शनिवार, 30 नवंबर 2019

आईएनएएस 314दृ रैपटर्स कमीशन किया गया

आईएनएएस 314दृ रैपटर्स कमीशन किया गया



एजेंसी
अहमदाबाद। भारतीय नौसेना का एयर स्कॉड्रन 314 पोरबंदर के नेवल एयर इंक्लेव में शानदार समारोह में नौसेना के विमान बेड़े में शामिल किया गया। यह छठा डोर्नियर विमान स्कॉड्रन है। वाइस एडमिरल एमएस पवार, एवीएसएम, वीएसएम, उप नौसेना प्रमुख समारोह के मुख्य अतिथि थे।
समारोह को संबोधित करते हुए एडमिरल एमएस पवार ने कहा कि भारतीय नौसेना स्कॉड्रन एनएस (आईएनएएस) 314 को कमीशन किया जाना मैरिटाइम सुरक्षा बढ़ाने तथा उत्तर अरब सागर में निगरानी की दिशा में एक और शानदार प्रयास है। अपनी रणनीतिक जगह के कारण स्कॉड्रन गंभीर क्षेत्र में पहली कार्रवाई करेगा।
आईएनएस 314 का नाम हिंसक पक्षी परिवार के 'रैपटर्स' से लिया गया है। स्कॉड्रन के प्रतीक चिह्न में भी विशाल समुद्र में खोज करते रैपटर पक्षी को दिखाया गया है। रैपटर बड़ी हिंसक पक्षी है और उसकी संवेदी क्षमता शानदार होती है। उसके नाखून मजबूत और धारदार होते हैं और उसके मजबूत पंख विमान की क्षमताओं के प्रतीक हैं।
स्कॉड्रन बहु-भूमिका वाले एसआरएमआर विमान डोर्नियर का संचालन करेगा। इसका जुड़वा टर्बाेप्रॉप ईंजन हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्ल लिमिटेड (एचएएल) ने बनाया है। इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक युद्ध मिशनों, मैरिटाइम निगरानी, खोज तथा बचाव कार्य और हथियार प्लेटफॉर्म को लक्ष्य डाटा प्रदान करने में किया जाएगा। नौसेना मेक-इन-इंडिया के माध्यम से स्वदेशी विकास और आत्मनिर्भरता में योगदान करते हुए एचएएल से 12 नये डोर्नियर विमान खरीद रही है। ये विमान अत्याधुनिक संवेदी प्रणाली और ग्लासकॉकपिट अग्रणी निगरानी राडार, ईएलआईएनटी, आप्टिकल सेंशर तथा नेटवर्किंग विशेषताओं सहित उपकरण से लैस हैं। यह स्कॉड्रन चार नई टेक्नोलॉजी वाले अगली पीढ़ी के डोर्नियर विमान को स्वीकार करने और चलाने वाला पहला स्कॉड्रन है।
आईएनएएस 314 की कमान अत्यधिक अनुभवी डोर्नियर योग्यताप्राप्त नेविगेशन इंसट्रक्टर कैप्टन संदीप राय ने संभाली है।


 


देश भर में 15 जनवरी, 2020 से सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य 

देश भर में 15 जनवरी, 2020 से सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य 



एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने घोषणा की कि 15 जनवरी, 2020 से देश भर में सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी जाएगी। घोषणा के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए पासवान ने कहा कि भारत में सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य की जा रही है। इसके लिए उपभोक्ता कार्य विभाग द्वारा एक अधिसूचना जारी की जाएगी और कार्यान्वयन के लिए एक वर्ष का समय दिया जाएगा, ताकि निजी उद्यमियों द्वारा सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की मांग वाले स्थानों पर नए परख और हॉलमार्किंग केंद्र  स्‍थापित किए जाएं; जौहरियों के पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो और आभूषणों के खुदरा विक्रेताओं को अपना मौजूदा स्‍टॉक क्‍लीयर करने के लिए एक साल का समय दिया गया है। पासवान ने कहा कि हॉलमार्किंग से गांवों और छोटे शहरों में उन गरीबों को लाभ होगा जो सोना खरीदते समय उसकी शुद्धता का पता नहीं लगा पाते हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) अधिनियम 2016 में केंद्र सरकार द्वारा स्वर्ण आभूषण और कलाकृतियों की हॉलमार्किंग अनिवार्य करने के लिए धारा 14 और धारा 16 के तहत प्रावधानों को सक्षम किया गया है। इससे सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की बिक्री करने वाले सभी जौहरियों के लिए बीआईएस के साथ पंजीकृत होना और केवल हॉलमार्क वाले आभूषणों और कलाकृतियों को बेचना अनिवार्य हो जाएगा। सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए गुणवत्‍ता नियंत्रण आदेश का प्रारूप 10 अक्टूबर 2019 को टिप्पणियों के लिए 60 दिनों की अवधि के लिए डब्ल्यूटीओ की वेबसाइट पर पोस्‍ट किया गया।
बीआईएस अधिनियम 2016 को 12 अक्टूबर 2017 से तत्‍काल प्रभाव से लागू किया गया और बीआईएस हॉलमार्किंग विनियम 2018 को अधिसूचित किए गए और 14-8-2018 से प्रभावी किए गए। बीआईएस अप्रैल 2000 से सोने के गहनों के लिए एक हॉलमार्किंग योजना चला रहा है। 31 अक्टूबर 2019 तक देश भर के 234 जिलों में 877 परख और हॉलमार्किंग केंद्र  हैं और अब तक 26,019 जौहरियों ने बीआईएस पंजीकरण कराया है।


 


बाघ ने खुले में शौच से मुक्त किए कई गांव

बाघ ने खुले में शौच से मुक्त किए कई गांव



एजेंसी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड के महोबा और हमीरपुर जिले की सीमा में दो गांव में बाघ घुस आया जिसके डर से ग्रामीण खुले में शौच के लिए नहीं जा रहे हैं। बता दें कि हमीरपुर और महोबा जिले को बहुत पहले ही ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। गांवों के हर घर में शौचालय भी बने हुए हैं, इसके बावजूद ग्रामीण खुले में शौच करने से बाज नहीं आ रहे थे।
जिला प्रशासन की लाख कोशिशों के बाद भी ग्रामीण खुले में शौच के लिए जा रहे थे, तभी अचानक एक बाघ हमीरपुर/महोबा जिले की सीमा में दहाड़ने लगा। घबराए ग्रामीण घरों में कैद हो गए और खुले में शौच पर पूरी तरह रोक लग गई। महोबा के डीएफओ रामजी राय के अनुसार यह एक वयस्क रॉयल बंगाल टाइगर है जो मध्य प्रदेश के पन्ना के जंगलों से भटककर यहां आ गया है।
मौके पर पहुंचे वन विभाग के डीएफओ रामजी राय ने बताया कि कुनेहटा गांव में युवराज सिंह के खेत में बाघ दिखने की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर महोबा के साथ-साथ हमीरपुर से भी वन विभाग की टीम को बाघ पकड़ने के लिए बुलाया गया। महोबा में बाघ का आना किसी बड़े आश्चर्य से कम नहीं है। 
ग्रामीणों को खुद की सुरक्षा को लेकर आग जलाकर रात गुजारने के लिए सतर्कता बरतने की हिदायद दी गई है। बाघ को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लाया गया है। वन विभाग और पुलिस की टीम जंगल में इस बाघ को पकड़ने की कवायद में जुटी हुई है। कुनेहटा गांव के किसान युवराज सिंह ने बताया कि जंगल में बाघ की मौजूदगी के चलते ग्रामीण घरों में दुबके हुए हैं और कोई भी खुले में शौच के लिए जंगल में नहीं जा रहा है।
यह बाघ का खौफ ही है कि हमीरपुर जिले के कुनेहटा और महोबा जिले के ग्यूडी गांव के ग्रामीण खुले में शौच को नहीं जा रहे हैं। लोग इस बाघ को ओडीएफ का ब्रांड एम्बेसडर बताते हुए व्यंग कर रहे है।


रोजगार मामले में  आईसीयू से  बाहर निकलते ही ब्यूरोक्रेसी पर बिफरे त्रिवेंद्र: मोर्चा

रोजगार मामले में  आईसीयू से  बाहर निकलते ही ब्यूरोक्रेसी पर बिफरे त्रिवेंद्र: मोर्चा


- युवाओं के रोजगार मामले में ढाई साल बाद आई याद       


- प्रदेश में 60-70 हजार पद रिक्त, लेकिन अधिकारी हैं बेखबर 



 - अधिकारियों (सचिवों) को अब लगा रहे फटकार, जब हालात दिखने लगे खराब  

 - प्रदेश में युवा दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर ,लेकिन मुखिया थे बेसुध     

संवाददाता 

विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में लाखों युवा नौकरी पाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बेसुध पड़े थे। कल सचिवों की बैठक में नौकरियों/ रोजगार के मामले में अधिकारियों पर कड़ाई इस बात का संकेत है कि ब्यूरोक्रेसी पर लगाम कसने में त्रिवेंद्र नाकाम हो चुके हैं तथा इसी का नतीजा है कि ढाई वर्षों में त्रिवेंद्र 2500 लोगों तक को रोजगार मुहैया नहीं करा पाए | महत्वपूर्ण यह है कि प्रदेश में 60-70 हजार पद रिक्त पड़े हैं, लेकिन 5 दर्जन विभागों का जिम्मा संभाले श्री त्रिवेंद्र व सचिवों तक को मालूम नहीं कि प्रदेश में कितने पद रिक्त हैं |    नेगी ने कहा कि इस बात का अंदेशा आसानी से लगाया जा सकता है कि मुखिया की कार्यशैली/ कार्यक्षमता को भांपकर अधिकारी खर्राटे भर रहे हैं तथा उनको यह तक मालूम नहीं कि किस विभाग में कितने पद रिक्त पड़े हैं तथा उनकी अद्यतन स्थिति क्या है ! नेगी ने हैरानी जताई कि कुछ माह पूर्व तीन लाख लोगों को समाचार पत्रों में झूठे विज्ञापनों के माध्यम से व फर्जी तरीके से रोजगार प्रदान किए जाने का मामला भी युवाओं उछलने जैसा है |                        

नेगी ने कहा कि आज युवाओं को रोजगार प्रदान की जाने के मामले में युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत है तथा मुखिया को रेता- बजरी/ शराब/ भांग की खेती इत्यादि से ध्यान हटाकर सिर्फ युवाओं की चिंता करनी चाहिए |      

पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे।


शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

अब बिना नेटवर्क फोन पर बात कर सकेंगे मोबाइल यूजर्स

अब बिना नेटवर्क फोन पर बात कर सकेंगे मोबाइल यूजर्स



एजेंसी
नई दिल्ली। एयरटेल या जियो का सिमकार्ड इस्तेमाल करने वाले अब मोबाइल में नेटवर्क नहीं होने पर भी फोन पर बात कर सकेंगे। दरअसल एयरटेल और जियो ने अपनी VoWiFi यानी वॉयस ओवर वाई-फाई सर्विस शुरू कर दी है। बता दें कि अभी तक 4जी यूजर्स VoLTE यानी वॉयस ओवर एलटीई के जरिए कॉलिंग कर पा रहे हैं।  
वॉयस ओवर वाई-फाई या VoWiFi वाई-फाई के जरिए काम करता है। इसके वॉयस ओवर आईपी VoIP भी कहा जाता है। VoWiFi के जरिए आप होम वाई-फाई, पब्लिक वाई-फाई और वाई-फाई हॉटस्पॉट की मदद से कॉलिंग कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आपके मोबाइल में नेटवर्क नहीं है तो आप किसी वाई-फाई या किसी से हॉटस्पॉट लेकर फोन पर आराम से बात कर सकते हैं। VoWiFi का सबसे बड़ा फायदा रोमिंग में होता है, क्योंकि आप किसी भी वाई-फाई के जरिए फ्री में बातें कर सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर आप व्हाट्सएप के जरिए आप किसी से बात भी कर लेते हैं और बैंलेस भी खर्च नहीं होता है, क्योंकि व्हाट्सएप कॉलिंग में इंटरनेट नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल नेटवर्क के बिना किसी वाई-फाई के जरिए कॉलिंग को VoWiFi कॉलिंग कहते हैं। 
बता दें कि आप VoWiFi कॉलिंग तभी कर पाएंगे जब आपका स्मार्टफोन WiFi कॉलिंग को सपोर्ट करने वाला होगा और साथ ही आपका टेलीकॉम ऑपरेटर भी VoWiFi की सुविधा देता होगा। फोन की सेटिंग्स में नेटवर्क सेटिंग्स में जाकर इसे चेक कर सकते हैं। यदि फोन के नेटवर्क सेटिंग में वाई-फाई कॉलिंग का ऑप्शन दिख रहा है तो उसे करके आप VoWiFi कॉलिंग कर सकते हैं। फिलहाल सैमसंग गैलेक्सी नोट 10 प्लस, वनप्लस 7टी जैसे स्मार्टफोन पर VoWiFi कॉलिंग की सुविधा मिल रही है। देश में फिलहाल जियो और एयरटेल ही VoWiFi की सुविधा दे रहे हैं।


श्रम मन्त्री की सरपरस्ती में खरीदी गयी करोड़ों की घटिया साइकिलें: मोर्चा

श्रम मन्त्री की सरपरस्ती में खरीदी गयी करोड़ों की घटिया साइकिलें: मोर्चा
- वर्ष 2018-19 में खरीदी 6.77 करोड़ की 19825 साईकिलें
- साईकिल घटिया होने के चलते कर्मकार बेच रहे आधे दामों पर दुकानदारों को
- सरकारी धन को कमीशनखोरी के चलते लगाया जा रहा है ठिकाने
- हजारों साईकिलें बाँटी गयी फर्जी तरीके से कागजों में
संंाददाताव
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि श्रम विभाग के उत्तराखण्ड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने टेलीकम्यूनिकेशन कन्सलटेंट्स इण्डिया लि0 से दिनांक 29.03.2019 को 19825 साईकिलें 6,77,73,270/- रू0 में खरीदी। उक्त सभी साईकिलें कर्मकारों को बाॅंटने के उद्देश्य से खरीदी गयी थी। उक्त खरीदी गयी एक साईकिल की कीमत 3418/- रू0 प्रति साईकिल है।
नेगी ने हैरानी जतायी कि जो साईकिलें खरीदी गयी थी, अधिकारियों ने मोटी कमीशन हड़प कर घटिया किस्म की साईकिलें खरीदी, जिसका नतीजा  ये हुआ कि कर्मकारों/मजदूरों ने आधे/औने-पौने दामों में वही साईकिलें दुकानदारों को बेच दी।
नेगी ने कहा कि महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हजारों साईकिलें कागजों में हेराफेरी कर फर्जी तरीके से बॅंटवाने का भी खेल खेला गया है तथा इसी प्रकार हजारों सिलाई मशीन/सोलर/उपकरणों में भी यही खेल खेला गया।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि एटलस जैसी मजबूत साईकिल 3700/- रू0 तक खुदरा मूल्य में मिल रही है अगर यही साईकिलें थोक में खरीदी जायें तो 2800-3000 रू0 तक उपलब्ध हो सकती हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसी घटिया साईकिल 3418/-रू0 में खरीदी गयी, अगर यही घटिया साईकिलें कोई संस्था थोक में खरीदती तो 2200-2400 रू0 में आसानी से उपलब्ध हो जाती।
नेगी ने कहा कि इस गरीब प्रदेश में मन्त्री एवं अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश को कर्ज में डुबोकर कमीशन खोरी का खेल खेला जा रहा है। मोर्चा सरकार से उक्त साईकिल व अन्य सामान की खरीद-वितरण की उच्च स्तरीय जाँच की माँग करता है।
पत्रकार वार्ता में: मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, ओ0पी0 राणा, भीम सिंह बिष्ट आदि मौजूद थे।


निकाह से पहले होगा खास टेस्ट, पास होने पर होगा निकाह

निकाह से पहले होगा खास टेस्ट, पास होने पर होगा निकाह



कोर्स के दौरान सफल वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां युवाओं को दी जाएंगी। इस दौरान युवाओं को घर के आर्थिक हालात के अनुसार जीवन यापन करने के गुर भी सिखाए जाएंगे। सरकार की तरफ से कराया जानेवाला यह कोर्स तीन महीने की अवधि का है।
एजेंसी
जकार्ता। हमारे देश में माना जाता है कि शादी का बंधन नसीब का खेल है और रिश्ते ऊपर से बनकर आते हैं लेकिन इंडोनेशिया सरकार के नए आदेश के अनुसार, शादी योग्य और शादी के इच्छुक हर लड़के और लड़की को एक कोर्स कराया जाएगा, जिसमें दांपत्य जीवन, घर-परिवार की देखभाल और बच्चों की परवरिश की ट्रेनिंग दी जाएगी। कोर्स पूरा होने के बाद इनका टेस्ट लिया जाएगा। जो भी युवा इस टेस्ट में फेल हुआ, उससे शादी का अधिकार छीन लिया जाएगा।
यह खबर इंडोनेशिया के न्यूज पेपर जकार्ता पोस्ट में प्रकाशित हुआ है। खबरों के आधार पर दांपत्य जीवन से जुड़े इस कोर्स की शुरुआत सरकार नए साल से करेगी। यानी साल 2020 से इंडोनेशिया में गृहस्थ जीवन शुरू करने के इच्छुक हर युवा को यह प्री-वेडिंग कोर्स करना होगा। खास बात यह है कि अपने देश युवाओं को जिम्मेदार नागरिक, जीवनसाथी और जागरूक माता-पिता बनाने के उद्देश्य से सरकार की तरफ से कराया जानेवाला यह कोर्स पूरी तरह से फ्री होगा।
कोर्स के दौरान सफल वैवाहिक जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां भी युवाओं को दी जाएंगी। इस दौरान युवाओं को घर के आर्थिक हालात के अनुसार जीवन यापन करने के गुर भी सिखाए जाएंगे। सरकार की तरफ से कराया जानेवाला यह कोर्स तीन महीने की अवधि का है और इसे इंडोनेशिया के मानव विकास और सांस्कृतिक मंत्रालय ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है।
इंडोनेशिया के मानव विकास मंत्रालय के अनुसार इस कोर्स के बाद सभी युवाओं को सर्टिफिकेट दिया जाएगा और सर्टिफिकेट प्राप्त करनेवाले युवाओं को ही शादी की अनुमति प्राप्त होगी। इंडोनेशिया की डायरेक्टर जनरल किरना प्रीतसरी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग इससे पहले भी शादी योग्य युवाओं को प्रशिक्षित करता रहा है। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सरकारी स्तर पर यह नियम पूरे देश में लागू किया जा रहा है।


गुरुवार, 28 नवंबर 2019

तृतीय राष्ट्रीय ज्योतिष महासम्मेलन का आयोजन

तृतीय राष्ट्रीय ज्योतिष महासम्मेलन का आयोजन



होटल कैनिल स्टार में होगा निःशुल्क ज्योतिष शिविर का आयोजन
संवाददाता
देहरादून। उत्तरांचल प्रेस क्लब में उत्तराखण्ड़ ज्योतिष सेवा संस्थान के अध्यक्ष पीपी राणा ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि आगामी रविवार को हरिद्वार रोड़ स्थिति होटल कैनिल स्टार में प्रातः 9 बजे से तृतीय राष्ट्रीय ज्योतिष महासम्मेलन एवं निःशुल्क ज्योतिष शिविर का आयोजन किया जायेगा। 
राणा ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारम्भ दून के मेयर सुनील उनियाल गामा के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया जायेगा। इस दौरान कुछ विशिष्ट ज्योतिषी जो 65 वर्ष की आयु पूरी कर चुके है तथा ज्योतिष के क्षेत्र में 30 से 40 वर्ष का अनुभव हो चुका है, को संस्थान लाइफ टाइम अचीवमेंट एवार्ड से सम्मानित करेगी।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का समापन प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं सांस्कृतिक एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज द्वारा किए जाने की संभावना है। 
इस अवसर पर रजनीश शर्मा, नरेश मिनोचा, मनीष भाटिया, हरीश डिमरी, रिचा शर्मा एवं अनिल डबराल भी मौजूद थे।


दिव्यांग मिनी मैराथन में भाग लेंगे तीन सौ से अधिक दिव्यांग

दिव्यांग मिनी मैराथन में भाग लेंगे तीन सौ से अधिक दिव्यांग



संवाददाता
देहरादून। नौटियाल कृत्रिम अंग कल्याण समिति द्वारा 1 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस के उपलक्ष्य में दिव्यांग जन प्रेरणा के तहत पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता के लिए दून में दिव्यांग मिनी मैराथन का आयोजन किया जा रहा है। यह रैली प्रातः 7 बजे आरम्भ होगी जिसमें आयोजकों द्वारा 300 से अधिक दिव्यांगों के शामिल होने का दावा किया गया है।
उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में नौटियाल कृत्रिम अंग कल्याण समिति के अध्यक्ष विजय कुमार नौटियाल ने जानकारी दी कि समिति द्वारा 1 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस के उपलक्ष्य में दिव्यांग जन प्रेरणा के तहत पर्यावरण संरक्षण एवं स्वच्छता के लिए दून में दिव्यांग मिनी मैराथन का आयोजन किया जा रहा है। रैली सुबह 7 बजे गांधी पार्क से शुरू होकर कनक चौक, दून क्लब, कांवेंट स्कूल, प्रेस क्लब से होते हुए हिन्दी भवन मंे संपन्न होगी। 
उन्हांेने बताया कि रैली को देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा, विधायक गणेश जोशी, खजान दास हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। कार्यक्रम के समापन पर हिंदी भवन में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में डीजीपी कानून व्यवस्था अशोक कुमार, विशिष्ठ अतिथि के रूप में संयुक्त निदेशक गिरीश चंद्र पंचोली व भारतीय चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डा0 दर्शन कुमार शर्मा उपस्थित रहेंगे।
कार्यक्रम में निशक्तजन सशक्तिकरण के क्षेत्र में योगदान देने वाली विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम में दिव्यांग मिनी मैराथन में सभी प्रतिभागिया को संस्था के द्वारा प्रशस्तिपत्र एवं स्मृति चिन्ह के जरिए सम्मानित किया जाएगा। 
इस अवसर पर संस्था के पदाधिकारी दिनेश कंडारी, राजेंद्र सिंह तंवर, जीपी गुरुंग, राजेंद्र सेमवाल आदि मौजूद रहे।


 


मनमोहन बधानी के गीत छलबली नारैणा के वीडियों का विमोचन

मनमोहन बधानी के गीत छलबली नारैणा के वीडियों का विमोचन



संवाददाता
देहरादून। उत्तरांचल प्रेस क्लब में लोकगायक मनमोहन बधानी द्वारा लोक परंपराओं पर आधारित गीत छलबली नारैणा के वीडियों का विमोचन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के तौर पर केदारपुर के पार्षद दर्शन लाल बिन्जोला एवं वरिष्ठ पत्रकार डा0 वीडी शर्मा मौजूद रहे। 
विमोचन के मौके पर पार्षद बिन्जोला ने कहा कि बधानी का प्रयास सराहनीय है। उन्होंने बताया कि सेम मुखेम में भगवान श्रीकृष्ण को नागराजा के रूप में जाना जाता है। वरिष्ठ पत्रकार डा0 वीडी शर्मा ने कहा कि लोक कला और लोक संस्कृति का जिम्मा जिस तरह से मनमोहन बधानी ने उठाये रखा है, वह प्रशंसा के पात्र है। डा0 शर्मा ने कहा कि प्रदेश के चार धामों की तरह सेम मुखेम को भी विकसित करने का काम हो।
मनमोहन बधानी ने गीत के बारे में बताया कि उन्होंने अपनी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के मकसद से लोक परम्पराओं पर आधरित छलबली नारैणा गीत की रचना की है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के छल और बल के मिश्रित रूप विद्यमान है। उत्तराखण्ड की धरती पर उन्होंने नागराजा का रूप धरण किया इसलिए उनको नागराजा के तौर पर पूजा जाता है। 
बता दें कि सेम मुखेम में आज भी प्रत्येक तीन साल में दो दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है। 
इस अवसर पर विधायक प्रतिनिधि प्यारेलाल बिजल्वाण, सुभाष जोशी, दीपक शर्मा, सत्यपाल सिंह, पूजा थापा, संजय बहुगुणा, गणेश जुयाल, सतपाल रावत, रवि कपूर, कैलाश उनियाल, संस्कृति कर्मी रवि मंमगाई आदि मौजूद रहे।


आयोग ने अधिशासी अभियंता को लगाई फटकार: मोर्चा

आयोग ने अधिशासी अभियंता को लगाई फटकार: मोर्चा           

- सहिया के झझरेड स्थित लोनिवि के करोड़ों रुपए का है गड़बड़झाला  

- अधिशासी अभियंता को घोटाले में महारत हासिल, लेकिन आरटीआई का ज्ञान नहीं 

- बिना तथ्य जांचें अपील निस्तारित करने का है मामला       

-  आयोग ने दिए अधिशासी अभियंता को पुनः अपील सुनने के निर्देश 

संवाददाता         

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने बयान जारी कर कहा कि सहिया, देहरादून स्थित झझरेड सुरक्षा दीवार इत्यादि में लोक निर्माण विभाग द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद धरातल पर कोई ठोस कार्य न होने तथा अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के मामले में प्रवीण शर्मा पिन्नी द्वारा लोक निर्माण विभाग, सहिया से सूचना चाहिए थी, जिस पर लोक सूचना अधिकारी द्वारा बहाना बनाकर इतिश्री कर ली गई थी |          

उक्त से असंतुष्ट होकर पिन्नी द्वारा अधिशासी अभियंता /विभागीय अपीलीय अधिकारी धीरेंद्र प्रताप सिंह के समक्ष  अपील योजित की थी | अपीलीय अधिकारी द्वारा अपने विभाग के काले कारनामे के भय से भयभीत होकर अपील बिना सुने व कार्रवाई किए निस्तारित कर दी |        

उक्त मामले में अपीलीय अधिकारी की कार्यशैली से असंतुष्ट होकर सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर गंभीरता दिखाते हुए सूचना आयुक्त जेपी ममगई ने दिनांक 18/11/19 को लोक सूचना अधिकारी को निशुल्क सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए|          

उक्त मामले में आयोग द्वारा अधिशासी अभियंता धीरेंद्र प्रताप सिंह को चेतावनी देते हुए भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृति न होने, आरटीआई का ज्ञान अर्जित करने व अनुशासनात्मक कार्य करने की भी चेतावनी दी |            

बुधवार, 27 नवंबर 2019

युद्ध में शहीदों के परिवारों के लिए सरकारी आवास रखने की अवधि तीन महीने से बढ़ाकर एक वर्ष

युद्ध में शहीदों के परिवारों के लिए सरकारी आवास रखने की अवधि तीन महीने से बढ़ाकर एक वर्ष



एजेंसी
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के युद्ध में हताहत जवानों के परिवारों के लिए सरकारी आवास रखने की अवधि वर्तमान तीन महीने से बढ़ाकर एक वर्ष करने के प्रस्तााव को मंजूरी दे दी है। सशस्त्र सेनाओं की जरूरतों और उनकी मांग को देखते हुए रक्षा मंत्रालय ने वर्तमान प्रावधानों की समीक्षा की और सेना के जवानों का मनोबल बढ़ाने के लिए इस अवधि को बढ़ाने की सिफारिश की।
वर्तमान में दुश्मन की सेनाओं की कार्रवाई अथवा उस समय दुश्मन के हवाई हमलों में मारे गए सशस्त्र सेनाओं के जवानों के परिवार को तीन महीने के लिए सरकारी आवास रखने की इजाजत है और अब इस अवधि को बढ़ाकर एक वर्ष कर दिया गया है।


35वां इन्फैंट्री कमांडर सम्मेलन 

35वां इन्फैंट्री कमांडर सम्मेलन 



एजेंसी
भोपाल। 35वां इन्फैंट्री कमांडर सम्मेलन 26 नवंबर को इन्फैंट्री स्कूल महू में शुरू हुआ। यह सम्मेलन एक द्विवार्षिक आयोजन है। इसका उद्देश्य इन्फैंट्री के संचालन, प्रशिक्षण और प्रबंधन पहलुओं की समग्र समीक्षा करना है, जो अपनी भूमिका को बरकरार रखने और बढ़ोतरी करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस सम्मेलन की अध्यक्षता थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत कर रहे हैं। इस सम्मेलन में गठन कमांडर और कमांडिंग अधिकारियों सहित विभिन्न सेक्शनों के इन्फैंट्री अधिकारी भाग ले रहे हैं। इस सम्मेलन में सेना प्रमुख की उपस्थिति में तीन दिनों तक विचार-विमर्श जारी रहेगा।
यह सम्मेलन प्रख्यात वक्ताओं और पेशेवरों को अपने विचारों को साझा करने तथा एक निर्भीक और स्पष्ट रूप में इन्फैंट्री से संबंधित मामलों का नए परिप्रेक्ष्य में आत्मनिरीक्षण करने का भी अवसर प्रदान करेगा। इस सम्मेलन के दौरान हुआ विचार-विमर्श राष्ट्र की सुरक्षा की उभरती चुनौतियों से प्रभावी रूप से निपटने के लिए इन्फैंट्री के योगदान को सुनिश्चित करने हेतु नवीन विचारों को सामने लाएगा।  


पूर्व सैनिक ब्लाक प्रतिनिधियों की चयन प्रक्रिया 

पूर्व सैनिक ब्लाक प्रतिनिधियों की चयन प्रक्रिया 



संवाददाता
देहरादून। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी डीके कौशिक ने अवगत कराया है कि जनपद के डोईवाला/रायपुर/सहसपुर ब्लाकों हेतु पूर्व सैनिक, ब्लाक प्रतिनिधियों की चयन प्रक्रिया आयोजित की जायेगी। उन्होंने सम्बन्धित ब्लाक के इच्छुक पूर्व सैनिक जो कि पूर्व सैनिकों एवं सैनिक आश्रितों के कल्याणार्थ समर्पण एवं निष्पक्ष भाव से कार्य करने की इच्छा एवं क्षमता रखते हों, ऐसे पूर्व सैनिक जिला सैनिक कल्याण एवं पुर्नवास कार्यालय देहरादून से सम्पर्क स्थापित कर अपना आवेदन पत्र 30 नवम्बर तक प्रस्तुत कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी कार्यालय सम्पर्क किया जा सकता है।


भवन कर /दुकान किराया विलंब शुल्क माफी को लेकर आयुक्त से मिला मोर्चा    

भवन कर /दुकान किराया विलंब शुल्क माफी को लेकर आयुक्त से मिला मोर्चा   


संवाददाता

देहरादून। नगर पालिका परिषद, विकासनगर क्षेत्र अंतर्गत भवन स्वामियों एवं दुकानदारों के भवन कर एवं विलंब शुल्क माफ किए जाने की मांग को लेकर जन संघर्ष मोर्चा  प्रतिनिधिमंडल ने मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में आयुक्त, गढ़वाल मंडल रविनाथ रमन से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा | रमन ने मामले में प्रस्ताव बनाकर शासन में भेजने एवं जिला अधिकारी को तत्काल आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए |                

नेगी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2005-06 से 2015 -16 तक भवन कर 10 फ़ीसदी की दर से वसूला गया ,जबकि सम्परीक्षा विभाग द्वारा 12.50 फ़ीसदी की दर से वसूलने के निर्देश दिए गए | उक्त के खिलाफ पालिका बोर्ड द्वारा दिनांक 22/ 12/ 18 को प्रस्ताव पारित कर कालातीत हो चुकी 2.5 % की मांग को खारिज कर दिया गया, जिसकी धनराशि 44.39लाख थी |इसके साथ -साथ पालिका के स्वामित्व वाली 88 दुकानों का किराया  विलंब से जमा होने पर 12.50 फीसदी अधि घोषित होने के कारण दुकानदारों के आग्रह पर पालिका बोर्ड द्वारा 17-4-18 के द्वारा विलंब शुल्क 33.31 लाख माफ करने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया तथा क्रम में उक्त के क्रम में पालिका परिषद द्वारा दिनांक 22/02/ 19 के माध्यम से पत्र आयुक्त गढ़वाल को प्रेषित किया गया था | नेगी ने कहा कि क्षेत्र की जनता की मांग पर मोर्चा द्वारा पूर्व में भी उक्त मामले को उठाया गया था ,जिसके क्रम में आयुक्त द्वारा पालिका परिषद से आख्या एवं दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए थे | अनुपालन में पालिका परिषद द्वारा नवंबर 2019 को दस्तावेज आयुक्त, गढ़वाल को प्रेषित किए जा चुके हैं | 

मोर्चा प्रतिनिधिमंडल में भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज आदि थे |

तेजी से आगे बढ़ रहा दीवार पत्रिका का कारवां

तेजी से आगे बढ़ रहा दीवार पत्रिका का कारवां



कई राज्यों से निकल रही पत्रिका
संवाददाता
रानीबाग/नैनीताल। सरकारी विद्यालयों में छात्रों के रचनात्मक कौशल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निकाली जा रही दीवार पत्रिका का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, हिमाचल आदि राज्यों के विद्यालयों में भी अब दीवार पत्रिका निकल रही है।
उत्तराखंड में इसकी शुरुआत वर्ष 2000 में हुई जब पिथौरागढ़ जनपद के सीमांत कुंजनपुर विद्यालय में इसे निकाला गया। नैनीताल जनपद में इसकी शुरुआत करने वाले शिक्षक दीपक नौगांई बताते हैं कि आज पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी के कई प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में विभिन्न नामों से दीवार पत्रिका के अंक निकल रहे हैं। नैनीताल जनपद में शिक्षक दिनेश कर्नाटक, अर्चना जोशी, नमिता सुयाल आदि इसे आगे बढ़ा रहे हैं
बिहार में वर्ष 2017 में शिक्षिका सीमा सगसार ने अपने विद्यालय में पहली दीवार पत्रिका निकाली। हिमाचल के माध्यमिक विद्यालय छम्यार में हाल ही में पहली दीवार पत्रिका बाल उद्यान निकाली। पिथौरागढ़ के महाविद्यालय के विभिन्न संकायों द्वारा भी पत्रिकाएं निकाली जा रही है। पत्रिका की लोकप्रियता बढ़ने से कई निजी विद्यालयों ने भी अपने यहां इसकी शुरुआत की है। नानकमत्ता पब्लिक स्कूल और शाइनिंग स्टार स्कूल रामनगर में दीवार पत्रिका निकल रही है।
दीपक नौगांई बताते हैं कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत विद्यालयों में पत्रिका निकालने हेतु धनराशि दी जा रही है तथा शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यशाला में दीवार पत्रिका को भी शामिल किया गया है। फेसबुक में 'दीवार पत्रिका एक अभियान' तथा 'दीवार पत्रिका और रचनात्मकता' नाम से दो पेज भी संचालित हैं। शिक्षक महेश पुनेठा ने दीवार पत्रिका पर एक पुस्तक भी लिखी है।


मंगलवार, 26 नवंबर 2019

यूपीसीएलः स्वर्गीय आत्माओं से भी प्रत्यावेदन मांगे गये 

उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएन की बैठक में प्रोन्नति मामले में चर्चा 
यूपीसीएलः स्वर्गीय आत्माओं से भी प्रत्यावेदन मांगे गये 



संवाददाता
देहरादून। केन्द्रीय अध्यक्ष जीएन कोठियाल ने कहा कि एसोसिएशन द्वारा अवर अभियंता से सहायक अभियंता के 15 रिक्त पदों पर यूपीसीएल प्रबन्धन द्वारा प्रोन्नति नहीं किये जाने को लेकर मुख्यमंत्री को 05 अक्तूबर को विस्तारपूर्वक अवगत कराया जा चुका है। केन्द्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एसोसिएशन द्वारा अवर अभियंता संवर्ग के सदस्यों की प्रोन्नति को लेकर प्रबन्धन से लम्बे समय तक वार्ता की गयी एवं निर्धारित समय सीमा तक इंतज़ार किया गया। प्रबन्धन द्वारा लगातार प्रोन्नति किये जाने का सिर्फ आश्वासन दिया जाता रहा परन्तु प्रोन्नतियां नहीं की गयीं, जबकि अन्य संवर्गों में प्रोन्नतियां कर दी गयी। उन्होंने कहा कि प्रबन्ध निदेशक यूपीसीएल को पुनः पत्र के माध्यम से याद दिलाया गया है कि प्रोन्नति के सम्बन्ध में 17 जुलाई को कमेटी का गठन किया गया था जिसके द्वारा आश्चर्यजनक रूप से स्वर्गीय आत्माओं से भी प्रत्यावेदन मांगे गये जबकि 14 अगस्त को प्रत्यावेदन की तिथि भी समाप्त हो चुकी है।
प्रान्तीय अध्यक्ष रविन्द्र सैनी ने कहा कि अवर अभियंता संवर्ग के सदस्यों की प्रोन्नति को बेवजह कोर्ट केस का हवाला देकर विवादित बनाने के लिये कमेटी बनाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उन्होंने कहा कि जिन अवर अभियंताओं की प्रोन्नति होनी है, प्रबन्धन द्वारा उनकी प्रोन्नति किये जाने के स्थान पर उनमें से कई को सहायक अभियंता के पद का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जबकि उन्हें बेवजह प्रोन्नति से वंचित रखा है। 
बैठक में अवर अभियंता का प्रारम्भिक ग्रेड पे 4800/- किये जाने, प्रोन्नति कोटा 58.33 प्रतिशत किये जाने एवं एसीपी में 9/5/5 की व्यवस्था पूर्ववत किये जाने को लेकर भी चर्चा की गयी। 
यह भी तय किया गया कि यदि शीघ्र ही समय रहते एसोसिएशन की जायज मांगों पर कार्यवाही नहीं की गयी तो एसोसिएशन माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में तय की गयी अवर अभियंताओं की अंतिम वरिष्ठता सूची में प्रबन्धन द्वारा छेड़खानी किये जाने की एसआईटी जांच की मांग शासन से करने को बाध्य होगा।


नर्स-टैक्नीशियन नियमावली मंजूरी को लेकर मोर्चा द्वारा तहसील का घेराव

नर्स-टैक्नीशियन नियमावली मंजूरी को लेकर मोर्चा द्वारा तहसील का घेराव



संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ नर्स व रेडियोग्राफिक्स टैक्नीशियन नियमावली को मंजूरी प्रदान किये जाने की मांग को लेकर मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव कर महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम विकासनगर कौस्तुभ मिश्र को सौंपा।
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ नर्स व रेडियोग्राफिक्स टेक्नीशियन 977$28=1005 पदों पर नियमित नियुक्ति प्रदान किए जाने की दिशा में कदम बढ़ाया था, जिसके तहत शासन द्वारा 28 मई को निदेशक चिकित्सा शिक्षा विभाग को पत्र प्रेषित कर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश जारी किए थे।
नेगी ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने से पूर्व नियमावली गठित किए जाने की दिशा में कार्यवाही होनी थी, लेकिन लगभग 6 माह बीत गए हैं नियमावली आज तक गठित नहीं हो पाई, यानी नियमावली को आज तक कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिल पाई। सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि निदेशालय द्वारा 3-4 माह पूर्व नियमावली तैयार कर शासन को भेजी जा चुकी है, लेकिन शासन के अधिकारी कुंडली मारकर बैठे हैं। प्रदेश सरकार युवाओं के रोजगार मामले में कुछ भी करने को तैयार नहीं है, जिससे इन युवाओं के भविष्य में अन्धकार छा गया है। नियमावली के गठन में विलंब होने के कारण युवाओं को एक-एक दिन भारी पड़ रहा है तथा कई युवाओं को ओवर एज का भय सता रहा है, लेकिन सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।
मोर्चा ने राजभवन से नियमावली गठन करने हेतु सरकार को निर्देशित करने की मांग की, जिससे युवाओं का भविष्य सुरक्षित रह सके।
तहसील घेराव में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, विजयराम शर्मा, डॉ0 ओपी पंवार, मौ0 असद, फतेह आलिम, विनोद गोस्वामी, जयदेव नेगी, प्रवीण शर्मा पीन्नी, श्रवण ओझा, सुशील भारद्वाज, प्रदीप कुमार, अंकुर चौरसिया, मौ0 नसीम, मौ0 आसिफ, जयपाल सिंह, विनोद गोस्वामी, विक्रमपाल, मनोज राय, मनोज चौहान, इसरार अहमद, गय्यूर, टीकाराम उनियाल, भीम सिंह बिष्ट, गौर सिंह चौहान, सन्दीप ध्यानी, गुरविन्दर सिंह, एम0 अन्सारी, सचिन कुमार, जयकृत नेगी, मामराज, खालिद अन्सारी, जाबिर हसन आदि मौजूद रहे।


गीतः अर्जी


सोमवार, 25 नवंबर 2019

एंटीबायोटिक लेने से पार्किंसन रोग का खतरा

एंटीबायोटिक लेने से पार्किंसन रोग का खतरा



एजेंसी
लंदन। यदि एंटीबायोटिक दवाओं का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान होने की जरूरत है क्योंकि एक अध्ययन के अनुसार इन दवाओं और पार्किंसन बीमारी के बीच संबंध है।
अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इस बीमारी का संबंध आंत संबंधी लाभकारी जीवाणुओं के नष्ट होने से हो सकता है। फिनलैंड में हेलसिंकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों समेत अनुसंधानकर्ताओं ने 1998 से 2014 के दौरान राष्ट्रीय रजिस्ट्रियों में दर्ज पार्किंसन बीमारी के करीब 14000 मरीजों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया। अध्ययन में बताया गया कि कुछ एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से लोगों को पार्किंसन बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
हेलसिंकी विश्वविद्यालय अस्पताल के मुख्य अनुसंधानकर्ता पिफलिप शेफरजन्स ने कहा कि हमारा अध्ययन में पता चला कि आंत के इक्रोबायोटा को प्रभावित करने वाली और आम तौर पर इस्तेमाल होने वाली कुछ एंटीबायोटिक खतरे का कारण हो सकती हैं।


वैज्ञानिकों ने तैयार किया भगवान के चेहरे का स्केच

वैज्ञानिकों ने तैयार किया भगवान के चेहरे का स्केच



एक रिसर्च में वैज्ञानिकों के नतीजे चौंका देने वाले रहे। छोटे कद-काठी के लोग छोटे से दिखने वाले भगवान पर विश्वास करते थे, वहीं ऊंची कद-काया वाले लोगों के भगवान भी ऊंचे दिखते हैं।
एजेंसी
नई दिल्ली। ईश्वर कैसे दिखते है! यह जिज्ञासा अक्सर एक र्ध्मभीरू व्यक्ति के भीतर रहती है। ईश्वर को पाने के लिए भक्त और श्र8ालू क्या नही करते! लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ईश्वर का चेहरा खोज लिया है। उनका दावा है कि ईश्वर का चेहरा किसी युवा और खूबसूरत स्त्राी जैसा है। अमरीकी वैज्ञानिकों ने बहुत सारे अमरीकी चेहरों पर रिसर्च करके ईश्वर का एक स्केच बनाया है।
सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि अमरीकी ईसाईयों ने ईश्वर के चेहरे को बूढ़ा नहीं बल्कि जवान बताया और उसी आधार पर रिसर्च की गई। वैज्ञानिकों और मनोवैज्ञानिकों ने 511 अमरीकी ईसाईयों की मदद से यूनिवर्सिटी आपफ नार्थ कैलिपफोर्निया के चेपल हिल पर यह चित्रा बनाया।
अध्ययन में भाग लेने वालों ने सैकड़ों लोगों ने रूप अलग-अलग चेहरे जोड़े और चुना कि प्रत्येक जोड़े से कौन सा चेहरा वैसे दिखाई देता है जैसे कि उन्होंने भगवान को प्रकट करने की कल्पना की।
सभी चयनित चेहरों को संयोजित करके शोधकर्ताओं ने एक समग्र ईश्वर का चेहरा इकट्ठा किया जो दर्शाता था कि प्रत्येक व्यक्ति ने भगवान को कैसे प्रकट किया। उनके परिणाम भी हैरान करने वाले थे। माइकल एंजेलो से मान्टी पायथन तक भगवान के चित्रों ने लगभग हमेशा उन्हें पुराने और विशाल सपफेद दाढ़ी वाले कोकेशियान आदमी के रूप में दिखाया लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि कई ईसाईयों ने भगवान को छोटी, अधिक स्त्राी और कम कोकेशियान के रूप में देखा।
लिबरल ने ईश्वर को अधिक स्त्राी, छोटे और अधिक प्यार भरे रूप में भगवान को देखा। कंजरवेटिव ने भगवान को कोकेशियान और उदारवादियों से अधिक शक्तिशाली देखा। भगवान की लोगों की धारणाओं ने आंशिक रूप से अपने राजनीतिक विचारधारा पर भरोसा किया। अध्ययन के मुख्य लेखक जोशुआ कानराड जैक्सन ने सुझाव दिया कि ये पूर्वाग्रह उस तरह के समाजों से उभरे हैं जिन्हें उदारवादी और रूढ़िवादी चाहते हैं।
पिछले शोध से पता चलता है कि उदारवादियों से ज्यादा एक सुव्यवस्थित समाज में रहने के लिए रूढ़िवादी चाह रखते हैं और चाहते हैं कि शक्तिशाली भगवान द्वारा दुनिया चलाई जाए। 
जबकि उदारवादी सहिष्णु समाज में रहना चाहते हैं और सोचते हैं कि एक प्रेम से भरे भगवान द्वारा बेहतर विनियमित किया जाएगा। लोगों की धारणाएं भी अपनी जनसांख्यिकीय विशेषताओं से संबंधित हैं। छोटे कद काठी के लोग एक छोटे से दिखने वाले भगवान में विश्वास करते थे। जो लोग शारीरिक रूप से आकर्षक थे वे अधिक शारीरिक रूप से आकर्षक भगवान में विश्वास करते हैं।
अप्रफीकी अमेरिकियों ने एक ऐसे भगवान में विश्वास किया जो काकेशियन लोगों की तुलना में अधिक अप्रफीकी अमेरिकी दिखता हो। यह रिसर्च पत्रिका पीएलओएस वन में प्रकाशित की गयी थी।


युवाओं को सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई

नसबड द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उद्यमिता जागरूकता शिविर का आयोजन
युवाओं को सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी गई



संवाददाता
देहरादून। राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान नसबड द्वारा प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत रेशम माजरी ग्रांट डोईवाला मंे एक दिवसीय उद्यमिता जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। गौर हो कि जागरूकता शिविर के प्रवर्तक खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय भारत सरकार है। 
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत उद्यमिता जागरूकता शिविर में मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित राज्य निदेशक खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग राज नारायण ने संस्थान द्वारा आयोजित कार्यशाला मंे युवाओं को सरकार द्वारा चलायी जा रही विभिन्न योजनाआंे की जानकारी दी। बता दें कि इस योजना मंे लाभार्थी का चयन करने के लिये जिला कार्यदल समिति द्वारा साक्षात्कार के माध्यम से किया जाता है। लाभार्थी को परियोजना प्रस्ताव हेतु आबादी प्रमाण पत्र, शैक्षिक योग्यता प्रमाण पत्र, तकनीकी योग्यता प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र के साथ अपनी फोटो एवं आधर कार्ड भी लगाना होता है। उद्योग के सफलतापूर्वक संचालन के पश्चात् योजनाओं को विस्तार देने के लिये ऋण की व्यवस्था की गयी है। 
विशिष्ट अतिथि के रूप मंे मौजूद खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के जितेन्द्र मलिक ने कहा कि इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों मे विद्युत के उपयोग या बिना उपयोग के कोई भी उत्पाद तैयार करना या सेवा प्रदान करना जिसमें प्रति कारीगर मैदानी क्षेत्र मंे एक लाख एवं ग्रामीण क्षेत्र में डेढ़ लाख से अधिक न हो। इस योजना के लिये प्रतिभागी की शैक्षिक योग्यता आठवीं पास है। परियोजना लागत विनिर्माण क्षेत्र के लिये 10 लाख और सेवा क्षेत्र के लिये 5 लाख रखी गयी है। 
नसबड के बिरेन्द्र सिंह सजवाण ने शिविर मे प्रतिभाग कर रहे प्रतिभागियों को संस्थान के बारे और संस्थान द्वारा चलाये जा रही विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि योजना के अर्न्तगत सभी क्षेत्रों मंे ग्रामोद्योग परियोजनायें, उत्पादन/सेवा उद्योग आदि स्थापित किया जा सकता है। 
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत एक दिवसीय उद्यमिता जागरूकता शिविर मंे 95 प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान निदेशक आरसीटी गोयल, जिला खादी ग्रामोद्योग बोर्ड अधिकारी डा0 अल्का पाण्डे, ग्राम प्रधान अनिल पाल, नसबड के मुख्य परामर्शदाता अरूण बहादुर चन्द आदि उपस्थित रहे।


पर्वतजन संपादक पर मुकदमा त्रिवेंद्र की बौखलाहट का नतीजा: मोर्चा   

पर्वतजन संपादक पर मुकदमा त्रिवेंद्र की बौखलाहट का नतीजा: मोर्चा 


- सीएम त्रिवेंद्र कर रहे विरोधियों को षड्यंत्र के तहत कुचलने का प्रयास


- तहरीर के आधार पर मुकदमे की धाराओं का किया गया दुरुपयोग 


- पूर्व में भी एक समाचार चैनल के  सीईओ के खिलाफ कर चुके नापाक हरकत 


- सीएम अपने फर्जीवाड़े ,रि प्रकरण, कुटुंब के खिलाफ क्यों नहीं करा रहे मुकदमा दर्ज


संवाददाता


विकास नगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि दो दिन पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दबाव में पुलिस द्वारा पर्वतजन संपादक शिव प्रसाद सेमवाल पर षड्यंत्र के तहत मुकदमा दर्ज कर उत्पीड़न किया गया, जिसका मोर्चा घोर विरोध करता है |      


नेगी ने कहा कि दबाव में आई पुलिस ने तहरीर को पढ़ना आवश्यक नहीं समझा तथा आनन-फानन में 386 जैसी संगीन धाराएं लगाकर स्वामी भक्ति का प्रमाण पेश किया | होना तो यह चाहिए था कि मामले की तह में जाकर पुलिस सच्चाई जानती लेकिन ऐसा न कर मामले से दूर जाकर ऐसी धाराएं लगाई गई, जिसका इस मामले से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है |                   

नेगी ने कहा कि प्रदेश के भ्रष्ट एवं माफियाओं के रहनुमा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के मामले यथा झारखंड रिश्वत प्रकरण, खनन डील, कुटुंब की दलाली के स्टिंग वीडियोज आदि तमाम मामले मुंह बाए खड़े हैं, लेकिन अपने व कुटुंब के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की | त्रिवेंद्र पूर्व में भी अपने काले कारनामे छिपाने के लिए एक चैनल के सीईओ के खिलाफ भी नापाक हरकत एवं असफल प्रयास कर चुके हैं, जिसमें उन्होंने मुंह की खाई थी |                 

नेगी ने कहा कि सेमवाल लगातार सरकार एवं भ्रष्ट अधिकारियों के कामकाज एवं उनके घोटालों पर प्रमुखता से प्रहार करते रहे हैं इसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर सरकार द्वारा             दमनात्मक कार्रवाई की गई | हैरानी की बात यह है कि मामला दो व्यक्तियों के बीच आपसी लेनदेन , ब्लैक मेलिंग आदि का था तथा इस मामले में श्री सेमवाल का यही रोल था कि उन्होंने संबंधित बयान बाजी की खबरें छापी |                  

मोर्चा राजभवन से पूरे प्रकरण पर निष्पक्ष कार्यवाही तथा इस षड्यंत्र में शामिल गुनहगारों को भी बेनकाब करने की मांग करता है|             

पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, मोहम्मद असद, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे।

रविवार, 24 नवंबर 2019

खलंगा के वीरों की याद में पदयात्रा का आयोजन

खलंगा युद्व की 205वीं वर्षगांठ में द खलंगा ब्रेवरी वाक 
खलंगा के वीरों की याद में पदयात्रा का आयोजन



संवाददाता
देहरादून। खलंगा युद्ध की 205वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में वीर गोर्खा कल्याण समिति (रजि0) व शांति फाउंडेशन सोसाइटी (रजि0) द्वारा खलंगा द्वार नालापानी देहरादून में 'द खलंगा ब्रेवरी वॉक 2019' का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूली विद्यार्थियों के अलावा काफी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया। 
खलंगा के वीर-वीरागनाओं के साहस एवं बलिदान की स्मृति में आयोजित 'द खलंगा ब्रेवरी वॉक 2019' को मुख्य अतिथि से0नि0 ले0जनरल राम सिंह प्रधान ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम स्वास्थ्य, पर्यावरण, स्वच्छता, धरोहर, आपसी भाईचारे के प्रति लोगों को जागरूकता प्रदान करते है। 'वॉक' खलंगा द्वार नालापानी से खलंगा मैमोरियल हिल टॉप में संपन्न हुआ। वॉक में शामिल होने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। 'वॉक' के उपरान्त लोगों ने खलंगा मेले का भी आनंद लिया। 'द खलंगा ब्रेवरी वॉक 2019' के समापन समारोह में 4/4 गोर्खा राइफल्स के जवानों ने 'खुखरी डांस' से मौजूद लोगों का मन मोह लिया।



'द खलंगा ब्रेवरी वॉक 2019' में रजिस्टेªशन के लिए लोगों में काफी उत्साह रहा। इसमें हर उम्र के लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें काफी संख्या में स्कूली बच्चे शामिल हुए। वॉक के दौरान स्कूली बच्चों में काफी उत्साह देखा गया।
इस अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि संदीप राना बीपी चिंतन प्रतिष्ठान के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष, उत्तराखण्ड राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त कै0 भूटिया, मेजर बीपी थापा संरक्षक वीर गोर्खा कल्याण समिति, सुरेश नेहूपानुस वरिष्ठ पत्रकार कान्तीपुर (नेपाल), आशीष थापलिया पत्रकार (अन्नपुर्ण नेपाल), इन्द्र कमल जेरू पत्रकार (देशसंसार), घनश्याम शर्मा महासचिव वर्ल्ड गोर्खा फाउनडेंशन, फ्रेश थापा अध्यक्ष मगर समाज, वीर गोर्खा कल्याण समिति (रजि0) के अध्यक्ष श्रवण सिंह प्रधान, उपाध्यक्ष सूर्य विक्रम शाही, शांति फाउंडेशन सोसाइटी (रजि0) के अध्यक्ष भूपेन्द्र अधिकारी, पूर्वा सिंह, विशाल थापा, कमल थापा, उर्मिला तमांग, टेकु थापा, सुनिल खत्री, देविन शाही, श्रीमती देवकला दिवान, प्रकाश विक्रम शाही, रॉयल अफगान किंग फेमिली से सिद्धार्थ मोहम्मद राजा खान, रिएलिटी टीवी शो सुपर स्टार सिंगर फेम गायिका शिकायना मुखिया व सुपर डांस के फाइनेलिस्ट आकाश थापा भी उपस्थित थे।


रक्षा पेंशन अदालत में शामिल होने वाले राजनाथ पहले रक्षामंत्री 

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 172वीं रक्षा पेंशन अदालत का उद्घाटन 
रक्षा पेंशन अदालत में शामिल होने वाले राजनाथ पहले रक्षामंत्री 



एजेंसी
लखनउ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 172वीं रक्षा पेंशन अदालत का उद्घाटन किया। वह इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाले पहले रक्षा मंत्री हैं। दो दिवसीय रक्षा पेंशन अदालत का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में रहने वाले सैन्य बलों के पूर्व कर्मियों और उनके आश्रितों की पेंशन से संबंधित शिकायतों को दूर करना है। रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक पेंशन, प्रयागराज ने मध्य कमान मुख्यालय के समन्वय से इसका आयोजन किया।
इस समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने रक्षा लेखा महानियंत्रक सीडीजीए के अच्छे काम की सराहना की। उन्होंने कहा कि रक्षा पेंशन का भुगतान एक जटिल प्रक्रिया होती है, इसमें कई एजेंसियों शामिल होती हैं। रक्षा लेखा विभाग समयबद्व ढंग से पेंशन उपलब्ध कराने के लिए अथक कार्य कर रहा है। पेंशन की समयबद्व स्वीकृति के लिए सरकार की प्रतिबद्वता दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि रक्षा लेखा विभाग रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगा।  
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने लंबे समय से चली आ रही 'एक रैंक, एक पेंशन' की मांग को पूरा किया, इसका लाभ देश भर में लाखों रक्षा पेंशनरों को मिला है। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में पूर्व सैनिकों की भूमिका की सराहना करते हुए उन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय और कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हमीद जैसे शहीदों का जन्मस्थान होने पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राष्ट्र उनके सर्वाेच्च बलिदान का हमेशा ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि रक्षा पेंशन अदालत इसे चुकाने की दिशा में एक छोटा सा कदम है।
मध्य कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ जीओसी-इन-सी ले0जनरल घुम्मन ने कहा कि देशभर में 31 लाख पूर्व सैनिक है जिसमें से चार लाख उत्तरप्रदेश में है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के प्रयासों से लखनऊ में सात साल बाद रक्षा पेंशन अदालत का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि पेंशन के साथ-साथ पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना ईसीएचएस, नौकरियों और और पुनर्वास को भी इस दो दिन के कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।
रक्षा लेखा महानियंत्रक संजीव मित्तल ने पेंशन भुगतान प्रणाली में हुए विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि रक्षा लेखा विभाग डिजिटल हो रहा है और पेंशन से संबंधित सभी शिकायतों का एक मंच पर निपटान करने के लिए एक व्यापक पेंशन पोर्टल जल्द ही शुरू किया जाएगा।
उद्घाटन कार्यक्रम के बाद राजनाथ सिंह ने पूर्व सैन्यकर्मियों मुलाकात और उनकी सहायता के लिए लगाए गए विभिन्न स्टालों के पदाधिकारियों, वीर नारियों एवं आश्रितों से बातचीत की। इस अवसर पर विभिन्न सेना एवं रक्षा लेखा अधिकारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पूर्व सैन्यकर्मी उपस्थित थे।


 


नर्स -टेक्नीशियन नियमावली मंजूरी को लेकर लड़ाई लड़ेगा मोर्चा: नेगी 

नर्स -टेक्नीशियन नियमावली मंजूरी को लेकर लड़ाई लड़ेगा मोर्चा: नेगी


राजकीय मेडिकल कॉलेजों हेतु स्टाफ नर्स व टेक्निशियनओं की भर्ती का है मामला 1


005 पदों पर होनी थी भर्ती             


शासन ने मई 2019 को दिए थे निदेशक को  भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश

संवाददाता         

विकास नगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा राजकीय मेडिकल कॉलेजों में स्टाफ नर्स व रेडियोग्राफिक्स टेक्नीशियन 977 + 28 = 1005 पदों पर नियमित नियुक्ति प्रदान किए जाने की दिशा में कदम बढ़ाया था, जिसके तहत शासन द्वारा मई 2019 को निदेशक, चिकित्सा शिक्षा विभाग को पत्र प्रेषित कर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने के निर्देश जारी किए थे | 

नेगी ने कहा कि सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने से पूर्व नियमावली गठित किए जाने की दिशा में कार्रवाई होनी थी , लेकिन लगभग छह माह बीत गए हैं नियमावली आज तक गठित नहीं हो पाई, यानी नियमावली को आज तक कैबिनेट से मंजूरी नहीं मिल पाई | निदेशालय द्वारा 3-4 माह पूर्व नियमावली तैयार कर शासन को भेजी जा चुकी है, लेकिन शासन के अधिकारी कुंडली मारकर बैठे हैं |         

नेगी ने कहा कि नियमावली के गठन में विलंब होने के कारण युवाओं को एक- एक दिन भारी पड़ रहा है, लेकिन सरकार के कान में जूं नहीं रेंग रही है | मोर्चा  शीघ्र ही नियमावली गठन में हो रहे विलंब को लेकर आंदोलन करेगा |   

पत्रकार वार्ता में अमित जैन, सुशील भारद्वाज, मोहम्मद इस्लाम आदि मौजूद थे |

पानी पीने का सही तरीका व सही समय

पानी पीने का सही तरीका व सही समय



प0नि0डेस्क
देहरादून। आमतौर पर जब भी प्यास लगती है तो हम पानी पी लेते है। लेकिन अगर कोई कहे कि पानी पीने का भी अपना एक समय होता है तो शायद थोड़ा अजीब लगे पर वास्तव में यह सच है।
अगर आप पानी को सही समय पर पीएंगे तो आपको बहुत से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होंगे। पानी पीने के सही तरीके व सही समय क्या है? जब आप ठंडा पानी पी रहे हैं तो आप इसे एक्सरसाइज के बाद, खाना खाने से पहले या पिफर बुखार के दौरान भी पी सकते हैं। इससे आपके शरीर का बढ़ा हुआ तापमान कंटोल होता है।
वहीं अगर आप गर्म पानी पीना चाहते हैं तो सुबह उठकर खाली पेट गर्म पानी पीना सेहत के लिए काफी लाभदायक माना गया है। आप चाहें तो इस पानी में नींबू व शहद मिलाकर भी पी सकते हैं। इसके अतिरिक्त खाना खाने के दौरान व बाद में गर्म पानी पीना आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। इससे न सिर्फ खाना सही तरीके से पचता है बल्कि इससे नींद भी बहुत अच्छी आती है।
हालांकि गर्म पानी का गिलास एक साथ नही पीना चाहिये। बल्कि इसे घूंट-घूंट करके चाय की तरह चुस्कियां लेते हुए पीएं।


शनिवार, 23 नवंबर 2019

अपने कर्तव्य पालन की ली गई शपथ

पीआरसीआई देहरादून चैप्टर ने राईट टू वाक कैंपेन का किया शुभारंभ
अपने कर्तव्य पालन की ली गई शपथ



संवाददाता


देहरादून। पब्लिक रिलेशन कांउसिल आफ इण्डिया पीआरसीआई देहरादून चैप्टर ने ग्लोबल पब्लिक रिलेशन के तत्वाधान में रिंग रोड़ स्थित होटल में 'राईट टू वाक' कैंपेन का शुभारंभ किया। राईट टू वाक कैंपेन का शुभारंभ अतिथि के रूप में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, भाजपा मीडिया प्रभारी देवेन्द्र भसीन, प्लानिंग कमीशन के सलाहकार हर्षपति उनियाल, न्यूज 18 के संपादक अनुपम त्रिवेदी एवं पीआरसीआई के अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पीआरसीआई देहरादून चैप्टर के उपाध्यक्ष शिशिर प्रशांत ने की।
'राईट टू वाक' कैंपेन के लिए किशोर उपाध्याय ने पीआरसीआई देहरादून के पदाधिकारियों को बधाई दी कि वे इतने महत्वपूर्ण विषय को लेकर आये हैं। उन्होंने कहा कि राईट टू वाक हमारा मूल अधिकार है। भाजपा मीडिया प्रभारी देवेन्द्र भसीन ने कहा कि आज रोड़ पर चलना रिस्की हो गया है। उन्होंने बताया कि मेरे कई परिचितों की रोड़ दुर्घटना में मृत्यु हुई है। उन्होंने कहा कि आर्टिकल 21 का उल्लंघन हो रहा है क्योंकि हमें रोड़ पर चलने का अधिकार ही नहीं है। सरकार के साथ हमारा समाज भी जागरूक नहीं है। 
प्लानिंग कमीशन के सलाहकार हर्षपति उनियाल ने कहा कि हमारे देश में विकास की दौर में हम मूल रूप से छोटी-छोटी चीजों को ध्यान में नहीं रख रहे हैं। हमें पैदल चलने के लिए अधिकार मांगने पड़ रहे हैं। कहीं न कहीं इसके जिम्मेदार हम खुद हैं। अनुपम त्रिवेदी ने कहा कि इस कैंपेन का युवा वर्ग को फायदा होगा। कई जगह फुटपाथ बने भी हैं तो उन पर दुकानदारों व ठेलियों ने कब्जा कर रखा है। यह बहुत ही गंभीर समस्या है इस पर हम सभी को एक साथ होकर विचार करने की जरूरत है। 
पीआरसीआई देहरादून चैप्टर के उपाध्यक्ष शिशिर प्रशांत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि पिछले दो दशकों में देहरादून में ट्रैफिक की गतिरोध के कारण अधिकांश स्थानों पर पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं बची है। ईसी रोड और राजपुर रोड जैसे कुछ स्थानों को छोड़कर आपको कोई फुटपाथ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि चलने का अधिकार छीन लिया गया है। 
पीआरसीआई चैप्टर देहरादून के अध्यक्ष राजेश कुमार ने विडियो के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि हम इस तरह के कैंपेन समय-समय पर करते रहेंगे, इसके लिए मैं अपनी पूरी टीम को बधाई देता हूं जिन्होंने यह सपफल कार्यक्रम किया। पीआरसीआई देहरादून चैप्टर के जोनल प्रतिनिधि करूणाकर झा ने कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद अदा किया। 
इस दौरान मौजूद लोगों ने शपथ ली कि वे अपने कर्तव्यों का सही तरीके से पालन करेंगे। कार्यक्रम के दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। मंच का संचालन नेशनल प्रतिनिधि पंकज तिवारी ने किया। कार्यक्रम के दौरान पीआरसीआई के सचिव विकास कुमार, कोषाध्यक्ष हेम प्रकाश, पीआरसीआई सदस्य एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


फ़ेसबुक और गूगल मानवाधिकार के लिए ख़तरा!

फ़ेसबुक और गूगल मानवाधिकार के लिए ख़तरा!



एजेंसी
नई दिल्ली। एमनेस्टी ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें इन टेक कंपनियों द्वारा की जाने वाली व्यापक निगरानी को लेकर चिंता जताई गई है। मानवाधिकार संगठन ने दावा किया है कि इनके प्लेटफ़ॉर्म बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों को नुक़सान पहुंचाने वाले हालात पैदा कर रहे हैं।
फ़ेसबुक ने इस रिपोर्ट से असहमति जताई है। कंपनी का कहना है कि वह मानवाधिकारों को सशक्त कर रही है। वहीं गूगल का कहना है कि उसे लोगों के भरोसे की कद्र है और यूज़र्स के डेटा की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी का भी अहसास है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि गूगल पूरी दुनिया में 90 फ़ीसदी से अधिक इस्तेमाल होने वाला सर्च इंजन है और दुनिया की एक-तिहाई आबादी हर रोज़ फ़ेसबुक इस्तेमाल करती है। एमनेस्टी के महासचिव कूम नायडू के मुताबिक़ अरबों लोगों के पास फ़ेसबुक और गूगल की निर्धारित शर्तों वाले इस पब्लिक स्पेस को इस्तेमाल करने के अलावा और कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं है।
58 पन्नों की एक रिपोर्ट में एमनेस्टी ने गूगल और फ़ेसबुक के बिज़नस मॉडल को अरबों लोगों की विश्वव्यापी निगरानी बताया है। मानवाधिकार संगठन ने यह भी कहा है कि इन टेक कंपनियों के आधारभूत बिज़नस मॉडल में मौलिक बदलाव लाए जाने की ज़रूरत है। एमनेस्टी का कहना है कि फ़ेसबुक और गूगल भले ही अपनी सेवाओं के बदले कोई फ़ीस नहीं लेतीं मगर उपभोक्ताओं को अपने पर्सनल डेटा के रूप में इसकी क़ीमत चुकानी पड़ती है।
इसके लिए रिपोर्ट में कैम्ब्रिज एनालिटिका प्रकरण का उदाहरण दिया गया है और इसे इस बात के सबूत के तौर पर पेश किया गया है कि किस तरह से यूज़र्स के पर्सनल डेटा को उनके खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। एमनेस्टी ने सरकारों से अपील की है उन्हें डेटा की सुरक्षा संबंधित क़ानून बनाकर और बड़ी टेक कंपनियों का प्रभावी ढंग से नियम करके इनके सर्विलांस आधारित बिज़नेस मॉडल की पड़ताल करके सुधार करने चाहिए।
एमनेस्टी के दावों पर फ़ेसबुक का कहना है कि उसका बिज़नस मॉडल विज्ञापनों पर आधारित है और वह लोगों को अपनी आवाज़ उठाने और एकजुट होने का मौक़ा देकर मानवाधिकारों को बढ़ावा देता है। रिपोर्ट में ही फ़ेसबुक के प्राइवेसी एंड पब्लिक पॉलिसी के डायरेक्टर स्टीव सैटरफ़ील्ड का पक्ष भी छापा गया है। इसमें सैटरफ़ील्ड ने 10 बिंदुओं में अपनी बात कही है। वह कहते हैं कि हम पूरे सम्मान के साथ आपके इस निष्कर्ष से असहमत हैं कि हमारा काम मानवाधिकार के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।
गूगल का कहना है कि वह अपने यूज़र्स की निजता की रक्षा करता है और इस दिशा में और भी काम कर रहा है। गूगल के प्रवक्ता ने कहा है कि हम जानते हैं कि लोग अपनी सूचनाओं को लेकर हमपर भरोसा करते हैं और इसकी रक्षा करना हमारी ज़िम्मेदारी है। पिछले 18 महीनों में हमने काफ़ी अहम बदलाव किए हैं और ऐसे टूल बनाए हैं जिससे लोग अपनी सूचनाओं पर नियंत्रण हासिल कर सकें।


व्हाट्सएप के सेटिंग्स को लेकर सेना ने जारी की एडवाइजरी

व्हाट्सएप के सेटिंग्स को लेकर सेना ने जारी की एडवाइजरी



एजेंसी
नई दिल्ली। सेना ने अपने सभी जवानों के लिए व्हाट्सएप को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में कहा गया है कि सभी जवान अपने व्हाट्सएप अकाउंट की सेटिंग्स तुरंत बदलें ताकि उन्हें कोई पाकिस्तानी जासूस किसी ग्रुप में ना जोड़ सके। बता दें कि हाल ही में सेना के एक जवान का व्हाट्सएप नंबर पाकिस्तान से संबंधित एक व्हाट्सएप ग्रुप में बिना इजाजत जोड़ा गया था। उसके बाद सेना ने यह फैसला लिया है।
नए अपडेट के बाद यदि आप चाहते हैं कि कोई भी ग्रुप एडमिन आपकी इजाजत के बिना आपको किसी ग्रुप में ऐड ना करे तो इसके लिए आपको कुछ सेटिंग करनी होगी। इसके लिए सबसे पहले अपने व्हाट्सऐप एप को अपडेट करें। इसके बाद एप को ओपन करें और इस स्टेप को फॉलो करें। अकाउंटझप्राइवेसीझग्रूप्स इसके बाद आपको तीन विकल्प मिलेंगे जिनमें नोबाडी, माई कान्टेक्ट और ऐवरीवन शामिल हैं। इनमें से यदि आप नोबाडी के विकल्प का चयन करते हैं तो आपको कोई भी किसी ग्रुप में ऐड नहीं कर पाएगा। वहीं यदि आप चाहते हैं सिर्फ वही लोग आपको ग्रुप में ऐड करें जो आपको कॉन्टेक्ट लिस्ट में हैं तो आप माई कान्टेक्ट का विकल्प चुनना होगा।
बता दें कि इससे पहले इसी साल जुलाई में भारतीय खुफिया एजेंसी ने सैन्य अधिकारियों और उनके परिवार को किसी भी संदिग्ध व्हाट्सएप ग्रुप से सतर्क रहने की हिदायत दी थी। खुफिया एजेंसी की सलाह पर सेना ने अपने सैन्य अधिकारियों को इसका खास ख्याल रखने की सलाह दी है। सेना का कहना था कि अधिकारी निजता और गोपनीयता उजागर होने से बचें और किसी भी ऐसे व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा न बनें जो उनकी विश्वसनीयता खतरे में डाल दे या सेना से संबंधित सूचना लीक हो। 


 


बॉक्सर विजेंदर ने दर्ज की लगातार 12वीं जीत

बॉक्सर विजेंदर ने दर्ज की लगातार 12वीं जीत



विजेंदर सिंह ने दो बार के कॉमनवेल्थ सुपर मिडलवेट चैंपियन चार्ल्स एदामु को हरा दिया। उनका प्रोफेशनल बॉक्सिंग करियर में नॉट आउट का सफर जारी है।
एजेंसी
दुबई। भारतीय बॉक्सर विजेंदर सिंह ने एक फाइट में दो बार के कॉमनवेल्थ सुपर मिडलवेट चैंपियन चार्ल्स एदामु को हरा दिया। इस तरह उनका प्रोफेशनल बॉक्सिंग करियर में नॉट आउट सफर जारी है। यह उनकी 12वीं फाइट थी। उन्होंने इन सभी मुकाबलों में जीत दर्ज की है।
डब्ल्यूबीओ एशिया पैसिफिक और ओरियंटल सुपरमिडलवेट चैंपियन विजेंदर ने इस साल जुलाई में माइक स्नाइडर को हराकर अपने पेशेवर करियर की लगातार 11वीं जीत दर्ज की थी। 34 वर्षीय ओलिंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट बॉक्सर ने 8वें राउंड में 42 वर्षीय घाना के बॉक्सर एदामु को ढेर करते हुए फाइट अपने नाम की। बाउट के दौरान विजेंदर आक्रामक दिखे और दूसरे और छठे राउंड में तो उनके मुक्के से घायल एदामु रिंग में गिर पड़े थे।
उल्लेखनीय है कि एदामु को 47 फाइटों का अनुभव था और इन 47 मुकाबलों में उन्होंने 33 में जीत दर्ज की थी, जबकि 14 हारे थे। उनके नाम 26 नॉकआउट जीत थी, लेकिन अनुभव उनके काम नहीं आया।
जीत के बाद भारतीय बॉक्सर ने कहा कि यह अच्छी फाइट थी। एदामु अच्छे फाइटर हैं, लेकिन इस फाइट के लिए मैंने अच्छी तैयारी की थी और मेरा गेम मेरे प्लान के अनुसार ही गया। हालांकि विजेंदर को लग रहा था कि यह फाइट 3-4 राउंड में ही खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मैं चाहता था कि यह फाइट 3-4 राउंड में ही खत्म हो जाए, लेकिन यह देर तक चली। मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं।


 


यू0आर0आर0डी0ए0 जालसाज ठेकेदार को  बचाना चाहता है: मोर्चा

यू0आर0आर0डी0ए0 जालसाज ठेकेदार को  बचाना चाहता है: मोर्चा

- वर्ष 2016-17 के 4.14 करोड़ के टैण्डर में अनुभव प्रमाण पत्र का है मामला

- मोटर मार्ग से सम्बन्धित है मामला

- सूचना के बिन्दुओं पर क्यों ली जा रही सम्बन्धित ठेकेदार की सहमति

- सम्बन्धित ठेकेदार को पत्र भेज विभाग ने दर्शायी अपनी साठगांठ

- फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र हासिल कर लिया था करोड़ों का ठेका

संवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पीन्नी ने बयान जारी कर कहा कि उत्तराखण्ड ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण (यू0आर0आर0डी0ए0) द्वारा वर्ष 2016-17 में बजौली नौगांव-भाॅकोली मोटर मार्ग फेज-। के निर्माण हेतु 4.14 करोड़ की निविदा आमन्त्रित की गयी थी, जिसको विकासनगर क्षेत्र के ठेकेदार मै0 पराग जैन द्वारा हासिल कर लिया गया था, उक्त कार्य काॅन्टेक्ट बाॅण्ड सं0 47 दिनांक 02.11.2019 के द्वारा स्वीकृत हुआ।

पीन्नी ने कहा कि विभाग द्वारा उक्त कार्य हेतु सड़क निर्माण का अनुभव टेण्डर प्रक्रिया में निहित किया था, लेकिन ठेकेदार के पास उक्त कार्य का अनुभव न होने के कारण ठेकेदार द्वारा फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवाकर उक्त जाॅब हासिल कर लिया था।

मोर्चा द्वारा उक्त घोटाले से सम्बन्धित दस्तावेज जुटाये जाने को लेकर यू0आर0आर0डी0ए0 मुख्यालय को दिनांक 04.11.2019 पत्र प्रेषित कर सम्बन्धित ठेकेदार द्वारा निविदा फार्म जमा करते समय संलग्न किये गये दस्तावेजों तथा कार्यदेश, तुलनात्मक चार्ट व शेड्यूल-बी की प्रतियां मांगी गयी, लेकिन हैरानी की बात यह है कि विभाग द्वारा सूचना उपलब्ध कराने के बजाये पत्र दिनांक 13.11.2019 को सम्बन्धित ठेकेदार से सहमति हेतु भेजा गया, जिसमें ठेकेदार की हाॅं या ना का उल्लेख है।

पीन्नी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि सम्बन्धित विभाग ने सूचना उपलब्ध कराये जाने के बजाए ठेकेदार को पत्र भेजकर यह दर्शा दिया है कि विभाग कोई लाला की दुकान मात्र है तथा जालसाजी का कारोबार भी करता है। होना तो ये चाहिए था कि विभाग सूचना उपलब्ध कराता, क्योंकि ये कोई व्यक्तिगत सूचना न होकर एक सरकारी दस्तावेज है।

मोर्चा जालसाज अधिकारियों एवं ठेकेदार को बिल्कुल नहीं बख्सेगा।

महिलाओं का दिमाग़ पुरुषों से अलग होता है!

महिलाओं का दिमाग़ पुरुषों से अलग होता है!



प0नि0डेस्क
देहरादून। लड़का-लड़की में भेद वाली सोच दुनिया भर में है जबकि ईश्वर ने दोनों को एक जैसा बनाया है। सभी मानते है कि मर्द और औरत ज़िंदगी की गाड़ी के दो पहिए हैं। फिर भी दोनों आपस में फर्क करते हैं। मर्द और औरत के दिमाग बुनियादी तौर पर एक दूसरे से अलग हैं।
पैदाइश से लेकर बुढ़ापे तक बर्ताव, चाल-ढाल और सोच-समझ के तरीके को आधार बनाकर मान लिया गया है कि औरत और मर्द के दिमाग में बुनियादी फर्क है। इंसान क़रीब 200 बरसों से जानने की कोशिश कर रहा हैं कि क्या मर्द का दिमाग औरत के दिमाग से अलग है लेकिन हमेशा ही इस सवाल का जवाब नहीं में रहा है। फिर भी समाज से अंतर नहीं मिट रहा है।
हालांकि आकार में महिलाओं का मस्तिष्क पुरूषों के मुकाबले औसतन छोटा होता है। औरतों के मस्तिष्क का आकार पुरुषों से क़रीब 10 फीसद छोटा होता है और इसी बुनियाद पर महिलाओं की समझ को कम कर के आंका जाता है। जबकि यदि अक्ल औऱ समझ का संबंध मस्तिष्क के आकार से होता तो हाथी और स्पर्म व्हेल का दिमाग आकार में इंसान से ज्यादा बड़ा होता है। तो फिर उनमें इंसान जैसी समझ क्यों नहीं होती। 
कहा जा सकता है कि दिमाग़ के आकार का अक्लमंदी से कोई लेना देना नहीं है। फिर भी समाज में फर्क करने वाली सोच जड़ मज़बूत किए हुए है। मस्तिष्क के आकार के अंतर को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है। हमारा मस्तिष्क दो गोलार्ध में बंटा होता है। इन दोनों हिस्सों को बीच कॉर्पस कैलोसम होता है जो दिमाग़ के दोनों हिस्सों के बीच पुल का काम करता है।
इसे इंफ़ॉर्मेशन ब्रिज कहते हैं और ये ब्रिज पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा व्यापक होता है। साइंस की ये रिसर्च महिलाओं को अतार्किक बताने वालों को आईना दिखाती है। अक्सर कहा जाता है कि महिलाओं में सोचने समझने की क्षमता कम होती है। क्योंकि उनकी सोच पर जज्बात हावी रहते हैं जबकि रिसर्च इन सभी बातों को ग़लत साबित करती है।
आम धारणा है कि पुरुष गणित और विज्ञान के अच्छे जानकार होते हैं। इन दो मुश्किल विषयों को उनका दिमाग ज्यादा बेहतर समझता है जबकि ये दावे गलत हैं। दशकों की रिसर्च के बाद साबित हो गया है कि दिमाग एक ही तरह से काम करता है। 
सोच को शक्ल देने में हार्माेन का बड़ा रोल होता है। औरतों को हर महीने मासिक धर्म की बायोलॉजिकल साइकिल से गुज़रना पड़ता है। इस वक्त उनके शरीर में कई तरह के हार्माेन रिसते हैं और इसी बुनियाद पर उन्हें कई अहम मौक़ों पर काम करने से रोक दिया जाता है। प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की धारणा वर्ष 1930 में सबसे पहले सामने आई थी।
बहुत से लोग मानते हैं कि माहवारी शुरू होने से पहले महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव उनकी सोचने समझने की क्षमता पर असर डालते हैं। रिसर्च कहती हैं कि माहवारी शुरू होने से पहले महिलाओं में बड़ी मात्रा में एस्ट्रोजन नाम का हार्माेन सक्रिय हो जाता है और उनकी सोचने समझने की शक्ति पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।


आबकारी का राजस्व आखिर खपाया कहां जा रहाः मोर्चा 

आबकारी का राजस्व आखिर खपाया कहां जा रहाः मोर्चा 



- वर्ष 2017-18 में लक्ष्य था 2310 करोड़, प्राप्त हुआ 2262 करोड़ राजस्व 
- वर्ष 2018-19 में लक्ष्य था 2650 करोड़, प्राप्त हुआ 2872 करोड़ राजस्व 
- प्रतिवर्ष हजारों करोड रूपया लिया जा रहा बाजारू कर्ज के रूप में 
- प्रदेश में विकास का पहिया है बिल्कुल जाम
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा प्रदेश का विकास कार्य धनाभाव के कारण बिल्कुल ठप्प पड़ा है, जबकि आबकारी (शराब ) से मिलने वाला राजस्व लक्ष्य के सापेक्ष लगभग बराबर तथा अधिक प्राप्त हो रहा है।
नेगी ने कहा कि आबकारी विभाग द्वारा वर्ष 2017- 18 में 2310 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया था तथा उसके सापेक्ष 2262 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ। इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 2650 करोड़ के सापेक्ष 2871.75 करोड प्राप्त हुआ यानी लक्ष्य के सापेक्ष 221.75 करोड़ ज्यादा प्राप्त हुआ। नेगी ने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि लक्ष्य के बराबर व अधिक राजस्व प्राप्त होने के बावजूद सरकार प्रतिवर्ष 6000- 7000 करोड़ बाजारू कर्ज ले रही है, जोकि धरातल पर कहीं दिखाई नहीं दे रहा और न ही इस राजस्व का पता लग पा रहा है। आखिर राजस्व कहां खपाया जा रहा है! 
पत्रकार वार्ता में मोहम्मद असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी आदि मौजूद थे।


शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

डाक जीवन बीमा/ग्रामीण डाक जीवन बीमा की लैप्सड पालिसियों का रिवाईवल

डाक जीवन बीमा/ग्रामीण डाक जीवन बीमा की लैप्सड पालिसियों का रिवाईवल



संवाददाता
देहरादून। उप मण्डलीय प्रबन्धक (पीएलआई) उत्तराखण्ड परिमण्डल देहरादून ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि जो बीमा पालिसी बंद या लैप्स हो गई है उन्हें बीमा पालिसी धारक दोबारा चालू करा सकते है। इसके लिए वे डाकघर से संपर्क कर सकते है। 
उप मण्डलीय प्रबन्धक (पीएलआई) उत्तराखण्ड परिमण्डल देहरादून के अनुसार डाकघर जीवन बीमा नियमावली, 2011 के नियमों एवं शर्तों में संशोधन के अनुपालन में अधिसूचना सं0 25-1/2011 दिनांक 19.09.2019 के माध्यम से डाक जीवन बीमा (पीएलआई) और ग्रामीण डाक जीवन बीमा (आरपीएलआई) के पॉलिसी धारकों को सूचित किया जा रहा है कि जो पालिसी पहले अदत्त प्रीमियम की तारीख से 5 साल की लगातार अवधि के लिए बंद/लैप्स हो गयी है, वे पॉलिसियां 01.01.2020 को/उसके बाद पुर्नजीवन के लिए योग्य नहीं होंगी। 
विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिन पॉलिसियों ने पिछले प्रीमियम के भुगतान की तारीख से 5 साल की सीमा पार कर ली हैं उन्हें अच्छे स्वास्थ्य का चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के अधीन 31.12.2019 तक पुर्नजीवित करने के लिए एक निश्चित समय का मौका दिया जा रहा है। ऐसी पॉलिसियों के धारक, जो अपनी पॉलिसी को पुर्नजीवित करके बीमा लाभ उठाना चाहते हैं, वे लिखित रूप में किसी नज़दीकी डाकघर में आवेदन कर सकते हैं।
निर्धारित तिथि यानि 31.12.2019 के बाद ऐसी पालिसियों को पुर्नजीवित नहीं किया जायेगा और इस प्रकार की लैप्सड पालिसियों को नियमानुसार निरस्त समझा जाएगा। यदि कोई शंका हो तो पालिसी धारक टोल फ्री नंबर 1800-180-4196 या मोबाइल नं0 9927891077 पर कार्यालय के कार्यसमय पर (प्रातः 10.00 से सायं 5.00) संपर्क कर सकते है।


आरटीआई से हुआ बैंक में कार्य का समय का खुलासा

बैंक में कार्य का समय 10 बजे से 4 बजे तक



भोजनावकाश आधा घंटे का लेकिन काउंटर खुला रखने का प्रावधान
चैक जमा की रसीद बैंक कर्मचारियों द्वारा देने का भी हैै प्रावधान
संवाददाता
काशीपुर। विभिन्न बैंक शाखाओं के कर्मचारी 2 बजे के बाद नकद लेनदेन तथा कार्य करने में टाल-मटोल करते देखे जाते हैै। कुछ बैंक काउंटर तो भोजनावकाश के बहानेे लम्बे समय तक बन्द कर दिये जाते है जबकि यह स्पष्ट नियमों का उल्लंघन तथा उपभोक्ता सेवा में कमी है। उक्त खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को बैंकों द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन द्वारा विभिन्न प्रमुख बैंकों के लोेक सूचना अधिकारियोें सेे बैंक शाखाओं में कार्य का समय, भोजनावकाश का समय तथा भोजनावकाश में कार्यों की वैकल्पिक व्यवस्था, जीएसटी आयकर तथा नकद जमा व निकासी का समय तथा चैैक जमा की रसीद देनेे के सम्बन्ध में सूचना मांगी। इसके उत्तर में भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, ओरिएण्टल बैंक, कामर्स, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया के लोक सूचना अधिकारियों ने सूचना उपलब्ध करायी हैै। 
नदीम कोे उपलब्ध सूचना के अनुसार बैंक शाखाओं में नकद लेन, देन, टैक्स जमा सहित ग्राहकों के सभी कार्य करने का समय 10 बजे से 4 बजे तक हैै। कर्मचारियों के लिये भोजनावकाश का समय केवल आधे घंटे का है। परन्तुु विभिन्न बैंकों में इस अवधि में भी वैैकल्पिक व्यवस्था करके काउंटर खुला रखना तथा ग्राहकों के कार्य करने का प्रावधान है।
ओरिएण्टल बैंक ऑफ कामर्स के मण्डल कार्यालय हल्द्वानी के लोक सूचना अधिकारी पंकज शाह के कार्य समय के सम्बन्ध में विवरण के अनुसार बैंक कर्मचारियोें को 10 बजे से 4 बजे तक (नकद व गैर नकदी कार्य) ग्राहकोें को उपलब्ध कराने की तैयारी करने के लिये बैंक शाखा मेें 9ः45 पर पहुंच जाना चाहिये। 4 बजे तक बैैंक शाखा में प्रवेेश कर चुकेे ग्राहकों का कार्य 4ः45 तक किया जाना चाहियेे। भोजनावकाश कर्मचारियोें के लिये आधेे घंटेे का होेगा लेकिन इसे बारी-बारी सेे लिया जायेगा और बैंक काउंटर खुले रखेे जायेंगे तथा ग्राहकोें को बैंक सेवायेें 10 बजेे सेे 4 बजेे तक प्रदान की जायेेगी। 
बैंक ऑफ बड़ौदा के लोेक सूचना अधिकारी नेे भी 10 से 4 बजेे तक अबाध्य बैंक सेेवायें देने का प्रावधान सूचित किया हैै। इलाहाबाद बैंक तथा बैंक ऑफ इंडिया के लोक सूचनाधिकारियोें ने भोजनावकाश के समय में भी ग्राहकों को किसी न किसी कर्मचारी के माध्यम से सेवायें देना बताया हैै। भारतीय स्टेट बैैंक के लोक सूचनाधिकारी ने नकद लेन-देन सहित बैंक शाखाओं में कार्य का समय 10 बजे से 4 बजे तक बताया है इस अवधि में आधे घंटे का भोजनावकाश सूचित किया हैै लेकिन इस दौरान शाखा में कोई एक काउंटर चालू अवस्था में रहना बताया है। 
सभी बैंकों ने कार्य समय के बोर्ड लगे होना तथा चैैक क्लेक्शन के लिये काउंटर पर जमा करने पर कर्मचारी द्वारा रसीद देना सूचित किया हैै। नदीम ने बताया कि यदि कोई बैंक कर्मचारी निर्धारित बैंक समय में नकद लेन-देन, टैक्स जमा सहित किसी बैंकिंग कार्य से इंकार करता हैै तो यह उपभोक्ता सेवा में कमी का स्पष्ट मामला हैै। इसकी जहां सम्बन्धित बैंक के उच्च अधिकारियोें को षिकायत की जा सकती है, वहीं बैकिंग लोकपाल तथा उपभोक्ता फोरम की भी शरण ली जा सकती है।


गुरुवार, 21 नवंबर 2019

विक्रम लैंडर की क्यों हुई चांद पर हार्ड लैंडिंग!

विक्रम लैंडर की क्यों हुई चांद पर हार्ड लैंडिंग!



सरकार ने दी जानकारी कि डिसेंट के दौरान विक्रम लैंडर के वेग में कमी तय मापदंडों से अधिक थी और इस वजह से उसकी हार्ड लैंडिंग हुई। 
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चंद्रयान 2 के विक्रम लैंडर की चंद्रमा की सतह पर हार्ड लैंडिंग के कारणों की जानकारी दी। लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह जो अंतरिक्ष विभाग को देखते हैं ने कहा कि डिसेंट के दौरान विक्रम लैंडर के वेग में कमी तय मापदंडों से अधिक थी और इस वजह से उसकी हार्ड लैंडिंग हुई। 
उन्होंने कहा कि चांद की सतह से 30 किलोमीटर से 7.4 किलोमीटर की दूरी के बीच डिसेंट का पहला फेज किया गया था। इस दौरान वेग 1,683 मीटर प्रति सेकंड से घटाकर 146 मीटर प्रति सेकेंड कर दिया गया था। इसके बाद डिसेंट के दूसरे फेज में वेग में कमी डिजाइन किए गए मूल्य से ज्यादा थी। इस वजह से दूसरे फेज के शुरुआती चरण की परिस्थिति, डिजाइन किए गए मापदंडों से अलग थी। इस कारण तय लैंडिंग साइट के 500 मीटर के दायरे में विक्रम की हार्ड लैंडिंग हुई।
जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि इसके बावजूद भी चंद्रयान 2 का लॉन्च, ऑर्बिटल क्रिटिकल मनुवर, लैंडर सेपरेशन, डी बूस्ट और रफ ब्रेकिंग फेज को सफलतापूर्वक पूरा किया गया। वैज्ञानिक उद्देश्यों के संबंध में ऑर्बिटर के सभी आठ अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण डिजाइन के अनुसार अपना काम कर रहे हैं और मूल्यवान वैज्ञानिक डाटा प्रदान कर रहे हैं। वैज्ञानिकों के सटीक प्रक्षेपण और ऑर्बिटर मनुवर के कारण ऑर्बिटर का मिशन सात साल तक बढ़ा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर से मिलने वाला डाटा लगातार वैज्ञानिकों को प्रदान किया जा रहा है। हाल ही में इस डाटा की समीक्षा नई दिल्ली में आयोजित एक अखिल भारतीय उपयोगकर्ता की बैठक में की गई थी। बता दें कि चंद्रयान -2, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल हैं को 22 जुलाई को जीएसएलवी एमके 3 और एम1 मिशन में सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। इसके बाद चंद्रयान 2 को सफलतापूर्वक 20 अगस्त को चंद्र की कक्षा में डाला गया था, जिसके बाद 2 सितंबर 2019 को ऑर्बिटर से लैंडर विक्रम को अलग कर दिया गया था। दो सफल डी-ऑर्बिटिंग मनुवर के बाद 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश की गई, जो विफल साबित हुई।


वन कर्मचारियों एवं पीआरडी  स्वयं सेवकों  के प्रशिक्षण की मांग को लेकर मुख्य सचिव से मिला मोर्चा: नेगी     

वन कर्मचारियों एवं पीआरडी  स्वयं सेवकों  के प्रशिक्षण की मांग को लेकर मुख्य सचिव से मिला मोर्चा: नेगी             

संवाददाता

देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा प्रतिनिधिमंडल ने  मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात कर वन महकमें के  फील्ड कर्मचारियों की मांगों  एवं  पीआरडी स्वयंसेवकों  के प्रशिक्षण की मांग को लेकर  ज्ञापन सौंपा | मुख्य सचिव ने  संबंधित विभाग के  सचिवों को  कार्रवाई के निर्देश दिए | 

नेगी ने कहा कि  सरकारी विभागों की बदइंतजामी तथा अदूरदर्शिता का इससे  बड़ा हास्यास्पद तथा खतरनाक पहलू क्या होगा कि प्रदेश में वनों को बचाने के लिए तैनात वन बीट अधिकारी व वन दरोगा के पास सुरक्षा के नाम पर हथियार मुहैया कराना तो दूर लाठी तक की व्यवस्था नहीं की गई है | नेगी ने कहा कि 5- 10 हजार हेक्टेयर तक  के जंगल को वन तस्करों, खनन माफियाओं व जंगली जानवरों से बचाने का जिम्मा एक वन बीट अधिकारी के कंधे पर है,जोकि दिन-रात जंगलों में गस्त करके वनों की कई प्रकार से रक्षा करते हैं तथा रात्रि के समय  घनघोर जंगलों में भी गस्त करते हैं | 

नेगी ने  हैरानी जताई  कि कई बार वन कर्मचारी व आमजन इन जंगली जानवरों का शिकार  होते हैं, लेकिन पुख्ता सुरक्षा इंतजामों की कमी के चलते इनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा पड़ता है | इसके साथ- साथ वन रक्षकों को सांप, लंगूर, बंदर,व  उत्पाती जानवरों को पकड़ने का भी जिम्मा है, लेकिन इंतजाम के नाम पर कुछ भी नहीं है तथा जोखिम भत्ता तक की व्यवस्था नहीं की गई है |                      

इसके अतिरिक्त मोर्चा  प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश में पीआरडी स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण कराए जाने की भी मांग की |         

मोर्चा प्रतिनिधिमंडल में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार ,सुशील भारद्वाज आदि थे |

गैर कानूनी है फौज की वर्दी जैसे कपड़े पहनना!

गैर कानूनी है फौज की वर्दी जैसे कपड़े पहनना!



प0नि0डेस्क
देहरादून। राज्य सभा के मार्शलों की नई पोशाक ने विवाद को जन्म दे दिया। ऐसे में सवाल भी उठे कि आखिर असैन्य कर्मियों की वर्दी सेना की पोशाक से कितनी अलग दिखनी चाहिए!
पिछले दिनों जब संसद के शीतकालीन सत्रा की शुरुआत हुई तो राज्य सभा में दिखे एक बदलाव से एक विवाद खड़ा हो गया। राज्यसभा में सभापति के बगल में तैनात मार्शलों की पोशाक बदल गई।
पहले मार्शल सफेद बंद गला और सर पर साफा पहनते थे। उन्हें नए रूप में देखा गया। नीले रंग का एक ऐसा कोट पहने जो सेना की वर्दी से मिलता जुलता है। इसमें कन्धों पर इन्सिग्निया था, सुनहरे बटन थे, जेब से कन्धों तक सुनहरा ऐग्लेट था और सर पर एक टोपी थी जो सेना के अधिकारियों द्वारा पहने जाने वाली टोपी से मिलती जुलती थी।
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने सभापति से इस बारे में पूछना चाहा पर सभापति उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उनकी बात अनदेखी कर दी। मामले को गंभीरता से तब लिया गया जब सेना के ही कुछ पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने इस पर आपत्ति जताई।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वेद मलिक ने ट्वीट करके कहा कि असैन्य कर्मियों का सेना की वर्दी की नकल करना और उसे पहनना गैर-कानूनी और सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक है। पूर्व सैन्य अधिकारियों का विरोध असर हुआ और उप-राष्ट्रपति ने कहा कि वे मार्शलों की नई पोशाक की समीक्षा करेंगे।
इसके पहले भी कई मौकों पर सेना ये अपील कर चुकी है कि आम नागरिकों और असैन्य कर्मियों को सैन्य पोशाक या उस से मिलती जुलती पोशाक नहीं पहननी चाहिए, क्योंकि यह गैरकानूनी है।
जनवरी 2016 में पंजाब के पठानकोट में वायु सेना के केंद्र पर आतंकवादी हमले के बाद भी सेना ने ऐसी ही अपील जारी की थी। सेना ने पुलिस, सुरक्षा बल और निजी सुरक्षा एजेंसियों से भी अपील की थी कि वो युद्व पैटर्न वाली पोशाकें न पहनें।
क्या वाकई सेना की वर्दी से मिलते जुलते कपड़े पहनना एक अपराध है? फैशन अपनी जगह है और कानून अपनी जगह। भारत में कई कानून हैं जिनके तहत सैन्य पोशाकों को पहनने पर पाबंदी है। इससे जुड़े प्रावधान सशस्त्र बल अधिनियम एफए, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम ओएसए और भारतीय दंड संहिता आईपीसी में भी हैं।
आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम  की धारा 6 में इस पर प्रतिबंध है और इसका उल्लंघन करने पर तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है। भारतीय दंड संहिता की धारा 140 के तहत भी इस पर प्रतिबंध है और उल्लंघन करने पर तीन महीने तक की जेल और 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
इन दोनों ही कानूनों में दो महत्वपूर्ण शर्तें हैं। ओएसए के तहत यह साबित होना जरूरी है कि जिसने भी सैन्य पोशाक पहनी है वो ऐसा करके किसी प्रतिबंधित जगह प्रवेश पाना चाह रहा था या ऐसा करके देश की सुरक्षा को कोई नुकसान पहुंचाना चाहता था। आईपीसी की धारा 140 के अनुसार सैन्य पोशाक पहनने के पीछे सिपाही या सैन्य अधिकारी बनकर धोखा देने की मंशा साबित होनी चाहिए।
इन दोनों शर्तों को देखें तो लगता है कि सिर्फ फैशन के लिए सैन्य पोशाकों के डिजाइन से प्रेरित कपड़े पहनना जुर्म नहीं है। राज्य सभा वाला मामला उतना संगीन नहीं है जितना उसे बना दिया गया है। मार्शलों ने अपनी वर्दी पर सेना का कोई चिन्ह नहीं लगाया। वर्दी के कोट का रंग भी गहरा नीला है जो सेना में नहीं होता। पी कैप की जगह वो किसी और कैप का इस्तेमाल कर सकते थे क्योंकि वह सेना से मिलती जुलती है।


बुधवार, 20 नवंबर 2019

राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना अकादमी को ध्वज प्रदान किया

राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना अकादमी को ध्वज प्रदान किया



एजेंसी
कन्नूर। राष्ट्रपति एवं भारतीय सैन्य बलों के सर्वाेच्च कमांडर श्री रामनाथ कोविंद ने आज भारतीय नौसेना अकादमी (आईएनए) को ध्वज प्रदान किया। यह ध्वज किसी सैन्य यूनिट को मिलने वाला सर्वाेच्च सम्मान है। भारतीय नौसेना के 730 कैडेटों की भव्य परेड और 150 लोगों के सलामी गारद के दौरान आईएनए की ओर से अकादमी कैडेट कैप्टन सुशील सिंह ने ध्वज प्राप्त किया। इस अवसर को यादगार बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ने एक विशेष पोस्टर कवर भी जारी किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने नौसेना अकादमी के 50 वर्ष पूरे होने पर आईएनए के वर्तमान एवं भूतपूर्व कर्मचारियों को इस दिवस को गौरवान्वित करने के लिए उनके कठिन परिश्रम और समर्पण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि आज सुबह यह भव्य परेड काफी अच्छी लग रही है। उन्होंने कहा कि इस अकादमी ने अपेक्षाकृत थोड़े समय में काफी ख्याति अर्जित की है। राष्ट्रपति ने इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि अधिकारियों की पीढ़ी के लिए यह ध्वज प्रेरणा का प्रतीक बने।
इस अवसर पर, केरल के राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमवीर सिंह, पीवीएसएम, एवीएसएम, एडीसी, केरल के बंदरगाह, संग्रहालय, पुरातत्व विभाग एवं अभिलेखागार राज्य मंत्री श्री रामचन्द्रन कदन्नापल्ली, दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमान प्रमुख वाइस एडमिरल ए के चावला, एवीएसएम, एनएम, वीएसएम और अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी एवं असैनिक अधिकारी उपस्थित थे। केरल की 32वीं बटालियन के एनसीसी कैडेटों और सैनिक स्कूल, कोडागू तथा पय्यानूर के स्थानीय स्कूलों के बच्चों के साथ-साथ आईएनए के सैन्य कर्मियों और असैन्य कर्मचारियों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए भारतीय नौसेना के जहाज - मगर और सुजाता तथा भारतीय तट रक्षक जहाजदृ सारथी का एट्टीकुलम खाड़ी में लंगर उठाया गया। तीनों सशस्त्र बलों में से पहली बार 27 मई, 1951 को नौसेना को यह ध्वज प्रदान किया गया था।


 


त्रिवेन्द्र ने किया प्रदेश को खनन माफियाओं के हवाले: मोर्चा

त्रिवेन्द्र ने किया प्रदेश को खनन माफियाओं के हवाले: मोर्चा- खनन कारोबार पर क्यों लगी है रोक 
- माफिया रौंद रहे पुलिस-प्रशासन के लोगों को
- प्रदेश के लाखों मजदूर, व्यवसायी तथा इस कारोबार से जुड़ा हर व्यक्ति हो रहा प्रभावित
- प्रदेश के अधिकांश विधायक खनन के काले धन्धे में लिप्त
- हरियाणा, हिमाचल, उ0प्र0 व उत्तराखण्ड के माफियाओं ने खनन बन्दी करवाने को की है भारी डील
- प्रदेश के विकास कार्य पड़े है ठप्प,  20-25 हजार में बिक रहा रेत का ट्रक
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश की बेसुध जनता जो कि, गाय-गोबर, मन्दिर-मस्जिद से ऊपर उठने को तैयार नहीं है, का फायदा उठाकर सूबे के मुखिया श्री त्रिवेन्द्र ने हिमाचल, हरियाणा व उ0प्र0 के खनन माफियाओं के हाथों प्रदेश को बेचने का काम किया है।
नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि बरसात सीजन को खत्म हुए लगभग 2-3 महीने बीत गये हैं, लेकिन प्रदेश में खनन पर अभी भी अघोषित रोक लगी है, जिस कारण, अन्य प्रदेशों से उपखनिज (रेत-बजरी इत्यादि) उत्तराखण्ड में लाया जा रहा है, जो कि, प्रति ट्रक 20-25 हजार में बिक रहा है।
नेगी ने कहा कि प्रदेश में खनन कारोबार से जुड़े लाखों मजदूर, खनन कारोबार से जुडे व्यवसायी तथा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर इस उपखनिज से होने वाले कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं तथा प्रदेश में निर्माण कार्य/विकास कार्य पूरी तरह से ठप्प पड़े हैं।
बड़े दुःख की बात है कि अन्य प्रदेश के खनन माफियाओं से सैकड़ों करोड़ की डील कर सी0एम0 श्री त्रिवेन्द्र ने लगभग जनवरी 2020 तक खनन कारोबार बन्द रखने की मौहलत माफियाओं को दे रखी है, जैसा कि विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात हुआ है। आलम यह है कि मुखिया श्री त्रिवेन्द्र के काले कारनामों का अनुसरण करने में प्रदेश के लगभग 60 फीसदी, विधायक खनन कारोबार में लिप्त हैं तथा अपने गुर्गों के माध्यम से इस काले कारोबार को संचालित करा रहे हैं।
मोर्चा ने प्रदेश की जनता से अपील की कि पार्टीबाजी से ऊपर उठकर प्रदेश हित में सोचें।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, डाॅ0 ओ0पी0 पंवार, ओ0पी0 राणा, सुशील भारद्वाज आदि थे।


मंगलवार, 19 नवंबर 2019

एक व्यक्ति कितना गोल्ड रख सकता है अपने पास

एक व्यक्ति कितना गोल्ड रख सकता है अपने पास
बता दें कि आयकर विभाग ने देश में एक व्यक्ति के पास सोना रखने की सीमा निर्धारित की है। इस सीमा से अधिक सोने को कालाधन माना जाएगा।
न्यूज डेस्क
देहरादून। बता दें कि आयकर विभाग ने देश में एक व्यक्ति के पास सोना रखने की सीमा निर्धारित की है। इस सीमा से अधिक सोने को कालाधन माना जाएगा। इनकम टैक्स विभाग ने विवाहित महिला के लिए 500 ग्राम के आभूषण, अविवाहित महिला के लिए 250 ग्राम की गोल्ड ज्वैलरी और पुरुषों के लिए 100 ग्राम आभूषण की सीमा तय की है।  
कुछ समय पहले कुछ मीडियो रिपोर्टस में कहा गया था कि सरकार एक माफी योजना पर विचार कर रही है, जो व्यक्तियों और इकाईयों को अपने बेहिसाब सोने की घोषणा करने की अनुमति देगी और उन पर इसके लिए कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं होगी।
इस माफी योजना के तहत कालेधन से सोना खरीदने वाले लोगों को इसे सफेद बनाने का एक मौका दिया जाएगा। इसके तहत वह अपने स्वर्ण भंडार की घोषणा और उस पर कर चुकाकर बच सकते हैं। व्यक्ति द्वारा बिना बिल के खरीदे गए सोने के कुल भंडार को घोषित करना होगा और उसके संपूर्ण मूल्य पर कर का भुगतान करना होगा।
लेकिन पिछले दिनों राज्यसभा में सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल उसकी ऐसी मंशा नही है। एक अनुमान है कि भारतीयों के पास 20,000 टन सोने का भंडार है। हालांकि अवैध आयात और पैतृक संपत्ति को मिलाकर इसका भंडार 25,000 से 30,000 टन तक हो सकता है।


 


 


सोमवार, 18 नवंबर 2019

केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर मोर्चा ने घेरा तहसील

केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर मोर्चा ने घेरा तहसील



संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा कार्यकर्ताओं ने उत्तराखण्ड को केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में तहसील घेराव कर प्रधानमन्त्री को सम्बोधित ज्ञापन एसडीएम विकासनगर कौस्तुभ मिश्र को सौंपा।
नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य गठन के 19 वर्षों के कार्यकाल में वर्तमान व पूर्ववर्ती सरकारों ने राज्य गठन की अवधारणा को तार-तार करने का काम किया है। राज्य गठन का उद्देश्य प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सुशासन, पलायन, सुलभ न्याय आदि तमाम मुद्दों को लेकर हुआ था, लेकिन जनता को न्याय मिलना तो दूर सिर्फ ठोकर ही मिली।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रदेश की जनता को छोटे-मोटे न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती हैं, तथा अन्ततः उसको उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, जिसका नतीजा यह हुआ कि वर्तमान त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में 19,614 याचिकायें (एमएस/एसएस/एसबी/पीआईएल) योजित की गई तथा पूर्ववर्ती सरकारों के समय भी हजारों की तादाद में याचिकायें योजित की गयी। नेगी ने कहा कि प्रदेश हजारों करोड़ के कर्ज में डूब गया है तथा लगभग ढाई-तीन हजार करोड़ रूपया प्रतिवर्ष कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च हो रहे हैं।
राज्य गठन की सारी अवधारणा चूर-चूर होकर रह गई है तथा प्रदेश में माफियाओं, लुटेरों, बलात्कारियों, जालसाओं का राज स्थापित हो गया है। स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में इतनी गिरावट आई है कि हजारों स्कूल/अस्पताल बंद हो गए तथा सरकारी अस्पताल भी भगवान भरोसे चल रहे हैं। प्रदेश में युवाओं को रोजगार मिलना एक दिव्य स्वप्न हो गया है तथा सुविधाओं के अभाव में बहुत तेजी से पलायन हो रहा है। आलम यह है कि प्रदेश में माफिया राज स्थापित होने के कारण रेत-बजरी 20-25 हजार प्रति ट्रक बिक रहे हैं।
मोर्चा ने प्रधानमन्त्री से उत्तराखण्ड वासियों की भावनाओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर प्रदेश को केन्द्र के हवाले (केन्द्रशासित प्रदेश) करने की दिशा में कार्यवाही करने की मांग की।
तहसील घेराव में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, डा0 ओपी पंवार, मौ0 असद, ओपी राणा, केसी चन्देल, भीम सिंह बिष्ट, प्रवीण शर्मा पीन्नी, सुशील भारद्वाज, नरेन्द्र तोमर, विनोद गोस्वामी, श्रवण ओझा, अशोक डंडरियाल, केपी सक्सेना, मनोज राय, अंकुर चौरसिया, शेर सिंह चौधरी, रहबर अली, जसवन्त सलानी, भजन सिंह नेगी, जयदेव नेगी, विरेन्द्र सिंह, सचिन कुमार आदि मौजूद रहे।


दून विवि में दस दिवसीय शोध प्रविधि विषय कार्यशाला का शुभारम्भ

दून विवि में दस दिवसीय शोध प्रविधि विषय कार्यशाला का शुभारम्भ



योजनाओं के नीति निर्धारण में शोध का महत्वपूर्ण स्थानः प्रो0 वैंकटेश्वर लू
संवाददाता
देहरादून। दून विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा अखिल भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में आयोजित 10 दिवसीय रिसर्च मैथोडोलोजी कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए अखिल भारतीय वाणिज्य संघ के अध्यक्ष प्रो0 एच0 वैंकटेश्वर लू ने कहा कि उचित शोध प्रविधि का चयन शोधार्थियों के समक्ष एक बड़ी चुनौती रहती है। क्योंकि शोध प्रविधि के माध्यम से ही शोध समस्या का विश्लेषण एवं व्याख्या की जाती है। इसलिये शोध प्रविधि में वैज्ञानिकता का पुट होना आवश्यक है। 
इस अवसर पर सुप्रसिद्व प्रबन्ध गुरू एवं स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के सलाहकार प्रो0 आलोक सकलानी ने कहा कि दून विश्वविद्यालय शैक्षणिक वातावरण के निर्माण की दिशा में अग्रसर है और इसलिये यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिये उनके शोध कार्यों को प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्व होगी। प्रो0 सकलानी ने उचित शोध विधि चयन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी देश के या समाज के विकास में शोध का महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि गुणवत्तायुक्त शोध से नीति निर्धारण में सहायता मिलती है और समाज को उसका शतप्रतिशत लाभ मिल पाता है। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 सीएस नौटियाल ने कहा कि विश्वविद्यालय की लगातार यह कोशिश है कि विद्यार्थियों को उचित शैक्षिक वातावरण मिल सके और इसके लिये आवश्यक कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने शिक्षण एवं शोध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि किसी भी संस्था की उत्कृष्टता वहां संचालित शोध की गुणवत्ता एवं शिक्षण प्रविधि पर निर्भर करती है। इसलिये शोध प्रविधि पर यह कार्यशाला शोधार्थियों को उनके शोध में गुणात्मक सुधार के लिये सहायक सिद्व होगी।
अतिथियों का स्वागत करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो0 एचसी पुरोहित ने कहा कि प्रबन्धशास्त्र विभाग विद्यार्थियों को वैश्विक प्रतिस्प्रर्धा के परिदृश्य सफलता अर्जित करने की दृष्टि से उनके ज्ञान एवं कौशल विकसित करने की दिशा में समर्पित है यह कार्यशाला इसी कड़ी में आयोजित की जा रही है। कार्यक्रम का संचालन डा0 प्राची पाठक ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डा0 रीना सिंह ने किया। 
इस अवसर पर डा0 सुधांशु जोशी, डा0 वैशाली, डा0 संध्या जोशी आदि उपस्थित थे।


इंश्योरेंस कंपनी से शिकायत तो क्या करें?

इंश्योरेंस कंपनी से शिकायत तो क्या करें?



इंश्योरेंस कंपनियों से कोई शिकायत है और बार-बार कहने के बावजूद शिकायत दूर नहीं की जा रही तो इंश्योरेंस ओम्बड्समैन से इसकी शिकायत कर सकते हैं। 
प0नि0डेस्क
देहरादून। यदि इंश्योरेंस कंपनियों से कोई शिकायत है और बार-बार कहने के बावजूद शिकायत दूर नहीं की जा रही तो इंश्योरेंस ओम्बड्समैन से इसकी शिकायत कर सकते हैं। यहां सिलसिलेवार तरीके से बता रहे हैं कि कैसे अपनी शिकायत का निपटारा करवा सकते हैं।
ध्यान रखें कि दिक्कत होने पर सबसे पहले बीमा कंपनी से लिखित शिकायत करें। साथ ही इसके समर्थन में सबूत भी जरूर दें।
अगर इंश्योरेंस कंपनी के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आईआरडीए से जुड़ी साइट igms.irda.gov.in के जरिये शिकायत को आगे बढ़ा सकते हैं।
उस ओम्बड्समैन आफिस से भी संपर्क कर सकते हैं जिसके दायरे में आपका मामला आता है। वह आपके मामले का निपटारा करेगा। यह तरीका समस्या के फौरन निपटारे के लिए सबसे सही है।
अगर आप ओम्बड्समैन के फैसले से असंतुष्ट हैं तो फिर कन्ज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
कुल मिलाकर शिकायत होने पर आगे बढ़ने में फायदा ही है न कि नुकसान। इसलिए शिकायत करने में देरी न करें।


ऊनी कपड़ों की ऐलर्जी और इससे कैसे बचें

ऊनी कपड़ों की ऐलर्जी और इससे कैसे बचें



प0नि0डेस्क
देहरादून। सर्दियों का मौसम आते ही जब हम ऊनी कपड़े पहनना शुरू करते हैं तो बहुत से लोगों को स्किन पर रैशेज और खुजली होने लगती है। इसे वुलन ऐलर्जी कहते हैं। ये आखिर क्यों होती है और इससे कैसे बच सकते हैं!
सर्दियों ने दस्तक दे दी है। ऐसे में सर्दी से बचने के लिए वुलन यानी ऊनी कपड़े बाहर निकलने लगे हैं। लेकिन बहुत से लोगों को कहते सुना होगा कि उन्हें ऊनी कपड़ों से ऐलर्जी हो जाती है। हर साल तकरीबन 10 से 15 फीसदी महिलाएं वुलन एलर्जी की समस्या का सामना करती हैं। आखिर क्या है वुलन ऐलर्जी और इससे कैसे बचा जा सकता है!
ऐलर्जी के लक्षण
वुलन पहनते ही चेहरे पर लालीपन आ जाना, स्वेलिंग यानी सूजन होने लगना, स्किन स्केली पपड़ीदार हो जाना, नाक बंद होना और स्किन पर खुजली और रैशेज आना जैसी दिक्कतें।
अगर ऊनी कपड़े पहनने के बाद इस तरह की दिक्कतें होती है तो समझ जाइए कि आपको वुलन ऐलर्जी है। ये कई दिन तक स्किन पर बनी रहती है और जैसे ही एक बार ठीक होने लगती है फिर से बाडी पर आ जाती है। यह प्राब्लम हाथों और पैरों में अधिक देखने को मिलती है। 
आमतौर पर ऊन और स्किन हेयर के बीच होने वाले खिंचाव से यह प्राब्लम आती है। उस जगह की स्किन रेड हो जाती है और छोटे-छोटे दाने निकलने लगते हैं, जिनमें लगातार खुजली होती रहती है। विंटर में वुलन ऐलर्जी होने की एक वजह स्किन का वुलन के डायरेक्टर कान्टैक्ट में आना भी है। इससे अर्टिकेरिया की प्राब्लम होती है। इसमें प्रभावित एरिया की स्किन रेड हो जाती है और जलन के साथ बहुत ज्यादा खुजली होती है। वहीं कुछ लोगों की वुलन कपड़े पहनते ही नाक बहने लगती है और आंखों में हमेशा पानी बना रहता है। वे सोचते हैं कि कोल्ड हो गया है, जबकि यह स्किन ऐलर्जी की वजह से होता है।
डाक्टर्स के मुताबिक यह ऐलर्जी आमतौर पर उन्हीं लोगों को होती है, जिनकी स्किन सेंसिटिव होती है। ज्यादातर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्ग लोगों को यह प्राब्लम होती है। दूसरी वजह स्किन का ड्राई होना है। अगर स्किन सेंसिटिव है तो चलेगा। लेकिन सेंसिटिव के साथ ड्राइनेस भी रहेगी तो इस प्राब्लम के होने के चांस बढ़ जाते हैं।
वुलन ऐलर्जी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है। हां, थोड़े समय के लिए दवाइयों से राहत मिल जाती है लेकिन असर खत्म होते ही वह फिर से हो जाती है। जिन लोगों को वुलन ऐलर्जी की समस्या ज्यादा होती है, वो फुल स्लीव्स के काटन इनरवेअर पहनें। इससे स्किन वुलन के डायरेक्टर टच में नहीं आएगी और ऐलर्जी से बचा जा सकेगा। ऐसे लोगों को बाकी लोगों के बजाय ज्यादा गर्म कपड़े पहनने की भी जरूरत होती है।


रविवार, 17 नवंबर 2019

डायबिटीज से बचना है तो तीन सफेद चीजों से रहें दूर

डायबिटीज से बचना है तो तीन सफेद चीजों से रहें दूर



युवा और बच्चे भी अब बन रहे है डायबिटीज के शिकार
न्यूज डेस्क
देहरादून। आधुनिक जीवनशैली, बेतरतीब खानपान व तनाव के कारण आज के दौर में हर उम्र के लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। खासकर युवाओं में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। दिन-प्रतिदिन डायबिटीज मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो महामारी का रूप लेने लगी है। 
जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से स्कूली बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो रहे हैं। करीब 30-35 प्रतिशत बच्चों में प्री-डायबिटीज देखा गया है। इसकी मुख्य वजह है कि स्कूलों में फिजिकल एक्टिविटी का न होना और जंक फूड का बेहद ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हर व्यक्ति को खान-पान पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम करना चाहिए। वहीं खान-पान के तीन व्हाइट चीजों से बचना चाहिए। इसमें चीनी, मैदा और नमक शामिल हैं। इन चीजों को कम से कम सेवन करने से डायबिटीज बीमारी से बचा जा सकता है। डाक्टरों का मानना है कि डायबिटीज मरीजों को अधिक से अधिक रेसेदार पफलों को खाने का प्रयास करना चाहिए और रिफाइंड से बचना चाहिए।
गौर हो कि डायबिटीज के दो प्रकार होते हैं। टाइप-1 और टाइप-2। डायबिटीज टाइप-1 मुख्य रूप से जेनेटिक कारणों से होती है और अधिकतर कम उम्र में होती है। जबकि सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज टाइप-2 है जिसका प्रमुख कारण अनियमित जीवनशैली और गलत खान-पान है। यह मुख्य रूप से 40 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को होती है। डायबिटीज टाइप-2 को जीवनशैली और खान-पान द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। 
डायबिटीज के लिए मोडिफाइबल फैक्टर जिम्मेदार है। इसमें मुख्य तीन आदतें है जो इस प्रकार हैः
गलत खानपान- स्वस्थ व्यक्ति को अपने शरीर के प्रति किग्रा वजन के हिसाब से रोजाना 25-30 कैलोरी डाइट लेनी चाहिए। शहरी क्षेत्रों में रेडी टू इट और फूड होम डिलिवरी के चलन से लोग अधिक खा लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी खाने की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ी है। फास्ट फूड में फैट के साथ-साथ शूगर भी होता है जो नुकसान करता है। यह पेट की चर्बी को बढ़ता है। चर्बी बर्न नहीं होने के कारण मोटापा और फिर डायबिटीज होती है।
तनाव- स्ट्रेस शरीर में चार तरीके के स्ट्रेस हार्माेन का स्तर बढ़ाता है। इसका पैंक्रियाज पर असर होता है, इससे शूगर बढ़ती है और डायबिटीज होती है।
फीजिकल वर्क- पहले के लोग ज्यादा शारीरिक परिश्रम करते थे जिससे उनकी कैलोरी बर्न होती थी लेकिन अब जीवनशैली में ऐसी हो गयी है कि लोग शारीरिक मेहनत बहुत कम करते हैं। इसलिए शरीर में कैलोरी बर्न नहीं होती है और फैट के रूप में जमा होती रहती है। कमर के आस-पास वाला विसरल फैट ज्यादा नुकसान करता है। फैट सेल्स के दुष्प्रभाव से मेटाबालिज्म यानी भोजन के ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया बिगड़ जाती है।
इंसुलिन एक प्रकार का हार्माेन है जिसका निर्माण अग्नाशय में होता है। हमारा आमाशय कार्बाेहाइड्रेट्स को रक्त शर्करा में परिवर्तित करता है। इंसुलिन के माध्यम से यह रक्त शर्करा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यदि पैनक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर दे तो ब्लड ग्लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होगी। ऊर्जा की कमी के कारण व्यक्ति जल्दी थक जायेगा, इसलिए ऊर्जावान रहने के लिए इंसुलिन का निर्माण होना जरूरी है।
इंसुलिन शरीर के लिए उपयोगी है। इंसुलिन के जरिये ही रक्त में, कोशिकाओं को शुगर मिलती है यानी इंसुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचायी गयी शुगर से ही कोशिकाओं या सेल्स को ऊर्जा मिलती है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को इंसुलिन की अतिरिक्त खुराक दी जाती है।
इंसुलिन व्यक्ति के शरीर में जरूरत के अनुसार बनता है। व्यक्ति के शरीर, हार्माेन और दिनचर्या के आधार पर इसका निर्माण होता है। पैंक्रियाज में शरीर की जरूरत के अनुसार इंसुलिन घटता-बढ़ता है। 
जीवन-शैली व खान-पान में सुधार कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। डायबिटीज होने के बाद मरीजों को नियमित शारीरिक व्यायाम व खाने पर ध्यान देने की जरूरत है। आंख, किडनी और ब्लड शूगर का नियमित जांच कराते रहना चाहिए। पहले 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे थे लेकिन अब हर आयु वर्ग के लोग डायबिटीज के शिकार हो रहे है। इसकी मुख्य वजह बेतरतीब खान-पान व जीवन शैली है।


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