रविवार, 28 फ़रवरी 2021

वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी रिटर्न भरने की डेडलाइन बढ़ायी

 वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जीएसटी रिटर्न भरने की डेडलाइन बढ़ायी



सरकार ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सालाना रिटर्न भरने की समयसीमा को 31 मार्च तक बढ़ाया

एजेंसी

नई दिल्ली। सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का सालाना रिटर्न भरने की समयसीमा को 31 मार्च तक बढ़ा दिया है। यह सरकार द्वारा दिया गया दूसरा विस्तार है। पहले यह समयसीमा 31 दिसंबर 2020 से बढ़ाकर 28 फरवरी 2021 कर दी गई थी। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि समयसीमा के भीतर रिटर्न भरने में करदाताओं को आ रही दिक्कतों के मद्देनजर सरकार ने 2019-20 के लिए जीएसटीआर-9 और जीएसटीआर-9सी भरने की समयसीमा और बढ़ा दी है। समयसीमा में यह विस्तार चुनाव आयोग की मंजूरी के साथ किया गया है।

जीएसटीआर-9 एक सालाना रिटर्न है, जो जीएसटी के तहत पंजीकृत करदाताओं को भरना होता है। जीएसटीआर-9सी आडिट किए गए सालाना वित्तीय लेखा-जोखा और जीएसटीआर-9 का मिलान है। सालाना रिटर्न भरना सिर्फ उन करदाताओं के लिए अनिवार्य है, जिनका सालाना टर्नओवर दो करोड़ रुपये से अधिक होता है। इसी तरह पांच करोड़ रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले पंजीकृत व्यक्तियों के लिये खरीद-बिक्री के मिलान ब्यौरा जमा करना अनिवार्य होता है।


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पैरा तीरंदाजी विश्व रैंकिंग टूर्नामेंट में भारत को दो स्वर्ण

 पैरा तीरंदाजी विश्व रैंकिंग टूर्नामेंट में भारत को दो स्वर्ण



एजेंसी

दुबई। भारतीय पैरा तीरंदाज राकेश कुमार ने दुबई में फाजा विश्व रैंकिंग टूर्नामेंट में कंपाउंड व्यक्तिगत जबकि हरविंदर सिंह और पूजा की जोड़ी ने रिकर्व मिश्रित टीम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता।

राकेश ने फाइनल में हमवतन श्याम सुंदर को 143-135 से हराया जबकि सेमीफाइनल में उन्होंने तुर्की के अज्ञान को 143-138 से शिकस्त दी। हरविंदर और पूजा ने फाइनल में तुर्की की दुनिया की नंबर एक जोड़ी को हराया।

श्याम सुंदर और ज्योति बालियान ने कंपाउंड मिश्रित टीम स्पर्धा का रजत पदक जीता। इन दोनों ने व्यक्तिगत स्पर्धाओं में भी रजत पदक जीते।

इस प्रतियोगिता के साथ एक साल बाद पैरा तीरंदाजी की वापसी हो रही है। प्रतियोगिता में 11 देशों के 70 तीरंदाज हिस्सा ले रहे हैं।


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 इसरो द्वारा ब्राजील के उपग्रह समेत 19 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण



पीएसएलवी-सी51 के जरिए ब्राजील के अमेजोनिया-1, 18 अन्य उपग्रहों को किया गया प्रक्षेपित

एजेंसी

श्रीहरिकोटा। भारत के पीएसएलवी (ध्रूवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों का श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया। यह इसरो का इस साल का पहला मिशन है।

पीएसएलवी-सी51 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लान्च पैड से करीब 10 बजकर 24 मिनट पर उड़ान भरी और सबसे पहले करीब 17 मिनट बाद प्राथमिक पेलोड अमेजोनिया-1 को कक्षा में स्थापित किया। करीब डेढ़ घंटे के अंतराल के बाद अन्य उपग्रहों को 10 मिनट में एक के बाद एक करके प्रक्षेपित किया गया। इन उपग्रहों में चेन्नई की स्पेस किड्ज इंडिया (एसकेआई) का उपग्रह भी शामिल है, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर उकेरी गई है। एसकेआई का सतीश धवन उपग्रह (एसडी-सैट) सुरक्षित डिजिटल कार्ड प्रारूप में भगवद्गीता को भी अपने साथ लेकर गया है।

एसकेआई ने कहा कि प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर पहल और अंतरिक्ष क्षेत्र के निजीकरण के लिए एकजुटता और आभार व्यक्त करने के लिए अंतरिक्ष यान के शीर्ष पैनल पर मोदी की तस्वीर उकेरी गई है। इसरो के अध्यक्ष के0 सिवन ने मिशन के सपफल होने की घोषणा की और बताया कि सभी 19 उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित किया गया। उन्होंने कहा कि आज का दिन पूरी इसरो टीम के लिए एक बड़ा दिन है और पीएसएलवी-सी51 भारत के लिए एक विशेष मिशन है। अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों को सटीकता से उनकी कक्षा में स्थापित करने को लेकर इसरो टीम को बधाई देता हूं।

इसरो की वाणिज्यिक इकाई न्यूस्पेस इंडिया लिमिटिड (एनएसआईएल) के लिए भी यह खास दिन है। पीएसएलवी सी51/अमेजोनिया-1 एनएसआईएल का पहला समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। इस मिशन को यहां स्थित नियंत्रण केंद्र से ब्राजील सरकार के अधिकारियों समेत अन्य लोगों ने देखा। 637 किलोग्राम वजनी अमेजोनिया-1 ब्राजील का पहला उपग्रह है जिसे भारत से प्रक्षेपित किया गया। यह राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (आईएनपीई) का आप्टिकल पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है।

जिन अन्य 18 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया गया है, उनमें से 4 उपग्रह इसरो के भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र और 14 उपग्रह एनएसआईएल के हैं।


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कांग्रेस में बढ़े टूट के आसार!

 कांग्रेस में बढ़े टूट के आसार!



अध्यक्ष पद के चुनाव में राहुल गांधी को चुनौती देने की तैयारी 

एजेंसी 

नई दिल्ली। यह पहला मौका नहीं जब गुलाम नबी आजाद को भगवा पगड़ी पहने देखा गया। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रहते हुए जब भी उन्होंने हिंदू बहुल इलाकों का दौरा किया, उन्होंने ये पगड़ी पहनी। लेकिन जब आजाद के साथ 7 और नेताओं ने ये पगड़ी पहनी तो इसके कई तरह के मायने निकाले जा रहे है। भगवा रंग का ताल्लुक भाजपा से है लिहाजा कांग्रेस की मौजूदा हालात को लेकर अटकलें लगायी जा रही है। 

पिछले साल कांग्रेस के 23 असंतुष्ट नेताओं (जी-23) ने पार्टी में बदलाव को लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी और अब 8 नेताओं ने भगवा पगड़ी पहनकर एक तरह से नई हलचल पैदा कर दी है। इन नेताओं ने साफ कहा है कि वो कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन पार्टी की मौजूदा हालत उन्हें मंजूर नहीं। कांग्रेस की तरफ से इस घटना को लेकर अधिकारिक बयान भी आया, जिसमें कहा गया कि ये सारे सीनियर नेता हैं और इन्हें ये सारी चीजें छोड़कर पार्टी के लिए उन राज्यों में प्रचार करना चाहिए जहां चुनाव होने वाले हैं।

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस में आगे क्या होगा! कहा जा रहा है कि सिर्फ जम्मू ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी बागी नेता बैठक करने वाले हैं। इन नेताओं की अगली बैठक हिमाचल प्रदेश में हो सकती है। आनंद शर्मा इसी राज्य से आते हैं। बता दें कि आनंद शर्मा गांधी परिवार के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। उनकी तात्कालिक चिंता ये है कि राज्यसभा में उनका अब एक साल का कार्यकाल बचा है। इसके बावजूद उन्हें विपक्ष के नेता के पद के लिए नजरअंदाज किया गया। फिलहाल राहुल गांधी के करीबी मल्लिकार्जुन खड़गे इस पद पर है। शर्मा के करीबी सूत्र ने कहा कि खड़गे के आदेशों को सुनना उनके लिए अस्वीकार्य होगा। शर्मा राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता हैं।

कहा जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश के बाद इस तरह की बैठक हरियाणा, पंजाब और दिल्ली में भी होगी। इतना ही नहीं ग्रुप-23 के असंतुष्ट नेता जून में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में अपना उम्मीदवार भी खड़ा कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी भी इस चुनाव में अध्यक्ष पद पर दावेदारी पेश कर सकते हैं। ऐसे में अध्यक्ष पद पर राहुल को सीधी चुनौती देने वाले जी-23 नेताओं के इस कदम से बागवती तेवर खुल कर सामने आ सकते हैं।

जी-23 के नेताओं ने पिछले साल अगस्त में सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कई सवाल खड़े किए थे। इन सबने उस समय कहा था कि उनकी पार्टी में कोई नेता नहीं है। अब भी वे पूछते हैं कि फुलटाइम अध्यक्ष की अनुपस्थिति में पार्टी के लिए कौन फैसले ले रहा है क्योंकि सोनिया गांधी अब रोज के मामलों में शामिल नहीं हैं। साफ है कि ये नेता राहुल गांधी पर निशाना साध रहे हैं और यही वजह है कि जी-23 पर मौजूदा कांग्रेस नेताओं द्वारा हमला किया जा रहा है जो कहते हैं कि चुनाव के बीच में ये सब पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

जम्मू की बैठक के बाद कांग्रेस की तरफ से असंतुष्टों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की संभावना नहीं है। दरअसल पार्टी नहीं चाहती है कि इससे आने वाले चुनावों से लोगों का ध्यान भंग हो, जबकि विद्रोही पार्टी से अलग होने की बात नहीं कर रहे हैं। वे जानते हैं कि ऐसा होना ही है, फिलहाल कांग्रेस में फूट की संभावना जतायी जा रही है।


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आईटी पार्क में दून हाट का शुभारंभ

आईटी पार्क में दून हाट का शुभारंभ



उत्तराखंड हथकरघा हस्तशिल्प विकास परिषद आयोजित दून हाट में एक ही जगह पर मनपसन्द खरीददारी 
संवाददाता
देहरादून। आईटी पार्क में शुरू हुए दून हाट में प्रदेश के विभिन्न भागों से आए शिल्पी संस्थाओं एवं बुनकरों का सामान उचित दर पर खरीदने को मिल रहा हैं। हाट में शॉल, पंखी, रिंगाल के उत्पाद, मुंज घास के उत्पाद, ऊनी सामान कालीन जुट का सामान ताम्र उत्पाद घरेलू सामान के अलावा अन्य राज्यों से आए शिल्पियों बुनकरों एवं संस्थाओं के द्वारा भी प्रतिभाग किया जा रहा है जिसमें उनकी खास कारीगरी की हुई साड़ियां चादरें दरिया कालीन इत्यादि उचित दाम पर खरीद सकते हैं।


हाट में हैंडलूम हैंडीक्राफ्ट के बने विशेष उत्पाद आकर्षित कर रहें है। साथ ही हैदराबादी स्पेशल सूट साड़ी, बागेश्वर के थुलमा चुटका, कोटद्वार की मशहूर पेंटिंग, देहरादून की हिमाद्रि इम्पोरियम की मुंज घास एवं रिंगाल से बने उत्पाद ऐपण की पेंटिंग, बनारस की साड़ियां, नारी निकेतन और जेलों से बने कालीन सहित खाने पीने के सामानों की खरीददारी की जा सकती हैं। हाट मेंं कोरोना महामारी को देखते हुए मास्क, सैनिटाइजर  एवं सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा जा रहा है।

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वर्षों से गन्ने की कीमतें स्थिर लेकिन महंगाई कई गुना बढ़ी: मोर्चा

 वर्षों से गन्ने की कीमतें स्थिर लेकिन महंगाई कई गुना बढ़ी: मोर्चा  

- वर्ष 2017-18 में था गन्ने का मूल्य 316/326 प्रति कुंटल             
- वर्ष 2018-19 में था  317/327            
- वर्ष 2019-20 में 317/327              
-वर्ष 2020-21 में भी 317/327          
- शिक्षा/ पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स/ खाद्य पदार्थ/ टैक्स आदि में हुई कई गुना वृद्धि, लेकिन गन्ना मूल्य में नहीं              
- गन्ना (शीरे) की बदौलत शराब से कमा रही सरकार अप्रत्याशित दौलत             
- तीन-चार सालों में सरकार ने की है सिर्फ ₹1 की वृद्धि  
- कई-कई महीनों भुगतान न होने का दंश भी झेलता है किसान     


संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि त्रिवेंद्र सरकार गन्ना किसानों की पीड़ा को समझने में नाकाम साबित हुई है, जिसका नतीजा यह है कि इस सरकार के कार्यकाल यानी तीन-चार सालों में गन्ने के मूल्य में कोई वृद्धि नहीं हुई, जबकि महंगाई कई गुना बढ़ी है। यहां तक कि पैट्रोलियम प्रोडक्ट्स/ शिक्षा/ खाद्य पदार्थ/ टैक्स आदि सभी मामलो में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि अगर कीमतों की बात करें तो सरकार ने वर्ष 2017- 2018 में सामान्य प्रजाति के गन्ने का मूल्य 316 तथा अगेती प्रजाति का मूल्य ₹326 प्रति कुंटल निर्धारित किया था तथा इसी प्रकार वर्ष 2018-19 में 317/327, वर्ष 2019- 20 में 317/ 327 तथा वर्तमान पेराई सत्र 2020-21 में भी  कीमतें 317/327 (यथावत) रखी गई हैं, जोकि किसानों के साथ बहुत बड़ी नाइंसाफी है। दुर्भाग्य देखिए कि सरकार ने इन 3-4 सालों में मात्र गन्ना मूल्य में ₹1 प्रति कुंटल की बढ़ोतरी की है। नेगी ने कहा कि गन्ने से उत्पादित शीरा से बनने वाली शराब इत्यादि से सरकार बहुत मुनाफा कमा रही है, लेकिन गरीब किसानों को देने के लिए सरकार के पास कुछ नहीं है।
इसके अलावा सरकार/ मिल द्वारा कई-कई महीनों (कई मामलों में सालों तक) तक भुगतान न होने का दंश भी किसान को झेलना पड़ता है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि अप्रत्याशित महंगाई को देखते हुए गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की जाए।                 
पत्रकार वार्ता में ओ0पी0 राणा, दिलबाग सिंह, नारायण सिंह चौहान, विक्रम सिंह पाल आदि मौजूद थे।

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डीबीटी ने अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया

 डीबीटी ने  अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया

एजेंसी

नई दिल्ली। बायोटेक्नोलॉजी विभाग (डीबीटी) ने अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया। “कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में विभाग की भूमिका सराहनीय है। आत्मनिर्भर भारत 3.0 में कोविड सुरक्षा के लिए कोविड वैक्सीन के विकास में 900 करोड़ रुपये का एक विशेष अनुदान विभाग को आवंटित किया गया है” समारोह में वक्ता ने बताया। 

डीबीटी के 35वें स्थापना दिवस को मनाने का समारोह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित हुआ। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि विभाग हमारे देश को जैव प्रोद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अद्भुत प्रयास कर रहा है। उन्होने कहा कि राष्ट्रीय जैवचिकित्सा संसाधन स्वदेशीकरण संघ (एनबीआरआईसी) इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होने साथ ही कहा कि इस मंच का लक्ष्य कोविड 19 और उससे आगे की रोग चिकित्सा, वैक्सीन और निदान में आत्मनिर्भरता हासिल करना है।

वक्ताओं ने साथ ही बीते साल के दौरान अनाज फसलों की उन्नत किस्मों के विकास के लिए कृषि जैव प्रोद्योगिकी क्षेत्र में बड़े मिशन की शुरूआत करने के लिए डीबीटी की प्रशंसा की। उन्होंंने जानकारी दी कि डीबीटी का जैव प्रोद्योगिकी किसान कार्यक्रम 105 आकांक्षीपूर्ण जिलों में लागू किया गया है और अब तक 50 हजार से ज्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। उन्होने ये भी बताया कि सरकारी और निजी संस्थानों को आधुनिक फसल जीनोमिक्स तकनीक और जीनोटाइपिंग सेवाओं के लिए डीबीटी-एनजीजीएफ- राष्ट्रीय जीनोटाइपिंग एवम जीनॉमिक्स सुविधा की स्थापना की गई। आणविक प्रजनन के जरिए मक्का में पोषणता संवर्धन के जरिए 3 उन्नत संकरित मक्का विकसित किए गए हैं। इसे भी प्रमुखता से बताया गया था कि डीबीटी ने कृषि क्षेत्र में नवाचार पर जोर देने के लिए “भारत में खाद्य उत्पादों और नैनो-आधारित कृषि- इनपुट के मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश” जारी किए हैं।  

प्रतिभागियों ने जोर देकर कहा कि देश में उत्पन्न होने वाले जैविक आंकड़ों को जमा करने, संग्रहण, व्याख्या और साझा करने के लिए विभिन्न सरकारी संस्थाओं से मिली व्यापक पूंजी से डीबीटी के द्वारा भारतीय जैविक डाटा केंद्र (आईबीडीसी) स्थापित किया गया था। वक्ताओं ने कहा कि भारत की जनता में आनुवांशिक विविधिता को सूचीबद्ध करने के लिए पैन इंडिया जीनोम इंडिया की शुरुआत की गई थी, जिसका लक्ष्य संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण और बाद में 10,000 व्यक्तियों के आंकड़ों का विश्लेषण करना है।

समारोह में विभिन्न श्रेणियों में प्रतिष्ठित ब्राइट (जैव प्रोद्योगिकी अनुसंधान नवाचार एवं तकनीकी उत्कृष्टता) पुरस्कार भी दिए गए। पुरस्कार जीतने वालों को हर गोविंद खुराना नवप्रवर्तनशील युवा बायोटेक्नोलॉजिस्ट पुरस्कार (आईवाईबीए), बायोटेक प्रोडक्ट, प्रक्रिया विकास और वाणिज्यीकरण पुरस्कार (बीपीपीडीसीए), टाटा नवाचार फैलोशिप (टीआईएफ), एस रामाचंद्रन- कैरियर डेवलपमेंट के लिए राष्ट्रीय जैव विज्ञान पुरस्कार (एसआरसी-एनबीएसीडी) और जे अम्माल राष्ट्रीय महिला जैव-वैज्ञानिक पुरस्कार (जेए-एनडब्लूबीए) पाने के लिए” सभी से बधाई मिली।

 

इस अवसर पर कोविड-19 महामारी का शमन करने के लिए डीबीटी की पहल और उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली ई-बुक “डीबीटी का कोविड से संघर्ष-वायरस से वैक्सीन तक” का अनावरण भी किया गया जिसमें, वैक्सीन, निदान, जैविक संग्राहक, चिकित्सा, जीनोम विश्लेषण और अन्य मध्यवर्ती कदम शामिल किए गए हैं। 

अवसर पर बोलते हुए डीबीटी सचिव डॉक्टर रेणु स्वरूप ने जानकारी दी कि विभाग ने बीते एक साल में कई सुधार लागू किए हैं और जैव प्रोद्योगिकी उत्पादों के उत्पादन, प्रक्रिया और तकनीक पर जोर दिया है जिससे कृषि, भोजन और पोषण सुरक्षा, सस्ती स्वास्थ्य सेवा, पर्यावरण सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा, जैव ईंधन और जैव उत्पादन में बढ़ी हुई दक्षता, उत्पादकता और लागत प्रभावकारिता मिले। डॉ रेणु स्वरूप ने यह भी जानकारी दी कि विभाग ने कई कार्यक्रमों के माध्यम से प्रधानमंत्री के द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय मिशन– स्वस्थ भारत, स्वच्छ भारत, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया के लिए बड़ा योगदान दिया है।

 

इस अवसर पर डीबीटी ने भारत में “जैव प्रोद्योगिकी के विकास के 35 साल- एक रोमांचक यात्रा’ पर वेबिनार का आयोजन किया। डीबीटी की पूर्व सचिव डॉक्टर मंजू शर्मा ने डीबीटी और उसके सभी संस्थानों के उज्जवल भविष्य की कामना की। भारत सरकार के पीएसए और डीबीटी के पूर्व सचिव प्रोफेसर विजय राघवन ने उद्घाटन भाषण दिया। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जैसे प्रोफेसर पद्मनाभन, आईआईएससी, बेंगलुरु; प्रोफेसर बलराम आईआईएससी, बेंगलुरु; प्रोफेसर अखिलेश त्यागी, पूर्व निदेशक, डीबीटी-एनआईपीजीआर, नई दिल्ली; प्रोफेसर विजयालक्ष्मी रविंद्रनाथ, सेंटर फ़ॉर न्यूरोसाइंस, आईआईएससी, बेंगलुरु और डॉक्टर दिपानविता चट्टोपाध्याय, चेयरमैन और सीईओ आईकेपी नॉलेज पार्क, हैदराबाद; ने भी इस अवसर पर संबोधित किया।


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शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

अमीर मुल्क अमेरिका भारत का कर्जदार

अमीर मुल्क अमेरिका भारत का कर्जदार



वर्ष 2020 में प्रत्येक अमेरिकी पर औसतन 72309 डालर का कर्ज था

एजेंसी

वाशिंगटन। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका पर दो दशक में कर्ज का भार तेजी से बढ़ा है और भारत का भी उस पर 216 अरब डालर का कर्ज है। अमेरिका पर कुल 29 हजार अरब डालर का कर्ज चढ़ा हुआ है। एक अमेरिकी सांसद ने सरकार को देश पर बढ़ते कर्ज भार को लेकर आगाह किया है। अमेरिका पर कर्ज के मामले में चीन और जापान का कर्ज सबसे ऊंचा है। वर्ष 2020 में अमेरिका का कुल राष्ट्रीय कर्ज भार 23400 अरब डालर था। इसका मतलब प्रत्येक अमेरिकी पर औसतन 72309 डालर का कर्ज था।

अमेरिकी सांसद एलेक्स मूनी ने कहा कि हमारा कर्ज बढ़कर 29000 अरब डालर तक पहुंचने जा रहा है। इसका मतलब है कि हर व्यक्ति पर कर्ज का भार और अधिक बढ़ रहा है। कर्ज के बारे में सूचनाएं बहुत भ्रामक हैं कि यह जा कहां रहा है। जो दो देश-चीन और जापान हमारे सबसे बड़े कर्जदाता हैं, वे वास्तव में हमारे दोस्त नहीं हैं।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में बाइडेन सरकार के करीब दो हजार अरब डालर के प्रोत्साहन पैकेज का विरोध करते हुए वेस्ट वर्जीनिया का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद मूनी ने कहा कि चीन के साथ वैश्विक स्तर पर हमारी प्रतिस्पर्धा है। उनका हमारे ऊपर बहुत बड़ा कर्ज चढ़ा हुआ है। चीन का हम पर 1000 अरब डालर से अधिक का कर्ज बकाया है। हम जापान के भी 1000 अरब डालर से अधिक के बकाएदार हैं। सांसद मूनी ने कहा कि वे देश जो हमको कर्ज दे रहे हैं, हमें उनका कर्ज चुकाना भी है। जरूरी नहीं कि इन देशों को हमारे श्रेष्ठ हित का ध्यान हो, जिनके बारे में हम यह नहीं कह सकते कि वे दिल में हमेशा हमारे हित का खयाल रखते हैं। उन्होंने कहा कि ब्राजील को हमें 258 अरब डालर देना है। भारत का हमारे ऊपर बकाया 216 अरब डालर है। हमारे विदेशी ऋणदाताओं की यह सूची लंबी है।

वर्ष 2000 में अमेरिका पर 5600 अरब डालर का कर्ज था। ओबामा के समय यह दोगुना हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जनवरी में 1900 अरब डालर के कोविड19 राहत पैकेज की घोषणा की ताकि इस महामारी के चलते अर्थव्यवस्था पर आए संकट का मुकाबला किया जा सके। मूनी और विपक्ष के अन्य सांसदों ने पैकेज का विरोध किया। मूनी ने कहा कि ओबामा के 8 साल में हमने अपने ऊपर कर्ज का भार दो गुना कर लिया और आज हम उसे और बढ़ाने जा रहे हैं। कर्ज और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का अनुपात काबू से बाहर हो गया है।


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विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन

 विभिन्न मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन 



सकलाना क्षेत्र के जनप्रतिधियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित किया

संवाददाता

टिहरी गढ़वाल। धनोल्टी विधनसभा क्षेत्र के विकासखंड़ जौनपुर के सकलाना क्षेत्र की जनता की मांगों को लेकर जनप्रतिनिधियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी न्यायोचित मांगों का निस्तारण जल्द ही नहीं किया गया तो सकलाना क्षेत्र की जनता आंदोलन को विवश होगी।

ज्ञापन में कहा गया कि क्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा स्वीकृत डिग्री कालेज को वर्तमान सरकार ने निरस्त कर दिया है। जबकि क्षेत्र के छात्र इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए देहरादून या चम्बा जाने को मजबूर है। इस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चें उच्च शिक्षा ग्रहण करने से वंचित हो रहें है। खासकर बालिकाओं की शिक्षा प्रभावित हो रही है। इसको देखते हुए क्षेत्र में महाविद्यालय का खोला जाना जरूरी है। 

प्रतिनिधियों ने कहा कि सकलाना क्षेत्र के लिए पेयजल व्यवस्था के लिए प्रस्तावित आनंद चौक पंपिंग योजना को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल पायी है। जबकि क्षेत्र के लोगों को पेयजल के लिए मीलों पैदल चलना पड़ता है। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा देहरादून वासियों की पेयजल व्यवस्था हेतु ग्राम सौंदणा, तौलिया काटल में सौंग नदी में प्रस्तावित डैम के प्रभावितों की मांगों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जिसकी वजह से ग्रामीण सशंकित है। ऐसे में उक्त समस्या का निस्तारण किया जाना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि उनियाल गांव-सत्यों मोटरमार्ग जोकि पिछले 10 वर्षो से ज्यादा समय से स्वीकृत है लेकिन वित्तीय का मामला शासन में लंबित होनी की वजह से अटका पड़ा है। ऐसे ही करीब 10-15 वर्षो पूर्व प्रधनमंत्री सड़क योजना के तहत निर्मित मरोडा-बनाली मोटरमार्ग की हालत खराब हो गयी है। उसपर वर्तमान में पैदल चलना भी दूभर है। इसी तरह सकलाना को दून से जोड़ने वाले रायपुर-कुमाल्टा-कद्दूखाल मोटरमार्ग के चौड़ीकरण एवं उसके सुधार के लिए भी अवगत कराया जाता रहा है लेकिन शासन-प्रशासन को बार-बार अवगत कराने के बाद भी कारवाई नहीं हो रही है। 



उन्होंने कहा कि सकलाना क्षेत्र के किसानों द्वारा अपनी नकदी फसलों को बिक्री के लिए देहरादून मंडी में लाया जाता है परन्तु क्षेत्र के मंडी समिति में न होने से किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए सकलाना क्षेत्र में मंडी खोले जाने अथवा क्षेत्र को दून की मंडी समिति में शामिल किए जाने की मांग की जाती रही है। बावजूद इसके आश्वासन के सिवाय कुछ हासिल नहीें हुआ है। प्रतिनिधिमंडल ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी न्यायोचित मांगों पर जल्द ही उचित कारवाई नहीं की गई तो क्षेत्र की जनता आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होगी। 

अखिलेश उनियाल पूर्व सदस्य जिला पंचायत एवं जिला नियोजन समिति के नेतृत्व में ज्ञापन देने वाले प्रतिनिधिमण्डल में कुंड के प्रधान वीरेंद्र सिंह कोठारी, प्रधान धौलागिरी अरविन्द सिंह रावत, प्रधान सतेंगल दिनेश सिंह राणा, पूर्व उप प्रधान विजेन्द्र सिंह बिष्ट, पूर्व सदस्य क्षेत्र पंचायत सोबन सिंह मनवाल, सुमन भट्ट, बचन सिंह, पदम सिंह पंवार, लक्ष्मी प्रसाद उनियाल, यशपाल कंडारी, सुरेश बिष्ट आदि शामिल रहे।


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गरीबों के अपने घर के टूटे सपने

 पीएम आवास योजना में गजब तमाशा

लैंडलाइन फोन है ही नही, सर्वे में फोन दिखाकर लोगो को योजना से किया बाहर

गरीबों के अपने घर के टूटे सपने



चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी

देहरादून। अब इसे क्या कहें जब सिर्फ इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना से नाम काट दिया जाये कि लैंडलाइन फोन है, मोटरसाइकिल है तो क्या कहेंगे! जी हां, यह हम नही पीएम आवास योजना की लिस्ट बता रही है। इससे बड़ी हैरानी और चाैंकाने वाली बात यह है कि लिस्ट से हटाए गए अधिकांश लोगों के नाम के आगे लैंड लाइन फोन होना बताया गया है जबकि इन लोगांे ने कभी लैंड लाइन फोन लगाया ही नही। अब 2011 में हुए सर्वे पर भी सवाल उठने लग गए है। उक्त ग्रामीणों का सर्वे किसने और कैसे किया जिसको आधार मान कर इन गरीबों के नाम लिस्ट से बाहर किये गए! 

गौरतलब है कि डोईवाला ब्लाक के अंतर्गत पीएम आवास योजना के तहत 887 लोगांे के आवास बनाने हेतु प्रस्तावित सूची कई दौर के सत्यापन के बाद बनाई गई। लोगो को उम्मीद थी कि अब उनका भी घर होगा। लेकिन इस सूची से 211 लोगों के नाम काट दिए गए। नाम काटने का कारण लैंड लाइन फोन, मोटरसाइकिल इनके पास होना बताया गया। अकेले रानीपोखरी न्याय पंचायत की बात करे तो 100 से अधिक लोगो के नाम पीएम आवास लिस्ट से बाहर किये गए है। 

रैनापुर ग्राम सभा के 28 लोगांे में से 21 के नाम कट गए वही लिस्टरबाद में 34 के 34 नाम काट दिए गए। बडकोट ग्राम सभा मे 24 लोगांे मे से सिर्फ 2 लोगांे के आवास पास हुए, 22 के नाम काट दिए गए। रानीपोखरी में भी 73 से अधिक की सूची से 30 के ही अब आवास बनाये जाने है। बाकी के नाम लिस्ट से बाहर हो गए है। हालांकि सभी ग्राम प्रधानों से खंड विकास अधिकारी को इस सब पर आपत्ति दर्ज कर दुबारा सूची भेज दी है।

बडकोट ग्राम प्रधान सरिता देवी ने बताया कि लोगांे को समझना बहुत कठिन हो रहा है। 3 साल से ये गरीब लोग एक अदद छत की आस लगाए बैठे थे लेकिन जैसे ही लिस्ट से नाम काटे गए सब परेशान है। खंड विकास अधिकारी डोईवाला का कहना है कि पूरे ब्लाक से लोगों के नाम काटे गए है उसमें कारण अलग अलग दिए गए है। हालांकि अब पुनः सत्यापन कर पूरी सूची शासन को भेज दी गई है। हर गरीब का सपना होता है कि उसका भी अपना घर हो, जिसको साकार करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू की गई है। लेकिन 3 साल से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर का सपना संजोए गरीबांे के लिए बुरी खबर है।

पीएम को भेजा पत्र

रानीपोखरी न्याय पंचायत के प्रधान संगठन के अध्यक्ष रानीपोखरी के प्रधान सुधीर रतूड़ी ने बताया कि उन्हांेने पीएम एम आवास योजना के चयननित लिस्ट के बाद लिस्ट से नाम हटाये जाने पर नाराजगी व्यक्त कर प्रधानमंत्री को पत्र भेजा है। सुधीर ने पत्र में कहा कि 3 साल पूर्व 11 ग्राम सभाओं में पीएम आवास योजना के तहत लाभर्थियों का सर्वे किया गया था। अब सर्वे के पश्चात सैकड़ों लाभार्थियांे का लिस्ट से नाम बाहर किया गया है जबकि वे वास्तव में गरीब है और इस योजना के हकदार है। उन्हांेने पुनः इन लिस्टों की जांच कर गरीबांे को घर दिलवाने की मांग की है। 


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दायित्वों के खरीद-फरोख्त मामले में स्थिति स्पष्ट करे सरकारः मोर्चा

 दायित्वों के खरीद-फरोख्त मामले में स्थिति स्पष्ट करे सरकारः मोर्चा     

-हरिद्वार के उद्योगपति ने दायित्व खरीदने की एवज में दिए भाजपा नेताओं को 30 लाख रूपए

-भाजपा नेताओं द्वारा दलाली किए जाने का मामला 

-रांची (झारखंड) वाले ऐसे ही मामले में उच्च न्यायालय दे चुका सीबीआई जांच व मुकदमा दर्ज करने के निर्देश                  

-आजकल में होनी है उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई  

-दायित्व लेने व दिलाने वाले दोनों के खिलाफ हो मुकदमा दर्ज     



संवाददाता

देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा 17 लोगों को दायित्व देकर दायित्वधारी/राज्य मंत्री बनाया गया है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में भाजपा नेताओं की दायित्वों की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया है, निश्चित तौर पर बहुत ही गंभीर विषय है।        

नेगी ने कहा कि हरिद्वार के एक उद्योगपति ने 2 भाजपा नेताओं को 30 लाख रुपए  में दायित्व खरीद-फरोख्त का सौदा किया था, लेकिन दायित्व ने मिलने से खफा उद्योगपति ने थाने में तहरीर देकर मामला साफ कर दिया है कि दायित्व की खरीद-फरोख्त में भाजपा के तथाकथित कुछ नेता दुकानदारी चला रहे हैं। 

उक्त मामले में दायित्व खरीदने वाले व बेचने वाले दोनों के खिलाफ सरकार को कार्रवाई कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। नेगी ने कहा कि पूर्व में भी एक ऐसे ही 


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पीयूष गोयल ने टनकपुर-दिल्ली-टनकपुर

 

टनकपुर-दिल्ली-टनकपुर पूर्णागिरी जन शताब्दी ट्रेन को हरी झंडी


पूर्णागिरी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी से लाभ
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने वीडियो कांप्रफेंसिंग के माध्यम से टनकपुर-दिल्ली जेएन स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
इस अवसर पर मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि नए आधुनिक, सुरक्षित, एलएचबी कोच वाली पूर्णागिरी जनशताब्दी ट्रेन शुरू होने से क्षेत्र में पर्यटन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। गोयल ने यह भी बताया कि पीलीभीत-दिल्ली मार्ग का विद्युतीकरण पहले ही पूरा हो चुका है। टनकपुर पीलीभीत मार्ग भी पूरा हो चुका है, केवल सीआरएस निरीक्षण का इंतजार है। जल्द ही पूरे मार्ग (टनकपुर-दिल्ली) का पूरी तरह से विद्युतीकरण कर दिया जाएगा। उन्होंने वर्तमान में उत्तराखंड राज्य में निष्पादित की जा रही विभिन्न रेल परियोजनाओं के बारे में भी बात की। 
गौर हो कि यह ट्रेन टनकपुर को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ेगी और क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक विकास लाएगी। पूर्णागिरी मंदिर जाने वाले तीर्थयात्री बेहतर कनेक्टिविटी से लाभान्वित होंगे। ट्रेन संख्या 05325 टनकपुर-दिल्ली पूर्णागिरी जन शताब्दी एक्सप्रेस दैनिक स्पेशल ट्रेन टनकपुर से 11.25 बजे रवाना होकर 21.35 बजे दिल्ली जंक्शन पहुंचेगी ।
ट्रेन संख्या 05326 दिल्ली जंक्शन से टनकपुर पूर्णागिरी जन शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन दिल्ली से 06.10 बजे रवाना होकर 16.10 बजे टनकपुर पहुंचेगी।  ट्रेन में कुल 12 एलएचबी कोच होंगे जिनमें 2 एसी चेयरकार, 8 चेयर कार कोच और 2 जनरेटर कोच शामिल हैं। इसमें ट्रेन का ठहराव बनबसा, खटीमा, पीलीभीत, इज्जतनगर, बरेली सिटी, बरेली जंक्शन, विशारतगंज, आनौला, करंगी, दफ्रतरा, आसपफपुर, चंदौसी, राजा का सहसपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, गजरौला, गढ़ मुक्तेश्वर, सिमभौली, हापुड़, पिलखुवा, गाजियाबाद, साहिबाबाद, दिल्ली शाहदरा स्टेशनों पर होगा।

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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

वेतन-पेंशन पाना सरकारी कर्मचारी का अधिकारः सुप्रीम कोर्ट

 वेतन-पेंशन पाना सरकारी कर्मचारी का अधिकारः सुप्रीम कोर्ट



कोर्ट ने कहा- भुगतान में देरी पर सरकार को उचित ब्याज देना चाहिए

एजेंसी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकार उचित काम के बदले किसी भी कर्मचारी का वेतन और पेंशन नहीं रोक सकती। वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी पर सरकार को उचित ब्याज देना चाहिए। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को कुछ समय के लिए टाले गए वेतन और पेंशन पर 6 फीसद की दर से ब्याज अदा करने का आदेश दिया है। 

 आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के कारण आए वित्तीय संकट को देखते हुए मार्च-अप्रैल 2020 में सरकारी कर्मचारियों का वेतन और पेंशन कुछ समय के लिए टाल दी। सरकार ने इस बारे में एक आदेश निकाला हालांकि बाद में अप्रैल में सरकार ने 3 विभागों चिकित्सा स्वास्थ्य, पुलिस और सफाई कर्मचारियों का पूरा वेतन बहाल कर दिया। 26 अप्रैल को पेंशनर्स की पूरी पेंशन भी बहाल कर दी। लेकिन इस बीच एक पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर कहा कि वेतन और पेंशन पाना कर्मचारी का अधिकार है इसलिए वेतन और पेंशन के भुगतान किया जाये।

हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर विस्तृत आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश फाइनेंसियल कोड के अनुच्छेद 72 के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को हर महीने की अंतिम तारीख पर वेतन मिलना चाहिए। पेंशन भी तभी रोकी जा सकती है जब कर्मचारी विभागीय जांच या न्यायिक प्रक्रिया में गंभीर कदाचार का दोषी हो।

हाईकोर्ट ने कहा कि वेतन पाना व्यक्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन के अधिकार और अनुच्छेद 300ए में मिले संपत्ति के अधिकार में आता है। हाईकोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को 12 फीसद ब्याज के साथ रोका गया वेतन और पेंशन अदा करने का आदेश दिया। इस फैसले को आंध्र प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन टाले जाने का फैसला कोरोना महामारी के कारण आये वित्तीय संकट के चलते लिया गया। आदेश जारी होने के बाद जल्द है प्रफंटलाइन वर्कर का वेतन बहाल किया गया। राज्य सरकार ने यह कदम अच्छे इरादे से उठाया था। ऐसे में ब्याज अदा करने का आदेश ठीक नहीं है।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने आंध्र सरकार की अपील का निपटारा करते हुए कहा कि टाले गए वेतन और पेंशन की अदायगी के आदेश में कोई गलती नहीं है। नियम कानून के मुताबिक वेतन और पेंशन पाना सरकारी कर्मचारी का अधिकार है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि ब्याज की दर 12 फीसद से घटाई जा सकती है।

कर्मचारियों के वकील का कहना था कि हाई कोर्ट ने कानून के खिलाफ काम करने पर सरकार पर 12 फीसद की दर से ब्याज लगाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों पर कहा कि ब्याज अदा करने को सरकार को दंडित किये जाने के रूप मे नहीं लिया जाना चाहिए। इस बात में कोई दोराय नहीं कि जिस सरकार ने वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी की है उसे उचित दर से ब्याज देना चाहिए। कोर्ट ने देरी से हुए भुगतान पर 6 फीसद ब्याज देने का आदेश दिया।


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महाराष्ट्र के 54वां निरंकारी सन्त समागम

महाराष्ट्र के 54वां निरंकारी सन्त समागम



‘सम्पूर्ण अवतार बाणी’/‘सम्पूर्ण हरदेव बाणी’ के पावन शब्दों द्वारा शुभारम्भ

संवाददाता

देहरादून। सत्गुरू सुदीक्षा महाराज के सानिध्य में महाराष्ट्र के 54वें तीन दिवसीय प्रादेशिक निरंकारी संत समागम का भव्य शुभारम्भ हर्षाेल्लास के साथ ‘सम्पूर्ण अवतार बाणी’ अथवा ‘सम्पूर्ण हरदेव बाणी’ के पावन शब्दों द्वारा होगा।

समागम का सीधा प्रसारण वर्चुअल माध्यम द्वारा सायं 5ः00 बजे से रात्रि 9ः00 बजे तक निरंकारी मिशन की वेबसाईट एवं संस्कार टी0वी0 चैनल पर प्रसारित किया जायेगा। जिसका आनंद विश्वभर में घर बैठे सभी श्रद्वालु भक्त एवं प्रभु प्रेमीजन ले पायेंगे। इस कार्यक्रम के अंर्तगत सत्गुरू के पावन दर्शनों के अतिरिक्त भक्ति संगीत एवं व्याख्यानों के माध्यम द्वारा संतों के ओजस्वी एवं प्रेरणादायक वचनों को श्रवण कर सकेंगे। इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण समागम की व्यवस्था वर्चुअल रूप में इस प्रकार से की गई ताकि भक्तों को ऐसी अनुभूति हो जैसे प्रत्येक वर्ष खुले प्रांगण में आयोजित समागम के पंडाल में होती थी।

इस वर्ष समागम का मुख्य विषय ‘स्थिरता’ है। मानवीय से युक्त सहज, सरल एवं सुंदर जीवन जीने के लिए इसके प्रत्येक पहलू में स्थिरता की आवश्यकता होती है। यह स्थिरता क्या है? इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है तथा इसका नवमात्र से क्या सम्बंध है? इन सभी तथ्यों पर समागम के तीनों दिन अलग-अलग विधाओं से चर्चा की जायेगी। प्रत्येक दिवस के कार्यक्रम का समापन सत्गुरू सुदीक्षा महाराज के पावन प्रवचनों द्वारा होगा।

प्रत्येक वर्ष समागम का आरंभ महाराष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ देश के अन्य प्रांतों की लोक संस्कृतियों की झलकियों के साथ, रंगारंग शोभा यात्रा द्वारा होता आया है। परंतु इस वर्ष समागम में मराठी भाषा एवं महाराष्ट्र की विभिन्न बोलियों के अतिरिक्त देश की विभिन्न भाषाओं में प्रस्तुत हो रही भक्ति रचनाएं, भजन एवं विचारों में अनेकता में एकता का यह अनूठा स्वरूप देखने को मिलेगा जिससे सभी भक्तों को सद्भाव एवं एकत्व की प्रेरणा मिलेगी।


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उपनल कर्मियों के मामले में तानाशाही के बजाय समाधान पर जोर दे सरकार: मोर्चा

उपनल कर्मियों के मामले में तानाशाही के बजाय समाधान पर जोर दे सरकार: मोर्चा   



#आंदोलित कर्मियों को सेवा समाप्ति की उपनल मुख्यालय द्वारा दी गई धमकी 

#नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन कहा है मामला    

#माफियाओं के पक्ष में आ जाते हैं रातों-रात विधेयक        

#राजभवन से मामले में हस्तक्षेप की मांग     

संंवाददाता

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों  को संबोधित करते हुए कहा कि हजारों उपनल कर्मी अपने नियमितीकरण एवं समान कार्य समान वेतन को लेकर आंदोलित हैं, लेकिन सरकार समाधान ढूंढने के बजाय उनके आंदोलन को कुचलकर इनका दमन करना चाहती है। उपनल मुख्यालय से जारी आदेश से यह साफ हो गया है, जिसमें इन आंदोलित कर्मियों की सेवा समाप्ति एवं इनके स्थान पर नई भर्ती का जिक्र किया गया है।          

नेगी ने कहा कि 12/11/ 2018 को उच्च न्यायालय ने इन कर्मियों के नियमितीकरण एवं न्यूनतम पे-स्केल  महंगाई भत्ता सहित देने एवं जीएसटी न काटने हेतु सरकार को निर्देश दिए थे, लेकिन सरकार निर्देशों के अनुपालना के बजाय उनकी राह में रोड़ा अटकाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी योजित कर दी गई , जिसके द्वारा सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 01/02 /2019 को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी।                     

नेगी ने कहा कि  सरकार को सिर्फ और सिर्फ माफियाओं की चिंता रहती है, जिनके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट तक के आदेश को दरकिनार कर  इनके पक्ष में रातों- रात  विधायक  ला देती है, लेकिन इन गरीब कर्मचारियों  के बारे में सोचने का समय सरकार के पास नहीं है। सरकार को चाहिए कि तानाशाही रवैया  छोड़ जनहित में सर्वोच्च न्यायालय में योजित एसएलपी वापस ले कर समस्या का स्थाई समाधान करे। मोर्चा राजभवन से भी मामले में हस्तक्षेप की मांग करता है। 

 पत्रकार वार्ता में मोहम्मद असद, प्रवीण शर्मा पिन्नी आदि मौजूद रहे।

दार्जिलिंग में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का समापन

 

दार्जिलिंग में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का समापन

शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ तीन दिवसीय महोत्सव का समापन  

एजेंसी
दार्जिलिंग। दार्जिलिंग के राजभवन में 11वां राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव-2021 भव्य समापन समारोह के साथ संपन्न हुआ। इस तीन दिवसीय समारोह के समापन के मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़दार्जिलिंग से सांसद और विधान सभा सदस्य समापन समारोह में उपस्थित थे।

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इस अवसर पर राज्यपाल ने दार्जिलिंग के राजभवन में पहली बार आयोजित किए गए इस शानदार कार्यक्रम के लिए संस्कृति मंत्रालय के सभी अधिकारियोंकारीगरोंकलाकारों और आयोजकों के प्रयासों की सराहना की।

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इस दौरान आयोजित प्रदर्शनों के अलावा दार्जिलिंग में लोगों ने पिछले दिनों सात आंचलिक सांस्कृतिक केंद्रों के कारीगरों द्वारा लगाए गए स्टालों को भी देखा। इस मौके पर प्रसिद्ध बाऊल गायक अनुत्तम दास बाऊल ने प्रस्तुति दी। कोनकोटी बोडो क्रिस्टी अफत द्वारा आयोजित बोडो सांस्कृतिक नृत्य एवं संयुक्त कलाकर मंच द्वारा किया गया याक नृत्य भी कुछ अन्य आकर्षण रहे। इसके अलावा सांस्कृतिक श्रेयस्कर द्वारा कोरियोग्राफ किए गए विविध कत्थकमंत्रा द्वारा फिनाले एवं नेपाली रॉक बैंड ने स्थानीय दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

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कार्यक्रम को देखने और इसका आनंद लेने वालों की भारी भीड़ रही। आगंतुकों ने शिल्प स्टालों का दौरा कियाकारीगरों से बातचीत की और कई उत्पादों की खरीदारी की। आगंतुकों ने रचनात्मक माहौल का भी आनंद लिया और सभी कलात्मक प्रतिष्ठानों के साथ तस्वीरें लीं।

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केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने दार्जिलिंग में तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन किया था। उन्होंने युवाओं के लिए संस्कृति के महत्व पर प्रकाश डाला और यह बताया कि यह किस तरह ग्रामीण क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों के युवा कलाकारों को कैसे फायदे के साथ शामिल कर सकता है।

संस्कृति मंत्रालय का प्रमुख महोत्सव राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव वर्ष 2015 से सात जोनल सांस्कृतिक केंद्रों की सक्रिय भागीदारी से मनाया जा रहा है और यह भारत की जीवंत संस्कृति को केवल ऑडिटोरियम या दर्शक दीर्घाओं तक सीमित रखने के बजाय लोगों तक पहुंचाने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। यह "एक भारत श्रेष्ठ भारत" के पोषित लक्ष्य को मजबूत करने और साथ ही कलाकारों और कारीगरों को प्रभावी रूप से अपनी आजीविका को सहारा देने के साथ साथ यह आयोजन लोक एवं जनजातीय कलानृत्यसंगीतखानपान व संस्कृति को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जा पाने में मददगार रहा है। 

इससे पहले राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव नवंबर 2015 से अब तक दिल्लीवाराणसीबेंगलुरुतवांगगुजरातकर्नाटकटिहरी और मध्य प्रदेश जैसे विभिन्न राज्यों और शहरों में आयोजित किया जा चुका है।

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

कविताः  दुख को पीठ दिखाना क्या!



- चेतन सिंह खड़का


जीवन दुख का सागर

दुख को पीठ दिखाना क्या!

एक दिन तो सच सम्मुख होगा

सच से फिर घबराना क्या!

दुख को पीठ दिखाना क्या!


सुखःदुख तो विचार मात्र है

जो जीवन भर अपने साथ है

इस दुनिया के रंगमंच में

हम ही तो जीवंत पात्र है

जीवन नाटक हम अभिनेता

अभिनय से घबराना क्या!

दुख को पीठ दिखाना क्या!


साथी पल के, जीवन पल का

पल का वंश-घराना है

रिश्ते नाते भी एक पल के

एक दिन सबको मिट जाना है

इक दिन पर्दा उठ जायेगा

पर्दो में छिपाना क्या!

दुख को पीठ दिखाना क्या!


आवाज नहीं, संवाद नहीं

बस मौन रहो विवाद नहीं

संघर्षो के हम योद्वा है

शायद हमको याद नहीं

सच्चाई को निर्भय कहना

चुपकर यों डर जाना क्या!

दुख को पीठ दिखाना क्या!


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जल्द ही यह काम नहीं किया तो बंद हो सकती है पेंशन

 जल्द ही यह काम नहीं किया तो बंद हो सकती है पेंशन



जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की आखिरी तारीख 28 फरवरी 

प0नि0ब्यूरो

देहरादून। पेंशनर्स को हर साल एक दस्तावेज संबंधित बैंक में जमा करवाना होता है, जिसे जीवन प्रमाण पत्र कहते हैं। यह प्रमाण पत्र सिर्फ पेंशनर्स के लिए ही जरूरी होता है, जो बताता है कि आप जीवित हैं। अब इस प्रमाण पत्र को जमा करने की आखिरी तारीख नजदीक आ गई है। ऐसे में यदि आप पेंशनर हैं तो इसे जल्द से जल्द बनवाकर जमा कर दें। बता दें कि जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की आखिरी तारीख 28 फरवरी है।

दरअसल पहले भी ये जीवन प्रमाण पत्र देना होता था, लेकिन इसे अक्टूबर-नवंबर के महीने में जमा करवाना होता था। हालांकि इस बार कोरोना वायरस की वजह से इसे जमा करवाने की आखिरी तारीख को आगे बढ़ा दिया गया था।

इंडिया पोस्ट पेमेंट की ओर से डोर स्टेप सर्विस डिजीटल लाइफ सर्टिफिकेट योजना शुरू की गई है। इसके लिए पोस्ट इंफो एप्लीकेशन डाउनलोड कर सूचना देनी होगी या फिर घर के नजदीक स्थित डाकघर में भी इस सर्विस के लिए अप्लाई किया जा सकता है। पोस्टमैन आधार के माध्यम से डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र जारी करेंगे, जो खुद ही पेंशन जारी करने वाले से संबंधित विभाग या बैंक में अपडेट हो जाएगा।

आईपीपीबी के माध्यम से ‘डीएलसी जमा करने के लिए डोरस्टेप सर्विस’ का लाभ लेने के लिए पेंशनभोगी ippbonline.com पर विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं। यह एक शुल्क सहित सेवा है और यह देशभर में केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों के लिए उनके पेंशन खाते विभिन्न बैंक में होने के बावजूद उनके लिए उपलब्ध होगी।

डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया बिल्कुल आसान है। आप सीएससी, बैंकों एवं सरकारी कार्यालयों की ओर से संचालित विभिन्न जीवन प्रमाण केंद्र- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है से या किसी भी कंप्यूटर, मोबाइल, टेबलेट पर उपलब्ध इसके एप्लीकेशन का प्रयोग कर अपना डिजिटल जीवन प्रमाण-पत्र प्राप्त कर सकते हैं। आप आनलाइन माध्यम से अपने नजदीकी जीवन प्रमाण केंद्र का पता कर सकते हैं और फिर प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं।

अब बैंक ने सीनियर सिटीजन के लिए डूर स्टेप बैंकिंग की शुरुआत की है। इससे जरिए आप बैंक के किसी कर्मचारी को घर पर बुला सकते हैं। बैंक कर्मचारी को घर बुलवाकर भी आप अपना जीवन प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं। इसके लिए आपको बैंक में पफोन करके या ऐप्लीकेशन के जरिए अप्लाई करना होगा, इसके बाद बैंक कर्मचारी आपके घर जाकर ये काम कर देगा।

आप सरकारी ऐप्लीकेशन के जरिए यह जीवन प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं। इसके लिए इसकी ऐप्लीकेशन डाउनलोड करनी होगी और उसके बाद इस ऐप्लीकेशन पर रजिस्ट्रेशन करना होगा। रजिस्टर होने के बाद इसके लिए अप्लाई करना होता है।


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235 करोड़ की विधायक निधि खर्च नहीं कर पाये माननीय

 235 करोड़ की विधायक निधि खर्च नहीं कर पाये माननीय



सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम को उपलब्ध सूचना सेे खुलासा

संवाददाता

काशीपुर। उत्तराखंड केे वर्तमान विधायकों को 2017 से दिसम्बर 2020 तक कुल 940.75 करोड़ रूपयेे की विधायक निधि उपलब्ध हुुई जबकि उसमें सेे दिसम्बर 2020 तक केवल 75 फीसदी 705.14 करोड़़ की विधायक निधि ही खर्च होे सकी। 25 फीसदी 223.91 करोेड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे को शेष हैै। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को ग्र्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना सेे यह मामला प्र्रकाश मेें आया हैै।

काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन नेे उत्तराखंड केे ग्र्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय सेे विधायक निधि खर्च सम्बन्धी सूचना मांगी थी। जिसके उत्तर मेें लोक सूचना अधिकारी/आयुक्त (प्र्रशासन) हरगोविंद भट्ट द्वारा पत्रांक 3108 केे साथ विधायक निधि वर्ष 2017-18 से 2020-21 का विवरण उपलब्ध कराया है। जिसमें दिसम्बर 2020 के अंत तक की विधाायक निधि खर्च का विवरण दिया गया हैै।

उपलब्ध सूूचना केे अनुुसार उत्तराखंड के 71 विधायक को 13.25 करोड़ रूपयेे प्रति विधायक की दर सेे 940.75 करोड़ रूपयेे की विधायक निधि दिसम्बर 2020 तक उपलब्ध करायी गयी। इसमें सेे जनवरी 2021 केे प्र्रारंभ मंेे रूपये 235.91 करोड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे कोे शेष हैै।  

प्रदेश के 71 विधायकों में से 9 विधायकांे की 60 फीसदी से कम विधायक निधि खर्च हुई है जबकि 2 विधयकों की केवल 40 व 44 फीसदी विधायक निधि ही खर्च हुई हैै। जबकि 90 फीसदी से अधिक विधायक निधि खर्च होने वालेे विधायकों में केवल दो विधायक शामिल हैै। 

सबसेे कम विधायक निधि 40 फीसदी खर्च वालों में विधायक मनोज रावत तथा 44 फीसदी खर्च वाले में धरचूला विधायक हरीश सिंह धामी शामिल है। जबकि सर्वाधिक 93 फीसदी खर्च वाले नामित सदस्य जीआईजी मैनन तथा 92 फीसदी खर्च वाले मंगलौर विधायक निजामुददीन शामिल हैै।

उपलब्ध विवरण के अनुसार 51 से 60 फीसदी खर्च वाले विधायकों में मीना गंगौला, चन्द्रा पंत, धनसिंह, करन मेहरा, गोविन्द सिंह कुंजवाल, महेश नेगी शामिल है। 61 से 70 फीसदी खर्च वाले विधायकों में प्रेम चन्द्र अग्रवाल, बिशन सिंह चुफाल, मुन्ना सिंह चौहान, दिलीप सिंह रावत, मदन कौशिक, महेन्द्र भट्ट, सहदेव पुंडीर, विजय सिंह पवार, मगन लाल शाह, सतपाल महाराज, पुष्कर सिंह धामी, गोपाल सिंह रावत, प्र्रीतम सिंह शामिल हैै।  

71 से 75 फीसदी खर्च वाले विधायकों में सुरेन्द्र सिंह जीना, रघुराम चौहान, दीवान सिंह बिष्ट, सुरेन्द्र सिंह नेगी, देशराज कर्णवाल, सुबोध उनियाल, हरभजन सिंह चीमा, यशपाल आर्य, रीता खंडूरी शामिल हैै। 76 से 80 फीसदी खर्च वाले विधायकों में बंशीधर भगत, राजेश शुक्ला, राजकुमार ठुुकराल, आदेश सिंह चौहान, केदार सिंह रावत, संजीव आर्य, हरक सिंह रावम, यतीशवरानन्द, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, शक्तिलाल शाह, रेखा आर्य, ममता राकेश, इन्दिरा हृदेयश, मुकेश कोली शामिल है।

81 से 85 फीसदी खर्च वाले विधायकों में प्रेम सिंह राना, रामसिंह केेड़ा, खजान दास, प्र्रदीप बतरा, सुरेश राठौैर, अरविन्द पांडेय, भरत सिंह, फुरकान अहमद, हरबंश कपूर, उमेश शर्मा, विनोद कंडारी, विनोद चमोली, संजय गुप्ता, नवीन चन्द्र दुम्का, सौैरभ बहुगुणा, प्रीतम सिंह पवार शामिल है। 86 से 90 फीसदी खर्च वाले विधायकों में कुंवर प्रणव सिंह चैैम्पियन, राजकुमार, धन सिंह नेगी, आदेश चौहान, चन्दन राम दास, बलवंत सिंह, गणेश जोशी, कैलाश गहतौैड़ी, पूरन सिंह फर्त्याल शामिल है।

उपलब्ध विवरण के अनुसार उत्तराखंड के मंत्रियों में डोईवाला विधायक मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र्र सिंह रावत की 79 फीसदी, कैबिनेट मंत्री चौैबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज की 68 फीसदी, कोटद्वार विधायक डा0 हरक सिंह रावत की 78 फीसदी, हरिद्वार विधायक मदन कौशिक की 65 फीसदी, बाजपुर विधायक यशपाल आर्य की 75 फीसदी, गदरपुर विधायक अरविन्द पाण्डेेे की 82 फीसदी, नरेन्द्र नगर विधायक सुबोेध उनियाल की 73 फीसदी तथा राज्यमंत्री सोमेश्वर विधायक रेेखा आर्य की 80 फीसदी तथा श्रीनगर विधायक डा0 धनसिंह की 56 फीसदी विधायक निधि ही दिसम्बर 2020 तक खर्च हो सकी हैै। नेता प्रतिपक्ष व हल्द्वानी विधायक श्रीमति इंदिरा हृद्येश की 80 फीसदी विधयक निधि खर्च हुई है।


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कोर्ट के आदेश पर दलित महिला की जमीन कब्जाने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

कोर्ट के आदेश पर दलित महिला की जमीन कब्जाने वालों के खिलाफ  मुकदमा दर्ज

- हर्रावाला में है अनुसूचित जाति की 65 वर्षीय बुर्जग महिला चमेली देवी की जमीन
- चमेली देवी के पुत्र विजय कुमार और चैकीदार को पीटकर किया जमीन पर अवैध कब्जा
- राजेन्द्र रावत, ज्ञान सिंह, धर्मपाल और टिम्मन के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश


संवाददाता
देहरादून। राजधानी में भूमाफियाओं और जमीन कब्जाने वालों के हौसले बुलंद है। पुलिस और एसआईटी की सख्ती का असर भी इनपर दिखाई नहीं देता है। राजनीतिक पहुंच और प्रशासन में सेटिंग-गेटिंग के कारण ये लोग कार्रवाई से बच जाते हैं। ताजा प्रकरण राजधानी देहरादून के डोईवाला विधानसभा क्षेत्र का है। डोईवाला निवासी अनुसूचित जाति की महिला चमेली देवी की हर्रावाला दिल्ली फार्म के पास पैतृक जमीन है। जिसकी देखरेख महिला व उसका पुत्र विजय कुमार करते हैं। महिला डोईवाला के ग्रामीण क्षेत्र में रहती है इसलिए जमीन की देखरेख के लिए हर्रावाला में एक व्यक्ति को रखा हुआ था। वह व्यक्ति उनकी जमीन पर सब्जियों का उत्पादन करता था। 


अनुसूचित जाति की महिला चमेली देवी की जमीन पर लंबे समय से कुछ भूमाफियों की नजर थी। जिसपर दंबगई दिखाते हुए विगत सितंबर 2020 में भूमाफियों द्वारा 65 वर्षीय चमेली देवी के पुत्र विजय कुमार और जमीन की देखरेख कर रहे व्यक्ति से मारपीट वहां से भगा दिया और जमीन पर कब्जा कर लिया। इसके बाद इस भूमि को अन्य लोगों को विक्रय कर दिया। पीड़ित ने स्थानीय पुलिस चौकी, थाने सहित एसएसपी आफिस में न्याय के लिए गुहार लगाई लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जिसके बाद पीड़ित चमेली देवी और उनके पुत्र विजय कुमार ने देहरादून न्यायालय की शरण ली। कोर्ट ने आरोपियोें के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिये हैं। 


वरिष्ठ अधिवक्ता जीसी शर्मा और विकेश सिंह नेगी ने वादी पक्ष की तरफ से कोर्ट मामले की पैरवी की। अधिवक्ताओं द्वारा पूरे मामले से कोर्ट को अवगत कराया गया और बताया गया कि किस तरह अनुसूचित जाति की महिला का उत्पीड़न किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता जीसी शर्मा ने कोर्ट को पूरे मामले की जानकारी देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति की महिला चमेली देवी की हर्रावाला दिल्ली फार्म में पैतृक ढाई बीघा जमीन है। 29 सितंबर 2020 को सुबह साढे सात बजे आवेदक अपनी मां के साथ अपने मकान की सफाई करने गया तो पता चला कि विपक्षी धर्मपाल ने आवेदक के चौकीदार को वहां से जबरन भगाकर अपना ताला लगा कर कब्जा कर लिया और जब इस संबंध में विपक्षी धर्मपाल से पूछा उसने आवेदक की मां के साथ गाली गलौच की तथा जान से मारने की धमकी देते हुए उन्हें जाति सूचक शब्दों का प्रयोग किया। जमीन पर कब्जा करने वालों में राजेन्द्र रावत निवासी मोहकमपुर और ज्ञान सिंह, धर्मपाल, टिम्मन निवासी हर्रावाला शामिल थे। 
अधिवक्ता जीसी शर्मा द्वारा न्यायालय को अवगत कराया आवेदक विजय कुमार पुत्र चमेली देवी द्वारा थाने में जमीन कब्जा करने वालों के खिलाफ लिखित तहरीर दी गई तो पुलिस ने विजय कुमार की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की। जिससे निराश विजय कुमार ने एसएसपी आफिस में भी पत्राचार किया। इस मामले में 2 अक्टूबर 2020 को वादी को चौकी हर्रावाला में बुलाकर उनसे कुछ उल्टे-सीधे सवाल पूछकर उन्हें बेईज्जत किया गया। बावजूद इसके आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं हुआ। जिसके बाद विजय कुमार को न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। 
अधिवक्ता जीसी शर्मा द्वारा बताया गया कि न्यायालय द्वारा मामले का संज्ञान लेते हुए संबधित पुलिस थाने से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी गई। जिसमें मालूम पड़ा कि संबधित थाने में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज ही नहीं हुआ है। जिसके बाद कोर्ट ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए 19 फरवरी 2021 को डोईवाला थाने को संबधित लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि प्रार्थना 3क अंतर्गत धारा 156(3) दंड प्रकिया सहिंता स्वीकार किया जाता है। परिणाम स्वरूप संबधित थाना कोतवाली डोईवाला को निर्देशित किया जाता है कि मामले में आवदेक के प्रार्थना पत्र 3क के अनुरूप सुसगंत धाराओं में मामला दर्ज कर विवेचना कर परिणाम से न्यायाल को अवगत कराएं। कोर्ट के आदेश के बाद डोईवाला पुलिस द्वारा एफआईआर संख्या 0038 के तहत अनुसूचित जाति एंव जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 सेक्सशन 3 (1) (जे) 504 और 506 धारा में मुकदमा दर्ज कर दिया है।

अल्जाइमर के उपचार के लिए खोजी संभावित दवा

अल्जाइमर के उपचार के लिए खोजी संभावित दवा 



 जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया अणु

एजेंसी

नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने एक छोटा अणु विकसित किया हैजो उस प्रक्रिया को बाधित कर सकता है जिसके माध्यम से अल्जाइमर्स बीमारी (एडीमें न्यूरॉन निष्क्रिय हो जाते हैं। यह अणु दुनिया भर में डिमेंशिया (70-80 फीसदीकी प्रमुख वजह को रोकने या उसके उपचार में काम आने वाली संभावित दवा का उम्मीदवार बन सकता है।

अल्जाइमर्स से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क मेंप्राकृतिक रूप से बनने वाले प्रोटीन के पिंड असामान्य स्तर तक जमा होकर फलक तैयार करते हैं जो न्यूरॉन्स के बीच जमा हो जाता है और कोशिका के कार्य को बाधित करता है। ऐसा ऐमिलॉयड पेप्टाइड (एबीटाके निर्माण औरजमा होने के कारण होता हैजो केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली में एकत्र हो जाता है। बहुआयामी एमिलॉयड विषाक्तता के चलते अल्जाइमर बीमारी (एडीकी बहुक्रियाशील प्रकृति नेशोधकर्ताओं को इसके प्रभावी उपचार के विकास से रोका हुआ है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआरमें प्रोफेसर टी0 गोविंदराजू की अगुआई में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नए छोटे अणुओं के समूह को तैयार और संश्लेषित किया है तथा एक प्रमुख उम्मीदवारके रूप में पहचान की हैजो एमिलॉयड बीटा (एबीटाकी विषाक्तता कम कर सकता है।

विस्तृत अध्ययनों ने टीजीआर63 नाम का यह अणुन्यूरोनल कोशिकाओं को एमिलॉयड विषाक्तता से बचाने के लिए एक प्रमुख उम्मीदवारसिद्ध किया है। आश्चर्यजनक रूप सेयह अणु कोर्टेक्स और हिप्पोकैम्पस या टेम्पोरल लोब में गहराई में मौजूद जटिल हिस्से पर एमीलॉयड के बोझ को घटाने और संज्ञानता में कमी की स्थिति पलटने में भी कारगर पाया गया था। यह शोध हाल में एडवांस्ड थेरेप्युटिक्स में प्रकाशित हुआ है।

वर्तमान में उपलब्ध उपचार सिर्फ अस्थायी राहत उपलब्ध कराता हैऔर इसकी ऐसी कोई स्वीकृत दवा नहीं है जो सीधे अल्जाइमर्स बीमारी के रोग तंत्र के उपचार में काम आती हो। इस प्रकारअल्जाइमर्स बीमारी को रोकने या उपचार के लिए एक दवा का विकास बेहद जरूरी है।

अल्जाइमर की बीमारी से प्रभावित चूहों के मस्तिष्क का जब टीजीआर63 से उपचार किया गया तो एमिलॉयड जमाव में खासी कमी देखने को मिलीजिससे इससे उपचार संबंधी प्रभाव की पुष्टि हुई है। अलग व्यवहार से जुड़े परीक्षण में चूहों में सीखने का अभावस्मृति हानि और अनुभूति घटने की स्थिति में कमी आने का पता चला है।इन प्रमुख विशेषताओं से एडी के उपचार के लिए एक भरोसेमंद दवा के उम्मीदवार के रूप में टीजीआर63 की क्षमताएं प्रमाणित हुई हैं।

एडी मरीजोंपरिवारोंदेखभाल करने वालों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और इसलिए यह वैश्विक स्तर पर बड़ी सामाजिक और आर्थिक बोझ है। जेएनसीएएसआर के दल द्वारा विकसित एक नए दवा उम्मीदवार टीजीआर63 में एडी के उपचार के लिए एक भरोसेमंद दवा बनने की संभावनाएं हैं।

रियर एडमिरल अजय कोचर ने पश्चिमी बेड़े की कमान संभाली

 

रियर एडमिरल अजय कोचर ने पश्चिमी बेड़े की कमान संभाली



एजेंसी
मुंबई। रियर एडमिरल अजय कोचरएनएम ने विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य पर एक औपचारिक समारोह में रियर एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथनएवीएसएम से फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग वेस्टर्न फ्लीट (एफओसीडब्ल्यूएफ) का पदभार ग्रहण किया।

गनरी और मिसाइल युद्धकला के विशेषज्ञ रियर एडमिरल अजय कोचर को 01 जुलाई 1988 को भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया था। 32 साल के करियर में उन्होंने विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य सहित पश्चिमी और पूर्वी दोनों समुद्र तटों पर पांच युद्धपोतों की कमान संभाली है। 

फ्लैग रैंक में पदोन्नति पर भारतीय नौसेना के लिए भारतीय एवं विदेशी शिपयार्ड दोनों समेत युद्धपोतों के निर्माण एवं अधिग्रहण से संबंधित सभी आयामों की देखरेख करने वाले असिस्टेन्ट कंट्रोलर ऑफ कैरियर प्रोजेक्ट्स एंड असिस्टेन्ट कंट्रोलर ऑफ वॉरशिप प्रोडक्शन एंड एक्वीज़िशन का प्रभार संभाला।

 

बुधवार, 24 फ़रवरी 2021

साईं इंटरनेश्नल ऐजुकेशनल ग्रुप द्वारा ‘साईं थाट लीडरशिप’ की मेजबानी

साईं इंटरनेश्नल ऐजुकेशनल ग्रुप द्वारा ‘साईं थाट लीडरशिप’ की मेजबानी



पहला अधिवेशन सुब्रतो बागची के मार्गदर्शक अभिभाषण के साथ आरम्भ हुआ 

संवाददाता

देहरादून। ‘साईं थाट लीडरशिप’ का पहला अधिवेशन सुब्रतो बागची के मार्गदर्शक अभिभाषण के साथ आरम्भ हुआ जिसमें उन्होंने उस एक्शन प्लैन पर बल दिया जिसके द्वारा किसी शैक्षिक संस्था या अन्य संस्थान का नेतृत्व आज के परिदृश्य में अघोषित तथा अचिंतनीय संकट का निर्भीक हो सामना कर सके।

भारत के अग्रदूत विद्यालयों में अन्यतम साईं इंटर नेशनल स्कूल की मेजबानी में ‘साईं थाट लीडरशिप’ जैसी चर्चा-श्रृंखला का आयोजन किया गया जिसका लक्ष्य है देश का विकास। सुब्रतो बागची चेयरमैन ओडिशा स्किल डेवलपमेंट आथोरिटी, मुख्य प्रवक्ता कोविड-19, ओडिशा सरकार, सह-संस्थापक-माइंड ट्री तथा बेस्ट सेलिंग पुस्तकों के लेखक तथा डाक्टर विजय कुमार साहू (उपदेष्टा व कार्यकारी अध्यक्ष-ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन) ओडिशा सरकार तथा संस्थापक व सलाहकार, साईं इंटरनेश्नल एजुकेशन ग्रुप ने मिलकर इसका आगाज किया।

साई थाट लीडरशिप एक शैक्षिक मंच है जहां अपने-अपने क्षेत्र के प्रसिद्व व मार्ग निर्माता व्यक्ति देश की सर्वांगीण उन्नति का लक्ष्य लेकर ज्वलंत सामाजिक विषयों पर चर्चा करते हैं। ये विज्ञ वक्ता अपने समृद्व वक्तव्य से न केवल नागरिक क्षमताओं का विकास करेंगे बल्कि जनसाधारण  की चिंतन प्रक्रिया को संचालित करते हुए समाज के लिए मार्ग-अन्वेषक तथा समस्या-निवारक बनेंगे। प्रत्येक अधिवेशन के बाद मुख्य वक्ता व डा0 विजय कुमार साहू उपदेष्टा व कार्यकारी अध्यक्ष-ओडिशा आदर्श विद्यालय संगठन ओडिशा सरकार तथा संस्थापक व सलाहकार साईं इंटरनेश्नल एजुकाशन ग्रुप के मध्य एक भावोद्दीपक वार्तालाप का आयोजन भी किया जाएगा।

‘साईं थाट लीडरशिप’  के प्रथम अधिवेशन का विषय था ‘मूविंग द माउंटेन्सः मैनेजिंग क्राइसिस’। इस विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए डाक्टर सुब्रतो बागची ने  एक्शन प्लान पर बल देते हुए कहा कि कैसे किसी शैक्षिक संस्था या अन्य संस्था का नेतृत्व वर्तमान काल के परिदृश्य में संकट से सामना कर सकेगा। सुब्रतो बागची ने  संकटकाल से निबटने के लिए एक 20 सूत्रीय रणनीति का जिक्र किया। तीन बिंदुओं पर खास तवज्जो देते हुए उन्होंने कहा कि संकट के समय किसी भी नेतृत्व को इनका परिपालन करना आवश्यक है-सावधानी व सतर्कता, तात्कालिकता तथा आशा की स्थापना।

यह पूछने पर कि संकट का सामना करते समय किसी नेतृत्व को श्रीराम की तरह विधि-पालक होना चाहिए या विधि-विरोधी, उन्होंने कहा कि यह एक ट्रिकी क्वेश्चन है लेकिन श्रीराम और श्रीकृष्ण दोनों ही ईश्वर के अवतार हैं। पुराणों में ऐसी परिस्थितियों का निर्माण सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि पाठक यह समझ सकें कि  सत्य हमेशा अंतर्विरोधों  से ही उद्घाटित होता है। यह आप पर निर्भर है कि आप  सत्य को खोजते हुए खो जाएंगे या अंतर्विरोधों का सामना करते हुए उनमें से सत्य को खोज निकालेंगे। पुराणों में इस तरह की कठिन परिस्थितियों का निर्माण इसीलिए किया गया है ताकि पाठक अपने आप से गहन प्रश्न पूछ सकें। हमें याद रखना है कि श्रीकृष्ण में श्रीराम समाहित हैं और श्रीराम में श्रीकृष्ण।

 यह पूछने पर कि एक पाठक आपकी किस पुस्तक को पहले पढ़ना चाहेगा, उन्होंने बताया कि मुझे लगता है कि जहां कापफी लोगों ने मेरी किताब ‘गो किस द वर्ल्ड’ को सराहा वहीं अनेक पाठकों ने ‘प्रोफेशनल’ की प्रशंसा की है। मैं समझता हूं कि ‘प्रोफेशनल’ आधुनिक दौर में बड़ा ही प्रासंगिक है। ‘गो किस द वर्ल्ड’ इसलिए अधिक चर्चित हुई क्योंकि यह प्रत्येक परिवार की कहानी है। जहां तक नए प्रोफेशनल्स का संबंध है, उन्हें मेरी किताब प्रोफेशनल’ को अवश्य पढ़ना चाहिए।

उड़ीसा में कोविड-19 परिचालन पर जब उनसे चर्चा की गई, उन्होंने बताया कि संकटकाल दरअसल नवोन्मेष का समय होता है, सामान्य व्यवसाय का नहीं। उन्होंने आगे बताया कि इस दौरान उड़ीसा सरकार ने कुछ अद्भुत कदम उठाए थे। पहला तो यह कि सरकार ने पेंडामिक के दौरान प्रत्येक सरपंच को कलेक्टर की क्षमता दे दी ताकि वे अपने क्षेत्र में आने वाले प्रवासी मजदूरों से उत्पन्न स्थिति से निपट सकें। दूसरा महत्वपूर्ण कार्य सरकार ने यह किया कि गांव में प्रवास से लौटने वाले मजदूरों के भोजन के लिए गांव की ही मां-बहनों को जिम्मेदारी सौंप दी। इसके लिए स्थानीय सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के कंधों पर इन बेसहारा लोगों को खिलाने का उत्तरदायित्व डाला गया।  

यह एक सार्थक कदम था। इस एहसास को साकार करने के लिए गांव की सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को आर्थिक सहायता दी गई। सरकार ने यह अनुभव किया कि यह एक ऐसा दौर है जिससे सेक्रेटेरिएट में बैठकर निपटना मुमकिन नहीं, इससे गांव तथा ग्रामीणों के स्तर पर ही निपटा जा सकेगा। प्रत्येक नेतृत्व के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा का संरक्षण हो ताकि संकटकाल का सामना किया जा सके। अपने अनुभव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हमें सामाजिक स्मृति का जागरण करना पड़ेगा ताकि भविष्य में जब भी इस प्रकार कोई संकट आए तो अपनी सामाजिक स्मृति के आधार पर हम उसका मुकाबला कर सकें। हमने उड़ीसा में आए सुपर साइक्लोन का मुकाबला साधन से नहीं बल्कि सामाजिक स्मृति से किया। अतः संकट वह समय है जिसके माध्यम से हम सामाजिक संबंध और सामाजिक स्मृति कायम कर सकते हैं।

साईं थाट लीडरशिप’ के प्रथम अधिवेशन में बोलते हुए डा0 विजय कुमार साहू ने  बागची से अनुरोध किया कि वे उड़ीसा के स्टार्टअप्स के बारे में अपना सुचिंतित मत रखते हुए राज्य के युवा उद्यमियों को उत्साहित करें ताकि वे क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकें।

भारत का अग्रणी शैक्षिक संस्थान होने के नाते साईं इंटरनेशनल एजुकेशन ग्रुप चाहता है कि शिक्षा को अधिक प्रासंगिक बनाते हुए राज्य के शिक्षकों, अभिभावकों तथा छात्रों को साथ लेकर प्रांत के शिक्षा-क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सके इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधार पर ही ‘साईं थाट लीडरशिप’ का उदय हुआ, इस उद्देश्य के साथ कि प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों के नेतृत्व को अनुप्राणित किया जा सके जो समय के तकाजे पर खरे उतरे हैं और जो उच्च समभाव-संपन्न है। साईं थाट लीडरशिप’ एक बेहतरीन मौका है जब इसके मंच से समाज के प्रमुख आधार स्तंभ माने जाने वाले मुख्य वक्ता गण समाज को कुछ देने तथा समाज के साथ अपनी एकात्मता के जज्बे को बयान करते हुए श्रोताओं तथा दर्शकों को समृद्व कर सकेंगे।


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माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

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