शहर भर की दुकानों में बैनर का तमाशा
पुलिस के आदेश के नाम पर वसूले जा रहें मनमाने दाम
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। कोरोना महामारी के नाम पर जहां दुनिया भर में मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है और करीबन सभी देश लाकडाउन का दंश झेलने को मजबूर है वहीं कुछ लोगों ने इसमें भी अवसर तलाश लिया है। मसलन राशन वाले, बीडी-सिग्रेट एवं गुटखा के व्यापारी आदि आदि। ऐसे लोगों की पफेहरिस्त बड़ी लंबी है। कहां तो बहुत से लोग ऐसे संकट के काल में अपना पेट काटकर भी लोगों की मदद के लिए आगे आ रहें है। वहीं कुछ इसे अवसर मानकर मुनाफा कमा रहें है। भले ही इसके खातिर उनको कालाबाजारी या उल्टे धंधे ही क्यों न करने पड़ रहें हों। इस लिस्ट में कुछ पुलिसकर्मियों की भी संलिप्तता देखने को आ रही है।
जबकि इस कोरोना काल में कोरोना योद्वा के तौर पर पुलिस सबसे आगे रही है। लाकडाउन के दौरान पुलिस का कार्य और मानवीय पहलू जो देखने में आया वह उल्लेखनीय एवं प्रशंसा के योग्य है परन्तु उसके कुछ कर्मिक उसका नाम खराब करने की गुस्ताखी कर रहें है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनपर सख्त कारवाई की जरूरत है। बाजार में गुजरते समय गौर फरमाये तो पायेंगे कि हर दुकान के बाहर एक बैनर चस्पां मिलता है जिसमें डीआईजी/एसएसपी के नाम से कोरोना से बचाव के बारे में चेतावनी छपी हुई है। भले ही कुछ लोग इसे जागरूकता को लेकर सही ठहरायें लेकिन चालान भय दिखाकर या दूसरे तरीके से दबाव बनाकर शहर भर में ऐसे बैनर को 50, 70 और 150 रूपये में खपाया जा रहा है।
यानि जो जितना डर गया, उससे उतना पैसा वसूल कर लिया। जोकि किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि व्यापारी वर्ग खुलकर सामने आने को तैयार नहीं लेकिन दबे स्वर कपितय पुलिसकर्मियों के इस कृत्य की आलोचना तो हो ही रहीं है। इसमें कोई दो राय नही कि ऐसे आदेश या दबाव बनाकर बैनर लगाने के आदेश पुलिस अधिकारी ने तो दिये नहीं होंगे। वहीं बैनर खपाने के लिए पुलिसकर्मियों की संलिप्तता हैरान करने वाली है। पहले पुलिस के जवान दुकानदार के पास आते है और बैनर न लगे होने पर चालान काटने की धमकी देते है। उसके बाद उनके तय बैनर वाला आकर बैनर के नाम पर वसूली कर जाता है। हालांकि कुछ जगहों पर उक्त बैनर निःशुल्क भी बांटे गए है लेकिन ज्यादातर जगहों पर पुलिसिया रौब गालिब कर वसूली ही की गई है।
यहां पर हैरान करने वाली बात है कि ऐसा कृत्य करने वाले इस बात से भी बेपरवाह है कि बहुत से दुकानदार तो लाकडाउन के दौरान औपचारिक तौर पर दुकान खोले बैठे है जबकि उनकी बिक्री लगभग न के बराबर है। ऐसा दुकानदार जिसकी बिक्री ही पचास सौ रूपये से उपर नही है, उसे उक्त बैनर पर पचास से डेढ़ सौ रूपये चुकाने पड़ रहें है। हालांकि यह तो मानवीय पहलू की बात की जा रहीं है। लेकिन इस तरह शहर भर में बैनरों से दुकानों को पाट देना कहां की समझदारी है।
वैसे भी इससे जहां बेवजह पैसे की बर्बादी हो रहीं है वहीं दूसरी ओर पर्यावरण चक्र पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है। पर्यावरण से जुड़ी कई रिपोर्ट में फ्रलैक्स को पर्यावरणीय दृष्टि से बेहद हानिकारक माना गया है। फिर यह कैसी जागरूकता है जो बेवजह लोगों की जेब को चोट पहुंचाये। जबकि कोरोना महामारी और लाकडाउन की वजह से करीब करीब सभी वर्ग या तो आर्थिक संकट से गुजर रहा है, या गुजरने वाला है।
रविवार, 31 मई 2020
शहर भर की दुकानों में बैनर का तमाशा
पेटीएम के जरिए बिना स्मार्ट फोन भी रिचार्ज
पेटीएम के जरिए बिना स्मार्ट फोन भी रिचार्ज
संवाददाता
देहरादून। पेटीएम ने फीचर फोन उपयोगकर्ताओं को और सशक्त बनाने के लिए एक नई सुविधा की शुरुआत की है। ग्राहक अब केवल एक वैध यूपीआई आईडी के साथ अपने वोडाफोन-आइडिया नंबर को रिचार्ज करने में सक्षम होंगे। देश भर में इस सेवा का विस्तार करने के लिए पेटीएम, वोडाफोन-आइडिया और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम एनपीसीआई के साथ काम करेगा। इससे उन लाखों उपभोक्ताओं को मदद मिलेगी जो जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है और रिचार्ज कराने के लिए दुकानों पर जाने की आवश्यकता पड़ती है। कंपनी ने कहा कि इस सेवा का लाभ लेने के लिए मोबाइल-इंटरनेट डेटा की जरूरत नहीं है।
पेटीएम ने कहा कि यह सेवा एनपीसीआई की नवीन भुगतान सेवा ’99रु पर आधारित है, जो अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा यूएसएसडी चैनल पर काम करती है। यह सेवा बुनियादी फीचर फोन का उपयोग करके मोबाइल बैंकिंग लेन-देन की अनुमति देती है। इसके साथ ही यूएसएसडी आधारित बैंकिंग का उपयोग करने के लिए मोबाइल इंटरनेट डेटा की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
पेटीएम आधी भारतीय आबादी को मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था में लाने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है। इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए कंपनी ने इस पहल में भाग लिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाखों प्रवासी जो घर से दूर हैं और सीमित साधनों के साथ जी रहे हैं, वो अपने परिवार से संपर्क में बनें रहें।
यदि किसी ग्राहक की यूपीआई आईडी भीम यूपीआई के साथ पंजीकृत है, तो उन्हें बस ’99’1’3 डायल करना होगा। जिस ग्राहकों का पंजीकृत नहीं हैं, उन्हें ’99रु डायल करना होगा। इसके बाद उन्हें मोबाइल नंबर से जुड़े उन सभी बैंक खातों का विकल्प दिया जाएगा जहां से यूएसएसडी डायल किया गया है। अब ग्राहक को उस बैंक खाते का चयन करना होता है जिससे वह अपनी यूपीआई आईडी पंजीकृत करना चाहते हैं और फिर यूपीआई पिन सेट कर सकते है।
घावों के लिए हर्बल दवा वाली स्मार्ट बैंडेज
घावों के लिए हर्बल दवा वाली स्मार्ट बैंडेज
इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलाजी आईएएसएसटी के वैज्ञानिकों ने घावों के लिए हर्बल दवा वाली स्मार्ट बैंडेज विकसित की
एजेंसी
नई दिल्ली। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अधीनस्वायत्त संस्थान इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलाजी आईएएसएसटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी स्मार्ट बैंडेज विकसित की है, जो घाव तक दवा की सही डोज पहुंचाकर उसे ठीक कर सकती है। यह स्मार्ट बैंडेज घाव में संक्रमण की स्थिति के अनुरुप उसके पीएच स्तर को देखते हुए दवा की डोज जारी करती है। बैंडेज को नैनोटेक्नोलाजी आधारित सूती पैच से बनाया गया है जिसमें कपास और जूट जैसी टिकाऊ और सस्ती सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है।
आईएएसएसटी के एसोसिएट प्रोफेसर डाक्टर देवाशीष चौधरी द्वारा किए गए एक शोध में जूट के कार्बन डाट्स के साथ एक नैनोकाम्पोजिट हाइड्रोजेल बाध्य काम्पैक्ट कपास पैच बनाया गया। कार्बन डाट्स बैंडेज मे लगाई गई दवा को रिलीज करने के लिए बनाए गए हैं। जूट का उपयोग पहली बार फ्रलोरोसेंट कार्बन डाट्स को संश्लेषित करने के माध्यम के रूप में किया गया है, जबकि पानी का उपयोग पफैलाव माध्यम के रूप में किया गया है। बैंडेज में इस्तेमाल हर्बल दवा में मूल रूप से नीम के सत का उपयोग किया गया है।
एसीएस सस्टेनेबल केम इंजीनियरिंग नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन रिपोर्ट में जूट और नीम जैसे प्राकृतिक उत्पादों के अर्क को दवा के रूप में बैंडेज के जरिए घाव पर रिलीज करने की एक सक्षम प्रणाली को दर्शाया गया है। इसके तहत जूट कार्बन डाट्स को हाइड्रोजेल मैट्रिक्स-बाउंड काटन पैच में डुबो कर पीएच स्केल पर 5 के स्तर से नीचे तथा 7 के स्तर से उपर अलग-अलग तरीके से दवा रिलीज होनेकी विधि को दिखाया गया है।
जूट और सूती कपड़े से बनायी गई यह बैंडेज घाव में बैक्टीरिया का संक्रमण किस स्तर का है, इसे देखते हुए काम करती है। संक्रमण जिस स्तर का है, दवा भी बैंडेज से उसी के अनुरूप खुद ब खुद निकलती है। यदि घाव में बैक्टीरिया का स्तर बढ़ रहा हो तो बैंडेज से दवा का रिसाव कम पीएच स्तर पर होता है। संक्रमण के अनुकूल दवा के रिसाव की इसकी यह विशेषता इस बैंडेज के अनूठे व्यवहार को दर्शाती है।
डाक्टर देवाशीष ने इसके पहले भी ऐसा ही एक काम्पैक्ट काटन पैच बैंडेज तैयार किया था, जिसमें भी घाव भरने की उत्कृष्ट क्षमता थी लेकिन उसमें लोड की गई दवा के रिसाव को घाव के अनुरुप नियंत्रित करने की कोई तकनीक मौजूद नहीं थी ऐसे में दवा के अनियंत्रित रिसाव से नुकसान हुआ। इसे ध्यान में रखते हुए नए शोध में डाक्टर देवाशीष ने बैंडेज में दवा के रिसाव को नियंत्रित करने की सक्षम प्रणाली विकसित की जिससे घाव भरने की स्मार्ट बैंडेज बनकर तैयार हो गई।
किसी भी घाव के आसपास बैक्टीरिया का संक्रमण होने पर उसके पीएच अर्थात अम्लीयता या क्षारीयता में बदलाव आ जाता है। इसलिए स्मार्ट बैंडेज में पीएच की स्थिति के अनुरूप दवा के रिसाव की प्रणाली विकसित की गई है। कार्बन डाट्स जो कि शून्य-डायनामिक नैनोमीटर हैं, के अद्वितीय कार्बनयुक्त छोर और सतह अपने कार्यात्मक समूहों के कारण विभिन्न पीएच के प्रति अलग व्यवहार प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किए जा सकते हैं। वे अपनी कम विषाक्तता और प्रचुर जैव-रासायनिक गुणों के लिए भी जाने जाते हैं। इसलिए ड्रग रिलीज व्यवहार की जांच करने के लिए हाइब्रिड कपास पैच में नैनो-भराव के रूप में विभिन्न कार्बन डाट्स का उपयोग किया गया है।
घाव भरने के लिए बैंडेज का इस तरह का अनुकूल व्यवहार स्मार्ट घाव-ड्रेसिंग सामग्री के रूप में इसके इस्तेमाल का मार्ग प्रशस्त करता है। बैंडेज बनाने के लिए कपास और जूट जैसी सस्ती और टिकाऊ सामग्री का इस्तेमाल इसे जैविक रुप से दुष्प्रभाव रहित, विषाक्तता रहित, कम खर्चीला और टिकाऊ बनाता है।
आईएनएस कलिंगा में 2 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन
आईएनएस कलिंगा में 2 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन
एजेंसी
विशाखापट्टनम। सरकार के सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन के तहत 2022 तक 100 गीगावाट सौर ऊर्जा के लक्ष्य के अनुरूप आईएनएस कलिंगा में 2 मेगावाट सौर फोटोवोल्टिक संयंत्र को शामिल करते हुए वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैनफ्रलैग आफिसर, कमांडिंग-इन-चीपफ ईएनसी ने उद्घाटन किया।
यह संयंत्र ईएनसी में सबसे बड़ा है और इसकी अनुमानित सक्रियता अवधि 25 साल है। लाकडाउन के बावजूद एपीईपीडीसीएल सहित सभी संबंधित एजेंसियों ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए जारी किए गए सभी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए एक आकस्मिक योजना बनाई और काम को पूरा किया।
इस मौके पर वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन ने कहा कि इस संयंत्र को शुरू करना पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण के अनुकूल उपायों के प्रति पूर्वी नौसेना कमान की प्रतिबद्वता को दर्शाता है।
आईएनएस कलिंगा 1980 की शुरुआत में अपनी गठन के बाद से हरियाली के क्षेत्रा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें वन रोपण, कई पौधारोपण अभियान, तटीय क्षेत्रों का सफाई अभियान, भौगोलिक हिरासत वाली जगह ‘एरा मैटी डिब्बालू’ की सुरक्षा जैसे कई काम शामिल है। आईएनएस कलिंगा के प्रमुख वर्तमान में कमांडर राजेश देबनाथ हैं।
बदहाली से ध्यान हटाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार का स्वरोजगार कार्डः पिरशाली
बदहाली से ध्यान हटाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार का स्वरोजगार कार्डः पिरशाली
संवाददाता
देहरादून। आम आदमी पार्टी उत्तराखण्ड के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि प्रदेश की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार कोरोना और लाकडाउन से उत्पन्न संकट और क्वारंटाइन की बदइंतजामी के सवालों से बचने के लिए स्वरोजगार का कार्ड खेल रही है। जबकि क्वारंटाइन केंद्रों में कोरोना, भूख और बदइंतजामी है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं व अन्य राज्यों से कोरोना महामारी के चलते घर वापसी करने वाले प्रवासियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्राी ने स्वरोजगार योजना का ऐलान किया है। जबकि ये सारी योजनायें पहले भी थी बल्कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना इससे भी बड़ी योजना थी जिसमें अभी के 6.5 लाख रुपये के मुकाबले 15 लाख रुपये तक की अधिकतम सब्सिडी का प्रावधान था।
उन्होंने कहा कि देश के साथ साथ हमारा प्रदेश भी स्वरोजगार का राजनैतिक नाटक 1975 के 20 सूत्राीय कार्यक्रम से लेकर मनरेगा तक देख रहा है। ये सारी योजनायें बदइंतजामी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। सरकार पुरानी योजनाओं को नया नाम देकर जनता के सामने परोसती हैं और आम जनता के हाथ हमेशा खाली रहते हैं।
पिरशाली ने कहा कि सरकार यदि कुछ करना ही चाहती है तो कोरोना संकट के चलते राज्य की बेहाल जनता को स्वरोजगार ऋण से पहले त्वरित आर्थिक मदद दे। प्रदेश के बेरोजगार युवाओं व प्रवासियों को दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के तर्ज पर उनके खातों में पैसा दे। सरकार लोगों को ब्याज मुक्त ऋण दे व ऋण लेने वाला अपनी सुविधानुसार ऋण की किश्त तय कर सके हालांकि ऋण आदायगी की एक निश्चित अवधि 5 से 10 साल रखी जा सकती है।
भारतीय सेना की अधिकारी मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र अवार्ड
भारतीय सेना की अधिकारी मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र अवार्ड
एजेंसी
नई दिल्ली। वर्ष 2019 में दक्षिण सूडान ;यूएनएमआईएसएसद्ध में संयुक्त राष्ट्र मिशन में महिला शांतिदूत के रूप में सेवाएं प्रदान करने वाली भारतीय सेना की अधिकारी मेजर सुमन गवानी को 29 मई को प्रतिष्ठित यूनाइटेड नेशंस मिलिट्री जेंडर एडवोकेट आफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांतिदूत दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय न्यूयार्क में आयोजित किए जा रहे एक आनलाइन समारोह के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस उन्हें यह अवार्ड प्रदान किया। मेजर सुमन को यह अवार्ड ब्राजील की नौसेना अधिकारी कमांडर कार्ला मोंटेइरो डी कास्त्रो अरुजो के साथ मिला।
मेजर सुमन ने नवंबर 2018 से दिसंबर 2019 तक यूएनएमआईएसएस में एक सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में कार्य किया। मिशन में रहते हुए वह मिशन में सैन्य पर्यवेक्षकों के लिए महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए संपर्क का प्रमुख केंद्र बिंदु थीं। इस अधिकारी ने क्षेत्रा की अत्यंत कठोर परिस्थितियों के कारण होने वाली समस्याओं के बावजूद महिला-पुरुष संतुलन बरकरार रखने के लिए संयुक्त सैन्य गश्त में भागीदारी को प्रोत्साहित किया।
उन्होंने मिशन की योजना और सैन्य गतिविधि में महिलाओं के परिप्रेक्ष्य को शामिल करने के लिए दक्षिण सूडान में विभिन्न मिशन टीम साइट्स का दौरा किया। सैन्य अधिकारी को नैरोबी में संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा सीआरएसवी पर एक विशेष प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए चुना गया था और उन्होंने यह प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न संयुक्त राष्ट्र मंचों में भाग लिया कि कैसे महिलाओं का परिप्रेक्ष्य विशेषकर संघर्ष संबंधी यौन हिंसा से नागरिकों की रक्षा करने में मदद कर सकता है।
यूएनएमआईएसएस सुरक्षा बलों की पहलों को समर्थन देने के अलावा उन्होंने सीआरएसवी से संबंधित पहलुओं के बारे में दक्षिण सूडान की सरकारी सेनाओं को प्रशिक्षित किया। अधिकारी ने यूएनएमआईएसएस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक दिवस परेड की भी कमान संभाली, जहां उन्होंने यूएनपीओएल, सैन्य और नागरिकों के बारह टुकड़ियों की कमान संभाली।
शनिवार, 30 मई 2020
लॉकडाउन 5.0 को लेकर केंद्रीय मंत्री ने दिए संकेत
लॉकडाउन 5.0 को लेकर केंद्रीय मंत्री ने दिए संकेत
नई गाइडलाइंस के तहत 1 जून से देश के ज्यादातर हिस्सों से लाकडाउन की पाबंदियां खत्म कर दी जाएंगी
एजेंसी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लाकडाउन की घोषणा की गई, तब से लेकर अब तक चार बार लाकडाउन को बढ़ाया जा चुका है। 31 मई को लाकडाउन 4.0 की अवधि भी समाप्त हो रही हैं ऐसे में लोग कयास लगा रहे हैं कि अब क्या लाकडाउन आगे बढ़ेगा या नहीं। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने लाकडाउन 5.0 के बारे में कहा कि अब लाकडाउन काफी हद तक कम हो जाएगा। लोगों से कई तरह की पाबंदियां हटा ली जाएंगी।
केंद्रीय मंत्री ने एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि लाकडाउन 5.0 बिल्कुल साधारण होगा। इसमें कुछ ही इलाकों में पाबंदियां लगाई जाएंगी। बाकी जन जीवन को खोला जाएगा। उन्होंने कहा कि ये समय हमेशा ऐसा ही चलेगा। लोगों को काफी हद तक छूट दे दी गई है और उम्मीद है कि सामान्य जीवन होगा।
उन्होंने लाकडाउन को बेहद जरूरी कदम बताते हुए कहा कि अगर देश में समय रहते ये फैसला नहीं लिया जाता है तो आज भारत में 50 लाख कोरोना के केस होते। लाकडाउन के कारण आज भी हमारी जितनी जनसंख्या है उसके हिसाब से बहुत कम केस सामने आ रहे हैं। उन्होंने कोरोना से मौत के बारे में कहा कि पूरे विश्व में सबसे कम मौतें भारत में ही हुई हैं। हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही कोई वैक्सीन या दवा आए और लोग पहले की ही तरह सामान्य जीवन जिएं।
केंद्र सरकार एक नई गाइडलाइंस पर काम कर रही है, जिसके तहत 1 जून से देश के ज्यादातर हिस्सों से लाकडाउन की पाबंदियां खत्म कर दी जाएंगी। देश के 13 शहरों को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों से पाबंदियों को हटाया जा सकता है। होटलों, माल्स और रेस्टोरेंस को भी 1 जून से खोलने की इजाजत दी जा सकती है। 31 मई को अगले 15 दिनों के लिए देशभर में लागू किए जाने वाले दिशानिर्देशों को जारी किया जा सकता है। इन 13 शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, अहमदाबाद, ठाणे, पुणे, हैदराबाद, कोलकाता, इंदौर, जयपुर, जोधपुर, चेंगलपट्टु और तिरुवलुर में पाबंदियों को आगे भी जारी रखा जा सकता है।
होटलों को चरणबद्व तरीके से खोला जाएगा। इस बारे में सरकार जल्द ही फैसला लेगी। यह भी मुमकिन है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात में लाकडाउन के अगले चरण को लेकर कुछ बातें स्पष्ट करें। हालांकि इस पर अंतिम पफैसला लिया जाना अभी बाकी है। इस बात पर मंथन चल रहा है कि किस तरह अब आगे से लाकडाउन जैसे शब्द के इस्तेमाल से बचा जाए। उन्होंने बताया कि राज्यों को पूरे अधिकार दिए जाएंगे कि अगर उन्हें जरूरी लगा तो सख्ती कर सकते हैं। शहरों के हालात के मद्देनजर राज्य यह फैसला लेने के लिए स्वतंत्र होंगे कि वहां दी गई ढील को वापस लेकर और ज्यादा सख्ती की जाए या नहीं।
सूत्रों ने बताया कि 1 जून से ज्यादातर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों के साथ शुरू किया जा सकता है लेकिन मेट्रो के संचालन को अभी इजाजत दिए जाने की संभावना कम है।
प्रशासनिक अधिकारी यमुना प्रसाद व्यास को भावभीनी विदाई
प्रशासनिक अधिकारी यमुना प्रसाद व्यास को भावभीनी विदाई
सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में आयोजित हुआ विदाई समारोह
संवाददाता
देहरादून। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग में आयोजित विदाई समारोह में प्रशासनिक अधिकारी यमुना प्रसाद व्यास को सेवानिवृत्त होने पर भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर अपर निदेशक सूचना डा0 अनिल चंदोला ने कहा कि सभी कर्मचारियों को यमुना प्रसाद व्यास के कार्यकुशलता, दृढ़ इच्छा शक्ति, शालीनता आदि से प्रेणना लेनी चाहिए।
अपने विचार व्यक्त करते हुई व्यास ने कहा कि उन्होंने सूचना विभाग में अपनी 40 वर्ष की सेवा पूरी की है। इस दौरान उनको विभाग से पूरा सहयोग मिला, जिसके लिये उन्होंने हृदय से अपने सभी साथियों एवं अधिकारियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
संयुक्त निदेशक सूचना आशिष त्रिपाठी ने कहा कि व्यास की कार्यशैली सभी के लिए प्रेरणादायक है। इस अवसर पर उप निदेशक केएस चौहान ने कहा कि राज्य गठन के समय से ही व्यास की कार्यशुलता और कार्यों के प्रति जिम्मेदारी देखी है। उन्होंने सदैव अपने कार्य और विभाग के प्रति समर्पण की भावना को अपने हृदय में समाहित करके रखा।
इस अवसर पर उत्तराखंड सूचना कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भुवनचंद्र जोशी, सहायक लेखाकार केएस पंवार, फोटोग्राफर शेखर चन्द्र जोशी, प्रशांत रावत आदि ने विचार व्यक्त किए और अंत में सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने उनकी दीर्घ आयु की मंगल कामना के साथ ही भविष्य में किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर सदैव उनके साथ एक परिवार की भांति खड़े रहने का आश्वासन दिया।
कार्यक्रम का संचालन उत्तराखंड सूचना कर्मचारी संघ के महामंत्री सुरेश चंद्र भट्ट ने किया।
बायकॉट मेड इन चाइना अभियान
बायकॉट मेड इन चाइना अभियान
चीन को बुलेट के साथ वॉलेट पॉवर से भी देना होगा जवाबः वांगचुक
एजेंसी
लद्दाख। रैमन मैग्सेसे अवॉर्ड विजेता और अविष्कारक सोनम वांगचुक कहते हैं कि लद्दाख में चीन की हरकतों को देखकर हर टाइम दिल जलता है, चीनी सेना हर साल 10-20 फुट अंदर आती जाती है और हमारी सेना तनाव नहीं बढ़ाने के लिए उसको एक तरह से नजरअंदाज करती जाती है लेकिन अब चीन को उसी की भाषा में जवाब देने का समय है।
सोनम वांगचुक कहते हैं कि आमतौर ऐसे समय जब सीमा पर तनाव का माहौल होता है तो हम अपने घरों में ये सोच कर आराम से सो जाते है कि सेना जवाब देगी लेकिन इस बार चीन पर दोतरफा हमला करने की जरूरत है।
आमिर खान की हिट फिल्म- 3 इडियट्स के किरदार फुनशुक वांगड़ू से देश के घर-घर तक अपनी पहचान रखने वाले शिक्षाविद सोनम वांगचुक कहते हैं कि इस बार चीन को जवाब देने के लिए भारत की बुलेट पॉवर से ज्यादा वॉलेट पॉवर काम आएगी। इसके लिए वह लोगों से चीनी उत्पादों के बहिष्कार करने की अपील कर रहें है।
सोनम कहते हैं कि अगर भारत के लोग चीन के समान खरीदने को बंद कर दें तो चीन की आर्थिक रीढ़ टूट जाएगी और वह घबराकर बातचीत के लिए आगे आएगा। आज हम चीन से हर साल पांच लाख करोड़ का सामान खरीदते है और इन्हीं पैसों से चीन अपने सैन्य सजो-समान गोला बारूद खरीदता है।
सोनम वांगचुक कहते है कि असल में चीन की तानाशाह सरकार इन दिनों अपने देश की जनता से डरी हुई है। आज कोरोना के बाद चीन में फैक्टरियां और एक्सपोर्ट बंद है और चीन में बेरोजगारी 20 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। इससे लोग नाराज है और चीन में तख्तापलट हो सकता है। इसलिए चीन पड़ोसियों से दुश्मनी कर अपनी जनता को अपने साथ जोड़ने में लगा हुआ है। वह कहते हैं कि चीन ऐसी हरकत पहले भी कर चुका है।
सोनम वांगचुक देश के 130 करोड़ लोगों से बायकॉट मेड इन चाइना मूवमेंट शुरु करने की अपील करते हुए कहते है कि चीन के सामानों का इतने बड़े पैमाने पर बायकॉट होने से चीन की अर्थव्यवस्था टूट जाए और वहां की जनता गुस्से में आकर ताख्ता पलट कर देगी। सोनम कहते हैं कि वह इस मुहिम को शुरु करने के लिए दो -तीन साल से सोच रहे थे लेकिन इस बार लद्दाख में चीन की हरकत देखकर उन्होंने इसे एक अभियान के तौर पर शुरु किया है।
पश्चिमी नौसेना कमान में पराबैंगनी रोगाणुनाशन सुविधाएं विकसित
पश्चिमी नौसेना कमान में पराबैंगनी रोगाणुनाशन सुविधाएं विकसित
एजेंसी
मुंबई। हम आंशिक रूप से और अंततः पूर्ण रूप से लॉाडाउन को समाप्त होते हुए देख रहे हैं, पहले से ही इन बातों के लिए प्रश्न पुछे जा रहे हैं कि नया सामान्यतया क्या होने जा रहा है, विशेष रूप से बड़े उत्पादन संगठनों के लिए जैसे डाकयार्ड और अन्य नौसैनिक प्रतिष्ठान, जहां पर लाकडाउन की समाप्ति के बाद बड़ी संख्या में श्रमिक पिफर से काम करना शुरू करेंगे और इनकी संख्या में धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी होने की संभावना है। इसके कारण श्रमिकों के कवरआल, उपकरण, व्यक्तिगत गैजेट्स और मास्क के लिए सैनिटाइजेशन की सुविधा की बहुत सख्त जरूरत महसूस की जा रही थी।
नौसेना डाकयार्ड ;मुंबईद्ध ने इस विकसित हो रही जरूरतों को पूरा करने के लिए यूवी सैनिटाइजेशन खाड़ी का निर्माण किया है। यूवी खाड़ी का उपयोग, कोरोनावायरस के पफैलाव को नियंत्रित करने के लिए उपकरणों, कपड़ों और अन्य विविध वस्तुओं को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाएगा। इस चुनौतीपूर्ण कार्य के लिए यूवी-सी प्रकाश के लिए एल्यूमीनियम शीट विद्युत व्यवस्था का निर्माण करके, एक बड़े सामान्य कमरे को एक यूवी खाड़ी में परिवर्तित करने की आवश्यकता थी।
यह सुविधा जीवाणुरोधी विकिरण के लिए यूवी-सी प्रकाश स्रोत का उपयोग वस्तुओं को जीवाणुरहित करने के लिए कर रही है। प्रतिष्ठित अनुसंधान एजेंसियों द्वारा किए गए अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि श्वसन रोगजनकों जैसे सार्स, इन्फ्रलुएंजा आदि पर यूवी-सी प्रभावकारी होता है। यह देखा गया है कि माइक्रोबियल रोगजनकों की संख्या बहुत हद तक कम हो जाती है जब वे 1 मिनट या उससे ज्यादा समय के लिए 1 जे/सेमी 2 की तीव्रता वाले यूवी-सी के संपर्क में आते हैं, जिससे प्रभावी रोगाणुनाशन का संकेत मिलता है।
इसी प्रकार की सुविधा को नौसेना स्टेशन ;करंजाद्ध में भी स्थापित किया गया है, जहां यूवी-सी के अलावा एक औद्योगिक ओवन भी स्थापित किया गया है, जो छोटे आकार के सामानों के लिए 60 डिग्री सेल्सियस तक तापमान उत्पन्न करता है, जो तापमान अधिकांश रोगाणुओं को मारने के लिए जाना जाता है। इस सुविधा को प्रवेश/निकास बिंदुओं पर रखी गई है जहां पर यह कोविड-19 के संचरण में कमी लाने में मदद करेगा।
सेना के कमांडरों का सम्मेलन
सेना के कमांडरों का सम्मेलन
एजेंसी
नई दिल्ली। एक शीर्ष स्तर का वर्ष में दो बार होने वाला सेना के कमांडरों का सम्मेलन जिसमें वैचारिक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले किए जाते हैं, दो चरणों में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन का पहला चरण साउथ ब्लाक में 27 से 29 मई तक आयोजित किया गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसे अप्रैल में आयोजित किया जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा था।
तीन दिन में भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने मौजूदा और आने वाले समय की सुरक्षा चुनौतियों से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इसके अलावा मानव संसाधन प्रबंधन के मुद्दों, गोला-बारूद प्रबंधन से संबंधित अध्ययन, एक जगह पर स्थित प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों के विलय और मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान के साथ सैन्य प्रशिक्षण निदेशालय के विलय पर भी चर्चा की गई। आयोजन के दौरान आर्मी वेलपफेयर हाउसिंग ओरिजिनेशन एडब्ल्यूएचओ और आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी एडब्ल्यूईएस के बोर्ड आफ गवर्नर की बैठकों का भी आयोजन किया गया।
24 से 27 जून तक निर्धारित सम्मेलन के दूसरे चरण में डीएमए और डीओडी के साथ संवादमूलक सत्र शामिल होंगे, कमान मुख्यालय द्वारा प्रायोजित एजेंडे पर चर्चा और लाजिस्टिक्स और प्रशासनिक मुद्दों पर चल रहे अध्ययनों पर विचार-विमर्श हुआ। रक्षामंत्री और सीडीएस के भी इस चरण के दौरान सम्मेलन को संबोधित किया।
फूंक मारकर जान जायेंगे कि आप कोरोना पाजिटिव हैं या नहीं
फूंक मारकर जान जायेंगे कि आप कोरोना पाजिटिव हैं या नहीं
इजराइल की 3800 रुपये की कोरोना किट फूंक मारने पर एक मिनट में देती है परिणाम
एजेंसी
तेलअबीब। इजराइल की बेन-गुरियन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐसी इलेक्ट्रो-आप्टिकल कोरोना टेस्ट किट बनाई है जो एक मिनट में रिजल्ट बता देती है। इसमें जांच के लिए नाक, गले और पफूंक से सैम्पल लिया जाता है। इससे पता चलता है कि कौन कोरोना पाजिटिव और कौन बिना लक्षण के संक्रमित है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह किट 90 फीसदी तक सटीक परिणाम देती है। एक टेस्ट किट की कीमत सिर्फ 3800 रुपए है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि टेस्ट किट की कीमत दूसरे पीसीआर टेस्ट से कम है। यह टेस्ट कहीं भी किया जा सकता है इसके लिए लैब की जरूरत नहीं है। एयरपोर्ट, बार्डर, स्टेडियम जैसी जगहों पर यह टेस्ट किट मददगार साबित होगी जहां रैपिड टेस्ट की जरूरत होती है।
शोधकर्ता प्रो0 सारुसि के मुताबिक कोरोनावायरस के कण नैनो पार्टिकल की तरह होते हैं। इनका आकार 100 से 140 नैनोमीटर होता है। पीसीआर किट वायरस के आरएनए और डीएनए को पहचानकर रिपोर्ट देती है और ऐसा करने में कई घंटे लगते हैं। वहीं नए टेस्ट में एक मिनट के अंदर यह बता दिया जाता है कि मरीज पाजिटिव है या निगेटिव।
शोधकर्ता प्रो0 सारुसि के मुताबिक ट्रायल की शुरुआत से ही इस टेस्ट किट से बेहतर परिणाम मिले हैं। इसकी मदद से कम समय में अधिक मरीजों की जांच की जा सकती है। किट जल्द ही लोगों तक पहुंचाने के लिए फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन एफडीए से अप्रूवल लेने की तैयारी की जा रही है।
शुक्रवार, 29 मई 2020
2019 में प्रदेश में गंभीर मुकदमों में महज 30 फीसद ही हुई सजा
2019 में प्रदेश में गंभीर मुकदमों में महज 30 फीसद ही हुई सजा
गंभीर मुकदमों में 242 में सजा 525 में रिहाई
अभियोजन निदेशालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ खुलासा
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड में वर्ष 2019 में गंभीर मुकदमों में केवल 30 फीसदी मामलोें में ही सजा व 64 फीसद में रिहाई हुई, अन्य मुकदमों में मुल्जिमांे पर अपराध साबित नहीं हो सके। जबकि भारतीय दंड संहिता के अपराधों के कम गंभीर अपराधोें में 32 फीसदी मुकदमों में सजा हुई। यह खुलासा अभियोजन निदेशालय के लोक सूचना अधिकारियों द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड के अभियोजन निदेशालय से उत्तराखंड के न्यायालयों मेें वर्ष में निपटाये गये मुकदमों में सजा व रिहाई सम्बन्धी सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में प्रदेश के 13 जिलोें केे अभियोजन निदेशालय के लोेक सूचना अधिकारी/ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी केएस राणा ने पत्रांक सं0 218 से सूूचना विवरण उपलब्ध कराये हैै।
उपलब्ध सूचना के अनुसार 2019 में प्रदेेश भर में भारतीय दंड संहिता केे सेशन विचारण (गंभीर अपराधों वाले) कुल 814 मुुकदमों का फैसला किया गया हैै जिसमें 242 मामलोें में सजा हुई तथा 525 मुकदमों मे रिहाई हुई, शेष 47 मुकदमें अन्य कारणों से समाप्त कर दिये गये हैै। भारतीय दंड संहिता के अन्य अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा विचारण योग्य कम गंभीर मामलोें में 32 फीसदी मामलोें में सजा हुई है। साल भर में ऐसे 5002 मुकदमों में से 1616 मामलों में सजा हुई हैै तथा 1121 मुकदमों में रिहाई हुई हैै शेष 2260 मामले अन्य कारणों से समाप्त कर दिये गये है। इसमें 1356 मामले राजीनामे के आधार पर समाप्त किये गये है।
उपलब्ध जिलावार सूचना के अनुसार सेशन विचारण (आईपीसी के गंभीर अपराधोें) के मुकदमोें में देहरादून में 113 में से 41, पिथौैरागढ़ में 26 में से 7, बागेश्वर में 18 में से 7, चम्पावत में 5 में से 2, रूद्रप्रयाग में 16 में से 6, पौैडी गढ़वाल 27 में से 7, टिहरी गढ़वाल 10 में से 7, उत्तरकाशी 7 में से 5, नैैनीताल 100 में से 39, उधमसिंह नगर में 184 में से 46, अल्मोड़ा मंे 11 में से 4, चमोली में 27 में से 6, हरिद्वार जिल में 270 में से 65 मामलों में ही सजा हुई है।
भारतीय दंड संहिता केे अधीनस्थ न्यायालयोें द्वारा विचारण किये गये जिलावार मुकदमोें में देहरादून में 918 में 399, पिथौैराढ़ में 98 में से 21, बागेश्वर में 121 मेें 41, चम्पावत में 92 में से 32, रूद्रप्रयाग में 51 में से 14, पौैड़ी गढ़वाल में 264 में से 61, टिहरी गढ़वाल 151 में 41, उत्तरकाशी 70 में से 17, नैनीताल 565 में से 148, उधमसिंह नगर 1369 में से 478, अल्मोेड़ा 129 में से 20, चमोली 113 में से 23, हरिद्वार जिले में 1061 में 321 मुकदमों में ही सजा हुई हैै।
प्रदेश भर में 2019 में अधीनस्थ न्यायालयोें में भारतीय दंड संहिता के कम गंभीर 5002 मामलों में से 1356 राजीनामे से समाप्त किये गये हैै जोे कुल निपटाये गयेे मुकदमों के 27 प्रतिशत हैैं। पक्षकारोें में सुलह व राजीनामे सेे समाप्त किये गये भारतीय दंड संहिता के अपराधों केे फौैजदारी मुुकदमोें में देहरादून जिलेे में 247, पिथौैराढ़ के 21, बागेश्वर के 14, चम्पावत के 18, रूद्रप्रयाग के 12, पौैड़ी गढ़वाल के 56, टिहरी गढ़वाल केे 53, उत्तरकाशी के 31, नैैनीताल के 141, उधमसिंह नगर के 385, अल्मोड़ा के 33, चमोली के 11 तथा हरिद्वार जिले के 334 केेस शामिल है।
राजभवन की महामारी मामले में रस्म अदायगी जनमानस पर भारीः मोर्चा
राजभवन की महामारी मामले में रस्म अदायगी जनमानस पर भारीः मोर्चा
- कोरोना महामारी की अव्यवस्थाओं के मामले में राजभवन ने क्यों तलब नहीं किए मुख्य सचिव, सचिव, स्वास्थ्य एवं आपदा
- मात्र जिलाधिकारी, देहरादून को तलब कर की गई इतिश्री
- हाईकोर्ट भी सरकार को लगा चुका फटकार
- प्रदेश में महामारी दिनों-दिन ले रही विकराल रूप
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश भर में कोरोना महामारी लगातार विकराल रूप धारण कर रही है तथा वहीं दूसरी ओर क्वॉरेंटाइन सेंटर्स की अव्यवस्थाएं किसी से छुपी नहीं है। दो दिन पहले ही न्यायालय इस मामले में सरकार को फटकार लगा चुका है।
नेगी ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि इस महामारी में राजभवन की भूमिका बिल्कुल नगण्य रही, जिस कारण सरकार निरंकुश होकर जनता के हितों से खिलवाड़ करती रही। बड़े आश्चर्य की बात है कि राजभवन ने जिलाधिकारी, देहरादून को तलब कर महामारी से संबंधित जानकारी हासिल की, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि महामारी सिर्फ देहरादून में ही है।
राजभवन को चाहिए था कि महामारी के बढ़ते प्रकोप एवं क्वॉरेंटाइन सेंटर्स में लोगों की हो रही दुर्दशा के मामले में मुख्य सचिव, सचिव, स्वास्थ्य एवं आपदा को तलब कर जानकारी लेते व सख्त हिदायत देते, लेकिन ऐसा करने के बजाय जिलाधिकारी व अपने सचिव आदि को बुलाकर रस्म अदायगी कर दी गई।
मोर्चा राजभवन से मांग करता है कि जनहित में सरकार की कठपुतली बनने के बजाय सरकार को फटकार लगाकर महामारी में लोगों को निजात दिलाने की दशा में काम करने के निर्देश दे।
गुरुवार, 28 मई 2020
रम पीने के फायदे जिनपर यकीन करना मुश्किल
रम पीने के फायदे जिनपर यकीन करना मुश्किल
प0नि0डेस्क
देहरादून। अल्कोहल का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसलिए रम पीने के फायदे सुनकर शायद यकीन न हो। रम महज अल्कोहल ही नहीं दवा की तरह भी काम करता है। रम से मेडिकल के लिहाज से होने वाले बहुत से फायदें हैं।
रम गन्ने के रस से बनाई जाती है, जो एक कैरीबियाई ग्लूटेन-प्रफी एल्कोहल है। टेस्ट में मीठी और थोडी कड़वी भी होती है। यह पुरानी हो जाए तो यह हल्के भूरे और काले रंग में हो जाती है। रम पीने से जाइंट पेन में आराम मिलता है। बाडी पेन और जोड़ों के दर्द को कम करता है।
अगर सर्दी या जुकाम है तो रात को सोने से पहले रम को गर्म पानी में मिलाकर पियें। रम की तासीर गर्म होती है। इस वजह से इसे पीने से शरीर में गर्माहट आती है। सर्दियों में मौसम के तापमान से संतुलन बनाने के लिए रम लेना बेहतर होता है।
रम में कुछ ऐसे तत्व पाएं जाते हैं। जिस कारण रम पीने से अच्छी नींद आती है। सुबह उठने पर तरोताजा फील होता हैं। वाइन की तरह रम भी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ये नसों में ब्लाकेज की समस्या को दूर करता है यानि यह हार्ट अटैक की समस्या से दूर रखता है।
नोटः शराब का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
टिड्ढियों के आक्रमण को रोकने के लिए तैयार रहे सरकार
टिड्ढियों के आक्रमण को रोकने के लिए तैयार रहे सरकार
आप पार्टी के पूर्व अध्यक्ष ने संभावित खतरे के प्रति किया आगाह
संवाददाता
देहरादून। आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने राज्य सरकार को टिड्ढियों के हमले से आगाह करते हुये कहा कि कई एकड़ की फसल को कुछ ही पल में नष्ट कर देने वाले कई किलोमीटर लंबे ये टिड्ढी दल राजस्थान के रास्ते मध्य प्रदेश के बाद अब उत्तर प्रदेश के साथ महाराष्ट्र में प्रवेश कर गए हैं। पंजाब में भी कुछ जगहों पर इनको देखा गया है। ये टिड्डी दल एक दिन में लगभग 40 से 50 किलोमीटर तक का सफर तय कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगर हवा का रुख उत्तर पूर्व की ओर रहा तो आशंका है कि ये टिड्ढी दल उत्तराखंड की ओर भी रुख कर सकते हैं, ऐसे में कोरोना संकट काल में लाकडाउन की मार झेल रहे राज्य के किसानों पर ये दोहरी मार होगी।
पिरशाली ने कहा कि पता नहीं सरकार टिड्ढियों के हमले से निपटने के लिए कितनी तैयार है, लेकिन इसको एक संभावित आपदा की तरह देखकर समय रहते इससे बचाव के कारगर उपाय जरूरी हैं ताकि किसानों की फसलों को नुकसान न पहुंचे।
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिये कि राज्य के किसानों को जागरूक करने के लिए गाइडलाइन जारी करे। हेलीकाप्टर एवं ड्रोन से छिड़काव की व्यवस्था करें और प्रशासन को चौकन्ना रखें।
धान की पैदावार बढ़ाने के शोध में नई संभावनाओं का पता चला
धान की पैदावार बढ़ाने के शोध में नई संभावनाओं का पता चला
एजेंसी
नई दिल्ली। चावल दुनिया भर में मुख्य खाद्य पदार्थों में से एक है क्योंकि इसमें प्रचुर मात्रा में कार्बाेहाइड्रेट पाया जाता है, जो तत्काल ऊर्जा प्रदान करता है। दक्षिण पूर्व एशिया में जहां दुनिया के दूसरे हिस्सों की तुलना में इसका अधिक सेवन किया जाता है, कुल कैलोरी के 75 फीसदी हिस्से की पूर्ति इसी से होती है। भारत में धान की खेती बहुत बड़े क्षेत्र में की जाती है। लगभग सभी राज्यों में धान उगायी जाती है हालांकि इसके बावजूद कम उत्पादकता इसकी समस्या है।
भारत और दुनिया की बढ़ती आबादी की मांग को पूरा करने के लिए धान की उत्पादकता में लगभग 50 फीसदी की वृद्वि की जरूरत है। प्रति पौधे अनाज के दानों की संख्या और उनके वजन जैसे लक्षण मुख्य रूप से धान की उपज को निर्धारित करते हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं और उत्पादकों का मुख्य उद्देश्य अनाज के पुष्ट दानों वाले धान की बेहतर किस्में विकसित करना रहा है, जो ज्यादा उपज और बेहतर पोषण दे सकें।
एक नए अध्ययन में नेशनल इंस्टीट्यूट आफ प्लांट जीनोम रिसर्च (डीबीटी एनआईपीजीआर) के बायोटेक्नोलाजी विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईएआरआई), कटक के राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-एनआरआरआई) और दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस (यूडीएससी) के शोधकर्ताओं ने धान के जीनोम में एक ऐसे हिस्से की पहचान की है, जिसके माध्यम से पैदावार बढ़ाने की संभावना है।
वैज्ञानिकों ने धान की चार भारतीय किस्मों (एलजीआर, पीबी 1121, सोनसाल और बिंदली) जो बीज आकार/वजन में विपरीत पफेनोटाइप दिखाते हैं कि आनुवांशिक संरचना-जीनोटाइप के जीन को क्रमबद्व करके उनका अध्ययन किया। इस दौरान उनके जीनोमिक रूपांतरों का विश्लेषण करने के बाद उन्होंने पाया कि भारतीय धान के जर्मप्लाज्मों में अनुमान से कहीं अधिक विविधता है।
वैज्ञानिकों ने इसके बाद अनुक्रम किए गए चार भारतीय जीनोटाइप के साथ दुनिया भर में पाई जाने वाली धान की 3,000 किस्मों के डीएनए का अध्ययन किया। इस अध्ययन में उन्होंने एक लंबे (6 एमबी) जीनोमिक क्षेत्र की पहचान की, जिसमें क्रोमोजोम 5 के केंद्र में एक असामान्य रूप से दबा हुआ न्यूक्लियोटाइड विविधता क्षेत्र था। उन्होंने इसे कम विविधता वाला क्षेत्र या संक्षेप में एलडीआर का नाम दिया।
इस क्षेत्र के एक गहन बहुआयामी विश्लेषण से पता चला कि इसने चावल की घरेलू किस्में तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, क्योंकि यह धान की अधिकांश जंगली किस्मों में मौजूद नहीं था। आधुनिक खेती से जुड़ी धान की अधिकांश किस्में जैपोनिका और इंडिका जीनोटाइप से संबंधित हैं। उनमें यह विशेषता प्रमुखता से पाई गई है। इसके विपरीत पारंपरिक किस्म के धान में यह विशेषता अपेक्षाकृत कम मात्रा में पाई गई। धान की यह किस्म जंगली किस्म से काफी मिलती जुलती है। अध्ययन से आगे और यह भी पता चला कि एलडीआर क्षेत्र में एक क्यूटीएल (क्वांटिटेटिव ट्रिट लोकस) क्षेत्र होता है जो अनाज के आकार और उसकी वजन की विशेषता के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़ा होता है।
नया अध्ययन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इसने जीनोम-वाइड एक्सप्लोरेशन के अलावा इसने एक महत्वपूर्ण और एक लंबे समय तक बने रहे धान के ऐसे जीनोमिक क्षेत्रा को उजागर किया है, जो मोलिक्यूलर मार्कर और क्वांटिटेटिव ट्रेड के लिए क्रमिक रूप से तैयार किया गया था। डीबीटी-एनआईपीजीआर के टीम मुखिया जितेंद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि हमारा मानना है कि भविष्य में इस एलडीआर क्षेत्र का उपयोग बीज के आकार के क्यूटीएल सहित विभिन्न लक्षणों को लक्षित करके धान की पैदावार बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
शोध करने वाली टीम में स्वरूप के0 परिदा, अंगद कुमार, अनुराग डावरे, अरविंद कुमार, विनय कुमार और डीबीटी-एनआईपीजीआर के सुभाशीष मोंडल, दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस के अखिलेश के0 त्यागी, आईसीएआर-आईएआरआई के गोपाल कृष्णन एस0 और अशोक के0 सिंह, तथा आईसीएआर-एनआरआरआई के भास्कर चंद्र पात्रा शामिल थे। उन्होंने द प्लांट जर्नल को अपने अध्ययन की एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसे जर्नल की ओर से प्रकाशन के लिए स्वीकार कर लिया है।
क्वॉरेंटाइन सेंटर्स मामले में न्यायपालिका की फटकार सरकार के लिए काफी: मोर्चा
क्वॉरेंटाइन सेंटर्स मामले में न्यायपालिका की फटकार सरकार के लिए काफी: मोर्चा
- क्वॉरेंटाइन सेंटरों में रखे जा रहे लोगों की हालत रोहिंग्या जैसी!
- लोगों के जीवन से किया जा रहा खिलवाड़
- सांप के डसने से हो चुकी बच्ची की मौत
- भोजन, सफाई, बिस्तर आदि की समुचित व्यवस्थाओं का है टोटा
- आपदा/चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के मुखिया हैं खुद त्रिवेंद्र
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी कहा कि कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश भर में क्वॉरेंटाइन किए जा रहे लोगों को जिस प्रकार बदहाल स्थिति में सैंटरो में रखा जा रहा है, उनकी हालत सरकार ने रोहिंग्या जैसी बना दी है।
नेगी ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास महामारी से संबंधित दोनों विभाग (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं आपदा) हैं, लेकिन इसके बावजूद उच्च न्यायालय को प्रदेश के लोगों को मुकम्मल सुविधाएं मुहैया कराने, लोगों को हो रही असुविधा आदि मामले यथा उनके भोजन, साफ-सफाई, बिस्तर- चारपाई आदि तमाम असुविधाओं को लेकर जो फटकार लगाई है, वह इस बेशर्म सरकार के मुखिया लिए डूब मरने वाली बात है।
नेगी ने कहा कि इस अदूरदर्शी एवं गैर जिम्मेदार सरकार के लिए न्यायालय का हस्तक्षेप/चाबुक डूब मरने के लिए काफी है।
नेगी ने कहा कि दो-तीन दिन पहले क्वॉरेंटाइन सेंटर में बच्ची की सांप द्वारा डसने से मौत होना बहुत चिंताजनक बात है। मोर्चा राजभवन से भी मांग करता है कि जनता के दर्द को दूर करने के लिए स्वयं व्यवस्थाओं का जायजा लें, जिससे इस महामारी से लड़ा जा सके।
बुधवार, 27 मई 2020
धरती में हो रहे बदलाव की वजह से बंद हो जाएंगे मोबाइल फोन!
धरती में हो रहे बदलाव की वजह से बंद हो जाएंगे मोबाइल फोन!
धरती के एक हिस्से में मौजूद इसका चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा
प0नि0डेस्क
देहरादून। धरती के एक हिस्से में मौजूद इसका चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो रहा है। इससे हो सकता है आने वाले दिनों में फोन काम करना बंद कर दें। चुंबकीय क्षेत्र कमजोर होने से सैटेलाइट से लेकर स्पेस क्राफ्रट तक काम करना बंद कर सकते हैं। वैज्ञानिक समझ नहीं पाये है कि ऐसा क्यों हो रहा है।
धरती के एक बड़े हिस्से में चुंबकीय शक्ति कमजोर हो गई है। यह हिस्सा करीब 10 हजार किलोमीटर में फैला है। इस इलाके के 3000 किलोमीटर नीचे धरती के आउटर कोर तक चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति में कमी आई है। अप्रफीका से लेकर दक्षिण अमेरिका तक करीब 10 हजार किलोमीटर की दूरी में धरती के अंदर चुंबकीय क्षेत्र कमजोर की ताकत कम हो चुकी है। सामान्य तौर पर इसे 32,000 नैनोटेस्ला होनी चाहिए थी। लेकिन वर्ष 1970 से 2020 तक यह घटकर 24 से 22 हजार नैनोटेस्ला तक जा पहुंची है। नैनोटेस्लास चुंबकीय क्षमता मापने की इकाई होती है।
वैज्ञानिकों को जो सैटेलाइट डाटा मिले हैं उसने उनको चिंता में डाल दिया है। वैज्ञानिकों मुताबिक पिछले 200 सालों में धरती की चुंबकीय शक्ति में 9 फीसदी की कमी आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अप्रफीका से दक्षिण अमेरिका तक चुंबकीय शक्ति में काफी कमी देखी जा रही है। वे इसे साउथ अटलांटिक एनोमली कहते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक बदलाव 200 सालों से धीरे-धीरे हो रहा था। इसलिए ही पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र की शक्ति कम होती जा रही है।
ये जानकारी यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) के सैटेलाइट स्वार्म से मिली है। धरती के इस हिस्से पर चुंबकीय क्षेत्र में आई कमजोरी की वजह से धरती के ऊपर तैनात सैटेलाइट्स और उड़ने वाले विमानों के साथ कम्युनिकेशन करना मुश्किल हो सकता है। इस वजह से ही मोबाइल फोन बंद होने की आशंका जताई जा रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आम लोगों को इसका पता नहीं चलता, लेकिन यह हमारी रक्षा करता है। अंतरिक्ष में खास तौर पर सूर्य से आने वाली हानिकारक शक्तिशाली चुंबकीय तरंगे, अति आवेशित कण इसी चुंबकीय क्षेत्र के कारण धरती पर नहीं पहुंच पाते हैं जिनसे धरती पर रहने वालों को नुकसान हो सकता है।
वैज्ञानिकों को यह बात सबसे ज्यादा परेशान कर रही है दूसरा हिस्सा जहां पर सबसे कम तीव्रता है वह अप्रफीका के पश्चिम में नजर आ रहा है। इसका संकेत है कि साउथ अटलांटिक एनामोली दो अलग-अलग सेल्स में बंट सकता है। ईएसए के मुताबिक यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी की सतह के नीचे की बाहरी सतह वाली परत में बह रहे गर्म तरल लोहे के कारण बनता है। हाल ही में ईएसए वैज्ञानिकों ने इस परत में बहुत साफ बदलाव देखा था। उन्होंने पाया था कि पृथ्वी की बाहरी सतह की परतें सतह की तुलना में घूमने लगी हैं।
अगले माह जून में लगने वाले हैं दो ग्रहण
अगले माह जून में लगने वाले हैं दो ग्रहण
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। आने वाले दो महीनों में तीन ग्रहण लगेंगे। जून महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों हैं, वहीं जुलाई में चंद्र ग्रहण होगा। इस तरह जून और जुलाई में 3 बड़े ग्रहण लग रहे हैं। इसमें पहला चंद्र ग्रहण 5 जून को और 21 जून को सूर्य ग्रहण है। वहीं इसके बाद 5 जुलाई को पिफर से चंद्र ग्रहण लगेगा। इससे पहले 10 जनवरी को साल का पहला ग्रहण लग चुका है।
इस साल कुल 5 ग्रहण लगने वाले है। जून में लगने वाले दोनों ही ग्रहण भारत में दिखाई देंगे जबकि जुलाई वाला ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अप्रफीका में दिखाई देगा। 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप और एशिया में दिखाई देगा।
इस साल के सूर्य ग्रहण पर सबसे ज्यादा ज्योतिषियों की नजर है क्योंकि यह ग्रहण मिथुन राशि में लगेगा। 21 जून को लगने वाले ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले ही लग जाएगा। इस साल पड़ने वाले ग्रहण बहुत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार इन ग्रहण से मिथुन राशि के जातकों पर विशेष प्रभाव पड़ेगा।
बता दें कि ग्रहण काल के दौरान खाना-पीना नहीं चाहिए। इस समय कोई भी शुभ कार्य, यहां तक की भगवान की सामान्य पूजा-आरती भी नहीं करना चाहिए। मंदिर या घर में बने मंदिर में भी भगवान के पट बंद करने की बात शास्त्रों में कही जाती है। सूतक लगने के बाद से ही गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि ग्रहण काल के दौरान नकारात्मक शक्तियां प्रबल होती हैं, जिसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करने की भी मान्यता है। ग्रहण काल की सूतक से पहले ही खाने की सभी चीजों में तुलसी के पत्ते रख देना चाहिए।
प्रवासियों के साथ आये कोरोना वायरस ने बिगाड़ा खेल!
होम क्वारंटीन की थ्योरी को लोगों की भागमभाग की आदत ने गलत साबित किया
प्रवासियों के साथ आये कोरोना वायरस ने बिगाड़ा खेल!
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। आज के समय में सबसे मुश्किल काम है किसी को एक जगह पर लंबे समय तक टिकाये रखना। ऐसा इसलिए कि लोगों को भागमभाग वाली जिन्दगी की आदत हो गई है। एक जगह तो कोई टिक नही सकता। अब चाहे कितनी ही आफत क्यों न आ जाये। यहीं कारण है कि प्रदेश में आने वाले प्रवासियों को जब होम क्वारंटीन में रहने को कहा गया तो ज्यादातर लोगों ने इसे हल्कें में लिया।
जहां पुलिस आदि एजेंसियां लाकडाउन का अनुपालन कराने के लिए मुस्तैद है, वहां तो लोग बाग मजबूरी में ही सही उसका पालन करते रहे लेकिन जिस इलाके में ऐसी मानिटरिंग नही हो पा रही वहां पर लाकडाउन की ध्ज्जियां उड़ती रहीं। और जैसे जैसे प्रवासियों की तादाद बढ़ने लगी तो प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के आंकड़े भी तेजी से गति पकड़ने लगे है।
दरअसल होम क्वारंटीन की थ्योरी को लोगों की भागमभाग की आदत ने गलत साबित करके रख दिया है। जैसी कि हम पहले भी आशंका जता चुके है, प्रवासियों के साथ साथ कोरोना की भी प्रदेश और पहाड़ में इंट्री हो गई। सच कहें तो प्रदेश सरकार प्रवासियों की व्यापक निगरानी में नाकाम रहीे और प्रदेश के सभी जिले ग्रीन से आरेंज जोन में चले गए।
भले ही लोगों ने कोरोना वायरस से बचाव के उपायों को हल्के में लिया हो लेकिन प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमितों की संख्या, प्रदेश सरकार की नाकामी को बताने के लिए काफी है। क्योंकि उसके पास पहले तो प्रवासियों को वापस लाने का कोई क्लीयर रोड़ मैप नहीं था। जब लोगों का दबाव पड़ा तो आनन फानन में इस ओर उसे कदम बढ़ाने पड़े। लेकिन इस दौरान बरते जाने वाले ऐतिहात को नजरअंदाज किया गया।
वैसे भी अब सरकार संसाधनों की कमी का रोना नहीं रो सकती। यदि क्वारंटीन और रेपिड जांच को गंभीरता ले लिया गया होता तो संक्रमितों की संख्या को थामा जा सकता था। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो ेपाया। प्रदेश सरकार की कोरोना महामारी को लेकर गंभीरता का नमूना देखिए। क्वारंटीन का जिम्मा ग्राम प्रधनों को दे दिया गया। जबकि आरोप लग रहें है कि पैसा उनको रिलीज नहीं किया गया।
गौर हो कि चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण के थमने के बाद की गई जांच के बाद वैज्ञानिकों ने भी होम क्वारंटीन को व्यर्थ बताया था। उनका मानना था कि संस्थागत क्वारंटीन ही संक्रमितों की पहचान का सबसे बेहतर जरिया है। अब सरकार कोर्ट के डंडे के बाद जागी है और वह प्रदेश की सीमा पर क्वारंटीन एवं जांच की बात कह रही है। लेकिन ऐसा जागना भी किस काम का जो घाव दे चुका और अब कामना की जा रहीं है कि दर्द का इलाज हो जायेगा।
काफी समय तक प्रदेश में कोरोना संक्रमण के आंकड़े स्थिर रहे लेकिन प्रवासियों के साथ आये कोरोना वायरस ने सारा गणित बिगाड़ कर रख दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि आज प्रदेश के सभी जिले ओरेंज जोन में पहुंच गए है।
दमयंती ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के आदेश ठुकराकर पाई प्रतिनियुक्तिः मोर्चा
दमयंती ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के आदेश ठुकराकर पाई प्रतिनियुक्तिः मोर्चा
- मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री ने नहीं दी थी प्रतिनियुक्ति पर सहमति
- दमयंती रावत भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर तैनात
- मूल विभाग है इनका शिक्षा विभाग
- प्रतिनियुक्ति के पीछे करोड़ों के बजट को ठिकाने लगाना है उद्देश्य
- बिना एनओसी प्रतिनियुक्ति कैसे संभव, कहां है सरकार का जीरो टोलरेंस!
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने कहा कि श्रम विभाग के अंतर्गत भवन निर्माण एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड (बीओसीडब्ल्यू) में वर्ष 2018 से सचिव पद पर तैनात श्रीमती दमयंती रावत ने बिना अपने मूल विभाग (शिक्षा विभाग) से एनओसी प्राप्त किए श्रम मंत्री से सांठगांठ एवं नजदीकी का फायदा उठाकर बीओसीडब्ल्यू में प्रतिनियुक्ति हासिल की। इससे पूर्व श्रीमती दमयंती वर्ष 2017 से ही अपर कार्याधिकारी, बीओसीडब्ल्यू के पद पर बनी हुई थी।
महत्वपूर्ण है कि शिक्षा विभाग से बिना एनओसी प्राप्त किए अन्य विभाग में इन्होंने कैसे प्रतिनियुक्ति हासिल की! जबकि मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री अपने आदेश दिनांक 9/01/18 के द्वारा उक्त प्रतिनियुक्ति संबंधी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं तथा बाकायदा सचिव, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अपने आदेश दिनांक 16/01/18 के द्वारा एनओसी पर असहमति जताई थी यानि मना कर दिया गया था।
हैरानी की बात है कि लगभग ढाई-तीन वर्षों से बिना एनओसी के आज तक सचिव के पद पर बनी हुई हैं, जोकि जीरो टोलरेंस का फर्जी नारा देने वाली सरकार के मुंह पर तमाचा है। शर्मा ने कहा कि उक्त मामले में न तो आज तक शिक्षा विभाग ने इन को बर्खास्त कर कोई कार्रवाई की और न ही श्रम विभाग ने इनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त की। पूर्व में कृषि विभाग के अधीन इनका प्रतिनियुक्ति मामला भी आज तक विवादित है।
इसके साथ-साथ चौंकाने वाली बात यह है कि इस प्रतिनियुक्ति के खेल के पीछे करोड़ों रुपए का बजट ठिकाने लगाना है, जिसके द्वारा श्रमिकों को करोड़ों रुपए की घटिया साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट, सोलर लालटेन आदि के वितरण एवं खरीद में घोटाला कर करोड़ों रुपए की काली कमाई अर्जित करनी है। जन संघर्ष मोर्चा ने सरकार से मांग की है कि प्रतिनियुक्ति मामले में तत्काल कार्रवाई करे।
गड़करी ने चंबा सुरंग का उद्घाटन किया
गड़करी ने चंबा सुरंग का उद्घाटन किया
संवाददाता
चंबा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चारधाम परियोजना के तहत चंबा सुरंग से वाहन रवानगी आयोजन का उद्घाटन किया। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने ऋषिकेश-धरासू राजमार्ग (एनएच 94) पर व्यस्त चंबा शहर के नीचे 440 मीटर लंबी सुरंग खोदकर यह प्रमुख उपलब्धि हासिल की है। कोविड-19 के खतरे और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच सुरंग खोदने का काम सफलतापूर्वक पूरा किया गया। सुरंग का निर्माण कार्य दरअसल कमजोर मिट्टी, पानी के निरंतर रिसने, शीर्ष पर भारी निर्मित क्षेत्र रहने के कारण मकानों के ढहने की आशंका, भूमि अधिग्रहण के मुद्दों, कोविड लॉकडाउन के दौरान लगाए गए विभिन्घ्न तरह के प्रतिबंधों, इत्यादि को देखते हुए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चारधाम परियोजना के तहत चंबा सुरंग से वाहन रवानगी आयोजन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में इस ऋषिकेश-धरासू-गंगोत्री मार्ग की सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक दृष्टि से अत्घ्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि इस सुरंग के खुलने से चंबा शहर के रास्घ्ते में भीड़-भाड़ कम हो जाएगी एवं दूरी एक किलोमीटर कम हो जाएगी और इस शहर से होकर गुजरने में पहले के तीस मिनट की तुलना में अब केवल दस मिनट ही लगेंगे। गडकरी ने कुछ दुर्गम इलाकों में काम करने और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए बीआरओ की सराहना की। गडकरी ने कहा कि उन्हें इस परियोजना के निर्धारित समय से तीन महीने पहले ही यानी अक्टूबर 2020 तक पूरा हो जाने के बारे में सूचित किया गया है।
सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि बीआरओ ने इस सुरंग के उत्तर पोर्टल पर काम जनवरी 2019 में ही शुरू कर दिया था, लेकिन सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और मुआवजे के मुद्दे के कारण स्थानीय लोगों की ओर से किए गए व्घ्यापक प्रतिरोध की वजह से दक्षिण पोर्टल पर काम अक्टूबर 2019 के बाद ही शुरू करना संभव हो पाया था। समय के इस नुकसान की भरपाई करने के लिए दिन एवं रात की पालियों में काम करने के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का उपयोग करने से ही यह सफलता संभव हो पाई है।
गौर हो कि बीआरओ प्रतिष्ठित चारधाम परियोजना में एक महत्वपूर्ण हितधारक है और इस सुरंग को खोदने में सफलता टीम शिवालिक ने हासिल की है। इसके निर्माण में नवीनतम ऑस्ट्रियाई प्रौद्योगिकी का उपयोग किया गया है। यह सुरंग पूर्ण होने की निर्धारित तिथि से लगभग तीन महीने पहले ही इस साल अक्टूबर तक यातायात के लिए खोल दी जाएगी।
सोमवार, 25 मई 2020
200 से ज्यादा शहरों में शुरू हुई जीओमार्ट की सर्विस
200 से ज्यादा शहरों में शुरू हुई जीओमार्ट की सर्विस
जीओमार्ट में प्राडक्ट्स पर मिल रही 50 फीसदी तक की छूट
प0नि0डेस्क
देहरादून। मुकेश अंबानी का आनलाइन ग्रासरी वेंचर जीओमार्ट 200 से ज्यादा शहरों में शुरू हो चुका है। अभी तक यह महाराष्ट्र के नवी मुंबई, थाणे और कल्याण में आपरेशनल था। रिलायंस रिटेल में ग्रासरी रिटेल के सीईओ दामोदर माल ने ट्वीट किया है कि जियोमार्ट अब देश के 200 से ज्यादा शहरों में सामान की डिलीवरी कर रहा है। जीओ मार्ट पर डाले गए पिन कोड्स दर्शाते हैं कि जियोमार्ट कई टीयर 1 व टीयर 2 शहरों जैसे चंडीगढ़, देहरादून, धनबाद, ग्वालियर, कोटा, लुधियाना, सूरत आदि में आपरेशनल हो गया है।
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और अन्य मेट्रो शहरों के ग्राहक भी जियोमार्ट पर आर्डर दे सकते हैं। जियोमार्ट की टक्कर बिगबास्केट, ग्रोफर्स, अमेजन पैन्ट्री, फ्रिलकार्ट सुपरमार्ट आदि से है। जियोमार्ट की वेबसाइट पर भी अन्य आनलाइन मार्केटप्लेस की तरह रजिस्ट्रेशन करा सामान आर्डर किया जा सकता है।
ग्रासरी के अलावा जियोमार्ट पर पर्सनल केयर, होम केयर और बेबी केयर प्राडक्ट भी आर्डर किए जा सकते हैं। कंपनी चुनिंदा प्राडक्ट्स पर मिनिमम 5 फीसदी और मैक्सिमम 50 फीसदी छूट की भी पेशकश कर रही है। जियोमार्ट के मुताबिक आर्डर की डिलीवरी दो दिन के अंदर होती है लेकिन आर्डर्स में बढ़ोत्तरी के चलते इसमें देरी हो सकती है। जियोमार्ट पर आर्डर करते समय यूजर जियोमनी वालेट से भुगतान कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य मोबाइल वालेट्स, कार्ड, नेट बैंकिंग से पेमेंट और कैश आन डिलीवरी की भी सुविधा है।
वाट्सऐप के जरिए जियोमार्ट की सर्विस लेने के इच्छुक ग्राहकों को जीओमार्ट के वाट्सऐप नंबर 8850008000 को अपने फोन के कान्टैक्ट में स्टोर करना होगा। ‘hi लिखकर भेजना होगा। इसके बाद यूजर को आर्डर के लिए जियोमार्ट द्वारा एक लिंक मिलता है, जो कि केवल 30 मिनट तक वैलिड रहता है। यह लिंक यूजर को जियोमार्ट के पेज पर ले जाएगा। वहां आर्डर प्लेस करने के लिए यूजर को मोबाइल नंबर, एरिया, लोकैलिटी बताते हुए अपना पूरा पता और नाम डालना होगा। इसके बाद प्राडक्ट लिस्ट आ जाएगी। एक बार आर्डर प्लेस हो जाने के बाद कंपनी इसे वाट्सऐप पर एक स्थानीय ग्रासरी स्टोर/किराना स्टोर से शेयर करती है।
लोगों के दरवाजों तक ‘शाही लीची’ और ‘जर्दालु आम’
लोगों के दरवाजों तक ‘शाही लीची’ और ‘जर्दालु आम’
डाक विभाग का बिहार पोस्टल सर्किल पहुंचाएगा शौकीनों के पास फल
एजेंसी
नई दिल्ली। डाक विभाग और बिहार सरकार के बागवानी विभाग ने लोगों के दरवाजों तक ‘शाही लीची’ और ‘जर्दालु आम’ की आपूर्ति करने के लिए हाथ मिलाया है। बिहार पोस्टल सर्किल ने बिहार सरकार के बागवानी विभाग के साथ मुजफ्रफरपुर से शाही लीची और भागलपुर से जर्दालु आम की लाजिस्टिक्स करने तथा इसकी लोगों के दरवाजों तक प्रदायगी करने के लिए एक करार किया है।
कोरोना वायरस को सीमित करने के लिए लाकडाउन के कारण लीची और आम के उत्पादकों को फलों को बेचने के लिए बाजार तक ले जाने/परिवहन की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोगों के बीच इसकी आपूर्ति एक बड़ी चुनौती बन गई है इसलिए आम लोगों की मांग को पूरी करने और किसानों को उनका फल बेचने के लिए बिना किसी बिचौलिये के सीधे उनका बाजार उपलब्ध कराने के लिए बिहार सरकार के बागवानी विभाग एवं भारत सरकार के डाक विभाग ने इस पहल के लिए हाथ मिलाया है।
मुजफ्रफरपुर की ‘शाही लीची’ और भागलपुर का ‘जर्दालु आम’ अपने अनूठे स्वाद और हर जगह मांग के कारण दुनिया भर में विख्यात है। लोग आनलाइन तरीके से वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर आर्डर पेश कर सकते हैं।
आरंभ में यह सुविधा ‘शाही लीची’ के लिए मुजफ्रफरपुर और पटना के लोगों को तथा ‘जर्दालु आम’ के लिए पटना और भागलपुर के लोगों के लिए उपलब्ध होगी। लीची की बुकिंग न्यूनतम 2 किग्रा0 तथा आम की बुकिंग न्यूनतम पांच किग्रा0 तक के लिए होगी।
आनलाइन बुकिंग तथा दरवाजों तक प्रदायगी की सुविधा उत्पादकों/किसानों को सीधे तौर पर इस नए बाजार में अच्छा लाभ अर्जित करने में मदद करेगी। ग्राहकों को भी कम कीमत पर अपने दरवाजों तक इन ब्रांडेड फलों को प्राप्त करने का लाभ मिलेगा। अभी तक वेबसाइट पर 4400 किग्रा लीची के लिए आर्डर दिए जा चुके हैं। सीजन के दौरान यह एक लाख किग्रा0 तक जा सकता है। आमों के लिए आर्डर मई के अंतिम सप्ताह से आरंभ होंगे।
गूगल क्रोम के सबसे बड़े अपडेट में बेहतरीन फीचर्स
गूगल क्रोम के सबसे बड़े अपडेट में बेहतरीन फीचर्स
प0नि0डेस्क
देहरादून। सर्च इंजन गूगल ने अपने क्रोम ब्राउजर के लिए बड़ा अपडेट जारी किया है। यह अपडेट क्रोम वर्जन 83 में मिलेगा, जिसमें ढेरों नए फीचर्स दिए गए हैं। इसमें सेफ ब्राउजिंग मोड से लेकर बारकोड डिटेक्शन जैसे फीचर्स शामिल हैं। हालांकि इनमें सबसे महत्वपूर्ण ग्रुप टैब का सपॉर्ट है। अगर आपको भी गूगल क्रोम को अपडेट करना है तो ब्राउजर ओपन करके मैन्यू में जाएं, फिर हैल्प में जाकर अबाउट गूगल क्रोम ऑप्शन पर क्लिक करे लें।
ग्रुप टैब फीचरः यह फीचर गूगल क्रोम ब्राउजर पर ओपन की गई टैब्स का ग्रुप बनाने की सुविधा देता है। इसके जरिए ग्रुप में जोड़ी गई सभी टैब्स को एक क्लिक में ओपन कर सकते हो। फीचर का इस्तेमाल करने के लिए टैब हेडर पर राइट क्लिक करें। फिर एड टू न्यू ग्रुप ऑप्शन को चुनें।
सेफ ब्राउजिंग मोड और ज्यादा प्रिवेसीः क्रोम ब्राउजर के लिए नया सेफ ब्राउजिंग मोड दिया गया है। इसके चलते फिशिंग, मैलवेयर और अन्य साइबर अटैक से बचना आसान होगा। इसके अलावा इनकॉग्निटो मोड में पहले से ज्यादा प्रिवेसी मिलेगी। क्रोम इनकॉग्निटो मोड में थर्ड-पार्टी कूकीज को ब्लॉक करने का ऑप्शन देगा। इसके कारण ऑनलाइन विज्ञापनदाता यूजर्स को इन कूकीज के जरिए ट्रैक नहीं कर पाएंगे।
बताएगा पासवर्ड लीक तो नहीं हुआः गूगल क्रोम अब यूजर्स को बताएगा कि उनका पासवर्ड लीक तो नहीं हो गया है। इसके आलावा क्रोम अब बारकोड डिटेक्शन भी सपॉर्ट करेगा। यह तस्वीर में दिए गए बारकोड को डिटेक्ट करके उसे डीकोड करेगा।
नई कुकीज सेटिंगः क्रोम के नए वर्जन में यूजर्स किसी भी साइट के लिए कूकीज को मैनेज और डिलीट कर पाएंगे। यह ब्राउंजिंग को पहले से बेहतर बनाएगा। इससे पहले यह फीचर मोजिला फायर फाक्स में भी आ चुका है। इन सभी फीचर्स के अलावा भी कंपनी ने डिवेलपर्स और यूजर्स के लिए कई नए फीचर्स फेश किए हैं।
आप पार्टी ने लगाया उत्तराखंड में क्वारंटाइन घोटाले का आरोप
आप पार्टी ने लगाया उत्तराखंड में क्वारंटाइन घोटाले का आरोप
प्रदेश सरकार प्रवासियों की जांच और संस्थागत क्वारंटाइन करने में नाकामः पिरशाली
संवाददाता
देहरादून। आम आदमी पार्टी के पूर्व उत्तराखंड अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने कहा कि तमाम खतरों को जानते हुए और हाइकोर्ट के आदेश के बावजूद भी प्रदेश सरकार घर वापसी कर रहे प्रवासियों की राज्य की सीमा में जांच और संस्थागत क्वारंटाइन करने में असमर्थ रही, जिसका नतीजा आज कोरोना राज्य के कोने कोने में पहुंच गया है।
पिरशाली ने कहा कि खबरों से पता चल रहा है कि प्रदेश के कोरोना क्वारंटाइन केंद्रों में सरकार एक व्यक्ति पर एक दिन में 2,440 रुपये खर्च कर रही है, जिसमें 600 रुपये खाने के लिये, 550 साफ सफाई के लिये और 1230 रूपये अन्य खर्चे शामिल हैं। उत्तराखण्ड के क्वारंटाइन केंद्रों की दशा और व्यवस्था देखकर ये बात हजम नही होती है कि सरकार एक व्यक्ति पर एक दिन में 2,440 रुपया खर्च कर रही है।
जहा तक पहाड़ी ग्रामीण क्षेत्रों में क्वारंटाइन केंद्रों की बात है तो ये केंद्र खेतों में झोपड़ियां बना कर, मशरूम या शिमला मिर्च के लिए बनाए गए प्लास्टिक के टेंट अथवा पंचायत घर या स्कूलों में बने हैं और इन क्वारंटाइन केंद्रों का सारा जिम्मा वहां के ग्राम प्रधान को सौपा गया है, जहां तक 2,440 रुपये प्रतिदिन प्रति व्यक्ति खर्च की बात है तो इन ग्राम प्रधानों को अब तक एक रूपया भी नही दिया गया गया। जो लोग क्वारंटाइन हैं वे अपना खर्च खुद उठा रहे हैं या उनके लिए खाना उनके घर वाले दे रहे हैं, बाकी ग्राम प्रधान स्वयं या गांव वालों की सहायता से व्यवस्था कर रहे हैं। देहरादून में बैठकर जो खर्च जारी किया गया है वो गांव के क्वारंटाइन केंद्र से कहीं मेल नही खाता।
उन्होंने कहा कि अब ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब क्वारंटाइन हो रहे व्यक्ति अपना खर्चा खुद उठा रहे हैं, ग्राम प्रधान अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं, उनको एक रुपये का बजट नही दिया गया है तो सोचने वाली बात है कि ये 2,440 रुपये किसकी पेट में जा रहे हैं। अभी की स्थिति का अनुमान लगाकर माना जा रहा है कि लगभग 3 लाख प्रवासी घर वापसी करेंगे और नियमानुसार सभी को 14 दिन तक क्वारंटाइन केंद्र में बिताने हैं। अब ऐसे में 3 लाख लोगों पर 14 दिन के लिए 2,440 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से लगभग 8 अरब 78 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा।
पिरशाली ने कहा कि सरकार बताये कि क्या ग्रामीण क्वारंटाइन केंद्र, ब्लाक, तहसील और जिला स्तर के हर एक क्वारंटाइन केंद्र पर एक जैसा खर्च आ रहा है? सरकार प्रत्येक व्यक्ति पर होने वाले खर्च की विस्तृत जानकारी दे। कही ऐसा तो नहीं है कि राज्य सरकार केंद्र से दो किश्तों में मिलने वाले लगभग 1000 करोड़ रूपये को ठिकाने लगाने का प्रबंध कर चुकी है?
वाहनों के दस्तावेज 30 जून तक वैधता की एडवाजरी
वाहनों के दस्तावेज 30 जून तक वैधता की एडवाजरी
शुल्क भुगतान की वैधता, शुल्क भुगतान की अवधि में विस्तार के लिए अधिसूचना
एजेंसी
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय की पत्र संख्या 40-3/2020-डीएम-1(ए) दिनांक 24 मार्च के तहत जारी दिशा-निर्देशों और उसके बाद कोविड-19 के प्रकोप की वजह से पूरी तरह लाकडाउन लागू करने के संबंध में किए गए संशोधनों के आलोक में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम, 1989 से संबंधित दस्तावेजों की वैधता के विस्तार के संबंध में 30 मार्च को एक एडवाइजरी जारी की थी। इसमें प्रवर्तन अधिकारियों को यह सलाह दी गई थी कि जिन दस्तावेजों की वैधता में विस्तार नहीं दी जा सकी या लाकडाउन की वजह से नहीं दी जा सकती है और जिनकी वैधता 1 फरवरी को समाप्त हो गई या 30 जून तक समाप्त हो जाएगी, उन दस्तावेजों को 30 जून तक वैध माना जाए।
सरकार की जानकारी में यह भी आया है कि देश में लाकडाउन लागू होने और सरकारी परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) के बंद रहने की वजह से केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के नियम 32 और 81 में निर्दिष्ट विभिन्न शुल्कों और विलंब शुल्कों को लेकर लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे मामले भी हैं जिनमें सेवा या नवीकरण के लिए शुल्क का भुगतान पहले ही कर दिया गया है लेकिन लाकडाउन की वजह से प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी। वहीं ऐसे भी मामले हैं जहां आरटीओ बंद रहने की वजह से लोग शुल्क जमा नहीं करा पा रहे हैं।
कोविड-19 के दौरान लोगों की सुविधा के उद्देश्य से सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक वैधानिक आदेश जारी किया है जिसमें यह बताया गया है कि दस्तावेजों के नवीकरण सहित किसी गतिविधि के लिए 1 फरवरी या उसके बाद शुल्क जमा कर दिया गया और कोविड-19 महामारी की रोकथाम से उभरी स्थितियों की वजह से वह गतिविधि नहीं की जा सकी तो जमा किया हुआ शुल्क अब भी वैध माना जाएगा और यदि शुल्क जमा करने में एक फरवरी से लाकडाउन की अवधि तक विलंब हुआ है तो ऐसे विलंब के एवज में 31 जुलाई तक किसी भी तरह का अतिरिक्त या विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा।
रविवार, 24 मई 2020
कोरोना महामारी के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे वृक्षमित्र
कोरोना महामारी के प्रति लोगों को जागरूक कर रहे वृक्षमित्र
ताकि कोरोना महामारी से गांव का आम जनमानस सुरक्षित रह सके
संवाददाता
टिहरी गढ़वाल। कोरोना महामारी के कारण जहां शहरी क्षेत्र प्रभावित हैं वहीं गांव भी सुरक्षित नही रह गए हैं। ऐसे में जन-जन को कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए जागरुक होने की आवश्यकता है। राजकीय इण्टर कालेज मरोड़ा सकलाना में कार्यरत एनएसएस प्रभारी वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने मरोड़ा, हटवालगांव, लामकाण्डे व क्षेत्रा पंचायत हटवाल गांव के जनप्रतिनिधियों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए जागरूक किया ताकि इस कोरोना महामारी से गांव का आम जनमानस सुरक्षित रह सके।
वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा कि गांव के लोगों की सुरक्षा में प्रधानों व क्षेत्राीय जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका है और उनके द्वारा सराहनीय कार्य भी किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में इस कोरोना महामारी से बचाव के लिए हमें जागरुक होने की जरूरत है। जागरुकता व सावधानी ही इस बीमारी की बचाव की दवाई है। इसके लिए 2 गज की सामाजिक दूरी बनाए रखने, समय-समय पर हाथ धोने, किसी भी कार्य पर निकलने पर मुंह में मास्क लगाने, एक दूसरे से हाथ न मिलाने तथा किसी भीड़-भाड़ वाले जगह पर नहीं जाना ही कोविड-19 का बचाव है इसके लिए आम जनमानस को जागरुक होने की जरुरत है ताकि यह महामारी ग्रामीण क्षेत्रों में ना पहंुचे और गांव के लोग सुरक्षित रह सके।
क्षेत्र पंचायत सदस्य हटवाल गांव सरिता रावत ने कहा कि गांव की सुरक्षा की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की हैं। हमारी प्राथमिकता गांव की सुरक्षा के साथ साथ गांव के लोगांे को स्वास्थ्य भी रखना है जिसके लिए हम तत्परता के सेवा में लगे हैं।
जन जागरूकता कार्यक्रम में प्रधान हटवाल गांव सुनीता हटवाल गांव, प्रधान मरोड़ा नीलम देवी, प्रधान लामकण्डे भूपेंद्र सिंह मनवाल, सामाजिक कार्यकर्ता गोविंद सिंह रावत, नवीन भारती अध्यापक, मनोज सकलानी लिपिक, राजेश, पंचम हटवाल आदि मौजूद रहे।
मिशन सागरः मारीशस के पोर्ट लूइस पर आईएनएस केसरी
मिशन सागरः मारीशस के पोर्ट लूइस पर आईएनएस केसरी
एजेंसी
चैन्नई। मिशन सागर के तहत भारतीय नौसेना पोत केसरी ने मारीशस के पोर्ट लुइस में प्रवेश किया। भारत सरकार कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए मित्रवत देशों को सहायता प्रदान कर रही है और उसी इस दिशा में आगे बढ़ते हुए भारतीय नौसेना पोत केसरी मारीशस के लोगों के लिए कोविड से संबंधित आवश्यक दवाओं और आयुर्वेदिक दवाओं की एक विशेष खेप के साथ पहुंचा है।
इसके अलावा एक 14-सदस्यीय विशेषज्ञ मेडिकल टीम को भी इस जहाज के जरिये भेजा गया जो मारीशस में अपने समकक्षों के साथ काम करेगी और कोविड-19 से संबंधित आपात स्थितियों से निपटने में सहायता करेगी। इस मेडिकल टीम में भारतीय नौसेना के डाक्टर और पैरामेडिक्स शामिल हैं। इसके अलावा इस टीम में एक सामुदायिक चिकित्सा विशेषज्ञ, एक पुल्मोनोलाजिस्ट और एक एनेस्थेसियोलाजिस्ट भी शामिल हैं।
भारत सरकार की ओर से मारीशस सरकार को दवाइयां सौंपने के लिए एक आधिकारिक समारोह आयोजित किया गया। मारीशस सरकार की ओर से स्वास्थ्य मंत्राी डा0 कैलाश जगतपाल ने उस खेप को प्राप्त किया। भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व मारीशस में भारत के उच्चायुक्त तन्मय लाल ने किया। मंत्री ने इस समारोह के दौरान भारतीय नौसेना पोत केसरी के कमांडिंग आफिसर कमांडर मुकेश तायल से भी बातचीत की।
मारीशस को दी जा रही सहायता कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर भारत सरकार के आउटरीच कार्यक्रम का हिस्सा है। मिशन सागर ‘सागर’ के पूरे क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिए प्रधानमंत्राी के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
यह मिशन भारत द्वारा आईओआर देशों के साथ संबंधों के महत्व को रेखांकित करता है और कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई मं दोनों देशों के बीच उत्कृष्ट संबंधों का निर्माण करता है। इस अभियान को विदेश मंत्रालय और भारत सरकार की अन्य एजेंसियों के साथ करीबी समन्वय के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी मौसम का पूर्वानुमान
एजेंसी
नई दिल्ली। मानसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) लगातार अक्षांश 5 डिग्री उत्तर/देशांतर 85 डिग्री पूर्व, अक्षांश 8 डिग्री उत्तर/देशांतर 90 डिग्री पूर्व, कार निकोबार, अक्षांश 11 डिग्री उत्तर/देशांतर 95 डिग्री पूर्व के जरिये गुजर रही है।
अगले 4-5 दिनों के दौरान राजस्थान के ऊपर कुछ भागों में गर्म हवा तथा छिटपुट स्थानों पर प्रचंड गर्म हवा की स्थिति तथा पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ तथा दिल्ली एवं विदर्भ के कुछ भागों के ऊपर गर्म हवा की स्थिति के बने रहने का अनुमान है।
अगले 4-5 दिनों के दौरान मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों के ऊपर छिटपुट स्थानों पर गर्म हवा चलने का अनुमान है, अगले तीन दिनो के दौरान, तटीय आंध्र प्रदेश एवं यानम तथा तेलंगाना के ऊपर तथा 24 घंटों के बाद मराठवाड़ा तथा रायलसीमा के ऊपर गर्म हवा की स्थिति बनने का अनुमान है।
24 से 27 मई के दौरान पूर्वाेत्तर राज्यों में भारी से बेहद भारी एवं छिटपुट स्थानों पर अत्यंत भारी वर्षा होने और पूर्वी भारत के समीपवर्ती क्षेत्रों में छिटपुट स्थानों पर भारी से बेहद भारी वर्षा होने का अनुमान है।
26-27 मई, 2020 के दौरान दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ भागों में छिटपुट स्थानों पर भारी वर्षा होने का अनुमान है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 5 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम, मध्य एवं समीवर्ती प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर गर्म से बेहद गर्म हवा की स्थितियों के बनने तथा 25-27 मई, 2020 के दौरान पूर्वात्तर भारत के ऊपर सघन वर्षा गतिविधियों का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।
कोविड-19 से लड़ने के लिये नए प्रोडक्ट साल्यूशन
कोविड-19 से लड़ने के लिये नए प्रोडक्ट साल्यूशन
नीलकमल ने हेल्थकेयर संबंधी आधारभूत संरचना की बढ़ती जरूरतों में सहयोग देने के लिये अपनी उत्पाद श्रृंखला का विस्तार किया
संवाददाता
देहरादून। पफर्नीचर ब्राण्ड नीलकमल ने कोविड क्वारंटीन बेड, 7 पोजिशन आइसोलेशन बेड, वायरस गार्ड पार्टिशन, ट्रैवेल गार्ड पार्टिशन और हैंड वाश स्टेशंस जैसे विशिष्ट उत्पादों की एक व्यापक श्रृंखला पेश की है। इस ब्राण्ड ने क्विक कोविड बेड भी लान्च किया है, जो किफायती है और इसे असेंबल व इंस्टाल करने में 3 मिनट से भी कम का समय लगता है।
वीपी आपरेशंस नीलकमल लिमिटेड अजय अग्रवाल ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने उपयोग में लाए जाने वाले समाधानों की जरूरत को जन्म दिया है ताकि बाजार में आ रहे अंतर को पूरा किया जा सके। नीलकमल ने आगे आकर इस जरूरत को पूरा करने का संकल्प लिया है। यह खोजपरक उत्पाद हमारी रिसर्च एंड डेवलपमेन्ट टीम की देन हैं। उम्मीद है कि यह समाधान इस महामारी के विरूद्व सभी हितधारकों को लाभ देंगे।
नीलकमल ने 2 सप्ताह के रिकार्ड समय में बने अस्थायी आपातकालीन अस्पताल के लिये एमएमआरडीए को 1000 कोविड क्वारंटीन बेड्स, मैट्रेसेस और अन्य फर्नीचर की सफलतापूर्वक आपूर्ति की है। बेड्स समेत इस इंप्रफास्ट्रक्चर का विकास रोगियों के आराम और सुविधा को ध्यान में रखकर किया गया है।
नीलकमल का कोविड क्वारंटीन बेड इस्तेमाल में आसान हैं। इन्हें स्टोर किया जा सकता है और एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसमें कोई सामान रखा जा सकता है। इसे खाना खाने के लिए या बेड के साइड में रखी हुई टेबल के रूप में उपयोग किया जा सकता है। नीलकमल के क्वारंटीन और आइसोलेशन बेड्स का उपयोग विभिन्न राज्यों जैसे झारखण्ड, सोलापुर, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और ठाणे के अस्पतालों में किया जा रहा है।
नीलकमल 7 पोजिशन आइसोलेशन बेड में आक्सीजन सिलेंडर और सलाइन हुक लगाया जा सकता है, क्योंकि यह 65 डिग्री तक झुक सकता है। इसमें 360 डिग्री की सुरक्षात्मक पारदर्शी कवरिंग है, ताकि वायुजनित संचरण न हो और वेंटिलेशन के लिए यह उपर से खुल भी सकता है। इसमें पाउडर-कोटेड मेटल प्रफेम है और नाकडाउन असेंबली पफीचर भी है।
नीलकमल का क्विक कोविड बेड टिकाऊ और सस्ता है। इसे 3 मिनट में असेंबल किया जा सकता है। इसे साफ करना और डिसइंफेक्टेन्ट्स से सैनिटाइज करना सरल है और यह 100 प्रतिशत वाटरप्रूपफ और पुनःचक्रण के योग्य है। हल्का होने के कारण इसे कहीं भी आसानी से लाया जा सकता है और इस पर 300 किलोग्राम तक वजन रखा जा सकता है। यह दीमक और जीवाणुओं से भी सुरक्षित है और इसमें कार्ड बोर्ड के बिस्तरों की तरह कोई दुर्गंध नहीं आती है।
वायरस गार्ड कैंटीन और कैफे के लिये टेबलटाप डिवाइडर है, जो संक्रमण फैलने से रोकता है। यह लंबे समय तक चलते हैं, लागत में किफायती हैं और इन्हें फैब्रिकेट और इंस्टाल करना सरल है। इन्हें साफ और सैनिटाइज करना आसान है, किसी भी डिसइंफेक्टेन्ट के लिये क्लिनिकली सुरक्षित है और सभी टेबलों के लिये काम्पैटिबल भी हैं। नीलकमल की नई पेशकश ट्रैवेल गार्ड पार्टिशन है। इसे वायरस का फैलाव जांचने के लिये सार्वजनिक परिवहन की बसों आदि में सीटों के बीच रखा जा सकता है।
नीलकमल हैण्ड वाश स्टेशन उच्च गुणवत्ता के वर्जिन प्लास्टिक से बना है। इसके साफ-सुथरे डिजाइन में पानी का पूरा उपयोग होता है। इसे इंस्टाल करना आसान है और शारीरिक दूरी के जरूरी नियमों को पूरा करता है। यह कम जगह घेरता है और छोटी जगह में इंस्टाल हो सकता है।
लद्दाख में चीन का शक्ति प्रदर्शन
लद्दाख में चीन का शक्ति प्रदर्शन
मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत ने भेजी एक्स्ट्रा फोर्स
लद्दाख में लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल के पास चीन की सेना लगातार क्षमता बढ़ा रही
एजेंसी
लद्दाख। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों ने वहां पर भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती की है। खबरों के मुताबिक गल्वान घाटी में चीन ने पिछले दो हफ्रते के भीतर करीब 100 टेंट गाड़ दिए और बंकरों के निर्माण के भारी उपकरण भेजे हैं। भारत भी पैगोंग झील और गल्वान घाटी में सैनिकों की तैनाती बढ़ा रहा है। कई इलाकों में भारत की पोजिशन चीन से बेहतर है।
चीन ने भारी संख्या में बार्डर डिपफेंस रेजिमेंट के जवानों को तैनात किया है। भारत ने भी मिरर डिप्लायमेंट की रणनीति अपनाई है। चीन ने सैनिकों के अलावा झील में नावों की संख्या भी बढ़ा दी है। हवाई निगरानी के लिए गल्वान घाटी में हेलिकाप्टर्स उड़ रहे हैं। भारत ने लेह की इन्फैट्री डिजिवन की कुछ यूनिट्स को आगे भेजा है। कई और बटालियंस भी लद्दाख में मूव कराई गई हैं। भारतीय सेना ने भी स्पष्ट किया है कि वे अपने क्षेत्र में किसी भी प्रकार की चीनी घुसपैठ की अनुमति नहीं देंगे और उन क्षेत्रों में गश्त को और भी मजबूत करेंगे।
5 मई को पूर्वी लद्दाख में करीब 250 चीनी सैनिक और भारतीय जवान आपस में भिड़ गए। इसमें दोनों ओर से करीब 100 सैनिक घायल हुए। कुछ दिन बाद उत्तरी सिक्किम में फिर दोनों देशों के सैनिक भिड़े। इसके बाद से ही पूर्वी लद्दाख तनाव का केंद्र बना हुआ है।
सीमा पर चीन ने हमेशा सैनिकों की तैनाती रखी है। भारत जरूरत पड़ने पर सैनिक भेजता है। मगर इन दिनों चीन जैसी हरकतें कर रहा है। दोनों देशों की लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की सीमाएं विवादित हैं। भारत कहता है कि एलएसी 3,488 किलोमीटर लंबी है जबकि चीन इसे 2,000 किलोमीटर लंबी ही मानता है। चीन अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं मानता। लद्दाख और सिक्किम में एलएसी से लगे कई इलाकों पर चीन अपना अधिकार जताता है।
दोनों सेनाएं एलएसी पर रेगुलर पैट्रोल करती हैं और कई बार सैनिकों में झड़प होती रहती है। हालांकि 1962 के बाद से हालात इतने तनावपूर्ण नहीं हुए थे कि बात युद्व तक पहुंचे। 2017 में सिक्किम का डोकलाम विवाद जरूर भारत-चीन के बीच तल्खी की वजह बना था मगर करीब ढाई महीने में वो मसला सुलझा लिया गया था।
इस बीच भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवाने ने लद्दाख में 14 कोर के मुख्यालय लेह का दौरा किया और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बलों की सुरक्षा तैनाती की समीक्षा की। उन्होंने उत्तरी कमान (एनसी) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी, 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और अन्य अधिकारियों के साथ एलएसी की जमीनी स्थिति को जाना।
भारत की ओर से चीन के इस आरोप को खारिज करने के बाद कि भारत के सैनिकों ने तनाव शुरू किया और लद्दाख व सिक्किम सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया, सैन्य प्रमुख ने यहां का दौरा किया और जमीनी स्थिति की जानकारी ली।
सीईएनएस द्वारा डिजाइन फेसमास्क उपयोग के लिए प्रोत्साहित करेगा
सीईएनएस द्वारा डिजाइन फेसमास्क उपयोग के लिए प्रोत्साहित करेगा
एजेंसी
नई दिल्ली। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान सेंटर फार नैनो एंड साफ्ट मैटर साईंसेज (सीईएनएस) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने मास्क के एक कप आकार की डिजाइन (पैटेंट दायर) विकसित की है जो बोलते समय मुंह के सामने के हिस्से में पर्याप्त स्थान का सृजन करने में सहायता करती है। बड़े स्तर पर इसका उत्पादन के लिए इसे बंगलुरु स्थित एक कंपनी को अंतरित कर दिया गया है।
इस स्नग फिट मास्क से बोलने में कोई असुविधा नहीं होती है, चश्मे पर कोई फॉगिंग नहीं होती, इसे चारों तरफ से अच्छी तरह से पैक किया जाता है जिससे सांस लेते समय व्यावहारिक रूप से रिसाव की कोई गुंजाइशनहीं रह जाती। इसकी उच्च श्वसन क्षमता इसका एक और महत्वपूर्ण लाभ है जो इसे बिना किसी असुविधा के पहनने में सक्षम बनाता है। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ताओं ने इस प्रकार के फैब्रिक लेयर्स को चुना है कि जिससे केवल इलेक्ट्रिक चार्ज द्वारा ही जो फैब्रिक की ट्रिबोइलेक्ट्रिक प्रकृति के कारण हल्के घर्षण के तहत व्याप्त हो सकते हैं, रोगजनकों के निष्क्रिय हो जाने की संभावना पैदा हो जाती है। इससे संबंधित अग्रिम स्तर के परीक्षण किए जा रहे हैं।
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि हालांकि कोविड-19 प्रोटेक्शन मास्क के लिए एक श्रम दक्ष डिजाइन लंबे समय तक इसके सुगम उपयोग के लिए अनिवार्य है, पर अक्सर कुछ मानक डिजाइनों से आगे इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता। एक अच्छी डिजाइन को किनारों के आसपास अंतर्वेधन तथा रिसाव की अनुभूति को न्यूनतम करना चाहिए लेकिन अपने स्थान को बरकरार रखते हुए इसे सांस लेने और बातचीत करने की सुगमता को अधिकतम बनाना चाहिए। ‘
लोगों को फेस मास्कों के उपयोग की सलाह दी गई है। जहां स्वास्थ्य पेशेवर विशेष और उच्च तकनीकी गुणवत्ता के मेडिकल मास्क का उपयोग कर सकते हैं, आम जनता के लिए मध्यम फिल्टरिंग दक्षता वाले मास्क पर्याप्त होंगे। इसे पहनने में आरामदायक होना चाहिए जिससे कि लोग लंबे समय तक इसे पहनने के लिए प्रोत्साहित हो।
सीईएनएस ने इस प्रौद्योगिकी को दो दशक पूर्व स्थापित बंगलुरु स्थित एक गारमेंट कंपनी कामेलिया क्लोदिंग लिमिटेड को अंतरित कर दिया है। कंपनी की योजना प्रति दिन लगभग एक लाख मास्क का उत्पादन करने और भारत भर में विभिन्न वितरण चैनलों के माध्यम से इसे बेचने की है।
सीआईआई नार्दन रीजन द्वारा सर्वेक्षण
उत्तर भारत में सीआईआई नार्दन रीजन द्वारा सर्वेक्षण
कोविड-19 के प्रभावों ने पर्यटन के क्षेत्र में अल्पावधि के लिए गहरी छाप छोड़ीः सीआईआई
संवाददाता
देहरादून। उत्तर भारत के 7 राज्यों तथा 3 केंद्र शाषित प्रदेशों में सीआईआई नार्दन रीजन द्वारा कराये गए कोविड-19 के प्रभावों और उसके परिणाम स्वरुप पर्यटन तथा आतिथ्य के क्षेत्र में लगे लाक डाउन पर किये गए सर्वेक्षण के अनुसार ऐसा माना जा सकता है कि कोविड-19 के प्रभावों ने पर्यटन के क्षेत्र में अल्पावधि के लिए एक गहरी छाप छोड़ी है।
इस सर्वेक्षण में दो-तिहाई उत्तरदाताओं ने लाक डाउन के 3 महीने के भीतर यात्रा की सम्भवता जताई है। उत्तरदाताओं ने घरेलू यात्राओं को अधिक महत्ता दी है वहीं विदेश यात्रा को सिर्फ 1.4 फीसदी ही प्राथमिकता मिली है। वायरस के काबू होने बाद भी कोविड-19 के प्रभाव के चलते अधिकांश उत्तरदाताओं का मत है कि विदेश यात्रा को प्राथमिकता दे पाना संभव नहीं होगा। छोटी जगह पर अधिक लोगो की एकत्रता के कारण, हवाई अड्ढा, क्रूज लाइनें तथा एयरलाइन्स को अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
सोशल डिस्टन्सिंग, हाइजीन मानकों आदि के सन्दर्भ में परिभाषित नया सामान्य की अवधारणा भी इस सर्वेक्षण में परिलक्षित होती है। रहने के स्थान के दृष्टिकोण से हाइजीन मानक सर्वाधिक महत्वपूर्ण मापदंड है। हालांकि यह हमेशा से ही महत्वपूर्ण था परन्तु सर्वेक्षण यह बताता है कि यात्रियों के सोचने के नजरिये से यह और भी महत्वपूर्ण बन गया है। इस सर्वेक्षण में 1/5 फीसदी उत्तरदाताओं ने आरोग्य सेतु ऐप को प्राथमिकता दी है और साथ ही साथ ही यह भी बताया है कि यात्री पर्यटन स्थल के चुनाव करते समय यह जरूर देखेंगे की उस क्षेत्र में कोविड-19 का कितना प्रभाव रहा है।
सर्वेक्षण यह भी दर्शाता है कि अभी भी लोग पर्यटन को पुनरुत्थान के माध्यम के रूप में देख रहे है जो कि इस क्षेत्र में व्याप्त अपार सम्भावनाओं को दर्शाता है।
सीआईआई नार्दन रीजन के चेयरमैन निखिल साहनी ने इस सर्वेक्षण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सम्भवता पर्यटन क्षेत्र सबसे पहले प्रभावित होने तथा सबसे आखिरी में उभरने वाला क्षेत्र होगा। दूर दराज के क्षेत्रों में भी यह सबसे अधिक रोजगार सृजन करने वाला क्षेत्र है। सरकार द्वारा अन्य योजनाओ के साथ साथ पर्यटन तथा आतिथ्य के क्षेत्र को भी राहत पैकेज के तहत समाहित करना काफी महत्वपूर्ण है। पर्यटन तथा आतिथ्य क्षेत्र रोजगार सृजन, कर के माध्यम से राजस्व प्रदान करने आदि के दृष्टिकोण से राज्य तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सहायक सिद्व होते है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र संपूर्ण विश्व में बुरी तरह से प्रभावित हुआ है परन्तु देखना यह है की किस प्रकार से यह स्वयं को पुनर्जीवित करता है।
सीआईआई नार्दन रीजन के पर्यटन तथा आतिथ्य कमिटी के चेयरमैन अंकुर भाटिया ने कहा कि इस यह आपदा स्वरुप तथा माप दोनों ही रूप से अभूतपूर्व है जिसको नियन्त्रित करने के रूप से हमारी दक्षता पर्याप्त नहीं है। इस सर्वेक्षण के परिणाम इस संकट के दौरान पर्यटन तथा आतिथ्य क्षेत्र के अस्तित्व को बचाने से लेकर उसके पुनरुथान तक लिए जाने वाले सभी अहम् निर्णयों में मददगार साबित होगा।
यह सर्वेक्षण उत्तर भारत के 7 राज्यों तथा 3 केंद्र शासित प्रदेशों के मध्य कराया गया है जिसमे चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू कश्मीर, तथा लद्दाख शामिल है।
शुक्रवार, 22 मई 2020
राहत के नाम पर सरकार कर रही भद्दा मजाकः मोर्चा
राहत के नाम पर सरकार कर रही भद्दा मजाकः मोर्चा
पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को सरकार ने एक-एक हजार रुपए राहत राशि देने की कही है बात
इस नौटंकी के बजाय उनके कारोबार/आजीविका पर ठोस मंथन करने की है जरूरत
पर्यटन व्यवसाय को अगले साल तक झेलनी है मंदी की मार
परिवार के मुखिया पर है भारी जिम्मेदारियों का बोझ
नौटंकी करने के बजाय सरकार, प्रदेश के लोगों की दिक्कतों को दूर करने की दिशा में उठाए ठोस कदम
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश की महादानी व मानसिक रूप से विक्षिप्त सरकार ने पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को एक-एक हजार राहत राशि देने की घोषणा की है, जोकि एक भद्दा मजाक है। सरकार को चाहिए कि अपनी उपलब्धियों के झूठे विज्ञापनों पर प्रतिवर्ष खर्च होने वाला करोड़ों रुपया जनता का दर्द दूर करने में लगाए।
नेगी ने कहा कि ये उद्योग वर्ष में दो-चार महीने ही चलता है तथा इसी व्यवसाय के सहारे ये लोग वर्ष भर अपने परिवार की आजीविका चलाते हैं। चूंकि पर्यटन उद्योग इस महामारी व मंदी के कारण अगले साल तक लगभग ठप्प हो गया है तो ऐसे में सरकार को एक ठोस राहत राशि इन लोगों को प्रदान करनी चाहिए थी, लेकिन हैरानी की बात है कि समाचार पत्रों में छपवाया जा रहा है कि इस घोषणा से इन लोगों में खुशी की लहर है। बड़े शर्म की बात है कि 1000 रूपये की रकम में 15-20 दिन के लिए दूध भी नहीं आता। मोर्चा सरकार से मांग करता है की आवश्यक आवश्यकताओं यथा बिजली, पानी, बच्चों की फीस इत्यादि स्वयं वहन कर इनकी चिंता दूर करने की दिशा में काम करे।
सेना की योजना- नागरिक तीन साल के लिए बनेंगे सैनिक
सेना की योजना- नागरिक तीन साल के लिए बनेंगे सैनिक
सेना ने ‘टूअर ऑफ डयूटी’ के नाम से एक प्रस्ताव तैयार किया
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। थल सेना के मुताबिक यह नौकरी स्वैच्छिक होगी। ऐसे युवाओं के लिए यह फायदेमंद साबित होगा, जो सेना में 10 साल के लिए नहीं आना चाहते। लेकिन इसके लिए गुणवत्ता में कोई समझौता होगा। उम्र की सीमा और डिग्री वही होगी और साथ में प्रशिक्षण में कोई समझौता नहीं होगा।
वित्तीय तौर पर इसे सेना के लिए लाभकारी बताया जा रहा है। तीन साल के लिए अगर कोई युवा सेना में शामिल होता है तो वित्तीय भार कम पड़ेगा। कई तरह के भत्ते, ग्रेच्युटी, पेंशन जैसी सुविधाएं देने से सेना बच जाएगी। अगर कोई अधिकारी दस साल बाद सेना छोड़ता है तो उस पर सेना को करीब पांच करोड़ खर्च आता है। इसी तरह 14 साल तक सेना में कोई अधिकारी रहता है तो उसपर करीब पौने सात करोड़ खर्च आता है। अगर कोई तीन साल तक अधिकारी रहता है तो उसपर 80 से 85 लाख रुपए का ही खर्च आएगा। सेना ने यह फैसला एक अध्ययन के आधार पर किया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कई युवा ऐसे हैं जो कुछ साल के लिए वर्दी पहनना चाहते हैं, लेकिन इसे अपना करिअर नहीं बनाना चाहते। यह प्रस्ताव सेना में अधिकारी स्तर पर अफसरों की कमी को पूरा करने के लिए दिया गया है। गौर हो कि सेना में 40,000 अफसर होने चाहिए, लेकिन अफसरों की भारी कमी है। जूनियर रैंक के अफसरों में दो-ढाई हजार पद खाली पड़े हुए हैं।
सेना का मानना है कि आजकल युद्ध की जगह कम तीव्रता वाले संघर्ष ज्यादा होते हैं और उनमें जूनियर अफसरों की अहम भूमिका होती है। जूनियर अधिकारियों के रैंक पर ऐसे लोगों की भर्ती की जरूरत अरसे से महसूस की जा रही है, जो युवा हों और तंदुरुस्त हों। अनुमान है कि तीन साल की योजना के जरिए सेना 1,100 सैनिकों पर 11,000 करोड़ रुपए बचा पाएगी, जिनका इस्तेमाल सेना की दूसरी जरूरतें पूरी करने के लिए किया जा सकेगा।
साथ ही युवाओं को तीन साल बाद सरकारी और कॉरपोरेट नौकरियों में भी प्राथमिकता मिलेगी। उच्च तकनीकी और ऑटोमेशन के इस युग में दुनिया का जोर सैन्य बलों की संख्या कम करके उनका तकनीकी कौशल और मैदानी दक्षता बढ़ाने पर है। ऐसे स्मार्ट सैनिक विकसित करने का है, जो कई स्रोतों से आ रही सूचनाओं का उपयोग करते हुए अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों के बल पर अपने काम को बेहतर ढंग से अंजाम दे सकें।
भूलने की बीमारी को भूल जायेंगे
भूलने की बीमारी को भूल जायेंगे
आईआईटी गुवाहाटी ने अल्जाइमर के कारण भूलने की आदत रोकने के नये तरीकों का पता लगाया
एजेंसी
गुवाहाटी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने ऐसी सृजनात्मक सोच पर काम किया है जो अल्जाइमर रोग से जुड़ी भूलने की आदत को रोकने या कम करने में मदद कर सकते हैं।
अनुसंधान दल का नेतृत्व बायोसाइंसेज एंड बायोइंजीनियरिंग विभाग आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर वाइबिन रामकृष्णन, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग आईआईटी गुवाहाटी के प्रोफेसर हर्षल नेमाड़े ने किया। उन्होंने अल्जाइमर के न्यूरोकेमिकल सिद्धांतों का अध्ययन किया और मस्तिष्क में न्यूरोटॉक्सिक अणुओं का संचय रोकने के नए तरीकों की खोज की जो भूलने की आदत से जुड़े हैं।
आईआईटी गुवाहाटी टीम ने कम वोल्टेज वाले विद्युत क्षेत्र के अनुप्रयोग और मस्तिष्क में न्यूरोटॉक्सिक अणुओं को एकत्र होने से रोकने के लिए ‘ट्रोजन पेप्टाइड्स’के उपयोग जैसे दिलचस्प तरीकों की जानकारी की। वैज्ञानिकों को उनके कार्यों में शोध छात्र डा0 गौरव पांडे और श्री जाहनु सैकिया ने सहायता की। उनके अध्ययनों के परिणाम एसीएस केमिकल न्यूरोसाइंस, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के आरएससी एडवांस, बीबीए और न्यूरोपेप्टाइड जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
अल्जाइमर रोग का इलाज भारत में विकसित करने का महत्व है क्योंकि चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में अल्जाइमर के रोगियों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या भारत में है। भारत में 40 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर से जुड़ी भूलने की आदत के शिकार हैं। वर्तमान उपचारों में केवल रोग के कुछ लक्षण कम हो जाते हैं, फिर भी चिकित्सा संबंधी कोई ऐसी विध्वंसक पद्धति नहीं है जो अल्जाइमर के अंतर्निहित कारणों का इलाज कर सकती हो।
डा0 रामाकृष्णन का कहना है कि अल्जाइमर रोग के इलाज के लिए लगभग सौ संभावित दवाएं 1998 और 2011 के बीच विफल रही हैं, जो समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। अल्जाइमर का एक निर्धारक हॉलमार्क मस्तिष्क में एमीलॉइड बीटा पेप्टाइड्स का संचय है। डा0 रामाकृष्णन और डा0 नेमाड़े ने अल्जाइमर की प्रगति को रोकने के लिए इन पेप्टाइड्स के संचय को कम करने के तरीकों की तलाश की।
2019 में आईआईटी गुवाहाटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि कम-वोल्टेज, सुरक्षित विद्युत क्षेत्र के अनुप्रयोग से विषाक्त न्यूरोडीजेनेरेटिव अणुओं का निर्माण और संचय कम हो सकता है जो अल्जाइमर रोग में भूलने का कारण बनते हैं। उन्होंने पाया कि बाहरी विद्युत/चुंबकीय क्षेत्र इन पेप्टाइड अणुओं की संरचना को व्घ्यवस्थित करता है, जिससे एकत्रीकरण को रोका जा सकता है।
डा0 रामाकृष्णन ने कहा कि विद्युत क्षेत्र के संपर्क में आने पर हम तंत्रिका कोशिकाओं के पतन को 17-35 प्रतिशत तक सीमित कर सकते हैं। डा0 रामाकृष्णन का कहना है कि इस बीमारी की शुरुआत में लगभग 10 साल की देरी होगी।
इस क्षेत्र में आगे काम करते हुए वैज्ञानिकों ने इन न्यूरोटॉक्सिन अणुओं के एकत्रीकरण को रोकने के लिए ‘ट्रोजन पेप्टाइड्स ’का उपयोग करने की संभावना का पता लगाया। ‘ट्रोजन पेप्टाइड ’का उपयोग करने का विचार पौराणिक ट्रोजन हॉर्स से आता है, जिसका ट्रॉय की लड़ाई में यूनानियों नेदांव-पेच के रूप में इस्तेमाल किया था। शोधकर्ताओं ने ट्रोजन पेप्टाइड्स को अमाइलॉइड पेप्टाइड के एकत्रीकरण को रोकने के लिए ‘छल-कपट’ के समान दृष्टिकोण को अपनाते हुए, विषाक्त फाइब्रिलर संयोजन का गठन रोकने और भूलने की आदत की ओर ले जाने वाली तंत्रिका की विषाक्तता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया है।
परियोजना समन्वयक डा0 रामकृष्णन और डा0 नीमेड ने कहा कि हमारे शोध ने एक अलग रास्ता प्रदान किया है जो अल्जाइमर रोग की शुरुआत की अवधि को बढ़ा सकता है। हालांकि इस तरह के नए चिकित्सीय दृष्टिकोणों को मानव उपचार में लाने से पहले पशु मॉडल और नैदानिक परीक्षणों में इसका परीक्षण किया जाएगा।
उत्तराखंड सूचना आयोेग में आडियो/वीडियो कांप्रफेंसिंग से सुनवाई
उत्तराखंड सूचना आयोेग में आडियो/वीडियो कांप्रफेंसिंग से सुनवाई
प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त से शिकायत के बाद उक्त आदेश जारी
संवाददाता
काशीपुर। कोविड-19 के संक्रमण के दृष्टिगत भारत सरकार द्वारा देश में लाकडाउन घोषित किये जाने के फलस्वरूप उत्तराखंड सूचना आयोेग में 23 मार्च से सूचना का अधिकार अध्निियम 2005 के तहत प्राप्त द्वितीय अपीलों/शिकायतों की सुनवाई नहीं की जा रही है। आयोग के द्वारा प्राप्त द्वितीय अपीलों/शिकायतों की सुनवाई 22 मई से ऑडियो/वीडियो कॉन्प्रफेंस के माध्यम से किये जाने का निर्णय लिया गया हैै। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने सूचना आयोग के इस निर्णय का स्वागत किया हैै।
विगत 14 मई को 2005 से ही सूचना अधिकार कानून लागू कराने के लिये संघर्षरत सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोेकेट ने उत्तराखंड कोरोना काल मेें मोबाइल, इंटरनेट के माध्यम से सूचना का अधिकार लागू करने की मांग की थी जैैसे कि केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारियों के मामले में केन्द्रीय सूचना आयोेग नेे निर्देश दिये हैै। इस सम्बन्ध में ई-मेल व व्हाट्सएप्प से मुख्य सूचना आयुक्त को शिकायत व सुझाव भेेजे गये थे। इसके उपरान्त उत्तराखण्ड सूचना आयोग ने आदेश जारी करके इसका विवरण आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध कराया गया है।
आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार ऑडियो/वीडियो कांप्रफेंस के माध्यम से सुनवाई हेतु अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता को अपना मोबाइल नंबर, ईमेल आयोग को डाक द्वारा या आयोग की ईमेल पर उपलब्ध कराया जाना आवश्यक होगा। अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता चाहें तो अपना लिखित अभिकथन भी डाक/दूरभाष/ईमेल से आयोेग को प्रेेषित कर सकते हैं। यदि अपीलकर्ता/शिकायतकर्ता अपने लिखित अभिकथन के आधर पर द्वितीय अपील/शिकायत की सुनवाई हेतु सहमत हैं, तो वे अपना सहमति पत्र आयोग को डाक/ईमेल/फैक्स केे द्वारा प्रेषित कर सकते हैं।
कोविड-19 केे संक्रमण के दृष्टिगत द्वितीय अपील/शिकायत की सुनवाई ऑडियो/वीडियो के माध्यम से सुचारू रूप से की जा सकें इस हेतु उत्तराखंड राज्य के समस्त लोक प्राधिकारियों से भी विभाग में नामित लोक सूचना अधिकारियों/विभागीय अपीलीय अधिकारियोें की अद्यतन सूची जिसमें लोक सूचना अधिकारी व विभागीय अपीलीय अधिकारी का नाम, पदनाम, पत्राचार का पता के साथ-साथ संपर्क हेतु दूरभाष/मोबाइल नंबर तथा ईमेल आईडी का विवरण भी आवश्यक रूप से आयोग को ईमेल के माध्यम से प्र्रेषित किया जाना अपेक्षित है।
गुरुवार, 21 मई 2020
बेड के लिए परफेक्ट चादर खरीदने में काम आयेंगी यह टिप्स
बेड के लिए परफेक्ट चादर खरीदने में काम आयेंगी यह टिप्स
प0नि0डेस्क
देहरादून। आमतौर पर लोग बेड के गद्दे लेते समय पूरी जानकारी ले लेते हैं लेकिन जब बात चादर की आये तो इसे हल्के में लेते हैं। लेकिन क्या जानते हैं कि अच्छी नींद के लिए जितना जरूरी अच्छा गद्दा है उतनी ही जरूरी चादर भी है।
आप बेड के लिए सही चादर चुन सकें, इसके लिए कुछ टिप्स आपके काम आ सकते है। पहली बात फैब्रिक का सही सिलेक्शन करना होता है। यह इसलिए जरूरी होता है कि क्योंकि बेडशीट का कपड़ा शरीर के संपर्क में आएगा। चादर सुंदर होने के साथ कंफर्टेबल भी होना चाहिए। इस लिहाज से काटन की चादर बेस्ट है। काटन न सिर्फ स्किन के अगेंस्ट कंफर्टेबल रहता है बल्कि यह ब्रिदेबल फैब्रिक भी माना जाता है, जो नमी इकट्ठा नहीं करता।
चादर लेते समय बेड का साइज और साइड में कितनी चादर छोड़नी है, इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए बेडशीट सिलेक्ट करें। आमतौर पर अगर मार्केट से चादर लेते हैं तो पैकेट पर ही साइज लिखा होता है, जो काम को आसान कर सकता है। हालांकि अगर बिना पैकेट वाली चादर लेते हैं तो नाप का ध्यान जरूर रखें।
सफेद रंग की खासियत होती है कि यह शांत करने में मदद करता है। यही इफेक्ट सफेद चादर भी क्रिएट करती है। यह ज्यादा रिलैक्सिंग फीलिंग के साथ ही मूड को शांत करने में मदद करती है। वहीं कलरफुल चादर रूम में चियरफुल फील क्रिएट करती है। बात करें स्ट्राइप चादर की तो यह रूम को व्यवस्थित दिखाने में मदद करती है।
कई बार चादर लेने के बाद एक ही वाश में सारे कलर उड़ जाते हैं। अच्छी कंपनी ग्राहकों को ऐसी स्थिति में चादर रिटर्न करने का भी आप्शन देती है क्योंकि यह क्वालिटी में खरे न उतरने वाली बात है। ऐसे में अगर आप ऐसी कंपनी की चादर ले लें जिसमें ऐसी रिटर्न पालिसी न हो तो चादर एक ही बार बिछाई जा सकेगी।
बुधवार, 20 मई 2020
एक बार सफेद होने के बाद फिर से काले हो सकते हैं बाल!
एक बार सफेद होने के बाद फिर से काले हो सकते हैं बाल!
शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण हो रहें सफेद बालों को डाइट में बदलाव करके रोका जा सकता
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। आमतौर पर उम्र बढ़ने के साथ हमारे बाल भी सफेद हो जाते हैं। यह शरीर में मेलेनिन पिगमेंट की कमी के कारण होता है। शरीर में पिगमेंट का उत्पादन बालों और स्किन के नेचुरल कलर के प्रति जिम्मेदार होता है। इसलिए शरीर में कम मात्रा में मेलेनिन बनने पर बाल सफेद दिखने लगते हैं।
उम्र बढ़ने पर शरीर में मेलेनिन का स्तर कम होना स्वाभाविक है। हालांकि इसके अलावा अन्य कई कारणों से भी मेलेनिन की कमी हो सकती है। हालांकि यदि बाल आनुवांशिक कारणों से सफेद हैं तो इन्हें काला नहीं बनाया जा सकता। लेकिन यदि शरीर में पोषक तत्वों की कमी के कारण बाल सफेद हो रहे हों तो डाइट में बदलाव करके इन्हें रोका जरूर जा सकता है।
बता दें कि बालों के रंग के पीछे मेलेनिन जिम्मेदार होता है। 30 वर्ष की उम्र के बाद हमारे शरीर के मेलेनिन का स्तर घटने लगता है। दरअसल बालों के रंग का जाना व्यक्ति के जीन द्वारा निर्धारित होता है। यदि आपके माता-पिता के बाल समय से पहले सफेद हो गए हों, तो आपका बाल भी सफेद होना तय है। आनुवांशिक कारणों से बाल सफेद होने पर इन्हें रिस्टोर नहीं किया जा सकता है।
गौर करने वाली बात यह है कि बालों को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित आहार लेना बेहद जरुरी है। शरीर में विटामिन बी 12, फोलेट, कापर और आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी होने पर उम्र से पहले ही बाल सफेद होने लगते हैं। पूरक आहार से बाडी में पोषक तत्वों की भरपायी होती है जिससे बाल अपने सामान्य कलर में लौट आते हैं।
थायराइड रोग या एलोपेसिया एरिएटा सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण समय से पहले बाल सफेद हो जाते हैं। ऐसे ही हार्माेनल उतार-चढ़ाव के कारण भी बालों के रंग में परिवर्तन हो सकता है। इन बीमारियों का समय पर इलाज करके मेलेनिन को रिस्टोर किया जा सकता है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह कि बालों को सफेद होने से कैसे रोकें? इसके लिए अपना वजन नियंत्रित रखें और खूब पानी पिएं। प्रदूषण और रसायनों के संपर्क में आने से बचें। बालों को धूप और धूल-मिट्टी से बचाएं। तनाव कम लें क्योंकि स्ट्रेस हार्माेन मेलेनिन के उत्पादन को धीमा कर देता है। यदि बाल प्राकृतिक रूप से सफेद हैं तो ये फिर से काले नहीं हो सकते हैं। हालांकि लोग एक-दूसरे को बालों का रंग वापस लाने के लिए कई उपाय बताते हैं जिनका कोई असर नहीं होता है।
कुछ पोषक तत्व मेलेनिन के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। बायोटिन, जिंक, सेलेनियम, विटामिन बी 12 और डी-3 जैसे सप्लीमेंट्स बालों के रंग को वापस लाने में मदद करते हैं। लेकिन जब तक यह निदान नहीं हो जाता कि बाल किन कारणों से सपफेद हो रहे हैं, तब तक ये सप्लीमेंट्स काम नहीं करते हैं। क्योंकि आनुवाांशिक कारणों से बाल सफेद हुए तो इलाज मुमकिन नही होता है।
कुछ लोगों का मानना है कि नारियल तेल में नींबू का रस मिलाकर लगाने से सफेद बाल काले हो जाते हैं। दरअसल यह घरेलू नुस्खा स्कैल्प में सूजन को कम करता है और बाल को चमकदार बनाता है। लेकिन इससे बालों का कलर लौटना बेहद मुश्किल काम है। यदि आपके बाल सफेद हो रहे हों तो सबसे पहले उसका सही कारण जानें। उसके बाद बालों के नेचुरल कलर को वापस लाने के लिए कोई उपाय करें।
मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी
मालन पुल के मरम्मत का कार्य धीमी गति से होेने पर विधानसभा अध्यक्ष ने नाराजगी जतायी संवाददाता देहरादून। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण न...
-
माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...
-
तेल को बार-बार गर्म करना खतरनाक री-हीट करने से तेल में विषैले पदार्थ की मात्रा बढ़ जाती है प0नि0डेस्क देहरादून। तेल भारतीय पाक शैली का प्रम...
-
जिला रेडक्रास का नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर लोगों को मिला स्वास्थ्य परीक्षण एवं औषधि वितरण का लाभ संवाददाता देहरादून। ज़िला रेडक्रास शाखा दे...