सोमवार, 31 जनवरी 2022

मध्यप्रदेश पुलिस ने थाना प्रभारियों से कहा रखे खास ख्याल

 सेना और अर्धसैनिक बलों के जवानों को काम के लिए नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर

मध्यप्रदेश पुलिस ने थाना प्रभारियों से कहा रखे खास ख्याल



एजेसी

भोपाल। भारतीय सेना और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान, जिन्हें दुर्गम स्थलों पर विपरित परिस्थितियों के बीच ड्यूटी करनी पड़ती है, ऐसे जवानों का राज्य सरकार खास ध्यान रखे। देखने में आया है कि ये जवान जब छुट्टी लेकर अपने घर जाते हैं तो उनके परिवार से संबंधित कुछ कार्य ऐसे होते हैं, जिनकी फाइल स्थानीय प्रशासन के पास लंबित होती है। शिक्षा विभाग, पुलिस, राजस्व महकमा, पावर सप्लाई, स्वास्थ्य या अन्य किसी सरकारी कार्यालय में जवान के परिवार से संबंधित कोई न कोई कामकाज रहता है।

स्थानीय प्रशासन से अपेक्षित सहयोग न मिल पाने के कारण जवान की छुट्टियां सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते हुए खत्म हो जाती हैं। नतीजतन जवानों के दिमाग पर टेंशन बनी रहती है। वह ड्यूटी पर रहते हुए भी अपने परिवार के उसी कार्य में बारे में सोचता है। मध्यप्रदेश पुलिस ने अपने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को पत्र लिख कर कहा है कि सेना व अर्धसैनिक बलों के जवानों, रिटायर्ड कर्मियों या उनके परिजनों का अगर कोई काम लंबित है तो उसे सम्मान सहित तुरंत निपटाने का प्रयास करें।  

थल सेना, वायु सेना, नौसेना एवं केंद्रीय सशस्त्र बलों जैसे बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ व दूसरे बलों के जवान विषम और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में ड्यूटी देते हैं। ये जवान अपनी जान की परवाह किए बिना देश की सेवा एवं सुरक्षा में तत्पर रहते हैं। अपने घर परिवार से हजारों किलोमीटर दूर जोखिम भरे इलाकों और खराब मौसम में भी देश की सुरक्षा में ये जवान दिन-रात लगे रहते हैं। इन जवानों को साल में केवल सीमित समय के लिए अपने घर पहुंच कर परिवार की लंबित घरेलू समस्याओं को देखने का अवसर मिल पाता है।

केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में तो कई वर्षों से जवानों को 100 दिन अपने परिवार के साथ रहने की सुविधा प्रदान करने का मुद्दा लंबित है। यह योजना किन्हीं कारणों से लागू नहीं हो पा रही है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय एवं विभिन्न बलों के महानिदेशक आए दिन यह बयान देते रहते हैं कि एक वर्ष में जवान 100 दिन तक अपने परिवार के साथ रह सकें, इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है। सीआरपीएफ के पूर्व डीजी डा0 एपी महेश्वरी ने भी ऐसे मामलों में जिले के डीसी और एसपी को डीओ लेटर लिखने की बात कही थी। उनका कहना था कि अपने परिवार के स्थानीय मामलों में जवान छुट्टी लेकर जाते हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन से अपेक्षित सहयोग न मिल पाने के कारण इनकी छुट्टियां खत्म हो जाती हैं और काम भी नहीं हो पाता। इससे जवान तनाव में रहने लगते हैं।

मध्यप्रदेश पुलिस ने खासतौर पर अपने थाना प्रभारियों से कहा है कि इन बलों के जवान, रिटायर्ड कर्मी व अधिकारी तथा उनके परिवार के सदस्य किसी शासकीय कार्य के लिए कार्यालय में पहुंचते हैं तो उनके साथ स्नेह और सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए। उनके कार्यों का अविलंब निपटारा करें। यह ध्यान रखें कि उन्हें किसी एक काम के लिए बार-बार पुलिस या दूसरे विभाग के पास न आना पड़े। इस संबंध में कई दूसरे अर्धसैनिकों बलों के मुख्यालयों द्वारा भी विभिन्न राज्यों के जिला प्रशासन के पास जवान का फेवर करने के लिए डीओ लेटर आते रहते हैं।

 डोईवाला सीट से भाजपा ने तीन बागी प्रत्याशियों को मनाया



पूर्व मुख्यमंत्री निशंक ने भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनाई

संवाददाता

देहरादून। डोईवाला विधानसभा सीट से भाजपा ने तीन बागी उम्मीदवारों को मना लिया है। इसके बाद बागी उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिया है। इसकी घोषणा रिस्पना पुल स्थित एक होटल में आयोजित पत्राकार वार्ता में पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद डा0 रमेश पोखरियाल निशंक ने की। 

पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पत्रकार वार्ता करते हुए कांग्रेस पर निशाना साध। साथ ही भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनाई। निशंक ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्रा में ऐतिहासिक काम हुए हैं। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में स्वास्थ्य बजट बहुत कम था। भाजपा सरकार ने उसको कई गुना बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना में लाखों परिवारों को लाभ मिला है। निशंक ने कहा कि वन रैंक, वन पेंशन देकर सैनिकों को सम्मान दिया है। उत्तराखंड में सैन्य धाम बनेगा। उत्तराखंड सैन्य धाम के रूप में जाना जाएगा, किसी ने नहीं सोचा था। 

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सेना के जनरल को गली का गुंडा तक कहा और उसके लिए मापफी तक नहीं मांगी। उनका कहना था कि उत्तराखंड में सड़कों का जाल बिछ चुका है। हजारों हजार करोड़ रुपये सड़को के लिए केंद्र से मिला है। उन्होंने कहा कि हम हिसाब-किताब जनता को दे रहे है। 

उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस में दम है तो वह भी जनता को हिसाब-किताब दे। सांसद ने कहा कि हरिद्वार में जिस तरह नल से पानी निकलता है, उसी तरह गैस निकल रही है। गैस पाइप लाइन हरिद्वार तक पहुंच गई है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के बागी उम्मीदवारों से बातचीत करने के बाद उन्होंने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के समर्थन में नाम वापस ले लिया है। डोईवाला सीट से भाजपा के जिन तीन बागी उम्मीदवारों ने नाम वापस लिया है उनमें सौरभ थपलियाल, सुभाष भट्ट व राहुल पंवार शामिल हैं। इसके अलावा पार्टी के एक अन्य बागी दिगंबर सिंह नेगी को मनाने की कोशिशें चल रही हैं। 

पत्राकार वार्ता में सौरभ थपलियाल व सुभाष भट्ट भी उपस्थित रहे।

इस बार रोजगार और विकास के लिए वोटः आर्येन्द्र शर्मा

 भाजपा के छल से लोग परेशान, इस बार रोजगार और विकास के लिए करेंगे वोटः आर्येन्द्र शर्मा



संवाददाता

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। इस क्रम में उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष और सहसपुर विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार आर्येन्द्र शर्मा ने भाऊवाला में एक जनसभा का आयोजन किया। बड़ी संख्या में लोग इस जनसभा का हिस्सा बने। इस अवसर पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष संजय किशोर और ब्लाक कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व प्रधान कंडोली मेघ सिंह भी मौजूद रहे।

इस दौरान आर्येन्द्र शर्मा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्वांजलि अर्पित की। उन्होंने बापू द्वारा दिए गए सत्य और अहिंसा के सिद्वांत को आदर्श लोकतंत्र की बुनियाद बताया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम ना केवल भारतीय जनमानस में बल्कि पूरी दुनिया में स्थायी छाप की तरह मौजूद है। 



सहसपुर में विकास के क्षेत्र में सरकार की विफलता को गिनाते हुए आर्येन्द्र शर्मा ने अपनी विकास की नीतियों की व्याख्या की, जिनमें युवाओं के लिए युवाओं को रोजगार, स्किल ट्रेनिंग संस्थान बनाने, सड़कों की स्तिथि सुधारने और महिलाओं को कुटीर उद्योग के साथ सशक्त करने जैसे काम शामिल हैं।

जनता को मतदान के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि जो भरोसा आप उनपर कर रहे हैं उसे कायम रखने के लिए वह मन, कर्म और वचन से काम करेंगे। वह क्षेत्रा के विकास के लिए समर्पित रहेंगे और सहसपुर में विकास की लहर दौड़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों से विकास का जो सूखा सहसपुर में पड़ा हुआ है, उस सूखे का अंत कर सहसपुर को आदर्श विधानसभा क्षेत्र के रूप में विकसित किया जायेगा।

फर्स्ट एड बाक्स में इन चीजों को रखना जरूरी हैं

 कई घरों में ये बाक्स होता है लेकिन इसे अपडेट न करने से इमरजेंसी में मुश्किल होती है



फर्स्ट एड बाक्स में इन चीजों को रखना जरूरी हैं

प0नि0डेस्क

देहरादून। घर पर फर्स्ट एड बाक्स का होना बहुत जरूरी होता है। छोटी-छोटी चोट, बुखार, इनफेक्शन या स्वास्थ्य संबंधी किसी भी तरह की समस्या होने पर कोरोना महामारी के समय में तुरंत डाक्टर के पास जाना संभव नहीं होता और ऐसे में ये बाक्स बहुत काम आती है। 

कई घरों में ये बाक्स तो होता है लेकिन समय समय पर इसे अपडेट न करने से इमरजेंसी के समय मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं, कई बार तो सालों से इसमें रखीं दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि समय-समय पर इसे चेक करते रहें और जरूरी चीजों को रिफिल किया जाए। 

आपके फर्स्ट एड बाक्स में क्या-क्या चीजें होना जरूरी है-

पेन किलर दवाएंः घर में सबसे जरूरी किसी दवा की जरूरत होती है तो वो है दर्द निवारक दवाएं। पिफर वह चाहे सिर दर्द, पेट दर्द, ज्वाइंट पेन की दवा हो या सूजन आदि के दौरान लिए जाने की दवा। आप डाक्टर की सलाह पर कुछ दवाओं को अपने बाक्स में इमरजेंसी दवाओं के रूप में रख सकते हैं।

बैंडेजः घर पर काम के दौरान चोट आना एक आम बात है। ऐसे में घाव को खुला रखने से इन्पफेक्शन की संभावना होती है। इसलिए घर में बैंडज का होना बहुत ही जरूरी है। इसके अलावा काटन और पट्टी को भी जरूर इसमें रखें।

एंटीसेप्टिक क्रीमः कटने या छिलने के बाद घाव को तुरंत डिटाल के पानी से धोएं और एंटीसेप्टिक क्रीम या साल्यूशन का इस्तेमाल करें। एंटीसेप्टिक क्रीम घाव पर बैक्टीरिया पनपने के खतरे को कम करता है। इसलिए मेडिकल एड बाक्स में इसे जरूर रखें। सोफरामाइसिन या बरनाल आदि रख सकते हैं।

गैस या बदहजमी की दवाः कई बार बासी खाना या बाहर का खाना खाने से पेट दर्द, मरोड़, कब्ज, गैस, बदहजमी जैसी समस्याएं आती हैं ऐस में राहत के लिए एंटासिड, पुदीन हरा, डाइजिन आदि दवाओं को रखें। ये पेट की समस्याओं से तत्काल छुटकारा दिलाने के काम आ सकती है।

इलेक्ट्राल और ग्लूकोजः गर्मी और बारिश के मौसम में अक्सर शरीर में नमक व मिनरल्स की कमी हो जाती है और डिहाइड्रेशन का अनुभव होता है। ऐसा होने पर तुरंत ग्लास में इलेक्ट्राल का घोल पीना पफायदेमंद होता है। ग्लूकोज के सेवन से आप दोबारा से तरोताजा हो जाते हैं।

पेट की समस्या की दवाएंः पेट खराब होना, दस्त, उबकाई, अपच, बदहजमी के लिए पेप्टोबिस्माल का इस्तेमाल किया जाता है। ईनो, पुदीन हरा, डाइजीन भी रखें। पेरासिटामोल, एवोमिन, कोरेक्स जैसी सामान्य दवाइयां जरूरत के समय काम आती है।

थर्मामीटरः सिजनल फीवर या कोरोना सभी में थर्मामीटर की जरूरत पड़ती है। ऐसे में हर घर में एक या दो थर्मामीटर होने चाहिए।

एंटी एलर्जिक दवाएंः त्वचा पर होने वाली खुजली व चकत्तों से राहत पाने के लिए एंटी एलर्जिक दवाएं, एंटी फगल क्रीम, एलोवेरा जेल और बर्न क्रीम रखना जरूरी है। कटने, छिलने आदि में उपचार के लिए सोफरामाइसीन जैसे एंटी बैक्टीरियल या एंटीबायोटिक आइंटमेंट रखें।

बाम या वेपोरबः सिर दर्द, सर्दी ज़ुकाम, हाथ पैर और कमर दर्द के लिए बाम बहुत उपयोगी है। बाम इस प्रकार के दर्द से तुरंत राहत दिलाने में कारगर होता है। ऐसे में ओमनीजेल, विक्स वेपोरब, मूव आदि जरूर रखें।

ब्लड प्रेशर मशीन और आक्सीमीटरः घर में अगर बुजुर्ग है तो ब्लड प्रेशर नापने की मशीन रखनी चाहिए। इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान घर में आक्सीमीटर का होना जरूरी है।

इन चीजों को भी रखें- कैंची, आइस बैग, हीटिंग बैग, रूई, बड्स, पिन, सेफ्रटी पिन आदि भी पफर्स्ट एड बाक्स में जरूर रखें।


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सर्दियों में चाय का ज्यादा सेवन से हो सकती है सेहत खराब!

 सर्दियों में चाय का ज्यादा सेवन से हो सकती है सेहत खराब!



प0नि0डेस्क

देहरादून। अक्सर लोगों की घर में दिन की शुरुआत एक कप चाय से होती है। सर्दियों में तो उनकी चाय की खुराक बढ़ जाती है। हालांकि चाय के फायदे और नुकसान को लेकर हमेशा बहस होती रहती है लेकिन बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ होते है कि उन्हें दिन में कितनी बार चाय पीनी चाहिये।

अगर आप दिन में दो कप चाय पीते हैं तो इसके कई फायदे होते हैं। क्योंकि चाय में एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है जो हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इतना ही नहीं यह कैंसर से लड़ने में भी सहायक होता है।

चाय फायदेमंद तो है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उसे सही तरीके से बनाया जाये। चाय में अदरक, तुलसी, पुदीने, शहद का इस्तेमाल लाभदायक होता है। खासकर सर्दी के मौसम में ये चीजें कई बीमारियों से छुटकारा दिलाती हैं।

ठंड से राहत के वास्ते लोग सर्दी के मौसम में ज्यादा चाय पीते हैं जो उनकी सेहत खराब कर सकती है। गौर करने वाली बात है कि चाय में टैनिन पाया जाता है। अगर हम ज्यादा चाय पीते हैं तो अधिक मात्रा में टैनिन हमारे शरीर में पहुंचता है। इस कारण हमें अनेक समस्याएं हो सकती हैं। खासकर अगर कोई दवा ले रहे हैं तो इससे उन दवाओं का लाभ कम होता है। 

थाइराएड के मरीज यदि ज्यादा चाय का सेवन कर रहे है तो इसका असर यह होता है कि ऐसे लोगों के शरीर दवाओं को एब्जार्ब नहीं करेगा जिससे उन मरीजों को दवा लेने के बावजूद कोई लाभ नही होगा बल्कि उनकी समस्या बढ़ती जायेगी।


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समाचार प्रकाशन जगत में डिजिटलीकरण की दुविधा

 समाचार प्रकाशन जगत में डिजिटलीकरण की दुविधा



डिजिटल राजस्व में 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी गूगल और फेसबुक की

एजेंसी

नई दिल्ली। आक्सफोर्ड स्थित रायटर्स इंस्टीट्यूट फार द स्टडी आफ जर्नलिज्म (आरआईएसजे) का द डिजिटल न्यूज प्रोजेक्ट आनलाइन खबरों की पड़ताल करके पत्रकारिता और कारोबार उनके असर का आकलन करता है। इस महीने के आरंभ में उसने एक रिपोर्ट ‘जर्नलिज्म, मीडिया ऐंड टेक्रालजी ट्रेंड्स ऐंड प्रिडिक्शंस 2022’ जारी की। 52 देशों के 246 संपादकों, मुख्य कार्याधिकारियों और डिजिटल नेतृत्वकर्ताओं ने कहा कि वे 2022 में अपनी कंपनी की संभावनाओं को लेकर आश्वस्त हैं। 

आरआईएसजे के वरिष्ठ शोध सहायक निक न्यूमैन ने कहा कि प्रकाशकों का यह भरोसा इसलिए भी है क्योंकि कोविड-19 महामारी के दौरान सबस्क्रिप्शन और सदस्यता माडल लगातार गति पकड़ते रहे। मसलन न्यूयार्क टाइम्स के अब 84 लाख सबस्क्रिप्शन हैं जिसमें 76 लाख डिजिटल हैं। शुरुआत में ऐसा करने वाली कई कंपनियों का डिजिटल राजस्व अब प्रिंट राजस्व को पीछे छोड़ चुका है। लेकिन कई छोटे डिजिटल प्रकाशक मसलन स्लोवाकिया में डेनिक, मलेशिया में मलयसियाकिनी और डेनमार्क में जेटलैंड भी ऐसा कर सकते हैं। भारत में भी ऐसा ही हो रहा है। 

गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता करने में हजारों जमीनी रिपोर्टर, ढेर सारा समय और पैसा लगता है। लंबे समय तक प्रकाशकों ने विज्ञापनों पर भरोसा किया। समाचार पत्रों का 70-80 फीसदी राजस्व अभी भी वहीं से आता है। इंटरनेट के जोर पकड़ने के बाद भी प्रिंट माध्यम का प्रसार और राजस्व दोनों बढ़ते जा रहे हैं। यह बात इसे 1.38 लाख करोड़ रुपये के भारतीय मीडिया और मनोरंजन कारोबार का सबसे अधिक मुनाफे वाला क्षेत्र बनाती है।

काम्सकोर के आंकड़ों के मुताबिक भारत की 20 शीर्ष में से 18 समाचार वेबसाइट बड़े विरासती ब्रांड हैं। फरवरी 2021 में भारत में 46.8 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता थे और गूगल की पहुंच इन तमाम लोगों तक है। फेसबुक का आंकड़ा थोड़ा कम 43.6 करोड़ लोगों का है। 2020 में 23,500 करोड़ रुपये के डिजिटल राजस्व में 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी इन दोनों की रही। बाकी बचे सैकड़ों डिजिटल प्रकाशकों के लिए केवल 10 फीसदी हिस्सा बचा। इस पर नियामकों का ध्यान जाना लाजिमी था। आस्ट्रेलिया और प्रफांस में गूगल को प्रकाशकों को भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया। भारत में भी प्रकाशकों ने हाल ही में गूगल को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के समक्ष तलब कराया था। 

महामारी ने उस माडल को नष्ट कर दिया। पाठकों की तादाद में तेजी से इजाफा होने के बावजूद विज्ञापन राजस्व में भारी गिरावट आई। फिलहाल भारत में समाचार वेबसाइटों के करीब 10 लाख सबस्क्राइबर हैं। मनोरंजन जगत के ओटीटी प्लेटफार्मों के 10 करोड़ से अधिक सबस्क्राइबर हैं। समाचार प्रकाशकों को उन आंकड़ों तक पहुंचने के लिए कई वर्ष लगेंगे तथा तकनीक और सामग्री पर बहुत पैसा खर्च करना होगा।

देश के सबसे बड़े समाचार एग्रीगेटरों में से एक इनशार्ट्स ने 2019 में पब्लिक नामक एक ओपन प्लेटफार्म शुरू किया। 2021 के आरंभ तक इस पर 60,000 क्रिएटर थे जिनमें वार्ड मेंबर, सांसद, विधायक तथा सैकड़ों छोटे कस्बों के स्थानीय निवासी शामिल हैं जिन्होंने इस पर स्थानीय घटनाओं के छोटे-छोटे वीडियो और खबरें डालीं। गत वर्ष इनशार्ट्स के 7.5 करोड़ विशिष्ट उपयोगकर्ताओं में से 80 प्रतिशत पब्लिक के माध्यम से आए। न्यूमैन कहते हैं कि टिकटाक या शार्ट वीडियो पर समाचारों को लेकर युवा श्रोताओं/दर्शकों की भिड़ंत होगी। लेकिन यह आसानी से झूठी खबरों का गढ़ बन सकता है।

सवाल सीध सा है कि समाचार पत्रकारिता के टूटे हुए माडल की जगह कौन लेगा। सबस्क्रिप्शन अच्छा रुझान है लेकिन विज्ञापन समर्थित हर समाचार कचरा नहीं है। कई ऐसे ब्रांड हैं जहां मालिकों के पास यह दृष्टि और मजबूती मौजूद है कि वे अच्छी पत्रकारिता कर सकें।


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करोड़ों की लाटरी जीतने वाले मैसेज!

 करोड़ों की लाटरी जीतने वाले मैसेज!



सावधानी बरतें वरना खाली हो जाएगा आपका बैंक अकाउंट

प0नि0डेस्क

देहरादून। ठगी करने वाले अपराधी मासूम लोगों को मैसेज या काल करके बताते हैं कि आपने लाटरी में करोड़ों रुपये का इनाम जीता है। हालांकि वो पैसे ट्रांसफर करने के एवज में आपसे कमीशन के रूप में मोटी रकम की मांग करते हैं।

इस बात में कोई दो राय नहीं है कि बढ़ते समय और टेक्नोलाजी के इस दौर में आम आदमी का जीवन पहले के मुकाबले काफी आसान हो गया है। हालांकि इस टेक्नोलाजी के दो पहलू हैं। जहां एक तरफ इस टेक्नोलाजी ने हमारा जीवन काफी आसान कर दिया है, वहीं दूसरी ओर इसने ठगी के कई नए विकल्पों को भी जन्म दे दिया है। आज के इस दौर में नई-नई तकनीक की मदद से बड़े पैमाने पर ठगी को अंजाम दिया जा रहा है।

सरकार की पूरी कोशिश रहती है कि लोगों को जागरूक कर इस तरह की ठगी को रोका जाए। इसके बावजूद कुछ लोग जालसाजों के जाल में फंस ही जाते हैं। लोगों को जागरूक करने की दिशा में पीआईबी फैक्ट्स चेक ने ठगी के एक ऐसी तरीके के बारे में बताया है, जो इन दिनों काफी प्रचलन में है। दरअसल ठगी के इस नायाब तरीके में अपराधी मासूम लोगों को मैसेज या काल करके बताते हैं कि आपने लाटरी में करोड़ों रुपये का इनाम जीता है। हालांकि वो पैसे ट्रांसफर करने के एवज में कमीशन के रूप में मोटी रकम की मांग करते हैं।

आमतौर पर जब किसी इंसान के सामने करोड़ों रुपये की लाटरी का इनाम रहता है तो वे 5-10 हजार रुपये का कमीशन देने में ज्यादा सोच-विचार नहीं करते हैं। ऐसे में जब अपराधी के अकाउंट में जैसे ही आप कमीशन के नाम पर पैसे ट्रांसफर करते हैं वे तुरंत गायब हो जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो वे आपसे गोपनीय जानकारी जैसे अकाउंट नंबर, कार्ड नंबर, सीवीवी कोड, ओटीपी भी हासिल कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में आपके बैंक खाते में मौजूद पूरी रकम उड़ा ली जा सकती है।

ऐसे में यदि आपको भी कभी ऐसे मैसेज, काल या ईमेल आए तो सावधान हो जाएं। लाखों-करोड़ों का इनाम पाने के लालच में आपके खून-पसीने से कमाए गए सारे पैसे उड़ाए जा सकते हैं। इसलिए सावधान रहना ही सबसे अच्छा उपाय है। अगर आपके पास किसी भी तरह की इनामी राशि को लेकर कोई काल, मैसेज या ईमेल आए तो उसे सीधे-सीधे इग्नोर कर दें और अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया न दें। अगर कोई भी व्यक्ति लाटरी की राशि भेजने के एवज में कमीशन की मांग करता है तो तुरंत उसका फोन काट दें और तुरंत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं।


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शनिवार, 29 जनवरी 2022

अंडमान और निकोबार त्रि-सेवा कमान ने उन्नत हल्के हेलीकाप्टर एमके-III शामिल

 अंडमान और निकोबार त्रि-सेवा कमान ने उन्नत हल्के हेलीकाप्टर एमके-III शामिल 



एजेंसी

चैन्नई। कमांडर-इन-चीफ अंडमान और निकोबार कमान (सीआईएनसीएएन) लेफ्रिटनेंट जनरल अजय सिंह ने समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए पोर्ट ब्लेयर में आईएनएस उत्क्रोश पर स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टर (एएलएच) एमके-III को औपचारिक रूप से शामिल किया। जैसे ही बहु-भूमिका संपन्न हेलीकाप्टर के रोटर ब्लेड ने हवा में घूमना शुरू किया, विमान का एएनसी में पारंपरिक जल तोप की सलामी के साथ औपचारिक रूप से स्वागत किया गया। इस विमान का शामिल किया जाना, भारत के एकमात्र संयुक्त कमान के रूप में स्थापित होने के बाद पिछले दो दशकों में अंडमान और निकोबार कमान की क्षमताओं में निरंतर वृद्वि का प्रतीक है।

एएलएच एमके-III विमान हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित है और यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए सरकार के प्रोत्साहन के अनुरूप सैन्य विमान के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है। अब तक एचएएल द्वारा 300 से अधिक विमान वितरित किए गए हैं और सशस्त्र बलों द्वारा इनका उपयोग किया जा रहा है। इसके विभिन्न प्रकारों में एमके-III संस्करण समुद्री भूमिका पर आधारित है। यह अत्याधुनिक सेंसर और हथियार से लैस है, जिनसे समुद्र में भारत के कौशल में वृद्वि होती है। 



एएलएच एमके-III विमान अपने ग्लास काकपिट, शक्ति इंजन, उन्नत समुद्री गश्ती रडार, इलेक्ट्रो-आप्टिकल पेलोड और अंधकार में देखने के उपकरण के साथ भारत के सुदूर पूर्वी समुद्री तट और द्वीप क्षेत्रों को सुरक्षित रखने में ताकत को कई गुणा बढ़ाने वाले के रूप में कार्य करेगा। अत्याधुनिक विमान में समुद्री निगरानी, विशेष बलों के लिए समर्थन, चिकित्सा के लिए निकासी आदि के अलावा खोज और बचाव भूमिकाओं सहित बहु-भूमिका क्षमताएं हैं।

इस अवसर पर लेफ्रिटनेंट जनरल अजय सिंह ने अंडमान और निकोबार की सुरक्षा को बढ़ावा देने वाले के रूप में इसकी सराहना की। उन्होंने कहा कि यह देश की सुरक्षा में आत्मनिर्भर होने और इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने पर आधारित देश के संकल्प का प्रतीक है। 

सेवामुक्त आईएनएस खुकरी दीव प्रशासन को सौंपा गया

 सेवामुक्त आईएनएस खुकरी दीव प्रशासन को सौंपा गया



एजेंसी

मुंबई। भारतीय नौसेना का पहला स्वदेश में निर्मित मिसाइल कार्वेट आईएनएस खुकरी (पी49) दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव (डीएनएचडीडी) प्रशासन को सौंप दिया गया। दीव के आईएनएस खुकरी मेमोरियल में औपचारिक रूप से आयोजित भव्य समारोह में रियर एडमिरल अजय विनय भावे फ्रलैग आफिसर डाक्ट्रिन एंड कान्सेप्ट्स ने सेवामुक्त पोत को विधिवत रूप से केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली एवं दमन और दीव तथा लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल के हवाले किया। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय नौसेना बैंड द्वारा एक आकर्षक प्रस्तुति दी गई और लंगर डालने के स्थान पर नौसेना के जहाजों द्वारा रोशनी भी की गई।

जहाज को सौंपने से पहले प्रफुल्ल पटेल को इसके चारों तरफ ले जाया गया और आईएनएस खुकरी ने अपने सेवाकाल के दौरान जो उपलब्धियां एवं क्षमताऐं हासिल की थीं, उनके बारे में जानकारी भी दी गई।

इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए एडमिरल भावे ने आईएनएस खुकरी की घर वापसी यात्रा शुरू करने की इस पहल के लिए प्रशासक प्रफुल्ल पटेल की सराहना की। उन्होंने कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला एमवीसी और पहले आईएनएस खुकरी के बहादुर कर्मियों के बलिदान पर भी ध्यान आकृष्ट किया, जिनकी स्मृति में भव्य दीव स्मारक समर्पित किया गया है।

सार्वजनिक यात्राओं के लिए दीव प्रशासन द्वारा खुकरी को एक संग्रहालय में परिवर्तित करने की योजना है। संग्रहालय मौजूदा खुकरी मेमोरियल के साथ सह-स्थित होगा। यहां पर आईएनएस खुकरी (एपफ149) ब्लैकवुड क्लास पनडुब्बी रोधी फ्रिगेट का छोटा संस्करण भी रखा गया है।

सहसपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर

 सहसपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस-भाजपा के बीच कांटे की टक्कर



सहसपुर सीट पर कांग्रेस की अच्छी पकड़ का दावा 

संवाददाता

देहरादून। सहसपुर विधानसभा सीट उत्तराखंड की एक अहम विधानसभा सीट है। इस बार सहसपुर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, हालांकि यह जनता को तय करना है। इस सीट पर हमेशा से ही कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। इस बार कांग्रेस ने अपना दांव कद्दावर नेता आर्येन्द्र शर्मा पर लगाया है, जिन्हें हमेशा से जनता का प्यार मिलता रहा है।

वहीं भाजपा ने इस सीट से सहदेव सिंह पुंडीर और आम आदमी पार्टी ने भरत सिंह को टिकट दिया है। जबकि कांग्रेस ने ऐसे नाम पर दांव खेला है, जिन्होंने 2017 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी बिगुल फूंका और चुनाव लड़कर दूसरा स्थान भी हासिल किया। 

मतदाता के लिहाज से सहसपुर सीट पर कांग्रेस की अच्छी पकड़ मानी जाती है। राज्य गठन के बाद से अब तक इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही लड़ाई देखने को मिली है। इस बार कांग्रेस कांग्रेस युवाओं और महिलाओं को रोजगार के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। आर्येन्द्र शर्मा का वादा है कि वह सहसपुर के युवाओं ओर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर खोज निकालेंगे।

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सहदेव सिंह पुंडीर दूसरी बार विधायक चुने गए। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार किशोर उपाध्याय को हराया था। इस चुनाव में भाजपा के सहदेव सिंह को 44,055 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के किशोर उपाध्याय को 25,192 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर निर्दलीय उम्मीदवार आर्येन्द्र शर्मा थे, जिन्हें 21,888 वोट मिले थे।

आर्येंद्र शर्मा के पिता राजेंद्र शर्मा को यहां काफी माना जाता है। 30 सितंबर 2017 को उनका निधन हो गया। स्व0 राजेन्द्र शर्मा का व्यक्तित्व बहुत मिलन सार था। वे लोगों की हर जरूरत पर उनके साथ खड़े रहते थे। लोगों की समस्याओं को लेकर सदैव संघर्षरत रहे। इसके चलते काशीपुर और सहसपुर दोनों जगह पर इसके परिवार का लोग इनका आदर करते है।

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

राकेश बड़थ्वाल ने रायपुर विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल किया

राकेश बड़थ्वाल ने रायपुर विधानसभा सीट से पर्चा दाखिल किया



‘राइट टू रिकॉल पार्टी’ से चुनाव का नामांकन पत्र दाखिल किया

संवाददाता

देहरादून। समाजसेवक राकेश बड़थ्वाल ने रायपुर विधानसभा देहरादून से ‘राइट टू रिकॉल पार्टी’ से चुनाव का नामांकन पत्र दाखिल किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश की जनता वोट वापसी का हक चाहती है तो वह उन्हें अपना समर्थन प्रदान करे। 

 समाजसेवक राकेश बड़थ्वाल ने रायपुर विधानसभा देहरादून से ‘राइट टू रिकॉल पार्टी’ से चुनाव का नामांकन पत्र दाखिल किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यदि प्रदेश की जनता वोट वापसी का हक चाहती है तो वह उन्हें अपना समर्थन प्रदान करे। गौर हो कि राइट टू रिकॉल पार्टी का मुख्य उद्देश्य लोकतंत्र की पूर्णतया बहाली पर है। पार्टी जनता को वोट वापस का अधिकार देती है। अगर कोई विधायक काम ना करे तो जनता दूसरा विधायक चुन सकती है। 

विदित हो कि दून के प्रसिद्व समाजसेवी राकेश बड़थ्वाल ‘राइट टू रिकाल पार्टी’ से रायपुर-19 विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी है। उनकी पार्टी क्षेत्र की एकमात्र पार्टी है जो जनता को वोट वापस दिलाने की शक्ति की लड़ाई लड़ रही है। 

इस संदर्भ में बोलते हुए राकेश बड़थ्वाल ने कहा कि कि राइट टू रिकाल पार्टी जनप्रतिनिधि द्वारा काम न करने की सूरत में उसे रिजेक्ट करने का अधिकार जनता को दिलवाने के लिए प्रतिबद्व है। इसके लिए उन्होंने वोट वापसी पासबुक (वोट वापसी धन वापसी पासबुक) को राज्य के मतदाताओं के लिए जारी किया। इस दौरान बड़थ्वाल ने कहा कि वे जनता को वोट वापसी दिलवाने के लिए चुनाव लड़ रहें है। यदि जनता वोट वापसी पासबुक चाहती है तो इसके लिए वह राइट टू रिकाल का समर्थन करे।

निर्वाचन अधिकारी के समक्ष संदीप अग्रवाल, निमिशा, सुनीता देवी अग्रवाल, मदन मोहन, दीपक, बसंती देवी, दिनेश, मनदीप, संदीप आदि लोग उपस्थित थे। 

आर्येन्द्र शर्मा ने भरा सहसपुर विधानसभा सीट से नामांकन

 आर्येन्द्र शर्मा ने भरा सहसपुर विधानसभा सीट से नामांकन



इस अवसर पर प्रीतम सिंह बोले होगी एतिहासिक जीत

संवाददाता

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष आर्येन्द्र शर्मा ने देहरादून की सहसपुर विधानसभा सीट पर विकासनगर तहसील जाकर नामांकन पत्र भरा। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और विकासनगर से जिला कांग्रेस अध्यक्ष संजय किशोर भी मौजूद रहे। आगामी विधानसभा चुनावों के तहत उत्तराखंड में 28 जनवरी तक नामांकन पत्र भरे जाएंगे।



इस दौरान आर्येन्द्र शर्मा ने कहा कि वह इस चुनाव में विकास के मुद्दे के साथ जनता के बीच उतरे हैं। उन्होंने युवाओं के लिए अपने दो दशक के विजन का जिक्र किया और रोजगार, सड़क, पानी की व्यवस्था, कुटीर उद्योग, महिला सशक्तिकरण और आधुनिक शिक्षा जैसे मुद्दों को अपनी प्राथमिकता बताया। उनके साथ सहसपुर ब्लाक अध्यक्ष नेग सिंह, पूर्व ब्लाक प्रमुख सूरज सिंह सैनी, सहसपुर विधानसभा प्रभारी सुरेंद्र तोमर भी मौजूद रहे।

नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने आर्येन्द्र शर्मा पर भरोसा जताते हुए बयान दिया कि सहसपुर से वे एक ऐतिहासिक जीत दर्ज करेंगें। उन्होंने कांग्रेस के ‘चार धाम चार काम’ के नारे को दोहराया और कहा कि कांग्रेस सरकार महंगाई, बेरोजगारी कम करने के लिए और स्वास्थ्य के क्षेत्रा में कई नीतियों पर काम करेगी। इन नीतियों में गैस सिलेंडर के दाम 500 के पार ना होने देना, रिक्त पड़े सरकारी पदों पर युवाओं की नियुक्ति और बेरोजगारी भत्ते जैसे कदम शामिल हैं।  

टिकट बंटवारे से नाराज सदस्यों के बारे में बात करते हुए प्रीतम सिंह और आर्येन्द्र शर्मा दोनों ने कहा कि उन सभी ने कांग्रेस के लिए लगातार काम किया है। पार्टी सभी से संवाद स्थापित करेगी। सभी को मनाने का काम जारी है। उन्होंने भरोसा जताया है कि सभी जल्द से जल्द मान जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस बार सभी सीट जीतेगी क्योंकि जनता वर्तमान की सरकार से बेहद परेशान है। सरकार की तरपफ से पिछले पांच सालों में न ही बिजली को लेकर कोई काम किया गया है और न ही सड़क और किसानों के लिए।

सोमवार, 24 जनवरी 2022

केंद्रीय कर्मचारियों के डीए एरियर पर आया बड़ा अपडेट

 केंद्रीय कर्मचारियों के डीए एरियर पर आया बड़ा अपडेट



एजेंसी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कर्मचारियों को जल्दी ही नए साल का बंपर तोहफा मिलने जा रहा है। जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार इन कर्मचारियों के 18 महीने के पेंडिंग डीए को जल्द क्लियर करने वाली है। महंगाई भत्ते के एरियर पर केंद्रीय कैबिनेट की अगली बैठक में फैसला हो सकता है। अगर 18 महीने का पेंडिंग डीए का भुगतान किया गया तो कई सरकारी कर्मचारियों के खाते में 2 लाख रुपये से भी ज्यादा मिल सकते हैं।

वित्त मंत्रालय, डिपार्टमेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग और व्यय विभाग के अधिकारियों के साथ जेसीएम की जल्द ही बैठक होगी। इसमें डीए एरियर के एकमुश्त पेमेंट पर चर्चा होने की संभावना है। लेवल-1 के कर्मचारियों का डीए बकाया 11,880 रुपये से 37,000 रुपये के बीच होगा। वहीं लेवल-13 के कर्मचारियों को 1,44,200 रुपये से 2,18,200 रुपये डीए एरियर के तौर पर मिलेगा। संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि डीए बहाल किया जा रहा है।

दूसरी ओर केंद्रीय कर्मचारियों के डीए के साथ ही उनके हाउस रेंट अलाउंस यानी एचआरए में भी बढ़ोतरी की जा सकती है। अभी कर्मचारियों को 31 फीसदी डीए मिल रहा है, लेकिन यह बढ़कर 34 फीसदी हो सकता है। जुलाई 2021 में डीए बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया था। उस दौरान एचआरए भी रिवाइज हो गया था। अभी शहरी कैटेगरी के हिसाब से एचआरए की दर 27 फीसदी, 18 फीसदी और 9 फीसदी है। बीते अक्टूबर में सरकार ने डीए को 28 फीसदी से बढ़ाकर 31 फीसदी कर दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि सरकार ने साल 2015 में एक मेमोरेंडम जारी कर कहा था कि एचआरए को बढ़ते डीए के साथ समय-समय पर रिवाइज किया जाएगा। बताया जा रहा है कि हाउस रेंट अलाउंस में अगला रिविजन 3 फीसदी का होगा।

भारतीय डाकः संकल्प/75- महिला सशक्तीकरण

 भारतीय डाकः संकल्प/75- महिला सशक्तीकरण

एजेंसी

नई दिल्ली। भारतीय डाक पिछले 167 वर्षों से देश की सेवा कर रहा है। विभाग पूर्ण समर्पण भाव और अदम्य उत्साह से सेवाएं प्रदान करते हुए देश के कोने-कोने तक लोगों को डाक, वित्तीय एवं सरकारी सेवाएं मुहैया कराता है। देश अपनी स्वतन्त्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस कड़ी में भारतीय डाक, गणतंत्र दिवस की अपनी इस झांकी के माध्यम से अपने डाकघरों में तथा इनके माध्यम से महिला सशक्तीकरण के प्रति अपनी प्रतिबद्वता को दोहराता है। 



भारतीय डाक की गणतंत्र दिवस की झांकी का विषय भारतीय डाकः संकल्प/75-महिला सशक्तीकरण है। 

इस झांकी में दर्शाया गया है-

अग्र भागः भारतीय डाक महिलाओं के लिए आदर्श नियोक्ता है। इसे वित्तीय समावेशन का अधिदेश प्राप्त है। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ-साथ डाकघर बचत बैंक के अंतर्गत लगभग 50 प्रतिशत खाताधारक महिलाएं हैं।

यह झांकी भारतीय डाक की व्यापक पहुंच और आधुनिक चेहरे को दर्शाती है। भारतीय डाक उस कड़ी की तरह है, जो समस्त देश को एक सूत्र में पिरोता है। इस झांकी में ‘केवल महिला कार्मिकों द्वारा संचालित डाकघरों’ के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि विभाग किस प्रकार महिला सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। साथ ही रैंप के माध्यम से दर्शाए गए ‘दिव्यांगजनों के लिए अनुकूल डाकघर’ हमारी सामाजिक प्रतिबद्वता को दोहराते हैं।

पोस्टवुमेनः इस झांकी में एक युवा पोस्टवुमेन के माध्यम से भारतीय डाक के आधुनिक रूप को दर्शाया गया है। पोस्टवुमेन के एक हाथ में डिजिटल डिवाइस तथा दूसरे हाथ में पोस्टमैन की पहचान उसका थैला है। इस प्रकार यह झांकी, प्रौद्योगिकी के साथ परंपरा के मेल का संदेश देती है। पोस्टवुमेन के साथ सभी का जाना-पहचाना लाल रंग का लेटरबाक्स है, जो भारतीय डाक में लोगों के अडिग विश्वास का सूचक है। इसके साथ ही भारतीय डाक की विभिन्न सेवाओं जैसे स्पीड पोस्ट, ई-कामर्स तथा एटीएम कार्ड आदि को भी दिखाया गया है, जिन पर करोड़ों ग्राहकों का अटूट विश्वास है। पोस्टवुमेन के साथ ही हरकारे की उभरी हुई आकृति दर्शाई गई है, जो पिछले कई दशकों के दौरान भारतीय डाक में हुए कायाकल्प का प्रतीक है। इन दोनों चित्रों को सबके जाने-पहचाने लेटरबाक्स के आगे दर्शाया गया है। 



साथ ही हाल ही में आयोजित किए गए प्रधानमंत्री के नाम 75 लाख पोस्टकार्ड अभियान को भी दर्शाया गया है। 

पृष्ठ भाग (ट्रेलर)ः झांकी के ट्रेलर भाग में श्रीनगर का तैरता (फ्रलोटिंग) डाकघर दिखाया गया है। इसके माध्यम से प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के अंतर्गत शुरू की गई सुकन्या समृद्वि योजना पर बल दिया गया है।

केवल महिला कार्मिकों द्वारा संचालित डाकघरः केवल महिला कर्मियों द्वारा संचालित डाकघर, महिला-पुरुष समानता के प्रति भारतीय डाक के संकल्प और प्रयास को दर्शाता है।

डाकघर काउंटरों की 3डी इमेज में महिला कार्मिकों को आधार नामांकन केंद्रों और डाक एटीएम काउंटरों के माध्यम से ग्राहकों को विविध सेवाएं प्रदान करते हुए दिखाया गया है, जोकि महिला-पुरूष समानता सुनिश्चित करने की दिशा में भारतीय डाक के संकल्प और प्रयासों का प्रतीक है। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के मामले में लगभग 50 प्रतिशत खाताधारक (2.24 करोड़) महिलाएं हैं और ऐसे 98 प्रतिशत खाते उनके द्वार पर ही खोले गए हैं।



कोलकाता जीपीओः झांकी के पिछले भाग में देश के सबसे पुराने जीपीओ, कोलकाता जीपीओ को दर्शाया गया है जोकि भारतीय डाक के गौरवशाली सफर का गवाह है और साथ ही देश की एक सुप्रसिद्व इमारत भी है। 

ट्रेलर का निचला भागः झांकी के चारों ओर देश के स्वतंत्रता संघर्ष से संबंधित डाक-टिकटों का कोलाज है, जिन्हें डिजिटल रूप से खादी पर प्रिंट किया गया है। गणतंत्र दिवस के बाद इन डाक-टिकटों के कोलाज को देशभर के विभिन्न डाकघरों में प्रदर्शित किया जाएगा। 

निचला भागः हालांकि इस झांकी का सबसे अनूठा पहलू इसके साथ चल रहे देश के विभिन्न भागों से आए हमारे अपने डाकिए (पोस्टमेन/पोस्टवुमेन) हैं। ये कार्मिक भारतीय डाक के उस शानदार सपफर का प्रतीक हैं, जो इसने हरकारे से लेकर साइकिल पर और आज ई-बाइक पर चलते पोस्टमेन के रूप में पूरा किया है।

भारत दुनिया में ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक

 भारत दुनिया में ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में कृषि प्रसंस्कृत उत्पाद के निर्यात का 200 मिलियन अमरीकी डालर का आंकड़ा पार कर लिया है, इसे खीरे के अचार बनाने के तौर पर वैष्विक स्तर पर गेरकिंस या कार्निचन्स के रूप में जाना जाता है। 2020-21 में भारत ने 223 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य के साथ 2,23,515 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरे का निर्यात किया था।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत वाणिज्य विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने बुनियादी ढांचे के विकास, वैष्विक बाजार में उत्पाद को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के पालन में कई पहल की हैं।

खीरे को दो श्रेणियों ककड़ी और खीरे के तहत निर्यात किया जाता है जिन्हें सिरका या एसिटिक एसिड के माध्यम से तैयार और संरक्षित किया जाता है। ककड़ी और खीरे को अनंतिम रूप से संरक्षित किया जाता है।

खीरे की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात की शुरूआत भारत में 1990 के दशक में कर्नाटक में एक छोटे से स्तर के साथ हुई थी और बाद में इसका शुभारंभ पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी हुआ। विश्व की खीरा जरूरत का लगभग 15 फीसदी उत्पादन भारत में होता है।

खीरे को वर्तमान में 20 से अधिक देशों को निर्यात किया जाता है, जिसमें प्रमुख गंतव्य उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश और महासागरीय देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, प्रफांस, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका और इजराइल हैं।

अपनी निर्यात क्षमता के अलावा खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में अनुबंध खेती के तहत लगभग 90,000 छोटे और सीमांत किसानों द्वारा 65,000 एकड़ के वार्षिक उत्पादन क्षेत्र के साथ खीरे की खेती की जाती है। प्रसंस्कृत खीरे को औद्योगिक कच्चे माल के रूप में और खाने के लिए तैयार करके जारों में थोक में निर्यात किया जाता है। थोक उत्पादन के मामले में एक उच्च प्रतिशत का अभी भी खीरा बाजार पर कब्जा है। भारत में ड्रम और रेडी-टू-ईट उपभोक्ता पैक में खीरा का उत्पादन और निर्यात करने वाली लगभग 51 प्रमुख कंपनियां हैं।

एपीडा ने प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह बुनियादी ढांचे के विकास और संसाधित खीरे की गुणवत्ता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।

औसतन एक खीरा किसान प्रति फसल 4 मीट्रिक टन प्रति एकड़ का उत्पादन करता है और 40,000 रुपये की शुद्व आय के साथ लगभग 80,000 रुपये कमाता है। खीरे में 90 दिन की फसल होती है और किसान वार्षिक रूप से दो फसल लेते हैं। विदेशी खरीदारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

सभी खीरा उत्पादन और निर्यात कंपनियां या तो आईएसओ, बीआरसी, आईएफएस, एफएसएससी 22000 प्रमाणित और एचएसीसीपी प्रमाणित हैं या सभी प्रमाणपत्र रखती हैं। कई कंपनियों ने सोशल आडिट को अपनाया है। यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को सभी वैधानिक लाभ दिए जाएं। एपीडा उत्पाद के निर्यात मूल्य को बढ़ाने के लिए खीरे के मूल्यवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।

कल के पीढ़ियों की जननी है बालिकाएं: वृक्षमित्र डा0 सोनी

 कल के पीढ़ियों की जननी है बालिकाएं: वृक्षमित्र डा0 सोनी



संवाददाता
देहरादून। धरती जिनती सुंदर प्रकृति ने सजोकर बनाई हैं उसी तरह समाज को सजोने में महिलाओं की अहम भूमिका रही हैं। लाचार रही लेकिन संघर्ष की जननी रही बेटियां, समाज में कई यातनाओं को सहने के बाद भी कभी अपने को कमजोर नही होने दिया बल्कि हमेशा समाज को एक नई दिशा देती रही। ऐसे वीरांगनाओं का देश हैं हमारा जहां की वीरगाथाएँ प्रेरणास्रोत हैं।
राष्ट्रीय बालिका दिवस पर पौधा उपहार में भेंट के प्रेरणास्रोत वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड भी नारियों व वीरांगनाओं का प्रदेश रहा है जिनकी जीवन संघर्षों से हमें प्रेरणा मिलती हैं। आज जरूरत है बालिकाओं के लिए अच्छी शिक्षा, सुरक्षित भविष्य, उत्तम स्वास्थ्य, पोषण आहार, कन्या भ्रूण हत्या व बालविवाह रोकने, बालिकाओं की समस्याओं का समाधान, लड़कियों के लिए बेहतरीन आजीविका सुनिश्चित करने, सुनहरे भविष्य की योजनाएं बनाने ताकि बालिकाएं समाज में पुरुषों के बराबरी कर सकें। 
वृक्षमित्र डॉ सोनी कहते हैं कि आज हर क्षेत्र में बालिकाओं की अहम भूमिका देखने को मिलती है। हमें भी उनका सहयोग व मार्गदर्शन करना चाहिए तभी जाके एक सुंदर समाज बन सकेंगा। बालिकाएं सक्षम होती हैं तो कल की पीढ़ियां भी मजबूत, शिक्षित व सक्षम होगी। समाज के लिए प्रकृति की छांव की जैसी योगदान महिलाओं का रहता हैं, आज की आवाज  कल के सुनहरे भविष्य का निर्धारण करेगी।

रविवार, 23 जनवरी 2022

समाजसेवा ही गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट का उद्देश्य: कमल खड़का

 समाजसेवा ही गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट का उद्देश्य: कमल खड़का



संवाददाता
हरिद्वार। गिरवरनाथ जनकल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष समाजसेवी कमल खड़का ने कहा कि ट्रस्ट गठन का एक वर्ष पूरा होने पर पांच फरवरी को धर्मनगरी हरिद्वार के समस्त घाटों, झुग्गी बस्तियों में भोजन वितरण किया जाएगा। 
कोरोना नियमों का अनुपालन करते हुए गऊघाट पर आयोजित ट्रस्ट पदाधिकारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कमल खड़का ने कहा कि समाजसेवा के उद्देश्य को लेकर ट्रस्ट का गठन किया गया था। गठन के एक वर्ष में ही समाजसेवा के क्षेत्र में ट्रस्ट ने एक नई पहचान कायम की है। इस दौरान ट्रस्ट की और से कई गरीब कन्याओं के विवाह में सहयोग किया गया। कई गरीब बच्चों को उनकी शिक्षा के लिए मदद उपलब्ध करायी गयी। लाॅकडाउन अवधि में गरीब जरूरतमंदों को राशन आदि उपलब्ध कराकर मदद की गयी। इसके अलावा घाटों व झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीबों को भोजन आदि वितरण कार्यक्रम निरंतर संचालित किए जा रहे हैं। 
उन्होंने बताया कि हाल ही में गरीबों को सर्दी से राहत दिलाने के लिए अलाव जलवाने के साथ गर्म वस्त्र, कंबल आदि का वितरण किया गया। ट्रस्ट के पदाधिकारियों व सदस्यों के साथ गंगा घाटों की सफाई आदि कार्यक्रम भी निरंतर चलाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारियों व सदस्यों के सहयोग से ही ट्रस्ट समाजसेवा के प्रकल्पों का संचालन कर रहा है। ट्रस्ट गठन की प्रथम वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 5 फरवरी को विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर हरकी पैड़ी व आसपास के गंगा घाटों तथा झुग्गी बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवारों को भोजन वितरण किया जाएगा। उपाध्यक्ष मानवीर चौहान एवं सचिव अनुज जोशी ने कहा कि समाजसेवा ही ट्रस्ट का उद्देश्य है। समाज के गरीब वंचित तबके की मदद के लिए निरंतर प्रयास किए जाएंगे। 
बैठक में हर्षित शर्मा, अभिषेक शर्मा, बंटी, चंद्रशेखर जोशी, राम प्रसाद शर्मा, राकेश दवाण, फूलसिंह आदि मौजूद रहे।

शनिवार, 22 जनवरी 2022

बुरांश की पंखुड़ियों में छिपी है कोरोना की दवा!

 बुरांश की पंखुड़ियों में छिपी है कोरोना की दवा!



आईआईटी मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलाजी के शोध में दावा

एजेंसी

शिमला। बुरांश का वैज्ञानिक नाम रोडोड्रेंड्रान अर्बाेरियम है। इसके फूल के अर्क का इस्तेमाल पहाड़ पर रहने वाले लोग पीने के लिए करते हैं। पहाड़ पर रहने वाले लोग फूल के जूस का इस्तेमाल तमाम अन्य प्राकृतिक इलाज के तौर पर भी करते हैं। अब इसको लेकर वैज्ञानिकों ने एक नया शोध किया है जिसमें पाया गया है बुरांश की पंखुड़ियों के अर्क ने कोविड-19 वायरस को बनने से रोका है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी और इंटरनेशनल सेंटर फार जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलाजी (आईसीजीईबी) के शोधकर्ताओं ने इस हिमालयी फूल की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है, जो संभवत कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

अब शोध टीम बुरांश की पंखुड़ियों से हासिल विशिष्ट फाइटोकेमिकल्स से कोविड-19 का रेप्लिकेशन रोकने की सटीक प्रक्रिया समझने की कोशिश कर रही है। आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के शोधकर्ताओं ने बुरांश की पंखुड़ियों में फाइटोकेमिकल्स की पहचान की है। इसमें कोविड-19 के संक्रमण के इलाज की संभावना सामने आई है। शोध टीम के निष्कर्ष हाल ही में बायोमालिक्युलर स्ट्रक्चर एंड डायनेमिक्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।

आईआईटी मंडी स्कूल आफ बेसिक साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर श्याम कुमार मसाकापल्ली के मुताबिक उपचार के विभिन्न एजेंटों का अध्ययन किया गया जा रहा है। उनमें पौधे से प्राप्त रसायन फाइटोकेमिकल्स से विशेष उम्मीद है क्योंकि उनके बीच गतिविधि में सिनर्जी है और प्राकृतिक होने के चलते विषाक्त करने की कम समस्याएं पैदा होती हैं। हम बहु-विषयी दृष्टिकोण से हिमालयी वनस्पतियों से संभावित अणुओं की तलाश कर रहे हैं।

आईआईटी मंडी और आईसीजीईबी के वैज्ञानिकों ने वायरस रोकने के मद्देनजर शोध में विभिन्न फाइटोकेमिकल्स युक्त अर्क का वैज्ञानिक परीक्षण किया। उन्होंने बुरांश की पंखुड़ियों से फाइटोकेमिकल्स निकाले और इसके वायरस रोधी गुणों को समझने के लिए जैव रासायनिक परीक्षण और कंप्यूटेशनल सिमुलेशन का अध्ययन किया।

आईसीजीईबी के रंजन नंदा ने बताया कि हमने हिमालय की वनस्पतियों से प्राप्त रोडोड्रेंड्रान अर्बाेरियम की पंखुड़ियों के फाइटोकेमिकल का प्रोफाइल तैयार किया और परीक्षण किया। इनमें कोविड वायरस से लड़ने की उम्मीद दिखी है।

इन पंखुड़ियों के गर्म पानी के अर्क में प्रचुर मात्रा में क्विनिक एसिड और इसके डिरेवेटिव पाए गए। मौलिक मालिक्युलर गतिविधि के अध्ययनों से पता चला है कि यह फाइटोकेमिकल्स वायरस से लड़ने में दो तरह से प्रभावी है। यह मुख्य प्रोटीन से जुड़े जाते हैं जो एक एंजाइम है और वायरस रेप्लिका बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मानव एनजियोटेंनिस परिवर्तित एंजाइम 2 से भी जुड़ता है जो होस्ट सेल में वायरस के प्रवेश की मध्यस्थता करता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक नतीजे आगे के वैज्ञानिक अध्ययन की तत्काल आवश्यकता का समर्थन करते हैं।


आर्थिक तंगी से पाना चाहते हैं छुटकारा तो करें यह उपाय

 आर्थिक तंगी से पाना चाहते हैं छुटकारा तो करें यह उपाय 



प0नि0डेस्क

देहरादून। माता लक्ष्मी को धन और वैभव की देवी माना गया है। मान्यता है कि यदि मां की उपासना निर्मल हृदय से की जाए तो धन और वैभव की प्राप्ति होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दक्षिण-पूर्व दिशा धन की दिशा कहलाती है। इस दिशा की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इस दिशा को हरे-भरे पौधे से सजाएं। ऐसा करने से फंसा हुआ धन भी वापस पाने में आसानी होती है। आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। 

वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में माता लक्ष्मी और कुबेर देव की मूर्ति रखना उचित माना गया है। ऐसा करने से घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है। शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र धारण करें। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर में मां को कमल का पुष्प अर्पित कर श्री सूक्त का पाठ करें। मां लक्ष्मी को सफेद मिष्ठान का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए उनके मंदिर में शंख, कौड़ी, कमल, मखाना, बताशा आदि अर्पित करें। शुक्रवार के दिन किसी की मदद अवश्य करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। 

शुक्रवार को घर या दुकान की तिजोरी में कमल का फूल रखें। उस फूल को करीब एक माह रखने के बाद उसकी जगह पर नया फूल रख दें। इससे धन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी।


आनलाइन काम करने वालों की आंखों के लिए टिप्स जो चश्में से बचायेगा

 आनलाइन काम करने वालों की आंखों के लिए टिप्स जो चश्में से बचायेगा



प0नि0डेस्क

देहरादून। जो लोग दिन भर सिस्टम पर बैठकर काम करते हैं उनकी आंखें बहुत जल्दी कमजोर हो जाती हैं। ऐसे लोगों की आंखों को काफी नुकसान होता है और उन्हें अपनी आंखों का खास ख्याल रखना चाहिए। कुछ ऐसे टिप्स हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी आंखों को अच्छा बना सकते हैं। 

आंखों को आराम देने के लिए 20-20-20 नियम अपनाएं। इसके लिए हर 20 मिनट में एक ब्रेक लें और 20 पफीट दूर तक देखें और ऐसा करीब 20 सेकेंड तक करें। अक्सर लोग काम के दौरान आंखों को उंगलियों से रगड़ते हैं जबकि ऐसा करने से आंखों को नुकसान पहुंचता है। इतना ही नहीं इसके साथ ही त्वचा पर गंदगी भी जमा हो जाती है।

बता दें कि लगातार घंटों काम करने से आंखों में दर्द हो सकता है और खीरे का इस्तेमाल करें। आप इसके स्लाइस को कुछ देर के लिए अपनी आंखों पर रखें। इससे आपको राहत मिलेगी।

स्क्रीन के सामने काम करने से भी आंखों के नीचे काले घेरे आ सकते हैं। आप आलू के रस का उपयोग कर सकते हैं। इसे अपनी आंखों के आसपास लगाएं आपको पफायदा होगा। आनलाइन काम के दौरान आंखों की बेहतर देखभाल के लिए कंप्यूटर ग्लास बनाएं। काम के दौरान इन्हें पहनना न भूलें। इससे आपकी आंखों को आराम मिलेगा।


भारत स्वीडन के साब ग्रुप से एटी-4 एंटी टैंक हथियार खरीदेगा

 भारत स्वीडन के साब ग्रुप से एटी-4 एंटी टैंक हथियार खरीदेगा

200 मीटर की रेंज में दुश्मन के आर्मर्ड व्हीकल और बिल्डिंग को करेगा बर्बाद



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत ने स्वीडन की कंपनी साब ग्रुप के साथ एंटी टैंक हथियार एटी-4 की खरीद का समझौता किया है। इस हथियार का इस्तेमाल भारतीय थल सेना और वायु सेना के एलीट कमांडो फोर्स करेगी। साब ग्रुप ने बयान जारी कर कहा है कि उसे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एटी-4 हथियार का कान्ट्रैक्ट मिला है। इस हथियार का इस्तेमाल कोई भी सैनिक अकेले कर सकता है। साब ने दावा किया है कि उसका एटी-4 हथियार हेलीकाप्टर, आर्मर्ड व्हीकल और दुश्मन सैनिकों के खिलापफ अपनी क्षमता को साबित कर चुका है। वर्तमान में इस हथियार के अलग-अलग वैरिएंट का इस्तेमाल दुनिया के 30 से अधिक देश कर रहे हैं।

भारत ने इस हथियार के जिस माडल का आर्डर दिया है, उसका नाम एटी-4 सीएएस एएसटी है। इसमें एटी-4 इस हथियार के कैलिबर को दर्शाता है। इसमें 84एमएम कैलिबर की एंटी टैंक मिसाइल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें सीएस का मतलब कनफाइंड स्पेस है। इसका हिंदी में अनुवाद सीमित जगह होता है। वहीं एटीएस का मतलब एंटी स्ट्रक्चर टेंडम वारहेड है।

एटी4 सीएएस एएसटी माडल की खरीद से संभावना जताई जा रही है कि वायुसेना में इस हथियार का इस्तेमाल गरुण कमांडो करेंगे। वहीं थलसेना में इसे जम्मू और कश्मीर में आतंकरोधी आपरेशन में जुटी राष्ट्रीय रायफल्स और एलीट कमांडो फोर्स पैरा कमांडो को सौंपा जाएगा। इसे एंटी टैंक मिसाइल जरूर कहा जाता है लेकिन यह वर्तमान के मार्डन टैंको के खिलाफ उतना प्रभावी नहीं है। क्योंकि इनके किसी भी कवच को भेदने की क्षमता काफी कम है। आधुनिक टैंको में एंटी रिएक्टिव आर्मर भी लगे होते हैं, जो ऐसे हथियारों को नाकाम बना सकते हैं।

यह हथिायार लाइट आर्मर्ड और मीडियम आर्मर्ड व्हीकल के खिलाफ काफी प्रभावी होगी। कुछ मामलों में यह नीचे उड़ान भर रहे हेलीकाप्टरों को भी निशाना बनाने में सक्षम है। इसके अलावा शहरी क्षेत्रों में किसी दीवार को तोड़ने या किसी बिल्डिंग को निशाना बनाने में यह एटी-4 हथियार काफी प्रभावी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एटी-4 को फायर करते समय लान्चर से पीछे की तरफ लगने वाला फोर्स काफी कम है। ऐसे में किसी छोटे कमरे से भी एटी-4 हथियार को लान्च कर सकता है, जबकि इसका प्रतिद्वंद्वी कार्ल गुस्ताव लान्चर काफी ताकतवर होता है। इस वजह से इसे किसी बंद कमरे से फायर करना खतरनाक हो सकता है।

एटी-4 हथियार का वजन 8 किलोग्राम के आसपास है। इसके जरिए फायर किए गए गोले की रफ्रतार 220 मीटर प्रति सेकेंड की है। एटी-4 एंटी टैंक हथियार की रेंज 200 से 500 मीटर तक की है। हालांकि इसकी प्रभावी रेंज 200 से 300 मीटर ही माना जाता है। इसके एक लान्चर से सिर्फ एक बार ही फायर किया जा सकता है। उसके बाद लान्चर बेकार हो जाता है। यह सेना के इस्तेमाल किए जाने वाले कार्ल गुस्ताव रायफल से काफी सस्ता है। 

एक बार फायर करने की क्षमता के कारण एटी-4 को काफी हल्का बनाया गया है। ऐसे में एक सैनिक इसके कम से कम तीन यूनिट को लेकर युद्व के मैदान में जा सकता है। ऐसे में इसका मैन्यूफैक्चरिंग कास्ट भी दोबारा इस्तेमाल होने वाले लान्चर्स की तुलना में कम होता है। इसमें गोले को गाइड करने के लिए कोई सिस्टम लगा हुआ नहीं है। इससे फायर करने पर किसी रायफल की गोली की तरह राकेट निकलता है और निशाने को हिट करता है।

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

फाडा द्वारा दोपहिया वाहनों पर जीएसटी घटाकर 18 फीसद करने की मांग

 फाडा द्वारा दोपहिया वाहनों पर जीएसटी घटाकर 18 फीसद करने की मांग



एजेंसी

नयी दिल्ली। आटोमोबाइल डीलरों के संगठन फाडा ने सरकार से दोपहिया वाहनों पर जीएसटी दरों को घटाकर 18 फीसदी करने की मांग की है, ताकि इस खंड में मांग पैदा की जा सके।

फेडरेशन आफ आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने कहा कि दोपहिया वाहन कोई लक्जरी उत्पाद नहीं है और इसलिए जीएसटी दरों में कमी की जरूरत है। फाडा का दावा है कि वह 15,000 से अधिक आटोमोबाइल डीलरों का प्रतिनिधित्व करता है, जिनके पास करीब 26,500 डीलरशिप हैं।

उद्योग निकाय ने कहा कि फाडा वित्त मंत्रालय से दोपहिया वाहनों पर जीएसटी दरों को 18 फीसदी तक कम करने का अनुरोध करता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 का आम बजट संसद में पेश करेंगी।

फाडा ने कहा कि दोपहिया वाहनों का इस्तेमाल विलासिता की वस्तु के रूप में नहीं, बल्कि आम लोगों द्वारा दैनिक कार्यों के लिए किया जाता है। फाडा ने कहा कि इसलिए 28 फीसद जीएसटी के साथ दो फीसदी उपकर, जो विलासितापूर्ण उत्पादों के लिए है, दोपहिया श्रेणी के लिए उचित नहीं है।

ज्ञापन में कहा गया कि कच्चे माल में तेजी के चलते वाहन की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और ऐसे में जीएसटी दर में कमी से लागत में बढ़ोतरी का मुकाबला करने और मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी।


सूचना अधिकार की जानकारी वाला कैलेंडर 2022 प्रकाशित

 सूचना अधिकार की जानकारी वाला कैलेंडर 2022 प्रकाशित



संवाददाता

काशीपुर। सूचना अधिकार की नवीन जानकारी अब कैलेंडर के माध्यम से आम जनता को मिल सकेगी। इसके लिये सूचना अधिकार विशेषज्ञ नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा एक कैलेंडर प्रकाशित कराया गया है। जिसमें 2022 के कैलेंडर के साथ उत्तराखंड सरकार के राजपत्रित व निबंधित अवकाशों की सूची को भी दर्शाया गया है।

सूचना अधिकार की सामान्य जानकारी देने वाले नदीम द्वारा प्रकाशित कैलेंडर मेें सूचना का मतलब, सूचना अधिकार का मतलब, सूचना अधिकार के दायरे में शामिल प्राधिकारी, सूचना लेने की प्रक्रिया, सूचना हेतु अतिरिक्त शुल्क, सूचना देने की अवधि, प्रथम व द्वितीय अपील, लोक प्राधिकारियों/विभाग के सूचना अधिकार के अन्तर्गत दायित्व, सूचना अधिकार की विस्तृत जानकारी हेतु पुस्तकें, सोशल मीडिया (फेेसबुक पेज व गु्रप) उत्तराखंड सूचना आयोग तथा केन्द्रीय सूचना आयोग की वेब साइटों की जानकारी शामिल है।

नदीम द्वारा प्रकाशित इस कैलेंडर को जहां उनके द्वारा स्वयं वितरित कराया जा रहा है वहीं इसे फेसबुक के सूचना अधिकार कानून नामक पेज तथा सूचना अधिकार (आरटीआई) गु्रप पर जन सामान्य हेतु उपलब्ध कराया गया है। इसके अतिरिक्त इस कैलेंडर लेने का इच्छुक कोई भी व्यक्ति मोबाइल न0 9411547747 पर एसएमएस या व्हाट्स ऐप से सम्पर्क करके निःशुल्क प्राप्त कर सकता है।

नदीम ने बताया कि वर्ष 2014 से लगातार सूचना अधिकार की जागरूकता के लिये कलैंडर का प्रकाशन व निःशुल्क वितरणर किया जा रहा है। इस कैलेंडर का उद्देश्य आम जनता तक सूचना अधिकार की जागरूकता फैलाना है ताकि आम जनता अधिक से अधिक सूचना अधिकार प्रयोग करने को सक्षम हो सके। कैलेंडर क्योंकि वर्ष भर रखा जाता है इसलिये इसके माध्यम से प्रकाशित सूचना अधिकार की जानकारी भी हजारों लोगों तक पहुंचेगी।

कोरोना वायरस से बचने के लिए अहम सबक

 कोरोना वायरस से बचने के लिए अहम सबक



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। जो लोग कोरोनाकाल में इसके चपेट में आये और इसका सामना कर बाहर निकले, उनके अनुभव के आधार पर कुछ सबक है जो कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मददगार साबित हो सकते हैं। इसलिए इन बातों का महत्व काफी बढ़ जाता है। ज्यादातर कोरोना योद्वा अस्पताल में बहुत से लोग से मिलते रहे क्योंकि कोरोना संक्रमितों का इलाज उनका मकसद रहा। लेकिन मास्क और पीपीई किट की वजह से उन्हें कभी कोरोना नहीं हुआ। जबकि महज दो दिन तक बिना मास्क के जिन लोगों ने कहीं पर प्रोग्राम को अटेंड किया तो उन्हें कोरोना हो गया। इसका मतलब साफ है कि मास्क कारगर है। इसलिए हो सके तो एन95 या केएन95 मास्क पहनें।

बहुत से लोग अभी भी वैक्सीन लगाने से परहेज कर रहें है। जबकि ज्यादातर वैक्सीन लगवाने वाले लोग संक्रमित तो हुए लेकिन जल्द ही ठीक होकर काम पर लौट आये। अब ऐसे लोग अपने अनुभव को बता कर लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए प्रेरित कर रहें है। उनका कहना है कि उन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई होती तो उन्हें निश्चित तौर पर वेंटिलेटर पर अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष करना पड़ सकता था। एक बात और कि उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान किसी भी तरह के स्टेरायड, एंटीबायोटिक या पैक्सलोपिड नहीं लिए। एचसीक्यू, इमरमेक्टिन या जिंक भी नहीं ली। बिना डाक्टर की सलाह के दवाएं नहीं खायीं। हालांकि बेहद गंभीर मरीजों के लिए इलाज का प्रोटोकाल अलग है।

हमेशा याद रखें कि अंत में क्या होगा। इससे हमें सही दिशा में सोचने की हिम्मत मिलती है और हम सही फैसले ले पाते हैं। साथ ही हर्ड इम्युनिटी अच्छी बात है लेकिन भेड़चाल ठीक नहीं होती। इसलिए भेड़चाल का हिस्सा बनने से बचना चाहिये। सबसे बेहतर उपाय तो यही है कि आप वैक्सीन लगवाएं और मास्क पहनें। फिर भी कोरोना होता है तो आप ठीक हो जाएंगे। किसी के लिए एक प्रोग्राम में जाना जरूरी हो सकता है लेकिन इस बात को आप खुद देखें कि आपको अपने और अपने परिवार के लिए कितना जोखिम लेना चाहिये। इस बात को न भूलें कि हमारी या हमारे आसपास के लोगों की लापरवाही दूसरों पर भारी पड़ सकती है। इसलिए हमको अपने साथ साथ दूसरों के लिए ऐतिहात बरतना चाहिये।

गुरुवार, 20 जनवरी 2022

भ्रष्टाचारी हरक की सीबीआई जांच कराए राजभवन: मोर्चा

 भ्रष्टाचारी हरक की सीबीआई जांच कराए राजभवन: मोर्चा      


 

# फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए 107 बीघा भूमि हथियाने का मामला है लंबित             
# श्रमिकों के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट करने का मामला है लंबित                 
# करोड़ों रुपए का अवैध साम्राज्य कैसे बना  # असंवैधानिक प्रतिनियुक्ति के माध्यम से प्रदेश को लूटने का भी है दाग          
# प्राइवेट आयुष महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को लूटने का भी है दाग 
# वन विभाग में भी घोटाले करने का है दाग                  # करोड़ों रुपए की डील कर भ्रष्ट एमडी यूपीसीएल की नियुक्ति का दाग              
# इनके संपूर्ण कार्यकाल की होनी चाहिए सीबीआई एवं सीबीडीटी जांच            
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि हरक सिंह रावत जैसे महाभ्रष्टाचारी के संपूर्ण कार्यकाल की अगर राजभवन सीबीआई/सीबीडीटी जांच करवा दे तो इन महाशय का चुनाव लड़ना तो दूर, इनका संपूर्ण जीवन सलाखों के पीछे कटेगा।           
नेगी ने कहा कि राजस्व मंत्री रहते हुए  हरक सिंह ने सहसपुर विकासखंड के शंकरपुर में 107 बीघा जमीन फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए अपने  करीबी के नाम कराने के बाद अपनी पत्नी व एक करीबी के नाम रजिस्ट्री करवाई। मोर्चा द्वारा लंबे समय तक इनके द्वारा भूमि हड़पने मामले को जोर-शोर से उठाया था, लेकिन सत्ता में पकड़ के चलते जांच परवान न चढ़ सकी।          नेगी ने कहा कि श्रम मंत्री रहते हुए हरक सिंह ने अपनी करीबी दमयंती रावत को असंवैधानिक प्रतिनियुक्ति के माध्यम से कर्मकार कल्याण बोर्ड का सचिव बनाकर करोड़ों रुपए की फर्जी खरीद कर लूट की तथा श्रमिकों को घटिया सामान थमाकर लूट डाला, जिसकी जांच भी धीमी गति से गतिमान है। इनकी  वजह से ही निजी आयुष महा विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की फीस वृद्धि मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी कई वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसका कष्ट छात्रों के परिजनों ने  झेला। नेगी ने कहा कि वन मंत्री रहते हुए भी इनके द्वारा बड़ी मात्रा में लूट- खसोट  व अनियमितताएं की गई। हाल ही में उनके द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त अनिल यादव को करोड़ों रुपए की डील कर एमडी यूपीसीएल बनाकर एमडी पिटकुल का भी अतिरिक्त चार्ज दिया गया है।                 
मोर्चा द्वारा इनके तमाम काले कारनामों की जांच कराए जाने हेतु कई बार राजभवन एवं सरकार से पूर्व में अनुरोध किया जा चुका है। अगर इनके समस्त क्रियाकलापों की सीबीआई/सीबीडीटी जांच हो जाए तो प्रदेश भविष्य में लुटने से बच जाएगा एवं ऐसे नेताओं को सबक भी मिलेगा।

रक्तदान में उल्लेखनीय योगदान हेतु अनिल वर्मा को कोटा प्राईड नेशनल अवार्ड से नवाजा

 रक्तदान में उल्लेखनीय योगदान हेतु अनिल वर्मा को कोटा प्राईड नेशनल अवार्ड  से नवाजा 



संवाददाता
देहरादून। ह्यूमन सोशल फाउंडेशन रक्तदान जीवनदान सेवा समिति कोटा एवं एक प्रयास एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी कोटा के संयुक्त तत्वावधान में लाला लाजपतराय भवन कोटा राजस्थान में आयोजित नेशनल काॅन्फ्रेंस में देश के सभी राज्यों से रक्तदान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 101  ब्लड डोनर्स  को राष्ट्रीय स्तर पर  चयनित कर नेशनल अवार्ड प्रदान करके सम्मानित किया गया।
 उक्त राष्ट्रीय सम्मेलन में उत्तराखंड में अब तक सर्वाधिक रिकॉर्ड 139 बार रक्तदान कर चुके तथा सौ से अधिक राज्य व राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त डॉ० कार्ल लैंडस्टीनर अवार्डी यूथ रेडक्रास कमेटी देहरादून के चेयरमैन अनिल वर्मा को  कोटा प्राईड नेशनल अवार्ड - 2022 से सम्मानित किया गया।
समारोह के मुख्य अतिथि कोटा राजस्थान के विधायक संदीप शर्मा, कोटा दक्षिण क्षेत्र मेयर राजीव अग्रवाल भारती, उत्तर क्षेत्र की मेयर मंजू मेहरा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता अमित धारीवाल, पुलिस अधीक्षक केसर सिंह शेखावत, उप रजिस्ट्रार शिक्षा पवन, भाजपा जिला युवा मोर्चा अध्यक्ष सुदर्शन गौतम ने अनिल वर्मा को कोटा प्राईड-2022 अवार्ड  का प्रशस्ति पत्र  प्रदान करने के साथ-साथ राजस्थानी पगड़ी पहनाकर, अवार्ड ऑफ एप्रीसिएशन सर्टिफिकेट तथा प्रतीक चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया।
इसके अतिरिक्त  कोरोना काल में एक साल पांच महीने लगातार संवेदनशील इलाकों में अतुलनीय सेवाएं प्रदान करके कोरोना योद्धा के रूप में  एक मिसाल कायम करने के लिए ब्लड लायंस एंड सोशल वेलफेयर समिति ऊना‌ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष डॉo संदीप शर्मा व महासचिव सुमित शर्मा ने कोरोना योद्धा सम्मान पत्र प्रदान करके सम्मानित किया।
इससे पूर्व काॅन्फ्रेंस में ब्लड बैंकों की कार्यप्रणाली, मरीजों को रक्त प्राप्त करने में होने वाली दिक्कतों, थैलीसीमिया, हीमोफीलिया व अन्य बे रक्त संबंधी बीमारियों सहित स्वैच्छिक रक्तदान को सौ प्रतिशत करने पर गंभीर विचार -विमर्श किया गया।
काॅन्फ्रेंस में संस्था के संस्थापक सचिन सिंगला, राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज सुमन, महासचिव सरदार दिलजीत सिंह, यूथ रेडक्रास कमेटी देहरादून के चेयरमैन अनिल वर्मा, अग्रवाल ब्लड बैंक, कोटा के अध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल, एडवोकेट हर्षित गौतम, डॉ० सुभाष आर्य, पार्षद अनिल सुवालका, संरक्षक नरेंद्र मेघवाल, डॉ० संदीप शर्मा सहित समस्त राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
 समारोह का समापन राजस्थान की लोक संस्कृति पर आधारित लोकगीतों व लोकनृत्यों की भव्य प्रस्तुति से हुआ।

बुधवार, 19 जनवरी 2022

फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए भूमि हड़पने वाले भ्रष्टाचारी हरक को पार्टी में लेगी क्या कांग्रेस: मोर्चा

 फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए भूमि हड़पने वाले भ्रष्टाचारी हरक को पार्टी में लेगी क्या कांग्रेस: मोर्चा      


 
 

# हरीश रावत के स्टिंग  साजिशकर्ता हरक को हाई कोर्ट से है नोटिस जारी                 

# श्रमिकों के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट करने का भी है दाग   
# असंवैधानिक प्रतिनियुक्ति के माध्यम से प्रदेश को लूटने का भी है दाग !
# प्राइवेट आयुष महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को लूटने का भी है दाग 
# वन विभाग में भी घोटाले करने का है दाग                  # परिजनों के एनजीओ के जरिए लूट का भी है दाग !    # काश भाजपा-कांग्रेस ने मोर्चा की मांग पर करा ली होती सीबीआई जांच                  
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता करते हुए कहा कि हरक सिंह रावत जैसे महाभ्रष्टाचारी को पार्टी में लेने से पहले इनके भ्रष्टाचार एवं गुनाहों पर राजनीतिक दलों को गौर फरमाना चाहिए। इनके गुनाहों  एवं भ्रष्टाचार की कांग्रेस-भाजपा सरकार ने समय रहते अगर सीबीआई/विजिलेंस जांच करा ली होती तो  ये महाशय प्रदेश को न लूट पाते।               
नेगी ने कहा कि राजस्व मंत्री रहते हुए हरक सिंह ने सहसपुर विकासखंड के शंकरपुर में 107 बीघा जमीन फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए अपने  करीबी के नाम करा अपनी पत्नी व एक करीबी के नाम रजिस्ट्री करवाई, जिस पर जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) ने भूमि को सरकार में निहित कर इनके खिलाफ एफआई आर दर्ज करने का सुझाव दिया था तथा मोर्चा ने भी लगातार इनके द्वारा भूमि हड़पने मामले को जोर-शोर से उठाया था, लेकिन अपने  घड़ीयाली आंसुओं के जरिए इनको तत्कालीन निशंक सरकार एवं हरीश रावत सरकार ने एक तरह से अभय दान दे दिया था।            नेगी ने कहा कि तत्कालीन हरीश रावत सरकार के समय  स्टिंग के साजिशकर्ता हरक सिंह के खिलाफ न्यायालय ने इनकी भी सीबीआई जांच के मामले में नोटिस जारी किया हुआ है।                        
नेगी ने कहा कि श्रम मंत्री रहते हुए हरक सिंह ने अपनी करीबी दमयंती रावत को असंवैधानिक प्रतिनियुक्ति के माध्यम से कर्मकार कल्याण बोर्ड का सचिव बनाकर करोड़ों रुपए की लूट की तथा श्रमिकों को घटिया सामान थमाकर लूट डाला तथा इनकी वजह से ही निजी आयुष महा विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों की फीस वृद्धि मामले में उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी कई वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसका कष्ट छात्रों के परिजनों ने  झेला। नेगी ने कहा कि इनके परिजनों के एनजीओ के जरिए भी काफी लूट हुई।                    नेगी ने सभी राजनीतिक दलों को चेताया कि इनको पार्टी में लेने से पहले इनके भ्रष्टाचार पर भी नजर डालें, जिससे प्रदेश को लूटने से बचाया जा सके।    
पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, मो0 असद, भीम सिंह बिष्ट व सुशील भारद्वाज मौजूद थे।

सोमवार, 17 जनवरी 2022

क्रोसिन से आगे बढ़ गई देसी डोलो 650 की बिक्री

 क्रोसिन से आगे बढ़ गई देसी डोलो 650 की बिक्री



डोलो 650 भारत का सबसे पसंदीदा पैरासिटेमाल ब्राण्ड

प0नि0डेस्क

देहरादून। डोलो 650 जो मार्च 2020 के बाद से कोविड के दौरान 567 करोड़ रुपए की बिक्री कर चुकी है। जब भारत कोविड की तीसरी लहर से जूझ रहा है तो इसे एक ‘पसंदीदा स्नैक’ कहा जा रहा है। लेकिन इस गोली के पीछे ऐसा क्या जादू है कि सब डाक्टर्स इसी को लिख रहे हैं!

जनवरी 2020 से पैरासिटेमाल की बिक्री के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि डोलो 650 अभी तक एक सबसे बड़ी खिलाड़ी रही है। जिसके बाद कालपोल और सुमो एल आती हैं। कुल मिलाकर भारत में पैरासिटामोल के 37 ब्राण्ड्स हैं, जिनकी भारत के अलग अलग क्षेत्रों में सबसे अधिक बिक्री है।

हेल्थकेयर में एक ह्यूमन डेटा साइंस और अडवांस्ड अनैलिटिक्स फर्म ईकविया के आंकड़ों से पता चलता है कि डोलो और कालपोल दो प्रमुख ब्राण्ड हैं जो पैरासिटामोल के हिस्से को आगे बढ़ा रहे हैं। डोलो 650 को बेंगलुरू स्थित माइक्रो लैब्स लि0 बनाती है, वहीं कालपोल का उत्पादन जीएसके फार्मास्यूटिकल्स में होता है। इन दोनों ब्राण्ड्स का क्षेत्रीय प्रभुत्व है और डाक्टर इन्हें व्यापक रूप से लिखते हैं।

डोलो 650 ने दिसंबर 2021 में 28.9 करोड़ रुपए की बिक्री की, जो पिछले साल इसी महीने की बिक्री से 61.45 प्रतिशत अधिक थी। लेकिन इसकी सबसे अधिक बिक्री अप्रैल और मई 2021 में कोविड की दूसरी लहर के दौरान हुई। जब ये क्रमशः 48.9 करोड़ और 44.2 करोड़ रुपए पहुंच गई।

इसकी तुलना में कालपोल की बिक्री जो दिसंबर 2021 में दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला पैरासिटामोल ब्राण्ड था, 28 करोड़ रुपए रही जो दिसंबर 2020 की बिक्री से 56 प्रतिशत अधिक थी। दूसरी लहर के चरम पर कालपोल सबसे ज्यादा बिकने वाला ब्राण्ड था, जब अप्रैल 2021 में इसकी 71.6 करोड़ रुपए की बिक्री हुई थी। पैरासिटामोल के अन्य लोकप्रिय ब्राण्ड्स फेमानिल, पी-250 और क्रोसिन हैं।

प्राइवेट संस्थानों के कर्मचारियों को नहीं लगाया जा सकता चुनाव ड्यूटी में

 प्राइवेट संस्थानों के कर्मचारियों को नहीं लगाया जा सकता चुनाव ड्यूटी में



गर्भवती व दूध पिलाने वाली महिला कर्मचारियों व निकट रिटायरमेन्ट वालांे को भी छूट

चुनाव सम्बन्धी कानून सहित 44 कानूनी पुस्तकों के लेखक नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने दी जानकारी

संवाददाता

काशीपुर। उधमसिंह नगर जिले के मुख्य शिक्षाधिकारी द्वारा चुनाव में ड्यूटी के लिये प्राइवेट स्कूलों से उनके कर्मचारियों की सूची मांगने से यह भ्रम पैैदा हो गया हैै कि चुनाव में प्राइवेट संस्थाओं के कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगायी जा सकती है। इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुये चुनाव सम्बन्धी कानून सहित 44 पुस्तकों के लेखक व कानूनी जानकर नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 159(2) में उल्लेखित प्राधिकरणों के अतिरिक्त किसी अन्य संस्थान के कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी नहीं लगायी जा सकती है। इनमें उल्लेखित संस्थानों से भी अनुरोध राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा ही किया जा सकता हैै। 

चुनाव में ड्यूटी के कानूनी प्रावधानों के सम्बन्ध में नदीम ने बताया कि इसका प्रावधान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 159(2) मेें उल्लेखित संस्थाओं में गैर सहायता प्राप्त कोई संस्थान, कम्पनी व प्रतिष्ठान नहीं आता हैै इसलिये किसी प्राइवेट स्कूल के कर्मचारी को चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जा सकता हैै। यद्यपि आवश्यकता होने पर सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों सहित ऐसे संस्थानों, सरकारी कम्पनी तथा सरकार के नियंत्राण के कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाया जा सकता है। 

नदीम ने बताया कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रिटर्निंग अधिकारियों की हैंडबुक के पैरा 3 में चुनाव ड्यूटी से संबंधित दिशा निर्देशों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार जिन विभागों व प्राधिकारियों के कर्मचारियों-अधिकारियों की चुनाव ड्यूटी में लगायी जा सकती है उनके भी विभिन्न कर्मचारियों को इससे छूट दी गयी हैै। हैैण्डबुक के पैैरा 3.3.5 के अनुसार ऐसे अधिकारी जो छह माह के भीतर रिटायर होने वाला है या रिटायर हो चुका है किन्तु सेवा विस्तार पर है या पुनर्नियोजित हैै उसकी ड्यूटी नहीं लगायी जानी चाहिये।

पैरा 3.4.2 के अनुसार ऐसी महिला कर्मचारियों जो गर्भवती हैै या बच्चे को दूध पिलाने वाली माताएं हैै चाहे मातृ अवकाश पर न हो, उनकी भी चुनाव में ड्यूटी नहीं लगायी जायेगी। इसके अतिरिक्त ऐसी महिला कर्मचारी जो कठिन व जोखिम वाला कार्य नहीं करने की चिकित्सा सलाह पर हों की भी ड्यूटी नहीं लगायी जायेगी। इसके अतिरिक्त ऐसे विकलांग कर्मचारी जो शारीरिक रूप से अशक्त हों तथा मतदान केन्द्र/मतगणना केन्द्र पर जा सकने की स्थिति न हो की भी ड्यूटी नहीं लगायी जायेगी।

नदीम ने बताया कि हैैण्डबुक में स्पष्ट किया गया है कि चुनाव ड्यूटी देते समय अधिकारियों की वरिष्ठता का भी ध्यान रखा जाना चाहिये। किसी सीनियर अधिकारी को उसके काफी जूनियर अधिकारी के अधीन ड्यूटी पर न रखा जाये।

शनिवार, 15 जनवरी 2022

ऐप के जरिए घर बैठे जमा कर सकेंगे जीवन प्रमाण पत्र

 ऐप के जरिए घर बैठे जमा कर सकेंगे जीवन प्रमाण पत्र

पेंशनर्स को बस फालो करना होगा ये सिंपल प्रोसेस



प0नि0डेस्क

देहरादून। पेंशनर्स को जीवन प्रमाण पत्र जमा कराने के लिए बार-बार बैंक या सरकारी एजेंसी में जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसके लिए अब एक मोबाइल ऐप को लान्च किया गया है। AadhaarFaceRd ऐप का उपयोग कर बाहर जाए बिना घर बैठे ही अपना जीवन प्रमाण पत्र चुटकियों में जमा कर सकते हैं। बता दें कि सरकार ने जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की तिथि को बढ़ाकर 28 फरवरी 2022 कर दिया है। अब आप 28 फरवरी तक अपना जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकेंगे और वह भी बिना बाहर जाए।

पेंशनधारक फेस रिकाग्निशन टेक्नोलाजी का उपयोग कर आनलाइन माध्मय से ही लाइफ सर्टिफिकेट जमा कर सकेंगे। सरकार की इस पहल से 68 लाख पेंशनधारियों को फायदा होगा। इसका लाभ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन व राज्य सरकार के पेंशनभोगियों को भी मिलेगा। 

जीवन प्रमाण पत्र आनलाइन जमा करने के लिए सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर पर जाकर AadhaarFaceRd ऐप डाउनलोड करना होगा। इसके अलावा चाहें तो https://jeevanpramaan.gov.in/ वेबसाइट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐप डाउनलोड और इंस्टाल होने के बाद आथेंटिकेशन करवाना होगा।

आथेंटिकेशन प्रोसेस पूरा होने के बाद फेस स्कैन करें। यहां ऐप में दिए गए प्रोसेस को स्टेप बाय स्टेप फालो करना होगा। एक बार फेस स्कैन करने के बाद डिवाइस डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके बाद पेंशनर्स को यहां अपनी कुछ निजी डिटेल भरनी होगी और फिर लाइव फोटो स्कैन करनी होगी।

नोटः ध्यान रखें कि फेस आईडी का उपयोग करने के लिए आपके पास एंड्राइड स्मार्टफोन, इंटरनेट कनेक्शन, आधार नंबर और 5एमपी का उससे अधिक का कैमरा होना चाहिए।

भारतीय सेना ने 74वां सेना दिवस मनाया

भारतीय सेना ने 74वां सेना दिवस मनाया



15 जनवरी 1949 को पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ नियुक्त हुए थे फील्ड मार्शल के0एम0 करियप्पा 

एजेंसी

नई दिल्ली। भारतीय सेना ने अपना 74वां सेना दिवस मनाया। यह दिन फील्ड मार्शल के0एम0 करियप्पा के भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ का पदभार ग्रहण करने की याद में मनाया जाता है। उन्हें भारत के अंतिम ब्रिटिश कमांडर-इन-चीफ जनरल फ्रांसिस बुचर के स्थान पर 15 जनवरी 1949 को कमांडर इन चीफ बनाया गया था। वे स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय कमांडर-इन-चीफ नियुक्त हुए थे।



सेना दिवस पर वर्ष 2022 के लिए भारतीय सेना की थीम ‘इन स्ट्राइड विद द फ्रयूचर-भविष्य के साथ प्रगति में’ है, जो आधुनिक काल के युद्व में अहम और विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियों द्वारा तेजी से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका की स्वीकृति को दर्शाती है। भारतीय सेना पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करती है। ऐसे में इन उभरती चुनौतियों से निपटने में अभिनव समाधान खोजने के लिए आर्टिपफशियल इंटेलिजेंस (एआई), 5 जी, रोबोटिक्स और क्वांटम टेक्नोलाजी पर विचार किया जा रहा है।

सेना दिवस समारोह की शुरुआत राष्ट्रीय युद्व स्मारक पर माल्यार्पण करने के साथ हुई जहां तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने वीरों और शहीदों को श्रद्वांजलि दी। थल सेनाध्यक्ष जनरल एम0एम0 नरवणे ने भारतीय सेना की सभी रैंकों के लिए अपने संदेश में उन सभी कर्मियों के सर्वाेच्च बलिदान को सलाम किया, जिन्होंने कर्तव्य का पालन करते हुए अपने जीवन का बलिदान कर दिया। उन्होंने वीर नारियों और शहीद हुए सैनिकों के परिजनों के प्रति अपने अटूट समर्थन को दोहराया। जनरल नरवणे ने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि भारतीय सेना किसी भी प्रतिकूल स्थिति से सक्रियता के साथ निपटने के लिए हमेशा तैयार है।

थल सेनाध्यक्ष ने दिल्ली छावनी के करियप्पा परेड ग्राउंड में सेना दिवस परेड का निरीक्षण किया तथा सलामी ली। उन्होंने वीरतापूर्ण साहसिक कार्यों के लिए 15 सेना पदक (पांच मरणोपरांत सहित) प्रदान किये और इकाइयों को उनके सराहनीय प्रदर्शन के लिए 23 सीओएएस यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। इस वर्ष सेना दिवस परेड में भारतीय सेना की सूची में शामिल विभिन्न हथियार प्रणालियों के विकास को प्रदर्शित किया गया। नए एवं आधुनिकतम हथियार प्रणालियों तथा प्लेटफार्मों को उनके पुराने समकक्षों के साथ दर्शाया गया था। सेंचुरियन टैंकों के बाद अर्जुन देश के मुख्य युद्वक टैंक थे और टोपास के स्थान पर बीएमपी-II को तैनात किया गया था। इसी तरह से 75/24 भारतीय फील्ड गन और धनुष, पीएमपी/पीएमएस तथा सर्वत्र ब्रिजेस एवं टाइगर कैट और आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की जोड़ी भी प्रदर्शित की गई।

परेड में अंतर्राष्ट्रीय खेल पुरस्कार विजेता और घुड़सवार सेना सहित सात मार्चिंग दल भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्व गायक हरिहरन द्वारा गाया गया ‘माटी’ शीर्षक वाला एक गीत विशेष रूप से जारी किया गया, जो सेना और राष्ट्र को समर्पित किया गया है। भारतीय सेना ने परेड के दौरान अपनी लड़ाकू पोशाक के नवीनतम पैटर्न का भी अनावरण किया।

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