बुधवार, 31 मार्च 2021

घुड़सवार स्पोर्ट्स कैडेट्स की भर्ती

 घुड़सवार स्पोर्ट्स कैडेट्स की भर्ती



बॉयज स्पोर्ट्स कंपनी आरवीसी सेंटर एवं कॉलेज मेरठ कैंट में 13 अप्रैल से 16 अप्रैल को होगी भर्ती

प0नि0ब्यूरो

मेरठ। घुड़सवारी के लिए योग्य स्पोर्टस कैडैट्स की दिनांक 13 अप्रैल को सुबह 7 बजे से आरवीसी सेंटर एवं कॉलेज मेरठ कैंट में खुली भर्ती का आयोजन किया गया है।

योग्यता:-

आयु: -13 अप्रैल 2021 को 08 से 14 वर्ष होनी चाहिए (13 अप्रैल 2007 और 13 अप्रैल 2013 के बीच जन्म)।

 शिक्षा: -किसी भी मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्ड से चौथी कक्षा पास।

मेडिकल फिटनेस:- चिकित्सा अधिकारी और सेना के स्पोर्ट्स मेडिसिन केंद्र के विशेषज्ञ द्वारा मेडिकल फिटनेस परीक्षा।

अपने शरीर के किसी भी भाग पर किसी भी प्रकार के स्थायी TATTOOवाले उम्मीदवारों का चयन नहीं किया जाएगा।

संदिग्ध मामलों में उम्र के सत्यापन के लिए कलाई का एक्स-रे (बोन मैरो टेस्ट) आयोजित किया जाएगा।

इच्छुक उम्मीदवार निम्न लिखित दस्तावेज की मूल एवं सत्यापित प्रतिलिपि साथ लाएं :- जन्म प्रमाण पत्र (जन्म/मृत्यु पंजीयक अधिकारी द्वारा जारी), आधार कार्ड, मूल निवास प्रमाण पत्र (SDM/तहसीलदार द्वारा जारी), शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र / अंकतालिका (मूल प्रति), चरित्र प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (SDM/तहसीलदार द्वारा जारी), अगर घुड़सवारी में कोई प्रमाण पत्र हो, तो उसकी मूल प्रति, दस खुद की पासपोर्ट साइज रंगीन फोटोग्राफ।

घुड़सवारी परीक्षा के लिए सभी अभ्यर्थी स्पोर्ट्स किट साथ लाएं।  चयनित उम्मीदवारों को दसवीं कक्षा तक मुफ्त शिक्षा, मुफ्त बोडिंग और ठहरने, रहने, आवास, बीमा, चिकित्सा सुविधा और घुड़सवारी का गहन प्रशिक्षण (Scientific Coaching) दिया जाएगा। कक्षा 10 और 17 ½ वर्ष की आयु पूरी होने पर, कैडेटों के लिए भारतीय सेना में र्निधारित नियमों के अनुसार नामांकन के लिए चयन प्रक्रिया से गुजरना अनिवार्य है।

कोविड-19 एहतियाती उपाय – सभी उम्मीदवार रैली के लिए रिपोर्ट करते समय मास्क और दस्ताने पहनेगें तथा आरटी-पीसीआर / रैपिड एंटीजन नेगेटिव सर्टिफिकेट और “नो रिस्क सर्टिफिकेट” प्रस्तुत करना होगा।

अधिक जानकारी के लिए कृप्या संपर्क करे:- अफसर कमांडिंग, बॉयज स्पोर्ट्स कंपनी आरवीसी सेंटर एवं कॉलेज मेरठ कैंट – 250001 ( संपर्क करें - 7599960029)

आंकड़े भयावह और धरातल पर लापरवाही

 कोविड-19 के तेजी से बढ़ते संक्रमण से हालात खतरनाक



आंकड़े भयावह और धरातल पर लापरवाही

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। भले ही सरकार की तरह से जारी कोविड-19 के आंकड़े भयावह हों परन्तु धरातल पर लोगों की लापरवाही खतरनाक साबित हो रही है। अभी कोरोना वैक्सीन का टीकाकरण सही तरीके से शुरू भी नहीं हो पाया है लेकिन लोग ऐसा बर्ताव कर रहें है जैसे उन्होंने वैक्सीन की डोज ले ली हो। जबकि डोज लेने के बाद भी इसके दिशा निर्देशों के मुताबिक डोज लेने वालों को सभी बचाव के उपायों को पहले की तरह अपनाना होगा। 

लोगों की लापरवाही की वजह से देशभर में कोरोना संक्रमण से हालात भयावह होते जा रहे है। बात प्रदेश की करें तो यहां भी कोई संतोषजनक परिणाम देखने को नहीं मिल रहें है। वहीं कुंभ मेले के आगाज ने स्थिति को और डरावना बना दिया है। रोजाना एक के बाद एक संक्रमण के प्रकरण सामने आ रहें है। हालांकि कोविड से मरने वालों की तादाद कम है लेकिन इससे लापरवाह तो नहीं हुआ जा सकता है। जहां तक संक्रमितों का आंकड़ा है, वो लगातार बढ़ता जा रहा है। 

हर स्तर से लोगों को बारम्बार जागरूक किया जा रहा है लेकिन लगता है कि लोगों का धैर्य चूकता जा रहा है। कोई भी कोरोना के संक्रमण से बचाव के प्रति गंभीर नहीं रह गया है। जिस तरह से कोविड-19 के बढते प्रकोप के आंकड़े सामने आ रहें है उसके अनुपात में लोग बाग सावधानी नहीं बरत रहें है। 

हर कहीं कोविड़-19 से बचाव के उपायों के एसओपी को धता बताया जा रहा है। लोग हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग की बात तो दूर, मास्क भी पहनने को तैयार नहीं है। ऐसा लगता है कि भेडिया आया-भेडिया आया, सुनते सुनते लोगों के कान पक गए है। अब कोई उन्हें कोविड के प्रति जागरूक भी करता है तो वे उसे एक कान से सुनकर दूसरे कान से उड़ा देते है।

जबकि वर्तमान हालात में जिस तरह से और जिस तेजी से कोविड-19 का संक्रमण हो रहा है, उससे लगता है कि यदि ऐसी ही लापरवाही होती रहीं तो हालात बेकाबू होते चले जायेंगे। यदि ऐसा हुआ तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति होगी क्योंकि वैक्सीन से हम महज दो कदम की दूरी पर है और धैर्य नहीें रख पा रहें है।


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सल्ट में कांग्रेस को खुद से जुझना होगा

 सल्ट में कांग्रेस को खुद से जुझना होगा



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। सल्ट विधानसभा के उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होने के बाद कांग्रेस और भाजपा ने अपने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है। हालांकि इस सीट पर अन्य राजनीतिक दलों के लिए प्रत्याशी मैदान में है परन्तु मुकाबला साफ तौर पर कांग्रेस भाजपा के बीच ही होना है। यहां पर भाजपा इमोशनल कार्ड खेल रही है। इसलिए उन्होंने जीना के भाई को मैदान में उतारा है। लेकिन कांग्रेस इस मामले में कमजोर साबित हो रहीं है। क्योंकि जहां उसे भावनात्मक वोट नहीं पड़ने है वहीं हरीश रावत वर्सेस रणजीत रावत के दलदल से भी जुझना पड़ेगा। जिस तरह से प्रत्याशी चयन के लिए जोड़ तोड़ की गणित कांग्रेस के भीतर हुई है उससे भीतरघात की संभावना प्रबल हो गई है। जबकि उसके मुकाबले में भाजपा मजबूत दिखाई दे रही है। 

सहानुभूति को वोट में तब्दील करने की कला में भाजपा पारंगत हो गई है इसलिए वह बार बार इस तुरूप को आजमाती रही है और हर बार उसे जीत का तोहफा क्षेत्र की जनता द्वारा दे दिया जाता है। जबकि इसके बरक्स कांग्रेस अपने भीतर के असंतोष से बाहर नहीं निकल पाती। जिसकी वजह से अपनों से निपटना ही उसके लिए चुनौती बन जाता है। इस बार भी हरदा और उसके परम शिष्य के बीच की प्रतिस्पर्ध नुकसान पहुंचा सकती है। जिस तरह से हरदा ने अपनी ही पार्टी को गाहे बगाहे असमंजस में डाला है, अब उसका खामियाजा उन्हें खुद भुगतना पड़ रहा है। एक एक करके उनके करीब उनसे दूर होते जा रहें है। उन्हें अपना प्रतिद्वंदी मानने लगे है। तो क्या हरदा के रिटायरमेंट का समय हो गया। फिलहाल तो कह नहीं सकते लेकिन चुनाव के परिणाम इसका आंकलन आसान बना सकते है। 

परिणाम हालांकि अभी भविष्य के गर्त में है और निश्चित तौर पर कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन अंदाजा तो लगा ही सकते है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो हरदा ने रणजीत रावत को भले ही अभी पटकनी देने में कामयाबी पायी हो लेकिन उसे सल्ट फतह की मंजिल मिल जायेगी, यह थोड़ा मुश्किल काम है। एक तो भाजपा के पास सहानुभूति कार्ड है दूसरा उसके अपनों में किसी तरह के मतभेद नहीं है। जबकि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का प्रत्याशी कमजोर लग रहा है। उसके उपर से कांग्रेस की अर्न्तकलह भी नीम चढ़ा करैला की तरह नजर आ रहा है। कांग्रेस को खुद से पार पाने की भी चुनौती है। 


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कीचन में गैस लीक होने पर रखें ख्याल

 कीचन में गैस लीक होने पर रखें ख्याल



ऐसी स्थिति में लोग गलत स्टेप उठा लेते हैं जिससे खतरा बढ़ जाता है

प0नि0डेस्क

देहरादून। हालांकि गैस का कनेक्शन लेने पर गैस एजेंसियों द्वारा कुछ जरूरी जानकारियां उपभोक्ताओं दी जाती हैं लेकिन कई बार ये बातें लोग ध्यान में नहीं रख पाते हैं। लेकिन आपके साथ यदि भूल से भी ऐसा हो तो कुछ बातें है जिसको जरूर ध्यान में रखें। मसलन यदि गैस से किसी भी प्रकार की दुर्गंध आए तो सबसे पहले गैस का रेगुलेटर आफ कर दें। यदि गैस अधिक मात्रा में लीक हो रहा है तो किचन और घर के सभी इलेक्ट्रिक स्विच को बंद कर दें। साथ ही खुद को शांत रखें और पैनिक होने की कोशिश ना करें।

वहीं गैस की गंध आने पर सबसे पहले देखें कि गैस बर्नर की नॉब आफ है या नहीं। ऐसी स्थिति में माचिस या लाइटर बिल्कुल भी ना जलाएं। बल्कि सबसे पहले सभी दरवाजे और खिड़कियां खोल दें। यदि गैस की स्मेल ज्यादा है तो गैस सिलेंडर को किसी खुले स्थान पर जाकर रख दें। और यदि स्थिति आपके काबू में नहीं है तो तुरंत अपने डिस्ट्रीब्यूटर से संपर्क कर सकते हैं।

यह हमेशा याद रखें कि यदि गैस लीक होने की वजह सिलेंडर में आग लग जाए तो तुरंत किसी चादर या तौलिये को पानी में गिला कर सिलेंडर पर रख दें। इससे आग पर तुरंत नियंत्राण पाया जा सकता है। साथ ही बड़ा हादसा होने से भी टल जाएगा। डिस्ट्रीब्यूटर से गैस सिलेंडर लेते समय सिलेंडर पर लिखे एक्सपायरी डेट को ध्यान से चेक कर लें। इसके साथ ही सिलेंडर लेते समय अपना रेगुलेटर चेक करा लेना चाहिये। ये भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि जो सिलेंडर आप ले रहे हैं वो लीक ना हो रहा हो। यदि आप गैस पाइप का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि पाइप ज्यादा पुराना या जगह जगह से कटा ना हो।

गैस लीक जैसी स्थिति में घर को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षा हाज जरूर लगवाएं। साथ ही साथ फायर अलार्म लगवाएं। हमेशा ग्रीन लेवल गैस स्टोव का प्रयोग करें जिससे आप 15 प्रतिशत तक गैस की बचत कर पाएंगे। बता दें कि घरेलू सिलेंडरों का प्रयोग व्यावसायिक कामों में करना दंडनीय अपराध है।


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खाली पेट चाय के साथ दिन की शुरुआत नहीं करनी चाहिए

 खाली पेट चाय के साथ दिन की शुरुआत नहीं करनी चाहिए



प0नि0डेस्क

देहरादून। अधिकतर लोगों को चाय पीना पसंद होता है और वह अपने दिन की शुरुआत खाली पेट चाय के साथ करना पसंद करते हैं लेकिन ऐसा करना स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। ये बात कई शोध में सामने आ चुकी है। 

अगर ऐसा करते हैं तो यह चयापचय को बाधित कर सकता है और पेट दर्द का कारण तक बन सकता है। वो कौन से कारण है जिस वजह से खाली पेट चाय के साथ अपने दिन की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।

चाय में थियोफिलाइन नामक रसायन होता है, सुबह खाली पेट चाय पीना कब्ज का कारण बन सकता है। सुबह सबसे पहले चाय पीने से अन्य पोषक तत्वों का अवशोषण बाधित हो सकता है। 

अपने दिन की शुरुआत सादे पानी से कर सकते हैं। ऐसा करने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे। स्वस्थ सुबह के साथ अपनी सुबह की शुरुआत करें। सुबह खाली पेट एक गर्म कप चाय का सेवन करने की तुलना में पानी पीना काफी लाभदायक है। साथ ही पेट संबंधित समस्याओं से भी निजात मिलेगी।

जब सुबह उठते हैं तो पानी के बिना 8 घंटे की नींद के कारण शरीर पहले से ही निर्जलित हो जाता है और जब चाय पीते हैं तो यह अत्यधिक निर्जलीकरण का कारण बन सकता है, जिससे मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।

वर्षों की इस आदत को छोड़ना मुश्किल हो सकता है लेकिन निश्चित रूप से असंभव नहीं है। यदि सुबह व्यायाम करने वालों में से हैं तो आप व्यायाम करने से पहले मुट्ठी भर नट्स और बीज या फल ले सकते हैं।


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मंगलवार, 30 मार्च 2021

99.9 प्रतिशत की फिल्ट्रेशन क्षमता से युक्त एन96 नैनो मास्क लॉन्च

अमृता विश्व विद्यापीठम के वैज्ञानिकों ने 99.9 प्रतिशत की फिल्ट्रेशन क्षमता से युक्त एन96 नैनो मास्क लॉन्च 



- इस मास्क का अधिक बार उपयोग करने के लिए 30 बार तक धोया जा सकता है।

- यह उत्पाद नैनो-सामग्रियों पर आधारित है जिसे सरकार के अनुदान के तहत विकसित किया गया और परीक्षण दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान संघ द्वारा किया गया
संंवाददाता
देहरादून। अमृता विश्व विद्यापीठम में सेंटर फॉर नेनोसाइंसेस एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक नैनो तकनीक पर आधारित एक तीन परतों वाला एन96 नैनो मास्क लॉन्च किया है। यह मास्क सस्ता है और पारंपरिक एन95 और सर्जिकल मास्क की तुलना में कहीं अधिक बेहतर फिल्ट्रेशन की सुविधा प्रदान कर सांस लेना आसान बनाता है।
अमृता एन96 नैनो मास्क की कीमत 200 रुपये से कम है और दोबारा उपयोग करने के लिए इसे 30 बार तक धोया जा सकता है। यह लंबे समय तक चलने वाला, त्वचा के अनुकूल और गंध से मुक्त है और लंबे समय तक पहनने पर भी यह बहुत आरामदायक अहसास कराता है। इसके फैब्रिक इसे पहनने वालों को सांस लेने और छोड़ने में मुश्किल पैदा नहीं होने देते हैं और हानिकारक रोगाणुओं से लगभग 100ः सुरक्षा प्रदान करते हैं। दुनिया में शायद ही कोई अन्य मास्क अधिकतम सुरक्षा (99.9प्रतिशत) के साथ इस तरह के उच्च श्वसन क्षमता (स्तर 2) प्रदान करता है। 
नैनो-लेयर्ड फिल्टर वाला अमृता एन96 नैनो मास्क का 99.9 प्रतिशत बैक्टीरियल और वायरस एरोसोल फिल्ट्रेशन और साथ ही 3 माइक्रोन से अधिक के 96 फीसदी पार्टिकल फिल्ट्रेशन की सुविधा प्रदान करने के लिए परीक्षण किया गया है। देश में मास्क और पीपीई का परीक्षण करने के लिए भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय द्वारा समर्थित प्रमुख प्रयोगशाला दक्षिण भारत वस्त्र अनुसंधान संघ द्वारा परिक्षण किया गया है।
अमृता विश्व विद्यापीठम के सेंटर फॉर नेनोसाइंसेस एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के डीन (रिसर्च) डॉ शांतिकुमार नायर ने कहा कि अमृता एन 96 नैनो मास्क पहनने वाले को सुरक्षा प्रदान करने और अभिनव नैनो तकनीक के साथ रोजमर्रा के अनुभव को बढ़ाने के मामले में पारंपरिक सर्जिकल और एन 95 मास्क से काफी आगे है। इसमें इलेट्रोस्पून बायोफ्रैन्डली पॉलिमर नैनोफाइबर्स के साथ अपनी तरह के नैनो-इंजीनियर्ड फिल्टर फैब्रिक का उपयोग किया गया है। 
यह मास्क कैसे काम करता है, इस बारे में बात करते हुए अमृता विश्व विद्यापीठम के सेंटर फॉर नेनोसाइंसेस एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के नैनोसाइंसेस की प्रोफेसर डॉ दीप्ति मेनन ने कहा कि अमृता एन 96 नैनो मास्क तीन परतों वाला मास्क है। पॉलीप्रोपाइलीन फाइबर से बने कपड़े से बनी इन परतों के  बीच नैनो-फाइबर झिल्ली है। इस झिल्ली की अद्वितीय हाइड्रोफोबिक प्रकृति परत के एक तरफ से दूसरी तरफ सूक्ष्म बूंदों और पानी के एरोसोल के मार्ग को पूरी तरह से अवरुद्ध कर देती है। इस तरह यह पहनने वाले को दूसरे व्यक्ति के द्वारा छोड़े गये सूक्ष्म बूंदों को सांस के जरिये अंदर लेने और उसे संक्रमित होने से बचाता है। 
अमृता विश्व विद्यापीठम के सेंटर फॉर नैनोसाइंसेस एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन की वैज्ञानिक डॉ सीआर रेशमी ने कहा कि हम वर्तमान में नैनो-कोटिंग, अधिक परिष्कृत और इस्तेमाल में आसान तकनीक पर काम कर रहे हैं जो स्केलेबल है और जिसका विभिन्न प्रकार के फिल्ट्रेशन उत्पादों के लिए औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

फर्जीवाड़ा कर ठेका हासिल करने के मामले में शासन ने दोबारा दिए जांच के आदेश: मोर्चा

फर्जीवाड़ा कर ठेका हासिल करने के मामले में शासन ने दोबारा दिए जांच के आदेश: मोर्चा       


  

- मुख्य सचिव के निर्देश पर पूर्व में हुई थी जांच           

- जांच में मुख्य अभियंता, यूआरआरडीए ने भ्रष्ट ठेकेदार को दी थी क्लीन चिट    

- फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र के आधार पर हासिल किया था ठेका                        संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि डाकपत्थर निवासी (वर्तमान में देहरादून) पराग जैन नामक ठेकेदार ने उत्तराखंड ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण (यूआरआरडीए)में सांठगांठ कर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र यानी कूट रचित दस्तावेज के आधार पर माह दिसंबर  2016  को 4.14 करोड़ का ठेका/ टेंडर हासिल कर लिया।                

शर्मा ने कहा कि उक्त ठेकेदार द्वारा टेंडर हासिल करने के लिए यूजेवीएनएल द्वारा दिनांक 22/06/16 को जारी अनुभव प्रमाण पत्र में बड़ी चालाकी से हेरफेर कर उसमें कार्य का नाम उक्त टेंडर की शर्तों के मुताबिक बनाकर ठेका हासिल किया गया था। हैरानी की बात यह है कि उक्त प्रमाण पत्र पशुलोक बैराज ऋषिकेश यूजेवीएनएल के अधिशासी अभियंता द्वारा जारी  किया गया था, जिसको ठेकेदार द्वारा छेड़छाड़ कर यह जालसाजी की गई थी।                   

शर्मा ने कहा कि उक्त फर्जीवाड़े को लेकर मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्य सचिव से जांच का आग्रह किया था, जिस के क्रम में मुख्य अभियंता यूआरआरडीए ने ठेकेदार से मिलीभगत कर क्लीन चिट दे दी। उक्त मामले से नाराज होकर मोर्चा अध्यक्ष श्री नेगी द्वारा अपर मुख्य सचिव, ग्रामीण विकास विभाग से पुनः जांच का आग्रह किया था, जिस के क्रम में शासन ने मार्च 2021 को मुख्य अभियंता को फिर से महत्वपूर्ण बिंदुओं पर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं यानि जांच फिर से गतिमान हो गई है।                    

मोर्चा भ्रष्ट अधिकारियों एवं उनके गिरोह में शामिल जालसाजों को मिटाकर ही दम लेगा। पत्रकार वार्ता में भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज व रवि कुमार मौजूद रहे।

दुनिया में कैसे फैला कोरोना वायरस!

डब्ल्यूएचओ की कोविड-19 जांच रिपोर्ट लीक या लीपापोती 

दुनिया में कैसे फैला कोरोना वायरस!



एजेंसी

पेइचिंग। विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन की कोरोना वायरस उत्पत्ति की संयुक्त जांच रिपोर्ट लीक हो गई है। डब्ल्यूएचओ की बहुप्रतिक्षित जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात की सबसे अधिक आशंका है कि चमगादड़ से कोरोना वायरस किसी अन्य जीव में गया और वहां से इंसानों में फैल गया। रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की बहुत ही कम आशंका है। हालांकि इस रिपोर्ट को लापापोती का प्रयास भी माना जा रहा है।

एक समाचार एजेंसी ने डब्ल्यूएचओ के मसौदा रिपोर्ट के हवाले से यह जानकारी दी है। डब्ल्यूएचओ की जांच रिपोर्ट अपेक्षा के अनुरुप है लेकिन अभी कई जवाब इस रिपोर्ट में नहीं दिए गए हैं। इस टीम ने लैब लीक की अवधारणा को छोड़कर बाकि हर क्षेत्र में और ज्यादा शोध का प्रस्ताव दिया है। इस जांच रिपोर्ट को जारी करने में कथित रूप से देरी की गई जिससे यह संदेह बढ़ गया कि क्या चीनी पक्ष इसके निष्कर्षों में बदलाव करने का प्रयास कर रहा है ताकि महामारी के फैलने का जिम्मा चीन पर न आ जाए।

डब्ल्यूएचओ के एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि वे अगले कुछ दिनों में जांच रिपोर्ट को जारी करने के लिए तैयार हो जाएंगे। जो रिपोर्ट एजेंसी के हाथ लगी है, वह जांच रिपोर्ट का लगभग फाइनल संस्करण है। यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि जांच रिपोर्ट को अंतिम समय पर बदल दिया जाएगा या नहीं। इस रिपोर्ट को एक राजनयिक ने मुहैया कराया है जो डब्ल्यूएचओ के जिनेवा कार्यालय में सदस्य हैं।

शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस के फैलने के चार परिदृश्य बताए हैं। उन्होंने इसके अंत में निष्कर्ष रूप में कहा है कि कोरोना वायरस चमगादड़ से किसी दूसरे जानवर में फैला और वहां से यह इंसानों में आया। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि चमगादड़ से सीधे इंसान में कोरोना वायरस के फैलने की आशंका बहुत कम है। उन्होंने कहा कि कोल्ड चेन फूड के जरिए कोरोना वायरस फैलना संभव है लेकिन इसकी भी आशंका कम है।


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कविताः आदमी

 कविताः 

आदमी




इस दुनिया में आदमी 

सबसे ज्यादा मजबूर है।

कुछ आदत से, कुछ वक्त से, 

कुछ हालत से बेशउर है। 

इस दुनिया में आदमी 

सबसे ज्यादा मजबूर है।।


अपराध करता है

कानून बनाता है। 

खामोश रहता है 

बातें बनाता है। 

कभी राज को खोले

कभी सच को छिपाता है।

लाचार होता है

अपनी चलाता है। 

ये दिमाग का कीड़ा है, मशहूर है।

इस दुनिया में आदमी 

सबसे ज्यादा मजबूर है।।


जुल्म का प्रतिकार करता

सितम ढ़ाता है। 

आदमी होशियार है

उल्लू बनाता है। 

स्वार्थ के हिसाब से

रिश्ते लगाता है।

कामयाब होने पर खुद को 

भगवान बताता है।

कभी मिले रूतबे की मद में, मगरूर है।

इस दुनिया में आदमी 

सबसे ज्यादा मजबूर है।।


भगवान के दरबार में 

सिर को झुकायेगा।

कभी हाथ की लकीर को

खुद ही बनायेगा। 

जो काम करना हो मुश्किल

वो करके दिखायेगा।

आसान से मुकाम पर 

हार जायेगा। 

हार न माने, कोशिश करता जरूर है।

इस दुनिया में आदमी 

सबसे ज्यादा मजबूर है।।


आदमी को किस्मत से 

जब कुछ मिल जायेगा।

आपस में वो भेद करें

आंखें दिखायेगा।

कितने पापड़ बेले

वो सब भूल जायेगा। 

अपनी औकात को भूलकर 

खुद पे इतरायेगा।

इसलिए आदमी, आदमी से दूर है।

इस दुनिया में आदमी 

सबसे ज्यादा मजबूर है।। 


- चेतन सिंह खड़का


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सोमवार, 29 मार्च 2021

स्वेज नहर से निकला विशालकाय मालवाहक जहाज एवर गिवेन

 स्वेज नहर से निकला विशालकाय मालवाहक जहाज एवर गिवेन 



जहाज पर सवार चालक दल के सभी 25 भारतीय सदस्य सुरक्षित

एजेंसी

काहिरा। स्वेज नहर में पिछले 6 दिनों से फंसा विशालकाय मालवाहक जहाज एवर गिवेन निकल गया है और धीरे-धीरे अपने मंजिल की ओर बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि मालवाहक जहाज को निकाल लिया गया। कंटेनरशिप एवर गिवेन के निकलने से दुनिया की राहत की सांस ली है। इससे पहले स्वेज नहर में फंसे इस विशालकाय जहाज को हटाने के काम में दो विशेष नौकाएं लगाई गईं थीं।

एशिया और यूरोप के बीच माल लेकर जाने वाला पनामा के ध्वज वाला एवर गिवेन नामक विशाल जहाज इस नहर में फंस गया था। तब से अधिकारी जहाज को निकालने और जलमार्ग को जाम से मुक्त करने की फिर से कोशिश में जुटे थे। कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सफलता मिल गई है। एवर गिवेन जहाज को 25 भारतीय चला रहे हैं। सभी भारतीय चालक पूरी तरह से सुरक्षित बताए गए हैं। 193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। इसी रास्ते से दुनिया के करीब 30 फीसदी शिपिंग कंटेनर गुजरते हैं। पूरी दुनिया के 12 फीसदी सामानों की ढुलाई भी इसी नहर के जरिए होती है।

इस नहर से रोजाना 9 अरब डालर का कारोबार होता रहा है। जहाज के फंसने से वैश्विक परिवहन और व्यापार पर बहुत बुरा असर पड़ा है जो पहले से ही कोरोना महामारी से प्रभावित है। बर्नहार्ड शिपमैनेजमेंट ने कहा कि प्रारंभिक जांच में किसी यांत्रिक गड़बड़ी या ईंजन का विफल होना जहाज की फंसने की वजह के रूप में सामने नहीं आया है। विश्व के व्यस्ततम समुद्री रास्तों में से एक मिस्र के स्वेज नहर में विशाल कंटेनर शिप एवर गिवेन के फंसने से दुनियाभर के 300 से ज्यादा मालवाहक जहाज और तेल कंटेनर फंस गए थे।

समुद्र में लगे भीषण ट्रैफिक जाम का असर दुनिया में साफ दिखाई देने लगा था। टाइलट पेपर बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी सुजानो एसए ने चेतावनी दी थी कि जहाज के फंसने से वैश्विक स्तर पर टाइलट पेपर का संकट पैदा हो सकता है। सुजानो एसए ने कहा कि टाइलट पेपर को ले जाने जहाजों और शिपिंग कंटेनर की भारी कमी हो गई है। स्वेज नहर में लगे इस जाम से बचने के लिए कई देशों के जहाज अप्रफीका का चक्कर लगाते हुए जा और आ रहे थे। इससे सामानों के आने में एक सप्ताह का समय बढ़ गया है।


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चीजें

होली के दिन ली जाती है भांग

 होली के दिन ली जाती है भांग



सिर दर्द से लेकर कैंसर तक के उपचार में लाभदायक

प0नि0डेस्क

देहरादून। होली के दिन भांग के लड्ढू, शरबत, मिठाई और अनेक खाद्य पदार्थ बाजार में मिलने शुरू हो जाते है। आपने भी होली के दिन भांग से बनी चीजें जरूर खाई होंगी। सभी जानते है कि भांग का इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है। अधिक मात्रा में इसका सेवन कमजोर बना सकता है और लगातार सेवन इसका आदि बना देता है। आयुर्वेद में भांग को लाभकारी बताया गया है। इसका सेवन दमा, कैंसर और स्ट्रोक जैसी बिमारियों से बचता है। 

अगर बार-बार सिरदर्द की समस्या से परेशान है तो सिरदर्द की समस्या से राहत पाने में भांग बहुत उपयोगी साबित होता है। 25 ग्राम पिसे हुए भांग को दूध या पानी के साथ सुबह शाम लेने से सिरदर्द में राहत मिलती है और नींद की समस्या भी दूर होती है।

दमा जैसी समस्याओं से निजात पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इससे राहत पाने के लिए भांग का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए भांग की 125 मिलीग्राम पत्तियों के साथ 2 ग्राम काली मिर्च और 2 ग्राम मिश्री मिलाकर खाने से फायदा मिलेगा। चाहें तो भांग को जलाकर उसके धुंए को भी ले सकते हैं। इससे भी दमा की समस्या में राहत महसूस होता हैं।

भांग की पत्तियां एक्जिमा, मुंहासे जैसे त्वचा संबंधी परेशानियों और संक्रमणों के इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है। भांग के कुछ पत्तों को बारीक पीसकर कट्स, जलन या घाव पर लगाने से तुरंत राहत मिलती है।

कैंसर दुनिया की सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है, क्योंकि अब तक इसका कारगर इलाज नहीं मिल सका है। भांग के उपयोग से कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में सफलता मिली है। इसलिए भांग एचआईवी एड्स की दवाओं के निर्माण में काफी उपयोगी साबित होता है।

अगर होली में भीगने से सर्दी-जुकाम हो गयी है या हल्की बुखार आ गयी है तो चिंता न करे। भांग के पीसे हुए पत्तों में गुड़ मिलाकर इसकी छोटी-छोटी गोलियां बनाकर 1-2 गोली सुबह शाम खाएं, तुरंत ही सर्दी-जुकाम में राहत मिलेगी।

एक शोध में यह पाया गया है कि भांग स्ट्रोक की समस्या को काफी हद तक रोक देती है और मस्तिष्क को इससे होने वाले नुकसान से बचती है। डाक्टर के परामर्श से भांग लेने से स्ट्रोक होने की सम्भावना को काफी हद तक कम हो जाता है।


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रविवार, 28 मार्च 2021

डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने पर मोर्चा अध्यक्ष का किया अभिनंदन

 डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने पर मोर्चा अध्यक्ष का किया अभिनंदन



संवाददाता

विकासनगर। प्रदेश के भिन्न-भिन्न विभागों में सेवारत कर्मचारियों हेतु डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने के मामले में सफलता मिलने पर कर्मचारियों एवं मोर्चा कार्यकर्ताओं द्वारा जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी का अभिनंदन किया गया।                

अभिनंदन कार्यक्रम में नेगी ने कहा कि मोर्चा द्वारा अक्टूबर 2020 को अपर मुख्य सचिव तकनीकी शिक्षा श्रीमती राधा रतूड़ी से मुलाकात कर प्रदेश के भिन्न-भिन्न सरकारी विभागों/संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए पार्ट टाइम डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने के मामले में पूर्ववर्ती आदेश का अनुपालन कराए जाने को लेकर आग्रह किया गया था तथा उक्त मामले में मोर्चा द्वारा काफी प्रयास किया गया, जिसके क्रम में शासन द्वारा सचिव उत्तराखंड प्राविधिक शिक्षा परिषद को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। 

अपर मुख्य सचिव के अनुमोदन/निर्देश के उपरांत सचिव प्राविधिक शिक्षा ने पफरवरी 2021 को प्रधानाचार्य राजकीय पालिटेक्निक देहरादून, काशीपुर, श्रीनगर, नैनीताल, नरेंद्र नगर एवं रुड़की को वर्ष 2021-22 हेतु डिप्लोमा कोर्सेज संचालित करने के निर्देश दिए।

सिंचाई कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुलदीप शर्मा, भंडार कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री महेश उनियाल ने कहा कि दिसंबर 2016 में सरकार द्वारा प्रदेश के कर्मचारियों हेतु पालिटेक्निक संस्थानों में पार्ट टाइम डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए जाने के निर्देश दिए गए थे। कई वर्षों से उक्त पाठ्यक्रम संचालित न होने से कर्मचारियों का भविष्य चौपट हो रहा था।                    

अभिनंदन कार्यक्रम में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, आरडी तिवारी, कुलदीप कुमार, सुनील बघेल, जयप्रकाश, नरेंद्र, आशुतोष पैट्रिक,  सौरभ शर्मा, अनूप, महेंद्र, विकास, ओपी राणा, वीरेंद्र सिंह, नरेंद्र तोमर, भीम सिंह बिष्ट,  जय देव नेगी, जयकृत नेगी, श्रवण गर्ग, सुशील भारद्वाज, देव सिंह चौधरी, भजन सिंह नेगी, चौ0 मामराज, बीएम डबराल, भागवत बिष्ट, कुंवर सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।


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ट्रैफिक का शोर हार्ट के लिए खतरनाक

 ट्रैफिक का शोर हार्ट के लिए खतरनाक



5 डेसिबल तक शोर बढ़ने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है

एजेंसी

नई दिल्ली। ध्वनि प्रदूषण भी दिल को खतरे में डालता है। तेजी से बढ़ता शोर हार्ट के लिए मुसीबत बढ़ा रहा है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है कि लम्बे समय तक ट्रैफिक के शोर के बीच रहने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।

ट्रैफिक और हवाई जहाज से होने वाले शोर का असर जानने के लिए सड़क और एयरपोर्ट के किनारे रहने वाले लोगों पर 5 साल तक रिसर्च की गई। रिसर्च में 500 लोगों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि औसतन 24 घंटे में शोर का स्तर 5 डेसिबल बढ़ाने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 35 फीसदी तक बढ़ जाता है।

रिसर्च में शामिल लोगों पर शोर का क्या असर पड़ रहा है, इसे समझने के लिए उनकी ब्रेन स्कैनिंग की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि शोर बढ़ने पर उनके ब्रेन के उस हिस्से पर बुरा असर पड़ा है जो तनाव, बेचौनी और डर को कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार होता है।

जब तनाव और बेचैनी बढ़ती है तो शरीर इनसे लड़ने के लिए एड्रिनेलिन और कार्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्माेन रिलीज करता है। तनाव और बेचैनी की स्थिति में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, पाचन क्षमता कम हो जाती है। शरीर में फैट और शुगर का सर्कुलेशन तेज हो जाता है। इसका असर हार्ट पर पड़ता है।

नई रिसर्च कहती है कि अधिक शोर होने पर धमनियों में सूजन भी आई। इससे दिल पर दबाव और बढ़ा। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण नींद पर भी बुरा असर डालता है। रात में प्लेन के कारण होने वाले शोर से मेटाबालिज्म पर भी बुरा असर पड़ता है।

ध्वनि यानी साउंड को डेसिबल में मापा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 55 डेसिबल से अधिक ध्वनि का स्तर शोर पैदा करता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है। कार और ट्रक से करीब 70 से 90 डेसिबल तक शोर होता है। वहीं सायरन और हवाई जहाज से 120 डेसिबल या इससे अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है।


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डीडी फ्री डिश की संख्या 40 मिलियन परिवारों के पार

 डीडी फ्री डिश की संख्या 40 मिलियन परिवारों के पार

ईवाई फिक्की मीडिया एंटरटेनमेंट की रिपोर्ट-2021 का दावा



एजेंसी

नई दिल्ली। ईवाई फिक्की मीडिया एंटरटेनमेंट रिपोर्ट-2021 के अनुसार फ्री डिश के ग्राहकों की संख्या 40 मिलियन से ज्यादा हो गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक किफायती टेलीविजन सेट, आर्थिक मुद्दे, डीडी रेट्रो चैनल का लान्च और फ्री प्लेटफार्म पर बड़े प्रसारकों की वापसी इसके मुख्य कारण है। 

डीडी फ्री डिश घर में एक दूसरा सेट टाप बाक्स बन गया है और कुछ मामलों में जब टेलीविजन पर कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं होता है तो इसका उपयोग किया जाता है। फ्री डिश वितरकों ने बिक्री में साल दर साल वृद्वि का उल्लेख किया है और चीन में निर्मित चिपसेट की कमी के कारण मांग में को पूरा करने में अपनी असमर्थता जताई है। जिन परिवारों के पास टेलीविजन है, उनकी संख्या में 2025 तक 5 प्रतिशत से अधिक की वृद्वि जारी रहेगी। 

यह वृद्वि कनेक्टेड टीवी के कारण होगी, जिसकी संख्या 2025 तक 40 मिलियन और डीडी फ्री डिश की संख्या 50 मिलियन को पार कर सकती है। डीडी फ्री डिश प्रसार भारती की एक मल्टी-चैनल फ्री-टू-एयर डायरेक्ट टू होम (डीटीएच) सेवा है। डीडी फ्री डिश का प्राथमिक उद्देश्य बिना किसी शुल्क के लोगों को गुणवत्तापूर्ण मनोरंजन और जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक वैकल्पिक और किफायती मंच प्रदान करना है।

वर्तमान में डीडी फ्री डिश में 161 टीवी चैनल शामिल हैं, जिनमें 91 दूरदर्शन चैनल (51 सह ब्रांड वाले शैक्षिक चैनल समेत), 70 निजी चैनल और 48 रेडियो चैनल हैं। 1 अप्रैल से डीडी फ्री डिश निजी टीवी चैनल बुके में 10 हिंदी जीईसी, 15 हिंदी फिल्म, 6 संगीत, 20 समाचार, 8 भोजपुरी, 3 भक्ति और 2 विदेशी चैनल शामिल होंगे। डीडी फ्री डिश का वर्तमान में उन्नयन किया जा रहा है और मई तक इसके बुके में कुछ और चैनलों के जुड़ने की उम्मीद है। हाल ही में एक आनलाइन वेब एप भी जारी किया गया है, जिसके जरिये उपभोक्ता डीडी फ्री डिश सेट टाप बाक्स के निकटतम डीलर को ढूंढ सकते हैं।

मार्च में जारी भारतीय मीडिया और मनोरंजन (एमएंडई) क्षेत्र पर फिक्की-ईवाई रिपोर्ट-2021 डिजिटल इंप्रफास्ट्रक्चर के विकास तथा डिजिटल मीडिया को तेजी से अपनाने के कारण मांग में हुए बदलाव के सन्दर्भ में एमएंडई के प्रत्येक खंड अर्थात टीवी, रेडियो, प्रिंट, डिजिटल आदि केवर्तमान और भविष्य के विकास परिदृश्य को दर्शाती है।


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युद्धाभ्यास डेज़र्ट फ्लैग-IV का समापन

 

युद्धाभ्यास डेज़र्ट फ्लैग-IV का समापन



संयुक्त अरब अमीरात से भारतीय दल की वापसी 

एजेंसी
नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात से भारतीय दल की वापसी के साथ ही अभ्यास डेजर्ट फ्लैग-VI का सफलतापूर्वक समापन हुआ । डेजर्ट फ्लैग युद्धाभ्यास संयुक्त अरब अमीरात द्वारा आयोजित एक वार्षिक बहु-पक्षीय युद्धाभ्यास है जिसमें अधिक संख्या में सैन्य बलों की भागीदारी होती है। यूएई के एयरफोर्स बेस अल दाफरा में इस अभ्यास का छठा संस्करण दिनांक 4 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित किया गया था ।

भारतीय वायुसेना ने पहली बार इस अभ्यास में भाग लिया।जिसमें सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों ने भी भाग लिया। भारत के अलावा छह देशों यूएईअमेरिकाफ्रांससऊदी अरब और बहरीन ने इस अभ्यास में अपने हवाई अमलेके साथ भाग लिया।जार्डनग्रीसकतरमिस्र और दक्षिण कोरिया ने युद्धाभ्यास में पर्यवेक्षक बलों के रूप में भाग लिया।

इस अभ्यास के उद्देश्य प्रतिभागी बलों को बड़ी संख्या में सैन्य बलों को शामिल करने के प्रति अभ्यस्त बनानासामरिक क्षमताओं को तेज करना और प्रतिभागी सैन्य बलों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने के साथ-साथ अंतरसंचालनीयता को बढ़ावा देना था। भाग लेने वाले चालक दल और विशेषज्ञ पर्यवेक्षकों को युद्धाभ्यास में शामिल करने का उद्देश्य उन्हें ऐसे सैन्य परिदृश्य में ढालना था जिसमें अनेक देशों के सैन्य बल साथ मिलकर काम करते हैं। भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोब मास्टर विमान द्वारा सैन्यबलों को समयबद्ध तरीक़े से लाने ले जाने की सुविधा प्रदान की गई थी ।

अभ्यास के दौरान भारतीय वायुसेना ने विभिन्न प्रकार के अनेक विमानों का इस्तेमाल करते हुए करीब करीब यथार्थवादी वातावरण में लार्जफोर्स एंगेजमेंट (एलएफई) मिशन को अंजाम दिया। भारतीय वायुसेना ने दिन और रात दोनों समय सभी नियोजित मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दियाइस दौरान किसी भी मिशन को रद्द नहीं करना पड़ा। संयुक्त अरब अमीरात वायु सेना ने सभी संभव सहायता प्रदान की तथा यह सुनिश्चित किया कि सभी नियोजित गतिविधियां समय पर पूरी हो जाएं ।

भारतीय वायु सेना सामरिक अंतर्राष्ट्रीय अभ्यासों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैजिसमें सहयोगात्मक संबंधों को बढ़ाया जाता हैं।संयुक्त अरब अमीरात में मैत्रीपूर्ण ताकतों के साथ एक बहुराष्ट्रीय अभ्यास ने सभी प्रतिभागी ताकतों को उपयोगी शिक्षा प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया। युद्धाभ्यास के दौरान अर्जित ज्ञानसीखे गए सबक तथा डेज़र्ट फ्लैग-VI के दौरान बनाए गए संबंध भाग लेने वाले सैन्य बलों की पेशेवर क्षमताओं को मजबूत करने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे।


शनिवार, 27 मार्च 2021

प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी

 प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने की तैयारी



आयोग को करीब 16 फीसदी बिजली बढ़ोतरी का प्रस्ताव

संवाददाता

देहरादून। यूपीसीएल, यूजेवीएनेल और पिट्कुल ने राज्य के नियामक आयोग में खर्चों का टैरिफ पिटिशन दाखिल कर दी है। इस पर जल्द ही नियामक आयोग सुनवाई कर 2021-22 के लिए बिजली की दरें निर्धारित कर सकता है। आमतौर पर मार्च महीने में उत्तराखंड नियामक आयोग बिजली की दरों का टैरिफ जारी कर देता था लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार बिजली की दरें अप्रैल माह में घोषित होंगी, जो 1 अप्रेल से लागू की जाएंगी।

बिजली के दामों की घोषणा करने से पहले नियामक आयोग तीनों निगमों द्वारा दी गई पिटिशन पर जनता से राय लेगा। जिसके लिये इस साल दो जिलों में जनसुनवाई की जाएगी। पहली सुनवाई 6 अप्रैल को नैनीताल और दूसरी जनसुनवाई देहरादून के उत्तराखंड नियामक आयोग के दफ्रतर में होगी।

इन जनसुनवाई के बाद टैरिफ को अंतिम रूप दिया जाएगा। राज्य के तीनों निगमों ने आयोग को करीब 16 फीसदी बिजली बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। हालांकि राज्य में होने वाली दोनों जनसुनवाई के बाद, इसकी समीक्षा की जाएगी। जिसके आधार पर नई दर निर्धारण किया जाएगां वहीं नियामक आयोग के टेक्निकल मेम्बर एमके जैन का कहना है कि बीते सालों में राज्य में 4 जन सुनवाई की जाती थी, जिनमें 2 कुमायूं मंडल और 2 सुनवाई गढ़वाल मंडल में होती थी लेकिन इस बार दो ही जन सुनवाई की जाएगी।

उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के मद्देनजर जनसुनवाई को दो हिस्सों में रखा गया है। इसमें पहली पाली में इंडस्ट्रियल से जुड़े लोगों को रखा गया है और दूसरी पाली में आम जनता के साथ कामर्शियल उपभोगताओं को रखा गया है। बता दें कि इस समय यूपीसीएल ने आयोग से 13.25 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है। युजेवीएनेल ने 1.96 फीसदी और पिटकुल ने आयोग से 0.82 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है। इस हिसाब से कुल 16.20 फीसद बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव राज्य के नियामक आयोग के पास पहुंचा है।


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धूप से बचाने वाली सनस्क्रीन बच्चों के लिए हानिकारक

 धूप से बचाने वाली सनस्क्रीन बच्चों के लिए हानिकारक



गर्मी के दिनों बच्चों के लिए धूप बहुत नुकसानदायक होती है

प0नि0डेस्क

देहरादून। गर्मी का मौसम बस आ ही गया है और अब तेज धूप स्किन को जलाना शुरू कर देगी। धूप से त्वचा को बचाने के लिए घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन लगाने की सलाह दी जाती है। बच्चों के लिए भी सनस्क्रीन की कई वैरायटियां आती हैं। हालांकि इनमें केमिकल्स होते हैं जो बच्चे की स्किन के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होते हैं। सनस्क्रीन में कई ऐसे इंग्रेडिएंट्स होते हैं जो बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

सनस्क्रीन में इस्तेमाल होने वाले कुछ इंग्रेडिएंट्स जो बच्चों के लिए ठीक नहीं होते हैं।

आक्सीबेनजोनः हर सनस्क्रीन में यह केमिकल जरूर होता है। बाडी में यह इंग्रेडिएंट काफी जल्दी एब्जार्ब हो जाता है। इसकी वजह से कई तरह की स्किन प्राब्लम्स हो सकती हैं। इससे बच्चों में एक्जिमा की परेशानी हो सकती है। यह इंग्रेडिएंट हार्माेनल असंतुलन और एंडोक्राइन सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है।

आक्टिनाक्सेटः बच्चों की स्किन बहुत नाजुक होती है और सनस्क्रीन में मौजूद आक्टिनाक्सेट नामक केमिकल नुकसानदायक साबित हो सकता है। आक्टिनाक्सेट से प्रफी रेडिकल्स निकलते हैं जिनका स्किन और कोशिकाओं पर गलत असर पड़ता है। यह प्रभाव लंबे समय तक रहता है। इससे बच्चे में हार्मोंस का लेवल भी बिगड़ सकता है।

रेटिनाइल पामिटेट और होमोसोलेटः यह केमिकल डीएनए को प्रभावित कर सकता है और इसकी वजह से स्किन में ट्यूमर और कैंसर बन सकता है। जब भी बच्चे के लिए सनस्क्रीन खरीदें, तो इस इंग्रेडिएंट को जरूर चैक कर लें।

सनस्क्रीन में मौजूद पैराबेन पिजर्वेटिव, आक्टोक्रिलीन, नैनो पार्टिकल, मिथाइलिसोथियाजोलिनोन और सिनाक्सेट भी बच्चे के लिए हानिकारक होते हैं। बच्चों के सनस्क्रीन में इस तरह के इंग्रेडिएंट्स हों, तो उसे न खरीदें।

जरनल आफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि सनस्क्रीन में कुछ केमिकल्स होते हैं जिन्हें रक्त वाहिकाएं आसानी से सोख लेती हैं जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि अभी इस दिशा में और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

एनसीबीबाई के अनुसार बच्चों के सनस्क्रीन में आक्सीबेंजोन और आक्टोक्रिलिन नहीं होना चाहिए। सनस्क्रीन लगाने के साथ ही बच्चों को दिन के समय धूप में निकलने से बचना चाहिए और शरीर को ढक कर ही बाहर जाना चाहिए।

अमेरिकन एकेडमी आपफ पीडियाट्रिक्स का कहना है कि 6 महीने से कम उम्र के शिशु के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इन बच्चों को धूप में ढक कर रखना चाहिए और सूर्य की यूवी किरणों के सीधे संपर्क में लाने से बचना चाहिए।

आप दो साल से अधिक उम्र के बच्चे को सनस्क्रीन लगा सकते हैं। हालांकि स्किन पर सनस्क्रीन लगाने से पहले उसका टेस्ट जरूर कर लें। केमिकल सनस्क्रीन से बच्चे को एलर्जी हो सकती है इसलिए कोई भी नया प्रोडक्ट प्रयोग करने से पहले बच्चे के हाथ पर थोड़े-से हिस्से पर सनस्क्रीन लगाकर देखें। अगर इसका कोई एलर्जिक रिएक्शन नहीं होता है तो यह बच्चे के लिए सेफ है।


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अरुणाचल में यूरेनियम की खुदाई पर चीन बौखलाया

 अरुणाचल में यूरेनियम की खुदाई पर चीन बौखलाया



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत के पूर्वाेत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में मिले यूरेनियम के नए भंडार से के मामले में भारत के आत्मनिर्भर होने की संभावना जगी है लेकिन यूरेनियम की खुदाई पर चीन बौखला रहा है। 

भारत-चीन सीमा से महज कुछ किलोमीटर दूर अरुणाचल की मेचुका घाटी में हाल में यूरेनियम के भंडार का पता चला है। इलाके में बपर्फीली पहाड़ियां होने की वजह से हवाई मार्ग से उस जगह पर जाना मुमकिन नहीं। बावजूद इसके इस बारे में खोजबीन के लिए वैज्ञानिक दुर्गम मेचुका घाटी में भारतीय सीमा के सबसे आखिरी गांव तक गए। यूरेनियम की खोज के नतीजे सकारात्मक रहने के बाद अब जल्दी ही खनन शुरू किया जायेगा।

मेचुका या मेचुक अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले के तहत मेचुका घाटी में समुद्र तल से 1,829 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक छोटा-सा शहर है। इस शहर के बाद मैकमोहन लाइन भारतीय और चीनी को बांटती है। मेचुका शहर भारत-चीन सीमा से महज 29 किलोमीटर दूर है। यहां सड़क बनने से पहले इलाके में अकेली हवाई पट्टी थी जहां मौसम अनुकूल होने पर हेलीकाप्टर उतर सकते थे। उसका इस्तेमाल भारतीय वायु सेना स्थानीय लोगों को खाद्यान्न और दूसरे जरूरी चीजों की सप्लाई के लिए करती थी। यूरेनियम का भंडार होने की संभावना के बाद सरकार ने मेचुका घाटी में खोज की अनुमति दी थी.। उसके बाद परमाणु खनिज निदेशालय ने केंद्र सरकार के सहयोग से इस परियोजना पर काम शुरू किया।

परमाणु खनिज निदेशालय (एएमडी) के निदेशक डा0 डीके सिन्हा ने हैदराबाद में एक सेमिनार में बताया था कि केंद्र से प्रोत्साहन मिलने के बाद हमने यूरेनियम के भंडार की तलाश का काम शुरू किया। इसके लिए शोधकर्ताओं की टीम को पैदल ही दुर्गम पहाड़ियों पर चढ़ना पड़ा।

सिन्हा का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश की मेचुका घाटी में यह खोज जमीन से लगभग 619 मीटर की गहराई में की गई। वह बताते हैं कि अरुणाचल में जिस जगह यूरेनियम के लिए खुदाई की परियोजना चल रही है वह चीनी सीमा से कुछ किलोमीटर भीतर भारतीय सीमा में है। वहां तक आवाजाही में कापफी सहूलियत है। इसलिए यूरेनियम के उत्पादन में इसकी भूमिका अहम हो सकती है। 

अरुणाचल प्रदेश में यूरेनियम का भंडार होने की खबरें मीडिया में छपने के बाद चीन ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपी एक खबर में तो कुछ विशेषज्ञों के हवाले चीन सरकार से इस मामले में कार्रवाई की मांग की गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भारत-चीन सीमा पर होने वाली बातचीत को नुकसान पहुंचेगा।

चीन शुरू से ही अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता रहा है। अखबार ने यूरेनियम के भंडार संबंधी खबरें छापने के लिए भारतीय मीडिया की भी आलोचना की है। उसकी दलील है कि चीन ने अरुणाचल को भारत के हिस्से के तौर पर कभी मान्यता नहीं दी है। अरुणाचल को चीन में तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा या जंगनान के रूप में जाना जाता है। 

चीनी अखबार ने सिंघुआ विश्वविद्यालय में इंडियन स्टडीज के सहायक प्रोपफेसर शी चाओ के हवाले लिखा है कि इलाके में यूरेनियम के भंडार का होना या नहीं होना बड़ा मुद्दा नहीं है। असली मुद्दा उस इलाके पर अपना दावा जताने का भारत का अड़ियल रवैया है। इससे सीमा विवाद और भड़कने का अंदेशा पैदा हो गया है। 

इस बीच भाजपा ने चीन की प्रतिक्रिया को बेतुका करार देते हुए कहा है कि एक संप्रभु राष्ट्र अपनी सीमा के भीतर कुछ भी करने के लिए स्वतंत्रा है। भाजपा के मुताबिक जिस इलाके में यूरेनियम का भंडार होने की संभावना है वह शि-योमी जिले में है जो अरुणाचल का हिस्सा है। 

सामरिक विशेषज्ञ सुविमल मुखर्जी कहते हैं कि चीन को हमेशा अरुणाचल प्रदेश से समस्या रही है। वह प्रधानमंत्री के दौरों के समय भी आपत्ति जताता रहा है लेकिन उसकी दलीलों में कोई दम नहीं है। अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का हिस्सा रहा है। चीन अपनी गलतियों को छिपाने के लिए इस विवाद को जबरन अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास करता रहा है। 

विशेषज्ञों का कहना है कि इलाके में यूरेनियम का भंडार मिलने और वहां उत्पादन शुरू होने के बाद भारत इस मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है। फिलहाल वह यूरेनियम के आयात के लिए कजाखस्तान और आस्ट्रेलिया जैसे देशों पर निर्भर है। देश में 1960 के दशक में परमाणु संयंत्रों का निर्माण शुरू होने के बाद भारत ने यूरेनियम का भंडार तलाशने और अपनी परमाणु क्षमता मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास शुरू किया लेकिन यूरेनियम का भंडार कम होने और उसकी गुणवत्ता खराब होने की वजह से इस दिशा में ज्यादा प्रगति नहीं हो सकी थी।


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दक्षिणी नौसेना कमान में स्वर्णिम विजय मशाल

 दक्षिणी नौसेना कमान में स्वर्णिम विजय मशाल



एजेंसी

कोच्चि। वाइस एडमिरल एके चावला फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ दक्षिणी नौसेना कमान (एसएनसी) ने कोच्चि में नौसेना कमान के वार मेमोरियल में पारंपरिक सैन्य परंपरा के तहत'स्वर्णिम विजय मशाल' (विजय ज्योति) की। इस आयोजन में एसएनसी के पूर्व योद्धाओं, वरिष्ठ अधिकारियों और जवानों ने हिस्सा लिया।

इस 'विजय ज्वाला' का 50 लोगों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान करते हुए औपचारिक रूप से स्वागत किया गया। यह 'विजय ज्वालाबांग्लादेश युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के चार रक्षा कमानों के लिए चारों दिशाओं में 2,500 किमी की यात्रा करने के पश्चात 23 मार्च को कोच्चि पहुंची। यह ज्वाला 1971 के युद्ध में शामिल हुए युद्ध नायकों और उनके संबंधियों को सम्मानित करने वाले शहरों और गांवों की यात्रा करेगी।

युद्ध नायकों के लिए प्रतिष्ठा और सम्मान प्रकट करने के रूप में यह 'विजय ज्वालानजराक्कल में रहने वाले सीएक्सजॉन, सीपीओ (सेवानिवृत्त) के घर का दौरा करेगी और इसके बाद करूमाल्लूर में टीके माइकल, एमसीईआरएII (सेवानिवृत्त)नौ सेना पदक (वीरता) के घर जाएगी। इसके बाद यह ज्वाला 25 मार्च को एर्नाकुलम जिले के वरपुझा में रहने वाले माननीय उप लेफ्टिनेंट (सेवानिवृत्त) वीएल पप्पाचननौ सेना मेडल (वीरता) के निवास स्थल पर जाएगी। इस टीम के साथ नेवी बैंड और सेरेमोनियल गार्ड भी शामिल होंगे।


मोर्चा का आरोप: सेटिंग बाजों को नौकरी

 फैसिलेटर भर्ती में होनहार किए बाहर!

मोर्चा का आरोप: सेटिंग बाजों को नौकरी     


     

- अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में ब्लॉक लेवल फैसिलेटर भर्ती का मामला                 

- होनहारों को साक्षात्कार में सिर्फ 5 से 6 अंक तथा सेटिंग बाजों को 15 से 20 अंक    

- होनहार युवाओं से किया गया विभाग द्वारा धोखा        

- मोर्चा युवाओं को न्याय दिलाकर ही दम लेगा 

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि फरवरी 2021 में अल्पसंख्यक कल्याण निदेशालय द्वारा ब्लॉक लेवल फैसिलेटर  के पदों पर नियुक्ति हेतु साक्षात्कार संपन्न कराया गया था। उक्त नियुक्ति/भर्ती प्रक्रिया में हाई स्कूल, इंटरमीडिएट तथा स्नातक के कुल अंको हेतु अधिकतम 20 अंक निर्धारित किए गए थे, यानि हाई स्कूल के अधिकतम 6 अंक, इंटरमीडिएट के 6 एवं स्नातक के 8 अंक निर्धारित किए गए थे। इसके साथ- साथ साक्षात्कार के 30 अंक भी निर्धारित किए गए थे।हैरानी की बात यह है कि होनहार एवं सिफारिश विहीन अभ्यर्थियों, जिनको शैक्षिक आधार पर 18-20 अंक प्राप्त हुए थे, उनको साक्षात्कार में 30 में से मात्र 5-6 अंक देकर बाहर का रास्ता दिखाया गया तथा वहीं दूसरी ओर शैक्षिक आधार पर कम अंक प्राप्त करने वाले एवं  सिफारिशी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में 15-20 अंक देकर नौकरी थमा दी गई, जोकि होनहार एवं सिफारिश विहीन युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा है।        

मोर्चा विभाग द्वारा छले गये युवाओं को न्याय दिलाकर ही दम लेगा। 

पत्रकार वार्ता में भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद रहे।

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

गॉडजिला बनाम कॉन्ग का बाक्स आफिस पर धमाल

 गॉडजिला बनाम कॉन्ग का बाक्स आफिस पर धमाल



फिल्म का पहले ही दिन बाक्स आफिस पर शानदार कलेक्शन 

एजेंसी

नई दिल्ली। गॉडजिला बनाम कॉन्ग ने भारत में बाक्स-आफिस पर शानदार प्रदर्शन करते हुए जबरदस्त ओपनिंग की। फिल्म ने रिलीज के पहले दिन ही 6.4 करोड़ रुपये कमा लिये। गॉडजिला फिल्म प्रफेंचाइजी, ‘गॉडजिला बनाम कॉन्ग का तीसरा पार्ट है, जो भारत में रिलीज हुई। फिल्म में अलेक्जेंडर स्कार्सगार्ड, मिली बाबी ब्राउन, रेबेका हाल, इजा गोंजालेज और डेमियन बिचिर ने भूमिका निभाई है।

डेनजिल डायस, वीपी और एमडी, वार्नर ब्रदर्स पिक्चर्स इंडिया ने कहा कि हम शुरुआती नंबरों और फिल्म के लिए जबरदस्त प्रतिक्रिया से बहुत खुश हैं। यह साबित करता है कि गॉडजिला बनाम कॉग जैसी फिल्मों को सिनेमा स्क्रीन में दर्शकों द्वारा ज्यादा पसंद किया जाता है।

पीवीआर पिक्चर्स के सीईओ कमल ज्ञानचंदानी ने कहा कि इस फिल्म के लिए अभूतपूर्व प्रतिक्रिया इस विश्वास की पुष्टि करता है कि लिंग, सीमाओं और आयु-समूहों से ऊपर उठकर लोगों में सिनेमा को लेकर जबरदस्त आत्मीयता है। हम शानदार प्रतिक्रिया से रोमांचित हैं।

फिल्म ने पहले दिन शानदार प्रदर्शन किया है। यह हालीवुड की सबसे बड़ी पोस्ट कोविड ओपनिंग बन गई है।


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सीधे श्रमिकों के खाते में जायेगी वित्तीय सहायता

 सीधे श्रमिकों के खाते में जायेगी वित्तीय सहायता



श्रमिकों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से वित्तीय सहायता के निर्देश

एजेंसी

नई दिल्ली। हाल ही में जारी एक आदेश में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने राज्यों के कल्याण बोर्ड ;एसडब्ल्यूबीद्ध को बीओसी श्रमिकों को वस्तुएं और घरेलू सामान वितरित न कर उसके बदले में सीधे श्रमिकों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से वित्तीय सहायता देने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में राज्यों के मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों (श्रम), श्रम आयुक्तों और राज्य बीओसी श्रमिक कल्याण बोर्ड को आदेश जारी किया गया है। यह आदेश भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों की धारा 60 द्वारा दी गई शक्तियों के तहत (रोजगार और सेवा की शर्तों के नियमन) अधिनियम 1996 के तहत दिया गया है। अधिनियम का उद्देश्य प्रत्येक राज्य, केन्द्रशासित प्रदेशों में राज्यों के कल्याण बोर्ड (एसडब्ल्यूबी) के माध्यम से निर्माण श्रमिकों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण और काम करने की अन्य शर्तों को विनियमित करना है।

कुछ समय पहले श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के संज्ञान में ऐसे मामले सामने आए थे, जिसमें कई राज्य कल्याण बोर्ड श्रमिकों को जीवन बीमा, स्वास्थ्य बीमा, विकलांगता कवर, मातृत्व लाभ और वृद्वावस्था पेंशन जैसे जरूरी लाभ देने की जगह लालटेन, कंबल, छाता, उपकरण-किट, बर्तन, साइकिल आदि को खरीदने पर खर्च कर रहे थे। चूंकि कई चरणों में खरीदी प्रक्रिया पूरी होती है, ऐसे में खरीददारी से लेकर वितरण तक में अनियमितता की आशंका रहती है। इसे देखते हुए ही अब डीबीटी का फैसला लिया गया है।

इसी तरह नकदी रूप में पैसों का हस्तांतरण तत्काल आदेश द्वारा पूरी तरह से रोक दिया गया है और श्रमिकों को किसी भी तरह की वित्तीय सहायता डीबीटी के जरिए ही दी जाएगी। साथ ही नया आदेश इस तरह की वस्तुओं के वितरण पर प्रतिबंध लगाता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि वस्तुओं का वितरण केवल प्राकृतिक आपदाओं, महामारी, आग, व्यावसायिक खतरों या इसी तरह के अन्य संकटों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को छोड़कर और केवल राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति की मंजूरी पर ही दिया जा सकेगा। यह छूट केवल इसलिए दी गई है कि असाधारण परिस्थितियों में निर्माण श्रमिकों के कल्याण से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।

अधिनियम की धारा 22 (1) राज्यों के कल्याण बोर्ड के कार्यों को बड़े पैमाने पर निर्धारित करती है। उप-वर्गों (ए) से (जी) राज्य कल्याण बोर्ड को पेंशन, समूह बीमा योजना, श्रमिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति, चिकित्सा खर्च, मातृत्व लाभ और गृह निर्माण के लिए कर्ज के भुगतान पर उपकर निधि को खर्च करने का अधिकार देती है। उप-खंड (एच) बोर्ड को अपवाद के रूप में निर्धारित की गई ऐसी अन्य कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं पर उपकर निधि खर्च करने की अनुमति देता है। यह देखा गया कि कुछ राज्यों के कल्याण बोर्ड ने अधिनियम के इस उप खंड का सहारा लेकर उपकर निधिका मनमाने ढंग से इस्तेमाल किया। इस राशि को निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए उपयोग करने के बजाय बर्तन और अन्य वस्तुएं खरीदने में कर दिया गया।

आदेश में जोर दिया गया है कि धारा 22 (1) (ए) से (जी) के तहत निर्धारित सामाजिक सुरक्षा कवरेज अधिनियम की धारा 22 (1) (एच) के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को दिए जा रहे अन्य लाभ पहले की तरह बने रहेंगे। अधिनियम की धारा 22 (1) (ए) से (जी) में दी गई इन प्राथमिकता वाले खर्चों को पूरा करने के बाद, उपकर निधि के किसी भी शेष राशि का उपयोग धारा 22 (1) (एच) के तहत दिए गए आदेश के अनुसार अतिरिक्त लाभ देने के लिए किया जा सकता है।

खर्च के तरीके पर नजर रखने के लिए मंत्रालय ने राज्यों के बोर्ड को इस तरह के मदों के विवरण पर एक वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करने के लिए कहा है। जिस पर धारा 22 (1) (ए) से (जी) और धारा 22 (1) (एच) के तहत किए गए खर्च की अलग-अलग पूरी जानकारी होगी।

कानून के अनुसार सार्वजनिक और निजी निर्माण कार्यों पर राज्य सरकारों द्वारा एक पफीसदी की समान दर उपकर वसूला जाता है। निर्माण श्रमिकों के कल्याण के लिए राज्यों के कल्याण बोर्ड द्वारा कोविड-19 के दौरान 2020 के लाकडाउन के समय में अच्छी तरह से इस्तेमाल किया गया। जिसके जरिए निर्माण क्षेत्र के प्रवासी श्रमिकों पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सका। इसके लिए श्रम मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को प्रभावित बीओसी श्रमिकों को कल्याण निधि से डीबीटी के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करने की सलाह दी गई थी। अधिकांश राज्यों के कल्याण बोर्ड ने पंजीकृत श्रमिकों को 1000 रुपये से 6000 रुपये के बीच सहायता प्रदान की। ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्यों के कल्याण बोर्ड द्वारा लगभग 1.83 करोड़ निर्माण श्रमिकों को डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में 5618 करोड़ रुपये वितरित किए गए।


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विभागाध्यक्ष लोनिवि की घोटाले को लेकर शासन से की गई शिकायत: मोर्चा

 विभागाध्यक्ष लोनिवि की घोटाले को लेकर शासन से की गई शिकायत: मोर्चा        


  

- घोटाले में  विजिलेंस जांच की सिफारिश को कुंद करने की तैयारी           
- सचिव पीडब्ल्यूडी ने अपर मुख्य सचिव, सतर्कता से किया विजिलेंस जांच कराने का आग्रह                       -
- लगभग सवा दो करोड़ मूल्य के 8 टेंडर्स का है मामला    - निर्माण खंड लोनिवि, देहरादून का है मामला 
संवाददाता               
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने लोनिवि के प्रमुख अभियंता एवं विभागाध्यक्ष हरिओम शर्मा द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त अधिशासी अभियंता (तत्कालीन) को भ्रष्टाचार के मामले में क्लीन चिट दिए जाने  को लेकर शासन से शिकायत की है, जिसमें कहा गया है  कि वर्ष 2017 में निर्माण खंड, लोनिवि, देहरादून के अधिशासी अभियंता राजवंशी (वर्तमान में सेवानिवृत्त) ने विकासनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 कार्यों  (जॉब्स) हेतु ठेकेदारों,  समाचार पत्रों व अधिकारियों से सांठगांठ कर लगभग सवा दो करोड रुपए के टेंडर प्रकाशन का ढोंग कर यानि समाचार पत्र खरीद कर अपने चेहते ठेकेदारों को मात्र 0.06 फ़ीसदी कम दर पर टेंडर  आवंटित कर दिए थे।
उक्त अनियमितता/ घोटाले की जांच की मांग को लेकर मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी द्वारा मुख्य सचिव से कार्रवाई की मांग की गई थी। उक्त  घोटाले की जांच की मांग को लेकर मोर्चा के प्रवीण शर्मा पिन्नी द्वारा सूचना आयोग का दरवाजा भी खटखटाया गया था, जिसके क्रम में मा. मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने मुख्य सचिव से पूरे प्रकरण की जांच कराने को लेकर निर्देश दिए थे। शर्मा ने कहा कि उक्त मामले की गंभीरता को देखते हुए अपर मुख्य सचिव, लोनिवि ने 16/09/19 को राजवंंशी  के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश एचओडी को दिए थे।     
शर्मा ने कहा कि उक्त के पश्चात  सचिव, लोनिवि ने अपर मुख्य सचिव, सतर्कता से विजिलेंस जांच  कराने हेतु  दिनांक 17/06/2020  को पत्र प्रेषित कर आग्रह किया। अपर मुख्य सचिव,सतर्कता द्वारा  मामले में  पुनः प्रस्ताव  उपलब्ध कराने के लिए  कहा गया है। शासन के निर्देश के क्रम में विभागाध्यक्ष, लोनिवि हरिओम शर्मा ने भ्रष्ट अधिकारी को बचाने के लिए स्वयं भ्रष्टाचार की सीमा लांघकर एक तरह से उक्त भ्रष्ट अधिकारी को क्लीन चिट दे दी। मोर्चा विभागाध्यक्ष शर्मा को सबक सिखाकर ही दम लेगा।

बिटकाइन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

बिटकाइन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। हाल में बिटकाइन के मूल्य में काफी उतार चढ़ाव देखा गया हैं, जिसकी वजह से निवेशकों को संदेह हो गया है कि इसमें अपना पैसा डालें या नहीं। बिटकाइन काम कैसे करता है, यह जानना आज के दौर में बेहद जरूरी है।

बिटकाइन एक डिजिटल मुद्रा है क्योंकि यह सिर्फ वर्चुअल रूप में ही उपलब्ध है। यानी इसका कोई नोट या कोई सिक्का नहीं है। यह एन्क्रिप्ट किए हुए एक ऐसे नेटवर्क के अंदर होती है जो व्यावसायिक बैंकों या केंद्रीय बैंकों से स्वतंत्र होता है। इससे बिटकाइन को पूरी दुनिया में एक जैसे स्तर पर एक्सचेंज किया जा सकता है। एन्क्रिप्शन की मदद से इसका इस्तेमाल करने वालों की पहचान और गतिविधियों को गुप्त रखा जाता है।

बिटकाइन को पहली बार 2008 में सातोशी नाकामोतो नाम के व्यक्ति ने सार्वजनिक रूप से जाहिर किया था। यह आज तक किसी को नहीं मालूम कि यह एक व्यक्ति का नाम है या कई व्यक्तियों के एक समूह का। 2009 में एक ओपन-सोर्स साफ्रटवेयर के रूप में जारी किए जाने के बाद यह मुद्रा लागू हो गई।

इसे हासिल करने के कई तरीके हैं। पहला आप इसे काइनबेस या बिटफाइनेंस जैसे आनलाइन एक्सचेंजों से डालर, यूरो इत्यादि जैसी मुद्राओं में खरीद सकते हैं। दूसरा आप इसे अपने उत्पाद या अपनी सेवा के बदले भुगतान के रूप में पा सकते हैं। तीसरा आप खुद अपना बिटकाइन बना भी सकते हैं। इस प्रक्रिया को माइनिंग कहा जाता है।

बिटकाइन खरीदने से पहले अपने कंप्यूटर में वालेट साफ्रटवेयर इंस्टाल करना पड़ता है। इस वालेट में एक पब्लिक चाभी होती है जो आपका पता होता है और एक निजी चाभी भी होती है जिसकी मदद से वालेट का मालिक क्रिप्टो मुद्रा को भेज सकता है या पा सकता है। स्मार्टफोन, यूएसबी स्टिक या किसी भी दूसरे डिजिटल हार्डवेयर का इस्तेमाल वालेट के रूप में किया जा सकता है।

भुगतान के लिए बिटकाइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? मान लीजिए मिस्टर एक्स मिस वाई से एक टोपी खरीदना चाहते हैं। इसके लिए सबसे पहले मिस वाई को मिस्टर एक्स को अपना पब्लिक वालेट पता भेजना होगा, जो एक तरह से उनके बिटकाइन बैंक खाते की तरह है।

मिस वाई से उनके पब्लिक वालेट का पता पा लेने के बाद मिस्टर एक्स को अपनी निजी चाभी से इस लेनदेन को पूरा करना होगा। इससे यह साबित हो जाता कि इस डिजिटल मुद्रा को भेजने वाले वही हैं। यह लेनदेन बिटकाइन से रोजाना होने वाले हजारों लेनदेनों की तरह बिटकाइन ब्लाकचेन में जमा हो जाता है।

अब मिस्टर एक्स द्बारा किए हुए लेनदेन की जानकारी ब्लाकचेन नेटवर्क में शामिल सभी लोगों को पहुंच जाती है। इन लोगों को नोड कहा जाता है। मूल रूप से ये निजी कम्प्यूटर होते हैं, जिन्हें माइनर या खनिक भी कहा जाता है। ये इस लेनदेन की वैधता को सत्यापित करते हैं। इसके बाद बिटकाइन मिस वाई के पब्लिक पते पर चला जाता है, जहां से वो अपनी निजी चाभी का इस्तेमाल कर इसे हासिल कर सकती हैं।

सैद्वांतिक तौर पर ब्लाकचेन नेटवर्क में कोई भी खनिक बन सकता है लेकिन अधिकतर यह प्रक्रिया बड़े कंप्यूटर फार्मों में की जाती है जहां इसका हिसाब रखने के लिए आवश्यक शक्ति हो। इस प्रक्रिया में लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए नए लेनदेनों को तारीख के हिसाब से जोड़ कर एक कतार में रखा जाता है।

हर लेनदेन को एक विशाल सार्वजनिक बही-खाते में शामिल कर लिया जाता है। इसी को ब्लाकचेन कहा जाता है क्योंकि इसमें सभी लेनदेन एक ब्लाक की तरह जमा कर लिए जाते हैं। जैसे-जैसे सिस्टम में नए ब्लाक आते हैं, सभी इस्तेमाल करने वालों को इसकी जानकारी पहुंच जाती है। इसके बावजूद किसने किसको, कितने बिटकाइन भेजे हैं, यह जानकारी गोपनीय रहती है। एक बार कोई लेनदेन सत्यापित हो जाए, तो फिर कोई भी उसे पलट नहीं सकता है।

खनिक जब नए लेनदेन को प्रोसेस करते हैं तो इस प्रक्रिया में वे विशेष डिक्रिप्शन साफ्रटवेयर का इस्तेमाल कर नए बिटकाइन बनाते हैं। डिक्रिप्ट होते ही श्रृंखला में एक नया ब्लाक जुड़ जाता है और उसके बाद खनिक को इसके लिए बिटकाइन मिलते हैं। पूरे बिटकाइन नेटवर्क में चीन सबसे बड़ा खनिक है। वहां कोयले से मिलने वाली सस्ती बिजली की वजह से वो अमेरिका, रूस, ईरान और मलेशिया के अपने प्रतिद्वंदी खनिकों से आगे रहता है।

क्रिप्टो माइनिंग और प्रोसेसिंग के लिए जो हिसाब रखने की शक्ति चाहिए, उसकी वजह से बिटकाइन नेटवर्क ऊर्जा की काफी खपत करता है। यह प्रति घंटे लगभग 120 टेरावाट ऊर्जा लेते है। 

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आकाश इंस्टीट्यूट के छात्र हार्दिक गर्ग ने उत्तराखंड में टाप किया

 आकाश इंस्टीट्यूट के छात्र हार्दिक गर्ग ने उत्तराखंड में टाप किया

जेईई मेन्स 2021 के दूसरे सत्र में 99.96 परसेंटाइल का स्कोर 



संवाददाता

देहरादून। आकाश इंस्टिट्यूट के छात्र हार्दिक गर्ग जेईई मेन्स 2021 परीक्षा के दूसरे सत्र में स्टेट टापर बने। उन्होंने 99.96 परसेंटाइल का स्कोर पाकर उत्तराखंड और संस्थान को गौरवान्वित किया है। नेशनल टेस्टिंग द्वारा परिणाम घोषित किए गए है। इस साल होने वाली इंजीनियरिंग के लिए चार संयुक्त प्रवेश परीक्षाओं में से यह दूसरी प्रवेश परीक्षा थी।

हरिद्वार के हार्दिक गर्ग को बधाई देते हुए आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आकाश चौधरी ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि उत्तराखंड के हमारे छात्र हार्दिक ने कठिन जेईई मेन्स 2021 की प्रवेश परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। हमारे छात्र की मेहनत का श्रेय उसके माता-पिता और प्रशिक्षकों के समर्थन को जाता है जिन्होंने उसकी पूरी यात्रा में छात्र का मार्गदर्शन किया है। हमारी गुणवत्ता परीक्षण तैयारी छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण करने के लिए  प्रसिद्व है। 

हार्दिक ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन का श्रेय कड़ी मेहनत और परीक्षा के लिए आकाश आईआईटी-जेईई प्रशिक्षकों द्वारा प्रदान की गई उत्कृष्ट कोचिंग को दिया, जिसे दुनिया में सबसे कठिन माना जाता है। जेईई मेन्स परीक्षा एनआईटी, आईआईआईटी और सीएफटीआई में प्रवेश के लिए लागू होती है। बता दें कि देश भर से 6 लाख से अधिक छात्रों ने जेईई मेन्स के दूसरे सत्र के लिए पंजीकरण कराया है।


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रंगोली तथा पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन

 आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम



रंगोली तथा पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन

संवाददाता

कोटद्वार। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम श्रृंखला के अंतर्गत भक्त दर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महा विद्यालय जयहरीखाल में रंगोली तथा पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महा विद्यालय के सभी संकाय के विद्यार्थियों ने पूर्ण उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। 

विभिन्न मानकों के आधार पर निर्णायक मण्डल द्वारा प्रतियोगियों का मूल्याकंन कर परिणाम दिए गये। महा विद्यालय के प्राचार्य प्रो0 मामचन्द ने अपने उद्बोधन सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया एवं व्यक्तित्व निर्माण इस प्रकार के कार्यक्रमों का महत्व बताया। 



पोस्टर प्रतियोगिता में शिवांगी नेगी प्रथम, विकास गुसाईं द्वितीय तथा प्रियंका नेगी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। रंगोली प्रतियोगिता में आजाद ग्रुप को पहला, भगत सिंह ग्रुप को दूसरा तथा सरोजनी नायडू को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त उत्तम प्रयास हेतु सांत्वना पुरस्कार भी दिए गये। 

कार्यक्रम में प्रो0 एसपी मधवाल, डा0 कमल कुमार, डा0 पंकज कुमार, डा0 मोहम्मद शहजाद, डा0 अभिषेक कुकरेती, डा0 उमेश ध्यानी, डा0 विनीता, श्रीमती श्रद्वा भारती, डा0 शिप्रा शर्मा तथा अर्चना नौटियाल उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती कृतिका क्षेत्री द्वारा किया गया।


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मुख्यमंत्री की 92 प्रतिशत सांसद निधि नहीं हुुई खर्च

 मुख्यमंत्री की 92 प्रतिशत सांसद निधि नहीं हुुई खर्च



केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री निशंक की सांसद निधि का एक भी रूपया खर्च नहीं

उत्तराखंड के सांसदों की 32.20 करोेड़ों की सांसद निधि खर्च होनेे को शेेष

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड केे सांसदों की 2021 के र्प्रारंभ में 32.20 करोड़ की सांसद निधि खर्च होने को शेष है। इसमें 17.68 करोड़ की सांसद निधि लोकसभा सांसदों तथा 14.52 करोड़ की सांसद निधि राज्य सभा सांसदों की शामिल है। यह स्थिति तब हैै जब वर्ष 2020-21 तथा 2021-22 की सांसद निधि भारत सरकार द्वारा स्थगित किये जाने के कारण किसी सांसद को मिली ही नहीं है। वर्तमान मुख्यमंत्री व पौैड़ी सांसद तीरथ सिंह रावत की वर्ष 2019-20 की सांसद निधि में से दिसम्बर 2020 तक केवल 8 प्रतिशत धनराशि खर्च हुई हैै जबकि हरिद्वार सांसद व केर्न्द्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियल निशंक की कोेई भी धनराशि खर्च नहीं हो सकी है। 

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड के ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय से सांसद निधि खर्च सम्बन्धी सूचना मांगी थी जिसके उत्तर में लोेक सूचना अधिकारी/अपायुक्त (प्रशासन) हरगोविन्द भट्ट द्वारा पत्रांक सं0 3108 के साथ सांसद निधि खर्च के दिसम्बर 2020 तक विवरण उपलब्ध करायेे गये हैैं जिसमें दिसम्बर 2020 के अंत तक की उत्तराखंड के लोेकसभा व राज्यसभा सांसदों के सांसद निधि खर्च का विवरण दिया गया हैै।

उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड केे वर्तमान लोकसभा सांसदों को 2019-20 की ही सांसद निधि मिली है। अल्मोड़ा सांसद अजय टम्टा को ब्याज सहित 250.23 लाख की सांसद निधि स्वीकृति हेतु उपलब्ध हुई है जिसमें से दिसम्बर 2020 तक 89 प्रतिशत 223.75 लाख की सांसद निधि खर्च हुई है। हरिद्वार सांसद व केन्द्रीय कैबिनेेट मंत्री डा0 रमेश पोखरियाल को 2019-20 में 250 लाख की सांसद निधि उपलब्ध हुुई हैै जिसमें सेे कोई भी धनराशि खर्च नहीं हुई हैै। इतना ही नहीं इनके पिछलेे कार्यकाल की 10 प्रतिशत 71.25 लाख की धनराशि भी खर्च होने को शेष है। 

पौड़ी सांसद व वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को 2019-20 की 250 लाख की सांसद निधि मिली है। जिसमेें से केवल 8 प्रतिशत 20.25 लाख की धनराशि ही दिसम्बर 2020 तक खर्च हो सकी हैै।

टिहरी सांसद श्रीमति राजलक्ष्मी शाह को 2019-20 में 250 लाख की सांसद निधि उपलब्ध हुई हैै जिसमें से 77 प्रतिशत 192.46 लाख की धनराशि खर्च हो चुकी है। नैैनीताल सांसद अजय भट्ट को ब्याज सहित 251.21 लाख की सांसद निधि उपलब्ध हुई हैै जिसमें से 61 प्रतिशत 152.61 लाख की सांसद निधि दिसम्बर 2020 तक खर्च हो सकी है।


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अटल इन्क्यूबेशन सेंटर के नए परिसर का उद्घाटन

अटल इन्क्यूबेशन सेंटर के नए परिसर का उद्घाटन



संवाददाता

देहरादून। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अटल इन्क्यूबेशन सेंटर के नए परिसर का उद्घाटन गोवा इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट के परिसर में किया और साथ ही साथ राज्य में व्यवसायों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एआईसीजीआईएम के चार प्रमुख उपक्रमों का अनावरण किया। इस नए इनक्यूबेशन सेंटर के माध्यम से ’गोवा इन्वेस्ट-ए-थोन’ आयोजित होगा। इस उपक्रम के माध्यम से गोवा स्थित स्टार्ट अप्स और उनके फाउंडर्स को इन्व्हेस्टर्स की सुविधा प्राप्त होने वाली है।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से उद्घाटीत कार्यक्रमों में ‘आईमॅजिक’ भी शामिल है जो गोवा में उद्योग से जुडी प्रतिभा को पहचानने में मदद करेगा और उद्योग संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान और मेंटर्स तक पहुंच प्रदान करके इस प्रतिभा हो कायम रखेगा।

एस 4 एस 3 एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य स्टार्टअप को टिकाऊ, स्केलेबल बनाना और स्टार्टअप को सामाजिक प्रभाव प्राप्त करने की सहायता प्रदान करना है। एआईसी-जीआईएम में 21 ऐसे स्टार्टअप शुरू किए जाने की उम्मीद है, जो एआईसीजीआईएम इनक्यूबेटर द्वारा आवश्यक मूल्य वर्धित सेवाएं प्राप्त करेंगे। ‘वी-नर्चर’ कार्यक्रम का उद्देश्य कारपोरेट भागीदारों और ‘रिवेर’ की मदद से महिला उद्योजकों को बढ़ावा देना है। एक साल की कालावधी में घर पे रहके स्टार्टअप बनाने और उन्हें स्केलेबल फ्रयूचर बनाने के लिए ये उपक्रम है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा स्टार्टअप के लिए एक पसंदीदा स्थान बनने के रास्ते पर है और एआईसी-जीआईएम युवा पुरुषों और महिलाओं के लिए वैकल्पिक कैरियर विकल्प के रूप में उद्योगशीलता को प्रोत्साहित करने और सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा कि यह जानना गौरवास्पद है कि कई स्टार्टअप इस एआईसीजीआईएम केंद्र से लाभान्वित हुए हैं और हमंे ऐसा करना जारी रखेंगे। उच्च शिक्षा में जीआईएम के प्रयासों और राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम में योगदान ने साखळी और पूरे गोवा को गौरवान्वित किया है। 

गोवा में स्टार्टअप को सक्षम बनाने और बढ़ावा देने के दोहरे उद्देश्य को पूरा करने के लिए ‘गोवा इन्व्हेस्ट-ए-थान की कल्पना की गई है। जो गोवन स्टार्ट-अप निवेश में 1 करोड़ की निधी प्राप्त करने के इच्छुक है, उनके के लिए पात्र हैं।

एआईसी-जीआईएम प्रमुख भारतीय स्टार्टअप स्टार्टअप फर्मों और देश के शीर्षदूत निवेशकों के साथ मिलकर निवेश कर रहा है। उद्घाटन के दिन आयोजित बहुप्रतीक्षित ’स्टार्टअप पिच’ कार्यक्रम के लिए सिंडिकेटेड निवेश फंड मौजूद थे।

इनवेस्टमेंट गोवा में स्टार्टअप इकोसिस्टम के बारे में उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों (एचएनआई) और निवेशकों को संवेदनशील और शिक्षित करने और राज्य को निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आठ सप्ताह के कार्यक्रम को भी शामिल करेगा।

जोशी के अनुसार गोवा देश में सबसे अच्छे स्टार्टअप डेस्टिनेशन के रूप में उभर सकता है। गोवा में उद्योगशीलता को प्रोत्साहित करने के अलावा गोवा के प्रमुख स्टार्टअप निवेशकों को आकर्षित करना महत्वपूर्ण है। यह भी महत्वपूर्ण है कि हम एक स्थानीय निवेशक नेटवर्क विकसित करें। हम जीएआईएन (गोवा एंजेल इन्वेस्टर नेटवर्क) के साथ जीएआईएन एक व्यवहार्य स्टार्टअप जीओसिस्टम का निर्माण करना चाहते है

जीआईएमके संचालक अजित परुलेकर ने कहा कि एआईसीजीआईएम ने अपनी स्थापना के बाद होनहार उद्योग के विकास के लिए एक सक्रिय ज्ञान और संसाधन उत्प्रेरक के रूप में काम किया है और बाजार की सफलता के लिए प्रारंभिक चरण के संगठनों के विकास जरुरी है गोवा में एक प्रगतिशील स्टार्टअप नीति है। राज्य एक आदर्श स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए आवश्यक सभी तत्वों को प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इनक्युबेशन सेंटरमें राजेश जोशी की मदद से गोवा में स्टार्ट-अप समुदाय के लिए बहुत जरूरी प्रोत्साहन की पेशकश करने के लिए तैयार हैं।

इस कार्यक्रम में जीआईएम बोर्ड और सोसाइटी के सदस्य, पीटर डीश्लिमा, शिवानंद और स्वाति सालगावकर, डीन मिनेझीस अन्य शामिल थे। इसके अलावा निती आयोग के निवेशक और सदस्य भी मौजूद थे।


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