पी0बी0ओ0आर0 पूर्व सैनिक संगठन 1 अगस्त से 31 अगस्त तक सदस्यता अभियान चलायेगा
पूर्व सैनिको ने संगठन की सदस्यता ग्रहण की
देहरादून। पी0बी0ओ0आर0 पूर्व सैनिक संगठन के केन्द्रीय कार्यालय में केन्द्रीय कार्यकारणी और शाखा अध्यक्षो की सभा का आयोजन किया गया। सभा पूर्व सैनिको ने संगठन की सदस्यता भी ग्रहण की।
सभा की अध्यक्षता करते हुये संगठन के अध्यक्ष पी0टी0आर0 शमशेर सिहं बिष्ट ने कहा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही लाभकारी और कल्याणकारी योजनाओं के विषय में दूर-दराज के पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों को जानकारी के अभाव से उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
इस संदर्भ में पी0बी0ओ0आर0 पूर्व सैनिक संगठन दूर-दराज गांव में जा कर पूर्व सैनिक को जागरूक करने का कार्य कर रहा है और पूर्व सैनिक भी संगठन के कार्य को सराह रहे हैं और संगठन साथ जुड़ कर कार्य कर रहे है।
इसी क्रम में पी0बी0ओ0आर पूर्व सैनिक संगठन ने अल्मोड़ा जिले के ग्राम गेवा पानी, कोवराली, दौलाघाट, पत्थर कोट, मनाऊ आदि ग्रामों के पूर्व सैनिकों से संम्पर्क कर उनको सैनिक सम्बिधित जानकारियों से अवगत कराया। और पी0बी0ओ0आर0 संगठन का सदस्य बनाया गया।
नवम्बर माह में एक विशाल सभा का आयोजन भी अल्मोड़ा में किया जायेगा। केन्द्रीय कार्यालय की सभा में पूर्व सैनिक सूबेदार मेजर रामेश्वर सति, सूबेदार मेजर बुद्धि बल्लभ भट्ट, सूबेदार मेजर गंगा दŸा नौटियाल, हवलदार महेन्द्र सिहं रावत ने केन्द्रीय कार्यालय में संगठन की सदस्यता ग्रहण की संगठन के अध्यक्ष ने पुष्प माला पहना कर उनका स्वागत किया।
इस अवसर पर महिला अध्यक्ष राजकुमारी थापा संगठन के जिला प्रभारी कैप्टन यू0डी0 जोशी, कार्यालय प्रभारी सूबेदार क्लर्क वाई0डी0 शर्मा, कैप्टन कैलाश चन्द, कार्याकारिणी सदस्य विनोद बलूनी, शाखा अध्यक्ष कौलागढ़, शंकर क्षेत्री, महिला उपाध्यक्षा कमला गुरूंग, महा सचिव ममता थापा, सचिव माधुरी राई, शाखा अध्यक्ष जैतनवाला पुष्पा वर्मा, शाखा अध्यक्ष गजियावाला तारा गुरूंग, शाखा अध्यक्ष बालावाला सूबेदार मेजर प्रेम रावत ने भी अपने विचार रखे।
सभा का संचालन करते हुये महासचिव कैप्टन आर0डी0 शाही ने कहा संगठन पूर्व सैनिकों और आश्रितों की सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से दिलाने के और लाभकारी योजनाओं की जानकारीयों को उनके पास पहुंचाने का हर सम्भव प्रयास करता रहेगा।
मंगलवार, 30 जुलाई 2019
पूर्व सैनिको ने संगठन की सदस्यता ग्रहण की
सोमवार, 29 जुलाई 2019
एसीसी गोल्ड सीमेंट के इस्तेमाल करने का दिया सुझाव
एसीसी सीमेंट द्वारा तकनीकी कार्यक्रम का आयोजन
एसीसी गोल्ड सीमेंट के इस्तेमाल करने का दिया सुझाव
देहरादून। एसीसी सीमेंट द्वारा विकास नगर के जीवनगढ़ स्थित शर्मा पफर्म हाउस में एक तकनीकी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान कंपनी ने लोगों को अपने उत्पादों की जानकारी दी तथा उपस्थित लोगों को भवन निर्माण शैली से अवगत कराया।
कार्यक्रम के दौरान कंपनी के विशेषज्ञों ने बताया कि जो छत हमें कड़कती धूप, कड़ाके की सर्दी और तेज बरसात से बचाती है। यदि वही छत मजबूत नहीं होगी तो घर भी मजबूत नहीं रहेगा। इसलिए यह जरूरी है कि घर की छत यानि लिंटर बनाते समय सबसे उत्तम क्वालिटी का सीमेंट इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने बताया कि एसीसी गोल्ड इसका एक बेहतर विकल्प है इसलिए छत बनाते समय एसीसी गोल्ड सीमेंट का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
कंपनी के विशेषज्ञों ने बताया कि एसीसी गोल्ड सीमेंट पानी की लीकेज से सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही यह पानी को छत यानी लिंटर में घुसने नहीं देता जिससे छत या दीवारों में सीलन की समस्या से निजात मिलती है।
कार्यक्रम के दौरान एसीसी सीमेंट के एरिया मैनेजर सेल्स विवेक सक्सेना, सेल्स प्रमोटर अरविंद सिंघल, नितिन अग्रवाल, गंभीर सिंह, प्रवीण कुमार ने एसीसी गोल्ड सीमेंट से संबंधित प्रजेंटेशन दिया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ साथ भवन निर्माण कार्य से जुड़े कान्ट्रैक्टर एवं राजमिस्त्री भी मौजूद रहे।
पंचायत चुनावों में सवर्णों को आरक्षण दिलाने को तहसील में प्रर्दशन
रविवार, 28 जुलाई 2019
हिमालय राज्यों द्वारा एक कामन एजेंडा तैयार
हिमालय राज्यों द्वारा एक कामन एजेंडा तैयार
ग्रीन बोनस, जल संरक्षण व आपदा प्रबंधन एजेंडा के मुख्य बिन्दु
संवाददाता
मसूरी। मुख्यमंत्राी त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिमालयन कान्क्लेव के संबंध में बताया कि यह आयोजन सफल रहा है। प्रथम बार हिमालयी राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया है। उन्होंने बताया कि असम राज्य को छोड़कर 10 राज्यों के प्रतिनिधि हिमालयन कान्क्लेव में शामिल हुए। जिसमें हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय के मुख्यमंत्री, अरूणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री एवं अन्य राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालयन कान्क्लेव में मुख्यतः आपदा, जल शक्ति, पर्यावरणीय सेवाओं आदि पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि सभी हिमालय राज्यों द्वारा एक कामन एजेंडा तैयार कर केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को दिया गया। हिमालयी राज्यों द्वारा मांग की गई है कि पर्यावरणीय सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य देश के जल स्तम्भ है, जो प्रधानमंत्री के जल शक्ति संचय मिशन में प्रभावी योगदान देंगे। नदियों के संरक्षण व पुनर्जीवीकरण के लिए केन्द्र पोषित योजनाओं में हिमालयी राज्यों को वित्तीय सहयोग दिया जाना चाहिए। देश की सुरक्षा को देखते हुए पलायन रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। हिमालयन कान्क्लेव में इस बात पर सर्वसम्मति बनी कि प्रतिवर्ष आयोजित किया जाये। साथ ही हिमालय क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया जाये। इस सम्मेलन में नीति आयोग, पन्द्रवां वित्त आयोग व वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिमालयी राज्यों के लिए बजट में अलग से प्लान किये जाने का आश्वासन दिया गया।
प्रेस वार्ता में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, अरूणाचल के उप मुख्यमंत्री चोवना मेन, जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह सहित अन्य राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
हिमालयन कान्क्लेव में गहन मंथन के पश्चात प्रतिभागी हिमालयी राज्यों द्वारा मसूरी संकल्प पारित किया गया
संवाददाता
मसूरी। हिमालयन कान्क्लेव में गहन मंथन के पश्चात प्रतिभागी हिमालयी राज्यों द्वारा 'मसूरी संकल्प' पारित किया गया। इसमें पर्वतीय राज्यों द्वारा हिमालय की समृद्व सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और देश की समृद्वि में योगदान का संकल्प लिया गया। साथ ही प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण का भी प्रण लिया गया।
इससे पूर्व हिमालयन कान्क्लेव में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने हिमालयी राज्यों के सम्मेलन में कहा कि निश्चित रूप से यह आयोजन हिमालयी राज्यांे के विकास में एक अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य भारत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन सभी राज्यों का विकास भारत सरकार की प्राथमिकताओं में है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों से पलायन को रोकने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। इसमें पंचायतीराज संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करा कर ही पलायन को रोका जा सकता है। सम्मेलन में प्रतिभागी राज्यों द्वारा चर्चा किये गये विषयों पर केन्द्र द्वारा गंभीरता से विचार किया जायेगा।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालय राज्यों के सम्मेलन की मेजबानी का अवसर प्राप्त हुआ है यह उत्तराखण्ड के लिए सम्मान की बात है। आशा है कि देश की समृद्वि में योगदान करने के लिए यह एक अच्छा मंच साबित होगा।
15वें वित आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने हिमालयन कान्क्लेव को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि अपनी साझा समस्याओं को रखने व उनके हल के लिए नीति निर्धारण में यह एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म साबित होगा। हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जीवन अत्यंत कठिन होता है। उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों में रेल व हवाई कनैक्टीविटी विकसित किये जाने की जरूरत बतायी।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि कि पर्यटन की संभावनाओं की दृष्टि से भी सभी हिमालयी राज्य समृद्व हैं। इस सम्मेलन के माध्यम से सभी हिमालयी राज्य आपसी तालमेल से नई योजनाओं को साझा कर नीति आयोग के समक्ष रख सकते हैं। सीमांत राज्यों को पलायन को रोकने और सीमांत क्षेत्रों में विकास करने की जरूरत है।
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड कोंगकल संगमा ने कहा कि हिमालयी राज्यों में विकास योजनाओं की लागत अधिक होती है। इसलिए केन्द्र द्वारा विभिन्न विकास योजनाओं के मानकों में इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने पर्वतीय राज्यों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान की आवश्यकता पर बल दिया। नागालैंड के मुख्यमंत्री नेपिफयू रियो ने सम्मेलन को बेहतर शुरूआत बताते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में आजीविका संवधर््न व इको सिस्टम के महत्व पर जोर दिया। अरूणाचल के उप मुख्यमंत्री चोवना मेन ने कहा कि सीमांत क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाओं के विकास पर विशेश ध्यान देना होगा।
मिजोरम के मंत्री टीजे लालनुनल्लुंगा ने अपने सम्बोधन में प्राकृतिक आपदा, जैव विविधता संरक्षण में स्थानीय लोगो की भागीदारी, डिजीटल कनैक्टीविटी पर जोर दिया।
सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता भारत सरकार परमेश्वरमन अययर ने जल शक्ति अभियान पर प्रस्तुतिकरण दिया। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कमल किशोर ने डिजास्टर रिस्क मैंनेजमेंट पर प्रस्तुतिकरण देते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में वहां की परिस्थितियों के अनुरूप भवन निर्माण पर जोर दिय जाने की बात कही। सिक्किम के मुख्यमंत्री के सलाहकार डा0 महेन्द्र पी0 लामा ने केन्द्रीय सहायता में ईको सिस्टम सर्विसेज को विशेष भार दिये जाने की बात कही। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के सलाहकार केके शर्मा, आईआईएफएम की डा0 मधु वर्मा व सुशील रमोला ने भी विचार व्यक्त किये।
सम्मेलन के समापन अवसर पर उत्तराखण्ड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, सचिव वित्त अमित नेगी, अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश, डीजीपी अनिल रतूड़ी, सचिव श्रीमती सौजन्या, अपर सचिव सोनिका, महानिदेशक सूचना डा0 मेहरबान सिंह बिष्ट सहित अन्य राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
यूपीजेईए के सदस्य कर रहे वर्क टू रूल
यूपीजेईए का असहयोग आन्दोलन जारी
यूपीजेईए के सदस्य कर रहे वर्क टू रूल
कांवड़ क्षेत्र के सदस्यों को आंदोलन से मुक्त रखा गया
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन का अवर अभियंता से सहायक अभियंता के पदों पर प्रोन्नति की मांग को लेकर असहयोग आन्दोलन लगातार जारी है।
प्रदेश भर में यूपीजेईए के सदस्य सक्रियता से असहयोग आंदोलन में शामिल रहे। वर्क टू रूल के अन्तर्गत समस्त सदस्यों के विभागीय मोबाइल पफोन अवकाश के दिन भी बंद रहे। संघ भवन माजरा में असहयोग आंदोलन की अभी तक की गतिविधियों की समीक्षा भी की गयी।
केन्द्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने रोष जाहिर करते हुए कहा कि प्रबन्धन को निगम एवं कार्मिकों के हित में कार्य करना चाहिये परन्तु प्रबन्धन उन कार्मिकों की पदोन्नति में रोड़ा अटका रहा है जिन्हें प्रबंधन ने ही उच्च पदों का एवं अन्य अतिरिक्त प्रभार दिया हुआ है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि उत्तराखण्ड के ये मूल निवासी अवर अभियंता आखिर न्याय मांगने कहां जायेंगे।
केन्द्रीय अध्यक्ष ने निगम की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिनांक 29/8/18 की जनहित याचिका संख्या 115/2018 में उच्च न्यायालय ने कार्मिकों की समस्याओं के निराकरण हेतु कमेटी निर्माण किये जाने एवं प्रत्येक तीन माह में बैठक किये जाने का आदेश निर्गत किया था, परन्तु आज तक कुछ नहीं किया गया। उन्होंने प्रोन्नति को लेकर प्रबन्धन पर अवर अभियंता संवर्ग के खिलाफ पक्षपात किये जाने का आरोप लगाया। उन्होंने प्रबन्धन को चेतावनी देते हुए कहा कि ध्यानाकर्षण आंदोलन के दौरान यदि किसी भी सदस्य का उत्पीड़न किया गया तो एसोसिएशन आंदोलन को उग्र रूप देने के लिए बाध्य होगा।
केन्द्रीय उप महासचिव संदीप शर्मा ने कहा कि प्रदेश भर में मानसून सक्रिय है, साथ ही निगम में अवर अभियंताओं, सहायक अभियंताओं एवं लाइन स्टाफ की भारी कमी है एवं तैनात कार्मिकों पर कई अतिरिक्त प्रभार हैं। अतः प्रबन्धन को निष्पक्ष होकर सकारात्मक पहल करते हुए जेई से एई के रिक्त पदों पर शीघ्र ही प्रोन्नति आदेश जारी करते हुए गतिरोध समाप्त करना चाहिये।
प्रान्तीय सचिव पवन रावत ने बताया कि एसोसिएशन के समस्त सदस्य एकजुट हैं एवं सक्रियता से असहयोग आंदोलन के तहत वर्क टू रूल कार्य कर रहे हैं। प्रबन्धन को अवर अभियंता से सहायक अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति आदेश तुरन्त ही निर्गत करने चाहिये एवं न्यायालय के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए 2008-09 से अब तक के समस्त अवर अभियंताओं की अंतिम वरिष्ठता सूची जारी करनी चाहिये। प्रान्तीय महासचिव ने मांग की कि वर्ष 2016 में स्वीकृत यूपीसीएल स्ट्रक्चर के समस्त रिक्त पदों पर अविलम्ब भर्ती की जानी चाहिये जिससे कि पफील्ड में तैनात कर्मियों पर काम का दबाव कम हो सके।
बैठक में कर्ण सिंह, रविन्द्र सैनी, राजीव खर्कवाल, नवनीत चौहान, बीएस पंवार, सुनील उनियाल, राहुल अग्रवाल, आनंद रावत, सुधीर बड़ोनी, विमल, अमित भट्ट आदि मौजूद रहे।
नयी गाड़ी खरीद रहें हों तो ध्यान से पढ़े यह खबर.......... 15 साल से पुराने वाहनों को कबाड़ में भेजने की तैयारी
नयी गाड़ी खरीद रहें हों तो ध्यान से पढ़े यह खबर..........
15 साल से पुराने वाहनों को कबाड़ में भेजने की तैयारी
अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक सरकार की योजना पुराने वाहनों के ठीक-ठाक होने के प्रमाणपत्र का नवीनीकरण हर छह माह में कराने की है। अभी यह नवीनीकरण कराने की समय सीमा एक साल है।
एजेंसी
नई दिल्ली। यदि 15 साल से अधिक पुराने वाहन ड्राइव कर रहे हैं और इसे चलाते रहना चाहते हैं तो केंद्रीय मोटर वाहन नियम संशोधनों के अनुसार हर 6 महीने में वाहन के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र को नवीनीकृत करना होगा। देश में 15 साल से पुराने वाहनों के प्रयोग पर कड़ी पाबंदी लगाने की कवायद हो रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देने के मद्देनजर सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को उपयोग से हटाकर कबाड़ में भेजने का प्रावधान किया गया है।
अधिसूचना के मसौदे के मुताबिक सरकार की योजना है कि 15 साल पुराने वाहनों के ठीक-ठाक होने के प्रमाणपत्र का नवीनीकरण हर 6 माह में कराया जाए। अभी यह नवीनीकरण कराने की समय सीमा एक साल है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मंत्रालय ने केंद्रीय मोटर वाहन नियम में संशोधन की मसौदा अधिसूचना जारी की है। इसका मकसद इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देना, दिव्यांगों के अनुकूल बसों को सुनिश्चित करना और एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना जो 15 साल पुराने वाहनों को कबाड़ में भेज सकें।
इसके तहत 15 साल पुराने वाहनों के ठीक-ठाक होने की जांच करने और इसका प्रमाणपत्र नवीनीकृत करने के शुल्क को भी बढ़ाया गया है। मसौदे के मुताबिक मध्यम और भारी मोटर वाहन श्रेणी के तहत नवीनीकृत प्रमाणपत्र के लिए मैनुअल वाहनों के लिए जांच शुल्क 1,200 रुपये और स्वचालित वाहनों के लिए 2,000 रुपये है।
बैटरी चालित वाहनों को पंजीकरण प्रमाणपत्र के नवीनीकरण छूट दी जाएगी और उन्हें नया पंजीकरण दे दिया जाएगा। मसौदे में नये खरीदे गए वाहनों को नए पंजीकरण प्रमाणपत्र शुल्क से सशर्त छूट देने का भी प्रस्ताव है। उसे यह छूट उसके द्वारा उसी श्रेणी के पुराने वाहनों के कबाड़ होने का प्रमाणपत्र दिखाने पर दी जाएगी। प्रमाणपत्र एक अधिकृत एजेंसी या केंद्र द्वारा जारी होना चाहिये।
बता दें कि मध्यम और भारी श्रेणी वाहन में नए वाहनों के लिए पंजीकरण शुल्क 20,000 रुपये रखने और नवीनीकरण के लिए 40,000 रुपये तय करने का भी प्रस्ताव है। इसी प्रकार चार या उसे अधिक पहियों वाले आयातित मोटर वाहनों के नए वाहन पंजीकरण का शुल्क 20,000 रुपये और नवीनीकरण के लिए 40,000 रुपये रखने का प्रस्ताव है। हालांकि अभी इस मसौदे पर लोगों से सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित की गयी हैं।
शनिवार, 27 जुलाई 2019
यूपीजेईए का असहयोग आन्दोलन जारी
यूपीजेईए का असहयोग आन्दोलन जारी
काँवड़ क्षेत्र को छोड़कर प्रदेश भर में यूपीजेईए सदस्यों ने तीसरे दिन भी 8 घण्टे ड्यूटी के बाद शाम 5 बजे से किया मोबाइल बंद
प0नि0संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन द्वारा अवर अभियंता से सहायक अभियंता के पदों पर प्रोन्नति की माँग को लेकर असहयोग आन्दोलन जारी रहा। एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा नियमानुसार 8 घण्टे ड्यूटी पूरी करने के उपरान्त शाम 5 बजे से मोबाइल बंद कर दिये गये। प्रदेश भर में यूपीजेईए के सदस्य सक्रियता से असहयोग आंदोलन में शामिल रहे।
केन्द्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने अवगत कराया कि वर्ष 2016 में यूपीसीएल का स्ट्रक्चर पास होने के उपरान्त दिनाँक 21/8/12 की अन्तिम वरिष्ठता सूची से ही प्रोन्नति की गयी थी। इसमें से 2004-05 बैच के क्रम संख्या 199 तक के अवर अभियंताओं की प्रोन्नति की जा चुकी है। इसी क्रम में आगे इसी बैच के अवर अभियंताओं की प्रोन्नति की जानी हैं। उन्होंने बताया कि प्रोन्नत किये जाने वाले कई अवर अभियंताओं को प्रबंधन द्वारा पहले ही सहायक अभियंताओं का प्रभार दिया गया है अतः वर्तमान में जेई से एई के रिक्त पदों पर प्रोन्नति किये जाने में कोई भी वरिष्ठता का विवाद नहीं है। उन्होंने प्रबन्धन से संवर्ग को न्याय प्रदान करते हुए शीघ्र ही पदोन्नति सूची जारी कर गतिरोध समाप्त करने की माँग की।
प्रान्तीय महासचिव जेसी पन्त ने प्रबंधन पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए कहा कि वह प्रोन्नति न करने के नये नये बहाने खोज रहा है, इससे यूपीजेईए के सदस्यों का प्रबन्धन से विश्वास समाप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि संगठन प्रदेश की जनता के प्रति पूर्णतः जिम्मेदार एवं संवेदनशील है, इसी कारण से काँवड़ यात्रा के सदस्यों को आंदोलन से अलग रखा गया है। बारिश के मौसम में 48 सहायक अभियंताओं का स्थानांतरण किया जाना आंदोलन को बदनाम करने की साज़िश है।इससे जनता को होने वाली किसी भी असुविधा के लिये प्रबन्धन स्वयं जिम्मेदार है।
प्रान्तीय अध्यक्ष रविन्द्र सैनी ने बताया कि एसोसिएशन के समस्त सदस्य एकजुट हैं एवं सक्रियता से असहयोग आंदोलन के तहत वर्क टू रूल के तहत कार्य कर रहे हैं। प्रबन्धन को अवर अभियंता से सहायक अभियंता के रिक्त पदों पर प्रोन्नति आदेश तुरन्त ही निर्गत करने चाहिये एवं 2008-09 बैच से समस्त अवर अभियंताओं की वरिष्ठता सूची का भी निस्तारण न्यायालय के आदेशों के अनुसार सुनिश्चित करना चाहिये।
शुक्रवार, 26 जुलाई 2019
सूचना का अधिकार में खुलासाः प्रदेश में उपभोक्ता न्याय का हाल बदहाल
सूचना का अधिकार में खुलासाः प्रदेश में उपभोक्ता न्याय का हाल बदहाल
राज्य उपभोक्ता आयोेग में साल मंे आधे कार्य दिवसों में नहीं हो रहा कोई काम
प0नि0 संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड में उपभोक्ता न्याय का हाल बदहाल है। उपभोक्ता न्याय की सबसे बड़ी अदालत राज्य उपभोक्ता आयोग में वर्ष में आध्े से अध्कि दिन अपील व परिवादों की सुनवाई का काम नहीं हो रहा है। यह खुलासा राज्य उपभोक्ता आयोग के लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग से वर्ष में उन कार्य दिवसों जिनमें अपील व परिवादों की सुनवाई न हुई हो तथा लम्बित केसों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उपभोक्ता राज्य आयोग के लोेक सूचना अधिकारी/निबंधक अंजुश्री जुयाल द्वारा अपने पत्रांक 156 तथा 250 से उपलब्ध करायी गयी सूचना से चौंकाने वाले यह तथ्य सामने आये हैं।
उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2018 में 130 कार्य दिवसों में अपील व परिवाद की राज्य आयोग मेें सुनवाई नहीं हुई है जबकि वर्ष 2019 में फरवरी तक 25 कार्य दिवसों में अपील व परिवादों की सुनवाई का कार्य नहीं हुआ है। इससे पूर्व उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2016 में 94 कार्य दिवसों में 2018 में 130 तथा 2019 मेें 112 कार्य दिवसों अपील व परिवादों की सुनवाई का कार्य नहीं हुआ। यदि अन्य राजपत्रित अवकाशों तथा रविवार तथा माह के दूसरे शनिवार की छुट्टियों को जोड़ लिया जाये तो वर्ष में आधे से भी कम दिन अपीलों व परिवादों की सुनवाई हो रही हैै। ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को शीघ्र न्याय मिलना संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता संरक्षण अध्निियम 1986, उपभोक्ता संरक्षण रेगुलेशन 2005 तथा उत्तराखंड उपभोक्ता संरक्षण नियमावली 2011 में अपील के निपटारे व साधरण उपभोक्ता परिवादों के निपटारे की समय अवधि 90 दिन है जबकि इस वर्ष के शुरू में उपभोक्ता आयोग में 7 वर्ष से भी अधिक पुरानी 119 अपीलें व 12 परिवाद लम्बित हैं। इसमें 14 अपीलें व 2 परिवाद तो दस वर्ष से भी अधिक समय से लम्बित थे।
उपलब्ध सूचना के अनुसार 2016 में कुल 94 कार्य दिवसों में कार्य न होेने की सूचना उपलब्ध करायी गयी हे जिसमें 82 कार्य दिवस बार एसोसिएशन के वकीलों के कार्य न करने के प्रस्ताव के कारण 1 दिन कोरम के अभाव अर्थात अध्यक्ष व दो सदस्यों में से किन्हीं दो की अनुपस्थिति के कारण तथा 11 कार्य दिवसों में अन्य कारणों से कार्य नहीं हुआ है।
वर्ष 2017 में 112 कुल कार्य दिवसों में कार्य न होने की सूचना उपलब्ध करायी गयी है। जिसमें 93 कार्य दिवसों में बार एसोसिएशन के वकीलों के कार्य न करने के प्रस्ताव के कारण 10 दिन कोरम के अभाव के कारण कार्य नहीं हुआ है। वर्ष 2018 में 130 कुल कार्य दिवसों मंे कार्य न होने की सूचना उपलब्ध करायी गयी हैै। जिसमंे 99 कार्य दिवसों में बार एसोसिएशन के वकीलोें के कार्य न करने के प्रस्ताव के कारण 23 दिन कोरम के अभाव के कारण तथा 8 दिन अन्य कारणों से कार्य नहीं हुआ हैै। वर्ष 2019 में फरवरी तक कुल 25 कार्य दिवसों में कार्य न होने की सूचना उपलब्ध करायी गयी है। जिसमें 2 कार्य दिवसों में बार एसोसिएशन के वकीलांे के कार्य न करने से प्रस्ताव के कारण 1 दिन कोरम, अभाव के कारण तथा 1 दिन अन्य कारणों से कार्य नहीं हुआ।
वर्ष 2016, 2017 तथा 2018 में जून माह में एक दिन भी कार्य नहीं हुआ है। जबकि वर्ष 2018 में जनवरी में 9 दिन, फरवरी में 16 दिन, मार्च में 14 दिन, अप्रैल में 13 दिन, मई में 7 दिन, जुलाई में 4 दिन, अगस्त में 5 दिन, सितम्बर में 6 दिन, अक्टूबर में 7 दिन, नवम्बर में 6 दिन तथा दिसम्बर में 13 दिन अपील व परिवादों की सुनवाई नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त 2019 में जनवरी मेें 10 दिन तथा फरवरी में 15 कार्य दिवसों में अपील व परिवादों की सुनवाई नहीं हुई है।
गुरुवार, 25 जुलाई 2019
मल्टी-लेवल मार्केटिंग के घोटालों से पर्दा उठाती पुस्तक लान्च
मल्टी-लेवल मार्केटिंग के घोटालों से पर्दा उठाती पुस्तक लान्च
अरूणा रविकुमार की पहली पुस्तक 'मराउडर्स आफ होप' का विमोचन
संवाददाता
देहरादून। देश में दो दशकों तक मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कीमों की मौजूदगी रही। यह स्कीम्स वित्तीय घोटाले हैं और इन्होंने भोले-भाले लोगों को आय के सरल स्रोत का लालच देकर खूब ठगा। पीड़ितों को सच्चाई का बोध लंबे समय बाद हुआ और धोखाधड़ी करने वालों ने उनके खर्च पर मोटी कमाई की।
'मराउडर्स आपफ होप' देश के सभी संबद्व लोगों की आंखें खोलने वाली किताब है, जिसे जरूर पढ़ना चाहिये। इस समस्या से विश्वभर के लोग ग्रसित हुए हैं। यह मल्टी-लेवल मार्केटिंग के घोटालों का पर्दाफाश करती है और बताती है कि यह घोटाले क्यों हुए और ऐसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की वृद्वि को रोकने के उपाय बताती है, जो जल्दी पैसा कमाने की इच्छा रखने वाले लोगों को तेजी से धन देती थीं। इस किताब में उन कंपनियों और लोगों के लालच का उल्लेख है, जिन्होंने धोखाधड़ी वाली योजनाएं चलाकर लोगों को खूब चूना लगाया। इसमें यह भी बताया गया है कि ऐसे लोगों को राजनैतिक संरक्षण कैसे मिला और विभिन्न विनियामक तथा कानून लागू करने वाले अधिकारी इन्हें रोकने में कैसे विफल रहे।
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में एक पत्रकार के रूप में प्राप्त अपने समृद्व अनुभव से अरूणा रविकुमार ने उन वित्तीय अपराधों को रोकने में नाकामी का जिक्र किया है, जो कुछ लोगों का भला करते हैं, जबकि अधिकतर लोगों की सामाजिक, मानसिक और आर्थिक स्थिति बिगाड़ देते हैं। अपनी किताब के विमोचन के अवसर पर श्रीमती अरूणा रविकुमार ने कहा कि पीड़ितों की हृदयविदारक कहानियों और लोगों, परिवारों, समाजों तथा देशों का शोषण करने वाले उपद्रवियों के लालच से उत्पन्न समस्याओं ने उनके पत्रकार को जगा दिया। महीनों तक गहन शोध और साक्षात्कारों के बाद उन्होंने 'धोखेबाजों' के चेहरे से नकाब हटाया। यदि पाठक इसे पढ़कर जागरूक होते हैं, तो उनका यह प्रयास सार्थक होगा।
इस किताब का प्रकाशन 'द राइट प्लेस' पब्लिशिंग हाउस ने किया है, जो क्रासवर्ड बुकस्टोर्स की एक पहल है। इसका मूल्य 299 रूपये है और पाठक क्रासवर्ड (http://bit.ly/mohcwd) और अमेजन इंडिया (http://bit.ly/mohbuy) से इसकी प्रति ले सकते हैं।
फिल्म बाहुबली के अभिनेता राणा डग्गुबाटी ने इस पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अरूणा की द मराउडर्स आपफ होप इस बात की गहन समझ प्रदान करती है कि मल्टी-लेवल मार्केटिंग के घोटालों ने सामाजिक ढांचे को कैसे तबाह किया, विश्वासघात किया और वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ी क्षति पहुंचाई। इस किताब के माध्यम से अरूणा ने षड्यंत्र को उजागर किया है। उन्होंने सिस्टम की कमियां बताई हैं, लोगों पर पड़े इसके असर के बारे में उचित जानकारी दी है। यह कहानी मेरी या आपकी हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए था। आपको जानकारी तक सही पहुंच बनाने की जरूरत है और यह इसमें उपलब्ध है।
उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने शुरू किया असहयोग आन्दोलन
यूपीजेईए ने शुरू किया असहयोग आन्दोलन
सदस्यों ने ड्यूटी के बाद शाम से किया मोबाइल बंद
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन द्वारा अवर अभियंता से सहायक अभियंता के पदों पर प्रोन्नति की मांग को लेकर असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ किया गया। एसोसिएशन के सदस्यों द्वारा नियमानुसार 8 घण्टे ड्यूटी पूरी करने के उपरान्त शाम 5 बजे से मोबाइल बंद कर दिये गये। संगठन भवन माजरा में हुई बैठक में असहयोग आंदोलन को सफल बनाने पर चर्चा की गयी ।
केन्द्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने कहा कि यूपीजेईए अपनी प्रोन्नति की जायज मांग को लेकर लम्बे समय से आंदोलनरत हैं परन्तु प्रबंधन बेवजह प्रोन्नति को विवादित बनाने पर तुला हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसोसिएशन शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहा है जबकि प्रबन्धन द्वारा बदले की भावना से कार्यवाही की जा रही है। केन्द्रीय अध्यक्ष ने निगम प्रबन्धन द्वारा किये गए तबादलों को हताशा एवं निराशा में की गयी कार्यवाही बताया।
केन्द्रीय अध्यक्ष ने प्रदेश की जनता से अपील करते हुए कहा कि एसोसिएशन कोई भी हड़ताल नहीं कर रहा है बल्कि लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक तरीके से उत्तराखंड के मूल निवासी अवर अभियंताओं के हक की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने प्रदेश की जनता से उत्तराखंड के मूल निवासी अवर अभियंताओं के असहयोग आन्दोलन को समर्थन देने की अपील की।
केन्द्रीय महासचिव जेसी पंत ने कहा कि प्रदेश में मानसून सक्रिय है। भारी बारिश के मौसम में समस्त प्रदेश में शासन द्वारा अधिकारी एवं कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगाई गयी है। एसोसिएशन ने भी जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अपने कांवड़ क्षेत्र के सदस्यों को आंदोलन से अलग रखा है, जबकि यूपीसीएल प्रबंधन द्वारा आनन पफानन में एक साथ अनेक सहायक अभियंताओं के तबादले कर दिये गये हैं, जोकि न्यायसंगत नहीं है एवं वर्षा ऋतु में निगम प्रबंधन की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को दर्शाता है।
प्रान्तीय सचिव पवन रावत ने कहा कि कांवड़ क्षेत्र के सदस्यों को छोड़कर प्रदेश भर में एसोसिएशन के सदस्य वर्क टू रूल कार्य कर रहे हैं। नियमानुसार 8 घण्टे ड्यूटी के बाद उनके द्वारा मोबाइल बन्द कर दिया गया है। उन्होंने अवगत कराया कि उत्तरांचल विद्युत पेंशनर्स परिषद के अध्यक्ष आरपी थपलियाल ने प्रबन्ध निदेशक यूपीसीएल को पत्र लिखकर यूपीजेईए की मांगों पर कार्यवाही लिए जाने की मांग की है।
बैठक में कर्ण सिंह, रविन्द्र सैनी, संदीप शर्मा, प्रमोद भंडारी, मनीष पांडे, वीके जैन, बीएस पंवार, मनोज कंडवाल, विमल कुलियाल, राजीव खर्कवाल, जगपाल, मयंक पंत आदि मौजूद रहे।
बुधवार, 24 जुलाई 2019
डिफाल्टर को ईनाम के तौर पर टेंडर देने की तैयारी
श्रीलंकाई कंपनी जवानों को सप्लाई करती रही घटिया जैकेट
डिफाल्टर को ईनाम के तौर पर टेंडर देने की तैयारी
संवाददाता
देहरादून। रक्षा मंत्रालय द्वारा जिस कंपनी को घटिया माल की आपूर्ति करने के आरोपों में ब्लैकलिस्ट करना चाहिए था, मंत्रालय ने उसी श्रीलंकाई कंपनी को सपफल आपूर्तिकर्ता की श्रेणी में रखकर नया टेंडर देने की तैयारी कर ली है। गौर हो कि लद्दाख और सियाचीन जैसे इलाकों में तैनात सैनिकों को कड़ाके की ठंड और बर्फीले तूपफान में पहनने के लिए दी जाने वाली जैकेट की सप्लाई से जुड़े इस घोटाले की 2014 से ही शिकायतें आ रहीें थी। सियाचिन में तैनात जवान इस कंपनी की घटिया जैकटों की शिकायतें रक्षा मंत्रालय और पीएमओ से करते रहे लेकिन रक्षा मंत्रालय के मास्टर जनरल आपफ आर्डिनेंस ब्रांच यानि एमजीओ के अधिकारियों की मिलीभगत से इस घोटाले को दबाया जा रहा है।
एमजीओ के ताजा खरीद अनुबंध के बाद उसपर जवानों के लिए घटिया क्लोदिंग और उपकरणों की खरीद-पफरोख्त के आरोप नए सिरे से लग रहें है। बता दें कि सियाचिन में तापमान शून्य से माइनस 50 डिग्री तक होता है। वहां तैनात जवानों को बपर्फीले तूपफान व ठंड से बचाने के लिए उन्हें हल्के भार की थ्री लेयर जैकेट दी जाती हैं।
यूपीए-2 के कार्यकाल में वर्ष 2009 के दौरान एमजीओ ने एक टेंडर के जरिए श्रीलंकाई कंपनी रेनवियर प्रा0लि0 को 2012-14 तक इन जैकटों के 60 हजार पीस की सप्लाई का ठेका दिया। 2012 में पहली खेप में सप्लाई जैकेट की क्वालिटी ठीक थी लेकिन उसके बाद 2013-14 में जो जैकेट सप्लाई की गई वे पफेदर टच की जगह बेहद घटिया मैटीरियल से तैयार की गई थी। उस दौरान इनका इस्तेमाल करने वाले जवानों ने सेना मुख्यालय में शिकायती पत्रा भेजकर आरोप लगाया था कि जो जैकेट मिली है वे न विंड प्रुफ है न वाटर प्रुफ है।
रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा उत्पादन विभाग के गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय ने जब इन शिकायतों पर रेनवियर प्रा0लि0 की जैकेटों की प्रयोगशाला जांच कराई तो जैकेट घटिया क्वालिटी की होने के आरोप सही पाए गए। जिसके बाद निदेशालय ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा के साथ रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी।
हरिद्वार निवासी एक सीनियर सिटीजन आरएम डबराल ने भी रक्षामंत्राी को शिकायती पत्रा लिखकर रेनवियर प्रा0लि0 कंपनी द्वारा सप्लाई की गई जैकेटों की घटिया क्वालिटी के बारे में आगाह करते हुए जांच की मांग की थी। उन्होंने पत्रा में रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी का उल्लेख करते हुए कंपनी से उनकी मिलीभगत और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए। रक्षा मंत्रालय ने 19 दिसंबर को डबराल को भेजे अपने पत्रा संख्या बी/82253/ कंपलेंट/एमजीओ में आश्वस्त किया कि शिकायत की जांच की जाएगी और भविष्य में 2017 के स्टैन्डर्ड मानक से सामान आपूर्ति करने वाली कंपनी से ही सामान की खरीद-फरोख्त की जाएगी।
डबराल के मुताबिक श्रीलंकाई कंपनी के रसूख के कारण न केवल उसे ब्लैकलिस्ट करने की अनुशंसा वाली जांच रिर्पाेट को दबा दिया गया बल्कि उसके बाद एमजीओ ने जुलाई 2017 में पिफर से इसी कंपनी को तत्काल आपूर्ति की मांग करते हुए 285 डालर प्रति जैकेट के हिसाब से 30 हजार जैकेटों आर्डर दे दिया। डबराल कहते है कि 2017 की अवधि में सिंगापुर की एक कंपनी को भी कुछ ऐसी ही जैकेटों का ठेका मिला जो कीमत में भी कम थी और गुणवत्ता जांच में भी सही पायी गई थी। उस कंपनी को एमजीओ ने ठेका नही दिया।
जवानों को खराब गुणवत्ता वाली जैकेट सप्लाई करने का मामला संज्ञान में आने के बाद 2 जुलाई को मोदी सरकार में महिला कल्याण मंत्राी रीता बहुगुणा ने भी रक्षामंत्राी को एक पत्रा लिखा है जिसमें श्रीलंकाई कंपनी के बारे में डबराल की शिकायत सुनकर उसपर अमल कराने के लिए कहा गया है। लेकिन हाल ही में 22 जून को एमजीओ ने पिफर से ऐसी ही जैकेटों का टेंडर जारी किया है। इसमें भी श्रीलंका की रेनवियर कंपनी को सफल और सक्षम आपूर्तिकर्ता कंपनी की श्रेणी में रखकर टेंडर देने के लिए चयन की कंपनी मानकर सलेक्ट कर लिया है।
यह भी संभव है कि रक्षा मंत्रालय से इस कंपनी को अगला टेंडर देने की खबर आ जाये लेकिन सवाल है कि जिस मोदी सरकार ने यूपीए सरकार में सेना के नाम पर लूट खसोट के आरोप लगाए थे वहीं सरकार पिछले 5 सालों में एक विदेशी कंपनी द्वारा मोटी रकम लेकर भी जवानों को घटिया जैकेट सप्लाई करने के रैकेट को नहीं रोक पायी।
मंगलवार, 23 जुलाई 2019
छपासः एक करिश्माई बीमारी
छपासः एक करिश्माई बीमारी
खबरीलाल
देहरादून। एक करिश्मे का छपास रोग से क्या ताल्लुक? सवाल जरूर आपके जेहन में टपक कर आ गया होगा। हालांकि यह कोई
टपका आम होता तो बड़ा स्वादिष्ट होता लेकिन यह समस्या है इसलिए पीड़ादायक अनुभव रहेगा। यह भी तय है कि हर अच्छा काम पीड़ा के साथ शुरू होता है।
अब किसी प्रसव पीड़ा से जूझती स्त्राी से पूछिए तो तमाम कष्टों को सहन करते हुए वह मुस्कुरा देगी। एक सपफल व्यक्ति से सवाल करो तो वह सीना चौड़ा करके अपने कष्ट भरे दिनों का गुणगान करेगा। वह उन कष्टों को सकारात्मक लेने की बात करेगा। भले ही उन दिनों को वह याद भी नही करना चाहता होगा।
अब मुद्दे की बात कर ली जाये। छपास रोग वाकयी करिश्माई बीमारी है, इसे साबित करने की जरूरत महसूस नही होती। जिन लोगों को यह बीमारी चिपकी है, वो न रो सकते है, न हंस सकने की कुव्वत है, वाले हालातों का सामना कर रहें है। शायद कभी सोचते भी होंगे लेकिन चूंकि हमारे यहां परम्परा है कि जिस घाव से दर्द नही उठता, उसका इलाज भी कोई नही करवाता। इसलिए सोच कभी हकीकत में तब्दील नही हो पाती है।
यह कुछ वैसे ही है कि लोग आपसे आकर कहें कि आप संघर्ष करो, हम आपके साथ है। लेकिन यकीन मानिये कि जब कभी ऐसा मौका आयेगा आप नितांत अकेले होंगे। आज के दौर में नेता कोसे जाते है, नौकरशाहों को कोसा जाता है। लेकिन सिपर्फ इसलिए कि ये मुंए हमसे आगे कैसे निकल गए। बाकी समाधन से इसका कोई लेना देना नही है। तो भी किसी कुण्ठित की तरह बाहर बैठकर गाइड करने की आदत आम हो गई है। इन सबसे छपास रोगी बेहतर है इसलिए वह करिश्माई बीमारी है।
हमारे देश में लोग करिश्माई है और यहां का सिस्टम भी। किसी ने ठीक कहा कि यहां सब कुछ भगवान के भरोसे चल रहा है। नही यकीन आता ना! हमें भी नही आता था परन्तु अब आंख मूंदकर करते है। दरअसल ऐसा इसलिए है कि हम लोग गलती तो मानते ही नही बल्कि उसका दोषारोपण दूसरे पर जरूर कर देते है।
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मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी संवाददाता देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण न...
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