सोमवार, 28 फ़रवरी 2022

कोरोना की संभावित चौथी लहर करीब चार माह चलने का अनुमान

 विशेषज्ञों का दावाः भारत में कुछ ही महीने में आ सकती है चौथी लहर

कोरोना की संभावित चौथी लहर करीब चार माह चलने का अनुमान



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत में अभी भी कोरोना की तीसरी लहर का असर है। तीसरी लहर पूरी तरह से थमी नहीं है। इस बीच विशेषज्ञों ने बड़ा दावा किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में चौथी लहर जल्दी ही आ सकती है। उनका कहना है कि चौथी लहर जून के महीने में आ सकती है। जून आने में सिर्फ तीन महीने बचे हैं यानी अभी से चौथे महीने में चौथी लहर आ सकती है। 

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में कहा है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की चौथी लहर 22 जून के आसपास आ सकती है और अगस्त के मध्य से अंत तक यह चरम पर पहुंच सकती है। यह अध्ययन मेडरिव पत्रिका में हाल में प्रकाशित हुआ है और इस पर अभी निष्कर्ष आना बाकी है। शोधकर्ताओं ने सांख्किीय माडल के आधार पर यह अनुमान जताया है और इसके अनुसार संभावित चौथी लहर करीब चार माह चलेगी।

आईआईटी कानपुर के गणित और सांख्यिकी विभाग के साबरा प्रसाद राजेशभाई, सुभ्र शंकर धर और शलभ के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि चौथी लहर की गंभीरता कोरोना वायरस के नए संभावित स्वरूप और देश भर में टीकाकरण की स्थिति पर निर्भर करेगी। अध्ययन के लेखकों के अनुसार आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में संक्रमण की चौथी लहर प्रारंभिक आंकड़े उपलब्धता तिथि के 936 दिन बाद आएगी, जो कि 30 जनवरी 2020 है।

उन्होंने लिखा कि इसलिए चौथी लहर 22 जून से शुरू होगी और 23 अगस्त तक चरम पर पहुंचेगी और फिर 24 अक्टूबर तक समाप्त हो जाएगी। शोधकर्ताओं ने हालांकि कहा कि इस बात की संभावना हमेशा होती है कि संभावित नए स्वरूप का गहरा असर पूरे आंकलन पर हो। उन्होंने कहा कि ये असर रूवरूप की संक्रामकता तथा अन्य विभिन्न कारकों पर निर्भर करेंगे।

लेखकों के अनुसार इन तथ्य के अलावा संक्रमण, संक्रमण का स्तर और चौथी लहर से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर टीकाकरण पहली, दूसरी अथवा बूस्टर खुराक का प्रभाव अहम भूमिका निभा सकता है। गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में आगाह किया था कि कोरोना वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप अंतिम स्वरूप नहीं होगा और अगला स्वरूप अधिक संक्रामक हो सकता है।

तीन उपाय दिलायेंगे सफेद, झड़ते और टूटते बालों से निजात

 सफेद बाल और झड़ते बालों का इलाज है यह खास उपाय



तीन उपाय दिलायेंगे सफेद, झड़ते और टूटते बालों से निजात

प0नि0डेस्क

देहरादून। बालों का टूटना-झड़ना आम बात है। ये दिक्कत किसी को खानपान की वजह से परेशान करती है तो किसी के लिए इसकी वजह प्रदूषण भी होता है। अगर बालों का ख्याल रखना चाहते हैं तो कुछ उपाय मदद कर सकते हैं। दरअसल खराब लाइफस्टाइल और हार्मोंनल बदलाव सेहत के साथ बालों के लिए भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा बालों के लिए गलत प्रोडक्ट का प्रयोग आदि भी कई बार बाल सफेद होने की वजह बन जाते हैं। बाल सफेद होने के पीछे मेलानिन भी एक वजह है। 

मेलानिन पिगमेंट बालों की जड़ों की सेल्स में पाया जाता है और यही बालों को काला बनाने का काम करता है। जब मेलानिन का बनना कम हो जाता है तो बाल सफेद होने लगते हैं। 

बालों की समस्याओं से राहत दिलाने वाले उपाय

बालों की ग्रोथ के लिएः सबसे पहले अरंडी और कोकोनट आयल मिक्स कर लें। अब एक कढ़ाई गर्म करें और उसमें तेल गर्म करके काफी पाउडर डालें। इसे धीरे-धीरे 10 मिनट तक हिलाते रहें। अच्छी तरह गर्म होने के बाद इसे एक तरफ रख दें और ठंडा होने दें। 

इस मिश्रण को आपको सप्ताह में दो बार बालों में लगाना चाहिए। बेहतर परिणाम के लिए इस उपाय को तीन सप्ताह तक दोहराएं।

झड़ते बालों का इलाजः 250 ग्राम तेल को कढ़ाई में गर्म करें और उसमें 60 ग्राम मेहंदी के पत्ते डालें। आंच धीमी कर दें और पत्तों का रंग भूरा होने के बाद आग बंद कर दें। जब ये ठंडा हो जाए तो एक साफ कपड़ा लेकर तेल को छान लें। इसके बाद आप इसे सुरक्षित कांच की बोतल में भर लें। फिर इसे अपने सिर पर रातभर लगाकर रखें और अगली सुबह धो लें।

सफेद बालों का इलाजः सफेद बालों से निजात पाने के लिए आंवला और नारियल तेल लें। इसके लिए सबसे पहले आंवला के कुछ टुकड़ों को सुखा लें। इसके बाद इन्हें पीस लें और 100 एमएल नारियल तेल में मिक्स कर लें। इस मिश्रण को कांच की बोटल में रखें। इस बोटल को रोजाना कम से कम 15 दिनों तक धूप में रखें। झड़ते बालों को रोकने के लिए इस तेल को रोजाना इस्तेमाल करें।

इन बातों का रखें ख्याल

देखा जाता हैं कि ज्यादातर लड़कियां और महिलाएं बाल गीले होने के तुरंत बाद उसमें कंघी कर लेती हैं। इससे भी बाल झड़ते है इसलिए ध्यान रखें कि जब बाल पूरी तरह सूख जाए तभी उसे झांड़ें।

बालों को धोने के लिए कभी भी गर्म पानी का इस्तेमाल ना करें। बालों को गर्म पानी से धोने से बाल रूखे हो जाते हैं, साथ ही बालों की चमक भी चेंज हो जाती है। गर्म पानी बाल के स्कैल्प को र्ड्राई कर देता है इसलिए बालों को हमेशा ठंडे पानी से धोएं।


रविवार, 27 फ़रवरी 2022

बच्चों को पोलियो खुराक पिलाई गई

 बच्चों को पोलियो खुराक पिलाई गई



नौनिहालों को पोलियो खुराक पिलाकर बनाएं सुरक्षित: वृक्षमित्र डा0 सोनी

संवाददाता
टिहरी गढवाल। खुशहाल जीवन स्वस्थ मानव की पहचान हैं लेकिन पोलियो बीमारी से कई जीवन कष्टों में जी रहे थे। इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए टीका का अविष्कार हुआ और शून्य से पांच साल के बच्चों को यह खुराक पिलाना शुरु किया गया और आज पोलियो बीमारी धीरे धीरे समाप्ति की ओर हैं। सकलाना पट्टी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय मरोडा बूथ पर 40 बच्चों को पोलियो खुराक पिलाई गई। पोलियो बूथ तक बच्चों को पहुंचाने में वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने ग्रामीणों का सहयोग किया।
वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा कि हम लोगों का जीवन ग्रामीण परिवेश का हैं। कई सुविधाओं से वंचित रहते हुए हमारे माता पिता ने हमें कई बीमारियों से सुरक्षित रखने के लिए टीके लगवाये। आज हम पढ़े लिखे हैं। पोलियो जैसे बीमारी से निपटने के लिए समय समय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोलियो की खुराक पिलाई जाती है। सभी को अपने आसपास, घर, गांव व मौहल्ले में शून्य से 5 वर्ष के बच्चों को पोलियो खुराक पिलाकर आनेवाली पीढ़ी का जीवन पोलियो मुक्त बनाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
वहीं राकेश पंवार ने कहा कि मेरी बेटी कविता एक साल की हैं। मैने अपनी बेटी को पोलियो खुराक पिलाया हैं। गांव के सभी लोगो को अपने पांच साल तक के बच्चे को पोलियो खुराक पिलाकर पोलियो बीमारी से सुरक्षित बनाना चाहिए। 
पोलियो बूथ पर आंगनबाड़ी कविता देवी, शर्मीला देवी, रोशनी देवी, प्रियंका, साक्षी, मनीषा, मीनाक्षी, विपिन आदि मौजूद थे।

शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

पत्रकार को फर्जी मुकदमे में जेल भेजने पर पुलिस प्रशासन की कड़ी आलोचना

 पत्रकार को फर्जी मुकदमे में जेल भेजने पर पुलिस प्रशासन की कड़ी आलोचना

पत्रकार किशोर राम


संवाददाता

पिथौरागढ़। जिला पंचायत सदस्य तथा उत्तराखंड श्रमजीवी पत्रकार संघ के राज्य संयोजक जगत मर्ताेलिया ने पीड़ित परिवार की आवाज को मंच देने वाले पत्रकार किशोर राम को फर्जी मुकदमे में जेल भेजने पर पुलिस प्रशासन की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पुलिस का हिटलरशाही देखकर लोकतंत्र के सभी स्तंभ स्तब्ध है।



मर्ताेलिया ने कहा कि पुलिस के साइबर सेल ने जो एफआईआर दर्ज की है, वह झूठ का पुलिंदा है। पत्रकार किशोर द्वारा बनाए गए वीडियो को सुनकर लगता है कि पुलिस पगला गयी है। मर्ताेलिया ने कहा कि दो बेटियों को न्याय देने के लिए एक पिता 18 जनवरी से पुलिस व प्रशासन से गुहार लगा रहा था। उसकी बात को कोई सुनने को तैयार नहीं है। उल्टा पुलिस उस परिवार का उत्पीड़न करने पर तुली हुई है।

अपराधियों के द्वारा लगातार परिवार को धमकाया व डराया जा रहा है। इस स्थिति में एक पत्रकार द्वारा पीड़ित परिवार के पक्ष को अपने मंच से उठाया गया, इससे नाराज पुलिस ने पत्रकार को झूठ एवं फर्जी मुकदमे में फंसा कर जेल भेज दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने मारपीट तथा अराजकता फैलाने वाले अपराधियों को पुलिस थाने से जमानत दे दी है। लेकिन एक पत्रकार को जो समाज के दबे कुचले वर्ग की आवाज को उठा रहा है, उसे फर्जी मुकदमे में जेल भेज रही है।

उन्होंने कहा कि पुलिस की इस कार्रवाई का हर मंच से पुरजोर विरोध किया जाएगा। इसके लिए मानवाधिकार आयोग तथा राज्य एवं केंद्र के अनुसूचित जाति आयोग का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिथौरागढ़ जनपद में इस तरह के पुलिस उत्पीड़न की घटनाओं को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

उन्होंने जिलाधिकारी से मांग किया कि इस घटना की किसी वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराई जाए। पुलिस के जिन अफसरों ने इस तरह की ना समझी भरा कार्य किया है, उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने जिले के पत्रकार संगठनों तथा न्याय पसंद संगठनों से अपील किया कि वे एक मंच पर आकर इस प्रकार के पुलिस उत्पीड़न की घटनाओं का मुंहतोड़ जवाब दें। उन्होंने 24 घंटे के भीतर पुलिस अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होने पर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है।

संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन-2022 का आगाज

 संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन-2022 का आगाज

जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स की टुकड़ी भारत पहुंची



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत और जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन-2022 27 फरवरी से 10 मार्च तक बेलगावी (बेलगाम, कर्नाटक) के फॉरेन ट्रेनिंग नोड में आयोजित किया जाएगा। सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन-2022 एक वार्षिक अभ्यास कार्यक्रम है, जो साल 2018 से भारत में आयोजित किया जा रहा है। विशेष तौर पर विभिन्न देशों के साथ भारत द्वारा किए गए सैन्य प्रशिक्षण अभ्यासों की श्रृंखला में जापान के साथ अभ्यास धर्म गार्जियन वर्तमान वैश्विक परिस्थिति की पृष्ठभूमि में दोनों देशों द्वारा सामना की जाने वाली सुरक्षा चुनौतियों के संदर्भ में निर्णायक और अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस अभ्यास के दौरान जंगल और अर्ध शहरी/शहरी इलाकों में जंगी कार्रवाई पर प्लाटून स्तर का संयुक्त प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है।

भारतीय सेना की मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की 15वीं बटालियन और जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज (जेजीएसडीएफ) की 30वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट के अनुभवी सैनिक इस वर्ष अभ्यास में भाग ले रहे हैं ताकि जंगल और अर्ध शहरी/शहरी इलाकों में विभिन्न कौशलों की योजना तथा निष्पादन अंतर-संचालन बढ़ाने के लिए युद्धक कार्रवाई के दौरान प्राप्त अनुभवों को साझा किया जा सके। जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज की टुकड़ी अभ्यास स्थल पर पहुंची, जहां भारतीय सैनिकों द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।



12 दिनों तक चलने वाले संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास में हाउस इंटरवेंशन ड्रिल, अर्ध शहरी इलाकों में आतंकवादी ठिकानों पर छापेमारी, प्राथमिक उपचार, बिना हथियार के मुकाबला करना और क्लोज क्वार्टर कॉम्बैट फायरिंग अभ्यास शामिल हैं, जहां दोनों पक्ष संयुक्त रूप से संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए अच्छी तरह से विकसित सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला के दौरान प्रशिक्षण, योजना निर्माण और क्रियान्वयन करेंगे। संयुक्त क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास, संयुक्त युद्ध चर्चा और संयुक्त प्रदर्शन का समापन 08 और 09 मार्च को निर्धारित दो दिवसीय वैलीडेशन एक्सरसाइज के साथ होगा। वैश्विक आतंकवाद से लड़ने के लिए सामरिक कौशल को बढ़ाने तथा बलों के बीच अंतर-संचालन बढ़ाने और एक सेना से दूसरी सेना के संबंधों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

एक्सरसाइज धर्म गार्जियन से भारतीय सेना तथा जापानी ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्सेज के बीच रक्षा सहयोग का स्तर बढ़ेगा, जो बदले में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा।

स्पर्श योजना के अंतर्गत पेंशन सेवा उपलब्ध कराने के लिए समझौता ज्ञापन

 स्पर्श योजना के अंतर्गत पेंशन सेवा उपलब्ध कराने के लिए समझौता ज्ञापन



रक्षा मंत्रालय की देश में चार लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्रों में स्पर्श योजना के अंतर्गत पेंशन सेवाओं को उपलब्ध कराने की योजना

एजेंसी

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय के रक्षा लेखा विभाग (डीएडी) ने इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के साथ पेंशन प्रशासन के लिए प्रणाली (रक्षा) ‘स्पर्श’ पहल के अंतर्गत पूरे देश में चार लाख से अधिक सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) में पेंशन सेवाओं को उपलब्ध कराने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। रक्षा सचिव डा0 अजय कुमार की उपस्थिति में रक्षा लेखा नियंत्रक (सीडीए) पेंशन शाम देव और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी-सीईओ संजय कुमार राकेश द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

यह समझौता ज्ञापन पेंशनभोगियों को हर स्तर तक संपर्क प्रदान करेगा। विशेष रूप से ऐसे पेंशनभोगी जो देश के दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं और जिनके पास स्पर्श पर लाग आन करने के लिए साधन या तकनीकी साधन उपलब्ध नहीं हैं। इन पेंशनभोगियों के लिए सेवा केंद्र स्पर्श के लिए एक इंटरफेस बन जाएंगे और पेंशनभोगियों को प्रोफाइल अपडेट के लिए अनुरोध करने, शिकायत दर्ज करने और निवारण करने, डिजिटल वार्षिक पहचान सत्यापन, पेंशनभोगी डेटा सत्यापन या उनकी मासिक पेंशन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए एक प्रभावी माध्यम प्रदान करेंगे।

कोटक महिंद्रा बैंक के साथ इस अवसर पर एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिसके अंतर्गत वे पूर्व सैनिकों के उच्च घनत्व वाले क्षेत्रों में स्थित 14 शाखाओं में सेवा केंद्र स्थापित करेंगे। ये केंद्र 161 से अधिक डीएडी कार्यालयों के मौजूदा नेटवर्क में और वृद्वि करेंगे और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) तथा पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की लगभग 800 शाखाएं, जो पेंशनरों को स्पर्श का उपयोग करने में सहायता और सुविधा प्रदान करने के लिए सेवा केंद्रों के रूप में कार्य कर रही हैं। इन सेवा केंद्रों तक पहुंच पेंशनभोगियों को निःशुल्क प्रदान की जाएगी और इसमें लगाने वाला नाममात्र का सेवा शुल्क विभाग द्वारा वहन किया जाएगा।

रक्षा सचिव ने स्पर्श पहल के माध्यम से पेंशन प्रशासन में दक्षता, जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सीजीडीए की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन पेंशनभोगियों को जीवन में आसानी को बढ़ावा देगा और पेंशन से संबंधित मुद्दों को समयबद्व तरीके से हल करेगा। उन्होंने कहा कि सीएससी के साथ साझेदारी देश के दूर-दराज के कोने-कोने में पेंशन सेवाओं को डिजिटल रूप से प्रदान करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी पेंशनभोगी तकनीकी या भौगोलिक कठिनाइयों के कारण उनके सही लाभों से वंचित न रहे। 

इस अवसर पर सचिव (भूतपूर्व सैनिक कल्याण) बी आनंद, वित्तीय सलाहकार (रक्षा सेवाएं) संजीव मित्तल, रक्षा लेखा महानियंत्रक (सीजीडीए) रजनीश कुमार और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।




स्पर्शः यह प्रणाली पेंशन चक्र की सभी गतिविधियों को शामिल करती है

स्पर्श रक्षा मंत्रालय की एक पहल है जिसका उद्देश्य ‘डिजिटल इंडिया’, ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी)’ और ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ की सरकार की परिकल्पना को बढ़ावा देना है। यह प्रणाली डीएडी द्वारा रक्षा लेखा के प्रधान नियंत्राक (पेंशन) प्रयागराज के माध्यम से संचालित की जाती है और तीनों सेवाओं और संबद्व संगठनों को शामिल करती है। प्रणाली के कार्यान्वयन के शुरूआत में नए सेवानिवृत्त लोगों को शामिल कर रही है और बाद में मौजूदा रक्षा पेंशनभोगियों को शामिल करने के लिए विस्तारित की जा रही है। यह प्रणाली पेंशन चक्र की सभी गतिविधियों जैसे- पहल और स्वीकृति, संवितरण और संशोधन को शामिल करती है।

स्पर्श पहल को रक्षा पेंशनभोगियों को केंद्र में रखते हुए डिजाइन किया गया है, जिन्हें एक आनलाइन पोर्टल (https://sparsh.defencepension.gov.in/) के माध्यम से उनके पेंशन खाते को पूरी तरह से पारदर्शी बनाया जाएगा। यह पेंशनभोगी की वृतांत और अधिकारों- पेंशन शुरू होने की तारीख से लेकर अंतिम पात्रा लाभार्थी को पेंशन की समाप्ति की तारीख तक का पूरा इतिहास रखता है और अभिग्रहण करता है।

स्पर्श ने पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) के निर्माण से लेकर पेंशन के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण तक, सही समय पर सही पेंशन देने के आदर्श वाक्य के साथ पेंशन वितरण की प्रक्रिया को मौलिक रूप से फिर से तैयार किया है। स्पर्श की प्रभावशीलता का एक हालिया उदाहरण 43,370 पेंशनभोगियों के लिए केवल 30 दिनों के भीतर 196 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त ग्रेच्युटी जारी करना था। आमतौर पर इस विशाल प्रक्रिया जिसे संवितरण की पुरानी प्रणाली के माध्यम से संसाधित करने में 6 महीने से अधिक समय लगता। अतिरिक्त ग्रेच्युटी जून 2021 से जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों के लिए डीए वृद्वि की घोषणा के कारण प्रदान की गई थी। 

इस प्रकार स्पर्श ‘डिजिटल इंडिया’ की भावना का प्रतीक है, जो प्रभावी रूप से प्रशासन प्रणाली सुधार की जरूरतों के साथ प्रौद्योगिकी के उपकरणों को जोड़ता है।

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

खेतों में हल से कृषि कार्य करना पूर्वजों की परम्परा

 खेतों में हल से कृषि कार्य करना पूर्वजों की परम्परा 



संवाददाता
देहरादून। पर्वतीय ग्रामीण क्षेत्रो में आज भी बैलों की जोड़ी से हल चलाकर कृषि का कार्य किया जाता हैं। जहां प्रौघौगिकी विकास से नई तकनीकी कृषि यंत्रो का निर्माण हुआ हैं वही आज भी गांव के लोग अपने पूर्वजों की पुरानी परम्परा हल से कृषि को जीवित बनाये हुए हैं। सीढ़ीनुमा खेत जहां सुंदर मनमोहक दिखते हैं वही भौगोलिक विषमताओं के कारण तकनीकी के इस युग में मशीनी यंत्रों से कोसो दूर हैं।
वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी के मुताबिक हल से कृषि कार्य की परम्परा हमारे पूर्वजों की देन हैं। गांव में सड़के नही थी, जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता थी। उस समय कृषि पर ही निर्भर रहते थे। धान, गेंहू, जौ, मडुवा, झंगोरा, आलू, दालें व साग-सब्जी बोया करते थे। खेते छोटे छोटे व सीढ़ीनुमा होते थे। ऐसी जगह बैलों से ही कृषि का काम किया जा सकता था। उस समय हर परिवार गाय, बैल, भैस व बकरी का पालन किया करते थे। उनके गोबर से खेतो में खाद का प्रयोग किया करते थे जिसे आज जैविक कृषि के नाम से जाना जा रहा हैं। 


ग्रामीण परिवेश का जीवन होने से उन्होंने भी हल चलाकर कृषि कार्य किया हैं। डा0 सोनी का कहना था कि आज भी मौका मिलता हैं तो वे हल चलाते है। डा0 सोनी कहते हैं कि पहले बैलो को हर घर में पाला करते थे ताकि कृषि कार्य की जा सके। उस समय लकड़ी का हल, लाठ, जुवा, नशुड बनाया करते थे। इन्हें जोड़कर हल बनता था, जो आज भी गांव में विद्यमान हैं। हमारी मां-बहनें व बहु-बेटियां सुबह उठकर हलिया (हल चलाने वाला) के साथ खेतो में चले जाते थे और बाड़ी कमोड़ी, खेतों में खरपतवार निकलना, डीलेरे से मिट्टी के ढिल्ले को तोड़ना, पटाल से मिट्टी को बारीक बनाना व खेत में बीज को मिट्टी के नीचे के लिए इसे चलाना ताकि बीज को चिडियां न खा सके और फसल अच्छी हो सके। वृक्षमित्र कहते हैं कि उस समय गांव में बेटे के लिए मेहनती बेटी देखकर रिश्ता किया जाता था, जो खेतों का काम कर सके। वे बहुत मेहनती होते थे यही मेहनत उनका व्ययाम व योगा होता था और यही शारिरीक कार्य उनका तंदुरुस्ती का राज था। 
बेताल सिंह कहते हैं कि गांव में खेत छोटे होते हैं इसलिए यहां पर हल चलाकर कृषि की जाती हैं। वही इन्द्रदेई कहती हैं कि पढ़े लिखे होने के कारण अब बहु बेटियां खेती का काम नही करना चाह रहे हैं। सभी को नौकरी चाहिए। एक दिन ये सभी परम्पराएं बिलुप्त हो जायेंगे।
इस अवसर पर संगीता देवी, सोबनी देवी, आरती नेगी, अनिता देवी, राकेश पंवार, राजपाल कंडारी, दिनेश सिंह, अंकित सिंह, गजेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।

पूर्व विधायक के आश्रित को 10 से 63 हजार रूपये तक की पेंशन

 उत्तराखंड के पूर्व विधायकों के आश्रितों को मिल रही 8.69 लाख रूपये प्रति माह पेंशन

पूर्व विधायक के आश्रित को 10 से 63 हजार रूपये तक की पेंशन

नदीम उद्दीन (एडवोकेट)


विधानसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध सूचना से खुलासा

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड में चाहे विभिन्न सरकारी कर्मचारियोें के आश्रितों को कर्मचारियों की मृत्यु के उपरान्त पेंशन की व्यवस्था समाप्त कर दी हो लेकिन विधायकों के आश्रितों के लिये यह अब भी जारी हैै। उत्तराखंड के 40 पूूर्व विधायकों के आश्रितोें को 08, 69,250 रूपये प्रतिमाह पेंशन सरकार के खजाने से मिल रही है।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने  उत्तराखंड विधानसभा के लोक सूचना अधिकारी सेे पूर्व विधायकों व उनके आश्रितों को मिल रही पेेंशन से संबंधित सूचनायें मांगी थी। इसके उत्तर में विधानसभा सचिवालय के लोक सूचना अधिकारी/उपसचिव (लेखा) हेम चन्द्र पन्त ने पूूर्व विधायकों तथा उनके आश्रितों को मिल रही पेंशन सम्बन्धी सूची अपने पत्रांक 460 के साथ उपलब्ध करायी हैै। 



उनके द्वारा उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड में 40 पूर्व विधायकों के आश्रितों को हर माह कुल 8,69,250 रूपये की पेंशन दी जा रही हैै। जबकि 88 पूर्व विधायक पेंशन प्राप्त कर चुके है तथा 95 पूर्व विधायकोें को 52,73,900 रूपये प्रति माह की पेेंशन मिल रही हैै। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार सर्वाधिक 63,500 रूपये पेंशन पूर्व विधायक नारायण दत्त तिवारी की पत्नी उज्जवला तिवारी को मिल रही जबकि सबसे कम 10 हजार रूपये की पेंशन वालों में प्रताप सिंह पुष्पवान की पत्नी श्रीमति इन्द्रा पुष्पवान, सत्येन्द्र चन्द्र गुडिया की पत्नि विमला गुड़िया, हरीदत्त काण्डपाल की पत्नी पार्वती देवी तथा चारू चन्द्र ओझा की पत्नी हरिप्रिया ओझा को मिल रही है। 

20 हजार की पेंशन पाने वाले पूर्व विधायकों के आश्रितों में सुलतान सिंह भंडारी की पत्नी सरस्वती भण्डारी, फूल सिंह बिष्ट की पत्नी प्रभावति बिष्ट, योगम्बर सिंह रावत की पत्नी कमला रावत, विद्यासागर नौटियाल की पत्नी देवेश्वरी नाौैटियाल, साधू राम की पत्नी सुशीला देवी, किशोरी लाल सकलानी की पत्नी शकुन्तला सकलानी, लीला राम शर्मा की पत्नी बसन्ती शर्मा, हीरा सिंह बोरा की पत्नी भागीरथी बोरा, भोला दत्त पाण्डे की पत्नी मनोरमा पाण्डे, लोकेन्द्र दत्त सकलानी की पत्नी निशा रानी सकलानी, विपिन चन्द्र त्रिपाठी की पत्नी रेनु त्रिपाठी, ब्रहमदत्त की पत्नी ऊषा दत्त, देवबहादुर सिंह की पत्नी कमला सिंह, पूरन सिंह माहरा की पत्नी माया माहरा, सुरेन्द्र राकेश की पत्नी ममता राकेश, खडक सिंह बोहरा की पत्नी कला बोहरा, सूरत चन्द्र रमोला की पत्नी कुसुम रमोला, पूरन चन्द्र की पत्नी माया देवी, शूरवीर सिंह की पत्नी सावित्री देवी, बरफिया लाल जुवांठा की पत्नी शान्ति जुवांठा, लाखन सिंह की पत्नी कान्ता देवी, गोविन्द सिंह मेहरा की पत्नी कौशिल्या मेहरा, मगन लाल शाह की पत्नी मुन्नी देवी तथा गुलाब सिंह की पत्नी रूपा देवी शामिल हैै। 

22 हजार से 25 हजार तक की पेंशन पाने वाले पूर्व विधायकों के आश्रितों में बच्ची सिंह रावत की पत्नी चम्पा रावत, तेजपाल सिंह पंवार की पत्नी चम्पा देवी, कौल दास की पत्नी बसन्ती देवी, रणजीत सिंह वर्मा की पत्नी निर्मला सिंह, बृजमोहन कोटवाल की पत्नी विजयलक्ष्मी तथा अम्बरीश कुमार की पत्नी प्रतिभा शामिल हैै।

26 हजार से 30 हजार तक की पेंशन पाने वाले पूर्व विधायकों में कृष्ण चन्द्र पुनेठा की पत्नी विद्या पुनेठा, गोपाल सिंह रावत की पत्नी शान्ति रावत तथा डा0 अनुसूया प्रसाद मैखुरी की पत्नी सावित्री देवी मैखुरी शामिल है। सुन्दर सिंह मन्द्रवाल की पुत्री देवेन्द्री मन्द्रवाल को 35500 रूपये पेंशन मिल रही हैै। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार ऐसे 88 भूतपूर्व विधायक है जो पंेशन प्राप्त कर चुके हैं। इनमें नित्ययानन्द स्वामी, राजेन्द्र सिंह, अम्बरीश कुमार, नारायण राम दास, बंशीधर भगत, रघुनाथ सिंह चौैहान, कृष्ण चन्द्र पुनेठा, तीरथ सिंह रावत, मुन्ना सिंह चौहान, भारत सिंह रावत, योगम्बर सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक, शंकर सनवाल, नारायण दत्त तिवारी, इन्दिरा हृ्रदयेश, प्रदीप टम्टा, सुन्दर लाल मन्द्रवाल, महेन्द्र भट्ट, डा0 अनुसूया प्रसाद मैखुरी, प्रीतम सिंह पंवार, फूल सिंह बिष्ट, कौल दास, प्रताप बिष्ट, अजय भट्ट, नरेन्द्र सिंह भण्डारी, साधू राम, सुबोध उनियाल, बची सिंह रावत, गोपाल सिंह रावत, केदार सिंह रावत, विजय सिंह पंवार, खजान दास, राजकुमार, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, काजी निजामुद्दीन, बृजमोहन कोटवाल, बलवन्त सिंह भौर्याल, करन माहरा, दीवान सिंह, प्रकाश पन्त, हरीश धामी, उमेश शर्मा काउ, रेखा आर्य, हरक सिंह रावत, कंुवर प्रणव सिंह चैम्पियन, प्रदीप बत्रा, भगत सिंह कोश्यारी, रणजीत सिंह वर्मा, देवेन्द्र शास्त्री, जगन्नाथ शर्मा, सत्या सूद, राजकुमार, तेजपाल सिंह पंवार, आचार्य जगदीश मुनि, पृथ्वी सिंह विकसित, सुखवीर सिंह, प्रताप सिंह उर्फ प्रताप भैैया, डुुंगर सिंह बिष्ट, बिहारी लाल, श्रीचन्द्र, गोपाल राम दास, समर पाल सिंह, रमा पन्त, सरस्वती तिवारी, सरस्वती टम्टा, बी0डी0 शर्मा, जसवन्त सिंह बिष्ट, गोविन्द प्रसाद गैरोला, सन्तन बडथ्वाल, नारायण सिंह भैैंसोडा, कृष्णा नन्द जोशी, ब्रहम दत्त, हीरा सिंह बोरा, देवबहादुर सिंह, विद्यासागर नौैटियाल, लोकेन्द्र दत्त सकलानी, किशोरी लाल सकलानी, लीला राम शर्मा, सुलतान सिंह भण्डारी, रामचन्द्र जोशी, प्रताप सिंह पुष्पवान, सत्येन्द्र सिंह गुड़िया, मौहम्मद मोहिउद्दीन, भोला दत्त पाण्डे, खड़क सिंह बोहरा, पूरन सिंह माहरा तथा सूरत चन्द्र रमोला शामिल हैै।

 आरआईएमसी देहरादून में प्रवेश हेतु प्रवेश परीक्षा 



4 जून शनिवार को सेक्टर-15, चंडीगढ़ में करवाई जाएगी लिखित परीक्षा

एजेंसी

चंडीगढ़। 2023 के सत्र के लिए राष्ट्रीय भारतीय मिलिट्री कालेज (आरआईएमसी) देहरादून (उत्तराखंड) में प्रवेश हेतु लिखित प्रवेश परीक्षा 4 जून शनिवार को लाला लाजपत राय भवन सेक्टर-15, चंडीगढ़ में करवाई जाएगी। 

रक्षा सेवा कल्याण विभाग के प्रवक्ता अनुसार मुकम्मल किए आवेदन 25 अप्रैल या इससे पहले डायरेक्टोरेट आफ डिफेंस सर्विसेज वेलफेयर, पंजाब, सैनिक भवन, सेक्टर 21 डी, चंडीगढ़ में पहुंचा दिए जाएं। 25 अप्रैल के बाद प्राप्त हुए आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। प्रवक्ता ने बताया कि लड़के और लड़कियां दोनों आरआईएमसीए देहरादून में प्रवेश के लिए आवेदन के पात्र हैं। 

उपरोक्त परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की आयु साढ़े 11 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए, परंतु उनकी आयु 01 जनवरी 2023 को 13 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उनका जन्म 02 जनवरी 2010 से पहले और 01 जुलाई 2011 के बाद नहीं होना चाहिए। वह आरआईएमसी में प्रवेश के समय पहली जनवरी 2023 को किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से कक्षा पांचवीं में पढ़ रहे हों या कक्षा पांचवीं पास की हो।

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022

स्पैक्स ने होली पर प्राकृतिक रंग अपनाने को जागरूक किया

स्पैक्स ने  होली पर  प्राकृतिक रंग अपनाने को जागरूक किया


 संवाददाता
देहरादून। स्पेक्स संस्था द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत 22 से 28 फरवरी तक  विज्ञान सप्ताह का आयोजन  किया जा रहा है। संस्था द्दारा आगामी  होली त्यौहार पर प्राकृतिक रंग बनाने की एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हरिपुरकला एवं शेरगढ की ग्रामीण महिलाओं हेतु किया। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को ऐसे मौकों पर पर्यावरण, स्वास्थ्य विज्ञान एवं तकनीकी के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने पर जोर दिया गया। 
स्पेक्स संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा ने बताया कि यहां हर त्यौहार बडी धूम-धाम से मनाया जाता है जिनमें से होली भी है। धीरे-धीरे इसके स्वरूप में परिवर्तन होने लगा। जहां होली की यादें खुशनुमा होनी थी वहीं कई लोगो के लिए यह बुरी याद बन जाती है। उसका मुख्य कारण होली के रंगो में खतरनाक रसायनो की मिलावट का होना है। जो हमारी त्वचा, बालों, आंखो और पाचन तंत्र पर सीधा प्रभाव डालते और नुकसान पहुँचाते हैं। 
उन्होने बताया कि होली के अवसर पर संस्था द्वारा प्राकृतिक साधनों से होली के रंगों को बनाने की पहल की गई है। यह विज्ञान के प्रयोग से शुद्ध पारिस्थिकी एवं उत्तम जीवनगुणवत्ता को बनाये रखने  के लिए एक अभियान है। जिसमें रंगो के विज्ञान एवं प्राकृतिक रंग बनाने की तकनीकी का हस्तारंण करना भी है। 
उन्होंने बताया होली के रंग प्राकृतिक रंगों के संग,  बसंत ऋृतु के विभिन्न रंगों को प्रदर्शित करते हैं। 


होली एक जश्न है जिसमें किसान रबी की फसल की कटाई के बाद अच्छी फसल होने का जश्न सामूहिक तौर पर मनाते हैं।  इसलिए आवश्यक है कि हमारे द्वारा होली में प्रयोग किये जा रहे रंग भी प्रकृति की तरह स्वच्छ व हानि रहित हों ऐसा प्रयास किया जाना चाहिए। 
स्पेक्स द्वारा आयोजित की जा रही इस कार्यशाला में बाजार में उपलब्ध रंगो में हो रही मिलावट के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ-साथ शुद्ध प्राकृतिक रंग बनाने की प्रक्रिया के विषय में जागरूक करना है। इस कार्यशाला में प्रकृति से प्राप्त फल-फूल और सब्जियों से सूखे एवं गीले रंग बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। संस्था के सचिव डा0 बृज मोहन शर्मा के नेतृत्व में इस कार्यशाला को सफलता पूर्वक सम्पन्न किया गया। 
इस अवसर पर स्पेक्स के क्षेत्रीय समन्वयक नीरज उनियाल, चन्द्रा, सौम्या ने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया। हरिपुरकलां से तुलसी देवी, रीता देवी, सीमा रयाल, रेखा रयाल, भावना पाण्डेय, जमुना देवी, कविता बिष्ट, रेखा नेगी एवं शेरगढ से सुधा रानी, रेनु, मंजु, मंनजीत कौर, उषा देवी, जसप्रीत, रेणु, माला, शीतल, रानी खंडूरी , पिंकी, मीनू,अमरजीत कौर आदि ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। शर्मा ने बताया कि कार्यशाला का उददेश्य आम जनमानस के मध्य त्यौहारों के दिनों मे बाजार में हो रही ठगी व बिक रहे जानलेवा रसायनिक रंगों व खाद्य उत्पादों के प्रति जागरूकता को प्रसारित करना है। उन्होंने बताया  कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर रंग घातक रासायनिक तत्वों से मिलकर बनें होते हैं।
उन्होने कहा संस्था का उद्देश्य-विज्ञान को आमजन की दिनचर्या में सम्मिलित करना है जिससे वह वैज्ञानिक   दृष्टिकोण के साथ जीवन की गुणवत्ता को सुधारे। इसके साथ ही होली के रंगों से होने वाले घातक नुकसानों के प्रति सावधानी बरती जा सके।

उज्जवल शिखर जनकल्याण समिति द्वारा चित्रकला प्रतियोगता आयोजित

उज्जवल शिखर जनकल्याण समिति द्वारा चित्रकला प्रतियोगता आयोजित



संवाददाता
देहरादून। महेशानंद बहुगुणा इंटर कॉलेज माजरा में उज्जवल शिखर जनकल्याण समिति ने चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया। प्रतियोगता में कक्षा 6 से कक्षा 8 तक व कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के छात्र एवं छात्राओं ने प्रतिभाग किया। 
चित्रकला प्रतियोगिता का विषय 'स्वच्छ भारत' प्रथम ग्रुप के लिए व 'कोरोना से बचाव' दूसरे ग्रुप के लिए रखा गया था। स्कूल के छात्र-छात्राओं ने कई सुंदर चित्र बनाएं। उज्जवल शिखर जन कल्याण समिति का मुख्य उद्देश्य समाज में जागरूकता फैलाना व बच्चों में रचनात्मक एवं कलात्मक रुचि को उभारना है। संस्था कई बार विभिन्न स्कूलों में चित्रकला प्रतियोगिता, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता, करियर काउंसलिंग व अन्य जागरूकता शिविर व वर्कशॉप का आयोजन कर चुकी है। 
संस्था ने करोना काल में भी ऑनलाइन कई सारी प्रतियोगिताएं आयोजित की जिसमें पूरे भारत के कई वर्गों ने इसमें हिस्सा लिया व पुरस्कृत भी हुए। संस्था ने करोना काल में भी सैनिटाइजेशन कार्य, फ्री राशन बांटा व लोगों को चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध करवाई। संस्था इसके अलावा सेनेटरी पैड डिस्ट्रीब्यूशन, कपड़ों का डिस्ट्रीब्यूशन, खिलौनों का डिस्ट्रीब्यूशन, कॉपी किताब स्टेशनरी का डिस्ट्रीब्यूशन व कई तरह के पोस्टर के माध्यम से डेंगू मलेरिया कोरोना व अन्य सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता के कार्यक्रम करती रहती है। 
संस्था इकोब्रिक्स पर भी कार्य करती है जिसके लिए संस्था ने कैंट बोर्ड को सहयोग किया जिससे 62 कैंटोनमेंट बोर्ड में स्वच्छता की कैटेगरी में गढ़ी कैंट छावनी परिषद को प्रेसिडेंट अवॉर्ड से नवाजा भी गया है। चित्रकला प्रतियोगिता मे स्कूल की प्रिंसिपल छाया जुयाल, संस्था के अध्यक्ष विनय गुप्ता,उपाध्यक्ष निकिता मित्तल  समेत कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

लाइन लॉस में आ रही कमी, मोर्चा की बड़ी जीत: नेगी

लाइन लॉस में आ रही कमी, मोर्चा की बड़ी जीत: नेगी   



# मोर्चा के प्रयास से विभाग ने लाइन लॉस मामले में कसी कमर 

# लाइन लॉस का खामियाजा भुगतने को मजबूर है उपभोक्ता       

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं  जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि विद्युत विभाग की लापरवाही/ मिलीभगत की वजह से लाइन लॉसेस एवं एटी एंड सी हानियों के चलते प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को महंगे दामों पर बिजली मुहैया कराई जाती है, जिसका खामियाजा अंतत: जनता को ही भुगतना पड़ता है |        नेगी ने कहा कि मोर्चा द्वारा वितरण हानियां एवं एटी एंड सी हानियां कम करने हेतु शासन से आग्रह किया गया था, जिसके क्रम में शासन ने एमडी, यूपीसीएल को निर्देश दिए एवं अनुपालन में यूपीसीएल के निर्देश पर विभागीय अधिकारियों ने राजस्व वसूली, विद्युत चेकिंग, विद्युत चोरों के खिलाफ एफआईआर, शिविर/ कैंप लगाकर लाइन लॉस कम करने की दिशा में कार्रवाई शुरू की, जोकि मोर्चा की बहुत बड़ी जीत है।                        नेगी ने कहा  कहा कि वर्ष 2019-20 में सरकार द्वारा 14139.31 मिलियन यूनिट्स  खरीदी गई एवं उसके सापेक्ष 12538.65 मिलियन यूनिट्स बेची गई, इस प्रकार 1600.66 मिलियन यूनिट्स यानी 160 करोड़ यूनिट्स लाइन लॉस में चली गई। इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 14083.69 मिलियन यूनिट्स खरीद के सापेक्ष  12295.20 मिलियन यूनिट्स बेची गई, इस प्रकार 1788.49 मिलियन यूनिट्स लाइन लॉस में चली गई। इस लाइन लॉस की चलते सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके  अतिरिक्त वितरण एवं ए टी एंड सी हानियां 30-35 फ़ीसदी है।|    मोर्चा को उम्मीद है कि इससे प्रदेश के उपभोक्ताओं को भविष्य में काफी हद तक राहत मिल सकेगी।                पत्रकार वार्ता में गोविंद सिंह नेगी, दिनेश राणा, गुरविंदर सिंह व संजय बंसल मौजूद थे।

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

राज्यों को आदेश के अनुपालन हेतु चार सप्ताह का वक्त

 उपभोक्ता आयोगों में नोडल अधिकारी की नियुक्ति में विलंब पर राज्यों को फटकार

राज्यों को आदेश के अनुपालन हेतु चार सप्ताह का वक्त




नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उपभोक्ता आयोगों के ढांचागत आधार के लिए आवंटित राशि के उपयोग के नोडल अधिकारी की नियुक्ति में विलंब होने पर राज्यों एवं केंद्रशासित क्षेत्रों को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति एस0के0 कौल और न्यायमूर्ति एम0एम0 सुंदरेश की पीठ ने कहा कि उसके आदेश का पालन नहीं करने वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को इसका नतीजा भुगतना होगा। पीठ ने आदेश अनुपालन का हलफनामा नहीं देने वाले राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों पर एक लाख रुपये का दंड भी लगाया है।

पीठ ने कहा कि उपभोक्ता आयोगों के लिए आवंटित राशि के इस्तेमाल के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने में विलंब करने वाले राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेश हालात की गंभीरता नहीं समझ रहे हैं। पीठ ने कहा कि एक बार फिर राज्यों ने ऐसा किया है। गत एक दिसंबर 2021 को जारी अपने आदेश में हमने समयसीमा का स्पष्ट उल्लेख किया था लेकिन उन्होंने इसका ध्यान नहीं रखा। हमें कुछ ऐसा करना होगा कि उन्हें बात समझ में आ जाए। आपको समझाने के लिए हमें निष्ठुर बनना होगा।

इस मामले में न्याय-मित्र नियुक्त किए गए अधिवक्ता आदित्य नारायण ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि अभी तक 22 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने अनुपालन रिपोर्ट जमा कर दी है और 12 राज्यों के सिवाय सभी ने नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। इस पर पीठ ने संबंधित राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश के अनुपालन के लिए चार सप्ताह का वक्त देते हुए कहा कि ऐसा करने में नाकाम रहने पर संबंधित सचिवों को मौजूद होना होगा। मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की गई।

उच्चतम न्यायालय ने एक दिसंबर 2021 के अपने आदेश में महाराष्ट्र को छोड़कर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को जिला एवं राज्य स्तरीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोगों में रिक्त पड़े पदों को जनवरी 2022 तक भरने को कहा था।

‘दुनिया की सबसे सुंदर इमारत’ का उद्घाटन

‘दुनिया की सबसे सुंदर इमारत’ का उद्घाटन



एजेंसी

दुबई। दुबई में आयोजित एक भव्य समारोह में ‘म्यूजियम ऑफ द फ्यूचर’ का उद्घाटन किया गया जिसे ‘दुनिया की सबसे सुंदर इमारत’ कहा जा रहा है। इस भवन को बनाने में नौ साल का वक्त लगा है।

यह सात मंजिला इमारत 77 मीटर ऊंची है और 30 हजार वर्ग मीटर में इसका निर्माण हुआ है। यह विश्व की सबसे ऊंची इमारत बुर्ज खलीफा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। दुबई में निर्मित वास्तुकला के नमूनों में ‘म्यूजियम ऑफ द फ्यूचर’ ताजा पेशकश है।

एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि संग्रहालय मानवता के भविष्य की रुपरेखा को प्रदर्शित करता है और मानव के विकास में आने वाली चुनौतियों और अवसरों के नवाचार युक्त समाधान की प्रेरणा देता है। यूएई के कैबिनेट मामलों के मंत्री तथा दुबई फ्यूचर फाउंडेशन के अध्यक्ष मोहम्मद अल गर्गावी ने मंगलवार को आयोजित उद्घाटन समारोह में कहा कि ‘म्यूजियम ऑफ द फ्यूचर’ एक जीवंत संग्रहालय है।

इस इमारत का डिजाइन, किल्ला डिजाइन के वास्तुकार शॉन किल्ला ने किया है और यह इंजीनियरिंग तथा कम्प्यूटर की मदद से किए गए डिजाइन का एक उत्कृष्ट नमूना है। यह स्टेनलेस स्टील से बना है और यहां रोबोट के इस्तेमाल से निर्मित 1,024 कलाकृतियां रखी गई हैं।

थलसेना अध्यक्ष ने पैराशूट रेजिमेंट की बटालियनों को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किए

 थलसेना अध्यक्ष ने पैराशूट रेजिमेंट की बटालियनों को राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किए



एजेंसी

बेंगलुरू। थल सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे ने पैराशूट रेजिमेंट प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित एक प्रभावशाली ध्वज प्रस्तुति परेड के दौरान पैराशूट रेजिमेंट की चार बटालियनों को प्रतिष्ठित राष्ट्रपति ध्वज प्रदान किए। इन बटालियनों में 11 पैराशूट (विशेष बल), 21 पैराशूट (विशेष बल), 23 पैराशूट और 29 पैराशूट हैं।



पैराशूट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक विशिष्ट रेजिमेंट है। यह स्वतंत्रता के पहले और बाद के अभियानों में अपना एक उल्लेखनीय रिकार्ड रखती है। इस रेजिमेंट को गाजा, कोरिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालदीव, कच्छ के रण, सियाचिन, राजस्थान, पंजाब व जम्मू और कश्मीर जैसे विविध युद्व क्षेत्रों व मणिपुर, नगालैंड और असम सहित पूर्वी युद्व क्षेत्र में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। 



आजादी के बाद पैराशूट रेजिमेंट की बटालियनों ने प्रभावशाली 32 सेना अध्यक्ष बटालियन प्रशस्ति पत्र प्राप्त किए हैं। वहीं इसके जवानों को वीरता व असाधारण बहादुरी के लिए 8 अशोक चक्र, 14 महावीर चक्र, 22 कीर्ति चक्र, 63 वीर चक्र, 116 शौर्य चक्र और 601 सेना पदक से सम्मानित किया गया है।

सेना प्रमुख ने परेड की समीक्षा के बाद पैराशूट रेजिमेंट की वीरता, बलिदान और परंपराओं की समृद्व विरासत की सराहना की। वहीं सेना प्रमुख ने कम समय में उल्लेखनीय प्रदर्शन के लिए नई गठित की गई बटालियनों की भी सराहना की और गर्व के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए सभी सैनिकों को शुभकामनाएं दीं।

बाबा हरदेव सिंह महाराज की स्मृति में स्वच्छता अभियान व वृक्षा रोपण

 बाबा हरदेव सिंह महाराज की स्मृति में स्वच्छता अभियान व वृक्षा रोपण 



संवाददाता
देहरादून।  संत निरंकारी मंडल बाईपास भवन में बाबा हरदेव सिंह महाराज की स्मृति में एक विशाल सफाई  अभियान आयोजित किया गया।
विदित हो कि निरंकारी बाबा हरदेव सिंह के सानिध्य में संत निरंकारी मिशन में अध्यात्मिकता द्वारा विश्व को प्रेम, दया, करुणा, एकत्व जैसे भाव से जोड़कर दीवार रहित संसार की परिकल्पना को साकार किया। उन्होंने भक्तों को आध्यात्मिकता के साथ मानवता एवं प्रकृति की सेवा करते हुए कर्तव्य को निभाने की प्रेरणा दी। वर्तमान में इसी श्रंखला में सतगुरु सुदीक्षा महाराज निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं।
इसी मंतव्य की पूर्ति हेतु वृक्षारोपण और सफाई अभियान का आयोजन किया गया। संत निरंकारी मिशन द्वारा प्रतिवर्ष स्वच्छता एवं वृक्षारोपण अभियान का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मानव कल्याण की भलाई के लिए बाबा हरदेव सिंह का यही दृष्टिकोण अपनाकर कि प्रदूषण अंदर का हो या बाहर का हो दोनों हानिकारक है। किंतु इस वर्ष करोना की विषम परिस्थितियों के कारण मिशन की ओर से निरंकारी सत्संग भवन के आसपास के क्षेत्रों को स्वच्छता अभियान के साथ में जोड़ा गया।


इसमें मिशन से जुड़े भाई बहनों ने भाग लिया। करीब 2 वर्षों के बाद संगतों को सफाई अभियान के लिए बुलाया गया। सत्संग भवन में काफी समय से कोविड वैक्सीन का आयोजन किया जा रहा है, जो निरंतर चल रहा है। संत निरंकारी भवन में यह मानव सेवा का कार्य किया जा रहा है। 
भवन में मौजूद स्थानीय संयोजक नरेश विरमानी, ज्ञान प्रचारक मोलू राम आर्य, राजीव बिजलवान, सुशीला रावत, ज्ञानेश्वर गुरुजी, सेवादल संचालक मनजीत सिंह की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया।  सतगुरु सुदीक्षा के वर्चुअल विचारों का भी सभी संत भक्तों ने आनंद लिया। स्थानीय संयोजक नरेश विरमानी के द्वारा आने वाले रविवार से नियमित संगत का आयोजन किया जाएगा। जिसका समय 10:00 बजे से 12:30 बजे तक किया जाएगा 27 फरवरी से संगत नियमित शुरू हो जाएंगे ।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जन सुनवाई का आयोजन

 उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जन सुनवाई का आयोजन

टैरिफ दरों के प्रस्ताव के संबंध में कोई भी व्यक्ति या संस्था अपना मत प्रस्तुत कर सकता है



संवाददाता

देहरादून। उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग के सचिव नीरज सती ने बताया कि आयोग द्वारा एक जन सुनवाई 2 मार्च को प्रातः 10ः30 बजे से उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग, विद्युत नियामक भवन, निकट आई0एस0बी0टी0 देहरादून में निर्धारित की गयी है। जिसमें प्रातः 10ः30 बजे से 01 बजे तक (उद्योग/अघरेलू श्रेणी उपभोक्ता), अपराह्न 03 बजे से 05 बजे तक (उद्योग/अघरेलू श्रेणी को छोड़कर अन्य शेष सभी श्रेणी के उपभोक्ता) के लिए समय निर्धारित की गई है। 

उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 यूपीसीएल उत्तराखण्ड पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि0, पीटीसीयूएल, यूजेवीएन लि0 तथा एस0एल0डी0सी0 द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए दायर ए0आर0आर0, बहु वर्षीय टैरिफ एवं व्यापार योजना तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए सहीकरण एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए वार्षिक निष्पादन समीक्षा पर उपभोक्ताओं व अन्य संबंधित संस्थाओं, व्यक्तियों से सुझावों/मतो को जानने हेतु उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग द्वारा जन सुनवाई आयोजित की गई है।

आयोग द्वारा निम्न कार्यक्रम के अनुसार जन सुनवाई आयोजित की गई है, 26 फरवरी को प्रातः 11 बजे से 01 बजे तक सभागार होटल रानीखेत ग्रैण्ड, सदर बाजार, रानीखेत में निर्धारित की गयी है। 27 फरवरी को प्रातः 10ः30 बजे से 01ः30 बजे तक सभागार, विकास भवन, नैनीताल रोड़, रूद्रपुर (ऊधमसिंह नगर) में निर्धारित की गई है। आयोग द्वारा एक जन सुनवाई 02 मार्च को प्रातः 10ः30 बजे से 01 बजे तक (उद्योग/अघरेलू श्रेणी उपभोक्ता), अपराह्न 03 बजे से 05 बजे तक (उद्योग/अघरेलू श्रेणी को छोड़कर अन्य शेष सभी श्रेणी के उपभोक्ता) के लिए समय निर्धारित की गई है। 08 मार्च को प्रातः 11 बजे से 01 बजे तक ऑडिटोरियम, नगर निगम, कोटद्वार में निर्धारित की गयी है। 

उपरोक्त टैरिफ दरों के प्रस्ताव के संबंध में यदि कोई भी व्यक्ति या संस्था अपना मत आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं तो वह जन सुनवाई में उपस्थित होकर अपना मत आयोग के समक्ष लिखित या मौखिक रूप से प्रस्तुत कर सकते है। उपरोक्त टैरिफ याचिका प्रस्तावों का अवलोकन आयोग की वैबसाइट ूूूण्नमतबण्हवअण्पद पर किया जा सकता है। जन सुनवाई के दौरान कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाना अनिवार्य है।


हरदा को सरकार बनाने की जल्दबाजी!

 शेखचिल्ली का सपना ना साबित हो जाये हरदा के ख्वाब

हरदा को सरकार बनाने की जल्दबाजी!



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। चुनाव के बाद लोग बाग 10 मार्च का इंतजार कर रहें है ताकि पता चले कि सरकार किसकी बन रही है। लेकिन कांग्रेस के सेनापति पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है। वे विश्वास के साथ दावा कर रहें है कि कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। बल्कि वे तो इससे भी आगे जाकर मुख्यमंत्री बनने का दावा भी पेश करने लगे है।  

इसके विपरीत भारतीय जनता पार्टी के प्र्रत्याशी अभी तक भीतरघात से उबर नहीं पा रहें है। भाजपा के एक के बाद एक विधानसभा उम्मीदवार भीतरघात का रोना रो रहा है। ऐसे लोगों ने तो जैसे हार मान ली है और अब वे पार्टी के ऐसे विभीषणों पर कारवाई की मांग कर रहें है। ऐसे में जनता तक साफ संदेश जा रहा है। इसको समझना कोई टेड़ी खीर नहीं है। हरदा का आत्मविश्वास और भाजपाईयों का शिकवा शिकायत कुछ कहते है। 

लेकिन इस प्रकार के एक्जिट पोल सरीखे अनुमानों से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। 10 मार्च को होने वाली मत गणना सब कुछ खोल कर रख देगी। तो भी सबको पता है कि भाजपा मोदी के नाम पर चुनावी समर में कूदी है। जबकि हरदा को एक अदद सीट तक चुननी भारी पड़ रही थी। 

जब चारों तरफ से उन्हें निराश होना पड़ रहा था तो रामनगर में डेरा जमाना चाहा लेकिन उनके पुराने सिपहसालार ने उनकी उम्मीदों को झटका दे दिया। लेकिन हरदा ने भी अपने स्टाइल में रायता फैलाते हुए जैसे कहा कि हम तो डूबेंगे, तुमको भी डूबा के रहेंगे। रणजीत रावत को भी मनचाही मुराद नहीं लेने दी। सल्ट में ला पटका। खैर जैसे तैसे बात बन गई। हरदा लालकुआं आ गए और रणजीत सल्ट में पटके जा चुके थे। 

लेकिन कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। गलती से यदि रणजीत सल्ट से हार गए तो निश्चित तौर पर हरदा पर दोष मढ़ दिया जायेगा। अभी तो हरदा के सिक्के चल रहें है परन्तु यदि लालकुआं हाथ से गया तो सिक्का खोटा पड़ जायेगा। अभी तो हरदा का सुनहरा दिन है। दूसरा बेटा भी राजनीति में कदम रख चुका है। बेटी को टिकट, बेटा उपाध्यक्ष। इसपर खुद के मुख्यमंत्री बनने की ख्वाहिश। लेकिन हर बार अपने कहे से मुकर जाने वाली छवि। कभी खुद प्रदेश का मुखिया बनने की बात और कभी आलाकमान पर फैसला छोड़ना, दूसरों को क्या समझा पाते, खुद असमंजस में है। गलती हरदा की नहीं है। उनको पहले से जानने वाले कहते भी है कि हरदा को जीतने का आदत नहीं है। 

अबकि भाजपायी ही हरदा को मौका दे रहें है कि वो कांग्रेस की सरकार बनने की भविष्यवाणी करें। भाजपा उम्मीदवारों की बेबसी भरे चेहरों और अपनों पर भीतरघात करने की शिकायत करते देखकर भला कौन प्रतिपक्ष अपनी जीत के प्रति मुतमइन नही होगा! तो हरदा भी हो रहें है। चूंकि जीत की आदत नहीं इसलिए सामने जीत देखकर जल्दबाजी कर जा रहें है और बार बार अपने कहे से पलटना पड़ रहा है।

हालांकि वे पुराने राजनीतिज्ञ है इसलिए उनसे संयम बरतने की उम्मीद तो की ही जाती है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। तो भी इतना तो तय है कि हरदा की तकदीर अपने चरम पर है। एक राजनीतिज्ञ के लिए इससे सुनहरा दिन हो नहीं सकता। अपना सारा कुनबा सेट कर दिया है। बस जनता जनार्दन की मुहर भर लगनी बाकी है। वह लग गई तो समझो गंगा नहा लिया। वैसे भी उनके सेट करने से कुछ होने वाला नहीं है। इसके लिए तो उनके वंशजों को काबलियत दिखानी होगी। 

हालांकि इसकी संभावना कम ही है। क्योंकि अब तक तो हरदा ही चमकते दिखायी दिए है और उनके आभामंडल के पीछे किसी कोने में उनके वंशज पड़े रहे। यदि उनमें काबलियत होती तो कब के गुदड़ी में लाल प्रदर्शित हो चुके होते। लेकिन दम था नहीं इसलिए नेपथ्य में रहना ही उनका नसीब हो गया है। यह बात कड़वी भले ही हो परन्तु इस हकीकत से कोई इंकार नहीं कर सकता। दूसरी ओर उनके प्रतिद्वंदी भाजपा वाले भी अपना खटराग जप रहें है। ज्यादातर को भीतरघात का डर सता रहा है। हार के डर से दूसरों पर आरोप मढ़ रहें है। 

लेकिन जनाब इस बात को क्यों भूल जाते है कि चुनाव में पार्टी ने उनके चेहरे पर वोट नहीं मांगे। पार्टी ने मोदी को आगे किया, धामी को आगे किया। और इन्हीं दो चेहरे को आगे करके सरकार बनाने का दावा भी किया जा रहा है। ऐसे में कोई हार भी जाये तो दोष उस पर नहीं लगने वाला। लेकिन जो छवि अब उनकी बन गई, वह हारने से भी बदतर है। चुनावी समर में हार-जीत का सिलसिला तो चलता रहता है लेकिन लीडर शिकायत नहींे करता बल्कि समस्या के हल तलाशकर उसका निराकरण करता है।

सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

शरीर में दिख रहे यह लक्षण तो तुरंत खुद से दूर करें मोबाइल

 शरीर में दिख रहे यह लक्षण तो तुरंत खुद से दूर करें मोबाइल



गंभीर बीमारी का कारण बन सकता देर तक मोबाइल इस्तेमाल करना

प0नि0डेस्क

देहरादून। आज के समय में स्मार्टफोन के बिना जिंदगी की कल्पना कर पाना मुश्किल हो गया है। हर छोटी-बड़ी जरूरतों के लिए फोन काम आता है। वहीं अब स्मार्टफोन में मिलने वाले फीचर्स की वजह से जीवन सुविधाजनक बन गया है। बैंक का काम हो या शापिंग स्मार्टफोन की मदद से सभी आसान हो गए हैं। 

स्मार्टफोन ने लोगों की मुश्किलों को कम कर दिया है। वहीं इसकी वजह से सेहत को नुकसान पहुंचता है। आजकल बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं जिससे कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। मोबाइल ज्यादा इस्तेमाल करने के कुछ नुकसानों हैं। 

लगातार मोबाइल के इस्तेमाल से आंखों पर दबाव पड़ सकता है। कभी-कभी हमें इसका एहसास नहीं होता लेकिन यह आंखों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। आंखें शरीर के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से एक हैं। मोबाइल की नीली स्क्रीन आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे गंभीर सिरदर्द, आंखों में दर्द  और यहां तक कि आंखें ड्राई भी हो सकती हैं। ऐसे में सेलफोन का उपयोग करते समय ब्रेक लेना जरूरी होता है। 

किसी भी चीज का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक साबित हो सकता है और जब बात इलेक्ट्रानिक्स की आती है तो बेहतर होगा कि इनका इस्तेमाल करते समय सावधानी बरतें। पफोन के ज्यादा इस्तेमाल से कलाई में सुन्नपन और दर्द हो सकता है। इससे कलाई में झनझनहाट भी हो सकती है जो आगे चलकर कार्पल टनल और सेल्पफी कलाई का कारण बन सकती है।

आप जानते हैं कि फोन की हानिकारक किरणें ब्रेकआउट का कारण बन सकती हैं! कई शोधों में बताया गया है कि मोबाइल में रोगाणु और बैक्टीरिया होते हैं जो त्वचा पर आ सकते हैं, जिससे ब्रेकआउट और दाग-धब्बे हो सकते हैं। यह समय से पहले बुढ़ापा आने का एक कारण भी बन सकता है। ऐसे में अपने मोबाइल को रोजाना वाइप्स से साफ करना चाहिए।

नींद हमारी जीवन शैली का सबसे जरूरी हिस्सा है और अच्छी नींद हर व्यक्ति के लिए जरूरी होती है। देर रात तक मोबाइल का उपयोग करने से सोने के घंटे कम हो जाते हैं जिससे आपको सुबह प्रफेश महसूस नहीं होता साथ ही दिन में भी नींद आती है। मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करना नींद ना आने का कारण भी बन सकता है।

तनाव सामान्य है लेकिन जब सेलफोन से तनाव की बात आती है तो यह कई कारणों की वजह से हो सकता है जैसे इंटरनेट पर कुछ पढ़ना, देर तक फोन का इस्तेमाल करना, नींद पूरी ना होना। यह आगे चलकर गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है।

रविवार, 20 फ़रवरी 2022

गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट ने घाटों पर चलाया सफाई अभियान

 गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट ने घाटों पर चलाया सफाई अभियान



गंगा को स्वच्छ बनाए रखना सभी का दायित्वः कमल खड़का

संवाददाता

हरिद्वार। गिरवर नाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट के पदाधिकारियों व सदस्यों ने हरकी पैड़ी से कुशावर्त घाट तक सफाई अभियान चलाया। सफाई अभियान में शामिल ट्रस्ट के पदाधिकारियों व सदस्यों ने घाट की सीढ़ियों पर जमी गंदगी को साफ करने के साथ घाटों की धुलाई कर गंगा स्वच्छता का संदेश दिया। 

इस दौरान ट्रस्ट के चेयरमैन कमल खड़का ने कहा कि ट्रस्ट की और से घाटों पर निरंतर सफाई अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धर्मनगरी हरिद्वार का देश में एक विशेष स्थान है। पूरे देश से श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। ऐसे में गंगा को स्वच्छ, निर्मल व अविरल बनाए रखना सभी का दायित्व है। 

उन्होंने कहा कि सफाई अभियान में ट्रस्ट के पदाधिकारी व सदस्य योगदान करते हैं। साथ ही जरूरत पड़ने पर सफाई कर्मचारियों का भी सहयोग लिया जाता है। नितिन श्रोत्रिय व सन्नी वर्मा ने कहा कि ट्रस्ट का प्रयास है कि बाहर से आने वाले श्रद्धालु हरिद्वार व गंगा घाटों की एक सुन्दर तस्वीर अपने मन में वापस लेकर जाएं। हर्षित शर्मा व अभिषेक शर्मा ने कहा कि सफाई अभियान चलाने के साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भी गंगा स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जा रहा है। 

सफाई अभियान में मानवीर चौहान, चंद्रशेखर जोशी, अनुज जोशी, डालचंद, राकेश दवाड़, फूलसिंह, प्रेमपाल, योगेंद्र राठौड़ आदि शामिल रहे।

वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन सेठी का प्रेस क्लब में सम्मान

 वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन सेठी का प्रेस क्लब में सम्मान



संवाददाता

देहरादून। उत्तराखण्ड के वरिष्ठ व दबंग पत्रकार जगमोहन सेठी के सम्मान में उत्तरांचल प्रेस क्लब में एक भोज का आयोजन किया गया, जहां कांग्रेसी नेता आर्येन्द्र शर्मा ने उन्हें शाल पहनाकर उनका सम्मान किया और उनकी दीर्घायु की कामना की।

उत्तरांचल प्रेस क्लब में एक सूक्ष्म कार्यक्रम में क्लब के अध्यक्ष जितेन्द्र अंथवाल ने कहा कि कोरोना काल के कारण वरिष्ठ पत्रकार जगमोहन सेठी लम्बे समय तक प्रेस क्लब नहीं आ पाये थे। क्लब ने उनके सम्मान में एक भोज का आयोजन किया और उन्हें पुष्प देकर और शाल पहनाकर सम्मानित किया। 

कार्यक्रम में आये कांग्रेसी नेता आर्येेन्द्र शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता जगत में जगमोहन सेठी किसी पहचान के मोहताज नहीं है। उन्होंने अपने करियर में एक संतुलित पत्रकारिता की और जहां पर भी सिस्टम गलत नजर आया उसे आईना दिखाने के लिए हमेशा अगली पंक्ति में बेखौफ होकर लेखनी चलाते रहे। 

इस मौके पर नवीन थलेडी, राकेश डोभाल, देवेन्द्र सती, मनमोहन शर्मा, विकास धूलिया, अनुपम त्रिवेदी, सुरेन्द्र सिंह आर्य समेत कई पत्रकार मौजूद रहे।


गाजर के अचार की रेसिपीः झटपट बनाएं और तुरंत खाएं

 गाजर के अचार की रेसिपीः झटपट बनाएं और तुरंत खाएं



प0नि0डेस्क

देहरादून। सर्दियां अब जाने को हैं। ऐसे में गाजर का अचार बनाकर रख सकते हैं। अगर आप झटपट बनाकर खाना चाहते हैं तो इंस्टंट रेसिपी नोट कर सकते हैं। इसमें आपको अचार बनाकर धूप में सुखाने का झंझट नहीं करना पड़ेगा। अचार को बनते ही खा सकते हैं।

सामग्री- आधा किलो गाजर, सरसों का तेल, कलौंजी, मेथी, राई, काली या पीली सरसों- चम्मच, सौंफ, हल्दी, कश्मीरी लाल मिर्च, सफेद नमक, काला नमक, सिरका, हरी मिर्च, हींग।

गाजर के अचार के लिए सबसे पहले गाजर को धोकर छील लें। इसे किचन टॉवल से पोंछ लें। अब इसे लंबा पतला काटकर पंखे के नीचे रख दें ताकि ये अच्छी तरह सूख जाए। अब इसका दो तरह का मसाला तैयार होगा। 

एक मसाले को दरदरा पीसना है। इसके लिए मिक्सर में ढाई बड़े चम्मच राई या पीली सरसों लें, एक चम्मच मेथी, 4 चम्मच सौंफ लेकर इसे पीस लें। यह मसाला बारीक नहीं पीसना है। आप सिल-बट्टे पर भी पीस सकते हैं। इसमें आधा चम्मच काला नमक भी मिला लें।

अब एक कढ़ाई में 1 चमचे में सरसों का तेल लें। तेल थोड़ा हल्का गरम हो जाए तो आधा चम्मच सौंफ, आधा चम्मच राई, चुटकीभर हींग, आधा चम्मच हल्दी, कश्मीरी लाल मिर्च और कलौंजी डालें। गैस को मीडियम ही रखें। मसाले डालकर चलाएं और इसमें गाजर और कटी हुई मिर्च मिला लें। ध्यान रखें तेल ज्यादा गरम होगा तो गाजर गल जाएगी। 

गाजर गलानी नहीं है। अब इसमें स्वादानुसार नमक डालें। इसके बाद पिसा हुआ मसाला मिला दें। अब इसको अच्छी तरह मिलाएं। मसाले मिल जाएं तो इसमें थोड़ा सा नमक और मिला दें। 

अब इस अचार को पकाएंगे। इसके लिए बर्तन पर एक कॉटन का मोटा कपड़ा रखकर तौलिया ढंक दें। इसके ऊपर प्लेट रखें। मीडियम आंच पर 8-10 मिनट तक पकने दें। इसे भाप से पकाना है। भाप प्लेट पर जमकर गाजर पर न गिरे इसके लिए कपड़ा ढंकते हैं। 

अब चेक करें हल्का सा गल गया हो तो गैस बंद करके अचार ठंडा कर लें। इसके बाद इसमें सिरका मिलाएं। इस अचार को फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं। ये 10 दिन तक आराम से चल जाएगा।

सरकार ‘ओआरओपी’ को कोश्यारी समिति की सिफारिश के अनुसार लागू करेः कांग्रेस

 सरकार ‘ओआरओपी’ को कोश्यारी समिति की सिफारिश के अनुसार लागू करेः कांग्रेस



एजेंसी

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार पर ‘वन रैंक, वन पेंशन’ (ओआरओपी) को सही तरीके से लागू नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसे ‘कोश्यारी समिति’ की अनुशंसा के अनुसार ही ओआरओपी को लागू करना चाहिए।

पार्टी प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि हमारे सशस्त्र बल के जवानों के लिए न्याय, समानता और सम्मान की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार और हम सभी की है। इसी भावना से कोश्यारी समिति का गठन हुआ था। संप्रग सरकार ने समिति की रिपोर्ट स्वीकार भी की थी। इसकी सिपफारिश के अनुसार ओआरओपी हमारे जवानों को मिलना चाहिए।

उनके मुताबिक ओआरओपी को लेकर 17 फरवरी 2014 को संप्रग सरकार के वित्त मंत्री ने अपने अंतरिम बजट भाषण में वचन दिया था एवं रक्षा मंत्री ने 26 फरवरी 2014 को वही बात की थी। गोहिल ने आरोप लगाया कि खेद की बात है कि इस सरकार ने कोश्यारी समिति की सिफारिश से विपरीत ओआरओपी की व्याख्या को ही बदल दिया और जो हमारे सेवानिवृत फौजी हैं, उनके लिए नीति से उलट व्यवस्था कर दी।

उन्होंने कहा कि सरकार कोश्यारी समिति की सिपफारिश को बदलने की वजह बताए। भाजपा सरकार तुरंत ओआरओपी कोश्यारी समिति की सिफारिश के मुताबिक लागू करे।

बी0एस0नेगी महिला पालिटेक्निक में ’स्पोर्टस मीट’ का आयोजन

 बी0एस0नेगी महिला पालिटेक्निक में ’स्पोर्टस मीट’ का  आयोजन



संवाददाता

देहरादून। बी0एस0नेगी महिला पालिटेक्निक में रेगुलर पढ़ाई के साथ-साथ कई तरह के सांस्कृतिक व शैक्षणिक कार्यकमों का आयोजन किया जाता रहा है। इसी श्रृंखला में ‘स्पोर्टस मीट’ का आयोजन किया गया जिसमें 50 मीटर रेस, 100 मीटर रेस, 400 मीटर रेस, 4ग्100 मीटर रिले, शार्टपुट थ्रो, डिस्कस थ्रो, जेवलिन थ्रो, बैडमिंटन, कैरम, रस्सा कशी आदि कई प्रतियोगिताएं करवाई गई। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में एस0एस0 पांगती (पूर्व आईएएस) ने रिबन काटकर एवं चेयरमैन हर्षमणि व्यास द्वारा गुब्बारे उड़ाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। छात्राओं के साथ-साथ शिक्षकों एवं कर्मचारियों में भी जोश और उमंग दिखा और सभी ने इन गतिविधियांे में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

कार्यक्रम में सुश्री अमीषा चौहान (पर्वतारोही) द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया। 50 मीटर रेस में अंशिका एफ0डी0 ने प्रथम स्थान, 100 मीटर रेस में अंशिका एफ0डी ने प्रथम स्थान व 4ग्100 मीटर रिले में अरिफा, अंशिका, दिव्या, आमरीन एफ0डी0 ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। शार्टपुट में पूजा एम0ओ0एम0 सेकेंड इयर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। डिस्कस थ्रो में पूजा एम0ओ0एम0 सेकेंड इयर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 

जेवलिन थ्रो में कार्तिकी पी0जी0डी0सी0ए0 फर्स्ट इयर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। बैडमिंटन में शालिनी, रितु एफ0डी0 फर्स्ट इयर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कैरम में अंजलि, शालिनी एम0ओ0एम0 पफर्स्ट इयर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। रस्साकशी में टी0डीव डिपार्टमेंट ने प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मैडल एवं सर्टिफिकेट प्राप्त किया। एम0ओ0एम0 एंड एस0पी0 विभाग ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सबसे ज्यादा मैडल प्राप्त किये और ट्राफी जीती।

समापन कार्यक्रम में चेयरमैन ने कहा कि पाठ्येत्तर गतिविधियों से छात्राओं का सर्वागींण विकास होता है साथ ही नई ऊर्जा का संचार होता है। अतः सभी छात्राओं को इन गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी निभानी चाहिए। इस अवसर पर गवर्निग बाडी के सदस्य के0पी0 शर्मा, हरिशंकर जोशी, विजय जुयाल व अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।

गरीब कन्या के विवाह में सहयोग के लिए आगे आए समाजसेवी

 गरीब कन्या के विवाह में सहयोग के लिए आगे आए समाजसेवी

कन्यादान से बड़ा कोई दान नहींः कमल खड़का



संवाददाता

हरिद्वार। गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं हाम्रो स्वाभिमान ट्रस्ट के उपाध्यक्ष समाजसेवी कमल खड़का ने ट्रस्ट द्वारा संचालित सेवा प्रकल्प के माध्यम से निर्धन परिवार की कन्या के विवाह हेतु घरेलू जरूरत का सामान उपहार स्वरूप भेंट किया। कमल खड़का ने बताया कि गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट एवं हम्रो स्वाभिमान ट्रस्ट निरंतर समाज के गरीब जरूरतमंदों की मदद में सहयोग कर रहा है। 

उन्हें जानकारी मिली कि ज्वालापुर निवासी एक गरीब परिवार धन के अभाव के चलते कन्या का विवाह नहीं कर पा रहा है। कन्या के पिता नहीं हैं और माता घरों में काम कर परिवार का पालन पोषण करती हैं। यह जानकारी मिलने पर उन्होंने ट्रस्ट की बैठक बुलाकर गरीब कन्या के विवाह में सहयोग करने का निर्णय लिया और ट्रस्ट के सदस्यों व अन्य लोगों के सहयोग से बेड, अलमारी आदि सहित घरेलू जरूरत का सामान परिवार को भेंट किया। 

इस दौरान उन्होंने कहा कि कन्यादान से बड़ा कोई दान नहीं है। नितिन श्रोत्रिय व मनवीर चौहान ने कहा कि निम्न वर्गाे के उत्थान के लिए गठित ट्रस्ट अपने उद्देश्य को पूरा करने के लिए निरंतर सक्रिय भूमिका निभा रहा है। ट्रस्ट की और से निर्धन कन्याओं के विवाह में सहयोग करने के साथ गरीब छात्रों को पढ़ाई में सहयोग किया जा रहा है। इसके अलावा गरीब जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र वितरण, गंगा स्वच्छता आदि गतिविधियां भी चलायी जा रही हैं। 

हर्षित शर्मा व अनुज जोशी ने कहा कि मलिन बस्तियों, कालोनियों में रहने वाले गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। बालिकाओं को पोष्टिक आहार भी वितरित किया जा रहा है। गरीब कन्या को उपहार स्वरूप भेंट में अशोक शर्मा, सन्नी वर्मा, देवाशीष शर्मा ने विशेष सहयोग किया। 

इस अवसर पर डा0 पदम प्रसाद सुवेदी, रामप्रसाद शर्मा, योगेश सोनी, लक्ष्मण ओझा, लोकनाथ सुवेदी, दीपक सोनी, डोली गिल, सपना, राम प्रसाद, अभिषेक शर्मा, राकेश दबाण, चंद्रशेखर जोशी आदि शामिल रहे।

शनिवार, 19 फ़रवरी 2022

 शराब के ब्रांड को लेकर चली 9 साल लड़ाई



शराब की बोतल पर ग्लेन शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा, जब तक कि वो स्काटलैंड में न बनी हो

एजेंसी

एडिनबर्ग। ग्लेन शब्द को लेकर स्काच व्हिस्की एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) और जर्मन डिस्टिलरी वाल्डहार्न के बीच चल रही 9 साल पुरानी कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई है। यूरोपीय अदालत ने एसडब्ल्यूए के पक्ष में फैसला सुनाते हुए साफ किया है केवल स्काटलैंड में निर्मित व्हिस्की के लिए ही ग्लेन शब्द इस्तेमाल किया जा सकता है। दरअसल वाल्डहार्न ने अपनी सिंगल माल्ट व्हिस्की को ग्लेन बुचेनबैक नाम दिया था, जिसके खिलाफ एसडब्ल्यूए ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

जर्मन डिस्टिलरी को अपनी स्काच व्हिस्की की बोतलों के लेबल पर ग्लेन शब्द का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए एसडब्ल्यूए ने 2013 में केस दर्ज किया था। उसका कहना था कि चूंकि ग्लेन शब्द का तात्पर्य स्काटिश ड्रिंक से होता है, इसलिए जर्मन डिस्टिलरी का ये कदम लोगों को भ्रमित कर सकता है। जिस प्रकार कोई व्हिस्की तब तक स्काच नहीं हो सकती, जब तक उसका उत्पादन स्काटलैंड में नहीं किया जाता। ठीक उसी प्रकार अब स्काच व्हिस्की के लेबल पर ग्लेन शब्द का इस्तेमाल केवल उसी सूरत में किया जा सकेगा, जब वो स्काटलैंड में तैयार की गई हो।

एसडब्ल्यूए के कानूनी मामलों के निदेशक ने एलन पार्क ने कहा कि हमने वैश्विक बाजारों में ऐसी शराब पर स्काटिश शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए लगातार कारवाई की है, जिनका स्काटलैंड से कोई संबंध नहीं है। हमारी ये कोशिश स्काटलैंड के नेशनल ड्रिंक की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और उन लोगों के लिए एक सबक है जो स्काच व्हिस्की की गुणवत्ता प्रतिष्ठा का लाभ उठाना चाहते हैं और संभावित रूप से उपभोक्ताओं को गुमराह करते हैं।

आक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार ग्लेनश् का अर्थ है स्काटलैंड या आयरलैंड की एक गहरी, संकरी घाटी। इसी कारण से अधिकांश स्काटिश व्हिस्की का नाम ग्लेन से शुरू होता है। इसके कुछ लोकप्रिय उदाहरण द ग्लेनलिवेट, ग्लेनमोरंगी और ग्लेनफिडिच हैं। यही वजह है कि स्काच व्हिस्की एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) ने दूसरे देशों में बनने वाली शराब पर ‘ग्लेन’ के इस्तेमाल पर रोक के लिए अभियान चलाया हुआ है।

हर स्काच को व्हिस्की कहा जा सकता है, लेकिन हर व्हिस्की स्काच नहीं हो सकती। ऐसा इसलिए कि केवल स्काटलैंड में बनाई जाने वाली व्हिस्की ही स्काच व्हिस्की कहलाती है। इसके अलावा दोनों के बीच एक बड़ा अंतर इनके बनाए जाने के तरीके को लेकर भी है। आम व्हिस्की को ग्रेन मैश को फर्मेंटिंग करके बनाया जाता है। वहीं स्काच एक माल्ट व्हिस्की है, जो केवल माल्टेड बारले और पानी से बनाई जाती है। स्काच व्हिस्की का टेस्ट दूसरी व्हिस्की के मुकाबले ज्यादा अच्छा होता है।

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2022

पोर्ट ब्लेयर एयरफील्ड में संयुक्त सुरक्षा अभ्यास

 पोर्ट ब्लेयर एयरफील्ड में संयुक्त सुरक्षा अभ्यास



एजेंसी

चैन्नई। अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) ने पोर्ट ब्लेयर एयरफील्ड में एक संयुक्त सुरक्षा अभ्यास किया। इस अभ्यास का उद्देश्य एयरपफील्ड में या कहीं और आतंकवादी हमले, बंधक संकट तथा विमान अपहरण की स्थिति जैसी विभिन्न आकस्मिक घटनाओं के दौरान सभी सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों का परीक्षण करना था।



आईएनएस उत्कर्ष और वीर सावरकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्ढे पर दिन और रात के अभ्यास किए गए। इस एयरफील्ड के भीतर विभिन्न स्थानों पर चित्रित किए गए आतंकवादी खतरों से निपटने के लिए सेना, नौसेना और सीआईएसएफ की त्वरित प्रतिक्रिया टीमों (क्यूआरटी) को तैनात किया गया था। साथ ही एनएसजी, घातक प्लाटून और मरीन कमांडो (मारकोस) के विशेष बलों को भी त्वरित प्रतिक्रिया टीमों के साथ इस समन्वित आपरेशन के लिए जुटाया गया था।



अंडमान और निकोबार कमांड ने हाल ही में पोर्ट ब्लेयर एयरफील्ड में सुरक्षा के लिए एक संयुक्त मानक संचालन प्रक्रिया की घोषणा की है। इन अभ्यासों को एसओपी के परीक्षण, सत्यापन और सुदृढ़ीकरण के साथ-साथ पोर्ट ब्लेयर में सभी सैन्य तथा सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय को बेहतर करने की दृष्टि से डिजाइन किया गया था। इस महत्वपूर्ण एयरफील्ड पर किसी भी खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए इन एसओपी को विकसित किया गया था, जिन्हें इस संयुक्त अभ्यास के दौरान फिर से सत्यापित किया गया।

पुलिस ने वर्ष 2021 में की वाहन चालानों से 29.42 करोड़ की कमाई

 पुलिस ने वर्ष 2021 में की वाहन चालानों से 29.42 करोड़ की कमाई

2021 में सीपीयू ने 1.09 लाख तथा अन्य पुलिस ने 4.19 लाख चालान किये 



संवाददाता

काशीपुर। वर्ष 2021 में उत्तराखंड पुलिस ने 5,29,165 वाहन चालान करके 29,42,47,700 रूपये का जुर्माना (संयोजन शुल्क) वसूल किया। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूूचना से हुुआ।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड के लोक सूचना अधिकारी से 2021 में पुलिस द्वारा किये गये वाहन चालानों तथा वसूले गयेे जुर्माने (संयोजन शुल्क) की सूूचना मांगी थी। इसके उत्तर में पुलिस मुख्यालय की लोक सूचना अधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक (कार्मिक) शाहजहां जावेद खान ने अपने पत्रांक 661 के साथ पुलिस उपमहानिरीक्षक/निदेशक यातायात मुख्तार मोहसिन द्वारा उपलब्ध कराये गये विवरणों की प्रतियां उपलब्ध करायी है। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड पुलिस ने 2021 में कुल 5,29,165 वाहन चालान किये हैै जिसमें 1,09,975 चालान सीपीयू की 6 यूनिटों द्वारा तथा 4,19,190 चालान अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा किये गये हैै। इन चालानों पर पुलिस द्वारा कुल 29,42,47,700 का जुर्माना (संयोजन शुल्क) वसूला गया है। इसमें सीपीयू द्वारा 3,87,87,100 तथा अन्य पुलिस अधिकारियोें द्वारा 25,54,60,600 का संयोजन शुल्क (जुर्माना) वसूला गया हैै।

सीपीयू द्वारा किये गये चालानों में सर्वाधिक 23,850 चालान देहरादूून यूनिट द्वारा किये गये है तथा 25,32,100 का जुर्माना वसूला गया है, जबकि दूूसरे स्थान पर रूद्रपुर यूनिट ने 22,938 चालान किये व सर्वाधिक 1,13,18,100 का जुर्माना वसूला गया हैै। हरिद्वार यूनिट द्वारा 10,175 चालान किये व 35,41,600 का जुर्माना वसूला गया, रूड़की यूूनिट द्वारा 19,234 चालान 66,28,500 का जुर्माना, काशीपुर यूूनिट द्वारा 17,899 चालान तथा 86,02,100 का जुर्माना, हल्द्वानी यूूनिट द्वारा 15,879 चालान किये गये तथा 61,64,700 रूपये का जुर्माना वसूूला गया हैै। 

सीपीयू के अतिरिक्त अन्य पुलिस अधिकारियों द्वारा किये गये चालानों में सर्वाधिक 92,894 चालान देहरादून जिले में किये तथा 6,59,59,350 जुर्माना वसूला गया, उधमसिंह नगर जिले में 77,916 चालान तथा 6,05,350, उत्तरकाशी जिले में 6,907 चालान 27,73,900 जुर्माना, टिहरी जिलेे में 47,652 चालान, 2,37,58,000 का जुर्माना, चमोली जिले में 11,958 चालान तथा 72,57,000 जुर्माना, रूद्रप्रयाग जिले में 9,164 चालान तथा 41,54,900 जुर्माना, पौैड़ी जिलेे में 28,862 चालान 1,23,10,700 जुर्माना, हरिद्वार जिले में 38,728 चालान, 2,08,07,000 जुर्माना, नैैनीताल जिले में 50,621 चालान, 2,97,61,300 जुर्माना, अल्मोड़ा जिले में 10,752 चालान, 80,66,800 जुर्माना, बागेश्वर जिले में 9,181 चालान, 44,20,500 जुर्माना, पिथौरागढ़ जिले में 21,262 चालान तथा 94,29,500 जुर्माना, तथा चम्पावत जिले में 13,293 चालान किये गये तथा 62,36,300 रूपये का शमन शुल्क (जुर्माना) वसूला गया हैै।

सब धरा धरे रह जाते हैं

 दिशा सही न हो तो ज्ञान, हुनर, धन-संपत्ति सब धरा धरे रह जाते हैं, न ही मंजिल मिलती है

हरीश बड़थ्वाल


हरीश बड़थ्वाल

नई दिल्ली। महाज्ञानी हैं, समझदार हैं, सूझबूझ में कमी नहीं फिर भी वह नहीं हासिल कर पाए जिसके अरमान दिल में सदा संजोए गए थे। क्योंकि दिशा सही न थी। दूसरी बात- जितना जल्द दिशा तय कर लेंगे उसी मात्रा में शेष जीवन आनंद और संतुष्टि से जी सकेंगे।

सूटबूट में एक व्यक्ति सड़क किनारे पालथी मारे जमीन पर आड़ी-तिरछी रेखाएं गढ़ रहा था। आनेजाने वाले यह सोच कर कि जरूर कुछ पास है, इकट्ठा होने लगे। वे फुसफुसा रहे थे ‘तांत्रिक है, मुफ्रत में गुर सिखा रहा है।’’ देखते-देखते खासी भीड़ लग गई थी। जग की यही रीत है। बन ठन कर तैयार, सभी एक दूसरे को जैसे तैसे पछाड़ने की होड़ में हैं। जाना कहां है, क्यों जाना है, यह नहीं मालूम!

वो दिन न रहे तो ये दिन भी बहुरेंगे

कोई नहीं कह सकता, आज हम जिस स्थिति में हैं, हमारे पास जो है, जितना है वैसा कब तक चलता रहेगा? हमारी मौजूदा स्थिति या पहचान से अधिक अहम वह दिशा है जिस ओर हम अग्रसर हैं। बाह्य सौंदर्य को समय के साथ ढ़ल जाना है। धन-संपति चलायमान है, आज इधर तो कल दूसरे के पाले में अथाह होने पर पहले तो छिन जाने का जोखिम है, दूसरा उसके बूते सुख-शांति से जीवन बिताना सुनिश्चित नहीं हो जाता। एकबारगी प्रतिष्ठा, लोकप्रियता, कारोबार, राजनीति या वैभव की बुलंदियों पर पहुंचे अनेक किरदार अब धूल छानते मिल जाएंगे क्योंकि उन्हें दिशा बोध न था।



सूचना विस्फोट के युग में उपलब्ध विकल्पों की भरमार व्यक्ति को पशोपेश में खड़़ा कर देती है, क्या करें, क्या न करें। दिशाहीनता के चलते यह नहीं सूझता कि घर-परिवार, समाज या कार्यस्थल में दूरगामी हित में सर्वाेत्तम क्या रहेगा। जिसकी सुविचारित दिशा हो उससे कुछ ज्ञान मिल भी जाए किंतु जो स्वयं बहे जा रहे हैं, दूसरों को कैसे थामेंगे? संतान की शिक्षा, कैरियर या जीवनसाथी के चयन में अनेक मातापिता स्वयं आश्वस्त न होने पर पल्ला झाड़ लेते हैं कि वह स्वयं निर्णय ले।

बुद्वि, ज्ञान या हुनर काफी नहीं हैं मंजिल पाने के लिए

उपयुक्त दिशाज्ञान के अभाव में विशिष्ट गुणों, पर्याप्त जानकारी, सूझबूझ और हुनर के बावजूद सयानी उम्र तक भटकते मिल जाएंगे। दिलोदिमाग में पसरे खालीपन को संत-फकीरों की वाणी या संगतों से भी तृप्ति नहीं मिलती। ढ़लती उम्र तक न सूझना कि शेष दिन कैसे गुजरेंगे यह दर्शाता है कि सामर्थ्य और रुझान के अनुकूल कार्यदिशा का चयन नहीं हुआ। खुशनुमां बुढ़ापे की नींव युवावस्था में पड़़ती है, यह कौंधा ही नहीं। जीवनमूल्यों और दिशा की अस्पष्टता के चलते जनजीवन में मानसिक विकृतियां, दांपत्य अनबन और विच्छेद, कदाचार, लूट-खसोट तथा अन्य अवांछित घटनाओं में तेज बढ़त जारी है।

लक्ष्य उच्च होंगे तो उड़ान भी ऊंची होगी

मोटी पगार, गाड़ी, निजी फ्रलैट, एक अदद सुंदर, वरीयतः कमाऊ पत्नी तक जीवन के लक्ष्यों तक सीमित रखना सही दिशा का संकेतक नहीं हैं। प्रकृति की बृहत योजना में मनुष्य को अथाह सामर्थ्य इस आशय से प्रदान नहीं की गई कि वह निम्नतर जीव-जंतुओं की भांति जीवनपर्यंत केवल अपनी गुजरबसर और सुख सुविधाएं जुटाने-बटोरने में लिप्त रहे। सोच और गतिविधियों को निजी हितों तक सीमित रखने का अर्थ है लोकहित के परम मानवीय कर्तव्य की अवहेलना और आत्मिक उन्नति में अवरोध, ये दोनों ईश्वरीय विधान की अनुपालना के विरुद्व हैं, और इसीलिए मानसिक और भावनात्मक विकृति बतौर दंडनीय हैं।

आपसे बेहतर आपको कोई नहीं जानता

एक राह चुन लेने के बाद वापसी दुष्कर होती है, अतः दिशा का चयन भावावेश में नहीं, सुविचार से करना होगा चूंकि यह संबंधों, कैरियर या कारोबारी प्रोन्नति और चित्त को अनुकूल मुदा में रखने में ठोस भूमिका निभाता है। अपनी योग्यताओं, खूबियों और कौशल का आपको ज्ञान है। आपसे बेहतर आपको कोई नहीं जानता, अपनी दिशा स्वयं नहीं चुनेंगे तो दूसरा आपको मनचाही दिशा में ले जाएगा। इससे पहले कि परिस्थितियां आपको अप्रिय, अनचाहे गलियारों तक पहुंचा दें जिसके लिए आप निर्मित नहीं हैं, साहस दिखाएं और जीवन को समुचित दिशा दे डालें हालांकि यह सरल नहीं है। अपने कंफर्ट जोन से बाहर आने के बाद भी संघर्ष, जग हंसाई और आलोचनाओं के दौर से गुजरना पड़ेगा। फिर भी दूरदृष्टि अपनाते हुए ऐसी राह का चयन करना होगा जो आपके सार्थक और तुष्टिदाई भविष्य के निर्माण में सहायक हो। यह कार्य जितना जल्द संपन्न होगा, उसी अनुपात में अनुगामी जीवन बेहतर होगा। जीवन में मायने दिशा के हैं, तय की गई दूरी या रफ्रतार के भी नहीं। कदम भले ही छोटे हों, अविरल चलते रहेंगे तो सही गंतव्य तक पहुंचना तय है। सही राह पर भटक भी जाएं तो चिंता नहीं करनी चाहिए।

(हरीश बड़थ्वाल के अन्य आलेख उनके ब्लाग (www.bluntspeaker.com) में उपलब्ध हैं।)

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