मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

चांदी के नाम पर जर्मन सिल्वर तो नहीं खरीद रहे!

चांदी के नाम पर जर्मन सिल्वर तो नहीं खरीद रहे!



प0नि0डेस्क
देहरादून। चांदी के आभूषण की शुद्धता लेकर अक्सर शिकायत सुनने को मिलती है। इसका पता लोगों को तब चलता है, जब चांदी के पुराने आभूषण बेचने जाते हैं और ज्वेेलर उसे जर्मन सिल्वर बताता है। इन दिनों जर्मन सिल्वर को चांदी का आभूषण बता कर बेचने का खेल शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र की ज्वेलरी की दुकानों में खुलेआम चल रहा है। ज्वेलर्स इसमें जम कर मुनाफा कमा रहे हैं। लगन के मौके पर चांदी की पायल, चाबी रिंग, बिछिया, कीया, सिंदूरदानी, चैन, पान पत्ता, मछली आदि की मांग सबसे अधिक होती है। 
भारतीय मानक ब्यूरो (बीएसआइ) के अधिकारियों व रीफिनिटिव के विश्लेषक जीएफएमएस द्वारा तैयार सिल्वर इंस्टीट्यूट के विश्व रजत सर्वेक्षण 2019 के अनुसार चांदी के नाम पर खेल हो रहा है। सामान्य तौर पर जर्मन सिल्वर और चांदी के बीच कोई अंतर नहीं दिखता। जर्मन सिल्वर के बने आभूषण मुख्य रूप से आगरा, मथुरा, कोलकाता,राजकोट व अहमदाबाद से पूरे देश में आपूर्ति होते है। इन पर हॉलमाकिंर्ग एक फीसद भी नही है।
कैरोमीटर नाम का उपकरण चांदी के सिक्के या बर्तन में शुद्धता बताता है। सराफ कसौटी पत्थर रखते हैं। चांदी का सिक्का उस पर रगड़वाएं। लकीर सफेद है तो शुद्ध चांदी है और पीली है तो इसमें तांबा, जस्ता, रांगा और एल्युमीनियम अधिक मिला है। इसी तरह चांदी के सिक्के को लोहे की रेती से साफ कर सकते हैं और साफ हिस्से पर सल्फ्यूरिक एसिड डाल सकते हैं। अगर रंग काला हुआ तो सिक्का शुद्ध है और हरा हुआ तो अशुद्ध। सिक्के को लोहे के ठोस टुकड़े पर मारकर देखें, यदि खनक की आवाज अधिक है तो सिक्का अशुद्ध है।
असली और नकली सिक्कों की पहचान उसकी खनक से भी की जाती है। धातु पर असली चांदी का सिक्का गिराने पर भारी आवाज आती है, जबकि नकली सिक्का लोहे की तरह खनकता है। प्राचीन और विक्टोरियन सिक्के गोल व घिसे रहते हैं, जबकि नकली सिक्कों के किनारे कोर खुरदुरी रहती है।
सिल्वर मैग्नेटिक धातु नहीं होती। इस टेस्ट के लिए सामान्य से ज्यादा पावर वाले मैग्नेट की जरूरत होगी, जो हार्डवेयर की दुकान से मिल जाएगा। नकली चांदी मैग्नेट की ओर अट्रैक्ट होगा। जबकि असली सिल्वर मैग्नेट की ओर अट्रैक्ट नहीं होता है।
चांदी असली है या नकली, इसके लिए एक बर्फ का टुकड़ा चांदी पर रखें। किसी दूसरे धातु के मुकाबले चांदी पर रखी बर्फ ज्यादा तेजी से पिघलेगी, क्योंकि थर्मल एनर्जी तेजी से बर्फ में ट्रांसफर होती है।
अगर चांदी के वर्क को हाथ में रखकर हथेली के बीच रगड़ेंगे, तो यह गायब हो जाएगा। लेकिन अगर चांदी के वर्क में मिलावट है, तो यह एक बॉल के रूप में एकट्ठा हो जाएगा। चांदी का वर्क लगी कोई भी मिठाई लेकर इसे अपनी अंगुली पोंछने का प्रयास करें। अगर पोंछते समय यह आपके हाथ में चिपकता है, तो इसका मतलब है इसमें एल्युमिनियम है। लेकिन अगर यह आपके हाथ में नहीं चिपकता और गायब हो जाता है, तो यह पूरी तरह सुरक्षित है।
सोने की तरह चांदी की भी हौलमाकिंर्ग होती है। सोने में जहां शुद्धता के लिए कैरेट बताया जाता है, वहीं चांदी में शुद्धता के लिए फीसद को आधार माना जाता है। चांदी के बार पर शुद्धता लिखी होती है। जैसे 99.9 फीसद या 95 फीसद।


सोमवार, 30 दिसंबर 2019

सीबीडीटी ने आधार और पैन को जोड़ने की आखिरी तारीख बढ़ायी

सीबीडीटी ने आधार और पैन को जोड़ने की आखिरी तारीख बढ़ायी



एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड सीबीडीटी ने आधार और पैन को जोड़ने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर से बढ़ाकर 31 मार्च 2020 कर दी। गौर हो कि आयकर भरने के लिए पैन कार्ड और आधार कार्ड को लिंक करना बेहद जरूरी है। सीबीडीटी ने कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 139एए की उपधारा 2 के तहत आधार के साथ पैन को जोड़ने की अंतिम तारीख को 31 दिसंबर 2019 से 31 मार्च 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
सरकार की तरफ से कहा गया था कि अंतिम तारीख 31 दिसंबर बीत जाने के बाद पैन कार्ड डिएक्टिवेट हो सकता है। इसको लेकर आयकर विभाग ने कई बार सार्वजनिक सूचना भी जारी की थी। हालांकि आखिरी तक को आगे बढ़ाने के बाद फिलहाल करोड़ों लोगों को सरकार ने राहत दे दी है। लोगों को 3 महीने का अतिरिक्त समय मिला है।
यह पहला मौका नहीं है जब सरकार ने इस डेट को आगे बढ़ाया हो इससे पहले 31 सितंबर को आधार-पैन लिंकिंग के लिए अंतिम तारीख घोषित की गई थी जिसके बढ़ाकर 30 दिसंबर किया गया था। बता दें कि वित्त मंत्रालय द्वारा 31 मार्च को जारी एक अधिसूचना के अनुसार जिसके पास भी पैन कार्ड और आधार कार्ड दोनों है, उन्हें दोनों को जोड़ना होगा। इस वर्ष की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने भी पैन-आधार लिंक को अनिवार्य बनाते हुए आयकर अधिनियम की धारा 139 एए को बरकरार रखा था।
हालांकि कई लोगों ने आधार और पैन लिंकिंग करवा भी ली होगी। लोग आधार पैन लिंकिंग तो करवा लेते हैं लेकिन इसका स्टेट्स चेक नहीं कर पाते। हमारा पैन आधार से लिंक हुआ या नहीं इसके बारे में हमें कुछ पता नहीं चलता। अगर आपने पैन को आधार से लिंक करवा दिया है तो आप बड़े ही आसान तरीके से इसका स्टेट्स चेक कर सकते हैं। इसके लिए आपको ीजजचेरूध्ध्ूूूण्पदबवउमजंगपदकपंमपिसपदहण्हवअण्पदध्ीवउम पर जाना होगा। इसके बाद आपको वेबसाइट की बायीं की तरफ क्विक लिंक सेक्शन पर जाकर लिंक आधार पर क्लिक पर जाकर अपना स्टेटस चेक सकते हैं।


देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बने जनरल बिपिन रावत

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बने जनरल बिपिन रावत



चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ पद का काम तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बैठाना 
एजेंसी
नई दिल्ली। जनरल बिपिन रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (सीडीएस) नियुक्त किया गया है। वह मंगलवार 31 दिसंबर को रिटायर हो रहे हैं। केंद्र सरकार ने रावत के नाम पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने इस बारे में जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि देश की मजबूत सुरक्षा के लिए सरकार ने फैसला लिया है और बिपिन रावत को सीडीएस नियुक्त किया गया है। बता दें कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ पद का काम तीनों सेनाओं के बीच सामंजस्य बैठाना होगा।
मोदी सरकार ने इस पद की घोषणा की थी। इस पद के लिए रिटायरमेंट की उम्र 62 तय की गई थी लेकिन इसे बढ़ाकर 65 साल कर दिया गया है। बिपिन रावत इस पद को पाने की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवाने, उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और दक्षिणी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सतिंदर कुमार सैनी भी इस रेस में शामिल थे।
सरकार ने तय किया है कि यह पद फोर स्टार वाले सैन्य अधिकारी हो को दिया जा सकता है। सीडीएस अन्य सेना प्रमुखों के समान ही होंगे। हालांकि प्रोटोकाल की सूची में सीडीएस को सेना प्रमुखों से वरिष्ठ बनाया गया है। वेतन सेना प्रमुख के  ही समान होगा। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ सैन्य मामलों के विभाग के प्रमुख होंगे, जिसका सृजन रक्षा मंत्रालय करेगा और वह इसके सचिव के रूप में काम करेंगे।
सीडीएस के जरिए अन्य देशों से युद्ध की स्थिति तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी।


शराब पीने और सीट बेल्ट न लगाने पर चालू नहीं होगी गाड़ी

शराब पीने और सीट बेल्ट न लगाने पर चालू नहीं होगी गाड़ी



सेना के कैप्टन ओंकार काले और उनकी टीम ने इस इंटीग्रेटेड व्हीकल सेफ्टी सिस्टम को बनाया
एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने अपने वाहनों के लिए एक ऐसा सिस्टम बनाया है जो ड्रंक ड्राइविंग और सीट बेल्ट न पहनने को जांचता है। सेना के कैप्टन ओंकार काले और उनकी टीम ने इस इंटीग्रेटेड व्हीकल सेफ्टी सिस्टम को बनाया है।
कैप्टन ओंकार के अनुसार अगर कोई व्यक्ति शराब पीकर या बिना सीट बेल्ट लगाए वाहन को स्टार्ट करता है तो ये सिस्टम वाहन को स्टार्ट नहीं होने देता है। इस सिस्टम को सेना में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तैयार किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि इंटीग्रेटेड व्हीकल सेफ्टी सिस्टम का इस्तेमाल जबलपुर व्हीकल फैक्ट्री निर्मित भारतीय सेना के ट्रकों में किया गया था और यह पूरी तरह से सफल साबित हुआ है।
पश्चिमी देशों की बात करें तो उन्होंने ऐसी तकनीक विकसित कर ली है, जो चालक द्वारा शराब के सेवन की जांच के साथ गाड़ी चलाते समय अगर चालक का ध्यान भटकता है तो उसे सचेत करती है।
उत्तराखंड रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी में अल्मोड़ा और हल्द्वानी की आरआई इस्ट्रूमेंट्स एंड इनोवेशन इंडिया ने मिलकर ऐसी डिवाइस तैयार की थी, जो चालक को उस समय वाहन चलाने में कठिनाई पैदा करती है, जब चालक सुस्त अवस्था में हो या मोबाइल पर बात कर रहा हो।
खोजकर्ताओं की टीम ने इस डिवाइस को बेकार हुई चीजों से निकले ग्राफीन और जंगली घास की मदद से बनाया था। ग्राफीन इस डिवाइस में सबसे अहम किरदार निभाता है।
जब कोई चालक वाहन की ड्राइविंग सीट पर बैठता है तो उसे इस डिवाइस में फूंकना होता है। चालक की फूंक से इस डिवाइस के सेंसर इस बात का अंदाजा लगाते है कि चालक के खून में एल्कोहल की कितनी मात्रा है।
शराब की मात्रा मोटर वाहन एक्ट के तहत तय किये गए मानकों से अधिक होने पर सेंसर वाहन को स्टार्ट नहीं होने देते है। अगर चालक किसी और से इस डिवाइस में फूंकवाता है तो इस डिवाइस के ग्राफीन कोटेड सेंसर सक्रिय हो जाते हैं और वाहन को स्टार्ट नहीं होने देते है।
इसके साथ ही अगर चालक को गाड़ी चलाते हुए नींद आती है तो इसमें मौजूद आब्जेक्ट और इमेजिंग माड्यूल सेंसर साथी यात्री को इसका संकेत दे देते है। ये सेंसर उस समय भी काम करते है, जब चालक मोबाइल पर बात कर रहा होता है।
भारतीय सेना द्वारा इसे डिवाइस को वाहनों में लगाया जाएगा। भारत में हर रोज सड़क हादसों में सैकड़ों लोगों की जान जाती है। इनमें से बहुत से हादसे शराब पीकर वाहन चलाने ने होते है। अगर इस डिवाइस को वाहन निर्माताओं के साथ साझा करके सभी वाहनों में लगाना अनिवार्य कर दिया जाए तो इन हादसों को काफी हद तक रोका जा सकता है।


आप भी खुले बाल रखते है तो इसे जरूर पढ़ें

आप भी खुले बाल रखते है तो इसे जरूर पढ़ें



प0नि0डेस्क
देहरादून। फैशन और आध्ुनिक दौर में आजकल हर कोई अपने आप को इस तरह से कैरी करना चाहता है कि वो सोसाइटी में ट्रेंडी लगे। इस रेस में कोई पीछे नहीं रहना चाहते न लड़के न लड़कियां। आप में से बहुत से लोग जो आजकल बालों को बांधना पसंद नहीं करती होंगे। अक्सर देखा भी जाता है आज के समय में लगभग हर महिला व लड़की के बाल खुले ही रहते हैं। अब इसे फैशन कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि इन्हें लगता है चोटी बांधने से ये पुराने जमाने की पुराने ख्यालों वाली लगेंगी। लेकिन ध्यान रहे कि सनातन धर्म में चोटी बांधनी की धार्मिक परंपरा है। 



सनातनी परंपरा के चलते न केवल महिलाएं बल्कि प्राचीन समय में पुरुष भी चोटी रखते थे जिसे शिखा कहते थे। दरअसल सनातन धर्म मंे बताया गया है कि चोटी बांधना केवल श्रृंगार नहीं बल्कि इससे मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। प्राचीन समय में ऋषि-मुनि या अन्य विद्वान पुरूषों की पहचान उनकी शिखा ही हुआ करती थी। कुछ ऐसे भी युवक-युवती हैं जो आजकल चोटी बांधते तो हैं पर इसे बांधने से प्राप्त होने वाले लाभ से वाकिफ नहीं है।
सनातन धर्म से संबंध रखने वाले लोग शायद इस बात से अंजान नहीं होंगे कि हर कर्मकांड के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी होते हैं। चोटी बांधने के पीछे भी धार्मिक महत्व के साथ वैज्ञानिक लाभ छिपे हुए हैं। 
हिंदू धर्म के ग्रंथों व शास्त्रों की मानें तो जिस प्रकार अग्नि के बिना कोई हवन पूर्ण नहीं होता है ठीक उसी प्रकार चोटी या शिखा के बिना कोई धार्मिक कार्य पूर्ण नहीं होता है। सभी धार्मिक कर्मकाण्डों के लिए ये एक अनिवार्य मानी जाती है। शास्त्रों में इसे ज्ञान और बुद्वि का प्रतीक माना गया है और कहते हैं इससे व्यक्ति की बुद्वि नियंत्रित होती है। साथ ही चोटी बांधने से पूजा करते वक्त मन की एकाग्रता बनी रहती है।  इतना ही नहीं शिखा रखने से मनुष्य धार्मिक, सात्त्विक और संयमी बना रहता है। जो मनुष्य शिखा रखता है उनकी देवता भी उसकी रक्षा करते हैं।
विज्ञान की दृष्टि से जिस स्थान पर चोटी बांधी जाती है, सिर का वो भाग बेहद संवेदनशील होता है। जिससे मस्तिष्क और बुद्वि नियंत्रित रहती है। महिलाओं के चोटी बांधना अधिक हितकारी माना गया है क्योंकि पुरुषों की अपेक्षा में महिलाओं का मस्तिष्क अधिक संवेदनशील होता है। सिर पर चोटी होने से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा का असर महिलाओं के मन-मस्तिष्क को प्रभावित नहीं कर पाता।
वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे मस्तिष्क के दो भाग होते हैं। इन दोनों भागों के संधि स्थान यानि दोनों भागों के जुड़ने की जगह बहुत संवेदनशील होती है। ऐसे में इस भाग को अधिक ठंड या गर्मी से सुरक्षित रखने के लिए भी चोटी बनाई जाती है।


रविवार, 29 दिसंबर 2019

जन्म दिवस से मूलांक निकालना

जन्म दिवस से मूलांक निकालना



मूलांक के लिहाज से जानिये 2020 में जीवन में क्या बदलाव आयेगा!
पं0 चैतरामभट्ट
देहरादून। ज्योतिष शास्त्र में जैसे अपनी राशि के अनुसार अपने आने वाले कल के बारे में पता लगाते हैं वैसे ही अंक ज्योतिष के माध्यम से अपने भविष्य के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके लिए अपना मूलांक पता होना जरूरी है। मूलांक डेट ऑफ बर्थ यानी जन्म तारीख से निकाला जाता है। जैसे यदि किसी व्यक्ति की जन्म तारीख 27 है तो उसका मूलांक (2$7=9) 9 होगा। इसी तरह यदि किसी की जन्म तारीख 29 है तो उसका मूलांक (2$9=11 और 1$1=2) 2 होगा। 
मूलांक से अपना वार्षिक राशिफल 2020 जानिये-
मूलांक 1- ये साल आपके लिए काफी खुशनुमा रहने वाला है। इस अंक के स्वामी सूर्य हैं। आपके लिए साल की शुरुआत जोश से भरी होगी। लेकिन शुरुआत के 3 महीने निकल जाने के बाद आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अपनी वाणी पर खास संयम रखने की जरूरत पड़ेगी। 
मूलांक 2- नये साल में आपको साझेदारी के काम में सफलता हासिल होगी। विदेश जाने के प्रबल योग बनते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन प्रेमी के साथ संबंध कुछ बिगड़ सकते हैं। वर्ष के मध्य में आपको चोट लगने के आसार नजर आ रहे हैं। इसलिए अपना खास ख्याल रखें।
मूलांक 3- करियर के लिहाज से आपके लिए नया साल मिला जुला रहने वाला है। खर्चों पर नियंत्रण करने की जरूरत पड़ेगी। कार्यस्थल पर बॉस के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। इसलिए अपनी वाणी पर संयम रखने की जरूरत पड़ेगी। प्रेम विवाह के जबरदस्त योग बनते दिखाई दे रहे हैं।
मूलांक 4- नये साल की शुरुआत के साथ आपके खर्चों में बढ़ोतरी होने लगेगी। आर्थिक सहायता लेनी पड़ सकती है। जून से सितंबर तक का समय आपके लिए अच्छा साबित होगा। विदेश यात्रा के इच्छुक जातकों का सपना पूरा हो सकता है। लव मैरिज के योग बन रहे हैं। 
मूलांक 5- साल 2020 आपके लिए उत्साह से भरा रहेगा। इस साल आप किसी नये काम की शुरूआत भी कर सकते हैं। निवेश के मामलों के लिए भी साल शुभ है। सरकारी नौकरी मिलने के प्रबल योग बन रहे हैं। जीवन साथी की आय बढ़ सकती है। 
मूलांक 6- नये साल में नौकरी में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। कई मौकों पर जॉब बदलने का मन भी कर सकता है। लेकिन कोई भी निर्णय प्रेशर में आकर न लें। विदेश में नौकरी करने वाले जातकों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से नया साल आपके लिए कष्टदायक साबित हो सकता है। 
मूलांक 7- नये साल में आपकी आर्थिक स्थिति कुछ बेहतर होगी। सामाजिक कार्यों में सफलता हासिल होने के आसार हैं। लव लाइफ में नये रिश्ते बनने के संकेत मिल रहे हैं। विवाहित जातकों को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। 
मूलांक 8- नये साल में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आप अपनी सूझबूझ से सभी टेंशन का निपटारा कर पाने में सक्षम रहेंगे। नौकरी में कुछ बदलाव हो सकते हैं। सरकारी नौकरी लगने के प्रबल आसार दिखाई दे रहे हैं।
मूलांक 9- नये साल में आपको सफलता हासिल करने के कई मौके मिलेंगे। भाग्य से ज्यादा कर्म पर भरोसा करने पर लाभ मिलेगा। आर्थिक स्थिति को लेकर पूरे साल चिंता बनी रहेगी। साल 2020 में राहु के राशि परिवर्तन के साथ आपके कष्ट कुछ कम हो सकते हैं। 


समाचार चैनलों की गुणवत्ता लगातार नीचे की तरफ गिरती जा रही

आधे समाचार चैनलों का स्वामित्व रियल एस्टेट दिग्गजों, नेताओं और उनके सहयोगियों के पास 
समाचार चैनलों की गुणवत्ता लगातार नीचे की तरफ गिरती जा रही



प0नि0डेस्क
देहरादून। देश में टीवी की पहुंच 83.6 करोड़ लोगों तक है जबकि इंटरनेट उपभोक्ता 66 करोड़ और समाचारपत्र पाठक 40 करोड़ हैं। आंकड़ों की मानें तो समाचार चैनलों की पहुंच 26 करोड़ से अधिक दर्शकों तक है। साथ ही 5-10 करोड़ लोग आनलाइन समाचार चैनल देखते हैं। वर्ष 2000 में देश में मुश्किल से 10 समाचार चैनल थे, अब यह संख्या 400 के पार हो चुकी है। इनमें से आधे समाचार चैनलों का स्वामित्व रियल एस्टेट दिग्गजों, नेताओं और उनके सहयोगियों के पास है। 
यह बाजार विज्ञापन पर निर्भर है। विज्ञापन अधिक दर्शकों वाले चैनलों के खाते में जाते हैं। परिणामस्वरूप बीते दशक में गुणवत्ता लगातार नीचे की तरफ गिरती चली गई। अहम मसलों पर समाचार चैनलों की नादानी एवं नासमझी सापफ नजर आती है। 
देश के 4 बड़े हिंदी समाचार चैनलों पर प्रसारित 4 प्रमुख टीवी शो में होने वाली बहसों का विश्लेषण कुछ बयां करता है। इन चैनलों पर प्राइम टाइम में हुई 202 बहसों में से 79 पाकिस्तान पर हमले से संबंधित जबकि 66 बहसों के केंद्र में विपक्षी दल और नेहरू थे। लोगों की जिंदगी भर की बचत जिस पीएमसी बैंक के डूबने से खतरे में पड़ी, उस बारे में महज एक बहस हुई। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, पर्यावरण आदि अहम मुद्दों पर कोई भी चर्चा नहीं हुई। 
समाचार चैनलों पर परोसा जाने वाला कचरा सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप संदशों की शक्ल में विस्तार पाता है। फिर वह ऐसे उत्पाद में बदल जाता है जो हमारे राजनीतिक एवं सामाजिक निर्णयों को बदलने लगता है। तमाम देशवासी अभी इस बात को नहीं समझ पा रहे कि वे बड़ी मुश्किल से हासिल एवं सींचे गए लोकतंत्र की आखिरी निशानियों के खत्म होने का जश्न मना रहे हैं।
वित्तीय रूप से बेअसर समाचार टीवी चैनलों का बाजार महज 3,000-4,000 करोड़ रुपये है जबकि टीवी उद्योग का आकार 74,000 करोड़ रुपये है। इतने चैनलों में से बमुश्किल दो चैनल ही लाभ कमाते हैं। लेकिन समाचार चैनलों ने सामाजिक रूप से उस देश को तबाह कर दिया है जिसकी सारी दुनिया अनेकता में एकता के लिए तारीफ करती रही। ऐसे में क्या किया जा सकता है, दूरदर्शन और आकाशवाणी का संचालन करने वाले प्रसार भारती कार्पाेरेशन को केंद्र से वित्तीय एवं प्रशासनिक तौर पर स्वतंत्र किया जाए। 
समाचार प्रसारण में विदेशी निवेश के स्तर को 49 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किया जाए। अधिकांश विदेशी समाचार प्रसारक इसके लिए इच्छुक नहीं नजर आते लेकिन यदि कुछ प्रसारक भारत आते हैं, प्रशिक्षण एवं रिपोर्टिंग में निवेश करते हैं तो अच्छा होगा। समाचार चैनलों के तेजी से बढ़ने का नुकसान यह हुआ है कि जमीनी स्तर पर रिपोर्टिंग खत्म हो चुकी और पूरी व्यवस्था एंकरों के इर्दगिर्द संचालित हो रही है। 
चैनलों के स्वामित्व मानकों को बदलना अहम है कि यदि गुणवत्तापरक पत्रकारिता और अन्य दबावों में से चुनने का मौका आता है तो मालिक किसे तरजीह देंगे? सबसे अच्छे एवं मुनाफे में चलने वाले वैश्विक समाचार ब्रांड का स्वामित्व ऐसी कंपनियों के पास है जिसकी कमान ट्रस्ट संभालता है। इस अंतर को स्मरण रखा जाना चाहिये कि यदि भारतीय सिनेमा ने हमारी साफ्रट पावर का प्रतीक बनकर हमें वैश्विक गौरव दिया तो भारतीय समाचार चैनलों ने खराब पत्रकारिता से शर्मसार किया है।


रंगारंग कार्यक्रम के साथ द्वितीय रमेश कुमार मैमोरियल वालीबॉल टूर्नामेंट का आगाज 



रंगारंग कार्यक्रम के साथ द्वितीय रमेश कुमार मैमोरियल वालीबॉल टूर्नामेंट का आगाज

पहले दिन स्पोर्ट्स क्लब , लोहान क्लब व खंजरपुर स्पोर्ट्स क्लब ने किया विरोधी टीमों को पस्त 

संवाददाता

हरिद्वार। द्वितीय रमेश कुमार वालीबॉल टूर्नामेंट का रंगारंग कार्यक्रम के बीच आगाज हो गया । जिला क्रीड़ा अधिकारी सुनील कुमार डोभाल व जिला युवा कल्याण एवं प्रान्तीय रक्षक दल के रमेश चंद्र ने दीप प्रजवलित कर टूर्नामेंट का उदघाटन किया । टूर्नामेंट का उदघाटन मैच स्पोर्ट्स क्लब व स्पोर्ट्स सेंटर की टीमों के बीच खेला गया जिसमें स्पोर्ट्स सेंटर की टीम ने अपोर्टस क्लब को सीधे सेटों में 3-0 के अंतर से परास्त किया , दूसरे मैच में लोहान क्लब ने ब्रह्मपुरी स्पोर्ट्स क्लब को संघर्ष पूर्ण मुकाबले में 25-15, 25-23,व 28-26 से परास्त किया । टूर्नामेंट के तीसरे संघर्षपूर्ण मैच में खंजर पुर स्पोर्ट्स क्लब ने ओम स्पोर्ट्स अकेडमी को 25-18,25-20,25-20व25-15 के अंतर से परास्त किया ।  

उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि रानीपुर विधायक आदेश चौहान के देहरादून में आयोजित एक बैठक में भाग लेने के लिए जाने के कारण उनकी अनुपस्थिति में  जिला क्रीड़ा अधिकारी सुनील कुमार डोभाल व जिला खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी देहरादून डॉक्टर अल्का पाण्डेय , युवा कल्याण एवं  प्रान्तीय रक्षक दल के रमेश चन्द्र क्षेत्रीय युवा समिति बहादराबाद के अध्यक्ष योगेश कुमार चौहान , क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी मुकेश भट्ट , वरिष्ठ समाज सेवी दर्शन लाल , मनोज धनकड़ व श्री मति निधि नोटियाल ने किया ।

इस मौके पर जिला क्रीड़ा अधिकारी सुनील कुमार डोभाल ने सभी टीमों से खेल भावना के साथ अपने उम्दा खेल के प्रदर्शन करने का  आवाहन किया । डोभाल ने टूर्नामेंट के आयोजकों को इस आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि रमेश कुमार शर्मा की याद में आयोजित इस टूर्नामेंट के खास मायने हैं , उन्होंने इस टूर्नामेंट को खेलों के प्रति आजीवन समर्पित रहे स्व0 रमेश कुमार शर्मा के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया ।  अपने सम्बोधन में युवा प्रान्तीय एवं रक्षक दल के  रमेश चन्द्र ने खिलाड़ियों व आयोजकों को साधुवाद देते हुए कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज को सही दिशा तो मिलती ही है खेल भावना का भी विस्तार होता है । रमेश चन्द्र ने इस मौके पर अपने पुराने अनुभव खिलाड़ियों से साझा करते हुए स्व0 रमेश कुमार के खेलों के प्रति समर्पण को याद किया , उन्होंने कहा कि खेलों के  प्रति  रमेश कुमार शर्मा जैसा समर्पण बहुत कम देखने को मिलता है । 

इससे पूर्व  टूर्नामेंट कमेटी के चेयरमैन आशीष शर्मा , दिशांत पाल सिद्धार्थ , अक्षय चौहान , अमन चौधरी व रामगोपाल ठाकुर ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया ।



शनिवार, 28 दिसंबर 2019

टीएवीआर के इस्तेमाल से हृदय रोगों के उपचार परिणामों में सुधारः डा0 योगेंद्र

टीएवीआर के इस्तेमाल से हृदय रोगों के उपचार परिणामों में सुधारः डा0 योगेंद्र



उन्होंने कहा कि इस तथ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है कि एओर्टिक स्टेनोसिस से पीड़ित रोगियों के लिए ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (टीएवीआर) एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है।


संवाददाता
देहरादून।  ताजा अध्ययनों के अनुसार ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (टीएवीआर) ऐसे रोगियों के लिए बेहद लाभप्रद है जिन्हें सर्जरी करवानी पड़ सकती है या फिर जो सिम्पटोमैटिक और गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस (एएस) से जूझ रहे हैं। एएस सर्जरी से नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है जिसके माध्यम से दिल में मौजूद खराब वाल्व को बदलना संभव है। इस प्रक्रिया में कैथेटर (तारों और छोटी नलियों) और एक कंप्रेस्ड वाल्व का उपयोग किया जाता है, जो छाती को खोले बिना काट दिया जाता है।
इस बारे में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डा0 योगेंद्र सिंह ने कहा कि एओर्टिक स्टेनोसिस एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिससे हृदय गति रुक सकती है और अचानक हृदय गति रुकने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में ट्रांसकैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (टीएवीआर) संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के बाद भारत में भी उपचार के लिए तेजी से उपयोग में लाया जाने लगा है। 
उन्होंने कहा कि यह नॉन-इंवेसिव प्रक्रिया है और इसमें कॉम्प्लिकेशन की संभावना भी कम है। कमर के रास्ते से बड़ी धमनी में एक कैथेटर डाला जाता है। कैथेटर के सिरे पर एक गुब्बारा बंधा होता है और एक बार जब यह क्षतिग्रस्त वाल्व तक पहुंच जाता है, तो गुब्बारे को स्टेंटिंग के समान नए टिशू वाल्व के लिए जगह बनाने के लिए फुलाया जाता है। नया वाल्व अब क्षतिग्रस्त वाल्व के अंदर पहुंच जाता है और गुब्बारे को कैथेटर से धीरे से बाहर निकालने के लिए अलग किया जाता है।
डा0 योगेंद्र सिंह ने कहा कि टीएवीआर से रोगियों को कम मानसिक परेशानी झेलनी पड़ती है क्योंकि यह एक ओपन-हार्ट तकनीक नहीं है। इस प्रक्रिया से गुजरने वाले अधिकांश लोग स्वस्थ जीवन जी सकते हैं बशर्ते वे कुछ सावधानियों का पालन करें। रोगी को कुछ हफ्तों के लिए दवाएं दी जाती हैं जो बाद में कम हो सकती है या पूरी तरह से बंद कर दी जाती है लेकिन यह इस बात पर निर्भर करता है कि रिकवरी कितनी अच्छी है।
एओर्टिक स्टेनोसिस को रोकने के लिए सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि रयूमैटिक बुखार को रोकने के कदम उठाएं। जिन लोगों को बार-बार गले में खराश होती है, उनके लिए यह जरूरी है कि किसी विशेषज्ञ से जल्द से जल्द सलाह लें क्योंकि, इससे रयूमैटिक बुखार हो सकता है।
ऐसे कारकों पर नजर रखें जिनसे हृदय संबंधी बीमारियों की संभावना हो सकती है। रक्तचाप, वजन और कोलेस्ट्रोल स्तर की जांच नियमित रूप से करवाएं। जिन लोगों को पहले से हृदय संबंधी परेशानी है या जिनके परिवार में इस बीमारी का इतिहास है, उन्हें बहुत ही ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। अपने दांतों और मसूड़ों की देखभाल करें। किसी भी संक्रमण के कारण दिल के ऊतकों में सूजन, धमनियों का सिकुड़ना आदि जैसी संभावनाएं हो सकती हैं और महाधमनी वाल्व स्टेनोसिस को बढ़ा सकती हैं।


काशीपुर व रूद्रपुर भी  प्रदूषित हवा वाले शहरों में शामिल

काशीपुर व रूद्रपुर भी  प्रदूषित हवा वाले शहरों में शामिल



आरएसपीएम लेविल सामान्य से चौैगुने से भी अधिक पहुंच रहा है: प्रदूषण बोर्ड द्वारा नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ खुलासा
संवाददाता
काशीपुर। स्वच्छ व स्वस्थ हवा वाले माने जाने वाले प्रदेश के दो प्रमुख शहर प्रदूषित हवा वाले शहरों में शामिल हो रहे हैै। यहां की हवा बड़े शहरों के समान विभिन्न दिनों में सांस लेने के लिये भी खतरनाक हो जाती है। यहां आरएसपीएम लेविल सामान्य से चौगुने से भी अधिक पहुंच जा रहा है। यह खुलासा उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सूचना अधिकार के अन्तर्गत नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी सूचना से हुआ है।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रदूषण मानीटरिंग के विवरणों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लोेक सूचना अधिकारी/क्षेत्रीय अधिकारी (प्र0) ने अपनेे पत्रांक 1183-दिनांक 19-12-2019 से 2014 से 2017 तक अधिक प्रदूषण वाले माह अक्टूबर, नवम्बर तथा 2018 व 2019 के सभी महीनोें के प्रदूषण मानीटरिंग विवरणोें की प्रति उपलब्ध करायी हैै। 
उपलब्ध विवरणों के अनुसार अक्टूबर 2019 में काशीपुर का आरएसपीएम लेविल 366 तथा रूद्रपुर का 364 रहा है जबकि सरकारी अस्पताल पर मापे गयेे इस आरएसपीएम की अधिकतम सामान्य माप 75 होनी चाहिये। 2018 में नवम्बर में सर्वाधिक आरएसपीएम रहा है, यह काशीपुर सरकारी अस्पताल पर 258 तथा रूद्रपुर में 234 मापा गया हैै।
उपलब्ध सूचना में स्पष्ट हैै कि वर्ष 2019 जनवरी में काशीपुर का अधिकतम आरएसपीएम 137 जबकि रूद्रपुर का 219, फरवरी मेें 134 तथा 140, मार्च में 145 व 143, अप्रैल में 163 और 191, मई में 150 तथा 140, जून में 175 तथा 146, जुलाई में 150 व 142, अगस्त में 152 तथा रूद्रपुर में 137, सितम्बर में 142 तथा 138, अक्टूबर में 366 व 364 तथा नवम्बर में काशीपुर में अधिकतम आरएसपीएम 197 तथा रूद्रपुर में 162 रहा हैै।
वर्ष 2019 में वर्ष भर कभी भी मापने के समय आरएसपीएम सामान्य 75 नहीं रहा हैै। यह न्यूनतम रहे आरएसपीएम के आंकड़ों से स्पष्ट हैै। जनवरी 2019 में सरकारी अस्पताल काशीपुर पर मापा गया न्यूनतम आरएसपीएम 78 जबकि रूद्रपुर सरकारी अस्पताल पर मापा न्यूनतम आरएसपीएम 109 रहा है। फरवरी में यह 96 और 102, मार्च में 94 व 112, अप्रैल में 87 व 106, मई  में 112 और 105, जून में दोनोें स्थानों पर 110, जुलाई में काशीपुर में 107 रूद्रपुर में 119, अगस्त में 106 व 118, सितम्बर में 109 व 90 अक्टूबर में 106 व 120 तथा नवम्बर 2019 में काशीपुर में न्यूनतम 107 तथा रूद्रपुुर में 125 न्यूनतम आरएसपीएम मापा गया है। 
उपलब्ध पिछले वर्षों के अधिक प्रदूषण वालेे महीनोें अक्टुुबर तथा नवम्बर के आंकड़ों से स्पष्ट हैै कि काषीपुर औैर रूद्रपुर में हवा में जहर तेजी सेे बढ़ा है। जहां अक्टूबर 2014 में काशीपुर का अधिकतम आरएसपीएम 214 तथा रूद्रपुर का 176 था जबकि नवम्बर 14 में 254 तथा 224 था। अक्टूबर 15 में काशीपुर के अधिकतम आरएसपीएम 167 तथा रूद्रपुर में 168 तथा नवम्बर 15 में 281 तथा 234 था। अक्टूबर 16 में काशीपर में अधिकतम 263 तथा रूद्रपुर में 264 नवम्बर 16 में दोनों स्थानों पर 262 था। अक्टूबर 17 में काशीपुर में 184 तथा रूद्रपुर में 132, जबकि नवम्बर 17 में 192 तथा 113 था।
2018 तक के आंकड़ों से स्पष्ट हैै कि 2018 तक हवा में आरएसपीएम का स्तर विभिन्न दिनों व समय पर सामान्य 75 तक रहता था जबकि 2019 में रूद्रपुर तथा काशीपुर दोनोें ही शहरों में एक भी माप में यह लेविल सामान्य या उससे कम नहीं आया हैै।
2018 में काशीपुर में मई, जून तथा दिसम्बर को छोेड़कर सभी माह का न्यनूतम आरएसपीएम लेविल सामान्य था जबकि मई में 77, जून में 103 तथा दिसम्बर में 81 ही रहा था। रूद्रपुर में 2018 में भी किसी भी माह का न्यूनतम लेविल सामान्य नहीं था।


सीबीडीटी ने ईसीआई को सौंपी त्रिवेंद्र संपत्ति मामले की रिपोर्ट: मोर्चा 

सीबीडीटी ने ईसीआई को सौंपी त्रिवेंद्र संपत्ति मामले की रिपोर्ट: मोर्चा

- सीएम त्रिवेंद्र द्वारा झूठा शपथ पत्र व संपत्ति की कीमतों को दर्शाया गया था कम             

- ढेचा घोटाले की पीआईएल का नहीं किया गया था नामांकन पत्र में उल्लेख         

- ईसीआई ने दिसंबर 2017 में सी.बी.डी.टी. को दिए थे जांच के निर्देश  - सीबीडीटी ने दिसंबर 2019 में सौंपी ईसीआई को रिपोर्ट              

- त्रिवेंद्र की विधानसभा सदस्यता रद्द करने व प्राथमिकी दर्ज करने का ईसीआई से किया गया था आग्रह      

संवाददाता

विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा वर्ष 2017  विधानसभा चुनाव के अपने नामांकन में निर्वाचन आयोग के समक्ष झूठा शपथ पत्र, संपत्तियों का बाजारु मूल्य बहुत कम दर्शाना व ढेचा(Dhencha) घोटाले की पीआईएल का नामांकन पत्र में उल्लेख न करने के मामले में मोर्चा द्वारा 30/10/17 को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के महानिदेशक दिलीप शर्मा के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए ईसीआई ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, (सीबीडीटी) भारत सरकार को दिनांक 19/ 12/ 17 को जांच के निर्देश दिए थे |          नेगी ने कहा कि सीबीडीटी ने जांच कर उक्त रिपोर्ट दिनांक 6/ 12 /19 के द्वारा अनु सचिव, ईसीआई को प्रेषित कर दी है |      

नेगी ने कहा कि मोर्चा द्वारा पूर्व में ईसीआई को  सौंपे गए ज्ञापन/ शिकायती पत्र में उल्लेख किया गया था कि त्रिवेंद्र द्वारा अपने नामांकन पत्र में करोड़ों रुपए मूल्य की संपत्ति का बाजारु मूल्य  मात्र लाखों की दर्शना, स्टांप शुल्क में हेरा फेरी,वर्ष 2010 में कृषि मंत्री रहते हुए किए गए ढेचा बीज घोटाले  से संबंधित पीआईएल का उल्लेख न करना तथा झूठी उम्र आदि के मामले में ईसीआई के समक्ष रखा गया था | मोर्चा द्वारा ईसीआई से त्रिवेंद्र की विधानसभा सदस्यता रद्द करने व इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी आग्रह किया गया था  | सीबीडीटी द्वारा 1 वर्ष से अधिक समय बीतने के उपरांत भी कार्रवाई न करने पर फिर उनको दिनांक 27-2-19 को पत्र प्रेषित किया गया |                       

मोर्चा की मांग के क्रम में ईसीआई  को सीबीडीटी  ने रिपोर्ट सौंप दी है, निश्चित तौर पर अब कार्रवाई का रास्ता साफ होगा |                

पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजय राम शर्मा, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे |

शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए छात्र मूल्यांकन की अहम भूमिकाः निशंक 

'निशंक' ने उच्च शिक्षा संस्थानों में गुणवत्ता अधिदेश के 5 कार्यक्षेत्रों को शामिल करने वाले 5 दस्तावेज लॉन्च किए
उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए छात्र मूल्यांकन की अहम भूमिकाः निशंक 



एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा गुणवत्ता अधिदेश के 5 कार्यक्षेत्रों को शामिल करके विकसित 5 दस्तावेज लॉन्च किए। ये 5 दस्तावेज मूल्यांकन सुधार, पर्यावरण के अनुकूल तथा टिकाऊ विश्वविद्यालय परिसर, मानवीय मूल्य और पेशेवर नैतिकता, फैकल्टी दक्षता और शैक्षिक अनुसंधान समग्रता को कवर करते हैं।   
इस अवसर पर निशंक ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में गुणवत्ता सुधारने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने उच्च शिक्षा गुणवत्ता कार्यक्रम अधिदेश को अपनाया है। इस गुणवत्ता अधिदेश का उद्देश्य देश की अगली पीढ़ी को एक अच्छे जीवन के लिए महत्वपूर्ण कौशल, ज्ञान और नैतिकता से लैस करने में उच्च शिक्षा प्रणाली को शामिल करना है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने में छात्र मूल्यांकन की अहम भूमिका है। छात्रों के मूल्यांकन को अधिक सार्थक प्रभावी और शिक्षा परिणामों से जोड़ने के लिए भारत में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में मूल्यांकन सुधार बहुत सामयिक और लाभदायक है।
उच्च शिक्षा संस्थानों में पर्यावरण अनुकूल और टिकाऊ परिसर विकास के लिए एसएटीएटी- ढांचे का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि परिसरों में पर्यावरणीय गुणवत्ता बढ़ाने और भविष्य में सतत हरित और सतत तरीकों को अपनाने तथा विचारात्मक नीतियों और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए यह ढांचा विश्वविद्यालयों को प्रोत्साहित करता है।
शैक्षिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों और नैतिकता को बढ़ावा देने वाली प्रक्रियाओं के बारे में विचार-विमर्श करने और उन्हें कारगर बनाने की जरूरत को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि यूजीसी ने उच्च शैक्षिक संस्थानों में मानवीय मूल्यों और पेशेवर नैतिकता के समावेश के लिए नीति फ्रेमवर्क दृ 'मूल्य प्रवाह- दिशा-निर्देशों' को विकसित किया है।
 इसके अलावा उन्होंने उम्मीद जताई कि गुरु-दक्षता के लिए दिशा-निर्देश - फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम (एफआईपी) फैकल्टी को छात्र केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने,  उच्च शिक्षा में पढ़ाने-पढ़ने, मूल्यांकन विधियों के लिए आईसीआईसीए एकीकृत शिक्षण और नए शैक्षिक दृष्टिकोणों के लिए शिक्षकों को संवेदी बनाना और प्रेरित करने के मुख्य उद्देश्य को पूरा करेंगे।  
इस अवसर पर उन्होंने संकाय सदस्यों द्वारा उच्च गुणवत्तायुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने और नए ज्ञान का सृजन करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सभी विषयों में गुणवत्तायुक्त पत्रिकाओं पर लगातार निगरानी करने और उनकी पहचान के लिए शैक्षिक और अनुसंधान नैतिकता (यूजीसी-केअर) के लिए कंसोर्टियम की स्थापना करने के लिए यूजीसी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह उम्मीद जाहिर की कि केअर वेबसाइट और गुणवत्ता वाली पत्रिकाओं की संदर्भ सूची अधिक जागरूकता पैदा करने तथा अकादमिक अखंडता और नैतिकता प्रकाशन के बारे में भी उपयोगी होगी।


सी0एम0 पत्नी मामले में शिक्षा विभाग हरकत में आयाः मोर्चा  

सी0एम0 पत्नी मामले में शिक्षा विभाग हरकत में आयाः मोर्चा  



- जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए उप शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई के निर्देश                  
- बगैर विभागीय अनुमति करोड़ों रुपए मूल्य की भूमि खरीदने का है मामला
- राजभवन/शासन के निर्देश पर भी विभाग नहीं कर रहा था कार्यवाही
- सूचना आयोग के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने की कार्रवाई शुरू
संवाददाता
विकासनगर।  जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की धर्मपत्नी श्रीमती सुनीता रावत द्वारा बिना विभागीय अनुमति के करोड़ों रूपये मूल्य की भूमि खरीदने के मामले में सूचना आयोग  के निर्देश पर  जिला शिक्षा अधिकारी, देहरादून ने  उप शिक्षा अधिकारी  रायपुर देहरादून को दिनांक 5/10/19 को कार्रवाई के निर्देश दिए।
नेगी  ने कहा कि उक्त मामले को लेकर मोर्चा द्वारा राजभवन व शासन में शिकायत दर्ज करायी गयी थी। राजभवन के निर्देश, जुलाई 2018 पर शासन ने शिक्षा निदेशालय को कार्यवाही के निर्देश जारी किये थे तथा उक्त निर्देश के क्रम में निदेशालय द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी, देहरादून को कार्यवाही के निर्देश जारी किये गये। 
उक्त मामले में कोई कार्यवही नहीं की गयी थी, चूंकि मामला मुख्यमन्त्री की पत्नी का था तथा श्रीमती रावत रायपुर ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। सरकारी सेवक को भूमि/भवन इत्यादि खरीदने से पहले विभागीय अनुमति लेनी आवश्यक होती है। श्रीमती रावत द्वारा कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 का उल्लघंन किया गया था।
उक्त मामले में मा0 सूचना आयुक्त जे0पी0 ममंगाई ने गम्भीरता दिखाते हुए दिनांक 4/10/19 को जिला शिक्षा अधिकारी देहरादून को 3 सप्ताह के भीतर कार्रवाई के  निर्देश दिये थे। मोर्चा ने श्री त्रिवेंद्र को  नसीहत दी कि जुमले गढ़ने से पहले, घर से जीरो टॉलरेंस की शुरुआत करें।


 


बंगाली भक्तों ने खोजा था कालीचौड़ मंदिर

बंगाली भक्तों ने खोजा था कालीचौड़ मंदिर



दीपक नौगांई
हल्द्वानी। काठगोदाम से 5 किलोमीटर दूर घने जंगल में काली माता का मंदिर उसी स्थान पर है जहां सुल्ताना डाकू भी शरण लिया करता था। समीप ही सुल्तान नगरी है। 1930 के दशक में कोलकाता के एक भक्त को माता ने सपने में इस स्थान के बारे में बताया था। 
भक्त ने हल्द्वानी पहुंचकर अपने मित्र राजकुमार चूड़ी वाले के सहयोग से इस स्थान को खोजा था। चूड़ी कारोबारी के परिवार ने कई दशकों तक मंदिर की व्यवस्थाएं संभाली। यहां खुदाई में कई मूर्तियां और एक ताम्रपत्र निकला जिसमें पाली भाषा में देवी का महात्म्य अंकित है। 
पंचांग कार राम दत्त जोशी के पिता ने खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की और राम दत्त जोशी ने सबसे पहले यहां भागवत कथा का पाठ करवाया। मंदिर को गौलापार के जमीदार में हरा ठोकदार ने बनवाया था। 
यही वह स्थान है जहां आदि गुरु शंकराचार्य के कदम उत्तराखंड भ्रमण मैं सर्वप्रथम पड़े थे। गुरु गोरखनाथ, सोमवारी बाबा, हैडाखान बाबा, नानतीन महाराज ने भी यहां साधना की थी। मंदिर संचालन हेतु प्रबंधन समिति का गठन किया गया है।


आधार-पैन लिंक है या नहीं, कैसे करें जांच?

आधार-पैन लिंक है या नहीं, कैसे करें जांच?



इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 139एए के तहत आईटीआर फाइल करने वाले हर नागरिक के लिए पैन व आधार लिंक करना जरूरी है।
प0नि0डेस्क
देहरादून। देश में टैक्स मामलों की सबसे बड़ी संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि जो लोग आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं उनके लिए पैन कार्ड को आधार से जोड़ना जरूरी है।
अगर आपने अब तक पैन से आधार लिंक नहीं किया है तो आपको 31 दिसंबर तक यह काम जरूर पूरा कर लेना चाहिए। पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में आधार की संवैधानिक मान्यता बरकरार रखी गयी थी। इस हिसाब से आयकर कानून-1961 के सेक्शन-139एए के तहत सीबीडीटी द्वारा 30 जून 2018 को जारी आदेश मान्य है। 
जिन करदाताओं ने वित्त वर्ष 2016-17 या 2017-18 के लिए आईटीआर फाइल किया है और उनके आधार पैन से लिंक हैं, उन्हें इस फैसले से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। अगर आपने पैन व आधार लिंक कर लिया है और आप यह जानना चाहते हैं कि आयकर विभाग के आंकड़ों में ये लिंक हैं या नहीं, तो आप इसकी जांच कर सकते हैं।
सबसे पहले आप आयकर विभाग की वेबसाइट पर जायें। आप इस लिंक पर भी क्लिक कर सकते हैं- www.incometaxindiaefiling.gov.in
बाएं तरफ लिखे क्विक लिंक्स विकल्प के 'लिंक आधार' पर क्लिक करें।
आपके सामने एक नया पेज खुल जाएगा। आपको सामने की स्क्रीन पर सबसे ऊपर एक हाइपरलिंक दिखेगा। आप इस पर क्लिक करें। हाइपरलिंक पर क्लिक करने के बाद आपको अपने पैन व आधार नंबर की डीटेल्स डालनी होगी।
आधार-पैन की डीटेल्स डालने के बाद एंटर पर क्लिक करें। इसके बाद व्यू लिंक आधार स्टे्टस पर क्लिक करें।
अब आप आयकर विभाग की इस वेबसाइट पर देख पाएंगे कि आपका पैन कार्ड आधार से लिंक है या नहीं।


गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

28 दिसम्बर से होगा द्वितीय रमेश कुमार मेमोरियल वालीबाल टूर्नामेंट का आगाज 

28 दिसम्बर से होगा द्वितीय रमेश कुमार मेमोरियल वालीबाल टूर्नामेंट का आगाज



संवाददाता
हरिद्वार। द्वितीय रमेश कुमार मैमोरियल वालीबाल टूर्नामेंट 28 से 30 दिसम्बर तक आयोजित किया जाएगा। नाकआउट आधार पर खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट में कुल 15 टीमें भाग लेंगीं। टूर्नामेंट का उदघाटन मैच मुख्य अतिथि आदेश चौहान विधायक रानीपुर की मौजूदगी में 28 दिसम्बर की सुबह 11 बजे खेला जाएगा, टूर्नामेंट का फाइनल मैच 30 दिसम्बर की शाम 6 बजे खेला जाएगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सूबे के कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल होंगें। टूर्नामेंट कमेटी के चेयरमैन आशीष कुमार शर्मा के अनुसार रमेश कुमार मैमोरियल शिक्षण एवं क्रीड़ा संस्थान ब्रह्मपुरी रावली महदूद के खेल परिसर में आयोजित किये जा रहे इस टूर्नामेंट की सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। 
दिन ओर रात में सम्पन्न होने वाले इस टूर्नामेंट की विजेता व उप विजेता टीम को चल वैजयंती के अलावा क्रमशः 11 हजार व 7 हजार रुपये का नगद पुरुस्कार भी प्रदान किया जाएगा।


सोने के गहने की शुद्धता कैसे परखें?

सोने के गहने की शुद्धता कैसे परखें!



सरकार ने हॉलमार्क के विज्ञापन के जरिए लोगों को थोड़ा जागरूक करने की कोशिश की है। ताकि लोगों को पता चले कि सोना असली है या नकली।
प0नि0डेस्क
देहरादून। सोना हमेशा खरीदा जाता है। शादी का सीजन हो या कोई त्यौहार, सोने की डिमांड हमेशा रहती है। ऐसे में जरूरी है कि हर ग्राहक जागरूक हो कि जो सोना खरीद रहे हैं वो असली हो। आज भी लोग सोने की सही पहचान नहीं कर पाते हैं। सरकार ने भले ही हॉलमार्क के विज्ञापन के जरिए लोगों को थोड़ा अवेयर करने की कोशिश की हो, लेकिन बावजूद इसके कुछ लोग नकली सोना खरीद लेते हैं। ऐसे में हमेशा सोना खरीदते समय चिंता सताए रहती है कि आखिरी जो हम सोना खरीद रहे हैं वो असली है या नकली। 
सोने के आभूषण जब भी आप खरीदें तो उसमें बीआईएस हॉलमार्क जरूर देख लें। यह बीआईएस का एक सर्टिफिकेट है। जिसमें सोने की शुद्धता पता चलती है। इसमें आपको ध्यान देने की जरूरत ये है कि हॉलमार्क असली बना है या नकली। बीआईएस हॉलमार्क निशान सभी आभूषणों पर होता है। इसमें एक त्रिकोण निशान होता है। इसके साथ ही सोने की शुद्धता भी लिखी होती है।
एसिड टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसमें आपको पल भर में ही पता चल जाएगा कि आपने जो सोना लिया वो असली है या नकली। इसक लिए आपको सोने को एक पिन से थोड़ा सा खुरेच दें। इसके बाद उस जगह नाइट्रिक एसिड की कुछ बूंदें डाल दें। अगर सोना असली होगा तो उसका रंग बिल्कुल भी नहीं बदलेगा। यदि नकली होगा तो हरे रंग का हो जाएगा।
चुंबक टेस्ट के लिए हार्डवेयर की दुकान से चुंबक लें और इससे सोने की जूलरी पर लगाएं। अगर यह चिपकता है तो आपका सोना असली नहीं है और अगर नहीं चिपकता तो यह असली है। क्योंकि सोना चुम्बकीय धातु नहीं है।
पानी के जरिए भी आप सोने का टेस्ट कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक गहरे बर्तन में पानी भरना होगा। फिर इसके बाद आप सोने को डाल दीजिए। अगर वो असली सोना होगा तो पानी में डूब जाएगा। अगर सोना पानी की धारा के साथ कुछ देर तैरता है तो समझिए कि सोना नकली है। सोना कितना भी हल्का हो कितनी भी कम मात्रा में हो वह पानी में हमेशा डूब जाएगा।


 


सर्दियों में मुंह से निकलती है भाप!

सर्दियों में मुंह से निकलती है भाप!



सर्दियों में मुंह से भाप निकलने लगती है लेकिन जब हम घर के अंदर होते हैं तो भाप निकलती नहीं दिखती। 
प0नि0डेस्क
देहरादून। सर्दियों के मौसम में मुंह से भाप निकलने लगती है। हमारे शरीर में हमेशा भाप बनती रहती है? यदि ऐसा है तो गर्मियों में भाप निकलती क्यों नहीं दिखाई देती? ऐसे कई सारे सवाल उभरकर सामने आते होंगे। आखिर सर्दी आते ही मुंह से भाप निकलती दिखाई देती है। इस भाप के पीछे की एक सामान्य सा कारण है।
जब हम सांस लेते हैं तो शरीर में आक्सीजन जाती है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाई आक्साइड निकलती है। लेकिन पूरा सच यह है कि सांस छोड़ते समय फेफड़ों से कार्बन डाई आक्साइड के साथ साथ नाइट्रोजन, कम मात्रा में आक्सीजन, आर्गन और नमी भी शामिल रहती है। क्योंकि मुंह और फेफड़े नम रहते है इसलिए हर सांस के साथ थोड़ी मात्रा में नमी भाप के रूप में शरीर से बाहर निकलती है। जब शरीर में नमी की मात्रा बढ़ती है तो ये पसीने और मूत्र में निकल जाती है।
जैसा कि हम जानते है कि पानी तीनों अवस्थाओं में होता है। ठोस, द्रव और गैस। ठोस होने पर पानी बर्फ, द्रव होने पर जल और गैसीय अवस्था में होने पर भाप कहलाता है। बर्फ में एच2ओ के अणु मजबूती के साथ एक दूसरे से जुड़े होते हैं। द्रव अवस्था में कम मजबूती और गैसीय अवस्था में और भी कम मजबूती के साथ ये आपस में जुड़े होते हैं। गैसीय अवस्था में एच2ओ के अणुओं में ऊर्जा ज्यादा होती है जिससे ये गतिक अवस्था में होते हैं। मानव शरीर का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है। ऐसे में जब बाहर का तापमान कम होता है और हम सांस बाहर छोड़ते हैं तो शरीर से निकलने वाली नमी के अणु अपनी ऊर्जा तेजी से खोने लगते हैं और पास-पास आ जाते हैं। इससे भाप द्रव या ठोस अवस्था में बदलने लगती है। ये भाप छोटी-छोटी पानी की बूंदों में होती है। अगर तापमान शून्य से ज्यादा नीचे हो तो मुंह से निकलने वाली भाप बपर्फ में बदलने लगती है। 
विज्ञान के मुताबिक गैस में अणु दूर दूर, द्रव में थोड़े पास और ठोस में एकदम चिपके रहते हैं। भाप द्रव और गैस के बीच की अवस्था है। जब बाहर के तापमान में गर्मी होती है तब नमी शरीर से बाहर निकलती है तो गैसीय अवस्था में ही रहती है क्योंकि इसके अणुओं की गतिक ऊर्जा कम नहीं होती है और वे दूर दूर ही रहते हैं। इस वजह से ये भाप या पानी की बूंदों में नहीं बदल पाते लेकिन जब बाहर का तापमान कम होता है तब निकलने वाले नमी और गैस अपनी गतिक ऊर्जा तेजी से खोते हैं और उसके अणु पास पास आने लगते हैं। ये अणु पास-पास आकर भाप बन जाते हैं। मुंह से भाप निकलना पूरी तरह बाहर के तापमान पर निर्भर करता है। इसलिए बंद घर के अंदर अक्सर मुंह से उतनी भाप नहीं निकलती क्योंकि अंदर का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है।


बुधवार, 25 दिसंबर 2019

कपड़ों के थैले बांट कर लोगों को किया जागरूक

जागरूक बनो आवाज उठाओं संस्था ने चलाया अभियान



कपड़ों के थैले बांट कर लोगों को किया जागरूक
संवाददाता
देहरादून। जागरूक बनो आवाज उठाओ, संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार प्लास्टिक एवं सिंथेटिक के थैलों के प्रयोग न करने की अपनी मुहिम के अन्तर्गत काम जारी है। संस्था इस अभियान के तहत शहर भर के अलग अलग जगहों में जाकर लोगों को जागरूक करती है और साथ ही प्रोत्साहन स्वरूप उनको कपड़ज्ञें के थैले भ्ज्ञी प्रदान करती है। 
इस क्रम में संस्था ने हनुमान चौक पर लोगों के बीच जाकर करीब 76 लोगों को कपडे के थैलों का वितरण किया। साथ ही उन्हें प्लास्टिक एवं सिंथेटिक के थैलों के प्रयोग न करने का सुझाव भी दिया। संस्था के इस प्रयास की लोगों ने प्रशंसा करते हुए कहा कि वे इसपर अमल लायेंगे। बता दें कि संस्था के संयोजक यशवीर आर्य ने थैले बांटते हुए लोगों से प्लास्टिक के प्रयोग के दुष्परिणामों से अवगत कराते हुए बाज़ार निकलते समय सदैव थैला साथ रखने का अनुरोध किया। आर्य ने कहा कि तभ्ज्ञी उनकी यह मुहिम सार्थक होगी।
इस अवसर सर्वश्री बिशंभर नाथ बजाज, कृष्ण मुरारी गुप्ता, उमाकांत गौतम, उदवीर पंवार, कमल कान्त और अब्बास अली ने उपस्थित रहकर सहयोग प्रदान किया।


पहाड़ी फाउंडेशन ने जरूरतमंदों को बांटे कंबल

पहाड़ी फाउंडेशन ने जरूरतमंदों को बांटे कंबल



संवाददाता
देहरादून। शहर में जैसे जैसे दिसंबर अपने अंतिम पडाव की ओर अग्रसर हो रहा है वैसे वैसे कड़ाके की सर्दी का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में शहर के झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले निर्धन लोगों को सर्दी का सामना करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कहते है कि ईश्वर सबका पालनहार है। वह किसी न किसी को माध्यम बनाकर रास्ता निकाल ही देता है। आज ऐसा ही माध्यम बनकर रमा प्रसाद घिडियाल पहाड़ी फाडंडेशन सामने आया है। 



निर्धन लोगों को कड़क ठंड से बचाने के लिए रमा प्रसाद घिल्डियाल पहाड़ी फाउंडेशन ने अपने एक अभियान के तहत शहर में गर्म कपड़े वितरित किये। जरूरतमंदों को पहाड़ी फाडंडेशन की मदद से उनके चेहरे खिल उठे। फाडंडेशन ने झुग्गियों में रहने वालों के लिए जो वस्त वितरण का पुनित कार्य किया वह अन्य समाजसेवियों के लिए भी प्रेरणा का सबब बन गया है।  
गौरतलब है कि फाउंडेशन गरीबों के लिए वस्त्र जुटाने का अभियान करीब एक महीने पहले से कर रही थी। फाउंडेशन की अध्यक्ष अदिति ने ने जानकारी दी कि फाडंडेशन के स्वयंसेवकों अजय प्रसाद, दीपक सजवान, रविन्द्र असवाल, मनोज कुमार, शिवानी वैद आदि के सहयोग से वर्तमान में करनपुर के चुना भट्टा के समीप वहां आसपास रहने वाले निर्धन लोगों को गर्म कपड़े वस्त्र वितरण किये गये है। उन्होंने कहा कि उनका फाडंडेशन आगे भी इस तरह के निर्धनों के लिए मददगार कार्यक्रमों को करती रहेगी।


जनता को धोखा  देने के मामले में त्रिवेंद्र को मिले देश का सर्वश्रेष्ठ सीएम अवार्ड: मोर्चा       





जनता को धोखा  देने के मामले में त्रिवेंद्र को मिले देश का सर्वश्रेष्ठ सीएम अवार्ड: मोर्चा     

- समाचार पत्रों में झूठे विज्ञापनों के सहारे कर चुके 40000 करोड का निवेश               

- धरातल पर नहीं उतरा 100 रुपए का भी निवेश                       - एक वर्ष से अधिक समय बीत चुका है इन्वेस्टर्स समिट को   

- झूठे विज्ञापनों पर खर्च कर डाले करोड़ों रुपए               

 - निवेश तो दूर, अब तक हो चुके हजारों उद्योग बंद           

 - मोर्चा पूर्व में कर चुका राजभवन से सीएम पर मुकदमा दर्ज करने की मांग          

संवाददाता

विकासनगर।  जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि जनता से सफेद झूठ बोलने /धोखा देने के मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री /उद्योग मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को देश का सर्वश्रेष्ठ सीएम अवार्ड मिलना चाहिए | नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि गत वर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर सरकार द्वारा इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया तथा उक्त के पश्चात त्रिवेंद्र लगातार हजारों करोड रुपए के निवेश को धरातल पर उतरने की बात कह चुके हैं | गत माह पूर्व भी सरकार  लगभग 40000 करोड के निवेश की बात धरातल पर उतार दिए जाने की बात समाचार पत्रों में झूठे विज्ञापनों के माध्यम से प्रसारित/ प्रचारित कर चुकी है | नेगी ने कहा कि ताजा आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि अब तक इन्वेस्टर्स समिट के एमओयू के सापेक्ष 100 रुपए का निवेश भी धरातल पर नहीं उतरा है, जो कि सिर्फ और सिर्फ झूठी  वाह-वाही लूटने जैसा घृणित कार्य है |वास्तविकता यह है कि अभी तक सिर्फ कागजों में यानी हवाई तौर पर 111 एमओयू पर कार्य चल रहा है, जिसमें 14163 करोड़ का निवेश होगा, लेकिन यह कब होगा ऊपरवाला ही जानता है | त्रिवेंद्र राज में अब तक हजारों जो बंद हो चुके हैं तथा हजारों उद्योग बंदी के कगार पर है।          

नेगी ने कहा कि मोर्चा पूर्व में भी सीएम त्रिवेंद्र के खिलाफ इन्वेस्टर समिट के झूठे निवेश के मामले में मुकदमा दर्ज कराने हेतु राजभवन से भी आग्रह कर चुका है | मोर्चा प्रदेश की जनता, खासकर युवाओं से आग्रह करता है कि सरकार के इस सफेद झूठ का मुंह तोड़ जवाब दें तथा जागरूक हों |





बीएचयू में पढ़ाई जाएगी भूत विद्या

बीएचयू में पढ़ाई जाएगी भूत विद्या



यह कोर्स जुलाई 2020 से शुरू होगा, जिसके लिए आवेदन की प्रक्रिया जनवरी 2020 से शुरू हो जाएगी
एजेंसी
वाराणसी। आपने भूतों की कहानी जरूर सुनी होगी। भूतों की दुनिया हमेशा से ही अलौकिक और रहस्यमयी रही है लेकिन अब इसके रहस्य से पर्दा उठने वाला है। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) जल्द ही भूत विद्या का सर्टफिकेट कोर्स शुरू करने जा रही है, जहां इस दुनिया के बारे में रिसर्च होगी। 
इस कोर्स को बीएचयू का फैकल्टी ऑफ आयुर्वेद शुरू करने जा रहा है। फैकल्टी ऑफ आयुर्वेद के डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी ने बताया कि भूत विद्या दरअसल 6 महीने का सर्टफिकेट कोर्स होगा, जिसमें चिकित्सा पद्धतियों के स्नातक या डॉक्टर छात्र पढ़ाई करेंगे। डॉक्टरों को मनोचिकित्सा संबंधी विकारों और असामान्य कारणों से होने वाली मनोवैज्ञानिक स्थितियों के इलाज के लिए उपचार और मनोचिकित्सा के बारे में पढ़ाया जाएगा जिसे कई लोग भूत का असर मानते हैं।
यामिनी ने कहा कि महर्षि चरक ने आयुर्वेद की 8 ब्रांच बताई थीं, उसमें 5 ब्रांच को भारत सरकार की सेंटर काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ने 15 विषयों में बांट दिया। जो तीन ब्रांच छूटी, उसमें रसायन विज्ञान, वाजीकरण विज्ञान और भूत विज्ञान शामिल है। देश में पहली बार बीएचयू इन तीन विषयों पर शोध करने जा रहा है। 
एकेडमिक काउंसिल ऑफ बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी ने इसकी अनुमति भी दे दी है। इसके लिए तीन नए यूनिट बनाए गए हैं. इसके जरिये 6 महीने सर्टफिकेट कोर्स होगा। चिकित्सा पद्धतियों के स्नातक इसके छात्र होंगे और विभिन्न मेडिकल साइंस, बेसिक साइंस क्षेत्रों के विशेषज्ञों इसे पढ़ाएंगे। मेडिकल के साथ-साथ धर्मविज्ञान और संस्कृत के विशेषज्ञों भी शिक्षकों में शामिल होंगे।
बता दें कि यह कोर्स जुलाई 2020 से शुरू होगा, जिसके लिए आवेदन की प्रक्रिया जनवरी 2020 से शुरू हो जाएगी। कोर्स की फीस 50,000 हो सकती है। इस कोर्स में उम्मीदवारों का दाखिला मेरिट या लिखित परीक्षा के आधार पर हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उम्मीदवारों की संख्या कितनी है। अगर अभ्यर्थयिों की संख्या ज्यादा हुई तो लिखित परीक्षा होगी।


 


आजकल चल रहा है इंटरनेंट उपवास का नया ट्रेंड

बहुत से लोग इंटरनेट की लत छुड़ाने के वास्ते नये नये तरीके तलाश रहे है
आजकल चल रहा है इंटरनेंट उपवास का नया ट्रेंड



प0नि0डेस्क
देहरादून। आज के दौर में कई लोग इंटरनेट की लत छुड़ाने के तरीके तलाश रहे हैं। इसे इंटरनेट मुक्त उपवास का नाम दिया जा रहा है। बेंगलुरु में तो इसे बकायदा डोपामाइन पफास्टिंग का नाम दिया गया है, यानी वह उपवास जो कोई लत छुड़वाने के लिए रखा जाता है।
इस अडिक्शन के चलते मानसिक परेशानियों के अलावा लोगों को आंखों की समस्या, हाथ और बाजुओं में दर्द, हर समय थकावट जैसी दिक्कतें भी हो जाती हैं। यह लत कई बीमारियों को पैदा करने में मददगार होती है।
इस उपवास में आपको फोन, लैपटाप जैसी चीजों से दूरी बनाकर असली दुनिया का अनुभव लेना होता है। एक मरीज के तौर पर इसका अनुभव है कि सोशल मीडिया से दूरी मन, शरीर और यहां तक कि आत्मा को भी तरोताजा कर देता है।
डोपामाइन नाम का यह उपवास उन गतिविधियों की लत को दूर करता है जिन्हें करके सुखद अहसास होता है। डोपामाइन एक तरह का न्यूरोकैमिकल हार्माेन होता है जो कि सुखद अनुभव होने पर दिमाग से रिलीज होता है और हमको इनाम मिलने जैसा अनुभव देता है। लेकिन धीरे-धीरे इस अहसास की चाह बढ़ती जाती है और आदमी उस काम में लगा रहता है। इसलिए डोपामाइन नाम का यह उपवास हमारे दिमाग को रीसेट करता है, लत से हमें दूर करता है और रोजमर्रा की जिंदगी में असली खुशी का अहसास कराता है।
हमारे देश में योग जैसे आध्यात्मिक ट्रेडिशंस है जिसमें बताया जाता है कि इच्छा शक्ति पर कंट्रोल करना एक तरह से मानसिक और आध्यात्मिक क्रांति है। धरणा है कि लड़कियों में आनलाइन शापिंग की, जबकि लड़कों में गेमिंग की लत सबसे ज्यादा होती है, जिसे छुड़वाने के लिए वह उपवास रख रहे हैं।
लत छुड़ाने के लिए उपवास के नाम पर एक दिन फोन से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। इसके तहत स्क्रीन प्रफी संडे की शुरुआत, इंटरनेट फास्टिंग का इस्तेमाल, छुट्टी वाले दिन फोन का इस्तेमाल नहीं करना जैसी बातें शामिल है।
हालांकि इस तरह का उपवास पहले तो परेशान कर सकता है, लेकिन धीरे-धीरे इसके पाजिटिव रिजल्ट भी सामने आते हैं। इस उपवास से न सिर्फ उनकी आदत में बदलाव आता है बल्कि शरीर का वजन भी कम होता है। यह कोई रेग्युलर फास्टिंग नहीं होती जिसे आप रोजाना कर रहे हो। यह समय लेता है और आपको थोड़ा संयम बरतनी होगी तभी इसका असर भी होता है।
यह फैक्ट है कि खुशी हमारी जिंदगी का अहम और जरूरी हिस्सा है। ऐसे में यह उपवास उस व्यक्ति को नहीं करना चाहिए जो बहुत दुखी है या पहले किसी तरह की मानसिक समस्या से जूझ चुका है। यह उपवास अपने मानसिक कंपफर्ट को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। समस्या है तो यकीन मानिये समाधन भी होता है।


1976 में हुआ जमरानी बांध का शिलान्यास

1976 में हुआ जमरानी बांध का शिलान्यास



दीपक नौगांई अकेला
नैनीताल। गौला नदी में जमरानी नामक स्थान पर बांध निर्माण हेतु केंद्र सरकार ने 1975 में धनराशि स्वीकृत की थी।26 फरवरी 1976 को तत्कालीन केंद्रीय ऊर्जा मंत्री केसी पंत और तब के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने इसका शिलान्यास किया था।
शिलान्यास स्थल पर इंदिरा मंच नाम से मंच बनाया गया था। तब कार्य की लागत 61 कंरोड़ रुपये थी। वर्ष 1981 82 तक बांध निर्माण के तहत 244 किलोमीटर लंबी नेहर और काठगोदाम में गौला बैराज का निर्माण पूर्ण हो गया था।
दमुवाढूंगा और अमृतपुर में आवासीय कॉलोनियां बनाई गई है। बांध स्थल पर नदी पार जाने के लिए छोटा झूला पुल बनाया गया था जो 1993 के भूस्खलन में टूट गया। बांध 9 किलोमीटर लंबा 130 मीटर चौड़ा और 485 मीटर ऊंचा होगा।बांस से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी होगा तथा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को पेयजल एवं सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध होगा। बांध बनने से 15 से अधिक गांव के लोग विस्थापित होंगे।


डिजिटल नहीं, प्रिंट किताबों से पढ़कर सुनाएं अपने बच्चों को कहानियां प0नि0डेस्क देहरादून।

डिजिटल नहीं, प्रिंट किताबों से पढ़कर सुनाएं अपने बच्चों को कहानियां



प0नि0डेस्क
देहरादून। बच्चों को किताबें पढ़ने से कई तरह के लाभ मिलते हैं। इससे बच्चों के बीच अच्छी बान्डिंग बनती है और किताबों में दिलचस्पी भी बढ़ती है। इसके अलावा किताबों से शिक्षा भी बढ़ती है और बच्चों की भाषा और बौद्विक विकास भी होता है।
आजकल बच्चों की किताबों की जगह ई-बुक्स, स्टोरीटेलिंग ऐप्स और इंटरैक्टिव किताबों ने ले ली है। यूनिवर्सिटी आफ मिशिगन द्वारा करवाई गई एक स्टडी में शोधकर्ताओं ने रीडिंग के विभिन्न माध्यमों पर रिसर्च की। इसमें 37 माता-पिता और उनके बच्चों को शामिल किया गया था। इसमें बच्चों को प्रिंट बुक, टैबलेट बुक और इंटरैक्टिव टैबलेट बुक पढ़ने के लिए दी गईं। ये सभी बच्चे 2 से 3 साल की उम्र के थे।
शोधकर्ताओं ने जाना कि जब माता-पिता डिजीटल किताबें पढ़ते हैं तो रीडिंग अच्छी नहीं रहती है। ऐसे में बच्चे उनकी रीडिंग में दखल देकर टैबलेट ले लेते हैं ताकि वो खुद उसे पढ़ सकें। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को टैबलेट से दूर रखने की कोशिश करते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार इस वजह से बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं सुनते हैं और उनकी बात का उल्लंघन करने लगते हैं।
टैबलेट और ऐप्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये बाकी एक्टिविटीज से हमारा ध्यान भटकाते हैं। बच्चों को इन चीजों से बिलकुल दूर रहना चाहिए। स्टोरीटेलिंग ऐप एक विकल्प हो सकता है लेकिन इसे भी वो अपने बच्चों के साथ इंजाय नहीं कर सकते हैं।
अगर आप अपने बच्चों में रीडिंग हैबिट डालना चाहते हैं तो उसके लिए प्रिंट पिक्चर बुक लाएं और किसी अन्य एक्टिविटी जैसे कि गेमिंग या वीडियो देखने के लिए टैबलेट का इस्तेमाल करें। इस स्टडी से पता चलता है कि रीडिंग हमारे और हमारे बच्चों के लिए कितनी फायदेमंद है।


 


मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

सहायक आबकारी आयुक्त को लापरवाही मामले में आयोग ने किया तलब: मोर्चा 

सहायक आबकारी आयुक्त को लापरवाही मामले में आयोग ने किया तलब: मोर्चा


- सूचना उपलब्ध कराने में बरती गई थी घोर लापरवाही       

- आयोग ने उपायुक्त को भी लगाई कड़ी फटकार, भविष्य के लिए चेताया        

- अर्थदंड की शास्ति एवं अभिलेखों के साथ किया तलब       

- सरकार द्वारा बिक्रीत शराब की आपूर्तिकर्ता कंपनियों, ब्रांड, राज्य मार्ग को जिला मार्ग में परिवर्तित करने व नीति से संबंधित था मामला 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि मोर्चा ने प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में बिक्रीत शराब की आपूर्ति दाताकर्ता कंपनियों उनके ब्रांड, शराब नीति व राज्य मार्ग को जिला मार्ग में परिवर्तित करने संबंधी दस्तावेज की मांग आबकारी आयुक्त कार्यालय से की गई थी, लेकिन विभाग की लापरवाही एवं मद में चूर अधिकारियों  ने सूचना उपलब्ध कराने में घोर कोताही बरती | उक्त मामले में विभाग को अधिनियम का सम्मान करने एवं लापरवाही बरतने के मामले में सबक सिखाने हेतु सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया गया |                    

पिन्नी ने कहा कि उक्त मामले की गंभीरता को देखते हुए सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने दिनांक 02/12/19 को उपायुक्त प्रभाकर शंकर को कठोर चेतावनी निर्गत करते हुए भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न होने के निर्देश दिए | उक्त के साथ- साथ सहायक आबकारी आयुक्त देवेंद्र गिरी गोस्वामी को धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी कर अर्थदंड शास्ति हेतु चेताया तथा आगामी तिथि को स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु अभिलेखों सहित आयोग में उपस्थित होने के निर्देश दिए |       

मोर्चा ने कहा कि वह लापरवाह अधिकारियों को सबक सिखा कर ही दम लेगा | 

गणित कठिन है लेकिन इसके फैक्ट्स रोचक है!

गणित कठिन है लेकिन इसके फैक्ट्स रोचक है!



प0नि0डेस्क
देहरादून। ज्यादातर विद्याथियों को गणित कठिन विषय लगता है वहीं कई तो इसका नाम लेने से ही डरते है। लेकिन इससे जुड़े कुछ फैक्ट्स वास्तव में बड़े रोचक हैं। 
समलन पाई की सटीक वैल्यु निकालना मुश्किल है लेकिन इसे 3.14 या 22/7 माना गया है। कई गणितीय गणनाओं में इसका खूब इस्तेमाल होता है। पाई के बगैर बहुत सी गणना असंभव है। गणित में पाई एक जादू जैसा है। पाई खुद में बहुत रोचक भी है। जैसे अगर पाई की दो अंकों तक वैल्यू यानी 3.14 को आईने में देखेंगे तो पाई ही नजर आएगा।
सूरजमुखी की स्पाइरल शेप और अन्य पैटर्न फिबोनैकी अनुक्रम का पालन करते हैं। फिबोनैकी अनुक्रम मैथ्स में ऐसे पैटर्न को कहते हैं जिसमें पहले की दो संख्याओं को जोड़ने से अगली संख्या प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए 1, 1, 2, 3, 5, 8 आदि। पहले तो पैलिनड्रामिक नंबर या उल्टा-सीधा एक समान का क्या मतलब है, यह समझते हैं। 
कुछ संख्याएं ऐसी होती हैं उनको पीछे या आगे, किसी भी तरफ से पढें या लिखें तो वही संख्या होती है, उसमें कुछ भी बदलाव नहीं होता है जैसे 17371 को अगर हम पीछे की तरफ से लिखें तो भी यह 17371 ही होगी। अगर हम 1234 को उल्टा लिखें तो यह 4321 हो जाएगी। इसलिए हम 17371 को पैलिनड्रामिक नंबर तो कह सकते हैं लेकिन 1234 को नहीं। 
1 से बनीं संख्याएं जैसे 111, 1111, 11111 या इस तरह की कोई और संख्या हो, उनको आपस में गुणा करते हैं तो हमें कोई पैलिनड्रामिक संख्या ही प्राप्त होती है जैसे 1111Û1111=1234321
पहले यह समझ लें कि गूगोलप्लक्स है क्या। दरअसल गूगोलप्लक्स 10 की पावर 10 की पावर 100 की वैल्यू है। हमारी कायनात में कोई ऐसा कागज नहीं है जिस पर हम इसे लिख पाएं या पिफर कंप्यूटर में भी इसको हल करना चाहेंगे तो कोई जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि कंप्यूटर में उतनी मेमरी नहीं होगी। 
सात का हमारी प्रकृति से बहुत लेना-देना है जैसे दुनिया में 7 अजूबे हैं, 7 समुद्र, 7 दिन, इंद्रधनुष में 7 रंग होते हैं। एक आनलाइन पोल में भी ज्यादातर लोगों ने 7 को अपना पसंदीदा नंबर बताया। 6174 को कापरेकर का कान्स्टैंट कहा जाता है। दरअसल 6174 को एक जादुई नंबर भी माना जाता है। 4 अंकों की किसी संख्या के कुछ पफंक्शन के बाद हमेशा 6174 ही आता है।
1 से लेकर 100 तक की सभी संख्याओं को जोड़ा जाए तो 5050 आएगा। चीन और जापान में 4 को अशुभ नंबर माना जाता है। वहां इसका संबंध मौत से जोड़ा जाता है। इसलिए चीन के कई अस्पतालों में चौथा फ्रलोर नहीं होता है।


कहानीः पत्नी का भूत

कहानीः पत्नी का भूत



प्रिंस पांडे
देहरादून। एक आदमी की पत्नी अचानक से बहुत बीमार पड़ गयी। मरने से पहले उसने अपने पति से कहा-'मैं तुम्हे बहुत प्यार करती हूं। तुम्हे छोड़ कर नहीं जाना चाहती। मैं नहीं चाहती की मेरे जाने के बाद तुम मुझे भुला दो और किसी दूसरी औरत से शादी करो। वादा करो कि मेरे मरने के बाद तुम किसी और से प्रेम नहीं करोगे। वर्ना मेरी आत्मा तुम्हे चैन से जीने नहीं देगी।'
और इतना कह कर वो चल बसी।
उसके जाने के कुछ महीनो तक उस आदमी ने किसी दूसरी औरत की तरपफ देखा तक नहीं पर एक दिन उसकी मुलाकात एक ऐसी लड़की से हुई जिसे वह चाहने लगा। बात बढ़ते-बढ़ते शादी तक आ गयी और उनकी शादी हो गयी। 
शादी के ठीक बाद आदमी को लगा कि कोई उससे कुछ कह रहा है, मुड़ कर देखा तो वो उसकी पहली पत्नी की आत्मा थी।
आत्मा बोली-'तुमने अपना वादा तोड़ा है, अब मैं हर रोज तुम्हे परेशान करने आउंगी।'
और इतना कह कर वो गायब हो गयी। आदमी घबरा गया, उसे रात भर नींद नहीं आई। अगले दिन भी रात को उसे वही आवाज सुनाई दी।
'मैं तुम्हे चैन से नहीं जीने दूंगी।. मैं जानती हूं कि आज तुमने अपनी नयी पत्नी से क्या-क्या बातें की।' और उसने आदमी को अक्षरशः एक-एक बात बता दी।
आदमी डर कर कांपने लगा। अगले दिन वह शहर से बहुत दूर एक जेन मास्टर के पास गया और सारी बात बता दी।
मास्टर बोले-'ये प्रेत बहुत चालाक है!'
'बिलकुल है, तभी तो मेरी एक-एक बात उसे पता होती है।' आदमी घबराते हुए बोला।
मास्टर बोले-'कोई बात नहीं मेरे पास इसका भी इलाज है। इस बार जब तुम्हारी पत्नी का भूत आये तो मैं जैसा कहता हूं तुम ठीक वैसा ही करना।'
उस रात जब आत्मा वापस आई तो आदमी बोला-'तुम इतनी चालाक हो। मैं तुमसे कुछ भी नहीं छिपा सकता। और जैसा कि तुम चाहती हो मैं अपनी पत्नी को छोड़ने के लिए भी तैयार हूं पर उसके लिए तुम्हंे एक प्रश्न का उत्तर देना होगा और अगर तुम उत्तर न दे पायी तो तुम्हे हमेशा-हमेशा के लिए मेरा पीछा छोड़ना होगा।'
पत्नी का भूत बोला-'मंजूर है। पूछो अपना प्रश्न।'
आदमी ने पफौरन जमीन पर पड़े बहुत सारे छोटे-छोटे कंकड़ अपनी मुट्ठी में भर लिए और बोला-'बताओ मेरी मुट्ठी में कितने कंकड़ हैं?'
और ठीक उसी समय भूत गायब हो गया।
कुछ हफ्रतों बाद वो एक बार फिर से जेन मास्टर के पास उनका शुक्रिया अदा करने पहुंचा।
'मास्टर, उस भूत से मेरा पीछा छुड़ाने के लिए मैं जीवन भर आपका आभारी रहूंगा।', आदमी बोला-'पर मैं ये नहीं समझ पाया की आखिर उस प्रश्न में ऐसा क्या था कि एक झटके में ही भूत गायब हो गया?'
मास्टर बोले-'बेटा, दरअसल कोई भूत था ही नहीं!
'मतलब!, आदमी आश्चर्य से बोला।
'हां, कोई भूत था ही नही, दरअसल दूसरी शादी करने की वजह से तुम्हें एक अपराधबोध महसूस हो रहा था और उसी वजह से तुम्हारा दिमाग एक भ्रम की स्थिति पैदा कर तुम्हे भूत का अनुभव करा रहा था।', मास्टर ने समझाया।
'पर ऐसा था तो वो मेरी हर एक बात कैसे जान जाता था?, आदमी ने पूछा।
मास्टर मुस्कुराये-'क्योंकि वो तुम्हारा बनाया हुआ ही भूत था, इसलिए जो कुछ तुम जानते थे वही वो भी जानता था और यही कारण था कि मैंने तुम्हे वो कंकड़ वाला प्रश्न पूछने को कहा, क्योंकि मैं जानता था कि इसका उत्तर तुम्हे भी नहीं पता होगा और इसलिए भूत भी इसका उत्तर नहीं दे पायेगा और तुम्हंे तुम्हारे दिमाग की ही उपज से छुटकारा मिल जायेगा।
आदमी अब पूरी बात समझ चुका था। उसने एक बार फिर मास्टर को धन्यवाद किया और अपने घर लौट गया।


सोमवार, 23 दिसंबर 2019

घोटाले के विरोध में आधा दर्जन ने कराया मुंडन

घोटाले के विरोध में आधा दर्जन ने कराया मुंडन



प्रधानमंत्री आवास के समक्ष आत्मदाह की चेतावनी
आरोप
पेयजल सचिव कि इशारे पर एमडी भजन सिंह कर रहे घोटालेः अमित जानी'
ब्लैक लिस्ट कंपनी आरके इंटर प्राइजेज को 200 करोड़ का टेण्डर देने की तैयारी
संवाददाता
देहरादून। पेयजल निगम के एमडी भजन सिंह के घोटालों के खिलाफ युवजन सभा से जुड़े युवाओं ने विरोध में मुंडन कराया। इस दौरान अपने संबोधन में युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी से पेयजल सचिव अरविंद सिंह पर आरोप लगाया कि यह भ्रष्टाचार केवल भजन सिंह अकेले नहीं कर रहे है। यह भ्रष्टाचार पेयजल सचिव की मिली भगत से हो रहा है क्योंकि हर बार जांच से भजन सिंह को सचिव अरविंद सिंह ह्यांकि बचा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार की जांच पेयजल निगम के पूर्व  सचिव को सौंपी गई है लेकिन सचिव ह्यांकि उन्हें जांच नहीं करने दे रहे हैं। 
अमित जानी ने कहा कि पेयजल निगम में घोटालों का दौर रूक ही नहीं रहा। उन्होंने पेयजल निगम के टेण्डर नम्बर 1498 को लेकर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि पेयजल सचिव ह्यांकि व एमडी भजन सिंह ने इस करोड़ो के टेण्डर को ब्लैक लिस्ट कंपनी आरके इंटर प्राइजेज को देने की तैयारी कर दी है। उन्होंने दावा किया कि अभी टेण्डर प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है लेकिन यह टेण्डर आरके इंटर प्राइजेज को ही दिया जायेगा। जानी ने कहा कि भजन सिंह तो पप्पू है असली पापा तो पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी है। उनके इशारे के बगैर कोई भी टेण्डर नहीं दिया जा सकता है। 
उन्होंने पेयजल सचिव व पेयजल निगम के एमडी भजन सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के आरोप में इंजीनियर सुमित आनंद को निलंबित कर दिया गया लेकिन उन्हें निलंबन का इनाम देते हुए पेयजल सचिव व भजन सिंह ने दून डिवीजन में 200 करोड़ की मसूरी वाटर परियोजना व रिस्पना परियोजना में तैनाती दी है। जिससे कि उनके भ्रष्टाचार को और आगे बढ़ाया जा सके। जानी ने कहा कि युवजन सभा मां गंगा पर किये गये अत्याचार को करने वालों नहीं बख्शेगा। उन्होंने कहा कि जब तक दूध का दूध व पानी का पानी न हो जाए तब तक युवजन सभा लगातार इस मामले में लिए आंदोलन करता रहेगा। 
उन्होंने कहा कि इस प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव आगामी 29 दिसम्बर को होने वाले हरिद्वार से सीएम आवास कूच में भाग लेगें। उन्होंने बताया कि इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश के कई विधायक, पूर्व विधायक, हरिद्वार से 50 से अधिक संत व जनता के प्रतिनिधि भाग लेगें। 
मुंडन कराने वालों में पं0 दीपक तिवारी, विशाल सिंह (विक्की), राम जी यादव, अभय यादव, आकाश सागर आदि शामिल रहे।


करोड़ों के खनन घोटाले में जिलाधिकारी को जांच के निर्देशः मोर्चा    

4000 करोड़ों के खनन घोटाले में आयोग ने दिए जिलाधिकारी को जांच के निर्देशः मोर्चा


        
- वर्ष 2009-2013 में जनपद देहरादून के खनन भंडारण केंद्रों की अनियमितता का है मामला
- मोर्चा के आग्रह पर वर्ष 2014 व 2017 में सूचना आयोग दे चुका है शासन को जांच के निर्देश
- सूचना आयुक्त जे0पी0 ममगई ने दिए जिला अधिकारी को जांच अधिकारी नामित करने के निर्देश
- मोर्चा लगभग छह-सात वर्षाे से अनवरत लगा है कार्रवाई कराने को लेकर
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी कहा कि जिला प्रशासन, देहरादून ने उच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बावजूद 190 लोगों को खनन भंडारण के लाइसेंस वर्ष 2009-2013 तक जारी किए, जिसकी आड़ में खनन माफियाओं द्वारा 4000 करोड का अवैध कारोबार किया गया। उक्त मामले में माफियाओं द्वारा प्रतिबंधित नदियों से चुगान कर एवं कागजी खानापूर्ति करने के लिए फर्जी रवन्नो  की आड़ में अन्य प्रदेशों से उप खनिज का आयात दर्शाया, जबकि जनपद की व्यापार कर चौकियों तथा जंगलात चौकियों में कहीं भी उक्त उपखनिज की आमद नहीं थी।
उक्त घोटाले को लेकर वर्ष 2014 में सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया गया है, जिस पर सूचना आयोग ने दिनांक 29/01/15 को शासन के अपर मुख्य सचिव, मा. मुख्यमंत्री को कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन माफियाओं के आगे शासन व जिला प्रशासन दम तोड़ गया। उक्त के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई न होने से खफा मोर्चा ने वर्ष 2017 में फिर सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिसके क्रम में सूचना आयोग ने दिनांक 15/12/17 को कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसको लेकर जिला प्रशासन व खनिज विभाग थोड़ा हरकत में आया तथा व्यापार कर, प्रशासन व खनिज विभाग ने कुछ कार्रवाई की लेकिन फिर जांच ठंडे बस्ते में डाल दी गई। इस घोटाले में जिला प्रशासन व खनिज विभाग आदि सभी की मिलीभगत थी।
नेगी ने कहा कि उक्त मामले फिर प्रभावी कार्रवाई न होने से खफा होकर मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी, प्रवीण शर्मा पिन्नी ने फिर आयोग का दरवाजा खटखटाया, जिस पर सूचना आयोग आयुक्त जे0पी0 ममगई ने दिनांक 13/12/19 को जिलाधिकारी देहरादून को जांच अधिकारी नामित करने के निर्देश पारित किए तथा उल्लेख किया कि इस जांच से राज्य को अधिक राजस्व प्राप्त होने की संभावना है। अगर इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होती है तो प्रदेश को 400-500 करोड़ रुपए राजस्व  मिलने की संभावना है। 
नेगी ने कहा की खनन माफियाओं एवं विभागीय मिलीभगत का पर्दाफाश कराने को लेकर मोर्चा छह-सात वर्षाे से लगातार प्रयासरत है तथा माफियाओं को किसी भी सूरत में मोर्चा नहीं बख्शेगा।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, मोहम्मद असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज मौजूद रहे।


केन्द्र सरकार ने शुरू की एनपीआर की तैयारी

केन्द्र सरकार ने शुरू की एनपीआर की तैयारी



एजेंसी
नई दिल्ली। संशोधित नागरिकता कानून को लेकर देश के कई राज्यों में घमासान मचा है। पूर्वाेत्तर के अलावा दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, बिहार और गुजरात में भारी संख्या में लोग इस एक्ट के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं। वहीं संशोधित नागरिकता कानून के अलावा एनआरसी को लेकर मचे घमासान के बीच सरकार नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की तरफ बढ़ रही है।
नेशनल पापुलेशन रजिस्टर एनपीआर के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग की है। एनपीआर का उद्देश्य सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस तैयार करना है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें जनसांख्यिकी के साथ-साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी रहेगी। 
रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्तमान में 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े मौजूद हैं और इसके बाद 2021 की जनगणना का काम जारी है। देश भर में जनगणना के लिए पहले चरण एक अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर में केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर ये जानकारी इकट्ठा करेंगे। दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 पफरवरी के बीच पूरा किया जाएगा, जबकि 1 मार्च से 5 मार्च तक संशोधन की प्रक्रिया होगी।
नेशनल पापुलेशन रजिस्टर देश के सामान्य निवासियों के कागजात हैं और ये सिटीजनशिप एक्ट, 1955 के प्रावधानों के मुताबिक स्थानीय, जिला, उप-जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। कोई भी निवासी जो महीने से या उससे अधिक अवधि से स्थानीय क्षेत्र में रह रहा है तो उसे इस रजिस्टर में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है। सरकार ने 2010 से देश की पहचान का डेटा जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की थी।


 


भजनः प्रभु अन्तर्यामी


 


भजनः प्रभु अन्तर्यामी
- चेतन सिंह खड़का


ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी
मैं तेरे चरणों की धूल
जब तक दुख विपदा न आये
मैं जाता हूं तुझको भूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।


मेरी इस गलती को तुमने
अक्सर यों ही माफ किया
जब भी राह में बाधा आयी
तुमने उसको साफ किया
सबके दिल में तुम ही बसे हो
तुम ही हो जीवन का मूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।


किस विधि करनी तेरी पूजा
मुझको इसका ज्ञान नही
नाम तेरा लेने के अलावा
और मुझे कुछ ध्यान नही
तुम भी तो कितने भोले हो
मांगा बस श्रद्वा के फूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।


तुम बिन लगता है ये जीवन
जीने का कोई काम नही
मानवता के प्रेम भाव का
इस जग में कोई नाम नही
तुम सृष्टि के रखवाले हो 
मिटा दिया करतो हो शूल।। ऐ मेरे प्रभु अन्तर्यामी।।


रविवार, 22 दिसंबर 2019

प्रस्तावित गंगा बचाओ आंदोलन में शामिल होंगे शिवपाल यादव

प्रस्तावित गंगा बचाओ आंदोलन में शामिल होंगे शिवपाल यादव

कल सामूहिक मुंडन करके विरोध दर्ज कराएगी प्रसपा

संवाददाता

देहरादून। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी युवजन सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक परेड ग्राउंड स्थित  डूंगा हाउस में सम्पन्न हुई! बैठक में पेयजल निगम के नमामि गंगे परियोजना में किये गए भष्ट्राचार के विरोध में 29 दिसंबर को प्रस्तावित गंगा बचाओ यात्रा की सफलता के लिए रणनीति पे चर्चा हुई।

युवजन सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित जानी ने जानकारी दी कि यह आंदोलन पहले युवजन सभा का था लेकिन राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव द्वारा व्हिप जारी करके इसमे देश के सभी पदाधिकारियों को आने के निर्देश दिए है। उन्होंने कहा कि खुद शिवपाल सिंह यादव आंदोलन में शामिल रहकर कार्यकर्ताओं की अगुवाई करेंगे।

अमित जानी द्वारा बैठक में आये समस्त पदाधिकारियों के जिम्मे 1000 कार और 5000 कार्यकर्ताओं की टीम लाने का कार्यभार सौंपा। अमित जानी ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों से सैंकड़ो पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री 28 दिसंबर को ही देहरादून में आ जायेंगे। सहारनपुर, रुड़की, बिजनौर, मुजफ्फरनगर एवम समीपवर्ती जिलो के लोग 29 को अपने अपने वाहनों ट्रैक्टर टोलियो से देहरादून में प्रवेश करेंगे

देहरादून में शांतिपूर्ण मार्च के साथ मुख्यमंत्री आवास चलकर नमामि गंगे परियोजना में हुए घोटाले की जांच सीबीआई अथवा ईडी से कराने और भजन सिंह को सस्पेंड करने की मांग की जाएगी।

अमित जानी ने जानकारी की दी कल 23 दिसम्बर को देहरादून प्रेस क्लब में युवा कार्यकर्ता अपने सर का मुंडन कराके भरष्टाचार के खिलाफ अपने विरोध का इज़हार करेंगे।

बैठक में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भारत सिंह, राष्ट्रीय महासचिव शिवम यादव, राष्ट्रीय सचिव दुर्गा प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय सचिव रोबिन त्यागी, राष्ट्रीय सचिव प्रकाश गोयल, राष्ट्रीय सचिव अंकित कुमार, राष्ट्रीय सचिव अमरीश यादव, राष्ट्रीय सचिव अभिषेक कौशिक, जिलाध्यक्ष हरिद्वार अरुण चौधरी, शिवम त्यागी, आकाश प्रधान, विशाल संसार, शादाब , नदीम , सुबोध आदि मौजूद थे।

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने रिकॉर्ड 215 दिनों में 3000 कोच तैयार किए

इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने रिकॉर्ड 215 दिनों में 3000 कोच तैयार किए

एजेंसी

नई दिल्ली। भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) ने समर्पण और दक्षता प्रदर्शित करते हुए, 9 महीने से भी कम समय में अपना 3000वां कोच तैयार किया है। इससे कोचों की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। पिछले वर्ष उपरोक्त आंकड़ा प्राप्त करने के लिए कार्य दिवसों की संख्या 289 दिन थी जो घटकर चालू वर्ष में 215 दिन हो गई, इसमें 25.6% की गिरावट आई है। वर्ष 2014 तक, केवल 1000 कोचों के उत्पादन के लिए उतना ही समय लिया जा रहा था।

पर्यावरण संतुलन बनाने में स्थानीय पेड़ पौधों की अहम भूमिका: वृक्षमित्र डा० सोनी

पर्यावरण संतुलन बनाने में स्थानीय पेड़ पौधों की अहम भूमिका: वृक्षमित्र डा० सोनी

संवाददाता

देहरादून। पर्यावरण संरक्षण, संवर्द्धन व पॉलिथीन मुक्त वातावरण बनाने के संबन्ध में पर्यावरणविद वृक्षमित्र डा० त्रिलोक चंद्र सोनी ने गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ से मुलाकात की और ग्रामीण व पर्वतीय स्थानों के उगने वाले स्थानीय पेड़ पौधों के संरक्षण करने की अपील की। 

पर्यावरणविद डा० सोनी ने कहा कि विदेशी व अन्य राज्यो के पेड़ पौधे उत्पादन दे सकते हैं सुंदरता ला सकते हैं लेकिन उस स्थानीय पेड़ पौधों की जगह नही ले सकते हैं जो प्रकृति ने वहाँ की जलवायु के अनुरूप बनाये हैं इसलिए हमें स्थानीय पेड़ पौधों के संरक्षण पर ध्यान देना होगा साथ ही डा० सोनी ने महावीर सिंह रांगड़ को अपने विद्यालय में एनएसएस के विशेष शिविर के समापन पर 6 जनवरी को आमंत्रित किया हैं।

     ग0म0वि0नि0 के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ ने डॉ सोनी द्वारा किए जा रहे पर्यावरण के क्षेत्र में अग्रणी कार्यो की प्रशंसा करते हुए सरकार द्वारा हर स्तर पर सहयोग करने का भरोसा दिया हैं।

पाकिस्तान ने तैनात किये एलओसी पर एक लाख से ज्यादा पाक सैनिक तैनात

पाकिस्तान ने तैनात किये एलओसी पर एक लाख से ज्यादा पाक सैनिक तैनात, भारतीय सेना अलर्ट



एजेंसी
जम्मू। पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी पर पाकिस्तान ने तोपों, टैंकों के अलावा 1 लाख से अधिक अतिरिक्त सैनिकों को नियंत्रण रेखा के पार तैनात कर दिया है। भारतीय सेना भी पूरी तरह मुस्तैद है। सूत्रों की मानें तो आने वाले दिनों में एलओसी पर कुछ बड़ा हो सकता है। इसके संकेत सेना प्रमुख बिपिन रावत दे चुके हैं। 5 अगस्त के बाद से सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ पर रोक लग गई है। पाक सेना व सुरक्षा एजेंसी आईएसआई में हड़कंप मचा है।
पाक सेना आशंकित है कि भारतीय सेना किसी भी समय कार्रवाई करके पाक कब्जे वाले कश्मीर पर कब्जा कर सकती है। इसके लिए पाक सेना ने अपने क्षेत्र में तैयारियां तेज कर दी हैं। चंद दिनों में अपने एक लाख से अधिक सैनिकों को एलओसी के पार जगह-जगह तैनात कर दिया गया है।
सूत्रों का कहना है कि कुछ दिन पहले एलओसी पर 30 हजार पाक सैनिक तैनात थे अब इनकी संख्या सवा लाख से अधिक हो चुकी है। 30 से अधिक पैदल सेना इकाइयां शामिल हैं जिनमें 30 हजार सैनिक हैं। 25 मुजाहिद बटालियन जिनमें 17 हजार सैनिक हैं। बख्तरबंद टैंक बटालियन को तैनात कर दिया है।
पाक सेना ने अपनी वायु रक्षा इकाई के दो हजार से अधिक सैनिकों को तैनात कर दिया है। इनके ऊपर चार डिवीजन मुख्यालय व 10 ब्रिगेड मुख्यालय कमान कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि आदेश पर पाक सेना कभी भी कार्रवाई को शुरू कर सकती है। वहीं भारतीय सेना ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। सेना के बड़े अधिकारी हालात पर नजर रखे हुए हैं तथा भारतीय वायुसेना भी सतर्क है।
जानकारी के मुताबिक जम्मू सीमा पर भी टैंकों की तैनाती की जा चुकी है तथा भीतरी क्षेत्रों से बोफोर्स तोपों को एलओसी के उन स्थानों पर तैनात किया जाने लगा है जहां से पाक कब्जे वाले कश्मीर में अंदर तक मार की जा सके।


जलवा बरकरारः देसी शराब पहली पसंद

जलवा बरकरारः देसी शराब पहली पसंद



शराब पीने के बाद हर चौथा भारतीय करता हाथापाई 
शराब पीने वाले लोगों की औसत आयु 18-49 के बीच है, जो पीने के बाद हंगामा करते हैं और हर पांचवां आदमी रात में नहीं दिन में हंगामा करता है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई हैै
एजेंसी 
नई दिल्ली। हमारे देश में शराब पीकर हंगामा करना आम बात है। भारत में शराब पीने वाला हर चौथा आदमी मदिरा सेवन का समापन लड़ाई-झगड़े से करता है। शराब पीने वाला हर दूसरा भारतीय एक मौके पर कम से कम चार ड्रिंक जरूर लेता है।
इस तरह के व्यवहार को हैवी एपिसोडिक ड्रिंकिंग यानी बहुत ज्यादा सेवन करने वाला माना जाता है। आपको आश्चर्य होगा कि भारत में अल्कोहल का सेवन करने वाले 43 प्रतिशत लोग इस कैटेगरी में आते हैं। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हाल ही में एक सर्वेक्षण किया है जिसमें यह सारी बातें सामने आई है।
भारत में देसी शराब और आईएमएफएल (भारत में बनने वाली विदेशी शराब) की खपत सबसे अधिक होती है। शराब पीने वाला हर तीसरा भारतीय इन उत्पादों पर फिदा है। वहीं वाइन पसंद करने वाले मात्र 4 फीसदी लोग ही हैं। हालांकि बियर पीने वाले 21 प्रतिशत लोग हैं, जिनमें से 12 प्रतिशत स्ट्रांग और 9 प्रतिशत लाइट बियर पसंद करते हैं।
शराब पीने वाले लोगों पर सर्वेक्षण के दौरान एक बात सामने आई कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बहुत ज्यादा अल्कोहल का सेवन करते हैं। इतना ही नहीं पीते वक्त उसमें बहुत ज्यादा पानी मिलाना भी पसंद नहीं करते। भारत में शराब पीने वालों की आबादी 14.60 प्रतिशत है। शराब पीने वाले लोगों की उम्र 10-75 साल के बीच है। वहीं कुल आबादी की बात की जाए तो 16 करोड़ लोग अल्कोहल का सेवन करते हैं, इसमें सभी वर्ग के लोग हैं।
अल्कोहल का सेवन करने वाले 16 करोड़ में से 95 प्रतिशत पुरुष हैं, जो 18-49 एज ग्रुप में आते हैं। वहीं शराब सेवन करने वालों का लिंगानुपात देखा जाए तो 17 पुरुषों के मुकाबले एक महिला है। रिपोर्ट के मुताबिक शराब पीने का प्रचलन 27.30 प्रतिशत पुरुषों में है जबकि महिलाओं में यह 1.60 फीसदी ही है। 
इतना ही नहीं महिलाओं को शराब सेवन करने पर ज्यादा कंट्रोल है। यानी कि वो अपनी लिमिट जानती हैं। पुरुष इस मामले में लापरवाह है इसलिए अक्सर पीने के बाद वो हिंसक हो जाते हैं। रिपोर्ट में पाया गया है कि शराब पीने वाला हर पांचवां व्यक्ति अल्कोहलिक है यानी कि शराब पीने का आदी है। वहीं शराब पीने वाली हर 16वीं महिला अल्कोहलिक है।
गुजरात और बिहार में शराब बेचने पर पाबंदी है। वहीं 10 ऐसे राज्य हैं जहां की 20 प्रतिशत से ज्यादा आबादी अल्कोहल लेती है। इनमें छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, पंजाब, अरुणाचल प्रदेश और गोवा प्रमुख है। बिहार और गुजरात को छोड़ दें तो राजस्थान और मेघालय में शराब पीने वाले लोग सबसे कम है। राजस्थान में 2.1 प्रतिशत और मेघालय में 3.4 प्रतिशत लोग शराब पीते हैं।
जानकर हैरानी होगी त्रिपुरा की 62 प्रतिशत आबादी शराब का सेवन करती है। वहीं छत्तीसगढ़ में 57.2 प्रतिशत और पंजाब में 51.70 प्रतिशत लोग शराब का प्रयोग करते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 प्रतिशत शराब की खपत होती है।
वहीं अरुणाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ में क्रमानुसार 15.60 और 13.70 प्रतिशत महिलाएं शराब पीती हैं। शराब पीने वाले लोगों की औसत आयु 18-49 के बीच है, जो पीने के बाद हंगामा करते हैं और हर पांचवा आदमी रात में नहीं, दिन में हंगामा करता है।


शरणार्थी और घुसपैठियों का अंतर

एनआरसी और सीएबी में फर्क करना नही आता या करना नही चाहते!
शरणार्थी और घुसपैठियों का अंतर



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। पूरे देश में एनआरसी और सीएबी को लेकर विपक्ष ने बवाल काट रखा है। एक समुदाय विशेष को वह बरगलाने में भी एक हद तक कामयाब हुआ है। उसकी इस कामयाबी के लिए सरकार को अवश्य दोषी करार दिया जा सकता है कि वह जनता के बीच इन दोनों बातों को स्पष्टता से समझा नही पायी। लेकिन आलोचकों की मंशा को लेकर भी सवाल है कि यह तथाकथित स्वयंभू बुद्विजीवी एनआरसी और सीएबी के फर्क को नही जानते या फर्क करना नही चाहते। 
हालांकि एनआरसी को लेकर लोगों में पर्याप्त संदेह है। इसका वाजिब कारण भी है। असम में जिस तरह से लोगों को अपनी नागरिकता सिद्व करने के लिए मशक्कत करनी पड़ी, वह कमी दूर की जानी चाहिये। ताकि लोगों की शंका का समाधान हो। अब सीएबी को जिस तरह से विपक्ष ने हिन्दू मुसलमान बना दिया, यहां भी सरकार को चाहिये कि वह सही बात को पुख्ता तरीके से जनता के बीच रखे। ऐसा लगता है कि मोदी सरकार बार बार आधी अधूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरती है। जिसकी वजह से मैच के पहले हाफ में उसकी खासी किरकिरी होती है। बाद में भले ही जीत उसकी ही होती हो परन्तु चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, उन्हें इस तरह लोगों की भावनाओं से खेलने की आजादी नही दी जा सकती।
यहां पर गौर करने की बात है कि पहले इस तरह के दस्तावेजों का रखरखाव करना हमारे देश के लोगों की आदत नही रही है। बहुत कम लोगों के पास पीढ़ी दर पीढ़ी के दस्तावेज उपलब्ध होंगे। ऐसे में नागरिकों और घुसपैठियों में फर्क करना मुश्किल काम है। वहीं हम केवल और केवल बांग्लादेशियों के पीछे पड़े हुए है जबकि हमारे पडोसी देशों जैसे श्रीलंका और नेपाल से भी बड़े पैमाने पर घुसपैठ होती रहती है। बेहतर जीवन जीने की ललक में यहां से भी भारी संख्या में लोग हमारे देश में आते है। आज के वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए इन पर भी रोक जरूरी है।  
चूंकि हम अपने नागरिकों के लिए ही मूलभूत सुविधएं जुटाने में समर्थ नही है तो चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान, घुसपैठिये क्यों बर्दाश्त किए जायें? दूसरा तथ्य यह कि आज आतंकवाद और अपराधिक प्रवृति के विस्तार को देखते हुए, ऐसा करना घातक ही साबित होगा। वैसे भी नागरिकता का प्रमाणपत्र देना और उसके साक्ष्य जुटाना सरकार का काम होना चाहिये, न कि जनता का। अब समय आ गया है कि हमें अपने पडोसी देशों से मित्रता निभाने के लिए उनके नागरिकों को आवागमन की छूट देने की बजाय वीजा पासपोर्ट या वर्क परमिट की अनिवार्यता लागू करनी चाहिये। अब चाहे नागरिक बांग्लादेश के हो या नेपाल के। क्योंकि याद रखिये कि शरणार्थी और घुसपैठिये में अंतर है।


 


गनर के हकदार नहीं गुप्ता बंधु, त्रिवेंद्र ने थमाई थी जेड श्रेणी की सुरक्षाः मोर्चा     

गनर के हकदार नहीं गुप्ता बंधु, त्रिवेंद्र ने थमाई थी जेड श्रेणी की सुरक्षाः मोर्चा     



- सुरक्षा मुहैया कराने में सीएम त्रिवेंद्र ने उड़ाई सर्वाेच्च न्यायालय की धज्जियां 
- वर्ष 2017 में उपलब्ध कराई थी नियम विरुद्ध जेड श्रेणी की सुरक्षा
- दक्षिण अफ्रीका के विवादित व्यवसाई हैं गुप्ता बंधु 
- जीवन भय आख्या व अन्य औपचारिकताओं का कोई अता-पता नहीं, सिर्फ जुबानी जमा खर्च 
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री/गृहमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सर्वाेच्च न्यायालय के आदेशों को दरकिनार कर 16/6/17 को बगैर औपचारिकता पूर्ण किए व जीवन व्याख्या प्राप्त किए, दक्षिण अफ्रीका के कारोबारी तथा सहारनपुर निवासी गुप्ता बंधुओं ( अतुल गुप्ता एवं अजय गुप्ता) को जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी।
हैरानी की बात यह है कि त्रिवेंद्र ने अपने कथन में लिखा है कि गुप्ता बंधुओं ने मुझसे मुलाकात कर अपनी सुरक्षा चिंताओं एवं दक्षिण अफ्रीका के सातवें सबसे धनी व्यक्ति होने तथा इंटरनेट पर उपलब्ध विवरण प्रस्तुत किया, जिसके  आधार पर कार्रवाई/संस्तुति की गई। 
सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा पारित विशेष अनुज्ञा याचिका मेरा(सिविल) संख्या 25237/2010 अभय सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य में व्यवस्था दी थी कि जीवन भय आख्या एवं प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष कारकों के परिलक्षित होने के उपरांत ही सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन त्रिवेंद्र ने गुप्ता बंधुओं के लिए सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया। 
उक्त सुरक्षा दक्षिण अफ्रीका में विवाद होने के उपरांत 22/3/18 को हटा दी गई थी। नेगी ने कहा कि त्रिवेंद्र द्वारा सिर्फ और सिर्फ अपने आदेश के द्वारा बिना कोई औपचारिकता पूर्ण किए जेड श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई। नेगी ने कहा कि उक्त के उपरांत भी त्रिवेंद्र का गुप्ता बंधुओं से मोह नहीं छूट पाया तथा फिर उनको दिनांक 31-12-18 को दो गनर उपलब्ध कराए, जबकि अभिसूचना एवं जनपदीय जीवन भय आकलन समिति द्वारा दिनांक 16-11-18 को स्पष्ट मना कर दिया गया था कि इनको कोई भय नहीं है तथा सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि मोर्चा सीएम त्रिवेंद्र व गुप्ता बंधुओं के संबंधों की भी जांच की मांग करता है। 
पत्रकार वार्ता में मोहम्मद असद, दिलबाग सिंह, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद रहे।


शनिवार, 21 दिसंबर 2019

सावधान यदि आप भी जल्दी-जल्दी खाते हैं खाना! 

सावधान यदि आप भी जल्दी-जल्दी खाते हैं खाना! 



प0नि0डेस्क
देहरादून। आजकल की जीवनशैली में सही वक्त पर खाना खाने का मौका कम ही मिलता है। हम खाने को भी एक फटिक की तरह समझते हैं, जिसे बस निपटाया और काम पूरा हो गया। लेकिन आप जानते हैं कि जबर्दस्ती जल्दी-जल्दी खाया खाना सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। खाने को बिना सोचे समझे खाना और जल्दी-जल्दी खाना बुरी आदतों में गिना जाता है। इसलिए अगर आप भी खाने को फटाफट खत्म करने वालों में से हैं तो जानिए कि जल्दी-जल्दी खाना खाने से किस तरह सेहत पर उसका बुरा असर पड़ता है।
चूंकि आप खाना जल्दी खाते हैं और अपने शरीर के संकेत को नकार जाते हैं। इसी वजह से अधिकतर समय ओवरइटिंग करते हैं। इसी ओवरइटिंग से वजन बढ़ने के साथ ही और भी बीमारियां हो सकती हैं। जब जल्दी-जल्दी खाते हैं, दिमाग तक संदेश नहीं पहुंचता कि पेट भर चुका है या नहीं।
खाने को जल्दी-जल्दी खाने की वजह से इन दिनों ओबेसिटी बहुत ही सामान्य समस्या होने लगी हैं। इस बीमारी से पीड़ित लोग अकसर इसकी वजह असामान्य खुराक और शारीरिक गतिविधियां कम होना मानते हैं। ऐसे में अगर खाना जल्दी-जल्दी खाते हैं तो अब से पूरा चबाते हुए धीरे-धीरे खाएं और फर्क महसूस करें।
तेजी से खाने वाले अक्सर बड़े निवाले लेते हैं और उसे पूरा चबाए बिना निगल जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो खाने को चबाने के बजाए पानी या फिर किसी और ड्रिंक के साथ निगलते हैं। इन सभी कारणों की वजह ही खाना सही तरह से पच नहीं पाता और हाजमा खराब होता है।
जल्दी-जल्दी खाने के चक्कर में कई बार खून में एकदम से शुगर की मात्रा बढ़ जाती है। इसी वजह से इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या होती है। यही समस्या आगे चलकर डायबीटीज जैसी बीमारी में तबदील हो जाती है।
कभी भोजन करना स्किप ना करें, ऐसा करने से ज्यादा देर तक भूखे रहते हैं। इसी वजह से फास्ट और ओवरइटिंग जैसी समस्याएं होती है। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप इत्यादि स्क्रीन्स के सामने बैठे हुए कभी भी खाना ना खाए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे ध्यान भटकता है जिससे जल्दी जल्दी खाना खाया जाता हैं और भूख का भी एहसास नहीं होता है। अब से कोशिश करें कि खाना शांत वातावरण में ही खाएं।
जल्दी जल्दी खाने के बजाए खाने को अच्छे से चबाना जरूरी है। ऐसा करने से पाचन क्रिया सही तरीके से काम कर पाती है इसलिए अब से खाने का स्वाद लेते हुए उसे अच्छे से चबाते हुए ही खाएं।


नास्त्रेदमस की भविष्यवाणीः वर्ष 2020 सबसे हिंसक होगा

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणीः वर्ष 2020 सबसे हिंसक होगा



प0नि0डेस्क
देहरादून। फ्रांसीसी भविष्यवेत्ता माइकल दि नास्त्रेदमस ने सदियों पहले ही आने वाले कई सालों के लिए भविष्यवाणियां कर दी थीं। दुनिया में लोग नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों पर यकीन करते हैं। उनकी की गईं अब तक की भविष्यवाणियां सच साबित हो चुकी हैं।
नास्त्रेदमस ने 2020 के लिए जो भविष्यवाणियां की हैं, उसमें अच्छी खबर नहीं है। कई दूसरे भविष्यवेत्ताओं ने भी 2020 में विनाश के संकेत दिए हैं। नास्त्रेदमस ने माना है कि 2020 में नए युग की शुरुआत होगी। उन्होंने अनुमान लगाया कि 2020 में कई देशों के आपस में टकराव बढ़ेंगे. इसके साथ ही इस सदी का सबसे बड़ा आर्थिक संकट भी आएगा।
भविष्यवाणी में कहा गया है कि 2020 तक लोग पहले से बहुत ज्यादा जागरुक हो चुके होंगे और लोगों में एक नए तरह का आध्यात्मिक झुकाव देखने को मिलेगा।
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के मुताबिक तीसरा विश्व युद्ध की आशंका सच साबित हो सकती है। भविष्यवाणी की मानें तो 2020 में दुनिया के बड़े शहरों में गृह युद्ध जैसे हालात हो जाएंगे और लोग खुलकर सड़कों पर उतरेंगे।
हालांकि नए साल की शुरुआत से पहले ही भारत में नागरिकता कानून और एनआरसी जैसे मुद्दों पर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। वहीं, मध्य-पूर्व के अधिकतर देशों समेत फ्रांस में भी हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। कहीं न कहीं इसे भी नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी से जोड़कर देखा जा रहा है।
नास्त्रेदमस के मुताबिक इस साल जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया को प्रभावित करेगा और प्रदूषण के खिलाफ युद्ध स्तर पर मुहिम शुरु करेंगे। दुनिया के कुछ हिस्सों में इस साल भयकंर तूफान और भूकंप आएगा तो कहीं बाढ़ और आतंकवाद से तबाही का मंजर फैल जाएगा। नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के मुताबिक मध्यपूर्व देशों और दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में भी धार्मिक अतिवाद बढ़ेगा जिससे अशांति और गृहयुद्ध के तौर पर होगी। कई लोगों को अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ेगा।


 


शहद असली या नकली? आसान तरीके से पहचानें 

शहद असली या नकली? आसान तरीके से पहचानें 



प0नि0डेस्क
देहरादून। शहद का नियमित रूप से सेवन करने से सर्दियों में होने वाली कई बीमारियां ठीक होती है। इसके अलावा भी शहद के अनेक लाभ होते है। लेकिन समस्या यह है कि बाजार में शहद के नाम पर नकली माल भी मिलता है। ऐसे में असली और नकली शहद की पहचान नहीं हो पाती। 
जहां एक ओर शहद खाने से स्वास्थकारी लाभ होता है वहीं दूसरी ओर नकली शहद खाने से सेहत खराब हो सकती है। ऐसे में असली-नकली शहद की पहचान करना बहुत जरुरी हो जाता है। 
असली और नकली शहद की पहचान करने का आसान सा तरीका जानना चाहिये। इसके लिए विनिगर और पानी के सॉलूशन में शहद की कुछ बूंदें डालें। अगर इस मिश्रण में फोम यानी झाग बनने लगता है तो इसका मतलब है कि शहद में मिलावट की हुई है और शहद शुद्ध नहीं है। जब शहद को गर्म चीज के संपर्क में लाया जाता है तो शहद जलता नहीं है। 
इस टेस्ट को करने के लिए शहद में कॉटन बड या माचिस की तीली को डुबोएं और फिर उसे जलाने की कोशिश करें। अगर वो जल जाता है तो इसका मतलब है कि शहद शुद्ध है। अगर शहद मिलावटी है तो वह सही तरीके से जलेगा नहीं, अगर शहद शुद्ध है तो वह पानी में पूरी तरह से घुलेगा नहीं और उसे घोलने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी। 
लेकिन शहद मिलावटी है और उसमें चीनी का ग्लूकोज की मिलावट की गई है तो वह आसानी से पानी में घुल जाएगा और फिर सफेद मार्क छोड़ देगा।


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