सोमवार, 30 मार्च 2020

एंबुलेंस ड्राइवरों को बांटे मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर

वेलमेड हास्पिटल ने उठाया एंबुलेंसेस को सैनिटाइज करने का जिम्मा
एंबुलेंस ड्राइवरों को बांटे मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर



संवाददाता
देहरादून। वेलमेड हास्पिटल ने कोरोना योद्वाओं को कोरोना वायरस से बचाने के लिए एक नई पहल शुरू की है। उत्तराखंड में पहली बार किसी हास्पिटल ने देहरादून के सभी प्राइवेट एंबुलेंस को सैनिटाइज करवाने का जिम्मा उठाया है। इसके अलावा सभी एंबुलेंस ड्राइवरों को भी सर्जिकल ग्लव्स, मास्क व सैनिटाइजर भी बांटे जा रहे हैं।
टर्नर रोड़ स्थित वेलमेड हास्पिटल ने देहरादून की सभी प्राइवेट एंबुलेंस को सैनिटाइज करवाने की जिम्मेदारी ली, इसके साथ ही कोरोना योद्वाओं एंबुलेंस ड्राइवरों की सुरक्षा के लिए मास्क, ग्लव्स व हैंड सैनिटाइजर की बोतलें बांटी। पहले दिन वेलमेड हास्पिटल ने 10 एंबुलेंसेस को सैनिटाइज किया, साथ ही हास्पिटल स्टाफ ने इन्हें कोरोना से बचाव करने के बारे में जानकारी दी और हैंड हाइजीन के बेसिक स्टैप के बारे में बताया। 
हास्पिटल के चैयरमैन डा0 चेतन शर्मा ने कहा कि इस वक्त सरकारी व गैरसरकारी सभी एंबुलेंस ड्राइवर कोरोना योद्वाओं की भूमिका निभा रहे हैं। अपने जान की परवाह किए बिना ये लोग मरीजों को अस्पताल पहुंचा रहे हैं, इसलिए वेलमेड हास्पिटल ने इन एंबुलेंस ड्राइवरों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली है। जिसके तहत इन लोगों की एंबुलेंस को सैनिटाइज किया जा रहा है ताकि कोरोना वायरस के संक्रमण से ये बच पाएं, साथ ही मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइजर दिए जा रहे हैं। 
उन्होंने कहा कि इस आपदा की घड़ी में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह देश को इस महामारी से उभारने में सहयोग करें। आप खुद को घर में कैद करके, गरीबों को खाना खिलाकर या फिर कोरोना की जंग में पहली लाइन में खड़े वारियर्स का मनोबल बढ़ाकर अपन सहयोग दे सकते हैं। 
इस मौके पर डा0 ईशान शर्मा, विशाल सेठी, अजय सिंह नेगी, सुनील कुकरेती, सचिन पाण्डेय, दुर्गेंश सिंह, दीपक कुमार, नितिन कुमार, रजत नेगी आदि मौजूद रहे।


तेजी से पिघल रहे सिक्किम के ग्लेशियर

तेजी से पिघल रहे सिक्किम के ग्लेशियर



अन्य हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में आयामी परिवर्तन का पैमाना और मलबे की वृद्वि की मात्रा सिक्किम में अधिक 
एजेंसी
नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत हिमालय के भू-विज्ञान के अध्ययन से संबंधित एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलाजी डब्ल्यूआईएचजी देहरादून के वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि अन्य हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में सिक्किम के ग्लेशियर बड़े पैमाने पर पिघल रहे हैं।
साइंस आफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित अध्ययन में 1991-2015 की अवधि के दौरान सिक्किम के 23 ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन किया गया और इससे यह पता चला कि 1991 से 2015 तक की अवधि में सिक्किम के ग्लेशियर काफी पीछे खिसक गए हैं और उनकी बर्फ पिघलती जा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण सिक्किम के छोटे आकार के ग्लेशियर पीछे खिसक रहे हैं और बड़े ग्लेशियर पिघलते जा रहे हैं।
अन्य हिमालयी क्षेत्रों की तुलना में आयामी परिवर्तन का पैमाना और मलबे की वृद्वि की मात्रा सिक्किम में अधिक है। ग्लेशियर के व्यवहार में प्रमुख बदलाव 2000 के आसपास हुआ। पश्चिमी और मध्य हिमालय के विपरीत जहां हाल के दशकों में ग्लेशियरों के पिघलने की गति धीमी हुई है, वहीं सिक्किम के ग्लेशियरों में 2000 के बाद इसमें नाममात्र का धीमापन देखा गया है। ग्लेशियर में हो रहे बदलावों का प्रमुख कारण गर्मियों के तापमान में वृद्वि है।  
सिक्किम हिमालयी ग्लेशियरों की लंबाई, क्षेत्र, मलबे के आवरण, हिम-रेखा की ऊंचाई एसएलए जैसे विभिन्न मापदंडों और उन पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने के लिए डब्ल्यूआईएचजी के वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र के 23 प्रतिनिधि ग्लेशियरों का चयन किया। विषय से संबंधित पहले से मौजूद ज्ञान का आकलन करने के लिए अध्ययन से संबंधित विस्तृत और कठिन साहित्य सर्वेक्षण किया गया। इसके बाद अध्ययन क्षेत्र में फैले प्रतिनिधि ग्लेशियरों का चयन आकार, लंबाई, मलबे के आवरण, ढलान, पहलू जैसे विविध मानदंडों के आधार पर किया गया। फिर चयनित ग्लेशियरों को कवर करते हुए मल्टी-टेम्पोरल और मल्टी-सेंसर उपग्रह डेटा प्राप्त किए गए। टीम ने इन परिणामों का विश्लेषण किया और पहले से मौजूद अध्ययनों के साथ उनकी तुलना की तथा ग्लेशियरों की स्थिति को समझने के लिए उन पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न कारकों का व्यवस्थित रूप से पता लगाया गया।
इस क्षेत्र के ग्लेशियरों का व्यवहार विविधता से भरपूर है और ऐसा पाया गया है कि यह प्राथमिक तौर पर ग्लेशियर के आकार, मलबे के आवरण और ग्लेशियर झीलों से निर्धारित होता है। हालांकि छोटे 3 वर्ग किमी से कम और बड़े आकार के ग्लेशियरों 10 वर्ग किमी से अधिक दोनों के ही द्रव्घ्यमान में सामान्यतः हानि देखी जा रही है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है, जैसे उन्होंने जलवायु परिवर्तनों से निपटने के लिए वे अलग-अलग तरीके अपनाये हैं। जहां छोटे ग्लेशियर विहिमनदन से पीछे खिसक हे हैं, वहीं बड़े ग्लेशियरों में बर्फ पिघलने के कारण द्रव्यमान की हानि हो रही है।
अब तक सिक्किम के ग्लेशियरों का संतोषजनक अध्ययन नहीं किया गया था और फील्ड-बेस्ड मास बेलेंस आकलन केवल एक ग्लेशियर चेंग्मेखांग्पु तक सीमित था और यह अल्पावधि 1980-1987 तक ही चला था। इन अध्ययनों की प्रकृति क्षेत्रीय है और इसमें अलग-अलग ग्लेशियर के व्यवहार पर बल नहीं दिया गया। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में अधिकांश आकलन केवल लम्बाई/क्षेत्र के बदलावों तक ही केंद्रित रहे हैं। वेग का आकलन भी अत्यंत दुर्लभ रहा है।
इस अध्ययन में पहली बार ग्लेशियर के विविध मानकों यथा लम्बाई, क्षेत्र, मलबे के आवरण, हिम-रेखा की ऊंचाई एसएलए, ग्लेशियर झीलों, वेग और बर्फ पिघलने का अध्ययन किया गया और सिक्किम में ग्लेशियरों की स्थिति और व्यवहार की स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करने के लिए उनके अंतर-संबंध का पता लगाया गया।
ग्लेशियरों के आकार साथ ही साथ उनमें हो रहे परिवर्तनों की दिशा की सटीक जानकारी, जिसे मौजूदा अध्ययन में उजागर किया गया है, वह जलापूर्ति और ग्लेशियर के संभावित खतरों के बारे में आम जनता, विशेषकर उनके निकटवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न कर सकता है। यह अध्ययन ग्लेशियर परिवर्तनों पर पर्याप्त आधारभूत डेटा प्रदान कर सकता है और ग्लेशियर मापदंडों और विभिन्न प्रभावकारी कारकों के बीच आकस्मिक संबंधों का व्यवस्थित रूप से पता लगा सकता है। इससे ग्लेशियर की स्थिति की स्पष्ट समझ भविष्य के अध्ययन को अनुकूल बनाने के साथ-साथ आवश्यक उपाय करने में मदद करेगी।


मीडिया के परिचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के निर्देश

मीडिया के परिचालन की निरंतरता सुनिश्चित करने के निर्देश



केंद्र ने सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर किया अनुरोध
एजेंसी
नई दिल्ली। देश में कोविड-19 के फैलाव की स्थिति को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वे प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के परिचालन की निरंतरता को सुनिश्चित करें। इन पत्रों में मुख्य सचिवों को संबोधित किया गया है, जिसमें आवश्यक और मजबूत सूचना प्रसार नेटवर्क अर्थात टीवी चैनलों, समाचार एजेंसियों, टेलीपोर्ट आपरेटरों, डिजिटल उपग्रह समाचार संग्रहण डीएसएनजी, डायरेक्ट टू होम डीटीएच, हाईएंड-इन-द स्काई हिट्स, मल्टी सिस्टम आपरेटर्स एमएसओ, केबल आपरेटर्स, प्रिफक्वेंसी माड्यूलेशन एपफएम रेडियो और कम्युनिटी रेडियो स्टेशनों के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। 
केंद्र सरकार ने कहा है कि इन नेटवर्कों द्वारा सुचारु रूप से काम करने की जरूरत न केवल लोगों में जागरूकता का प्रसार करने के लिए है बल्कि राष्ट्र को नवीनतम स्थिति से अपडेट रखने के लिए भी है। पत्र में कहा गया है कि इन नेटवर्कों ने फर्जी खबरों से बचने और अच्छे व्यवहारों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है।
सरकार द्वारा सलाह दी गई है कि इन सूचना नेटवर्कों के निर्बाध संचालन को सुनिश्चित करना और उनका आउटरीच महत्वपूर्ण है। पत्र में नीचे दिए गए महत्वपूर्ण   आधारभूत अवसंरचनाओं को सूचीबद्व किया गया है-
समाचारपत्रों और पत्रिकाओं के लिए प्रिंटिंग प्रेस और वितरण अवसंरचना, सभी टीवी चैनल और सहायक सेवाएं जैसे टेलीपोर्ट और डीएसएनजी, डीटीएच/हिट्स के संचालन से जुड़े उपकरण/सुविधाएं इत्यादि, साथ ही रखरखाव, एफएम/सीआरएस नेटवर्क, एमएसओ और केबल आपरेटरों का नेटवर्क और समाचार एजेंसियां।
केंद्र ने राज्य/केंद्र शासित प्रशासन से अनुरोध किया है कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए प्रतिबंधों पर विचार किए जाने की स्थिति में ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस श्रृंखला में ऐसी सुविधाएं/मध्यवर्ती संस्थाओं के सभी आपरेटरों को संचालित रहने की अनुमति प्रदान की जाए।
आवश्यकता के अनुसार सुचारु आपूर्ति और वितरण श्रृंखला को सुगम बनाया जाए। सेवा प्रदाताओं के कर्मचारियों को सुविधाओं में तैनात करने की अनुमति दी जाए। सेवा प्रदाताओं द्वारा मान्यता प्राप्त कर्मचारियों को आवाजाही करने की अनुमति  प्रदान की जाए। मीडियाकर्मियों, डीएसएनजी और अन्य लोगों जिनमें ईंधन की व्यवस्था करने वाले शामिल हैं, को ले जाने वाले वाहनों को आवाजाही करने, जहां भी आवश्यक हो, सुविधा प्रदान की जाए और इस प्रकार की सुविधाओं द्वारा निर्बाध विद्युत आपूर्ति और अन्य संचालन की मांग को उपलब्ध करवाया जाए।
केंद्र द्वारा सेवा प्रदाताओं को यह भी सलाह दी गई है कि वे निर्बाध सेवाओं को प्रदान करते समय किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करने वाली स्थिति में स्थानीय प्राधिकरणों के साथ समन्वय करें।


क्वारंटाइन और आईसोलेशन में अंतर

क्वारंटाइन और आईसोलेशन में अंतर



प0नि0डेस्क
देहरादून। जब कोई बड़ी बीमारी सामने आती है तो अपने साथ कुछ नए शब्द लेकर आती है। इन दिनों कोरोना वायरस से जुड़े कई नए शब्द सुनने को मिलते हैं। इस समय इस बीमारी से बचने के लिए मीडिया से लेकर सरकारी सलाहों तक में एक शब्द का लगातार इस्तेमाल हो रहा है, वो शब्द है-क्वारंटाइन। 
कई लोग इस शब्द को आईसोलेशन भी समझ रहे हैं और उसी के संदर्भ में इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन मेडिकल की भाषा में अलग अर्थों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। क्वारंटाइन और आईसोलेशन में अंतर होता है और दोनों का मतलब भी अलग है।
मरियम वेबस्टर डिक्शनरी के आनलाइन पोर्टल के मुताबिक क्वारंटाइन शब्द को अंग्रेजी भाषा में शामिल करने के पीछे फ्रेेंच और इटैलियन दोनों प्रभाव रहे हैं। शुरुआत में क्वारंटाइन शब्द फ्रेेंच भाषा से लिया गया जिसके मतलब होता था ‘करीब 40’। ये 14वीं शताब्दी के आखिरी सालों की बात है। इसके अलावा बाइबिल से भी एक संदर्भ मिलता है जहां प्रभु यीशु कुछ समय के लिए रेगिस्तान में उपवास रखते हैं। इसमें 40 दिन का जिक्र आता है जो मूल रूप से धार्मिक अर्थों में हैं।
पिफर 16वीं सदी में ब्रिटेन के एक बड़े जहाजी बेड़े को उस शहर के किनारे नहीं रोका गया जहां पर संक्रामक बीमारी पफैली थी। यहीं से अंग्रेजी में क्वारंटाइन शब्द प्रचलित हुआ। संक्रामक बीमारी की वजह से लंबे समय तक ब्रिटिश बेड़े को एक शहर से दूर ही रखा गया था, उस समय बड़े स्तर पर संक्रामक बीमारी फैली थी। इस दूर रहने की अवधि को क्वारंटाइन कहा गया। 
ये 16 वीं सदी के आखिरी का ही समय था जब अंग्रेज अपने जहाजी बेड़ों के जरिए दुनिया के कई मुल्कों में गए थे। भारत में ब्रिटिश इसी समय आए थे लेकिन तब अंग्रेजों ने इसे इटैलियन शब्द क्वारंटेना से लिया। इटली में ये शब्द फ्रांस के जरिए आया। लेकिन अगर इस शब्द के वास्तविक उत्पति की बात की जाए तो ये पता चलता है ये एक लैटिन शब्द क्वाड्रागिंटा से आया है जिसका मतलब भी 40 ही होता था।
आईसोलेशन शब्द की उत्पति आईलैंड शब्द से माना जाता है, जिसका हिंदी में मतलब द्वीप होता हैं। दरअसल 1423 ईस्वी में इटली के वेनिस में बड़ा अस्पताल बनाया गया था। इस अस्पताल को प्लेग के रोगियों का इलाज करने के लिए बनाया गया था। अब चूंकि ये अस्पताल एक आईलैंड़ पर बना हुआ था तो यहीं से आईसोलेशन शब्द का उद्गम माना जाता है। 
क्वारंटाइन और आईसोलेशन, इन दोनों शब्दों में बड़ा अंतर है। क्वारंटाइन शब्द मूल रूप से ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिन्हें संक्रामक बीमारी से बचाना है। यानी वो संक्रामक बीमारी के चपेट में न आने पाएं। वहीं आईसोलेशन का इस्तेमाल उनके लिए किया जाता है जो संक्रामक बीमारी के चपेट में आने के बाद उनका इलाज चल रहा हो या फिर वो बीमारी के संदिग्ध हैं।


 


चीन ने निकाला कोरोना वायरस का तोड़!

चीन ने निकाला कोरोना वायरस का तोड़!



संक्रमित मरीजों को 99.9 फीसदी ठीक करने का दावा
एजेंसी
बीजिंग। कोरोना वायरस की महामारी लगभग पूरी दुनिया में फैल चुकी है। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा का दावा करने वाले देश भी कोविड-19 के सामने हथियार डाल चुके हैं लेकिन ये सवाल इस समय हर किसी के मन में चल रहा है कि क्या चीनी वैज्ञानिक पहले से ही कोरोना वायरस की महामारी से लड़ने के लिए एक हथियार विकसित कर चुके हैं!
दरअसल चीन के एक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि चीन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नैनोमटेरियल को विकसित कर लिया है जो कोविड-19 को डिएक्टिवेट करने में सक्षम है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी वैज्ञानिकों की एक टीम ने कोविड-19 बीमारी से निपटने के लिए नया तरीका विकसित करने का दावा किया है। ये कोई दवा या यौगिक नहीं है बल्कि कुछ नैनोमटेरियल है।
गौरतलब है कि चीनी अखबार में कहा गया कि उनके देश के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से मुकाबला करने के लिए एक ऐसा नैनोमटेरियल बनाया है जो कोविड-19 वायरस को 96.5-99.9 फीसदी तक अवशोषित और निष्क्रिय कर सकता है।
बता दें कि मेडिकल क्षेत्र के संबंध में ऐसे नैनोमटेरियल जिनमें एंजाइम की तरह विशिष्ट गुण पाए जाते हैं, उन्हें नैनोजाइम कहते हैं। नैनोमटेरियल का प्रयोग अलग-अलग प्रकार की निर्माण प्रक्रियाओं, उत्पादों और हेल्थकेयर जैसे कि पेंट, फिल्टर, इन्सुलेशन और ल्यूब्रिकेंट एडिटिव्स में होता है।
हालांकि चीन द्वारा अगर नैनोमटेरियल बनाने का ये दावा सही साबित होता है तो इसका मतलब ये होगा कि कोविड-19 को पूरी तरह समाप्त किया जा सकेगा।


 


रविवार, 29 मार्च 2020

केजरीवाल सरकार को सस्पेंड करने की मांग

केजरीवाल सरकार को सस्पेंड करने की मांग



भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रवासी मजदूरों को न रोक पाने के लिए केजरीवाल को दोषी ठहराया
एजेंसी
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा है कि 21 दिन के लाकडाउन के बचे हुए दिनों में हम दिल्ली में दो सरकारें नहीं झेल सकते इसलिए दिल्ली सरकार को निलंबित कर सभी लॉजिस्टिक सेना को सौंप दिए जाने चाहिए।
स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि दिल्ली पुलिस राज्य में अपराध के मामलों को देखने के साथ सेना को लॉजिस्टिक सपोर्ट में भी मदद कर सकती है। आखिर दिल्ली देश की राजधानी और देश को राष्ट्रीय सुरक्षा मुहैया कराने का केंद्र है।
स्वामी ने केजरीवाल पर यह हमला ऐसे समय में बोला है जब पहले ही भाजपा नेता उन पर लॉकडाउन के दौरान दिहाड़ी मजदूरों को दिल्ली में न रोक पाने और डीटीसी बसों के जरिए जानबूझकर उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर भीड़ जमा करने का आरोप लगा चुके हैं। 
ट्विटर पर बड़ी संख्या में यूजर्स ने हैशटैग अरेस्ट केजरीवाल ट्रेंड कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार की तरफ से प्रवासियों की मदद के लिए कदम नहीं उठाए गए, जिसकी वजह से लोगों को पैदल ही अपने गृहनगरों की तरफ जाना पड़ा है।
सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि दिल्ली में रहने वाले प्रवासियों को न रोककर केजरीवाल दूसरे राज्यो में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ा रहे हैं। हालांकि इन आरोपों पर खुद दिल्ली सीएम कह चुके है कि उन्होंने दिहाड़ी मजदूरों से रुकने की बहुत अपील की। लेकिन वे अपने घर जाने के लिए अड़े है और रुकना नहीं चाहते।
स्वामी पहले ही विपक्षी दलों और खुद अपनी पार्टी भाजपा पर निशाना साधने के लिए जाने जाते हैं। यह पहली बार नहीं है जब स्वामी ने केजरीवाल को आड़े हाथों लिया। इससे पहले दिल्ली चुनाव के नतीजों के वक्त उन्होंने आप की जीत को छोटा बताया था। दो साल पहले उन्होंने केजरीवाल को नक्सली तक करार दिया था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री पैदाइशी नक्सली और 420 हैं। उन्होंने केजरीवाल पर अभियान का विचार चोरी करने के साथ अन्ना हजारे को धोखा देने का भी आरोप लगाया था।


विंडोज 10 यूजर्स के इंटरनेट इस अपडेट के कारण हो सकता है बंद

विंडोज 10 यूजर्स के इंटरनेट इस अपडेट के कारण हो सकता है बंद



अपडेट में एक ऐसी खामी सामने आई जिससे मुमकिन है कि कंप्यूटर में इंटरनेट काम ही ना करे
एजेंसी
नई दिल्ली। माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज 10 अपडेट्स अपनी कमियों के चलते चर्चा में रहे हैं। इसमें अक्सर परफॉर्मेंस की दिक्कत, बैटरी की दिक्कत और कभी सॉफ्टवेयर प्रॉब्लम आती रही हैं। मार्च में आए विंडोज 10 अपडेट में एक ऐसी खामी है कि संभव है कि कंप्यूटर में इंटरनेट ही काम ना करे। ऐसा होता है तो लाकडाउन के दिनों में वर्क फ्रॉम होम कर रहे लोगों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है।
इस अपडेट को माइक्रोसॉफ्ट ने लाखों यूजर्स के लिए जारी किया था। अब मामले की गंभीरता को देखते हुए कंपनी को इस संबंध में चेतावनी जारी करनी पड़ी है। माइक्रोसॉफ्ट ने घोषणा की है कि विंडोज 10 के लिए मार्च अपडेट और एंटीवायरस स्कैन फिक्स करने के लिए जारी किए गए पैच में दिक्कतें आ रही हैं, जिनके बारे में यूजर्स को पता होना चाहिए।
विंडोज 10 के इस अपडेट में एक बग मौजूद है जो कंप्यूटर ऐप्स को इंटरनेट ऐक्सेस करने से रोक देता है। माइक्रोसॉफ्ट के मुताबिक यदि आपके कंप्यूटर में विंडोज 10, वर्जन 1909, विंडोज 10, वर्जन 1903, विंडोज 10, वर्जन 1809, विंडोज 10 इंटरप्राइज एलटीएससी 2019, विंडोज 10, वर्जन 1803 या विंडोज 10, वर्जन 1709 मौजूद है तो इंटरनेट ऐक्सेस ना कर पाने की समस्या आ सकती है।
जो कंप्यूटर ऐप्स इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी उनमें माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, माइक्रोसॉफ्ट टीम्स, ऑफिस 365, आउटलुक, इंटरनेट एक्सप्लोरर 11 और माइक्रोसॉफ्ट ऐज शामिल हैं। कोरोना वायरस लॉकडाउन के समय में अधिकतर लोग घरों में बैठकर काम कर रहे हैं और अगर ऐसे में इंटरनेट काम नहीं करेगा तो यह बड़ी समस्या हो सकती है। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि वह इस समस्या के समाधान पर काम कर रहे हैं और अप्रैल की शुरुआत तक इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। तब तक यूजर्स को विंडोज 10 कंप्यूटर रिस्टार्ट करने की सलाह दी गई है।


शनिवार, 28 मार्च 2020

एक छोटे से कदम से बड़ा संदेश

एक छोटे से कदम से बड़ा संदेश



लाक डाउन के दौरान फ्रांसिस ग्रूप ने बांटा भोजन
संवाददाता
देहरादून। कोरोना वायरस के संक्रमण के दृष्टिगत लॉकडाउन के दौरान रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे गरीबों की मदद के लिए फ्रांसिस ग्रुप सेवार्थ ट्रस्ट ने शहर में एक अभियान चलाकर मजदूरों को बंद के पैकेट और फल बांटे। 
फ्रांसिस ग्रुप सेवार्थ ट्रस्ट ने दून की मलिन बस्तियों में मजदूर वर्ग के लोगों को बंद के पैकेट और फल बांटे साथ ही बेजुबान जानवरों को भी ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा बंद खिलाए गए। 
गौर हो कि फ्रांसिस ग्रुप सेवार्थ ट्रस्ट पूर्व में भी शहर के जरूरतमंद बेसहारा और मजदूर वर्ग के लोगो की आर्थिक, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सम्बंधित सहायता करता आया है। कोरोना संक्रमण की इस विषम परिस्थिति में फ्रांसिस ग्रुप कंपनी जरूरतमंद लोगों को हर सम्भव मदद देने के लिए चौबीस घंटे कार्यरत है। इसके लिए फ्रांसिस ग्रुप सेवार्थ ट्रस्ट ने हेल्पलाइन नंबर 7599441394 भी जारी किया है। 
इस हेल्पलाइन नंबर पर आवश्यक सामग्री के लिए जरूरतमंद लोग फोन कर सकते हैं। ट्रस्ट के द्वारा लोगो को कोरोना संक्रमण से बचने व सोशल डिस्टेंस का पालन करने को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है।
इस अवसर पर ट्रस्ट के चैयरमेन सोनू प्रफांसिस, सुरेंदर कुमार, शालिनी ईरासमस, काले, दीपा रावत, अमित चौहान, राजेश श्रीवास्तव, नरेन्द्र शर्मा आदि उपस्थित रहे। 


उत्तराखंड की जेलों में क्षमता केे 62 प्रतिशत अधिक कैदी

उत्तराखंड की जेलों में क्षमता केे 62 प्रतिशत अधिक कैदी



हल्द्वानी जेल मेें क्षमता के 341 फीसदी तथा दून में225 फीसदी कैैदी
कोरोना के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार रिहा करने होंगे कैदी
संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड की जेलों मेें उनकी क्षमता सेे डेेढ़ गुुना सेे अधिक कैैदी बंद है, इन बंद कैैदियों मेें 61 फीसदी कैैदी विचाराधीन कैैदी है, केवल 39 फीसदी ही सिद्धदोेष कैैदी हैै। हल्द्वानी जेेल मेें क्षमता सेे 241 फीसदी अधिक कैैदी बंद है। यह खुुलासा सूूचना अधिकार के अन्तर्गत सूूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को कारागार मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूूचना सेे हुुआ। कोरोना के बचाव हेतु सुप्रीम कोर्ट के कैदियों को रिहा करने के आदेश के पालन में उत्तराखंड में बड़ी संख्या में कैदी रिहा करने होंगे।
काशीपुुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन नेे मुुख्यालय महानिरीक्षक कारागार, उत्तराखंड सेे उत्तराखंड की जेेलों की क्षमता तथा उसमंेे बंद कैैदियों के सम्बन्ध में सूूचना मांगी। इसके उत्तर में कारागार मुुख्यालय के लोेक सूूचना अधिकारी/वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सीएस जोेशी नेे अपनेे पत्रांक 8129 दिनांक 5 मार्च सेे कारागारोें मेें क्षमता केे सापेक्ष कुल निरूद्ध बन्दियों की संख्या की सूूचना उपलब्ध करायी हैै।
उपलब्ध सूूचना के अनुुसार उत्तराखंड मेें स्थित कुुल 11 जेेलोें की क्षमता 3540 कैैदियों की हैै जबकि उसमें सूूचना उपलब्ध करानेे की तिथि को 5748 कैैदी बंद है। जिसमें 2259 सिद्धदोेष (सजायाफ्ता) तथा 3489 विचाराधीन कैैदी है। कुल कैैदियों मेें 61 र्प्रतिशत कैैदी विचाराधीन हैै, केेवल 39 र्प्रतिशत ही न्यायालय सेे सजा पायेे कैैदी हैै।
उपलब्ध सूूचना के अनुुसार क्षमता सेे सर्वाधिक कैदी हल्द्वानी जेेल में बंद है। हल्द्वानी जेेल की क्षमता केवल 382 कैदियोें की हैै जबकि वहां 1304 कैैदी बंद हैं जो क्षमता का 341 फीसदी है, दूसरे स्थान पर क्षमता के 227 फीसदी 232 कैैदी अल्मोड़ा जेेल में बंद है जबकि क्षमता 102 कैैदियों की है। तीसरेे स्थान पर क्षमता केे 225 फीसदी 1305 कैैदी देहरादून जेेल में बंद हैै। जबकि क्षमता केेवल 580 कैदियों की है। इसके अतिरिक्त हरिद्वार जेेल में क्षमता के 157 फीसदी 1320 कैैदी, रूड़की जेेल मेें 202 फीसदी 492 कैदी, नैनीताल मेें 203 फीसदी 144 कैैैदी बंद है। टिहरी जेेल में 112 फीसदी 168 कैदी, पौड़ी मेेें 104 फीसदी 156 कैैदी बंद है।
उत्तराखंड मेें 3 जेेलेे ऐेसी भी है जिसमेें उनकी क्षमता सेे कम कैैदी बंद है। क्षमता सेे सबसेे कम कैदी सम्पूर्णनन्द शिविर सितारगंज में बंद हैै। इस जेेल की क्षमता 300 कैैदियों की हैै जबकि क्षमता के केेवल 15 फीसदी 45 कैैदी ही बंद है, दूसरेे स्थान पर चमोेली जेेल मेें क्षमता के 54 फीसदी 91 कैैदी तथा तीसरे स्थान पर केर्न्द्रीय कारागार सितारगंज मेें 89 फीसदी 491 कैैदी बंद हैै।
उपलब्ध सूचना के अनुुसार उत्तराखंड की जेेलों मेें कुुल कैैदियों मंेे 61 फीसदी विचाराधीन कैैदी है जिन्हेें सजा नहीं हुुई, बल्कि उन पर मुकदमें चल रहेे हैं। कुुल 3489 विचाराधीन कैदियों में 801 देेहरादून, 526 हरिद्वार, 122 नैनीताल, 96 अल्मोड़ा, 50 चमोेली, 83 पौड़ी, 113 टिहरी, 468 रूड़की, 1158 हल्द्वानी, 72 केर्न्द्रीय कारागार सितारगंज में बंद हैै औैर अपनेेे मुुकदमोें के फैसलों का इंतजार कर रहेे हैैं। सम्पूूर्णनन्द शिविर सितारगंज मेें सभी 45 सजायाफ्ता कैदी बंद हैै इसमेें कोई विचाराधीन कैैदी बंद नहीं है।
उपलब्ध सूचना के अनुुसार उत्तराखंड की 11 जेेलोें मेें कुुल 2259 सिद्धदोेष (सजा याफ्ता) कैैदी बंद है जिसमें 504 देेहरादूून, 794 हरिद्वार, 22 नैनीताल, 136 अल्मोेड़ा, 41 चमोेली, 73 पौैड़ी, 55 टिहरी, 24 रूड़की 146 हल्द्वानी, 419 केेर्न्द्रीय जेेल सितारगंज तथा 45 सम्पूूर्णानंद शिविर (खुुली जेेल) सितारगंज मेेें अपनी सजा काट रहेे हैं।


पंखुड़ियां ने बांटा जरूरतमंदों को राशन

पंखुड़ियां ने बांटा जरूरतमंदों को राशन



कोरोना महामारी के चलते आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए समाज कल्याण हेतू राशन वितरण किया
संवाददाता
हल्दूचौड़। पंखुड़ियां सांस्कृतिक, पर्यावरण एवं दिव्यांग कल्याण समिति ने बेरीपड़ाव गौला गेट में गोला के श्रमिकों को कोरोना बीमारी की महामारी के चलते आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए समाज कल्याण के हितार्थ राशन सामग्री वितरित की।
इस दौरान संस्था के सदस्यों ने विभिन्न टोलियों के माध्यम से अलग अलग स्थानों में जरूरतमन्द श्रमिकों को दाल, चावल, आटा, मसाले, तेल व सब्जियां इत्यादि राशन सामग्री वितरित की।
  इस दौरान संस्था अध्यक्ष रिम्पी बिष्ट ने कहा कि वर्तमान समय में पूरे विश्व में कोरोना एक वैश्विक महामारी के रूप में फैल चुका है, ऐसे में सामर्थ्यवान व्यक्तियों का फर्ज बनता है कि वह अपने स्तर से जरूरतमंदों को राहत सामग्री वितरित करें।
इस दौरान ग्राम प्रधान हरेंद्र असगोला, संस्था उपाध्यक्ष योगेश बुधलाकोटी, कोषाध्यक्ष नवनीत चौहान, कौस्तुभ चन्दोला, प्रियंका गोस्वामी,  मनीष गोस्वामी व चंदन राणा आदि मौजूद थे।


लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकान खोलने का सुझाव

लॉकडाउन के दौरान शराब की दुकान खोलने का सुझाव



ऋषि कपूर के मुताबिक शराब के चलते लोगों का लॉकडाउन के दौरान हो रहा तनाव कम हो जाएगा
एजेंसी
नई दिल्ली। ऋषि कपूर वैसे भी सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहते हैं। इन दिनों कोरोना को लेकर उनके ट्वीट सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने शराब को लेकर एक ट्वीट किया है।
प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने जिस दिन से लॉकडाउन की घोषणा की है उस दिन से ऋषि कपूर ट्विटर पर काफी कुछ लिख रहे हैं। पहले उन्होंने लोगों की लापरवाही देखते हुए एमरजेंसी लागू करने के लिए लिखा था। अब उन्होंने सरकार को लाइसेंस वाली शराब की दुकानें शाम के वक्त खुलने का सुझाव दिया है।
अब उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा है कि सरकार को किसी वक्त शाम को सारी लाइसेंसी शराब की दुकानें खोल देनी चाहिए। मुझे गलत मत समझिए। आदमी इस डिप्रेशन, अनिश्चितता के साथ घर पर बैठा रहेगा। पुलिस, डॉक्टर और नागरिकों को ये सब निकालने के लिए कुछ चाहिए। ब्लैक में तो बिक ही रहा है।
उन्होंने लिखा कि राज्य सरकारों को एक्साइज से पैसे कमाने रहते हैं। फ्रस्ट्रेशन से डिप्रेशन नहीं बढ़ना चाहिए। जैसे पी तो रहे हैं लीगलाइज कर दो कोई हिपोक्रिसी नहीं। इससे पहले ऋषि कपूर लोगों जनता कर्फ्यू के दौरान लोगों की भीड़ इकट्ठे होने पर भड़के थे।


वॉट्सऐप में डेटा खपत को कम करने के उपाय

वॉट्सऐप में डेटा खपत को कम करने के उपाय



प0नि0डेस्क
देहरादून। कोरोना महामारी की वजह से लागू लाकडाउन से दुनियाभर में लोगों को घर पर रहना पड़ रहा है। इस समय लोग वीडियो कॉलिंग कर रहे हैं, वीडियो गेम खेल रहे हैं और मूवीज देखने जैसे काम कर रहे हैं। इन सब वजहों से ब्रॉडबैंड और मोबाइल डेटा पर लोड बढ़ा है।
वॉट्सऐप एक पॉपुलर मैसेंजर प्लेटफॉर्म है, जिसे पूरी दुनिया में लाखों लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। ऑफिस के काम करने से लेकर दोस्तों-रिश्तेदारों से जुड़ने तक लोग वॉट्सऐप को ही सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। इस ऐप के जरिए मीडिया फाइल भेजे जा सकते हैं, वॉयस कॉल या वीडियो कॉल किए जा सकते है और चैट किया जा सकता है। ऐसे में ये ऐप काफी डेटा लेता है।
यहां कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे वॉट्सऐप में होने वाली डेटा की खपत को कम किया जा सकता है। ये टिप्स आईओएस और एंड्रॉयड दोनों में ही काम आएंगे।
ऑटो डाउनलोड मीडिया फाइल ऑप्शन करें बंदः मीडिया फाइल्स डाउनलोड होने से डेटा ज्यादा कंज्यूम होता है और फोन की स्टोरेज भी भरती है। ऐसे में ऑटो-डाउनलोड का ऑप्शन बंद करने से आप केवल जरूरत के हिसाब से ही मीडिया फाइल को डाउनलोड कर पाएंगे।
इसके लिए सेटिंग मेन्यू में डेटा एंड स्टोरेज यूसेज ऑप्शन में जाना होगा और यहां जाकर फोटो, वीडियो और डॉक्यूमेंट्स में नेवर का ऑप्शन सेलेक्ट करना होगा। यहां वाईफाई और मोबाइल डेटा के दो ऑप्शन होंगे। बेहतर होगा कि दोनों में ही सारे ऑटो डाउनलोडिंग ऑप्शन हटा दें।
कॉल क्वालिटी करें कमः वॉट्सऐप पर वीडियो और वॉयस कॉलिंग करने का ऑप्शन मिलता है। कॉलिंग के दौरान काफी डेटा कंज्यूम होता है। ऐसे में अगर डेटा सेव करना चाहते हैं मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर इसके लिए एक ऑप्शन मौजूद है। केवल सेटिंग मेन्यू में डेटा एंड स्टोरेज ऑप्शन में जाना होगा और यहां आकर लो डेटा यूसेज को इनेबल करना होगा। इसे ऑन करने से कॉल की क्वालिटी पहले जैसे तो नहीं रहेगी, लेकिन डेटा की खपत कम हो जाएगी।
चैट बैकअपः अपनी चैट, वीडियो, फोटोज और दूसरी जरूरी चीजों को बैकअप करना बेहद जरूरी होता है लेकिन अगर डेटा सेव करना चाहते हैं तो चैट बैकअप ऑप्शन को डिसेबल कर सकते हैं। इसके लिए सेटिंग मेन्यू में जाने के बाद चैट्स में जाकर चैट बैकअप में जाना होगा और यहां से चैट ऑटो बैकअप को बंद करना होगा। बाद में चाहें तो इस सेटिंग में बदलाव कर सकते हैं।


यह जानना जरूरी है!

इम्यूनिटी


- चेतन सिंह खड़का



यदि इम्यूनिटी को जानना, जानो रक्त के कार्य
भली भांति कैसे चले, प्रतिरक्षा सरकार
अंगों में आक्सीजन पहुंचाना, पोषक द्रवों का परिवहन
घातक तत्वों का निष्कासन,
ये रक्त के महत्वपूर्ण उद्यम।
जिससे विकसित होता शरीर
पाते हम लम्बी आयु फिर।
तीन तत्वों का एक बने जो मिश्रण
पूरा हो जाता एक रक्त का कण
द्रव पदार्थ ‘प्लाज्मा’, लाल, श्वेत कणिकाएं
ये तीनों मिलकर रक्त बनाएं।
लाल कणिका की सर्विस
आक्सीजन, कार्बन डाई-आक्साइड को
अंगों की सैर कराना
श्वेत कणिका का दायित्व
प्रतिरक्षा का भार उठाना।
न्यूटोफिल्स, लिंफोसाइट्स, इओसिनाफिल्स,
बेसाफिल और ओनोसाइट्स।
श्वेत कणिका की ये पांच किस्म
चार को छोड़ एक को जाने।
लिंफोसाइट ही शत्रु को पहचाने
एंटीबॉडी का निर्माण की लड़ने की ठाने।
टी-बी सेल को हाथ पांव तुम मानो
टी सेल के दो स्वभाव प्रेरक मंदक जानो।
श्वेत कणिका अस्थिमज्जा में बनती
रोगाणु को प्रभावहीन करने का कार्य करती।
हिस्टामाईस, प्रोस्टाग्लेडिस द्रव प्रस्रवित करते
जो संक्रमण या चोट लगे तो सूजन उत्पन्न करते। 
संवहित उत्तक से निर्मित होकर
इंटरफोन जीवाणुओं को समाप्त करते।
शरीर को सुरक्षा प्रदान करें
ये पदार्थ प्रोटीनों से बनें।
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वभाविक होती
मानव शरीर में पैतृक या जन्मजात होती।
एक्वायर्ड इम्यूनिटी जीवन में मिलती है
जैसे मां के दूध से प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है।
टी सेल लिंफोसाइट्स दो प्रकार के होते
जो कि शरीर की थाइमस गं्रथि में बनते। 
इकस अनुपात 2ः4ः1 का होता
टी-4, टी-8 नाम बन गया छोटा।
बी सेल ‘लिंफोसाइट्स’, संक्रमण में प्रोटीन बनाते
जो अपने कार्यो से एंटीबाडीज कहलाते।
रोगाणु विषैले पदार्थ बनायें
जिनको हम एंटीजन बतायें। 
ये दोनों मिल संयुक्त पदार्थ बनाते 
मैक्रोफेज कोशिका द्वारा बाहर फैंके जाते। 
जीवाणु का परिचय पत्र
उपरी सतह का प्रोटीन कवच। 
टी-4 सेल पहरेदार, मालूम करते
शरीर में कब कौन प्रवेश करते।
शत्रु होने पर अलार्म बजा देते है
बी सेल गामा ग्लोब्यूलिन पैदा करते।
ये रोगाणु से उत्पन्न पदार्थ को,
प्रभावहीन बना करें रक्त से बाहर को,
यह रोग प्रतिरक्षण की प्रक्रिया क्रमबद्व चलती है
जनाब यही प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी है।  


 


लॉकडाउन के दौरान जारी रहेंगे खेती से जुड़े काम

लॉकडाउन के दौरान जारी रहेंगे खेती से जुड़े काम



खुलेंगी खाद-बीज की दुकानें, किसानों के लिए सरकारी गाइडलाइन
प0नि0डेस्क
देहरादून। आप किसान हैं और लॉकडाउन में खेती से जुड़े कार्यों को लेकर संशय में है तो परेशान न हों। गृह मंत्रालय ने किसानों को कई तरह की छूट दी हैं। 
केंद्र सरकार ने खेती से जुड़े कार्यों, मशीनरी, उर्वरक, खाद बीज की दुकानों को लॉकडाउन से बाहर कर दिया है। अब किसान आराम से खेत पर जा सकेंगे, ट्रैक्टर से जुताई, कंबाईन मशीन से फसल काट सकेंगे, नजदीकी कस्बें से बीज और डीएपी-यूरिया ला सकेंगे। किसान अपनी फसल मंडी भी ले जा सकेंगे। लॉकडाउन से कृषि कार्य प्रभावित नहीं होंगे। हालांकि किसानों से अपील की गई है कि वो उचित दूरी और कोरोना गाइडलाइंस का हर हाल में ध्यान रखें।
गृह मंत्रालय ने 24 तारीख के लॉकडाउन के लिए जारी गाइडलाइन में कई अतिरक्ति छूट दी हैं। किसान और किसान संगठन इनके लिए लगातार मांग उठा रहे थे। 27 मार्च 2020 को जारी नए आदेश में मंत्रालय ने यह छूट पूरे देश के लिए लागू की हैं। मोटे तौर पर ये आदेश दिया गया है कि किसान बिना रुकावट कृषि कार्य करें। मजदूरों को काम करने में परेशानी नहीं होगी। फसल कटाई से जड़ी मशीनें (कंबाइन-रीपर) आदि एक राज्य से दूसरे राज्य में जा सकेंगे। 
वो लोग जो फसल की कटाई और सरकारी स्तर पर न्यूनम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद में शामिल हैं। सभी सरकारी मंडिया कृषि उत्पादन मंडी समितियां या फिर वो मंडियां जिन्हें राज्य सरकारों ने मान्यता दी हो। खाद-बीज और रासायनिक कीटनाशक की दुकानें। फार्म मशीनरी, कस्टम हायरिंग सेंटर (जिनके लिए सरकार ने पैसा दिया था और एफपीओ आदि के माध्यम से अनुदान मिला)।
लॉकडाउन के बाद किसान काफी संशय में थे। पुलिस और प्रशासन को सख्ती से लॉकडाउन के आदेश दिए गए थे, जिसके चलते कई देशभर में किसानों को मंडी और बाजार जाना तो दूर खेत तक जाने में समस्याएं आने लगी थी। किसानों के लिए मार्च-अप्रैल का महीना कृषि कार्य के लिए अहम होता है इसलिए वो लगातार किसानों को छूट देने की मांग कर रहे थे। केंद्र के आदेश के पहले ही कई राज्यों ने एतहियाती कदम उठाते हुए निर्देश जारी किए थे। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा समेत कई राज्यों सरकारों, जिला प्रशासन ने फसल कटाई, मंडी, खाद, बीज, कीटनाशक, राशन, मंडी तक सामान ले जाने के संबंध में आदेश जारी किए हैं। 
सरकारों ने भी कहा कि किसानों को खेती-बाड़ी से जुड़े कार्यों में दिक्कत नहीं होने दी जाएगी। भारत में ये फसल कटाई का समय है। गेहूं समेत कई फसलों की हार्वेटिंग कुछ राज्यों में शुरु हो चुकी हैं तो कहीं-कहीं शुरु होने वाली है। इसके साथ ही सब्जी (खीरा, लौकी, तरोई, कद्दू, जैसी फसलें), फलों (खरबूज, तरबूज) खेतों में लगी हैं, जिन्हें कीटशानक और उर्वरक की जरुरत है। पहले जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन के बाद में कई राज्यों में हुई बंदी से किसानों को खाद-बीज आदि की समस्या होने लगी थी, किसानों की समस्या और मांग को देखते हुए सरकारों ने लिखित में आदेश जारी किए हैं।
अब यह किसानों की जिम्मेदारी है कि गांव हो या खेत, सोशल डिस्टेसिंग (उचित दूरी-एक दूसरे के बीच न्यूनतम 1 मीटर की दूरी) बनाए रखिए। खेत में एक साथ ज्यादा मजूदरों को न लगाइए। कोई मजदूर या आप खुद एक ही बोतल से पानी न पिएं। खेत में बाल्टी और साबुन रखिए और हाथ धुलते रहिए।
फसल काटें तो सुखाकर रखें, जल्द बेचने की कोशिश न करें औने-पौने दाम मिलेंगे। अपने जिले के जिला कृषि उपनिदेशक, डीएम और एसपी का नंबर अपने पास रखें लेकिन जरुरत के अनुसार ही उनसे बात करें और सबसे जरूरी चीज अपनी सेहत का पूरा ख्याल रखें।


शुक्रवार, 27 मार्च 2020

राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन निर्गत करने की मांग         

राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन निर्गत करने की मांग 


       


कोरोना महामारी के मद्देनज़र मुख्य सचिव से मोर्चा ने की मांग
- घायल व सक्रिय आंदोलनकारी को मिलती है 5000 व 3100 रुपए प्रतिमाह पेंशन                      
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं  जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कोरोना वायरस महामारी में आर्थिक संकट से गुजर रहे अधिकांश राज्य आंदोलनकारियों की पीड़ा को देखते हुए मुख्य सचिव को पत्र प्रेषित कर शीघ्र पेंशन निर्गत करने का आग्रह किया है।                  
नेगी ने कहा कि अधिकांश आंदोलनकारी, जोकि पेंशन पर ही निर्भर हैं, उनके लिए इस महामारी ने और संकट पैदा करने का काम किया है। सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि माह दिसंबर 2019 तक की पेंशन सरकार द्वारा पूर्व में निर्गत की गई थी। वर्तमान में सरकार द्वारा घायल आंदोलनकारियों को 5000 तथा सक्रिय आंदोलनकारियों को 3100 रुपए प्रतिमाह दिए जाने की व्यवस्था है।
ऐसे में मानवीय आधार पर तत्काल आंदोलनकारियों की पेंशन को निर्गत किए जाने का मोर्चा ने आग्रह किया है। ताकि इस संकट की घड़ी में उन्हें भूखा न रहना पड़े।


उच्च शिक्षा मंत्री ने भरपेट भोजन अभियान चलाया

उच्च शिक्षा मंत्री ने भरपेट भोजन अभियान चलाया



‘भरपेट भोजन अभियान’ डा0 धन सिंह रावत की एक पहल 
संवाददाता
श्रीनगर। उच्च शिक्षा मंत्राी डा0 सिंह रावत ने एक पहल करते हुए ‘भरपेट भोजन अभियान’ शुरू किया है। इस अभियान के तहत उन लोगों को भोजन कराने की व्यवस्था की गई है जो इस संकट के दौरान भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। डा0 रावत ने श्रीनगर से ‘भरपेट भोजन अभियान’ की शुरूआत कर दी है। इस अभियान के तहत श्रीनगर में लगभग 500 लोगों ने भोजन कर डा0 रावत का आभार जताया। वहीं डा0 रावत का कहना है कि इस अभियान का मकसद उन लोगों को भोजन कराना है जो भूखें, असहाय और गरीब हैं। उन्होंने बताया कि इसे विस्तार दिया जायेगा और सम्पूर्ण श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में भोजन की व्यवस्था की जायेगी।
‘भरपेट भोजन अभियान’ डा0 धन सिंह रावत की एक पहल है। कोरोना महामारी के चलते कई लोगों के सामने भोजन का संकट गहरा गया है। श्रीनगर विधानसभा क्षेत्रा में कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास भोजन की समुचित व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में उच्च शिक्षा एवं सहकारिता मंत्राी ने अपने विधानसभा क्षेत्रा में गरीब, असहाय, वृद्व, बीमार और छात्रों के लिए ‘भरपेट भोजन अभियान’ शुरू किया है। इस अभियान के तहत ऐसे लोगों को श्रीगनर में ‘अतिथि पैलेस’ में भोजन कराने की निःशुल्क व्यवस्था की गई है। जहां पर निर्धन, असहाय, बुजुर्ग लोग आ कर भरपेट भोजन कर सकते हैं। 



स्थानीय लोगों ने डा0 धन सिंह रावत के इस पहल का स्वागत करते हुए उनकी सराहना की है। अतिथि पैलेस में भोजन करने आये गरीबों ने डा0 धन सिंह रावत का आभार व्यक्त किया और कहा कि संकट की घड़ी में उन्होंने भोजन की व्यवस्था कर पुण्य का काम किया है। वहीं इस दौरान श्रीनगर में किराये के कमरों पर रह रहे छात्रों ने भी ‘भरपेट भोजन अभियान’ के तहत भोजन किया। 
प्रदेश के उच्च शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री डा0 धन सिंह रावत के ‘भरपेट भोजन अभियान’ को गरीबों, मजदूरों, असहाय, बुजुर्गों और छात्रों को पहुंचाने के लिए कार्यकर्ताओं ने भी कमर कसी है। क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे इसके लिए उचित व्यवस्था कर उन्हें भोजन स्थल तक पहुंचाया जा रहा है। जहां उन्हंे भरपेट भोजन कराया जा रहा है। 
इस अभियान के तहत 500 से लोगों को भोजन कराया गया। यह व्यवस्था स्थिति सामान्य होने तक बरकरार रहेगी। वहीं डा0 धन सिंह रावत के निर्देश पर अदिति पैलेस में मंडल अध्यक्ष गिरीश पैन्यूली के संयोजन में यह अभियान संचालित किया जा रहा है। इस अभियान में सभी ऐतियात बरते जा रहे हैं। भोजन करने वाले लोगों को हाथ धुला कर उचित दूरी पर बिठाया जा रहा है। साथ ही भोजन स्थल हो सैनेटाइज भी किया जा रहा है ताकि संक्रमण फैलने से रोका जा सके।


 


कोरोना लॉक डाउन में अव्यवस्थाओं, उत्पीड़न व मानवाधिकार हनन की मुख्यमंत्री को शिकायत

कोरोना लॉक डाउन में अव्यवस्थाओं, उत्पीड़न व मानवाधिकार हनन की मुख्यमंत्री को शिकायत



संवाददाता
काशीपुर। 23 वर्षों से कार्यरत प्रतिष्ठित समाजसेवी संस्था मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक कल्याण समिति (माकाक्स) ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ई-मेल द्वारा ज्ञापन/शिकायत भेेजकर कोरोना लॉक डाउन में अव्यवस्थाओं, उत्पीड़न व मानवाधिकार हनन की मुख्यमंत्री को शिकायत प्रेषित की है। माकाक्स ने इस शिकायत/ज्ञापन में केन्द्र सरकार की लॉक डाउन गाइड लाइन का पालन करते हुये लोेगोें का जीवन कम से कम प्रभावित करते हुये लॉक डाउन लागू करने की मांग की गयी हैै।
माकाक्स केे केन्द्रीय अध्यक्ष नदीम उद्दीन (एडवोकेट) द्वारा मुख्यमंत्री को भेेजे गयेे ज्ञापन में लॉक डाउन में केन्द्र सरकार की गाइड लाइन का उल्लंघन करके पुलिस तथा प्रशासन द्वारा मनमानी करने, कुछ लोगों को अवैध लाभ पहुंचानेे, आवश्यक सेवायें व सामान निरन्तर उपलब्ध न कराने तथा पुुलिस द्वारा अवैध हिंसा, गांली गलौैच, मारपीट व उत्पीड़न करने की शिकायत मुुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से ई-मेल भेजकर की गयी हैै इसकी प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव को भी ई-मेल से भेेजी गयी हैै।
नदीम द्वारा प्रेषित शिकायत में केर्न्द्र सरकार की गाइड-लाइन के विपरीत जरूरी सामान, सेवाओं, क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि की सेवायें निरन्तर उपलब्ध न कराके, लॉक डाउन करानेे केे नाम पर पुुलिस कर्मियों द्वारा लोगोें से मारपीट करनेे अवैध रूप से मुर्गा बनाने, गाल-गलौैच करने तथा उसके वीडियो व फोटोे लेकर अपने फेसबुक व व्हाट्सऐप से वायरल करनेे तथा मीडियो को उपलब्ध कराने, मरीजों को क्लीनिक व अस्पताल न पहुंचने देने आदि की शिकायत शामिल हैै। इन शिकायतों में गाइड लाइन के विपरीत आवश्यक वस्तुओं की दुकानें बिल्कुल बंद रखने तथा अपनी पसंद के मनमाने रूप से चयन किये गये दुकानदारोें को आवश्यक वस्तुुऐं सप्लाई की छूूट देने की श्किायत की है जिससे न तो ग्राहकों को उनकी पसंद का आवश्यक सभी सामान सभी क्षेत्रों में मिल पा रहा है औैर न ही अधिक लोगों को अपने स्टाक में रखा सामान बेचने का ही मौका मिल पा रहा है।
नदीम ने ज्ञापन में 7 मांगे की है जिसमें आवश्यक वस्तुओं की दुकाने पूरे दिन खुलने, उन्हें होम डिलीवरी से अपने ग्राहकों को सामान उपलब्ध कराने को प्रोत्साहित करने तथा सोशल डिस्टेेंसिंग बनाकर सामान उपलब्ध करानेे, क्लीनिक, नर्सिंग होम व मेडिकल स्टोर आदि पूरे समय खुले रखने तथा मरीजोें को आने जाने की छूट देनेे, सरकारी राशन कार्ड धारकों को घरोें पर सरकारी राश्न वितरित करानेे, आंगनबाड़ी केन्द्रों सेे छोटे बच्चोें व गर्भवती व धात्री महिलाओें को मिलने वालेे पोेषाहार को माह के शुरू में ही घरों पर वितरित कराने, स्कूल में मिलने वाले मिड-डेे-मील की सामग्री के पैकेटोें को छात्र-छात्राओं के घरों पर पहुंचाने, पुुलिस द्वारा लॉक डाउन में मारपीट, अभद्रता गाली गलौैच तथा अपमानित करने वाले कृत्यों सहित मानवाधिकार हनन पर पूर्ण पाबंदी लगाने, गरीबों व मजदूरों के जीवन यापन के खतरे के चलते गुलाबी (अंत्योदय) राशन कार्ड धारकों कम से कम पांच हजार रूपयेे, सफेद (बीपीएल) राशन कार्ड धारकों को कम से कम चार हजार रूपये, खाद्य सुरक्षा योजना कार्ड धारकों को तीन हजार रूपये तथा अन्य राशन कार्ड धारकों को ढाई हजार रूपये की धनराशि एक मुश्त इस 21 दिन के लॉक डाउन में जीवन यापन हेतु इनके बैंक खातों में डलवाने की मांग शामिल हैै।


आकाश इंस्टीट्यूट ने ऑनलाइन इस्टेंट एडमिशन-कम-स्कॉलरशिप टेस्ट (आईएसीएसटी) शुरू किया

आकाश इंस्टीट्यूट ने ऑनलाइन इस्टेंट एडमिशन-कम-स्कॉलरशिप टेस्ट (आईएसीएसटी) शुरू किया



- छात्र अपने घरों में आराम और सुरक्षा के साथ छात्रवृत्ति परीक्षा को ऑन-डिमांड ऑनलाइन दे सकते हैं
- यह परीक्षा मेडिकल, इंजीनियरिंग और फाउंडेशन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए 75 प्रतिशत तक की छात्रवृत्ति प्रदान करेगी
- आईएसीएसटी छात्रों को तत्काल छात्रवृत्ति और तत्काल प्रवेश प्रदान करेगा
संवाददाता
देहरादून। कोविड-19 का प्रकोप और इसके कारण कायम अनिश्चितता ने देश भर के स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को प्रभावित किया है। इस अवसर पर देश भर में 200 से अधिक केंद्रों पर डॉक्टर और आईआईटियन बनने को इच्छुक छात्रों के लिए प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थानों में देश भर में अग्रणी आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड ने एक अनूठी नई त्वरित छात्रवृत्ति- ऑनलाइन इंस्टेंट एडमिशन कम स्कॉलरशिप टेस्ट परीक्षा (आईएसीएसटी) शुरू की है, जो कि प्रतिदिन आयोजित की जाएगी और यह आज से शुरू हो रही है।
गौर हो कि ऑनलाइन आईएसीएसटी परीक्षा की अवधि 60 मिनट है। छात्र परीक्षा के दिनों में यह परीक्षा सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक कभी भी दे सकते हैं। यह परीक्षा छात्रों को ऑनलाइन परीक्षा देने की सुविधा प्रदान करेगी और प्राप्त करने वाले छात्रवृत्ति का तुरंत विवरण प्रदान करेगी। आईएसीएसटी के साथ, छात्र तत्काल नामांकन भी करा सकते हैं और आकाश संकाय के विशेषज्ञ मार्गदर्शन में तैयारी कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए https://iacst-aakash.ac.in/iacstexam पर लॉग ऑन करें।
ऑनलाइन आईएसीएसटी छात्रों को 75 प्रतिशत तक छात्रवृत्ति प्राप्त करने में सक्षम बनाता है और उन्हें डॉक्टर और आईआईटीयन बनने के लिए अपने उद्देश्य में पहला कदम उठाने में मदद करता है। आठवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र परीक्षा में बैठने के पात्र हैं। यह छात्रवृत्ति मेडिकल, इंजीनियरिंग और फाउंडेशन क्लासरूम पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए होगी। परीक्षा छात्रों को एक कैरियर के रूप में मेडिकल/इंजीनियरिंग के लिए अपनी क्षमता प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करती है।
आईएसीएसटी आकाश सीबीटी प्लेटफॉर्म के साथ-साथ आकाश वेबसाइट के माध्यम से और एंड्रॉइड और ऐप्पल दोनों प्लेटफार्मों के लिए ऐप पर भी आयोजित की जाएगी।
आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड (एईएसएल) के निदेशक और सीईओ आकाश चौधरी ने कहा कि कोविड 19 के प्रकोप के मद्देनजर एईएसएल हजारों प्रतिभाशाली छात्रों की सुविधा और आराम के लिए ऑनलाइन इंस्टेंट एडमिशन कम स्कॉलरशिप टेस्ट (आईएसीएसटी) का आयोजन कर रहा है। इससे छात्रों को अपने घर में आराम से परीक्षा देने और तुरंत परिणाम और प्रवेश पानेे का अवसर मिलेगा। इस छात्रवृत्ति परीक्षा की पेशकश डॉक्टर और इंजीनियर बनने का लक्ष्य रखने वाले उम्मीदवारों को प्रवेश देने के लिए की जा रही है। उन्हें यकीन है कि छात्र इस प्रस्ताव का लाभ उठाएंगे जो उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक कदम होगा।


 


कोरोना से जंग को सेना तैयार

कोरोना से जंग को सेना तैयार 
सेनाध्यक्ष बोले- हमारे पास रेडी है छह घंटे का प्लान


एजेंसी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संकट के बीच सेना ने कमर कस ली है। सेना प्रमुख का कहना है कि अगर जरूरत पड़ती है तो सेना कोई भी कदम लेने को तैयार है, इसके अलावा मेडिकल फील्ड में मदद के लिए भी सेना तैयार है।
देश पर आए कोरोना वायरस के महासंकट से निपटने के लिए हर कोई अपनी ओर से कोशिश कर रहा है। केंद्र से लेकर राज्य सरकारें सख्त फैसले ले रही हैं, तो वहीं सेना भी हर चुनौती से निपटने को पूरी तरह से तैयार है। सेना प्रमुख एमएम नरवणे का कहना है कि अगर जरूरत पड़ती है तो सेना किसी भी कदम को उठाने के लिए तैयार है। आर्मी के पास एक 6 घंटे का प्लान तैयार है, जिसके तहत तुरंत ही आइसोलेशन सेंटर और आईसीयू को तैयार किया जा सकता है।
एक अखबार को दिए गए एक इंटरव्यू में सेना प्रमुख ने कोरोना वायरस की चुनौतियों पर चर्चा की। सेना प्रमुख नरवणे के मुताबिक इस संकट की घड़ी में भी सेना अपना काम कर रही है और सभी ऑपरेशनल टास्क इस वक्त जारी हैं। अभी तक कई देशों ने इस संकट से निपटने के लिए सेना की मदद ली है, इसपर आर्मी चीफ ने कहा कि सेना देश के लोगों के लिए है, अगर जरूरत पड़ती है और सरकार कहती है तो सेना पूरी तरह से तैयार है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में मेडिकल सर्विस की जरूरत आगे बढ़ सकती है। सेना के सभी जवानों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी गई है और जरूरी कदम उठाने को कहा गया है, ताकि किसी को कोई परेशानी ना होगा।
सेना प्रमुख एमएम नरवाणे ने बताया कि सेना अलग-अलग स्तर पर कोरोना से निपटने की तैयारी कर रही है। इसमें सर्विलांस और आइसोलेशन की प्रोडक्टविटी को बढ़ाना, अलग-अलग बेस पर मौजूद सेना के अस्पतालों में 45 बेड का एक आइसोलेशन वार्ड तैयार करना और इसके साथ ही 10 बेड का एक आईसीयू वार्ड भी तैयार करना। ये सुविधा बस 6 घंटे के नोटिस पर तैयार की जा सकती है।
सेना प्रमुख ने माना कि अभी ये कहना काफी मुश्किल है कि आगे किस तरह के हालात बनते हैं, लेकिन सेना और देश किसी भी तरह की चुनौती से निपटने को तैयार है। इसको लेकर पिछले 2-3 महीने में सेना में अलग-अलग स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है। वह रोजाना इसका रिव्यू भी कर रहे हैं। सेना प्रमुख एमएम नरवाणे ने माना कि भारत में अगले हफ्ते काफी अहम हैं।


 


इन चीजों से कोरोना वायरस का खतरा

इन चीजों से कोरोना वायरस का खतरा



दाढ़ी रखना और नाखून चबाना जान के दुश्मन न बन जायें
प0नि0डेस्क
देहरादून। कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। इसी बीच सेंटर्स फॉर डिसीज एंड प्रीवेंशन यानी सीडीसी (सीडीसी) ने बड़ा खुलासा किया है। सर्दी, खांसी, सांस फूलना, बुखार को कोरोना वायरस का सिमटम बताया जा रहा है। लेकिन सीडीसी का कहना है कि दाढ़ी रखने वालों में और नाखून के जरिए कोरोना वायरस का खतरा दोगुना जाता है। 
सीडीसी का कहना है कि आजकल दाड़ी रखने का फैशन है। लेकिन यही दाढ़ी जान को खतरे में डाल सकता है। दरअसल मुंह को कवर करने वाला फेस मास्क दाढ़ी की वजह से चेहरे को सही से ढक नहीं पाता है। लिहाजा इस लापरवाही की वजह से इंसान कोरोना वायरस के संपर्क में आ सकता है। हालांकि क्लीन शेव के अलावा अगर मूछें रखते हैं तो इस वायरस का खतरा नहीं है, क्योंकि चेहरे पर मास्क ज्यादा सही से फिट हो पाता है।
दाढ़ी के अलावा नाखून के कारण भी कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाता है। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के लैंगोन मेडिकल सेंटर में एलर्जी और इनफेक्शियस स्पेशलिस्ट पूर्वी पारिख का कहना है कि कई लोगों में यह आदत होती है कि वो बार-बार नाखून को मुंह से चबाते हैं। यह बेहद ही खतरनाक है। पूर्वी पारिख ने इशारों-इशारों में कहा कि मुंह से नाखून चबाने की जिनमें आदत है, वो सीधे तौर पर इस वायरस को आमंत्रित कर रहे हैं। 
उनका कहना है कि नाखूनों के बीच बैक्टीरिया वायरस, मैल या कचरा बड़ी आसानी से जमा हो जाता है और जब कोई अपने दांतों से उसे चबाता है तो ये सब चीजें शरीर में बड़ी आसानी से दाखिल हो जाती हैं। लिहाजा ये दो ऐसी चीजें हैं जिससे कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाता है। 


पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश

पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश



सीपीएफसी द्वारा 30 मार्च तक ईपीएस पेंशनधारकों को पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश
एजेंसी
नई दिल्ली। ईपीएफओ द्वारा कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 के अंतर्गत प्रत्येक महीने 65 लाख पेंशनधारकों को पेंशन का भुगतान किया जाता है। केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त (सीपीएफसी) द्वारा ईपीएफओ के सभी 135 कार्यालयों को पेंशन भुगतान प्रक्रिया की शुरुआत अग्रिम रूप से करने का निर्देश दिया गया था, जिससे कि कोविड-19 के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए अपनाए जाने वाले राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण पेंशनभोगियों को कोई असुविधा न हो।
पीएफओ के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सबसे कठिन परिस्थितियों में पूरी निष्ठा के साथ काम किया और सभी 135 कार्यालयों में पेंशन भुगतान की प्रक्रिया को पूरा किया और 65 लाख पेंशनभोगियों के पेंशन भुगतान का विवरण और साथ ही अपेक्षित चेकों को सभी पेंशन वितरण बैंकों को उपलब्ध करा दिया। 
पूरे भारत में सभी पेंशन वितरण बैंकों से जुड़ी हुई नोडल शाखाओं को 30 मार्च तक पेंशनधारको के खातों में पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। इस प्रकार से आवश्यकता के इस क्षण में सभी 135 क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा पेंशन का समय पर भुगतान सुनिश्चित कर लिया गया है। ईपीएफओ हर समय अपने पेंशनरों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध रहता है।


कोविड-19 के खिलाफ जंग में शामिल हुआ सीड्स

कोविड-19 के खिलाफ जंग में शामिल हुआ सीड्स



सीड्स ने सात राज्यों में कोविड-19 के खिलाफ चलाया अभियान
संवाददाता
देहरादून। सीड्स ने भारत सरकार तथा उत्तराखंड, बिहार, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और ओडिशा की राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक मदद पहुंचाने का काम शुरू किया है। समुदायों को सक्षम बनाने के काम में सक्रिय मानवतावादी संगठन सीड्स हर क्षेत्रा में इस महामारी के कारण शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक स्थितियों पर पड़ने वाले प्रभावों से निबटने के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है। 
कोरोना वायरस बीमारी 2019 कोविड-19 के वैश्विक प्रकोप ने 195 से अधिक देशों को प्रभावित किया है। इस स्थिति में कल्याण कार्यों को भी धक्का लगा है। दिहाड़ी मजदूर अस्थाई तौर पर बेरोजगार हो गए हैं जबकि उनके पास बहुत कम बचत होती है और इस कारण वे अपने और अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर पाने में असमर्थ हैं। 
सीड्स सुविधाओं से बंचित तथा कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले तथा इस महामारी के फैलने के कारण आर्थिक तौर पर सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोगों खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों तथा अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक मदद पहुंचाने के लिए प्रतिबद्व है। 
इसके तहत निम्न बातों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है- दिहाड़ी मजदूरों को वित्तीय सहायता और आवश्यक सेवाएं मुहैया कराया जाना। सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के पूरक के तौर पर जिला प्रशासन की मदद करना। सुविधाओं से वंचित परिवारों, वृद्वाश्रमों और अनाथालयों में स्वच्छता किट और राशन की आपूर्ति। जहां आवश्यक हो, अस्थायी क्वेरेंटाइन केन्द्रों की स्थापना के लिए सरकार को सहायता।
सीड्स ने अपील की है कि उसके साथ हाथ मिलाएं क्योंकि आपका योगदान जीवन को बचाने में मददगार हो सकता है और इस गंभीर और संभावित घातक बीमारी को फैलाने में मदद कर सकता है। अभी सहयोग राशि दें और इसके लिए इस वेबसाइट http://www.seedsindia.org/covid19/  पर जाएं।
इस महामारी का मुकाबला एक साथ मिलकर किया जा सकता है और तभी यह सुनिश्चित हो सकता है कि सर्वाधिक कमजोर लोग भी सुरक्षित रह पाएं।


जेडीआईएफटी का सोशल मीडिया पर अभियान

जेडीआईएफटी का सोशल मीडिया पर अभियान



कोविड-19 से हुए शटडाउन के दौरान छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने का प्रयास
संवाददाता
देहरादून। कोविड-19 जैसे महामारी और इसके बढ़ते प्रकोप के कारण भारत भर के स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों प्रभावित हुए है। 21 दिनों की राष्ट्रव्यापी लाकडाउन की घोषणा के साथ ही जेडी इंस्टीट्यूट ने सोशल मीडिया प्लेटपफार्मों के माध्यम से उन करोड़ो लोगो के लिए एक मानसिक स्वास्थ्य अभियान शुरू किया है जो क्वारंटाइन और सोशल डिस्टन्सिंग के कारण दबाव महसुस कर रहें हैं।
खुद को लोगों से अलग रखना और सामाजिक दूरी बनाने के कारण छात्र परेशानी का सामना कर रहे है और छात्रों के साथ-साथ पूरे देश के लोगों के सामने ऐसी परेशानी आ रही है। इस पर काबू पाने के लिए जेडी इंस्टिट्यूट इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के साथ आनलाइन इंटरैक्शन की व्यवस्था कर रही जो मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने वाली चीजों के बारे में छात्रों को बताएंगे साथ ही घर में परिवार के साथ रहते हुए खुद के और परिवार के स्वास्थ्य के देखभाल के बारे में भी ये एक्सपर्ट लोगों को बताएंगे। 
जेडी इंस्टीट्यूट आफ पफैशन टेक्नोलाजी की कार्यकारी निदेशक सुश्री रूपल दलाल ने कहा कि हम एक वैश्विक संकट से गुजर रहे हैं और एक महामारी की स्थिति का सामना कर रहे हैं, इसलिए खुद को लोगों से दूर रखने और सामाजिक दूरी बनाने के जो दिशानिर्देशों हमें सरकार से मिले है, उसका पालन करना हमारी जिम्मेदारी है। 
उनका कहना है कि सामाजिक दूरी बनाने के कारण युवा खुद पर काफी दबाव महसुस कर रहें हैं, लेकिन अगर सकारात्मक रूप से लिया जाए तो यह आत्म-सुधार के समय के रूप में भी लिया जा सकता हैं। इसलिए हमारा उद्देश्य सोशल मीडिया का उपयोग करके छात्रों पर पड़ने वाले भावनात्मक और मानसिक दबाव के उस अंतर को कम करने में मदद करना हैं।


गुरुवार, 26 मार्च 2020

गरीब वर्गों का विशेष ध्यान रखे सरकारः आम आदमी पार्टी 

गरीब वर्गों का विशेष ध्यान रखे सरकारः आम आदमी पार्टी 



संवाददाता
देहरादून। कोरोना वायरसके संक्रमण एवं उसके घातक प्रभाव को देखते हुए आम आदमी पार्टी की प्रदेश संचालन समिति के पूर्व अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने केन्द्र एवं राज्य सरकार के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार ने लॉक डाउन का फैसला लेकर एक सराहनीय कदम उठाया है जो इस वैश्विक महामारी की रोकथाम में मददगार सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि इस समय सभी राज्यों की सरकारें केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलते हुए इस महामारी से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। यह मुश्किल भरा समय है लेकिन सावधानी बरतने से बचाव होगा, इसलिए सरकार व विशेषज्ञों द्वारा दी जा रही सलाह का अनुपालन करना हर एक नागरिक का कर्तव्य है।
उन्होंने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर गरीब व दिहाड़ी मजदूरी करने वाले गरीब वर्ग के लोगों पर पड़ रहा है, इसलिए सरकार को उनके हितों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सरकार गरीबों के खानेपीने के समान का आपूर्ति सुनिश्चित करे और कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कदम उठाये। 
उन्होंने कहा कि जो मेडिकल स्टॉफ कोरोना के इलाज में लगे हैं उन्हें सरकार द्वारा सुरक्षा के समुचित उपकरण प्रदान किये जाने चाहिए व आवश्यक उपकरणों की खरीद समय रहते कर लेनी चाहिए। उत्तराखंड में वेंटिलरों की खासी कमी है, जांच केंद्र बढ़ाये जाने की जरूरत है।
पिरशाली ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मजदूरों को 1000 रुपये की सहायता राशि दिये जाने की घोषणा की गई है, यह राशि कम से कम 2500 होनी चाहिए और यह पंजीकृत व अपंजीकृत दोनों प्रकार के मजदूरों को दी जानी चाहिए। 
उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार से अनुरोध है कि वो प्रदेश में सुविधा मुहैय्या कराने का प्रयास करें व दिल्ली मुम्बई में फंसे उत्तराखंडियों को वापस लाने के लिए जरूरी कदम उठाए। मुम्बई से आ रही तस्वीरों में उत्तराखण्ड के हमारे नौजवान रेलवे स्टेशन पर भूखे बैठे हैं, उनको सरकार की मदद से खाना पहुंचाने की व्यवस्था करें।
उन्होंने प्रदेश की जनता से अपील कि है कि इस मुश्किल घड़ी में सरकार का पूर्ण रूप से सहयोग करें। 


मोदी सरकार चुकाए जनता के प्यार का कर्जः मोर्चा   

मोदी सरकार चुकाए जनता के प्यार का कर्जः मोर्चा   



- महामारी में लॉक डाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे गरीबों की हो सकती है मदद 
- रोजाना दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले गरीब परिवारों का दर्द समझे सरकार 
- 21 दिन तक कोरोना से नहीं, अन्य दिक्कतों से से हो जाएगी गरीब की परेशानियों में इजाफा 
- सरकार द्वारा गरीब की खाद्यान्न दिक्कत दूर करने में उठाया गया सराहनीय कदम
- जनधन खातों में इस विपदा में नहीं डाली गई धनराशि, तो इनका औचित्य क्या!        
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी बयान जारी कर कहा कि कोरोना जैसी महामारी/विपदा के इस गंभीर संकट में मोदी सरकार गरीब मजदूरों व जरूरतमंद लोगों के जनधन खातों में धन डालकर उनकी मुसीबत का हल कर सकती है। देश का दिहाड़ी-मजदूरी और रोज कमाने वाला गरीब व्यक्ति आगामी 20-21 दिनों में लॉक डाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझने को मजबूर हो जाएगा। वैसे, सरकार ने आटा-चावल (खाद्यान्न) की व्यवस्था करने का ऐलान कर काफी हद तक जनता की मुसीबत कम करने का काम किया है। 
नेगी ने कहा कि देश में करोड़ों की तादाद में प्रधानमंत्री जी द्वारा जनधन खाते खुलवाए गए थे तथा इन खातों में कोई आर्थिक सहायता सरकार द्वारा आज तक प्रदान नहीं की गई, लेकिन इस वक्त विपदा की घड़ी में मोदी सरकार गरीब जनता  द्वारा दिए गए प्रचंड बहुमत (प्यार/आशीर्वाद) का कर्ज उतार सकती है। मोर्चा प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह करता है कि अब समय आ गया है कि गरीब/मध्यम वर्गीय लोगों के जनधन खातों में धन डालकर जनता के प्यार का कर्ज चुकाएं, जिससे गरीब अपनी जरूरी आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति लॉक डाउन में अपने परिवार के लिए कर सके।


 


पेंशनरों को रिटायरमेंट के 15 साल बाद फुल पेंशन

पेंशनरों को रिटायरमेंट के 15 साल बाद फुल पेंशन



1 अप्रैल से लागू होंगे पेंशन के नए नियम, जानें फायदें
एजेंसी 
प0नि0डेस्क
देहरादून। श्रम मंत्रालय ने 2009 में इस नियम को वापस ले लिया था लेकिन अब एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के पारा 12बी के तहत जिन्होंने 12ए के तहत कम्युट का विकल्प चुना है या चुनेंगे उन्हें इसका सीधा फायदा पहुंचेगा।
1 अप्रैल से एंप्लॉयी पेंशन स्कीम (ईपीएस) के पेंशनरों को रिटायरमेंट के 15 साल बाद फुल पेंशन की व्यवस्था फिर से लागू होने जा रही है। श्रम मंत्रालय ने इस बाबत अधिसूचना जारी की है। पेंशन के नए नियमों के मुताबिक ईपीएफओ के वे पेंशनधारक जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद पेंशन कम्युट का विकल्प चुना था उन्हें एक अप्रैल से बढ़ी हुई पेंशन मिलेगी। वे कर्मचारी जो अप्रैल, 2005 को रिटायर हुए थे अब उन्हें 1 अप्रैल, 2020 से ज्यादा पेंशन मिलेगी।
बता दें कि श्रम और रोजगार मंत्रालय ने कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 में संशोधन किया है। श्रम मंत्रालय ने 2009 में इस नियम को वापस ले लिया था लेकिन अब एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के पारा 12बी के तहत जिन्होंने 12ए के तहत कम्युट का विकल्प चुना है या चुनेंगे उन्हें इसका सीधा फायदा पहुंचेगा।
मालूम हो कि मौजूदा व्यवस्था में एक कर्मचारी को रिटायरमेंट पर पेंशन की 40 फीसदी रकम एडवांस में दी दी जाती है जबकि इसके बाद हर महीने मिलने वाली पेंशन से 8 हजार रुपये काट लेती है। ऐसा आखिर तक किया जाता है लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत ऐसा 15 साल तक ही संभव होगा। 15 साल बाद पेंशनरों को फुल पेंशन मुहैया करवाई जाएगी। इससे करीब 6.3 लाख पेंशनभोगियों को फायदा मिलने की उम्मीद है।
पुराने नियमों के मुताबिक यदि कर्मचारी अपने रिटायरमेंट के बाद अपनी पेंशन से कम्यूटेशन की सुविधा लेता है, यानि की पेंशन फंड में से कुछ राशि एक साथ लेता है तो फिर कर्मचारी को बाकी पेंशन राशि के हिसाब से कम पेंशन का भुगतान किया जाता है।


जल्द खत्म होने वाली है कोरोना की त्रासदी

जल्द खत्म होने वाली है कोरोना की त्रासदी!



एजेंसी
न्यूर्याक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित और स्टैनफोर्ड बायोफिजिसिस्ट माइकेल लेविट का कहना है कि कोरोना वायरस का दुनिया में सबसे बुरा दौर शायद खत्म हो चुका है। उनका कहना है कि कोरोना वायरस से जितना बुरा होना था, वह हो चुका है और अब धीरे-धीरे हालात सुधरेंगे।
माइकेल ने कहा कि असली स्थिति उतनी भयावह नहीं है जितनी आशंका जताई जा रही है। हर तरफ डर और चिंता के माहौल में लेविट का ये बयान सुकून देने वाला है। उनका बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि चीन में कोरोना वायरस से उबरने को लेकर उनकी भविष्यवाणी सही साबित हुई है। तमाम हेल्थ एक्सपर्ट्स दावा कर रहे थे कि चीन को कोरोना वायरस पर काबू पाने में लंबा वक्त लग जाएगा लेकिन लेविट ने इस बारे में बिल्कुल सही आकलन लगाया।
लेविट ने फरवरी में लिखा था कि हर दिन कोरोना के नए मामलों में गिरावट देखने को मिल रही है। इससे यह साबित होता है कि अगले सप्ताह में कोरोना वायरस से होने वाली मौत की दर घटने लगेगी। उनकी भविष्यवाणी के मुताबिक हर दिन मौतों की संख्या में कमी आने लगी। दुनिया के अनुमान से उलट चीन जल्द ही अपने पैरों पर फिर से उठकर खड़ा हो गया। दो महीने के लॉकडाउन के बाद कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हुबेई प्रांत भी खुलने वाला है।
वास्तव में लेविट ने चीन में कोरोना से 3250 मौतों और 80,000 मामलों का अनुमान लगाया था जबकि बाकी एक्सपर्ट्स लाखों में गणना कर रहे थे। चीन में अब तक 3277 मौतें और 81171 मामले सामने आए हैं।
अब लेविट पूरी दुनिया में भी चीन वाला ट्रेंड ही देख रहे हैं। 78 देशों में जहां हर दिन 50 नए केस आ रहे हैं, के डेटा के विश्लेषण के आधार पर वह कहते हैं कि अधिकतर जगहों में रिकवरी के संकेत नजर आ रहे हैं। उनकी गणना हर देश में कोरोना वायरस के कुल मामलों पर नहीं बल्कि हर दिन आ रहे नए मामलों पर आधारित है। लेविट कहते हैं कि चीन और दक्षिण कोरिया में नए मामलों की संख्या लगातार गिर रही है।
वह कहते हैं कि आंकड़ा अभी भी परेशान करने वाला है लेकिन इसमें वृद्धि दर के धीमी होने के साफ संकेत हैं। वैज्ञानिक लेविट इस बात को भी मानते हैं कि आंकड़े अलग हो सकते हैं और कई देशों में आधिकारिक आंकड़ा इसलिए बहुत कम है क्योंकि टेस्टिंग कम हो रही है। हालांकि उनका मानना है कि अधूरे आंकड़े के बावजूद लगातार गिरावट का यही मतलब है कि कुछ है जो काम कर रहा है और ये सिर्फ नंबर गेम नहीं है।
उनका ये निष्कर्ष दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए उम्मीद लेकर आया है. लेविट तमाम देशों में कोरोना वायरस को जड़ से खत्म करने की अहमियत पर भी जोर देते हैं। लेविट के मुताबिक सोशल डिस्टेंसिंग सबसे जरूरी है, खासकर इसका ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है कि बड़ी संख्या में लोग एक जगह इकठ्ठा ना हों, क्योंकि ये वायरस इतना नया है कि ज्यादातर आबादी के पास इससे लड़ने की इम्युनिटी ही नहीं है और वैक्सीन बनने में अभी भी महीनों का वक्त लगेगा। वह चेतावनी देते हैं कि ये वक्त दोस्तों के साथ पार्टी के लिए बाहर जाने का नहीं है।
वह कहते हैं कि लक्ष्य के करीब पहुंचने के लिए शुरुआत में ही पहचान करना बहुत जरूरी है, ना केवल टेस्टिंग से बल्कि बॉडी टेंपरेचर सर्विलांस से भी जो चीन अपने यहां लागू कर रहा है और शुरुआत में ही सोशल आइसोलेशन कर रहा है।
लेविट के मुताबिक इटली की वैक्सीन विरोधी मानसिकता ही शायद एक मजबूत वजह थी कि वहां वायरस इतनी तेजी से फैल गया। फ्लू के खिलाफ वैक्सीन लेना जरूरी है क्योंकि फ्लू की महामारी के बीच कोरोना वायरस बुरी तरह से हमला कर सकता है और हॉस्पिटलों में मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। ये भी आशंका बनी रहती है कि कोरोना वायरस के तमाम मामले सामने ना आ पाए।
लेविट की ये बातें दिल को तसल्ली देने वाली हैं। उन्होंने कहा कि पैनिक कंट्रोल करना सबसे अहम है। हम बिल्कुल ठीक होने जा रहे हैं। 2013 में रसायन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले लेविट तमाम वैज्ञानिकों और मेडिकल एक्सपर्ट्स की उस भविष्यवाणी को खारिज कर रहे हैं कि जिसमें कहा गया है कि दुनिया का अंत होने वाला है। उनका कहना है कि तमाम डेटा इस बात का समर्थन नहीं करते हैं।
लेविट को कोरोना वायरस से धीमी हुई आर्थिक प्रगति को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है। दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई हैं और उत्पादन सुस्त पड़ गया है। असंगठित क्षेत्र के लोग लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।


 


सोशल डिस्टेंस बनाए रखेंः डीएम बंसल

सोशल डिस्टेंस बनाए रखेंः डीएम बंसल



संवाददाता
हल्द्वानी। जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि 23 मार्च से लाकडाउन जारी है सभी जनपद वासी सोशल डिस्टेंस बनाए रखने के आदेश का अनुपालन करें। 
उन्होंने कहा कि जनपद में राशन, दूध, फल, सब्जी आदि अपने घरों के पास वाले मोहल्लों की दुकानों से ही यथासम्भव खरीदें, खरीदने के लिए पैदल ही जांए तो बेहतर होगा निर्धारित अवधि के बाद घूमते पाये जाने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 तथा 271 के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी।
उन्होंने कहा कि रोजमर्रा के सामान आपके नजदीकी स्टोर पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। किसी भी समस्या के लिए टोल फ्री नम्बर 1077 पर सूचना दे। पुलिस कन्ट्रोल रूम का नम्बर 112 है। संक्रमण की इस समस्या में प्रशासन का सहयोग करें तथा जारी की गई एडवाइजरी का अनुपालन भी सुनिश्चित करें।


बुधवार, 25 मार्च 2020

चीन की मंशा पर संदेह वाजिब

न्यूक्लीयर, बायलाजिकल, कैमिकल वारफेयर के लिए वायरस बनाने का शक!
चीन की मंशा पर संदेह वाजिब



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। जहां एक ओर पूरी दुनिया में नोवल कोरोना को लेकर खौफ का वातावरण है और इसके संक्रमण और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। वहीं अब विश्व भर में चीन को शक की नजर से देखा जा रहा है। इस बारे में अमेरिका को तो यकीन है कि हो न हो चीन ने खुद अपने लैब में इस खतरनाक वायरस को पैदा किया है।
आज यदि विश्वभर में चीन की मंशा पर संदेह किया जा रहा है तो उसके वाजिब कारण भी है। क्योंकि उसने इस वायरस के संक्रमण की जानकारी को पहले तो छिपाकर रखा और जब बात हाथ से निकल गई तो अमेरिका पर दोष मढ़ना शुरू कर दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अमेरिका क्यों चीन पर आरोप लगा रहा है कि उसने कोरोना वायरस को बतौर बायो वैपन की तरह विकसित किया है।
सेना के बारे में जानकारी रखने वाले एनबीसी वारफेयर के बारे में जानते है। इसका मतलब है न्यूक्लियर, बायोलाजिकल, कैमिकल वारफेयर। इसके तहत तीन तरह के हथियार और गोला बारूद दुश्मनों के निपटने के लिए तैयार किए जाते है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय समाज में इस प्रकार के हथियार प्रतिबंधित है। लेकिन दुर्भाग्य से तकरीबन हर महत्वाकांक्षी देश इसे डवलप करने में लगा हुआ है।  कहा जा रहा है कि चीन ने इस वायरस को हांगकांग के लोगों को सबक सिखाने के लिए तैयार किया था लेकिन एक चूक की वजह से यह लैब में लीक हो गया और इसने चीन के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया। 
इस लिहाज से तो अमेरिका का दावा मजबूत है कि कोरोना वायरस प्रकोप पर जानकारी साझा करने की बजाए चीन ने उसे रहस्य की तरह छिपाकर रखा। उसका कहना सही भी प्रतीत होता है कि यदि बीजिंग ने इस खतरे के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी होती तो पूरा विश्व इसके लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार होता। लेकिन चीन की गलतियों का खामियाजा आज पूरे विश्व को भुगतना पड़ रहा है। चीन के ईमानदार न रहने और कोरोना वायरस की गंभीरता के बारे में विश्व को सजग करने में धीमा रुख अपनाने को लेकर अमेरिका ने अफसोस जाहिर किया।
अमेरिका का कहना है कि चीन ने नोवल कोरोना के संक्रमण फैलने का भंडाफोड़ करने वालों को चुप करा दिया, पत्रकारों को निकाल दिया, नमूने बर्बाद किए और मौत एवं संक्रमित लोगों की संख्या छिपाई। उसने बड़े पैमाने पर अपने कृत्यों पर पर्दा डाला। दुनिया को इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।
हालांकि चीन भी अमेरिका के आरोपों पर प्रत्यारोप लगाते हुए कह रहा है कि चीन में नोवल कोरोना फैलाने में अमेरिका का हाथ है। चीन के आरोप का ईरान ने भी समर्थन किया है। हालांकि ईरान द्वारा संदेह जाहिर करने के पीछे वजह राजनीतिक है। लेकिन इसमें दो राय नही कि चीन ने जिस तरह से दोगला रवैया कोरोना वायरस को लेकर अपनाया, इसके लिए उसे सस्ते में नहीं छोड़ा जा सकता।
लेकिन कहते है कि समरथ को नहीं दोष गुसांई। चीन पर दोषारोपण होता रहेगा और वह इसी तरह अपने एनबीसी वारफेयर प्रोग्राम को आगे बढ़ाता रहेगा। चूंकि मानवीय भूल अवश्यसंभावी इसलिए आगे भी इस तरह के खतरे बने रहेंगे और उन्हें झेलना हमारी नियति बनी रहेगी।


वित्तीय वर्ष 2016-17 के वैैट कर निर्धारण केसोें की तिथि बढ़ाने की मांग

वित्तीय वर्ष 2016-17 के वैैट कर निर्धारण केसोें की तिथि बढ़ाने की मांग



टैक्स सीएचआर बार एसोसिएशन ने उत्तराखंड के व्यापारियों के वैैट केे वर्ष 2016-17 के कर निर्धारण केसोें की समयावधि बढ़ाने की मांग 
मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव वित्त तथा आयुक्त कर को ई-मेल से ज्ञापन भेज कर की
संवाददाता
काशीपुर। टैक्स सीएचआर बार एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव वित्त तथा आयुक्त कर को ई-मेल से ज्ञापन भेज कर वित्तीय वर्ष 2016-17 के वैैट कर निर्धारण केसोें की तिथि बढ़ाने की मांग की है।
टैक्स सीएचआर बार एसोसिएशन के अघ्यक्ष नदीम उद्दीन (एडवोकेट) द्वारा उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव वित्त तथा आयुक्त कर की ईमेल-आईडी पर भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड के व्यापारियों के वैैट केे वर्ष 2016-17 के कर निर्धारण केसोें की समयवधि 31 मार्च नियत की गयी हैै लेकिन बहुत बड़ी संख्या में यह केस वाणिज्य कर विभाग में नही हो पाये हैै। इसके बाद कालबाधित होने के कारण इनका एकपक्षीय निर्धारण करके टैक्स लगने का खतरा व्यापारियों पर मंडरा रहा है। व्यापारियों, एकाउन्टेेंट तथा सीए व कर अधिवक्ताओं पर इस दबाव के चलते उन्हें लॉक डाउन में भी घरों से बाहर निकलना पड़ रहा हैै तथा उन पर मानसिक दबाव हैै जिससे कोरोना नियंत्रण भी प्रभावित होे रहा है। 
व्यापारियोें, कर निर्धारण अधिकारियों, एकाउंटेन्ट, तथा कर अधिवक्ताओं तथा चार्टर्ड एकाउंटेन्ट की सुविधा व कोरोना नियंत्रण हेतु उनके योेगदान के लिये तुरन्त वर्ष 2016-17 के कर निर्धारण केसों का समय कम से कम 6 माह बढ़ाकर इसकी सूचना प्रसारित करना तथा पूर्व की भांति अधिकतर केसोें को बिना कार्यालय बुलाये दाखिल विवरणों के आधार पर डीम्ड रूप सेे करनेे केे आदेश किया जाना जरूरी है। 
बार एसोसिएशन ने मांग की है कि यथाशीघ्र वैट के वर्ष 2016-17 केे केसों को करने की समयावधि कम से कम 6 माह बढ़ानेे तथा अधिकतर केस पूर्व वर्षों की भांति डीम्ड रूप से कराने का आदेश करनेे व इसकी सूचना प्रसारित कराने का कष्ट करें। 


आंगनवाड़ी वर्करों को सुरक्षा की गारंटी दे सरकारः मोर्चा   

आंगनवाड़ी वर्करों को सुरक्षा की गारंटी दे सरकारः मोर्चा   



- कोरोना महामारी में आंगनवाड़ी वर्करों को सामान की आपूर्ति में तैनात करना चाह रही सरकार 
- वर्कर को मिलता है सिर्फ 3-4 हजार रुपए मेहनताना 
- अगर कुछ अनहोनी होती है तो कौन होगा जिम्मेदार!            
- वर्कर आंदोलित रहे तब नहीं आई सरकार को इनकी याद 
- वर्करों का बीमा कवर इत्यादि की ठोस व्यवस्था करे सरकार 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के आंगनवाड़ी वर्करों को जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति घर तक करने हेतु काम पर लिए जाने का विचार चल रहा है, लेकिन इन वर्करों को काम पर लिए जाने पहले इनकी पारिवारिक/आर्थिक स्थिति पर गौर करना चाहिए कि सरकार इनको प्रतिमाह कितना मेहनताना दे रही है।   
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा मिनी आंगनवाड़ी वर्करों सेविकाओं तथा कार्यकत्रियों को क्रमशः 2750रू, 3500रू, 7500 रुपए मानदेय दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी जोकि 50,000 से 1,00,000 रूपये तक वेतन के साथ बीमा इत्यादि सभी सुविधाओं से लैस हैं, सरकार उनको जिम्मेदारी देने से क्यों डर रही है। इस महामारी में सहयोग करने के दौरान कोई अनहोनी होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा तथा सरकार इनको क्या मदद करेगी! उक्त सभी परिस्थितियों के मद्देनजर सरकार को वर्करों का बीमा इत्यादि करना चाहिए।           
नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि सरकार को मुसीबत के समय इन गरीब वर्करों की याद आ रही है, जब इन्होंने पूरी सर्दियों में अपनी मांगों को लेकर 2 महीना से अधिक समय तक आंदोलन किया, तब सरकार को इनकी याद नहीं आई।            
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इन वर्करों की पुख्ता सुरक्षा (पारिवारिक/आर्थिक) की गारंटी ले।


मंगलवार, 24 मार्च 2020

हर 3 महीने में चेंज करें चॉपिंग बोर्ड 

हर 3 महीने में चेंज करें चॉपिंग बोर्ड 



बीमार होने से बचना है तो इन डेली यूज चीजों को बदलें-5
प0नि0डेस्क
देहरादून। खाने-पीने की चीजों के साथ-साथ डेली यूज में आने वाली कुछ चीजों का सेहत पर सीधा असर पड़ता है। शायद यकीन ना हो लेकिन घर में मौजूद ऐसी कई चीजें हैं जिनका जाने-अनजाने लोग वर्षो तक इस्तेमाल करते रहते हैं। उनको लगता है कि वह तो अभी ठीक है और यूज किया जा सकता है लेकिन यह चीजें अक्सर बीमार कर देती हैं। 
इन डेली यूज आइटम्स के बारे में सभी जानते भी है जिन्हें स्वास्थ्य के लिहाज से नियमित रूप से बदलना जरूरी होता है। इन डेली यूज होने वाले आइटम्स के खराब होने का इंतजार करने की बजाए उन्हें रेग्युलर बेसिस पर बदलते रहना चाहिए।
किचन में कई चीजें है जो लगातार और नियमित रूप से इस्तेमाल होती है। स्वास्थ्य के लिहाज से उनमें से बहुत सी चीजों को रेग्युलरी कुछ महीनों में निश्चित रूप से बदल देना चाहिए। ऐसा ही एक आइटम चॉपिंग बोर्ड है। 
भले ही आप चॉपिंग बोर्ड को यूज करने के बाद अच्छी तरह से साफ कर दें लेकिन फिर भी उनमें बैक्टीरिया और बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं के पनपने का खतरा बरकरार रहता है। लिहाजा बेहद जरूरी है कि आप अपने किचन चॉपिंग बोर्ड को हर 3 महीने में बदल दें। साथ ही साथ लकड़ी वाले चॉपिंग बोर्ड की जगह किसी और मटीरियल के बोर्ड का इस्तेमाल करना ज्यादा बेहतर होगा।


नवरात्रि में देवी की पूजा और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 

नवरात्रि में देवी की पूजा और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। नवरात्र वर्ष में चार बार आते हैं। ये माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन में होते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि से वातावरण के अंधकार का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है। मन में उल्लास, उमंग और उत्साह की बढ़ोतरी होती है। शक्ति की प्रतीक नारी के सम्मान में इस दिनों देवी की उपासना ही की जाती है।
नवरात्रि के प्रथम दिन देवी के शैलपुत्री स्वरुप की उपासना की जाती है। इनकी उपासना से देवी की कृपा तो मिलती ही है साथ में सूर्य भी मजबूत होता होता है। इस बार नवरात्रि का प्रथम दिन 25 मार्च को होगा।
नवरात्रि के और कलश स्थापना के नियम इस प्रकार है- नवरात्रि में जीवन के समस्त भागों और समस्याओं पर नियंत्रण किया जा सकता है। नवरात्रि के दौरान हल्का और सात्विक भोजन करना चाहिए। नियमित खान पान में जौ और जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
इन दिनों तेल, मसालाऔर अनाज कम से कम खाना चाहिए। कलश की स्थापना करते समय जल में सिक्का डालें। कलश पर नारियल रखें और कलश पर मिट्टी लगाकर जौ बोएं। कलश के निकट अखंड दीपक जरूर प्रज्ज्वलित करें।
कलश स्थापना का मुहूर्त- कलश की स्थापना चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस बार प्रतिपदा तिथि 25 मार्च को है। लेकिन प्रतिपदा सायं 05.26 तक ही है इसलिए कलश की स्थापना सायं 05.26 के पूर्व कर ली जाएगी।


सोमवार, 23 मार्च 2020

अफवाहों से चौपट हो गया पाल्ट्री कारोबार

फेक न्यूज के चलते देश के लाखों लोगों की रोजी रोटी पर संकट 
अफवाहों से चौपट हो गया पाल्ट्री कारोबार



प0नि0संवाददाता
देहरादून। कोरोना वायरस की वजह से फैलाई जा रही फेक न्यूज के चलते देश के करीब 50 लाख लोगों की रोजी रोटी पर संकट आ गया है और देश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले पाल्ट्री प्रोडक्ट इसका बुरा प्रभाव पड़ा है। इसका परिणाम ये हुआ है कि पाल्ट्री यानि मुर्गी पालन के कारोबार में लगे लोग संकट में आ गए है।
कोरोना के कहर के बीच पफेक न्यूज के जरिए लोगों के बीच संदेश फैला कि शाकाहारी खाना मांसाहार के मुकाबले बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक है। पाल्ट्री प्रोडक्ट से कोरोना वायरस का संक्रमण होने की फेक न्यूज सोशल मीडिया पर फैली तो अचानक प्रोडक्ट की मांग घट गई और देश के कई हिस्सों में मुर्गी पालक 28 से 30 रुपये किलो की दर से मुर्गियां बेचने को मजबूर हो गए जबकि इनके पालन में 60 से 70 रुपये प्रति किलो का खर्च आता है।
इस गिरावट की वजह से उन तमाम लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है जो इस सेक्टर पर निर्भर हैं। मुर्गी पालन का बाजार सुलभ है और मुर्गी पालन में मुनाफा भी ठीक ठाक हो जाता है। इससे ग्रामीण इलाकों में रोजगार भी पैदा हुआ। भारतीय पाल्ट्री सेक्टर की वैल्यू करीब 80,000 करोड़ रुपये है, जिसमें से 80 फीसदी संगठित क्षेत्र में है। असंगठित क्षेत्र में वो मुर्गीपालन आता है जिसमें किसान अपने घरों में मुर्गियां पालते हैं। 
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना में सबसे अधिक पालट्री फार्म हैं। कोरोना वायरस की वजह से कीमतों में गिरावट आई है जिसकी वजह से इस कारोबार में लगे किसानों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। उनमें से कईयों ने इसके लिए बैंकों से कर्ज ले रखा है और उसे चुकाने में अब मुश्किल होगी। ऐसी भी रिपोर्ट आई हैं कि किसान पालट्री में मुर्गों को जिंदा दफना रहे हैं।
जब कोरोना वायरस का प्रकोप तेजी पकड़ रहा है, केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वो इलेक्ट्रानिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के जरिए इस बात की जानकारी दे कि कोरोना वायरस का पाल्ट्री इंडस्ट्री से कोई लेना देना नहीं है। इसके कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं मिले। जबकि पाल्ट्री प्रोडक्ट खाने से इम्युनिटी बेहतर होती है जिससे कोरोना वायरस से लड़ने में और मदद मिलेगी।


डिजिलाकर से आधार की मदद से भी डाउनलोड कर पाएंगे यूएएन और पीपीओ

डिजिलाकर से आधार की मदद से भी डाउनलोड कर पाएंगे यूएएन और पीपीओ



एंप्लायी प्रविडेंट फंड आर्गनाइजेशन ईपीएपफओ ने ऐलान किया कि अब डिजिलाकर में भी यूनिवर्सल अकाउंट यूएएन नंबर और पेंशन पेंमेंट आर्डर पीपीओ रखे जा सकते हैं। जरूरत पड़ने में यहां से निकाल कर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
एजेंसी
नई दिल्ली। वेतनभोगी व्यक्ति के अकाउंट से हर महीने कुछ रुपये एंप्लायी प्रविडेंट फंड ईपीएफ अकाउंट में जमा होता है। ईपीएफ अकाउंट में कितनी रकम जमा है यह पता करने के लिए यूनिवर्सल अकाउंट नंबर यूपीएन की जरूरत होती है।
उसी तरह जो रिटायर होने वाले होते हैं उन्हें पेंशन पेमेंट आर्डर पीपीओ की जरूरत होती है। यह 12 अंकों का एक नंबर होता है। पीपीओ नंबर की जरूरत पेंशन पाने वालों को हर साल होती है जब उन्हें लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होता है।
एंप्लायी प्रविडेंट फंड आर्गनाइजेशन ईपीएपफओ ने ऐलान किया कि पीपीओ और यूएएन नंबर अब सरकार के ई-लाकर सर्विस डिजिलाकर में भी उपलब्ध होंगे। इस सुविधा के शुरू होने से जब कभी इसकी जरूरत होगी, डिजिलाकर से इसे डाउनलोड कर सकते हैं।
डिजिलाकर से यूपीएन/पीपीओ नंबर निकालने का तरीका-
पहले डिजिलाकर की वेबसाइट https://digilocker.gov.in/ पर जाएं। साइन इन पर क्लिक करें। मोबाइल नंबर, आधार नंबर या यूजरनेम इंटर करने के बाद रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी सेंड किया जाएगा जो 10 मिनट के लिए वैलिड होता है।
ओटीपी डालने के बाद सिक्योरिटी पिन जो 6 डिजिट का होता है, उसे डालना है। पूरी तरह लागिन होने के बाद इश्यूड डाक्युमेंट पर क्लिक करना है। यहां गेट मोर आप्शन दिखाई देगा जहां क्लिक करना है।
यहां सेंट्रल गवर्नमेंट टैब दिखाई देगा जिसपर क्लिक करना है। यहां ईपीएफओ का आशन दिखाई देगा जिसपर क्लिक करना है। यूएएन नंबर डालकर डाक्युमेंट हासिल किया जा सकता है।


रविवार, 22 मार्च 2020

लाकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था

लाकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था



आदेशों की अवमानना करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही
प0नि0डेस्क
देहरादून। लाकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है जिसके तहत निजी प्रतिष्ठानों, निजी कार्यालयों एवं सार्वजनिक परिवहन को पूर्ण रूप से बंद कर दिया जाता है। लोगों के पास अपने घरों से निकलने की कोई खास वजह होनी चाहिए। राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक में प्रदेश के अधिकांश क्षेत्र में नियमित लाकडाउन की घोषणा कर दी गई थी। लेकिन अब 22 राज्यों में आंशिक लाकडाउन के आदेश आये। इसके तहत दिल्ली, केरल और बिहार और उत्तराखंड़ पूरी तरह बंद किये जा रहे हैं।
लाकडाउन के दौरान सार्वजनिक परिवहन बंद रहेगा। कुछ राज्यों ने कहा है कि 25 फीसदी सरकारी बसें चलेंगी। सभी दुकानें, बड़े स्टोर, फैक्ट्रियां, वर्कशाप, दफ्रतर, गोदाम, साप्ताहिक बाजार बंद रहेंगे। अगर किसी जिले की सीमा दूसरे राज्य से मिलती है तो उसे सील किया जाएगा। 
एक राज्य से दूसरे राज्य को जोड़ने वाली बस और रेल सेवाएं रद्द कर दी जाएंगी। कंस्ट्रक्शन का काम रोक दिया जाएगा। सभी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यक्रम रद्द कर दिये जाएंगे। लोगों से अपील होगी कि वे घरों में ही रहें। ये सारी कवायद लोगों को एक-दूसरे के संपर्क में आने से रोकने के लिए ही की जा रही है।
सरकार के अनुसार लाकडाउन के दौरान पुलिस थाने, अस्पताल, अग्नि शमन विभाग, जेल, महत्वपूर्ण सरकारी दफ्रतर, खाद्यान एवं किराने की सरकारी दुकानें खुली रहेंगी। लाकडाउन के दौरान जीवन के लिए आवश्यक चीजें लेने की अनुमति होती है। इसलिए कुछ सुविधाओं को इसकी परिधि से बाहर रखा जाता है। जैसे- बिजली-पानी, इंटरनेट, बैंकिंग एवं एटीएम की सुविधा जारी रहेगी। पोस्ट आफिस खुले रहेंगे। प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया को काम करने दिया जाएगा।
पेट्रोल पंप और सीएनजी या एलपीजी पंप खुले रहेंगे। दवाओं की दुकानें खुली रहेंगी। डेयरी एवं डेयरी से संबंधित प्रतिष्ठान खुले रहेंगे। किराना स्टोर से खाने-पीने का सामान ले सकेंगे। अधिकांश राज्य सरकारों आदेश दिया है कि जीवन के लिए जरूरी सामानों को अपने निकटतम स्थानों से खरीदें। इन आदेशों की अवमानना करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी।


नक्सलियों के  ऐंबुश  में 17 जवान शहीद

नक्सलियों के  ऐंबुश  में 17 जवान शहीद



लापता 14 जवानों के 20 घंटे बाद मिले शव 
एजेंसी
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा में मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गए। लापता हुए 14 जवानों के शव 20 घंटे बाद मिले। 3 जवानों के शहीद होने की देर रात ही पुष्टि हो गई थी। शहीद होने वाले 12 जवान डीआरजी के और 5 एसटीएफ के हैं। नक्सली 12 एके-47 समेत 15 हथियार भी लूटकर ले गए। बस्तर आईजी पी0 सुंदरराज ने इसकी पुष्टि की है। 
पुलिस को कसालपाड़ इलाके में बड़ी संख्या में नक्सलियों के जमा होने की खबर मिली थी। इसके बाद डीआरजी, एसटीएफ ओर कोबरा के 550 जवान दोरनापाल से रवाना किए गए। बताया जा रहा है कि जवान नक्सलियों को सरप्राइज एनकाउंटर में फंसाना चाह रहे थे, लेकिन नक्सलियों तक यह खबर पहले ही पहुंच गई। नक्सलियों ने रणनीति के तहत जवानों को जंगलों के अंदर तक आने दिया। 
जवान कसालपाड़ के आगे तक गए और जब नक्सली हलचल नहीं दिखी तो वे लौटने लगे। जैसे ही सुरक्षा बल कसालपाड़ से निकले, शाम करीब 4 बजे नक्सलियों के लगाए एंबुश में फंस गए। कसालपाड़ से कुछ दूर कोराज डोंगरी के पास नक्सलियों ने पहाड़ के ऊपर से जवानों पर हमला बोल दिया। अचानक हुई गोलीबारी में कुछ जवान घायल हो गए। अचानक हुए इस हमले से जवानों को संभलने का मौका नहीं मिला। 
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मुठभेड़ में कई नक्सली भी मारे गए हैं। 14 घायल जवानों को रायपुर में भर्ती किया गया है। इनमें से दो जवानों की हालत नाजुक है। बताया जा रहा है कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब डीआरजी के जवानों को इतनी बड़ी संख्या में निशाना बनाया गया हो।


यूपीजेइंए द्वारा उपाकालि (यूपीसीएल) के फरमान पर विरोध दर्ज

यूपीजेइंए द्वारा उपाकालि (यूपीसीएल) के फरमान पर विरोध दर्ज



उपाकालि के प्रबंध निदेशक को नहीं कर्मचारी अधिकारियों की चिंता!
संवाददाता
देहरादून। एक ओर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा लोगों से कोरोना वायरस के चलते सोशल डिस्टेंसिंग की अपील की जा रही है। कर्मचारियों को घर से काम करने को कहा गया है। वही यूपीसीएल को नोबेल कोरोना यानि कोविड 19 का खौफ नहीं है। उसके रवैये ऐसा लगता है कि उसे ना अपने कर्मचारियों की फिक्र है और ना अपने उपभोक्ताओं के सेहत की चिंता ही है।
गौरतलब है कि यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक के कार्यालय द्वारा जारी पत्र 2962 दिनांक 18 मार्च 2020 के अनुपालन में विद्युत विभाग के कर्मचारी डोर टू डोर जाकर विद्युत बिल संग्रह कर रहे हैं तथा बकायेदारों के विद्युत संयोजनों को विच्छेद करने का कार्य किया जा रहा है। वहीं विद्युत कार्यालयों में इस संदर्भ में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं का आगमन हो रहा है। जिससे कोरोना वायरस के संक्रमण की संभावना प्रबल हो गई है।
प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री द्वारा एक और जनता से नोबल कोरोना के संक्रमण से बचाव की अपील की जा रही है तो वहीं प्रदेश के यूपीसीएल एमडी द्वारा कोरोना से देश की जंग का मजाक उड़ाया जा रहा है। लेकिन उनकी इस लापरवाही के खिलाफ उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने अपना विरोध दर्ज कराया है।
एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष दीपक पाठक द्वारा 20 मार्च को पत्रांक 20032/उ०पा०जू०इं०ए० के माध्यम से यूपीसीएल एमडी से आग्रह किया गया है कि कोरोना वायरस प्रकोप के चलते वर्तमान हालात को देखते हुए विद्युत व्यवस्था जैसी अनिवार्य सेवा को छोड़कर अन्य सेवा, मसलन लाइन विच्छेदन, बकाया वसूली या अन्य राजस्व कार्य तथा उपभोक्ताओं के अन्य कार्यों को अस्थाई रूप से स्थगित किया जाए।
बता दें कि यूपीसीएल के एमडी कार्यालय द्वारा जारी उक्त फरमान के प्रति विभाग में रोष बढ़ता जा रहा है और ग्राउंड लेवल पर कार्य करने वाले कर्मचारी अधिकारी भी अब उक्त फरमान के खिलाफ खड़े होने लगे हैं। यह कोरोना वायरस के खिलाफ देश की जंग के लिए जागरूकता का प्रमाण है। लेकिन सवाल कायम है यूपीसीएल एमडी को अक्ल कब आएगी।


 


अपर निदेशक सूचना ने कोरोना का बहाना कर मिलने से किया इंकार

अपर निदेशक सूचना ने कोरोना का बहाना कर मिलने से किया इंकार



विधानसभा के घेराव व प्रदर्शन के नोटिस पर की मुलाकात
संवाददाता
देहरादून। स्थानीय समाचार पत्रों की लगातार उपेक्षा व भेदभाव नीति के विरोध में उत्तराखंड पत्रकार संयुक्त सघर्ष समिति का एक प्रतिनिधिमण्डल सूचना निदेशालय पहुंचा। अपर निदेशक सूचना ने कोरोना का बहाना कर प्रतिनिधिमंडल ने मिलने से इनकार कर दिया तथा ज्ञापन लेने एक कर्मचारी को नीचे भेजा। जिसपर प्रतिनिधिमंडल में शामिल पत्रकार आक्रोशित हो गए तथा वहीं पर 23 मार्च को धरना व प्रदर्शन करने व 25 मार्च को होने वाले विधान सभा बजट सत्र में विधानसभा के घेराव व प्रदर्शन का नोटिस दे दिया जिसपर अपर निदेशक डा0 अनिल चन्दोला ने प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए अपने कार्यालय में आमंत्रित किया। 
प्रतिनिधि मण्डल ने उनसे महानिदेशक सूचना से वार्ता कराने का आग्रह किया। जिसको स्वीकार करते हुए प्रतिनिधिमंडल की वार्ता महानिदेशक से कराई गई। समिति के संयोजक मनमोहन लखेड़ा व डा0 वीडी शर्मा ने अपर निदेशक सूचना के रवैए पर नाराजगी जतायी। प्रतिनिधिमंडल ने महानिदेशक को प्रेषित ज्ञापन में विभाग द्वारा क्षेत्रीय समाचार पत्रों के साथ भेदभावपूर्ण रवैये पर ध्यान आकृष्ट कराया। विज्ञापन आवंटन में पक्षपातपूर्ण रवैये पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई। 
ज्ञापित किया गया कि लघु व मंझौले समाचार पत्रों को सरकार के 3 वर्ष पूर्ण होने पर मात्र 450 वर्ग सेमी का विज्ञापन जारी करना व 5 बड़े बाहरी समाचार पत्रांे को 8 से 10 पेज के विज्ञापन जारी करना उत्तराखण्ड के स्थानीय अखबारों के साथ सरासर अन्याय है। जिसपर महानिदेशक महोदय द्वारा एक दो दिन में निर्णय लेने का आश्वासन दिया गया। समिति ने तय किया कि यदि इस दिशा में कोई सकारात्मक कार्यवाही विभाग द्वारा अमल में नहीं लाई गई तो समिति अगली कार्यवाही करने की बाध्य होगी। जिसकी समस्त जिम्मेदारी विभाग व उनके शीर्ष अधिकारियों की होगी।                   
प्रतिनिधिमंडल में गिरीश पन्त, संजीव पन्त, उमाशंकर प्रवीण मेहता, एससी भटनागर, रजनीश ध्यानी, निशा रस्तोगी,  विजय जायसवाल आदि शामिल थे।


सुपर कंप्यूटर ने खोज निकाला कोरोना वायरस का तोड़!

सुपर कंप्यूटर ने खोज निकाला कोरोना वायरस का तोड़!



एजेंसी
न्यूयार्क। दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है, ऐसे में विज्ञान ने एक उम्मीद की किरण दिखायी है। दुनिया के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर ने ऐसे केमिकल्स की पहचान की है, जो कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में सक्षम हैं। इन केमिकल्स की पहचान के बाद जानलेवा कोरोना की वैक्सीन का रास्ता खुल सकता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंससे लैस आईबीएम के सुपर कंप्घ्यूटर समिट ने ऐसे केमिकल्स की पहचान कर ली है जो कोरोना को रोकने में सक्षम है। संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रमुख टीवी चौनल सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार इस परीक्षण के दौरान सुपर कंप्यूटर समिट ने हजारों टेस्ट किये। इसमें से 77 ऐसे रसायनों की पहचान की गई, जो कोरोना के वायरस को फैलने से रोकने में कारगर हैं। इनसे वैक्सीन बनाने में मदद मिल सकती है। 8,000 से अधिक कंपाउंड्स टेस्ट कर उन तत्वों की पहचान हुई है, जो इस वायरस से जुड़कर उसे इंसानी कोशिकाओं से जुड़ने से रोक सकते हैं।
इस खोज के बाद अब कोरोना के सबसे असरदार वैक्सीन का रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। यह एक्सपेरिमेंट ओक रजि नैशनल लैबोरेटरी ने किया है। अब शोधकर्ताओं की टीम समिट पर दोबारा इन 77 रसायनों की जांच करेगी और कोरोना के खात्मे के लिए सबसे अच्छा मॉडल तैयार करेगी।
बताते चलें कि सुपर कंप्यूटर समिट को दुनिया की समस्याओं को सुलझाने के लिए ही तैयार किया गया है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने वर्ष 2014 में समिट पर काम शुरू किया था। यह सुपर कंप्यूटर 200 पेटाफ्लॉप की गणना करने में सक्षम है। यह सबसे तेज लैपटॉप से 10 लाख गुना ज्यादा शक्तिशाली है।
मालूम हो कि चीन के वुहान से फैलना शुरू हुआ कोरोना वायरस का संक्रमण आज दुनिया के लगभग हर कोने में पहुंच चुका है। इस वायरस का तेजी से फैलता संक्रमण विश्व समुदाय के लिए गंभीर चिंता का सबब बन गया है। दुनियाभर में 2,76,714 लोग कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हो चुके हैं और 11,421 की मौत हो चुकी है। वहीं भारत भर में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 275 है, जबकि 4 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।
भारत के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। दो सप्ताह तक हमने कोरोना को कंट्रोल में रखा है। तीसरे और चौथे सप्ताह में सबसे ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है क्योंकि दुनिया के सभी देशों में देखा गया है कि इसी समय कोरोना के विषाणु तेजी से फैलते हैं।
अगर भारत ने इस समय कोरोना को फैलने से रोक लिया, तो कोविड-19 पर यह बहुत बड़ी जीत मानी जाएगी। यदि आप भारत को जीतता हुआ देखना चाहते हैं तो सावधान रहें, सतर्क रहें और कोरोना का कोई भी लक्षण दिखे तो सीधे डॉक्टर से संपर्क करें।


नोवेल कोरोना वायरस की सही जानकारी

नोवेल कोरोना वायरस की सही जानकारी



प0नि0डेस्क
देहरादून। अफवाह है कि नोवेल कोरोना वायरस एयरोसोल के माध्यम से फैल सकता है। इसलिए हम खिड़की खोलकर ताजा हवा नहीं ले सकते नहीं तो संक्रमित होने की आशंका है, यह गलत है। वास्तव में नोवेल कोरोना वायरस मुख्य तौर पर श्वसन मार्ग से उड़ने वाले छोटे जलकण और घनिष्ठ स्पर्श से फैलता है। 
एयरोसोल अत्यधिक छोटे जलकण या ठोसकण होते हैं, जो लंबे समय तक हवा में उड़ते रहते हैं। अगर लंबे समय तक खिड़की नहीं खोलें तो बंद वातावरण में एयरोसोल का घनत्व बढ़ेगा। इस स्थिति में वायरस के एयरोसोल के माध्यम से फैलाने की आशंका बनी रहती है।
फ्रलू, नोरोवायरस, सार्स और चेचक जैसे संक्रामक रोग से पैदा एयरोसोल सिर्फ निश्चित स्थिति में फैल सकता है। उदाहरण के लिए मरीजों को बचाने के लिए एंडोट्रैचियल इंटुबैशन के दौरान छोटे एयरोसोल मरीजों के आसपास वाले क्षेत्र में उड़ते रहते हैं। ऐसी हालत में एयरोसोल से फैलाव हो सकता है। इसलिए सिर्फ निश्चित स्थिति में और बड़े घनत्व वाले वातावरण में नोवेल कोरोना वायरस एयरोसोल के माध्यम से फैल सकता है। 
अगर हम खिड़की खोलकर ताजा हवा लेते हैं तो रोगी कक्षा में वायु बड़ी मात्रा में बहती है, ऐसे में वायु में मौजूद वायरस के एयरोसोल की सघनता कापफी हद तक कम होगी। इसलिए हम रोजाना खिड़की खोलकर कमरे को हवादार बनाना चाहिए।
दूसरी अफवाह है कि तंबाकू के कण नैनो आकार के होते हैं। वे समान रूप से फेपफड़े के सेल के ऊपर वितरित होते हैं, जिससे रक्षा आवरण तैयार हो सकता है और वायरस को रोका जा सकता है। इसलिए सिगरेट पीने से नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है।
यह गलत है। वास्तव में तंबाकू जलने से दो तत्व पैदा होते हैं। एक है कार्बन मोनोआक्साइड जैसी गैस, जिसका अनुपात 90 प्रतिशत है और दूसरा है निकोटीन और टार जैसे ठोस कण। चीनी रोग रोकथाम और नियंत्राण केंद्र के अनुसार इन ठोस कण का आकार 1 से 2.5 माइक्रोन तक होता है, जो नैनो आकार नहीं होता। जबकि सभी वायरस नैनो आकार के हैं। 1 माइक्रोन 1000 नैनोमीटर के बराबर होता है। इसलिए तंबाकू के कण वायरस नहीं रोक सकते जैसा कि हम जाली से पानी को छानते हैं। यह अवास्तविक है।
तंबाकू वायरस को नहीं रोक सकता, इसके विपरीत हमारे श्वसन मार्ग को नुकसान पहुंचाता है। अनुसंधान से पता चलता है कि तंबाकू में 7000 से अधिक रासायनिक पदार्थ मौजूद हैं, जिनमें दसियों पदार्थ कैंसरजनक होते हैं। अनुसंधान यह भी बताता है कि सिगरेट पीने से फ्रलू होने का खतरा भी बढ़ता है।
अफवाह है कि सुपरमार्केट में जो सब्जी, फल और मांस रखे हुए हैं, लोग हाथों से इन्हें चुनते हैं। इसलिए नोवेल कोरोना वायरस सब्जी और फल जैसे खाद्य पदार्थों से पफैल सकता है। यह सही नही है। वास्तव में वायरस बैक्टिरियल से अलग होते हैं। नोवेल कोरोना वायरस मुख्य तौर पर श्वसन मार्ग से उड़ने वाले छोटे जलकण और स्पर्श से फैलता है। 
नागरिकों को विवेकपूर्ण रूप से इसे समझना चाहिए और अत्यधिक भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं है कि वायरस सब्जी, फल और मांस जैसे खाद्य पदार्थों में जीवित रह सकता है। अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है कि सब्जी, फल और मांस खाने से नोवेल कोरोना वायरस निमोनिया का संक्रमण फैलता है। 
महामारी की रोकथाम और नियंत्रण के दौरान हमें गर्म खाना और पका हुआ भोजन खाना चाहिए, जबकि कच्चे या ठंडे खाने से बचना चाहिए।
अफवाह है कि ज्यादा शराब पीने से नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है। यह बात भी गलत है। वास्तव में 75 प्रतिशत अल्कोहल छिड़कने और साफ करने से वायरस को मारा जा सकता है, लेकिन पीने से नहीं। शराब पीने के बाद यह हमारे पाचन तंत्र से गुजरती है। लेकिन नोवेल कोरोना वायरस निमोनिया श्वसन संबंधी रोग है।
चिकित्सा अल्कोहल से हमारे दोनों हाथ, मोबाइल फोन, दरवाजे के हैंडल और लिफ्रट के बटन आदि साफ करने से वायरस मारने में मददगार है, लेकिन ज्यादा शराब पीने से वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती, बल्कि इसका हमारे शरीर को नुकसान पहुंचता है।
अफवाह है कि नोवेल कोरोना वायरस उच्च तापमान में नहीं रह सकता। इसलिए गर्म पानी से स्नान करने से वायरस को मर सकता है। यह बात भी गलत है। वास्तव में कम से कम 56 डिग्री सेल्सीयस के वातावरण में 30 मिनट तक रखने के बाद नोवेल कोरोना वायरस को मारा जा सकता है। वस्तु का कीटाणुशोधन करते समय हम इस उपाय का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अगर हम 56 डिग्री सेल्सीयस के पानी में 30 मिनट तक स्नान करते हैं, तो थर्माेप्लेजिया से ग्रस्त होंगे और जीवन के लिए खतरा होगा। क्योंकि हमारा शारीरिक तापमान आम तौर पर स्थिर रहता है। गर्म पानी से स्नान करने से शारीरिक तापमान नहीं बढ़ाया जा सकता इसलिए वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती।
अफवाह है कि चाय पीने से नोवेल कोरोना वायरस की रोकथाम की जा सकती है। यह गलत है। वास्तव में अब तक कोई सबूत नहीं मिला है कि चाय वायरस को रोकने में लाभदायक है। चाय पीने से हमारे शरीर में पानी की पूर्ति की जाती है। यह अच्छा है, लेकिन वायरस की रोकथाम से कोई संबंध नहीं होता। सबसे अच्छा उपाय है कि अकसर खिड़की खोलकर ताजा हवा लें, स्वच्छता पर ध्यान दें, अकसर हाथ सापफ करें, पका हुआ भोजन खाएं और भीड़भाड़ वाली जगह पर न जाएं।
अफवाह है कि लहसुन खाने से नोवेल कोरोना वायरस को मारा जा सकता है। यह गलत है। वास्तव में लहसुन से निकाली गई वस्तु रोगाणु का नाश कर सकती है, लेकिन लहसुन और इससे निकाली गई वस्तु में बड़ा फर्क होता है। अब तक कोई सबूत नहीं मिला है कि लहसुन वायरस की रोकथाम कर सकता है। इसकी वायरस को मारने की संभावना भी नहीं होती।
अफवाह है कि प्याज नोवेल कोरोना वायरस को अभिलग्र कर सकता है। यह गलत है। वास्तव में कमरे में प्याज रखने से वायरस की रोकथाम नहीं की जा सकती। प्याज लंबे समय से रखने के बाद खराब हो जाता है। बेहतर है कि बाजार से प्याज खरीदने के बाद जल्दी से खाएं। प्याज खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
अफवाह है कि नमकीन पानी से कुल्ला करने से वायरस की रोकथाम की जा सकती है। यह गलत है। वास्तव में नमकीन पानी से कुल्ला करना मुंह और गला साफ करने के लिए लाभदायक है और गले की झिल्ली की सूजन दूर करने में मददगार है। लेकिन नोवेल कोरोना वायरस श्वसन मार्ग को नुकसान पहुंचाता है। कुल्ला करने से श्वसन मार्ग सापफ नहीं हो सकता। अब तक कोई सबूत नहीं है कि नमकीन पानी नोवेल कोरोना वायरस को मार कर सकता है।


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