रविवार, 31 अक्तूबर 2021

एसजेवीएन में राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन

 एसजेवीएन में राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन

कर्मचारियों को राष्ट्रीय एकता दिवस शपथ दिलाई



संवाददाता

शिमला। प्रत्येक वर्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती मनाने तथा राष्ट्र की एकता तथा अखंडता को बनाए रखने की प्रतिबद्वता को सशक्त करने के लिए 31 अक्तूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा के लिए किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने के लिए एसजेवीएन की निदेशक (कार्मिक) श्रीमती गीता कपूर ने कर्मचारियों को राष्ट्रीय एकता दिवस शपथ दिलाई। इस अवसर पर सुशील शर्मा निदेशक (विद्युत), मुख्य महाप्रबंधक (मा0सं0) एस0 पटनायक, एसजेवीएन के अन्य अधिकारियों सहित उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्रीमती गीता कपूर ने स्वतंत्रा भारत के राष्ट्रीय एकीकरण के वास्तुकार के रूप में सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका और उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत का एकीकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल के विजन और कार्यान्वयन से ही संभव हुआ। उन्होंने सभी से देश और संगठन के विकास एवं प्रगति के लिए देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में सतर्कता से योगदान देने का आग्रह किया। 

कोविड-19 के विरूद्व निवारक उपायों तथा दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए कारपोरेट मुख्यालय शिमला में केन्द्रीयकृत पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से शपथ दिलाई गई। इसी प्रकार एसजेवीएन के विभिन्न कार्यालयों/परियोजना स्थलों में कर्मचारियों को राष्ट्रीय एकता दिवस शपथ दिलाई गई।

आर्थिक कमजोर वर्ग व निशक्तजनों को उपनल ने अवर अभियंताओं की सूची से किया बाहर: मोर्चा

 आर्थिक कमजोर वर्ग व निशक्तजनों को उपनल ने अवर अभियंताओं की सूची से किया बाहर: मोर्चा        


         

 - 100 अवर अभियंताओं की नियुक्ति का है मामला        संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत जून 2021 को 100 अवर अभियंताओं के पद सृजित किए गए तथा शासन के निर्देश के क्रम में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन विभाग ने इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने की दिशा में उपनल से सूची मांगी गई, जिसके क्रम में उपनल द्वारा 717 युवाओं की सूची तैयार कर संबंधित विभाग को प्रेषित की गई। हैरानी की बात है कि इस सूची में उपनल द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस),  निशक्त जनों (पीडब्ल्यूडी) तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों को सूची में शामिल नहीं किया गया, जोकि सरासर इन युवाओं के साथ अन्याय है तथा शासनादेश का भी घोर उल्लंघन है। वैसे उपनल द्वारा आरक्षित  वर्गों यथा एससी/एसटी/ ओबीसी/ पूर्व सैनिक-आश्रित को जरूर सम्मिलित किया गया। इस नियुक्ति प्रक्रिया को संपन्न कराने हेतु पहले उपनल फिर पीएमसी/आउटसोर्स से कराने का निर्णय लिया गया, लेकिन फिर यह तय किया गया कि नियुक्ति विभाग करेगा तथा उपनल से सिर्फ सूची मांगी जाएगी।इस खेल में नेताओं और अधिकारियों ने अपने चेहतों को समायोजित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया तथा खेल में काबिल युवाओं के साथ अन्याय किया गया।                      
नेगी ने कहा कि पुष्ट सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि इन पदों पर नियुक्तियां हो चुकी हैं। मोर्चा किसी का भी हक मरने नहीं देगा।     
पत्रकार वार्ता में मो0 असद व प्रवीण शर्मा पिन्नी मौजूद थे।

शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

भंडारागार निगम कार्मिकों के सातवें वेतनमान मामले को मोर्चा उठाएगा सरकार के समक्ष: नेगी

 भंडारागार निगम कार्मिकों के सातवें वेतनमान मामले को मोर्चा उठाएगा सरकार के समक्ष: नेगी        


# निगम कर्मचारियों को अब तक नहीं मिल पाया सातवें वेतनमान का लाभ                 

# कार्मिकों की पदोन्नति मामले में भी निगम प्रबंधन है खामोश    
# लाभ की स्थिति में होने के बावजूद है ये आलम        संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व  उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य भंडारागार निगम के कार्मिकों को सरकार की उदासीनता एवं निगम प्रबंधन की धींगामस्ती के चलते आज तक सातवें वेतनमान का लाभ नहीं मिल पाया, जिस कारण कार्मिकों में काफी नाराजगी है। प्रदेश में  अधिकांश सभी विभागों के कार्मिकों को सातवें वेतनमान का लाभ मिल चुका है, लेकिन इन कार्मिकों के मामले सरकार खामोश है। कार्मिकों का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि इनकी संख्या मात्र दर्जनों में है, अगर सैकड़ों- हजारों में होती तो अब तक इनको सभी सुविधाएं मिल चुकी होती। भंडारागार निगम के लाभ की स्थिति में होने के बावजूद कार्मिकों के हक पर डाका डाला जा रहा है।      नेगी ने कहा कि इसके साथ-साथ निगम कार्मिकों की पदोन्नति का मामला भी वर्ष 2016 से लटका हुआ है। विभागीय ढांचे में रिक्तियों के बावजूद कार्मिकों की पदोन्नति भी आज तक लटकी हुई है।                      
मोर्चा शीघ्र ही निगम कार्मिकों की मांगो को सरकार के समक्ष रखेगा।

यूनिसेक्स कंडोमः पुरुष-महिला दोनों कर सकते हैं उपयोग

यूनिसेक्स कंडोमः पुरुष-महिला दोनों कर सकते हैं उपयोग


एजेंसी
नई दिल्ली। दुनिया का पहला यूनिसेक्स कंडोम बनकर तैयार हो चुका है। इसका उपयोग पुरुष और महिला दोनों कर सकते हैं। इसे मलेशिया के एक गाइनेकोलाजिस्ट ने बनाया है। इसे बनाने वाले डाक्टरों और वैज्ञानिकों की टीम ने कहा है कि यह मेडिकल ग्रेड मटेरियल से बनाया गया है, जिसका उपयोग आमतौर पर चोट और घाव की ड्रेसिंग के लिए किया जाता है। 


इस यूनीसेक्स कंडोम का नाम है वान्डालीफ यूनिसेक्स कंडोम। मेडिकल सप्लाई करने वाली कंपनी मलेशियन कंपनी ट्विन कैटेलिस्ट के गाइनेकोलाजिस्ट जान तांग इंग चिन ने कहा कि इस कंडोम की मदद से लोग जन्म दर पर नियंत्रण तो रख ही सकते हैं, इससे उनके यौन स्वास्थ्य की सुरक्षा भी होगी।
जान तांग इंग चिन ने कहा कि यह एक आम कंडोम की तरह ही है, बस इसमें एक चिपकने वाली कवरिंग है। यह कवरिंग महिलाओं के वेजाइना या पुरुषों के पेनिस से चिपक जाती है। इससे दोनों को ही एक्स्ट्रा प्रोटेक्शन यानी ज्यादा सुरक्षा मिलती है।
जान ने बताया कि यह चिपकने वाला पदार्थ यूनिसेक्स कंडोम के एक तरफ ही लगाया गया है यानी इसे पलट कर भी उपयोग में लाया जा सकता है। वान्डालीफ यूनीसेक्स कंडोम का एक डिब्बे में 2 कंडोम होते हैं। इसकी कीमत 14.99 रिंगिट यानी 271 रुपये है। 
मलेशिया में आमतौर पर एक दर्जन कंडोम के पैकेट की कीमत 20 से 40 रिंगिट होती है यानी 362 रुपये से लेकर 723 रुपये तक। जान तांग ने कंडोम बनाने के लिए पालीयूरीथेन नाम के पदार्थ का उपयोग किया है। इस पदार्थ का उपयोग घाव की ड्रेसिंग के लिए किया जाता है।
पालीयूरीथेन बेहद मजबूत, पतला, लचीला और वाटरप्रूफ होता है। जान तांग ने बताया कि इसे पहनने के बाद शारीरिक संबंध बनाने वाले को पता ही नहीं चलेगा कि उसने कुछ पहन रखा है क्योंकि यह पारदर्शी, नरम, मजबूत और लचीला होता है। इसलिए इससे बेहतर सुरक्षा कोई और कंडोम दे ही नहीं सकता।
जान तांग ने बताया कि वान्डालीफ यूनिसेक्स कंडोम का कई बार क्लीनिकल ट्रायल और टेस्टिंग की गई है। कंपनी इसे बाजार में दिसंबर महीने में लान्च करेगी। इसे आप ट्विन कैटेलिस्ट कंपनी की वेबसाइट से जाकर खरीद सकते हैं। हो सकता है कि यह भविष्य में आनलाइन मार्केटिंग एप्स और दवा बेचने वाले एप्स और साइट पर भी मिले।  
जान ने कहा कि हम वान्डालीफ यूनिसेक्स कंडोम की क्षमता और भरोसे को लेकर 100 फीसदी पुख्ता हैं। यह जन्मदर को बढ़ने से रोकने के लिए बेहतरीन कान्ट्रासेप्टिव है। इससे अनचाही प्रिगनेंसी रुकेगी साथ ही सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजिसेस भी थमेंगी।

उत्तराखण्ड में लोकायुक्त न होने पर भी प्राप्त हुई 950 शिकायते

 लोकायुक्त कार्यालय को प्राप्त हुई 8515 शिकायतें  

उत्तराखण्ड में लोकायुक्त न होने पर भी प्राप्त हुई 950 शिकायते



8 साल से नही है लोकायुक्त, प्राप्त हो रही लगातार शिकायतें 

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड में भले ही 8 सालों में लोकायुक्त का पद रिक्त हो लेकिन लोकायुक्त कार्यालय को लोक सेवकांे के विरूद्व शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही है। इससें इस बात को बल मिलता है कि शिकायतों पर कार्यवाही की आशंका के चलते प्रदेश के जिम्मेदार लोक सेवकों द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति में रूचि नही ली जा रही है जबकि इसके लिये सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त आदेश कर दिये हैं। 

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने लोकायुक्त उत्तराखंड कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखण्ड लोकायुक्त कार्यालय में प्राप्त शिकायतों व उसने निस्तारण के संबंध में सूचनाये मांगी थी। इसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी ने अपने पत्रांक 1504 दिनांक 12 अक्टूबर से प्रथम लोकायुक्त जस्टिस एचएसए रजा के कार्य भार ग्रहण करने की तिथि 24.10.2002 सें दूसरे व अब तक के अंतिम लोकायुक्त जस्टिस एमएम घिल्डियाल के कार्यभार छोड़ने की तिथि 31.10.2013 तथा इसकेे उपरान्त लोकायुक्त का पद रिक्त रहने की तिथि 01.11.2013 से 11.10.2021 तक प्राप्त व निस्तारित शिकायतों के विवरणांे की फोटो प्रतियां उपलब्ध करायी है।

उपलब्ध विवरणों के अनुसार प्रथम लोकायुक्त द्वारा कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से सूचना उपलब्ध कराने की तिथि से पूर्व दिनांक 11.10.2021 तक लोकायुक्त कार्यालय को कुल 8515 भ्रष्टाचार आदि की शिकायतंे/परिवाद लोक सेवकों के विरूद्व प्राप्त हुई, इसमें से 950 शिकायतें लोकायुक्त का पद रिक्त रहने के दौरान पिछले 8 वर्षों में हुई हैं। इनमें से कुल 6920 शिकायतों का निस्तारण लोकायुक्त रहने के दौरान किया गया तथा कुल 1595 शिकायतें 11 अक्टूबर 21 कोे लोकायुक्त कार्यालय में लोकायुक्त के इंतजार में लम्बित है।

उपलब्ध विवरण के अनुसार लोकायुक्त कार्यालय द्वारा निस्तारित कुल 6,920 शिकायतों में 477 शिकायतों में सीधे राहत प्रदान की गयी जबकि 6,443 शिकायतों को परीक्षणोपरान्त विभागांे को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित एवं निस्तारित कर दिया गया। 

लोकायुक्त का पद रिक्त होने की तिथि 01-11-2013 सेें सूचना उपलब्ध कराने की तिथि 11-10-2021 तक प्राप्त शिकायतों में 01-11-2013 से 31-12-2014 तक 422, वर्ष 2015 में 181, वर्ष 2016 में 97, वर्ष 2017 में 86 वर्ष 2018 में 54, वर्ष 2019 में 67 कोविड महामारी के वर्ष में भी 24 शिकायतें ;परिवाद) तथा 2021 में (11 अक्टूबर तक) 19 शिकायतें प्राप्त हुई है। इस प्रकार कुल 1595 परिवाद (भ्रष्टाचार की शिकायतें) लोकायुक्त के इंतजार में लम्बित है।

लोकायुक्त कार्यालय में प्राप्त व निस्तारित परिवाद का विवरण इस प्रकार से है। वर्ष 2002 में 89 परिवाद प्राप्त हुए जिसमें से 0 निस्तारित किए गए। 2003 में 846 में से 288 परिवाद निस्तारित हुए। इसी तरह से 2004 में 829 परिवादों में से 475 परिवाद निस्तारित हुए। 2005 में 993 में से 945 परिवाद निस्तारित हुए। 

वर्ष 2006 में प्राप्त 802 परिवाद में से 803 निस्तारित हुए। 2007 में प्राप्त 905 में से 551, 2008 को 564 में से 560, 2009 को 555 में से 497, 2010 को प्राप्त 561 में से 403, 2011 को 721 में से 562, 2012 को 767 में से 744, 2013 को 522 में से 503 और अक्टूबर तक रिक्त रहने के दौरान 950 परिवाद 01-11-13 से 11-10-2021 तक प्राप्त हुए।

नमिता घोष व सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’ को लगा जीत का प्रथम तिलक

 नमिता घोष व सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’ को लगा जीत का प्रथम तिलक 



संवाददाता

इंदौर/मप्र। मातृभाषा हिंदी पर अपनी श्रेष्ठ लेखनी चलाकर इस बार स्पर्धा में श्रीमती नामिता घोष (गद्य) ने जीत का तिलक लगाया तो सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’ (पद्य) में प्रथम आई हैं। ऐसे ही स्पर्धा में डा0 आशा मिश्रा ‘आस’ और ममता तिवारी को द्वितीय विजेता घोषित किया गया है। 

हिंदी के प्रचार हेतु हिंदीभाषा डाट काम परिवार की तरफ से स्पर्धाओं का दौर जारी है। मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने बताया कि इस 38वीं स्पर्धा में भी सबने खूब उत्साह दिखाया। इसी क्रम में ‘भारत की आत्मा ‘हिंदी व हमारी दिनचर्या’ विषय पर आयोजित स्पर्धा में गद्य में प्रथम स्थान छग से नमिता घोष (हिंदी मेरी पहचान अस्मिता) को दिया गया है। इसी वर्ग में (महाराष्ट्र) से डा0 आशा मिश्रा ‘आस’ (विश्व में हिन्दी का परचम लहराएं) ने दूसरा एवं प्रो0 शरद नारायण खरे (मप्र) ने तृतीय स्थान पाया है। 

आपने बताया कि श्रेष्ठता अनुरुप निर्णायक मंडल ने पद्य विधा में ‘हिंदी है अभिमान’ के लिए सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’ (महाराष्ट्र) को प्रथम विजेता घोषित किया है। इसी प्रकार ‘हिंदी रोचक वर्णमाला’ हेतु श्रीमती ममता तिवारी (छत्तीसगढ़) को दूजा तथा ‘हिंदी भाषा मधुर मुस्कान है’ पर जबरा राम कंडारा (राजस्थान) तीसरा विजेता स्थान दिया गया है।

श्रीमती जैन ने बताया कि 1.25 करोड़ दर्शकों-पाठकों का अपार स्नेह पा चुके इस मंच की संयोजक सम्पादक प्रो0 डा0 सोनाली सिंह व मार्गदर्शक डा0 एमएल गुप्ता ‘आदित्य’ ने सभी विजेताओं तथा सहभागियों को हार्दिक बधाई-शुभकामनाएं देते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया है।

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई

 एसजेवीएन में सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन

कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई




संवाददाता                                                              देहरादून। एसजेवीएन 26 अक्तूबर से 01 नवम्बर तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह मना रहा है।  इस वर्ष सतर्कता जागरूकता सप्ताह का थीम ''स्वतंत्र भारत@75 सत्यनिष्ठा से आत्मनिर्भरता'' है।
भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़ाई में एक जिम्मेदार संगठन होने की प्रतिबद्धता के साथ और कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को प्रोत्साहित करते हुए निदेशक (कार्मिक) श्रीमती गीता कपूर ने सभी कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई।  इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक सुरेश कुमार ठाकुर, उप मुख्य सतर्कता अधिकारी अश्वनी भारद्वाज, एसजेवीएन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित उपस्थित थे।
इस अवसर पर श्रीमती गीता कपूर ने कहा कि एसजेवीएन का प्रत्येक कर्मचारी ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा  के उच्चतम मानकों को बनाए रखने तथा जीवन के सभी क्षेत्रों में ईमानदारी और विधि के नियमों का अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। कोविड-19 के कारण सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों  को  ध्यान मे रखते हुए कारपोरेट मुख्यालय शिमला में पब्लिक एड्रेस सिस्टम के माध्यम से शपथ दिलाई गई। इसी प्रकार एसजेवीएन के विभिन्न  कार्यालयों तथा परियोजना स्थलों में कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई गई।
इस सप्ताह के दौरान एक सतर्क एवं समृद्ध भारत बनाने के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्यश से एसजेवीएन की सभी परियोजनाओं और कार्यालयों में कर्मचारियों, विद्यार्थियों तथा ना‍गरिकों के लिए क्विज, नारा लेखन तथा भाषण प्रतियोगिताओं जैसी विभिन्न इन हाऊस और आऊटरीच गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।

ऐरे गैरों के बस की नहीं है दूसरों के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य करना

 ऐरे गैरों के बस की नहीं है दूसरों के लिए निःस्वार्थ भाव से कार्य करना



हरीश बड़थ्वाल

नई दिल्ली। अपने खाने, रहने और सुख-सुविधाएं जुटाने का काम तो निम्नकोटि के जीव भी बखूबी कर लेते हैं। सफल, सार्थक उसी मनुष्य का जीवन है, परहित में कार्य करते रहना जिसकी फितरत बन जाए।

प्रकृति की भांति दुनिया में और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत कुछ ऐसा घटित होता है जिसे तर्क या सहज बुद्वि से नहीं समझा जा सकता। बड़े-बड़े दिग्गज तक गच्चा खाते दिखते हैं। तब अहसास जगता है कि कोई महाशक्ति समस्त चराचर जगत को संचालित, निदेशित कर रही है जिसे ईश्वर कहते हैं। मनुष्य सहित सभी जीवों के पालक और रक्षक केवल ईश्वर हैं।

यह महाशक्ति मनुष्य तथा समस्त सजीव-निर्जीव अस्मिताओं की जननी है अतः अन्य जीवों की सेवा करने और उनके संरक्षण से हम ईश्वरीय विधान की अनुपालना में योगदान देते हैं। एक धारणा के अनुसार सेवा करना उस ठौर का किराया है जिसका हम उपभोग करते हैं। सेवा में लगे व्यक्ति आपको प्रसन्नचित्त मिलेंगे। ज्ञान प्राप्ति का प्रयोजन भी मानव सेवा है। स्वामी विवेकानंद ने कहा, दूसरे की सहायता के लिए आगे बढ़ते हाथ प्रार्थना करते ओठों से अधिक पुण्यकारी हैं। एक दार्शनिक ने कहा, ‘हम सभी अंतरिक्ष में विचरते उस पृथ्वीरूपी वायुयान वायुयान (स्पेसक्राफ्रट) में सेवादार यानी परिचर टीम के सदस्य हैं जिसमें कोई यात्री नहीं है।’



सेवा को सभी पंथों में पुण्य और सराहनीय कर्म माना जाता है। सेवा के लिए परहित का भाव अनिवार्य है तथा सेवा वही सार्थक होगी जो बिना किसी शर्त, निस्स्वार्थ भाव से संपन्न की जाए। धन-संपदा, पद, प्रसिद्वि के उद्देश्य से संपादित कार्य सेवा नहीं सेवा का आडंबर हैं।

देने वाला कभी निर्धन नहीं रहता। प्रभु उन्हें विपन्न नहीं होने देते जिसमें देने का भाव हो। निष्ठा से, स्व-अर्जित में से एक अंश जरूरतमंद को देना सेवा का मुख्य घटक हैं। धर्मग्रंथों में उसी तीर्थाटन के फलीभूत होने का उल्लेख है जहां यात्रा का व्यय भी अपनी शुद्व आय से उठाया जाए, अनैतिक आय या अनुदान से नहीं। सेवाकर्मी श्रद्वा और सामर्थ्य अनुसार दूसरे व्यक्ति या संस्था को उसकी आवश्यकता या अपेक्षा के अनुसार धन, वस्तु, सुविधा या सेवा प्रदान करते हैं। असमर्थ, वंचित, निर्धन की सेवा धन, वस्त्र आदि देना तथा मान्य व्यक्ति को उसके उपयोग की वस्तु प्रदान करना सच्ची सेवा है। बेसहारा या परित्यक्त बच्चों का संभरण, उनकी शिक्षा या चिकित्सा में सहायता उच्चस्तरीय सेवा है। वृद्वजनों, विशेषकर साधन विहीन मातापिता की सेवा इतने भर को मान लेना चाहिए जब हम उन्हें खुशी-खुशी साथ रखें, उन्हें बोझ न समझें और उनका निरादर न करें।

सेवा की प्रक्रिया में सेवाभोगी और उससे अधिक सेवादार लाभान्वित होते हैं। पहले पक्ष को उस आवश्यक सामग्री या सेवा की आपूर्ति होती है जो दूसरे पक्ष के पास आवश्यकता से अतिरिक्त है। निम्न सोच के व्यक्ति को सेवा की नहीं सूझती, वह इसे तुच्छ या अपमानजनक समझता है। कार्य कोई भी छोटा नहीं होता। गुरुद्वारे या मंदिर में दूसरों के जूते चमकाने, प्रसाद खिलाने या भांडे साफ करने से किसी का दर्जा नहीं गिरता।

सेवा एक उच्च कोटि का मानवीय कृत्य है। ‘सेवा का मौका दें’ की तख्ती लगाए, अनेक कारोबारी इस पुनीत शब्द की आड़ में घिनौने, व्यापारिक हित साधते हैं। गंजे को कंघी और अनपढ़ को अखबार बेच डालने वालों सहित, प्रत्येक चलते-फिरते को मूंडने वाला आपकी सेवा करने का दावा कता है। सेवा भाव के प्रति उदासीन व्यक्ति को नहीं कौंधता कि विचार से समृद्व व्यक्ति ही जरूरतमंद को संबल दे सकता है। मनोयोग से सेवा करने वाला परालौकिक आनंद से धन्य होता है।

लेखक की अनेक रचनाओं के लिए उनके ब्लाग (www.bluntspeaker.com) पर जाएं।


14 साल बाद महंगी हो रही माचिस की डिब्बी

 14 साल बाद महंगी हो रही माचिस की डिब्बी

दाम बढ़ने में कच्चे माल की कीमतों का अहम रोल



प0नि0डेस्क

देहरादून। माचिस की कीमत 14 साल बाद दोगुनी हो रही है। एक दिसंबर 2021 से माचिस की एक डिब्बी के लिए 1 रुपए की जगह 2 रुपए खर्च करने होंगे। आखिरी बार 2007 में माचिस के दाम 50 पैसे से बढ़ाकर 1 रुपए किए गए थे। कीमतों में बढ़ोतरी की वजह माचिस को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल के दामों में बढ़ोतरी है। 5 प्रमुख मैचबाक्स इंडस्ट्री बाडी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में शिवकाशी में मीटिंग की थी जिसमें माचिस की एमआरपी बढ़ाने का फैसला लिया गया।

मैन्युफैक्चरर्स ने बताया कि माचिस बनाने के लिए 14 तरह के कच्चे माल का उपयोग किया जाता है। एक किलो रेड फास्फोरस के दाम 425 रुपए से बढ़कर 810 रुपए हो गए हैं। वैक्स भी 58 रुपए के बजाय अब 80 रुपए में मिलता है। आउटर बाक्स बोर्ड के दाम 36 रुपए से 55 रुपए और इनर बाक्स बोर्ड 32 रुपए से 58 रुपए का हो गया है।

10 अक्टूबर से बाक्स बोर्ड, पेपर, स्प्लिंट्स, पोटेशियम क्लोरेट और सल्फर की कीमतें बढ़ गई हैं। इनके अलावा फ्रयूल की कीमतों में बढ़ोतरी ने ट्रांसपोर्ट की लागत को बढ़ा दिया है। इन सभी चीजों ने मैचबाक्स इंडस्ट्री को दाम बढ़ाने के लिए मजबूर किया है।

तमिलनाडु में लगभग 4 लाख लोगों को इस इंडस्ट्री से रोजगार मिलता है। इनमें से 3 लाख लोग प्रत्यक्ष और 1 लाख लोग अप्रत्यक्ष तौर से इंडस्ट्री से जुड़े हैं। डायरेक्ट इम्प्लाई में 90 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं। माचिस बनाने वालों को बाक्स बनाने की उनकी क्षमता के आधार पर भुगतान किया जाता है। महिलाओं को प्रतिदिन 240 से 280 रुपए और पुरुषों को 300 रुपए से 350 रुपए मिलते हैं।

हालांकि कई लोग मनरेगा के तहत काम करने में रुचि दिखा रहे हैं क्योंकि वहां उन्हें इससे ज्यादा भुगतान किया जाता है। ऐसे में इंडस्ट्री को उम्मीद है कि बेहतर भुगतान करके ज्यादा स्टेबल वर्कफोर्स को अट्रैक्ट किया जा सकेगा। देश में सबसे ज्यादा माचिस का प्रोडक्शन तमिलनाडु में होता है। माचिस के मैन्युफैक्चरिंग सेंटर शिवकाशी, विरुधुनगर, गुडियाथम और तिरुनेलवेली में स्थित हैं।

रविवार, 24 अक्तूबर 2021

करवा चौथ व्रत से मिले अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

 करवा चौथ व्रत से मिले अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद



इस बार करवा चौथ व्रत की तिथि और चंद्र अर्घ्य का शुभ मुहूर्त

प0नि0डेस्क

देहरादून। सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ किसी उत्सव से कम नहीं है। हिंदू धर्म में करवा चौथ का व्रत अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। यह कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत करती हैं साथ ही इस दिन निराहार रहा जाता है। दिन भर अन्न-जल के बिना व्रत रखने के पश्चात् महिलाएं रात में चंद्र देव के दर्शन करती हैं और अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके अपना व्रत पूरा करती हैं। 

वर्ष 2021 में करवाचौथ का व्रत किस तारीख को रखा जाएगा और इस व्रत को करने से कौन कौन से लाभ मिलते हैं। तो बता दें कि पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर ही करवा चौथ का व्रत किया जाता है।

चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 24 अक्टूबर को प्रातः 3 बजकर 1 मिनट से है। जबकि चतुर्थी तिथि का समापन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर होगा।

व्रत से जुड़े नियमों के अनुसार करवा चौथ का व्रत चन्द्रोदयव्यापिनी मुहूर्त में रखा जाना चाहिए इसलिए साल 2021 में करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर रविवार के दिन ही रखा जाएगा। वर्ष 2021 में करवा चौथ के मौके पर चंद्रमा के उदय होने का समय रात 8 बजकर 7 मिनट है। इस समय पर चंद्र देव का पूजन करें। इसके बाद दूध, अक्षत, जल से उन्हें अर्घ्य दें।

करवा चौथ व्रत की पूजन विधिः करवा चौथ का व्रत करने वाली महिलाएं भोर निकलने से पहले ही उठकर सरगी का सेवन कर लेती हैं। सुबह जल्दी स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। इस दिन करवा चौथ की कथा सुनने अथवा पढ़ने का विशेष महत्व है। महिलाएं एक लोटे में जल और हाथ में चावल रखकर कथा का श्रवण करे। इसके बाद तुलसी पर जल चढ़ाएं। दिनभर निर्जला और निराहार व्रत करें। रात में चंद्रोदय होने पर दर्शन के बाद सजी हुई पूजा की थाली से पूजा शुरू करें। सभी देवी देवताओं का स्मरण कर आशीर्वाद लें और उन्हें तिलक लगाएं। चंद्रमा की पूजा करें। 

सबसे पहले अर्घ्य दें और छलनी से पहले चंद्रमा को देखें और इसके बाद पति को छलनी से देखें। अब पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें। घर के बड़ों का आशीर्वाद जरुर लें। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। पति की उम्र लंबी होती है। दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। आपस में विश्वास बढ़ता है और रिश्ता मजबूत होता है।


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उत्तराखंड में 293 करोड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे कोे शेेष

 उत्तराखंड में 293 करोड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे कोे शेेष

1 विधायक की आधी तथा 1 विधायक की 90 प्रतिशत विधायक निधि खर्च

सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी सूचना से हुआ खुलासा



संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड केे वर्तमान विधायकों को 2017 से सितम्बर 2021 तक कुल 1256.50 करोड़ रूपयेे की विधायक निधि उपलब्ध हुुई जबकि उसमें सेे सितम्बर 2021 तक केवल 77 प्रतिशत 963.40 करोड़़ की विधायक निधि ही खर्च होे सकी। 23 प्रतिशत 293.10 करोेड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे को शेष हैै। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को र्ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना सेे यह मामला प्रकाश मेें आया हैै।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन नेे उत्तराखंड केे ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय सेे विधायक निधि खर्च सम्बन्धी सूचना मांगी थी। जिसके उत्तर मेें लोक सूचना अधिकारी/उपायुक्त (प्रशासन) हरगोविंद भट्ट द्वारा अपनेे पत्रांक 1702 केे साथ विधायक निधि वर्ष 2017-18 से 2022-22 का विवरण सितम्बर 2021 उपलब्ध कराया है। जिसमें सितम्बर 2021 के अंत तक की विधायक निधि खर्च का विवरण दिया गया हैै।

उपलब्ध सूूचना केे अनुुसार उत्तराखंड के 71 विधायक को 17.75 करोड़ रूपयेे प्रति विधायक की दर सेे 1256.50 करोड़ रूपयेे की विधायक निधि सितम्बर 2021 तक उपलब्ध करायी गयी। इसमें सेे अक्टूबर 2021 केे प्रारंभ मंेे रूपये 293.10 करोड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे कोे शेष हैै।  

उत्तराखंड के 71 विधायकों में से 12 विधायकांे की 70 प्रतिशत से कम विधायक निधि खर्च हुई है जबकि 1 विधायक की केवल 50 प्रतिशत विधायक निधि ही खर्च हुई हैै। जबकि 90 प्रतिशत विधायक निधि खर्च होने वालेे विधायकों में केवल एक विधायक शामिल हैै। सबसेे कम विधायक निधि 50 प्रतिशत खर्च वालों में केदारनाथ विधायक मनोज रावत है। जबकि सर्वाधिक 90 प्रतिशत खर्च वाले नैैनीताल विधायक संजीव आर्य हैै।

उपलब्ध सूचना के अनुसार 60 प्रतिशत विधायक निधि खर्च वाले विधायक धनसिंह है। 61 से 65 प्रतिशत खर्च वालेे विधायकों में महेश नेेगी, सुरेन्द्र सिंह नेगी, सहदेेव पुण्डीर शामिल हैै। 66 से 70 प्रतिशत वालों में प्रीतम सिंह, मगन लाल शाह, मदन सिंह कौशिक, मुन्ना सिंह चौहान, करन मेहरा, पुष्कर सिंह धामी, विनोद चमोली, महेन्द्र भट्ट शामिल हैै।

71 से 75 प्रतिशत खर्च वाले विधायकोें में प्रेम चन्द्र, यशपाल आर्य, सुरेन्द्र सिंह जीना, राजकुमार ठुकराल, केदार सिंह रावत, खजान दास, हरवंश कपूर, गोविन्द सिंह कुंजवाल, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, सतपाल महाराज, राजकुमार, विजय सिंह पंवार, सुबोध उनियाल शामिल है।

76 से 80 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में राजेश शुक्ला, हरीश सिंह धामी, हरभजन सिंह चीमा, हरक सिंह, उमेश शर्मा, दीवान सिंह बिष्ट, पूरन सिंह पफर्त्याल, भारत सिंह चौैधरी, इन्द्रा हृदयेश, अरविन्द पाण्डे, आदेश सिंह चौैहान (जसपुर), रेखा आर्य, देशराज कर्णवाल, बलवन्त सिंह, रितु खण्डूरी, सुरेश राठौैर, चन्द्र पंत, ममता राकेश, शक्तिलाल शाह, रघुराम चौैहान, कैलाश गहतोड़ी, चन्दन राम दास शामिल है। 

81 से 85 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों मेें दिलीप सिंह रावत, गणेेश जोशी, यतीश्वरानन्द, बिशन सिंह चुफाल, प्रेम सिंह राणा, मुकेश कोली, जीआईजी मैनन, मीना गंगोला, काजी निजामुद्दीन, प्रीतम सिंह पंवार, संजय गुप्ता, विनोद भण्डारी, सौैरभ बहुगुणा, प्रदीप बत्रा शामिल हैै। 

86 से 90 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में कंुवर सिंह चैम्पियन, राम सिंह केड़ा, पफुरकान अहमद, आदेश चौैहान (रानीपुर), बंशीधर भगत, धन सिंह नेेगी, नवीन चन्द्र दुम्का, गोपाल सिंह रावत, तथा संजीव आर्य शाामिल हैै।

मंत्रियों की विधायक निधि खर्च विवरण इस प्रकार से है। पुष्कर सिंह धामी खटीमा का खर्च 69 प्रतिशत अवशेष 557 लाख, बंशीधर भगत कालाढूंगी खर्च 87 प्रतिशत अवशेष 229 लाख, यतीश्वरानन्द हरिद्वार ग्रामीण 81 प्रतिशत अवशेष 333 लाख, बिशन सिंह चुफाल डीडीहाट 81 प्रतिशत अवशेष 331 लाख, अवशेष 557 लाख, यशपाल आर्य बाजपुर 71 प्रतिशत अवशेष 519 लाख, सतपाल महाराज चौबट्टाखाल 72 प्रतिशत अवशेष 495 लाख, हरक सिंह रावत कोटद्वार 77 प्रतिशत अवशेष 415 लाख, डा0 धनसिंह रावत श्रीनगर 60 प्रतिशत अवशेष 717 लाख, गणेश जोशी मंसूरी प्रतिशत का खर्च 81 प्रतिशत अवशेष 346 लाख, सुबोध उनियाल नरेन्द्र नगर का खर्च 75 प्रतिशत अवशेष 443 लाख, रेखा आर्य सोमेश्वर का खर्च 78 प्रतिशत अवशेष 391 लाख, अरविन्द पाण्डे बाजपुर का खर्च 78 प्रतिशत अवशेष 394 लाख। 

जिलांे में सबसे कम व ज्यादा अवशेष वाले विधायक इस प्रकार से है। जिला उत्तरकाशी विधायक गोपाल सिंह 166.61, केदार सिंह रावत 507.51, टिहरी धनसिंह नेेगी 224.39, विजयसिंह पवार 459.54, देहरादून जीआईजी मैैनन 311.46 प्रीतम सिंह 600.56, हरिद्वार आदेश चौैहान 231.91, मदन कौशिक 571.33 पौैड़ी मुकेश कोली 327.72, डा0 धनसिंह रावत 717.23, रूद्रप्रयाग भरत सिंह 403.06, मनोज रावत 878.80, चमोली महेन्द्र भट्ट 536.08, सुरेन्द्र सिंह 631.86, बागेश्वर चन्दनराम दास 352.87, बलवन्त सिंह 376.90, अल्मोड़ा रघुनाथ चौहान 356.73, महेश नेगी 660.04, नैैनीताल संजीव आर्या 169.38, दीवान सिंह बिष्ट 405.96, उधमसिंह नगर सौैरभ बहुगुणा 273.22, पुष्कर सिंह धामी 556.76, चम्पावत कैलाश गहतोड़ी 353.96, पूरन सिंह 404.53, पिथौैरागढ़ बिशन सिंह 331.31, हरीश सिंह धामी 426.92।


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नेपाल के हुम्ला जिले पर चीन ने किया कब्जा

 नेपाल के हुम्ला जिले पर चीन ने किया कब्जा

बाड़ लगाकर घेरा इलाका, स्थानीय लोगों को आने से रोका



एजेंसी

काठमांडू। चीन ने अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए नेपाल के हुम्ला जिले में तार बाड़ लगा दिए हैं। इस बात की जानकारी नेपाल के गृह मंत्रालय द्वारा गठित स्टडी पैनल की रिपोर्ट में दी गई है। गृह मंत्रालय के हवाले से न्यूज वेबसाइट काठमांडू पोस्ट ने बताया है कि हुम्ला में नेपाल चीन सीमा पर कई दिक्कतों की पहचान की गई है। पैनल की अध्यक्षता करने वाले संयुक्त सचिव जय नारायण ने सितंबर में फील्ड स्टडी करने के बाद इस मसले पर गृह मंत्री बाल कृष्ण खांड को रिपोर्ट सौंप दी है।

रिपोर्ट के मुताबिक हुम्ला में नेपाल-चीन सीमा पर पिलर संख्या 4 से 13 तक कई दिक्कतों का पता चला है। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को कुछ सिफारिशें भी की हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जिस सीमा का उल्लंघन हुआ है। उसका निर्धारण चीन और नेपाल के बीच साल 1963 में हुआ था। तभी सीमा को चिन्हित करने के लिए खंभे लगाए गए थे लेकिन चीन ने इसी सीमा का उल्लंघन करके नेपाल के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, यहां उसने बाड़ लगा दिए हैं।

काठमांडू पोस्ट में कहा गया है कि ऐसा पाया गया है कि चीन ने नेपाली क्षेत्र में बाड़ लगाए हैं। नेपाली क्षेत्र में ही चीन 145 मीटर की नहर भी बना रहा है। वह यहां सड़क भी बनाना चाह रहा है। जानकारी मिलते ही नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल ने इसका विरोध किया। यहां लगाए गए बाड़ आदि को हटाया गया। जिसका मलबा दिखाई दे रहा है। चीन ने पिलर 6 (1) की तारों से घेराबंदी की है जो नेपाली क्षेत्र में पड़ता है। चीन ने पिलर 6 (1) और पिलर 5 (2) के बीच वाले क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दिखाने की कोशिश की है। जब नेपाल के स्थानीय अधिकारी यहां पहुंचे तो उन्हें चीन की तरफ का पिलर 7 (2) दिखाई ही नहीं दिया।

इसके बाद पता चला कि चीन सीमा नियमों का उल्लंघन कर रहा है। पैनल की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पिलर 5 (2) और पिलर 4 के बीच चीन नेपाल के लोगों को अपने मवेशियों को चराने की इजाजत नहीं दे रहा। वो लोगों को उन्हीं के इलाके में आने से रोक रहा है। नेपाल सरकार ने ये मुद्दा चीनी दूतावास के जरिए चीन सरकार के सामने उठाया है। इस मामले को सुलझाने के लिए कई दौर की चर्चा भी हुई है। नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच फोन पर बातचीत हुई है। इस दौरान इन्होंने सीमा विवाद पर भी बात की है।


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शनिवार, 23 अक्तूबर 2021

 


पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि पर रोक के लिए न्यायालय से मोर्चा ने लगाई गुहार    

            
 # सरकार का नियंत्रण न होने से दिन- प्रतिदिन हो रही वृद्धि             
# सरकार जनता को लूट कर ही भरना चाहती है खजाना              
# जनता की बर्बादी पर सरकार बनी है तमाशबीन          संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार व तेल कंपनियों द्वारा पेट्रोल-डीजल के दाम में दिनों-दिन की जा रही बेहताशा वृद्धि को रोकने हेतु उच्च न्यायालय से स्वत: संज्ञान लेकर मामले में कार्रवाई करने को लेकर पत्र प्रेषित कर आग्रह किया है।      
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल के दामो को नियंत्रण मुक्त कर जनता को लूटने का काम किया जा रहा है। वैश्विक स्तर पर क्रूड आयल के दाम कम होने के बावजूद भी ईंधन के दाम में बेहतशा वृद्धि सरकार के नापाक इरादों की ओर इशारा करती है। ऐसे समय में जब क्रूड ऑयल के दाम 70-75 डॉलर प्रति बैरल हों, ऐसे में ईंधन महंगा बेचना सरासर लूट है। पूर्ववर्ती केंद्र सरकार द्वारा संभवत: वर्ष 2009-10 में पेट्रोल को सरकार के नियंत्रण से मुक्त कर दिया गया था तथा एक- दो वर्ष पहले डीजल को भी मुक्ति प्रदान की गई थी, लेकिन तत्कालीन सरकार द्वारा इसमें सब्सिडी देकर व अन्य प्रयास से मूल्य वृद्धि पर एक तरह से अंकुश लगाने का काम किया गया था। वर्तमान में इसका परिणाम यह हुआ कि पेट्रोल लगभग ₹103 एवं डीजल लगभग 95 के पार हो गया, जिसका सीधा- साधा असर महंगाई को बढ़ाने में हुआ।        
नेगी ने कहा कि मूल्य वृद्धि के चलते आमजन का जीना मुहाल हो गया है तथा लोग अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा ईंधन की मूल्य वृद्धि एवं महंगाई  की मार झेलने में जाया कर रहे हैं।                    
नेगी ने कहा कि इस अलोकतांत्रिक (जिसका जन भावनाओं में विश्वास न हो) सरकार से मूल्य वृद्धि पर रोक लगाने का आग्रह करना बेमानी है।              
नेगी ने कहा कि मोर्चा ने स्वत: संज्ञान का आग्रह इसलिए किया गया है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति, अगर कभी भी, किसी राजनैतिक दल का सदस्य रहा हो अथवा उसका किसी दल से अब संबंध भी न हो, तो भी न्यायालय जनहित याचिका पर संज्ञान नहीं लेता।

शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2021

शपथ पत्र के आधार पर हो श्रमिक कार्ड जारी: मोर्चा

 कार्य प्रमाण पत्र की बाध्यता हटाकर  शपथ पत्र के आधार पर हो श्रमिक कार्ड जारी: मोर्चा           


            

# कार्य प्रमाण पत्र की बाध्यता के चलते हो रहा श्रमिकों का आर्थिक शोषण                    

# डेढ़-दो हजार  खर्च करने के बावजूद भी मिलता है झूठा कार्य प्रमाण पत्र             

# कई-कई दिन चक्कर काटने के बाद जाकर मिलता है ठेकेदार से प्रमाण पत्र       
# श्रमिकों के हितों को लेकर मोर्चा देगा शासन में दस्तक 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि श्रम विभाग (कर्मकार कल्याण बोर्ड) की गाइड लाइन के अनुसार श्रमिक कार्ड बनवाने हेतु श्रमिक को किसी पंजीकृत ठेकेदार द्वारा प्रदत कार्य प्रमाण पत्र के आधार पर ही श्रमिक कार्ड जारी हो सकता है। उक्त अव्यवस्था के चलते गरीब श्रमिकों को कार्य/अनुभव प्रमाण पत्र हासिल करने हेतु लगभग डेढ़-दो हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं तथा कई-कई दिन ठेकेदार के चक्कर लगाने पड़ते हैं, तब जाकर कहीं झूठा प्रमाण पत्र विभागीय औपचारिकता पूर्ण करने के लिए मिल पाता है। कई श्रमिक कार्य प्रमाण पत्र के अभाव में अपना पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं, जिस कारण इनको विभाग की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।      
नेगी ने कहा कि विभाग द्वारा मात्र शपथ पत्र के आधार पर पंजीकरण तो कर लिया जाता है, लेकिन जब श्रमिक द्वारा कार्ड लेने हेतु विभाग से अनुरोध किया जाता है तो उस समय कार्य/अनुभव प्रमाण पत्र की मांग की जाती है, जिस कारण इनको अपनी दिहाड़ी- मजदूरी से भी हाथ धोना पड़ता है।                
मोर्चा शीघ्र ही मजदूरों के हितों को लेकर कार्य प्रमाण पत्र की बाध्यता समाप्त कराने को लेकर शासन में दस्तक देगा।      
पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।

एसजेवीएन उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के क्षेत्र में निवेश का इच्छुक

 एसजेवीएन उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के क्षेत्र में निवेश का इच्छुक



सीएम धामी से भेंट के दौरान शर्मा ने जताई निवेश की इच्छा
देहरादून। एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं के क्षेत्र में निवेश की इच्छा जताई है। यह इच्छा उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से एक भेंट में जाहिर की। 
उन्होंने बताया की एसजेवीएन ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से बढ़ता हुआ उपक्रम है और वर्तमान में यह देश ही नहीं अपितु नेपाल और भूटान में भी जल विद्युत के साथ ही पवन उर्जा, ताप उर्जा एवं सौर उर्जा के क्षेत्र में कार्यरत है। उन्होंने बताया की उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन 60 मेगावाट की नैटवार मोरी जल विद्युत परियोजना निर्माण के अग्रिम चरण में है और इसे जून 2022 तक पूरा किए जाने की सम्भावना है। उन्होंने टौंस एवं यमुना वैली में अन्य परियोजनाए भी एसजेवीएन को आवंटित करने का अनुरोध किया।
नन्द लाल शर्मा ने बताया कि एसजेवीएन का वर्ष 2020-21 टैक्स से पूर्व कुल लाभ 2168.67 करोड़ है जोकि अभी तक का सर्वाधिक है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में एसजेवीएन के पास 8032 करोड़ का रिजर्व है। उन्होंने कहा की एसजेवीएन की वर्तमान में विद्युत उत्पादन क्षमता 2016.51 मेगावाट है इसके अतिरिक्त एसजेवीएन ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के क्षेत्र में भी कार्यरत है। 
उन्होंने बताया की एसजेवीएन के पोर्टफोलियो में वर्तमान में 11000 मेगावाट से अधिक की विद्युत परियोजनाएं है और हाल ही में एसजेवीएन को ईरेडा के माध्यम से 1000 मेगावाट की ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी सौर परियोजना रिक्वेस्ट आफ प्रपोजल के माध्यम से प्राप्त हुई है। 
नन्द लाल शर्मा ने बताया की निगम इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात में भी 345 मेगावाट के सोलर पावर प्रोजेक्ट के निर्माण में कार्यरत है। कंपनी लघु-मध्यम-दीर्घकालिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एसजेवीएन ने 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12000 मेगावाट तथा 2040 तक 25000 मेगावाट प्राप्त करने का एक साझा विजन रखा है। 
नन्द लाल शर्मा ने उत्तराखंड में चल रही परियोजनाओं एवं अन्य नवीन परियोजनाओं के निर्माण को लेकर मुख्य सचिव एसएस सन्धु एवं सचिव (उर्जा) श्रीमती सौजन्या से भी भेंट की और उनसे एसजेवीएन को उत्तराखंड में निर्माणाधीन परियोजनाओं के शीघ्र निर्माण के लिए राज्य सरकार के अपेक्षित सहयोग एवं अन्य परियाजनाएं आवंटित करने का अनुरोध किया। 
इस अवसर पर एसजेवीएन के कार्यपालक निदेशक वी शंकरनारायण, एसके सिंह मुख्य महाप्रबन्धक एवं परियोजना प्रमुख नैटवार मोरी जल विद्युत परियोजना, आशीष पंत वरिष्ठ अपर महाप्रबन्धक भी उपस्थित थे।  

रविवार, 17 अक्तूबर 2021

कै0 रावत ने कांग्रेस पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष पद पर पूरा किया दस वर्ष

 कै0 रावत ने कांग्रेस पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष पद पर पूरा किया दस वर्ष 



कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने कै0 रावत की नियुक्ति की थी

संवाददाता

देहरादून। कैप्टन बलवीर सिंह रावत ने उत्तराखंड़ कांग्रेस के पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष के तौर पर अपने दस वर्ष का कार्यकाल पूरा किया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यालय 24 अकबर रोड नई दिल्ली में 17 अक्टूबर 2011 को पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष पद पर कैप्टन बलबीर सिंह रावत की नियुक्ति की थी। तब से लेकर आज तक 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाले कै0 रावत ने इस मौके पर श्रीमती सोनिया गांधी एवं हरीश रावत का धन्यवाद बदा किया। 

कै0 रावत ने कहा कि उन्हें अपने इस दस वर्ष के कार्यकाल में कांग्रेस के चार प्रदेश अध्यक्षों के कुशल नेतृत्व मंे सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि वे यशपाल आर्य, किशोर उपाध्याय, प्रीतम सिंह तथा वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का आभार व्यक्त करते है। 

कैप्टन बलबीर सिंह रावत का कहना है कि भले ही उनके 10 वर्षों के अध्यक्षीय  कार्यकाल में कांग्रेस पार्टी को विशेष उपलब्धियां हासिल ना हुई हो लेकिन जहां तक उन्हें याद है वे वर्ष 2011 में 6000 किलोमीटर की प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा में धारचूला से नीति-माना तक तथा पिरान कलियर से चकराता और उत्तरकाशी तक यशपाल आर्य के साथ समस्त प्रदेश के भ्रमण पर निकले थे। इसके अलावा अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ईमानदारी से कांग्रेस पार्टी की अलख जगा के रखी है। 

कै0 रावत ने कहा कि उन्होंने पूर्व सैनिकों साथियों को यथासंभव कांग्रेस पार्टी के साथ जोड़े रखा साथ ही विपक्ष पर प्रहार करने में कोई कमी व कोर कसर नहीं छोड़ी  है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य 2022 में पार्टी को सत्ता में लाना है। इसके लिए ईमानदारी से अपने फर्ज को अदा कर रहें है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दस वर्ष पूरा होने पर प्रदेश के समस्त वरिष्ठ कांग्रेसजनों एवं कांग्रेस कार्यकर्ता धन्यवाद अदा किया।

भारतीय सेना ने कैम्ब्रियन पेट्रोल अभ्यास में स्वर्ण पदक जीता

भारतीय सेना की टीम ने ब्रेकान, वेल्स (यूके) में आयोजित कैम्ब्रियन पेट्रोल अभ्यास में स्वर्ण पदक जीता



एजेंसी

नई दिल्ली। भारतीय सेना की 4/5 गोरखा राइपफल्स (प्रफंटियर फोर्स) की एक टीम ने ब्रिटेन के ब्रेकन वेल्स में प्रतिष्ठित कैम्ब्रियन पेट्रोल अभ्यास में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए स्वर्ण पदक हासिल किया।

ब्रिटेन की सेना द्वारा आयोजित एक्स कैम्ब्रियन पेट्रोल को मानवीय सहनशक्ति, टीम भावना की महत्वपूर्ण परीक्षा माना जाता है और इसे कभी-कभी दुनियाभर की सेनाओं के बीच मिलिट्री पेट्रोलिंग के ओलंपिक के रूप में जाना जाता है।

भारतीय सैन्य दल ने इस आयोजन में भाग लेते हुए कुल 96 टीमों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की, जिसमें दुनिया भर से विशेष बलों और प्रतिष्ठित रेजिमेंटों का प्रतिनिधित्व करने वाली 17 अंतर्राष्ट्रीय टीमें शामिल थीं।

अभ्यास के दौरान दुर्गम इलाकों और जबरदस्त ठंड के मौसम में इन सैन्य बलों के प्रदर्शन के लिए टीमों का मूल्यांकन किया गया था। अभ्यास के दौरान दुनिया की दुर्गम स्थितियों के अलावा विभिन्न चुनौतियों का सामना किया गया ताकि युद्व की परिस्थितियों में उनकी प्रतिक्रियाओं का आकलन किया जा सके।

भारतीय सेना की टीम की सभी न्यायाधीशों ने विशेष रूप से उनके उत्कृष्ट नौवहन कौशल, पेट्रोल आदेशों को पूरा करने और समग्र शारीरिक सहनशक्ति के लिए भरपूर रूप से सराहना की।

ब्रिटिश सेना के चीफ आफ जनरल स्टाफ जनरल सर मार्क कार्लेटन स्मिथ ने एक औपचारिक समारोह में टीम के सदस्यों को स्वर्ण पदक प्रदान किया। इस वर्ष 96 भाग लेने वाली टीमों में से केवल तीन को ही अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोलिंग दल के इस अभ्यास के छठे चरण तक स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया है।

शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

ज्यादा चाय पीते है तो सावधान हो जाइए

 ज्यादा चाय पीते है तो सावधान हो जाइए



कोई घर आए तो अतिथि को पहले चाय  पूछते है 

प0नि0डेस्क

देहरादून। दो सौ वर्ष पहले भारतीय घरों में चाय नहीं होती थी। अंग्रेजों की वजह से ऐसा हो गया है कि कोई भी व्यक्ति घर आता है तो उससे चाय के लिए पूछा जाता है। कई लोग आफिस में दिन भर चाय लेते है। उपवास के दौरान भी लोग चाय का सेवन करते है। डाक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब-सिगरेट या तम्बाकू छोड़ने को कहेगा लेकिन चाय नहीं क्योंकि किताबों में इसका सेवन न करने के लिए पढ़ाया नहीं गया और वह खुद इसका सेवन करता है। लेकिन बता दें कि यदि किसी अच्छे वैद्य के पास जाएंगे तो वह पहले सलाह देगा कि चाय ना पियें। चाय की हरी पत्ती पानी में उबाल कर पीने में कोई बुराई नहीं परन्तु जहां यह फार्मेंट होकर काली हुई, सारी बुराइयां इसमें आ जाती है।

हमारा देश गर्म देश है और चाय गर्मी को बढ़ावा देती है। चाय के सेवन करने से शरीर में उपलब्ध विटामिन्स नष्ट होते हैं। इसके सेवन से स्मरण शक्ति नष्ट होने लगती है। चाय का सेवन लिवर, रक्त आदि की वास्तविक उष्मा को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है। चाय में उपलब्ध कैपफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है, अतः चाय का अधिक सेवन प्रायः हृदय के रोग को उत्पन्न करने में सहायक होता है। चाय में मौजूद कैफीन तत्व रक्त को दूषित करने के साथ शरीर के अवयवों को भी कमजोर करता है। चाय पीने से खून गन्दा हो जाता है जिसके कारण चेहरे पर लाल फुंसियां निकल आती है।

जो लोग चाय बहुत पीते है उनकी आंतें जवाब दे जाती है। कब्ज घर कर जाती है और मल निष्कासन में कठिनाई आती है। चाय पीने से कैंसर तक होने की संभावना रहती है। चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है और न्यूरोलाजिकल गड़बड़ियां आ जाती है। चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्रा नलिकायें निर्बल हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने वाले व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। 

चाय की आदत को छोड़ने के लिए यह जरुरी हैं कि व्यक्ति पहले अपने मन में दृढ़ संकल्प कर लें की चाय नहीं पिएंगे। एक दो दिन सिर दर्द हो सकता है लेकिन फिर आप सोचेंगे अच्छा हुआ छोड़ दी। सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी ले। चाहे तो उसमे आंवले के टुकड़े और थोड़ा एलोवेरा मिला दे। सुबह गर्म पानी में शहद निम्बू या तरह तरह की पत्तियां या फूलों की पंखुड़ियां भी डाल कर पी सकते है। इस प्रकार आप अपने चाय की बुरी आदत से मुक्ति पा सकते हैं।

गुरुवार, 14 अक्तूबर 2021

कुमाऊं के डाकघरो के चौथाई से अधिक पद रिक्त

 कुमाऊं के डाकघरो के चौथाई से अधिक पद रिक्त



अल्मोड़ा, नैैनीताल, पिथौरागढ़ मंडलों के अधीक्षकों द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से खुलासा

डाकघरों में समुचित रूप सेे डाक सेेवायें न मिलने का प्रमुख कारण बड़ी संख्या में डाकघरों में पद रिक्त होना

संवाददाता

काशीपुर।  कुमाऊं के डाकघरों में समुचित रूप से डाक सेवायें न मिलने का एक प्रमुख कारण डाकघरोें के बड़ी संख्या में पद रिक्त होना हैै। कुमाऊं के तीनों अल्मोड़ा, नैैनीताल, पिथौरागढ़ डाक मण्डलों के डाकघर अधीक्षकांे द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता को उपलब्ध करायी गयी सूचना से यह खुलासा हुआ। 

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने डाक विभाग के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड के डाकघरों तथा उन्हें नियंत्रित व प्रबंधन करने वाले कार्यालयोें में कर्मचारी अधिकारियों के स्वीकृत, कार्यरत व रिक्त पदोें की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में कुमाऊं मंडल के उधमसिंह नगर, नैनीताल जिले सहित नैैनीताल मण्डल के प्रवर अधीक्षक डाकघर, अल्मोड़ा व पिथौैरागढ़ मण्डल के अधीक्षक डाकघरों ने सूचना उपलब्ध करायी है। 

उपलब्ध सूचना के अनुसार कुमाऊं के तीनों मण्डलों में कुल अधिकारी कर्मचारियों के 3,170 पद स्वीकृत हैै, जिसमें केवल 2,344 पदों पर अधिकारी कर्मचारी कार्यरत हैै तथा 26 प्रतिशत 836 पर रिक्त हैै। रिक्त पदों में ग्रुप ए जिसमें प्रवर अधीक्षक डाकघर आदि आते है, का 1 पद स्वीकृत हैै, वह रिक्त हैै। गु्रप बी के अधीक्षक डाकघर, डाक निरीक्षक, डाकघरों के वरिष्ठ अधिकारी आते हैैं, इनके कुल 92 में से 61 (66 प्रतिशत) पद रिक्त हैै। गु्रप सी में डाकघरोें के अधिकारी, कर्मचारी, पोस्टमैन आदि के पद आते हैं। कुल 907 में से 317 पद 35 प्रतिशत रिक्त हैं जबकि मल्टी टास्किंग सर्विस (एमटीएस) जिसमें पैैकर, लैैटर बाक्स चपरासी, स्वीपर, फरास, चौैकीदार आते हैै, के 125 पदों में से 46 प्रतिशत 58 पद रिक्त हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामीण डाक सेेवक केे कुल 2,054 पदों में से 19 प्रतिशत 308 पद रिक्त हैं। 

के0 लोक सूचना अधिकारी/प्रवर अधीक्षक डाकघर नैनीताल द्वारा अपने पत्रांक 259 से उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार नैैनीताल डाक मण्डल में कुल 1126 स्वीकृत पदों में से केवल 770 कार्यरत हैै तथा 32 प्रतिशत 355 पद रिक्त है। गु्रप ए के कुल 1 पद में 1 पद, गु्रप बी के कुल 36 स्वीकृत पदों में से 67 प्रतिशत 24 पद, ग्रुप सी के 386 पदों में से 38 प्रतिशत 145 पद तथा गु्रप सी-एमटीएस के 74 पदों में से 36 प्रतिशत 47 पद रिक्त हैैं। ग्रामीण डाक सेवक के कुल 628 पदोें में से 25 प्रतिशत 158 पद रिक्त हैं।

के0 लोक सूचना अधिकारी एवं अधीक्षक डाकघर अल्मोड़ा मण्डल बीएस भण्डारी द्वारा अपनेे पत्रांक बी-1 से उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार कुल 762 स्वीकृत पदों में से 636 कार्यरत है तथा 17 प्रतिशत 126 पद रिक्त है। रिक्त पदों में ग्रुप बी के 35 में से 24 (69 प्रतिशत), गु्रप सी के 309 में से 102 (35 प्रतिशत) पद रिक्त है। जबकि ग्रामीण डाक सेवकों के 418 मे ंसे सभी 418 पद कार्यरत है। 

के0 लोक सूचना अधिकारी एवं अधीक्षक डाकघर, पिथौरागढ़ मण्डल ललित जोशी द्वारा पत्रांक ए-2 से उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार मण्डल में 1,292 स्वीकृत पदों में से 938 कार्यरत हैै तथा 27 प्रतिशत 354 पद रिक्त हैैं। इसमें गु्रप बी के 21 पदों में से 13 (62 प्रतिशत), र्ग्रुप सी के 212 पदों में से 70 (33 प्रतिशत), गु्रप सी-एमटीएस के 51 पदांे में से 31 (61 प्रतिशत) तथा ग्रामीण डाक सेवकों के 1008 स्वीकृत पदोें में से 240 (24 प्रतिशत) पद रिक्त हैैं।




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बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

57 अंक वाला पास 70 वाला फेल

 57 अंक वाला पास 70 वाला फेल



ग्राम्य विकास विभाग में मोर्चा ने लगाया गडबडी का आरोप
# ग्राम विकास अधिकारी के पद पर चयन का है मामला 
# न्यायालय के निर्देश पर काबिल अभ्यर्थी को चयन करने के दिए गए थे निर्देश                 
# विभाग ने पहले आवत, पहले पावत के द्वारा कर दिया खेल  
# मोर्चा प्रकरण को ले जाएगा शासन में  
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि ग्रामीण विकास विभाग द्वारा वर्ष 2011-12 में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर भर्ती हेतु अधियाचन उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद को प्रेषित कर परीक्षा संपन्न कराने का जिम्मा दिया गया, जिसमें लिखित परीक्षा में अहर्ता हेतु न्यूनतम 40 अंक निर्धारित किए गए थे तथा शारीरिक दक्षता परीक्षा का प्रावधान भी किया गया था। उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने मेरिट के आधार पर सिर्फ उच्चतम अंक हासिल करने वाले को ही शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु आमंत्रित किया तथा न्यूनतम अहर्ता हेतु निर्धारित अंक 40 एवं उससे अधिक वालों को शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु आमंत्रित नहीं किया गया।
न्यूनतम अहर्ता हासिल करने वाले कुछ युवाओं द्वारा उच्च न्यायालय की शरण ली गई, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 6/4/18 व 9/4/18 के द्वारा निर्णय दिया गया कि जिन अभ्यर्थियों ने न्यूनतम अहर्ता अंक 40 प्राप्त किए हों, उन सभी को शारीरिक दक्षता परीक्षा हेतु बुलाया जाए तथा काबिल अभ्यर्थियों को नियुक्ति प्रदान की जाए।                   
नेगी ने कहा कि उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद ने उक्त निर्देश के क्रम में शारीरिक दक्षता परीक्षा संपन्न कराई एवं जिन अभ्यर्थियों ने न्यायालय की शरण ली थी, उन्हीं के मुताबिक  मेरिट सूची बनाकर ग्रामीण विकास विभाग को भेजी, जिस पर विभाग ने 57.25 अंक हासिल करने वाले अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी को वर्ष 2020 में नियुक्ति प्रदान कर दी, लेकिन 70.75 अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थी के साथ-साथ 62 से 65 अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिसमें तर्क दिया गया पहले आवत, पहले पावत के सिद्धांत के आधार पर नियुक्ति प्रदान की गई है। नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि प्रदेश में सिफारिश विहीन एवं संसाधन विहीन युवा छले जा रहे हैं। मोर्चा शीघ्र ही इस अनियमितता के खिलाफ शासन में दस्तक देगा।       
पत्रकार वार्ता में अमित जैन व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।

प्रेमनगर के दशहरा मैदान स्थित बैडमिंटन कोर्ट समिति को सौंपें जाने की मांग

 प्रेमनगर के दशहरा मैदान स्थित बैडमिंटन कोर्ट समिति को सौंपें जाने की मांग



आवारा पशुओं के लिए भूमि की मांग को लेकर कैण्ट बोर्ड के मुख्य अधिशासी अधिकारी से मुलाकात

संवाददाता

देहरादून। सिटीजन्स पफार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स द्वारा देहरादून कैण्ट बोर्ड की मुख्य अधिशासी अधिकारी सुश्री तनु जैन से प्रेमनगर के दशहरा मैदान के निकट विधायक निधि से बनाये गये बैडमिटन कोर्ट को समिति को सौंपे जाने हेतु तथा प्रेमनगर क्षेत्र में सड़कों पर आवारा घूमने वाले गोवंश पशुओं की देखरेख तथा रहन-सहन हेतु कैण्ट बोर्ड द्वारा समिति को कुछ भूमि आवंटित किये जाने हेतु मुलाकात की और इस सम्बन्ध में पत्र भी प्रेषित किया। मुख्य अधिशासी अधिकारी ने समिति को एक सप्ताह के भीतर दोनों मुददों पर कार्यवाही कर समिति को सूचना प्रदान करने का आश्वासन दिया है।

समिति के अध्यक्ष राम कपूर ने मुख्य अधिशासी अधिकारी कैण्ट बोर्ड को अवगत कराया कि पिछले वर्ष उक्त बैडमिंटन कोर्ट विधायक निधि से तैयार हो चुका है, जिसमें 68 लाख रुपये खर्च हुए है और इसका तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा लोकार्पण भी किया जा चुका है लेकिन अभी तक उक्त कोर्ट जस की तस हालात में है और इसके बाहर कूड़े का अंबार लगा रहता है। समिति द्वारा मुख्य अधिशासी अधिकारी को उक्त बैडमिंटन कोर्ट को स्वयं चलाने अथवा सिटीजन्स फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स को सौंपे जाने हेतु निवेदन किया गया ताकि स्थानीय निवासियों तथा बच्चों को इसका लाभ प्राप्त हो सके। इसके साथ समिति के अध्यक्ष राम कपूर ने यह भी बताया कि प्रेमनगर क्षेत्र में आवारा गोवंशों की भरमार हो रखी है, जो आये दिन किसी ना किसी दुर्घटना के शिकार होते है या किसी दुर्घटना को अंजाम देते है। इन आवारा गोवंश पशुओं की रक्षा, खानपान तथा रहन सहन की व्यवस्था समिति द्वारा की जायेगी यदि कैण्ट बोर्ड द्वारा कुछ भूमि समिति को इस कार्य हेतु प्रदान कर दी जाये।

इस अवसर पर सिटीजन्स फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स समिति के उपाध्यक्ष अमर सिंह, अमरनाथ कुमार, शम्भू शुक्ला, आलोक आहूजा, आरके हाण्डा तथा राजेश बाली मौजूद रहे।


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गरीब दंपतियों की वृद्धावस्था पेंशन बहाली को मोर्चा की तहसील में दस्तक

 गरीब दंपतियों की वृद्धावस्था पेंशन बहाली को मोर्चा की तहसील में दस्तक



संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में घेराव कर प्रदेश के गरीब पति-पत्नी दोनों (दंपतियों) को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन बहाली को लेकर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसडीएम की गैरमौजूदगी में तहसीलदार विकासनगर सोहन सिंह  को सौंपा।                  

इस दौरान नेगी ने कहा कि वर्तमान में गरीबों हेतु वृद्धावस्था पेंशन पति-पत्नी (दंपति) में से मात्र एक को ही मिलने का प्रावधान है, जबकि 4-5 वर्ष पहले तक पति-पत्नी  दोनों को पेंशन मिलती थी।                       

नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि अगर एक परिवार में पति-पत्नी दोनों विधायक हैं तथा बेटे भी विधायक, सांसद हैं तो सबको पेंशन मिलती है, लेकिन जब गरीबों को कुछ देने की बात आती है तो उनका हक छीन लिया जाता है, जोकि सरासर गलत है। बड़े शर्म की बात है कि जब विधायकों, सांसदों को अपनी पेंशन, वेतन-भत्तों व सुविधाओं को बढ़ाना होता है तो एक ही झटके में बिल पास हो जाता है, लेकिन गरीबों के समय बजट, धन का अभाव हो जाता है।                        

नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा पति-पत्नी में से सिर्फ एक को ही पेंशन देने संबंधी फरमान से इनकी परेशानी में काफी इजाफा हो गया है। अधिकांश गरीब दंपत्ति इसी पेंशन के सहारे अपनी गुजर-बसर कर रहे थे। सरकार को गंभीरता से इस पर विचार करना चाहिए, ताकि गरीबों का बुढ़ापा आत्मनिर्भरता के साथ सम्मानपूर्वक कट सके।                    

घेराव में विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, ओपी राणा, मो0 गालिब, मो0 असद, मो0 इसरार, जय देव नेगी, जयकृत नेगी, परवीन शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज, सचिन शर्मा, टीकाराम उनियाल, संदीप ध्यानी, जयपाल सिंह, चौ0 मामराज, निर्मला देवी, सुनील पसबोला, अमित कुमार, कमल कुमार, संध्या गुलेरिया, सुषमा देवी, राजेश्वरी क्लार्क, जाबिर हसन, रवि कुमार, सुमेर चंद आदि शामिल थे।


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सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

पुरानी पेंशन बहाली एवं संगठन की मजबूती पर जोर

 राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के तत्वाधान में बैठक आयोजित 



पुरानी पेंशन बहाली एवं संगठन की मजबूती पर जोर

संवाददाता

देहरादून। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड के तत्वाधान में कुमाऊं मंडल के पदाधिकारियों और सदस्यों की अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश पदाधिकारियों, मंडल, जनपद, ब्लाक पदाधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए अपने विचार रखे।

बैठक में प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने संगठन को मजबूत करने हेतु संबोधित किया। प्रदेश महामंत्री सीताराम पोखरियाल ने एक टीम भावना से कार्य करने पर सभी को बधाई दी। प्रदेश महिला अध्यक्ष योगिता पंत ने सभी से संगठन हित में एकजुट होने का आह्वान किया। बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा0 डीसी पसबोला ने संगठन की मजबूती पर बल दिया।

इस दौरान वेबिनार में जुड़े नए साथियों का स्वागत किया गया तथा कुमाऊं मंडल महामंत्री सुबोध काण्डपाल और मंडल उपाध्यक्ष राजीव कुमार द्वारा सभी नए साथियों को संगठन को मजबूत करने हेतु अहम जिम्मेदारियां भी सोंपी।

बैठक में अल्मोड़ा से जिला उपाध्यक्ष रजनी रावत, त्रिवेंद्र सिंह, गणेश चंद्र, दयाल सिंह बिष्ट, मनोज रावत, गुरप्रीत कौर, जितेंद्र रावत, सुश्री मीना, अनामिका चंद, सुशील चंद्र, पिथौरागढ़ से बंशीधर जोशी, योगेश भारती, मुकेश उपाध्याय, नैनीताल जनपद से डा0 प्रदीप मेहरा, केडी सिंह, अमर चौधरी, चंपावत जनपद से दीपक जोशी, हीरा भट्ट, बागेश्वर जनपद से राजेन्द्र देव, भावना, उधमसिंहनगर से मोहन सिंह राठौर, देवेंद्र सिंह आदि ने संगठन के प्रति अपना समर्पण व्यक्त कर संगठन को मजबूती से आगे बढाने की बात कही।

प्रांतीय प्रेस सचिव डा0 कमलेश कुमार मिश्र ने कहा कि जनता  नेताओं के दोहरे चरित्रा को समझ चुकी है और पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे पर कर्मचारियों के साथ है। कुमाऊं मंडल महामंत्री सुबोध काण्डपाल ने कहा कि जनपद एवं विकासखंड स्तर पर भी नए सदस्यों को जिम्मेदारियां दी जायेंगी। मंडल उपाध्यक्ष राजीव कुमार बताया कि शीघ्र ही कुमाऊं मंडल में एक अधिवेशन किया जायेगा। जिसके विषय मंे अग्रिम बैठक में सूचना प्रसारित कर दी जाएगी।

वक्ताओं में नरेश कुमार भट्ट ने भी संगठन को मजबूती प्रदान कर रहे साथियों की सराहना की। प्रदेश अध्यक्ष अनिल बडोनी ने कुमाऊं कार्यकारिणी को बैठक के सपफल आयोजन हेतु बधाई दी एवं बैठक के समापन की घोषणा की।


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हरीश रावतः न लीपने के न पोतने के

 समाचार समीक्षा

न काहू से दोस्ती न काहू से बैर, सच को सच कहने की हिम्मत

हरीश रावतः न लीपने के न पोतने के

असम, पंजाब और उत्तराखंड़ में डूबा दी कांग्रेस

                                                                              जी हजूर

जगमोहन सेठी

देहरादून। आप यकीन करें या न करें यह कड़वा सच है कि उत्तराखण्ड के चुनाव में इस बार हिंसात्मक घटनाओं के घटित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। यह एक कड़वा सच्चाई है कि चुनाव में आम आदमी पार्टी और हरीश कांग्रेस गुट के बीच एक अन्दरूनी समझौता हो चुका है कि जहां आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार जीतने के हालात में होगा वहां कांग्रेस आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देकर जीतने में मद्द करेगी और जहां कांग्रेसी उम्मीदवार जीताऊं होगा, आम आदमी पार्टी कांग्रेस के पक्ष में समर्थन करके भाजपा के उम्मीदवार को शिकस्त देगी। 

अन्दरूनी चुनावी हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा चुनाव तो जीतेगी लेकिन रोते-रोतेे बहुमत पाएगी। नतीजतन सत्ता में तो आएगी लेकिन रो-रो कर सरकार बनाएगी। तो वहीं कांग्रेस में सिर फुटव्वल होने के कारण सत्ता के करीब पहुंचकर भी सत्ता से दूर रहेगी। हरीश रावत पिछली बार दो निर्वाचन क्षेत्रों से हार जाने के कारण अपनी हीन कुण्ठाओं के शिकार हो गये हैं। वे अपने किसी भी राजनीति साथी के बढते कद को देखकर बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। उन्हें नहीं पता चलता कि वह सही कर रहे हैं या नहीं। हरदा पर अब कोई यकीन करने को तैयार नहीं है। नतीजतन उसके पुराने साथी उन्हें छोड़़कर अलग हो गये है। अलग होते-होते उन्होंने हरीश रावत के लाखों रूपयों की दौलत को डकारने के बाद हरदा से मुंह मोड़़ लिया है और कुछ परिपक्व कांग्रेसी नेताओं ने तो चुप्पी साध ली है। 

हम एक है

नतीजतन हरदा अपना विवेक और मानसिक संतुलन खो बैठे। क्या बोल रहे है? उसका क्या अर्थ होगा? हाई कमान क्या बोलेगा? उनकी समझ में नहीं आ रहा। यह भी एक अन्दरूनी हकीकत है कि हरीश रावत यह कभी नहीं बर्दाश्त कर सकते कि उत्तराखण्ड कांग्रेस में कोई चेहरा उनके मुकाबले में उभर कर सामने आए। शुरू से ही हरीश रावत आरै प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रीतम सिंह के बीच अच्छे रिश्ते नहीं रहे हैं और दोनों  एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। अपनी राजनीतिक रंजिश निकालने को हरदा किसी भी सीमा तक जा सकते है। हरीश रावत का यह दुर्गुण कहिये या फिर बर्दाश्त न कर पाने की कुंठा, उनके मानसिक संतुलन को सही रखने के लिये कांग्रेस हाई कमान ने उन्हें उत्तराखण्ड निर्वाचन समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया, इसके बावजूद अपनी कुण्ठा वह शान्त नहीं कर पा रहे है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल जो हरीश रावत के चहेत दुलारे रहे हैं। उनकी बदौलत वह अध्यक्ष बने। यह माना जा रहा था कि गणेश गोदियाल के माई-बाप हरीश रावत ही हैं। उनके अलावा कांग्रेस में उनका कोई समर्थक नहीं है लेकिन अचानक गणेश गोदियाल और हरीश रावत में उस वक्त ठन गयी जब हरीश रावत ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा गणेश गोदियाल के नेतृत्व में लिये गये फैसले को हरीश रावत ने ठुकरा दिया और अपने राजपुर स्थित आवास पर आयोजित समारोह में उसी फैसले को लागू कर दिया। इस समारोह में  प्रदेश कांग्रेस कमेटी और कांग्रेसजनों को नहीं बुलाया गया। शायद हरीश रावत ने यह बताने की कोशिश करी की वह उत्तराखण्ड कांग्रेस के बेताज बादशाह है। बकौल गणेश गोदियाल उनके नेतृृत्व में लिये गये फैसले को कांग्रेस भवन से ही लागू होना था। 

इस समारोह में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लेना था, लेकिन हरीश रावत ने तानाशाही दिखाते हुये अपने आवास से ही गणेश गोदियाल के नेतृत्व में लिये गये फैसले को लागू कर दिया। हरीश रावत की ऐसी बचकाना हरकतें पहले भी कई बार पार्टी के लिये परेशानी का कारण बन चुकी है। जिस तौर तरीके से हरीश रावत ने भाजपा के कर्मठ नेता आर्येन्द्र शर्मा को नीचा दिखाने के लिये अपनी मुंहबोली बहन राजपुर क्षेत्र की प्रभावशाली किन्नर रजनी रावत को उकसाकर सहसपुर में सम्मेलन का आगाज कराया और हाई कमान को यह दिखाने की कोशिश की कि किन्नर समाज के कांग्रेसी विचारधारा के लोग उनके साथ है। 

गौरतलब है कि किन्नर रजनी रावत राजनीतिक रूप से महत्वकांक्षी होने के कारण हरीश रावत, रजनी रावत को अपनी बहन बनाकर अक्सर चुनाव में अपने विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं। मूल कांग्रेसी नेता न होकर अपराधिक नेताओं के जमावड़े को इस्तेमाल करते हुए दिल्ली में बैठे नेताओं को यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि उत्तराखण्ड के कांग्रेसी नेता अभी भी उनके साथ जुड़े हुए है। शायद इसलिए पंजाब कांग्रेस को विवादित बनाने के बाद हरीश रावत ने जिस तौर तरीके से सोनिया गांधी के लिए अपील की है कि सोनिया गांधी की इस तकलीफ की घड़ी में सभी को एकजुट होकर उनके साथ खड़ा होना चाहिये, लेकिन उनकी इस अपील का कोई खास असर नहीं हुआ। 

हरीश रावत ने पिछले चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को उनके निर्वाचन क्षेत्र टिहरी से चुनाव न लड़वाकर अपनी राजनीतिक खुंदक निकालने के लिये सहसपुर निर्वाचन क्षेत्र से अधिकृत कांग्रेसी उम्मीदवार आर्येन्द्र शर्मा के खिलाफ किशारे उपाध्याय को चुनाव लड़वाया और दबाव डाला कि किसी भी हालत में उन्हें चुनाव जीतने नही देना चाहिये। नतीजतन दोनों ही उम्मीदवार हार गये और बाद मंे किशोर उपाध्याय और हरीश रावत में भी ठन गयी। नतीजतन प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय न घर के रहे न घाट के। तो दूसरी तरफ हरीश रावत भी दो निर्वाचन क्षेत्रों से एक साथ चुनाव लड़ने के बावजूद दोनों ही क्षेत्रों से पराजित हो गये और मानसिक रूप से हरीश रावत को राजनीतिक झटका लगा। हरीश रावत की इस नापाक हरकत न जाने कैसे दिल्ली मंे बेठै राहुल गांधी ने बर्दाश्त कर लिया कि हरीश रावत ने अपनी मर्जी से प्रदेश कांग्रेस के फैसले को पलट दिया। उनकी इस हरकत से कांग्रेस के अन्दर दिल्ली हाई कमान से लेकर उत्तराखण्ड तक हलचल शुरू हो गयी। 

कांग्रेस के दिग्गज लोगों का मानना है कि हरीश रावत ने ऐसी हरकत जानबूझ कर की है ताकि वह दिल्ली में बैठी त्रिमूर्ति गांधी परिवार से अपना बदला ले सके। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का यह मानना है कि हरीश रावत किसी भी हालत में अपने विरोधी को नहीं भुलते और उन्हें सबक सिखाने के लिये मौके की तलाश में रहते है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि जब विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने के लिये गांधी परिवार ने हामी भर दी जिससे हरीश रावत मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गये। हरीश रावत इस झटके को आज तक नहीं भूल पाये है और न ही विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के पद पर चैन से बैठने दिया। 

राजनीतिक खुंदक निकालने के लिये वह किसी भी सीमा तक जा सकते है। इसके कांग्रेस इतिहास में दर्जनों जीते जागते उदाहरण हैं। असम, पंजाब और उत्तराखण्ड में  हरीश रावत की इन हरकतों ने कांग्रेस को मौत की कगार पर लाकर खडा़ कर दिया है। गौरतलब है कि कांग्रेस कमेटी ने किशोर उपाध्याय जो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके है, शुरूआत में हरीश रावत के करीबी विश्वास पात्रों में रहे हैं, यह भी कहा जाता है कि प्रीतम सिंह अपने अध्यक्ष के कार्यकाल में  दिल्ली हाई कमान से हरीश रावत की शिकायतें करते आए हैं। नतीजतन दिल्ली में बैठे हाई कमान के नेताओं ने फैसला ले लिया कि हरीश रावत को असम कांग्रेस का प्रभारी बनाकर भेज दिया जाए। इसके बावजूद हरीश रावत असम कांग्रेस को सम्भालने में कामयाब नहीं हो सके। जिसके बाद हाई कमान ने पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बनाकर उन्हें पंजाब भेज दिया लेकिन यहां भी उन्होंने अपने खुराफाती सोच के कारण पंजाब कांग्रेस में  गुटबाजी को उकसाकर कांग्रेस पार्टी को अपनी अंतिम सांसों तक पहुंचा दिया। कुछ नेताओं का तो यह कहना है कि हरीश रावत शुरू से ही अपनी खुराफाती सोच के लिये जाने पहचाने जाते है।

अन्दरूनी सच यह है कि वह किसी न किसी तौर तरीके से अपने लड़के को राजनीतिक रूप से स्थापित करना चाहते है लेकिन अपने अस्थिर विचारों के कारण खुद ही अपने बेटे की तरक्की में बाधक बने हुये। जो लोग आर्येन्द्र शर्मा का विरोध कर रहे है उनमें से एक हाल ही में जेल से छूट कर आया कैदी है जिसको समाचार पत्रों में कांग्रेसी नेता दिखाया गया है जबकि एक अन्तरजातीय जमीनों की खरीद फरोख्त करने वाले दम्पती को कांग्रेसी नेता दिखाते हुए समाचार प्रकाशित कराया गया। हरीश रावत चाहते थे कि किसी तरह से उत्तराखण्ड में उनका परचम लहराये लेकिन ऐसा हो नही सका। हरीश रावत को अपने ही घर में जबरस्त विरोध झेलना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ सोनिया गांधी परिवार ने अपनी आंखो पर पट्टी बांधकर हरीश रावत की पार्टी विरोधी गतिविधियों को नजरअंदाज किया हुआ है।

एक वक्त था जब हरीश रावत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बनने के लिये अपना दबाव दस जनपथ पर बनाने के लिये गढ़वाल और कुमाऊं के कार्यकर्ताओं को दिल्ली में बुलाकर अपनी ताकत को दिखाना चाहते थे लेकिन इसके बावजूद विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया गया। वर्तमान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, प्रीतम सिंह के खिलाफ हरदा द्वारा पर्दे के पीछे रहकर राजनीति करने के कारण कांग्रेसियों में भारी गुस्सा है। लोग अब खुलकर कहने लगे है कि हरदा भाजपा सरकार के तेज तर्रार मंत्री हरक सिंह रावत से डरते और घबराते है। दोनों के बीच राज्य बनने के वक्त से ही छत्तीस का आंकड़ा चला आ रहा है। इसमें कोई शक नहीं की जहां हरक सिंह रावत दोस्तों के दोस्त है तो वहीं हरीश रावत अपने दोस्तों और सगे सम्बन्धियों से केवल अपने स्वार्थ के कारण जुड़े हुए है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अगले वर्ष विधान सभा चुनाव में हरीश रावत न घर के रहेंगे न घाट के। यह हकीकत लगती है कि हरीश रावत उत्तराखण्ड राज्य में कांग्रेस को शून्य बनाने में भाजपा को अपना पूरा सहयोग अपने तौर तरीके से दते रहे है।

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बूथ कैप्चरिंग के पुराने खिलाड़ी!

                                                                     कथावाचक महाराज

हरक सिंह रावत ही एकमात्र ऐसे मंत्री है जिनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऋषिकेश में मुलाकात के दौरान पीठ थपथपाई और पूछा हरक जी आप कैसे है? और उनका हालचाल पूूछा। पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड दूसरे उत्तराखण्डी नेता रहे जिनकी प्रधानमंत्री मोदी ने मंच से तारीफ की और उनकी सैन्य पारिवारिक पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए उन्हें दूरदृष्टा और ऊर्जावान मुख्यमंत्री बताया। 

मुकदमेबाजी में माहिर कबीना मंत्री सतपाल महाराज और मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष भाजपा के बीच चल रही मुकदमेबाजी क्या रंग दिखाती है, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा। महाराज के राजनीतिक इतिहास को खंगाला जाये तो चुनाव के दौरान बूथ कैप्चरिंग के तथ्य उजागर होते है। संभवतया सतपाल महाराज इस तथ्य के उजागर होने पर परेशान हो लेकिन हकीकत जग जाहिर है। 

दूसरों को उपदेश देना और खुद निवार्चन सम्बन्धी लूटपाट कर अपराध करना सतपाल महाराज जैसी शख्शियत में कथनी करनी का अन्तर बताता है यानी धामी मंत्रीमण्डल के कथावाचक कबीना मंत्री सतपाल महाराज, मुंह में राम बगल में छुरी वाली कहावत को चरितार्थ करते है। मुख्यमंत्री धामी के मंत्रीमण्डल में मुख्यमंत्री पद के महत्वकांक्षी, बूथ कैप्चरिंग करने के माहिर सतपाल महाराज शामिल है। यह भी एक कड़वा सच है कि सतपाल महाराज ने कई बार दिल्ली जाकर हाई कमान से अपनी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताते हुए पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत की शिकायतें दर्ज करायी थी लेकिन सतपाल महाराज की हरकतों को देखकर उनकी शिकायतों पर गौर नही किया गया। 

इसमें कोई  शक नही है कि वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वभाव से सरल है। सतपाल महाराज की शतरंज की चाल की तरह की हरकतों और साजिशों को नजरअंदाज कर रहे है। बाकी सतपाल महाराज के बारे में कहा जाता है कि आचार संहिता के लागू होते ही पलटी मारकर आम आदमी पार्टी में जाने के लिये आप नेताओं से संपर्क साधे हुए है।

नोटः यदि कोई पक्षकार इस समाचार से सम्बन्धित अपना प्रमाणित स्पष्टीकरण भेजेगा तो हम अपनी टिप्पणी के साथ निष्पक्ष पत्रकारिता के सिद्वान्त पर उसे भी प्रकाशित करेंगे।

सम्पर्क सूत्रः jagmohan_journalist@yahoo.com, jagmohanblitz@gmail.com

रविवार, 10 अक्तूबर 2021

विधायक दंपति को पेंशन तो गरीब दंपति को वृद्धावस्था पेंशन क्यों नहीं: मोर्चा

विधायक दंपति को पेंशन तो गरीब दंपति को वृद्धावस्था पेंशन क्यों नहीं: मोर्चा            


   

# वृद्धावस्था पेंशन पति-पत्नी दोनों को मिलती थी कुछ वर्ष पहले तक           
# 4-5 साल से सरकार  सिर्फ एक को ही दे रही पेंशन    
# मोर्चा गरीबों की आवाज को पहुंचाएगा सरकार तक    संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि वर्तमान में गरीबों हेतु वृद्धावस्था पेंशन पति- पत्नी (दंपति) में से मात्र एक को ही मिलने का प्रावधान है, जबकि 4-5 वर्ष पहले तक पति-पत्नी  दोनों को पेंशन मिलती थी।                       
नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि अगर एक परिवार में पति-पत्नी दोनों विधायक हैं तथा बेटे भी विधायक/ सांसद हैं तो सबको पेंशन मिलती है, लेकिन जब गरीबों को कुछ देने की बात आती है तो उनका हक छीन लिया जाता है, जोकि सरासर गलत है। 
बड़े शर्म की बात है कि जब विधायकों-सांसदों को अपनी पेंशन, वेतन- भत्तों व सुविधाओं को बढ़ाना होता है तो एक ही झटके में बिल पास हो जाता है, लेकिन गरीबों के समय बजट' धन का अभाव हो जाता है।                    नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा गरीबों की पेंशन बंद कर उनकी परेशानी को बढ़ाने का काम है | सरकार को गंभीरता से इस पर विचार करना चाहिए, ताकि गरीबों का बुढ़ापा आत्मनिर्भरता के साथ सम्मानपूर्वक कट सके।                    
मोर्चा शीघ्र ही गरीबों की आवाज को सरकार तक पहुंचाएगा।              
पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व संदीप  ध्यानी मौजूद थे।

मन को समझाएं, शरीर तो इसका आज्ञाकारी सेवक है

 मन को समझाएं, शरीर तो इसका आज्ञाकारी सेवक है

- हरीश बड़थ्वाल

                                                                 लेखक - हरीश बड़थ्वाल

इस प्रकार की बातें आप बहुधा सुनते होंगे- 

वजन कम करना मेरे बस में नहीं है। कितनी भी भूख हो, मैं फांका कर लूंगा पर खरबूजा नहीं खा सकता। मुझे तोरी की सब्जी से एलर्जी हो जाती है। काफी पीने के बाद मुझे नींद नहीं आती। बस की यात्रा में मुझे उल्टी आनी ही है। मुझ से कुछ भी करवा लो, सीढ़ियां नहीं चढ़ सकता।

इस प्रकार की सोची, बोली बातें हमारे अंग-प्रत्यंग और कोशिकाएं सुनती रहती हैं और वैसा ही आचरण करने लगती हैं। सत्य यह है कि शरीर मन का आज्ञाकारी सेवक है। हेनरी फोर्ड कहते हैं, जब आप मन में बैठा देते हैं कि (1) आप अमुक कार्य कर सकते हैं या (2) अमुक कार्य कदापि नहीं कर सकते, दोनों स्थितियों में आप सही होते हैं। जिसमें हौसला है, वह कार्य पूरा कर डालेगा। इसके विपरीत जिसने मान लिया कि पफलां कार्य आज तक नहीं हुआ तो अब कैसे हो जाएगा या जिसे कोई नहीं कर पाया वह मैं कैसे कर सकता हूं, उसने अपनी पराजय लॉक कर दी। 

जो शारीरिक पीड़ा एक व्यक्ति को बुरी तरह झकझोर देती है उतनी ही पीड़ा के बावजूद दूसरा व्यक्ति अपने समूचे कार्य निबटाते रहता है। सभी मनुष्यों के माथे में अवस्थित मस्तिष्क का वजन बराबर होता है, लगभग 1.4 किग्रा, अंतर सोच से आता है। अपने गिर्द भी उच्च मनोबल के बूते स्वास्थ्य और जीवंतता के उदाहरण आपको मिलेंगे। मनोवैज्ञानिक बताते हैं, हम जितने भी कष्ट झेलते हैं उनमें से मात्र 5 प्रतिशत दूसरे के कारण होता है, शेष 95 प्रतिशत हमारे मस्तिष्क की उपज होते हैं, यानी हमारी अस्वस्थ, नैगेटिव सोच की परिणति।

शारीरिक दुरस्ती से अधिक अहम है मन की दुरस्ती

नीरोग, खुशनुमां जीवन का दारोमदार स्वस्थ शरीर के बजाए मन पर अधिक है। वह इसलिए कि हमारी शारीरिक प्रक्रियाएं कैसे संचालित होंगी, इसके अनुदेश मन जारी करता है। स्वस्थ रहने की इच्छा भर से रोगी आधा ठीक हो जाता है। बालाजी के दर्शन से मेरी फलां समस्या दूर हो जाएगी, यह विश्वास मन में घर जाए तो बालाजी की तैयारी के दौरान और वहां पहुंचते-पहुंचते ही व्यक्ति स्वस्थ हो जाएगा। मानसिक रोग की जड़ हमारी सोच है।

हालांकि अच्छे स्वास्थ्य की डब्ल्यूएचओ की परिभाषा में मानसिक और सामाजिक पक्षों का उल्लेख है (न केवल रोगों से पूर्ण मुक्ति बल्कि शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टि से बेहतरी) किंतु मनुष्य के दिव्य पक्ष की भूमिका का डब्ल्यूूएचओ और आधुनिक चिकित्सा में कोई स्थान नहीं है। नोबल विजेता स्टीफेन हाकिन्स सरीखे खरे व्यक्ति की जीवंतता को समझने के लिए मानना पड़ेगा कि मन-तन की खैरियत से इतर मनुष्य का दैविक पक्ष है जो उसे न केवल स्वस्थ मुद्रा में रखने में सक्षम है बल्कि उसे अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक ले जाता है।

मनुष्य सहित विश्व का प्रत्येक जीव एक अबूझ, विराट महाशक्ति का सूक्ष्म प्रतिरूप है, हम सभी में उसका अंश विद्यमान है, ऐसा समझने वाला स्वस्थ, जीवंत, और सामान्यतः नीरोग व पाजिटिव मुद्रा में रहेगा। सकारात्मक विचार शरीर को शक्ति प्रदान करते हैं, नकारात्मक विचारों से स्नायु सिकुड़ जाते हैं, शरीर की रासायनिक प्रक्रियाएं बिगड़ती हैं, श्वसन क्रिया कम या अधिक हो जाती है तथा शरीर विभिन्न रोगों को आकृष्ट करता है। मन और शरीर एक दूसरे से गुंथे हुए, एकल अस्मिता के दो पाट हैं। आधुनिक चिकित्सा की इकतरपफा सोच में मानव शरीर को मात्रा जैविक इकाई समझा जाता है, उसके दिव्य पक्ष पर उसे कुछ नहीं कहना।

स्वास्थ्य के रखरखाव में भारतीय चिकित्सा प्रणाली आदिकाल से समावेशी रही है जिसमें मन, चित्त, भावनाएं, व्यक्ति विशेष की प्रकृति, प्रकृति से तालमेल आदि सभी पक्षों पर विचार होता रहा है। यही ‘आयुर्विज्ञान’ के मायने हैं। आशीर्वाद देते समय ‘चिरंजीव रहो’ की प्रथा में अच्छे स्वास्थ्य की कामना निहित है। तन-मन को स्वस्थ रखने पर जोर देने के लिए इसे धार्मिक कर्तव्य से जोड़ा गया, ‘शरीरं धर्म खलु साधर्नीं यानी शरीर भगवत् प्राप्ति का साधन है।

समाज, घर, कार्यस्थल, बाजार, सोशल मीडिया आदि में, आते जाते, हवा कुछ यों चल रही है कि हम स्वस्थ न रह सकें। दोगला व्यवहार, शिकायती सोच, एकाकीपन, वैमनस्य, संग्रही वृत्ति, झूठी प्रशंसा की चाहत, निम्न आत्म सम्मान, अपने कार्य या उपलब्धि के लिए दूसरों की सहमति की आंकाक्षा, उनके अनुमोदन के लिए लालायित रहना जिन्हें आपकी कद्र नहीं आदि में लिप्त व्यक्ति मन को संयत कैसे रखेगा? ऐसे व्यक्ति का सही मित्र भी न होगा जो मन-चित्त के डगमगाने पर मनोश्चिकित्सक से ज्यादा कारगर होता है। न ही उसके चेहरे पर नैसर्गिक मुस्कान होगी। जोसेफ एडीसन ने कहा, ‘खिलखिलाता चेहरा सर्वाेत्तम स्वास्थ्य संवर्धक है, मन के लिए यह उतना ही लाभकारी है जितना शरीर के लिए।’

मानसिक स्वास्थ्य का वैश्विक और परिदृश्य चिंताजनक है। विभिन्न स्रोतों के अनुसार संप्रति देश के 15 से 20 प्रतिशत व्यक्ति डिप्रेशन, उद्विग्नता आदि मनोरोगों से ग्रस्त हैं, यह प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है। चेतावनी जताई जा रही है अगले 12 वर्षों में मानसिक और गैर-मानसिक रोगियों की संख्या बराबर हो जाएगी। उपचार में एक बड़ी बाधा कुशल मनोश्चिकित्सकों और संसाधनों की कमी है। अपने यहां मनोरोगों में बढ़त के पीछे पश्चिमी समाज से प्रतिस्पर्धा और स्वदेशी तौरतरीकों की अनदेखी मुखर हैं। जनजीवन में जरा-जरा सी बातों पर घर, कार्यस्थल तथा समुदायों में अशांति, मनमुटाव और क्लेश बढ़ रहे हैं। एक अध्ययन के अनुसार महानगरों में एक तिहाई विवाह रस्म के 6 माह में टूट जाते हैं। डब्ल्यूूएचओ के तत्वाधान में प्रतिवर्ष 10 अक्टूबर का दिन विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस बतौर मनाया जाता है। पिछले और चालू वर्ष में डब्ल्यूूएचओ की मंत्रणाएं और कार्यनीतियां कोविड के गिर्द सिमट गईं हालांकि मानसिक रोगों की भयावहता कोविड काल से पूर्व कमतर न थी। आवश्यकता मनोरोगों को समकालीन सामाजिक परिवेश में समझने और सोच को सही दिशा में प्रवृत्त करने की है।

जितना दुख मनुष्य को उसका मस्तिष्क देता है उतना कोई अन्य नहीं दे सकता। स्वयं के मन को कुशल, दुरस्त रखना आज बहुत बड़ी चुनौती है। बुद्व ने कहा, प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य का निर्माता स्वयं है। आवश्यक है स्वयं को प्रभु की अस्मिता से जुड़ा महसूस करें, मन को अभीष्ट दिशा देने की क्षमता को पहचानें। तब हम स्वस्थ, सकारात्मक मुद्रा में रह सकेंगे।

अधिक पाठन के लिए लेखक के ब्लाग www.bluntspeaker.com का अवलोकन करें।

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