी है। जबकि राज्य में हजारों पंजीकृत आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट बेरोजगार हैं। राजकीय आयुर्वेदिक संघ के प्रान्तीय उपाध्यक्ष डा0 अजय चमोला ने भी बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों की सभी मांगों का समर्थन किया है।

डा0 पसबोला ने बताया कि राज्य में दो दर्जन से ज्यादा कालेज है जहां से निकलकर हर साल सैंकड़ों बेरोजगार आयुर्वेदिक फार्मेसिस्टों की संख्या में इजाफा ही होता जा रहा है। क्योंकि इन बेरोजगारों को रोजगार देने के मामले में राज्य सरकार का रवैया हमेशा से सौतेला ही रहा है। यहां तक कि राज्य में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है और उनकी आर्थिक स्थिति भी चरमरा गई है, ऊपर से कोरोना महामारी ने कोढ़ में खाज का काम किया है। 

ज्ञापन पर गीता धौलाखण्डी, ज्योति, ममता नयाल, हरेंद्र कुमार, सूरज, प्रदीप, लक्ष्मण, वैशाली, तन्नू , सुनीता, रोहित, दीक्षा, पूजा आदि फार्मासिस्टों के हस्ताक्षर हैं।


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सोमवार, 17 मई 2021

संस्मरणः रंगाली बिहू

संस्मरणः रंगाली बिहू



शूरवीर रावत

देहरादून। ‘असम एशोसियेसन, देहरादून’ द्वारा ओ0एन0जी0सी0 के आडोटोरियम में रंगाली बिहू 2016 का आयोजन किया गया था। रंगाली बिहू को बोहाग बिहू भी कहा जाता है। बोहाग अर्थात बैसाख। एक मित्र द्वारा सूचना देने पर मैं बिहू का आनन्द उठाने से अपने को नहीं रोक पाया। काफी लम्बे अरसे बाद असम के रंगाली बिहू का लाईव शो देख रहा था। अतः स्वाभाविक रूप से शो के दौरान मेरा मन मयूर भी नाच उठा। 

अब क्या कहूं, आसाम बिहू की बात ही जो निराली है। मेरा मन आज भी आसाम की यादों को नहीं भुला पाया और ऐसे कार्यक्रम मुझे सुदूर आसाम के हरे-भरे चाय बागानों के बीच ले जाते हैं। मैं यादों में खो जाता हूं। नवोदित गायक पापोन के (देवारिश में गाये) शब्दों में कहूं तो-

‘नदीर काखोत वनह वताहत असे जो मोर प्राण।

जुनोर पोहोरत तारा हिफारोत असे जो मोर प्राण।..’  

(नदी किनारे वन प्रान्तर की हवाओं में मेरे प्राण बसे हुये हैं। चांद की चांदनी और सितारों के उस पार मेरा मन जा बसा है।...)

भौगोलिक व भाषाई आधार पर प्रान्तों, देशों व महाद्वीपों के मध्य अनेक भिन्नतायें हो सकती है। किन्तु सांस्कृतिक स्तर पर प्रायः समानता देखने को मिलती है। बसन्त ऋतु तो गढ़वाल के लिये भी हर्षाेल्लास लेकर आती है। चैत्र बीतने के बाद सक्रान्ति को घर-घर में स्वांले-पकोड़े-पापड़ी का भोज और बैसाख में जगह-जगह लगने वाले मेले कौन भूल सकता है। पंजाब में ही जीवन्तता का त्योहार बैसाखी का उत्साह भी तो किसी से छिपा हुआ नहीं है। असम में तो पूरे बैसाख भर चलने वाले ‘रंगाली बिहू’ का अन्दाज ही अनोखा व निराला है। असमिया गायिका ‘प्रार्थना चौधरी’ का गीत याद आता है-

‘..बिहु रे ओय तोली से नास-नासू लागे।

ओ मोर सेनाय होय तेने कु न साबी बोर मोरम लगाक्वो

साले तुमार सकूलोय मोरम लागे तोमाल्वै...’

(... बसन्त का उल्लास लिये बिहू के इस मौसम में मन मयूर ऐसे ही नाच उठता है। असीम प्यार उड़ेलते हुये यदि तुम मुझे इसी तरह अपलक निहारोगे तो मेरी दशा एक घायल हिरनी की सी हो जायेगी। ओ प्रिय! तुम्हें पता है कि तुम्हारी एक झलक मात्रा से ही मदहोशी छा जाती है।....)

इतने सुन्दर शब्दों के माध्यम से प्रेम की अभिव्यक्ति और यह प्रणय वेदना अन्यत्र देखने को कहां मिलती है। माधुर्य रस से परिपूर्ण इस प्रकार के गीत आसाम की धरती की देन है। (अप्रैल 24, 2016)


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कोविन ऐप पर कोरोना वैक्सीन के लिए स्लाट बुक करें

 कोविन ऐप पर कोरोना वैक्सीन के लिए स्लाट बुक करें



देश की 130 करोड़ आबादी को टीका लगाना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती 

प0नि0डेस्क

देहरादून। देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर चल रही है। जिसके चलते लाकडाउन और ऐसे ही सख्त कदम राज्य सरकारों की ओर से उठाए गए हैं। देश में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच लोगों को महामारी से इम्यून करने के लिए टीकाकरण का काम भी जारी है। इस समय देश में लोगों को मुख्य तौर पर तीन वैक्सीन लगाई जा रही हैं। जिसमें भारत बायोटैक की कोवैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड और रूस की वैक्सीन स्पुतनिक शामिल हैं।

देश की 130 करोड़ आबादी को टीका लगाना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। लेकिन सरकारों की ओर से वैक्सीनेशन सेंटर पर लगातार इस काम को करने की कोशिश की जा रही है। कई राज्यों ने वैक्सीन का स्टाक कम होने की शिकायत भी की है। इस बीच बड़ा सवाल ये है कि वैक्सीनेशन कैसे कराएं? अपने पफोन पर कोविन ऐप तो सब इंस्टाल कर पा रहे हैं लेकिन वैक्सीन के लिए स्लाट मिलने में मुश्किल पेश आ रही है।

कोरोना टीकाकरण से जुड़ी जरूरी बातों की जानकारी जिसकी मदद से आप कोविड वैक्सीनेशन का काम आसानी से कर सकेंगे-

चाहे 18 से अधिक आयु के लोग हों या 45 से ज्यादा के सभी कोविन या आरोग्य सेतु ऐप से खुद को रजिस्टर कर सकते हैं और खुद के टीका लगवाने का स्लाट बुक करा सकते हैं। नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर बताने के लिए ऐप आपसे पिनकोड पूछेगा। दूसरा आपशन है, जिसमें आपको जिले के सभी वैक्सीनेशन सेंटर की लिस्ट दिखाई देगी। इसमें से नजदीकी वैक्सीनेशन सेंटर चुनना होगा।

खास बात ये है कि किसी भी दिन वैक्सीनेशन सिर्फ उन लोगों का होगा जिन्होंने खुद के लिए पहले वैक्सीन लगवाने का स्लाट बुक कराया है। ऐसा करने वालों को एडवांस में मैसेज आता है कि आपको इस दिन वैक्सीन लेने आना है। वैक्सीनेशन सेंटर पर वैक्सीन लेने वालों की सूची लगी रहती है। अगर कोई व्यक्ति तय दिन पर वैक्सीन लेने नहीं पहुंचता है तो उसे इस बाबत पफोन भी किया जाता है।

वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में सबसे बड़ी मुश्किल स्लाट बुक करने में है। क्योंकि हर रोज सुबह 9 से 11 के बीच वैक्सीनेशन के लिए स्लाट बुक होते हैं। यह कुछ केबीसी के फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट की तरह होता है। जिन्होंने पहले स्लाट बुक कर लिया। वैक्सीनेशन उनका पहले होगा।

जिन लोगों के सर्टफिकेट डाउनलोड नहीं हो पा रहे हैं, ऐसा तकनीकी वजह से हो रहा है। जल्द वे भी सर्टिफिकेट पा सकेंगे। यहां सापफ कर दें कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेनी जरूरी है। एक डोज लेकर लापरवाह न हों। दोनों डोज लें और खुद को और बाकी लोगों को सुरक्षित रखें।

पहली खुराक से दूसरी खुराक की समय अवधि की बात की जाए तो कोविशील्ड के मामले में इस अवधि को 100 दिन कर दिया गया है। जबकि कोवैक्सीन के मामले में फिलहाल ये अवधि 28 दिन की ही है। कोविशील्ड वैक्सीन के मामले में जिन लोगों ने 16 जनवरी से पहले खुराक ली थी वे पहले के टाइम इंटरवल के हिसाब से दूसरी डोज ले सकते हैं लेकिन जो लोग 16 जनवरी के बाद कोविशील्ड की पहली खुराक ले चुके हैं उन्हें 100 दिन का इंतजार करना होगा।

जो लोग पहली खुराक लेने के बाद भी संक्रमित हो गए हैं। वे पहले कोरोना नेगेटिव हो जाएं फिर उसके बाद ही दूसरी खुराक लें। यहां साफ कर दें कि कोरोना संक्रमित होने के बाद भी ठीक होने पर अपना टीकाकरण पूरा करें। लापरवाही न बरतें। खास बात ये है कि वैक्सीन का स्लाट न मिलने के चक्कर में हड़बड़ी न करें। अगर आपने पहली खुराक किसी एक वैक्सीन की ली है तो दूसरी खुराक भी उसी वैक्सीन की ही लें।


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