बुधवार, 30 जून 2021

सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकी की जरूरत

 जम्मू के वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमले से बदलेगी रणनीति! 



सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकी की जरूरत

प0नि0ब्यूरो

देहरादनू। हालांकि जम्मू के वायु स्टेशन में ड्रोन हमले से पहले ही ऐसे हमले का अंदेशा लगाया जा रहा था इसके बावजूद सरुक्षा व्यवस्था में चूक हो गई और देश के दुश्मनों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। हालांकि इसको आतंकी हमला कहना ठीक नहीं होगा क्योंकि ऐसी तकनीक सिवाय पाकिस्तानी सेना के अन्य के पास मौजूद नहीं है। जबकि हमारे आसपास मौजूद आतंकी इतने एडवांस नही है।

इसका सीधा सा मतलब है कि पाकिस्तानी सेना से देश को ललकारा है। भले ही वह इसके लिए आंतकी संगठनों की आड़ ले रहा हो लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि यह पाकिस्तानी सेना की कायराना हरकत का नमूना मात्र है। ऐसा करके उसने दुःसाहस का परिचय दिया है। यह आंतकी घटना नहीं बल्कि एक मुल्क द्वारा किया गया आक्रमण है। 

संभव है कि निकट भविष्य में देशवासी जल्द ही इसका प्रतिकार हमारी सेना द्वारा लेते हुए देखेंगे। निश्चित तौर पर ऐसा किया जाना भी बेहद जरूरी है ताकि हमारा पडोसी देश दोबारा ऐसी हरकत न कर सके। हालांकि अब भी वह चीन के इशारों में ऐसा दुःसाहस कर रहा है। संभवतया इस बार भी उसने चीनी तकनीक के सहारे भारत पर हमले की रिहर्सल की है।

ऐसा पहली बार है कि देश के रक्षा प्रतिष्ठान पर ड्रोन से हमले को अंजाम दिया गया है। भले ही संयोग से यह हमला नाकाम हो गया और हमें जानमाल के नुकसान का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन इस हमले ने अहसास करा दिया हैं कि हमारी तमाम सुरक्षा व्यवस्था को नये सिरे से सुसज्जित करने का वक्त आ गया है। हमें भी इजरायल की तरह बार्डर पर आधुनिक तकनीक का सहारा लेते हुए चाक चौबंद इंतजामात करने होंगे। 

निश्चित तौर पर सीमा पर सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक की जरूरत है। जम्मू के वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन हमले के बाद हमारी सुरक्षा की रणनीति में बदलाव आयेगा। साथ ही तकनीकी के दम पर सुरक्षा व्यवस्था भी व्यापक होगी। फिलहाल हमारे पास इस तरह की व्यवस्था की नितान्त कमी है। लेकिन हाल फिलहाल के इस हमले ने चेतावनी दी है कि हमारे पास सुरक्षा की रणनीति में बदलाव के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है। यही एक तरीका है जिसकी बदौलत हम अपनीे सुरक्षा इंतजाम को पुख्ता कर सकते है और दुश्मन को कड़ा संदेश भी दिया जा सकता है।


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एक सोशल मीडिया कंपनी का दुःसाहस

एक सोशल मीडिया कंपनी का दुःसाहस



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। काफी दिनों से भारत सरकार और विदेशी सोशल मीडिया कंपनियों के बीच तनातनी चल रही है। यह सब इसलिए कि सोशल मीडिया कंपनियां चाहती है कि उसे भारत के नये कानून का पालन न करना पड़े। जबकि सरकार ने साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया कंपनियों को देश में कारोबार की छूट जरूर मिली है लेकिन उन्हें यहां काम करना है तो देश के कानूनों का अनुपालन करना ही होगा। सोशल मीडिया कंपनियों को जिम्मेदारी से मुक्ति नहीं मिल सकती। उन्हें देश के सौहार्द की खिलाफत करने वाली पोस्टों को हटाना होगा और जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करना होगा। लेकिन यह तमाम कंपनियां देश का कानून नहीं मान रहीं है।  

सरकार ने उनके प्रति कड़ा रूख अपना लिया है लेकिन देश की विपक्षी पार्टियों के रूख से उनका मनोबल बढ़ रहा है। चूंकि विपक्षी पार्टियां इस मसले का राजनीतिकरण कर ऐसी विदेशी कंपनियों को संरक्षण प्रदान कर रही है इसलिए गूगल और ट्वििटर जैसी विदेशी कंपनी लगातार अवज्ञा करने में लगी हुई है और मनमानी करने के बावजूद स्वयं को पीड़ित प्रदशित कर सहानुभूति पाने का प्रयास कर रहीं है। उनके एजेंडे को सरकार विरोध्ी राजनीतिक दल हवा दे रहें है। बिना सोच विचार कर ऐसी उदण्ड़ कंपनियों को संरक्षण देने का ही नतीजा है कि अब यह देश की संप्रभुता पर ही प्रहार करने लगी है। ट्वििटर ने अपनी वेब साइड में भारत के कुछ हिस्सों को अलग देश प्रदर्शित कर अपने हाव भाव साफ कर दिए है।  

वास्तव में ऐसा करके उसने अपनी ताकत का प्रदर्शन नहीं किया वरन हमारी कमियों को उजागर करके रख दिया है। हैरानी की बात है कि विरोध की राजनीति करने वाले हमारे तमाम विपक्षी दल इतने नीचे गिर गए है कि उन्होंने ट्वििटर की इस गुस्ताखी की निंदा नहीं की। बल्कि कहीं न कहीं वे उल्टे सरकार के साथ खड़े होने की बजाय उनके साथ खड़े दिख रहें है, जो देश की शान में लगातार गुस्ताखी करने में लगे हुए है। दरअसल यही प्रवृति ट्वििटर जैसी संस्था के लिए मनोबल बढ़ाने वाले तत्व है। जिसकी बदौलत वह विरोध से देश विरोध तक की धृष्टता पर उतर आता है। इसको देखते हुए हमारे विपक्षी दलों को होश में आने की जरूरत है साथ सरकार से अपेक्षा है कि वह ऐसे सोशल प्लेटफार्म पर कठोर कारवाई करे।


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अपने नवजात शिशु को कोरोना महामारी से बचाने के सरल उपायं

अपने नवजात शिशु को कोरोना महामारी से बचाने के सरल उपायं



प0नि0डेस्क

देहरादून। कोरोना वायरस की दूसरी लहर में बच्चों में संक्रमण के केस देखने को मिल रही है और माना जा रहा है कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चें प्रभावित होंगे। ऐसे में माएं चिंतित हैं जो हाल में ही मां बनी हैं या जिनके दुधमुंहे बच्चें हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि न्यूबोर्न और ब्रेस्ट फीडिंग करने वाले बच्चों को कैसे कोरोना के प्रकोप से बचायें।

पहले कहा जा रहा था कि नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की इम्युनिटी मजबूत होती है। इस वजह से उन्हें कोरोना इन्फेक्शन होने का खतरा नहीं है। लेकिन छोटे बच्चों में भी इंफेक्शन देखा गया है जो चिंता की बात है। जो महिलाएं नई-नई मां बनी हैं, उन्हें अतिरिक्त सावधानी रखनी जरूरी है।

माएं ज्यादा लोगों के संपर्क में आने से रोकें। बच्चे को जितने कम लोग हाथ में लेंगे, उतना अच्छा होगा। अगर कोई मिलने-जुलने वाले या मेहमान आ रहे हैं तो उन्हें हाथों को सैनिटाइज करने और मास्क पहनने को कहें। उसके बाद ही उन्हें बच्चे को छूने की इजाजत दें। मां के लिए भी यह जरूरी है कि वह अपने हाथों को बार-बार धोती रहे। नवजात शिशु को दूध पिलाते समय मां भी मास्क पहने ताकि उसे इन्फेक्ट होने से बचाया जा सके।

मां के लिए यह जरूरी है कि बच्चे को दूध पिलाने से पहले और उसके बाद अपने स्तनों को साफ कर लें। इसका मतलब यह नहीं है कि ब्रेस्ट को सैनिटाइजर या बाडी वाश से धोना है। पानी से सफाई, साफ-सुथरी रुई से पोंछना काफी है। उनको सलाह दी जाती है कि वह नवजात शिशु से सीधे संपर्क से बचे और मास्क पहने।

कई महिलाएं प्रेगनेंसी के बाद न्यू बोर्न बेबी के साथ ट्रेवल करना शुरु कर देती है। भीड़ में री-इंफेक्शन का खतरा रहता है। किसी को वैक्सीन लगी है या नहीं, उसे बच्चे के जन्म से पहले कोरोना हुआ या नहीं हुआ, यह मायने नहीं रखता। री-इन्फेक्शन का खतरा तो है, इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है।


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सोमवार, 28 जून 2021

सौहार्द के नए रंग दिखा दीपाली गुंड व ज्ञानवती सक्सेना बनीं विजेता

 सौहार्द के नए रंग दिखा दीपाली गुंड व ज्ञानवती सक्सेना बनीं विजेता



संवाददाता

इंदौर। देश की संस्कृति को सहेजने, लेखकों को प्रोत्साहन और मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा में हिन्दीभाषा डाट काम परिवार के प्रयास जारी हैं। इसी निमित्त सौहार्द विषय पर स्पर्धा कराई गई, जिसमें क्रमशः दीपाली अरुण गुंड (गद्य) व ज्ञानवती सक्सेना ‘ज्ञान’ प्रथम (पद्य) विजेता घोषित किए गए हैं। ऐसे ही द्वितीय विजेता का सौभाग्य अल्पा मेहता (गद्य) एवं संदीप धीमान (पद्य) को मिला है।

निरन्तर आयोजित 33वीं स्पर्धा के परिणाम जारी करते हुए यह जानकारी मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने दी। उन्होंने बताया कि इस विषय पर स्पर्धा में अनेक प्रविष्टियां प्राप्त हुई, किन्तु श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक ने विभिन्न बिन्दुओं पर चयन करके गद्य विधा में रचना ‘अलौकिक स्नेह’ के लिए दीपाली अरुण गुंड (महाराष्ट्र) को पहला स्थान दिया है, जबकि इसी वर्ग में ‘सम्बन्ध-बंधनों से परे..’ पर अल्पा मेहता ‘एक एहसास’ (गुजरात) दूसरी विजेता बन गई। इसी में तीसरा स्थान गोवर्धन दास बिन्नाणी (राजस्थान) ने ‘परस्पर हित की कामना ही सौहार्द’ पर प्राप्त किया।

पोर्टल की संयोजक सम्पादक प्रो0 डा0 सोनाली सिंह ने 1.7 करोड़ दर्शकों-पाठकों का अपार स्नेह पा रहे इस मंच के सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।

श्रीमती अर्चना जैन ने बताया कि स्पर्धा के अन्तर्गत काव्य श्रेणी में ‘तुम बिन’ पर  ज्ञानवती सक्सेना ‘ज्ञान’ (राजस्थान) पहले स्थान पर आई तो ‘अपने में ही झांक रहे हैं’ पर उत्तराखण्ड से संदीप धीमान दूसरे विजेता बन गए। इसी वर्ग में चलो ‘प्रेम-सौहार्द बढ़ाएं’ के लिए मनोरमा जोशी मनु (इंदौर, मप्र) ने तीसरा स्थान पा लिया।


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पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले को मोर्चा ने प्रमुख सलाहकार के समक्ष उठाया

 पुलिसकर्मियों के एसीपी मामले को मोर्चा ने  प्रमुख सलाहकार के समक्ष उठाया  


 
       

संवाददाता
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा प्रतिनिधिमंडल ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार शत्रुघ्न सिंह से मुलाकात कर पुलिसकर्मियों के एसीपी विसंगति मामले में पुलिस मुख्यालय द्वारा शासन को सौंपी गई रिपोर्ट को स्वीकृति प्रदान करने को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित  ज्ञापन सौंपा। शत्रुघ्न सिंह ने मुख्य सचिव से मामले में वार्ता कर कार्यवाही का भरोसा दिलाया।      नेगी ने कहा कि एसीपी विसंगति मामले में सरकार द्वारा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया है। उक्त मामले में पुलिस मुख्यालय द्वारा मई 2021 को गृह विभाग को रिपोर्ट प्रेषित की गई है।               
नेगी ने कहा  कि पूर्व में पुलिस विभाग में समयमान वेतन के लाभ के रूप में पदोन्नति पद की प्रास्थिति के अनुरूप कार्मिकों को अगला वेतनमान अनुमन्य था, परंतु एमएसीपी व्यवस्था लागू होने के उपरांत जिन पदों का वेतनमान एवं ग्रेड वेतन/मैट्रिक्स लेवल अनुमन्य कराया जा रहा है, वह पद उस संवर्ग के ढांचे में विद्यमान नहीं है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के क्रम में एमएसीपी व्यवस्था के अंतर्गत शासनादेशानुसार पदोन्नति पद का लाभ  स्वीकृत न होकर अगला ग्रेड वेतन स्वीकृत होने के कारण क्रमशः 10-20-30 वर्ष की सेवा पर स्तरोन्नयन का लाभ स्वीकृत होने के उपरांत एक ही पद पर कार्य तथा एक ही वर्ष के भर्ती कार्मिक अपने समकक्ष वरिष्ठ पदोन्नत कर्मी के समान वेतनमान एवं ग्रेड वेतन/ वेतन मैट्रिक्स का लाभ प्राप्त नहीं कर पाएंगे, जिससे विसंगति होना लाजिमी है। 
पुलिस विभाग में 2800 ग्रेड पे यानी एएसआई का पद विभागीय ढांचे में विद्यमान नही है, जिस कारण उनको अगला  ग्रेड पे 4600 अनुमन्य होना चाहिए | उक्त विसंगति के चलते कार्मिकों को 10-15 हजार का आर्थिक नुकसान प्रतिमाह होना लाजिमी है, क्योंकि पुलिस विभाग में अराजपत्रित अधिकारियों/ कर्मचारियों पर स्टाफिंग पैटर्न की व्यवस्था लागू नहीं है तथा पदोन्नति के सोपान भी अन्य विभागों की तुलना में बहुत कम हैं। अधिकांश पुलिसकर्मी भर्ती के पद से ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। एमएसीपी व्यवस्था के अंतर्गत अग्रेतर पदोन्नत पद के वेतन मैट्रिक्स लेवल का लाभ प्रदान किया जाना न्यायोचित है।                  
नेगी ने कहा कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में पुलिस कर्मियों को एसीपी व्यवस्था के अंतर्गत क्रमशः10-16- 26 वर्ष की सेवा पर 2400- 2800 तथा 4200 का लाभ अनुमन्य हो रहा है। 
प्रतिनिधिमंडल में जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी थे।

रविवार, 27 जून 2021

वित्तीय वर्ष में एसजेवीएन को 1633 करोड़ रुपए का शुद्व लाभ

 वित्तीय वर्ष में एसजेवीएन को 1633 करोड़ रुपए का शुद्व लाभ 

एसजेवीएन के प्रबन्ध निदेशक नन्द लाल शर्मा 


शुद्व लाभ गत वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में 75.61 करोड़ अधिक

संवाददाता

देहरादून। एसजेवीएन ने इस वित्तीय वर्ष में 1633 करोड़ रूपये का शुद्द लाभ अर्जित किया है। एसजेवीएन के प्रबन्ध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि एसजेवीएन ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 1633.04 करोड़ रुपए का शुद्व लाभ अर्जित किया है। यह शुद्व लाभ गत वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में 75.61 करोड़ रुपए अधिक है। तब यह 1557.43 करोड़ रुपए था।   

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष में एसजेवीएन ने कुल 3213.07 करोड़ रुपए की आय अर्जित की है, जो कि गत वित्तीय वर्ष में अर्जित कुल आय 3095.24 करोड़ रुपए से 117.83 करोड़ रुपए अधिक है। इस कारण 10 रुपए प्रति के पफेस वैल्यू के शेयर ईपीएस (प्रति शेयर आय) 3.96 रुपए से बढ़कर 4.16 रुपए हो गया है। 

उन्होंने अवगत करवाया कि निदेशक मंडल ने 2.20 रुपए प्रति शेयर की दर से लाभांश घोषित किया है। इस संदर्भ में 1.80 रुपए प्रति शेयर की दर से अंतरिम भुगतान पहले ही किया जा चुका है तथा 0.40 रुपए प्रति शेयर की दर से भुगतान जल्द ही किया जाएगा। 

उन्होंने बताया हिमाचल प्रदेश में स्थित दो जलविद्युत स्टेशनों तथा गुजरात एवं महाराष्ट्र में दो पवन ऊर्जा स्टेशनों एवं एक सौर ऊर्जा स्टेशन से एसजेवीएन ने कुल 9224 मिलियन यूनिट्स विद्युत का उत्पादन किया है। जबकि इन संयंत्रों की डिजाईन एनर्जी 8700 मिलियन यूनिट्स है। शर्मा ने यह भी बताया कि एसजेवीएन ने गुजरात में 70 मेगावाट सौर ऊर्जा प्लांट के लिए गुजरात ऊर्जा विकास निगम के साथ एक समझौता किया है।  

उन्होंने बताया एसजेवीएन ने पड़ोसी देशों जैसे नेपाल एवं भूटान में जलविद्युत, सौर विद्युत, पवन विद्युत तथा ताप विद्युत क्षेत्र में 16 विद्युत परियोजनाओं को निष्पादित कर रहा है। एसजेवीएन ने 2016.5 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ वर्ष 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12000 मेगावाट तथा 2040 तक 25000 मेगावाट कंपनी बनने का लक्ष्य है।


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केंद्रीय कर्मचारियों को डीए और पेंशनर्स को डीआर पर राहत नहीं

 केंद्रीय कर्मचारियों को डीए और पेंशनर्स को डीआर पर राहत नहीं 



एजेंसी

नई दिल्ली। सरकार से केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के मामले में कोई राहत नहीं मिली है। हालांकि कई सारी मीडिया रिपोर्ट्स थीं कि सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते, उसके बकाए व दूसरी जरूरी मांगों पर फैसला ले सकती है। रिपोर्ट्स में जुलाई से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों का डीए व डीआर बहाल होने की संभावना जताई जा रही थी। लेकिन अब इन उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

जुलाई 2021 से केंद्र सरकार के कर्मचारियों को डीए पिफर से शुरू करने और केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों को महंगाई राहत देने का दावा करने वाले सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज को वित्त मंत्रालय ने झूठा बताया है। वित्त मंत्रालय ने वायरल मैसेज को साझा करते हुए यह स्पष्टीकरण जारी किया है कि यह आफिस मेमोरेंडम फर्जी है। भारत सरकार ने इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया गया है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज घूम रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते और केंद्र सरकार के पेंशनधारकों के लिए महंगाई राहत को जुलाई 2021 से फिर से शुरू किया जा रहा है। यह आफिस मेमोरेंडम झूठा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए कथित तौर पर आफिस मेमोरेंडम में लिखा गया है कि कोरोना महामारी की वजह से रोके गए डीए और डीआर को एक जुलाई 2021 से फिर चालू किया जा रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि एक जुलाई 2020 से एक जनवरी 2021 के बीच लंबित डीए और डीआर को तीन किस्तों में दिया जाएगा। साथ ही लिखा गया है कि यह आदेश सभी केंद्रीय कर्मचारियों और केंद्र सरकार के पेंशनधारकों के लिए लागू होगा।

बता दें केंद्रीय कर्मचारियों को अभी 17 फीसद डीए मिल रहा है। जनवरी 2019 में यह बढ़कर 21 फीसद हो गया था। लेकिन कोरोना महामारी के कारण बढ़ोतरी को जून 2021 तक प्रफीज कर दिया गया। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि जून 2020 में डीए की रकम 24 फीसद, दिसंबर 2020 में 28 फीसद और जुलाई 21 में 32 फीसद तक बढ़नी चाहिए।


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 डीआईजी गढ़वाल ऑफिस से गार्ड ड्यूटी को जारी आदेश फर्जी!

पत्र फर्जी तो जांच के स्थान पर एफआईआर दर्ज कराना जरुरी        



संवाददाता

देहरादून। यूपी के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर तथा एक्टिविस्ट डा0 नूतन ठाकुर ने डीआईजी पौड़ी गढ़वाल के आवास पर सुरक्षा गार्ड को बंदरों से सेब के फलदार पेड़ को बचाने के आदेश को फर्जी बताये जाने के संबंध में तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की है.

डीआईजी गढ़वाल सहित अन्य को भेजे अपने पत्र में उन्होंने कहा कि उनके द्वारा कल डीआईजी के डिप्टी एसपी के कथित आदेश दिनांक 14 जून 2021 के संबंध में शिकायत की थी, जिसमें सुरक्षाकर्मियों को पेड़ की सुरक्षा में कोई लापरवाही नहीं बरतने और बंदरों से सेब को बचाने की बात कही गयी थी।

उन्होंने जानकारी दी कि इस पत्र के संबंध में डीआईजी ने कल ही एसएसपी पौड़ी गढ़वाल को पत्र लिखकर कहा है कि यह पत्र उनके ऑफिस का नहीं है और उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।

अमिताभ तथा नूतन ने कहा कि जब डीआईजी स्वयं यह मान रही हैं कि यह पत्र फर्जी है तो इस संबंध में कोई जांच कराये जाने के स्थान पर तत्काल एफआईआर दर्ज कराया जाना नितांत जरुरी है क्योंकि डीआईजी ऑफिस के नाम पर इस प्रकार का फर्जी पत्र बना कर उसे प्रसारित करना एक अत्यंत गंभीर मामला है।

उन्होंने कहा कि इस पत्र में डिप्टी एसपी के हस्ताक्षर तथा आरआई के नाम लिखे हस्तलिखित नोट से अभियुक्तों तक आसानी से पहुंचा जा सकता हैं अतः उन्होंने इस मामले में तत्काल एफआईआर की मांग की हैं।


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शनिवार, 26 जून 2021

विंडो 11 हुआ लान्च

 विंडो 11 हुआ लान्च



बदले हुए डिजाइन के साथ यूजर्स को मिलेंगे कई खास फीचर्स

प0नि0डेस्क

देहरादून। माइक्रोसाफ्रट ने 6 साल बाद अपना नया आपरेटिंग सिस्टम विंडो 11 लान्च किया है। इसे लेकर काफी समय से खबरें व लीक्स सामने आ रही थी। वहीं अब यूजर्स के लिए खुशखबरी है कि विंडो 11 को बिल्कुल नए डिजाइन के साथ बाजार में उतारा गया है। यूजर्स को इस बार बदला हुआ डिजाइन ही नहीं बल्कि कई खास फीचर्स की भी सुविधा मिलेगी। विंडो 11 में नए थीम्स और नए स्टाइल का ग्राफिक्स दिया गया है। इसके अलावा इस बार स्टार्ट मेन्यू भी बिल्कुल बदला हुआ नजर आएगा

विंडो 11 में नया स्टार्ट मेन्यू देखने को मिलेगा जो कि पिछले मेन्यू की तुलना में बिल्कुल नया और अलग है। स्टार्ट मेन्यू पहले से अलग है और इसमें आइकान्स भी दिए गए हैं। इस बार कंपनी ने इसमें रिकामेंडेड सेक्शन भी ऐड किया है। साथ ही रिसेंट फाइल्स के लिए अलग आप्शन मिलेगा। 

विंडो 11 में दिए गए नए पफीचर्स की बात करें तो कंपनी ने कनेक्टिविटी को पहले की तुलना में बेहतर करने की कोशिश की है। विंडो 11 में मल्टीटास्किंग को आसान और बेहतर बनाने के लिए कई टूल्स दिए गए हैं। इसमें स्नैप लेआउट खास है जिसे मल्टीटास्किंग के लिए बनाया गया है और इसकी मदद से यूजर्स एक स्क्रीन पर एक साथ कई विंडो एक्सेस कर सकते हैं। इसके अलावा स्नैपग्रुप फीचर दिया गया है जहां यूजर्स को ऐप्स को कलेक्शन मिलेगा जिसे टास्कबार से एक्सेस किया जा सकता है। कंपनी का दावा है कि किसी अन्य ओएस में इस तरह का फीचर मौजूद नहीं है।

अन्य फीचर्स की बात करें तो विंडो 11 ने एक पीसी को दूसरे पीसी से कनेक्ट करना आसान कर दिया है। इसमें डाक और अनडाक फीचर की सुविधा मिलेगी। यूजर्स सिंगल क्लिक में मल्टीटास्किंग का मजा ले सकते हैं। जो काम को बेहद आसान बनाता है। विंडो 11 में आप एक ही कंप्यूटर पर अलग-अलग डेस्कटाप सेट कर सकते हैं।


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डीआईजी पौड़ी गढ़वाल पर लगाया अनुचित आदेश देने का आरोप

 पूर्व आईपीएस तथा एक्टिविस्ट द्वारा डीआईजी पौड़ी गढ़वाल की शिकायत 

डीआईजी पौड़ी गढ़वाल पर लगाया अनुचित आदेश देने का आरोप



संवाददाता

देहरादून। यूपी के पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर तथा एक्टिविस्ट डा0 नूतन ठाकुर ने डीआईजी पौड़ी गढ़वाल के आवास पर सुरक्षा गार्ड को बंदरों से सेब के फलदार पेड़ को बचाने के आदेश की शिकायत की है।

डीजीपी उत्तराखंड सहित अन्य को भेजी अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि डीआईजी पौड़ी गढ़वाल कार्यालय के डिप्टी एसपी द्वारा प्रतिसार निरीक्षक पौड़ी गढ़वाल को भेजे आदेश दिनांक 14 जून में कहा गया है कि डीआईजी के आवास पर सेब का एक फलदार पेड़ है। सुरक्षाकर्मियों को यह आदेश दिया जाये कि वे इस पेड़ की सुरक्षा में कोई लापरवाही नहीं बरतें और बंदरों से सेब को बचाने का प्रयास करें। ऐसा नहीं होने पर सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी।

अमिताभ तथा नूतन ने कहा कि इस प्रकार का आदेश प्रशासनिक एवं नैतिक दृष्टि से पूर्णतया गलत है। गार्ड ड्यूटी का काम पेड़ों के फल की रक्षा नहीं होता है। वैसे भी ये फल अधिकारी के निजी प्रयोग में आते हैं, जिसके लिए सरकारी गार्ड की ड्यूटी लिया जाना गलत है। साथ ही इस संबंध में दंड की धमकी देना और अधिक गलत है।

उन्होंने डीजीपी उत्तराखंड को डीआईजी पौड़ी गढ़वाल को इस प्रकार का अनुचित आदेश देने के संबंध में चेतावनी देने की मांग की है।


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गुरुवार, 24 जून 2021

लाकडाउन अवधि में 1,07,397 केसों को निपटारा

 कोरोना महामारी में भी प्रदेश के न्यायालयों ने निपटायें 1.5 लाख से अधिक केस

अप्रैल-दिसम्बर तक लाकडाउन अवधि में 1,07,397 केसों को निपटारा



उत्तराखंड में 14 फीसदी जजोें के पद रिक्त होने के बावजूद निपटायें केस

संवाददाता

देहरादून। 2020 वैश्विक कोरोना महामारी वर्ष में बहुत कम दिनों तक अदालतें सुुचारू से चल पायीं लेकिन फिर भी न्यायाधीशोें, न्यायिक अधिकारियों व अधिवक्ताओं की कर्मठता व लगन से उत्तराखंड में 1,75,470 केसों का निपटारा किया गया जिसमें 1,07397 केसों का निपटारा तो अप्रैल से दिसम्बर तक के लाकडाउन अवधि में ही किया गया। 

काशीपुर निवासी सूचनाधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी से 2020 में केसों के निपटारे व न्यायिक अधिकारियों की रिक्तियों के सम्बन्ध में सूचना मांगी। इसके उत्तर में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोेक सूचना अधिकारी/ज्वांइट रजिस्ट्रार के0सी0 सुयाल ने पत्रांक 908 से केसों के निपटारे व लम्बित रहने केे विवरण व रिक्तियों की सूचना उपलब्ध करायी गयी।

उपलब्ध सूचना के अनुसार 2020 के अन्त में 31 दिसम्बर 2020 को कुल 2,87,183 केस लम्बित रह गये जिसमें 37,923 केस उच्च न्यायालय में तथा 2,49,350 केस अधीनस्थ न्यायालयों में लम्बित हैैं। इसमें से 2,28,677 केस फौजदारी तथा 58,506 दीवानी केस लम्बित हैै। 22,958 दीवानी तथा 14,965 फौजदारी केस उच्च न्यायालय में लम्बित है। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड के न्यायालयों में 1 जनवरी 2020 को कुल 2,30,688 केस लम्बित थे जिसमें 35,407 केस उच्च न्यायालय में जबकि 1,95,281 केस अधीनस्थ न्यायालयों मेें लम्बित थे। इसमें 1,77,014 केस फौजदारी तथा 53,674 दीवानी केस लम्बित थे। इसमें से उच्च न्यायालय में 35,407 दीवानी केस तथा 12,147 फौजदारी केस लम्बित हैं।

2020 में पूरे वर्ष में उत्तराखंड के न्यायालयोें ने 1,57,470 केसों का निपटारा किया। जिसमें से 13,496 केसों का निपटारा उच्च न्यायालय ने तथा 1,43,974 केसों का निपटारा अधीनस्थ न्यायालयोें ने किया। इतना ही नहीं कोरोना लाकडाउन वाली अवधि अप्रैल से दिसम्बर 2020 तक भी उत्तराखंड के न्यायालयांे ने कुल 1,07,397 केसों का निपटारा किया जिसमें 10,075 केसों का निपटारा उच्च न्यायालय तथा 97,322 केसों का निपटारा अधीनस्थ न्यायालयों ने किया। उच्च न्यायालय द्वारा निपटारा किये गये केसों में 4,553 केस पफौजदारी तथा 5,522 केस दीवानी के हैं जबकि लाकडाउन अवधि में अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा निपटारा किये गये केसों में 90,281 केस पफौैजदारी तथा 7,041 केस दीवानी के शामिल है। 

कोरोना वर्ष होने के बावजूद भी 2020 में उच्च न्यायालय में 16,012 नये केस फाइल हुये जिसमें 8,121 दीवानी तथा 7,891 फौैजदारी के हैै जबकि कोरोना लाकडाउन अवधि में ही कुल 11,246 नये केस फाइल हुये जिसमें 5,444 फौैजदारी केस हैं। उत्तराखंड के अधीनस्थ न्यायालयोें में 2020 में कोरोना अवधि में नये फाइल 1,41,439 केसों सहित 1,98,043 केस फाइल हुये जिसमें कोरोना अवधि में फाइल फौजदारी के 1,30,783 केसों सहित 1,81,091 नये फौजदारी केस शामिल हैं। जबकि लाकडाउन अवधि के 10,656 दीवानी केसों सहित कुल 16,952 दीवानी केस पूरे वर्ष में अधीनस्थ न्यायालयों में फाइल किय गये हैैं।

उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड के अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक अधिकारियों/न्यायाधीशों केे कुल 14 प्रतिशत पद रिक्त हैैं। उत्तराखंड में जिला जज/अपर जिला जज के 101 पद स्वीकृत है जिसमें से 92 पर न्यायाधीश कार्यरत है जबकि 9 प्रतिशत 9 पद रिक्त हैं। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के 108 पदों में से 77 पदों पर न्यायाधीश कार्यरत हैै जबकि 29 प्रतिशत 31 पद रिक्त है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) केे 88 स्वीकृत पदों में से 86 पर न्यायाधीश कार्यरत हैै तथा लगभग 2 प्रतिशत 2 पद रिक्त है।


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जगदम्बा सरस्वती का 56वां स्मृति दिवस

 जगदम्बा सरस्वती का 56वां स्मृति दिवस



 संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासिका का 56वां स्मृति दिवस मनाया

संवाददाता

देहरादून। संस्था की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती का प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय देहरादून की मुख्य शाखा सुभाष नगर में 56वां स्मृति दिवस आनलाइन कार्यक्रम के रूप में मनाया गया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी (क्षेत्रीय संचालिका ब्रह्माकुमारीज, देहरादून क्षेत्र) ने कहा कि मां जगदंबा सर्व गुणों व विशेषताओं की खान थीं। वह बहुत ही गंभीर, शांतिपूर्ण, सहनशील, वात्सल्य व करुणा की देवी थी। वह सर्व आत्माओं की रुहानियत द्वारा पालना करती रही। सभी उनसे मातृत्व पालना का अनुभव करते थे।

वह कन्या होते हुए भी मां स्वरूप थी। जिसने भी उनकी पालना साकार में ली वह उस पालना को भूल नहीं पाते। लब्रह्माकुमारी संस्था में वह माताओं, कन्याओं में सबसे अग्रणी रही। छोटे, बड़े, बूढ़े सब उनके प्यार और वात्सल्य से प्रभावित होकर उनको मम्मा कहा करते थे। उनके स्मृति दिवस पर सभी ब्रह्माकुमारियों ने जगदंबा को श्रद्वासुमन अर्पित कर श्रद्वांजलि दी।

इस अवसर पर राजयोगी ब्रह्माकुमार सुशील भाई ने कहा कि भारत में देवी सरस्वती को विद्या की देवी के रूप में पूजा जाता है। भारत में विद्यालयों के नाम सरस्वती विद्या मंदिर, तथा कुछ बड़े सन्त महात्मा अपने नाम के पीछे सरस्वती शब्द का प्रयोग, सरस्वती देवी के सम्मान में प्रयोग करते है। सुशील भाई ने आनलाइन कार्यक्रम का संचालन किया।


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अर्नगल प्रलाप से दूर रहें जिम्मेदार

 अर्नगल प्रलाप से दूर रहें जिम्मेदार



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। जब से तीरथ सिंह रावत प्रदेश के मुखिया के तौर पर आये है, तब से ही सरकार के पूर्व में जिम्मेदार रहे नेता हो या वर्तमान में ओहदों में बैठे नेता, सब के सब इस तरह का बर्ताव कर रहें है जैसे वे अनियंत्रित हो गए हों। जबकि अनुभव का तकाजा तो यह कहता है कि जिम्मेदारों को अर्नगल प्रलापों से दूर रहना चाहिये। अब चाहे वे पूर्व के जिम्मेदार रहें हो या वर्तमान के जिम्मेदार हों। यह गौर करने वाली बात है कि पहले किसी की बात न सुनने वाले भी खामखां की सलाह देने से बाज नहीं आ रहे है। खासकर एक पूर्व मुख्यमंत्री के लिए ऐसा कहा जा रहा है। जो कुर्सी से बेदखल किए जाने के बाद कुछ ज्यादा ही रायशुमारी करने लगे है। जबकि वर्तमान में कोई भी उनको भाव देने को तैयार नहीं नजर आता है। 

कुछ ऐसा ही हाल कुछ मंत्री एवं विधायकों का भी है। जो अपने से बयानबाजी पर उतर आते है। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह लोग खामखां राजकाज में दखलअंदाजी कर रहें है। तो क्या यह सभी महानुभाव अपने मुख्यमंत्री को अनाड़ी समझते है? या उनको ऐसा लगता है कि टीएसआर-2 को उनकी सलाह जरूरी है? इन बेवजह की सलाह देने वालों को नहीं भूलना चाहिये कि टीएसआर-2 भी राजनीतिज्ञ है। बरसों बरस से राजनीति कर रहें है। वे भी दीन दुनिया के बारे में उतना ही जानते है जितना कि वे लोग खुद के लिए गलतफहमी पाले बैठे है। वे भी जमीन से उभरे हुए नेता है और इससे पहले भी कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुके है। इसलिए उनके लिए भ्रम पालना अच्छी बात नहीं है।

फिर सबसे अहम बात तो यह कि कुछ तो योग्यता होगी, जो उनके आला कमान ने उनको सीएम की कुर्सी पर बैठाया। इसलिए बेहतर होगा कि उनको अपने हिसाब से काम करने दीजिए। क्योंकि आप योग्य होते तो उनकी जगह पर बैठे होते। इसमें कोई दो राय नहीं कि टीएसआर-2 इनसे ज्यादा योग्य है। तभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज है। फिर उन्होंने कुछ पूछना या जानना भी होगा तो अपने आला कमान से सवाल जवाब कर लेंगे। उनके पास भी सलाहकारों की फौज है। वह किस दिन काम आयेगी! इसलिए प्रदेश की बेहतरी के लिए, पार्टी हित में जरूरी हो जाता है कि ऐसे लोग संयम दिखायें और अर्नगल प्रलाप करने की बजाय कुर्सी का तमाशा देखें।


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बाथरूम की बदबू को दूर करने के लिए ये तरीके अपनाएं

 बाथरूम की बदबू को दूर करने के लिए ये तरीके अपनाएं 



प0नि0डेस्क

देहरादून। घर साफ़-सुथरा और अच्छे से डेकोरेट किया गया हो लेकिन बाथरूमकी बदबू आ रही है तो अक्सर ये शर्मिंदगी की वजह बन जाता है। ख़ास कर तब जब घर मेहमान आये हुए हों। कई बार ऐसा होता है कि बाथरूम की सफाई रोज़ाना करने और वेंटिलेशन सही होने के बावजूद बाथरूम से बदबू आती है। इसको दूर करने के लिए क्या किया जा सकता है!

बाथरूम से बदबू को दूर करने के लिए एक बड़ी बाउल में सोडा लेकर उसको एक बाल्टी पानी में डाल दें। साथ ही एक चम्मच कोई एसेंशियल ऑयल भी डाल दें। फिर किसी लकड़ी या प्लास्टिक की रॉड से अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसके बाद इस मिक्सचर को बाथरूम के फर्श पर डालकर करीब एक घंटे के लिए ऐसे ही छोड़ दें। उसके बाद साफ़ पानी से बाथरूम साफ़ कर लें। इस प्रक्रिया को सप्ताह में दो बार दोहराएं।

करीब एक गिलास सफेद सिरका एक बाल्टी पानी में मिला लें। इनको किसी प्लास्टिक या लकड़ी की रॉड से अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसके बाद इस मिक्सचर को बाथरूम के फर्श पर डालकर झाड़ू से सब तरफ फैला दें। एक घंटे तक ऐसे ही रहने दें, फिर साफ़ पानी से सफाई कर लें।

चार-पांच बड़े नींबू का रस एक बाल्टी पानी में मिला लें। इस पानी को बाथरूम के फर्श पर चारों और फैला दें। इसको बाद में साफ पानी से धोने की जरूरत नहीं है। इससे बाथरूम साफ भी होगा और बदबू भी दूर हो जाएगी।

बाथरूम से आने वाली गंदी बदबू को दूर करने के लिए डिटर्जेंट पाउडर का इस्तेमाल करें। इसके लिए चार-पांच बड़े चम्मच डिटर्जेंट पाउडर को एक बाल्टी पानी में मिला लें। अब इस पानी को बाथरूम के फर्श पर डाल कर पूरे में फैला दें। एक घंटे के बाद झाड़ू से रगड़ कर साफ पानी से बाथरूम साफ कर दें। इससे बदबू से भी छुटकारा मिलेगा साथ ही सफाई भी अच्छी तरह से हो जाएगी।

अगर लगता है कि बाथरूम से आने वाली बदबू के लिए टॉयलेट शीट जिम्मेदार है तो टॉयलेट बॉम्ब का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए इस बॉम्ब को टॉयलेट बाउल के अंदर डाल दें। इससे बदबू से भी निजात मिल जाएगी साथ ही टॉयलेट साफ भी हो जायेगा।


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गर्मियों में बिना फटे दूध से निकाले मोटी मलाई

 गर्मियों में बिना फटे दूध से निकाले मोटी मलाई



प0नि0डेस्क

देहरादून। दूध की मोटी मलाई का प्रयोग घी निकालने के साथ ही मिठाई बनाने के लिए किया जाता है। सभी चाहते हैं कि दूध से मोटी मलाई निकलें। दूध पर मोटी मलाई जमाने के लिए लोग कई ट्रिक अपनाते हैं लेकिन कई बार मोटी मलाई नहीं जम पाती। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। गर्मियों में लोगों की शिकायत रहती है कि दूध पर मोटी मलाई नहीं जमती। 

अगर दूध से जुड़ी आपकी भी ऐसी ही कोई परेशानी है तो यह उपाय आपकी टेंशन दूर करने में मदद करेंगे। दूध को उबालते वक्त उसमें उबाल आने के बाद उसे 5 से 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं। अब गैस को बंद कर दें। अब दूध को ठंडा होने तक उसके ऊपर एक जाली को रखें। इसे प्लेट से नहीं ढ़ंकना है। प्लेट रखने से मलाई मोटी नहीं जमती है। 

दूध को रूम टेम्प्रेचर पर ही ठंडा होने दें। अब मलाई दिखने लगेगी। जब दूध को बिना ज्यादा हिलाए डुलाए प्रिफज में रख दें। अभी दूध का यूज नहीं करना है। दूध को कम से कम 3 घंटे तक प्रिफज में रखें। अब मलाई मोटी होकर सेट हो जाएगी। अब दूध में से मलाई को निकाल कर स्टोर कर सकते हैं। इसका यूज घी बनाने से लेकर मिठाई बनाने तक में कर सकते हैं।

अगर मलाई को प्रिफजर में रखेंगे तो इससे एक महीने बाद भी घी निकाला जा सकता है। ये खराब नहीं होती है।


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सूजी का हलवा बनाने की विधि

सूजी का हलवा बनाने की विधि



प0नि0डेस्क

देहरादून। सूजी के हलवे का स्वाद किसे नहीं पसंद आता। घी में अच्छे से भुना हुआ हलवा सबका दिल जीत लेता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, यह सभी को पसंद आता है। सूजी का हलवा बनाने की आसान और सरल विधि इस प्रकार है-  

सूजी का हलवा बनाने की सामग्रीः

1 कप सूजी।

1/4 टी स्पून इलायची पाउडर।

2 टेबल स्पून चीनी।

देसी घी जरूरत के अनुसार।

पानी जरूरत के अनुसार।

गार्निश के लिएः

1 टेबल स्पून काजू कटे हुए।

1 टेबल स्पून किशमिश।

सूजी का हलवा बनाने की विधि- सबसे पहले मीडियम आंच पर कड़ाही में घी गरम करने के लिए रखें। इसमें सूजी डालकर हल्का सुनहरा होने तक भून लें। मिश्रण का रंग हल्का ब्राउन होने पर इसमें पानी डालकर इसे चलाते हुए पकाएं।

जब हलवा गाढ़ा होने लगे तब इसमें चीनी इसके घुलने तक पकाएं। फिर इलायची पाउडर मिक्स कर 2 मिनट तक और पकाएं। तय समय के बाद आंच बंद कर दें।

सूजी का हलवा तैयार है। काजू और किशमिश से गार्निश कर सर्व करें।


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मंगलवार, 22 जून 2021

कोविड कफ्र्यू के दौरान चोरी की वारदातों की बाढ़

 नाकामी को छिपाने के लिए पुलिस दबा रही चोरी की वारदातों की शिकायतें 

कोविड कफ्रर्यू के दौरान चोरी की वारदातों की बाढ़



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। उत्तराखंड़ पुलिस कोविड़ कफ्रर्यू के दौरान शहर में हो रही चोरी की वारदातों छिपाने में जुटी है। ऐसा करके वह अपनी नाकामी पर पर्दा डालने का प्रयास कर रही है। ऐसा लगता है कि कोरोना महामारी के दौरान पुलिस अपनी बुनियादी कार्यो को भुला बैठी है। जिसकी वजह से तफतीश कर अपराधियों को सलाखों के पीछे करने की बजाय पुलिस चोरी की शिकायतों को दबाने में लगी हुई है। जबकि शहर में दर्जनों चोरियां हो गई लेकिन किसी भी मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई है। संभवतया इसीलिए पुलिस लापरवाह भी हो गयी। 

मामला नेहरू कालोनी थाना क्षेत्र का है। जहां पर कोविड़ कफ्रर्यू के दौरान दर्जनों चोरियां हुई। एक मामले में तो चोरी की वारदात सीसीटीवी कैमरे में भी दर्ज हो गया लेकिन पुलिस आज तक अपराधियों को नहीं पकड़ पायी। नेहरू कालोनी थाना क्षेत्र के केदारपुर वाड़ में कोविड़ कफ्रर्यू के दौरान करीब दर्जन भर चोरी की घटनाएं चोरों द्वारा अंजाम दी गई। यह तमाम वारदात दिन के उजाले में की गई। चोरों ने कहीं से साइकिल उठायी तो कहीं गेट पर हाथ साफ कर दिया। हद तो तब हो गई जबकि चोरों ने एक निर्माण क्षेत्र से सरिया उठा लिया और कई जगह नालियों में लगी लोहे की जाली चुरा ली। 

लेकिन इन तमाम वारदातों के बाद भी पुलिस ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की। कई मामलों में तो तहरीर तक लिखवाने की जहमत नहीं उठाई। चूंकि चोरी की वारदातों को रोजनामचे में दर्ज नहीं किया गया इसलिए कागजों में आल इज वेल था। ऐसे में मामले की विवेचना गंभीरता से क्यों होनी थी। हैरानी की बात है कि एक मामले में तो चोरी की पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में दर्ज हो गयी। जिसमें अपराधियों का चेहरा साफ देखा जा सकता है। जिस स्कूटर से चोर आये उसका नंबर भी साफ दिख रहा है। लेकिन पुलिस इतनी लापरवाह हो गयी है कि आज भी अपराधी पुलिस की गिरफ्रत से बाहर है।  

ऐसे में शहर भर में लगाये गए सीसीटीवी कैमरे सवालों के घेरे में आ गए है। क्योंकि वारदात कैमरे में कैद हो जाने के बाद भी पुलिस ने कुछ नहीं करना तो ऐसे इंतजामों का करना क्या है? तो क्या पुलिस इसे छोटी मोटी चोरी की घटना मान रही है। जिसके चलते वह लापरवाही बरत रही है! लेकिन उसे नहीं भूलना चाहिये कि यह तमाम वारदातें दिन के उजाले में अंजाम दिए गए है। एक आध जगह तो दुकानों के शटर तक खोलने का प्रयास किया गया। गनीमत रही कि इसमें चोर कामयाब नहीं हो पाये। 

पुलिस के आला अध्किारियों को इसका संज्ञान लेना चाहिये। गौर हो कि चोरी की घटनाओं की शिकायत खुद क्षेत्र के पार्षद द्वारा की गई लेकिन पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि एक के बाद एक चोरों ने आधा दर्जन से अधिक वारदातों को अंजाम दे दिया।


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श्रद्वा के संगम का पवित्र स्थल पाताल भुवनेश्वर

 हिमालय की नैसर्गिक सुंदरता और सैलानियों की श्रद्वा के संगम का पवित्र स्थल पाताल भुवनेश्वर

पवित्र गुफा के दर्शन करने पहुंचे पाठक, पांडे एवं पंत परिवार के श्रद्वालुओं के साथ


पवित्र गुफा में स्थित भगवान शिव का भूमिगत मन्दिर परिसर

गुफा के बाहर देवदार की छटाओं के बीच पंचाचूली एवं नंदादेवी की गगनचुम्भी चोटियों के दर्शन करते हैं सैलानी

- पवन नारायण रावत

गंगोलीहाट। उत्तराखंड देवभूमि है। यह ऐसे ही नहीं कहा जाता। यहां के कोने-कोने में देवी-देवताओं का वास है। प्राकृतिक सुंदरता से सराबोर गगनचुम्बी हिमालय की चोटियां मन मोह लेती हैं। कल-कल करती मदमस्त बहती नदियां पुकारती हुई नजर आती हैं। अपनी ही धुन में खोये झरने अपनी खूबसूरती और संगीत से प्रकृति की गोद में हृदय से अभिनंदन करते हैं। वहीं एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक पौराणिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल प्रकृति के सानिध्य में कुछ ऐसा ही अहसास करवाते हैं। ये सब वास्तव में देवभूमि की अनमोल धरोहर हैं। 



प्रकृति की सुन्दर प्राकृतिक छटाओं के बीच पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाला ऐसा ही धार्मिक पर्यटन स्थल है- पाताल भुवनेश्वर।

दूर-दूर से सैलानी सम्पूर्ण आस्था के साथ यहां जमीन के नीचे गुफा में स्थित भगवान शिव के मन्दिर परिसर में दर्शन लाभ करने पहुंचते हैं। सीमान्त जनपद पिथौरागढ़, जिसे उत्तराखंड के मिनी कश्मीर के नाम से भी जाना जाता है, के गंगोलीहाट तहसील मुख्यालय से 16 किमी दूरी पर स्थित भुवनेश्वर में स्थित है यह पवित्र गुफा। समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी एवं 90 मीटर चौड़ी है। इसी गुफा के अन्दर भगवान भोलेनाथ के पुण्य दर्शन लाभ हेतु श्रद्वालु सम्पूर्ण आस्था के साथ यहां पहुंचते हैं।



जमीन में नीचे की तरफ स्थित गुफा के बारे में बताया जाता है कि त्रेतायुग में सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण द्वारा इस गुफा की खोज की गयी थी। द्वापर युग में पांडवों द्वारा यह गुफा खोजी गयी। कलयुग में प्रथम आदिगुरु शंकराचार्य 822 ईसवी में यहां पहुंचे। बारहवीं शताब्दी में चंद राजाओं द्वारा आगे इसकी व्यवस्था की गयी।

गुफा के प्रवेश द्वार से लेखक


गुफा में प्रवेश द्वार से ही एक संकरे मार्ग से होकर प्राकृतिक चट्टानों के सहारे बनी सीढ़ियों से होते हुए नीचे की तरफ जाना पड़ता है। यह मार्ग पत्थरों के बीच से होता हुआ आगे की तरफ बढ़ता है। सावधानीपूर्वक इसमें आगे बढ़ा जा सकता है। सभी श्रद्वालु एक-एक कर एक दूसरे का हौंसला बढ़ाते हुए आगे बढ़ते जाते हैं। गुफा के गाइड इसमें पूरी मदद करते हैं एवं उन्हीं के मार्गदर्शन में अन्दर पहुंचते ही बायीं तरफ से गुफा की यात्रा प्रारम्भ होती है।

गुफा स्थित शिवजी की जटायें



यह धरती शेषनाग पर टिकी हुई है। गुफा में आगे बढ़ते हुए हम शेषनाग के मुखद्वार में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसा माना जाता है। शुरुआत में एक कुंड के दर्शन होते हैं। जिसके बारे में बताया जाता है कि राजा जन्मेजय ने अपने पिता परीक्षित के उद्वार हेतु एक सर्पयज्ञ किया था। जिसमें सभी सर्प शामिल हुए थे। सिर्फ एक रह गए थे। गुफा की दीवारों पर तक्षक सर्प की आकृति भी देखी जा सकती है। इसके आगे शिलारूप में भगवान गणेश का विच्छेदित शीश भी देखा जा सकता है। जिसके ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल स्थित है। यह भगवान शिव द्वारा स्थापित किया गया। ब्रह्मकमल से दिव्य जल की बूंदें गणेश जी के शीश पर गिरती हुई देखी जा सकती हैं। बताया जाता है कि शीश पुनर्स्थापित होने तक ब्रह्मकमल से गिरने वाली बूंदों के कारण विच्छेदित शीश सुरक्षित और संरक्षित रह पाया। 

देहरादून से सपरिवार पहुंची सैलानी ज्योति



 


मान्यता है कि गुफा स्थित मंदिर परिसर में चार द्वार हैं। रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार। रावण की मृत्यु के बाद पापद्वार बंद हो गया एवं कुरुक्षेत्र की लड़ाई के बाद रणद्वार। मोक्षद्वार के आगे पुष्पनिर्मित एक पारिजात वृक्ष है जिसे भगवान श्रीकृष्ण द्वारा द्वापरयुग में देवराज इंद्र की अमरावती पुरी से लाया गया बताया जाता है।

गुफा के प्रवेश द्वार से नीचे उतरते हुए



गुफा में कुछ आगे बढ़ने पर बायीं तरफ ऊपर की ओर एक छोटी गुफानुमा आकृति में एक महर्षि तपस्यारत दिखाई देते हैं। बताया जाता है कि वे मार्कण्डेय ऋषि हैं और आगे बायीं ओर ऊपर की तरफ से नीचे लटके हुए चमकीले पत्थर नजर आते हैं। ये शिवजी की जटाएं हैं। आगे बढ़ने पर एक पवित्र जलयुक्त सप्तकुण्ड भी देखा जा सकता है। कुंड के समीप ही तैंतीस करोड़ देवी देवताओं की प्रतीकात्मक आकृतियों के दर्शन होते हैं। कुंड के नजदीक ही एक हाथनुमा आकृति भी दिखाई देती है जोकि भगवान विश्वकर्मा की बताई जाती है। इसी स्थान पर ऊपर एक हंस की आकृति भी नजर आती है जिसकी गर्दन पीछे की तरफ मुड़ी हुई है। बताया जाता है कि कुंड का जल हंसों के अलावा कोई ना पी सके इसके लिए भगवान शिव ने हंस को नियुक्त किया पर एक बार हंस ने स्वयं ही कुंड का जल पी लिया। जिस कारण भगवान शिव से मिले श्राप के कारण उसका मुंह पीछे की तरफ हो गया।

गुफा में आगे की तरफ शिवलिंग के दर्शन किये जा सकते हैं। नजदीक ही सप्तऋषि मंडल के दर्शन होते हैं। एक स्थान पर बद्रीनाथ, केदारनाथ एवं अमरनाथ के शिलारूप दर्शन किये जा सकते हैं। गुफा की वापसी में सौ पैर वाले ऐरावत हाथी के दर्शन किये जा सकते हैं। 

हल्द्वानी से पवित्र गुफा के दर्शन करने श्रद्वालु डा0 ममता पाठक सपरिवार यहां पहुंची हैं। वे बताती हैं कि लम्बे समय से पाताल भुवनेश्वर की पावन गुफा के दर्शन की इच्छा थी, अब पूरी हुई है। उनके साथ उनकी दोनों बेटियों ने भी अपनी मां का हाथ पकड़कर बड़ी ही श्रद्वा से गुफा की यात्रा पूरी की। वहीं डीडीहाट से श्रद्वालु गिरीश पांडे भी सपरिवार दर्शन करने पहुंचे हैं। गिरीश बताते हैं कि वे पहले भी यहां आ चुके हैं। यहां आकर इतना सुकून महसूस करते हैं कि अबकी बार बच्चों को भी साथ लाये हैं। देहरादून से आयी सैलानी ज्योति भी यहां आकर गदगद हैं। वे प्राइमरी में पढ़ने वाले अपने दोनों बच्चों सहित तीन बार यहां दर्शन कर चुकी हैं। उनका कहना है कि गुफा में बाहर से लगता है कि कैसे जायेंगे परन्तु जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं बड़ी ही आराम से यात्रा पूरी हो जाती है, यह सब बाबा भोलेनाथ जी की कृपा है।

गुफा स्थित मंदिर कमेटी में वरिष्ठ सदस्य एवं लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से जुड़े हुए भुवनेश्वर निवासी उमेद भंडारी बताते हैं कि इतने लंबे समय तक गुफा के अन्दर हर मौसम में पूजा अर्चना की है। सदैव भोलेनाथ की कृपा बनी रही है। इसी कृपा के कारण देश-विदेश में हर जगह से श्रद्वालु पवित्र गुफा के दर्शन करने आते हैं। 

वर्तमान में सम्पूर्ण गुफा परिसर 2007 से भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में है। देवदार के सुन्दर घने जंगलों के बीच स्थित यह सुन्दर धार्मिक पर्यटन स्थल विश्वभर के सैलानियों के लिए उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन एवं आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु है। 

लाक डाउन ने जहां पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्रत में लिया है वहीं इसका व्यापक असर उत्तराखंड के समस्त पर्यटन पर भी पड़ा है। शायद वर्तमान में प्रकृति भी हमें इसके द्वारा कुछ सन्देश दे रही है और हमें भी समझने की आवश्यक्ता है। पर निश्चित रूप से स्थितियां सामान्य होते ही उत्तराखंड का पर्यटन भी सामान्य होगा और फिर पाताल भुवनेश्वर की पवित्र गुफा और यहां का मनमोहक वातावरण आप सभी के स्वागत में प्रकृति की सुन्दर छटाओं के साथ एकदम तैयार मिलेगा। इस उम्मीद में कि जब आप यहां आयें तो अपने आप को भुला दें और प्रकृति से एकाकार हो जाएं। बिल्कुल खो जायें, आप आयेंगे ना!


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सोमवार, 21 जून 2021

एक स्वतंत्र सड़क सुरक्षा परिषद का होगा गठनः गडकरी

 2024 तक सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों को 50 फीसदी तक कम करने का लक्ष्य

एक स्वतंत्र सड़क सुरक्षा परिषद का होगा गठनः गडकरी



एजेंसी

नई दिल्ली। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों में 50 फीसद तक की कमी लाने का है।

फिक्की द्वारा आयोजित सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में कार्पाेरेट की भूमिका पर आभासी सत्र को संबोधित करते हुए गडकरी ने फिक्की को सुरक्षित प्रणाली दृष्टिकोण पर आधारित सड़क सुरक्षा कंसोर्टियम ‘सफर’ की घोषणा पर तथा कार्पाेरेट जगत के लिए सड़क सुरक्षा पर श्वेत पत्र जारी करने की बधाई दी। गडकरी ने हर राज्य, जिले और शहर में ब्लैक स्पाट की पहचान करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंनेे कहा कि विश्व बैंक और एडीबी ने पहले ही एक योजना को मंजूरी दे दी है जिसके द्वारा सरकार राज्यों, एनएचएआई और अन्य हितधारकों के लिए ब्लैक स्पाट खत्म करने के लिए 14,000 करोड़ रुपये आवंटित कर रही है।

नितिन गडकरी ने कहा कि उनका मंत्रालय सड़क सुरक्षा के चार ई यानी इंजीनियरिंग (सड़क एवं आटोमोबाइल इंजीनियरिंग समेत), इकोनामी (अर्थव्यवस्था), इंपफोर्समेंट  और (एजुकेशन) शिक्षा के पुनर्गठन और सुदृढ़ीकरण से सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को कम करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि कार्पाेरेट जगत को दुर्घटनाओं के पीछे के कारणों की पहचान करने के लिए स्वतंत्र सर्वेक्षण करना चाहिए और मंत्रालय को इस बारे में एक रिपोर्ट सौंपी जा सकती है। 

उन्होंने बताया कि 50 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं रोड इंजीनियरिंग की समस्याओं के कारण होती हैं और अब सरकार ने ब्लैक स्पाट का इलाज करने के लिए विशेष पहल की है। इससे भारत में शून्य सड़क दुर्घटना के नजरिए की प्राप्ति में काफी योगदान मिलेगा।

गडकरी ने कहा कि शिक्षा और जागरूकता के लिए एनजीओ, सामाजिक संगठनों, विश्वविद्यालयों के सहयोग की जरूरत है। उन्होंने घोषणा की कि एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र सड़क सुरक्षा परिषद 15 दिनों के भीतर अस्तित्व में आ जाएगी।


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नई तकनीक से बैटरी का जीवनकाल दोगुना होने की उम्मीद

 नई तकनीक से बैटरी का जीवनकाल दोगुना होने की उम्मीद



लिथियम मेटल ऑक्साइड इलेक्ट्रोड पर कार्बन कोटिंग की तकनीक से बैटरी का जीवनकाल दोगुना होना संभव

एजेंसी

नई दिल्ली। शोधकर्ताओं ने लिथियम-आयन बैटरियों के लिए लिथियम मेटल ऑक्साइड इलेक्ट्रोड्स पर कार्बन की परत चढ़ाने के लिए एक कम खर्चीला तरीका विकसित किया है। इन इलेक्ट्रोड सामग्रियों के इस्तेमाल से सुरक्षित कार्बन कोटिंग के चलते लिथियम आयन सेल्स का जीवन दोगुना हो जाने का अनुमान है।

लिथियम-आयन बैटरियों को आमतौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों में ऊर्जा के स्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि गैसोलिन आधारित वाहनों में रोजमर्रा में इस्तेमाल बढ़ाने के लिए इसके जीवनकाल और लागत के साथ ही प्रति चार्ज माइलेज में खासा सुधार किए जाने की जरूरत है। लिथियम-आयन बैटरियों के सक्रिय घटकों में कैथोड, एनोड और इलेक्ट्रोलाइट हैं। 

जहां वाणिज्यिक ग्रेफाइट को एनोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, वहीं लिथियम मेटल ऑक्साइड या लिथियम मेटल फॉस्फेट को लिथियम आयन बैटरी में कैथोड के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इलेक्ट्रोलाइट ऑर्गनिक सॉल्वेंट्स में घुला हुआ एक लिथियम साल्ट है। लिथियम-आयन बैटरी की क्षमता इलेक्ट्रिक वाहन का माइलेज निर्धारित करती है। क्षमता 80 प्रतिशत तक घटने से पहले, चार्जिंग साइकिल की संख्या बैटरी का जीवनकाल तय करती हैं।

ज्यादातर रसायनों में निष्क्रिय और ऑपरेटिंग विंडो के अंतर्गत स्थिर होते हुए कार्बन, सक्रिय मैटेरियल्स के चक्रीय स्थायित्व में सुधार के उद्देश्य से सबसे अच्छा कोटिंग मैटेरियल है। सक्रिय मैटेरियल्स पर कार्बन कोटिंग से लिथियम-आयन सेल्स का जीवनकाल दोगुना हो सकता है। हालांकि लिथियम मेटल ऑक्साइड पर कार्बन की कोटिंग चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि एक बार में लिथियम मेटल ऑक्साइड मैटेरियल के संश्लेषण के दौरान कार्बन की कोटिंग में काफी मुश्किल होती है।

इस समस्या के समाधान के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई) के शोधकर्ताओं ने एक बार में लिथियम ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड के आसपास कार्बन की परत चढ़ाने की एक तकनीक विकसित की है, जबकि ऑक्साइड खुद ही संश्लेषित होता है। आमतौर पर एक दूसरे उपाय के इस्तेमाल से ऑक्साइड मैटेरियल्स पर कार्बन की परत चढ़ाई जाती है, जो एक समान नहीं है और खासी महंगी भी है। एआरसीआई की विधि में ठोस अवस्था में संश्लेषण के दौरान जब हवा में गर्मी पैदा होती है तो ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया को न्यूनतम करने के लिए ट्रांजिशन मेटल हाइड्रॉक्साइड के बीच में एक कार्बन प्रीकर्सर फंस जाता है। इस तकनीक के माध्यम से लिथियम ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड दृ एलआईएनआई 0.33एमएन0.33ब्व0.33व्2 (एनएमसी111) पर एक समान कार्बन कोटिंग की गई थी।

कार्बन-कोटेड एनएमसी111 के इस्तेमाल से निर्मित लिथियम-आयन सेल्स का इलेक्ट्रोकेमिकल प्रदर्शन लगभग लिथियम-लेयर्ड ऑक्साइड कैथोड के समान ही है। वाणिज्यिक नमूनों के अनुरूप उपयुक्त कार्बन मोटाई के साथ कार्बन की परत वाले उत्पाद ने 1,000 बार चार्जिंग/नई तकनीक से बैटरी का जीवनकाल दोगुना  डिसचार्जिंग के बाद 80 प्रतिशत से ज्यादा धारण क्षमता के साथ उत्कृष्ट चक्रीय स्थायित्व का प्रदर्शन किया है। एआरसीआई के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि प्रक्रिया को व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनाने का काम जारी रखते हुए एक बार लैब-स्केल बैच प्रक्रिया को लागू करने के बाद इलेक्ट्रोकेमिकल प्रदर्शन में सुधार देखने को मिलेगा।


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महाराज पर जन संघर्ष मोर्चा ने कसा तंज

 महाराज पर जन संघर्ष मोर्चा ने कसा तंज



ठेके प्रतिस्पर्धा के आधार पर दीजिए, पार्टी सर्टिफिकेट पर नहीं 

- तो क्या अन्य दलों के कार्यकर्ताओं को नहीं मिलेंगे ठेके!       

- इकोनामी बूस्ट करने का फार्मूला भी जनता को बताओ महाराज

- महाराज को अधिकारी करते बाईपास और ठेका दिलाने की करते हैं बात 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने गैर जिम्मेदाराना बयान देकर प्रदेश के अन्य दलों के समर्थित ठेकेदारों व अन्य ठेकेदारों को एक तरह से ठेका न देने के परिपेक्ष में बयान जारी कर अपनी मंशा साफ कर दी है कि पार्टी कार्यकर्ताओं को ही ठेके दिए जाएंगे। उक्त बयान बहुत ही गैर जिम्मेदाराना है।         

नेगी ने कहा कि जहां तक छोटे-छोटे ठेके दिए जाने की बात है, उसका समर्थन मोर्चा भी करता है, लेकिन सिर्फ और सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं को ठेके दिए जाने की बात पर मोर्चा घोर आपत्ति जताता है।                

नेगी ने कहा कि एक मंत्री को यह मालूम होना चाहिए कि ठेके प्रतिस्पर्धा के आधार पर मिलते हैं न कि पार्टी सर्टिफिकेट पर। नेगी ने हैरानी जताई कि जिस मंत्री को उसके विभागीय अधिकारी ही बाईपास किए हुए हैं, वो मंत्री कैसे ठेका दिलाने की बात कर रहे हैं।  

मोर्चा महाराज से मांग करता है कि इकोनामी बूस्ट वाले फार्मूले पर भी जनता को जवाब दें कि क्या पार्टी कार्यकर्ताओं को ठेके देकर ही इकोनामी बूस्ट हो सकती है।


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आईएनटी एजुकेयर एप बनेगा हर बच्चे का गुरुः डा0 त्रिलोक सोनी

 आईएनटी एजुकेयर एप बनेगा हर बच्चे का गुरुः डा0 त्रिलोक सोनी



संवाददाता

देहरादून। अंतराष्ट्रीय संस्था इंटिलियो वैलफेयर पफाउंडेशन के भुवन भट्ट की अध्यक्षता तथा वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी के नेतृत्व में हर घर हर बच्चे को शिक्षा पहुंचाने के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया जिसमें पर्वतीय अंचलों व ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा और जहां पर शिक्षक नही हैं उन्हें शिक्षा देने पर चर्चा की गई।

वेबिनार को संबोधित करते हुए आस्ट्रेलिया से आईएनटी ग्रुप इंटिलियो वैलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष भुवन भट्ट ने कहा कि हमारा मकसद हर बच्चे को शिक्षित करना है। ऐसे में उनके लिए आईएनटी एजुकेयर एप तैयार किया है जिसमंे कक्षा एक से 12 तक के बच्चों का पाठ्यक्रम होगा। वह भी वीडियो में होगा। उसे खोलकर वे कभी भी अपने विषय की पढ़ाई कर सकते हैं। इस एप से बच्चे को किसी ट्यूशन की जरूरत नही होगी। इसमें पाठ को ध्यान में रखकर बनाया गया हैं।

वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा कि कई विद्यालयों में शिक्षकों की कमी बनी रहती हैं, ऐसे में बिना गुरु का बच्चा कैसे पड़ेगा। उन बच्चों की समस्या को देखते हुए यह आईएनटी एजुकेयर एप को बनाया गया हैं ताकि बच्चा पढ़ सके। इस एप की सबसे अच्छी विशेषता यह हैं कि यह वीडियो में हैं। बच्चा मनोरंजन के माध्यम से सीख सकता हैं। हमारा प्रयास हैं कि इस एप को गांव के हर घर व हर बच्चे के पास भेजेंगे जहां पर शिक्षक नही हैं, वे वहां पर इस एप के माध्यम से सीख सके। वक्ताओं ने कहा कि इसे बच्चे समझ जाते हैं तो यह एप शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। 

वेबिनार में हरीश मनोला, दिनेश प्रसाद कोठरी, डा0 मदन मोहन नोडियाल, पवन कुण्डवाल, अशोक पाल, गिरीश कोठियाल, डा0 संतोष कुमार, बीरेंद्र बिष्ट, भानु आर्य, भारती राज, लक्ष्मी आदि ने अपने विचार रखे। 


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शुक्रवार, 18 जून 2021

अपनी मांगों को लेकर यूपीजेई मुखर

 यूपीजेईए की प्रान्तीय कार्यकारणी (यूपीसीएल - पिटकुल) की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न 



अपनी मांगों को लेकर यूपीजेई मुखर
संवाददाता
देहरादून। यूपीजेईए   की प्रान्तीय कार्यकारणी (यूपीसीएल-पिटकुल) की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में सदस्यों ने प्रमुखता से अवर अभियंता संवर्ग के हितों से  खिलवाड़ न होने देने की बात कही। सदस्यों द्वारा इसके लिए प्रदेश भर में एसोसिएशन की जिला कार्यकारणी को मजबूती प्रदान करने पर जोर दिया गया।
प्रान्तीय कार्यकारणी की ऑनलाइन बैठक में अवर अभियंता संवर्ग से जुड़े निम्न मुद्दों पर प्रमुखता से चर्चा की गयी - अवर अभियंता का प्रारम्भिक ग्रेड वेतन 01/01/06 से 4800/- किया जाए, अवर अभियंता के समस्त रिक्त पदों को शीघ्र भरा जाए, अवर अभियंता से सहायक अभियंता एवं सहायक अभियंता से अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर शीघ्र प्रोन्नति की जाए।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रान्तीय अध्यक्ष केडी जोशी ने कहा कि एसोसिएशन ने हाल ही में केन्द्रीय अध्यक्ष जेसी पंत और केंद्रीय महासचिव सन्दीप शर्मा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मुलाक़ात कर संवर्ग की मुख्य मांगों ग्रेड वेतन, पदोन्नति कोटा आदि से अवगत कराया। उन्होंने सदस्यों से जिला कमेटी के माध्यम से प्रत्येक सदस्य से संवाद स्थापित करने पर जोर दिया। उन्होंने समस्त सदस्यों से संयुक्त मोर्चा के आगामी कार्यक्रमों में सक्रियता से प्रतिभाग करने की अपील की।
प्रान्तीय महासचिव पवन रावत ने कहा कि प्रबंधन द्वारा अवर अभियंता के पदों पर समय से प्रोन्नति एवं भर्ती नहीं की जा रही है, जिसका खामियाजा क्षेत्रों में तैनात अवर अभियंताओं को ही भुगतना पड़ रहा है। क्षेत्रों में अवर अभियंताओं को कई अतिरिक्त प्रभार दिए गए हैं जिससे उनके स्वास्थ्य एवं कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विभागीय कार्य की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है। अवर अभियंता संसाधनों की कमी से जूझते हुए अपने दोहरे तिहरे दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं, इसके बावजूद भी उन्हें समय से एसीपी और प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने शीघ्र ही अवर अभियंता के समस्त रिक्त पदों को भरे जाने की मांग की। उन्होंने अवर अभियंता से सहायक अभियंता एवं सहायक अभियंता से अधिशासी अभियंता के रिक्त पदों पर भी शीघ्र ही प्रोन्नति किये जाने की माँग की।
प्रान्तीय महासचिव ने कहा कि क्षेत्रों में कई अतिरिक्त प्रभार देने के बावजूद भी अवर अभियंताओं को वेतन शासन के अवर अभियंता के मुकाबले कम दिया जा रहा है। इस वेतन विसंगति को दूर किये जाने हेतु उन्होंने अवर अभियंता का प्रारंभिक ग्रेड पे 01/01/06 से 4800 किये जाने की भी माँग की।
प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष बबलू सिंह ने सदस्यों से क्षेत्रों में जागरूक रहते हुए कार्य करने एवं अपनी एसीआर रिपोर्ट समय से कार्यालय में जमा करने की बात कही। 
प्रान्तीय उप महासचिव मनोज कंडवाल ने कहा कि हम सभी को अपने संवर्ग के हितों की रक्षा के लिए एकजुट रहकर बिना भय के प्रयास करना होगा।
प्रान्तीय उपाध्यक्ष दीपक पाठक ने समस्त सदस्यों से संगठन से जुड़े रहकर सम्पूर्ण निष्ठा से संगठन हित में कार्य करने पर जोर दिया।
प्रान्तीय उप महासचिव विमल कुलियाल ने कहा कि हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संगठन स्तर पर सामूहिक प्रयास करने की आवश्यक्ता है। 
बैठक में समस्त कार्यकारणी सदस्यों द्वारा यह भी तय किया गया कि विधुत अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा  द्वारा किये जा रहे आंदोलन के क्रम में भविष्य में जो भी कार्यक्रम प्रस्तावित किये जायेंगे, एसोसिएशन के समस्त सदस्य उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सेदारी करते हुए आंदोलन को सफल बनाएंगे।
बैठक में प्रान्तीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष - बबलू सिंह, प्रान्तीय उप महासचिव - विमल कुलियाल , ललित डालाकोटी, प्रान्तीय संगठन सचिव - सुनील उनियाल, प्रशान्त जुयाल, अरविन्द नेगी, प्रमोद भंडारी, सन्नी गोस्वामी, आरिफ अली, सतपाल तोमर, अजय भारद्वाज, रमेश पंत, बसन्त गहतोड़ी, सुरेन्द्र भंडारी, नितिन बुड़ाकोटी सहित समस्त जिला कमेटी के अध्यक्ष एवं सचिव मौजूद रहे।

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चिकित्साकर्मियों पर हो रही हिंसा के खिलाफ बांधी काली पट्टी

 वेलमेड अस्पताल द्वारा डॉक्टरों आईएमए को समर्थन



चिकित्साकर्मियों पर हो रही हिंसा के खिलाफ बांधी काली पट्टी
संवाददाता
देहरादून। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा विरोध प्रदर्शन दिवस मनाया गया जिसके समर्थन में वेलमेड अस्पताल के डॉक्टर्स ने काली पट्टी बांधकर ओपीडी की। चिकित्साकर्मियों पर हो रही हिंसा के लिए डॉक्टरों  की चिंता, नाराजगी एवं एकजुटता प्रदर्शित करने के तहत यह विरोध प्रदर्शन किया गया। साथ ही योद्धाओं की रक्षा करो नारे के साथ डॉक्टरों एवं चिकित्साकर्मियों पर हमले रोकने की मांग भी की गई।
वेलमेड हॉस्पिटल के सीएमडी और वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डा0 चेतन शर्मा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में डॉक्टर्स और हैल्थकेयर वर्कर्स के साथ हुई हिंसा की हम कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि  जिस कोविड काल में डॉक्टर्स व हैल्थकेयर वर्कर्स ने अपनी जान जोखिम में डालकर दिन-रात मरीजों की सेवा की, उन कोरोना योद्धाओं के साथ इस तरह का व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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डब्ल्यूटीसी फाइनल का प्रसारण दूरदर्शन के खेल चैनल पर भी

 डब्ल्यूटीसी फाइनल का प्रसारण दूरदर्शन के खेल चैनल पर भी



एजेंसी

नयी दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड के बीच होने वाले विश्व टेस्ट चौंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) फाइनल का प्रसारण स्टार स्पोर्ट्स के अलावा दूरदर्शन के खेल चौनल डीडी स्पोर्ट्स पर भी किया जाएगा जिससे दूरदराज के इलाकों में रहने वाले दर्शक भी आसानी से इस मुकाबले का लुत्पफ उठा पाएंगे।

डब्ल्यूटीसी फाइनल इंग्लैंड के साउथम्पटन में खेला जाना है जिसमें विराट कोहली और केन विलियमसन की टीमें आमने सामने होंगी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडे़कर ने ट्वीट करके इस मुकाबले के दूरदर्शन पर प्रसारण की जानकारी दी।

जावडे़कर ने ट्वीट किया कि क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक अपडेट है। अब आप डब्ल्यूटीसी फाइनल डीडी प्रफी डिश पर डीडी स्पोर्ट्स चौनल पर देख सकते हैं। प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने दूरदर्शन पर मुकाबले के प्रसारण के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, खेल मंत्रालय और स्टार स्पोर्ट्स का आभार जताया।

शशि शेखर ने ट्वीट किया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, खेल मंत्रालय और स्टार स्पोर्ट्स इंडिया को धन्यवाद, आईसीसी टेस्ट विश्व कप फाइनल डीडी प्रफी डिश डीटीएच के डीडी स्पोर्ट्स चौनल 1.0 पर देखा जा सकेगा।


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प्रशासन के आश्वासन के बाद धरना प्रदर्शन स्थगित

 पटवारी ने की डिफेंस कालोनी-बद्रीपुर रास्ते की मौजूदगी की पुष्टि



प्रशासन के आश्वासन के बाद धरना प्रदर्शन स्थगित 

संवाददाता

देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के नेतृत्व में डिफेंस कालोनी में रास्ता खोल जाने को लेकर चल रहा धरना-प्रदर्शन प्रशासन के आश्वासन के बाद स्थगित हो गया। धरने के तीसरे दिन आखिरकार पटवारी सत्यप्रसाद हजार सरकारी नक्शा लेकर आए। मौका मुआयना करके पटवारी ने साफ कर दिया कि ग्रामीणों का रास्ता 4 मीटर का है अर्थात डिफेंस कालोनी के लिए 12 फिट का रास्ता खोला जाएगा।

पटवारी ने फोन करके डिफेंस कालोनी हाउसिंग सोसायटी के पदाधिकारियों को मौके पर बुलाया लेकिन वे नहीं आए। इस पर पटवारी ने रिपोर्ट बनाकर प्रशासन को भेज दी। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि प्रशासन के आश्वासन के बाद इस धरने को स्थगित किया गया है, यदि प्रशासन के आदेश के बाद की कार्यवाही नहीं हुई तो फिर इस रास्ते को खुद ही खोल देंगे।

उक्रांद के खेल प्रकोष्ठ के केंद्रीय अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि डिफेंस कालोनी सोसाइटी ने ऐसा गेट लगा दिया है जैसा कि विदेशी सीमाओं पर भी नहीं होता। उक्रांद महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुलोचना इस्टवाल ने पुलिस से बद्रीपुर के ग्रामीणों पर दर्ज मुकदमों को वापिस लिए जाने की मांग की। उन्होंने ऐसा न करने पर आंदोलन की चेतावनी दी। 

गौरतलब है कि पिछले दिनों बद्रीपुर के युवकों ने गेट का विरोध कर गेट तोड़ दिया था जिस पर पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर दिए थे। पटवारी ने बताया कि सरकारी नक्शे मे 12 फीट रोड है तो गांववासियों की खुशी का ठिकाना न रहा। 

धरना प्रदर्शन में ग्रामीणों के साथ उक्रांद के केंद्रीय युवा अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट, केंद्रीय संगठन महा मंत्री संजय बहुगुणा, जिला कार्यकारी उपाध्यक्ष किरन रावत, सीमा रावत, जिला युवा अध्यक्ष दिनेश नेगी, जिला अध्यक्ष दीपक रावत, पूर्व प्रधान विरेन्द्र वालिया, उषा, रीना, शालिनी कैंतुरा, सुमित्रा, पार्षद सचिन थापा, युथ कांग्रेस नेता गौरव सिंह, मोहित वालिया आनंद सिंह आदि प्रदर्शन में शामिल रहे।


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कोरोना महामारी में बलात्कार बढ़े, डकैती, लूट, हत्या, चोरी में कमी

 कोरोना महामारी में बलात्कार बढ़े, डकैती, लूट, हत्या, चोरी में कमी



पुलिस मुख्यालय द्वारा सूचना अधिकार केे अन्तर्गत उपलब्ध कराये विवरण से खुलासा

उत्तराखंड में कुल अपराधोें में वृद्वि, कुछ गंभीर अपराधों में कमी

संवाददाता

काशीपुर। कोरोना महामारी वर्ष 2020 में उत्तराखंड में बलात्कार के अपराधों सहित विभिन्न अपराधों में पिछलेे वर्ष की अपेक्षा वृद्वि हुई हैै जबकि हत्या, लूट, डकैती, चोरी जैैसे गंभीर अपराधों में कमी आयी हैै। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूूचना से हुआ।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड पुलिस मुुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी से तीन वर्षो केे अपराधोें के तुलनात्मक आंकड़ों के विवरण की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में पुलिस मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी/पुलिस महानिरीक्षक (फायर सर्विस) मुख्तार मोहसिन ने अपने पत्रांक 615 से सम्बन्धित विवरण उपलब्ध कराये हैं। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार 2020 में कुल 16,116 अपराध हुये है जिसमें 11,478 भारतीय दंड संहिता तथा 4,638 अन्य अधिनियमों के शामिल हैं। जबकि 2019 में 14,398 अपराध हुये थे जिसमें 11,061 भारतीय दंड संहिता तथा 3,337 अन्य अधिनियमों केेे हैं। जबकि 2018 में कुल 15,825 अपराध हुये थे जिसमें 12,219 भारतीय दंड संहिता 3,606 अन्य अधिनियमोें के थे।

उपलब्ध सूचना के अनुसार 2020 में बलात्कार के अपराधों में पिछलेे वर्षों की अपेेक्षा वृद्वि हुुई हैै। जहां 2018 में प्रदेश में 506 बलात्कार के अपराध दर्ज हुये थे वहीं 2019 में यह बढ़कर 545 तथा 2020 में 570 हो गये। तीनों वर्षों में बलात्कार के अपराधों में गढ़वाल मंडल, कुमाऊं से आगे है। जहां गढ़वाल में क्रमशः 311, 337 तथा 320 बलात्कार दर्ज हुये हैै वहीं कुमाऊं में 195, 207 तथा 250 दर्ज हुये हैं। चिन्ताजनक बात यह हैै कि बलात्कार की घटनायें उत्तराखंड केे शांत पहाड़ी जनपदों सहित सभी जनपदों में हुई हैै। 2020 में सर्वाधिक 151 बलात्कार उधमसिंह नगर में, 141 हरिद्वार, 118 देहरादून जिले में हुये है। 

उपलब्ध विवरण के अनुसार कुछ गंभीर अपराधों में पिछले वर्षों की अपेक्षा कमी भी हुई हैै। डकैती के पिछले वर्ष के 15 अपराधोें की तुलना में 2020 में आधे से भी कम मात्रा 6 अपराध हुये है जबकि 2018 में 8 हुये थे। 2020 में उधमसिंह नगर जिले में 5 तथा पिथौैरागढ़ में 1 अपराध हुआ है। अन्य जिलों में कोई अपराध नहीं हुआ है। लूट केे अपराधों मे कभी भारी कमी हुयी हैै। 2020 में 104 अपराध हुये हैै, जबकि 2019 में 136 तथा 2018 में 126 अपराध हुयेे।

वाहन लूट की घटनायें भी कम हुुई है। 2020 में मात्र 13 घटनायें हुयी हैै जबकि 2019 में 16 तथा 2018 में 23 घटनायें हुयी थी। चेन लूट/स्नेचिंग की घटनाओं में भी कमी आयी है। 2020 में 11 घटनायें हुई जबकि 2019 में 41 तथा 2018 में 36 घटनायेें हुई हैं। 

गृहभेदन (कूमल लगाना आदि) की 343 घटनायें हुई जबकि 2019 में 379 तथा 2018 में 371 घटनायें हुुयी थी। वाहन चोरी की 569 घटनायें हुयी हैै जबकि 2019 में 916 तथा 2018 में 922 थी। अन्य चोरी की 702 घटनायें हुयी हैै जबकि 2019 में 896 तथा 2018 में 1047 घटनायें हुयी थी।  

हत्या की घटनाओं में भी भारी कमी आयी हैै। 2020 में जहां 157 हत्यायें हुई हैै जबकि 2019 में 186 तथा 2018 में 189 घटनायें दर्ज हुयी है। 2020 में रूद्रप्रयाग तथा अल्मोड़ा जिले को छोेड़कर सभी जिलोें में हत्या की घटनायें दर्ज हुई है। सर्वाधिक 56 हत्याएं हरिद्वार, 48 उधमसिंह नगर तथा 22 देहरादून जिले में दर्ज हुई हैै। 

दहेज हत्या में बढ़ोत्तरी हुई हैै। 2020 में 64 दहेज हत्या हुई हैै जबकि 2019 में 55 तथा 2018 में 62 हुई थी। 2020 में सभी जिलों में दहेज हत्याएं हुई हैं। सर्वाधिक हरिद्वार व उधमसिंह नगर जिलों में 20-20, दूसरे स्थान पर देहरादून में 8 तथा नैैनीताल में 6 हुई हैै।

महिला अपहरण के मामलों में कमी आयी है 2020 में 238 दर्ज हुई जबकि 2019 में 298 तथा 2018 में 348 थे। अन्य अपहरण भी कम हुये हैै। 2020 में 45 जबकि 2019 में 64 तथा 2018 में 60 थे। पिफरौैती हेतु अपहरण की घटनायंे 2018 व 2019 के समान ही 2 रही है। बलवा की घटनाओं में भारी वृृद्वि हुई हैै 2020 में 678 घटनायें हुयी हैै जबकि 2019 में 520 तथा 2018 में 515 घटनायेें दर्ज हुयी थी।


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गुरुवार, 17 जून 2021

विधायक बत्रा मामले में दरोगा के स्थानांतरण पर मोर्चा ने उठाया सवाल

 विधायक बत्रा मामले में दरोगा के स्थानांतरण पर मोर्चा ने उठाया सवाल



# स्थानांतरण जल्दबाजी में लिया गया निर्णय जैसा        # बत्रा के खिलाफ जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज, षड्यंत्र आदि मामले में वर्ष 2008 में किया गया था मुकदमा               
# मुकदमे को लिया गया था सरकार द्वारा वापस 
# कानून का सम्मान करना विधायक ने नहीं सीखा      #विधायक हो या दारोगा, जो गलत उसके खिलाफ हो कार्रवाई       
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि अभी हाल ही में रुड़की के विधायक प्रदीप बत्रा द्वारा मसूरी में घूमने के दौरान मास्क न पहनने के मामले में जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसका सच जनता के सामने आना ही चाहिए। पुलिस द्वारा इस मामले में एक अधिकारी को जांच सौंपी गई है, लेकिन जल्दबाजी एवं दबाव में पुलिस द्वारा संबंधित दरोगा का स्थानांतरण कालसी कर देना पुलिसिया कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। 
शर्मा ने कहा कि पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा द्वारा जांच रिपोर्ट आने का इंतजार के बिना ही इतनी जल्दबाजी में संबंधित दरोगा का स्थानांतरण निश्चित तौर पर पुलिस की कार्यशैली को पंगु/ शिथिल बना देने जैसा है। होना तो यह चाहिए था कि अगर विधायक की गलती है तो विधायक के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए था।अगर दरोगा गलत है तो उनके खिलाफ भी मामला दर्ज होना चाहिए, लेकिन ऐसा न कर एक पक्षीय कार्रवाई की गई  है।                  
शर्मा ने कहा कि बत्रा के खिलाफ पूर्व में थाना कोतवाली, रुड़की में  420, 468, 471, 472, 473, 474 ,120 बी व 34 भा.दं.वि. के तहत वर्ष 2008 में फर्जी  डिग्री मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसको सरकार द्वारा वर्ष 2013 में वापस ले लिया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि विधायक की कानून में कोई आस्था नही है।  मोर्चा गृह विभाग से मांग करता है कि उक्त मामले में सारा सच जनता के सामने लाए जाने के निर्देश दे।

बुधवार, 16 जून 2021

मेरे पिताजी की साईकिल’विषय पर लेखन स्पर्धा

 सुरेन्द्र सिंह राजपूत और डा0 आशा गुप्ता साईकिल दिवस स्पर्धा के विजेता



मेरे पिताजी की साईकिल’विषय पर लेखन स्पर्धा 

संवाददाता

इंदौर (मप्र)। कोपलों को प्रोत्साहन, हिंदी लेखन को बढ़ावा और मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा में हिंदीभाषा डाट काम के प्रयास जारी हैं। इस क्रम में ‘मेरे पिताजी की साईकिल’ (अंतरराष्ट्रीय साईकिल दिवस) विषय पर स्पर्धा कराई गई। इसमें प्रथम विजेता सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ और डा0 आशा गुप्ता ‘श्रेया’ घोषित किए गए। जबकि दूजा स्थान श्रीमती चांदनी अग्रवाल और ममता तिवारी ने पाया।

मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने जानकारी देते हुए बताया कि इस 32वीं स्पर्धा में सबने खूब उत्साह दिखाया। अनेक प्रविष्टियों में से श्रेष्ठता अनुरुप चयन और प्रदर्शन के बाद निर्णायक मंडल ने गद्य विधा में देवास (मप्र) के सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ (उनका मान सम्मान स्वाभिमान थी साइकिल) को प्रथम माना। इसी तरह ‘हर कदम पर प्रेरणादायक पापा और साईकिल’ के लिए श्रीमती चांदनी अग्रवाल (दिल्ली) को दूसरा एवं डा0 अर्चना मिश्रा शुक्ला (कानपुर, उप्र) को तीसरा स्थान (कर्मपथ की साथी साईकिल) दिया गया। इसी वर्ग में दिल्ली वासी मयंक वर्मा ‘निमिशां’ ने विशेष (चौथा) स्थान प्राप्त किया है।

1.5 करोड़ दर्शकों-पाठकों का अपार स्नेह पा रहे इस मंच की संयोजक सम्पादक प्रो0 डा0 सोनाली सिंह एवं मार्गदर्शक डा0 एमएल गुप्ता ‘आदित्य’ ने सभी विजेताओं और सहभागियों को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।

सह-सम्पादक श्रीमती जैन ने बताया कि स्पर्धा के पद्य वर्ग में ‘मन में सजी पिताजी की साइकिल’ रचना पर डा0 आशा गुप्ता ‘श्रेया’ (झारखंड) ने पहली जीत पाई तो ‘बाबूजी की सायकल’ पर ममता तिवारी (छग) दूसरी विजेता बनीं। इसी वर्ग में राजस्थान से संजय गुप्ता ‘देवेश’ (घर की सदस्य होती) को तृतीय स्थान मिला, जबकि संदीप धीमान (उत्तराखण्ड) ने विशेष (चौथा) स्थान प्राप्त किया है।


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शनिवार, 12 जून 2021

बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही बन जाएगा लाइसेंस

 बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही बन जाएगा लाइसेंस



रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने नया रूल नोटिफाई किया जिसके तहत आरटीओ में जाकर टेस्ट नहीं देना पड़ेगा

एजेंसी

नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए अब किसी रिजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस में ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नए रूल को नोटिफाई कर दिया है। इसके अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। यहां से ट्रेनिंग पूरी करने व एक टेस्ट पास करने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिया जाएगा। इस स्थिति में किसी आरटीओ में जाकर ड्राइविंग टेस्ट की जरूरत नहीं होगी।

खास बात यह है कि ड्राइविंग लाइसेंस ट्रेनिंग और उससे टेस्ट से जुड़ी पूरी प्रक्रिया पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिकली रिकॉर्ड की जाएगी। मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यह पूरी प्रक्रिया तकनीक से संचालित और इसमें किसी तरह से अन्य व्यक्ति की जरूरत नहीं होगी। इसका मतलब है कि अब ना तो लाइसेंस से पहले टेस्ट के लिए बाइक या कार लेकर जाना होगा। और ना ही मामूली चूक होने पर टेस्ट लेने वाले अधिकारियों की मिन्नत करनी होगी।

अधिकारी के अनुसार ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों की मान्यता उन्हीं सेंटर को दी जाएगी जो जगह, ड्राइविंग ट्रैक, आईटी और बायोमीट्रिक सिस्टम और निर्धारित सिलेबस के अनुसार ट्रेनिंग से जुड़ी जरूरतों को पूरा करेंगे। एक बार ट्रेनिंग सेंटर की तरफ से सर्टिफिकेट जारी होने के बाद यह संबंधित मोटर व्हीकल लाइसेंस अधिकारी के पास पहुंच जाएगा।

रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री की तरफ से नोटिफाई किए गए नए नियम इस साल जुलाई से लागू हो जाएंगे। ऐसे में वो लोग या संस्थान जो इस तरह के ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाना चाहते हैं वो राज्य सरकारों के पास इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।


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मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी

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