गुरुवार, 30 जुलाई 2020

मणिपुर में पीएलए उग्रवादियों के हमले में असम रायफल्स के तीन जवान शहीद

मणिपुर में पीएलए उग्रवादियों के हमले में असम रायफल्स के तीन जवान शहीद



एजेंसी
नई दिल्ली। भारत-म्यांमार सीमा के नजदीक मणिपुर में तलाशी अभियान के दौरान उग्रवादी गुट पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के घात लगाकर किए गए हमले में असम रायफल्स के तीन जवान शहीद हो गए जबकि चार जवान घायल हैं। हथियारबंद पीएलए के उग्रवादियों ने अचानक 4 असम रायफल्स यूनिट के जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी।
मणिपुर में पीएलए के उग्रवादियों ने सुबह जवानों पर यह हमला किया। सूत्रों ने बताया कि आतंकियों ने पहले आईडी विस्फोट किया और जवानों पर फायरिंग झोंक दी। इंफाल से 100 किलोमीटर दूर इस इलाके के लिए बडी संख्या में जवानों को भेजा गया है।
माना जाता है कि पीएलए को चीन की तरफ से वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाती है। भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक चीन की मदद के बूते यह उग्रवादी संगठन भारतीय जवानों पर हमला करते हैं। इस उग्रवादी संगठन की स्थापना 1978 में एन विशेश्वर सिंह ने की थी।


उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्राी को भेजा ज्ञापन

गैरकानूनी तरीके से नौकरी कर रहे उर्दू अनुवादकों को लेकर मुखर हुआ उत्तराखंड बेरोजगार संघ
15 अगस्त तक उत्तराखंड में गैरकानूनी तरीके से नौकरी कर रहे उर्दू अनुवादकों को नहीं हटाया गया तो होगा प्रदेशव्यापी आंदोलन
उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्राी को भेजा ज्ञापन



संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने प्रदेश के विभिन्न विभागों में गैरकानूनी तरीके से नौकरी कर रहे उर्दू अनुवादकों को उनके पदों से तुरंत निष्कासित करने हेतु जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन लेने एसडीएम मायाराम जोशी पहुंचे।
उत्तराखंड प्रदेश में कई विभागों में 1996 से गैरकानूनी तरीके से 100 से अधिक कर्मचारी वर्तमान में 2000-5600 ग्रेड पे तक कार्य कर रहें हैं जिससे प्रदेश सरकार को प्रत्येक साल करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है। बेरोजगार संघ ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि 15 अगस्त तक इन पर उचित कार्यवाही नहीं होती है तो बेरोजगार संघ उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होग। जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। 
ज्ञापन देने वालों में नरेंद्र सिंह रावत, खजान राणा, सुरेश सिंह, प्रदीप कुमार, लुसुन टोडरिया, ऋषि चौहान आदि लोग मौजूद थे।


इंश्योरेन्स कम्पनी के अधिकारियों को सूचना अधिकार प्रशिक्षण का आदेश

इंश्योरेन्स कम्पनी के अधिकारियों को सूचना अधिकार प्रशिक्षण का आदेश



मुख्य सूचना आयुक्त विमल जुल्का द्वारा दिया गया आदेश 
संवाददाता
काशीपुर। केन्द्रीय सूचना आयोग ने इंश्योरेन्स कम्पनी के अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानोें की समझ न होना मानते हुये बीमा कम्पनी के अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचना का अधिकार का प्रशिक्षण देने का आदेश कम्पनी के अध्यक्ष को दिया है। यह आदेश काशीपुर निवासी गोपाल प्रसाद अग्रवाल की नदीम उद्दीन एडवोेकेट के माध्यम से दायर अपील पर मुख्य सूचना आयुक्त विमल जुल्का द्वारा दिया गया है।
काशीपुर निवासी गोपाल प्रसाद अग्रवाल ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से यूनाइटेड इंडिया इश्योरेन्स कम्पनी लि0 क्षेत्रीय कार्यालय देेहरादून के केेन्द्रीय जन सूचना अधिकारी से 23 अगस्त 2018 को सूचना प्रार्थना पत्र देकर अपनी फैक्ट्री के बीमा क्लेेम के सम्बन्ध में सूचना मांगी। इसका उत्तर 20 सितम्बर 2018 को कम्पनी के क्षेेत्रीय कार्यालय के द्वारा दिया गया जिसमें उन्होेंने व्यक्तिगत सूचना का बहाना लेने सहित विभिन्न आधारों पर मांगी गयी सूचना उपलब्ध कराने से इंकार किया। इस पर अग्रवाल ने अपनेे अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम सेे प्रथम अपील 13-10-2018 को प्रथम अपीलीय अधिकारी कोे दायर की। जिस पर 30-10-2018 के आदेश से अपीलीय अधिकारी नेे केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी केे आदेेश को सही माना तथा सूचना नहीं उपलब्ध करायी।
सूचना उपलब्ध न होेने पर अग्रवाल नेे अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से केन्द्रीय सूचना आयोेग को द्वितीय अपील की जिसमें वांछित सूचना उपलब्ध करानेे के साथ-साथ अधिकारियों को आवश्यक प्रशिक्षण की भी मांग की गयी।
1 जुलाई 2020 को केन्द्रीय सूचना आयोेग केे मुख्य सूचना आयुक्त विमल जालान के समक्ष वीडियो कांप्रफेंसिंग से द्वितीय अपील की सुनवाई हुई। जिसमें अपीलकर्ता की ओर से दिये गये तर्कों से सहमत होते हुये केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी के आदेश को गलत मानते हुये केर्न्द्रीय जन सूचना अधिकारी को मांगी गयी सूचना आदेश प्राप्ति से 15 दिन केे अन्दर देने का आदेश दिया। साथ ही दिल्ली उच्च न्यायालय के दो फैसलांे का उल्लेख करते हुये स्पष्ट किया कि यह एक स्थापित सिद्वांत है कि वैसी सूचना जो प्रार्थी से सम्बन्धित है, प्रदान किया जाना चाहिये और इस सन्दर्भ में सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(1) के प्रावधानों केे अन्तर्गत प्रकटन से छूूट का दावा नहीं किया जा सकता है। 
मुख्य सूचना आयुक्त विमल जुल्का ने अपने निर्णय व आदेेश में स्पष्ट लिखा हैै कि आयोग की यह मान्यता हैै कि प्राधिकरण (यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेन्स कम्पनी लि0) के अधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम केे संगत प्रावधानों की समझ नहीं है। इस बात की नितान्त आवश्यकता हैै कि अधिकारियों/कर्मचारियों के प्रशिक्षण हेतु कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए ताकि लोक प्राधिकरण के विभिन्न कार्यालयोें में सूचना अधिकार अधिनियम की शासन पद्वति की स्थापना सुनिश्चित हो सके। मुख्य सूचना आयुक्त ने इस निर्णय की प्रति अध्यक्ष यूनाइटेेड इंश्योरेन्स कम्पनी लि0 को भेेजने के भी आदेश दिये हैं।
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने केन्द्रीय सूचना आयोग के इस आदेश का स्वागत करते हुये आशा व्यक्त की है कि इस निर्णय का अनुसरण करते हुये ऐसे ही निर्णय सूचना अधिकार का कम जानकारी के कारण पालन न करने वाले विभागोें व लोक प्राधिकारियों केे मामले में उत्तराखंड सूचना आयोेग सहित विभिन्न राज्य सूचना आयोेग करेंगे।


मुख्य सचिव को समुचित कार्यवाही करने के निर्देश

अमनमणि केसः केन्द्र सरकार द्वारा उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश   
मुख्य सचिव को समुचित कार्यवाही करने के निर्देश



एक्टिविस्ट डा0 नूतन ठाकुर



संवाददाता
देहरादून। अमनमणि त्रिपाठी को अनुमति दिए जाने के मामले में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश के खिलाफ कार्यवाही विषयक लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डा0 नूतन ठाकुर की शिकायत पर केन्द्र सरकार ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को समुचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।  
एक विज्ञप्ति जारी कर सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ने कहा था कि जहां लाकडाउन के दौरान पूरे देश में एक ओर अत्यंत आवश्यक कार्यों से ही अनुमति प्रदान की जा रही थी, वहीं ओम प्रकाश के पत्र में दर्शाया गया कि अमनमणि त्रिपाठी का काम किसी तरह अपरिहार्य काम नहीं था। इसके बाद भी ओम प्रकाश ने अमनमणि के साथ 11 लोगों को 3 वाहन के साथ देहरादून से श्रीनगर, बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि जाने की अनुमति देने के निर्देश दिए थे, जो लाकडाउन कानून तथा गृह मंत्रालय के निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन था। अतः उन्होंने ओम प्रकाश के खिलाफ जांच करा कर कार्यवाही करने की मांग की थी।
केजी राजू अवर सचिव कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को यह शिकायत अग्रसारित करते हुए समुचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।


गबन के मामले में पुलिस महानिदेशक से मिलेगा मोर्चाः नेगी

खाताधारकों के लाखों-करोड़ों रुपए गबन के मामले में पुलिस महानिदेशक से मिलेगा मोर्चाः नेगी  


          
- बहुउद्देश्यीय किसान सेवा सहकारी समिति विकास नगर का मामला 
- खाताधारकों के पास है जमा की रसीद, लेकिन लेजर में रकम जमा ही नहीं 
- अन्य गबन के मामले में भी चल रही है जांच 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी से बहुउद्देशीय किसान सेवा सहकारी समिति विकासनगर के पीड़ित खाताधारकों द्वारा मुलाकात कर मिनी बैंक द्वारा उनका पैसा हड़प लिए जाने के मामले में उनका पैसा वापस दिलाने की मांग को लेकर आग्रह किया गया। 
खाताधारकों द्वारा अवगत कराया गया कि विगत कई वर्षों से उक्त मिनी बैंक में लोगों द्वारा सावधि जमा, बचत खाते व ़ऋ़़ण की बकाया धनराशि जमा की जाती रही, जिसकी बाकायदा रसीद जमा कर्ता व खाताधारक को दी जाती रही। अभी हाल ही में कुछ दिन पहले अन्य मामले में गबन होने की सूचना से सचेत हुए खाताधारकों ने बैंक जाकर अपना खाता चेक कराया तो जमा की गई धनराशि की एंट्री लेजर (खातेे) में थी ही नहीं। 
इस तरह के मामले कई लाख रुपए के प्रकाश में आए हैं लेकिन गबन की धनराशि करोड़ों रुपए हो सकती है। मोर्चा उक्त पूरे प्रकरण की गहन जांच एवं खाताधारकों का पैसा वापस दिलाने को लेकर पुलिस महानिदेशक से शिकायत करेगा।   
प्रतिनिधिमंडल में राव हन्नान खान, मोहम्मद अकरम, पुनीत अग्रवाल, अनूप ठाकुर, संदीप ठाकुर आदि मौजूद थे।


वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोलीने भारतीय नौसेना अकादमी के कमांडेंट का पदभार ग्रहण किया

वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोलीने भारतीय नौसेना अकादमी के कमांडेंट का पदभार ग्रहण किया


जेंसी 
नई दिल्ली। वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने 13 महीने से अधिक के कार्यकाल के बाद वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली को भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) के कमांडेंट का पदभार सौंप दिया।
वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने 12 जून 2019 को भारतीय नौसेना अकादमी के कमांडेंट के रूप में पदभार संभाला था। उनके कार्यकाल के दौरान इस अकादमी के बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षण सुविधाओं में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा गया। भारतीय नौसेना, तटरक्षक बल और मित्रवत विदेशी देशों के नौसैन्य अधिकारियों को आकार देने में 50 साल की बेहद उपयोगी सेवा प्रदान करने के लिए 12 नवंबर 2019 को फ्रलैग आफिसर के नेतृत्व में आईएनए को द प्रेजिडेंट्स कलर से सम्मानित किया गया। वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी को पारंपरिक पुलिंग आउट समारोह से नवाजते हुए गर्मजोशी से विदा किया गया।
कमांडेंट के रूप में पदभार संभालने वाले वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला, वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज, करंजा स्थित पूर्व नेवल वार कालेज और नई दिल्ली के प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस कालेज के पूर्व छात्र हैं। फ्रलैग आफिसर हम्पीहोली एंटी-सबमरीन युद्व के विशेषज्ञ हैं और उन्होंने भारतीय नौसेना के जहाज नाशक (मिसाइल पोत), मगर ख्लैंडिंग शिप टैंक (बड़ा) और तलवार (यु(पोत) की कमान संभाली है। उनकी तटीय कमानों में 2003 से 2005 के दौरान नेशनल कोस्ट गार्ड, मारीशस के कमांडेंट और 2007 से 2009 के दौरान नेवल अकादमी के कमांडेंट और आईएनएस मंडोवी, गोवा के कमांडिंग अधिकारी होना शामिल है। यद्यपि अलग-अलग जगहों पर और अलग रैंकों पर लेकिन उन्हें दो बार भारतीय नौसेना अकादमी की कमान संभालने का गौरव प्राप्त है।
उनकी महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों में स्थानीय कार्य दल (पश्चिम) में स्टाफ अधिकारी (एएसडब्ल्यू), नौसेना मुख्यालय के कार्मिक निदेशालय में संयुक्त निदेशक, पूर्वी नौसेना कमान के फ्रलैग आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के नौसेना सलाहकार, मुंबई के नेवल वार कालेज में सीनियर डायरेक्टिंग स्टाफ और नौसेना मुख्यालय में कर्मचारी नियुक्तियों के प्रधान निदेशक के पद शामिल हैं।
फरवरी 2015 में रियर एडमिरल के पद पर पदोन्नत होने पर उन्हें सहायक कार्मिक प्रमुख (मानव संसाधन विकास) के रूप में नियुक्त किया गया और उसके बाद अक्टूबर 2016 में फ्रलैग आफिसर सी-ट्रेनिंग के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने बाद में फ्रलैग आफिसर कमांडिंग वेस्टर्न फ्रलीट के तौर पर जनवरी 2018 से मार्च 2019 तक पश्चिमी बेड़े की कमान संभाली।
27 मार्च 2019 को वाइस एडमिरल के पद पर पदोन्नति के बाद फ्रलैग आपिफसर हम्पीहोली ने भारतीय नौसेना अकादमी एझिमाला के आठवें कमांडेंट नियुक्त होने से पहले महानिदेशक नौसेना संचालन के रूप में पदभार ग्रहण किया। वे नौ सेना मेडल और अति विशिष्ट सेवा मेडल भी प्राप्त कर चुके हैं।


कामरेड चारु मजेदार का शहादत दिवस मनाया

कामरेड चारु मजेदार का शहादत दिवस मनाया



भाकपा (माले) के संस्थापक महासचिव का 48वां शहादत दिवसजोश और संकल्प के साथ मनाया
संवाददाता
लालकुआं। भाकपा (माले) के संस्थापक महासचिव कामरेड चारु मजेदार के 48वां शहादत दिवस को पूरे जोश और संकल्प के साथ मनाया गया। मुख्य कार्यक्रम दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय चारु भवन में मनाया गया। जहां पार्टी के केन्द्रीय पदाधिकारियों सहित दर्जनों कार्यकर्ताओं ने कामरेड चारु मजूमदार की मूर्ति पर पुष्पांजलि के साथ श्रद्वांजलि दी। उसके बाद भारतीय क्रांति के सभी शहीदों को दो मिनट का मौन रखा गया। फिर केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी संकल्प पत्र पढ़ा गया और पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने उपस्थित साथियों को संबोधित किया।
इसी तरह बिहार में पटना स्थित पार्टी के राज्य मुख्यालय में आयोजन हुआ। इसके अलावा राज्य के भोजपुर, सीवान, गोपालगंज, जहानाबाद, अरवल, वैशाली, मुजफ्रफरपुर, समस्तीपुर, दरभंगा, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चम्परण, भागलपुर सहित सभी जिला कार्यालयों, प्रखंड कार्यालयों और ग्राम स्तरीय पार्टी ब्रांचों में भी श्रद्वांजलि सभा हुई और संकल्प पत्र पढ़ा गया।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, सोनभद्र, रायबरेली, जालौन, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, सहित सभी जिलों, ब्लाक मुख्यालयों व ग्राम स्तरीय ब्रांचों में कार्यक्रम आयोजित किये गए। 
उत्तराखण्ड में मुख्य कार्यक्रम बिन्दुखत्ता स्थित पार्टी राज्य मुख्यालय में आयोजित हुआ। पंजाब में राज्य मुख्यालय मानसा में मुख्य आयोजन हुआ। राजस्थान के जयपुर, झुंझुनू, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ आदि जिलों में कामरेड चारु मजूमदार का शहादत दिवस मनाया गया। पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बर्धमान, हुगली, हाबड़ा, 24 नार्थ परगना, 24 ईस्ट परगना, सिलीगुड़ी आदि जिलों में कामरेड चारु मजूमदार का शहादत दिवस मनाया गया। त्रिपुरा में भी कार्यक्रम मनाया गया।
झारखण्ड में मुख्य कार्यक्रम रांची स्थित पार्टी कार्यालय में हुआ। इसके अलावा जयनगर सरमाटांड, गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, बगोदर, सरिया, देवघर, आदि जगहों में भाकपा माले की 48वीं शहादत दिवस मनाया गया। असम के गुवाहटी, कार्बी आंगलांग, लखीमपुर, डिब्रूगढ़, विश्वनाथ जिलों में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया।
महाराष्ट्र के मुंबई में पालघर में भी शहादत दिवस मनाया गया। उड़ीसा के भुवनेश्वर स्थित कामरेड नागभूषण पटनायक भवन में मुख्य कार्यक्रम हुआ। इसके अलावा रायगढ़ा, गुनूपुर, पुरी जिलों में भी जिला स्तर से ग्राम स्तर तक शहादत दिवस मनाया गया। इसके अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु, पांडुचेरी, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में भी कार्यक्रम आयोजित हुए।
इन सभी कार्यक्रमों में पार्टी केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी संकल्प पत्र भी पढ़ा गया।


मंगलवार, 28 जुलाई 2020

कोशिकाओं को मूर्ख बनाता है कोरोना वायरस

कोरोना वायरस को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता
बड़ा खुलासाः कोशिकाओं को मूर्ख बनाता है कोरोना वायरस



एजेंसी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर जारी है। देश में कोरोना संक्रमित की संख्या दिनोंदिन आसमान छू रही है। देश में तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है। कोरोना महामारी से जंग लड़ने के लिए देशभर के वैज्ञानिक लगातार कोशिश कर रहे हैं। हर रोज वैक्सीन को लेकर नए शोध किए जा रहे हैं। इस बीच भारतीय वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन करते हुए बड़ा निष्कर्ष निकाला है। यह निष्कर्ष नेचर कम्युनिकेशंस जनरल में प्रकाशित हुई है।
इसके मुताबिक अणु एनएसपी10 मेजबान कोशिका के एमआरएनए की नकल करने के लिए विषाणुजनित एमआरएनए में बदलाव करता है। यानी मालिक्यूल एनएसपी10 वायरस के एमआरएनए को बदलकर उसे संक्रमित कोशिका के एमआरएनए जैसा बना देता है। वहीं अमेरिका के सैन एंटोनियो में द यूनिवर्सिटी आपफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के शोधकर्ताओं ने कहा कि यह बदलाव एनएसपी10 विषाणुओं को मेजबान कोशिका की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचाता है।
यूटी हेल्थ सेन एंटोनियो से अध्ययन के सह-लेखक एवं भारतीय मूल के वैज्ञानिक योगेश गुप्ता के अनुसार कोशिकाओं को भ्रमित करने वाले इन बदलावों की वजह से विषाणुजनित संदेशवाहक आरएनए अब इसे कोशिका के अपने कूट का हिस्सा समझता है, बाहरी नहीं। योगेश गुप्ता ने कहा कि यह एक ठगी जैसा है। वायरस इस बदलाव के जरिये कोशिकाओं को मूर्ख बना देता है।
अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक एनएसपी16 की थ्रीडी संरचना को समझने से नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 और अन्य उभर रहे कोरोना वायरस संक्रमणों के खिलापफ नई औषधि को तैयार करने का रास्ता खुल सकता है।
उन्होंने कहा कि यह दवाएं इस तरह तैयार की जा सकती हैं जो एनएसपी16 को बदलाव करने से रोकें जिससे मेजबान कोशिका का प्रतिरोधी तंत्र बाहरी विषाणु की पहचान कर उनपर आक्रमण करें।


रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त और राखी बांधने के लिए उत्तम मुहूर्त

रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त और राखी बांधने के लिए उत्तम मुहूर्त



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। श्रावणी पूर्णिमा और रक्षा बंधन का त्योहार 3 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा। रक्षा बंधन के पर्व पर अक्सर भद्रा का साया रहता है लेकिन इस वर्ष भद्रा सुबह दिन में 8ः28 तक ही रहेगी। पूर्णिमा तिथि में रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। पूर्णिमा तिथि सूर्याेदय से लेकर रात में 8ः20 बजे तक व्याप्त रहेगी। इस समय श्रवण नक्षत्रा सुबह 7ः33 बजे से रात तक व्याप्त रहेगी।
आयुष्मान योग सुबह 7ः46 बजे से लगेगा। जबकि रक्षा बंधन के दिन ग्रहों की स्थिति इस प्रकार से रहेगी। सूर्य, बुध और कर्क राशि में वहीं चंद्रमा मकर राशि में विचरेंगे। मंगल मीन, गुरु और केतु धनु राशि में स्थित होंगे। वहीं शुक्र एवं राहु मिथुन राशि और शनि मकर राशि में होंगे।
रक्षा बंधन का शुभ लग्न सुबह 8ः30 बजे के लगभग से रात में 8ः20 तक किया जा सकता है। लेकिन इस दिन राहु काल सुबह 7ः30 से 9 बजे तक रहता है। इस कारण से 9 बजे के बाद जब शुभ चौघड़िया मिल जाए तब रक्षा बंधन का कार्य करना उत्तम होगा। सुबह चौघडिया का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजे से 10ः22 बजे तक और दोपहर को 1ः40 बजे से सायं 6ः37 बजे तक रहेगा।


गैस सिलिंडर बुकिंग कराने के तरीके में बड़ा बदलाव

गैस सिलिंडर बुकिंग कराने के तरीके में बड़ा बदलाव



अगले माह से केवल आनलाइन ही करा सकेंगे बुकिंग
एजेंसी
नई दिल्ली। आप इंडियन ऑयल के उपभोक्ता हैं तो यह खबर आपके लिए है। अगले माह से सिलिंडर बुकिंग सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन हो जायेगा। फिलहाल उपभोक्ताओं की सुविधाओं का ख्याल रखते हुए ऑनलाइन के साथ ऑफलाइन की सुविधा दी गयी है। इसे लेकर वितरक को सूचना भेजी जा चुकी है।
सूचना में कहा गया है कि सीबेल में वितरण की पुष्टि बंद कर दी जायेगी। केवल मोबाइल वितरण एप से अनुमति दी जायेगी और डिलिवरी ऑथेंटिकेशन कोड (डीएसी) ओवरराइड विकल्प भी उपलब्ध नहीं होगा। डिलिवरी की पुष्टि केवल डीएसी के साथ की जायेगी।
वितरक को तैयारी के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया है। इनमें मोबाइल नंबरों की सीडिंग, रीफिल बुकिंग (एसएमएस) आइवीआरएस और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से केवल पंजीकृत मोबाइल नंबर से अनुमति दी जायेगी। इसलिए जिस ग्राहक के पास सीबेल में पंजीकृत मोबाइल नंबर नहीं है या किसी अन्य मोबाइल नंबर को सीबेल में रखा गया है, जो उसके पास नहीं है तो ऐसे ग्राहक डिजिटल बुकिंग विकल्पों से रिफिल बुक नहीं कर पायेंगे। वितरकों को ऐसे सभी ग्राहकों से संपर्क करना होगा, जिनके लिए ग्राहक मास्टर में पंजीकृत मोबाइल नंबर उपलब्ध नहीं है और सिस्टम में सीडिंग करते हैं।
एलपीजी सिलिंडर की बुकिंग में सार्वजनिक तेल कंपनियों द्वारा लगायी गयी 15 दिन पाबंदी को हटा लिया गया है। अब उपभोक्ता अपनी आवश्यकता के अनुसार एललपीजी की बुकिंग कर सिलिंडर प्राप्त कर सकते हैं। सार्वजनिक तेल कंपनियों ने एक अप्रैल से (लॉकडाउन के बाद भी) एलपीजी बुकिंग में 15 दिनों का प्रतिबंध लगा दिया था।


सोमवार, 27 जुलाई 2020

अब पबजी समेत 275 चीनी ऐप हो सकते हैं बैन

59 ऐप के बाद अब पबजी समेत 275 चीनी ऐप हो सकते हैं बैन



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। कुछ दिन पहले ही भारत ने चीन के 59 ऐप बैन किए थे और सरकार ने चीन के अन्य 275 ऐप की लिस्ट बना ली है। इनमें गेमिंग ऐप पबजी भी है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में चीनी इंटरनेट कंपनियों के करीब 30 करोड़ यूनीक यूजर्स हैं। लिस्ट बनाकर सरकार जांच कर रही है कि ये ऐप किसी भी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा या लोगों की निजता के लिए खतरे का सबब तो नहीं बन रहे हैं। अगर कोई अनियमितता सामने आती है तो हो सकता है कि चीन के बैन ऐप्स की लिस्ट और भी लंबी हो जाए। 
सरकार ने जो नई लिस्ट बनाई है, उसमें टेंसेंट कंपनी का लोकप्रिय गेम पबजी भी शामिल है। इसके अलावा शाओमी का जिली, ई-कामर्स दिग्गज अलीबाबा का अलीएक्सप्रेस और टिकटाक के मालिकाना हक वाली कंपनी बाइटडांस के रेसो और यूलाइक ऐप भी शामिल हैं। सरकार इन सभी 275 ऐप को, या इनमें से कुछ को बैन कर सकती है। हालांकि अगर कोई अनियमितता नहीं पाई जाती है तो कोई भी ऐप बैन नहीं होगा।
गृह मंत्रालय ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि चीन के ऐप्स का लगातार रिव्यू जारी है और ये भी पता लगाने की कोशिश है कि उन्हें पफंडिंग कहां से हो रही है। अधिकारी के अनुसार कुछ ऐप्स से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पाया गया है तो कुछ ऐप डेटा शेयरिंग और निजता के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं।
भारत सरकार अब ऐप्स के लिए नियम-कायदे बना रही है, जिन पर खरा नहीं उतरने वाले ऐप्स के बैन होने का खतरा रहेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये सरकार का बड़ा प्लान है, ताकि साइबर सिक्योरिटी को मजबूत बनाया जा सके और नागरिकों के डेटा को सुरक्षा प्रदान की जा सके। इन नियमों और गाइडलाइन्स में ये साफ-साफ लिखा होगा कि किसी ऐप को क्या करने की इजाजत नहीं है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत की ओर से टिकटाक के बैन होने के बाद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग की बेचैनी बढ़ गई है। बताया जा रहा है कि उन्होंने टिकटाक के बैन होने पर अपने कर्मचारियों से चिंता जताते हुए कहा है कि अगर भारत सरकार 20 करोड़ यूजर वाले टिकटाक के बिना कोई बड़ी वजह बताए बैन कर सकता है, तो फेसबुक को भी भारत में कभी भी बैन किया जा सकता है।
मोदी सरकार ने 59 चीनी ऐप बैन किया था, जिनमें सबसे लोकप्रिय टिकटाक भी शामिल था। इसके अलावा इसें अलीबाबा के यूसीवेब और यूसी न्यूज भी थे। टिकटाक के मालिकाना हक वाली बाइटडांस के दूसरा सोशल मीडिया ऐप हेलो भी भारत में बैन हो चुका है। इसके अलावा लाइकी, कवाई, वीगो जैसे शार्ट वीडियो बनाने वाले ऐप्स भी बैन किए जा चुके हैं। शेयरइट और वीचैट जैसे ऐप्स भी उस लिस्ट में थे।


रविवार, 26 जुलाई 2020

पलटा सामूहिक श्रम का हिस्सा जबकि हुड़किया बौल शोषण का प्रतीक

पलटा सामूहिक श्रम का हिस्सा जबकि हुड़किया बौल शोषण का प्रतीक



पलटा सामूहिक श्रम का हिस्सा



पुरूषोत्तम शर्मा
लालकुआं। उत्तराखण्ड के कुमाऊं के हुड़किया बौल पर लिखे मेरे चंद शब्दों पर आई तमाम टिप्पणियों और बहसों के बाद मुझे लगता है कि इस पर मुझे कुछ बातें आपके सामने और रखनी चाहिए। सबसे पहले तो मैं यह साफ कर दूं कि उत्तराखण्ड की संस्कृति या उसके लोकगीतों पर मेरी कोई विशेषज्ञता नहीं है। फिर भी उस भूमि में पैदा होने, बचपन और अपने राजनीतिक कर्म का एक बड़ा हिस्सा वहां के गांवों में लोगों के बीच गुजारने के बाद वहां के लोक जीवन के बारे में मेरी भी एक छोटी सी समझ बनी है।
बौल सामूहिक श्रम या श्रम नहीं 
पहले तो बता दूं कि बौल शब्द का वहां के लोक जीवन में वो अर्थ नहीं है, जैसा कुछ मित्र समझाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे इन मित्रों का कहना है कि बौल का मतलब सामूहिक श्रम या श्रम है। जी नहीं! बौल का अर्थ लोकोक्तियों में बिना मजदूरी भुगतान के या बलपूर्वक कराया जाना वाला श्रम है। जैसे मैं किलै करूं, मैं क्वे त्यार बौली छुं रे? (मैं क्यों करूं, मैं कोई तेरा बौल करने वाला हु रे?)।
बौली नि छुं मि त्यर’ (मैं तेरा बौल करने वाला नहीं हूं)। मतलब सापफ है। आज भी पहाड़ के आम बोलचाल में बौल का अर्थ सामूहिक श्रम या श्रम नहीं है। बल्कि बिना पारिश्रमिक के या बल पूर्वक कराया जाने वाला श्रम है। 
यह बौल करने वाली श्रेणी मानव समाज में कृषि व पशुपालन पर आधारित मानव जीवन के शुरुआती जनजातीय संघों में नहीं थी। वहां तो सामूहिक स्वामित्व और सामूहिक श्रम का बोलबाला था। यह तो उन जनजातीय संघों के विघटन से पैदा वर्ग विभाजित समाज बनने के साथ अस्तित्व में आई श्रेणी है। यानी दास समाज और सामंती समाज के उत्पादन संबंधों के दौरान यह श्रेणी पूरी तरह वजूद में रही है। 



हुड़किया बौल शोषण का प्रतीक



लेकिन जमींदारी विनाश कानूनों के लागू होने के बाद ग्रामीण जीवन में आधुनिक पूंजीवादी उत्पादन संबंधों के प्रवेश ने इस श्रेणी को अब स्वतंत्र मजदूर की श्रेणी में बदल दिया है। जो अपने श्रम के मूल्य का मोलभाव भी कर सकता है। इस लिये आप देखेंगे कि पहाड़ में जमीन्दारी विनाश कानूनों के क्रियान्वयन के बाद ही यह हुड़किया बौल की प्रथा दम तोड़ने लगी।
इन गीतों का कृषि व पशुपालन पर आधारित अर्थव्यवस्था से सम्बंध
अब हम हुड़किया बौल के साथ गए जाने वाले गीतों को लेते हैं। ये ज्यादातर गीत पहाड़ की पुरानी कृषि व पशुपालन पर आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाले जीवन से जुड़े हैं। इनका शुरुआती वैदिक काल के उस लोक जीवन से ज्यादा जुड़ाव दिखता है, जहां अपनी सामूहिक समृद्वि के लिए यानी अन्न की बेहतर पैदावार और पशुधन बढ़ाने के लिए ़ऋत यानी प्रकृति का आह्वान किया जाता था। जरूर इसमें बाद के नए देवता और नई भाववादी प्रार्थनाएं भी जोड़ी गई। पर ज्यादातर प्रकृति से जुड़ी हैं। जिनमें अच्छी वर्षा, काम के दौरान आसमानी छांव, अच्छा पानी, अच्छी फसल के लिए भूमि देवता, इंद्र देवता, वरुण देवता, सूर्य देवता आदि का आह्वान होता है। पर इसमें सब इहलौकिक है। लोगों की इच्छा भी और देवता भी। कुछ भी परलौकिक नहीं है।
इन गीतों का सिर्फ हुड़किया बौल या गुड़ौल से ही सम्बन्ध नहीं
हुड़किया बौल और गुड़ौल गीत दोनों एक ही तरह के हैं। ये गीत ऐसे नहीं हैं जो सिर्फ हुड़के की थाप पर ही गए जाते हों। अकेले-अकेले अपने खेतों में काम कर रही महिलाएं या जंगल में घास काट रही महिलाएं भी इनकी अलग-अलग लाइनों को गाते हुए गीत पूरे करती हैं। इन गीतों में मेहनतकश जीवन जीने वाली ये कृषक महिलाएं जमीन्दारों और राजाओं की कोमल शरीर वाली रानियों की भी चर्चा करती थी। उदाहरण के लिए-
कुस्यारु क ड्वक जसि, सुरज कि जोति.
छोलियां हल्द जसि, पालङा कि काति
सितो भरि भात खायोत उखालि मरन्यां
चूल भरि पाणि खायोत नङछोलि मरन्या
(जेठ में आडू से लदे डोके जैसी, सूर्य की ज्योति जैसी, कच्ची हल्दी जैसी, पालक की कली जैसी, हियां रानी इतनी नाजुक है कि सीते भर भात ;चावल का एक पका हुआ दानाद्ध भी खा ले तो उल्टी कर देती है। अंजुली भर पानी पी ले तो उसे जुकाम हो जाता है)।
हुड़किया बौल और पलटा प्रथा एक नहीं
कुछ मित्रा पहाड़ में खेती के काम में सदियों से चल रही पलटा प्रथा को ही हुड़किया बौल समझने की गलती कर रहे हैं। पलटा प्रथा में आप अदल-बदल कर एक दूसरे के काम में हाथ बटाते हैं। यानी आज हमने आपकी मदद की कल आप हमारी मदद को आएंगे? यह प्रथा आज भी पहाड़ के गावों में जीवंत है। क्योंकि यह उनके अब तक बचे सामूहिक जीवन के अवशेषों की अभिव्यक्ति है। पर हुड़किया बौल को पलटा बताने वाले एक भी ऐसा उदाहरण नहीं दे सकते जिसमें मालगुजार, थोबदार या पधान कभी हुड़का बजाने वाले या उनके खेतों में काम करने वाले गरीब किसानों के खेतों में काम करने गया हो।
काम के बदले अनाज, मजदूरी नहीं बल्कि कुली उतार प्रथा थी
कुछ मित्रों का कहना है कि तब लोगों को काम के बदले अनाज दिया जाता था। हां, जरूर कुछ कामों के बदले फसल पर अनाज देने की प्रथा थी। यह प्रथा अभी 20-25 साल पहले तक पूरी तरह अस्तित्व में थी। इसमें लोहार, रूड़ीया, तेली, दास-दर्जी, हलिया जैसी शिल्पकार (दलित) जातियों और जागर लगाने वाले, वैद्य या समारोहों में खाना पकाने वाले गरीब ब्राह्मण वर्ग के लोग भी शामिल थे। पर इन्हें भी काम के बदले अनाज की जो मात्रा दी जाती थी, वह उनके काम के बदले तय की गई मजदूरी का हिस्सा नहीं होती थी। इसमें काम कराने वाले ही खुद अपनी मर्जी से इन कामगारों को फसल पर अनाज दिया करते थे। यह प्रथा कुली उतार प्रथा थी। जिसमें काम करने वाले को मेहनताना तो मिलता था, पर बिना मूल्य तय किए मालिक की मर्जी के अनुसार। तब ज्यादातर कृषि भूमि पर राजाओं, मालगुजार, थोबदार, पधानों का स्वामित्व था।
इस सब में एक बात जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है भूमि का मालिकाना, जिससे तय होगा कि हुड़किया बौल सामूहिक कर्म था कि नहीं। जमीन्दारी विनाश कानून लागू होने से पूर्व पहाड़ की ज्यादातर कृषि भूमि राजाओं, मालगुजारों, थोबदारों, पधानों के मालिकाने में थी। पक्के खायकारों को छोड़कर अगली पीढ़ी को भूमि हस्तांरण का भी अधिकार ज्यादातर गरीब किसानों को नहीं था। अंग्रेजों ने भी यहां अपने 132 वर्षों के शासनकाल में इस व्यवस्था से कोई छेड़छाड़ नहीं की। क्योंकि उन्हें इसी प्रभुत्वशाली वर्ग के जरिये नीचे तक अपना शासन चलाना था। शिल्पकारों (दलितों) की 99 प्रतिशत आबादी तब भूमिहीन थी और उनमें से ज्यादातर आज भी भूमिहीन ही हैं। ऐसी स्थिति में पहाड़ की ज्यादातर ग्रामीण आबादी तब इन राजाओं, मालगुजारों, थोबदारों, पधानों के रहमो करम पर थी और न सिर्फ उनका बल्कि बाद में उनके माध्यम से अंग्रेजों का भी बौल्या बनने को मजबूर थी।


‘हे धारी मां सुन ले मेरी पुकार’ का विमोचन

‘हे धारी मां सुन ले मेरी पुकार’ का विमोचन



लोक गायक त्रिलोक सिंह जेंधारी द्वारा रचित गढ़वाली कोरोना गीत का विमोचन
संवाददाता
देहरादून। लोक गायक त्रिलोक सिंह जेंधारी द्वारा रचित दो गीतों का विमोचन प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, प्रदेश संगठन मंत्री भाजपा अजय कुमार, प्रदेश महामंत्री भाजपा राजेन्द्र भण्डारी और प्रदेश महामंत्री भाजपा कुलदीप के द्वारा किया गया।
लोक गायक त्रिलोक सिंह जेंधारी द्वारा रचित गढ़वाली कोरोना गीत का शीर्षक ‘हे धारी मां सुन ले मेरी पुकार’ है। जिसमे मां धारी देवी का आह्वान करके कोरोना जैसे संक्रमण से मानव जाति की रक्षा का आह्वान किया गया है। 
लोक गायक त्रिलोक सिंह जेंधारी द्वारा रचित दूसरा गीत देश के वीर सैनिकों को समर्पित है जो कि चीनी सेना द्वारा किये गए कृत्य पर आधारित है, जिसका शीर्षक ललकार है। लोक गायक त्रिलोक सिंह जेंधारी द्वारा रचित गीतों को यूट्यूब पर त्रिलोक जेंधारी आफिशल चैनल पर भी सुना जा सकता है। 


मंत्रियों के ऐशगाह का खर्च उठा पाएगा क्या गरीब प्रदेश- मोर्चा            

मंत्रियों के आवासों की साज-सज्जा व मरम्मत के नाम पर बहाया जा रहा करोड़ों रुपया                
मंत्रियों के ऐशगाह का खर्च उठा पाएगा क्या गरीब प्रदेश- मोर्चा            



संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि एक गरीब प्रदेश जिससे कर्ज का ब्याज नहीं चुकाया जा रहा, उस प्रदेश में मंत्रियों के 18 आवासों में माड्यूलर किचन/पोर्च/गौशाला आदि बनाने में लगभग 2.45 करोड़ एवं मरम्मत के नाम पर 1.5 करोड़ रूपया खर्च कर डाला। यानी कुल 3.96 करोड़ रूपया खर्च किया गया।                      
नेगी ने कहा कि पूर्व से ही सुसज्जित इन आवासों/आलीशान बंगलों पर करोड़ों रुपए खर्च करना प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई वह बर्बाद करने जैसा है। उन्होंने कहा कि मोर्चा सरकार से मांग करता है कि फिजूलखर्ची बंद कर आमजन के कल्याण में पैसा खर्च करे।


सभी लघु बचत योजनाओं का विस्तार शाखा डाकघर तक किया गया

सभी लघु बचत योजनाओं का विस्तार शाखा डाकघर तक किया गया



इसका उद्देश्य सभी डाकघर बचत योजनाओं को लोगों के घर तक पहुंच प्रदान करना
एजेंसी
नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्रों में अपने नेटवर्क और डाक संचालन को मजबूती प्रदान करने और गांवों की विशाल जनसंख्या तक लघु बचत योजनाओं की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से डाक विभाग ने अब सभी लघु बचत योजनाओं को विस्तार देकर शाखा डाकघर स्तर तक कर दिया है।
बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में 1,31,113 शाखा डाकघर काम कर रहे हैं। पत्र, स्पीड पोस्ट, पार्सल, इलेक्ट्रानिक मनी आर्डर, ग्रामीण डाक जीवन बीमा की सुविधाओं के अलावा इन शाखा डाकघरों के द्वारा अब डाकघर बचत खाता, आवर्ती जमा, सावधि जमा और सुकन्या समृद्वि खाता योजनाएं भी प्रदान की जा रही हैं।
नए आदेश के माध्यम से शाखा डाकघरों को सार्वजनिक भविष्य निधि, मासिक आय योजना, राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र, किसान विकास पत्र और वरिष्ठ नागरिक बचत योजनाओं की सुविधाएं प्रदान करने की भी अनुमति प्रदान की गई है। ग्रामीण लोगों को अब वही डाकघर बचत बैंक वाली सुविधाएं प्राप्त हो सकेंगी, जिनका पफायदा शहर में रहने वाले लोग उठा रहे हैं। वे अपनी बचत को अपने गांव के डाकघर के माध्यम से ही लोकप्रिय योजनाओं में जमा कर सकेंगे।
सभी डाकघर बचत योजनाओं को लोगों के घर तक पहुंच प्रदान करके ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने की दिशा में विभाग द्वारा उठाया गया यह एक और महत्वपर्ू्ण कदम है।


 


शनिवार, 25 जुलाई 2020

उत्तराखंड कैडर के 38 आईएएस ने नहीं दिया अचल सम्पत्ति विवरण

उत्तराखंड कैडर के 38 आईएएस ने नहीं दिया अचल सम्पत्ति विवरण



सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना से हुआ खुलासा
संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड कैडर के 38 आईएएस अधिकारियों ने अपने अचल सम्पत्ति का विवरण सम्बन्धित वेबसाइट पर प्रस्तुत नहीं किया हैै। यह जानकारी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन द्वारा कार्मिक विभाग से सूचना मांगने पर प्रकाश में आयी है।



काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड कैडर केेे आईएएस अधिकारियों द्वारा वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण देने व न देने तथा इससे सम्बन्धित नियमों की सूचना उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग से मांगी थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड शासन के कार्मिक विभाग के लोक सूचना अधिकारी/अनुसचिव हनुमान प्रसाद तिवारी ने सम्बन्धित नियम की प्रति तथा अधिकारियोें के सम्पत्ति विवरण का विवरण भारत सरकार के अन्तर्गत एसपीएयूओडब्ल्यू वेबसाइट पर उपलब्ध होने की सूचना उपलब्ध करायी।
उपलब्ध सूचना के अनुसार अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियमावली 1968 केे नियम 16(2) के अनुसार प्रत्येेक आईएएस अधिकारी द्वारा अपना वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण भारत सरकार के डीओपीटी के अन्तर्गत एसपीएयूओडब्ल्यू वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाता है।  
 नदीम द्वारा 16 जून 2020 को उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारियोें में से 2011 से 2020 तक के अचल सम्पत्ति वार्षिक विवरण न उपलब्ध कराने वाले अधिकारियों की सूचियां डाउनलोड की गयी। इसके अनुसार उत्तराखंड कैडर के 38 आईएएस अधिकारी ऐसे हैै जिन्होंने एक या अधिक वर्ष का अपना वार्षिक अचल सम्पत्ति विवरण सम्बन्धित वेबसाइट पर प्रस्तुत नहीं किया हैै।
 उपलब्ध सूचना के अनुुसार वर्ष 2020 का 10 अधिकारियों ने सम्पत्ति विवरण नहीं दिया है। 2019 का 5 वर्ष, 2018 का 12 वर्ष, 2016 का 7 वर्ष, 2015 का 4 वर्ष, 2014 का 5 जबकि 2011 व 2012 तथा 2013 में सर्वाधिक 17-17 अधिकारियों ने सम्पत्ति विवरण नहीं दिया हैै। केवल 2017 का सम्पत्ति विवरण उत्तराखंड कैडर के सभी आईएएस अधिकारियों ने दिया हैै। 
वर्ष 2011 से 2020 तक अचल सम्पत्ति विवरणों में एक या अधिक विवरण न देने वाले उत्तराखंड कैडर केे कुल 38 आईएसएस अधिकारियोें में 3 अधिकारियों ने 6-6 वर्षों केे 3 अधिकारियोें ने 5-5 वर्षों के, 2 अधिकारियोें ने 4-4 वर्षों के, 10 अधिकारियों ने 3-3 वर्षों केे, 3 अधिकारियों ने 2-2 वर्षों के तथा 17 अधिकारियों ने 1-1 वर्ष के सम्पत्ति विवरण नहीं दिये है।
जिन आईएएस अधिकारियोें ने 6-6 वर्षों के सम्पत्ति विवरण नहीं दियेे है उनमें रमेश कुमार सुधांशु, वीवीआरसी पुरूषोत्तम, युगल किशोर पन्त, 5-5 वर्षों के न देने वालोें में हरिश्चन्द्र सेमवाल, सुशील कुमार, विजय कुमार यादव, 4-4 वर्ष वालों में विजय कुमार ढोढियाल, अतुल कुमार गुप्ता शामिल है। 3-3 वर्षों का सम्पत्ति विवरण न देने वालोें में हरबंश सिंह, अरविन्द सिंह हयांकी, अशोेक कुमार, विनोद प्रसाद, भूपाल सिंह मनराल, दीपेन्द्र कुमार चौैधरी, सुरेन्द्र नारायण पाण्डेय, विनय शंकर पाडेण्य, विनोद कुमार सुमन, ऊमा कान्त पंवार शामिल है।
दो-दो वर्षों का सम्पत्ति विवरण न देने वाले अधिकारियों में धीरज सिंह गर्ब्याल, राकेश कुमार तथा आशीष जोशी शामिल हैै। एक-एक वर्ष का सम्पत्ति विवरण न देने वाले अधिकारियों में जोगदन्डेे विजय कुमार, स्वाति श्रीवास्तव, हिमांशु खुराना, एस रामास्वामी, रंजीत कुमार सिन्हा, एसए मुरूगेषन, नीरज खैरवाल, ज्योति नीरज खैैरवाल, सोनिका, विनीत कुुमार, नीतिका खण्डेलवाल, राधा एस रतूड़ी, अहमद इकबाल, नेहा मीणा, प्रतीक जैन, राम बिलास यादव तथा सूर्या मोहन नौैटियाल शामिल हैै।


हाट कालिका माता का भव्य मन्दिर

हाट कालिका माता का भव्य मन्दिर
भक्तजनों के कष्टों का निवारण कर सुख और ऐश्वर्य प्रदान करती है हाट कालिका माता


- पवन रावत



शक्ति स्वरूपा महाकाली माता

गंगोलीहाट। दोस्तों, उत्तराखंड के चप्पे चप्पे पर देवी देवताओं का वास है इसीलिए इस खूबसूरत प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यहां सुदूर कोने कोने तक फैली गगनचुंबी चोटियों से लेकर मन को मोह लेने वाली शांत वादियों की सुंदरता के बीच अनेक मन्दिर स्थित हैं। देवभूमि में दिव्य धाम के तौर पर मौजूद मन्दिरों में देवी देवताओं की मौजूदगी श्रद्वालुओं द्वारा उनके पुण्य दर्शन के साथ महसूस की जाती है। 
पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में स्थित है हाट कालिका माता मन्दिर



हाट कालिका माता का भव्य मंदिर

पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट में देवदार की छटाओं के बीच स्थित हाट कालिका माता मन्दिर समस्त श्रद्वालुओं के लिये विशेष आस्था का केंद्र है। प्रदेश भर से श्रद्वालु बड़ी ही आस्था और श्रद्वा के साथ महाकाली के दर्शन लाभ के लिये यहां पहुंचते हैं। शारदीय नवरात्रों में महाकाली के दर्शनों एवं विशेष पूजा अर्चना के लिये श्रद्वालु देश भर से बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। श्रद्वा और आस्था से सराबोर भक्तों पर माता की कृपा आशीर्वाद के रूप में बरसती है। देश के कोने कोने से माता के दर्शनों को पहुंचे श्रद्वालु यहां आयोजित होने वाले सहस्त्रा चंडी यज्ञ, शत चंडी महायज्ञ, सहस्त्रा घट पूजा एवं अन्य विशेष पूजन में शामिल होते हैं। स्कंद पुराण के मानस खंड में यहां का वर्णन विस्तार से मिलता है।
देवदार के घने जंगल के बीच स्थित महाकाली मन्दिर की शोभा देखते ही बनती है। प्रातःकाल सूरज की किरणें जब देवदार के घने जंगलों के बीच से गुजरती हुई मन्दिर को स्पर्श करती हैं तो ऐसा लगता है मानों वे महाकाली के चरण कमलों को छूकर उनकी वन्दना कर रही हों। शंख, घण्टी और नगाड़ों की गूंज के बीच सुबह की आरती के समय माता के दर्शन करने के लिये भक्तजनों का तांता लगा रहता है। शाम की आरती का दृश्य विशेष रूप से मनमोहक होता है। श्रद्वा एवं भक्ति के साथ महाकाली की आरती एवं मंत्रोच्चार से गुंजायमान मन्दिर परिसर के चारों तरफ श्रद्वालु एक पवित्रा और भक्तिमय वातावरण को महसूस करते हैं।
छठीं शताब्दी में आदि जगतगुरू शंकराचार्य ने किया था प्रतिष्ठापित
बताया जाता है कि छठीं शताब्दी में आदि जगतगुरु शंकराचार्य जब भारत भ्रमण के दौरान कुर्मांचल में जागेश्वर पहुंचे तो भगवान शिव की प्रेरणा से उन्हें यहां आने की इच्छा जाग्रत हुई। यहां पहुंचने पर उन्हें यहां नरबलि की परम्परा होने की जानकारी प्राप्त हुई जिससे उद्वेलित होकर उन्होंने इस दैवीय स्थल की सत्ता को स्वीकार करने से इंकार कर दिया एवं शक्ति के दर्शनों से भी विमुख हो गए। मान्यता है कि देवी शक्ति की माया के प्रभाववश शंकराचार्य को शक्ति के दर्शनों की इच्छा हुई। इस पर जैसे ही वे शक्ति स्थल के समीप पहुंचने लगे तो कुछ दूर पहले ही जड़वत हो गये और अचेत होकर गिर पड़े। 
चेतना प्राप्त होने पर उन्हें अपने अहंभाव पर अत्यधिक पश्चाताप हुआ जिसपर उन्होंने अन्तर्मन से माता से क्षमा याचना की जिस पर उन्हें मां भगवती की अलौकिक आभा का अहसास हुआ। महाकाली से वरदान स्वरूप प्राप्त मंत्र शक्ति एवं योग साधना के बल पर उन्होंने दैवीय शक्ति के दर्शन किये, उनके रौद्र रूप को शांत किया तत्पश्चात दैवीय शक्ति को कीलित करते हुए प्रतिष्ठापित किया। वर्तमान में अष्टदल एवं कमल से मढ़वायी गई इसी शक्ति की पूजा अर्चना यहां पर की जाती है।
जंगम बाबा द्वारा मन्दिर का निर्माण
भगवती महाकाली का दरबार अनेक चमत्कारों एवं किंवदंतियों से भरा हुआ है। मन्दिर निर्माण के बारे में बताया जाता है कि प्रयाग कुंभ में नागा पंथ के महात्मा जंगम बाबा को स्वप्न में इस शक्ति पीठ के दर्शन होते थे। जंगम बाबा यहां पहुंचे और मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ कराया। निर्माण कार्य के दौरान पत्थर की समस्या आन पड़ी। पिफर एक रात स्वप्न में उन्हें महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती रूपी तीन कन्याओं के दर्शन हुए जो उन्हें मन्दिर के नजदीक ही देवदार के वृक्षों के बीच पत्थर के खजाने तक ले गयीं। जैसे ही बाबा की नींद भंग हुई, बाबा सभी शिष्यों के साथ उसी समय चीड़ की मशालें बनाकर उस स्थान तक पहुंचे जहां खुदाई करने पर उन्हें बेहतरीन पत्थर प्राप्त हुए जिनसे मन्दिर, धर्मशाला, मन्दिर परिसर एवं मन्दिर प्रवेश द्वार का निर्माण किया गया।
भारतीय सेना के महत्वपूर्ण अंग कुमाऊं रेजिमेंट की आराध्य देवी



कुमाउं रेजीमेंट की ईष्ट देवी हाट कालिका माता



हाट कालिका माता का भारतीय फौज की महत्वपूर्ण शाखा कुमाऊं रेजिमेंट से भी गहरा नाता है। बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्व के दौरान भारतीय सेना का एक जहाज बंगाल की खाड़ी में डूबने लगा। इस पर उसमें सवार सभी सैनिक अपने ईष्टदेव की आराधना करने लगे, जैसे ही कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों ने हाट कालिका माता का जयकारा लगाया तो उनका जहाज किनारे लग गया। इस घटना के उपरान्त कुमाऊं रेजिमेन्ट ने हाट कालिका माता को उनकी आराध्य देवी की मान्यता के साथ स्वीकार कर लिया। तब से कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिक हमेशा ही युद्व के समय हाट कालिका माता के दर्शन करके ही रवाना होते हैं। 
इसके पश्चात 1971 के युद्व मंे भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी और 16 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों ने भारतीय सेना के सम्मुख आत्म समर्पण किया, जिसे विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका जुड़ाव भी हाट कालिका माता से रहा है। युद्व की समाप्ति पर कुमाऊं रेजिमेंट द्वारा हाट कालिका मन्दिर में महाकाली की पहली मूर्ति चढ़ाई गयी। उसके उपरान्त वर्ष 1994 में कुमाऊं रेजिमेंट द्वारा अपनी आराध्य देवी की बड़ी मूर्ति चढ़ाई गयी।
महाकाली दरबार में सजती है राग आधारित शास्त्रीय होली की महफिल



शास्त्रीय होली प्रस्तुत करते होल्यार

कुमाऊं की होली देश भर में प्रसिद्व है फिर माता का दरबार इससे भला कैसे अछूता रह सकता है। होली के शुभ अवसर पर राग आधारित शास्त्रीय होली की महपिफल से सजता है महाकाली का भव्य दरबार।  
महाकाली मन्दिर कमेटी के उपाध्यक्ष शंकर सिंह रावल बताते हैं कि यह परम्परा पिछले तीस सालों से जारी है। प्रदेश के कोने कोने एवं अन्य स्थानों से शास्त्रीय संगीत के महारथी होल्यार महाकाली के दरबार में शास्त्रीय होली गायन प्रस्तुत करते हैं। महाकाली दरबार में शास्त्रीय रागों के रंगों की होली चढ़ाकर वे स्वयं को धन्य महसूस करते हैं एवं माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
ऐसे पहुंच सकते हैं माता के दरबार में



महाकाली दरबार में शास्त्रीय होली के दौरान लेखक, बांये



हाट कालिका माता के दर्शनों के लिये हल्द्वानी से अल्मोड़ा एवं पनार होते हुए लगभग 214 किमी की दूरी अथवा हल्द्वानी से अल्मोड़ा से सेराघाट राईआगर होते हुए लगभग 200 किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय कर गंगोलीहाट पहुंच सकते हैं। हवाई सेवा सुचारू रहने पर पिथौरागढ़ तक गाजियाबाद एवं देहरादून से एक घण्टे में पहुंचा जा सकता है। यहां से सड़क मार्ग से 77 किमी दूरी पर गंगोलीहाट पहुंचकर माता के दर्शन किये जा सकते हैं।
तो भला अब देर किस बात की। अपनी श्रद्वा भक्ति और आस्था की त्रिवेणी के साथ महाकाली दरबार में हाजिरी लगाने के लिये तैयार हो जाइये और जयकारा लगाकर बोलिये.... जय जय जय महाकाली...
हाट कालिका माता की जय !!
(टीम पर्वतीय निशान्त)


शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

फर्जीवाड़ा कर करोड़ों का टेंडर हथियाने की जांच को मोर्चा की शासन में दस्तक

फर्जीवाड़ा कर करोड़ों का टेंडर हथियाने की जांच को मोर्चा की शासन में दस्तक



- यूजेवीएनएल के अनुभव प्रमाण पत्र को कूट रचित तरीके से यूआरआरडीए में किया इस्तेमाल
 - वर्ष 2016 में 4.11 करोड़ के टेंडर हथियाने का है मामला    
- सिफारिश विहीन व ईमानदार ठेकेदारों का शोषण नहीं होने देगा मोर्चा 
- मोर्चा ने मामले की उच्च स्तरीय जांच को लेकर मुख्य सचिव से की मुलाकात 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि वर्ष 2016 में डाकपत्थर, देहरादून के ठेकेदार पराग जैन द्वारा यूजेवीएनएल के अधिशासी अभियंता द्वारा दिनांक  22/06/16  को जारी अनुभव प्रमाण पत्र को कूटरचित तरीके से यानी प्रमाण पत्र में छेड़छाड़ कर कार्य के नाम के कॉलम रिपेयर ऑफ  डैमेज्ड लाइनिंग (पेनल)  की जगह सड़क निर्माण कार्य का अनुभव दर्शाकर   उत्तराखंड ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण (यूआरआरडीए) में वर्ष 2016 में 4.11 करोड़ रुपए का ठेका हासिल कर लिया 
उक्त जालसाज ठेकेदार द्वारा नेचर ऑफ स्कोप एंड वर्क में 7 कार्य बिंदुओं को 9 में परिवर्तित कर दिया गया था। उक्त मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग को लेकर जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात की तथा मुख्य सचिव ने कार्यवाही के निर्देश दिए।            
शर्मा ने कहा कि प्रदेश में ईमानदारी से काम करने वाले ठेकेदार दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं तथा जालसाज व सेटिंगबाज ठेकेदार रातों-रात करोड़पति बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोर्चा ईमानदार ठेकेदारों का शोषण नहीं होने देगा तथा भ्रष्टों को बर्बाद करके ही दम लेगा।


 


सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन 

सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन 



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) प्रदान करने के लिए औपचारिक सरकारी मंजूरी पत्र जारी कर दिया है। इस प्रकार संगठन में बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए महिला अधिकारियों को अधिकार संपन्न बनाने का रास्ता प्रशस्त कर दिया है। 
यह आदेश जज एवं एडवोकेट जनरल (जेएजी) तथा आर्मी एजुकेशनल कार्प्स (एईसी) के वर्तमान वर्गों के अतिरिक्त भारतीय सेना के सभी दस वर्गों अर्थात आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आर्मी ऐवियेशन, इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कार्प्स (एएससी), आर्मी आर्डनेंस कार्प्स (एओसी) और इंटेलीजेंट कार्प्स में शौर्ट सर्विस कमीशंड (एसएससी) महिला अधिकारियों को पीसी की मंजूरी को विनिर्दिष्ट करता है।
प्रत्याशा में सेना मुख्यालय ने प्रभावित महिला अधिकारियों के लिए स्थायी आयोग चयन बोर्ड के संचालन के लिए तैयारी संबंधी कार्रवाइयों की एक श्रृंखला चलाई थी। जैसे ही सभी प्रभावित एसएससी महिला अधिकारी अपने विकल्प का उपयोग करेंगी और वांछनीय दस्तावेजीकरण को पूर्ण करेंगी, चयन बोर्ड अनुसूचित हो जाएगा।
इस दौरान कहा गया कि भारतीय सेना राष्ट्र की सेवा करने के लिए महिला अधिकारियों सहित सभी कार्मिकों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।


 


हुड़किया बौल पहाड़ की संस्कृति नहीं, बेगार प्रथा का अवशेष है

हुड़किया बौल पहाड़ की संस्कृति नहीं, बेगार प्रथा का अवशेष है



पुरूषोत्तम शर्मा
लालकुआं। आजकल कई लोग पहाड़ में पहले होने वाले हुड़किया बौलों की नकल करते उसे पहाड़ की संस्कृत के रूप में प्रचारित करते रहते हैं। हुड़किया बौल (श्रमिकों से हुड़के की थाप पर खेतों में बिना मजदूरी काम कराना) को पहाड़ की संस्कृति के रूप में प्रचारित नहीं करना चाहिए। कारण यह वहां के आमजन का कोई सामूहिक उत्पादन के साथ जुड़ा सांस्कृतिक कर्म नहीं था, जैसा अब प्रचारित किया जाता है। 
यह पहाड़ के जमींदारों, मालगुजारों, थोबदारों या बड़ी जमीनों के मालिक लोगों द्वारा अपने खेतों में ग्रामीण गरीबों से कराई जाने वाली बेगार प्रथा (बिना मजदूरी भुगतान का श्रम) का हिस्सा था। चूंकि इनके पास एक ही जगह में जमीन की बड़ी मात्रा होती थी, इसलिए अपने प्रभाव व अपनी ताकत के प्रदर्शन के रूप में उनके द्वारा यह हुड़किया बौल आयोजित किया जाता था। 
आपने भी बचपन में ऐसे आयोजन देखे होंगे। कहीं भी सामूहिक खेती या गरीब व छोटे किसानों के खेतों में इसका आयोजन नहीं होता था। इसलिए इसे पहाड़ की संस्कृति के रूप में प्रचारित नहीं करना चाहिए। यह मनोरंजन के साथ श्रमिकों के शोषण का एक सामंती प्रभुत्व जताने वाला आयोजन है।


गुरुवार, 23 जुलाई 2020

जेजीयू द्वारा 2020 स्नातक के लिए शैक्षणिक छात्रवृत्ति और अनुसंधान फैलोशिप की घोषणा

जेजीयू द्वारा 2020 स्नातक के लिए शैक्षणिक छात्रवृत्ति और अनुसंधान फैलोशिप की घोषणा



कोविड-19 की महामारी के बीच नौकरी और करियर संबंधी सहायता प्रदान करने के लिए छात्रों के लिए अद्वितीय सहायता कार्यक्रम शुरू 
संवाददाता
देहरादून। ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) ने 2020 के मास्टर्स और पीएचडी स्नातक के लिए अंडरग्रेजुएट और फैलोशिप के लिए 200 अनुसंधान छात्रवृत्ति (रिसर्च स्कॉलरशिप) की घोषणा की। यह विश्वविद्यालय द्वारा अपने छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने और छात्रों की चिंता को दूर करने के लिए की गई एक अभूतपूर्व और असाधारण पहल है क्योंकि कोविड-19 से करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। 2020 में स्नातक करने वाले जेजीयू के सभी 200 छात्रों को इस कार्यक्रम से लाभ होगा।
जेजीयू ने युवा और आकांक्षी शोधकर्ताओं के लिए अनुसंधान और संस्थागत मेंटरशिप पर ध्यान केंद्रित करने के लिए जेजीयू के सभी स्नातक छात्रों के लिए 100 जीआरआईपी स्कॉलरशिप (ग्रैजुएट रिसर्च इमर्शन प्रोग्राम) की भी घोषणा की है। छह महीने की जीआरआईपी छात्रवृत्ति के तहत आवास और अन्य लाभों और विशेषाधिकारों के साथ वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डा0) सी राज कुमार ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण जारी वैश्विक संकट के बीच हम भारत और दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के स्नातकों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं। हम मानते हैं कि जेजीयू को खासकर इन असाधारण रूप से कठिन समय के दौरान हमारे छात्रों की मदद करना चाहिए और उन्हें सहयोग प्रदान करना चाहिए।
प्रोफेसर कुमार ने कहा कि जेजीयू के 2020 स्नातकों को 200 छात्रवृत्ति और फैलोशिप प्रदान करने के लिए जेजीयू का निर्णय उच्च शिक्षा में एक ऐतिहासिक पहल है जिससे युवा और आकांक्षी शिक्षाविदों और अनुसंधान कर्ताओं का भविष्य उज्जवल होगा। यह छात्रों को अकादमिक करियर की खोज में मार्गदर्शन करके उनके समग्र कैरियर की प्रगति में मदद करेगा।
100 टीचिंग एंड रिसर्च फॉर इंटेलेक्चुअल पर्सूट (टीआरआईपी) फेलोशिप छात्रों को सीखने के माहौल की शिक्षण समझ के साथ उन्हें शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताओं, बौद्धिक दक्षताओं, शिक्षण कौशल विकसित करने के लिए दो साल के फेलोशिप कार्यक्रम में समग्र शैक्षणिक अनुभव प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। टीआरआईपी फैलोशिप जेजीयू के अकादमिक और अनुसंधान इच्छुक स्नातकों को उनके शोध कौशल को और अधिक तेज करने और जेजीयू के प्रमुख विद्वानों और शोधकर्ताओं के साथ काम करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर के जर्नल लेख और प्रकाशनों को तैयार करने में भी मदद करेगा। 
कार्यक्रम का उद्देश्य स्नातक कर रहे छात्रों को उनके समग्र कैरियर की प्रगति में मदद करना और उनकी उच्च शिक्षा या पेशेवर करियर में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में मदद करना है। टीआरआईपी फैलोशिप दो साल का कार्यक्रम है, जो अक्टूबर 2020 में शुरू होगा। टीआरआईपी फैलो और अकेडमिक ट्यूटर्स को 2020 में स्नातक करने वाले मास्टर्स छात्रों और अपनी थीसिस को सफलता पूर्वक पूरा करने वाले पीएचडी छात्रों में से एक प्रतियोगी प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा।


सतपाल महाराज ने केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल से मुलाकात की

सतपाल महाराज ने केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल से मुलाकात की



उत्तराखंड की पर्यटन परियोजनाओं के लिए धनराशि जारी करने का किया आग्रह
संवाददाता
नई दिल्ली/देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन, धर्मस्व और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल से मुलाकात कर उत्तराखंड की पर्यटन परियोजनाओं के लिए धनराशि जारी करने को कहा है। सतपाल महाराज ने केंद्रीय मंत्री को चारधाम की यात्रा को शुरू करने में केंद्र के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और उत्तराखंड राज्य की ओर से चारधाम की एक कृति (मॉडल) भेंट की। महाराज ने कहा कि जैसे जैसे संक्रमण की गति थमेगी और स्थितियों में सुधार होगा, चारधाम की यात्रा को दूसरे राज्यों के लिए भी खोला जाएगा।
सतपाल महाराज ने उत्तराखंड के पर्यटन विकास में केंद्रीय मंत्रालय के सहयोग के लिए प्रह्लाद पटेल को धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि केंद्र के सहयोग से उत्तराखंड में चार धाम खुले और राज्य के ग्रीन जोन से यात्री वहां जा रहे हैं। राज्य की जनता की तरफ से हमने चारधाम का एक मॉडल मंत्री को भेंट किया है।
केंद्रीय मंत्री के साथ मुलाकात में महाराज ने केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद’ योजनाओं के अंतर्गत उत्तराखंड सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही विभिन्न पर्यटन योजनाओं के लिए धनराशि स्वीकृत करने का भी अनुरोध किया। सतपाल महाराज ने केंद्रीय मंत्री को जानकारी दी कि स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत टिहरी में इको एंड एडवेंचर डेस्टिनेशन का 98 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। अब केवल टिहरी पार्किंग निर्माण का कार्य शेष बचा है जिसे सितंबर 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसी प्रकार कुमाऊं हेरिटेज सर्किट का कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
सतपाल महाराज ने केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय से ‘महाभारत सर्किट’ कान्सेप्ट नोट सैद्धांतिक सहमति प्रदान करने की अपेक्षा भी जतायी। उन्हांेने बताया कि प्रसाद योजना के अंतर्गत केदारनाथ मार्ग पर अवस्थापना सुविधाओं के विकास के अंतर्गत 89 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिये गये हैं। शेष कार्य गतिमान है जिसे अक्टूबर 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा।
बदरीनाथ धाम हेतु स्वीकृत योजना में अत्याधिक वर्षा और बर्फबारी होने के कारण पूर्व में अपेक्षित प्रगति नहीं हो पायी थी, परंतु वर्तमान में परियोजना पर निर्माण कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। इसे निर्धारित समय में पूर्ण किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं।प्रसाद योजना के अंतर्गत गंगोत्री एवं यमुनोत्री में पर्यटन सुविधाओं के विकास हेतु सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई है। श्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री का आभार व्यक्त करने के साथ प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति शीघ्र जारी किये जाने का अनुरोध किया।
महाराज ने उत्तराखंड के स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (एसआइएचएम) के सेंट्रलाइजेशन के भारत सरकार के विचारार्थ प्रस्ताव को जल्द  स्वीकृती देने का अनुरोध किया। साथ ही अल्मोड़ा स्थित फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट (एफसीआई) के लिए स्वीकृत 4.75 करोड़ रुपये की राशि में से शेष बची एक करोड़ रुपये की राशि को जारी करने का अनुरोध किया। अब तक इस मद में 3.75 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता जारी की जा चुकी है। हल्द्वानी से नैनीताल रोपवे परियोजना हेतु वायबेलिट गैप फंडिंग के प्रस्ताव के अनुमोदन की भी अपेक्षा की है। आपदा में क्षतिग्रस्त हो गये केदारनाथ धाम स्थित विभिन्न कुंडों के पुनर्निर्माण के कार्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अनापत्ति प्राप्त करने में भी मदद का आग्रह किया। 
सतपाल महाराज ने कहा उत्तराखंड सरकार इस वक्त सोशल डिस्टेंसिंग और कैरिंग कैपेसिटी को लेकर काम कर रही है। अब जो भी टूरिज्म होगा उसमें मास्क लगाया जाएगा, सोशल डिस्टेंसिंग होगी और सेनेटाइजेशन का ध्यान रखा जाएगा। इसका पूरा प्रबंध किया जा रहा है। जैसे ही कफर््यू समाप्त होगा और टेस्टिंग शुरू हो जाएगी लोग आने शुरू होंगे। हम चाहते हैं कि उत्तराखंड की यात्रा सुगम हो, सरल हो। इसके लिए चारधाम मार्ग का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है जिसमें चार लेन की रोड बन रही है। उम्मीद है कि बरसात के बाद हम चारधाम के यात्रियों का स्वागत कर सकेंगे।


बुधवार, 22 जुलाई 2020

एक शेयर जिसने महीने भर में करोड़पति बना दिया

एक शेयर जिसने महीने भर में करोड़पति बना दिया



यह पेनी स्टाक्स 9.09 रुपए पर ट्रेड करते हुए बढ़कर 80,000 रुपए प्रति शेयर पर पहुंच गया
एजेंसी
मुंबई। 15 जून को इस कंपनी के शेयरों ने अनलिस्टेड मार्केट में 5 पफीसदी का अपर सर्किट को छुआ और तब यह शेयर 9.09 रुपए पर ट्रेड कर रहा था। अब यह 80,000 रुपए प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है। एक महीने के भीतर यह पेनी स्टाक्स 9,00,000 फीसदी चढ़ गया। यह शेयर म्सबपक प्दअमेजउमदजे का है। यह एक माइक्रोकैप कंपनी है। एक खबर के मुताबिक पिछले एक महीने में कंपनी की बैलेस में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। फिर भी अनलिस्टेड मार्केट में इसकी डिमांड बढ़ी।
म्सबपक प्दअमेजउमदजे की खासियत यही है कि यह ब्लूचिप कंपनी एशियन पेंट्स के प्रमोटर्स में से एक है। साथ ही यह कंपनी फिस्कल ईयर 2017 से ही लगातार 15 रुपए प्रति शेयर डिविडेंड दे रही है। गौर हो कि अनलिस्टेड मार्केट में कम लिक्विडिटी वाले और बाजार से डीलिस्ट हो चुके शेयरों की ट्रेडिंग होती है।
जानकारों के मुताबिक यह बहुत कम ट्रेड होने वाला शेयर है। लोग इसमें बाजार से बाहर ट्रेड करते हैं। इस शेयर की कीमत सीधे एशियन पेंट्स की कीमत से जुड़ी है। आमतौर पर एचएनआई निवेशक इसमें पैसा लगाते हैं। 
बता दें कि 15 जून को इसके शेयर 9.09 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे। उस दिन कंपनी के शेयरों ने 5 फीसदी का अपर सर्किट टच किया था। बीएसई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल इस शेयर में सिर्फ 6 बार ट्रेडिंग हुई है।
बीएसई पर मौजूद डाटा के मुताबिक अनलिस्टेड मार्केट में म्सबपक प्दअमेजउमदजे के सिर्फ 2 लाख शेयर हैं। 30 जून 2020 तक पब्लिक शेयरहोल्डर्स के पास 50,250 शेयर थे जबकि प्रमोटर्स के पास 1,49,750 शेयर थे।
म्सबपक प्दअमेजउमदजे के पास एशियन पेंट्स के करीब 2.83 करोड़ शेयर हैं। इस हिसाब से मौजूदा शेयर प्राइस के हिसाब से म्सबपक प्दअमेजउमदजे का एशियन पेंट्स में 4900 करोड़ रुपए का निवेश है। हालांकि म्सबपक प्दअमेजउमदजे का मार्केट कैपिटलाइजेशन सिर्फ 0.18 करोड़ रुपए है।


उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने उर्दू अनुवादकों की फर्जी नियुक्ति को लेकर आवाज बुलंद की

उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने उर्दू अनुवादकों की फर्जी नियुक्ति को लेकर आवाज बुलंद की



संघ ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी सहित तमाम आला अधिकारियों को देंगे ज्ञापन
नौकरी से नहीं हटाया गया तो छेडेंगे जन आंदोलनः बॉबी पंवार
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने राज्य में विभिन्न विभागों में फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे उर्दू अनुवादकों की नियुक्ति को लेकर आवाज बुलंद की है। मीडिया में मामला सामने आने के बाद संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने संगठन के अन्य पदाधिकारियों के साथ मामले का खुलासा करने वाले एडवोकेट और आरटीआई एक्टिसिस्ट विकेश सिंह नेगी से कचहरी स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने उर्दू अनुवादकों की नौकरी, शासनादेश व नियुक्ति सहित अन्य सभी विषयों पर बातचीत की। 
आरटीआई से आये विभिन्न विभाग के जबावों को पढ़ने और शासनादेश सहित अन्य कागजों का अध्ययन करने के बाद बॉबी पंवार ने कहा कि यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है। एक साल की नौकरी पर रखे गये लोग सरकारी नौकरी पर रख दिये गये। इनको प्रमोशन के साथ ही समय पर अन्य लाभ मिलते रहे। यह बिना मिलीभगत के संभव ही नहीं है। विकेश नेगी द्वारा खुलासा करने के बाद भी विभागों की खमोशी और इन लोगों पर कार्रवाही न करना इस बात को बताता है कि यह बहुत बड़ा गड़बड़झाला है। सबसे बड़ी बात यह कि यह नियुक्तियां केवल बुदेंलखंड, गढ़वाल और कुमांउ में जिलास्तर व मंडलस्तर पर नहीं थी। यह सिर्फ एक साल के लिये थी और 28 फरवरी 1996 को स्वतः ही समाप्त हो गई थी। फिर भी यह लोग इतने सालों से फर्जी तरीके से सरकारी नौकरी कर रहे हैं।  
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार का कहना है कि आरटीआई में हुए खुलासे के बाद उत्तराखंड के भ्रष्ट तंत्र की काली करतूतें सामने आ गई है। जिससे यह तय हो गया है कि किस प्रकार उत्तराखंड में मूल निवासियों और योग्य युवाओं का हक मारा जा रहा है। जिस प्रकार नेताओं एंव अधिकारियों की सिफारिश से इन लोगों को नौकरी दी गई है, ये प्रदेश के योग्य छात्रों के साथ छलावा है। जिसका पूरजोर विरोध किया जाएगा और दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। आरटीआई में तमाम विभागों ने चौंकाने वाले जबाव दिए जिससे सारी सच्चाई सामने आ गई है। 
उनका कहना है कि उत्तराखंड बेरोजगार संघ इस मामले पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाही के साथ इस पूरे प्रकरण की जांच के लिये राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, सहित तमाम आला अधिकारियों को ज्ञापन देगा। इसके बाद भी अगर कोई कार्रवाही नहीं की गई तो प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ा जायेगा।



आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी
वहीं एडवोकेट व आरटीआई एक्टिविस्ट विकेश नेगी ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर उनकी लड़ाई जारी है। इसके लिये हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जहां तक भी लड़ाई लड़नी पड़े वह इसके लिये तैयार हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी यह मुहिम रूकेगी नहीं। वह सरकार के खजाने को चूना लगाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलापफ कड़ी कार्रवाही कराकर ही दम लेंगे। विकेश नेगी ने आम जनता से अपील की कि यह उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। यह आम जनता की लड़ाई है। अगर हमें राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है और हर बेरोजगार युवा को रोजगार मुहैया कराना है तो इसके लिये सब को आगे आना होगा। इस मुहिम को जन आंदोलन बनाना होगा। मिलकर लड़ाई लड़नी होगी तभी राज्य भ्रष्टाचार मुक्त हो पायेगा। 


 


डाकपत्थर बैराज की सुरक्षा को लेकर मुख्य सचिव से मोर्चा ने लगायी गुहार  

डाकपत्थर बैराज की सुरक्षा को लेकर मुख्य सचिव से मोर्चा ने लगायी गुहार  



- पुलिस महानिदेशक के आदेश के बावजूद कार्यवाही में विलंब 
- मुख्यालय, अभिसूचना भी कर चुका गारद तैनाती की संस्तुति 
- बैराज (हेड रेगुलेटर पुल) टूटने से होगा अरबों रुपए राजस्व का नुकसान 
- खनन मापिफयाओं की भेंट नहीं चढ़ने देगा मोर्चा डाकपत्थर बैराज को 
संवाददाता
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात कर डाकपत्थर बैराज को खनन मापिफयाओं से बचाने हेतु ज्ञापन सौंपा। मुख्य सचिव ने जिलाधिकारी को कार्यवाही के निर्देश दिये।
नेगी ने कहा कि डाकपत्थर क्षेत्रान्तर्गत यूजेविएनएल की यमुना जल विद्युत परियोजना वर्ष 1970 से विद्युत उत्पादन कर रही है। उक्त हेतु बैराज (हेड रेगुलेटर पुल) की डाकपत्थर में स्थापना की गयी थी, जोकि डाकपत्थर बैराज के नाम से प्रचलित है। 
उल्लेखनीय है कि महत्वाकांक्षी परियोजना होने तथा सुरक्षागत संवेदनशीलता के कारण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा डाकपत्थर बैराज को नोटिफिकेशन दिनांक 29.11.1989 के द्वारा प्रतिबन्धित क्षेत्र घोषित किया गया था, जिसके फलस्वरूप पूर्व में बैराज की सुरक्षा में पुलिस गारद व अन्य सुरक्षाकर्मी तैनात किये गये थे।
अति महत्वपूर्ण यह है कि उक्त मामले में अपर पुलिस महानिदेशक, अभिसूचना एवं सुरक्षा, उत्तराखण्ड द्वारा दिनांक 11.06.2019 के द्वारा बैराज की संवेदनशीलता/सुरक्षा के दृष्टिगत 2-8 की प्रशिक्षित गारद तैनाती की संस्तुति की गयी थी, लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। पुलिस/प्रशासन/यू0जे0वि0एन0एल0 प्रशासन भी इस मामले में केवल कागजी खाना-पूर्ति तक ही सीमित रहे। उक्त बैराज लगभग 50 वर्ष पुराना है तथा उसमें काफी दरारें भी आ गयी हैं। उक्त का उल्लेख स्वयं परियोजना के उत्तराधिकारियों द्वारा किया गया है।
इसके अतिरिक्त परियोजना के सभी संस्थान आर्टिफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 के तहत प्रतिबन्धित है, लेकिन उक्त बैराज से अनवरत 30-40 टन खनिज सामग्री लेकर बड़े-बड़े वाहन आवाजाही बेरोकटोक करते रहते हैं, जिनको रोकने वाला कोई नहीं है। ऐसी स्थिति में बैराज को आतंकवादी, राजद्रोही संगठनों व माफियाओं द्वारा नुकसान पहुंचाया जा सकता है। अगर बैराज को क्षति पहुंचती है तो कई वर्षों तक विद्युत उत्पादन ठप्प हो जायेगा तथा सरकार को करोड़ों-अरबों रूपये का राजस्व नुकसान उठाना पड़ेगा। 
नेगी ने कहा कि इस मामले में गत माह पुलिस महानिदेशक उत्तराखण्ड को भी ज्ञापन सौंपा गया था।


मंगलवार, 21 जुलाई 2020

कोरोना वायरस के बारे में अब तक की जानकारी

कोविड-19 के प्रति हो रही लापरवाही


कोरोना वायरस के बारे में अब तक की जानकारी



प0नि0डेस्क
देहरादून। कोरोना महामारी की शुरुआत को छह महीने से ज्यादा का समय हो चला है। तब से दुनिया भर के वैज्ञानिक इस नए वायरस को समझने में लगे हुए हैं। तो अब तक हम कोविड-19 को कितना जानते है? यह सवाल सामने है। 
सोशल मीडिया पर वायरस के पफैलाव को ले कर कई किस्से कहानी है। चीन के वुहान स्थित एक मीट बाजार से शुरूवात की बात होती है तो कोई इसे चीन का बायालोजी वैपन भी करार देते है। लेकिन रहस्य आज भी कायम है।
चीनी वैज्ञानिकों ने रिकार्ड समय में इस नए कोरोना वायरस के जेनेटिक ढांचे का पता लगा लिया था। 21 जनवरी को उन्होंने इसे प्रकाशित किया और तीन दिन बाद विस्तृत जानकारी भी दी। जिसके आधार पर दुनिया भर में वायरस के खिलापफ वैक्सीन बनाने की मुहिम शुरू हो गई। 
गौर हो कि सार्स कोव-2 वायरस की सतह पर एस-2 नाम के प्रोटीन होते हैं। यही इंसानी कोशिकाओं से जुड़ जाते हैं और संक्रमित व्यक्ति को बीमार करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। वैक्सीन का काम इस प्रोटीन को निष्क्रिय करना या किसी तरह ब्लाक करना होगा।
शुरुआत में कहा गया कि संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से या पिफर संक्रमित सतह को छूने से ही यह वायरस फैलता है लेकिन अब पता चला है कि फ्रलू के वायरस की तरह यह भी हवा से पफैल सकता है।
किसी बंद जगह में बड़ी तादाद में लोगों की मौजूदगी इसमें खतरे की घंटी है। इसीलिए दुनिया के करीब हर देश ने लाकडाउन का सहारा लिया। इसलिए ज्यादातर देशों में सिनेमा हाल, ट्रेड पफेयर और बड़े आयोजन बंद हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन शुरू में संक्रमण पर काबू पाने के लिए मास्क के इस्तेमाल से इनकार करता रहा। लेकिन देशों ने उसके खिलापफ जा कर सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना अनिवार्य किया। 
दो अहम बातें इससे बचाव के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण है- साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग। हालांकि लाकडाउन खुलने के बाद से सोशल डिस्टेंसिंग को ले कर लोग लापरवाह होते जा रहें है।
अब तक हुए शोध दिखाते हैं कि इंसानों को पालतू जानवरों से कोई खतरा नहीं है। हालांकि इस दिशा में अभी और शोध चल रहे हैं। वहीं महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कोविड-19 का खतरा ज्यादा है। इसी तरह ए ब्लड ग्रुप के लोगों पर इसका ज्यादा असर होता है। पहले से बीमार लोगों का शरीर वायरस का ठीक से सामना नहीं कर पाता। मधुमेह, कैंसर और हृदय रोगियों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।
अब तक हुए सभी शोध इशारा करते हैं कि अगर इम्यून सिस्टम मजबूत है तो वायरस के असर से बच सकते हैं। संक्रमण के बाद फिट हो जाने वाले व्यक्ति के खून में वायरस से लड़ने वाली एंटीबाडी बनी रहती हैं। कुछ देशों में डाक्टर इन एंटीबाडी का इस्तेमाल मरीजों को ठीक करने के लिए कर रहे हैं।
यूरोप में जब यह वायरस पफैला तो डाक्टर जल्द से जल्द मरीजों पर वेंटिलेटर इस्तेमाल करने लगे। अब बताया जा रहा है कि वेंटिलेटर का इस्तेमाल पफायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में अब आईसीयू केवल आक्सीजन लगाने पर जोर दे रहे हैं।
पहले सिपर्फ पफेपफड़ों पर ध्यान दिया जा रहा था, वहां अब मरीज के आईसीयू से निकलने के बाद बाकी के अंगों की भी जांच की जा रही है क्योंकि कई मामलों में इस वायरस को अंगों के नाकाम होने के लिए जिम्मेदार पाया गया है।
यदि किडनी पर असर हुआ हो तो डायलिसिस की जरूरत होती है। आम तौर पर इसके लिए बड़ा खर्च आता है। अब तक इस वायरस से निपटने का कोई रामबाण इलाज नहीं मिला है। डाक्टर कुछ दवाओं का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं लेकिन ये सभी दवाएं लक्षणों पर असर करती हैं, बीमारी पर नहीं। रेमदेसिविर इस मामले में चर्चित दवा है।
एक अनुमान है कि इस साल के अंत तक टीका बाजार में आ जाएगा, तो कुछ अगले साल की शुरुआत की बात कर रहे हैं। लेकिन टीके आमतौर पर इतनी जल्दी तैयार नहीं होते और अगर बन भी जाए तो पूरी आबादी तक उन्हें पहुंचाने में भी वक्त लग जाएगा।
पिफलहाल अलग-अलग देशों में 160 वैक्सीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। टीबी की वैक्सीन को बेहतर बना कर इस्तेमाल लायक बनाने की कोशिश भी चल रही है। भारत के सीरम इंस्टीइट्यूट ने प्रोडक्शन की तैयारी कर ली है। बस सही पफार्मूला मिलने का इंतजार बाकी है। 
जून के अंत तक पांच टीकों का ह्यूमन ट्रायल हो चुका है। इंसानों पर टेस्ट का मकसद होता है यह पता करना कि इस तरह के टीके का इंसानों पर कोई बुरा असर तो नहीं होगा। हालांकि यह असर दिखने में भी लंबा समय लग सकता है।


पर्वतीय क्षेत्रों में रिंगाल के उत्पादन से बढ़ेगा रोजगारः वृक्षमित्र डा0 सोनी

पर्वतीय क्षेत्रों में रिंगाल के उत्पादन से बढ़ेगा रोजगारः वृक्षमित्र डा0 सोनी



संवाददाता
देहरादून। वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्व पर्यावरणविद् डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा है कि देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने में रिंगाल अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि बांस की प्रजाति का वृक्ष रिंगाल उत्तराखंड के जंगलो में बहुतायत पाया जाता है। इसे बोना बांस भी कहा जाता है। जहां बांस की लम्बाई 25-30 मीटर होती है वही रिंगाल 5-8 मीटर लम्बा होता है यह 1000-7000 पिफट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। रिंगाल को पानी एवं नमी की जरूरत होती है। 
वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी कहते हैं कि रिंगाल पर्वतीय क्षेत्रों के लोगो के लिए ही नही मैदानी क्षेत्रों के लोगो के लिए रोजगार देने वाला बहुउपयोगी पौधा हैं। पहाड़ांे में इसे रिंगाल कहते है और मैदानी क्षेत्रों में इसी प्रजाति को बांस कहते हैं।
डा0 सोनी ने बताया कि हम रिंगाल से बनी अनेक वस्तुआंे का उपयोग करते हैं। जैसे स्कूल में पढ़ाई के लिए कलम, अनाज साफ करने के लिए सूपा, अनाज भरने व तोलने के लिए पाथा, फूलदेई की टोकरी, अनाज भंडार व समान लाने के लिए कंडी, रोटी रखने की टोकरी, झाड़ू, घर की छत बनाने के लिए, इसका उपयोग होता है। उन्होंने कहा कि रिंगाल हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है। यह पौधा भूस्खलन रोकने में भी कारगर हैं।
उत्तराखंड में पांच प्रकार के रिंगाल पाये जाते हैं। गोलू रिंगाल, देव रिंगाल, थाम रिंगाल, सरारू रिंगाल, भाटपुत्रा रिंगाल आदि। उत्तराखंड में रिंगाल जीवन का अभिन्न अंग होने के साथ साथ यहां की कला को भी प्रदर्शित करता है। प्रदेश के काश्तकार अपनी कला का उपयोग कर विभिन्न प्रकार की दिनचर्या में उपयोग होने वाली वस्तुएं इससे बनाते हैं जैसे लैम्प शेड, गुलदस्ते, हैकर, स्ट्रे, पैन स्टैंड, टेबल, लैम्प आदि।     
डर0 त्रिलोक चंद्र सोनी कहते है कि रिंगाल प्लास्टिक से काफी मजबूत एवं टिकाऊ होता है तथा प्लास्टिक से होने वाले साइड इफेक्ट्स भी रिंगाल से बनी वस्तुओं में नहीं होेते। रिंगाल से बनी वस्तुएं सस्ती होती हैं। डा0 सोनी ने लोगों से अपील की कि इस वर्षा ऋतु में अधिक से अधिक रिंगाल या बांस के पौधों का रोपण करना चाहिए ताकि रिंगाल व बांस से बनी वस्तुओं से अपना रोजगार चला सके।


तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेसियों का प्रदर्शन, पर्चे भी बांटे

तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेसियों का प्रदर्शन, पर्चे भी बांटे



संवाददाता 
देहरादून। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के आह्वान पर महानगर कांग्रेसियों द्वारा पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर राजपुर रोड़ स्थित स्टार पेट्रोल पम्प पर विरोध प्रदर्शन किया गया तथा ग्राहकों को तेल की कीमतों के तुलनात्मक पर्चे बांटे।
महानगर कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेसियों द्वारा महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा के नेतृत्व में स्टार पेट्रोल पम्प पर बढ़ी कीमतों का विरोध करते हुए हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस की कीमतों को कम करने की मांग की। कार्यक्रम के दौरान कांग्रेसजनों द्वारा यूपीए सरकार तथा वर्तमान भाजपा सरकार के समय तेल की कीमतों के तुलनात्मक ब्यौरे का पर्चा भी वितरित किया गया।
इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष लालचन्द शर्मा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 से लेकर इस वर्ष जून तक सरकार ने देश की जनता की गाढ़़ी कमाई लूट कर औद्योगिक घरानों की जेब भरने का काम किया है। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल के पिछले चार महीनों में पेट्रोल व डीजल के दाम लगातार बढ़ने से महंगाई में बेतहाशा वृद्वि हुई जिससे वैश्विक महामारी का दंश झेल रही जनता की कमर टूट चुकी है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की इस लूट को कंाग्रेस पार्टी बर्दास्त नहीं करेगी और जनहित की इस लड़ाई के खिलाफ तब तक आन्दोलन चलाती रहेगी जब तक अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कम हुई तेल की कीमतों के मुताबिक देश में भी पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की कीमतों में की गई वृद्वि को वापस नहीं लिया जाता है।
कार्यक्रम में जिलाध्यक्ष संजय किशोर, प्रदेश सचिव शोभाराम, मंजुला तोमर, पार्षद आनन्द त्यागी, अरविन्द त्यागी, राजेन्द्र चौहान, इलियास अंसारी, सचिन थापा, जाहिद अंसारी, आतिपफ खान, मधुसूदन सुन्द्रियाल, सूरत सिंह नेगी, जोत सिंह रावत, प्रदीप कवि, मोहित नेगी, विकास नेगी, अनिल नेगी, प्रियांशु छाबडा, विशाल मौय, अनुराग मितल, अमरजीत सिंह, मोहित ग्रोबर, कैलाश बाल्मीकि, आशु पंवार, जगदीश चौहान, सौरभ मल्होत्रा, भरत शर्मा आदि उपस्थित थे।


 


केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं के लिए धनराशि की मांग

सतपाल महाराज की केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से मुलाकात
केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं के लिए धनराशि की मांग



संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड के सिंचाई, पर्यटन, एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट कर उत्तराखंड के लिए स्वीकृत सिंचाई योजनाओं के लिए धनराशि की मांग करने के साथ-साथ बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम एवं त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के माध्यम से केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायता के लिए उनका आभार जताया।
महाराज ने जल शक्ति मंत्रालय मंत्री से भेंट कर उनसे बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एपफएमपी 12 सं0 योजनाओं के लिए 29.52 करोड़ एआईबीपी 32 सं0 योजनाओं के लिए 77.41 करोड़ है, दोनों योजनाओं के लिए कुल राशि 106.93 करोड़ की मांग की। महाराज ने स्वीकृति हेतु नई योजनाओं में बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एफएमपी 59 सं0 के लिए 1582.89 करोड़ एवं जल संचयन व संवर्धन बैराज (जलाशय) झील निर्माण 14 सं0 योजनाओं के लिए 2170.70 करोड़ दोनों के लिए कुल राशि 3753.59 करोड़ की मांग की है।
पर्यटन मंत्री महाराज ने बताया कि उन्होंने लघु सिंचाई विभाग के लिए प्रस्तावित नई योजना पीएमकेएसवाई हर खेत को पानी 422 सं0 योजनाओं के लिए 349.39 व पीएमकेएसवाई भूजल 4 सं0 योजना के लिए 16.44 करोड़ है, दोनों योजनाओं के लिए कुल 365.83 करोड़ रूपये की मांग की। महाराज ने कहा कि मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने सभी प्रस्तावित योजनाओं के लिए आश्वासन दिया है। साथ उन्हांेने केन्द्र सरकार से हर संभव मदद का भरोसा दिया है।
सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने केंद्रीय जल मंत्री को बताया कि उत्तराखण्ड राज्य के अधिकांश भू-भाग की प्रकृति पर्वतीय है एवं इसे प्रतिवर्ष विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं यथा बाढ़, अतिवृष्टि, बादल फटना आदि से जूझना पड़ता है। राज्य सरकार अपने अति सीमित संसाधनों से बाढ़ सुरक्षा एवं प्रबंधन कार्य कराने का भरसक प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि हम केन्द्र सरकार के आभारी हैं कि वह उपरोक्त कार्यों हेतु विशेष पैकेज के अन्तर्गत बाढ़ प्रबन्धन कार्यक्रम एवं त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के माध्यम से राज्य सरकार की सहायता कर रही है। महाराज ने कहा है कि उनका हर संभव प्रयास है कि उत्तराखण्ड आये प्रवासियों को बिल्कुल भी पानी की कमी न होने पाये। प्रदेश के हर खेत को पानी मिले इसके लिए उनका प्रयास जारी रहेगा।


रविवार, 19 जुलाई 2020

नेपाल आर्म्स पुलिस की गोली से मवेशी खोजने गया भारतीय युवक घायल

भारत-नेपाल सीमा पर फायरिंग 
नेपाल आर्म्स पुलिस की गोली से मवेशी खोजने गया भारतीय युवक घायल



एजेंसी
किशनगंज। बिहार के किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड अंतर्गत भारत-नेपाल सीमा के माफी टोला के समीप पिलर संख्या 151-152 के बीच रात 9 बजे नेपाल आर्म्ड पुलिस फोर्स एपीएफ के जवानों द्वारा अपने मवेशी खोज रहे एक भारतीय युवक पर गोली दाग दी। गोली युवक के कंधे में लगी हैं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया। जिसे पहले पीएचसी टेढ़ागाछ लाया गया जहां डाक्टरों ने गम्भीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल किशनगंज फिर पूर्णिया रेफर कर दिया, जहां उसका इलाज चल रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार जितेंद्र कुमार नाम का युवक मवेशी खोजने के लिए निकला और सीमा के करीब अपना मवेशी खोज रहा था। जिसके बाद नेपाली एपीएफ ने उसे रोककर मारपीट की और गोली दाग दी। चार राउंड हुई फायरिंग में से एक गोली जितेंद्र कुमार को लगी। गोली बारी की घटना से सीमा क्षेत्र के करीब बसे लोगों में दहशत का माहौल है। घटना की सूचना मिलते ही एसएसबी 12 वाहिनी के कार्यवाहक कमांडेंट ललित कुमार माफी टोला पहुंचे और पूरी जानकारी ली।
उन्होंने ग्रामीणों और ईपीएफ के साथ कार्डिनेशन बैठक की। नेपाल आर्म्स पुलिस द्वारा की गयी इस तरह की बर्बरतापूर्ण कार्यवाई की घोर निंदा हो रही है। गौरतलब है कि लाक डाउन के शुरुआत से ही भारत-नेपाल सीमा पूरी तरह से सील है। लोगों का आवागमन पूरी तरह से बाधित है। नेपाल सरकार ने भारत-नेपाल सीमा पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती कर दी है। खासकर सीमा के मुख्य रास्तों के अलावा पगडंडियों पर भी सुरक्षा सख्त है। नेपाल में जहां नेपाली सशस्त्र बल ने कैम्प लगाकर सुरक्षा में जुटी हैं। वहीं भारतीय सीमा में एसएसबी की मौजूदगी पहले से है और लगातार सीमा की निगेहबानी की जा रही है।
डिप्टी कमांडेंट बीरेंद्र चौधरी ने बताया कि दोनों पक्षों के साथ बैठक कर मामले को सुलझाया जा रहा है। सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी हैं। ग्रामीण और नेपाली इपीएफ के साथ समन्वय बैठक की जा रही ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।


डा0 कफील खान की रिहाई के लिए वामपंथियों का देश भर में धरना-प्रदर्शन

डा0 कफील खान की रिहाई के लिए वामपंथियों का देश भर में धरना-प्रदर्शन



संवाददाता
लालकुआं। डा0 कफील खान को रिहाई के सवाल पर भाकपा (माले), आइसा, इनौस और ऐपवा के कार्यकर्ताओं ने बिहार, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब सहित देश के विभिन्न भागों में प्रदर्शन किया। बैनर, पोस्टर के साथ सैकड़ों जगहों पर यह विरोध कार्यक्रम किया गया। डा0 कफील खान पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासूका) वापस लेने और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की गई। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा फर्जी मुकदमे लगाने के बाद तीसरी बार गोरखपुर के शिशु रोग विशेषज्ञ डा0 कफिल खान को जेल में डाला गया है।
भाकपा (माले) के पुरूषोत्तम शर्मा के अनुसार 2017 में गोरखपुर मेडिकल कालेज में लापरवाही के कारण आक्सीजन के अभाव में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। डा0 कफिल ने इसके लिए सरकार की आलोचना की थी। इसी वजह से उनके पीछे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हाथ धोकर पड़ी हुई है। उनका कहना है कि आक्सीजन की कमी के लिए सरकार जिम्मेदार थी, लेकिन अगस्त 2017 में डा0 कफिल को ही बच्चों की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराकर उन्हें जेल भेज दिया गया।
उनका कहना है कि महीनों जेल में गुजारने के बाद आखिर वे जमानत पर बाहर आए और खुद सरकार द्वारा गठित जांच दल ने 2 साल बाद सितम्बर 2019 में उन्हें दोषमुक्त घोषित कर दिया। लेकिन जांच दल ने उन्हें योगी से माफी मांगने को कहा। डा0 कफिल ने माफी नहीं मांगी और वे योगी के निशाने पर आ गए।
शर्मा का कहना था कि 12 दिसम्बर 2019 को डा0 कफील ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ आयोजित सभा को संबोधित किया था। उक्त सभा में उत्तेजक भाषण देने के झूठे आरोप में 29 जनवरी को उन्हें मुंबई हवाई अड्ढे से गिरफ्रतार कर जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। लेकिन जेल से रिहा करने में जानबूझकर 3 दिन देर की गई। 13 फरवरी को कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश फिर से जारी किया। लेकिन रिहाई की बजाय 14 फरवरी को उन पर 3 महीने के लिए रासुका लगा कर फिर डिटेन कर दिया गया। डिटेंशन की अवधि खत्म होने से पहले फिर 12 मई को रासुका की अवधि 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई है।
उनके मुताबिक सरकार की नीतियों, फैसलों का विरोध करने के कारण डा0 कफिल पर रासुका लगाना नाजायज है। यह विरोध की आवाज दबाने का फांसीवादी कदम है। पूरा देश सरकार के रवैए की आलोचना कर रहा है और डा0 कफिल की रिहाई की मांग कर रहा है।
डा0 कफिल गोरखपुर के होने के कारण बिहार से सजीव रूप से जुड़े रहे हैं। जब चमकी बुखार से मुजफ्रफरपुर में हाहाकार मचा हुआ था, उन्होंने यहां कैम्प लगाकर बच्चों का मुफ्रत इलाज किया। विगत वर्ष की बाढ़ और पटना के जल जमाव के समय भी उन्होंने पटना सहित कई जगह लोगों का मुफ्रत इलाज किया। सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया। भाकपा (माले), आइसा, इनौस और ऐपवा के बैनर से डा0 कफिल की रिहाई के लिए आवाज उठाई गई।


कोरोना वायरस जांच: रैपिड एंटीजन टेस्ट

कोरोना वायरस जांच: रैपिड एंटीजन टेस्ट



प0नि0डेस्क
देहरादून। देश में कोरोना वायरस की जांच के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है। कोरोना वायरस की पहचान के लिए इस टेस्ट को सबसे विश्वसनीय माना गया है। देश में रैपिड एंटीजन टेस्ट की भी शुरुआत हुई है। इसकी प्रक्रिया बहुत जल्दी पूरी हो जाती है और रिजल्ट भी आ जाता है। जबकि आरटी-पीसीआर टेस्ट में समय लगता है। इंडियन काउंसिल आपफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने कोरोनो वायरस के लिए एंटीजन टेस्ट को मंजूरी दी जो सिर्फ 15 मिनट में परिणाम दे सकता है। कई शहरों में कोरोना के मामले बढ़ने की वजह से रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाए जानें लगे हैं।
रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए नाक में एक पतली से नली से सैंपल लिया जाता है। नाक से लिए गए उस लिक्विड को टेस्ट किट में डाला जाता है। ये किट थोड़ी ही देर में बता देती है कि जिसका सैंपल डाला गया है वो कोरोना वायरस से संक्रमित है कि नहीं। ये किट उसी तरह होती है, जैसे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट होती है। सैंपल डालने के बाद यदि 2 रेड लाइन आती है तो इसका मतलब है कि कोरोना पाजिटिव है। एक लाइन आती है तो वो कोरोना नेगेटिव है। 
जो भी व्यक्ति इस टेस्ट के माध्यम से पाजिटिव पाया जाता है, उसका इलाज तुरंत शुरू हो जाता है। उस टेस्ट की पाजिटिव रिपोर्ट को पुख्ता माना जाता है। लेकिन किसी का टेस्ट नेगेटिव आया है और उसमें कोरोना के लक्षण हैं तो फिर उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जाता है। अब तक किट का उपयोग कंटेनमेंट जोन या हाटस्पाट्स और हेल्थकेयर सेटिंग्स में किया जा रहा है। आईसीएमआर ने सलाह दी है कि परीक्षण मेडिकल सुपरविजन के तहत किया जाएगा और किट का तापमान 2 से 30 डिग्री सेल्सियस बनाए रखना होगा।
यदि रैपिड टेस्ट पाजिटिव आता है तो हो सकता है कि वह व्यक्ति कोविड-19 का मरीज हो, ऐसे में उसे घर में ही आइसोलेशन में रहने या फिर अस्पताल में रखने की सलाह दी जाती है। वहीं अगर ये टेस्ट निगेटिव आता है तो फिर उसका रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है। रियल टाइम पीसीआर टेस्ट में पाजिटिव आने पर अस्पताल या घर में आइसोलेशन में रखा जाता है। वहीं रियल टाइम पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने पर माना जाता है कि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हैं। अगर किसी शख्स का पीसीआर टेस्ट नहीं हो पाता है तो उसे होम क्वारंटीन में रखा जाता है और 10 दिन बाद दोबारा से एंटीबाडी टेस्ट किया जाता है। यानी दोनों ही मामलों में ये पूरी तरह से कंफर्म नहीं होता कि मरीज कोरोना पाजिटिव है या नहीं, कंफर्म रिपोर्ट के लिए रियल टाइम पीसीआर टेस्ट ही करना होता है। हालांकि ये पता चल जाता है कि व्यक्ति का शरीर कोविड-19 से लड़ने के लिए एंटीबाडी बना रहा है या नहीं।
आरटी एंड पीसीआर टेस्ट को कोरोना की पहचान के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने गोल्ड स्टैंडर्ड प्रफंटलाइन टेस्ट कहा है। इसमें संभावित मरीज के नाक के छेद या गले से स्वाब लिया जाता है। ये टेस्ट लैब में ही किया जाता है। इस टेस्ट में त्पइवदनबसमपब ंबपक यानी कि आरएनए की जांच की जाती है। आरएनए वायरस का जेनेटिक मटीरियल है। अगर मरीज से लिए गए सैंपल का जेनेटिक सीक्वेंस सार्स एंड कोविड-2 वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस से मेल खाता है तो मरीज को कोरोना पाजिटिव माना जाता है। इस टेस्ट में निगेटिव रिजल्ट तभी आता है जबकि मरीज के शरीर में वायरस मौजूद नहीं रहते हैं।


करदाताओं का फेसलेस मददगार नया फार्म 26एएस

करदाताओं का फेसलेस मददगार नया फार्म 26एएस



इस आकलन वर्ष से करदाताओं को एक नया एवं बेहतर फार्म प्राप्त होगा 
प0नि0डेस्क
देहरादून। नया फार्म 26एएस अपना आयकर रिटर्न जल्दी और सही ढंग से ई-फाइल करने में करदाताओं का फेसलेस (व्यक्तिगत उपस्थिति बगैर) मददगार है। इस आकलन वर्ष से करदाताओं को एक नया एवं बेहतर फार्म 26एएस प्राप्त होगा जिसमें करदाताओं के वित्तीय लेन-देन के बारे में कुछ अतिरिक्त विवरण होंगे, जैसा कि विभिन्न श्रेणियों में वित्तीय लेन-देन विवरण (एसएफटी) में निर्दिष्ट किया गया है।
बताया गया है कि इन निर्दिष्ट एसएफटी को दर्ज करने वालों से आयकर विभाग को प्राप्त हो रही जानकारियों को अब स्वैच्छिक अनुपालन, कर जवाबदेही और रिटर्न की ई-फाइलिंग में आसानी के लिए फार्म 26एएस के भाग ई में दर्शाया जा रहा है, ताकि इनका उपयोग करदाता अत्यंत अनुकूल माहौल में सही कर देनदारी की गणना करके अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने में कर सकें। इसके अलावा इससे कर प्रशासन में और भी अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही आएगी।
पिछले फार्म 26एएस में किसी पैन (स्थायी खाता संख्या) से संबंधित स्रोत पर कर कटौती और स्रोत पर कर संग्रह के बारे में जानकारियां होती थीं। इसके अलावा इसमें कुछ अतिरिक्त जानकारियां भी होती थीं जिनमें भुगतान किए गए अन्य करों, रिफंड और टीडीएस डिफाल्ट का विवरण भी शामिल था। लेकिन अब से करदाताओं को अपने सभी प्रमुख वित्तीय लेन-देन को याद करने में मदद के लिए इसमें एसएफटी होगा, ताकि आईटीआर दाखिल करते समय सुविधा के लिए उनके पास तैयार संगणक उपलब्ध हो।
यह भी बताया गया है कि उच्च मूल्य वाले वित्तीय लेन-देन करने वाले व्यक्तियों के मामले में आयकर विभाग को वित्त वर्ष 2016 से ही आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 285बीए के तहत ‘निर्दिष्ट व्यक्तियों’ जैसे कि बैंकों, म्यूचुअल पफंडों, बान्ड जारी करने वाले संस्थानों और रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार इत्यादि से उन व्यक्तियों द्वारा की गई नकद जमा/बचत बैंक खातों से निकासी, अचल संपत्ति की बिक्री/खरीद, सावधि जमा, क्रेडिट कार्ड से भुगतान, शेयरों, डिबेंचरों, विदेशी मुद्रा, म्यूचुअल फंड की खरीद, शेयरों के बायबैक, वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए नकद भुगतान आदि के बारे में जानकारियां प्राप्त होती थीं। अब से विभिन्न एसएफटी के तहत इस तरह की सभी जानकारियां नए फार्म 26एएस में दर्शाई जाएंगी।
अब से किसी भी करदाता के लिए फार्म 26एएस के भाग ई में विभिन्न विवरण जैसे कि किस तरह का लेन-देन, एसएफटी दर्ज करने वाले (फाइलर) का नाम, लेन-देन की तारीख, एकल/संयुक्त पक्ष द्वारा लेन-देन, लेन-देन करने वाले पक्षों की संख्या, धनराशि, भुगतान का तरीका और टिप्पणी, इत्यादि को दर्शाया जाएगा।
इसके अलावा इससे अपने वित्तीय लेन-देन को अपडेट रखने वाले ईमानदार करदाताओं को अपना रिटर्न दाखिल करते समय मदद मिलेगी। वहीं दूसरी ओर यह उन करदाताओं को निराश करेगा जो अनजाने में अपने रिटर्न में वित्तीय लेन-देन को छिपाते हैं। नए पफार्म 26एएस में उन लेन-देन की जानकारी भी होगी जो वित्त वर्ष 2015-16 तक वार्षिक सूचना रिटर्न (एआईआर) में प्राप्त होते थे।


 


शनिवार, 18 जुलाई 2020

उधमसिंह नगर में 17 थानों के अन्तर्गत कार्यरत 3289 एसपीओ

उधमसिंह नगर में 17 थानों के अन्तर्गत कार्यरत 3289 एसपीओ



सम्बन्धित नियम, पात्रता, अधिकार-दायित्व, अच्छा व खराब कार्य करने वालोें की सूचना उपलब्ध नहीं
संवाददाता
काशीपुर। उधमसिंह नगर जिले के 17 थानोें के अन्तर्गत 3289 विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) नियुक्त किये गये हैं परन्तु सम्बन्धित नियम, पात्रता, आवेदन व नियुक्ति प्रक्रिया, अधिकार-दायित्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। यह खुलासा सूचना अधिकार के अन्तर्गत लोक सूचना अधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी से उधमसिंह नगर जिले में नियुक्त एसपीओ (विशेष पुलिस अधिकारी) की नियुक्ति व इनसे सम्बन्धित 18 बिन्दुओें पर सूचनायें मांगी थी। जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी/अपर पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र पीचां उधमसिंह नगर ने अपने पत्रांक 41/2020 दिनांक 12 जून तथा 25 जून से केवल 3 बिन्दुओें की सूचना उपलब्ध करायी है। शेष सभी बिन्दुओं की सूचना उपलब्ध न होेने के आधार पर नहीं उपलब्ध करायी है। 
उपलब्ध करायी गयी एसपीओ की सूची केे अनुसार 3289 एसपीओ जिले केे सभी 17 थाना क्षेत्रोें में नियुक्त किये गये है। इनमें जसपुर में 391, कूण्डा में 118, काशीपुर में 254, आईटीआई में 131, बाजपुर में 170, केलाखेड़ा में 84, गदरपुर में 213, दिनेशपुर में 131, पंतनगर में 96, ट्रांजिट कैम्प में 145, रूद्रपुर में 188, किच्छा में 278, पुलभट्टा में 109, सितारगंज में 303, नानकमत्ता में 65, खटीमा में 434 तथा झनकइयां थाना क्षेत्र में 178 एसपीओ नियुक्त किये गये है।
नदीम को एसपीओे सम्बन्धी कानूनी प्रावधानों की सूचना के अन्तर्गत उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 14 की फोटो प्रति उपलब्ध करायी है। इसमें इस हेतु बनायेे गये नियमों के अधीन रहते हुये विशेष परिस्थितियों में विशेष पुलिस अधिकारी जिला मजिस्ट्रेट की परामर्श से पुलिस अधीक्षक द्वारा नियुक्त किये जाने का प्रावधान है। लेकिन जिन नियमों केे अधीन इन्हेें बनाया जाना है उन नियमों की कोई प्रति उपलब्ध नहीं करायी गयी है।
नदीम को एसपीओ को ड्यूटी करनेे हेतु उपलब्ध कराये गये मास्क, दस्ताने, वस्त्रा आदि व इसके खर्च के विवरण केे अन्तर्गत लोक सूचना अधिकारी ने रिजर्व पुलिस लाइन तथा पुुलिस कार्यालय से प्राप्त सूचनायेें उपलब्ध करायी गयी हैै। पुलिस कार्यालय के आंकिक द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार एसपीओे को ड्यूटी करने हेतु 1500 फलोरेेसेट जैैकेट क्रय की गयी जिसका मूल्य 2,36,250 रूपये सम्बन्धित फर्म को भुगतान किया गया। इसके अतिरिक्त रिजर्व पुलिस लाइन उधमसिंह नगर के प्रतिसार निरीक्षक द्वारा उपलब्ध सूचना केे अनुसार एसपीओ हेतु थानोें को वितरित सामग्री में 2337 एसपीओ जैैकेट, 4716 आई कार्ड, 17166 सर्जिकल मास्क, 664 ऊनी ग्लब्ज, 5660 पुलिस लाइन में निर्मित कपडे़ वाले मास्क, 1254 सोडियम हाइपोक्लोराइड, 22 हैण्ड सैैनिटाइजर 500 मिली0, 1685 हैण्ड सैैनिटाइजर 100 मिली0, 535 हैैण्ड सैैनेटाइजर 200 मिली0 व 390 लीटर सैनिटाइजर शामिल हैै।


 


जावा पैराक सड़कों पर धूम मचाने के लिए तैयार

बाइक के शौकीनों के लिए देश की पहली फैक्ट्री कस्टम बाइक
जावा पैराक सड़कों पर धूम मचाने के लिए तैयार



संवाददाता
देहरादून। अब जावा पैराक मोटरसाइकिल को सड़कों पर दौड़ते हुए देखने के लिए और इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्लासिक लेजेंड्स प्रा0लि0 ने देश के सभी क्षेत्रों में 20 जुलाई से इस मोटरसाइकिल की डिलीवरी शुरू करने की घोषणा की। पैराक मोटरसाइकिल बीते जमाने की याद दिलाती है। इसे फैक्ट्री कस्टम बाइक के रूप में डिजाइन और विकसित किया गया है जिसमें स्टेल्थ, विजिलेंट एंड डार्क की सच्ची स्पीरिट नजर आती है। 
देश की पहली फैक्ट्री कस्टम बाइक में 334 सीसी का लिक्विड कूल्ड, सिंगल सिलेंडर, फोर स्ट्रोक, डीओएचसी इंजन लगाया गया है, जो 30.64 पीएस का पावर और 32.74 एनएम का टार्क उत्पन्न करता है। इसमें जावा का सिग्नेचर ट्विन एग्जास्ट लगा है, जिसके आकार को छोटा किया गया है ताकि यह बिल्कुल आथेंटिक बाबर की तरह नजर आए।
पैराक प्रोडक्ट टीम ने लाकडाउन के दौरान टार्क को लगभग 2 एनएम तक बढ़ाने में कामयाबी पाई जो पहले 31 एनएम था। टार्क में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह है कि स्टैंडस्टिल और रोलिंग ऐक्सेलरेशन, दोनों ही स्थिति में इसकी पुलिंग की क्षमता और बेहतर हुई है। नई क्रास पोर्ट टेक्नोलाजी के साथ-साथ इंजन की सावधानीपूर्वक फाइन-ट्यूनिंग के जरिए ही यह संभव हो पाया है, जो जबरदस्त परफार्मेंस सुनिश्चित करने के अलावा बीएसवीआई के उत्सर्जन नियमों के पूरी तरह अनुरूप है। 6-स्पीड ट्रांसमिशन के जरिए अनुकूलतम अनुपात के साथ यह सड़क पर अपनी बेहतरीन पावर दिखाता है।
को-फाउंडर क्लासिक लेजेंड्स अनुपम थरेजा ने जावा पैराक की डिलीवरी की घोषणा के अवसर पर कहा कि जब हमने पैराक के निर्माण का बीड़ा उठाया तो हमारे सामने बस एक ही लक्ष्य था- सिनिस्टर और डार्क की भावनाओं को अप्रत्यक्ष रूप से दर्शाने वाला एक ऐसा मोटरसाइकिल बनाना, जो विशिष्टता, व्यक्तित्व एवं प्रदर्शन का बिल्कुल सही मिश्रण हो। जावा पैराक को फाइनैंसिंग के कई सरल विकल्पों के साथ उपलब्ध कराया जा रहा है। जावा डीलरशिप्स पर आफर के तहत दिए जाने वाले फाइनैंसिंग के हरेक विकल्प एक-दूसरे से अलग हैं।


 


भागीरथी पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र के जोनल मास्टर प्लान को मंजूरी

भागीरथी पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र के जोनल मास्टर प्लान को मंजूरी



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। प्रदेश में चारधाम सड़क परियोजना की समीक्षा बैठक में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वीडियो कान्प्रफेंसिंग के माध्यम से बताया कि जोनल मास्टर प्लान (जेडएमपी), उत्तराखंड सरकार द्वारा तैयार किया और जलशक्ति मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया, को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा मंजूरी प्रदान कर दी गई है।
18 दिसंबर 2012 को स्थानीय लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए 4179.59 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करने वाले गौमुख से उत्तराकाशी तक भागीरथी पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र की अधिसूचना को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी किया गया था, जिसमें स्थानीय लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों को प्रभावित किए बिना उनकी आजीविका सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण अनुकूल विकास को भी सुनिश्चित किया गया था। बाद में 16 अप्रैल 2018 को सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और भारतीय सडक कांग्रेस के साथ परामर्श करने के बाद अधिसूचना में संशोधन किया गया।
भागीरथी पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रा की अधिसूचना में प्रदेश सरकार को जेडएमपी तैयार करने का अधिकार प्रदान किया गया, जिसे निगरानी समिति की देखरेख में लागू किया जाना था। जेडएमपी वाटरशेड दृष्टिकोण पर आधारित है और इसमें वन एवं वन्यजीव, जल प्रबंधन, सिंचाई, ऊर्जा, पर्यटन, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, सड़क अवसंरचना आदि के क्षेत्रा में गवर्नेंस भी शामिल हैं।
जेडएमपी के अनुमोदन से इस क्षेत्र में संरक्षण और पारिस्थितिकी को बढ़ावा मिलेगा और जेडएमपी के अंतर्गत प्रदान किए गए अनुमति के अनुसार विकासात्मक गतिविधियां भी शुरू की जाएंगी।
उत्तराखंड राज्य में चारधाम सड़क परियोजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग एवं एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने की। इस बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह और राज्य के पर्यावरण एवं वन और पीडब्लूडी मंत्रियों सहित अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के सचिवों, डीजी सड़क (एमओआरटीएच), डीजी (बीआरओ) और दोनों मंत्रालयों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
जेडएमपी के अनुमोदन से क्षेत्र के संरक्षण और पारिस्थितिकी को बढ़ावा मिलेगा और जेडएमपी के अंतर्गत दी गई अनुमति के अनुसार विकासात्मक गतिविधियों की भी शुरूआत की जाएंगी। इस मंजूरी से चारधाम परियोजना को तीव्र गति से निष्पादित करने का रास्ता भी खुलेगा।


ग्लोबल टाईम्स के जरिए चीनी प्रोपगंडा

ग्लोबल टाईम्स के जरिए चीनी प्रोपगंडा



चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ संघर्ष छेड़ सकती है भारत सरकार
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। चीन अपने मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स के जरिए भारत के विरूद्व लगातार दुष्प्रचार फैला रहा है। इसके तहत चीन ने आरोप लगाया है कि भारत कोविड-19 मामले में अपनी नाकामी से जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीन, नेपाल और पाकिस्तान सीमा पर संघर्ष छेड़ सकता है। 
ग्लोबल टाईम्स ने कहा है कि चीनी विश्लेषकों ने चेतावनी दी कि केाविड-19 संक्रमण और मौतों की संख्या के मामले में भारत दुनिया का अग्रणी देश बन सकता है, जो उसकर नाकामी की वजह होगा और यह देश में बहुत बड़ी आपदा का कारण बन सकता है। 
उसका कहना है कि 1 मिलियन कोविड-19 मामलों के साथ भारत दुनिया का तीसरा देश बन गया। कुछ भारतीय मीडिया आउटलेट्स ने भविष्यवाणी की कि अगले मिलियन तक पहुंचने में केवल एक महीने से भी कम समय लग सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत देश में कोरोना वायरस मामले में अपनी नाकामी को छिपाने के लिए चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ अपनी सीमाओं पर संघर्ष छेड़ सकता है। 
ग्लोबल टाईम्स के मुताबिक चीनी विश्लेषकों का मानना है कि भारत के कोविड-19 मामलों की संख्या 1 मिलियन तक पहुंचना आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि भारत महामारी की रोकथाम और नियंत्रण में नाकाम रहा है। उसने द हिंदू का हवाला देते हुए कहा कि असम के कामरूप जिले में एक कोविड-19 केयर सेंटर से करीब 100 मरीज भाग गए, क्योंकि उन्होंने उन्हें उचित भोजन और पानी उपलब्ध नहीं कराया गया था। 
शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंटरनेशनल रिलेशंस इंस्टीट्यूट कहना है कि कोविड-19 के तेजी से प्रसार ने भारत को एक अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में डाल दिया है जिसने उसके आर्थिक विकास को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारत कोरोना प्रसार के मामलों में जल्द ही अमेरिका को पछाड़ देगा। इसका कारण भारत की अक्षम चिकित्सा प्रणालियां है। 
उसने दावा किया कि वर्तमान कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ा सकता है। उसने आरोप लगाया कि भारत सरकार जनता का ध्यान कोविड-19 से हटाने के लिए वही पुरानी चाल चलेगा, जैसा कि उसने जून में किया था। 
उसका दावा है कि भारत में रह रहे कुछ चीनी नागरिकों ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि भारत के लॉकडाउन के दौरान वायरस का संक्रमण नहीं रूका क्योंकि श्रमिकों का कारखानों में काम करना जारी रहा और आबादी की गतिशीलता नहीं रुकी। नई दिल्ली में रहने वाले एक चीनी कर्मचारी सर वैंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि स्थानीय सरकार ने संदिग्ध कोविड-19 लक्षणों के लिए स्क्रीन नहीं की, और स्थानीय अस्पतालों ने उन लोगों का इलाज करने से मना किया जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखायी दिया।


खरीफ फसलों का बुवाई क्षेत्र में 21.2 फीसदी की वृद्वि

खरीफ फसलों का बुवाई क्षेत्र में 21.2 फीसदी की वृद्वि



बुवाई के रकबे पर कोविड-19 का कोई प्रभाव नहीं पड़ा 
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। इस बार खरीफ फसलों की बुवाई 691.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक अभी बुवाई का काम जारी है इसलिए यह आंकड़ा बढ़ेगा। पिछले वर्ष की इसी अवधि में बुवाई का रकबा 570.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र था।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस बार कुल खरीफ फसलों को 691.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोया गया। पिछले वर्ष की तुलना में इस साल बुवाई क्षेत्र में 21.20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। किसानों ने पिछले वर्ष के 142.06 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 168.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई की है, यानी रकबे में 18.59 फीसदी की वृद्वि हुई है। किसानों ने पिछले साल के 61.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 81.66 लाख हेक्टेयर में दलहन की खेती की है, इस रकबे में 32.35 फीसदी की वृद्वि हुई है।
किसानों ने पिछले वर्ष के 103.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 115.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाज की बुवाई की है। रकबे में 12.23 फीसदी की वृद्वि हुई वहीं उन्होंने पिछले साल के 110.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 154.95 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की खेती की है जिससे रकबे में 40.75 फीसदी की वृद्वि हुई।
किसानों ने पिछले साल 50.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 51.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की खेती की जिससे गन्ने की बुवाई के रकबे में 0.92 फीसदी की वृद्वि हुई जबकि किसानों ने पिछले साल 96.35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 113.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर कपास की खेती की जो रकबे में 17.28 फीसदी की वृद्वि है। 
इसी तरह किसानों ने पिछले साल 6.84 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले इस साल 6.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर जूट और मेस्टा की खेती की है यानी रकबे में 0.70 फीसदी की वृद्वि है। कृषि मंत्रालय के अनुसार इससे जाहिर है कि खरीफ फसलों की बुवाई के रकबे पर कोविड-19 का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।


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