बुधवार, 28 अप्रैल 2021

हाईटेक बेड्स की आपूर्ति मेंं हो रहे विलम्ब पर गौर फरमाइए सरकार: मोर्चा

 हाईटेक बेड्स की आपूर्ति में हो रहे विलंब पर गौर फरमाइए सरकार: मोर्चा    



# महामारी को देखते हुए सरकार ने 600-700 बेड्स की खरीद का जारी किया था फरमान   
# एक-एक मिनट मरीजों की जान पर पड़ रहा भारी      # समय रहते तत्काल कार्रवाई की जरूरत 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि 10-15  दिन पहले सरकार द्वारा 600-700 हाईटेक बेड्स (फावलर) की आपूर्ति हेतु फरमान जारी किया था, जैसा कि विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है। सरकार का यह बहुत ही सराहनीय कदम है, लेकिन, ऐसे समय में, जब एक-एक मिनट मरीजों के जीवन पर  भारी पड़ रहा हो, तो उसमें विलंब किया जाना मरीजों के जीवन से खिलवाड़ जैसा है।    
नेगी ने कहा कि कोरोना  व अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं, जिस कारण उनको इलाज व संसाधनों के अभाव में अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है, ऐसे समय में जब प्रदेश में मौत का आंकड़ा तीन हजार के करीब पहुंच गया हो तो इसमें विलंब किया जाना बहुत बड़ी चूक साबित होगी।  
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि हाईटेक बेड्स की आपूर्ति में हो रहे विलंब के मामले में युद्ध स्तर पर कार्य करने हेतु निर्देश जारी करे, जिससे प्रदेश में बेड्स की किल्लत दूर हो एवं मरीजों को समुचित इलाज की व्यवस्था हो सके।

परियोजना सुरक्षा मामले में गृह विभाग बना हुआ है बेखबर: मोर्चा

 परियोजना सुरक्षा मामले में गृह विभाग बना हुआ है बेखबर: मोर्चा 



# डाकपत्थर बैराज के हेड रेगुलेटर पुल का है मामला    # उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1989 में किया गया अति संवेदनशील क्षेत्र घोषित 
#परियोजना की सुरक्षा में पुलिस पिकेट रहती थी दिन-रात तैनात  
# किसके आदेश पर पुलिस पिकेट हटाई गई गृह विभाग को नहीं खबर                  
# मोर्चा हजारों करोड़ की परियोजना सुरक्षा मामले में चुप नहीं बैठेगा        
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि जनपद देहरादून के डाकपत्थर बैराज यानि हेड रेगुलेटर पुल की सुरक्षा व्यवस्था के मामले में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 29/11/1989 में उक्त क्षेत्र को अति संवेदनशील घोषित  किया गया था तथा उसके क्रम में कई वर्षों तक दिन- रात पुलिस पिकेट तैनात रहती थी तथा उस पर आवाजाही लगभग प्रतिबंधित थी। यहां तक कि मोटर कार, बस, ट्रक इत्यादि का नंबर आवागमन का समय तक का हिसाब पुलिस द्वारा रखा जाता था, लेकिन विगत  कुछ वर्षों से वहां से पुलिस पिकेट हटा ली गई।    शर्मा ने कहा कि इस मामले में जब गृह विभाग से जानकारी चाही गई तो गृह विभाग ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि मामला पुलिस मुख्यालय उत्तराखंड से संबंधित है। हैरानी की बात यह है कि किसी अधिसूचित अति संवेदनशील क्षेत्र को बिना शासन की अनुमति के कैसे सुरक्षा विहीन किया जा सकता है। पुल की सुरक्षा व उसकी संवेदनशीलता के मामले में अभिसूचना विभाग तथा पुलिस खुद उक्त क्षेत्र को अति संवेदनशील मान चुका है।                           
शर्मा ने कहा कि मोर्चा हजारों करोड की परियोजना को बर्बाद नहीं होने देगा।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत

 स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। देश में कोरोना के संक्रमण से पार पाना एक बड़ी चुनौती है। हमारे यहां समूचा स्वास्थ्य तंत्र इस महामारी से उपजे हालात का सामना करने में लगा हुआ है। संक्रमण की चपेट में आए लोगों की जैसी स्थिति हो रही है, उसमें इलाज के मामले में उन्हें प्राथमिकता मिलना स्वाभाविक है। संकट की व्यापकता के मद्देनजर देश के अस्पतालों को केवल कोविड के मरीजों के इलाज के लिए निर्धारित कर दिया गया है। लेकिन इस क्रम में दूसरी गंभीर बीमारियों से जोखिम की स्थिति में पहुंच चुके मरीजों को अपेक्षित उपचार या देखभाल नहीं मिल पा रही है। आपात चिकित्सा की जरूरत वाले लोगों को इलाज कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

देश के शहरों में कई अस्पतालों को कोविड केंद्र के रूप में बदल दिया गया है और उन्हें सिर्फ इसी बीमारी के मरीजों का इलाज करने को कहा गया है। लेकिन ऐसे हालात बन गए हैं कि हृदयाघात या हादसे की आपात आवश्यकता वाले मामलों में वक्त पर इलाज मिल सकने की गुंजाइश कम हो गई है। जिन्हें अपनी तकलीफ के इलाज कराने की जरूरत है, लेकिन वे अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं। हृदय रोग या दूसरी कोई बीमारी का मरीज ऐसी हालत में भी हो सकता है कि समय पर इलाज नहीं मिलने पर उसकी जान चली जाए। किसी व्यक्ति को ऐसी बीमारी भी हो सकती है, जिसका वक्त पर उपचार नहीं मिलने पर वह जानलेवा रोग में तब्दील हो जाए। 

यह छिपा तथ्य नहीं है कि हृदयाघात, कैंसर, टीबी, मधुमेह और कुछ अन्य बीमारियों की वजह से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है। भारत में कुल मौतों में 19 फीसद मौतें अकेले हृदयरोग से जुड़ी होती हैं। तपेदिक की त्रासदी में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन महज कुछ साल पहले तक इससे हर साल करीब साढ़े चार लाख लोगों की मौत हो जाती थी। यह स्थिति बताने के लिए काफी है कि हमारे स्वास्थ्य ढांचे में कितनी बड़ी कमी है। ऐसा नहीं है कि अस्पतालों, डाक्टरों की कमी मौजूदा संकट में सामने दिखी है। लंबे समय से स्वास्थ्य क्षेत्र का बुनियादी ढांचा मजबूत करने के लिए बजट में पर्याप्त आबंटन और व्यापक सुधार के लिए आवाजें उठती रही लेकिन इस ओर ठोस पहल नहीं हुई। महामारी के इस दौर में यदि सरकार स्वास्थ्य और चिकित्सा का मजबूत तंत्र खड़ा कर सके, तो यह हितकारी होगा।

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कोरोना से बचाव के लिए किन लोगों को नहीं लगवानी चाहिए वैक्सीन

 कोरोना से बचाव के लिए किन लोगों को नहीं लगवानी चाहिए वैक्सीन



एजेंसी

नई दिल्ली। देश में कोरोना वैक्सीन का तीसरा चरण 1 मई से शुरू होने जा रहा है। इस दौरान देश के 18 साल से ऊपर के लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी। सरकार भले ही कोरोना वैक्सीन प्रोग्राम को तेज करने की बात कर रही हो लेकिन अभी भी लोगों में वैक्सीन को लेकर डर बरकरार है। कई लोग वैक्सीन लगवाने के बाद होने वाले साइड इफेक्ट को लेकर परेशान हैं। 

कोवैक्सीन की निर्माता भारत बायोटेक ने अपनी फैक्टशीट में कहा कि जिस किसी को भी इनग्रिडिएंट से एलर्जी है, उन्हें वैक्सीन नहीं लेना चाहिए। इसके साथ ही अगर किसी को वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद तेज बुखार या घातक संक्रमण हो रहा है कि तो वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। कोवैक्सीन ने गर्भवती महिलाओं और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को भी वैक्सीन देने से इनकार कर दिया था। कंपनी ने कहा है कि इस तरह की महिला वैक्सीन लगवाने से पहले अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर को जानकारी दें।

कोविशील्ड की फैक्टशीट में कहा गया है कि गर्भवती या ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को फिलहाल वैक्सीन लेने से बचना चाहिए। अगर ये महिला वैक्सीन लगवाना ही चाहती है तो उन्हें हेल्थकेयर प्रोवाइडर से सलाह लेनी चाहिए। इसके साथ एलर्जी, बुखार होने या पिफर कोई और वैक्सीन ली है तो भी इसकी जानकारी बतानी चाहिए।

कोवैक्सीन और कोविशील्ड दोनों ने अपनी-अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन के बारे में जानकारी दी है। दोनों ही कंपनियों ने बताया है कि इंजेक्शन लगने वाली जगह पर सूजन, दर्द, लाल और खुजली होने जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसके साथ ही हाथ में अकड़न, बांह में कमजोरी, पूरे शरीर में दर्द और थकान, बुखार, बेचैनी, चकत्ते, मितली और उल्टी जैसे कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स हैं।


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हालात से निपटने के लिए सकारात्मक सोच जरूरी

 कोविड़ से बचाव के अलावा प्रभावितों को मदद की दरकार



हालात से निपटने के लिए सकारात्मक सोच जरूरी

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। देशभर में कोविड़ की दूसरी-तीसरी लहर के बीच हालात आउट आफ कंट्रोल होते जा रहें है। देश में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। आक्सीजन और कोविड़ की बेसिक दवाओं की कमी महसूस की जाने लगी थी। हालांकि अब इस भगदड़ में लगाम लग गई है।

धीरे-धीरे स्वास्थ्य व्यवस्था फिर से पटरी पर आने लगी है। दवा और वैक्सीन की कमी को पूरा किया जा रहा है। वहीं आक्सीजन सप्लाई भी सामान्य होने की ओर है। इस बीच सोशल मीडिया में कुछ लोग कृत्रिम तनाव पैदा करने का प्रयास कर रहें है। जबकि ऐसे लोगों को अपनी एनर्जी को कोविड़ प्रभावितों की मदद में लगाना चाहिये। दरअसल ऐसे ही नकारात्मक सोच वालों ने देशभर में खामखां का पैनिक क्रिएट कर रखा है। 

हालांकि ऐसे लोगों के पास सबके प्रति शिकायतें है। इनकी नजर में सरकारें बेकार, अस्पताल नाकाम और स्वास्थ्य सिस्टम बेकार है। लेकिन जिन परिस्थितियों में हमारे प्रफंट लाइन वर्कस काम कर रहें है, उनकी पीठ थमथपाने की बजाय हर किसी की आलोचना करना इनका प्रिय शगल बन गया है। ऐसा करके इन्हें लगता है कि लोगों को इनका बौद्विक स्तर नजर आयेगा।

केवल बात बनाने और सबकी आलोचना करके भला ऐसे लोग किसी के पसंदीदा कैसे हो सकते है। ऐसे लोग दूसरों की तो छोडिए, खुद अपनी मदद करने की स्थिति में नहीं है। इसके बावजूद इनको हर जगह खोट दिखाई देता है। इसके पास समस्याओं का पूरा बंड़ल पड़ा है लेकिन समाधान के नाम पर असमंजस की स्थिति है। दरअसल यह लोग खुद डरे हुए है। हालात का सामना करने की बजाय पलायन करना इनका स्वभाव बन गया है। 

इसलिए यह टेरर तो क्रिएट कर दे रहें है लेकिन उस टेरर से दूसरा तीसरा बिलकुल नही डर रहा बल्कि खुद ऐसे लोग डर कर दूसरों पर दोषारोपण करके मजा लेने का प्रयास कर रहें है। जबकि वक्त खुद को बचाने और दूसरों की मदद करने का है।


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फटी एड़ी से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय

 फटी एड़ी से छुटकारा पाने के घरेलू उपाय



फटी एड़ियों को ठीक करने का घरेलू उपचार करना एक बेहतर विकल्प

प0नि0डेस्क

देहरादून। फटी एड़ियों के कारण हम मनपसंद फुटवियर नहीं पहन पाते हैं। दरअसल सर्दियों की सूखी हवा, अनियमित खानपान, विटामिन ई की कमी, कैल्शियम और आयरन की पर्याप्त मात्रा न मिल पाने की वजह से अक्सर लोगों के पैरों की एड़ियां फट जाती हैं। ऐसे में अगर पैरों की देखभाल सही से नहीं की जाये तो धीरे-धीरे एड़ियों में दरारें आने लगती हैं। जिससे चलने में भी पैर में दर्द होने लगता है।

इसे आम बोलचाल में बिवाई भी कहा जाता है। वैसे तो बाजार में कई ऐसी क्रीम मौजूद हैं जो फटी एड़ियों को ठीक करने का दावा करती है लेकिन इसका घरेलू उपचार करना ही एक बेहतर विकल्प है। फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपाय हैं जो बेहद कारगर होते है।

आलिव आयल के इस्तेमाल से एड़ियां मुलायम बनती हैं। इसके लिए हथेली पर आलिव आयल की कुछ मात्रा लें और हल्के हाथों से मसाज करें। इसके बाद पैरों को आधे घंटे के लिए वैसे ही छोड़ दें। ऐसा हफ्ते में एक बार जरूर करें। 

पैरों की फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए ओटमील के पाउडर को थोड़े से जोजोबा आयल में मिलाते हुए एक गाढ़ा पेस्ट बना लें और एड़ियो की दरारों पर लगाएं। कुछ देर बाद या उसके सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें। 

अगर एड़ियां ज्यादा फटी हुई हैं तो एक छोटे बाउल में तीन-चौथाई मात्रा में गुलाब जल और एक-चौथाई मात्रा में ग्लिसरीन लेकर मिश्रण बनाएं। फिर रात को सोते वक्त एड़ियों को पर लगाएं और अगली सुबह गुनगुने पानी से पैर धो लें। कुछ दिनों तक ऐसा करने पर पैर और फटी एड़ियों में आराम मिलेगा। 

चेहरे के रंग को निखारने के लिए शहद का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन शहद एक बहुत अच्छा माइश्चराइजर भी है। जो पैरों को हाइड्रेट रखने के साथ ही उनकों रंग भी निखारता है। इसके लिए एक बाल्टी में थोड़ा से पानी में शहद मिलाएं और उसमें कुछ देर के लिए पैरों को भिगोकर बैठें। इसके बाद पैरों को पोंछ लें। पिफर कोई भी आयल बेस्ड फुट क्रीम लगा लें। पैर मुलायम हो जाएंगे।


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लंबी दूरी तय करने वालों के लिए ई-स्कूटर ज्यादा उपयोगी नहीं

 इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने से पहले रखें इन बातों का ध्यान



लंबी दूरी तय करने वालों के लिए ई-स्कूटर ज्यादा उपयोगी नहीं 

प0नि0डेस्क

देहरादून। बढ़ती तेल की कीमतें और वायु प्रदूषण को देखते हुए आटोमोबाइल कंपनियों ने इलेक्ट्रिक बाइक, स्कूटर और कार बनाने की शुरुआत की है ताकि लोगों को तेल की कीमतों और वायु प्रदूषण दोनों से निजात मिल सके।

अगर आप इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदने का मन बना रहे हैं लेकिन तय नहीं कर पा रहे हैं तो कुछ ऐसे टिप्स हैं जिनको जानने के बाद आप जरूरत को देखते हुए अपनी पसंद का ई-स्कूटर खरीद सकेंगे जो सेहत और जेब के बजट दोनों में फिट बैठता है। 

मार्केट में तमाम कंपनियों के इलेक्ट्रिक स्कूटर मौजूद हैं जिनकी रेंज 30 हजार से लेकर 1.50 लाख रुपये तक है। इन इलेक्ट्रिक स्कूटरों में हर तरह की लेटेस्ट टेक्नोलाजी मिल जाएगी लेकिन अपने बजट को देखते हुए तय कीजिए की किस कंपनी का स्कूटर बजट में आ रहा है।

सबसे पहले खुद से ये सवाल कीजिए कि इलेक्ट्रिक स्कूटर की कितनी जरूरत है। पड़ोसी को देखकर या लगातार लान्च हो रहे ई-स्कूटर को देखकर इनको खरीदने का मन मत बनाइए। पहले देखिए की घर से अपने आफिस और दूसरी जगह पर कितनी दूरी तय करते हैं। क्योंकि ज्यादा दूरी होने पर ई-स्कूटर बेहतर आप्शन साबित नहीं होगा। इसके अलावा ई-स्कूटर को प्रतिदिन चार्ज कहां और कैसे कर सकेंगे। 

ई-स्कूटर में माइलेज का मतलब होता है एक बार चार्ज करने पर स्कूटर कितने किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। इसलिए कोई भी ई-स्कूटर लेने से पहले उसकी माइलेज पर ध्यान जरूर दें। कंपनी के दावे पर आंख बंद कर भरोसा न करें। हो सके तो टेस्ट ट्राइव लें या थोड़ी मेहनत कर सकें तो उन ग्राहकों से बात करने की कोशिश करें जो ये स्कूटर यूज कर रहे हैं। तब उस ई-स्कूटर की असली माइलेज का पता चल सकेगा।

पेट्रोल बाइक में उसका मुख्य हिस्सा है इंजन, उसी तरह इलेक्ट्रिक स्कूटर में उसका मुख्य अंग उसकी बैटरी होता है। इसलिए ई-स्कूटर खरीदने से पहले उसकी बैटरी के बारे में पूरी जानकारी लें। जैसे बैटरी कितने वाट क्षमता वाली है, बैटरी वाटरप्रूफ है या नहीं, शाकप्रूफ है या नहीं और रिप्लेसमेंट के लिए क्या शर्तें हैं।

अक्सर देखने में आता है कि ग्राहक के ई-स्कूटर की बैटरी कुछ ही महीनों में खराब हो जाती है। जिसके बाद कंपनी में भी कोई सुनवाई नहीं होती। ऐसी सूरत में ग्राहक को हजारों रुपये खर्च कर नई बैटरी लेनी पड़ती है।

कोई भी ई-स्कूटर खरीदने से पहले उसकी सर्विस का ध्यान रखेंगे तो भविष्य में परेशान नहीं होना पड़ेगा। पेट्रोल बाइक के लिए गली नुक्कड़ पर मकैनिक मिल जाएगा लेकिन इलेक्ट्रिक स्कूटर का कानसेप्ट नया होने के चलते न तो इसके मकैनिक आसानी से नहीं मिलेंगे और न सर्विस सेंटर। इसलिए बेहतर होगा कि स्कूटर लेने से पहले अपने एरिया में उसका सर्विस सेंटर, कंपनी द्वारा ई-स्कूटर के अंदरूनी और बाहरी पुर्जों पर दी जाने वाली वारंटी या गारंटी की शर्तों को ध्यान से समझ लें।


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सोमवार, 26 अप्रैल 2021

डबल मास्क पहनते समय कुछ बातों का जरूर रहे ध्यान

 डबल मास्क पहनते समय कुछ बातों का जरूर रहे ध्यान



एक अध्ययन में कहा गया है कि डबल मास्किंग से कोविड-19 वायरस के जोखिम को 95 फीसदी तक कम किया जा सकता है 

प0नि0डेस्क

देहरादून। कोरोना वायरस से बचने के लिए डबल मास्क का इस्तेमाल एक अच्छा तरीका है। ये संक्रमित होने की संभावनाओं को कम करता है। इसमें दो मास्क पहनने होते हैं। ये कोविड 19 के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। अमेरिका सेंटर पफार डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की ओर से किए गए अध्ययन में कहा गया है कि डबल मास्किंग से कोविड-19 वायरस के जोखिम को 95 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

डबल मास्क लागाते समय ध्यान रहे कि मास्क चेहरे पर सही से फिट हो। अगर ये ठीक से फिट नहीं है तो ड्राप्लेट्स आसानी से अंदर और बाहर जा सकते हैं। ये खतरनाक साबित हो सकता है। मास्क लेयर संक्रमण से बचाव करने में मदद करता है क्योंकि ये ड्राप्लेट्स को रोकता है।

यूएस सीडीसी की ओर से की गए अध्ययन के अनुसार कोविड-19 को रोकने के लिए डबल मास्किंग बहुत प्रभावी साबित हो सकता है लेकिन ये तभी हो सकता है जब डबल मास्क ठीक से पहने।

ठीक से डबल मास्क पहनने के दो तरीके हैं। 

क्लाथ मास्क के साथ सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल करें- केवल कपड़े का मास्क पहनना इतना प्रभावकारी नहीं है लेकिन इस मास्क का इस्तेमाल अगर सर्जिकल मास्क के साथ करते हैं तो ये काफी प्रभावी साबित हो सकता है, जो संक्रमण से बचाने में मदद करेगा।

इसके लिए पहले सर्जिकल मास्क पहनना होगा। इसके बाद कपड़े वाले मास्क को इसके ऊपर लगाएं। सीडीसी के अनुसार ऐसे करने से सर्जिकल मास्क ड्राप्लेट्स को रोकता है। वहीं कपड़े वाला मास्क इसे फिट रखने में मदद करेगा।

सर्जिकल मास्क की लोब को बांध कर इस्तेमाल करें- कोविड 19 के संक्रमण से बचने के लिए सर्जिकल मास्क को फोल्ड करना होगा। इसके बाद दोनों तरफ से मास्क को कानों के लोब से बांधना होगा। फिर मास्क को फोल्ड करें और दोनों तरफ से एक्स्ट्रा मटेरियल को अंदर की तरफ करें। इसके बाद मास्क को चेहरे पर लगाते वक्त नोज वायर को दबाएं और सही से इसे पहने। इसके लिए आप नोज वायर मास्क का इस्तेमाल करें। कोशिश करें कि बेहतर क्वालिटी का मास्क खरीदें।

अमेरिका सीडीसी के अनुसार डबल मास्क का इस्तेमाल करते वक्त दोनों मास्क सर्जिकल नहीं होने चाहिए। डबल मास्क पहनते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसमें एन95 मास्क न शामिल हो।


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स्वास्थ्य महानिदेशालय ने हाईटेक बेड (फाओलर) की सूचना छुपाईः मोर्चा

 स्वास्थ्य महानिदेशालय ने हाईटेक बेड (फाओलर) की सूचना छुपाईः मोर्चा                 



- 1000 बेड की खरीद की गई थी विभाग द्वारा                     

- क्या गोदाम की शोभा बढ़ाने के लिए खरीदे गए थे बेड                

- प्रदेश में मरीजों को बेड न मिलने से मचा हुआ है हाहाकार 

- निकम्मे एवं लापरवाह अधिकारियों को बर्खास्त करे सरकार 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि स्वास्थ्य महानिदेशालय द्वारा पांच-सात माह पहले हाईटेक बेड की खरीद कर उनको गोदामों की शोभा बढ़ाने के लिए छोड़ दिया गया।              

नेगी ने कहा कि विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि महानिदेशालय द्वारा 1000 हाईटेक बेड खरीदे गई थे। मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी द्वारा द्वारा दिसंबर 2020 को  कोविड-19  के प्रारंभ से लेकर सूचना उपलब्ध कराने की तिथि तक खरीदे गए समस्त सामान यथा वेंटिलेटर, मास्क, सैनिटाइजर, पीपीई किट इत्यादि की खरीद के बारे में सूचना मांगी गई थी, जिस के क्रम में महानिदेशालय द्वारा 27/02/2021 को अन्य खरीदे गए सामान की सूची तो उपलब्ध करा दी गई, लेकिन इन हाइटेक बेड की सूचना का कोई उल्लेख नहीं किया गया।

इनको डर था कि कहीं हाईटेक बेड की सूचना लीक हो गई तो जनता हिसाब मांगेगी। प्रदेश की जनता इस महामारी के दौर में एक-एक बेड के लिए मारी-मारी फिर रही है। इन लापरवाह अधिकारियों ने मरीजों को तड़पने के लिए छोड़ दिया।             

नेगी ने कहा कि सरकार के एक मंत्री अपने भांजे के इलाज को लेकर अस्पताल में हंगामा काट रहे हैं। काश! प्रदेश के मंत्रियों/विधायकों ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया होता तो आज ये परिणाम न होते।           

मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इन निकम्मे एवं लापरवाह अधिकारियों को बर्खास्त कर जनता को एक-एक बेड का हिसाब दे।  

पत्रकार वार्ता में मोर्चा उपाध्यक्ष विजय राम शर्मा व नारायण सिंह चौहान थे।


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रविवार, 25 अप्रैल 2021

एल्युमिनियम स्क्रैप रीसाइक्लिंग करने की तकनीक विकसित

 एल्युमिनियम स्क्रैप रीसाइक्लिंग करने की तकनीक विकसित



एजेंसी

चैन्नई। वैज्ञानिकों की एक टीम ने एल्युमिनियम स्क्रैप को रीसाइक्लिंग करने के लिए कम लागत वाली तकनीक विकसित की है। इस तकनीक से रीसाइक्लिंग करने पर मेटेरियल का भी कम नुकसान होता है। इस नई तकनीक का उपयोग लघु और मध्यम उद्योगों द्वारा किया जा सकता है।



डा0 सी0 भाग्यनाथन एसोसिएट, प्रोफेसर रामकृष्ण इंजीनियरिंग कालेज कोयम्बटूर, डा0 पी0 करुप्पुस्वामी, प्रोफेसर रामकृष्ण इंजीनियरिंग कालेज और डा0 एम0 रवि, सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट सीएसआईआर-एनआईआईएसटी त्रिवेंद्रम ने मिलकर नई प्रौद्योगिकी प्रणाली विकसित की है जो औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए मूल्य वर्धित/गैर-मूल्य वर्धित और खतरनाक/गैर-खतरनाक कचरे, एल्यूमीनियम मिश्र धातुओं और मिश्रित स्क्रैप्स को कंबाइन कर उन्हें कुशलतापूर्वक रीसायकल कर सकती है। यह नई तकनीक विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सपोर्ट से चलाए जा रहे उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी कार्यक्रम के तहत विकसित की गई जिसे भारत सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम का भी साथ मिला है। विकसित तकनीक का उपयोग छोटे और कुटीर उद्योग, लघु उद्योग और एमएसएमई एल्यूमीनियम ढलाई और रीसाइक्लिंग उद्योगों में किया जा सकता है।



परम्परागत एल्युमीनियम रीसाइक्लिंग तकनीक से लौह (एपफई), टिन (एसएन), लेड (पीबी) और क्रूसिबल रेट हाट से एमजी को जलाकर प्रसंस्करण करने में बड़े निवेश की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में मैग्नीशियम मिश्र धातुओं, फेरस मिश्र और उच्च सिलिकान मिश्र धातुओं आदि को मैन्युअल छंटाई भी करनी होती है। इसके बावजूद इससे निकाला गया मैग्नीशियम पर्यावरण के लिए खतरनाक होता है। इन मिश्र धातुओं का गलन ग्रेडेड एल्यूमीनियम स्क्रैप के रूप में होता है। उद्योग रासायनिक संरचना के आधार पर सिल्लियां बेचते हैं।

नई तकनीक से रीसाइक्लड एल्यूमीनियम की शुद्वता और गुणवत्ता बढ़ जाएगी। नई तकनीक में मिश्रित एल्यूमीनियम स्क्रैप (मिश्रित), सुखाना और चुल्हा को गर्म करना, पिघलने वाली भट्टी में बुनियादी अशुद्वियों को दूर करना, वायुमंडल में नाइट्रोजन के स्तर को नीचे रखना और भट्ठी में मिश्र धातु तत्वों को मिलाना और पिघली धातु डालना शामिल है। प्रक्रिया के दौरान तीन समस्याओं का समाधान किया जाता है। लोहे और सिलिकान सामग्री को अलग करना, मैग्नीशियम के नुकसान को रोकना और निर्धारित सीमा के तहत मैकेनिकल प्रापर्टी को सुधार करने के लिए क्रोमियम, स्ट्रोंटियम, जिरकोनियम और अन्य तत्वों को मिलाना मौजूदा तकनीक में रूपांतरण दर 54 प्रतिशत है और नई तकनीक विकसित होने के साथ स्क्रैप के विभिन्न मामलों के आधार पर रूपांतरण दर 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक बढ़कर हो गई है।

यह नई तकनीक टेक्नोलाजी रेडीनेस लेवल (टीआरएल) में 7वें चरण पर है और डा0 सी0 भाग्यनाथन की टीम ने कोयम्बटूर में कई औद्योगिक भागीदारों के साथ साझेदारी की है जैसे रूट्स कास्ट, लक्ष्मी बालाजी डाइकास्ट, एनकी इंजीनियरिंग वर्क्स, आदर्श लाइन एसेसरीज, सुपर कास्ट, स्टार फ्रलो टेक। आगे के विस्तार के लिए विभिन्न घटकों को जोड़ने के लिए इलेक्ट्रिकल हाउसिंग ब्रैकेट, आटोमोबाइल केसिंग और वाल्व कम्पोनेंट, मोटर हाउसिंग ब्रैकेट, मोटर इम्पेलर घटकों आदि से साझेदारी की है। यह टीम प्रौद्योगिकी के लिए एक पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया में है और इसे स्वयम इंडस्ट्रीज, कोयम्बटूर, सर्वाे साइंटिफिक इक्विपमेंट कोयम्बटूर में स्थानांतरित कर दिया है।

यह नई तकनीक उन्नतम एल्युमिनियम मेल्टिंग और होल्डिंग फरनेस, एक डीगैसिंग यूनिट, फिल्टरिंग सेटअप, एक औद्योगिक वाशिंग मशीन और ओवन से भी लैस है।

डा0 सी0 भाग्यनाथन की टीम आगे मध्यम और बड़े उद्योगों के लिए एल्यूमीनियम रीसाइक्लिंग भट्ठी विकसित करने पर काम कर रही है। वे छोटे पैमाने पर भट्ठियों के साथ बड़े पैमाने पर भट्ठी के लिए प्राप्त परिणामों की मैपिंग करने और एल्यूमीनियम शोधन के बाद शुद्वता पर अध्ययन करने की प्रक्रिया में हैं। इस तकनीक को और उन्नत किया जाएगा, जिससे उन्नत एल्यूमीनियम इंडक्शन भट्ठी बनाया जा सके, जो लघु उद्योगों में सफलतापूर्वक लगाया जा सके।


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शनिवार, 24 अप्रैल 2021

गंगावली यात्रा टीम की साहसिक ट्रैकिंग

 दौलाबलिया से रावलखेत तक प्रकृति के सानिध्य में गंगावली यात्रा टीम की साहसिक ट्रैकिंग

रावलखेत
पहाड़, घने जंगल, नैसर्गिक झरने एवं नदी की प्राकृतिक सुंदरता के बीच गंगोलीहाट के आखिरी छोर पर ट्रैकिंग

विश्व प्रसिद्व पाताल भुवनेश्वर गुफा के समीप स्थित है साहसिक ट्रैकिंग स्थल

- पवन नारायण रावत

गंगोलीहाट। यह गंगोलीहाट क्षेत्र में एक बेहतरीन ट्रैकिंग रुट है जो पगडंडी के सिरों पर आपको ट्रैकिंग का लुफ्रत तो प्रदान करेगा ही साथ ही इसमें गंगोलीहाट के आखिरी छोर तक खड़े पहाड़ों, घने जंगलों, नैसर्गिक झरनों एवं नदी की खूबसूरती के एक साथ दर्शन लाभ भी उपलब्ध होंगे।

रावलखेत से रामगंगा का दृश्य

जी हां मित्रों, यात्रा की शुरुआत होती है, गंगोलीहाट से लगभग 16 किमी आगे दौला से। इसके लिए आपको गंगोलीहाट से 13 किमी आगे पाताल भुवनेश्वर मार्ग पर गुफा से थोड़ा पहले मुख्य मार्ग से दौला बलिया जाने वाली सड़क पर करीब 3 किमी आगे दौला पहुंचना होगा। यहां तक मुख्य मार्ग से पहुंचने के बाद ट्रैकिंग प्रारम्भ होती है। यह मुख्य मार्ग लगभग 17 किमी आगे सीधे रावलखेत तक जाता है। पर ट्रैकिंग के लिए हम यहीं से शुरुआत करेंगे।

दौला से यात्रा टीम



दौला से ट्रैकिंग प्रारम्भ करते हुए टीम आगे की तरफ बढ़ती है। आज की यात्रा टीम बिरगोली के पुष्कर खाती के नेतृत्व में आगे बढ़ रही है। जिनके ठीक पीछे मै और सबसे पीछे चिटगल के विनोद पन्त। खाती सधे हुए कदमों से आगे बढ़ रहे हैं। रास्ता बिल्कुल पतली पगडंडी से होकर आगे बढ़ रहा है। लगभग एक किमी तक रास्ता चढ़ाई में चढ़ता जाता है। फिर पहाड़ी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक घुमावदार संकरे मार्ग से होकर जाता है। यहां से लगभग आधे किमी तक एक गूल के किनारे किनारे आगे बढ़ना होता है। जिसमें अधिकतर दूरी तक बस एक तरफ एक पांव रखने भर की जगह है। खाती इसमें एक पांव गूल के एक किनारे और दूसरा दूसरे किनारे पर रखकर आगे बढ़ते रहे। उनके पीछे मैं भी इसी निंजा टेक्नीक के सहारे आगे बढ़ता रहा और पीछे-पीछे पंत।

पगडंडी पर पुष्कर खाती


लगभग डेढ़ किमी पर छिरौली इंटर कालेज नज़र आता है। पास ही कुछ स्थानीय ग्रामीण अपने घरों में काम करते हुए नजर आते हैं। एक घर से खाती को बुलाया जाता है। खाती दूर से ही हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए आगे बढ़ जाते हैं। आगे की तरफ रास्ता चीड़ वनों से होकर गुजरता है। इस स्थान पर चीड़ के बेहद लम्बे और घने वृक्ष मौजूद हैं। जो अपनी खूबसूरती से आपको बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। उनका आकर्षण ही है कि आप यहां पर पिरूल से भरे बेहद फिसलन वाले मार्ग पर बिना डर के धीरे-धीरे आगे बढ़ते जाते हैं। इस समय जब सब जगह पर्वतीय क्षेत्रों में जंगल वनाग्नि की त्रासदी झेल रहे हैं। यहां के शांत हवादार चीड़वनों को देखकर मन को बेहद सुकून प्राप्त हुआ। काफी ऊंचाई से मार्ग नीचे की तरफ आने के कारण संभलकर चलना जरूरी हो जाता है। इस हिदायत के साथ ही खाती ने यहां कुछ देर विश्राम करने का सुझाव दिया। जिसे तुरंत ही स्वीकार कर लिया गया। विश्राम के दौरान वन्य पक्षियों के मनमोहक संगीत ने वाकई में सबका मन मोह लिया। जिससे तरोताजा होकर टीम आगे के सफर पर निकल पड़ी।

चीड़वन



चीड़ की हवा और पंछियों की मधुर संगीतमयी ऊर्जा के साथ साथ हम पहुंच गये मकार गांव। यहां लगभग 10-12 परिवार हैं जिनमें अधिकतर बड़े शहरों, कस्बों में हैं। दूर खाली पड़े एक पुराने मकान की तरफ देखते हुए केशर सिंह दसौनी ने कहा कि जिनसे रास्ते में मुलाकात हुई और जो खाती के परिचित होने के लिए कारण हमारे लिए थरमस में चाय लेकर आये थे। यही पहाड़ की संस्कृति है, अपनेपन से भरपूर। रास्ते में ही बैठे बैठे सबने चाय का आनन्द लिया, चर्चा की फिर उनसे विदा लेकर टीम आगे बढ़ी। 


झरना

 


आगे मार्ग के मार्गदर्शन के लिए वे थोड़ी दूर एक जलस्रौत तक हमारे सारथी के तौर पर हमारे साथ चले। स्रौत में सबने प्राकृतिक जल का आनंद लिया। यह था रमतड़ी का शीतल जलयुक्त प्राकृतिक स्रौत। स्रौत ने सबकी प्यास बुझाई और मन को शीतलता भी दी। इसी जगह कुन्दन से विदा लेकर टीम पुनः खाती के निर्देशन में आगे बढ़ चली।

                                                     दीमक द्वारा निर्मित मिट्टी का किलेनुमा टीला



लगभग एक किमी आगे ऊंचाई से ही ठीक नीचे गहराई पर एक सुन्दर एवं आकर्षक झरना दिखाई पड़ा। झरने की प्राकृतिक सुंदरता ने हम सबकी थकान दूर कर हममें उत्साह का संचार कर दिया। खाती के कदमों की गति दुगनी हो चुकी थी। पंत भी पीछे न थे। कुछ ही देर में सब झरने के करीब पहुंच गए। वाह के अलावा शायद की अन्य शब्द मुंह से सहसा निकला हो और क्यों नहीं। इस निर्जन घने वृक्षों के बीच में इतना शानदार। निर्मल शुद्व जलयुक्त झरना देखकर हम सभी प्रपफुल्लित थे। सभी ने जी भरकर झरने के जल में जलक्रीड़ा की और तसल्लीपुर्वक लुफ्रत उठाने के उपरांत टीम आगे बढ़ चली। रमतड़ी में मौजूद झरना अपने आप में एक बेहतरीन पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित की जाने वाली साइट है साथ ही यह सम्पूर्ण स्थल साहसिक पर्यटन के लिहाज से भी तमाम सम्भावनाओं से भरपूर है।

आगे मार्ग फिर से ऊंचाई की तरफ आगे बढ़ता जाता है लेकिन यहां तक के मार्ग में मौजूद। प्रकृति के खूबसूरत नज़ारे। चारों तरफ चीड़ और बांज के वृक्ष। शान्त संगीतमय वन एवं मनमोहक झरने, इन सबने हम सबकी ऊर्जा एकाएक बढ़ा दी थी। एक स्थान पर मिट्टी का एक बेहद खूबसूरत किलेनुमा संरचना ने यकायक सबका ध्यान अपनी तरफ खींच कर लिया। इसे करीब से देखा गया। पंत ने इस पर प्रकाश डाला कि यह दीमक द्वारा मिट्टी खोद-खोदकर तैयार किया गया किला है। इसका डिजाइन वाकई आकर्षक था। प्रकृति ने सब जीवों को स्वयं प्रशिक्षित किया है। ये बेहद सुंदर शिल्पी हैं। चेहरे पर प्रसन्नता लिए हुए किले को निहारते हुए खाती की आवाज सुनाई दी। कापफी ऊंचाई पर पहुंचने पर नीचे की तरफ एक पगडंडी नुमा रास्ता दिखाई दिया। खाती ने बताया कि वह इकलियागाड़ का मार्ग है। कुछ देर और आगे बढ़ने पर पहाड़ के दूसरे छोर पर आखिरकार रामगंगा के दर्शन हो ही गये। 

हम समझ गए, मंजिल करीब ही थी। हम रावलखेत पहुंच चुके थे। खाती ने बताया कि यह गंगोलीहाट का आखरी छोर है। नीचे रामगंगा है, उस पार मुवानी। यहीं पर प्राथमिक विद्यालय रावलखेत के समीप ही मुख्य सड़क मार्ग से मिलने पर टीम की लगभग पांच किमी लंबी बेहद खूबसूरत ट्रैकिंग यहीं समाप्त होती है। 

गंगावली क्षेत्र की यह ट्रैकिंग निश्चित रूप से बेहद सुखद रही और इस सीख के साथ कि प्रकृति के साये में जीवन सरल, आसान और उच्च क्षमताओं से परिपूर्ण हो सकता है। बस जरूरत है तो हमें तैयार होने और सीखने की।

जमाखोरी-कालाबाजारियों की मौज

 जमाखोरी-कालाबाजारियों की मौज



कोविड़-19 की बंदिशों के दौरान मजबूरी का उठा रहें फायदा

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। कोविड़-19 की दूसरी लहर ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। कोरोना संक्रमण के तमाम रिकार्ड टूट गए और इस महामारी से मरने वालों का आंकड़ा भी रोज नया रिकार्ड बना रहा है। ऐसे वक्त में दवाओं की किल्लत और आक्सीजन की कमी ने आग में घी डालने का काम किया है। इस संकट की घड़ी में एकजुटता की जरूरत है लेकिन राजनीति हो रही है। इस बीच कुछ लोगों ने विपदा को अवसर में बदलने के लिए तमाम उल्टे धंधे शुरू कर दिए है। 

कोविड़ उपचार में उपयोगी रेमडेसिवर जैसी दवाओं एवं आक्सीजन की कमी में जमाखोरों तथा मुनाफाखोरों का बड़ा योगदान है। बात यहीं पर खत्म नहीं होती बल्कि ऐसे विकट हालात में अवसरवादी लोग साग-सब्जी से लेकर बीड़ी-सिगरेट और गुटखा जैसी वस्तुओं पर भी ग्रहण लगाए हुए है। लाकडाउन की संभावनाएं क्या बढ़ी, कालाबाजारी करने वाले मनमानी पर उतर आये है। जिसको जहां पर अवसर मिल रहा है, लूट मचाये दे रहा है।

गौरतलब है कि पिछले लाकडाउन के दौरान भी ऐसे संवेदनहीन लोग डाका डालने से बाज नहीं आये थे। तमाम जरूरी-गैरजरूरी उपभोग की वस्तुओं के दाम बेवजह बढ़ा दिए गए है। पिछली बार प्रफी डिश, बीड़ी-सिगरेट, गुटखा और मैगी जैसे उत्पादों में जमकर मुनाफाखोरी हुई। इस बार भी ऐसे स्वार्थी तत्वों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। इन पर अंकुश लगाये जाने की जरूरत है।

दून की बात करें तो यहां टेलीफोन ब्रांड़ बीड़ी और दिलबाग गुटखा ज्यादा चलन में है। ऐसे में इन उत्पादों के निर्माता एवं उसके वितरकों ने लाकडाउन जैसी बंदिशों के बीच गैर कानूनी तरीके से अपने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए है। ऐसे लुटेरों पर सख्त कारवाई किए जाने की जरूरत है। जो कोविड़ महामारी के दौरान सरेआम लूट मचाने पर आमादा है। ऐसे लोगों पर रासूका जैसी सख्त धाराओं का इस्तेमाल होना चाहिये ताकि इन्हें सबक मिले।

विपदा की इस घड़ी में जबकि लोग जीवन-मृत्यु से संघर्ष की स्थिति में है, मुनाफाखोर लोग तमाम मानवीय संवेदनाओं को ताक में रखकर मजबूरी का नाजायज फायदा उठा रहें है। हालांकि ऐसा करते वक्त यह लोग मांग और आपूर्ति के डिसबैलेंस का हवाला देकर बचने की कोशिश करते है। लेकिन इस तरह के तर्क देकर माफी नहीं मिल सकती। मुनाफाखोरों का विरोध करने के लिए सरकार के साथ-साथ लोगों को भी आगे आना चाहिये। इस तरह के संवेदनहीन लोगों का सामाजिक बहिष्कार किया जाना चाहिये। सरकारी मशीनरी भी इनके खिलाफ सख्त कारवाई करें, यह उम्मीद की जाती है। ताकि लाशों के ढेर पर ऐसा गन्दा व्यवसाय न हो। इन कामों में संलिप्त चाहे कितना भी प्रभावशाली हो, उसको किए का दंड़ तो जरूर मिलना चाहिये। 

मुनाफाखोरी और जमाखोरी के खिलाफ ऐसी सख्ती बरती जानी चाहिये ताकि वह कदम नजीर बने और कोई भी शख्स ऐसा करते हुए सौ बार सोचे।


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शराब की दुकानें अन्य दुकानों के साथ 2ः00 बंद करने का निर्णय

 शराब की दुकानें अन्य दुकानों के साथ 2ः00 बंद करने का निर्णय



कोविड संक्रमण के फैलाव को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने लिया निर्णय

संवाददाता

देहरादून। कोविड संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए प्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। उसके तहत अब शराब की दुकानें भी बाजार की अन्य दुकानों की तरह ही 2ः00 बजे दोपहर में बंद हो जायेंगी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उन्हें राजस्व से कहीं अधिक राज्यवासियों के स्वास्थ्य की चिंता है। संक्रमण को रोकने के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे वह उठाए जायेंगे।

जब से प्रदेश में कोरोना का संक्रमण में तेजी आई है, सरकार ने भी रोकथाम के प्रयास तेज कर दिए हैं। इसमें खासतौर कोविड की चेन तोड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई के क्रम में बाजार के प्रतिष्ठानों को दोपहर 2 बजे ही बंद करने के निर्देश दिए।



मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिया कि प्रदेश में संचालित शराब की दुकानें भी बाजार के अन्य प्रतिष्ठानों के साथ ही दोपहर दो बजे में बंद हो जायेंगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब की दुकानें जल्दी बंद किए जाने से राजस्व का नुकसान होना तो स्वाभाविक है। लेकिन मुझे अपने प्रदेश की जनता की चिंता है। हर हाल में प्रदेश को संक्रमण के प्रभाव से बचाना है। इसके लिए जो भी कदम उठाने जरूरी होंगे वह उठाए जायेंगे।


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भारत ने सबमर्जेन्स रेस्क्यू वीइकल को भेजा

 लापता इंडोनेशियाई पनडुब्बी की खोज और बचाव के लिए भारतीय नौसेना का अभियान



भारत ने सबमर्जेन्स रेस्क्यू वीइकल को भेजा

एजेंसी

चैन्नई। भारतीय नौसेना ने इंडोनेशियाई पनडुब्बी केआरआईएन नांग्गला की खोज और बचाव प्रयासों में टेंटारा नेसिआनल इंडोनेशिया-अंगकटान लुट (टीएनआई एएल- इंडोनेशियाई नौसेना) की सहायता के लिए अपने डीप सबमर्जेंस राहत पोत (डीएसआरवी) को भेजा। इंडोनेशियाई पनडुब्बी केआरआई नांग्गला के लापता होने की सूचना मिली थी।

भारतीय नौसेना को लापता इंडोनेशियाई पनडुब्बी के बारे में अंतरराष्ट्रीय सबमरीन एस्केप और बचाव संपर्क कार्यालय (आईएसएमईआरएलओ) के माध्यम से अलर्ट प्राप्त हुआ था। पनडुब्बी 53 कर्मियों के एक दल के साथ बाली के 25 मील उत्तर में एक स्थान में अभ्यासरत थी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री जनरल प्राबोवो सुबियांतो से टेलीफोन पर बातचीत की। रक्षा मंत्री ने कहा कि लापता इंडोनेशियाई पनडुब्बी नांग्गला के बारे में सुनकर बेहद दुखी हूं जिसमें चालक दल के 53 सदस्य सवार थे। मैंने पहले ही भारतीय नौसेना को डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल (डीएसआरबी) को इंडोनेशिया की ओर भेजने का निर्देश दिया है। मैंने भारतीय वायु सेना से हवाई मार्ग के जरिये डीएसआरबी शामिल करने की व्यवहार्यता देखने को कहा है। 

जनरल प्रबोवो सुबिआन्तो ने उनके देश को भारत के सहयोग की सराहना की। पनडुब्बी के लापता होने या डूबने की सूचना मिलने पर बचाव के लिए पानी के नीचे खोज के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है। भारत दुनिया के कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है जो डीएसआरवी की मदद से निष्क्रिय पनडुब्बी की तलाश कर सकता है। भारतीय नौसेना की डीएसआरवी प्रणाली अपने अत्याधुनिक साइड स्कैन सोनार (एसएसएस) और रिमोटली आपरेटेड व्हीकल (आरओवी) का उपयोग करते हुए 1000 मीटर गहराई तक पनडुब्बी का पता लगा सकती है। 

पनडुब्बी का सफलतापूर्वक पता लगाने के बाद डीएसआरवी का एक उप माड्यूल- सबमरीन रेस्क्यू व्हीकल (एसआरवी) डूबी पनडुब्बी के पास फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए जाता है। एसआरवी का इस्तेमाल पनडुब्बी में फंसे लोगों को आपात आपूर्ति करने के लिए भी किया जा सकता है।

भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत दोनों देशों की नौसेना के बीच परिचालन में मजबूत सहयोग एवं साझेदारी है। दोनों देशों की नौसेनाएं अतीत में नियमित रूप से युद्वाभ्यास करती रही हैं और उन्होंने तालमेल और अंतरसंचालनीयता का विकास किया है जिसे वर्तमान मिशन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।


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आउट सोर्स कर्मियो की जान की कीमत सिर्फ चार लाख रुपए!

 आउट सोर्स कर्मियों की जान की कीमत सिर्फ चार लाख रुपए: मोर्चा 



# यूपीसीएल में कार्योंजित  उपनल,पीआरडी, एसएचजी कर्मियों की विद्युत दुर्घटना में मौत के मुआवजा का मामला  
# पहले थी जान की कीमत सिर्फ दो लाख, बढ़ाकर की गई चार लाख              
# मुआवजे के अतिरिक्त जीवन सुरक्षा कवर की भी व्यवस्था करे सरकार                
# मोर्चा अनुग्रह राशि बढ़ाने को शासन में देगा दस्तक    
संंवाददाता            
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि यूपीसीएल में उपनल, पीआरडी एवं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कार्योजित कर्मचारियों की विद्युत दुर्घटना में मौत होने पर विभाग द्वारा मात्र चार लाख रुपए की राशि बतौर मुआवजा अनुमन्य की गई है, जोकि बहुत कम है। पूर्व में विभाग द्वारा मात्र दो लाख का प्रावधान था।            
नेगी ने कहा कि यूपीसीएल में आउट सोर्स के माध्यम से कार्योजित कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य करते हैं तथा दुर्घटना/मौत हो जाने पर इनके परिवार को ताउम्र कष्टकारी जीवन व्यतीत करना पड़ता है। इन कर्मियों को मिलने वाले मुआवजा के अतिरिक्त जीवन सुरक्षा कवर की भी व्यवस्था करनी चाहिए।        
नेगी ने कहा कि इससे कष्टकारी और क्या हो सकता है कि विभाग समान कार्य समान वेतन देना तो दूर, ऐसे संवेदनशील मामलों में भी कर्मचारियों के शोषण से बाज नहीं आया।                   
मोर्चा कर्मियों की दुर्घटना/मौत मामले में अनुग्रह राशि बढ़ाने एवं जीवन सुरक्षा कवर की व्यवस्था करने को लेकर शासन में दस्तक देगा।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

सात दिन में कोरोना पेशेंट्स को निगेटिव करने का दावा

 जायडस कैडिला की वीराफिन को ड्रग रेगुलेटर से अप्रूवल


सात दिन में कोरोना पेशेंट्स को निगेटिव करने का दावा

एजेंसी

अहमदाबाद। दवा कंपनी जायडस कैडिला ने दावा किया है कि उसने कोविड-19 का इलाज करने के लिए दवा खोज ली है। क्लीनिकल ट्रायल्स में यह दवा 91 फीसदी तक असरदार साबित हुई है। इसकी वजह से आक्सीजन चढ़ाने की जरूरत भी कम हुई है। कंपनी को इस दवा के लिए ड्रग रेगुलेटर से अप्रूवल मिल गया है। इस दवा का नाम ‘वीराफिन’ रखा गया है। 

जायडस कैडिला का कहना है कि उसने कोविड-19 इंफेक्टेड मरीजों पर पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2बी दवा का क्लीनिकल ट्रायल किया। क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री पर कंपनी के दस्तावेज के मुताबिक दवा का असर जानने के लिए ये ट्रायल्स दिसंबर 2020 में शुरू हुए थे। 250 मरीजों को इस ट्रायल में शामिल किया गया।

पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2बी थैरेपी कोई नई दवा नहीं है। 2011 में ये हेपेटाइटिस सी का इलाज करने के लिए बाजार में उतारी गई थी। तब से इस दवा से कई क्रानिक हेपेटाइटिस बी और सी मरीजों का इलाज किया जा रहा है।

वीराफिन देने पर 91.15 फीसदी मरीज 7 दिन में ही आरटी पीसीआर निगेटिव हो गए। इसकी तुलना में स्टैंडर्ड आफ केयर से इलाज करने पर 78.90 फीसदी मरीज ही 7 दिन में आरटी पीसीआर निगेटिव हो सके हैं।

वीराफिन देने के बाद माडरेट मरीजों को सिर्फ 56 घंटे ही आक्सीजन देनी पड़ी, जबकि स्टैंडर्ड आफ केयर में 84 घंटे आक्सीजन देनी पड़ रही है। जल्दी सिंगल डोज देने पर मरीजों की सेहत में काफी सुधार दिखा है।

इस समय कोविड-19 इन्फेक्शन के इलाज में एंटी-वायरल दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें रेमडेसिविर जैसी दवाएं महंगी हैं। वहीं वीराफिन के शुरुआती नतीजे साबित करते हैं कि कोविड-19 इन्फेक्शन के शुरुआती स्टेज में अगर यह दवा दी जाती है तो मरीजों को तेजी से रिकवर होने में मदद मिलती है। इस दवा से एडवांस स्टेज पर होने वाली जटिलताओं को भी रोकने में मदद मिलती है। यह ट्रीटमेंट सिंगल डोज है, जिससे यह कम खर्चीली और किफायती है।

कंपनी का दावा है कि उम्र बढ़ने से शरीर की वायरस इन्फेक्शन के जवाब में इंटरफेरान अल्फा बनाने की क्षमता कम हो जाती है और यह कोविड-19 पॉजिटिव बुजुर्गों की मौतों का कारण हो सकता है। अगर जल्द ही पेगिलेटेड दी जाती है तो दवा इस कमी को दूर कर रिकवरी प्रक्रिया में तेजी ला सकती है।

कंपनी का दावा है कि इसी साल कोविड-19 के इलाज पर नेचर पब्लिकेशन में छपी एक स्टडी में भी इंटरफेरान ट्रीटमेंट को स्टेराइड्स के साथ देने पर सामने आए नतीजों की जानकारी दी गई थी। जायडस की दवा के नतीजे भी इसी स्टडी की पुष्टि करते हैं।

कैडिला हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डा0 शर्विल पटेल का कहना है कि पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्पफा 2बी दवा के फेज-3 ट्रायल्स के नतीजे उत्साह बढ़ाने वाले हैं। अगर कोविड-19 मरीजों को शुरू में ही यह दवा दी जाती है तो वायरस को रोकने में मदद मिलती है। यह बात क्लीनिकल ट्रायल्स में भी साबित हुई है।

कैडिला ने यह भी कहा कि कंपनी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिलकर काम कर रही है। अमेरिका में भी पेगिलेटेड इंटरफेरान अल्फा 2बी के क्लीनिकल ट्रायल्स शुरू किए जाने हैं। इसके अलावा मैक्सिको में भी इस तरह के ट्रायल्स होने वाले हैं।

कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि वीराफिन सिर्फ अस्पतालों में भर्ती मरीजों को ही दी जाएगी। वह भी डाक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर। कंपनी ने यह भी कहा कि सांस लेने में आने वाली दिक्कतों को भी यह दवा काफी हद तक दूर करेगी। कोरोना के साथ ही यह अन्य वायरल इन्फेक्शन में भी कारगर है।


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लाकडाउन दिशा-निर्देश हिन्दी में जारी होने का स्वागत

 सूचना अधिकार प्रयोग के बाद लाकडाउन दिशा-निर्देश हिन्दी में जारी होने का स्वागत



संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड में शामिल क्षेत्र की 1951 से ही राजभाषा हिन्दी हैै तथा उत्तराखंड गठन के बाद भी हिन्दी ही राजभाषा है। यहां तक कि उत्तराखंड राजभाषा अधिनियम में हिन्दी के साथ-साथ द्वितीय राजभाषा संस्कृत है औैर अंग्रेजी में राजनयिक कार्य करनेे का कोई प्रावधान नहीं है फिर भी लाकडाउन व अनलाक गाइडलाइन केे दिशा-निर्देश अंग्रेजी में जारी किये जा रहे थे। इस सम्बन्ध में सूचना अधिकार प्रयोेग के बाद अप्रैल 2021 सेे लाकडाउन/आपदा सम्बन्धी दिशा निर्देश हिन्दी में जारी होना प्रारंभ हो गये है। इसका सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने स्वागत किया है। 

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने राज्य आपदा प्रबंधन समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव कार्यालय सेे अनलाक गाइडलाइनों के निर्देश अगं्रेजी में जारी होने सहित इसके जारी करने सम्बन्धी विभाग से सूचनायें मांगी थी। मुख्य सचिव कार्यालय द्वारा इसे हस्तांतरित कर दिया गया तथा उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी डा0 पीयूष रौैतेला ने अपने पत्रांक 718 दिनांक 28 अक्टूबर 2020 से सूचना उपलब्ध करायी है।

नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार अनलाक सम्बन्धी शासनादेश केे निर्देेशों को अंग्रेजी में उल्लेखित करने के आधारोें के सम्बन्ध में सूचना दी गयी है कि गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय समय पर अनलाक सम्बन्धी गाइडलाइन (दिशा निर्देश) अंग्रेजी भाषा में निर्गत किये जाते है। भारत सरकार द्वारा निर्गत दिशा निर्देेशों में स्थानीय आवश्यकताओं का समावेश करते हुये राज्य सरकार के द्वारा दिशा निर्देश निर्गत किये जाते हैै। जन सामान्य की सुविधा के दृष्टिगत इन्हें यथाशीघ्र निर्गत किया जाता है। दिशा-निर्देशों का हिन्दी अनुवाद करने में लगने वाले समय को बचाने तथा अनुवाद करने में हो सकने वाली त्रुटि के कारण सम्भावित भ्रम की ििस्थति के निराकरण के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा अनलाक सम्बन्धी गाइडलाइन (दिशा-निर्देशों) को अंग्रेजी भाषा में निर्गत किया जाता है। 

नदीम ने लोक सूचना अधिकारी के उत्तर से असंतुष्ट होकर उसके विरूद्व अपील उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के प्रथम अपीलीय अधिकारी को की। इस अपील का विधिवत निस्तारण की सूचना तो अब तक प्राप्त नहीं हुई है लेकिन अप्रैल में जारी शासनादेश सं0 53 दिनांक 15 अप्रैल 2021 तथा 68 दिनांक 20 अप्रैैल 2021 केे सभी दिशा निर्देश हिन्दी में जारी किये गये है। 

नदीम नेे आपदा/लाकडाउन दिशा निर्देश हिन्दी में जारी करनेे का स्वागत करते हुये कहा कि इससे उत्तराखंड की आम जनता को दिशा-निर्देश समझनेे व इसका पालन करने में मदद मिलेेगी साथ ही कोई भी उल्लंघनकर्ता इस आधार पर अपनेे दायित्व सेे नहीं बच सकेगा। उत्तराखंड की राजभाषा हिन्दी हैै तथा उत्तराखंड की अधिकतर जनता हिन्दी का ही ज्ञान रखती है और राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत उच्च न्यायालय की कार्यवाही के अतिरिक्त समस्त राजकीय कार्य हिन्दी में ही किये जा सकते है।


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रोगियों को ऑक्सीजन चढ़ाने वाला उन्नत उपकरण

 सीएसआईआर–सीएमईआरआई की ऑक्सीजन संवर्द्धन इकाई 

देशव्यापी ऑक्सीजन की कमी के बीच रोगियों को ऑक्सीजन चढ़ाने वाला उन्नत उपकरण

एजेंसी

नई दिल्ली। कोरोनवायरस के कारण होने वाली गंभीर बीमारी के उपचार के लिए ऑक्सीजन थेरेपी की सिफारिश की जाती है। देशभर में मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की भारी कमी है। ऑक्सीजन की मांग को पूरा करने और ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित परिवहन और भंडारण के जोखिमों से जुड़ी समस्याओं को कम करने के लिए सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने ‘ऑक्सीजन संवर्द्धन’ (ऑक्सीजन एनरिचमेंट) की तकनीक विकसित की है, जिसे 22 अप्रैल को आभासी माध्यम से मेसर्स अपोलो कम्प्यूटिंग लैबोरेट्रीज़ (प्रा.) लिमिटेड, कुशाईगुडा, हैदराबाद को हस्तांतरित किया गया।

 

इस अवसर पर, सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डा0) हरीश हिरानी ने कहा कि इस यूनिट में आसानी से उपलब्ध तेल-मुक्त घूमने वाले कंप्रेसर, ऑक्सीजन ग्रेड जियोलाइट छलनी और वायुचालित घटकों की जरूरत होती है। यह 90 प्रतिशत से अधिक ऑक्सीजन की शुद्धता के साथ 15 एलपीएम तक की सीमा में चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली हवा देने में सक्षम है। जरूरत पड़ने पर, यह यूनिट लगभग 30 प्रतिशत की शुद्धता के साथ 70 एलपीएम तक की मात्रा में चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली हवा की आपूर्ति कर सकता है। इस यूनिट को सुरक्षित रूप से अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में ऑक्सीजन की सख्त जरूरत वाले रोगियों के लिए रखा जा सकता है। यह यूनिट दूरदराज के स्थानों में ऑक्सीजन की पहुंच और व्यापक जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। ऑक्सीजन उत्पादन की इस स्थानीय एवं विकेंद्रीकृत प्रक्रिया को अपनाकर ऑक्सीजन तक पहुंच को और अधिक व्यापक बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि पल्स डोज मोड विकसित करने के लिए आगे का अनुसंधान चल रहा है, जो एक रोगी के श्वास पैटर्न को भांपने में सक्षम होगा और फिर सिर्फ सांस लेने के दौरान ही ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा। निरंतर मोड के वर्तमान संस्करण की तुलना में इस मोड के उपयोग से ऑक्सीजन की मांग को लगभग 50 प्रतिशत कम किये जा सकने की उम्मीद है।

सीएसआईआर-सीएमईआरआई पहले ही भारतीय कंपनियों/विनिर्माण एजेंसियों/एमएसएमई/स्टार्ट अप से तकनीक हस्तांतरण के माध्यम से ऑक्सीजन एनरिचमेंट यूनिट के उत्पादन के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित कर चुका है।

प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण कार्यक्रम के दौरान मेसर्स अपोलो कम्प्यूटिंग लैबोरेट्रीज़ के जयपाल रेड्डी ने कहा कि पहला प्रोटोटाइप 10 दिनों के भीतर विकसित कर लिया जाएगा और मई के दूसरे सप्ताह से उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। वर्तमान में उनके पास प्रतिदिन 300 यूनिट के उत्पादन की क्षमता है, जिसे मांग के अनुरूप संवर्द्धित किया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कंपनी ऑक्सीजन एनरिचमेंट यूनिट के साथ-साथ सीएसआईआर-एनएएल की ‘स्वच्छ वायु’ तकनीक के साथ एकीकृत संस्करण के रूप में इस यूनिट को विकसित करने की योजना बना रही है। रेड्डी ने जोर देकर कहा कि छोटे अस्पतालों एवं आइसोलेशन सेंटरों और दूरदराज के गांवों एवं स्थानों पर मिनी आईसीयू’ के रूप में इस यूनिट की विशेष रूप से आवश्यकता है। ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटरों का उपयोग करके जरूरतमंद रोगियों को ऑक्सीजन का अधिकतम उपयोग भी सुनिश्चित किया जा सकता है। यदि शुरुआती चरण में ही कोविड के रोगियों को यह सुविधा प्रदान कर दी जाती है, तो अधिकांश मामलों में अस्पतालों के चक्कर लगाने और उससे भी आगे वेंटिलेटर की सहायता लेने से बचा जा सकता है। यह भी महसूस किया गया कि ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़े हाल के जोखिम को देखते हुए ऐसे यूनिट का उपयोग सुरक्षित और आसान भी है। जयपाल रेड्डी ने सीएसआईआर-सीएमईआरआई के साथ संबद्ध सभी हितधारकों द्वारा उचित मार्गदर्शन और ऑक्सीजन एनरिचमेंट यूनिट (ओईयू) के सही उपयोग के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने के प्रोफेसर हरीश हिरानी के सुझाव की सराहना की।

गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

जमानत पर फैसला करते वक्त अदालतें कारण बताने से पीछे नहीं हो सकतीः सुप्रीम कोर्ट

 जमानत पर फैसला करते वक्त अदालतें कारण बताने से पीछे नहीं हो सकतीः सुप्रीम कोर्ट



एजेंसी

नई दिल्ली। जमानत पर फैसला करते समय कोई भी अदालत कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती, सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह बात कही गई। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह मुद्दा आरोपी की स्वतंत्रता, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है। न्यायमूर्ति धनंजय वाई0 चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम0आर0 शाह की पीठ ने हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के आरोपी 6 लोगों को जमानत देने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को पलटते हुए ये टिप्पणी की।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पक्षों की सहमति उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने या नहीं देने का कारण बताने के कर्तव्य से विमुख होने की वजह नहीं हो सकती क्योंकि इस फैसले का एक ओर जहां आरोपी की स्वतंत्रता पर असर पड़ता है वहीं अपराधियों के खिलाफ न्याय के जनहित पर भी इसका असर होता है।

पीठ ने कहा मौजूदा मुकदमे के फैसले पर हम उच्च न्यायालय के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि दोनों पक्षों के वकीलों ने आगे बढ़ने की बात नहीं कही है, इसलिए यह (जमानत देने का) कारण है। जमानत देने का मुद्दा आरोपी की आजादी, राज्य के हित और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सर्वमान्य सिद्वांत है कि जमानत देने या नहीं देने का फैसला लेते हुए उच्च न्यायालय या सत्र अदालतें सीआरपीसी के प्रावधान 439 के तहत आवेदन पर फैसला करते हुए तथ्यों के गुण-दोष की विस्तृत समीक्षा नहीं करेंगी क्योंकि मामले पर आपराधिक सुनवाई अभी होनी बाकी है।

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 जमानत के संबंध में उच्च न्यायालय या सत्र अदालतों को प्राप्त विशेष अधिकार से संबंधित है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए 6 आरोपियों को आत्मसमर्पण करने को कहा है।

शीर्ष अदालत 5 व्यक्तियों की हत्या के मामले में 6 आरोपियों को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में पिछले साल मई में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का भी जिक्र किया कि प्राथमिकी दर्ज होने के चार दिन बाद एक आरोपी ने भी प्राथमिकी दर्ज कराई थी।


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कढ़ी बनाने का आसान तरीका

 कढ़ी बनाने का आसान तरीका



स्वाद में जबरदस्त और बनाना भी आसान

प0नि0डेस्क

देहरादून। आप घर में समान्य कढ़ी तो बनाते ही हैं। लेकिन आपको टेस्टी कढ़ी बनाना भी सिखना चाहिए। यह खाने में काफी स्वादिष्ट होती है। साथ ही इसे बनाना भी आसान होता है।

इसे बनाने का तरीका

पकौड़े के लिए सामग्री

बेसन- 1 कप 

बेकिंग सोडा- 1 चुटकी 

हल्दी पाउडर- 1 चुटकी 

लाल मिर्च पाउडर- 1 चुटकी 

गरम मसाला- 1/2 चम्मच 

कढ़ी बनाने के लिए खट्टी दही- 50 ग्राम 

बेसन-1 1/2 कप 

मेथी के बीज- 2 चम्मच 

हींग- एक चुटकी 

लाल मिर्च पाउडर- 1/4 चम्मच 

हल्दी पाउडर- 1/4 टी स्पून 

सूखी लाल मिर्च- 2 

नमक- स्वादानुसार 

तेल- जरूरत के अनुसार 

तड़के के लिए तेल- 2 चम्मच 

राई- 1 चम्मच 

हींग- 1 चुटकी 

गरम मसाला- आधा चम्मच

 बनाने की विधिः इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में पकौड़े की साम्रगी डालें और इसमें पानी डालकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें। अब एक बर्तन में दही और 2 कप पानी डालकर अच्छी तरह से पफेंटें। इसके बाद इसमें हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर डालकर मिला लें। फिर मीडियम आंच पर कड़ाही में तेल डालकर गरम करके इसमें छोटे-छोटे पकौड़े डालकर प्रफाई कर लें। 

अब तले हुए पकौड़ों को एक प्लेट पर निकाल कर अलग रखें। उसी तेल को आधा कर हींग, मेथी और सूखी लाल मिर्च डालकर तड़काएं और इसमें दही-बेसन वाला घोल डालकर एक उबाल आने तक लगातार चलाते हुए पका लें। जब बेसन में उबाल आ जाए तब इसे 10-15 मिनट तक पका लें। 

फिर तय समय के बाद इसमें पकौड़े डालकर 2 मिनट तक ढककर पकाएं और गैस बंद कर दें। फिर मीडियम आंच पर पैन में तेल डालकर गरम करके इसमें हींग, राई और गरम मसाला डालकर तड़काएं। तड़के को तुरंत ही कढ़ी पर डालें। कढ़ी तैयार है।


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एक जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों का डीए हो जाएगा 28 फीसदी!

एक जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों का डीए हो जाएगा 28 फीसदी!


एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अपने 52 लाख कर्मचारियों के लिए डीए बहाली का ऐलान किया है। सरकार के इस कदम के बाद देश के केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा इजाफा होगा। केंद्र सरकार की घोषणा के मुताबिक 1 जुलाई से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के डीए लाभ को बहाल करने जा रही है। आल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स डेटा रिलीज के मुताबिक जनवरी से लेकर जून 2021 के बीच में कम से कम डीए में 4 फीसदी का इजाफा किया जा सकता है।
डीए बहाल होने के बाद केंद्रीय कर्मचारियों का डीए 17 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी हो सकता है। इसमें जनवरी से जून 2020 तक डीए में 3 फीसदी बढ़ोतरी, जुलाई से दिसंबर 2020 तक 4 फीसदी बढ़ोतरी और जनवरी से जून 2021 तक 4 फीसदी बढ़ोतरी शामिल है।
जैसा कि केंद्र ने 1 जुलाई 2021 से सभी तीन लंबित डीए किस्तों को दिए जाने की घोषणा की है। बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के चलते सरकार ने डीए पर रोक लगा दी थी। डीए बढ़ने से उसी अनुपात में डीआर में भी बढ़ोतरी होगी। महंगाई भत्ते में इजाफा होने से केंद्र सरकार के रिटायर्ड कर्मचारियों का डियरनेस रिलीफ भी बहाल कर दिया जाएगा।
संभावित डीए बढ़ोतरी केंद्र सरकार कर्मचारी के मासिक पीएफ, ग्रेच्युटी योगदान पर भी असर डालेगी। बता दें सीजीएस के पीएफ और ग्रेच्युटी के योगदान की गणना मूल वेतन प्लस डीए के आधार पर की जाती है। 1 जुलाई से डीए बढ़ने वाला है, एक कर्मचारी का मासिक पीएफ और ग्रेच्युटी का योगदान में भी इसका असर दिखेगा।

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पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले की कमेटी को मोर्चा ने भेजा पत्र

 पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले की कमेटी को मोर्चा ने भेजा पत्र


  

# सरकार द्वारा अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में की गई है कमेटी गठित      
#-सहायक उप निरीक्षक का पद ढांचे में नहीं, तो मिलना चाहिए उप निरीक्षक के पद पर लाभ                  
# राज्य सेवा संवर्ग में 2800 ग्रेड पे का पद सृजित नहीं, तो मिले  4600 का लाभ        
# वित्त विभाग ने भी की थी व्यवस्था                          
# एमएसीपीएस में 2400-2800-4200 का था प्रावधान 
संंवाददाता    
विकासनगर। पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले में गठित कमेटी (जैसा कि मुख्यमंत्री द्वारा ट्वीट कर कहा गया) के अध्यक्ष/अपर मुख्य सचिव, कार्मिक विभाग तथा सदस्यगणों सचिव, वित्त व पुलिस महानिदेशक को पत्र प्रेषित कर पुलिस कर्मियों के एसीपी मामले में खामियों को दूर कर उनको समुचित लाभ प्रदान किए जाने का आग्रह किया है।                
नेगी ने कहा कि पुलिस विभाग में कार्यरत जवानों को एसीपी मामले की विसंगति एवं उसके तकनीकी कारणों के चलते भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। यहां तक की  पुलिस कर्मियों का मनोबल एवं उनकी कार्यशैली पर भी निश्चित तौर पर प्रभाव पड़ेगा।              
नेगी ने कहा कि संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना (एमएसीपीएस) 2017 के आधार पर 10-20- 30 वर्ष की संतोषजनक सेवा के आधार पर प्रोन्नयन  व्यवस्था की गई है, जिसके आधार पर 2400-2800- 4200 ग्रेड पे फिक्स किया गया है, इसमें 4200 के स्थान पर 4600 संशोधित किया गया।                   
नेगी ने कहा कि पुलिस विभाग में 2800 ग्रेड पे यानी सहायक उप निरीक्षक का पद सृजित न होने के कारण अगले पद पर यानी उप निरीक्षक के पद पर  पर पदोन्नयन किया जाना चाहिए, जिसका ग्रेड पे 4200 (अब 4600) सुनिश्चित है। वित्त विभाग ने भी दिनांक 4/5/ 2018 को इस मामले को परिभाषित किया है इसके साथ साथ पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय द्वारा भी वर्ष 2013 में प्रमुख सचिव, गृह को प्रेषित पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है। वित्त विभाग ने  कहा कि "जहां संवर्ग के ढांचे में पदोन्नति के पद उपलब्ध नहीं हैं वहां धारित वेतनमान से अगला वेतनमान एसीपी के रूप देय होगा" यानी  उप निरीक्षक का ग्रेड पे मिलेगा। इस मामले में  पुलिस महानिरीक्षक मुख्यालय द्वारा प्रमुख सचिव गृह को  प्रेषित पत्र में भी उल्लेख किया गया की सहायक उप निरीक्षक का पद संवर्गीय ढांचे में नहीं है।              
मोर्चा पुलिस कर्मियों को उनका हक दिलाकर ही दम लेगा, चाहे हमें कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।             
पत्रकार वार्ता में मोर्चा उपाध्यक्ष विजय राम शर्मा, सुशील भारद्वाज, जाबिर हसन आदि मौजूद थे।

आक्सीमीटर कोरोना काल में बन गया जरूरी उपकरण

 आक्सीमीटर कोरोना काल में बन गया जरूरी उपकरण



यह डिवाइस शरीर में आक्सीजन का सैचुरेशन लेवल को मापने में मददगार

प0नि0डेस्क

देहरादून। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच पल्स आक्सीमीटर की जरूरत महसूस की जा रही है। यह छोटा सा डिवाइस है, जो शरीर में आक्सीजन का सैचुरेशन लेवल को मापने में मदद करता है। आइसोलेशन में भर्ती मरीजों का समय-समय पर आक्सीजन लेवल जांचा जाता है ताकि आक्सीजन लेवल कम होने पर उसे समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके। इस कारण पल्स आक्सीमीटर की जरूरत बढ़ गई है। 

इससे पता चलता है कि लाल रक्त कणिकाएं कितना आक्सीजन यहां से वहां ले जा रही हैं। इसे पोर्टेबल पल्स आक्सीमीटर भी कहा जाता है। इस डिवाइस के जरिए डाक्टर, नर्स या किसी भी स्वास्थ्य पेशेवर को यह पता करने में मदद करती है कि किसी व्यक्ति को अतिरिक्त आक्सीजन की जरूरत है या नहीं।

पल्स आक्सीमीटर आन करने पर अंदर की ओर एक लाइट जलती हुई दिखाई देती है। यह त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है। जिन ब्लड सेल्स में आक्सीजन ठीक मात्रा में होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं, जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है। बढ़िया आक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी कि चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ही आक्सीमीटर डिवाइस आक्सीजन सैचुरेशन को फीसदी में कैलकुलेट करती है और डिस्प्ले में रीडिंग बता देती है।

अगर डिवाइस 96 फीसदी की रीडिंग दे रही है तो इसका मतलब है कि महज 4 प्रतिशत खून कोशिकाओं में आक्सीजन नहीं है। इस डिवाइस के जरिए मरीज की ब्लड लेने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। एक स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में आक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है।

95 फीसदी से कम आक्सीजन लेवल इस बात का संकेत है कि उसके फेफड़ों में परेशानी हो रही है। आक्सीजन का लेवल अगर 94 प्रतिशत से नीचे जाने लगे तो सचेत हो जाना चाहिए और अगर ये स्तर 93 या इससे नीचे हो जाए तो मरीज को फौरन अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि ये संकेत है कि उसके शरीर की 8 फीसदी तक कोशिकाएं आक्सीजन का प्रवाह नहीं कर पा रही हैं।


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गर्मी के मौसम में उपयोगी कार के अंदर जरूरी एक्सेसरीज

कुछ ऐसी कार की एक्सेसरीज जो आपके सफर को मजेदार और आरामदायक बनाएंगी

गर्मी के मौसम में उपयोगी कार के अंदर जरूरी एक्सेसरीज 



प0नि0डेस्क

देहरादून। तब वो वहां से ब्रेक लगाने पर स्लिप हो जाता है। ऐसे में सामान डेमेज भी हो सकता है। इसके लिए कार डैशबोर्ड मैट आती है। इसे डैशबोर्ड पर फिक्स कर लिया जाता है। इस तरह के मैट में रबड़ होती है जो किसी भी सामान को ग्रिप कर लेती है। जिससे वो फिसलता या गिरता नहीं है। आनलाइन मार्केट से इस तरह के दो डैशबोर्ड 150 रुपए के करीब खरीदे जा सकते हैं।

कार आटो टायर प्रेशर गेजः ये बहुत ही यूजफुल डिवाइस है। कार में ट्यूबलैस टायर होने से कई बार हवा का पता नहीं चलता। ऐसे में आटो टायर प्रेश गेज की मदद से हवा को कभी भी चेक कर सकते हैं। ये किसी पेन की तरह होता है, जिसे जेब में लगाकर भी रखा जा सकता है। इस गेज को यूज ठीक वैसे ही किया जाता है जैसे टायर में हवा भरते हैं। इसकी आनलाइन प्राइस 100 रुपए के करीब है।

कार वैक्यूम क्लीनरः कार की सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर बहुत जरूरी है। कार के अंदर जो मेटिंग होती है उस पर अक्सर डस्ट या छोटी-छोटी चीजें चिपक जाती है, इसे वैक्यूम की मदद से हटाया जा सकता है। ऐसे में कार बैटरी वाला वैक्यूम होना चाहिए, जिसे कभी भी यूज किया जा सके। इस तरह के वैक्यूम को आनलाइन 249 रुपए के करीब खरीद सकते हैं।

ग्लास स्क्रैप क्लीनरः ये छोटा सा बाइपर होता है जिसे ग्लास स्क्रैप क्लीनर कहते हैं। कार घर के बाहर या लंबे समय तक खड़ी रहती है तब शीशे पर धूल आ जाती है। ऐसे में डायरेक्ट कार बाइपर उस पर यूज करने से वो खराब हो सकते हैं। इसके लिए ग्लास स्क्रैप क्लीनर का यूज किया जा सकता है। इस तरह के क्लीनर से सेकंड में ग्लास को क्लीन कर सकते हैं। ग्लास स्क्रैप क्लीनर की आनलाइन प्राइस 90 रुपए के करीब है।

ब्लूटूथ आडियो रिसीवः यूं तो कार में जो स्टीरियो होते हैं उनमें ब्लूटूथ का फीचर होता है, फिर भी यदि कार के स्टीरियो में ये फीचर नहीं तब सिर्फ 150 रुपए खर्च करके उसमें ब्लूटूथ जोड़ सकते हैं। इसके लिए अलग से ब्लूटूथ आडियो रिसीवर आते हैं। इस रिसीवर को स्टीरियो के 3.5एमएम आडियो जैक में फिट कर लिया जाता है। इसके बाद उसे फोन या टैबलेट से कनेक्ट करके म्यूजिक का मजा लिया जा सकता है।

मोबाइल होल्डरः कार में हमेशा मोबाइल होल्डर रखना चाहिए। इस के दो फायदे होते हैं पफोन नजर के सामने होता है जिससे सड़क से ध्यान नहीं हटता। और दूसरा ये कि जब कभी नेविगेशन का यूज करना हो तब इस होल्डर की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। मोबाइल होल्डर को 100 रुपए में खरीद सकते हैं।


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रेमडेसिवीर से बेहतर सस्ती डेक्सामेथासोन!

 कोविड मरीज के लिए रेमडेसिवीर से बेहतर सस्ती डेक्सामेथासोन!



एजेंसी

लखनउ। कोरोना महामारी के दौरान रेमडेसिवीर के लिए मारामारी मची है। लेकिन इसके बारे में विशेषज्ञ कहते है कि इस इंजेक्शन का कोई खास फायदा नहीं है इसलिए इस दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मान्यता नहीं दी।

रिसर्च सोसाइटी आफ एनेस्थीसिया एंड क्लीनिकल फार्माकोलाजी के सचिव और संजय गांधी पीजीआई के आईसीयू एक्पर्ट प्रो0 संदीप साहू के मुताबिक रेमडेसिवीर के पीछे भागने से कोई फायदा नहीं है। डाक्टर भी तीमारदार को इसके पीछे भागने के रोकें।

न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन के हाल के शोध का हवाला देते हुए प्रो0 साहू कहते है कि डेक्सामेथासोन सबसे सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा है। महज दो रूपये में मिलने वाली यह दवा एआरडीएस रोकने में काफी कारगर साबित होती है। ऐसा हमने में भी कोरोना मरीजों में देखा है खास तौर पर जिनमें लो आक्सीजन की जरूरत है । इनमें यह 8 से 10 मिली ग्राम 24 घंटे में एक बार देने से वेंटिलेटर पर जाने के आशंका कम हो जाती है।

शोध वैज्ञानिकों ने दो हजार कोरोना संक्रमित ऐसे मरीजों पर शोध किया जिनमें आक्सीजन लेवल 90 से कम था इन्हें डेक्सामेथासोन देने के बाद 28 दिन बाद परिणाम देखा गया तो पता चला कि इनमें मृत्यु दर कम थी। इसके साथ ही वेंटिलेटर की जरूरत कम पडी। रेमडेसिवीर केवल एक खास वर्ग में राहत दे सकती है। हाई आक्सीजन की जरूरत होती है। यह केवल पहले सप्ताह में ही देने से राहत की संभावना होती है। 

तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (एआरडीएस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की हवा की थैलियों में तरल जमा हो जाने के कारण अंगों को आक्सीजन नहीं मिल पाती है। गंभीर रूप से बीमार या कोरोना संक्रमित लोगों में सांस संबंधित तंत्र में गंभीर समस्या का सिंड्रोम हो सकता है। यह अकसर घातक होता है। एआरडीएस से पीड़ित लोगों को गंभीर रूप से सांस की तकलीफ होती है और वेंटीलेटर के सहारे के बिना वे खुद सांस लेने में असमर्थ होते हैं।

प्रो0 संदीप साहू कहते है कि नान कोविड मरीज जो आईसीयू में भर्ती होते है उनमें डेक्सामेथासोन एआरडीएस रोकने में कारगर रहा है। ऐसा हजारों मरीजों में देखा गया है। इस दवा की सही मात्रा देने से साइटोकाइन स्टार्म रोकने में सपफलता मिलती है। यह एंटी इंफ्रलामेटरी गुण वाली दवा है।

क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग संजय गांधी पीजीआई के हेड प्रो0 अमिता अग्रवाल ने बताया कि रेमडेसिविर कोरोना संक्रमित मरीजों में देने से कोई खास फायदा नहीं है। ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन सालिडेटरी स्टडी में सामने आया है। कोरोना संक्रमित मरीजों में एआरडीएस की परेशानी होती है जिसमें फेफडे की कार्य शक्ति कम हो जाती है। आक्सीजन स्तर कम होने के साथ डेक्सामेथासोन, प्रेडनिसोन दवा सही मात्रा में देने से काफी हद कर फेफड़े को बचाया जा सकता है। 


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गिरवर नाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा गरीब कन्या का विवाह

 गिरवर नाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा गरीब कन्या का विवाह



संवाददाता

ऋषिकेश। गिरवर नाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा श्यामपुर ऋषिकेष में गरीब परिवार की बिटिया की शादी में घरेलू सामान व खादय सामग्री आदि उपहार स्वरूप देकर मदद की। 

ट्रस्ट के चेयरमैन कमल खड़का ने बताया कि श्यामपुर ऋषिकेश निवासी आर्थिक रूप से कमजोर परिवार सगाई के दो साल बाद भी बिटीया की शादी नहीं कर पा रहा था। इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने ट्रस्ट के अन्य पदाधिकारियों से विचार विमर्श कर मदद करने का पफैसला किया। परिवार से संपर्क कर घरेलू सामान व बारातियों के स्वागत के लिए भोजन आदि की व्यवस्था की गयी। बिटिया की शादी समारोह में पहुंचकर संस्था के पदाधिकारियों व सदस्यों ने वर-वधू का आशीर्वाद प्रदान किया। 

कमल खड़का ने कहा कि ट्रस्ट गरीब, असहाय निर्धन परिवारों के उत्थान में निरन्तर सहयोग प्रदान कर रहा है। महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए भी संस्था काम कर रही है। बालिकाओं को समान रूप से शिक्षा के अवसर प्राप्त हों, इसको लेकर कार्ययोजना तैयार की जा रही है। ट्रस्ट की सदस्य काजल मल्ल ने कहा कि निस्वार्थ सेवा भाव से ही ट्रस्ट को पहचान मिल रही है। 

सपना व पूर्णिमा शर्मा ने कहा कि ट्रस्ट के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास किए जाएंगे। सिलाई, कढ़ाई, बुनाई आदि के अवसर प्रदान करने में भी ट्रस्ट निर्णायक भूमिका निभाएगा। महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर भी ट्रस्ट का प्रत्येक सदस्य जागरूकता से काम कर रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की मदद के लिए प्रयास निरंतर जारी रहेंगे। 

इस अवसर पर बाबा नन्दलाल महाराज, स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी हरिहरानंद महाराज, डा0 पदम प्रसाद सुवेदी, लोकनाथ सुवेदी, रामप्रसाद, बिजेंद्र बजाज, बबलू शर्मा, लोक बहादुर मल्ल, श्याम बोहरा, कमला थापा, रोजी, आशा, अनीता, राकेश, व्यास प्रधान, कमल सेठी, मनोज बिष्ट, जयसिंह, मानवीर चौहान, सपना, पूर्णिमा शर्मा, गीता देवी, सचिन भारद्वाज, ठाकुर सिंह, योगेश सोनी, दीपक सोनी, सोम भट्टराई आदि ने सहयोग किया।


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बुधवार, 21 अप्रैल 2021

उत्तराखंड सरकार की टेलीमेडिसिन सेवा के साथ वर्चुअल ओपीडी शुरू

 उत्तराखंड सरकार की टेलीमेडिसिन सेवा के साथ वर्चुअल ओपीडी शुरू



वाट्सऐप, टोल फ्री 104 के जरिए विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुफ्त परामर्श का सप्ताह के सातों दिन मिलेगा लाभ

संवाददाता

देहरादून। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘चिकित्सक आपके द्वार’ सेवा की शुरुआत की गई है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस पहल के जरिए प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली जनता को घर बैठे ही विशेषज्ञ डाक्टरों द्वारा स्वास्थ्य संबंधी परामर्श दिए जाएंगे। 

इस सेवा का मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण की वजह से होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को चिकित्सीय परामर्श देना है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी ने बताया कि कोविड के बढ़ते मामलों की वजह से कई अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई हैं, ऐसे में नान कोविड मरीजों को भी टेली मेडिसिन सेवा द्वारा लोगों को घर बैठे निशुल्क परामर्श मिलेगा। 

उन्होंने बताया कि टेलीमेडिसिन सेवा के साथ ही प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों के 12 विशेषज्ञ डाक्टर भी परामर्श दे रहे हैं। राज्य सरकार की इस विशेष पहल का मकसद दूरस्थ इलाकों में रहने वाले लोगों की एक्स्पर्ट डाक्टर्स के जरिए चिकित्सीय परामर्श देना है। प्रदेश सरकार की इस वर्चुअल ओपीडी का लाभ व्हाट्सएप वीडियो काल एवं टोल फ्री हेल्पलाइन के जरिए लिया जा सकता है। 

राज्य सरकार द्वारा इसके लिए 104 टोल फ्री नंबर जारी किया गया है। इसके साथ ही 9412080622 व्हाट्सएप नंबर के जरिए भी जनता सेवा का लाभ ले सकती है। इसके साथ ही www.esanjeevaniopd.in/register के माध्यम से भी इस सेवा का लाभ लिया जा सकता है।

वर्चुअल ओपीडी रोजाना सुबह 9ः00 बजे से शाम 6ः00 बजे तक जारी रहेगी। ई संजीवनी  वर्चुअल ओपीडी के जरिए हृदय रोग विशेषज्ञ, ईएनटी विशेषज्ञ, नेत्रा विशेषज्ञ, प्रसूति रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ के अलावा फिजीशियन का चिकित्सकीय परामर्श लिया जा सकेगा।


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जल पर बेहतर सृजन से मयंक वर्मा व गोवर्धनदास बिन्नाणी विजेता

 जल पर बेहतर सृजन से मयंक वर्मा व गोवर्धनदास बिन्नाणी विजेता



हिंदीभाषा डाट काम परिवार द्वारा 29वीं मासिक स्पर्धाओं का आयोजन 

संवाददाता

इंदौर (मप्र)। अच्छे सृजन को सम्मान देने के लिए हिंदीभाषा डाट काम परिवार द्वारा मासिक स्पर्धाओं का आयोजन जारी है। इसी क्रम में ‘जल से जल-जीवन’ विषय पर स्पर्धा आयोजित की गई, जिसमें पद्य वर्ग में मयंक वर्मा ‘निमिशां’ ने प्रथम एवं मंजू भारद्वाज ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इधर गद्य वर्ग में राजस्थान से गोवर्धनदास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’ ने पहला तो मप्र से डा0 पूर्णिमा मंडलोई ने दूसरा स्थान पाया है।

मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने 29वीं स्पर्धा के परिणाम जारी करते हुए बताया कि इस स्पर्धा में भी बाहर से प्रविष्टियां प्राप्त हुई, पर निर्णायक ने उत्कृष्टता अनुसार पद्य विधा में मयंक वर्मा ‘निमिशां’ गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की रचना को प्रथम स्थान दिया, जबकि हैदराबाद तेलंगाना से मंजू भारद्वाज दूसरे क्रम पर आई। इसी श्रेणी में दुर्गेश कुमार मेघवाल, डी0 कुमार ‘अजस्र’ बूंदी, राजस्थान को तीसरा स्थान मिला है।

स्पर्धाओं में जीतने वाले सभी विजेताओं व सहभागियों को पोर्टल के मार्गदर्शक डा0 एम0एल0 गुप्ता आदित्य महाराष्ट्र व संयोजक सम्पादक प्रो0 डा0 सोनाली सिंह की ओर से शुभकामनाएं देते हुए श्रीमती जैन ने बताया कि स्पर्धा के गद्य वर्ग में भी स्तरीय मुकाबले में बीकानेर से रचनाशिल्पी गोवर्धनदास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’ ने सबको पीछे छोड़ दिया तो, इंदौरवासी डा0 मंडलोई ने दूसरा स्थान पाया। इधर हैदराबाद तेलंगाना से रेणू अग्रवाल को तृतीय स्थान मिला है।


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माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

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