शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

पैर की नस चढ़ जाये तो अपनाएं आसान उपाय

पैर की नस चढ़ जाये तो अपनाएं आसान उपाय



प0नि0डेस्क
देहरादून। मांसपेशियों के सिकुड़ने से पैरों की नस चढ़ना एक आम समस्या है। तंतुओं में खराबी के कारण मांसपेशियों की गांठ बन जाती है, जिससे तेज दर्द होता है। यह स्थिति खतरनाक नहीं होती, ना ही कोई बड़ी समस्या है और अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कई बार दर्द तेज होता है। यदि ऐसा बार-बार हो रहा है तो बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है।
मांसपेशियों पर दबाव पड़ने के कारण नस चढ़ती है। दिनभर की थकान के कारण पैरों की नस चढ़ती है। इससे मांसपेशियों में चोट पहुंच सकती है या ऐंठन आ सकती है। सामान्य सावधानियां बरतने से इससे बचा जा सकता है। नियमित व्यायाम और सामान्य मलहम से आराम मिल जाता है। वहीं दर्द बढ़ने पर बोटॉक्स के इंजेक्शन लगाने पड़ सकते हैं।
नस चढ़ें तो आजमाएं
शरीर में पोटेशियम की मात्रा घटने से नस पर नस चढ़ती है। केला इसका कारगर इलाज है। इसके अलावा शकरकंद, संतरे का जूूस, चुकंदर, आलू, खजूर, दही, टमाटर का नियमित सेवन नस पर नस चढ़ने की समस्या से निजात दिलाता है। सर्दी के दिनों में रात को सोते समय सरसों के तेल की मालिश करें। इससे गर्मी आएगी और कई फायदे होंगे। मांसपेशियां भी मजबूत होंगी। इसी तर्ज पर नारियल तेल से मालिश की जा सकती है। गर्दन, हाथ और पैरों की मसाज करें। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियों को बल मिलता है।
जिस जगह नस पर नस चढ़ी है, उस पर बर्फ से सिकाई करें। चंद मिनट में आराम मिल जाएगा। नमक की पोटली बनाकर गर्म सिकाई भी कारगर है। कई लोगों को रात में सोते समय नस चढ़ती है। ऐसे लोग सोते समय स्ट्रेचिंग करें यानी हाथ और पैरों की मांसपेशियों की खिंचाई करें। जिस पैर की नस चढ़ गई है, उस तरफ के हाथ के बीच वाली अंगुली की नाखुन और त्वचा के बीच वाले भाग को दबाएं। तत्काल आराम मिलेगा।
पुदीने का सेवन फायदेमंद है। इसका तेल तैयार कर मालिश करने पर भी आराम मिलता है। हल्दी वाले दूध का सेवन नस चढ़ने की समस्या को दूर करता है। लाल मिर्च में कैप्साइसिन पाया जाता है जो इसका रामबाण इलाज है।
नस पर नस चढ़ने का असर कुछ सेकंड से लेकर 15 मिनट तक रह सकता है। कई बार नस चढ़ने का दर्द इतना बढ़ जाता है कि रात में नींद नहीं आती है। यदि ऐसा बार-बार होता है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बुजुर्ग लोगों में ऐसा अधिक होता है। नस चढ़ने के कारण पैर में सूजन आ जाए तो तत्काल इलाज करना चाहिए। नस चढ़ने के दौरान पैरों में झटके लगते हैं। इस स्थिति में गर्भवती महिलाओं को अपना ध्यान रखना चाहिए। यदि हाथ और पैरों में लगातार दर्द रहता है या झुनझनी आती है तो इलाज करवाना चाहिए।


देहरादून से शुरू  होगी गोचर-चिन्यालीसौड़ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा

देहरादून से शुरू  होगी गोचर-चिन्यालीसौड़ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा


संवाददाता


देहरादून। देहरादून से गोचर और चिन्यालीसौड़ के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू होने जा रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 8 फरवरी को सहस्त्रधारा हेलीपैड से उड़ान योजना के अन्तर्गत सहस्त्रधारा-गौचर-सहस्त्रधारा हेली सेवा एवं सहस्त्रधारा-चिन्यालीसौड़-सहस्त्रधारा हेली सेवा का शुभारम्भ करेंगे।


मुख्यमंत्री के उड्डयन सलाहकार कैप्टन दीप श्रीवास्तव ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अथक प्रयासों से केन्द्र सरकार की उड़ान योजना के अन्तर्गत इस हेली सेवा का शुभारंभ किया जा रहा है।
हैरिटेज एविएशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा शुरू की जा रही इस डबल इंजन - 6 सीटर हेलीकॉप्टर सेवा की शुरुआत की जा रही है। उन्होंने बताया कि सहस्त्रधारा से गौचर हेली सेवा का किराया 4120 रुपए एवं सहस्त्रधारा - चिन्यालीसौड़ हेली सेवा का किराया 3350 रुपए होगा। हेली सेवा द्वारा प्रतिदिन 2 ट्रिप की जाएगी।

उबलते पॉपकॉर्न की तरह दिख रही सूरज की सतह

उबलते पॉपकॉर्न की तरह दिख रही सूरज की सतह



तस्वीर लेने वाली दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन
एजेंसी
न्यूयार्क। खगोलविदों ने सूर्य की सतह पर ली गई अब तक की सबसे विस्तृत तस्वीर जारी की हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह अमेरिका के हवाई द्वीप में नए ब्रांड डैनियल के इनौये सोलर टेलीस्कोप के माध्यम से देखा गया है। इसमें देखा जा सकता है कि सूर्य पॉपकॉर्न के उबलते हुए बर्तन की तरह दिख रहा है। एक पीले गोले की तरह दिख रहा है। यह दूरबीन दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन है।
रिपोर्ट के अनुसार नए जारी किए गए चित्र प्लाज्मा दिखता है जो सूर्य को ढंके हुए है और उबलता हुआ प्रतीत होता है। नेशनल सायंस फाउंडेशन डॉयरेक्टर फ्रांस कोर्डाेवा कहते हैं कि चूंकि एनएसएफ (नेशनल साइंस फाउंडेशन) ने जमीन पर स्थित इस टेलीस्कोप पर काम करना शुरू किया है, इसलिए हमें पहली तस्वीरों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। हम हम तस्वीरें और वीडियो शेयर कर सकते हैं, जिससे सूर्य के बारे में और अधिक पता चलेगा। यह सौर सतह की अब तक की सबसे हाई रिजॉल्यूशन की तस्वीरें हैं। पहले हमें लगता था कि वह एक उज्ज्वल बिंदु-ढांचे की तरह दिखती है लेकिन अब वह कई छोटी-छोटी संरचनाओं में नजर आ रही है।
उन्होंने कहा कि एनएसएफ के इनौये सोलर टेलीस्कोप सूर्य के कोरोना के भीतर चुंबकीय क्षेत्रों का नक्शा बनाने में सक्षम होंगे, जहां सौर विस्फोट होते हैं। ये सौर विस्फोट पृथ्वी पर जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। यह टेलीस्कोप अंतरिक्ष मौसम के बारे में हमारी समझ को बेहतर बनाएगा। पूर्वानुमानकर्ताओं को सौर तूफानों की बेहतर भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
यह तस्वीर 13 फुट के दर्पण वाली टेलीस्कोप के माध्यम प्राप्त हो पाया। दर्पण की वजह से यह सौर दूरबीन के लिए सबसे बड़ा हो जाता है। यह मूल रूप से उन्नत प्रौद्योगिकी सौर टेलीस्कोप के रूप में जाना जाता है। दिसंबर 2013 में दिवंगत सीनेटर डैनियल इनौये के सम्मान में इसका नाम बदल दिया गया था।
एनएसएफ के खगोल विज्ञान विभाग के प्रोग्राम निदेशक डेविड बोबोल्ट्ज ने कहा कि अगले छह महीनों में इनौये टेलिस्कोप के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और टेक्नीशियन की टीम अंतरराष्ट्रीय सौर वैज्ञानिक समुदाय द्वारा उपयोग के लिए टेलीस्कोप का परीक्षण और स्थापना जारी रखेगी। इनौये सोलर टेलीस्कोप अपने जीवनकाल के पहले पांच वर्षों के दौरान हमारे सूर्य के बारे में अधिक जानकारी एकत्र करेगा। इससे पहले गैलीलियो ने 1612 में सूर्य के बारे में विशेष जानकारी के लिए पहली बार एक टेलीस्कोप को स्थापित किया था।


 


बजट से मिलेगी 1 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों को खुशखबरी!

बजट से मिलेगी 1 करोड़ केंद्रीय कर्मचारियों को खुशखबरी!



एजेंसी
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश के सामने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेगी। इस बजट से देश कई उम्मीदें लगाए बैठा है। वहीं केंद्रीय कर्मचारी महंगाई भत्ते (डीए) में बढ़ोत्तरी की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
50 लाख से ज्यादा कर्मचारी और लगभग इतने ही पेंशनर्स को उम्मीद है कि सरकार डीए में कम से कम 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी करेगी। अगर डीएम में इतनी बढ़ोत्तरी होती है तो वेतन और पेंशन में 700 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक की बढ़ोत्तरी होगी। यह बढ़ोत्तरी पे-मेट्रिक्स पद के आधार पर होगी।
डीए में इतनी बढ़ोत्तरी के बाद यह 17 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो जाएगा। इस बढ़ोतरी का मतलब है कि कर्मचारियों की सैलरी में न्यूनतम 720 रुपए से 10,000 रुपए तक इजाफा हो सकता है। डीए में 4 फीसदी की बढ़ोत्तरी इसलिए भी की जा सकती है क्योंकि नवंबर 2019 के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े आ चुके हैं। यह बढ़कर 328 अंक पर पहुंच गया है।
बता दें कि कर्मचारी न्यूनतम वेतन में बढ़ोत्तरी का भी इंतजार कर रहे हैं। कर्मचारियों की मांग है कि न्यूनतम वेतन को 18 हजार रुपये से बढ़ाकर 26 हजार रुपये किया जाए। कर्मचारी काफी लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं।


गुरुवार, 30 जनवरी 2020

20 बच्चों को बंधक बनाया

20 बच्चों को बंधक बनाया



सिरफिरे युवक की गोलीबारी में ग्रामीण समेत दो पुलिकर्मी घायल
एजेंसी
फर्रुखाबाद। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में एक सिरफिरे युवक ने 20 बच्चों को एक घर में बंधक बना लिया। इतना ही नहीं युवक घर के अंदर से बमबाजी और फायरिंग भी कर रहा है। अपराधी की फायरिंग में एक ग्रामीण घायल हो गया। वहीं बमबाजी से मकान की दीवार ढहने से दो पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गए।
जानकारी के मुताबिक जिले के मोहम्मदाबाद कस्बे में अज्ञात सिरफिरे युवक ने 20 बच्चों को बंधक बना लिया। जिस मकान में युवक ने बच्चों को बंधक बनाया है, वहां से वह फायरिंग और बमबाजी भी कर रहा है। पुलिस ने बताया कि अपराधी ने बच्चों को दोपहर ढाई बजे से बंधक बना रखा है। उसकी फायरिंग में एक ग्रामीण घायल हुआ है।
अपराधी द्वारा की गई बमबाजी से मकान की दीवार ढह गई, जिसकी चपेट में आने के दो पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गए। मीडिया से बात करते हुए कानपुर रेंज के आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि क्राइसिस से निपटने के लिए एटीएस को बुलाया जा रहा है।


गॉड्स क्रिएशन सोसायटी द्वारा ’उड़ान’ कार्यक्रम का आयोजन

गॉड्स क्रिएशन सोसायटी द्वारा ’उड़ान’ कार्यक्रम का आयोजन



संवाददाता
देहरादून। गॉड्स क्रिएशन सोसायटी द्वारा ’उड़ान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में महापौर सुनील उनियाल गामा, विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रदेश खनिज राज्यमंत्री राजकुमार पुरोहित, क्षेत्रीय पार्षद अनूप नौडियाल एवं वरिष्ठ समाज सेवक सागर गुरुंग एवं गॉड्स क्रिएशन के स्वयंसेवक भी मौजूद रहे। 
कार्यक्रम में अलग-अलग कक्षा के छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। जिसमें नृत्य, संगीत एवं नाटक की प्रस्तुति उनके द्वारा दी गई। क्रिएशन परिवार की छात्रा को समाज सेवक सागर गुरुंग द्वारा छात्रवृत्ति प्रदान की गई। मेयर, राज्यमंत्री एवं सभी अतिथियों ने बच्चों का मनोबल बढ़ाया। गॉड्स क्रिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्तिकेय बिशनोई के योगदान के लिए आभार व्यक्त करते हुए उनके द्वारा समाज के प्रति निस्वार्थ सेवा की प्रशंसा की।
इस अवसर पर गॉड्स क्रिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्तिकेय बिशनोई, कपिल गर्ग, आकाश सिंह, मुदित बलूनी, अमन सिंह, मंजू, पूर्णिमा, प्रतिभा, प्रियांशु ,गौरव, अनिकेत, सिद्धार्थ, उज्जवल, प्रिया, गार्गी, निखिल, पूनम एवं परिवार के अन्य सदस्य मौजूद रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्तिकेय बिशनोई ने सभी अतिथियों का और गॉड्स क्रिएशन के परिवार के समस्त सदस्यों का आभार व्यक्त किया।


कोरोना वायरस के लिए आयुष मंत्रालय की चेतावनी

कोरोना वायरस के लिए आयुष मंत्रालय की चेतावनी



एजेंसी
नई दिल्ली। कोराना वायरस तेजी से फैल रहा है। पूरा विश्व इसके कोरोना वायरस के भयभीत है। आयुष मंत्रालय के तहत अनुसंधान परिषदों ने भारतीय पारंपरिक औषधि प्रणालियां आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी पर आधारित चेतावनी जारी की है।
आयुर्वेदिक परंपराओं के अनुसार रोकथाम प्रबंधन के लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं-
व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें। साबुन और पानी से अपने हाथों को कम से कम 20 सेकैंड तक धोएं। कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को अक्सर साबुन और पानी से धोएं। 
शदांग पनिया (मुस्ता, परपाट, उशीर, चंदन, उडिच्य़ा और नागर) प्रसंस्कृत पानी (1 लीटर पानी में 10 ग्राम पाउडर डाल कर उबालें, जब तक यह आधा तक कम न हो जाए) पी लें। इसे एक बोतल में स्टोर करें और प्यास लगने पर पिएं।
बिना धोए हाथों से अपनी आंखें, नाक और मुंह छूने से बचें। जो लोग बीमार हैं उनसे निकट संपर्क से बचें। बीमार होने पर घर पर रहें। खांसी या छींक के दौरान अपना चेहरा ढंक लें और खांसने या छींकने के बाद अपने हाथों को धो लें। अक्सर छुई गए वस्तुओं और सतहों को साफ करें।
संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर यात्रा करते समय या काम करते समय एक एन95 मास्क का उपयोग करें। यदि आपको कोरोना वायरल संक्रमण का संदेह है, तो मास्क पहनें और तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें।
आयुर्वेदिक प्रथाओं के अनुसार रोगनिरोधी उपाय-
स्वस्थ आहार और जीवन शैली के माध्यम से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए उपाय किए जाएंगे। अगस्त्य हरितकी 5 ग्राम, दिन में दो बार गर्म पानी के साथ। शेषमणि वटी 500 मिलीग्राम दिन में दो बार। त्रिकटु (पिप्पली, मारीच और शुंठी) पाउडर 5 ग्राम और तुलसी 3-5 पत्तियां (1-लीटर पानी में उबालें, जब तक यह ) लीटर तक कम नहीं हो जाता है और इसे एक बोतल में रख लें) इसे आवश्यकतानुसार और जब चाहे तब घूंट में लेते रहें।
प्रतिमार्स नास्य- प्रत्येक नथुने में प्रतिदिन सुबह अनु तेल/तिल के तेल की दो बूंदें डालें।
’ यह सलाह केवल सूचना के लिए है और इसे केवल पंजीकृत आयुर्वेद चिकित्सकों के परामर्श से अपनाया जाएगा।
आयुष मंत्रालय की पहल से सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (सीसीआरएच) ने 28 जनवरी को अपने वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड की 64वीं बैठक में कोरोमा वायरस संक्रमण से बचाव के तरीकों और उपायों पर चर्चा की। विशेषज्ञों के समूह ने सिफारिश की है कि होमियोपैथी दवा आर्सेनिकम एल्बम 30 को कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ रोगनिरोधी दवा के रूप में अपनाया जा सकता है, जिसे आईएलआई की रोकथाम के लिए भी सुझाया गया है। 
इसने आर्सेनिकम एल्बम 30 की एक डोज की सिफारिश की है, जो प्रतिदिन खाली पेट में तीन दिनों के लिए इस्तेमाल की जाती है। खुराक को एक महीने के बाद दोहराया जाना चाहिए ताकि समुदाय में प्रबल होने वाले कोरोना वायरस संक्रमण के उसी शेड्यूल का पालन किया जा सके। इसके अलावा विशेषज्ञ समूह ने सलाह दी है कि रोग की रोकथाम के लिए भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सुझाए स्वास्थ्यकर उपायों का जनता द्वारा पालन किया जाना चाहिए।
कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण प्रबंधन में उपयोगी यूनानी दवाएं-
शरबतउन्नाब 10-20 मिली दिन में दो बार,
तिर्यकअर्बा 3-5 ग्राम दिन में दो बार,
तिर्यक नजला 5 ग्राम दिन में दो बार,
खमीरा मार्वारिद 3-5 ग्राम दिन में एक बार,
स्कैल्प और छाती पर रोगन बाबूना/रोगन मॉम/कफूरी बाम से मालिश करे। नथुने में रोगन बनाफशा धीरे लगाएं। अर्क अजीब 4-8 बूंद ताजे पानी में लें और दिन में चार बार इस्तेमाल करें। बुखार होने की स्थिति में हब ए एकसीर बुखार 2 की गोलियां गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लें।
10 मिली शरबत नाजला 100 मिली गुनगुने पानी में दो बार रोजाना पिएं। क़ुरस ए सुआल 2 गोलियों को प्रतिदिन दो बार चबाना चाहिए। शरबत खाकसी के साथ-साथ निम्नलिखित एकल यूनानी दवाओं के अर्क का सेवन करना बहुत उपयोगी है-
यूनानी दवाई का नामः चिरायता, इंडियन जेंटियन, स्वेर्तिया चिराता कर्स्ट, कासनी, कॉमन चिकोरी चिचोरीयमींटीबस लिन, अफसन्टीस, कॉमन सेजवार्ट, आर्टीमिसिया एबसिंथिसम लिन, नानखावा, अजोवान, ट्राचिस्परमूमामी स्प्रेग, गावजावेन, बोरेज, बोरेज आफिसीनालिस लिन, नाम छाल, मारगोसा, आजारिराक्टइंडिका ए0 जुस, सादकूफी, साइप्री ऑल, साइपरूस्कैरिअस आर बीआर।
निम्नलिखित यूनानी दवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है -
बेहिदाना, क्यून्स, साइडोनिया ओबलोंगाः 3 ग्राम।
उन्नाब, जुजुबी, जीजीफुस जुजुबी लिन, सपिस्तान, एसिरियन पल्म, कोरडिया मिक्सा लिन।
दारचीनी, सीन्नामोम, सिन्नामोमुमजेलेनीकमः 3 ग्राम। 
बनाफसा, स्विट वायलेट, वियोला ओडोराटा लिनः 5 ग्राम।
बर्ज-ए-गोजाबान, बोरेज, बोरेजो ऑफीसिनालिस लिनः 7 ग्राम।
गले में जख्म होने पर निम्नलिखित यूनानी दवाओं का इस्तेमाल करें-
खसखस, पापावरसोमनीफेरमः 12 ग्राम।
बाजरूलबंज, हायोसियामूसनिगरः 12 ग्राम।
पोस्ट खसखस, पापावरसोमनीफेरमः 12 ग्राम।
बर्ज-ए-मोर्द (हबुलास), मृतुस्कोमुनिसः 12 ग्राम।
तुख्म-ए-काहू मुकासर, लेक्टुका सतीवाः 12 ग्राम।
गुलेसुर्ख, रोसा  डमासेनाः 12 ग्राम।
आहार संबंधी सलाह
यूनानी चिकित्सकों के सुझावों के अनुसार सुपाच्य, हल्का एवं नरम आहार के लिए सलाह दी जाती है।


कुमाऊं मण्डल के नगर निगमों को नहीं पता अपने मार्गों की चौड़ाई

कुमाऊं मण्डल के नगर निगमों को नहीं पता अपने मार्गों की चौड़ाई



12 मीटर से कम चौड़ी सड़कों पर स्थित भवनों पर सम्पत्ति कर एक समान दर से निर्धारित
संवाददाता
काशीपुर। कुमाऊं मण्डल के तीनों नगर निगमों को उनके अन्तर्गत आने वाले मार्गों की चौड़ाई की जानकारी नहीं है जबकि इनकी चौैड़ाई के आधार पर नगर निगम निवासियों को सम्पत्ति कर का भुुगतान करना होगा। यह चौैंकाने वाली जानकारी सूचना अधिकार से मिली हैै।



काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने कुमाऊं मण्डल के तीनों नगर निगमों से भवन कर के लिये उनके द्वारा निर्धारित न्यूनतम कारपेट एरिया दरों तथा सड़कांे की चौड़ाई की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में काशीपुर व हल्द्वानी नगर निगम द्वारा न्यूनतम कारपेट एरिया दरों की सूची तो उपलब्ध करायी गयी हैै लेकिन मार्गों की चौड़ाई की सूचना उपलब्ध न होने के आधार पर नहीं उपलब्ध करायी गयी है। 
काशीपुर व हल्द्वानी नगर निगमोें के लोक सूचना अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना केे अनुसार सम्पत्ति कर निर्धारित करने हेतु 12 मीटर सेे कम चौड़ी सड़क पर स्थित सभी पक्के भवनोें पर एक ही दर सेे टैक्स लगेगा जबकि 12 से 24 मीटर की सड़क पर स्थित भवनोे पर दूसरी तथा 24 मीटर सेे अधिक चौड़ी सड़क पर स्थित भवनों पर तीसरी दर सेे सम्पत्ति कर लगेगा। इसके अतिरिक्त अन्य भवनों, कच्चेे भवनोें तथा आवासीय भूखण्डो जिसमें भवन न बने हो के लिये भी इन्हीं मार्गोंं के आधार पर दर निर्धारित की गयी हैै। इस प्रकार 12 मीटर से कम चौैड़ी सड़कों जिसमें छोटी-छोटी गलियां भी शामिल है, के निवासियोें को एक ही दर से सम्पत्ति कर देना होगा जो पिछले सालों में भुगतान किये जा रहे टैक्स की अपेक्षा कई गुना ज्यादा है।
काशीपुर नगर निगमों के लोक सूचना अधिकारी/कर एवं राजस्व अधीक्षक द्वारा उपलब्ध करायी गयी निर्धारित दरों की सूची के अनुसार 12 मीटर सेे कम चौैड़ी सड़क पर स्थित पक्के भवनों की सर्वाधिक कारपेट एरिया दर बाजपुर रोड, पक्का कोट, जसपुर खुर्द, आवास विकास की 0.80 रूपये प्रति वर्ग फुट कारपेट एरिया प्रति माह निर्धारित की गयी हैै जबकि सिंघान, टांडा उज्जैन, कटोराताल, कटोराताल नीझड़ा तथा गंज की 0.70 रूपये प्रति वर्ग फुट तथा थानासाबिक कानून गोयान, कटरामालियान, लाहोरियान, अल्लीखां, लक्ष्मीपुर पट्टी, काजीबाग, रजवाड़ा तथा महेषपुरा की 0.60 रूपये प्रति वर्ग फुट तथा सबसे कम 0.40 रूपये प्रति वर्ग फुट कारपेट एरिया प्रति माह की दर किला, खत्रियान, रहमखानी, खालसा, ओझान, बांसफोड़ान की निर्धारित की गयी है।
नगर निगम हल्द्वानी की दरें काशीपुर की अपेक्षा कम है। नगर निगम हल्द्वानी काठगोदाम के लोक सूचना अधिकारी/अवर अभियंता द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूची के अनुसार 12 मीटर से कम चौड़ी सड़क पर स्थित पक्के भवनों की प्रति वर्ग फिट कारपेट एरिया दरों में सर्वाधिक 0.55 रूपये प्रति वर्ग फिट नैनीताल रोड की है जबकि वार्डवार दरों में 0.45 रूपये प्रति वर्ग फिट वार्ड नं0 3, 5, 6, 7, 8, 11, 12, 13, 15, 17, 18, 20, 22, 23, 24 व 25 के आंशिक क्षेत्रोें तथा वार्ड सं0 9, 10, 16, 19 के पूरे क्षेत्रों के लिये है। इन वार्डों के शेश भाग के लिये तथा वार्ड नं0 14, 21 के पूरे भाग के लिये 0.35 रूपये प्रति वर्ग फिट दरें निर्धारित की गयी हैै। 
रूद्रपुर नगर निगम के लोक सूचनाधिकारी द्वारा कारपेट एरिया दरेें भी नहीं उपलब्ध करायी गयी है।


बंगाली समुदाय ने 97वीं विद्या की देवी का जन्म उत्सव मनाया

बंगाली समुदाय ने 97वीं विद्या की देवी का जन्म उत्सव मनाया



संवाददाता
देहरादून। करनपुर बंगाली मौहल्ला लाइब्रेरी में आयोजित 97वीं बसंत पंचमी विद्या की देवी पूजा बंगाली पूजा समिति द्वारा उत्साह के साथ मनायी। गौर हो कि इस दिन विद्या बुद्धि और ज्ञान दायिनी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस उत्सव पर बंगाली समुदाय द्वारा देशभर में रंग रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन होता है। इस अवसर पर छोटे बच्चों की विद्या आरंभ करवाए जाने की परंपरा भी है, इसके अलावा विद्यार्थी, लेखन, कवि, गायक, वादक और साहित्य से जुड़े लोग भी इस दिन मां सरस्वती की आराधना करते हैं।
इस दिन दून के सबसे पुरानी पूजा करनपुर स्थित बंगाली लाईब्रेरी के नाम से बंगला पूजा समिति यह पूजा पिछले 97 वर्षाे से लगातार हर्षाेल्लास के साथ मनाती चली आ रही है। जिसमें बंगली लाईब्रेरी पूजा समिति के अध्यक्ष अलोक चक्रवर्ती ने बताया कि करनपुर स्थित बंगाली समिति द्वारा मां सरस्वती की पूजा अर्चना वैदिक विधि विधान के साथ की जाती। चक्रवर्ती ने बताया कि इस पूजा देहरादून व बाहर से बंगाली समुदाय के लोग बड़े उत्साह के साथ पूजा में प्रतिभाग करते है। 
मां को भोग प्रसाद अर्पित किया गया। पं0 कमला प्रसाद मुखर्जी द्वारा दोपहर पूजा प्रारम्भ की गई और फिर मां सरस्वती को पूजा समिति व श्रद्धालुओं द्वारा पुष्पांजली अर्पित की गई। इस दौरान बंगाली लाईब्रेरी पंडाल में बंगाली समुदाय की महिलाओं व पुरूषों ने पीले व सफेद वस्त्र पहने हुए थे। वही शाम को मां सरस्वती की पूजा अर्चना के साथ आरती की गई।
मां सरस्वती को श्वेत चन्दन और पीले तथा सफ़ेद पुष्प अवश्य अर्पित किया गया। मां सरस्वती के मूल मंत्र ‘ऐं सरस्वत्यै नमः’ का जाप कर सभी ने प्रसाद में कई प्रकार के फल, सफेद बर्फी या मिठाई, मिसरी, दही और लावा, केसर मिश्रित खीर अर्पित कर प्रसाद ग्रहण कियां।
इस उत्सव में करनपुर बंगाली पूजा समिति में अध्यक्ष आलोक चतुर्वेदी, आशीष भौमिक, श्रीमती अपर्णा चक्रवर्ती, सीएस बनर्जी, तनुश्री चक्रवर्ती, सुशांत मुखर्जी, अलका मुखर्जी, अरुण मुखर्जी, अरुण छेत्री, अभिजीत दास, सीमा दास, दिलीप दास, सिद्धार्थ दत्ता, पल्लव चौधरी, अभिजीत मुखर्जी, गौतम बनर्जी, पीके मित्रों, अनिल कुमार, विश्वनाथ मलखान, अमिताव घोष, एसके सिन्हा, रोहित दुग्गल, सुमित गोसाई, जेएस भट्टाचार्य, शोभा रानी, संजय बोस, जयदीप बनर्जी, आरएस चटर्जी, पंकज कन्नौजिया आदि श्रद्धालुओं ने प्रतिभाग किया।


बुधवार, 29 जनवरी 2020

डूम्स-डे ग्लेशियर के पिघलने का खतरा

डूम्स-डे ग्लेशियर के पिघलने का खतरा



यदि पिघला तो 12 बड़े देशों में मचेगी तबाही
एजेंसी
लंदन। अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित एक बड़ा ग्लेशियर तेजी से टूटता जा रहा है। ये कोई छोटा-मोटा ग्लेशियर नहीं है और इसका आकार लगभग गुजरात के क्षेत्रफल के बराबर है। इतना ही नहीं यह समुद्र के अंदर कई किलोमीटर की गहराई तक डूबा हुआ है। सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह तेजी से पिघल रहा है। अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया के सभी समुद्रों का जलस्तर अगले 50 सालों में 2 फुट और 70 सालों में करीब 5 फुट तक बढ़ जाएगा। इस ग्लेशियर का नाम है थ्वायटेस। इसे लोग डूम्स-डे ग्लेशियर भी कहते हैं। यानी वो ग्लेशियर जो कयामत वाले दिन पिघलेगा।
पिछले 30 सालों में इसके पिघलने की दर दोगुनी हो गई है। ग्लेशियर का क्षेत्रफल 192,000 वर्ग किलोमीटर है. यानी कर्नाटक के क्षेत्रफल 191,791 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा बड़ा और गुजरात के क्षेत्रफल 196,024 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा छोटा। सबसे बड़ी बात ये है कि थ्वायटेस ग्लेशियर समुद्र के अंदर चौड़ाई 468 किलोमीटर है। इस ग्लेशियर से लगातार बड़े-बड़े आइसबर्ग टूट रहे हैं। ब्रिटेन में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के प्रोफेसर अली ग्राहम ने बताया कि हाल ही में इस ग्लेशियर में छेद किया गया जिसके जरिए एक रोबोट को इस ग्लेशियर के अंदर भेजा गया। तब यह पता चला कि समुद्र के अंदर से यह ग्लेशियर बहुत तेजी से टूट रहा है।
इसके अंदर ग्रेट ब्रिटेन के आकार का छेद हो चुका है। प्रोफेसर अली ग्राहम ने बताया कि अगले 250 सालों में वैश्विक तापमान 2 से 2.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। इससे यह ग्लेशियर पूरी तरह पिघल जाएगा। इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग सबसे बड़ा कारण होगा। अगर यह ग्लेशियर टूटा तो दुनियाभर के समुद्रों का जलस्तर 2 से 5 फुट बढ़ जाएगा। इसका असर पूरी दुनिया के तटीय इलाकों पर पड़ेगा। मालदीव जैसे कई द्विपीय देश पानी में समा जाएंगे।
अमेरिका का शहर बोस्टन तो समुद्री जलस्तर बढ़ने पर आने वाली आपदा की तैयारी में अभी से जुट गया है। बोस्टन अपने तटीय इलाकों को करीब 11 फीट ऊंचा कर रहा है ताकि ग्लेशियर टूटने से अगर समुद्री जलस्तर बढ़े तो उसके लोगों और शहर को नुकसान न हो। अगर थ्वायटेस ग्लेशियर साल 2100 तक पूरा पिघल गया तो 12 विकासशील देशों की करीब 9 करोड़ आबादी को रहने के लिए नई जगह तलाशनी होगी। इतने बड़े पैमाने पर लोगों का विस्थापन दुनियाभर के देश बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे और कई देशों की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी।


ज्योतिष शोध ग्रंथ का विमोचन

‘जीवन रहस्यः कल, आज और कल’ ज्योतिष शोध ग्रंथ का विमोचन



विधायक विनोद चमोली द्वारा स्वामी शंकर मीना की पुस्तक का लोकार्पण
प0नि0संवाददाता
देहरादून। ज्योतिष विज्ञान के जानकार स्वामी शंकर मीना का ज्योतिष शोध ग्रंथ ‘जीवन रहस्य कल, आज और कल’ का धर्मपुर विधायक विनोद चमोली द्वारा विमोचन किया गया। 
परेड ग्राउण्ड़ स्थित उत्तरांचल प्रेस क्लब में ज्योतिष के जानकार स्वामी शंकर मीना की ज्योतिष विज्ञान पर आधारित पुस्तक ‘जीवन रहस्यः कल, आज और कल’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने अन्य अतिथियों के साथ दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरूवात की। 
कार्यक्रम के दौरान पुस्तक के लेखक एवं शोधकर्ता स्वामी शंकर मीना ने बताया कि उन्होंने अपने ज्ञान एवं जीवन के लंबे अनुभवों को पुस्तक में संजोया है। उन्होंने कहा कि हम सभी पंचतत्वों से बने है इसलिए उससे प्रभावित भी होते है। जीवन को सुखमय बनाने के लिए पंच तत्वों का संतुलन आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ज्योतिष विज्ञान है लेकिन इसके नामपर होने वाले अंधविश्वास से बचना चाहिये।
मुख्य अतिथि के तौर पर धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने कहा कि हमारे आज के कर्म पर हमारा भविष्य निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन अक्सर दूसरों को जानने में चला जाता है। उनका कहना था कि दूसरो को जानने से ज्यादा महत्वपूर्ण खुद को जानना है। 
बता दें कि मै0 मीना पेंटिंग वर्ल्ड एण्ड़ पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित 788 पृष्ठों की पुस्तक ‘जीवन रहस्यः कल, आज और कल’ को लेखक ने प्रश्नोत्तरी शैली में लिखा है। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत 15 जिज्ञासू ज्योतिषी को लेकर अपने प्रश्नों को उनके समक्ष रखते है और लेखक विस्तार से हर शंका का समाधान करते हुए उसे सरल और सहज रूप में पाठकों के सामने प्रस्तुत करते है। 
पुस्तक लेखक के अनुसार जीवन रहस्यों से सरोबार है और हम जन्म के अनुसार ग्रह नक्षत्रों की स्थितियों का आंकलन कर अपने वर्तमान एवं भविष्य को जान सकते है। लेकिन कई बार लोग गुरू घंटालों के फेर में पड़ जाते है। ऐसे जंजाल से छुटकारा दिलाने के लिए ही इस ग्रंथ की रचना की गयी है। 
स्वामी शंकर मीना का दावा है कि इस ग्रंथ का अध्ययन करके एक साधारण व्यक्ति भी अपनी सटीक जन्मकुण्डली खुद बना सकता है। अपना अच्छा बुरा जान सकता है। उनका कहना था कि आप अपने भाग्य विधाता खुद है, इस सच से परिचय कराने का यह गं्रथ छोटा सा प्रयास है। इसके पीछे धारणा यह है कि यदि समस्या का पता चल जाये तो हम उसका समाधान खुद खोज सकते है। 
इस अवसर पर सोमवारी लाल उनियाल, दीपक नागलिया, डा0 हरीश कोहली, मीना खेतान, आनंद दीवान सहित अनेक प्रबुद्वजन उपस्थित रहे।


परीक्षा के लिए एक्सपर्ट्स की राय

परीक्षा के लिए एक्सपर्ट्स की राय



प0नि0डेस्क
देहरादून। बोर्ड एग्जाम के समय बच्चे कन्फयूज रहते हैं। पढ़ाई का दबाव, परीक्षा की चिंता और परिवार वालों की उम्मीदों से घिरे बच्चों को परीक्षा के दिनों में क्या करना चाहिए!
अक्सर देखने को मिलता है कि परीक्षा के दिनों में विद्यार्थी घंटों पढ़ाई करने के बाद भी परेशान रहते हैं। इससे न केवल उनकी बेचैनी बढ़ती है, बल्कि उनकी दिनचर्या भी प्रभावित होती है। एक बार यह समस्या शुरू होने के बाद न सिर्फ पढ़ाई, बल्कि उनकी नींद और खानपान भी प्रभावित होता है। इसकी मुख्य वजह परीक्षा से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना होता है। इससे बचने के लिए नींद बेहद जरूरी है। छात्र कोशिश करें कि परीक्षा के दिनों में वे पर्याप्त नींद ले सकें। 6 से 8 घंटे की नींद लेने से वे परीक्षा हॉल में तरोताजा महसूस करेंगे।
परीक्षा की तैयारी के समय ग्रुप स्टडी अहम होती है, लेकिन किसके साथ ग्रुप स्टडी कर रहे हैं, यह देखा जाना भी जरूरी होता है। ग्रुप स्टडी उनके साथ ही करें, जिनकी तैयारी कमोबेश आप जितनी ही हो। ऐसा भी होता है जब ग्रुप में कुछ बच्चों की अधिक पढ़ाई हुई हो और कुछ की कम। ऐसे में कम पढ़ाई करने वालों को अधिक पढ़ लिए बच्चों के साथ सामंजस्य बैठाने में दिक्कत होती है। परीक्षा के दौरान ऐसे लोगों से भी दूर रहें, जो आपकी तैयारी के दौरान नीचा दिखाने की कोशिश करें।
कई बार परीक्षा पास आते ही छात्रा अचानक से 10-17 घंटे पढ़ना शुरू करे देते हैं। घबराहट में कम समय में अधिक से अधिक सिलेबस को कवर करने के चक्कर में छात्र जो पढ़ते हैं, वह उन्हें ठीक से याद नहीं होता। छात्रों को परीक्षा के आखिरी समय में पढ़ते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह जो पढ़े, ठोस पढ़े। सिलेबस खत्म करने के चक्कर में सब कुछ न पढ़ डाले। इससे तैयारी ठीक से नहीं हो पाती। बेहतर होगा कि स्टूडेंट्स पहले से ही थोड़ा-थोड़ा पढ़ते रहें।
हमारे देश में परीक्षा को अकैडमिक न मानकर, जीवन मान लिया जाता है। दूसरे बच्चों से तुलना करना और अच्छे नंबरों की चाह में अभिभावक कई बार अपने बच्चों पर उम्मीदों का पहाड़ लाद देते हैं। इससे बच्चा तनाव में आ जाता है। हर बच्चे की अलग तरह की खासियत होती है। उसके पढ़ने के तरीके से लेकर काम करने का ढंग अलग होता है। ऐसे में घर वालों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा कैसे और किस माहौल में पढ़ सकता है। उसे बेहतर करने के लिए प्रेरित करें, लेकिन बहुत अधिक उम्मीद न पालें।
बारहवीं के छात्रों को इस बार थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। इस बार साइंस के परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया है। बदलाव की सभी जानकारियां बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। परीक्षा में उत्तर लिखने के लिए पहले बच्चों को अधिक ऑप्शन मिलते थे, जो इस साल कम हुए हैं। लेकिन छात्रों को नए पैटर्न को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सिलेबस वही है, केवल पैटर्न में बदलाव किया गया है। बोर्ड की टेक्स्ट बुक के जरिए अच्छे से प्रैक्टिस करें, परिणाम बेहतर होंगे। साइंस में ध्वनि, लाइट, हीट इत्यादि चैप्टरों को अच्छे से तैयार कर लें। वहीं बायलॉजी में डायग्राम ठीक से तैयार कर लेना बेहतर होगा।
तैयारी में विराम लेना बेहद जरूरी है। लगातार पढ़ाई करते रहने से कई बार दिमाग में नई चीजें या कॉन्सेप्ट बैठते नहीं। इसके लिए बेहतर होगा कि हर दो घंटे पर एक ब्रेक जरूर लें। इस दौरान अपना पसंदीदा खेल खेल सकते हैं। आजकल ब्रेक मिलते ही बच्चे मोबाइल के इस्तेमाल में लग जाते हैं। इससे समय बर्बाद होने के अलावा ऊर्जा भी खत्म होती है। उनको चाहिए की तैयारी के दौरान किसी भी तरह के स्क्रीन ऐडिक्शन या उसके बहुत अधिक इस्तेमाल से बचें।


पांच टेस्ट हर महिला के लिए जरूरी 

पांच टेस्ट हर महिला के लिए जरूरी 



प0नि0डेस्क
देहरादून। जब बात सेहत की आती है तो कहा जाता है कि महिलाएं अपनी सेहत को बिल्कुल भी गंभीरता से नहीं लेतीं। पूरे परिवार के खाने-पीने, उनकी सेहत का ध्यान रखने वाली औरतें अपना ही ध्यान नहीं रखतीं। तब तक डाक्टर के पास नहीं जातीं जब तक बीमारी दस्तक न दे दें। जब तक बुखार न पकड़ ले, चक्कर खाकर गिर न जाएं तब तक उन्हें पता ही नहीं होता है कि वे एनीमिक हैं या नहीं, विटामिन डी या कैल्शियम सही मात्रा में हैं या नहीं। जबकि किसी भी महिला के लिए इनकी जानकारी होना बेहद जरूरी है।
हर महिला को जानना चाहिये कि वो पांच टेस्ट्स कौन से है जिसे करवाना उनके लिए जरूरी माना जाता है।
एनीमिया का टेस्ट- एनीमिया में खून में लाल रक्त कणिका की कमी होती है। लाल रक्त कणिका ही शरीर के सारे हिस्सों तक आक्सीजन पहुंचाते हैं। महिलाओं को एनीमिया का खतरा रहता है। क्योंकि उनमें आयरन की कमी रहती है। इसके पीछे कारण है पीरियड्स के दौरान होने वाली रक्त की क्षति।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक पिछले 50 सालों से सरकार एनीमीया से निपटने के लिए अलग-अलग प्रोग्राम बना रही है। फिर भी 2016 में पता चला कि भारत में 50.4 फीसदी औरतें एनीमिक हैं। इसलिए जरूरी है कि एनीमिया का टेस्ट करवाएं। इसके लिए ब्लड टेस्ट करवाना होगा। इस टेस्ट को करवाने की कीमत साढ़े पांच सौ से हजार के बीच है।
विटामिन डी का टेस्ट- शरीर में विटामिन डी की कमी से हड्ढियां कमजोर होने लगती हैं। साथ ही पीसीओएस का खतरा भी बना रहता है। यानी ओवरीज में गाठें बन जाती है। इससे न सिर्फ पीरियड्स समय पर नहीं होते, पर और भी शारीरिक दिक्कतें होती हैं। जैसे कि पेट में दर्द, मूड खराब रहना, वेट गेन करना, स्किन पर दाने निकलने, मां बनने में दिक्कत आना वगैरह। इन सबके अलावा हड्ढियां के आसानी से टूटने का ख़तरा भी बना रहता है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। दिनभर थकान रहती है। शरीर में विटामिन डी की कमी होने के पीछे खराब डाइट भी एक बड़ी वजह है। इसको जांचने के लिए 25-हाइड्रोक्सी विटामिन डी ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए। इसकी कीमत 1250 रुपए है।
कैल्शियम की कमी- समय के साथ औरतों की हड्ढियां कमजोर पड़ने लगती है। ओस्टोपोरोसिस की शिकायत होती है। यानी कमजोर हड्ढियां जो वजन नहीं झेल पातीं। हड्ढियों में दर्द भी रहता है। इसलिए जरूरी है कि खाने में पर्याप्त कैल्शियम लिया जाये। औरतों को तब तक नहीं पता चलता कि उनमें कैल्शियम की कमी है जब तक उनकी हड्ढियां नहीं टूटतीं। साल में एक बार वो ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं। इस टेस्ट में उनके खून में कैल्शियम का लेवल पता चलता है। ये टेस्ट 170 से 200 रुपए में करवा सकती हैं।
पैप स्मीयर टेस्ट- पैप स्मियर को पैप टेस्ट भी कहा जाता है। इसमें सर्विक्स से सेल्स इकट्ठे किए जाते हैं। सर्विक्स गर्भाशय का निचला और पतला हिस्सा होता है। ये वजाइना के ठीक ऊपर होता है। पैप टेस्ट में एक लकड़ीनुमा चम्मच से सेल्स को इकट्ठा किया जाता है। पैप स्मियर से सर्वाइकल कैंसर के बारे में पता लगाया जाता है। सर्विक्स से लिए गए सेल्स की जांच की जाती है कि कहीं इनमें कैंसर सेल्स तो नहीं हैं। कैंसर सेल्स यानी वो सेल्स जिनकी वजह से कैंसर होता है या आगे हो सकता है। 
डाक्टरों के हिसाब से ये टेस्ट 21 से 65 साल की औरतों को करवाना चाहिए। उनके मुताबिक 40 साल या उससे अधिक उम्र की औरतों को तो इसे रूटीन चेकअप की तरह करवाना चाहिए। पर जो लड़कियां 21 साल से ऊपर हैं और सेक्सुअली एक्टिव हैं उन्हें भी पैप स्मियर रूटीन के तौर पर करवाना चाहिए। पैप स्मियर की कीमत शहर और अस्पताल पर निर्भर करती है। ये सरकारी अस्पतालों में प्रफी है। प्राइवेट अस्पतालों में इसकी कीमत 300 से 700 के आसपास होती है।
ब्रेस्ट कैंसर का टेस्ट- 20 की उम्र के बाद से ब्रेस्ट एग्जाम करवाना जरूरी है। ये 20 से 40 साल तक की उम्र तक करवाना चाहिए। ये एक फिजिकल एग्जाम है। यानी इसमें डाक्टर छूकर ब्रेस्ट में गांठों का पता लगाते हैं। ये गाठें ही ब्रेस्ट कैंसर का संकेत देती हैं। इसलिए जरूरी है ये टेस्ट करवाया जाए।


 


 


आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगों को लेकर मोर्चा ने किया तहसील घेराव

आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगों को लेकर मोर्चा ने किया तहसील घेराव
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने आंगनबाडी कार्यकत्रियों, सेविकाओं एवं मिनी कर्मचारियों की मांगों को लेकर मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव कर राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन एस0डी0एम0 विकासनगर सौरभ असवाल को सौंपा।
नेगी ने कहा कि प्रदेश भर की हजारों आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, सेविकाऐं व मिनी आंगनबाडी कर्मचारी अपने मानदेय व अन्य मांगों को लेकर आन्दोलित हैं, लेकिन गैर अनुभवी सरकार ने इनकी मांगों को पूरा करना तो दूर इनका उत्पीड़न करना शुरू कर दिया है, जो कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है।
उल्लेखनीय है कि इन कार्यकत्रियों, सेविकाओं, मिनी आंगनबाड़ी कर्मचारी को क्रमशः 7500, 3500 व 2750 रूपये लगभग प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है, जबकि इनसे कई प्रकार के कार्य यथा आंगनबाडी केन्द्रों का संचालन, बी0एल0ओ0, मतगणना, पोलियो, गर्भवती महिलाओं से सम्बन्धित आदि तमाम कार्य लिए जा रहे हैं, जो कि इन लिए जा रहे कार्यों के सापेक्ष मानदेय नाकाफी है। उक्त लिए जा रहे कार्यों की अधिकता के चलते ये कुछ अन्य कार्य भी नहीं कर पाती। उक्त सरकारी व्यस्तता एवं कम मानदेय के कारण इनकी आर्थिक स्थिति दयनीय है।
नेगी ने कहा कि अति महत्वपूर्ण यह है कि आंगनबाडी कार्यकत्रियों, सेविकाओं एवं मिनी कर्मचारी अपना मानदेय 18,000 रू0 प्रतिमाह या समान कार्य समान वेतन यथासम्भव जोे भी हो, पदोन्नति, आय सीमा, यात्रा भत्ता व मोबाईल खराब होने व गुम होने की दशा में वसूली न हो होने विषयक तमाम मांगों को लेकर आन्दोलित हैं, जो कि काफी गम्भीर प्रवृत्ति की हैं तथा सरकार द्वारा स्वीकार किये जाने योग्य हैं। सरकार इनकी मांगों पर गम्भीरतापूर्वक विचार कर सकती थी, लेकिन सरकार ने आँखे मूंद रखी हैं। उक्त आंगनवाडी कर्मचारियों, सेविकाओं आदि ने भिन्न-भिन्न माध्यमों से अपनी मांगों से सम्बन्धित ज्ञापन सरकार तक प्रेषित किये जा चुके हैं।
तहसील घेराव में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, डा० ओ0पी0 पंवार, मौ0 असद, ओ0पी0 राणा, मौ0 गालिब, संध्या नेगी, ऊषा शाह, अंजुल गुप्ता, रूचि डोगरा, नन्दिनी, सुषमा राणा, शीला चैहान, शशि नवानी, एंजल मेरी, हीना कौसर, नरगिश बानो, शालिनी चमोली, रामेश्वरी, बरखा, विनोद गोस्वामी, प्रवीण शर्मा पीन्नी, सुमन प्रधान, सुशील भारद्वाज, अनिल तोमर, रियासत अली, प्रदीप कुमार, अंकुर चैरसिया, विरेन्द्र सिंह, आशीष सिंह, फराद आलम, मौ0 आसिफ, जयपाल सिंह, विक्रमपाल, मनोज चैहान, इसरार अहमद, गय्यूर, टीकाराम उनियाल, भीम सिंह बिष्ट, गौर सिंह चैहान, सन्दीप ध्यानी, रैहबर अली, किशन पासवान, अशोक डण्डरियाल, दिनेश राणा, गुरविन्दर सिंह, एम0 अन्सारी, के0सी0 चन्देल, इदरीश, सचिन कुमार, मामराज, खालिद अन्सारी, जाबिर हसन, जयन्त चैहान, गजपाल रावत, के0पी0 सक्सेना, पारितोष सरकार, टीकाराम उनियाल, मनोज चैहान, सचिन शर्मा, रवि भटनागर आदि मौजूद थे।


मंगलवार, 28 जनवरी 2020

हिमाचल की तर्ज पर निर्धारित हो मोटरयान टैक्स: मोर्चा      


 



हिमाचल की तर्ज पर निर्धारित हो मोटरयान टैक्स: मोर्चा     

- हिमाचल सरकार वसूलती है मात्र 2.5 से 3 फ़ीसदी टैक्स    

- उत्तराखंड में है 8-9-10 फ़ीसदी टैक्स  

- उत्तराखंड में वसूला जाता है टैक्स पर टैक्स  

- उत्तराखंड बना वाहन स्वामियों को लूटने वाला प्रदेश 

संवाददाता                

विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार वर्तमान में वाहन पंजीकरण पर वाहन की  कीमत के हिसाब से टैक्स वसूलती है तथा इसी कड़ी में 5 लाख तक के वाहन की कीमत पर 8 फ़ीसदी, 5 लाख से 10 लाख तक के वाहन पर 9 फ़ीसदी  तथा 10 लाख से ऊपर  के वाहनों पर  10 फ़ीसदी टैक्स निर्धारित किया हुआ है, जबकि हिमाचल प्रदेश में वाहन की कीमत पर  1000 सीसी  से कम  वाले वाहनों पर 2.5 फ़ीसदी तथा 1000 सीसी से अधिक वाले वाहनों पर  3 फ़ीसदी टैक्स निर्धारण किया हुआ है|            

नेगी ने कहा कि  हैरानी की बात यह है कि  उत्तराखंड सरकार द्वारा वाहन स्वामियों से  जो टैक्स वसूला जाता है,  वो एक्स शोरूम प्राइस के हिसाब से वसूला जाता है, यानी वाहन की कीमत पर जी.एस.टी. सहित सभी कर वसूलने के बाद (एक्स शोरूम प्राइस होता है) वसूला जाता है | पूर्वर्ती  सरकार के समय वर्ष 2015 में  10 लाख तक की कीमत वाले वाहनों पर   6 फ़ीसदी तथा 10 लाख से ऊपर  वाले वाहनों पर  8 फ़ीसदी टैक्स निर्धारित था,  लेकिन वर्तमान सरकार ने  और ज्यादा  टैक्स बढ़ाने का काम किया है,  जोकि एक तरह से सरकारी लूट है |       

नेगी ने कहा कि  उत्तराखंड जैसे प्रदेश में  जहां प्रतिवर्ष हजारों वाहन विक्रय होते हैं  तथा वहीं दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य में जहां बहुत कम वाहनों की बिक्री होती है  लेकिन फिर भी  हिमाचल में जायज शुल्क लिया जाता है, बावजूद इसके उत्तराखंड  सरकार  लूट से  बाज नहीं आ रही है | मोर्चा शीघ्र ही इस लूट को बंद कराने के लिए शासन में दस्तक देगा |  

पत्रकार वार्ता में  विजय रामशर्मा, दिलबाग सिंह, मोहम्मद असद,  प्रवीण शर्मा पिन्नी आदि मौजूद थे |



 


खत्म हुआ अलग बोडोलैंड राज्य विवाद!

खत्म हुआ अलग बोडोलैंड राज्य विवाद!



गृहमंत्री का ऐलान- उग्रवादी गुट नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्मसमर्पण कर देंगे। शाह ने कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्वर्णिम भविष्घ्य सुनिश्चित होगा।
एजेंसी
गुवाहाटी। पूर्वाेत्तर के राज्यों से उग्रवाद के खात्मे का वादा करके सत्ता में आई केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को इस दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो उग्रवादियों के प्रतिनिधियों ने असम समझौता 2020 पर हस्घ्ताक्षर किए। इस समझौते के साथ ही करीब 50 साल से चला रहा बोडोलैंड विवाद समाप्त हो गया, जिसमें अब तक 2823 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पिछले 27 साल में यह तीसरा असम समझौता है। सूत्रों के मुताबिक इस विवाद के जल्द समाधान के लिए मोदी सरकार लंबे समय से प्रयासरत थी और अमित शाह के गृह मंत्री बनने के बाद इसमें तेजी आई।
इस मौके पर गृह मंत्री ने ऐलान किया कि उग्रवादी गुट नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के 1550 कैडर 30 जनवरी को अपने 130 हथियार सौंप देंगे और आत्मसमर्पण कर देंगे। शाह ने कहा कि इस समझौते के बाद अब असम और बोडो के लोगों का स्वर्णिम भविष्घ्य सुनिश्चित होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार बोडो लोगों से किए गए अपने सभी वादों को समयबद्ध तरीके से पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद अब कोई अलग राज्य नहीं बनाया जाएगा।
करीब करीब 50 साल पहले असम के बोडो बहुल इलाकों में अलग राज्य बनाए जाने को लेकर हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्घ्व एनडीएफबी ने किया। यह विरोध इतना बढ़ गया कि केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत एनडीएफबी को गैरकानूनी घोषित कर दिया। बोडो उग्रवादियों पर हिंसा, जबरन उगाही और हत्या का आरोप है। 2823 लोग इस हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं।
बता दें कि बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 5 से 6 प्रतिशत है। यही नहीं, लंबे समय तक असम के बड़े हिस्से पर बोडो आदिवासियों का नियंत्रण रहा है। असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक का गठन किया गया है। इन जिलों में कई अन्य जातीय समूह भी रहते हैं। बोडो लोगों ने वर्ष 1966-67 में राजनीतिक समूह प्लेन्स ट्राइबल काउंसिल ऑफ असम के बैनर तले अलग राज्य बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की।
साल 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन ने एक बार फिर से बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की। यूनियन के नेता उपेंद्र नाथ ब्रह्मा ने उस समय असम को 50-50 में बांटने की मांग की। दरअसल यह विवाद असम आंदोलन (1979-85) का परिणाम था जो असम समझौते के बाद शुरू हुआ। असम समझौते में असम के लोगों के हितों के संरक्षण की बात कही गई थी। इसके फलस्वरूप बोडो लोगों ने अपनी पहचान बचाने के लिए एक आंदोलन शुरू कर दिया। दिसंबर 2014 में अलगाववादियों ने कोकराझार और सोनितपुर में 30 लोगों की हत्या कर दी। इससे पहले वर्ष 2012 में बोडो-मुस्लिम दंगों में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी और 5 लाख लोग विस्थापित हो गए थे।
वर्ष 1990 के दशक में सुरक्षा बलों ने एनडीएफबी के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया। अभियान को देखते हुए ये उग्रवादी पड़ोसी देश भूटान भाग गए। वहां से एनडीएफबी के लोगों ने अपना अभियान जारी रखा। वर्ष 2000 के आसपास भूटान की शाही सेना ने भारतीय सेना के साथ मिलकर आतंकवाद निरोधक अभियान चलाया जिसमें इस गुट की कमर टूट गई।
अक्टूबर 2008 में एनडीएफबी ने असम के कई हिस्घ्सों में बम हमले किए गए जिसमें 90 लोगों की मौत हो गई। उसी साल एनडीएफबी के संस्थापक रंजन दिमारी को हमलों के लिए दोषी ठहराया गया। इन विस्फोटों के बाद एनडीएफबी दो भागों में बंट गई। एनडीएफबी (पी) का नेतृत्घ्व गोविंदा बासुमतारी और एनडीएफबी (आर) रंजन ने किया। वर्ष 2009 में एनडीएफबी (पी) ने केंद्र सरकार के साथ बातचीत शुरू की। वर्ष 2010 में रंजन दिमारी को बांग्लादेश ने अरेस्ट करके भारत को सौंप दिया। वर्ष 2013 में रंजन को जमानत मिल गई। अब दोनों ही गुटों ने केंद्र के साथ बातचीत शुरू कर दी।
समझौते के बारे में जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समझौता असम में रहने वाले बोडो आदिवासियों को कुछ राजनीतिक अधिकार और समुदाय के लिए कुछ आर्थिक पैकेज मुहैया कराएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि असम की क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रखी जाएगी तथा एनडीएफबी की अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की प्रमुख मांग नहीं मांगी गई है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि समझौता राज्य के विभाजन के बिना संविधान की रूपरेखा के अंदर किया गया है। अधिकारी ने कहा कि गृह मंत्री समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने को लेकर उत्सुक थे ताकि असम में बोडो उग्रवाद समाप्त किया जा सके और राज्य के बोडो बहुल क्षेत्रों में दीर्घकालिक शांति लौटे।


बच्चों का कार्टून देखना फायदेमंद है!

बच्चों का कार्टून देखना फायदेमंद है!



बच्चों के कार्टून देखने की आदत को लेकर अभिभावक परेशान रहते हैं। लेकिन यदि बच्चों को कार्टून देखने दिया जाये तो उन्हें कई तरह से फायदा होता है।
प0नि0डेस्क
देहरादून। अभिभावक अक्सर अपने बच्चों को कार्टून देखने से रोकते हैं। कई माता-पिता बच्चों को मोबाइल या टीवी से दूर रखते हैं ताकि वे कार्टून या अन्य विडियो के संपर्क में न आयें। लेकिन यदि बच्चों को अगर कार्टून देखने दिया जाए तो इससे उन पर कई सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं।
आपने देखा होगा कि बच्चे कार्टून देखते वक्त बच्चे में पूरी तरह डूब जाते हैं और बाद में कई बार कार्टून कैरेक्टर के डायलॉग्स को दोहराते हैं। दरअसल कार्टून बच्चों को नए शब्द सीखने का मौका देता है और उनके शब्द ज्ञान को बेहतर बनाता है। यह उन्हें बेहतर तरीके से बात करने के साथ ही पढ़ाई में भी बेहतर परफॉर्म करने में मदद करता है।
कार्टून बनता ही क्रिएटिविटी के आधार पर है। ऐसे में इसमें जो होता दिखाई देता है वह कई बार वास्तविकता से दूर होता है। लेकिन घबराने की जगह बच्चों को इसे इंजॉय करने दें क्योंकि यह उनकी क्रिएटिविटी को भी बढ़ाता है जो उनके दिमाग को नए आइडियाज के बारे में सोचने के लिए भी प्रशिक्षित करता है।
कई कार्टून प्रोग्राम इस तरह से बनाए जाते हैं जो बच्चों को नैतिक शिक्षा देने पर केन्द्रित करते हैं। अगर ऐसे कार्टून बच्चों को देखने दिए जाएं तो वे शेयरिंग, हेल्प करने जैसी कई चीजें हंसते-खेलते सीख जाते हैं।
बच्चे कार्टून देखते हैं। ऐसे में यदि आप अपने बच्चों को इसे नहीं देखने देंगे तो उन्हें शायद दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने में परेशानी हो। यह स्थिति बिल्कुल वैसी ही जैसे किसी पार्टी में जाने पर आपको कोई ऐसा शख्स न मिले जिसके विचार या रुचि आपसे मिलती हो और यह सिचुएशन आपको वहां अकेला कर दे। बच्चों में भी यह स्थिति आ सकती है।
होमवर्क, स्कूल आदि के चक्कर में बच्चों में स्ट्रेस बढ़ने के संभावना रहती हैं। यह तनाव कम हो सकता है यदि उन्हें कार्टून देखने दिया जाये। कार्टून देखने के दौरान खुश होने और हंसने पर दिमाग में एंड्रोफिन्स रिलीज होते हैं, जो तनाव को खत्म करता है।


आरएसएस का देश में पहला आर्मी स्कूल

आरएसएस का देश में पहला आर्मी स्कूल



एजेंसी
नई दिल्ली। रज्जू भैया सैनिक विद्या मंदिर (आरबीएसवीएम), जो कि आरएसएस का पहला स्कूल है, अप्रैल 2020 से अपना पहला सत्र शुरू करने जा रहा है। स्कूल की इमारत लगभग तैयार हो चुकी है। स्कूल में कक्षा 6 की 160 सीट हैं। इसके लिए स्कूल ने आवेदन मांगे हैं। आरबीएसवीएम (आरबीएसवीएम) एक आवासीय विद्यालय होगा। खबरों के मुताबिक आरबीएसवीएम के डायरेक्टर कर्नल शिव प्रताप सिंह ने बताया कि हम एनडीए, नौसेना अकादमी और भारतीय सेना की 10$2 तकनीकी परीक्षा के लिए छात्रों को तैयार करेंगे। पिछले साल खबरें आई थीं कि आरएसएस उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में अपना पहला आर्मी स्कूल स्थापित कर रहा है, जिसका नाम उसके पूर्व प्रमुख राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया के नाम पर रखा जाएगा।
लड़ाई में मारे गए कर्मियों के बच्चों के लिए 8 सीटें आरक्षित की जाएंगी। शहीदों के बच्चों के मामले में आयु सीमा में कुछ छूट भी दी जाएगी। स्कूल में कोई अन्य आरक्षण नहीं होगा और यह सीबीएसई बोर्ड के पैटर्न का पालन करेगा। स्कूल ने टीचर्स और एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसे फरवरी के आखिर तक पूरा कर लिया जाएगा। स्कूल के प्रिंसिपल का सलेक्शन आरएसएस की शैक्षिक शाखा विद्या भारती द्वारा किया जाएगा।
टीचर्स और स्टूडेंट्स दोनों की ही यूनिफॉर्म होगी। स्टूडेंट्स की यूनिफॉर्म में लाइट ब्लू कलर की शर्ट और डार्क ब्लू कलर की पैंट होगी। वहीं टीचर्स की यूनिफॉर्म में ग्रे कलर की पैंट और सफेद कलर की शर्ट है। विद्या भारती के क्षेत्रीय संयोजक अजय गोयल ने बताया कि स्कूल एक उद्घाटन समारोह की प्लानिंग कर रहा है, जिसमें आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं, भाजपा नेताओं और मंत्रियों की उपस्थिति संभव है। ये सभी चीजें अभी प्लानिंग स्टेज में हैं और नाम जल्द ही तय किए जाएंगे। अभी छात्रों का पहला बैच चुनने पर ध्यान है।


सोमवार, 27 जनवरी 2020

समय से पहले बाल सफेद होने का राज!

समय से पहले बाल सफेद होने का राज!



यह तो पता है कि तनाव के कारण उम्र से पहले ही बाल सफेद हो जाते हैं लेकिन अब इसका वैज्ञानिक आधार खोज लिया गया है और यह भी पता लगा लिया है कि यह काम शरीर में किस तरह होता है।
एजेंसी
लंदन। शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि तनाव के कारण बालों के रंग के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं को नुकसान होता है और उनका रंग बदल जाता है। बाल सफेद होने के जैविक तंत्र का रहस्य लंबे समय से एक रहस्य रहा है।
समय पूर्व बालों का सफेद होना चिंता की बात है। सफेद बालों को छिपाने के लिए कई लोग बालों पर रंग या मेहंदी लगाते हैं लेकिन बाल समय से पहले सफेद होने का क्या कारण है, इसका पता एक ताजा शोध से चला है। कारण जानने के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों के साथ प्रयोग किया और यह जानने की कोशिश की कि बालों के फॉलिकल किस तरह से कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं जो मेलेनिन बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। त्वचा और बालों का रंग मेलेनिन से ही तय होता है।
आमतौर पर लोगों के सिर पर करीब एक लाख हेयर फॉलिकल्स होते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि तनाव की स्थिति में चूहे में एड्रिनेलिन और कॉर्टिसोल हार्माेन पैदा हुए, इस दौरान चूहों के दिल की धड़कन तेज हुई और ब्लड प्रेशर भी बढ़ा। इससे सीधे तौर पर तंत्रिका तंत्र प्रभावित हुआ. वैज्ञानिकों ने जब चूहों को थोड़े समय के लिए दर्द दिए या फिर तनावपूर्ण प्रयोगशाला की स्थिति में डाला तो नॉर-एपिनेफ्रीन नाम का रसायन रिलीज हुआ, जिसके बाद यह स्टेम सेल द्वारा उठा लिया गया जो हेयर फॉलिकल्स के लिए मेलेनिन के कुंड के रूप में काम करता है।
हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोड्यूसर या-शी सू के मुताबिक सामान्य तौर पर जब बाल फिर से उगते हैं, कुछ स्टेम सेल पिगमेंट पैदा करने वाले सेल में तब्दील हो जाते हैं जो बालों को रंगने का काम करते हैं, लेकिन जब वे नॉर-एपिनेफ्रीन के संपर्क में आते हैं तो सभी स्टेम सेल सक्रिय हो जाते हैं और पिगमेंट पैदा करने वाले सेल बन जाते हैं। साइंस जर्नल नेचर में छपे शोध की वरिष्ठ लेखक सू कहती हैं कि इसका मतलब है कि एक भी स्टेम सेल नहीं बचा, कुछ ही दिनों में स्टेम सेल का भंडार खत्म हो गया और एक बार वह खत्म हो गया तो आप दोबारा पिगमेंट को पुनर्जीवित नहीं कर सकते।
तनाव सिर्फ बालों को ही नहीं बल्कि शरीर में अन्य कई नुकसान भी पहुंचाता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने अपने प्रयोग में पाया कि जितने खराब असर की उम्मीद थी ये नतीजे उससे भी ज्यादा बुरे थे। प्रयोग के दौरान कुछ समय के बाद बालों का रंग तय करने वाली कोशिकाएं स्थायी तौर हमेशा के लिए खत्म हो चुकी थीं। सिर्फ तनाव ही नहीं है जिसके कारण बाल सफेद होते हैं बल्कि उम्र बढ़ने के साथ भी बाल सफेद होते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि लंबे समय से कहा जाता रहा है कि तनाव के कारण बाल सफेद होते हैं लेकिन इस धारणा का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं था।


रविवार, 26 जनवरी 2020

दून सरला अकादमी में  धूमधाम से मनाया गया गणतंत्र दिवस

दून सरला अकादमी में  धूमधाम से मनाया गया गणतंत्र दिवस



संवाददाता
देहरादून। पथरीबाग स्थित दून सरला अकादमी में 71वें गणतंत्र दिवस को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति से भरपूर प्रस्तुतियों से विद्यालय को ओतप्रोत कर दिया। 
समारोह में सबसे पहले विद्यालय के प्रबंधक सुरेश जोशी ने ध्वजारोहण किया। इसके उपरान्त राष्ट्रगान तथा राष्ट्रीय गीत गाए गए। इस उपलक्ष्य में विद्यालय द्वारा एक वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें सभी प्रतियोगियों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। प्रतियोगिता के साथ छात्र-छात्राओं ने लोकनृत्यों की अनूठी छठा बिखेर दी।


 
प्रतियोगिता के उपरांत विजयी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया जिसमें अदित बुडाकोटी, अक्ष गुप्ता, इशिका राणा तथा दीपिका यादव विजित रही। इसी आधार पर वाद-विवाद की वार्षिक ट्रॉफी गोमती सदन द्वारा अर्जित की गई।, साथ ही पूरे सत्र 2019-20 पर आयोजित विभिन्न विभिन्न गतिविधियों पर आधारित ट्रॉफी नर्मदा सदन द्वारा अर्जित की गयी। 
इस दौरान कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महोदया श्रीमती मोना कौल ने सभी विजयी छात्रों को बधाई दी तथा उन्हें आगे बढ़ने के लिए माता-पिता का सम्मान करने की सलाह दी। उन्होंने विद्यालय की उन्नति की कामना की। 
इस अवसर पर विद्यालय के स्टाफ के साथ अभिभावक गण एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


राजपथ पर देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का नजारा

राजपथ पर देश की सैन्य शक्ति और सांस्कृतिक विरासत का नजारा



राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजपथ पर तिरंगा फहराया
एजेंसी
नयी दिल्ली। देश के 71वें गणतंत्रा दिवस के अवसर पर राजपथ पर विविधता और प्रगति का बेहतरीन प्रदर्शन किया गया। ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो इस बार मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजपथ पर तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली। सेना ने उन्हें 21 तोपों को सलामी दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर इंडिया गेट स्थित राष्ट्रीय युद्व स्मारक पर जाकर देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शहीद जवानों को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्वांजलि दी।
इस बार की परेड में हाल ही में वायु सेना में शामिल किए गए चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों के अलावा टैंक टी-90 भीष्म, बालवे मशीन पीकेट बीएमपी-द्वितीय, के9 वज्र-टी, धनुष गन सिस्टम और आकाश हथियार प्रणाली ने देश की सैन्य ताकत का प्रदर्शन किया।



परेड का नेतृत्व दिल्ली क्षेत्रा के जनरल आफिसर कमांडिंग ले0जनरल असित मिस्त्री ने किया। दिल्ली क्षेत्र के चीफ आपफ स्टाफ एवं मेजर जनरल आलोक कक्कड़ परेड के डिप्टी कमांडर रहे। इनके ठीक पीछे परमवीर चक्र से सम्मानित सूबेदार मेजर एवं आनरेरी कैप्टन बाना सिंह पीवीसी सेवानिवृत, सूबेदार योगेन्द्र सिंह यादव पीवीसी 18 ग्रेनेडियर्स, सूबेदार संजय कुमार पीवीसी 13 जम्मू एवं कश्मीर रायफल्स, अशोक चक्र से सम्मानित मेजर जनरल सायरस ए0 पीठावाला सेवानिवृत, ले0कर्नल जसराम सिंह एसी सेवानिवृत, ले0कर्नल डीसी रामकुमार एसी और नायब सूबेदार आनरेरी छेरिंग मुत्तुप एसी सेवानिवृत ने राष्ट्रपति को सैल्यूट किया।



परेड में पहली बार सेना के वायु रक्षा दस्ते, अतुल्य राडार, पैराशूट दस्ता, धनुष 45 कैलिबर आर्टिलरी गन, के9 वज्र टी मुख्य रहे। परेड में सेना के दस्ते की कमान कैप्टन तानिआ शेरगिल तथा सिगनल कोर ट्रांसपोर्टेबल सेटेलाइट टर्मिनल व्हीकल की कमान 21 सिगनल ग्रुप की मेजर शीना नायर ने संभाली।
सेना वायु सुरक्षा कोर परेड दस्ते की अगुवाई कैप्टन विकास कुमार साहू ने की और परेड में सिगनल कोर ट्रांसपोर्टेबल सेटेलाइट टर्मिनल व्हीकल की कमान 21 सिगनल ग्रुप की मेजर शीना नायर के हाथों में रही। भारतीय वायु सेना की झांकी में इस बार राफेल लडाकू विमानों की प्रतिकृति को शामिल किया गया।
परेड में पैराशूट रेजिमेंट की कमान कमांडर निखिल कुमार मौर्या और मेजर तरूण राठी के हाथों में रही। परेड में सेना के ग्रेनेडियर दस्ते की की अगुवाई मेजर अनिरुद्व नायर ने की। 
परेड में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के महिला दस्ते ने मोटरसाइकिल पर अपने करतब दिखाए और इस ‘डेयरडेविल्स’ टीम की अगुवाई निरीक्षक सीमा नाग ने की। इस दल की हैड कांस्टेबल मीना चौधरी ने बुलेट मोटर साइकिल पर खड़ी होकर ‘पिस्टल आन मूव पोजीशन’ दिखाकर सबका मन मोह लिया।
इस बार की परेड में कुल 16 मार्चिंग दस्ते रहे और इनमें सेना, वायु सेना, नौसेना, अर्धसैनिक बलों के अलावा दिल्ली पुलिस और एनसीसी के दस्ते भी हिस्सा लिया। इसमें 16 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की झांकियां के अलावा अन्य मंत्रालयों और विभागों की 10 अन्य झांकियां भी रहीं। राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित 49 बच्चे भी गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल हुए। इसके अलावा 4 स्कूलों के बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।


गणतंत्र दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम

गुरू नानक देव सिख एकेडमी में गणतंत्र दिवस पर रंगारंग कार्यक्रम



संवाददाता
तिकुनियां। देश के 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर श्री गुरु नानक देव सिख एकेडमी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विद्यालय प्रबंधन समिति के चेयरमैन जत्थेदार बाबा काला सिंह की ओर से प्रधानाचार्य पूरन सिंह कार्की द्वारा ध्वजारोहण किया गया और परेड की सलामी ली। प्रत्येक हाऊस ने एकेडमी के बैनर तले मार्च पास्ट किया। राष्ट्रगान के बाद सभी छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं ने वन्दे मातरम और सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा गीत गाये।



इसके बाद छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सबद कीर्तन, समूह गायन, देशभक्ति के गीत एवं कविताएं प्रस्तुत कीं। प्रधानाचार्य पूरन सिंह कार्की ने अपने भाषण में गणतंत्र दिवस के महत्व, भारतीय संविधान के बारे में तथा स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया और उनसे प्रेरणा लेने का आह्वान किया। अश्विनी कुमार सिंह, गीता कार्की, एनपी तिवारी व अन्य शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी शहीदों के बारे में विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दी। 
कार्यक्रम का संचालन अर्पिता वशिष्ठ एवं पर्व महावर ने किया। एकेडमी के छात्र-छात्राओं, शिवांश गोयल, वैभव गोयल, मनप्रीत सिंह ने धार्मिक व देशभक्ति के गीत गायन किया। शबद कीरतन हरजोत कौर व साथियों द्वारा, मातृभूमि का सामूहिक गीत तरुण महावर व उनके साथियों द्वारा, देशभक्ति सामूहिक गीत चांदनी एवं उसके साथियों द्वारा, स्पीच गर्व जिन्दल द्वारा तथा अमरेन्दर व दिव्यांश त्यागी ने सहयोग किया।
कार्यक्रमों के दौरान हरीश दीक्षित, एनपी तिवारी, एसपी शर्मा, रन्नो शुक्ला, कुलविंदर कौर, जितेन्दर कौर, रेनू मिश्रा, सर्वजीत कौर आदि सभी शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।


पृथ्वी पर पानी कहां से आया !

पृथ्वी पर पानी कहां से आया !



एजेंसी
नई दिल्ली। हमारी आकाशगंगा में कई खत्म हो रहे तारे हैं जो क्षुद्र ग्रह के अवशेष हैं। ठोस पत्थर के गोले के तौर पर ये किसी तारे पर गिर कर खत्म हो जाते हैं। तारों के वायुमंडल पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक क्षुद्र ग्रह पत्थर के बने होते हैं और इनमें काफी पानी मौजदू होता है। इसके आधार पर ज्ञात हो सकता है कि पृथ्वी पर पानी कहां से आया!
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि हमारी आकाशगंगा में कई क्षुद्र ग्रह ऐसे हैं जिनमें काफी पानी है। यही पानी ग्रहों पर पानी की आपूर्ति करता है, जीवन को आगे बढ़ाता है। ब्रिटेन की वारिक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रोबर्ताे राडी के अनुसार हमारे शोध से पता चला है कि जिस तरह के ज्यादा पानी वाले क्षुद्र ग्रह की बात हो रही है, वैसे शुद्र गृह हमारे सौर मंडल में काफी संख्या में पाए जाते हैं। 
हालांकि शोधकर्ताओं के सामने बड़ा सवाल यही था कि पृथ्वी पर पानी कहां से आया? अनुमान के मुताबिक काफी पहले पृथ्वी बहुत सूखा और बंजर इलाका रहा होगा। इसकी टक्कर किसी ज्यादा पानी वाले क्षुद्र ग्रह से हुई होगी और इसके बाद उस ग्रह का पानी पृथ्वी पर आया होगा। 
अपने इस शोध को विश्वसनीय बनाने के लिए राडी को ये दर्शाना था कि ज्यादा जल वाले क्षुद्र ग्रहों की मौजूदगी सामान्य बात है। इसके लिए उन्हें पुराने तारों के बारे में जानकारी की जरूरत पड़ी। जब तारा अपने अंत की ओर बढ़ता है तो वह सफेद रंग के बौने तारे में बदलने लगता है। उसका आकार भले छोटा हो जाता है लेकिन उसके गुरुत्वाकर्षण बल में कोई कमी नहीं आती है। वह अपने आसपास से गुजरने वाले क्षुद्र ग्रह और कामेट्स को अपने वायुमंडल में खींचने की ताकत रखता है। 
इन टक्करों से पता चलता है कि ये पत्थर किस चीज के बने हैं। आक्सीजन और हाइड्रोजन जैसे रासायनिक तत्व अलग अलग ढंग से रोशनी को ग्रहण करते हैं। राडी के शोध दल ने खत्म हो रहे तारों पर पड़ने वाली रोशनी के पैटर्न का अध्ययन किया है। कनेरी द्वीप समूह पर स्थित विलियम हर्शेल टेलीस्कोप की मदद से ये अध्ययन किया गया। राडी और उनके सहयोगियों ने 500 प्रकाश वर्ष दूर खत्म हो रहे तारों पर शोध किया। उन्होंने बिखरे हुए क्षुद्र ग्रहों के रासायनिक संतुलन को आंकने की कोशिश की। उन्होंने पाया कि उनमें पत्थर के अलावा पानी की बहुतायत है। 
रायल अस्ट्रानामिकल सोसायटी के मासिक नोटिस में इन शोधकर्ताओं ने लिखा है कि पर्याप्त जल की मौजूदगी वाले क्षुद्र ग्रह आकाशगंगा के दूसरे ग्रहों तक जल पहुंचा सकते हैं। राडी का निष्कर्ष था कि कई सारे क्षुद्र ग्रहों पर जल की मौजूदगी से हमारे उस विचार को बल मिलता है कि हमारे महासागरों में पानी शुद्र ग्रहों के साथ हुई टक्कर से आया होगा।
हाल के सालों में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हमारे सोलर सिस्टम के बाहर कई ग्रहों का पता लगाया है। केपलर टेलीस्कोप ने अकेले 1000 से ज्यादा ग्रहों को ढूंढ निकाला है। ऐसे बाहरी ग्रहों पर भी जीवन हो सकता है। अगर इनका आकार पृथ्वी के समान हो और ये अपने तारे के गोल्डीलाक्स जोन में हों यानी पृथ्वी की ही तरह, जहां तापमान ना तो बहुत ज्यादा हो और ना ही बहुत कम, तो उन पर जीवन की संभावना हो सकती है।
शोध के सह लेखक और यूनिवर्सिटी आपफ वारिक के प्रोफेसर बोरिस गैनसिक के मुताबिक जल वाले क्षुद्र ग्रहों ने संभवतः ऐसे ग्रहों तक भी पानी पहुंचा होगा। जल के बिना जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती है। हालांकि गैनसिक ये भी मानते हैं कि अगर किसी बाहरी ग्रह पर जीवन की मौजूदगी होगी भी तो उसका पता लगाना बेहद मुश्किल काम होगा। 
शोध के सह लेखक और यूनिवर्सिटी आपफ वारिक के प्रोफेसर बोरिस गैनसिक के मुताबिक जल वाले क्षुद्र ग्रहों ने संभवतः ऐसे ग्रहों तक भी पानी पहुंचा होगा।


चीन में कोरोना वायरस का कहर, 56 की मौत

चीन में कोरोना वायरस का कहर, 56 की मौत
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चीन के लिए हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है। हालांकि उसने अभी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित नहीं की। कोरोना वायरस चीन में विकराल रूप धारण कर चुका है। न सिर्फ चीन बल्कि दुनियाभर के कई देशों में इसको लेकर डर का माहौल है।



एजेंसी
बीजिंग। चीन में कोरोना वायरस की चपेट में आने से 56 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 2000 लोग कोरोना वायरस से पीड़ित बताए जा रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चीन के लिए हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है। हालांकि उसने अभी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित नहीं की। चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन के मुताबिक 444 नए मामले सामने आए हैं, जिनमें से 237 मरीजों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
चीन के अलावा फ्रांस में 2, ऑस्ट्रेलिया में एक, थाईलैंड में 4, जापान में 2, दक्षिण कोरिया में 2, अमेरिका में 2, वियतनाम में 2, सिंगापुर में 3, नेपाल में एक, हांगकांग में 5, मकाऊ में 2 और ताइवान में 3 कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं।
इस बीच कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच चीन ने 2 दिनों में 2 अस्पतालों के निर्माण की घोषणा की, जिनका निर्माण 15 दिनों के भीतर कर लिया जाएगा। वूहान प्रशासन ने अगले 15 दिनों में 1300 बेड की क्षमता वाले अस्पताल का निर्माण करने की घोषणा की।
पीपुल्स डेली चाइना ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि कोरोना वायरस के कहर के बीच अच्छी देखभाल को लेकर वूहान शहर ने अगले 15 दिनों में कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के लिए अब 1,300 बेड की क्षमता वाला एक और अस्पताल बनाने की घोषणा की। 
इससे पहले चीन के शहर वूहान प्रशासन ने कहा था कि साल 2003 में सार्स वायरस से निपटने के लिए बीजिंग ने 7 दिनों में अस्पताल का निर्माण किया था। अब इसी मॉडल की तर्ज पर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए एक हजार बेड की क्षमता वाले विशेष अस्पताल का निर्माण वूहान में शुरू हो गया है, जो 3 फरवरी तक पूरा कर लिया जाएगा।
चीन के कुछ स्थलों में न्यू कोरोना वायरस निमोनिया के मामले दर्ज हुए। वर्तमान चीन में परंपरागत वसंतोत्सव की खुशियां मनाई जा रही हैं, लेकिन 1.4 अरब चीनी लोग एकजुट होकर संक्रामक रोग के मुकाबले में प्रयासरत हैं। आम नागरिकों ने खुद पर नियंत्रण का फैसला किया ताकि रोग की रोकथाम, फैलाव को बंद किया जा सके। मौजूदा रोग का केंद्र मध्य चीन के हूपेइ प्रांत की राजधानी वूहान है।
अभी 5.9 करोड़ जनसंख्या वाले हूपेइ प्रांत समेत पेइचिंग, शांगहाई, आनह्वेइ, क्वांगतोंग, थ्येनचिन और छोंगछिंग आदि प्रांतों और केंद्र शासित शहरों ने अहम आपातकाल सार्वजनिक स्वास्थ्य मामले की पहली श्रेणी वाली व्यवस्था शुरू की।
वायरस के लगातार फैलाव को रोकने के लिए देशभर में लोगों की भीड़ वाले वसंतोत्सव मेला जैसी गतिविधियों को रद्द कर दिया गया। खेल जगत में भी कुछ प्रतियोगिताओं को स्थगित किया गया, रद्द कर दिया गया या मैच स्थल का स्थानांतरण किया गया।


शनिवार, 25 जनवरी 2020

देश की सबसे सुरक्षित कार की लांचिंग

संवाददातादेश की सबसे सुरक्षित कार की लांचिंग

संवाददाता

देहरादून। प्रीमियम हैचबैक सेगमेंट में टाटा मोटर्स ने अपनी श्रेणी में देश की सबसे सुरक्षित कार न्यू प्रीमियम हैच अल्ट्रोज को लांच किया। यह अधिकृत सभी टाटा मोटर्स में पाँच ट्रिम स्तरों में उपलब्ध होगा और इसका डीज़ल संस्करण 6.99 लाख और पेट्रोल संस्करण 5.29 लाख है।

 कंपनी के मुताबिक अल्ट्रोज पहला वाहन है जिसे नए अल्फा आर्किटेक्चर पर विकसित किया गया है। यह अपने देशी डिज़ाइन के साथ अधिक ग्लोबल एनसीपी 5 स्टार रेटिंग की हालिया उपलब्धि इनसे सुरक्षा डिज़ाइन में स्वर्ण मानक निर्धारित किया गया है। ड्राइविंग डाइनेमिक्स, टेक्नोलॉजी और कस्टमर डिलाइट सभी ग्राहकों को लुभाने के लिए तैयार है। अल्ट्रोज बेसिक 6 के साथ आएगा।  

ग्लोबल मोटर्स, टाटा मोटर्स के उपाध्यक्ष प्रताप बोस के अनुसार यह पहली भारतीय कार है, जिसको अपनी श्रेणी में देश की सबसे सुरक्षित कार होने के साथ साथ 5 स्टार ग्लोबल एनसीपी मिली है। 

इस मौके पर एमडी मेजर पकंज राणा, कैप्टन समरेश सिंह, जीएम अजय शर्मा, राहुल बखेल आदि मौजूद रहे।

सुरक्षा शर्तों के साथ वोटर आईडी से आधार लिंक करने की इजाजत

सुरक्षा शर्तों के साथ वोटर आईडी से आधार लिंक करने की इजाजत
चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर आईडी से आधार जोड़ने पर डुप्लीकेट और बोगस वोटरों को बाहर किया जा सकेगा



एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग को वोटर आईडी से आधार जोड़ने का काम फिर से शुरु करने की इजाजत दे दी है. हालांकि मंत्रालय ने आयोग को ऐसा करते हुए सुरक्षा उपायों को भी ध्यान में रखने को कहा है.
एक रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने पिछले महीने अपने जवाब में सुरक्षा उपायों की एक विस्तृत सूची भेजी थी जिसमें उन्होंने बताया था कि किस तरह से आवेदन और इन्फ्रास्ट्रक्चर स्तर पर इसका ध्यान रखा जाएगा।
पिछले साल अगस्त महीने में आयोग ने विधि सचिव को पत्र लिखकर वोटर आईडी से आधार लिंक करने के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और आधार एक्ट 2016 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया था. आयोग का कहना है कि वे इसके जरिए वोटर लिस्ट को ‘साफ करना’ चाहते हैं। चुनाव आयोग ने कहा था कि वोटर आईडी से आधार जोड़ने पर डुप्लीकेट और बोगस वोटरों को बाहर किया जा सकेगा।
प्रस्तावित संशोधन के अनुसार इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (इआरओ) वोटर कार्ड धारक और वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने वालों से आधार नंबर मांग सकता है। हालांकि प्रस्तावित संशोधन में यह प्रावधान भी किया गया है कि अगर किसी के पास आधार नंबर नहीं है या अगर कोई आधार नंबर नहीं दे पाता है तो उसका नाम वोटर लिस्ट से हटाया नहीं जाएगा।
कानून मंत्रालय ने सितंबर में यह बताते हुए लिखा कि चुनाव आयोग की दलीलें राज्य-प्रायोजित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए आधार विवरण एकत्र करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित बेंचमार्क टेस्ट पास कर लेगी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित व्यक्ति की निजता सुनिश्चित करने की बात जोर देते हुए चुनाव आयोग से कहा गया था कि वे इलेक्टोरल डेटा प्लैटफॉर्म में बनाए गए सुरक्षा उपायों की सूची मुहैया कराएं।
इस पर आयोग ने 12 दिसंबर 2019 को जवाब भेजा, जिसमें उन्होंने बताया कि इलेक्टोरल डेटा में सुरक्षा के लिए उनके पास कई सुरक्षा उपकरण हैं। चुनाव आयोग ने सबसे पहले फरवरी 2015 में आधार को मतदाता फोटो पहचान पत्र (या ईपीआईसी) से जोड़ने की कवायद शुरू की थी। उस समय एचएस ब्रह्मा मुख्य चुनाव आयुक्त थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस), एलपीजी और केरोसिन वितरण के उपयोग तक सीमित करने बाद उस साल अगस्त में इसे निलंबित कर दिया गया था। तब तक आयोग ने पहले ही आधार से 38 करोड़ वोटर कार्ड आधार से लिंक कर लिए थे।
आधार पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम आदेश आने के बाद चुनाव आयोग ने अपनी इस प्रक्रिया को फिर से शुरु करने की मांग की थी, जिसकी अब इजाजत मिल गई है।


भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द पकड़ेगी रफ्तार: आईएमएफ

भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द पकड़ेगी रफ्तार: आईएमएफ
आईएमएफ चीफ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द रफ्तार पकड़ेगी और इसमें दिख रही सुस्ती अस्थायी है। उन्होंने यह भी कहा है कि जनवरी 2020 में वैश्विक अर्थव्यस्था की रफ्तार बेहतर है।



एजेंसी
दावोस। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारी सुस्ती से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए राहतभरी खबर दी है। आईएमएफ चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती अस्थायी है और उम्मीद है कि आने वाले समय में इसकी रफ्तार में सुधार होगा। दावोस में आयोजित वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम 2020 में उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2019 में आईएमएफ द्वारा घोषित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की तुलना में जनवरी 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में है। दूसरी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर महज 4.5ः रही है, जो साढ़े छह साल का निचला स्तर है।
आईएमएफ चीफ ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी का कारण अमेरिका-चीन के बीच पहले चरण का व्यापार समझौता होने के बाद ट्रेड टेंशन में आई कमी तथा नीतिगत करों में लगातार कटौती है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए 3.3ः का ग्रोथ रेट बहुत बढ़िया नहीं है।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने कहा कि अभी भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त है। हम चाहते हैं कि राजकोषीय नीतियां ज्यादा से ज्यादा आक्रामक हों और संरचनात्मक सुधारों में तेजी लाई जाए। उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर उन्होंने कहा कि वे आगे बढ़ रही हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारतीय बाजार में सुस्ती देख रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह अस्थायी है। हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुधार होगा। इंडोनेशिया तथा वियतनाम जैसी अर्थव्यवस्थाएं भी चमकते सितारे की तरह हैं। आईएमएफ चीफ ने यह भी कहा कि कुछ अफ्रीकी अर्थव्यवस्थाएं अच्छा कर रही हैं, जबकि मेक्सिको जैसे देश की इकॉनमी में कोई सुधार नहीं है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों में दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के ग्रोथ रेट अनुमान में कटौती की है। आईएमएफ, यूनाइटेड नेशन, फिच सहित कई एजेंसियों ने वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की आर्थिक विकास दर 5ः के आसपास रहने का अनुमान जताया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक विकास दर घटकर 4.5ः रही है, जो पिछले साढ़े छह साल का निचला स्तर है। वहीं पहली तिमाही में विकास दर महज 5 फीसदी रही थी।


इंटरनेट और कॉलिंग के साथ टीवी का मजा

बीएसएनएल की खास सर्विस, इंटरनेट और कॉलिंग के साथ टीवी का मजा



बीएसएनएल ने एयर फाइबर नाम से एक नई सर्विस लॉन्च की है। इसमें कंपनी इंटरनेट और कॉलिंग के साथ टीवी सर्विस भी ऑफर कर रही है। यह एक वायरलेस टेक्नॉलजी है जिसके जरिए कंपनी देश के ग्रामीण इलाकों को बेहतर इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ना चाहती है।
एजेंसी
नई दिल्ली। सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल यूजर्स के लिए नई सर्विस लेकर आई है। भारत एयर फाइबर नाम से लॉन्च की गई इस सर्विस के जरिए कंपनी ग्रामीण इलाकों में बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी देने वाली है। इसमें यूजर्स को टीवी, ब्रॉडबैंड और कॉलिंग ऑफर की जाएगी। बीएसएनएल की यह सर्विस सुनने में फाइबर-टू-द-होम जैसी ही लगती है, लेकिन इसमें काफी फर्क है। भारत फाइबर सर्विस में जहां वायर्ड टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ भारत एयर फाइबर सर्विस वायरलेस है। 
बीएसएनएल अपनी इस नई सर्विस के साथ यूजर्स को ट्रिपल प्ले प्लान ऑफर कर रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि यूजर्स को एयर फाइबर कनेक्शन के साथ कॉलिंग और इंटरनेट के अलावा टीवी सर्विस भी मिलेगी। टीवी कॉन्टेंट देने के लिए बीएसएनएल ने यूप्प टीवी से पार्टनरशिप की है।
बीएसएनएल के डायरेक्टर विवेक बांजल ने कहा कि शुरुआती दौर में हमने ग्रामीण इलाकों में फ्री स्पेक्ट्रम बैंड में एयरवेव्स पर भारत एयर फाइबर को लॉन्च किया है क्योंकि यहां कोई इंटरफियरेंस नहीं होता। इससे पता चलता है कि भारत फाइबर सर्विस को बिना लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम पर पेश किया गया है। बिना लाइसेंस वाले स्पेक्ट्रम में इंटरफियरेंस कम होता है और इससे यूजर्स को बेहतर रीले क्वॉलिटी मिलती है। यही कारण है कि कंपनी शुरुआत में इन एयरवेव्स को कम डिस्टरबेंस वाले इलाकों में उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके साथ ही बीएसएनएल इस सर्विस को चालू करने और कॉल-सेंटर सर्विस देने के लिए लाइन-ऑफ-साइट एयरवेव्स का इस्तेमाल करेगी। ग्रामीण इलाकों में आवाज पैदा करने वाले डिवाइस जैसे वाई-फाई राउटर, माइक्रोवेव अवन इत्यादि की कमी के कारण भारत एयर फाइबर सर्विस यहां अच्छे से काम करेगी।


वृक्षमित्र डा0 सोनी को प्रभागीय वनाधिकारी ने किया सम्मानित

वृक्षमित्र डा0 सोनी को प्रभागीय वनाधिकारी चमोली ने किया सम्मानित



संवाददाता
गोपेश्वर। बद्रीनाथ वन प्रभाग चमोली द्वारा बिरही नेचर फेस्टिवल में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका समापन प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने सम्मान समारोह के साथ किया गया। इस दौरान प्रभागीय वनाधिकारी आशुतोष सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य वन विभाग व ग्रामीणों के बीच की दूरी मिटाकर एक साथ मिलजुल कर कार्य करने का हैं। हमने इस कार्यक्रम में महिला मंगलदल, वन पंचायतें, पर्यावरणविद, समाजसेवी व स्कूली बच्चे बुलाये जिसमें जूनियर व सीनियर बच्चों की जल संरक्षण, मानव वन्य संघर्ष पर प्रतियोगिता कराई गई। 
उन्होंने कहा कि प्रथम, द्वितीय, तृतीय व वन विभाग, समाज मंे अच्छे कार्य करने वाले सौ लोगांे को प्रशिस्त पत्रा देकर सम्मानित किया। बच्चों व महिला मंगलदल, वन पंचायत प्रतिनिधियों को जड़ी बूटी शोध संस्थान मंडल, वन विभाग की नर्सरी का भ्रमण भी कराया गया।
प्रभागीय वनाधिकारी चमोली आशुतोष सिंह ने पर्यावरणविद वृक्षमित्रा डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी को स्मृति चिन्ह व प्रशिस्त पत्र से सम्मानित किया। देहरादून से कार्यक्रम में पहंुचे वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा कि प्रभागीय वनाधिकारी बद्रीनाथ आशुतोष सिंह का विभाग व आम जनता के बीच की दूरियां मिटाकर एक साथ मिलजुल कर कार्य करने की पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों से ग्रामीणों में जागरूकता आएगी जिसका सीधा लाभ जंगलों को मिलेगा। जुगल किशोर चौहान ने कार्यक्रम में पहुंचे लोगों से पर्यावरण व वनों को बचाने की अपील की। 
कार्यक्रम में अमीष कुमार, गोपाल सिंह बिष्ट, भगवान सिंह परमार, डीएपफओ केदारनाथ अमित कंवर, डीएपफओ जोशीमठ लक्ष्मण सिंह रावत, सर्वेश कुमार दुबे, आशीष नौटियाल, मनीज रांगड़, अर्जित भंडारी, यशपाल नेगी, राजीव बिष्ट, इकबाल, बलबंत बिष्ट, यशोदा बिष्ट, गोविंद राम सोनी, मदनराम व समस्त वन विभाग चमोली के कर्मचारी उपस्थित थे।


बच्चों में साहित्य एवं कला के प्रति जागरूकता

देहरा आर्ट स्कूल द्वारा वाचक बाल साहित्य महोत्सव का आयोजन
बच्चों में साहित्य एवं कला के प्रति जागरूकता



संवाददाता
देहरादून। देहरा आर्ट स्कूल द्वारा कैफे कौम्यून में वाचक बाल साहित्य महोत्सव का आयोजन किया गया। मुख्यतः 2 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं के बच्चे ने प्रतिभागी किया।
कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में साहित्य एवं कला के प्रति जागरूकता पैदा करना था। कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न कार्यशाला आयोजित करवाई गई जो कि बच्चों के मनोवैज्ञानिक, शैक्षिक एवं मानसिक विकास के लिए लाभदायक है। इस संस्था के संस्थापक शैफाली अधिकारी एवं तन्मय मुंशी हैं। 
  कथावाचन कार्यशाला, रोबोटिक्स कार्यशाला, पेनक्राफ्रट द्वारा चित्रकला, कैलिग्राफी एवं मंडल कार्यशाला, रामलाल भट्ट द्वारा कठपुतली प्रदर्शनी व कार्यशाला, देश के युवा व्यवसायी उद्भव एवं शिवाक्षी द्वारा रोबोटिक्स कार्यशाला, प्रणव कुमार सिंह द्वारा पहेली एवं कथावाचन कार्यशाला, शुभम द्वारा इलस्ट्रेशन वर्कशाप, निवेदिता द्वारा रचनात्मक लेखन, कमल दीप सिंह द्वारा मृदाशिल्प कार्यशाला तथा अन्य विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। 
देश की प्रसिद्व बाल साहित्यकार राधिका मेघनाथन भी कार्यक्रम का हिस्सा थी। कार्यक्रम में देश के विभिन्न कथावाचक सम्मिलित हुए जिनमें नूपुर अग्रवाल, अनुभा, निशीता कुलाश्री, निवेदिता एवं मोहिनी जुगरान शामिल थे।
कार्यक्रम में दून डिपफेंस अकादमी के डायरेक्टर संदीप ने रचना मिनोचा द्वारा लिखी गई किताबें इट्स टाइम ओल्ड द ईयर, सीक्रेट आफ ऐनिमल किंगडम, सिंड्रर्स, रैड ऐंड गोल्ड का विमोचन किया एवं भारत के युवा व्यवसायी उद्भव द्वारा दिव्या सिंह की पुस्तक दी बियूटी आफ दी नैब्यूला का विमोचन किया गया।


शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

करोड़ों रुपए की घटिया साइकिलों व अन्य सामान की जांच को लेकर मुख्य सचिव से मिला मोर्चा

करोड़ों रुपए की घटिया साइकिलों व अन्य सामान की जांच को लेकर मुख्य सचिव से मिला मोर्चा

संवाददाता

देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा प्रतिनिधिमंडल ने  मोर्चा अध्यक्ष एवं  जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष  रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में  मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह  से मुलाकात कर प्रदेश के  श्रमिकों/ कर्मकारों को बांटी गई  करोड़ों रुपए मूल्य की घटिया साइकिले, सोलर लालटेन, सिलाई मशीन, औजार व अन्य सामानों की गुणवत्ता की जांच तथा वितरण में की गई अनियमितता की  उच्च स्तरीय जांच एवं  सामान के बदले  खातों में ऑनलाइन भुगतान  की मांग को लेकर  ज्ञापन सौंपा | मुख्य सचिव ने  संबंधित  विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए |            

नेगी ने कहा कि श्रम विभाग के उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने टेलीकम्यूनिकेशन कन्सलटेंट्स इण्डिया लि0 से दिनांक 29.03.2019 को 19825 साईकिलें 6,77,73,270/- रू0 में खरीदी। उक्त सभी साईकिलें कर्मकारों को बाॅंटने के उद्देश्य से खरीदी गयी थी। उक्त खरीदी गयी एक साईकिल की कीमत 3418/- रू0 प्रति साईकिल है।

नेगी ने हैरानी जतायी कि जो साईकिलें खरीदी गयी थी, अधिकारियों ने मोटी कमीशन हड़प कर घटिया किस्म की साईकिलें खरीदी, जिसका नतीजा  ये हुआ कि कर्मकारों/मजदूरों ने आधे/औने-पौने दामों में वही साईकिलें दुकानदारों को बेच दी।

नेगी ने कहा कि महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हजारों साईकिलें कागजों में हेराफेरी कर फर्जी तरीके से बॅंटवाने का भी खेल खेला गया है तथा इसी प्रकार हजारों सिलाई मशीन/सोलर/उपकरणों, औजार आदि में भी यही खेल खेला गया।

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि एटलस जैसी मजबूत साईकिल 3700/- रू0 तक खुदरा मूल्य में मिल रही है | अगर यही साईकिलें थोक में खरीदी जायें तो 2800-3000 रू0 तक उपलब्ध हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसी घटिया साईकिल 3418/-रू0 में खरीदी गयी, अगर यही घटिया साईकिलें कोई संस्था थोक में खरीदती तो 2200-2400 रू0 में आसानी से उपलब्ध हो जाती। उक्त कमीशन खोरी के खेल को खत्म करने एवं श्रमिकों के साथ हो रहे छलावे की रोकथाम हेतु श्रमिकों के खाते में ऑनलाइन भुगतान ही कारगर साबित हो सकता है | 

प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा उपाध्यक्ष विजय राम शर्मा, भीम सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे |

कन्यादानः धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण 

कन्यादान से पितरों को निरतिशय आनंद से युक्त ब्रह्मलोक की प्राप्ति
कन्यादानः धार्मिक एवं वैज्ञानिक कारण 



प0नि0डेस्क
देहरादून। कन्यादान के बारे में जब भी पहली बार सुना व देखा होगा तो मन में यह विचार तो आया ही होगा की कन्यादान क्यों करते हैं? इसको करने की क्या वजह होगी? पहली बार सोचने पर तो यह बात व्यर्थ ही मालूम हुई होगी, लेकिन कन्यादान करने के कई वैज्ञानिक कारण होते हैं।
कन्यादान का आदर्श केवल भारतवर्ष में ही हैं, बाकी एक भी ऐसा देश नहीं हैं जहां पर कन्यादान का प्रचलन हो। इस बारे में शास्त्र कहते हैं कि कन्यादान से कन्यादाता के समस्त पितरों को निरतिशय आनंद से युक्त ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती हैं।
वर कन्या द्वारा उत्पन्न होने वाली संतति के योग से वर कूल की 12, वधु कूल की 12 एवं स्वयं की एक यानी 25 पीढ़ियों का उद्वार होता हैं। कन्यादान करते समय एक श्लोक बोला जाता हैं जिसका अर्थ इस प्रकार होता हैं- सुवर्ण अलंकारों से युक्त यह कन्या में ब्रह्मलोक की प्राप्ति की कामना मन में रखते हुए विष्णु रूप में मैं तुम्हें अर्पण करता हूं। इस कार्य के लिए जगत्व्याप्त परमेश्वर एवं सभी देवता साक्षी हैं। उनके समक्ष अपने पितरों के उद्वार के लिए यह कन्या तुम्हें अर्पण करता हूं। 
कन्यादान में पिता एक शंख में दूर्वा जल, अक्षत, पुष्पादि डालकर संकल्प करता हैं। दोनों और के आचार्य ब्राह्मण सभी के सामने वर एवं कन्या के गोरा, प्रवर शाखा एवं तीन पीढ़ियों के क्रमिक व्यक्तियों का नामोच्चार करते हुए परिचय देते हैं। एक बार नहीं, अपितु तीन बार यह परिचय दोहराते हैं, जिसका अभिप्राय यह हैं कि यदि उन दोनों के कूल, गोत्रादि के सम्बन्ध में किसी को कोई संदेह हो, तो वह व्यक्ति अब भी आपत्ति कर सकता हैं और विवाह रोका जा सकता हैं।
इस शांखोच्चार के साथ अनन्तर संकल्प पूरा हो जाता हैं। प्रदाता ने कन्या का दाहिना अंगूठा वर के हाथ में अर्पित करते हुए शंखस्थ जलधारा उसके ऊपर डाल दी, मानो इस संकल्प को और भी दृढ़ कर दिया। शंखादि सभी पदार्थ मांगलिक होने के साथ-साथ वास्तु विज्ञान की दृष्टि से अपनी-अपनी विशेषताओं से भरपूर हैं। शंख असंक्रमणशील परमाणुओं से बना हुआ पदार्थ हैं। इसमें डाली वस्तु उसी रूप में विधमान रहती हैं।
कन्यादान के जिस पवित्र भाव से उसमे जल डाला गया हैं, उसका प्रभाव वर-वधू के भावी दांपत्य जीवन पर पड़ेगा और उनका प्रेम उसी शंखस्थ जल की धरा के सामान सर्वदा निर्मल रहेगा। वनस्पति की दृष्टि से दूर्वा की कुछ अपनी ही विशेषताए हैं। एक स्थान पर उत्पन्न होने पर वह निरंतर फैलती ही चली जाती हैं। कितना भी काटो, फिर हरी हो जाती हैं। उन दम्पतियों के प्रेम में यही विशिष्टता हो, वह निरंतर वृद्वि को प्राप्त हो, सदा हरे, भरे रंग से भरा उनका जीवन हो, इस विचार दृढ़ता के लिए उसका सानिध्य नितांत उपयोगी हैं।
जल का तो कार्य ही सम्पूर्ण वस्तुओं का एकीकरण हैं, बिखरे हुए मिट्टी के भिन्न-भिन्न परमाणुओं को संयुक्त कर जल विशाल भवनों का रूप दे देता हैं। शरीर में विद्यमान ‘मन जलीय अंश से ही उत्पन्न है। अतः जल के माध्यम से ही कन्या प्रदाता अपनी हृदयगत भावना को वर के मन में दर्द करता हैं।


 


दही में नमक मिलाकर खाया जायें अथवा नहीं!

दही खाने से पाचन क्रिया बढ़ती है और त्वचा की चमक बनी रहती है
प0नि0डेस्क
देहरादून। खाने के साथ दही खाना अच्छा लगता है। रायता, कढ़ी और छाछ के रुप में भी दही का सेवन किया जाता हैं। दही खाने से पाचन क्रिया बढ़ती है और त्वचा की चमक बनी रहती है। दही में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं। इन्ही वजह से दही फायदेमंद मानी जाती है, लेकिन कई लोग दही खाने का सही तरीका और समय के बारे में नहीं जानते हैं। 
जैसे कि कुछ लोगों की आदत होती है वो दही में नमक, मसाले या चीनी मिलाकर खाते हैं। लेकिन दही में इन चीजों को मिलाकर खाना कितना सही है? दही एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधि है, जिसमें नमक मिलाकर नहीं खाना चाहिए। नमक मिलाने से दही जहर का काम करता है, क्योंकि नमक मिलाने से इसे बैक्टीरिया मर जाते हैं और यह फायदेमंद नहीं रहता है। दही को हमेशा मीठी चीजों, चीनी, गुड़, बूरा, मिश्री आदि के साथ खाना चाहिए।
दही में मिश्री मिलाकर खाएं तो बहुत फायदा होता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि दही-मिश्री खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। दही-मिश्री खाने के प्रथा सदियांे पुरानी हैं। जन्माष्टमी में इसलिए भगवान कृष्ण को दही-मिश्री का भोग लगाया जाता है। पुराने जमाने में लोग दही में गुड़ डालकर खाया करते थे। कोई भी दही में नमक डालकर नहीं खाता था।
दही में कई तरह के गुड बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। यह सभी बैक्टीरिया हमारे शरीर में प्रवेश करके एंजाइम प्रोसेस को काबू में रखते हैं जिसमें भोजन जल्दी पच जाता है और पेट से जुड़ी कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती है। दही में मीठी चीजें डालने से इसमें मौजूद बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है और दही ज्यादा फायदेमंद हो जाता है। हालांकि हल्की मात्रा में दही में नमक मिलाने से टेस्ट अच्छा होता है और नुकसान नहीं करता। जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें दही में नमक मिलाकर खाने से बचना चाहिए।
गर्मी या उमस की वजह से होने वाली पसीने की बदबू को खत्म करने के लिए दही घरेलू उपाय है। गर्मी में दही खाना सेहतमंद होता है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। अगर सर्दी, जुकाम और कफ की शिकायत है तो रात में भूलकर भी दही न खाएं। आयुर्वेद के अनुसार रात में दही के सेवन करने से बचाना चाहिए।
हर रोज एक चम्मच दही खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें मौजूद गुड बैक्टीरिया इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाते हैं। दही दांत के लिए फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्पफोरस उपस्थित होता है। ये हड्ढियों की मजबूती के लिए भी अच्छा है। ये आस्टयिपोरोसिस और गठिया में राहत देने का काम करता है।
दही में कैल्शियम पाया जाता है। ये एक ऐसा तत्व है जो शरीर को फूलने नहीं देता है और वजन न बढ़ने देने में सहायक होता है। दही के अंदर प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले कैल्शियम और फास्फोरस हड्ढियों और दांतों को मजबूती देता है।


गुरुवार, 23 जनवरी 2020

503 लोेकसभा सांसदों नेे नहीं दिया सम्पत्ति दायित्वोें का विवरण

503 लोेकसभा सांसदों नेे नहीं दिया सम्पत्ति दायित्वोें का विवरण



केवल 36 सांसदों नेे ही समय सीमा 90 दिन केे अन्दर दिया सम्पत्ति विवरण
प0नि0संवाददाता
काशीपुर। देेश केे चुनाव में भ्रष्टाचार नियंत्रण तथा पारदर्शिता के कितनेे ही दावेे कियेे जायेे लेेकिन खुुद लोेक सभा सांसद व मंत्री भी इसके लियेे बनायेे कानूनोें का पालन नहीं कर रहेे हैैं। यह इसकी मिसाल है कि लोेकसभा केेे केेवल 36 सांसदोें ने ही निर्धारित समय सीमा के अन्दर अपना व अपनेे आश्रितोें का सम्पत्ति दायित्व विवरण लोेकसभा सचिवालय मेें दिया है जबकि 503 सांसदोें ने 10 दिसम्बर 2019 तक अपना सम्पत्ति-दायित्व विवरण नहीं दिया हैै। यह खुुलासा सूचना अधिकार केे अन्तर्गत लोेकसभा सचिवालय द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना सेे हुुआ हैै।



काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन नेे लोक सभा सचिवालय केे लोेक सूूचना अधिकारी सेे लोेकसभा सदस्य 1/4सम्पत्ति तथा दायित्वोें की घोेषणा 1/2 नियम 2014 केे अन्तर्गत सम्पत्ति तथा दायित्वों की घोेषणा करनेे व न करनेे वाले लोेकसभा सदस्यों की सूचना मांगी गयी थी। इसके उत्तर मेें लोेकसभा सचिवालय के लोक सूचना अधिकारी द्वारा 10 दिसम्बर 2019 तक 17वीं लोेकसभा केे सम्पत्ति व दायित्वोें की घोेषणा करनेे व न करनेे वालेे सदस्योें की सूचना उपलब्ध करायी गयी हैै।
उपलब्ध करायी गयी सूचना केे अनुुसार लोेकसभा केे केवल 36 सदस्योें नेे 10 दिसम्बर 2019 तक अपनेे सम्पत्ति-दायित्वोें की घोेषणा की हैै। इसमें 25 सांसद भाजपा, 8 एआईटीसी तथा एक-एक सांसद बीजेडी, शिवसेना तथा एआईडीएमके के शामिल है। नदीम को उपलब्ध सूची के अनुसार सम्पत्ति विवरण देने वाले सांसदों में भाजपा केे सुरेश अंगदि, रतन लाल कटारिया, प्रहलाथ जोशी, डा0 रमेश पोखरियाल निशंक, नरेन्द्र मोदी, स्मृति जुबिन ईरानी, विष्णु दयाल राम, गजेन्द्र सिंह शेखावत, रवि शंकर प्रसाद, नरेन्द्र सिंह तोमर, राजू बिस्ता, साध्वी निरंजन ज्योति, केलाश चौधरी, देबाश्री चौधरी, संजय शमराव धौतरे, डा0 सतपाल सिंह, अनुराग शर्मा, प्रहलाद सिंह पटेल, महेश शर्मा, निशिकांत दुबे, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, राजा अमरेसवर नायक, हसंराज हंस तथा माला राज्य लक्ष्मीशाह शामिल है।
एआईटीसी के सांसदों में सजदा अहमद, खलीलुर्रहमान, दीपक अधिकारी, माला राय, असित कुमार मल, सुदीप बंधोपाध्याय, अबु ताहिर खान तथा प्रसून बनर्जी शामिल है। इसके अतिरिक्त शिवसेना के गजानंद चन्द्रकांत कृर्तिकृत, बीजेडी के अचुत्यानंद सामनत तथा एआईडीएमके के पी0रविन्द्र नाथ कुमार शामिल है। सम्पत्ति विवरण देने वालो की सूची में क्रमांक 6 पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिन्होंने 24 जुलाई 2019 को 8 पेज का सम्पत्ति विवरण दिया है का नाम शामिल है। सम्पत्ति विवरण देने वाले उत्तराखंड के सांसदों में मानव संसाधन मंत्री डा0 रमेश पोखरियाल निशंक का नाम क्रमांक 5 पर तथा माला राज्य लक्ष्मीशाह का नाम क्रमांक 35 पर शामिल है।
सम्पत्ति विवरण न देने वाली सूची में केन्द्रीय मंत्री मण्डल के विभिन्न मंत्रियों सहित विभिन्न पार्टियों के प्रमुख नेताओं के नाम शामिल है। 503 सांसदों की सूची में क्रमांक 385 पर गांधी नगर सांसद अमित शाह तथा 115 पर रायबरेली सांसद सोनिया गांधी तथा 114 पर वायनाड सांसद राहुल गांधी का नाम शामिल हैै।
लोेकसभा सदस्य 1/4सम्पत्ति तथा दायित्वोें की घोेषणा 1/2 नियम 2004 के नियम 3 केे अनुुसार प्र्रत्येेक लोक सभा सांसद कोे शपथ ग्रहण की तिथि सेे 90 दिन केे भीतर अपनेे सम्पत्ति दायित्वोें की सूचना लोेकसभा सचिवालय कोे देेनेे का नियम है। 17वीं लोेकसभा के 7 सांसदों को छोड़कर सभी सांसदों को 10 दिसम्बर 2019 से पहले इस नियम के अन्तर्गत सम्पत्ति दायित्वों का विवरण लोकसभा सचिवालय को देना था।
इन 7 सांसदों में 4 सांसदों जिन्होंने 18 नवम्बर 2019 को शपथ ली है तथा इस तिथि से पूर्व एक सांसद की मृत्यु एक के इस्तीफे तथा एक के शपथ ग्रहण न करने के कारण उनका सम्पत्ति विवरण देने का दायित्व नहीं रहा। 18 नवम्बर 2019 को शपथ लेने वाले 4 सांसदों में एलजेपी के प्रिंसराज, एनसीपी के श्रीनिवास दादासाहिब पाटिल, बीजेपी की हिमाद्री सिंह तथा डीएमके के डीएम काथिर आनंद शामिल हैै। रामचन्द पासवान की 21 जुलाई 2019 को मृत्यु हो चुकी है तथा अतुल राय ने 10 दिसम्बर 2019 तक शपथ नहीं ली है तथा उदयन राजे प्रताप सिंह भोंसले ने 14 सितम्बर 2019 को इस्तीफा दे दिया है।


हृदय रोग के उपचार में कैलाश अस्पताल ने रचा कीर्तिमान

हृदय रोग के उपचार में कैलाश अस्पताल ने रचा कीर्तिमान



कम वजन के नवजात शिशु से लेकर अधेड़ उम्र की महिला का किया सफलतम उपचार
प०नि० संवाददाता
देहरादून। कैलाश अस्पताल एवं हृदय रोग संस्थान में हृदय रोगियों के अलग-अलग मेडिकल केस में हुए सफल ऑपरेशनों ने ह्रदय रोग से बचाव की नई उम्मीद जगाई है। दोनों के केसों में चुनौती थी क्योंकि एक मामला नवजात शिशु का था जिसकी उम्र महज 4 महीने थी और वजन सामान्य से बहुत कम 3.5 किलोग्राम के करीब था। वहीं दूसरी मरीज करीब 50 वर्ष की महिला थी जिसके दिल में 20 मिलीमीटर का छेद था।



इस बारे में जानकारी देते हुए डा0 अखिलेश पांडे ने बताया कि 4 महीने की बच्ची निमोनिया की शिकायत के साथ अस्पताल में उपचार के लिए लाई गई। अस्पताल ने जब उस पर निगरानी रखते हुए इसको जांच की तो ज्ञात हुआ कि बच्ची के फेफड़ों एवं शरीर में खून ले जाने वाली नलिया आपस में जुड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में जोखिम बहुत ज्यादा रहता है और ऑपरेशन की प्रक्रिया भी जटिल होती है।
ऐसे विकट हालात में कैलाश अस्पताल के विशेषज्ञों की पूरी टीम बच्ची का ऑपरेशन किया जो कामयाब रहा। इस दौरान शल्य चिकित्सकों ने बच्ची की दोनों नलियों के बीच पर्दा लगा दिया। ऑपरेशन के बाद बच्ची पूरी तरह स्वास्थ्य और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वहीं दूसरे केस में एक अधेड़ उम्र की महिला जिसकी उम्र 50 वर्ष के करीब थी को अस्पताल लाया गया। उक्त महिला को सांस फूलने थकान और धड़कन तेज होने की शिकायत थी।
जब चिकित्सकों मैं उसका एक इकोकार्डियोग्राफी की तो खुलासा हुआ कि उसके दिल में 20 मिलीमीटर का छेद है। इस जांच के लिए 3डी इंडोस्कोपिक कार्डियोग्राफी तकनीकी मदद ली गई। इससे महिला के दिल में एक और 5 मिली मीटर छेद का पता चला।



इस केस की देखरेख करने वाले डॉक्टर राज प्रताप सिंह ने बताया कि गुरु इनमें 5 मिली मीटर के एक छोटे छेद के माध्यम से एक छतरीनुमा डिवाइस द्वारा उक्त 26 मिली मीटर के छेद को बंद कर दिया गया। उन्होंने बताया कि 3डी इमेजिंग डिवाइस के मार्गदर्शन में डिवाइस को दिल में दाखिल किया गया।
डॉक्टर राज प्रताप सिंह के मुताबिक इस पूरे ऑपरेशन में किसी भी सर्जरी या चीरे की जरूरत नहीं पड़ी, छेद भी तुरंत बंद हो गया। डा0 सिंह के मुताबिक रोगी को 12 घंटे के भीतर चलने फिरने की अनुमति प्रदान की गई और मात्र 1 दिन की निगरानी के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
उनका कहना था कि यह उपचार कम खर्चीला तो है ही, साथ ही इससे अस्पताल में भर्ती होने की अवधि कम होती है, शरीर में कोई निशान नहीं रहता। वही बीमारी और सर्जरी से कम समय में मरीज उबर जाता है यानी मरीज 1 हफ्ते के भीतर सामान्य जीवन को शुरू कर सकता है।
इस अवसर पर कैलाश अस्पताल एवं हृदय रोग संस्थान के निदेशक पवन शर्मा, अस्पताल के एमएस डा0 सतीश सिन्हा, डा0 एसपी गौतम, डा0 रोहित श्रीवास्तव एवं सहयोगी स्टाफ की टीम भी मौजूद रही।


छपासः एक खुराफाती बीमारी

छपासः एक खुराफाती बीमारी



खबरीलाल
देहरादून। हर काम या मेहनत सिर्फ परिणाम पाने के वास्ते नही की जाती। कई बार वह आत्म मुग्धता एवं आत्म संतुष्टि के लिए भी साकार होती है। वैसे आप भला तो जग भला। दुनिया मानें न मानें, आपका संतुष्ट होना ज्यादा जरूरी होता है। 
यही कुछ हो भी रहा है। इसका परिणाम निकलकर यही आता है कि सफलता की दर जीवन में बहुत कम हो गई है। इसे आप बीमारी का साईड इफैक्ट भी कह सकते है। लेकिन छपास रोगी के साथ समस्या है जिसकी वजह से इस बीमारी से पार पाना नामुमकिन हो जाता है। अव्वल तो छपास को रोग मानने को कोई तैयार नही, दूसरा इसकी दवा दारू भी उपलब्ध नही। इसलिए भी लोग बाग कहते सुने जाते है कि छपास जिसे हो गया, उसका तो राम मालिक है।


आदमी काम करता है। नतीजे चाहता है। वह मिल जाये तो उसे प्रसिद्वि भी चाहिये। जग को दिखाना होता है कि वह कितना उपयोगी है। यह उपयोगिता भले ही कृत्रिम हो पर उसे प्रदर्शित करके एक व्यक्ति को आत्मसंतुष्टि मिलती है।     



हमारे यहां जिसको कहीं भरोसा नही होता उसे राम भरोसे कहा जाता है। हालांकि यह सकारात्मक बात है। किसी भी तरीके से भक्ति हो रही है। यह अच्छी बात है। वरना आज के दौर में आस्तिक होना बड़ी बात है। वरना तो हर कोई एक दूसरे की मान्यता की बखिया उधेड़ने में लगा हुआ है।
कोई किसी की इज्जत नही करता लेकिन चाहता जरूर है कि सब उसकी इज्जत करें। आलोचना या बुराई करके सब के सब स्वयं को बड़ा सुधरवादी और बुद्विजीवी साबित करने की होड़ मचाये हुए है। तब उनको कबीर की बात समझ नही आती या उसे भूल जाते है कि बुरा जो देखन मै चला, मुझसे बुरा ना कोय। लोग मुझसे बुरा शब्द को शायद तुझसे बुरा समझने लगे है। अन्यथा ऐसी प्रवृति क्योंकर पनपती भला!


बुधवार, 22 जनवरी 2020

बदलें आदत तो नही झेलना पड़ेगा किडनी स्टोन का दर्द 

बदलें आदत तो नही झेलना पड़ेगा किडनी स्टोन का दर्द 



प0नि0डेस्क
देहरादून। खानपान की गलत आदतों की वजह से आजकल पथरी होना आम हो गया है। यह काफी कष्टदायी और खतरनाक हो सकता है। किड़नी की पथरी और पेट की पथरी से कई लोग परेशान होते हैं। पथरी होने के कई कारण हो सकते हैं।
जरूरत से कम पानी पीना, गलत खानपान किडनी की पथरी का का अहंम कारण है। हम बीमारी से जूझने के लिए तैयार रहते हैं लेकिन अपनी गलत आदतों में बदलाव नहीं करना चाहते। किडनी की पथरी होने पर असहनीय दर्द परेशान कर सकता है यह बात जानते हुए भी हम अपनी किडनी और उसकी सुरक्षा को लेकर लापरवाह रहते हैं। किडनी स्टोन को निकालने के लिए कई लोगों का आपरेशन तक करना पड़ सकता है, तो किसी में बिना ज्यादा परेशानी के निकल भी जाती है। पथरी बड़ी होने पर यूरीन के रास्ते में रुकावट पैदा करने लगती है। ऐसे में यूरीन के रास्ते में असहनीय दर्द होता है। किडनी स्टोन से बचने के लिए कुछ आदतों में बदलाव करना जरूरी हैं। 
इन आदतों से दूर होती है किडनी स्टोन की समस्या!
ज्यादा पानी पिएं- पानी शरीर को हाइड्रेशन रखता है। पानी डाइजेस्टिव सिस्टम को ठीक रखने में भी मददगार है। जितना पानी पीएंगे यूरिन के द्वारा शरीर से बेकार टाक्सिन पदार्थ उतने ही ज्यादा बाहर जाएंगे। किसी भी सामान्य व्यक्ति को दिन में कम से कम 7-8 गिलास पानी पीना चाहिए और अगर आपको किडनी स्टोन है तो इससे ज्यादा पानी पिएं यह स्टोन को बाहर करने में मदद कर सकता है।
अजवाइन- किडनी स्टोन होने का मुख्य कारण टाक्सिन होते हैं जिसे शरीर से बाहर निकालने का काम अजवाइन कर सकती है। अजवाइन में पानी मिलकार इसे उबाल लें और दिनभर पानी के रूप में लेते रहें। अगर बीपी लो रहता है तो इसे न पिएं। आप अजवाइन को रस के रूप में या सब्जी में मिलाकर उपयोग कर सकते हैं। इससे भी किडनी स्टोन से राहत मिल सकती है।
सेब का सिरका- सेब के रस और सिरका में सिट्रिक एसिड होता है, जो किडनी स्टोन को छोटे-छोटे कणों में काटने का काम कर सकता है। इससे किडनी स्टोन को जड़ से खत्म किया जा सकता है। यह शरीर से टाक्सिस को बाहर करने में किडनी की मदद करता है। सेब का सिरका लेते समय इसकी मात्रा का ध्यान रखना भी जरूरी होता है। आप इसे दो छोटे चम्मच गर्म पानी के साथ रोज ले सकते हैं। इसे लेने से पहले अपने डाक्टर से सलाह जरूर लें।
सोडियम का सेवन कम करें- क्या आप जानते हैं ज्यादा मात्रा में सोडियम का सेवन करने से कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। इससे न सिर्फ दिल को नुकसान पहुंच सकता है बल्कि ये किडनी को भी खराब कर सकता है। अगर किडनी स्टोन से बचना चाहते हैं तो सोडियम के सेवन को कम करें।


आसान हुआ आधार में मोबाइल नंबर बदलवाना

आसान हुआ आधार में मोबाइल नंबर बदलवाना



यूआईडीएआई ने आधार में मोबाइल नंबर अपडेट करने के बारे में दी जानकारी
प0नि0डेस्क
देहरादून। आज आधार कार्ड की पहचान एक अहम दस्तावेज के तौर पर है। वर्तमान में कई सरकारी कार्यों में आधार कार्ड की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में जरूरी है कि आधार कार्ड आपके मोबाइल नंबर से लिंक हो। अगर आपने किसी वजह से अपना मोबाइल नंबर बदल लिया है तो जरूरी है कि अपने आधार नंबर डेटाबेस में भी अपना नंबर अपडेट करा सकें। हाल ही में आधार जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई ने अपने आधार नंबर डेटाबेस में इसे अपडेट करने के बारे में जानकारी दी है।
यूआईडीएआई ने इसको लेकर एक ट्वीट किया है जिसमें यूआईडीएआई ने कहा है कि अगर आप भी अपने आधार से लिंक्ड मोबाइल नंबर अपडेट करना चाहते हैं तो आपको अब किसी भी दस्तावेज की जरूरत नहीं है। आप सिर्फ अपना आधार कार्ड लेकर किसी भी नजदीकी आधार सेवा केंद्र में जाएं और मोबाइल नंबर अपडेट करने के रिक्वेस्ट दे सकते हैं।
आधार में मोबाइल नंबर अपडेट करने के लिए केवल 50 रुपये खर्च करने होंगे। दरअसल जब भी आप आप आधार नंबर का इस्तेमाल किसी वेरिफिकेशन प्रक्रिया करेंगे तो आपके मोबाइल नंबर पर इसके लिए ओटीपी भेजा जाता है। यह ओटीपी आपके रजिस्टर्ड या ईमेल आईडी पर ही भेजा जाता है। ऐसे में अगर आपका मोबाइल नंबर बदल गया है तो ये ओटीपी आपके पुराने नंबर पर ही आएगा और फिर आप ओटीपी प्रक्रिया को नहीं पूरा कर सकेंगे। साथ ही आप अपने आधार को किसी दस्तावेज से लिंक भी नहीं करा सकेंगे।


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