सोमवार, 23 मई 2022

माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

 माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग



व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट का उपयोग

एजेंसी

नई दिल्ली। सरकारी सेवाओं को सुलभ, समावेशी, पारदर्शी और सरल बनाने की एक बड़ी पहल के रूप में माईगव ने घोषणा की कि नागरिक अब डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग करने के लिए व्हाट्सएप पर माईगव हेल्पडेस्क का उपयोग करने में समर्थ होंगे। इन सेवाओं में व्हाट्सएप पर डिजिलाकर खाते बनाना और उन्हें प्रमाणित करना, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण प्रमाण-पत्र जैसे दस्तावेज डाउनलोड करना शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार डिजिटल इंडिया के माध्यम से ईज आफ लिविंग के लिए काम कर रही है। इस संदर्भ में व्हाट्सएप पर माईगव हेल्पडेस्क नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण शासन और सरकारी सेवाओं को सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख कदम है।

माईगव हेल्पडेस्क अब डिजिलाकर सेवाओं से शुरू होकर एकीकृत नागरिक सहायता और कुशल शासन के लिए कई सेवाएं प्रदान करेंगी। नई सेवा नागरिकों को उनके घरों पर ही निम्नलिखित दस्तावेजों तक आसानी और सुविधा के साथ पहुंच स्थापित करने में सक्षम बनाएगी-

पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, सीबीएसई दसवीं कक्षा उत्तीर्ण प्रमाण-पत्र, वाहन पंजीकरण प्रमाण-पत्र (आरसी), बीमा पालिसी- दुपहिया, दसवीं कक्षा की अंक तालिका (मार्कशीट), बारहवीं कक्षा की अंक तालिका (मार्कशीट), बीमा पालिसी दस्तावेज (डिजिलाकर पर उपलब्ध लाइफ और नान लाइफ)।

 देश भर में व्हाट्सएप उपयोगकर्ता व्हाट्सएप नंबर $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर चैटबाट का उपयोग कर सकते हैं।

मार्च 2020 में अपने लान्च के बाद से व्हाट्सएप पर माईगव हेल्पडेस्क (जिसे पहले माईगव कोरोना हेल्पडेस्क के नाम से जाना जाता था) ने लोगों को कोविड से संबंधित जानकारी के प्रामाणिक स्रोतों के साथ-साथ वैक्सीन लेने के लिए समय निर्धारित करने और वैक्सीन प्रमाण-पत्र डाउनलोड करने जैसे महत्वपूर्ण उपयोगों के साथ कोविड-19 महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण साधन के रूप में काम किया है। अब तक 80 मिलियन से अधिक लोग हेल्पडेस्क से जुड़ चुके हैं और 33 मिलियन से अधिक वैक्सीन प्रमाण-पत्र डाउनलोड किए जा चुके हैं। इसके माध्घ्यम से देश भर में लाखों टीकाकरण के अपाइंटमेंट भी बुक किए जा चुके हैं।

डिजिलाकर जैसे नए संवर्धनों के साथ व्हाट्सएप पर माईगव चैटबाट का उद्देश्य नागरिकों के लिए संसाधनों और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच स्घ्थापित करने के लिए डिजिटल रूप से समावेशी एक व्यापक प्रशासनिक सहायता प्रणाली का निर्माण करना है।

माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का प्रस्ताव एक स्वाभाविक प्रगति है जो नागरिकों को व्हाट्सएप के आसान और सुलभ प्लेटफार्म के माध्यम से आवश्यक सेवाओं तक एक सरल पहुंच प्रदान करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। डिजिलाकर पर पहले ही लगभग 100 मिलियन से अधिक लोग पंजीकृत हैं और अब तक 5 बिलियन से अधिक दस्तावेज जारी किए जा चुके हैं। व्हाट्सएप पर ये सेवाएं लाखों लोगों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगी और उन्घ्हें उनके फोन द्वारा प्रामाणिक दस्तावेजों और जानकारियों तक पहुंच स्थापित करने में सहायता प्रदान करेंगी। यह सार्वजनिक सेवाओं के वितरण को सुगम और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप है।

जिला रेडक्रास का नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर

जिला रेडक्रास का नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर 

लोगों को मिला स्वास्थ्य परीक्षण एवं औषधि  वितरण का लाभ


संवाददाता
देहरादून।  ज़िला रेडक्रास शाखा देहरादून एवं स्वास्थ्य हॉस्पिटल द्वारा निःशुल्क चिकित्सा स्वास्थ्य शिविर का आयोजन  प्राचीन शिव मन्दिर रीठा मंडी निकट  मुस्लिम कॉलोनी लक्खीबाग में आयोजित किया गया!
शिविर में  जिला रेडक्रास सोसाइटी से श्रीमती कल्पना बिष्ट (सचिव), अनिल वर्मा (चेयरमैन, यूथ-रेड क्रॉस कमेटी ), आशीष कुमार चनालिया, सुभाष चौहान (वाईस चेयरमैन-देहरादून), श्रीमती रुपाली शर्मा (देहरादून टीम कोऑर्डिनेटर), श्रीमती पद्मिनी मल्होत्रा (मेंबर मैनेजिंग कमिटी-देहरादून), विकास गुप्ता (मेंबर मैनेजिंग कमिटी- देहरादून), लाइफ मेंबर में मेजर प्रेमलता वर्मा, रवींद्र पडियार, नितिन कुमार, ममता खन्ना, राजीव गुप्ता, सनी अग्रवाल, राघव गोयल, मनोज धीमान, अन्तेजा बिष्ट, स्वास्थ्य हॉस्पिटल से वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ० पंकज दीक्षित  (पेट रोग विशेषज्ञ), डॉ० जगदीश रावत (छाती रोग विशेषज्ञ), डॉ० विवेक रोहिला (गुर्दा रोग विशेषज्ञ), श्री अमित कुमार (एंडोस्कोपिक एवं तकनीशियन), सुनील दीक्षित (पी०आर०ओ), आदि डॉक्टर्स, तकनीशियन एवं बड़ी संख्या में लाभार्थी  उपस्थित रहे। 
जिला रेडक्रास समिति द्वारा स्वास्थ्य हाॅस्पिटल न्यू रोड निकट यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के समस्त चिकित्सकों व तकनीशियनों का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए स्मृति चिन्ह तथा रेडक्रास के संस्थापक सर हेनरी ड्यूनांट का चित्र भेंटकर सम्मानित किया गया।
शिविर  का समापन शिविर संयोजक व रेडक्रास प्रबंधन समिति सदस्य विकास कुमार द्वारा स्वास्थ्य हाॅस्पिटल की टीम, प्राचीन शिव मन्दिर समिति रीठा मंडी की प्रबन्धन समिति, रेडक्रास सोसाइटी के सदस्यों व लाभार्थियों का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त  करके हुआ।
शिविर का कुशल संचालन रेडक्रास प्रबंधन समिति सदस्य श्रीमती पद्मिनी मल्होत्रा द्वारा किया गया।

रविवार, 22 मई 2022

रक्षा पेंशनभोगियों से 25 मई तक वार्षिक पहचान पूरी करने का आग्रह

 रक्षा पेंशनभोगियों से 25 मई तक वार्षिक पहचान पूरी करने का आग्रह



मासिक पेंशन की सुगम प्रोसेसिंग सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी

एजेंसी

नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर उन रक्षा पेंशनभोगियों जिन्होंने अभी तक अपनी वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणन को पूरा नहीं किया है, से आग्रह किया है कि वे निश्चित रूप से इस प्रक्रिया को 25 मई तक पूरी कर लें जिससे कि मासिक पेंशन की सुगम प्रोसेसिंग सुनिश्चित की जा सके।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक डाटा के सत्यापन पर यह देखने में आया है कि 43,774 पेंशनभोगियों, जिन्हें पेंशन प्रशासन प्रणाली-रक्षा (स्पर्श) में स्थानांतरित कर दिया गया था, ने नवंबर 2021 तक न तो आनलाइन और न ही अपने संबंधित बैंकों के माध्यम से अपनी वार्षिक पहचान पूरी की है।

इसके अतिरिक्त पुराने पेंशनभोगी (2016 से पहले सेवानिवृत्त) जो पेंशन की पुरानी प्रणाली पर बने हुए हैं, के लिए यह सूचित किया है कि करीब 1.2 लाख पेंशनभोगियों ने उपलब्ध किसी भी माध्यम से अपनी वार्षिक पहचान पूरी नहीं की है।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणन निम्नलिखित माध्यमों से किया जा सकता है-

1. एंड्रायड यूजर के लिए डिजिटल जीवन प्रमाण आनलाइन/जीवन प्रमाण पफेस ऐप

क. स्थापना और उपयोग के विवरण यहां प्राप्त किए जा सकते हैं  : https : //jeevanpramaan.gov.in/package/documentdowload/JeevanPramaan.FaceApp.3.6.Installation

ख. स्पर्श पेंशनभोगी- कृपया ‘रक्षा-पीसीडीए (पी) इलाहाबाद’ और संवितरण प्राधिकरण को रक्षा-पीसीडीए (पेंशन) इलाहाबाद के रूप में मंजूरी देने वाले प्राधिकरण को चुनें।

ग. पुराने पेंशनभोगी (2016 से पहले सेवानिवृत्त)- कृपया अपने संबंधित मंजूरी देने वाले प्राधिकरण को ‘रक्षा-संयुक्त सीडीए (एएफ) सुब्रतो पार्क या ‘रक्षा-पीसीडीए (पी) इलाहाबाद’ या रक्षा-पीसीडीए (नौसेना) मुंबई एवं संवितरण प्राधिकरण को अपने संबंधित पेंशन वितरण बैंक/डीपीडीओ आदि के रूप में चुनें।

2. पेंशनभोगी वार्षिक पहचान को पूरी करने के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (सीएसी) को भी विजिट कर सकते हैं। अपना निकटतम सीएससी यहां खोजें- https://findmycsc.nic.in/

3. पेंशनभोगी जीवन प्रमाणन को अपडेट करने के लिए अपने निकटतम डीपीडीओ को भी विजिट कर सकते हैं। पुराने पेंशनभोगी अपने संबंधित बैंकों के साथ अपने जीवन प्रमाणन को अपडेट कराना जारी रख सकते हैं।

रक्षा मंत्रालय के कहा है कि वार्षिक पहचान/जीवन प्रमाणन की प्रक्रिया मासिक पेंशन के निरंतर और समय पर क्रेडिट होने के लिए एक सांविधिक जरूरत है। बहरहाल अप्रैल के लिए मासिक पेंशन 58,275 पेंशनभोगियों (स्पर्श पर 4.47 लाख स्थानांतरित पेंशनभोगियों में से) के लिए विशेष एकमुश्त छूट के माध्यम से क्रेडिट किया गया था, क्योंकि उनके संबंधित बैंकों द्वारा महीने के समापन तक उनकी वार्षिक पहचान के विवरण सत्यापित नहीं किए जा सके थे।

तेल को बार-बार गर्म करना खतरनाक

 तेल को बार-बार गर्म करना खतरनाक



री-हीट करने से तेल में विषैले पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है

प0नि0डेस्क

देहरादून। तेल भारतीय पाक शैली का प्रमुख हिस्सा है। हर घर में सब्जी बनाने से लेकर पुड़ी-पराठे बनाने तक तेल का प्रयोग होता है। इसके अलावा अधिकतर स्नैक्स को भी तेल में ही तला जाता है। चिप्स, समोसे, प्रफाइज कुछ भी हों, ये टेस्ट में अच्छे होते हैं लेकिन इन्हें बनाने में जो तेल का प्रयोग होता है, उसके नुकसान हो सकते हैं। 

अक्सर लोग इसे सामान्य प्रक्रिया मानते हैं कि खाना बनाने के बाद अगर तेल बचे तो उसे बाद में गर्म करके यूज कर लिया जाएगा। ऐसा करना शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने के साइड इफेक्ट होते हैं। अगर इस बारे में नहीं जानते हैं तो तेल को दोबारा गर्म करके उसमें खाना बनाकर खाने के नुकसान भी जान लीजिए।

काले, धुएं वाला तेल, जिसे बार-बार गर्म किया जा रहा है, वह शरीर में एलडीएल या खराब कोलेस्ट्राल लेवल को बढ़ा सकता है। एलडीएल कोलेस्ट्राल का हाई लेवल हार्ट डिसीज, स्ट्रोक और सीने में दर्द का जोखिम बढ़ा सकता है। इसलिए कोलेस्ट्राल से जुड़ी समस्याओं से बचने के लिए कुकिंग आयल को दोबारा गर्म करने से बचें।

अगर तेल को बार-बार गर्म किया जाता है तो उसमें एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। अगर आपको पेट और गले में जलन महसूस होती है तो इसका कारक खाना बनाने वाला तेल भी हो सकता है। अगर आपको सामान्य से अधिक एसिडिटी का अनुभव होता है तो जंक और डीप प्रफाई फूड्स खाने से बचें। यदि इससे गले और पेट में जलन में आराम मिलता है तो इसका जवाब आपके पास है कि आपको क्या करना है।

सूरजमुखी या मकई के तेल जैसे कुछ वेजिटेवल आयल को फिर से गर्म करने से उसमें जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हृदय रोग, अल्जाइमर, डिमेंशइया और पार्किंसंस जैसी कई स्थितियों पैदा हो जाती हैं। वेजिटेबल तेल को दोबारा गर्म करने पर 4-हाइड्राक्सी-ट्रांस-2-नामिनल नामक एक अन्य जहर निकलता है, जो डीएनए, आरएनए और प्रोटीन को सही तरह से काम करने से रोकता है।

कुकिंग आयल में ट्रांस फैटी एसिड होते हैं जो दोबारा गर्म करने पर बढ़ जाते हैं। ट्रांस फैट सैचुरेटेड फैट से भी बुरे होते हैं क्योंकि ये न केवल खराब कोलेस्ट्राल लेवल को बढ़ाते हैं बल्कि अच्छे कोलेस्ट्राल के लेवल को भी कम कर देते हैं। इसके कारण पार्किंसंस रोग, हार्ट डिसीज, स्ट्रोक, कैंसर और विभिन्न लिवर जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

कैंसर का जोखिम बढ़ाएः तेल को दोबारा गर्म करने से वह कार्सिनोजेनिक हो जाता है। कार्सिनोजेन ऐसा एजेंट होता है जो कैंसर का कारण बनता है। रिसर्च के मुताबिक जब तेल को बार-बार गर्म किया जाता है तो उसमें एल्डिहाइड यानि जहरीले तत्व पैदा हो जाते हैं। फिर अगर कोई उस तेल में बने खाने को खाता है तो शरीर में टाक्सिन्स पहुंच जाते हैं, जिससे शरीर को नुकसान हो सकता है। वहीं अधिक मात्रा में ऐसे तेल का प्रयोग करके कैंसर का जोखिम भी बढ़ सकता है। शरीर में टाक्सिन्स की मात्रा बढ़ने से मोटापा, हार्ट डिसीज और डायबिटीज समेत कई बीमारियां हो जाती हैं।

कुछ एक्सपर्ट बताते हैं कि दोबारा गर्म किए गए तेल में बना खाने से शरीर पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। लेकिन अगर पहली बार में तेल को अधिक आंच पर और अधिक देर तक गर्म नहीं किया गया है तो उसे दोबारा गर्म कर सकते हैं। तलने से पहले खाने में नमक डालने से बचें क्योंकि नमक के कारण तेल से जल्दी धुंआ निकलने लगता है और अगर एक बार तेल से धुंआ निकलने लगे तो वह उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता।

शनिवार, 21 मई 2022

सड़क-डेटा रजिस्टर बनाने के आदेश

 उत्तराखंड के सभी नगर निगमों, पालिका क्षेत्रोें के सड़क-डेटा रजिस्टर बनाने के उत्तराखंड सूचना आयोेग के आदेश
सड़क, डेटा, रजिस्टर सम्बन्धी शासनादेश अवहेलना करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों के विरूद्व कार्यवाही के भी आदेश
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन की अपील पर सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र का कड़ा आदेश



संवाददाता

देहरादून। उत्तराखंड  सूचना आयोग ने उत्तराखंड के सभी नगर निगम, नगर पालिका क्षेत्रों में आने वाले मार्गों की सूची माप पुस्तिका में दर्ज कराने केे एवं सड़क डेेटा-रजिस्टर बनाकर स्थायी अभिलेख रखने का आदेेश उत्तराखंड शासन के सचिव शहरी विकास को दिया है। यह आदेश सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन की अपील सं0 33031 पर दिया हैै।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने काशीपुर नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी से नगर निगम में लागू सम्पत्ति कर की दरों तथा नगर निगम क्षेत्र में मार्गों की चौड़ाई की सूचना 8 बिन्दुओं पर मांगी थी। जिसमें सम्पत्ति कर दरों सम्बन्धी आंशिक सूचना के अतिरिक्त अन्य सूचनायें नहीं उपलब्ध करानेे पर प्रथम अपीलीय अधिकारी/नगर आयुक्त को अपील की। जिनके सूचना उपलब्ध कराने के आदेश के बाद सूचना न उपलब्ध कराने पर उत्तराखंड सूचना आयोग में द्वितीय अपील की गयी। अपील के बाद लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना धारित नहीं है लिखित करते हुये पत्र दिया लेकिन वांछित सूचना नहीं उपलब्ध करायी।

मई 2022 में हुई द्वितीय अपील सं0 33031 की सुनवाई में सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने सड़कों की चौैड़ाई सम्बन्धी सूचनायें उपलब्ध न होने तथा सड़क डेटा-रजिस्टर न बनाने पर कड़ा रूख अपनाया। सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने अपने निर्णय व आदेश दिनांक 09-05-22 में स्पष्ट लिखा कि अपीलार्थी द्वारा अनुरोध पत्र में मांगी गयी नगर निगम के क्षेत्रान्तर्गत विभिन्न चौैड़ाई के मार्गों की संख्या की सूचनायें किसी भी नगर निगम या शहरी विकास के कार्यों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है, जिसकी उपलब्ध्ता होने पर सभी विकास कार्य जैसे सड़क निर्माण कार्य, जन सुविधयें देना आदि कार्य जनहित में सुचारू रूप से नगर निगम कर सकता हैै। 

इस प्रकार के उपलब्ध आंकड़े सम्पत्ति कर निर्धरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। यह अत्यन्त आश्चर्यजनक बात हैै कि नगर निगम द्वारा इस बात का अब तक ध्यान नहीं रखा गया हैै। अपीलार्थी द्वारा बताया गया हैै कि इस प्रकार के आंकड़े हरिद्वार-ऋषिकेश नगर निगमों में उपलब्ध है। इसकी सत्यता पर टिप्पणी करे बगैर यह कहना उचित होगा कि इस प्रकार के आंकड़े सभी शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध होने चाहिये। यदि विभागीय अपीलीय अधिकारी अथवा लोक प्राधिकारी नगर क्षेत्र के सड़क डेट-रजिस्टर का निरीक्षण कर लेते तो उन्हें ज्ञात होता कि उनमें सूचना धारित हैै अथवा नहीं औैर यदि वांछित सूचना धारित नहीं थी तथा निगम के नियमों केे अनुसार सड़क डेटा/रजिस्टर रखना अनिवार्य था तो विभागीय अपीलीय अधिकारी को तुरन्त उक्त रजिस्टर बनाने के आदेश देने चाहिए थे, ऐसा न करके उन्होंने आयोग और अपीलार्थी दोेनों का समय बर्बाद किया हैै। अतः नगर निगम, काशीपुर को आदेशित किया जाता हैै कि वे निगम क्षेत्र से सम्बन्धित सभी सड़़क डेटा/रजिस्टर यथाशीघ्र तैयार करें ताकि आम नागरिक को इस प्रकार के आंकडे़ आसानी से उपलब्ध हो सके। साथ ही लोक सूचना अधिकारी को आदेशित किया जाता हैै कि अनुरोध पत्र के बिन्दु संख्या 4.1 की शेष सूचना अपीलार्थी को 10 दिन के भीतर उपलब्ध करायें तथा सड़क डेटा/रजिस्टर तैयार होते ही मांगी गयी सूचना अपीलार्थी को देना सुनिश्चित करें।

सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र ने आदेश की एक प्रति सचिव शहरी विकास उत्तराखंड शासन देहरादून को इस आशय सेे प्रेषित की हैै कि यदि शासन द्वारा नगर निगम काशीपुर को सड़क डेटा/रजिस्टर रखने के शासनादेश पहले से ही जारी किये गये हैं तो काशीपुर नगर निगम के उन जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्व उचित कार्यवाही करना सुनिश्चित करें जिन्होंने उक्त शासनादेशों की अवहेलना की। यदि पूर्व में इस प्रकार के शासनादेेश नहीं दिये गये हैैं तो वे काशीपुर नगर निगम के साथ-साथ नगर निगम/नगर पालिका क्षेत्रों में आने वाले मार्गों की सूची, माप पुस्तिका में दर्ज कराने के एवं सड़क डेटा/रजिस्टर बनाकर स्थायी अभिलेख रखने के आदेश पारित करना सुनिश्चित करें, तथा अनुपालन आख्या से आयोग को भी अवगत कराये।

टूर आफ ड्यूटी के तहत चार साल के लिए होगी सेना में भर्ती

टूर आफ ड्यूटी के तहत चार साल के लिए होगी सेना में भर्ती 



एजेंसी

नई दिल्ली। भारतीय सेना, नेवी और एयरपफोर्स में अब सैनिकों की सभी भर्तियां टूर आफ ड्यूटी (टीओडी) के तहत होंगी। सूत्रों के मुताबिक इसकी रूपरेखा फाइनल कर ली गई है। इसी महीने इसका ऐलान करने की तैयारी है। यह तय किया गया है कि टीओडी के तहत युवाओं को चार साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक टीओडी के तहत जितने युवाओं की भर्ती होगी वह चार साल के लिए ही होगी। बाद में तय किया जाएगा कि इनमें से कितनों को परमानेंट किया जाना है। कौन परमानेंट होगा इसके लिए सिलेक्शन बोर्ड बनाया जाएगा, जो सैनिकों की प्रोफेशनल दक्षता के आधार पर उनका चयन करेगा। एक अधिकारी के मुताबिक जिस तरह आफिसर रैंक में काबिलियत के हिसाब से आगे बढ़ते हैं उसी तरह सैनिक भी अपनी योग्यता के हिसाब से परमानेंट होंगे। शार्ट सर्विस कमिशन के तहत जो अधिकारी आते हैं उनमें से भी करीब 20-25 पर्सेंट को ही परमानेंट कमिशन मिल पाता है।

सैनिकों के रिक्रूटमेंट का तरीका अभी वही रहेगा जो अब तक रहा है। बाद में धीरे धीरे इसमें बदलाव करने की भी योजना है। बाद में रिक्रूटमेंट के लिए पैटर्न चेंज कर लिखित परीक्षा पहले और फिजिकल टेस्ट बाद में किया जा सकता है। जो युवा टूर आफ ड्यूटी के तहत आएंगे, उनकी छह महीने की बेसिक मिलिट्री ट्रेनिंग होगी। अमूमन 18 साल में युवा सेना में आएंगे और चार साल बाद बाहर निकलेंगे तो उनकी उम्र 21-22 साल की होगी। सेना से निकलकर ये युवा दूसरा रोजगार कर सकें इसलिए चार साल की सर्विस के दौरान ही इन्हें प्रोफेशनल डिग्री और डिप्लोमा कोर्स भी कराए जाएंगे। जब युवा रिक्रूट होंगे तो उन्हें करीब 30 हजार रुपये सैलरी मिलेगी।

टीओडी के तहत सैनिकों को सेना से बाहर होने पर न तो पेंशन मिलेगी न ही ईसीएचएस जैसी कोई स्वास्थ्य स्कीम का फायदा मिलेगा। लेकिन चार साल की सर्विस के बाद जब वह बाहर होंगे तो उन्हें एकमुश्त करीब 10-12 लाख रुपये दिए जाएंगे। अगर सर्विस के दौरान ड्यूटी पर किसी सैनिक की मौत हो जाती है तो परिवार को इंश्योरेंस अमाउंट के तौर पर करीब 45-50 लाख रुपये मिलेंगे। जो बैलेंस सर्विस बची होगी उसकी सैलरी भी परिवार को मिलेगी।

अभी जो सैनिक सूबेदार मेजर तक जाते हैं तब तक वह 50 साल के हो जाते हैं। इस तरह देखा जाए तो सेना में सैनिकों की एवरेज उम्र करीब 35-36 साल है। टीओडी लागू होने के बाद एज प्रोफाइल कम हो जाएगा और सेना ज्यादा यंग हो जाएगी। टीओडी लागू होने के चार-पांच साल बाद सैनिकों की एवरेज ऐज 25-26 साल हो जाएगी।

शुक्रवार, 20 मई 2022

हरियाणा के छात्रों का उत्तराखंड विधानसभा भवन भ्रमण

 हरियाणा के छात्रों का उत्तराखंड विधानसभा भवन भ्रमण



छात्र-छात्राओं की विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण से भेंट 
संवाददाता
देहरादून। हरियाणा के 53 छात्र-छात्राओं ने उत्तराखंड विधानसभा भवन का भ्रमण किया। इस दौरान कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूडी भूषण से भी भेंट की।  विधानसभा अध्यक्ष ने छात्र-छात्राओं से विधानसभा से संबंधित विभिन्न संसदीय कार्यवाही एवं सदन संचालन के संबंध में जानकारी देते हुए प्रोत्साहित किया।
हरियाणा के अंतर्गत आरकेएसटी पीजी कॉलेज कैथल के वाणिज्य संकाय में अध्ययनरत 53 छात्र-छात्राएं एवं 7 प्राध्यापकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष के सभागार में मुलाकात की गई। इस दौरान कॉलेज के छात्र छात्राओं ने सभा मंडप का भी भ्रमण किया| हरियाणा कॉलेज के छात्र एक दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम के दौरान देहरादून पहुंचे हुए थे। विधानसभा अध्यक्ष से मिलने के बाद कॉलेज के छात्र-छात्राओं में उत्साह देखने को मिला। इस दौरान कॉलेज के बच्चों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखंड एवं विधानसभा से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। विधान सभा अध्यक्ष ने भी सभी बच्चों के पूछे गए प्रश्नों का जवाब देते हुए बच्चों को प्रेरित किया।
इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष ने बच्चों से उत्तराखंड के अनुभव के बारे में भी पूछा। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों को विभिन्न राज्यों का भ्रमण कार्यक्रम से कई प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है क्योंकि उनकी भविष्य के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। इस दौरान ऋतु खंडूडी ने कॉलेज के छात्रों को अपने शिक्षक से विधानसभा अध्यक्ष तक के सफर का वृतांत साझा किया एवं उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा करने की एवं एक अच्छा नागरिक बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने छात्रों को पुस्तकों के अध्ययन पर बल की भी सीख दी।

गुरुवार, 19 मई 2022

सातवें वेतन आयोग के बाद आएगा आठवां वेतन आयोग!

 सातवें वेतन आयोग के बाद आएगा आठवां वेतन आयोग! 



एजेंसी

नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के तहत सैलरी कंपोनेंट्स का फायदा मिलने लगा है। केंद्रीय कर्मचारियों को सबसे ज्यादा फायदा महंगाई भत्ते के तौर पर प्राप्त होता है। अब केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को जल्द ही कुछ बड़ा अपडेट दे सकती है। अब फिर से उनकी सैलरी बढ़ाने का नया फार्मूला आ सकता है।

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई 2016 में ही वेतन आयोग पर बोलते हुए कहा था कि अब वेतन आयोग से हटकर कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने का कोई नया पैमाना होना चाहिए। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक सरकार अब केंद्रीय कर्मचारियों के लिए नया वेतन आयोग लाने के पक्ष में नहीं है। सरकार ऐसी व्यवस्था पर काम कर रही है जिससे कर्मचारियों की सैलरी उनके परफार्मेंस के आधार पर बढ़े।

सूत्रों के मुताबिक 7वें वेतन आयोग के बाद अब अगला वेतन आयोग आना मुश्किल है। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार इस दिशा में काम कर रही है कि 68 लाख केंद्रीय कर्मचारी और 52 लाख पेंशनधारियों के लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाए, जिसमें 50 फीसदी से ज्यादा डीए होने पर सैलरी में आटोमैटिक रिविजन हो जाए। इसके लिए ‘आटोमैटिक पे रिविजन सिस्टम’ बनाया जा सकता है। वहीं कर्मचारियों का भी मानना है कि मौजूदा महंगाई दर को देखते हुए वेतन वृद्वि के लिए साल 2016 से चली आ रही सिफारिशों से उनके लिए गुजारा करना मुश्किल होगा। हालांकि सरकार की तरफ से इस पर अभी अंतिम फैसला लिया जाना है।

वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक अरुण जेटली चाहते थे कि मध्य स्तर के कर्मचारियों के साथ-साथ निम्न स्तर के कर्मचारियों की वेतन वृद्वि होनी चाहिए। अधिकारी के मुताबिक नए फार्मूले के बाद आय के ध्रूवीकरण के लंबे समय से चलने वाले रुझान और केंद्र सरकार के विभागों में सिकुड़ते मध्य स्तर को देखते हुए ऐसा लगता है कि व्यापक मध्य-स्तरीय कर्मचारियों के स्तर पर ज्यादा वृद्वि नहीं दिखाई देगी। लेकिन निम्न स्तर के कर्मचारियों को इसमें फायदा होता दिख सकता है।

पे लेवल मैट्रिक्स 1 से 5 वाले केंद्रीय कर्मचारी को उनकी कम से कम सैलरी 21 हजार के बीच हो सकती है। नरेंद्र मोदी सरकार अगले वेतन आयोग के पक्ष में नहीं है। वेतन आयोग का ट्रेंड देखें तो हर 8-10 साल के बीच इसे लागू किया जाता है लेकिन इस बार इसे बदलकर साल 2024 में नए फार्मूला लागू किया जा सकता है। सरकारी कर्मचारियों की मानें तो वेतन में करीब तीन गुना होनी चाहिए।

पिछले कुछ दिनों से मीडिया में इस तरह की खबरें हैं कि सरकार जल्द ही केंद्रीय कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर बढ़ा सकती है लेकिन सूत्रों के मुताबिक साल 2022 में फिटमेंट फैक्टर में इजाफा नहीं होगा। सरकार फिलहाल फिटमेंट फैक्टर बढ़ाने के पक्ष में नहीं है। कोविड और महंगाई के चलते इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ से स्थितियां गड़बड़ा सकती हैं। सूत्रों की मानें तो अब फिटमेंट फैक्टर पर भी फैसला तभी होगा, जब सैलरी बढ़ाने का नया फार्मूला लाए जाए। उससे पहले किसी भी तरह के कयास लगाना मुश्किल है। सरकार लगातार इस पर काम कर रही है कि कोई ऐसा फार्मूला बनाया जाए, जिससे समय-समय पर सैलरी में इजाफा होता रहे।

प्रमाणन की दिशा में एक अहम कदम

 हंसा-एनजी विमान का हवा में इंजन रीलाइट परीक्षण सफलतापूर्वक संपन्न

प्रमाणन की दिशा में एक अहम कदम



एजेंसी

नई दिल्ली। सीएसआईआर-एनएएल द्वारा विकसित दो सीट डिजाइन वाला उड़ान प्रशिक्षक विमान हंसा-एनजी ने डीआरडीओ की वैमानिकी परीक्षण रेंज (एटीआर) सुविधा चल्लकेरे में इन-फ्रलाइट इंजन रीलाइट परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। भारतीय वायु सेना के विमान और सिस्टम परीक्षण प्रतिष्ठान (एएसटीई) के परीक्षण पायलट विंग कमांडर केवी प्रकाश और विंग कमांडर एनडीएस रेड्ढी द्वारा 60 से 70 समुद्री मील की गति सीमा के साथ 7000-8000 फीट की ऊंचाई पर उड़ान परीक्षण किया गया।

विंड मिलिंग प्रोपेलर और स्टार्टर असिस्टेड स्टार्ट के साथ विमान की इन-फ्रलाइट इंजन रीलाइट क्षमता का प्रदर्शन किया गया। इन परीक्षण उड़ानों के दौरान विमान संचालन लक्षण और उड़ान मानक सामान्य पाए गए। 

सीएसआईआर-एनएएल ने इस बात का जिक्र किया है कि डीजीसीए द्वारा विमान के प्रमाणन की दिशा में इन-फ्रलाइट इंजन रीलाइट परीक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण और अहम है। डीजीसीए से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के बाद विमान को एटीआर चल्लकेरे के लिए रवाना किया गया था। उड़ान परीक्षणों की निगरानी हंसा के परियोजना निदेशक अब्बानी रिंकू, सीएसआईआर-एनएएल की डिजाइन टीम और एएसटीई से उड़ान परीक्षण दल के साथ-साथ विंग कमांडर सेंथिल कुमार, उड़ान परीक्षण निदेशक, स्क्वाड्रन लीडर साहिल सरीन, सुरक्षा पायलट और ग्रुप कैप्टन एम रंगाचारी, मुख्य परीक्षण पायलट ने की।

जितेंद्र जे जाधव निदेशक सीएसआईआर-एनएएल ने सीएसआईआर-एनएएल, डीजीसीए, एएसटीई-आईएएफ और एडीई-डीआरडीओ की टीमों को बधाई दी और कहा कि एकीकृत टीम के संयुक्त और समन्वित प्रयासों के परिणामस्वरूप परीक्षण उड़ानों का कार्य संपन्न हुआ।



जरूरी है देखभालकर्ताओं की भी सुध लिया जाना

स्वास्थ्यतंत्र की रीढ़ की हड्ढी-नर्सों का स्वयं दुरस्त, खुशहाल रहना आवश्यक है, तभी वे बेहतर देखभाल कर सकेंगी।

इसी विषय पर एक आलेख हरीश बड़थ्वाल का पर्वतीय निशान्त के लिए प्रस्तुत है। 


जरूरी है देखभालकर्ताओं की भी सुध लिया जाना



हरीश बड़थ्वाल

नई दिल्ली। अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में दिनरात मरीज तथा अन्य जरूरतमंदों की टहल में कोई निरंतर व्यस्त पाया जाता है तो वह नर्स है। बीमारी या अन्य आपदा से जूझते उन मरीजों की तकलीफ की साक्षी बनना एएनएम, मिडवाइफ सहित देश की 30 लाख नर्सों की रोज की नियति है। पेशेवरों में ऐसा अन्य तबका कौन होगा जो रोगग्रस्तों या उनके परिजनों से तालमेल बनाए रखता है, जैसा माया एंगेल्यू ने कहा, ‘‘नर्स का दायित्व निभाते हमारा सर्वाेपरि कार्य है रोगी और परिजनों के दिल, मन और तन को दुरस्त करना। हमारा नाम भले ही उन्हें याद न रहे किंतु हमारे सानिध्य से उनकी मनोदशा कैसे खुशनुमां हुई, इसकी यादें वे सदा संजोए रहते हैं।’’ आपदा में राहत दिलाने में सबसे पहले मोर्चा संभालने और सबके बाद विदा होने वाली नर्स औपचारिक, निर्धारित कर्तव्य से ज्यादा ही करती है।



कोविड-19 के विश्वव्यापी प्रकोप से बचाव कार्य में विश्वभर की नर्सों ने जो सराहनीय भूमिका निभाई, कुछेक की जान भी चली गई, उसके लिए मानवजाति उनकी उनकी ऋणी है। उनके असाधारण योगदान के लिए  कोरोना योद्वा की संज्ञा दी गई। मार्टिन किंग लूथर ने कहा था, जीवन का अहम प्रश्न यह है, ‘‘आप दूसरों के लिए क्या कर रहे हैं?’’ इस पैमाने पर नर्स की भूमिका देवदूत से कम नहीं। जान हाप्किन्स हास्पिटल के सहसंस्थापक विलियम आस्लर की राय में ‘‘डाक्टर तथा धर्मगुरुओं की श्रेणी में आने वाली प्रशिक्षित नर्स मानवजाति के लिए सबसे बड़ा वरदान है’’।


आधुनिक नर्सिंग की संस्थापक फ्लारेंस नाइटिंगेल को श्रद्वांजलि स्वरूप उनकी जन्मगांठ 12 मई का दिन समूची नर्स बिरादरी तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस बतौर मनाया जाता है। नर्स पेशे को स्वतंत्र विधा के रूप में अस्मिता दिलाने का श्रेय उन्हें जाता है, उन्हें लेडी विद लैंप की संज्ञा दी गई। इस दिन के मुख्य समारोह अंतर्राष्ट्रीय नर्स परिषद (आईएनसी) के तत्वाधान में संपन्न होते हैं। आईएनसी विश्व की 130 राष्ट्रीय संस्थाओं के 2.70 करोड़ नर्सों का प्रतिनिधित्व करता फेडरेशन है। इस दिन के आयोजनों में विश्व के विभिन्न अंचलों में नर्सिंग परिप्रेक्ष्य में एसडीजी लक्ष्यों की प्राप्ति, मौजूदा हालातों का आकलन और भावी रणनीति तैयार की जाती है, नर्सिंग संस्थान संगोष्ठियां, परिचर्चाएं आदि संचालित करती हैं। अपने देश में, राष्ट्रपति भवन में, उत्कृष्ट सेवाओं के सम्मान में चुनींदा नर्सकर्मियों को राष्ट्रीय फ्रलारेंस नाइटिंगेल पुरस्कार प्रदान करते हैं। इस वर्ष नर्स दिवस का पफोकस है, नर्सिंग क्षेत्र में निवेश तथा वैश्विक स्वास्थ्य के लिए उनके अधिकारों का सम्मान। आशय है कि नर्सों की भारी किल्लत के अनुरूप व्यवस्थाएं जुटाई जाएं।

हमारे देश के सभी राज्यों में कार्यरत नर्स छात्रों सहित करीब पांच लाख सदस्यों की 110 वर्ष पुरानी ट्रेन्ड नर्सिस एसोसिएशन आफ इंडिया (टीएनएआई) नर्सिंग शिक्षा, प्रशिक्षण, कौशल संवर्धन तथा नर्सों के हितों का संरक्षण करती देश की सर्वाेच्च संस्था है। स्वास्थ्य मंत्रालय तथा अनेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से टीएनआई नियमित कौशल संवृद्वि कार्यक्रम आयोजित करता है।

नर्सों की भारी किल्लत देश की बड़ी चिंता है। राज्यसभा को दी प्रस्तुत जानकारी के अनुसार संप्रति एएनम, मिडवाइफ सहित पंजीकृत नर्सों की संख्या 30 लाख है। 125 करोड़ की आबादी पर नर्स-मरीज अनुपात 1ः658 बैठता है जबकि डब्लूएचओ मापदंड के अनुरूप प्रत्येक इसे 1ः333 होना चाहिए। डब्लूएचओ मानता है कि 2024 तक भारत में 43 लाख अतिरिक्त नर्सें होनी चाहिए। नर्सकर्मियों की कमी का रुग्णता और मृत्युता से सीधा संबंध मानते हुए नर्स नेता लुई कैप्स और किर्स्टेन गिलीब्रैंड उचित संख्या में नर्सों की उपलब्धता की पुरजोर मांग करते रहे हैं। देश में नर्सों की कमी का प्रमुख कारण नर्सों का अपेक्षाकृत कम वेतन और जर्जर कार्यदशा हैं, विशेषकर निजी क्षेत्र में। विकसित देशों में उम्रदारों की तेजी से बढ़ती संख्या और कैंसर, एड्स जैसी बीमारियों में इजाफे से कुशल नर्सों की मांग में निरंतर वृद्वि हो रही है जिसकी आपूर्ति भारत सहित अन्य विकासशील देश करते हैं। फलस्वरूप अवसर मिलते ही भारतीय नर्सें विदेशों का रुख कर लेती हैं।

अनेक कारणों से नर्सिंग को महिलाई क्षेत्र माना जाता रहा है। अभी भी पुरुष नर्स बमुश्किल 10-12 फीसद हैं, इसके बावजूद कि कैमिलस डे लेल्लिस, एडवार्ड लायोन, जो होगन सरीखे अनेक दिग्गज पुरुष नर्सों ने असाधारण योगदान से नर्सिंग परंपरा को समृद्व किया। केमिलस ने पहली बार नाजुक हालात के रोगी को राहत देने के लिए एंबुलेंस परिपाटी का श्रीगणेश किया।

नर्सें अधिक निष्ठा से कार्य करते हुए बेहतर सेवाएं प्रदान करें, इस आशय से पहले उनके अधिकारों का दायरा बढ़े, दूसरा मौजूदा जरूरतों के अनुसार उनके कौशलों में वृद्वि सुनिश्चित की जाए। नर्सिंग स्नातक के साढ़े चार वर्षीय कार्यकाल में उन्हें मेडिसिन, सर्जरी आदि का खासा ज्ञान हो जाता है किंतु गंभीर रोगी को भी आईसीयू में दसियों साल के अनुभव के बावजूद स्वविवेक से सामान्य दर्द निवारक दवा या इंजेक्शन देने की अनुमति नहीं होती, यह प्रथा उनका मनोबल गिराती है। अमेरिका में दो-तिहाई एनेस्थेसिया नर्सें देती हैं, तो अपने देश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?

फ्रलोरेंस नाइटिंगेल की राय में नर्सिंग पेशेवर को उच्च कलाकार की भांति साधना करनी चाहिए और यहां तो उसे जीवंत शरीर से रूबरू होना पड़ता है जो प्रभु का मंदिर है। हमारा कर्तव्य इतना तो बनता है इन देखभालकर्ताओं को उचित सम्मान दें।

हरीश बड़थ्वाल के आलेख उनके ब्लाग www.bluntspeaker.com में उपलब्ध हैं।



अधिकारियों में सरकार का डर न होना बड़ी नाकामी: मोर्चा

 अधिकारियों में सरकार का डर न होना बड़ी नाकामी: मोर्चा       


 

# 11 बजे से पहले अधिकारी ऑफिस आने को तैयार नहीं 
# अधिकांश हाजिरी लगाकर गायब       
# कई अधिकारी क्षेत्र में होने का बहाना कर घर में फरमाते हैं आराम 
# कई दोपहर बाद आने में लेते हैं दिलचस्पी        
# भ्रष्टाचार के मामले में भी प्रदेश बना रहा रिकॉर्ड          
# राजधानी में ये है आलम तो दूर दराज की स्थिति क्या होगी            
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश में सरकारी विभाग की हालत कल स्वयं मुख्यमंत्री ने परखी, जिसमें कई अधिकारी/ कर्मचारी नदारद एवं लेट लतीफ मिले, जोकि सरकार की बहुत बड़ी नाकामी है। ये आलम तब है, जब आरटीओ कार्यालय की दूरी सचिवालय/ मुख्यमंत्री निवास/ राजभवन से मात्र 7-8 सौ मीटर है।             
नेगी ने चिंता जताते हुए कहा कि जनता अपने छोटे-मोटे काम कराने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटकर थक जाती है, लेकिन उनको कार्यालय में अधिकारी/कर्मचारी नहीं मिल पाते। कई अधिकारियों की दिनचर्या तो यह हो गई है कि वे 11 बजे के बाद ही आना पसंद करते हैं तथा कई हाजिरी लगाकर गायब हो जाते हैं। कई क्षेत्र में होने का बहाना कर घर में आराम फरमा रहे होते हैं, जिसका अनुसरण मातहत कर्मचारी भी करते हैं। विभागों में फाइल बगैर लेनदेन के खिसकने का नाम नहीं लेती तथा अधिकारी/ कर्मचारी सरेआम सुविधा शुल्क की मांग करते हैं।                
नेगी ने कहा कि कल राजधानी की नाक के नीचे आरटीओ कार्यालय में स्वयं मुख्यमंत्री के औचक निरीक्षण में सरकार के काम की कलई खुल गई, जिसमें अधिकांश अधिकारी/ कर्मचारी नदारद मिले अथवा कुछ समय पर नहीं पहुंचे। वैसे मुख्यमंत्री द्वारा जो कार्रवाई की गई वो अच्छी पहल है, लेकिन अधिकारियों कर्मचारियों में सरकार का भय न होना निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। मोर्चा द्वारा कई माह पहले भी सरकार को चेताने का काम किया था, लेकिन सरकार सोई रही।                     
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि  अधिकारियों को भी औचक निरीक्षण के निर्देश दें एवं भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में धरातल पर काम करें, जिससे जनता को सही समय पर न्याय मिल सके।            
पत्रकार वार्ता में मो0 असद व प्रवीण शर्मा पीली पिन्नी मौजूद थे।

बुधवार, 18 मई 2022

मोर्चा ने कहा- राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में सुगम-दुर्गम का खेल हो बंद

 मोर्चा ने कहा- राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में सुगम-दुर्गम का खेल हो बंद



# वर्ष 2018 में कई कॉलेजों को दर्शाया गया था सुगम, अब हो गए दुर्गम यानी पहाड़ों पर विकास के बजाय हुआ विनाश !                
# अपने खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए खेला जा रहा खेल  
#सिफारिशविहीन प्रधानाचार्य/अधिकारीगण आज भी  दुर्गम में दिन काटने को मजबूर               
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि प्रदेश के कुछ खास राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों के कुछ खास प्रधानाचार्य, निदेशालय  कुछ खास अधिकारियों को सुगम क्षेत्र में ही बनाए रखने की मंशा से सुगम-दुर्गम का खेल खेला जा रहा है यानी अपने खास चेहतों को सुगम में ही बनाए रखने की चाहत में सुगम को फिर दुर्गम तथा दुर्गम को फिर सुगम बना दिया जाता है तथा वहीं दूसरी ओर सिफारिश विहीन प्रधानाचार्य वर्षों से दुर्गम/अति दुर्गम स्थानों पर अपने दिन काट रहे हैं। 
प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर (पौड़ी) के अधिकारी भी प्राविधिक शिक्षा परिषद, देहरादून में डेरा डाले हुए हैं। हैरानी की बात है कि वर्ष 2021 के द्वारा पुनः कोटीकरण के आधार पर निदेशालय स्तर से वर्ष 2022 में प्राविधिक शिक्षा निदेशालय श्रीनगर एवं पॉलिटेक्निक कॉलेज श्रीनगर (गढ़वाल) दुर्गम क्षेत्र में दर्शाया गया है, जबकि 2018 में सुगम में दर्शाया गया था यानी श्रीनगर का आज तक विकास हुआ ही नहीं। 
इसी प्रकार पॉलिटेक्निक कॉलेजों यथा पौड़ी (गढ़वाल), रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चंपावत आदि सुगम क्षेत्र के कॉलेजों को वर्तमान में दुर्गम दर्शाया गया है। नेगी ने तंज कसते हुए कहा कि अगर श्रीनगर (गढ़वाल) दुर्गम क्षेत्र है तो लेह लद्दाख को कौन सा क्षेत्र समझा जाए। मोर्चा इस सुगम-दुर्गम के खेल का खात्मा करने एवं अति दुर्गम क्षेत्र में अपनी सेवाएं दे रहे प्रधानाचार्य एवं अधिकारियों को न्याय दिलाने के लिए शासन में दस्तक देगा।        पत्रकार वार्ता में  ओपी राणा व मुकेश  पसबोला मौजूद थे।

सोमवार, 16 मई 2022

आनंद मूर्ति जी का 101वा जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया

 आनंद मूर्ति जी का 101वा जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया



संवाददाता
हरिद्वार। आनंद मार्ग प्रचारक संघ के प्रवर्तक महान युगदष्टा, तारक ब्रह्म, भगवान श्री श्री आनंद मूर्ति जी का आविर्भाव आनंद पूर्णिमा(वैशाखी पूर्णिमा)को दिन हुआ था। इसी दिन भगवान बुद्ध का भी जन्म हुआ था जिसे हम सभी बुध पूर्णिमा के रूप में  जानते है। यह आनंद पूर्णिमा आज पूरे विश्व के आनंदमार्गी अपने अपने इकाइयों में बड़े ही धूम धाम एवं हर्सोल्लास के साथ आनंद मूर्ति जी का 101वा जन्मोत्सव के रूप में मना रहे है। 
इस अवसर पर हरिद्वार सतही आनंद मार्ग स्कूल रावली महदूद बहादराबाद  प्रातः पांचजन्य शंख ध्वनि से शुभारम् हुआ। आनंद मार्ग के वरिष्ठ सन्यासी आचार्य संजीवानंद अवधुत ने मार्ग गुरु की परिचर्चा में कहा कि हम सबको उनके दिए आदर्शो पर चल कर अपने लक्ष्य पर पहुँचना है। कोशिकीय एवं तांडव नृत्य के माध्यम से अपने शरीर व मन को स्वस्थ रखने में सहायक है।
आमजनों के बीच प्रसाद के रूप में हलुआ व चना वितरण किया गया। आनंद पूर्णिमा के अवसर पर कौशकि नृत्य एवं तांडव नृत्य का प्रदर्शन हुआ। प्रथम, द्वितीय एवं तीसरे स्थान प्राप्त बालकों को प्रोत्साहन के तौर पर पारितोसिक वितरण किये। अन्त में भुक्ति प्रधान जयप्रकाश, स्कूल अध्यक्ष प्रभुपाल, वरिष्ठ साधिका कांता दीदी, रूपा दीदी के साथ अन्य साधिकाओं का विशेष सहयोग सराहनीय रहा।

रविवार, 15 मई 2022

गांव को मुख्य मोटर मार्ग से जोड़ने को लेकर प्रस्ताव

ग्राम मासों मल्ला में ग्रामवासियों द्वारा एक बैठक आयोजित

गांव को मुख्य मोटर मार्ग से जोड़ने को लेकर प्रस्ताव


संवाददाता
पौडी गढवाल। ग्राम मासों मल्ला पट्टी नांदलस्यूं में ग्रामवासियों द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में ग्रामवासियों द्वारा ग्राम मासों मल्ला को सम्पर्क मार्ग द्वारा मुख्य मोटर मार्ग से जोड़ने को लेकर चर्चा की गयी। बैठक में ग्रामवासियों द्वारा गाँव से मुख्य मोटर मार्ग के दूरी पर होने के कारण आपात स्थिति में होने वाली कठिनाइयों पर चिंता जाहिर की गयी।
मासों मल्ला निवासी नरेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि सड़क दूरी पर होने की वजह से महिलाओं एवं बुजुर्गों को बीमारी एवं आपात स्थिति में अत्यन्त परेशानी का सामना करना पड़ता है। यदि गम्भीर बीमारी अथवा आपात स्थिति में मरीज को जिला अस्पताल उपचार हेतु ले जाना हो तो उन्हें सड़क मार्ग तक पहुंचाने में भी बेहद कठिनाई का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जब देश भर में सड़कों का जाल फैल रहा है ऐसे समय में पौड़ी जिला मुख्यालय से समीपवर्ती गांव की आबादी का सड़क से सीधा जुड़ाव ना होना समस्त क्षेत्रवासियों को विकास की मुख्य धारा से दूर करता है। 
बैठक में मौजूद संगीता रावत ने कहा कि मासों गाँव के नजदीक सड़क होने पर भी सम्पर्क मार्ग से नहीं जुड़े होने के कारण ग्रामवासी मुख्य मोटर मार्ग की सुविधा से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित नहीं हो पा रहे हैं। बैठक में सर्वसम्मति से यह भी तय किया गया कि मासों मल्ला के समस्त ग्रामवासी मुख्य मोटर मार्ग को गाँव से सम्पर्क मार्ग द्वारा जोड़े जाने हेतु आवश्यक्तानुसार निःशुल्क भूमि उपलब्ध कराने पर सहमत हैं।
ग्रामवासियों की तरफ से बैठक में उपस्थित समस्त सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से विचार विमर्श करते हुए प्रस्ताव पास किया गया कि मासों मल्ला को  मुख्य मोटर मार्ग जोकि पौड़ी-भीताईं-छतकोट-खंडाह से श्रीनगर को जाता है, से ग्राम मासों मल्ला तक जिसकी दूरी मुख्य मोटर मार्ग से लगभग एक किमी है, तक  सम्पर्क मार्ग का निर्माण कराया जाए।
बैठक में यह भी तय किया गया कि गाँव का एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा शीघ्र ही खंड विकास अधिकारी पौड़ी से मुलाक़ात कर उक्त सम्पर्क मार्ग के निर्माण हेतु अनुरोध किया जाएगा।
बैठक में नरेंद्र सिंह रावत, शकुंतला थपलियाल, संगीता रावत, रविन्द्र सिंह रावत, सुरेश रावत, अभिषेक, पवन रावत, गोविन्द , होशियार सिंह, विजय सिंह आदि मौजूद रहे।

सहस्त्र लिंगम को तराशने का काम शुरू

विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर में स्थापित किए जाने वाले सहस्त्र लिंगम को तराशने का काम शुरू



एजेंसी

पटना। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में बन रहे विश्व के सबसे बड़े ‘विराट रामायण मंदिर’ में स्थापित किए जाने वाले 1008 शिवलिंगों को समाहित करता हुआ 200 टन के ‘सहस्त्र लिंगम’ को तराशने का काम तमिलनाडु के महाबलीपुरम में शुरू हो गया है।

महावीर स्थान ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने बताया कि अयोध्या और जनकपुर के बीच बन रहे फोर लेन ‘राम-जानकी पथ’ पर स्थित पूर्वी चंपारण जिले में बन रहे विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर में स्थापित किए जाने वाले 200 टन के सहस्त्र लिंगम को तराश कर बनाने का काम तमिलनाडु के महाबलीपुरम में शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि अगले 6 माह में यह सहस्त्र लिंगम बनकर तैयार हो जाएगा।

कुणाल ने बताया कि इसके बाद सहस्त्र लिंगम को एक विशेष ट्रक के जरिए महाबलीपुरम से पूर्वी चंपारण लाया जाएगा। इसमें करीब 5 माह का वक्त लग सकता है। उन्होंने इसमें लगने वाले वक्त के संबंध में बताया कि सहस्त्र लिंगम को लेकर आने वाले ट्रक की रफ्रतार 5 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक नहीं हो सकती है। इसके साथ ही सड़क मार्ग पर यातायात का भी ख्याल रखा जाना है।

महावीर स्थान ट्रस्ट कमेटी के सचिव ने बताया कि सहस्त्र लिंगम की ऊंचाई 33 फुट और गोलाई भी 33 फुट ही होगी। यह काले ग्रेनाइट पत्थर से बना होगा और इसके लिए पत्थर भी तमिलनाडु के तिरूनेल्वेली जिला के कुम्बीकुलम से लिया गया है। उन्होंने बताया कि देश में सहस्त्र लिंगम शिवलिंग बहुत कम है। सहस्त्र लिंगम का निर्माण 800 ईसवी के बाद से बंद हो गया था। तमिलनाडु के तंजौर में वृहदेश्वर मंदिर में चोल राजाओं ने सहस्त्र लिंगम स्थापित किया था। इसके अलावा बिहार में गया जिले में भी कुछ मंदिरों में सहस्त्र लिंगम स्थापित हैं।

कुणाल ने बताया कि सहस्त्र लिंगम में श्रद्वालु गंगा और सरयू नदी के संगम (सारण जिले के छपरा में गुलटेनगंज) से पवित्र जल लेकर जलाभिषेक करेंगे। रामायण के अनुसार यह वही स्थल है, जहां महर्षि विश्वामित्र के साथ अयोध्या से जनकपुर जाने के दौरान भगवान राम और लक्ष्मण ने रात्रि विश्राम किया था। भगवान राम का जनकपुर जाने के दौरान यह दूसरा पड़ाव था। उनका पहला पड़ाव उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के तट पर बायीं ओर था जो अब आजमगढ़ जिले का मुजफ्रफरनगर है। इसी स्थल पर भैरव मंदिर बना हुआ है।

महावीर स्थान ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि सारण जिले के छपरा में गुलटेनगंज स्थित गंगा और सरयू नदी के संगम से विराट रामायण मंदिर की दूरी करीब 72 किलोमीटर है और इसे राज्य सरकार ने कांवरिया पथ के रूप में विकसित करने की सहमति दी है। उन्होंने बताया कि श्रद्वालु सहस्त्र लिंगम पर आसानी से जलाभिषेक कर सकें, इसके लिए दो ओर से सीढ़ी, एसकेलेटर और एक ओर से लिफ्रट भी लगाया जाएगा।

270 फुट ऊंचाई, 1080 फुट लंबाई, 540 फुट चौड़ाई और 108 एकड़ क्षेत्रफल वाला विराट राम मंदिर बन जाने के बाद यह दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर होगा। उन्होंने बताया कि मुख्य मंदिर जिसकी ऊंचाई 270 फुट है उसमें बीच में सहस्त्र लिंगम होगा, जिसकी भगवान राम पूजा कर रहे हैं। उनके बगल में ही छोटे भाई लक्ष्मण खड़े हैं और भक्त हनुमान भगवान राम को पूजन सामग्री दे रहे हैं। भगवान राम जहां पूजा कर रहे हैं उससे करीब 135 फुट की दूरी पर उनकी नजर के सामने अशोक वाटिका में माता सीता बैठी हुई हैं।

ट्रस्ट के सचिव ने बताया कि इसमें मंदिरों की संख्या अट्ठारह और शिखरों की संख्या 15 है। इसमें चार आश्रम सिद्वाश्रम, अहिल्या स्थान, पंचवटी और शबरी आश्रम होगा जो पूरी तरह इको फ्रेंडली होगा। उन्होंने बताया कि रामायण मंदिर भूकंपीय जोन-5 में आता है इसलिए इसकी स्थिरता और मजबूती के लिए सभी तकनीकी सावधानियां बरती जा रही हैं। तकनीकी आकलन के अनुसार मंदिर 250 वर्षों तक किसी भी क्षति से मुक्त रहेगा।

गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्व अंकोरवाट मंदिर की प्रतिकृति वाले दुनिया के इस सबसे बड़े ‘विराट रामायण मंदिर’ को लेकर कंबोडिया की सरकार ने भारत सरकार से आपत्ति जताई थी। कंबोडिया सरकार ने विदेश मंत्रालय को पत्रा लिख कर कहा था कि प्रसिद्व कंबोडियाई अंकोरवाट मंदिर एक विश्व विरासत है। यह 12वीं सदी का हिंदू मंदिर असाधारण होने के साथ-साथ दुनिया के सभी हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है। ऐसे में इस मंदिर की प्रतिकृति बनाना सही नहीं है। कंबोडिया सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर काम रुकवाने की अपील की थी। कंबोडिया में बना प्रचीन अंकोरवाट एक विशाल हिंदू मंदिर है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। यह दुनिया का सबसे बड़ा पूजा-स्थल है और दुनिया का महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल भी है। वर्ष 1992 में यूनेस्को ने इसे विश्व विरासत की सूची में शामिल किया है। प्रफांस से आजादी मिलने के बाद अंकोरवाट मंदिर इस देश का प्रतीक बन गया। इसकी तस्वीर कंबोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर बनी हुई है।

कंबोडिया सरकार की आपत्ति को संज्ञान में लेकर विराट रामायण मंदिर के डिजायन में बदलाव किया गया। कंबोडिया सरकार को भारत सरकार के माध्यम से महावीर ट्रस्ट की ओर से बताया गया कि विराट रामायण मंदिर का डिजाइन अंकोरवाट मंदिर के हूबहू नहीं है बल्कि इसके डिजाइन में 15 अंतर हैं और यह भारतीय वास्तुकला पर आधारित है।

कुणाल ने बताया कि सहस्त्र लिंगम के विराट रामायण मंदिर में स्थापित होने के बाद करीब तीन वर्षों में पूरे मंदिर का निर्माण हो जाएगा।

भारत ने थामस कप जीत रचा इतिहास

 भारत ने थामस कप जीत रचा इतिहास



एजेंसी

बैंकाक। भारत ने खिताबी मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करते हुए इंडोनेशिया को 3-0 से हराकर प्रतिष्ठित पुरुष बैडमिंटन टीम प्रतियोगिता थामस कप को जीत लिया। भारत ने पहले तीनों मैच जीतकर थामस कप पर कब्जा जमाया। लक्ष्य सेन और किदाम्बी श्रीकांत ने एकल मैच तथा सात्विक सैराज रन्किरेड्ढी और चिराग शेट्टी ने युगल मैच जीता। भारत ने इतिहास रचते हुए डेनमार्क को 3-2 से हराकर थामस कप के पफाइनल में पहली बार जगह बनायी थी। भारतीय टीम इससे पहले 1952, 1955 और 1979 में सेमीपफाइनल में पहुंची थी।

युवा शटलर लक्ष्य सेन ने पहले मुकाबले में दुनिया के पांचवें नंबर के खिलाड़ी एंथनी गिंटिंग को हराया। लक्ष्य ने गिनटिंग के खिलापफ 8-21, 21-17, 21-16 से जीत दर्ज की। यह दुनिया के 5वें नंबर के शटलर पर उनकी लगातार दूसरी जीत थी। 20 वर्षीय भारतीय ने इस साल की शुरुआत में जर्मन ओपन राउंड-16 मैच में गिनटिंग को सीधे गेम में 21-9, 21-9 से हराया था।

गिनटिंग ने पहला गेम 21-8 से अपने नाम कर लिया, जिसके बाद लक्ष्य ने दूसरा गेम 21-17 से जीतकर 1-1 की बराबरी कर ली। निर्णायक मुकाबले में इंडोनेशिया के गिनटिंग ने शुरुआती क्षणों में 11-7 की लीड हासिल कर ली, लेकिन लक्ष्य ने पांच लगातार पाइंट्स के साथ वापसी करते हुए गेम को 12-12 पर ला खड़ा किया। मैच के अंतिम क्षणों में लक्ष्य गिनटिंग पर पूरी तरह हावी हो गये और मुकाबले को 21-17 से जीत लिया।

भारत की बैडमिंटन पुरुष युगल जोड़ी सात्विक सैराज रंकीरेड्ढी और चिराग शेब््ब् ने युगल मैच में मोहम्मद अहसान और केविन संजय सुकमलुजो की जोड़ी के खिलापफ जीत दर्ज कर भारत की बढ़त 2-0 कर दी। सात्विक और चिराग ने यहां इम्पैक्ट एरिना में एक घंटे 13 मिनट तक चले रोमांचक मुकाबले में अहसान और सुकमलुजो पर 18-21, 23-21, 21-19 से जीत दर्ज की।

इंडोनेशिया के अहसान और सुकामलुजो ने शुरुआती गेम को 17 मिनट में 21-18 से जीत लिया। दूसरे गेम में भारतीय जोड़ी ने मिड-गेम ब्रेक तक 11-6 की बढ़त बना ली। ब्रेक के बाद इंडोनेशिया ने वापसी की और वह 14-18 से लीड कर रहा था, लेकिन भारत ने वापसी करते हुए उसे 23-21 से मात दी।

निर्णायक गेम में कांटे की टक्कर हुई और एक समय पर दोनों टीमें 16-16 की बराबरी पर थीं, लेकिन भारत ने अद्वितीय खेल का प्रदर्शन करते हुए यह मुकाबला जीत लिया और इंडोनेशिया पर 2-0 की बढ़त हासिल कर ली।

मुकाबले में 2-0 की बढ़त बनाने के बाद तीसरे मैच में श्रीकांत हावी होकर खेले और उन्होंने जोनाथन क्रिस्टी को 48 मिनट में 21-15, 23-21 से पराजित कर खिताब भारत की झोली में डाल दिया। भारत के 3-0 की अपराजेय बढ़त बनाने के बाद शेष दो मैचों की जरूरत नहीं पड़ी।

श्रीकांत ने इस जीत से क्रिस्टी के खिलापफ करियर रिकार्ड 5-5 कर लिया है। पहले गेम में 15-15 की बराबरी के बाद श्रीकांत ने लगातार 6 अंक लेकर गेम 21-15 से जीत लिया।

दूसरे गेम में श्रीकांत ने 20-21 के स्कोर पर एक गेम अंक से पीछे रहने के बावजूद लगातार तीन अंक लेकर 23 -21 से गेम और मैच समाप्त कर दिया। श्रीकांत के मैच जीतते ही भारतीय खेमे में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी।


सड़क निर्माण से पूर्व नदियों को पुनर्जीवित करेंः मैड

 सड़क निर्माण से पूर्व नदियों को पुनर्जीवित करेंः मैड



संवाददाता

देहरादून। रिस्पना और बिंदाल नदियों पर एलेवेटेड सड़क निर्माण पर मेकिंग ए डिप्रफेंस बाए बीईंग द डिप्रफेंस (मैड) ने विरोध के स्वर बुलंद कर दिए हैं। शहर में विगत 10 वर्षों से रिस्पना व बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन पर लगातार अभियान चला रही मैड संस्था ने ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट का विरोध करने की बात कही है जो देहरादून की नदियों व संबंधित पर्यावरण के साथ खिलवाड़ के बुनियाद पर आधारित होगी।

पत्रकार वार्ता करते हुए मैड के सदस्यों ने बताया कि एक ओर सरकार की तमाम बातें और प्रयास रिस्पना पुनर्जीवन के मामले पर एक वार्षिक फोटो खिंचाने के अवसर तक ही सीमित रह गए हैं जो जुलाई के महीने में हरेला के दिन नाटकीय ढंग से आयोजित होता है। वहीं दूसरी ओर नीति नियोजन के मामले पर या धरातल पर कुछ भी करने पर सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है। 

उनका कहना था कि आज भी रिस्पना-बिंदाल नदियां प्रदूषण के प्रकोप से त्रस्त हैं। उन पर रह रहे लोग हर वर्ष बारिश के मौसम में बाढ़, नदी कटाव की चपेट में आते हैं तथा डेंगू-मलेरिया की वजह से त्रस्त रहते हैं। रिवरप्रफंट डेवलपमेंट के नाम पर पहले ही मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने दोनों नदियों का गला घोंटने का काम किया है और बेइंतहा पैसा इस कार्य में लगाया गया है। इस सबके बीच ‘रिस्पना से ऋषिपर्णा’ की बात करने वाली इस सरकार को और कोई भी नया प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले इन दोनों नदियों के पुनर्जीवन पर ही अपना पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए। 

मैड की ओर से सरकार के हर सकारात्मक प्रयास का समर्थन किया गया है। मैड संस्था के सदस्यों ने अवगत कराया कि राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की की 2014 की रिपोर्ट में रिस्पना और बिंदाल नदी के पुनर्जीवन का पूरा खाका खींच दिया गया है। इन दोनों नदियों के प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए चारखाल की पुरानी रीति से इन के ऊपरी क्षेत्र के कैचमेंट एरिया और बहाव क्षेत्र को संरक्षण और अतिक्रमण-मुक्त करने की जरूरत है। नीचे आते हुए भी नदियों के नदी तल और नदी तट को अतिक्रमण से मुक्त कराकर इसमें फैले व्यापक प्रदूषण के लिए जिम्मेदारी तय करना जरूरी है। 

मैड ने यह भी ऐलान किया कि उसकी ओर से शहर के सैकड़ों युवाओं को एक बार फिर नदी पुनर्जीवन पर एकत्रित किया जाएगा और एक व्यापक जनसहभागिता अभियान की शुरुआत दस हजार लोगों के पुनर्चक्रित कागज पर हस्ताक्षर लेकर हर स्तर पर उठाई जाएगी। मैड ने चेतावनी दी है कि नदी पुनर्जीवन से पहले और किसी तरह के प्रयास को आगे नहीं ले जाने दिया जाएगा। मैड संस्था ने सरकार से एक बार फिर रिस्पना नदी पर असली प्रयास करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि मैड के सुझाव पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को उत्तराखंड सरकार का एक लक्ष्य बनाया था।

उत्तराखंड के परिवार न्यायालयोें में विवाह, तलाक सम्बन्धी 16 हजार केस लम्बित

 उत्तराखंड के परिवार न्यायालयोें में विवाह, तलाक सम्बन्धी 16 हजार केस लम्बित



सर्वाधिक 5047 केस हरिद्वार जिले में, सबसे कम टिहरी गढ़वाल में 150 केस लंबित

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड में जनवरी 2022 के प्रारंभ  में परिवार न्यायालयों में विवाह, तलाक आदि परिवार सम्बन्धी 15,997 केस लंबित हैै। ऐसे में जब समान नागरिक संहिता लागू करने की मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गयी है तो इसके लागू होने के बाद इसमें भारी बढ़ोत्तरी तथा लंबित केसों के निपटारों में और अधिक समय लगने की प्रबल संभावनायें हैैं।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय केे लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधीनस्थ परिवार न्यायालय में लम्बित वैैवाहिक (तलाक, विवाह विच्छेद, प्रथककीकरण आदि) केसों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड उच्च न्यायालय केे राज्य लोक सूचना अधिकारी/ज्वाइंट रजिस्ट्रार ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधीनस्थ परिवार न्यायालयोें में लम्बित परिवार न्यायालय सम्बधी वैैवाहिक केसों के विवरण की फोटो प्रतियां उपलब्ध करायी हैै।  

उपलब्ध विवरणों के अनुसारा वर्ष 2022 के प्रारंभ में उत्तराखंड के जिलों में कुल 18 परिवार न्यायालयों में 15,997 केस लंबित थे। इसमें सर्वाधिक 5,047 केस हरिद्वार के 3 परिवार न्यायालयों, जबकि सबसे कम 150 केस टिहरी गढ़वाल के परिवार न्यायालय में लंबित है। 

उपलब्ध विवरण के अनुसार अल्मोड़ा के परिवार न्यायालय में 257, देहरादून के तीन परिवार न्यायालयों में क्रमशः 968, 1,048 तथा 1078, ऋषिकेश के परिवार न्यायालय में 583, विकास नगर में 526, हरिद्वार जिले के लक्सर परिवार न्यायालय में 328, रूड़की में 2355, नैैनीताल के परिवार न्यायालय में 606, हल्द्वानी में 1,465, कोटद्वार में 641, टिहरी गढ़वाल में 150, रूद्रपुर के दो परिवार न्यायालय में क्रमशः 1,022 तथा 354 तथा काशीपुर के परिवार न्यायालय में 1,328 केस तथा खटीमा के परिवार न्यायालयों में 742 केस लंबित हैं।

उपलब्ध परिवार न्यायालयों में लंबित केसों के दिसम्बर 2021 के विवरण से जिले के 18 परिवार न्यायालयों में विवाह, तलाक तथा परिवार सम्बन्धी अन्य मामलों के कुल 15,997 केस 2021 के अंत व 2022 के प्रारंभ में लंबित होना प्रकाश में आया है। जिलावार केसों में अल्मोड़ा जिले के 1 परिवार न्यायालय में 257, देहरादून जिले के 5 परिवार न्यायालयों में 4,203 केस, हरिद्वार जिले के 5 परिवार न्यायालयों में 5,047, नैैनीताल जिले के 2 परिवार न्यायालयों में 2,071, पौैड़ी गढ़वाल जिले के 2 परिवार न्यायालयों में 823, टिहरी गढ़वाल के 1 परिवार न्यायालय में 150 केस, उधमसिंह नगर जिले के 4 परिवार न्यायालयों में 3,446 केस लंबित है।


शनिवार, 14 मई 2022

कविताः जोकर

जोकर



रास्ते में बदबूदार तंग सड़क 

जहां से बाजार जाना होता है।

कतारों में खड़ी, हाथों में नोट लिये भीड़

सबको बस एक ही चीज की दरकार

पौवा, अद्वा, बोतल चाहिये

कॉमन शराब।

वो बदबूदार सड़क

मेरा ध्यान अपनी और खींच लेती है बरबस

जेहन में बोतलें घूमने लगती है

भारी सा वातावरण बोझिल करता है

लेकिन बोतलों में भरी गयी

या पाउच में पैक कॉमन शराब।

शराब की बदबू (पीने वालों के लिये खुशबू)

अटपटी सी नही लगती

नाक-भौं नही सिकोड़ता, उधर से गुजरते वक्त

बस दुर्गन्ध को गटक जाता हूं

नाक आंख के जरिये।

मैं शराब को महिमा मंडित नही करना चाहता

एडजस्ट करते हुये कुछ कहने का प्रयास करता हूं

एक आदमी की कहानी लिखने की खातिर

शब्दों का झुण्ड़ जोड़ रहा हूं

ताकि उस आदमी के साथ शब्द जुड़े।

वह कभी पैसे के पीछे नही भागा

न चाहत की- नाम कमाने की

उसने संघर्षशील नौजवानों को प्रेरित किया

बुराईयों के साथ-साथ अच्छाईयों का प्रतिनिधि वह। 

अपनी निजी जिन्दगी में वह असफल रहा

मैं उसकी प्राइवेसी को उधेड़ना नही चाहता

वह परिवार शब्द से ज्यादा विस्तृत है

आज वह जिन्दा नही है मगर यह सच 

सच होकर भी सच नही है।

वह आज हमारे बीच अनुपस्थित है

लेकिन यादों में, मयखानों में और भरी-खाली बोतलों में

उसकी परछाईयां उसे हमारे बीच जिन्दा रखेंगी

भले ही उसके नाम का कोई स्मारक, 

स्मृति चिन्ह नही बना।

वह अमर रहेगा क्योंकि मयखाना कभी खाली नही रहता

आत्मा शरीर का संबंध जैसे शराब और बोतल

आज भी जब किसी शराबी को नशे में

झूमते, गिरते उठते देखता हूं

तो मुझे उसका स्मरण हो आता है

उसकी रोजमर्रा की जरूरतें रोटी, कपड़ा और शराब

क्योंकि जहां वो गिरके ना उठ सका

वही  उसका घर, वहीं उसकी दुनिया और कब्र

सुबह पौवा, शाम अद्वा और दो-चार रोटी बतौर सनेक्स

इतने के लिये दिनभर की मेहनत मशक्कत

रंग जमाने की खातिर रंगीन, सादा, पाउच, बोतलों में

कॉमन शराब। 


-चेतन सिंह खड़का

शुक्रवार, 13 मई 2022

उच्च शिक्षा एवम उद्योग विषय पर व्याख्यान

 उच्च शिक्षा एवम उद्योग विषय पर व्याख्यान  



उद्योग क्षेत्र हेतु युवाओं को सैद्धांतिक शिक्षा की बारीकियों से अवगत कराया गया
संवाददाता
कोटद्वार। भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जयहरीखाल के कैरियर काउंसलिंग सेल के तत्वावधान में महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय पौड़ी गढ़वाल के कॉमर्स एवम मैनेजमेंट विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 ए0 एच0 खान द्वारा उच्च शिक्षा एवम उद्योग विषय पर महत्पूर्ण व्याख्यान दिया गया। प्रो० खान द्वारा उद्योग क्षेत्र हेतु युवाओं को सैद्धांतिक शिक्षा के साथ साथ कौशल विकास, वोकेशनल शिक्षा तथा तकनीकी शिक्षा की जानकारी होना तथा उसकी तैयारी संबंधी अनेक महत्पूर्ण बिंदुओं से अवगत कराया गया। इसके अतिरिक्त महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय में हंस कल्चरल सेंटर द्वारा छात्राओं की शिक्षा हेतु संपूर्ण शुल्क को हंस कल्चरल सेंटर द्वारा वहन किए जाने तथा गहन आर्थिक रूप से ग्रस्त छात्रों के लिए जन कल्याण एजुकेशनल ट्रस्ट की स्क्लोरशिप की भी जानकारी दी गई। 
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रो० एस०पी० मधवाल द्वारा छात्रों को तकनीकी एवम कौशल शिक्षा के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों तथा उनमें प्रवेश संबंधी महत्पूर्ण जानकारी से छात्रों को अवगत कराया। कार्यक्रम संचालन डॉ० कमल कुमार द्वारा किया गया। 
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ० डी सी मिश्रा, डॉ० संजय मदान, डॉ० कृतिका क्षेत्री, डॉ० वीरेंद्र कुमार सैनी, डॉ० वरुण कुमार, डॉ० अभिषेक कुकरेती, डॉ० अजय रावत, डॉ० शिप्रा शर्मा, डॉ० मौ० शहजाद, डॉ० उमेश ध्यानी,  डॉ० आर के सिंह, डॉ० अर्चना नौटियाल, डॉ० वंदना ध्यानी बहुगुणा, डॉ० प्रीति रावत, डॉ० पंकज कुमार टम्टा  एवम अन्य समस्त स्टाफ उपस्थित थे।

वास्तविक बीपीएल परिवारों को भी मुफ्त सिलेंडर या विशेष सब्सिडी दो सरकार: मोर्चा

 वास्तविक बीपीएल परिवारों को भी मुफ्त सिलेंडर या विशेष सब्सिडी दो सरकार: मोर्चा                


# सरकार अंत्योदय परिवारों को तीन सिलेंडर देगी मुफ्त  # गैस महंगी होने से खाली सिलेंडर बढ़ा रहे घर की शोभा  
# वास्तविक बीपीएल परिवार नहीं खरीद पा रहा गैस      #इन गरीब परिवारों पर भी दिखाओ दरियादिली
संवाददाता            
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि सरकार द्वारा अंत्योदय परिवारों को 1 वर्ष में तीन गैस सिलेंडर यानी गैस मुफ्त देने को कैबिनेट में हरी झंडी दी गई है, जोकि  सराहनीय कदम तो है, लेकिन वास्तविक बीपीएल परिवारों के साथ नाइंसाफी है।        नेगी ने कहा कि आज भी प्रदेश में हजारों परिवार ऐसे हैं जो अंत्योदय की श्रेणी में हैं, लेकिन कई कारणों से वो परिवार बीपीएल में दर्शाए गए हैं, जिनको चिन्हित किया जाना बहुत जरूरी है।        
गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि के कारण अत्यधिक गरीब बीपीएल परिवार गैस खरीदने में असमर्थ  है, जिस कारण ये खाली गैस सिलेंडर घर की शोभा बढ़ाने मात्र के लिए रह गए हैं। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि प्रदेश के वास्तविक बीपीएल परिवारों को भी मुफ्त गैस सिलेंडर मुहैया कराए या विशेष सब्सिडी देकर उनका चूल्हा जलाए।                
पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, विनय कांत नौटियाल व दिलबाग सिंह मौजूद थे।

गुरुवार, 12 मई 2022

नाइटिंगेल फ्लोरेंस के समर्पण को याद किया

 वेलमेड हॉस्पिटल ने धूमधाम से मनाया विश्व नर्सिंग दिवस

नाइटिंगेल फ्लोरेंस के समर्पण को याद किया

 


संवाददाता
देहरादून। टर्नर रोड़ स्थित वेलमेड हॉस्पिटल ने नर्सिंग दिवस धूमधाम से मनाया गया। मुख्य अतिथि विधायक विनोद चमोली ने दीपप्रज्वलित करके कार्यक्रम की शुरूवात की। इसके बाद नर्सिंग सुपरिडेंट स्नूबा चंद्रन ने नाइटिंगेल फ्लोरेंस को याद करते हुए  उनके समर्पण के बारे में बताया। इसके बाद नर्सिंग स्टॉफ ने रंगारग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। 
मुख्य अतिथि धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने सभी नर्सिंग स्टॉफ को सम्मानित करते हुए कहा कि जिस तरह नाइटिंगेल फ्लोरेंस जंग में घायल मरीजों के लिए देवदूत बनी थी, उसी तरह कोविड में भी डॉक्टरों के साथ मिलकर नर्सस लोगों की जान बचाकर देवदूत बनी है। उन्होंने कहा कि नर्सस के बिना किसी भी डॉक्टर की सेवा को पूरा नहीं कहा जा सकता है।
इस मौके पर वेलमेड हॉस्पिटल के सीएमडी और वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डा0 चेतन शर्मा ने कहा कि कोविड के कारण पिछले चार साल से हम नर्सिंग डे सादगी के साथ मना रहे थे, लेकिन इस बार हम बहुत ही हर्षाल्लास के साथ नर्सिंग डे मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी मरीज की जान बचाने में या उसे स्वस्थ करने में जितनी भूमिका डॉक्टर की है, उतना ही योगदान नर्सस का भी है। नर्सस 24 घंटे मरीजों का ध्यान रखते हैं, कभी बेटी बनकर किसी बुजुर्ग के आंसू पोंछती हैं तो कभी मां बनकर बच्चों का ख्याल रखती हैं। वह मरीजों का ना सिर्फ ख्याल रखती हैं बल्कि उनमें जीने की इच्छा भी जागती हैं, कभी प्यार से तो कभी डॉटकर कड़वी दवा पिलाती हैं और मरीज को स्वस्थ करने में अपना योगदान निभाती है।
इस मौके पर सीईओ डा0 ईशान शर्मा, सीओओ विक्रम सिंह नेगी, जीएम प्रकाश रावत, सुनील कुकरेती, राजेन्द्र पुनेठा, निगम पार्षद दिनेश सती आदि मौजूद रहें।

नर्सिंग बेरोजगारों के समर्थन में आया उक्रांद

 नर्सिंग बेरोजगारों के समर्थन में आया उक्रांद 



उत्तराखंड क्रांति दल ने नर्सिंग आउटसोर्स कर्मियों के आंदोलन को दिया समर्थन
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश और हिमाचल की तर्ज पर कोविड-19 में रखे गए नर्सिंग के आउटसोर्स कर्मचारियों को तत्काल बहाल करके नियमित किया जाना चाहिए। उक्रांद के केंद्रीय महामंत्री शक्तिशैल कपरूवान  ने कहा कि सरकार के पास अभी तक 2025 में टीबी की बीमारी को पूरी तरीके से उन्मूलन करने का लक्ष्य है और कोविड-19 से लड़ने की तर्ज पर ही टीबी की बीमारी से लड़ा जा सकता है, इसलिए इन अनुभवी कर्मचारियों की सेवाएं जारी रहनी चाहिए।
 उत्तराखंड क्रांति दल के संगठन सचिव अनिल डोभाल ने कहा कि सरकार को तत्काल इन कर्मचारियों की मांगों का संज्ञान लेना चाहिए।
उक्रांद महानगर महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि सरकार ने पहले इनकी सेवाएं बहाल करने के लिए कहा था लेकिन फिर कैबिनेट में भी इस मुद्दे को नहीं लाई, यह आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ छलावा है।
उक्रांद नेता सेमवाल ने सरकार को अल्टीमेटम दिया कि यदि इनकी मांगों पर तत्काल विचार नहीं हुआ तो उक्रांद कार्यकर्ता भी इन कर्मचारियों के समर्थन में आंदोलन में कूद जाएंगे। लिहाजा सरकार को तत्काल उत्तर प्रदेश और हिमाचल से सबक लेते हुए इनको नियमित करना चाहिए।
उत्तराखंड क्रांति दल की ओर से समर्थन देने वालों में उत्तराखंड क्रांति दल के सुनील ध्यानी, जय प्रकाश उपाध्याय, सुनील डोभाल, युवा मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट, सुमित डंगवाल, यतेंद्र खंतवाल, मनिंद्र बिष्ट, संजीव शर्मा आदि दर्जनों लोग शामिल थे।

सहकारी बैंक घोटाले की उच्चस्तरीय जांच को मोर्चा ने दी शासन में दस्तक

 सहकारी बैंक घोटाले की उच्चस्तरीय जांच को मोर्चा ने दी शासन में दस्तक    


                

# 10 से 15 लाख रुपए में बेची गई नौकरी  
# सहकारी बैंक के अध्यक्ष से लेकर कर्मचारियों तक के जुड़े हैं तार    
संवाददाता                                  
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने सचिव सहकारिता बीवीआरसी पुरुषोत्तम को ज्ञापन सौंपकर प्रदेश के सहकारी बैंकों में 423 चतुर्थ श्रेणी (सहयोगी/ गार्ड) कर्मचारियों की भर्ती जिसमें देहरादून, अल्मोड़ा व उधम सिंह नगर जनपद द्वारा परिणाम घोषित किया गया, की नियुक्तियों रद्द करने, मामले की उच्च स्तरीय जांच एवं बैंक के अध्यक्ष, चयन समिति के अधिकारी-कर्मचारी गण समेत तमाम जालसाजों के समस्त बैंक खातों में जनवरी 2022 से अप्रैल 15, 2022 तक हुए लेनदेन की उच्च स्तरीय जांच कराने का आग्रह किया, जिस पर संज्ञान लेते हुए सचिव पुरुषोत्तम द्वारा अपर सचिव, सहकारिता को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए।            
नेगी ने कहा कि जनपद देहरादून की भर्तियों में बड़े पैमाने पर धांधली की गई है। सहकारी बैंक घोटाले में शामिल बैंक अध्यक्ष के साथ-साथ अधिकारियों/ कर्मचारियों तक के तार इस घोटाले से जुड़े हैं, मोर्चा के पास इनके तमाम बैंक खातों से जोड़ी जानकारियां हैं, जिसमें उनके द्वारा अपने बैंक खातों के माध्यम से एक पद 10 से लेकर 15 लाख रुपए तक बेचा गया। हैरानी की बात है कि इन घोटाले बाजों ने अपने रिश्तेदारों के साथ- साथ बैंक में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों के रिश्तेदारों/ परिजनों से ये मोटी रकम हासिल कर नियुक्ति दी| बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कई-कई वर्षों से इन बैंकों में कार्यरत (संविदागत) कर्मचारियों एवं काबिल युवाओं को दरकिनार कर पैसे वाले लोगों को नौकरी दी गई है। हाल ही में ज्ञात हुआ है कि जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी है। मोर्चा उस जांच रिपोर्ट में इन तमाम घोटाले बाजों के खातों में माह जनवरी 2022 से 15 अप्रैल 2022 तक इनके समस्त बैंक खातों में हुए लेनदेन तथा सांठगांठ को भी जांच रिपोर्ट में शामिल कराने का आग्रह किया।                 
मोर्चा सिफारिश विहीन व काबिल युवाओं का शोषण नहीं होने देगा।

बुधवार, 11 मई 2022

पत्रकारों ने विभिन्न विषयों पर मिलकर किया चिंतन

 जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखन्ड की जिला इकाई का द्विवार्षिक अधिवेशन

पत्रकारों ने विभिन्न विषयों पर मिलकर किया चिंतन



संवाददाता

देहरादून। जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड़ की देहरादून जिला इकाई के द्विवार्षिक अधिवेशन में पत्रकारों ने मिलकर विभिन्न विषयों पर चर्चा की और समस्याओं के समाधन का रास्ता निकालने का प्रयास किया गया। इस दौरान बतौर मुख्य अतिथि बाल रोग विशेषज्ञ डा0 आजाद बी0 सैनी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में मीडिया का अहम स्थान है। पत्रकारिता एक दर्पण की तरह होनी चाहिये। 

परेड ग्राउण्ड़ स्थित उज्जवल रेस्टोरेंट में आयोजित जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड़ के जिला इकाई देहरादून के द्विवार्षिक अधिवेशन में मुख्य अतिथि के तौर पर बाल रोग विशेषज्ञ डा0 आजाद बी0 सैनी ने कहा कि मीडिया के महत्व को देखते हुए इसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। पत्रकारों को हमेशा सच जानकर ही समाचार प्रकाशित करना चाहिये। विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् सुरेश चन्द्र जोशी ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देश को स्वाधीनता दिलाने में पत्रकारिता का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने पत्रकारों के भाव को कविता के माक्रयम से भी व्यक्त किया।

इससे पहले यूनियन की जिला इकाई के जिलाध्यक्ष चेतन सिंह खड़का और जिला महामंत्री अवनिश गुप्ता और कोषाध्यक्ष दीपक गुप्ता के साथ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूवात की। इसके पश्चात जिला इकाई की तरफ से अतिथियों का शाल ओढ़ा कर सम्मान किया गया और मेहमानों तथा पुरानी जिला कार्यकारिणी को स्मृति चिन्ह देकर विदायी दी गई।

इस अवसर पर जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखन्ड के प्रदेश अध्यक्ष उमाशंकर प्रवीण मेहता ने कहा कि यूनियन पत्रकारों की समस्याओं के समाधान को प्रयासरत है। यूनियन के प्रदेश महामन्त्री गिरीश पन्त ने राज्य गठन के 22 वर्षाे बाद भी प्रेस मान्यता कमेटियों के गठन न होने पर सरकार को जिम्मेदार ठहराया। 

यूनियन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण प्रताप सिंह ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर बेलगाम नहीं हुआ जा सकता। पत्रकारिता आम आदमी से दूर होकर खास आदमी की होकर रह गयी है। पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। यूनियन के पूर्व अध्यक्ष जय सिंह रावत ने कहा कि हम सबको पत्रकारिता के दायित्व का निर्वहन संजीदगी से करना चाहिए। जिला महामन्त्री अवनिश गुप्ता ने यूनियन की गतिविधियों के बारे में बताया।

 यूनियन की जिला इकाई के अध्यक्ष चेतन सिंह खड़का ने कहा कि पत्रकार दुनिया भर की खबरें प्रकाशित करते है लेकिन अपनी खबरों को नजरअंदाज कर देते है। हमें इस प्रवृति को बदलना होगा। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद सभी मेहमानों एवं सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। 

अधिवेशन में यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव शर्मा, द्विजेन्द्र बहुगुणा, समाजसेवी जय भगवान, पर्यावरण विद जगदीश बावला, धाद संस्था के संस्थापक लोकेश नवानी, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष मनमोहन लखेड़ा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस दौरान यूनियन के पूर्व जिला अध्यक्ष ठाकुर सुक्खन सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र जोशी एवं सदस्य सतीश पुंडीर की माता जी के देहांत पर दो मिनट का मौन रख संवेदना प्रकट की गई। कार्यक्रम का संचालन मौ0 शाहनजर ने किया। 

शाहनजर जिला अध्यक्ष, मूलचन्द्र महामन्त्री और ज्योति भट्ट ध्यानी कोषाध्यक्ष  निर्वाचित



अधिवेशन के दूसरे सत्र में देहरादून जिला इकाई के लिए चुनाव, चुनाव अधिकारी संजीव शर्मा एवं सहायक चुनाव अधिकारी अभिनव नायक की देखरेख में सम्पन्न हुआ। जिसमें सर्वसम्मति से मौ0 शाहनजर को देहरादून इकाई का जिला अध्यक्ष चुना गया। महामंत्री पर मूलचंद्र शीर्षवाल एवं कोषाध्यक्ष पद पर ज्योति भट्ट ध्यानी को निर्वाचित किया गया। अन्य पदों पर मनोनयन करने का अधिकार नवनियुक्त अध्यक्ष व महामंत्री को सौंपा गया। 



 इस अवसर पर विरेन्द्र दत्त गैरोला, संजय पाठक, दीपक गुप्ता, अधीर मुखर्जी, मौ0  खालिद, पूनम भण्डारी, अरूणेन्द्र भन्डारी, सतीश पुन्डीर, शिवेश्वर दत्त पान्डे, त्रिलोक पुण्डीर, संजीव पंत, ललिता बलूनी, संजय अग्रवाल, समीना, गिरीश चन्द्र तिवारी, अनुराधा ढौढियाल, बाबू खान, गिरीश चंद्र तिवारी, चैतराम भट्ट, दीपक सक्सेना, भानु काला, कंवर सिंह सिद्दू, अभिनव नायक, प्रदीप रोहिला, मुकेश सिंघल सहित बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद थे।

रविवार, 8 मई 2022

मैड ने टपकेश्वर मंदिर में चलाया विशाल सफाई अभियान

 मैड ने टपकेश्वर मंदिर में चलाया विशाल सफाई अभियान



अभियान में सैकड़ों नागरिकों व विभिन्न संगठनों ने भाग लिया

संवाददाता

देहरादून। मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) ने टपकेश्वर महादेव मंदिर में ‘चलो टपकेश्वर’ सफाई अभियान चलाया। इस अभियान में सैकड़ों नागरिकों व विभिन्न संगठनों ने भाग लिया। देहरादून सिविल सोसाइटी में से बीन देयर दून दैट, पराशक्ति, वेस्ट वारियर्स, पंख, डीबीएस-एनएसएस, मिशन क्लीन दून, द ह्यूमैनिटेरियन क्लब, आर्यन ग्रुप, संयुक्त नागरिक संगठन, मिलियन डाटर फाउंडेशन, आगाज, प्राउड पहाड़ी, एसएफआई, आरंभ, आसरा ट्रस्ट, तारा फाउंडेशन, ग्राफिक एरा (मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग) जैसी संस्थाओं के सहयोग से यह सफाई अभियान चलाया गया। इस आयोजन में महापौर सुनील उनियाल गामा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। 



मैड 2011 में अपनी स्थापना के बाद से ही दून घाटी की विलुप्त होती धाराओं के कायाकल्प के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चला रहा है। इस सफाई अभियान का उद्देश्य शहर का ध्यान तमसा नदी की दयनीय स्थिति की ओर आकर्षित करना है, जो देहरादून में शेष स्वच्छ पानी की एकमात्र धारा है। इस क्षेत्र में 300 से अधिक स्वयंसेवकों ने जब मंदिर परिसर की सफाई की तो पाया कि प्लास्टिक, दीये, कपड़े, कांच के टुकड़े, भगवान की मूर्तियां तथा जलधारा को दूषित करने वाले पदार्थों की मात्रा नदी में अधिक है। तमासा नदी की दुर्दशा पर संस्था के सदस्यों ने कहा कि हमें धर्म का पालन करने के पर्यावरण अनुकूल तरीकों पर खुद को शिक्षित करने की जरूरत है, जबकि एक अन्य स्वयंसेवक ने कहा कि स्वयं भगवान शिव भी गंदे परिसर में रहना पसंद नहीं करेंगे। स्थानीय निवासियों ने मंदिर परिसर और शासी निकायों से स्थायी प्रभाव बनाने के लिए नियामक कार्रवाई करने की अपेक्षा व्यक्त की। इसी बीच  महापौर ने युवाओं को नदियों के कायाकल्प की दिशा में गतिविधियों को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।



इस मेगा सफाई अभियान का उद्देश्य स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों की सोच में परिवर्तन लाना भी रहा। सफाई अभियान के साथ साथ डोर-टू-डोर जागरूकता अभियान भी चलाया गया, जिसका उद्देश्य अपशिष्ट प्रबंधन पर इलाकों के परिप्रेक्ष्य को समझना था, साथ ही तीर्थयात्रियों के साथ संवाद स्थापित करना रहा। सभी संगठनों ने 400 बोरी से अधिक कचरे के साथ सफाई अभियान समाप्त किया तथा कचरे के उचित निस्तारण के लिए मानव श्रृंखला बनाकर नगर निगम की गाड़ियों तक कचरा पहुंचाया गया।

इस अभियान के माध्यम से सरकार और मंदिर अधिकारियों से प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को सक्रिय रूप से शुरू करने का आग्रह भी किया गया। हालांकि विभिन्न माध्यमों से लोगों को पारिस्थितिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक मूल्यों के बारे में जागरूक किया जा रहा है, लेकिन एक स्थायी प्रभाव केवल सरकारी पहलों से ही लाया जा सकता है। सरकार को हितधारकों-उपासकों और पर्यावरण हित को ध्यान में रखते हुए आध्यात्मिक अपशिष्ट प्रबंधन के विकल्प प्रदान करने की जरूरत है। इसमें पूजा के कचरे को डंप करने के लिए विशेष स्थान बनाना, खतरनाक रसायनों वाली पूजा सामग्री के उत्पादन और बिक्री पर नियामक नियंत्रण सुनिश्चित करना शामिल किया जा सकता है। फूलों और पत्तियों जैसे जैविक कचरे का उपयोग बगीचे के लिए खाद बनाने के लिए किया जा सकता है या अगरबत्ती बनाने के लिए पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है। निःसंदेह सरकार ने वर्षों से इस समस्या से निपटने के प्रयास किए हैं लेकिन अभी भी उचित प्रयास करने की जरूरत है। 

इस अवसर पर मैड संस्था के संस्थापक अभिजय नेगी, आर्ची, अस्मिता, शार्दुल, शिवम, दरिश, चेतना, कार्तिकेय, सौरभ, स्वाति, देवयश, शगुन, आर्यमन, वंदना, अतुल, अर्नव सहित अन्य कोर टीम के सदस्य मौजूद रहे।




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