गुरुवार, 30 सितंबर 2021

आंदोलनकारी चिन्हिकरण मानकों में ढील को मुख्यमंत्री से लगाई गुहार: मोर्चा

 आंदोलनकारी चिन्हिकरण मानकों में ढील को मुख्यमंत्री से लगाई गुहार: मोर्चा    



* श्रमिकों पर दर्ज  मुकदमा वापसी का भी किया आग्रह  संवाददाता 
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा प्रतिनिधिमंडल ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मुलाकात कर राज्य आंदोलनकारी चिन्हिकरण मानकों में ढील एवं श्रमिकों पर दर्ज हुए मुकदमे वापसी को लेकर ज्ञापन सौंपा। मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव गृह को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।                                            नेगी ने कहा कि प्रदेश में आज भी हजारों आंदोलनकारी चिन्हित होने से वंचित हैं, जिसका मुख्य कारण पुष्ट दस्तावेजों का अभाव है। कई वंचित आंदोलनकारियों ने दिन- रात एक कर आंदोलन में प्रतिभाग किया था तथा  गिरफ्तारियां भी दी थी,  जिनको गिरफ्तारी के पश्चात शाम को रिहा कर दिया गया था, लेकिन उनके पास इसका कोई पुष्ट प्रमाण नहीं हैं।           
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा हाल ही में चिन्हिकरण की प्रक्रिया 31/12/ 2021 तक निर्धारित की है, लेकिन  इसका फायदा आंदोलनकारियों को तभी मिल सकता है, जब मानकों में ढील होगी। इसके अतिरिक्त मोर्चा ने  श्रमिकों पर वर्ष 2006 में दर्ज हुआ मुकदमा वापसी को लेकर भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया।                
मोर्चा को उम्मीद है कि शीघ्र ही वंचित राज्य आंदोलनकारियों का  चिन्हिकरण हो सकेगा।  प्रतिनिधिमंडल में भीम सिंह बिष्ट भी मौजूद थे।

बुधवार, 29 सितंबर 2021

शेयरधारकों के लिए एसजेवीएन की 33वीं वार्षिक आम बैठक आयोजित

 एसजेवीएन द्वारा वित्त वर्ष 2020-21 में अब तक का सर्वाधिक कर पूर्व लाभ अर्जित 

शेयरधारकों के लिए एसजेवीएन की 33वीं वार्षिक आम बैठक आयोजित



संवाददाता

शिमला। एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में एसजेवीएन की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कारपोरेट कार्यालय शिमला में आयोजित एसजेवीएन की 33वीं वार्षिक आम बैठक के दौरान शेयरधारकों को अपने संबोधन में कंपनी की भविष्य की संभावनाओं के बारे में अवगत करवाया। शेयरधारकों ने वार्षिक आम बैठक में वर्चुअल रूप से भाग लिया, जहां अन्य प्रस्तावों के साथ-साथ वित्त वर्ष 2020-21 की लिए अंकेक्षित वित्तीय परिणामों को स्वीकृत किया गया।

शर्मा ने बताया कि जहां वर्ष 2020-21 ने इतिहास में अपना स्थान कोविड-19 महामारी के रूप में चिह्नित किया, जिसने एक अभूतपूर्व वैश्विक मानवीय और आर्थिक संकट को उत्पन्न किया है, वहीं एसजेवीएन के प्रबंधन और कर्मचारियों ने 5 विद्युत् स्टेशनों से 9224 मिलियन यूनिट विद्युत का उत्पादन करके उत्कृष्ट प्रचालन निष्पादन करने का अवसर प्राप्त किया। इन विद्युत स्टेशनों की डिजाइन एनर्जी 8700 मिलियन यूनिट है। कोविड-19 प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एसजेवीएन ने 2020-21 में कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) की पहल के तहत 52.87 करोड़ रुपए खर्च किए तथा पीएसयू अवार्ड श्रेणी में दलाल स्ट्रीट इन्वेस्टमेंट जर्नल ने एसजेवीएन को वर्ष 2020 का सबसे सर्वाधिक कुशल और लाभअर्जक मिनी रत्न घोषित किया। .

वित्तीय निष्पादन के संबंध में बताते हुए शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2168.67 करोड़ रुपए का कर पूर्व लाभ (पीएटी) प्राप्त किया है। कंपनी का शुद्व लाभ वर्ष 2019-20 में 1557.43 करोड़ रुपए की तुलना में वर्ष 2020-21 में बढ़कर 1633.04 करोड़ रुपए रहा तथा प्रति शेयर आय (ईपीएस) वर्ष 2019-20 में 3.96 रुपए प्रति शेयर से बढ़कर 2020-21 में 4.16 रुपए प्रति शेयर हो गया। एसजेवीएन ने वर्ष 2020-21 के लिए 2.20 रुपए प्रति शेयर के लाभांश की घोषणा की है, जिसमें से पफरवरी 2021 में 1.80 रुपए के अंतरिम लाभांश भुगतान किया जा चुका है।

गत वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में 15.86ः की वृद्वि दर्ज करते हुए वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में एसजेवीएन का कर पूर्व लाभ 445.07 करोड़ रुपए रहा। स्टैंडअलोन शुद्व लाभ वर्ष 2020-21 की जून तिमाही में 301.08 करोड़ रुपये से 12.77 फीसदी बढ़कर 339.54 करोड़ रुपये हो गया। जून 2020 में 12332.85 करोड़ रुपए की तुलना में जून 2021 के अंत में एसजेवीएन की कुल परिसंपत्ति बढ़कर 13100.97  करोड़ रुपए रही।

शर्मा ने कंपनी की भविष्य की संभावनाओं के बारे में कहा कि एसजेवीएन के परियोजना पोर्टफोलियो का विस्तार जारी है और 11,000 मेगावाट को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में तथा 2021-22 की पहली तिमाही में कंपनी ने अपने पोर्टफोलियो में 2525 मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता की नई परियोजनाओं को शामिल कर लिया है। एसजेवीएन को नेपाल सरकार द्वारा नेपाल के भोजपुर जिले में 679 मेगावाट की लोअर अरुण जलविद्युत परियोजना, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा चिनाब बेसिन पर 104 मेगावाट की तांदी जलविद्युत परियोजना, 130 मेगावाट की राशिल जलविद्युत परियोजना और 267 मेगावाट की साचखास जलविद्युत परियोजना आबंटित की है। एसजेवीएन ने 24 सितंबर 2021 को इंडियन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी लिमिटेड (इरेडा) द्वारा जारी की गई आरएफपी के आधार पर 1000 मेगावाट की ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी सौर परियोजना प्राप्त की।

कंपनी भारत, नेपाल तथा भूटान में जलविद्युत, ताप, सौर तथा पवन क्षेत्रों में परियोजनाओं को निष्पादित कर रही है। कंपनी ने अपनी यात्रा की रुपरेखा तैयार की है और लघु, मध्यम, दीर्घकालिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एसजेवीएन ने 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12000 मेगावाट तथा 2040 तक 25000 मेगावाट प्राप्त करने का एक साझा विजन रखा है।


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सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ का ध्यानाकर्षण सत्याग्रह कार्यक्रम निरस्त

 यूपीजेई एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ का ध्यानाकर्षण सत्याग्रह कार्यक्रम निरस्त



प्रबन्ध निदेशक संग सकारात्मक वार्ता के बाद सत्याग्रह कार्यक्रम निरस्त

संवाददाता

देहरादून। उत्तराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों की उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 के प्रबन्धन से द्विपक्षीय वार्ता हुई। जिसमें सेवानिवृत्त कार्मिकों, अवर अभियन्ताओं, सेवानिवृत्त प्रोन्नत अभियन्ताओं, दिवंगत अभियन्ताओं के आश्रितों की समस्याओं के निराकरण के सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा हुई। प्रबन्ध निदेशक ने सकारात्मक रूप से चर्चा करते हुए समस्याओं के शीघ्र निराकरण हेतु आश्वस्त किया। 

वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई जिसको देखते हुए उत्तराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर्स ऐसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ का उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 के मुख्यालय पर प्रस्तावित ध्यानाकर्षण सत्याग्रह के कार्यक्रम को निरस्त कर दिया गया।

वार्ता में प्रबन्ध की ओर से प्रबन्ध निदेशक, निदेशक (मा0सं0) निदेशक (वित्त) एवं महाप्रबन्धक (मा0सं0) उपस्थित रहे तथा एसोसिएशन की ओर से सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ई0 जी0एन0 कोठियाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष ई0 आर0के0 जैन, उपाध्यक्ष ई0 डी0एस0 गौड, सचिव ई0 एस0के0 जैन, प्रचार सचिव ई0 ए0के0 स्वामी, ई0 रामनाथ सैनी (उपसचिव यूजेवीएन लि0), ई0 सतीश अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

स्वस्थ दिल के लिए रोजाना वॉक

 स्वस्थ दिल के लिए रोजाना वॉक



- विश्व हृदय दिवस पर वेलमेड हॉस्पिटल से क्लेमेंट टाउन मोड़ तक 4 किलोमीटर की वॉक फॉर हार्ट
संवाददाता
देहरादून। टर्नर रोड़ स्थित वेलमेड हॉस्पिटल, वेलमेड हैल्थकेयर सोसायटी, क्लेमेंट टाउन रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी और रोटरी क्लब देहरादून ने विश्व हृदय दिवस पर वॉक फॉर हार्ट का आयोजन किया। जो वेलमेड हॉस्पिटल से शुरू होकर क्लमेंट टाउन मोड़ से होते हुए वापस वेलमेड़ हॉस्पिटल तक हुई। लगभग चार किलोमीटर की इस वॉक में बच्चों से लेकर बुजुर्ग शामिल थे, विशेष रूप से क्लमेंट टाउन सेना की ओर से मेडिकल  कोर के कर्नल प्रदीप और एसएसओ राजेश नेगी भी इस अवसर पर उपस्थित रहें।
इस मौके पर मुख्य अतिथि विधायक विनोद चमोली ने हरी झंडी दिखाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विधायक ने पैदल चल कर लोगों को हृदय रोगों के प्रति लोगों को जागरुक किया। उन्होंने कहा कि हार्ट का मामला स्ट्रेस से जुड़ा हुआ है, जितना व्यक्ति स्ट्रेस लेगा, उसका असर सीधा दिल पर होता है और इसके लिए हर व्यक्ति को एक संतोष अपने जीवन में साधना होगा, ताकि स्ट्रैस लेवल कम हो सकें। उन्होंने वेलमेड के इस जन जागरुकता कार्यक्रम की सराहना की। 
वेलमेड हॉस्पिटल के चैयरमैन व वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डा0 चेतन शर्मा ने कहा कि हृदय रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है, अब युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं और इसका मुख्य कारण गलत खानपान और जीवनशैली है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ दिल के लिए रोजाना दस हजार कदम यानि 6 से 7 किलोमीटर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेलमेड हॉस्पिटल स्थानीय लोगों को हृदय रोगों के प्रति जागरुक करने के लिए  2 अक्टूबर गांधी जयंती के अवसर पर एक नि:शुल्क हैल्थ चेकअप कैंप का आयोजन भी करने जा रहा है, जिसमें  हर उम्र के लोग आकर परामर्श ले सकते हैं। 
वेलमेड हैल्थकेयर सोसायटी के कोर्डिनेटर महेश पांडे ने क्षेत्रवासियों का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि वेलमेड हॉस्पिटल अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है। 
इस अवसर पर डा0 ईशान शर्मा, डा0 सीपी त्रिपाठी, डा0 माधवी आनंद, डा0 इशांत, डा0 अजहर जावेद, शाहीद अहमद, सम्राट देब, सौरभ शर्मा, सुनील कुकरेती, राजेन्द्र पुनेठा, डा0 निशांत, मोहन जोशी, सौरभ उनियाल, भूपिंदर फरतियाल, अभिषेक परमार, कर्नल सुरेश त्यागी, कर्नल हीरामणि बर्थवाल, कर्नल पांडया, जीबी पांडेय, पीआरओ साक्षी कोठियाल, विशाल, मुकुल, रितिक रावत, राम सिंह रावत, महावीर, ओमकार, धर्मवीर, वीरेंद्र मियान, बबलू थापा, भुवनेश कुकरेती आदि मौजूद रहे।

मंगलवार, 28 सितंबर 2021

धैर्य और सहिष्णुता के स्तर में गिरावट वैश्विक चुनौती

 विचार से सक्षम व्यक्ति असफल होने से नहीं, प्रयत्न न करने से डरेगा

धैर्य और सहिष्णुता के स्तर में गिरावट वैश्विक चुनौती 



हरीश बड़थ्वाल

नई दिल्ली। दशकों पुराने आबिद सुरती के एक कार्टून में, एक पिता अपने बेटे की जबरदस्त धुनाई करते दिख एकता है। पड़ोसी के पूछने पर बताते हैं, ‘कल इसका रिजल्ट आने वाला है और तब तक मैं इंतजार नहीं कर सकता’।

घंटी बजाने पर दरवाजा तुरंत न खुलना, रेस्तरां में आर्डर की आइटम प्रस्तुत होने में देरी, झट से उत्तर न मिलना, हार्न देने पर धीमे चलते वाहन द्वारा मार्ग न छोड़ना जैसी स्थितियों में आपा खोकर लड़़ने लगना, अधकचरी सोच का लक्षण है। स्वस्थ वृत्ति का तकाजा है, उन संभावनाओं की अनदेखी न हो जिनके कारण सामने वाला हमारे अनुकूल आचरण नहीं कर रहा, नामालूम वह विक्षिप्त, दुविधाग्रस्त या संताप में हो। हम मान लेते हैं, वह जानबूझ कर हमारी नहीं सुन रहा। किसी को समझने से पहले उसे समझाने, परखने या उसके बारे में राय बनाने का अर्थ है हमें अपनी सोच दुरस्त करनी चाहिए। किसी के बाबत आपकी राय अधिक सटीक तब होगी जब बरसों-बरस विभिन्न अवसरों में उसे देखते, बरतते रहे हैं।


                                                                         हरीश बड़थ्वाल

किन्हीं कारणों से सभी समुदायों में धैर्य और सहिष्णुता के स्तर में गिरावट वैश्विक चुनौती बन चुकी है। तनाव, उद्विग्नता, और अवसाद जैसी मानसिक व्याधियों में अनवरत बढ़त हो रही है। मानसिक रोगों का इलाज लेने वालों से कहीं गुना वे बेचारे हैं जिन्हें अनुमान ही नहीं कि वे मानसिक विकृति या व्याधि से ग्रस्त हैं। वैचारिक उन्नति और ठीक ठाक जीने के संदर्भ में अनजान होना उतना जोखिम भरा नहीं जितना अपनी बेहतरी इच्छा न होना।

शरीर में तो बहुत कुछ करने में सामर्थ्य है, यह मस्तिष्क को समझाना होता है। स्वस्थ काया के बावजूद अनेक जन सदा इस भ्रम में जीते हैं कि उसके अंग-प्रत्यंग पफलां कार्य कर ही सकते, ऐसे व्यक्ति वैचारिक अपंगता के शिकार हैं। जब आप जैसा एक व्यक्ति अमुक कर सकता है यह कैसे संभव है कि आप नहीं कर सकते, गड़बड़ सोच में है। विचार से सुदृढ़ व्यक्ति जानता है कि प्रभु का प्रतिरूप होने के कारण वह अथाह ऊर्जा से परिपूर्ण है जिसके समुचित दोहन से आश्चर्यजनक, विश्वसनीय कार्य संपादित किए जा सकते हैं।

जब दो व्यक्तियों में से एक कहता है, मैं फलां कार्य कर सकता हूं और दूसरा कहता है, मैं नहीं कर सकता तो दोनों सही होते हैं। वैचारिक रूप से संपन्न व्यक्ति हौसलों से सराबोर होगा, मुंह लटकाया नहीं। वह जानता है कि कोई पराजित तभी होता है जब पराजय को अंतिम सत्य मान लिया जाए। समूचा खेल शारीरिक बल से अधिक मन को उत्साही और पाजीटिव मुद्रा में ढ़ाले रखने का है। वोल्टेयर ने कहा, ‘प्रतिदिन ग्राही, प्रसन्न मुद्रा में रहने का निर्णय अहम और अत्यंत साहसपूर्ण होता है’।

अपने हित न जानने वाला वैचारिक रूप से पंगु हैं, उसकी स्थिति शारीरिक अपंगों से अधिक शोचनीय है। विचार से सक्षम व्यक्ति असफल होने से नहीं, प्रयत्न न करने से डरेगा, वह दूसरों को परख-परख कर एकाकी पड़ जाने के बजाए उन्हें समझने की चेष्टा करेगा, इस प्रक्रिया में अन्यों से उसके अच्छे, सौहार्दपूर्ण हो जाएंगे।


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पीएम केयर्स फंड पर विवाद गहराता जा रहा

 पीएम केयर्स फंड पर विवाद गहराता जा रहा 



पीएमकेयर्स फंड सरकार का फंड नहीं और इसमें संचित धनराशि सरकारी खजाने में नहीं जाती!

प0नि0डेस्क

देहरादून। पीएमकेयर्स फंड की मार्च 2020 में एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में स्थापना की गई थी। तब से इसे स्थापित करने के उद्देश्य और इसके संचालन में पारदर्शिता की कमी को लेकर विवाद चल रहा है। कई लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई आवेदन देकर इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन पूरी तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है।

इसके बाद लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस फंड को लेकर सरकार का ताजा बयान दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले पर सुनवाई के दौरान आया। वकील सम्यक गंगवाल ने इसी अदालत में दो अलग अलग याचिकाएं दायर की हुई हैं। एक में फंड को आरटीआई कानून के तहत पब्लिक अथारिटी घोषित करने की और दूसरी याचिका में स्टेट घोषित करने की अपील की है।

दूसरी याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने अदालत को बताया कि यह ट्रस्ट चाहे संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत स्टेट हो या ना हो और आरटीआई कानून के तहत पब्लिक अथारिटी हो या ना हो, किसी थर्ड पार्टी की जानकारी देने की हमें अनुमति नहीं है।

सरकार के इस फंड को थर्ड पार्टी कहने से मामला और पेचीदा हो गया। गंगवाल पहले ही अदालत को बता चुके हैं कि फंड की वेबसाइट पर उससे संबंधित जो कागजात मौजूद हैं, उनमें यह बताया गया है कि ट्रस्ट की स्थापना ना तो संविधान के तहत की गई है और ना संसद द्वारा पारित किए गए किसी कानून के तहत।

इसके बावजूद सरकार के सबसे उच्च दर्जे के अधिकारियों का नाम इससे जुड़ा है। प्रधानमंत्री पदेन रूप से इसके अध्यक्ष हैं और रक्षा, गृह और वित्त मंत्री पदेन रूप से ही इसके ट्रस्टी हैं। इसका मुख्य कार्यालय पीएमओ के अंदर ही है और पीएमओ में ही एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी इसका संचालन करते हैं।

वेबसाइट पर सिर्फ वित्त वर्ष 2019-20 में इसमें आए अंशदान की जानकारी उपलब्ध है, वो भी सिर्फ 27 से लेकर 31 मार्च तक यानी कुल पांच दिनों की। इन पांच दिनों में फंड को 3076 करोड़ रुपए हासिल हुए।

लेकिन वेबसाइट के मुताबिक अभी तक फंड से 3100 करोड़ रुपए कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित अलग अलग कार्यों के लिए आबंटित किए गए हैं। ऐसे में फंड को लेकर पूरी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है।


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आरक्षित वर्गों में अत्यन्त गरीबों हेतु क्षैतिज आरक्षण को मोर्चा का घेराव

 आरक्षित वर्गों में अत्यन्त गरीबों हेतु क्षैतिज आरक्षण को मोर्चा का घेराव



संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव, प्रदर्शन कर आरक्षित वर्गों में ही क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था लागू कराने को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसडी एम विकासनगर की गैरमौजूदगी में आरके गंगा प्रसाद उनियाल एवं प्रदीप सैनी को सौंपा।                    

नेगी ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के एस0सी0, एस0टी0, ओ0बी0सी0, ई0डब्ल्यू0एस0 हेतु आरक्षण की व्यवस्था क्रमशः 19 फीसदी, 4, 14, 10 फीसदी निर्धारित की हुई है, लेकिन आरक्षित प्रत्येक वर्ग के अत्यन्त गरीबों को इसका लाभ नहीं मिल पाता, जिसकी सबसे बड़ी वजह इसमें न्यूनतम आय का निर्धारण न होना है। न्यूनतम आय यथा भूमिहीन, आवासविहीन, निराश्रित व दो वक्त की रोटी को मोहताज लोग इस आरक्षण का लाभ नहीं उठा पाते तथा इसके विपरीत साधन सम्पन्न लोग आरक्षण का लाभ उठाकर हर क्षेत्र में उन्नति कर लेते हैं, लेकिन जिनको इसका हक मिलना चाहिए था, वो वास्तविक हकदार हाशिए पर चला गया है।

नेगी ने कहा कि वैसे तो एस0सी0, एस0टी0 में क्रीमीलेयर की कोई व्यवस्था नहीं है तथा ओ0बी0सी0, ई0डब्ल्यू0एस0 में क्रीमीलेयर की व्यवस्था विद्यमान है, लेकिन इस व्यवस्था के अन्तर्गत लगभग सभी लोग इस श्रेणी में आ जाते हैं तथा वास्तविक हकदार (अत्यन्त गरीब) फिर ठगा सा रह जाता है। वास्तविक अत्यन्त गरीब की श्रेणी जिसकी मासिक आय सभी स्रोतों से रुपये 5000-7000 हो, वही हकदार माना जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त प्रदेश में अत्यन्त निर्धन वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ तभी मिल सकता है, जब इन आरक्षित वर्गों में अत्यन्त गरीबों हेतु क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था विद्यमान होगी, वरना ये आरक्षण गरीबों के लिए मात्र छलावा साबित हो रहा है।

 घेराव, प्रदर्शन में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, ओपी राणा, अमित जैन, मो0 इसरार, मो0 नसीम, मो0 इस्लाम, जयदेव नेगी, फतेह आलिम, जयकृत नेगी, मालती देवी, कुंवर सिंह नेगी, फकीर चंद पाठक, गयूर, इदरीश, अशोक डंडरियाल, नवीन शर्मा, रविंद्र व्यास, गोविंद नेगी, कल्पना बिष्ट, पुष्पा, मंजू, बालेश्वरी, लता रावत, नीरू त्यागी, मीना श्रीवास्तव, सुशील भारद्वाज, अंकुर चौरसिया, प्रदीप कुमार, दीपांशु अग्रवाल, राजू गोयल, मो0 आसिफ, टीकाराम उनियाल, परितोष, फरहाद आलम, समीर अंसारी, सुरजीत भंडारी, राम बहादुर थापा, रामबहादुर शर्मा, राम बहादुर मल्ल, नरेंद्र कुमार, महेंद्र सिंघल,  भागवत बिष्ट, विनोद जैन, संदीप ध्यानी, बीएम डबराल, अशोक गर्ग, सचिन शर्मा, नरेंद्र तोमर, प्रवेश तोमर, जयपाल सिंह, चौ0 मामराज, मदन सिंह, भीम सिंह बिष्ट, संध्या गुलेरिया, सुषमा देवी, राजेश्वरी क्लार्क, रमेश मल्होत्रा, सतीश सेमवाल, खुर्शीद, जगदीश रावत, सुमेर चंद, सुनील कुमार, जाबिर हसन, सलीम मिर्जा, आदि शामिल रहे।


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सोमवार, 27 सितंबर 2021

लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने संभाला एनसीसी के महानिदेशक का पदभार

 लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने संभाला एनसीसी के महानिदेशक का पदभार 



एजेंसी

नई दिल्ली। लेफ्टिनेंट जनरल गुरबीरपाल सिंह ने राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) के 34वें महानिदेशक के रूप में पदभार ग्रहण किया। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह को 1987 में पैराशूट रेजिमेंट में कमीशन प्रदान किया गया था। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला, भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और एनसीसी के पूर्व छात्र होने के साथ-साथ उन्होंने वेलिंगटन में डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज महू में हायर कमांड कोर्स और नई दिल्ली में नेशनल डिफेंस कालेज कोर्स में भाग लिया।

लेफ्टिनेंट जनरल सिंह नगालैंड और सियाचिन ग्लेशियर में आतंकवाद विरोधी वातावरण में कंपनी कमांडर रह चुके हैं। उन्होंने कश्मीर में वैली सेक्टर के गहन आतंकवाद विरोधी माहौल में और लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल में एक स्पेशल फोर्सेज बटालियन की कमान संभाली है। उन्होंने नियंत्रण रेखा पर माउंटेन ब्रिगेड और इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली है।

जनरल आफिसर सेक्टर मुख्यालय राष्ट्रीय राइफल्स में जनरल स्टाफ आफिसर (आपरेशन्स) के पद पर भी रहे हैं। उनका सैन्य अभियान निदेशालय और मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ दोनों में रहे हैं। इसके अलावा वह कमांडो स्कूल और भारतीय सैन्य प्रशिक्षण टीम में प्रशिक्षक रहे हैं।

सड़क के चौड़ीकरण के लिए पेड़ों के काटे जाने का विरोध

 सिटीजन्स फार क्लीन एंड ग्रीन एंबीएन्स ने जोगीवाला से सहस्त्रधारा चौराहे तक काटे जाने वाले 2200 पेड़ों को अनावश्यक बताया

सड़क के चौड़ीकरण के लिए पेड़ों के काटे जाने का विरोध



संवाददाता

देहरादून। रिंग रोड़ के विस्तार के लिए जोगीवाला से सहस्त्रधारा चौराहे तक 2200 पेड़ों की बलि दी जानी है, जिसका सिटीजन्स फार क्लीन एंड ग्रीन एंबीएन्स ने भी अन्य संस्थाओं के साथ खलंगा स्मृति पार्क के बाहर सहस्त्रधारा रोड पर रोष व्यक्त किया और उत्तराखण्ड सरकार की पर्यावरण विरोधी नीतियों पर विरोध प्रदर्शन किया। 

विरोध प्रदर्शन में सिटीजन्स फार क्लीन एंड ग्रीन एंबीएन्स समिति के अध्यक्ष राम कपूर ने कहा कि सरकार की पर्यावरण विरोधी नीतियों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा और जो 2200 पेड़ कटने प्रस्तावित है, उन्हें कटने नहीं दिया जायेगा। राम कपूर ने कहा कि यदि सरकार पेड़ों को काटे जाने के निर्णय को वापिस नहीं लेगी तो समिति को अदालत जाने पर बाध्य होना पड़ेगा।

हजारों की तादात में मौजूद लोग सहस्त्रधारा रोड पर दोनों तरफ अपने अपने बैनरों के साथ खड़े सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और वृक्ष नहीं तो वोट नहीं, एक दो तीन चार-वृक्षों को बचाओं यार, जैसे नारे लग रहे थे। काटे जाने वाले समस्त वृक्षों पर मौलियां बांधी जा रही थी और वृक्षों को बचाने सम्बन्धी बैनर चिपकाये जा रहे थे।

राम कपूर ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार का इस तरह का पर्यावरण विरोधी रवैया हैरान करने वाला है। 2022 में आने वाले चुनावों में इसका खमियाजा उसे भुगतना पड़ सकता है। जिस सहस्त्रधारा रोड पर 2200 वृक्षों को काटे जाने का प्रस्ताव है, वह रोड काफी चौड़ी है और वाहनों के आवागमन में या ट्रैफिक जाम जैसी समस्या उस पर न के बराबर है, फिर भी पेड़ों को काटने का प्रस्ताव पारित किया गया। 

विरोध प्रदर्शन में समिति के अन्य सदस्य अमरनाथ कुमार, शम्भू शुक्ला, दीपक वासुदेवा, जे0पी0 किमोठी, हर्षधर्वन जमलोकी, रंदीप अहलूवालिया, संदीप भाटिया, आर0के0 हाण्डा, सुभाष जसौरिया, आलोक आहूजा, अनुराग शर्मा, गगन चावला, शिवम शुक्ला मौजूद रहे।


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रविवार, 26 सितंबर 2021

मांगें पूरी न होने पर सत्याग्रह करेंगे वयोवृद्व सेवानिवृत्त कार्मिक

 मांगें पूरी न होने पर सत्याग्रह करेंगे वयोवृद्व सेवानिवृत्त कार्मिक



यूपीसीएल प्रबंधन के रवैये से यूपीजेई एसो0 का सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ आहत

संवाददाता

देहरादून। उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 के प्रबन्ध निदेशक को उत्तराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ के द्वारा सेवानिवृत्त कार्मिकों, अवर अभियन्ताओं/सेवानिवृत्त प्रोन्नत अभियन्ताओं/दिवंगत अभियन्ताओं के आश्रितों की मात्रा चार समस्याओं के निराकरण के लिए पत्र प्रेषित कर प्रार्थना की गयी। ऐसे में यदि समस्याओं का निराकरण द्विपक्षीय वार्ता के द्वारा नहीं किया जाता है तो समस्त सेवानिवृत्त अवर अभियन्ताओं/सेवानिवृत्त प्रोन्नत अभियन्ता अधिकारियों द्वारा उत्तराखण्ड पावर कारपोरशन लि0 के मुख्यालय पर 30 सितम्बर को प्रातः 11 बजे से शाम 5 बजे तक ध्यानाकर्षण सत्याग्रह कार्यक्रम पर बैठने के लिए बाध्य होना पडेगा, जिसका सम्पूर्ण उत्तरदायित्व निगम प्रबंधन, शासन व सरकार का होगा। 

यहां जारी एक विज्ञप्ति में यूपीजेई एसो0 के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ ने कहा कि ऊर्जा मन्त्री हरक सिंह रावत के निर्देशों के बावजूद न्यायोचित कार्यवाही न होना प्रबंधन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। निगम प्रबंधन, उत्तराखण्ड शासन, ऊर्जा मन्त्री एवं मुख्यमन्त्री को भी पत्र द्वारा सूचित किया गया है। किन्तु वयोवृद्व सेवानिवृत कार्मिकों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। समस्यायें भी ऐसी जिसका कोई वित्तीय भार नहीं है, मात्र शासन के द्वारा किये गये आदेशों का अनुपालन कराना तथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 के आदेश पर पुनर्विचार कर संशोधित करना है। 

उनका कहना है कि प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान की बात तो करते हैं किन्तु क्या धरातल पर इसका अनुपालन हो रहा है? यह शोचनीय विषय है। दिनांक 31.12.2015 तक सेवानिवृत्त कार्मिकों, अवर अभियन्ताओं, सेवानिवृत्त प्रोन्नत अभियन्ताओं/दिवंगत अभियन्ताओं के आश्रितों को एक रैंक एक पेंशन की पुनरीक्षित पेंशन का भुगतान न हो पाना, सेवानिवृत्त/पारिवारिक पेंशनर्स के द्वारा देय मासिक निर्धारित विद्युत नियत शुल्क (फिक्स चार्जज) को जमा करने की पूर्व व्यवस्था लागू न होना, ऊर्जा के तीनो निगमों (उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0, पिटकुल व यूजेवीएन लि0) में चिकित्सा सुविधा समान रूप से लागू न करना एवं सेवानिवृत्त अवर अभियन्ताओं/सेवानिवृत्त प्रोन्नत अभियन्ताओं/दिवंगत अभियन्ताओं के आश्रितों को प्रदेश में जिस स्थान पर स्थायी रूप से निवास कर रहे हैं उनके समस्त देय उस शहर के खण्ड कार्यालय से दिये जाने के आदेश भी आज तक पारित नहीं किये गये हैं। 

कहा गया है कि क्या यह वयोवृद्व सेवानिवृत कार्मिकों के साथ विडम्बना नहीं है? यदि दिनांक 29.09.2021 तक वार्ता के माध्यम से समाधान नहीं किया जाता है तो महात्मा गांधी के द्वारा बताये हुए रास्ते पर चलते हुए दिनांक 30.09.2021 को ध्यानाकर्षण सत्याग्रह, तदोपरान्त अग्रिम चरण में समस्त बीमार व लाचार वयोवृद्व सेवानिवृत कार्मिक पैदल मार्च करते हुए मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी के आवास की ओर लिए कूच करेंगे। शायद हमने अलग राज्य उत्तराखण्ड इसीलिए मांगा था कि बुजुर्गों का कदम-कदम पर अपमान हो।

शनिवार, 25 सितंबर 2021

आजादी का अमृत महोत्‍सव में एसजेवीएन लिमिटेड की

 एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन का आयोजन

आजादी का अमृत महोत्‍सव में एसजेवीएन लिमिटेड की भागीदारी


संवाददाता
शिमला। आजादी का अमृत महोत्‍सव भारत की स्‍वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ और राष्‍ट्र की सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक क्षेत्रों में सफल प्रगत‍िशील यात्रा को मनाने की भारत सरकार की एक पहल है। इस देशव्‍यापी जन अभियान ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए एसजेवीएन लिमिटेड द्वारा हिन्‍दी पखवाड़े के दौरान अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन-2021 का आयोजन होटल हॉली-डे-होम, शिमला के सभागार में किया गया।  
इस अवसर पर मुख्‍य अतिथि नन्‍द लाल शर्मा अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने श्रीमती गीता कपूर निदेशक(कार्मिक) और एसपी बंसल निदेशक (सिविल) की उपस्थिति में दीप प्रज्‍ज्‍वलित कर सम्‍मेलन का शुभारंभ किया। सरकार द्वारा जारी कोविड संबंधी दिशा-निर्देशों की अनुपालना करते हुए आयोजित इस कार्यक्रम में निगम के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने बढ़चढ़कर भाग लिया। 
नन्‍द लाल शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि इस वर्ष आजादी के अमृत महोत्‍सव के अंतर्गत माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के निर्देशानुसार एसजेवीएन विभिन्‍न कार्यक्रम आयोजित करते हुए राष्‍ट्र की सांस्‍कृतिक एवं साहित्यिक धरोहर को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहरा रहा है। इसी श्रृंखला में हिन्‍दी पखवाड़े के दौरान आयोजित किए जा रहे इस अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन का उद्देश्‍य सांस्कृतिक एवं भाषिक विकास हेतु एक सुदृढ़ मंच प्रदान करते हुए राजभाषा हिन्दी का विकास करना है। एसजेवीएन के अधिकारी एवं कर्मचारी राजभाषा हिन्‍दी के प्रचार-प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रहे है और कार्यालयीन कामकाज के साथ-साथ व्‍यक्तिगत जीवन में भी इसे अंगीकृत कर रहे है। 
अखिल भारतीय कवि सम्‍मेलन के दौरान आमंत्रित प्रतिष्ठित कवियों में पद्मश्री डा0 सुनील जोगी, डा0 सुमन दुबे, पवन आगरी, सुश्री बलजीत कौर तन्‍हा तथा विकास बौखल ने श्रृंगार एवं हास्‍यरस की कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्‍ध कर दिया। कवियों ने जहां एक ओर हास्‍य रस की रचनाओं प्रस्‍तुत कर सबकी तालिया बटोरी, वहीं दूसरी ओर सामाजिक संदेश से ओत-प्रोत प्रभावपूर्ण प्रस्‍तुतियों से श्रोताओं को प्रभावित किया ।  

राजभवन के निर्देश पर कर्मकार कल्याण बोर्ड महाघोटाले की होगी जांचः मोर्चा

 राजभवन के निर्देश पर कर्मकार कल्याण बोर्ड महाघोटाले की होगी जांचः मोर्चा  


            

- सीबीआई जांच कराने को मोर्चा ने किया था आग्रह  

- 80-90 करोड़ की खरीद के विभाग के पास नहीं है ई-वे बिल 

- घटिया सामान की खरीद-फरोख्त, धन की बंदरबांट एवं अन्य अनियमितताओं का भी है मामला 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि श्रम मंत्री हरक सिंह रावत, कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव श्रीमती दमयंती रावत एवं इस लूट में शामिल भ्रष्ट अधिकारियों की जुगलबंदी/गिरोहबंदी ने श्रमिकों के नाम पर 80-90 करोड़ रुपए की निम्नतम गुणवत्ता के सामान की खरीद की थी, जिसके ई-वे बिल व किस वाहन से सामान पहुंचा, उसके कोई दस्तावेज विभाग के पास नहीं हैं। अन्य और भी कई घोटालों को लेकर मोर्चा द्वारा सबसे पहले इस जुगलबंदी एवं महाघोटाले का पर्दाफाश किया गया था। इसके अतिरिक्त करोड़ों रुपए की बंदरबांट का भी मामला था।            

मोर्चा ने गत माह राज्यपाल को पत्र प्रेषित कर करोड़ों रुपए की खरीद एवं उसके वितरण एवं अन्य घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की थी, जिस पर संज्ञान लेते हुए राजभवन ने सचिव, श्रम को कार्रवाई के निर्देश दिए।              

नेगी ने कहा कि श्रमिकों को विभाग द्वारा घटिया किस्म की साइकिलंे, सोलर लालटेन, टूल किट्स, वेल्डिंग मशीन, सिलाई मशीन, छाते, खाद्यान्न किट्स आदि बांटे गए, जिसकी गुणवत्ता इतनी खराब थी कि श्रमिकों ने ओने-पौने दामों में बाजार में कबाड़ के भाव उक्त सामान को नीलाम कर दिया था। इसके अतिरिक्त कर्मकार बोर्ड द्वारा न जाने कितने ही घोटालों को अंजाम दिया गया, जोकि सीधे-सीधे श्रमिकों के हक पर डाका है। मोर्चा ने उम्मीद जताई कि इस लूट में शामिल गिरोहबंदी का पर्दाफाश होगा। 

पत्रकार वार्ता में अमित जैन व सुशील भारद्वाज भी उपस्थित थे।

शुक्रवार, 24 सितंबर 2021

एसजेवीएन ने 1000 मेगावाट की सौर विद्युत परियोजना हासिल की

 एसजेवीएन ने 1000 मेगावाट की सौर विद्युत परियोजना हासिल की



खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से परियोजना हासिल की 
संवाददाता
देहरादून। एसजेवीएन ने भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास संस्था लिमिटेड (इरेडा) द्वारा जारी रिक्वेलस्ट  फॉर प्रोपोजल (आरएफपी) के माध्यम से 1000 मेगावाट की ग्रिड कनेक्टिड सोलर पीवी विद्युत परियोजना हासिल की है। नंद लाल शर्मा अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसजेवीएन ने बताया कि कंपनी ने खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से 1000 मेगावाट की कोटेड क्षमता के लिए 2.45 रूपए प्रति यूनिट के अधिकतम टैरिफ पर परियोजना हासिल की है।
शर्मा ने अवगत कराया कि एसजेवीएन ने भारत सरकार द्वारा 44.72 लाख रूपए प्रति मेगावाट की वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) के आधार पर 1000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं हासिल की है। उपरोक्त परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत पूर्ण रूप से स्व-उपयोग या सरकार/सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रत्यक्ष अथवा डिस्कॉम के माध्य‍म से उपयोग की जाएगी।
शर्मा ने सूचित किया कि एसजेवीएन ने इरेडा द्वारा वीजीएफ पर आधारित 5000 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजनाओं के लिए जारी की गई प्रतिस्पर्धी बोली प्रकिया में भाग लिया था।
उन्होंने बताया कि इन परियोजनाओं के निर्माण एवं विकास  में लगभग रू.5500 करोड़ की लागत संभावित है । परियोजनाओं से प्रथम वर्ष में 2365 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन की संभावना है और 25 वर्षों की अवधि में परियोजनाओं से लगभग 55062 मिलियन यूनिट संचयी विद्युत उत्पादन होगा।
शर्मा ने अवगत कराया कि वर्तमान में एसजेवीएन की कुल स्थापित क्षमता 2016.5 मेगावाट है जिसमें 1912 मेगावाट के दो जलविद्युत संयंत्र और 104.05 मेगावाट के 4 नवीकरणीय विद्युत संयंत्र (6.9 मेगावाट के दो सौर संयंत्र तथा 97.6 मेगावाट के 2 पवन संयंत्र) शामिल हैं। इससे पहले एसजेवीएन ने गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में कुल 345 मेगावाट की तीन सौर परियोजनाएं हासिल की हैं। इन सभी सोलर परियोजनाओं को खुली प्रतिस्पर्धी बोली के माध्‍यम से हासिल किया गया हैं।
नन्द लाल शर्मा ने बताया कि इस आबंटन के साथ एसजेवीएन के पास अब 1345 मेगावाट की सोलर परियोजनाएं निष्‍पादनाधीन है। इन सभी सोलर परियोजनाओं को मार्च 2023-24 तक कमीशन किया जाना निर्धारित है जो एसजेवीएन की नवीकरणीय क्षमता के लिए एक बड़ी  उपलब्धि होगी।
भारत सरकार ने सभी को 24x7 विद्युत आपूर्ति की परिकल्पना की है और 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से वर्ष 2022 तक 100 गीगावाट सोलर के माध्यम से पूरा किया जाना है। गत वर्ष सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन एक्शन शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट करने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि केन्द्रीय विद्युत एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा आरके सिंह विद्युत क्षेत्र के सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सौर ऊर्जा के दोहन के लिए उचित मार्गदर्शन एवं समर्थन दे रहे हैं ताकि सभी देशवासियों को 24x7 हरित एवं सस्ती ऊर्जा उपलब्ध करवाई जा सके। भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप एसजेवीएन ने 2023 तक 5000 मेगावाट , 2030 तक 12000 मेगावाट तथा 2040 तक 25000 मेगावाट क्षमतागत वृदि्ध का अपना साझा विजन निर्धारित किया है।
वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) का अभिप्राय है एकमुश्त या आस्थीगत अनुदान, जो आर्थिक रूप से न्यायोचित परन्तु वित्तीय व्यवहार्यता से कम होने वाली इंफ्रास्ट्राक्चर परियोजनाओं की सहायता करने के लिए प्रदान किया जाता है ।                                                

अधिकारी समय पर पहुंचें आफिस वरना मोर्चा करेगा तालाबंदीः मोर्चा

 अधिकारी समय पर पहुंचें आफिस वरना मोर्चा करेगा तालाबंदीः मोर्चा



- 11 बजे से पहले अधिकारी आफिस आने को तैयार नहीं 

- अधिकांश हाजिरी लगाकर आफिस से नदारद 

- अधिकांश दोपहर बाद ही पधारते  हैं कार्यालय में 

- इस मामले में जिलाधिकारी से की वार्ता 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि अधिकांश कार्यालयों के मुखिया 11-11ः30 बजे से पहले आफिस में नहीं पहुंचते एवं उनकी देखा-देखी में कर्मचारी भी लापरवाह हो जाते हैं, जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।                

इस मामले को लेकर मोर्चा अध्यक्ष द्वारा जिलाधिकारी आर0 राजेश कुमार से वार्ता कर लापरवाह एवं देर से आफिस पहुंचने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। जिलाधिकारी द्वारा मामले में सख्त कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया गया।

नेगी ने कहा कि अधिकारियों की धींगा मस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस तरह के अधिकांश अधिकारी हाजिरी लगाकर क्षेत्र भ्रमण के बहाने मौज मस्ती में लगे रहते हैं तथा अधिकांश तो दोपहर बाद ही आना पसंद करते हैं। इन अधिकारियों को मालूम होता है कि दोपहर बाद अधिकांश आमजन आफिस में नहीं आते। 

मोर्चा ने ऐसे अधिकारियों को आगाह किया कि अगर सही समय पर आफिस नहीं पहुंचे तो मोर्चा उनके कार्यालय पर तालाबंदी करेगा।

आयुर्वेद में केले के पत्ते पर खाने की दी जाती है सलाह

 आयुर्वेद में केले के पत्ते पर खाने की दी जाती है सलाह



प0नि0डेस्क

देहरादून। सनातन धर्म में चिर काल से केले के पत्ते पर खाने की परंपरा है। वर्तमान समय में भी लोग केले के पत्ते पर खाते हैं। खासकर दक्षिण भारत में इसका प्रचलन अधिक है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो केले के पौधे में भगवान श्रीहरि विष्णु का वास होता है। इसके लिए केले के पौधे की पूजा की जाती है। खासकर गुरुवार को केले के पौधे की विशेष पूजा की जाती है। 

मान्यता है कि ऐसा करने से गुरु मजबूत होता है। विज्ञान ने भी माना है कि केले के पत्ते पर खाना स्वास्थप्रद है। आयुर्वेद में भी केले के पत्ते पर खाने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद जानकारों की मानें तो सही तरीके से बैठकर खाने से रक्त संचार सही से होता है। साथ ही शरीर का पाश्चर सही से रहता है। इसके लिए हमेशा जमीन पर बैठकर केले के पत्ते पर खाने की कोशिश करनी चाहिए। 

कई शोधकर्ताओं का कहना है कि केले के पत्ते पर भोजन ग्रहण करने से भोजन का पाचन सुव्यवस्थित तरीके से होता है। इससे पाचन क्रिया में भी तेजी आती है। इसके लिए आयुर्वेद में केले के पत्ते पर खाने की सलाह दी जाती है।

केले के पत्ते पर भोजन करना त्वचा के लिए पफायदेमंद होता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो केले के पत्ते में क्लोरोपिफल मौजूद होते हैं, जो त्वचा के लिए वरदान साबित होते हैं। इससे त्वचा में निखार आता है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्म चीजों को प्लास्टिक युक्त बर्तनों में परोसने से प्लास्टिक के अंश खाने में मिल जाते हैं। लंबे अंतराल तक प्लास्टिक की बर्तनों में खाने से सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। वहीं केले के पत्ते में एंटी-आक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। केले के पत्ते पर खाने से सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।


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लापरवाही के चलते हो रही सड़क पर मौतें!

 लापरवाही के चलते हो रही सड़क पर मौतें!

एक आंकडे के मुताबिक वर्ष 2020 में 1.20 लाख लोग मरे



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। देश में कोरोना के कारण लाकडाउन लगा लेकिन सड़क हादसों में कोई कमी नहीं आई। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि हर रोज औसतन 328 लोगों की मौत हुई। देश में पिछले साल लापरवाही से हुए सड़क हादसों के कारण 1.20 लाख लोगों की मौत हुई। 

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लाकडाउन के बावजूद हर रोज औसतन 328 लोग सड़क हादसे में मारे गए। एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक तीन साल के दौरान 3.92 लाख लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई।

एनसीआरबी की वार्षिक क्राइम इंडिया रिपोर्ट 2020 में खुलासा किया कि सार्वजनिक सड़क पर तेज गति से या लापरवाही से वाहन चलाने से चोट लगने के मामले 2020 में 1.30 लाख, 2019 में 1.60 लाख और 2018 में 1.66 लाख रहे, जबकि इन सालों में गंभीर चोट लगने के क्रमशः 85,920, 1.12 लाख और 1.08 लाख मामले दर्ज किए गए। आंकड़ों के मुताबिक 2020 में 1.20 लाख ऐसी मौतें दर्ज की गईं, यह आंकड़ा 2019 में 1.36 लाख और 2018 में 1.35 लाख था। समय बचाने या पिफर जागरुकता की कमी के कारण वाहन चालक लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं या बचाव के लिए हेलमेट आदि का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

हिट एंड रन के मामले भी चिंता का विषय है। देश में हिट एंड रन के मामले पिछले साल 41,196 दर्ज किए गए। वहीं 2019 में 47,504 और साल 2018 में 47,028 मामले दर्ज किए गए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले एक साल में देश भर में हर दिन औसतन हिट एंड रन के 112 मामले दर्ज किए गए। अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आईआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12 लाख लोगों की प्रति वर्ष सड़क हादसों में जान जाती है। रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का करीब तीन पफीसदी हिस्सा भारत में है, लेकिन देश में होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी है। इस हिसाब से देखें तो सड़क हादसों में भारत का ग्राफ बहुत बुरा है।

तेज गति, कार चलाने के दौरान सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करना, गाड़ी चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, मोटर साइकिल चालक और सवारी का हेलमेट नहीं लगाना कई बार हादसे का कारण बनता है। ओवरलोड वाहनों के कारण भी गंभीर हादसे होते हैं। महानगरों में तो सड़कों पर ऊंचे बैरिकेड लगा दिए गए हैं ताकि वाहन दूसरी लेन से उलटी दिशा में आने वाली गाड़ियों से ना टकराए लेकिन पैदल यात्रियों के लिए सड़क पार करने की सही व्यवस्था नहीं की जाती है, ऐसे में कई बार पैदल यात्री सड़क पार करने के लिए जोखिम उठाते हैं और हादसे का शिकार होते हैं।

वर्ष 2019 में मोटर व्हीकल कानून में संशोधन किया गया था जिसके बाद ट्रैफिक नियमों को तोड़ने वालों पर भारी जुर्माना लगाना मुमकिन हुआ। कानून में संशोधन का मकसद लोगों में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने को लेकर भय पैदा करना था क्योंकि इससे पहले तक जुर्माने की राशि बहुत कम होती थी।


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गुरुवार, 23 सितंबर 2021

छात्रों को कौशल विकास के अवसर प्रदान करने को प्रतिबद्व एसजेवीएन

 एसजेवीएन लिमिटेड एवं यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

छात्रों को कौशल विकास के अवसर प्रदान करने को प्रतिबद्व एसजेवीएन



संवाददाता

देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कौशल विकास तथा क्षमता निर्माण के विज़न के अनुरूप एसजेवीएन लिमिटेड ने यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के साथ एमओयू किया। 

इस दौरान नन्द लाल शर्मा अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसजेवीएन ने कहा कि यह समझौता इस बात का भी प्रमाण है कि एसजेवीएन देश के छात्रों को कौशल विकास के अवसर प्रदान करके समाज के समग्र विकास और विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

इंस्टीट्यूट के छात्रों की क्षमता विकास तथा औद्योगिक क्षेत्र के अनुभव के अवसर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से समझौता ज्ञापन पर एसजेवीएन के कार्यकारी निदेशक डी0पी0 कौशल तथा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के निदेशक पी0एल0 शर्मा ने एसजेवीएन कारपोरेट मुख्यालय में हस्ताक्षर किए।

शर्मा ने बताया कि यह समझौता ज्ञापन न केवल नए प्रौद्योगिकी स्नातकों की क्षमता में वृद्धि करेगा, अपितु उनके कौशल विकास में एक मील का पत्थर साबित होगा। छात्रों का यह अनुभव इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी की विभिन्न विधाओं में संयुक्त अनुसंधान एवं नई खोजों को भी बढ़ावा देगा।

पुत्रियों के विवाह हेतु प्रदेश सरकार द्वारा 132.63 करोड़ का अनुदान

 पुत्रियों के विवाह हेतु प्रदेश सरकार द्वारा 132.63 करोड़ का अनुदान



वर्ष 2000 से 2021 तक 55472 अनुसूचित जाति के परिवारों को मिला लाभ

समाज कल्याण निदेशालय उत्तराखंड द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से खुलासा

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड गठन से जनवरी 2021 तक अनुसूचित जाति के गरीब परिवारों की पुुत्रियों के विवाह के लिये 55,472 लाभार्थियों को 132,63,57,000 रूपये की धनराशि का अनुदान दिया गया है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को समाज कल्याण निदेशालय उत्तराखंड द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ हैै।


                                                                  नदीम उद्दीन  एडवोकेट


काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन नेे अनुसूचित जाति के परिवारों की पुत्रियों के विवाह हेतु अनुदान सम्बन्धी वर्षवार तथा जिलावार सूचना मांगी। इसके उत्तर में समाज कल्याण विभाग उत्तराखंड शासन के लोेक सूचना अधिकारी/अनुसचिव जे0पी0 बेरी ने सम्बन्धित शासनादेशों की प्रतियां तथा निदेशालय समाज कल्याण उत्तराखंड हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी/वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी प्रदीप कुमार पाण्डे ने 2000-01 से जनवरी 2021 तक के लाभार्थियों की संख्या तथा धनराशि के विवरण उपलब्ध कराये हैैं। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड गठन केे पूर्व से ही 25-10-1997 के शासनादेश से अनुसूचित जाति/जनजाति केे निर्धन एवं असहाय व्यक्तियों की पुत्रियों के विवाह हेतु 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान था जिसे शासनादेश संख्या 1030 दिनांक 12 दिसम्बर 2011 से इसे 15,000 रूपये तक वार्षिक या बी0पी0एल0 परिवारों की 2 पुत्रियों हेतु 20,000 रूपये कर दिया गया। शासनादेश संख्या 1919 दिनांक 25 जून 2013 से इसे बढ़ाकर 50,000 रूपये कर दिया गया तथा ऐसे व्यक्तियोें को बीमारी से इलाज के लिये 10 हजार रूपये तक की धनराशि प्रदान किये जानेे की भी व्यवस्था की गयी है।   

समाज कल्याण निदेशालय द्वारा नदीम को उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार अनुसूचित जाति के परिवारों की पुत्रियों के विवाह हेतु तथा बीमारी के इलाज हेतु अनुदान योजना के अन्तर्गत वर्ष 2000-2001 से 2020-21 (जनवरी तक) कुल 55,472 लाभार्थियों को रूपये 132,63,57,000 की धनराशि अनुदान पर खर्च की गयी है। इसमें सर्वाधिक 10,815 लाभार्थी हरिद्वार जिले के हैै जिन पर 3,602.08 लाख रूपये की धनराशि खर्च की गयी हैै जबकि दूसरे स्थान पर 7,411 लाभार्थी बागेश्वर जिले के है जिन पर 954.74 लाख की धनराशि खर्च हुई है जबकि तीसरे स्थान पर 5,001 लाभार्थी उधमसिंह नगर जिले केे है जिन पर 1,399.39 लाख  की धनराशि खर्च हुई हैै। अन्य जिलों में पौड़ी गढ़वाल केे 4,350 लाभार्थियों पर 836.83 लाख, टिहरी गढ़वाल के 2,838 लाभार्थियों पर 725.26 लाख, चमोली के 3,379 लाभार्थियों पर 625.63 लाख, रूद्रप्रयाग के 2,534 लाभार्थियों पर 456.29 लाख, उत्तरकाशी के 2,323 लाभार्थियों पर 587.54 लाख, देहरादून के 2,910 लाभार्थियों पर 1048.15 लाख, नैैनीताल के 3,522 लाभार्थियों पर 883.84 लाख, अल्मोड़ा के 3,365 लाभार्थियों पर 883.84 लाख, पिथौैरागढ़ के 3,486 लाभार्थियों पर 684.59 लाख तथा चम्पावत के 3,358 लाभार्थियों पर 483.93 लाख रूपये खर्च किये गये।

उपलब्ध वर्ष वार विवरण के अनुसार वित्तीय वर्ष 2000-2001 में 246 लाभार्थियों पर 17.30 लाख, 2001-02 में 1,106 लाभार्थियों पर 51.30 लाख, 2002-03 मेें 1,288 लाभार्थियों पर 64.82 लाख, 2003-04 में 1,652 लाभार्थियों पर 81 लाख, 2004-05 में 1,755 लाभार्थियों पर 111 लाख, 2005-06 में 2,129 लाभार्थियों पर 126.99 लाख, 2006-07 में 2,339 लाभार्थियों पर 152 लाख, 2007-08 में 2,644 लाभार्थियों पर 177.15 लाख, 2008-09 में 2,014 लाभार्थियों पर 160.79 लाख, 2009-10 में 4,645 लाभार्थियों पर 327.12 लाख, 2010-11 में 5,038 लाभार्थियों पर 361.76 लाख, 2011-12 में 4,497 लाभार्थियों पर 346.33 लाख, 2012-13 में 2,652 लाभार्थियों पर 449.89 लाख, 2013-14 में 4,953 लाभार्थियों पर 2252.48 लाख, 2014-15 में 5,099 पर 2149.72 लाख, 2015-16 में 4,047 लाभार्थियों पर 1749.92 लाख, 2016-17 में 1,000 पर 500 लाख तथा 2017-18 में 3,000 पर 1500 लाख, 2018-19 में 3,350 पर 1675 लाख, 2019-20 में 1,800 पर 900 लाख तथा 2020-21 ;2021 तकद्ध 218 लाभार्थियों पर 109 लाख रूपये की धनराशि अनुदान के रूप में व्यय की गयी है।

एयर मार्शल वी0आर0 चौधरी बने वायुसेना प्रमुख

 एयर मार्शल वी0आर0 चौधरी बने वायुसेना प्रमुख



एजेंसी

नई दिल्ली। सरकार ने 30 सितंबर 2021 को एयर चीफ मार्शल आर0के0एस0 भदौरिया की सेवानिवृत्ति के बाद एयर मार्शल वी0आर0 चौधरी जो वर्तमान में वाइस चीफ आफ एयर स्टाफ हैं, को अगले वायुसेनाध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है।

एयर मार्शल वी0आर0 चौधरी को 29 दिसंबर 1982 को भारतीय वायु सेना के फाइटर स्ट्रीम में कमीशन प्रदान किया गया था और वर्तमान में वाइस चीफ आफ एयर स्टाफ समेत वह विभिन्न स्तरों पर अनेक कमांड, स्टाफ और निर्देशात्मक पदों पर रहे हैं।

एयर मार्शल वी0आर0चौधरी ने पीवीएसएम, एवीएसएम और वीएम जैसी उपलब्धियां हासिल की हैं।

मोर्चा का नाम लिए बगैर आप पार्टी पर तंज

 रिक्त पदों का आंकड़ा मालूम नहीं, चले हैं एक लाख सरकारी नौकरियां बांटनेः मोर्चा का नाम लिए बगैर आप पार्टी पर तंज    


         

- प्रदेश का युवा सोया हुआ जरूर है, लेकिन बेसुध नहीं              

- उत्तराखंड की जनता को हल्के में लेने की भूल न करे 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि सत्ता हासिल करने को आतुर एक राजनैतिक दल द्वारा चंद रोज पहले यह कहा गया था कि प्रदेश में सत्ता में आने पर एक लाख युवाओं को सरकारी रोजगार देंगे, उक्त बयान बहुत ही गैर जिम्मेदाराना है, जिसकी मोर्चा कड़ी निंदा करता है।                         

नेगी ने कहा कि उक्त दल को घोषणा करने से पहले प्रदेश के रिक्त पदों के आंकड़ों एवं उनके वर्तमान स्टेटस पर होमवर्क करना चाहिए था, लेकिन प्रदेश की जनता को भोली-भाली समझ कर इस प्रकार की मनगढ़ंत घोषणा करना युवाओं को छलने जैसा है।

नेगी ने उक्त दल पर प्रहार करते हुए कहा कि जिस प्रदेश में वर्तमान में 50-60 हजार पद रिक्त चल रहे हों तथा कई हजार पदों पर अधियाचन प्रेषित किया जा चुका हो और उन पर काम भी शुरू हो गया हो, तो ऐसे में सिर्फ और सिर्फ सत्ता हासिल करने का मकसद लिए कोई दल एक लाख लोगों को सरकारी रोजगार दिए जाने की बात कैसे कर सकता है?             

नेगी ने कहा कि यह अलग बात है कि प्रदेश का युवा बेरोजगार अपने रोजगार संबंधी मांगों को लेकर सोया हुआ है, लेकिन बेसुध नहीं है। नेगी ने व्यंग कसते हुए कहा है कि शायद उक्त दल वर्तमान में कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को हटाकर नई नियुक्तियां प्रदान करेगा!        

पत्राकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व विजय राम शर्मा मौजूद थे।

बुधवार, 22 सितंबर 2021

विद्युत समस्या पर घेराव करने पहुंचे मोर्चा कार्यकर्ताओं को देख भाग खड़े हुए ईई

 विद्युत समस्या पर घेराव करने पहुंचे मोर्चा कार्यकर्ताओं को देख भाग खड़े हुए ईई        


 
    

# ग्राम पृथ्वीपुर की विद्युत समस्या का है मामला            
#क्षेत्रीय विधायक की बात को अनसुना करना नहीं होगा बर्दाश्त       
# लो-वोल्टेज एवं लंबी दूरी के पोलों से हैं ग्रामवासी परेशान  
# समस्या हल न होने पर दी तालाबंदी की चेतावनी        संवाददाता   
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ता  विद्युत संबंधी समस्याओं को लेकर मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड विकासनगर का घेराव कर करने पहुंचे ही थे कि अधिशासी अभियंता शर्मा को इसकी भनक लगते ही वे ऑफिस से भाग खड़े हुए। जिस पर मोर्चा कार्यकर्ताओं ने भारी आक्रोश व्यक्त कर अधिशासी अभियंता कार्यालय में मौजूद उपखंड अधिकारी कंडवाल को समस्या बताई। उन्होंने शीघ्र ही समस्या के निराकरण का भरोसा दिलाया। 
मोर्चा कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त प्रदर्शन, नारेबाजी कर अपना आक्रोश प्रकट किया। मोर्चा ने ग्रामीणों की विद्युत समस्या का शीघ्र समाधान न होने पर  तालाबंदी को चेताया। 
नेगी ने कहा कि ग्राम पृथ्वीपुर के छेड़ा पछुआ गोकुल वाला आदि मजरे के ग्रामीण विगत कई वर्षों से लो- वोल्टेज एवं लंबी दूरी के विद्युत पोलों की समस्या को लेकर परेशान हैं, लेकिन विभाग का ध्यान जनता की समस्या की तरफ नहीं है।                    
नेगी ने कहा कि ग्राम वासियों की मांग पर क्षेत्र पंचायत की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था। उक्त के अतिरिक्त ग्रामीणों ने इस मुद्दे के समाधान को लेकर मार्च 2021 में क्षेत्रीय विधायक को शिकायती पत्र सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी, जिस पर क्षेत्रीय विधायक द्वारा अधिशासी अभियंता को कार्रवाई करने एवं बजट के अभाव में विधायक निधि के अंतर्गत कार्य संपादित कराने हेतु पत्र प्रेषित किया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। 
नेगी ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि अगर विधायक की भी सुनवाई नहीं होनी है तो आमजन का क्या होगा।     मोर्चा ने अधिशासी अभियंता को चेतावनी दी कि अगर शीघ्र ही ग्रामीणों की विद्युत समस्या का समाधान नहीं किया गया तो मोर्चा तालाबंदी को विवश होगा।             
घेराव प्रदर्शन में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, ओपी राणा, राजेंद्र पंवार, जय देव नेगी,  प्रवीण शर्मा पिन्नी, कुंवर सिंह नेगी, रूपचंद,  सुशील भारद्वाज, गोविंद नेगी, विक्रम पाल, वीरेंद्र सिंह, अमित जैन, रहबर अली, अशोक गर्ग, राम प्रसाद सेमवाल, सफदर अली, इसरार, प्रवीण कुमार, दीपक अग्रवाल, मदन सिंह, सुमेर चंद, देव सिंह चौधरी, संदीप ध्यानी, गुरविंदर सिंह, सलीम मिर्जा, जगदीश रावत, नरेंद्र कुमार, राम बहादुर थापा, रमेश चंद, नरेंद्र क्षेत्री, पिंकू, चरण सिंह, रईस अहमदआदि मौजूद थे।

अफगानिस्तान में तालिबान अपडेट

अफगानिस्तान में तालिबान अपडेट 



मुल्ला बरादर को बंधक बनाने और हैबतुल्लाह अखुनजादा की मौत की खबर

एजेंसी

काबुल। अफगानिस्तान पर कब्जा करने और सरकार बनाने में कामयाब होने के बावजूद तालिबान के गुट के बीच दरार उभरने लगी है। तालिबान की सरकार पर हक्कानी नेटवर्क का प्रभाव है जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारों पर काम करता है। मीडिया रिपोर्ट में जानकारी सामने आ रही है कि मुल्ला बरादर को कंधार में बंधक बनाया गया है, जबकि हैबतुल्लाह अखुंदजादा मर चुका है। 

साप्ताहिक ब्रिटिश पत्रिका द स्पेक्टेटर के लिए लिखने वाले डेविड लायन ने कहा कि तालिबान के सह-संस्थापक मुल्ला बरादर को डिप्टी पीएम की भूमिका दी गई। लायन ने कहा कि पिछले दिनों काबुल में प्रेसिडेंशियल पैलेस में आयोजित एक बैठक में गर्मागर्मी बढ़ गई। बरादर और खलील हक्कानी के बीच झगड़ा हो गया। कहा जा रहा है कि इस दौरान गोलीबारी भी हुई। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

सूत्रों के अनुसार इस महीने की शुरुआत में काबुल में गोलियों की आवाज सुनी गई जो दो वरिष्ठ तालिबान नेताओं मुल्ला अब्दुल गनी बरादर और अनस हक्कानी के बीच सत्ता संघर्ष थी। यह घटना तालिबान नेताओं के बीच पंजशीर की स्थिति को कैसे हल किया जाए, इस पर असहमति को लेकर हुई, ऐसा कहा जा रहा है। गोलीबारी की जानकारी पंजशीर आब्जर्वर के असत्यापित ट्विटर हैंडल के माध्यम से साझा की गई थी, जो खुद को अफगानिस्तान और पंजशीर को कवर करने वाला समाचार आउटलेट बताता है।

लड़ाई के बाद बरादर गायब हो गया। उसके बाद कंधार में सामने आया। कुछ लोगों का मानना है कि बरादर को हक्कानी नेटवर्क ने बंधक बना लिया है। लायन ने कहा कि इस दौरान तालिबान के गुटों में जोरदार संघर्ष हुआ। तालिबान के नेता हैबतुल्लाह अखुनजादा के ठिकाने का अब तक पता नहीं है। उसे कुछ समय से देखा या सुना नहीं गया है। अफवाहें हैं कि वह मर चुका है।

लायन ने कहा कि पाकिस्तान के खुफिया प्रमुख लेफ्रिटनेंट जनरल फैज हमीद काबुल पहुंचे थे। हमीद का आपातकालीन दौरा इस बात की पुष्टि करता है कि तालिबान आईएसआई की कठपुतली मात्र है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनी हुई अफगान सरकार को सत्ता से हटाने और तालिबान को अफगानिस्तान में एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करने में पाकिस्तान एक प्रमुख खिलाड़ी रहा है। 

अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह शुरू से ही पाकिस्तान पर ऐसा आरोप लगाते रहें है। पिछले दिनों अफगानिस्तान में पाकिस्तानी हस्तक्षेप के विरोध में अफगानी लोगों ने भी जमकर प्रदर्शन किए थे। हालांकि तानिबान ने बयान जारी कर ऐसी किसी भी खबर से इंकार किया है। 

मंगलवार, 21 सितंबर 2021

एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने की महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात

 एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने की महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात


 

संवाददाता
देहरादून। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद हिमाचल प्रदेश के आधिकारिक दौरे पर हैं। इस दौरान एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द  लाल शर्मा ने राष्ट्रपति से शिष्टाचार भेंट की।
एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने भारत और विदेशों में एसजेवीएन की विभिन्न परियोजनाओं की स्थिति और प्रगति संबंध में राष्ट्रपति को अवगत करवाया। शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित 24X7 सभी के लिए विद्युत के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा विद्युत और ऊर्जा क्षेत्र का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए एसजेवीएन प्रयास कर रहा है।
शर्मा ने बताया कि 2016.5 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ एसजेवीएन 2040 तक 25000 मेगावाट की कंपनी बनने की महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य कर रहा है। एसजेवीएन देश में एक प्रमुख विद्युत कंपनी के रूप में उभरा है, जिसने ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है, जिसमें जलविद्युत, पवन, सौर तथा ताप विद्युत शामिल हैं। कंपनी की ऊर्जा ट्रांसमिशन के क्षेत्र में भी मौजूदगी है। 
शर्मा ने राष्ट्रपति को अवगत कराया कि एसजेवीएन राष्ट्र तथा देशवासियों को प्रभावित करने वाली विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में समाज तथा सरकार के समर्थन में हमेशा अग्रणी रहा है। उन्होंने आगे कहा कि एसजेवीएन ने कोविड -19 की महामारी के विरुद्ध लड़ाई में भी उदारतापूर्वक सहयोग दिया है।

सोमवार, 20 सितंबर 2021

आउटसोर्सिंग नियुक्तियों में सेवायोजन पंजीकरण की अनिवार्यता को मोर्चा ने किया घेराव

 आउटसोर्सिंग नियुक्तियों में सेवायोजन पंजीकरण की अनिवार्यता को मोर्चा ने किया घेराव 



संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव, प्रदर्शन कर आउटसोर्सिंग के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों में सेवायोजन पंजीकरण प्रमाण-पत्र की अनिवार्यता को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसडीएम विकासनगर विनोद कुमार को सौंपा।

घेराव कार्यक्रम में नेगी ने कहा कि प्रदेश में आउट सोर्स के माध्यम से होने वाली नियुक्तियों में सेवायोजन कार्यालय द्वारा प्रदत्त पंजीकरण प्रमाण पत्र की बाध्यता न होने के चलते प्रदेश के होनहार, प्रतिभावान युवाओं को छलने का काम किया जा रहा है। आउट सोर्स एजेंसियां बाहरी प्रदेश के युवाओं से सांठगांठ कर उनको मनचाहा रोजगार मुहैया करा रही है, वही इसके विपरीत प्रदेश के होनहार एवं सिफारिश विहीन युवा दर-दर की ठोकरें खाने एवं पलायन को मजबूर हैं।

उनका कहना था कि होना तो यह चाहिए कि सेवायोजन कार्यालय द्वारा ही संबंधित पद के सापेक्ष युवाओं के नाम आउट सोर्स एजेंसियों को अग्रसारित किए जाने चाहिए, लेकिन सरकार की उदासीनता के चलते सेवायोजन कार्यालय सिर्फ नाममात्र का कार्यालय रह गया है। गौर करने वाली बात यह है कि सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण स्थाई निवास प्रमाण पत्र के आधार पर ही किया जाता है। अगर पंजीकरण अनिवार्य होगा तो निश्चित तौर पर प्रदेश की युवाओं को ही आउटसोर्स के माध्यम से रोजगार मुहैया हो सकेगा।                

घेराव, प्रदर्शन में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, ओपी राणा, मो0 असद, केसी चंदेल, जयदेव नेगी, वीरेंद्र सिंह, प्रवीण शर्मा पिन्नी, मो0 इस्लाम, मो0 नसीम, सुशील भारद्वाज, कुंवर सिंह नेगी, गयूर, गुरविंदर सिंह, पीके गोस्वामी, राम प्रसाद सेमवाल, रूपचंद, नारायण सिंह चौहान, विनोद गोस्वामी, सुरजीत भंडारी, सपफदर अली, जयपाल सिंह, मीना श्रीवास्तव, संदीप ध्यानी, नरेंद्र तोमर, प्रभावती, मंजू, नीरू त्यागी, सायरा बानो, अमित जैन, विन्नू, भागवत बिष्ट, विनोद जैन, यशपाल, जाबिर हसन, संगीता चौधरी, सुषमा, सतीश सेमवाल, रमेश थपलियाल, शेर सिंह चौधरी, धर्मपाल सिंह, फकीर चंद पाठक, सुमेर चंद, संध्या गुलेरिया आदि शामिल थे।

बीआरओ अपनी सड़कों का सड़क सुरक्षा आडिट करेगा

 बीआरओ अपनी सड़कों का सड़क सुरक्षा आडिट करेगा



- बीआरओ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में एकमात्र सड़क निर्माण एजेंसी 

- बीआरओ सामरिक स्थानों और मित्र देशों में पुलों, हवाई अड्ढों, सुरंगों और सड़कों का निर्माण और रखरखाव करता है

- बीआरओ अपनी सड़कों को सुरक्षित बनाकर दुर्घटना की संभावनाओं को कम करने के लिए अपनी मौजूदा सड़कों का सड़क सुरक्षा आडिट कराएगा

- सड़क सुरक्षा की स्थिति में सुधार लाने एवं पहाड़ी और बर्फीले क्षेत्रों में सड़कों की मानक परिचालन प्रक्रियाओं को निर्धारित करने पर जोर

- लोगों में सड़क सुरक्षा जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए 75 दिनों का अखिल भारतीय मोटरसाइकिल अभियान

एजेंसी

नई दिल्ली। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित सड़कों का उपयोग न केवल सशस्त्र बलों और अर्धसैनिक बलों द्वारा किया जाता है, बल्कि पूरे देश के पर्यटकों और साहसिक कारनामों के शौकीनों द्वारा बड़े पैमाने पर किया जाता है। सभी मौसमों, ऊंचाईयों और ऋतुओं के दृष्टिकोण से यातायात की सुगमता बनाए रखने के लिए सड़क बुनियादी ढांचे में निर्माण प्रौद्योगिकी और प्रथाओं को तैयार किया जा रहा है। उन्नत प्रौद्योगिकी और परिष्कृत सड़क निर्माण मशीनों और उपकरणों की उपलब्धता ने भी सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क निर्माण की गति को तेज किया है।

ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सड़कों के बुनियादी ढांचे का विकास करना बहुत सुविधा प्रदान करता है। सड़क संपर्क पर्यटन को बढ़ावा देता है, सामाजिक- आर्थिक विकास में योगदान देता है और सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक आपूर्ति की आवाजाही को पूरे वर्ष खुला रखता है।

चूंकि हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों के दूरस्थ क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, पर्यटक और साहसिक कारनामों के शौकीन अपनी रूचि की तलाश में इन स्थानों पर आ रहे हैं। रुझान बढ़ते हुए यातायात और वाहनों की अधिक गति की घटनाओं का संकेत देते हैं, जिससे यातायात संबंधी दुर्घटनाओं में दुर्भाग्यपूर्ण वृद्वि हुई है। सड़कों का उपयोग सभी प्रकार के लोग करते हैं, कुछ अनुशासित और कुछ अनियंत्रित प्रकार के लोग, दोनों व्यवहार संबंधी पहलू हैं और सड़क निर्माण और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इन मानवीय पहलुओं से निपटना चुनौतीपूर्ण रहा है।

बीआरओ ने अब अपनी निर्मित सड़कों और पुलों की दुर्घटना की संभावना को कम करने के लिए एक खाका तैयार किया है और मौजूदा सड़कों और पुलों के आडिट के लिए एक व्यापक अभ्यास शुरू किया है। कई कार्रवाइयां पहले ही शुरू की जा चुकी हैं, सबसे महत्वपूर्ण नई दिल्ली में बीआरओ मुख्यालय में सेंटर आपफ एक्सीलेंस पफार रोड सेफ्रटी अवेयरनेस (सीओईआरएसए) की स्थापना है, जो सभी नीतियों के निर्माण और प्रख्यापन और मानक संचालन को परिभाषित करने के लिए एक नोडल एजेंसी होगी। सीओईआरएसए ने हाल ही में एक सड़क सुरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया और संगठन के भीतर से विशेषज्ञों द्वारा सड़कों के आडिट के लिए प्रारंभिक रूपरेखा तैयार की गई है।

बीआरओ का लक्ष्य मौजूदा सड़कों के चरणवार आंतरिक आडिट के साथ शुरू होने वाले चरणबद्व तरीके से सड़क सुरक्षा आडिट करना है जो इसके मुख्य विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा। इससे संभावित दुर्घटना स्थलों की पहचान करने, सड़क ज्यामितीय में अनियमितताओं और सड़क के किनारे साइनेज और सड़क के किनारे अन्य फर्नीचर आदि में सुधार का प्रस्ताव होगा। यह चरण लेखा परीक्षकों को उन अंतरालों को खोजने में सक्षम करेगा जो सड़क सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए सड़क उपयोगकर्ताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक आउटरीच प्रयास होगा। बीआरओ ने पहले ही विभिन्न सड़क सुरक्षा थीम आधारित जिंगल और छोटे वृत्तचित्र तैयार और अपलोड कर दिए हैं। राष्ट्रीय राजधानी में 14 अक्टूबर को राष्ट्रीय युद्व स्मारक से शुरू कर विशाल जनसमूह के बीच सड़क सुरक्षा जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए 75 दिनों का अखिल भारतीय मोटरसाइकिल अभियान भी चलाया जा रहा है।

बाद के चरण में अनुसंधान के आधार पर शिक्षाविदों से विचार प्राप्त करने के बाद भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद जैसे योग्य विशेषज्ञों और एजेंसियों के समर्थन से सड़क सुरक्षा आडिट के लिए एक औपचारिक पद्वति तैयार की जाएगी। इसके लिए लेखा परीक्षकों के लिए व्यावहारिक आन-साइट प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी, जो फिर अन्य मुद्दों के बीच सड़क ज्यामिति में बेहतर सुरक्षा पहलुओं को शामिल करने के लिए, विशेष रूप से पहाड़ी और बर्फ से ढके क्षेत्रों के लिए बीआरओ निर्माण प्रथाओं की जांच करेंगे।

सड़क सुरक्षा के लिए एक महीने तक चलने वाला, प्रारंभिक आंतरिक आडिट अभ्यास दिनांक 15 सितंबर से शुरू हुआ है जिसमें हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख राज्यों में बीआरओ की सभी परियोजनाएं पहले आडिट करने का प्रयास करेंगी क्योंकि सर्दियां शुरू होने से दर्रे बंद हो जाते हैं और काम में बाधा आती है। यह अगले कार्य सत्र में शामिल किए जाने वाले सुधारों के लिए शीघ्र योजना बनाने में सक्षम होगा।


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इस मल्टीबैगर स्टाक्स ने निवेशकों को मालामाल कर दिया

 7.13 रुपये वाला स्टाक हुआ 718 रुपये का

इस मल्टीबैगर स्टाक्स ने निवेशकों को मालामाल कर दिया 



एजेंसी

नई दिल्ली। एक शेयर ने निवेशकों के 1 लाख रुपये को 1 करोड़ बना दिया। इस मल्टीबैगर स्टाक्स ने अपने निवेशकों को 10 साल में मालामाल कर दिया है। यह शेयर है वैभव ग्लोबल। जिन निवेशकों ने इस शेयर में धैर्य बनाए रखा उन्हें बंपर रिटर्न मिला है। यह जेम्स एंड ज्वैलरी कंपनी है।

10 साल पहले 16 सितंबर 2011 को एनएसई पर वैभव ग्लोबल के शेयरों की कीमत 7.13 रुपये थी। जो 17 सितंबर 2021 को 718 रुपये पर पहुंच गई। यानी इन 10 सालों में वैभव ग्लोबल के शेयरों का रिटर्न 100 गुना रहा है।

पिछले 6 महीनों में वैभव ग्लोबल के शेयरों पर बिकवाली का दबाव ज्यादा रहा है। मार्च 2021 से लेकर मई के पहले हफ्रते तक वैभव ग्लोबल के शेयरों में तेजी जारी थी। इस दौरान कंपनी के शेयर 996.70 रुपये तक पहुंच गए थे। हालांकि इसके बाद जमकर प्राफिट बुकिंग हुई और यह नीचे आ गया।


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असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बीच ई-श्रम पोर्टल के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान

 असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बीच ई-श्रम पोर्टल के बारे में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान



श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने ट्रेड यूनियनों से किया अपना पूर्ण समर्थन देने का आह्वान

एजेंसी

नई दिल्ली। श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली एवं मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) डीपीएस नेगी ने आईआईआईटी-डी जबलपुर में असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों और मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत की। उन्होंने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, बीएमएस ट्रेड यूनियनों और मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस बनाने के लिए हाल ही में लान्च किए गए ई-श्रम पोर्टल की विशेषताओं और लाभों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए चर्चा की।

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने एनआईसी के तकनीकी सहयोग से आधार के साथ जुड़े असंगठित कामगारों (एनडीयूडब्ल्यू) के व्यापक राष्ट्रीय डेटाबेस के निर्माण के लिए असंगठित श्रमिकों के आनलाइन पंजीकरण के लिए एक ई-श्रम पोर्टल विकसित किया है। यह गेम चेंजर पहल 26 अगस्त को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिए शुरू की गई और सौंपी गई। 

कार्यक्रम में सीएससी के 15 कैम्प लगाए गए जिनमें निरंतर पंजीयन की प्रक्रिया सुचारु रूप से चलती रही। कार्यक्रम के दौरान श्रमिकों को मंत्री द्वारा ई-श्रम कार्ड, कोविड-19 राहत योजना, अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना एवं बीड़ी श्रमिक कार्ड का वितरण किया गया। कार्यक्रम के दौरान श्रमिक पोर्टल की जानकारी दी गयी जैसे निःशुल्क पंजीयन, श्रमिकों की सहायता के लिए 9 भाषाओं में टोल प्रफी नम्बर 14434 की व्यवस्था आदि। जानकारी प्रदान की गई कि मात्र 26 दिनों में पोर्टल पर लगभग 1 करोड़ पंजीयन किए जा चुके है। मंत्री ने मीडिया पत्रकारों से अपील की कि वे इस पोर्टल की जानकारी को प्रदेश के कोने कोने में पहुंचाये।

तेली ने ट्रेड यूनियन नेताओं से राज्य में असंगठित कामगारों के पोर्टल पंजीकरण को सुगम बनाने में अपना पूरा सहयोग देने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा उठाए गए एक अभूतपूर्व कदम के तहत ई-श्रम पोर्टल देश में 38 करोड़ से अधिक असंगठित कामगारों को मुफ्रत पंजीकरण प्रदान करेगा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के वितरण में सहायता करेगा। यह पोर्टल निर्माण श्रमिकों, प्रवासी श्रमिकों, गिग और प्लेटफार्म श्रमिकों, स्ट्रीट वेंडरों, घरेलू कामगारों, कृषि श्रमिकों, दूधियों, मछुआरों, ट्रक चालकों आदि सहित सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पूरा सहयोग करेगा। 

उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक पंजीकृत श्रमिक को एक ई-श्रम कार्ड दिया जाएगा। अद्वितीय यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के साथ जो उन्हें देश भर में इस कार्ड के माध्यम से विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लाभों तक पहुंचने की अनुमति देगा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के वितरण में सहायता करेगा।

ई-श्रम में पंजीकरण प्रक्रिया बहुत सरल है और पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज हैं आधार कार्ड, आधार से जुड़ा मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण। पंजीकरण असंगठित श्रमिक स्वयं या कामन सर्विस सेंटर के माध्यम से या जिलों और उप-जिलों में राज्य सरकार के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा किया जा सकता है। सही समय पर और सही जगह पर सहायता प्राप्त करने के लिए प्रवासी श्रमिक पोर्टल में अपना पता और स्थान भी अपडेट कर सकते हैं। 

यह कोविड-19 महामारी, असंगठित श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के एकीकरण, कौशल विकसित करने और रोजगार के अवसर खोजने में मदद करने जैसी आपदा स्थितियों में डीबीटी के माध्यम से श्रमिकों के बैंक खाते में सीधे सहायता राशि स्थानांतरित करने में सक्षम होगा। अब श्रमिकों को समय-समय पर पंजीकरण के लिए जाने की आवश्यकता नहीं होगी। यह एपीआई के माध्यम से पंजीकृत असंगठित श्रमिकों के कल्याण के बारे में विभिन्न हितधारकों (मंत्रालयों/विभागों/बोर्डों/एजेंसियों/केंद्र और राज्य सरकार के संगठनों) के साथ जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करेगा।

तेली ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि डेटाबेस की केंद्रीयकृत प्रकृति निर्माण श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों जैसे श्रमिकों के लिए आवश्यक सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी लाभों की पोर्टेबिलिटी में निर्माण करके देश भर में लाभों की पहुंच सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा ई-श्रम पोर्टल पर प्रत्येक पंजीकृत असंगठित कामगार के लिए 2.0 लाख रुपये के दुर्घटना बीमा कवर का भी प्रावधान है। यदि कोई कर्मचारी ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत है और दुर्घटना का शिकार होता है, तो वह मृत्यु या स्थायी विकलांगता पर 2.0 लाख रुपये और आंशिक विकलांगता पर 1.0 लाख रुपये के लिए पात्र होगा।

मीडियाकर्मियों और ट्रेड यूनियनों के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने असंगठित श्रमिकों के इस डेटाबेस को बनाने में राज्य सरकारों की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के पास अपना डेटा होगा और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारें मुख्य रूप से अपने संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को ई-श्रम पोर्टल पर संगठित और पंजीकृत करेंगी और इस डेटा का उपयोग राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों द्वारा असंगठित कामगारों को पात्राता के अनुसार विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ वितरण के लिए किया जा सकता है।


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एक पक्ष पूर्वजों के प्रति आभार ज्ञापन काः वार्षिक श्राद्व

 एक पक्ष पूर्वजों के प्रति आभार ज्ञापन काः वार्षिक श्राद्व

हरीश बड़थ्वाल

                                                                       हरीश बड़थ्वाल

नई दिल्ली। पूर्वजों को सम्मान देने की परंपरा अन्य संस्कृतियों में भी है। सूचना विस्पफोट, भागदौड़ और घोर व्यावसायिकता वाले मौजूदा युग में कुछ लोग लोक-परलोक, पितृ लोक और श्राद्व की अवधारणाओं को बेशक खारिज कर रहे हैं, तो भी प्रत्येक व्यक्ति अपनी एक लंबी आनुवांशिक श्रृंखला का अंतिम परिमार्जित रूप तो है ही। और इसके लिए उसने अपने दिवंगत माता-पिता या अन्य पूर्वजों से जो भी, जितना भी पाया है, उसके प्रति कृतज्ञता का भाव नहीं रखने वाला व्यक्ति मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं रह जाता। सनातनी संस्कृति में पूर्वजों की विशेष आराधना नवरात्रि से पूर्व कृष्ण पक्ष के 15 दिनों (इस वर्ष 16 दिन) में श्राद्व कर्म द्वारा की जाती है। इस अवधि में हम अपने दिवंगत पूर्वजों को इहलोक में आमंत्रित कर उनके प्रति अपनी श्रद्वा व्यक्त करते हैं।

दिवंगत आत्माओं, पूर्वजों तथा वरिष्ठ जनों की स्तुति और उनसे आशीर्वाद हासिल करने की चाहत पश्चिमी संस्कृतियों में भी रही है। यूनान, मिस्र, चीन आदि के अनेक समुदायों में पार्थिव शरीर छोड़ चुके तथा वयोवृद्वों के निमित्त विभिन्न रस्मों का चलन है। बड़े-बूढ़ों और पूर्वजों के प्रति श्रद्वा भाव में भारत का कोई सानी है तो वह है चीन। दिवंगत आत्माओं और बड़े-बूढ़ों को सम्मान देने की चर्चा में वहां के दार्शनिकों, मुख्यतया कन्फ्रयूशियस और लाओ जू ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। 



भारतीय दर्शन में कहा गया है कि शरीर छोड़ने के बाद आत्मा नष्ट नहीं होती, परमात्मा में उसका विलय हो जाता है। दिवंगत आत्मा की शांति के लिए उसकी कब्र पर जाना और पुष्प अर्पित करने की रस्म सर्वविदित है। हमारे यहां श्राद्व और तर्पण देने के पीछे वही भाव है। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आज के युवाओं में कृतज्ञता के भाव का तेजी से लोप हो रहा है। इष्ट देवी-देवताओं व अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्ति को उस सुदीर्घ श्रृंखला से जुड़े रहने का अहसास कराती है जिसके छोर का टोह पाने में हम अक्षम हैं और जिसका वह वास्तव में अटूट अंग है। 

प्रत्येक व्यक्ति चिरकाल से प्रवाहमान उस चेतना का अद्यतन रूप है। परंपरा से तादात्मय स्थापित होने पर व्यक्ति को अलौकिक शक्ति व ऊर्जा मिलती है और वह सपफलता की ओर अग्रसर होता है। कुछ वैसे ही, जैसे सयाने व्यक्तियों का नैतिक समर्थन पाकर हम कोई भी कार्य बखूबी और सफलतापूर्वक संपन्न कर लेते हैं। पूर्वजों व बड़े-बूढ़ों के आदर से हम एक परंपरा की कड़ी में बंधते हैं और उस परम शक्ति से लाभान्वित होते हैं।

दिवंगतों-पूर्वजों और व्यक्ति के बीच बना यह तादात्म्य अलौकिक ऊर्जा का संचार करता है। परंपरा से जुड़े रहने तथा आभार महसूस करने की वृत्ति एक सराहनीय मानवीय गुण है। यह व्यक्ति की उन्नति का एक ऐसा साधन है, जो उसे आजीवन आनंद की प्राप्ति कराते हुए सफलता की चोटी तक ले जाता है। स्वयं ऐसे अभ्यास से हम भावी पीढ़ी को भी सही राह दिखाते हैं और एक अच्छे समाज के निर्माण में भागीदार बनते हैं।


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रविवार, 19 सितंबर 2021

आयुर्वेद चिकित्सकों के प्रान्तीय संघ की बैठक

 आयुर्वेद चिकित्सकों के प्रान्तीय संघ की बैठक

डीएसीपी एवं अन्य मांगों के लिए हुए ठोस निर्णय



संवाददाता

देहरादून। आयुर्वेद चिकित्सकों के प्रान्तीय एवं जिला कार्यकारिणी की द्रोण होटल में मीटिंग सम्पन्न हुयी। राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ उत्तराखंड (पंजीकृत) के प्रदेश मीडिया प्रभारी डा0 डी0सी0 पसबोला ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक डा0 एम0पी0 सिंह (निदेशक आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं) उत्तराखंड की गरिमामयी उपस्थिति एवं डा0 के0एस0 नपलच्याल (प्रान्तीय अध्यक्ष) की अध्यक्षता में संपन्न हुयी। मीटिंग का संचालन डा0 हरदेव रावत (प्रान्तीय महासचिव) द्वारा किया गया।



डा0 पसबोला ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में आयुर्वेद चिकित्सकों की डीएसीपी, निदेशक नियमावली सहित अन्य प्रमुख मांगों पर गंभीरतापूर्वक चर्चा एवं विचार विमर्श किया गया और डीएसीपी के लिए विशेष प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया गया। साथ ही सरकार से डीएसीपी लागू करवाने के लिए एकजुट होकर सम्मिलित प्रयास करने पर जोर दिया गया। सभी आयुर्वेद चिकित्सकों को करो या मरो की रणनीति पर चलने का संदेश दिया गया।



बैठक में संयुक्त निदेशक डा0 जंगपांगी, डा0 आर0पी0 सिंह के अतिरिक्त डा0 डी0डी0 बधानी (सहा0 औषधि नियंत्रक), डा0 रमेश नौटियाल, डा0 सुशील चौकियाल, डा0 मीरा रावत, डा0 अजय चमोला, डा0 वंदना डंगवाल, डा0 गजेन्द्र बसेरा, डा0 दीपांकर बिष्ट, डा0 राजेन्द्र तोमर, डा0 शैलेष जोशी, डा. हरिद्वार शुक्ला, डा0 आलोक शुक्ला, डा0 दिनेश जोशी, डा0 एच0एस0 धामी, डा0 राकेश खाती, डा0 दिनेश शर्मा, डा0 अजय तिवारी, डा0 दुष्यन्त पाल, डा0 जितेंद्र पपनोई, डा0 विकास दुबे, डा0 राकेश सेमवाल, डा0 मनमोहन राणा, डा0 बिरेंद्र चंद, डा0 गुरूदयाल नेगी, डा0 टी0एस0 रावत, डा0 मो0 नावेद आजम, डा0 अवनीश उपाध्याय, डा0 प्रदीप मेहरा, डा0 गिरेन्द्र चौहान, डा0 विजय सक्सेना आदि उपस्थित रहे।

शनिवार, 18 सितंबर 2021

भारत-नेपाल संयुक्त अभ्यास सूर्य किरण का 15वां संस्करण पिथौरागढ़ में

 भारत-नेपाल संयुक्त अभ्यास सूर्य किरण का 15वां संस्करण पिथौरागढ़ में 



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास सूर्य किरण का 15वां संस्करण 20 सितंबर से पिथौरागढ़ में शुरू हो रहा है। इस अभ्यास के दौरान भारतीय सेना की एक इन्पफैंट्री बटालियन और नेपाली सेना के समकक्ष सैन्य बल अपने-अपने देशों में लंबे समय तक विभिन्न आतंकवाद विरोधी अभियानों के संचालन के दौरान प्राप्त अपने अनुभवों को साझा करेंगे।

अभ्यास के अंतर्गत दोनों देशों की सेना एक-दूसरे के हथियारों, उपकरणों, रणनीति, तकनीकों और पहाड़ी इलाकों में आतंकवाद रोधी वातावरण में संचालन की प्रक्रियाओं से परिचित होंगी। इसके अलावा मानवीय सहायता और आपदा राहत, ऊंचाई वाले युद्व, वनों में युद्व आदि जैसे विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञ अकादमिक चर्चाओं की एक श्रृंखला होगी। 

संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण दोनों देशों की सेना के पहाड़ी इलाकों में उग्रवाद का मुकाबला करने में प्रदर्शन का परीक्षण करने के लिए 48 घंटे के कठिन अभ्यास के साथ समाप्त होगा। यह अभ्यास दोनों देशों के बीच अंतर-संचालनीयता और विशेषज्ञता साझा करने के लिए एक पहल का हिस्सा है।

यह संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और दोनों देशों के बीच पारंपरिक दोस्ती को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। अभ्यास सूर्य किरण का अंतिम संस्करण 2019 में नेपाल में आयोजित किया गया था।

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