शनिवार, 31 जुलाई 2021

सूखी और बलगम वाली खांसी में अंतर और उपचार

 सूखी और बलगम वाली खांसी में अंतर और उपचार

बदलते मौसम के साथ अक्सर हम खांसी का शिकार हो जाते हैं



प0नि0डेस्क

देहरादून। खांसी की समस्या आमतौर पर किसी को भी हो जाती है। यह मौसम में बदलाव की वजह से हो सकती है या किसी तरह की खाने पीने की चीजों की वजह से भी हो जाती है। खांसी दो तरह की होती हैं, जिनके उपचार का तरीका भी एक दूसरे से अलग है। लेकिन लोग सुखी खांसी और बलगम वाली खांसी के लिए एक से उपाय या उपचार के तरीके आजमाते हैं, जिन्हें अपनाने से स्थिति आसानी से काबू में नहीं आती।

आखिर किस तरह सुखी खांसी और बलगम वाली खांसी का उपचार किया जाता हैं। इसके अलावा इन दोनों ही खांसी की वजह क्या है और यह दोनों कैसे एक दूसरे से अलग हैं। सूखी खांसी की मुख्य वजह ब्रोन काइटिस में एलर्जी हो सकती है। इसके अलावा बहुत से लोगों को एसिडिटी और अस्थमा की वजह से भी सूखी खांसी की समस्या हो सकती है। सूखी खांसी के दौरान गले में दर्द रह सकता है। ऐसे में यदि कोई अस्थमा के मरीज हैं तो थोड़ा सावधानी बरतने की जरूरत है।

सूखी खांसी से राहत पाने के लिए कुछ चीजों से दूरी बनानी होगी। वहीं कुछ चीजों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा। तभी सूखी खांसी से राहत पायी जा सकती हैं। इसके लिए यह देखें कि किस चीज से एलर्जी है। अधिक ठंडी चीजों का सेवन करना बंद कर दें। इससे खांसी में आराम मिलेगा।

सूखी खांसी से छुटकारा पाने के लिए पानी अधिक पिएं। मसालेदार खाने पीने की चीजें और चाय काफी का सेवन कम कर दें। अगर खांसी कुछ दिनों के भीतर ठीक ना हो तो बिना वक्त गवाएं डाक्टर से संपर्क करें और चेस्ट स्कैन कराएं और खांसी की मुख्य वजह का पता लगायें।

अगर गीली खांसी है तो यह भी किसी तरह की एलर्जी का कारण हो सकती है। लेकिन ऐसे में खांसी की वजह महज एलर्जी है या कोई गंभीर समस्या है। यह खांसी में निकलने वाले बलगम को देख कर समझ सकते हैं। अगर बलगम सफेद रंग का है तो यह एक साधारण एलर्जी हो सकती है। वहीं अगर बलगम का रंग पीला, हरा है या बलगम में खून दिखाई दे रहा है तो यह गंभीर स्थिति की ओर इशारा हो सकता है।

अगर लंबे समय तक गीली या बलगम वाली खांसी दिखाई दे तो बिना समय खराब किए डाक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा अपनी चेस्ट का एक्सरे या सीटी स्कैन कराएं। बता दें कि गीली खांसी के दौरान बलगम में खून आने की समस्या कैंसर के मरीजों में भी देखने को मिलती हैं। इसलिए गीली खांसी का समय पर उपचार जरूर कराएं।


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हरदा के आवास में कै0 रावत के नेतृत्व में की उनसे मुलाकात

 कांग्रेसी पूर्व सैनिकों ने हरदा को जीत की अग्रिम बधाई दी



हरदा के आवास में कै0 रावत के नेतृत्व में की उनसे मुलाकात

संवाददाता

देहरादून। पूर्व सैनिकों ने पूर्व सीएम हरीश रावत के आवास पर उनसे मुलाकात की और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की जीत की अग्रिम बधाई दी। इस अवसर पर कैप्टन बलबीर सिंह रावत ने हरीश रावत को उनके मुख्यमंत्रीत्व काल में प्रदेश के पूर्व सैनिकों व अर्धसैनिक बलों के जवानों के सम्मान में चाय की चुस्की के साथ चर्चा कार्यक्रम निर्धारित करने की याद दिलाते हुए धन्यवाद अदा किया।

कैप्टन बलवीर सिंह रावत ने कहा कि पृथक राज्य गठन से लेकर आज तक अगर प्रदेश के पूर्व सैनिक व अर्धसैनिक बलों को किसी मुख्यमंत्री ने मान सम्मान दिया है तो वह है सिर्फ और सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत है। उन्होंने अपने कार्यकाल में पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों की समस्याओं के तुरंत निस्तारण व समाधान के लिए अपनी सरकार में 5 पूर्व सैनिकों को उपाध्यक्ष पद से नवाजा। 

पूर्व सैनिकों से मुलाकात के दौरान हरीश रावत ने कहा कि वे हमेशा ही अपने प्रदेश के चहुंुमुखी विकास और जनमानस की खुशहाली और अमन चैन का पक्षधर रहे है। वे आखिरी दम तक ईमानदारी से गहरी निष्ठा के साथ अपने प्रदेशवासियों की सेवा के दायित्व का निर्वहन कर निरंतर अपनी कसौटी पर खरा उतरने के लिए प्रयासरत रहेंगे। 

इस अवसर पर कर्नल मोहन सिंह रावत, कर्नल एसपी शर्मा, मेजर हरि सिंह चौधरी, सीएचएम चंद्र मोहन भट्ट, सूबेदार मेजर सुदर्शन सिंह, हवलदार बलवीर सिंह पंवार और सुबेदार मेजर नारायण सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।


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कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की मांगों पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श

 ऊर्जा मंत्री द्वारा विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के साथ बैठक 



कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की मांगों पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श 

संवाददाता

देहरादून। ऊर्जा मंत्री डा0 हरक सिंह रावत द्वारा यूजेवीएन लि0 मुख्यालय उज्ज्वल में ऊर्जा के तीनों निगमों के प्रबंधन एवं उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों के साथ बैठक की गई। बैठक में उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की मांगों पर विस्तृत रूप से विचार विमर्श किया गया तथा प्रबंधन एवं कार्मिकों के पक्षों को विस्तार से सुना गया। 

कार्मिकों द्वारा अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में तर्क रखे गए। ऊर्जा मंत्री डा0 हरक सिंह रावत द्वारा निगमों के प्रबंधन को निर्देश दिए गए कि कार्मिकों के निगम स्तर के प्रकरणों पर ससमय सकारात्मक रूप से कार्यवाही की जाए। बैठक के उपरांत ऊर्जा मंत्री द्वारा यूजेवीएन लिमिटेड की परिचालन के अंतर्गत एवं निर्माणाधीन एवं विकासाधीन परियोजनाओं की समीक्षा भी की गई।

बैठक में यूपीसीएल एवं पिटकुल के प्रबंध निदेशक दीपक रावत, यूजेवीएन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक संदीप सिंघल तथा तीनों निगमों के वित्त एवं मानव संसाधन निदेशकों के साथ ही उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की ओर से इंसारुल हक, अमित रंजन, जे0सी0 पंत, वाई0एस0 तोमर, अनिल मिश्रा, संदीप शर्मा, सौरभ पांडे, पंकज सैनी, विनोद कवि आदि मौजूद रहे।


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शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

हिस्ट्रीशीटर मेहरबान सहित तीन पर गैंगस्टर की कार्यवाही

 हिस्ट्रीशीटर मेहरबान सहित तीन पर गैंगस्टर की कार्यवाही



पटेल नगर थाना क्षेत्र में गैंग बनाकर कर रहे थे जमीनों पर अवैध कब्जा
पहले भी रह चुके है जिला बदर, अपराधिक घटनाओं को दे रहे थे अंजाम
संवाददाता
देहरादून। गैंग बनाकर अवैध रूप से जमीनों पर कब्जा करने, मारपीट ओर अन्य अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले पटेल नगर थाना क्षेत्र के तीन लोगों पर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई की है। हरभजवाला, मेहुंवाला निवासी तीन लोगों पर पुलिस ने गैंगस्टर की कार्रवाई करते हुए शुक्रवार को कोट में पेश किया जहा से उन्हे जेल भेज दिया गया है। 
अपराध एवं अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए प्रदेश के डीजीपी अशोक कुमार ने पूर्व में आदेश जारी किए थे कि प्रदेश में अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों पर शिकंजा कसा जाए और उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाए। जिसके चलते पटेल नगर थाना अध्यक्ष प्रदीप कुमार राणा ने पटेल नगर थाना क्षेत्र के उन लोगों पर शिकंजा कसने के लिए कानूनी कार्यवाही शुरू कर दिया है, जिन्होंने गैर कानूनी तरीके से लोगों की जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा एवं अन्य अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। 
पटेल नगर पुलिस के अनुसार पटेल नगर थाना क्षेत्र के हरभजवाला मेहुंवाला निवासी मेहरबान अली पुत्र नवाबुद्दीन व जैनुल सहित कुर्बान पर गैंगस्टर की कार्यवाही की गई है। जिसके चलते पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया है। बताया गया है कि मेहरबान अली पूर्व से ही क्षेत्र में लोगों की जमीनों पर अवैध कब्जे करने ओर मारपीट सहित अन्य हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम देने में जुटा रहा है। क्षेत्र में गैंग बनाकर लोगों की जमीनों पर कब्जा करने वाले मेहरबान अली सहित कई लोगों को पटेल नगर थाना अध्यक्ष प्रदीप कुमार राणा ने धर दबोचा। उनके विरुद्ध गैंगस्टर की कार्यवाही के चलते शुक्रवार को जेल भेजा। 
पटेल नगर क्षेत्राधिकारी अनुज कुमार का कहना है कि क्षेत्र में अपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले अपराधी किस्म के लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। जल्द ही अन्य लोगों के विरुद्ध भी कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। बताया गया है कि पुलिस गिरफ्त में आया मेहरबान अली पटेलनगर थाने का हिस्ट्रीशीटर है। पूर्व में भी वह 6 माह के लिये जिला बदर रह चुका है। अनगिनत अपराधों को अंजाम देने वाला मेहरबान अली आखिरकार पुलिस के शिकंजे में आ ही गया। वहीं पुलिस उसके अन्य साथियों की भी तलाश में जुटी है।

कर्ज के बोझ तले कराहते प्रदेश को विज्ञापनों की फिजूलखर्ची से बचाओ: मोर्चा

 कर्ज के बोझ तले कराहते प्रदेश को विज्ञापनों की फिजूलखर्ची से बचाओ: मोर्चा       



# अब तक 45 हजार करोड़ का बाजारू कर्ज हो गया है प्रदेश पर   
# मार्च 2022 तक 53,560 करोड़ होने की आशंका      # गत वर्ष लिया गया 6200 करोड़ का बाजारु कर्ज़      # इस वित्तीय वर्ष में भी सरकार ले चुकी 1200 करोड़ का कर्ज                
# कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए जा रहा है कर्ज            संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि हमारे गरीब प्रदेश पर आज की तारीख में 45,260 करोड़ का बाजारू कर्ज हो गया है, जिसका ब्याज चुकाना सरकार के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है, जोकि मार्च 2022 तक बढ़कर 53,560 करोड़ होने की आशंका है। अन्य हजारों करोड़ के कर्ज भी मुंह बाए खड़े हैं। यहां तक कि सरकार को कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। 
सरकार द्वारा वर्ष 2020-21में 6200 करोड़ कर्ज लिया गया तथा इस वित्तीय वर्ष में आज की तारीख तक 1200 करोड़ कर्ज और ले लिया गया। सरकार द्वारा इन कर्ज के पैसों से  विज्ञापनों पर पैसा पानी की तरह बहा जा रहा है, जोकि सरकार की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। मोर्चा सरकार से मांग करता है की विज्ञापनों पर करोड़ों रुपया खर्च करने के बजाय धरातल पर काम करें, जोकि जनता को खुद-ब-खुद दिख जाएगा। 
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार व विजय राम शर्मा मौजूद थे।

जनता की भावनाओं से कब तक खेलेंगे आलाकमान!

 चाहें कोई भी दल हो, बदलाव के नाम पर राज्यों के जनमत से कर रहे खिलवाड़

जनता की भावनाओं से कब तक खेलेंगे आलाकमान!



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। हाल के दिनों में देश के कई प्रदेशों में देखने को मिला कि वहां की सरकारों को उनके पार्टी के आलाकमानों ने बदल दिया। जहां ऐसा नहीं किया गया वहां पर पार्टी के संगठनात्मक ढ़ांचे में फेरबदल हो गई। मसलन उत्तराखंड़, पंजाब जैसे राज्य और कुछ और भी प्रदेश है जहां पर ऐसा बदलाव संभावित है। हालांकि इस काम में राजनीतिक दल आपस में होड़ करते नजर आते है। खासकर भाजपा और कांग्रेस में तो जैसे प्रतिस्पर्धा ही चल रही है। कोई मुख्यमंत्री बदल रहा है तो कोई पार्टी का प्रदेश में मुखिया। लेकिन हर ऐसी जगह से बगावती बू आ रही है।

दरअसल दल कोई सा भी हो, हर कोई बदलाव के नाम पर राज्यों के जनमत से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, इन राजनीतिक दलों में बदलाव की जद्दोजहद चल रही है। आगामी चुनाव में जीत का दबाव इतना ज्यादा है कि यह पार्टियां हर टोटके या उपाय आजमाने को तैयार है। इनको लगता है कि चेहरा बदल देने से जनता भूल जायेगी और यह दोबारा सत्ता को हासिल करने में कामयाब हो जायेंगे। 

अपनी जीत के लिए हर जतन करने को तैयार है। बदलाव की बयार बहाने को तैयार है। यानि हर किसी को बदल देंगे लेकिन क्या खुद को बदलने की इच्छा का दम है! कभी आपने सुना कि आलाकमान को बदल दिया गया? लेकिन प्रदेशों के मुखिया इतनी सहजता से बदले जा रहें है कि सवाल खड़े हो जाते है। जब इन्हें राज्यों का मुखिया बनाया जा रहा था तो क्यों नहीं सोचा गया कि इनके पास प्रशासनिक क्षमता नहीं है। यह राज्य के विधयकों को साध नहीं सकते। 

दिक्कत यही है कि किसी नेता की काबलियत को नापने का पैमाना आलाकमान के पास नहीं है। इसलिए जब तक बरतो नहीं, पता नहीं चलता कि कौन कितना काबिल है। हालांकि इस कमी को छिपाने की पूरजोर कोशिश होती है लेकिन जब जरूरत से ज्यादा भद पिट जाती है तो मजबूरन बदलाव की प्रक्रिया को परवान चढ़ाना पड़ता है। लेकिन यदि सामने वाला बन्दा अड़ गया तो परेशानी खड़ी हो जाती है। जैसे येदुरप्पा को ले लीजिए या फिर कैप्टन अमरिन्दर के मामले को देख लीजिए। जब उत्तराखंड़ जैसे राज्य के डमी सीएम को हटाने के वास्ते कई दिनों की मशकक्त हो गई तो बाकी तो दमदार थे। क्यों न पसीने छूटते आलाकमान के!

पसीने छूटे लेकिन आपने जो करना था, वह पूरा किया। लेकिन ऐसे में यह सवाल तो आलाकमान से जरूर किया जायेगा कि जनता की भावनाओं से कब तक खेलोगे आलाकमान? बदलाव के नाम पर जब चाहा तक राज्य में राजनीतिक अस्थिरता फैलाना बंद किया जाना चाहिये। इसके लिए जरूरी है कि आलाकमान खुद को पहचाने और अपने नेताओं की काबलियत को आजमाए ताकि उसे नेतृत्व प्रदान करने के बाद पछताना न पड़े कि बन्दा तो काबिल न था। जैसा कि आजकल देखने को मिल रहा है। यह समाधन मिल गया तो समस्या से निजात जरूर मिल जायेगी।


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जासूसी के नाम पर बेवजह का हल्ला

 जासूसी के नाम पर बेवजह का हल्ला



प0नि0ब्यूरो

देहरादून। देश की संसद में मानूसन सत्र चल रहा है लेकिन विपक्ष पेगासस जासूसी के नाम पर संसद में काम ठप किए है। बेवजह का शोर शराबा हो रहा है और आरोप-प्रत्यारोपों की बाढ़ सी आ गई है। वो भी एमनेस्टी इंडिया संस्था की रिपोर्ट के आधर पर, जो पहले से भारत विरोधी दुष्प्रचार करने में बदनाम रहा है। इसी संस्था ने सर्वप्रथम अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया कि भारत में पेगासस के जरिए महत्वपूर्ण लोगों के फोन पर नजर रखी गई। इसके बाद बवाल मच गया। विपक्ष ने आसमान सिर पर उठा लिया जैसे कयामत आ गई हो। जबकि हकीकत यह है कि राजकाज करने के लिए साम, दण्ड़, भेद आदि नीतियों पर चलना होता है। इसके लिए कई ऐसे काम भी किए जाते है, जिनपर विश्वास नही किया जा सकता।    

फोन टेप करना एक बहुत ही आम तरह की जासूसी है। यह स्वाभाविक भी है इसलिए इसपर हाय तौबा मचाना शोभा नहीं देता, खासकर उस पार्टी पर तो कतई नहीं जिसने साठ सालों से ज्यादा देश पर राज किया हो। और उसके शासनकाल में जाने कैसे कैसे काले काननू बनाकर विरोधियों को कुचलने की परम्परा रही हो। आज के दौर में आप राजनीति करते है और उम्मीद करें कि आपकी जासूसी नही होगी तो निश्चित तौर पर आप या तो अनाड़ी है या फिर लोगों की भावनाओं से खेल रहें है। ऐसे में कांग्रेस जैसी पार्टी को अनाड़ी तो नहीं कहा जा सकता। तो संसद में बेवजह का शोर शराबा करना और काम ठप करना अवश्य ही निंदनीय कहा जायेगा।

खासकर उस संस्थान की रिपोर्ट को आधर बनाकर, जिसका पुराना रिकार्ड देश की छवि को ध्ूमिल करने का रहा हो। इस बीच ऐसी खबर भी आयी है कि किसी विदेशी मीडिया के समक्ष वहीं संस्था इसका खंड़न करती है कि उसने ऐसा ब्लेम नहीं किया है। बल्कि अब वह ऐसा कह रही है कि जिन नामों की उसने सूची जारी की है, वे संभावित है जिनकी फोन की टैपिंग की गई हो। इन सबको देखते हुए कहा जा सकता है कि विपक्ष किसी शातिर की तरह देश की छवि को खराब करके पेश कर रहा है हालांकि उसकी मंशा केवल मोदी को बदनाम करने की है। ऐसे में देश विरोध् और मोदी विरोध में अंतर को पाट देना अशोभनीय है। विपक्ष को चाहिये कि वह लोगों को गुमराह न करे और स्वयं भी मुद्दे से न भटक कर कर्तव्य पालन करे।


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वेतनभोगियों के स्वयं रिटर्न फाइल करने में सहायक होगी नदीम की पुस्तक

 आयकर की नयी जानकारी के साथ नदीम की पुस्तक ‘वेतन भोगियों के लिये आयकर’ प्रकाशित

वेतनभोगियों के स्वयं रिटर्न फाइल करने में सहायक होगी नदीम की पुस्तक 



संवाददाता

काशीपुर। आयकर की कम दरों वाली वैकल्पिक टैक्स व्यवस्था सहित आयकर की नयी जानकारियों के साथ नदीम उद्दीन द्वारा लिखित पुस्तक ‘वेतनभोगियों केे लिये आयकर’ का जुलाई 2021 संस्करण प्रकाशित हो गया हैै। यह पुस्तक अमेजॉन पर भी उपलब्ध है। यह पुस्तक नये प्रावधनों की जानकारी के साथ वेतनभोगी कर्मचारी अधिकारियों के स्वयं आयकर रिटर्न फाइल करने में सहायक होगी। 

44 कानूनी व जागरूकता पुस्तकों के लेखक नदीम उद्दीन ने ‘वेतनभोगियों के लिए आयकर’ पुस्तक का जुलाई 2021 संशोध्ति संस्करण जारी करते हुये बताया कि इस पुस्तक में 2021 के नये बजट से हुये संशोधन को शामिल करते हुये आयकर कानून की सरल हिन्दी में जानकारी देने के साथ-साथ जुलाई 2021 से आयकर के नये पोर्टल पर रिटर्न फाइल करने की भी जानकारी दी गयी है। 

नदीम ने बताया कि वेतनभोगी कर्मचारी अधिकारी नयी कम दरों वाली वैैकल्पिक आयकर व्यवस्था का विकल्प भी इस वर्ष रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 30 सितम्बर तक रिटर्न भरने के साथ ले सकते है जबकि व्यापारी आदि यह विकल्प एक बार ही रिटर्न फाइल करने की तिथि तक ही ले सकते है। पुस्तक में वैैकल्पिक व्यवस्था किसके लिये लाभदायक होगी इसकी भी जानकारी दी गयी। साथ ही सामान्य कर व्यवस्था में कानूनी तरीके से कैसे 11,35,000 की आय तक पर टैक्स दायित्व शून्य किया जा सकता है, इसकी जानकारी भी दी गयी है।

नदीम ने बताया कि इस वर्ष एक लाख से अध्कि बिजली के भुगतान या दो लाख से अधिक के विदेश यात्रा पर खर्च या सालभर में एक करोड़ करेन्ट एकाउन्ट में जमा करने वालों को भी रिटर्न भरना होगा, चाहे उनकी सारी आय कर मुक्त हो या आयकर की मौलिक छूट सीमा से भी कम हो। इसकी जानकारी भी पुस्तक में दी गयी।  

नदीम द्वारा लिखित युगनिर्माता पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में 16 अध्याय हैै जिसमें आयकर की दरें, आयकर देना क्यांे आवश्यक हैै, आयकर के सम्बन्ध् में प्रारम्भिक जानकारी, आय में दी जाने वाली छूट, आय में से घटने वाली कटौैतियां, आयकर में राहत, आयकर की वैैकल्पिक व्यवस्था, स्त्रोत पर कर कटौती व अग्रिम आयकर, आयकर रिटर्न फाइलिंग व करनिर्धारण, आयकर सम्मन, सर्वे व जब्ती, आयकर के अन्तर्गत पैैनल्टी व सजायें, अपील व पुनरीक्षण, टैक्स प्लानिंग व कर की बचत, भ्रष्टाचार नियंत्रण व आयकर, आयकर में सूचना अधिकार प्रयोग, वेतनभोगी रिटर्न कैसे फाइल करें अध्याय शामिल हैं।

नदीम की अब तक विभिन्न विषयों पर 44 कानूनी व जागरूकता पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैै जिसमें आयकर, जीएसटी, सूचना अधिकार, मानवाधिकार, फौजदारी कानून, उपभोक्ता, नगर निगम व नगर पालिका चुनाव, भ्रष्टाचार तथा एनआरसी व नागरिकता कानून तथा जनसंख्या विषयों पर पुस्तकंें शामिल है। इनकी 20 से अधिक लोेकप्रिय पुस्तकें अमेजॉन के माध्यम से भी देश भर के लोगों के लिये उपलब्ध हैं।


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बुधवार, 28 जुलाई 2021

सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों का बेसिक पे बढ़ाने से इनकार किया

 सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों का बेसिक पे बढ़ाने से इनकार किया



राज्य सभा में वित्त राज्य मंत्री ने सरकार की तरफ से इसकी जानकारी दी

एजेंसी

नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों को 1 जुलाई से 28 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने के ऐलान के बाद केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को एक झटका भी दिया है। सरकार ने साफ किया है कि केंद्रीय कर्मचारियों की मासिक बेसिक सैलरी बढ़ाने पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। राज्य सभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक सवाल के लिखित जवाब में बताया है कि केंद्र ऐसी किसी भी योजना पर कोई विचार नहीं कर रही है। 

उन्होंने कहा कि 2.57 का फिटमेंट फैक्टर सभी कैटेगरी के कर्मचारियों के लिए समान रूप से केवल 7वें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर रिवाइज्ड पे स्ट्रक्चर में वेतन निर्धारण के उद्देश्य से लागू किया गया था। वित्त राज्य मंत्री संसद में एक सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें पूछा गया था कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर फिटमेंट फैक्टर के अनुसार महंगाई भत्ता और महंगाई राहत की बहाली के बाद क्या केंद्र सरकार अब कर्मचारियों का मंथली बेसिक पे बढ़ाने पर विचार कर रही है। 

बता दें कि केंद्रीय कर्मचारियों को फिलहाल 17 प्रतिशत डीए मिल रहा है लेकिन 1 जुलाई से इसे बढ़ाकर 28 प्रतिशत किया जा चुका है। सितंबर महीने की सैलरी में ये महंगाई भत्ता आएगा। जनवरी 2020 में डीए 4 प्रतिशत बढ़ा था, फिर जून 2020 में 3 प्रतिशत बढ़ा और जनवरी 2021 में यह 4 प्रतिशत बढ़ा है। अब इन तीनों किस्तों का भुगतान होना है लेकिन कर्मचारियों को अभी जून 2021 के महंगाई भत्ते के डाटा का भी इंतजार है। यह डाटा जल्द जारी किया जा सकता है। एआईसीपीआई के आंकड़ों की मानें तो 7वें वेतनमान के तहत जून 2021 में महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत का इजाफा होने जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो कुल डीए बढ़कर 31 फीसदी पहुंच जाएगा। 31 प्रतिशत का भुगतान सितंबर की सैलरी के साथ होगा।

इतना ही नहीं सरकार ने महंगाई भत्ता बढ़ाने के साथ केंद्रीय कर्मचारियों के हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) में भी बढ़ोतरी करने का आदेश दिया है। बता दें कि नियमों के मुताबिक एचआरए इसलिए बढ़ाया गया है क्योंकि महंगाई भत्ता 25 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है। इसलिए केंद्र सरकार ने हाउस रेंट अलाउंस को भी बढ़ाकर 27 प्रतिशत तक कर दिया है। दरअसल डिपार्टमेंट आफ एक्सपेंडिचर ने 7 जुलाई 2017 को एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि जब महंगाई भत्ता 25 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा तो एचआरए को रिवाइज किया जाएगा। 1 जुलाई से डियरनेस अलाउंस बढ़कर 28 प्रतिशत हो चुका है, इसलिए एचआरए को भी रिवाइज करना जरूरी है।


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महाधिवक्ता के होते विशेष अधिवक्ता से खनन कारोबारियों की पैरवी क्यों: मोर्चा

 महाधिवक्ता  के होते विशेष अधिवक्ता से खनन कारोबारियों की पैरवी क्यों: मोर्चा      


 
                 

# महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की फौज नाकाबिल है या खनन कारोबारी की चिंता सता रही सरकार को          
# लाखों-करोड़ों रुपया बहाया जा रहा सरकारी अमले पर             
# मोर्चा द्वारा सरकार पर चाबुक चलाने के उपरांत  सॉलिसिटर जनरल से नहीं करवाई गई पैरवी                  
संवाददाता          
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय नैनीताल में योजित खनन कारोबार से जुड़ी दो जनहित याचिकाएं 104/2019 व 212/2019, जिसके द्वारा  स्टोन क्रेशर/स्क्रीनिंग प्लांट पॉलिसी को चुनौती दी गई है तथा इस मामले में सुनवाई हेतु 22/07/2021 की तिथि नियत थी, जिसमें सरकार द्वारा सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को विशेष तौर पर पैरवी हेतु आबद्ध (एंगेज) किया गया था। उक्त पैरवी कराए जाने को लेकर मोर्चा द्वारा सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया था, जिसका असर ये हुआ कि सरकार द्वारा सॉलिसिटर जनरल की जगह प्रदेश के ही वरिष्ठ अधिवक्ता एएस रावत को विशेष अधिवक्ता नियुक्त कर पैरवी करवानी पड़ी, कारण चाहे जो भी रहे हों। यहां सबसे बड़ा सवाल  है कि सरकार द्वारा महाधिवक्ता व उनकी टीम पर लाखों- करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है, बावजूद इसके बाहर के विशेष अधिवक्ताओं को पैरवी हेतु एंगेज किया जा रहा है, जोकि सरकार की मंशा के साथ-साथ महाधिवक्ता व उनकी टीम की काबिलियत पर भी प्रश्न चिन्ह लगाती है। प्रकरण यह है कि जनपद हरिद्वार, उधम सिंह नगर व नैनीताल के लगभग 300 से अधिक स्क्रीनिंग प्लांट्स/स्टोन क्रशर को स्कूल, अस्पताल, आवासीय तथा धार्मिक क्षेत्र इत्यादि स्थानों से 300 मीटर दूर रखने एवं  पर्यावरण संरक्षण किए जाने से संबंधित है।   
नेगी ने कहा कि सरकार की छटपटाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उक्त याचिकाओं में पैरवी हेतु सरकार द्वारा पूर्व में प्रदेश के महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की टीम को दरकिनार कर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को विशेष रुप से आबद्ध किया गया है था।                                     
मोर्चा सरकार से मांग करता है कि न्यायालय में खनन/शराब व अन्य मामलों में  पैरवी हेतु नियुक्त किए गए विशेष अधिवक्ताओं पर खर्च की गई धनराशि के मामले में श्वेत पत्र जारी करे।

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धरती पर एक खास मुद्रा में लेटे है वास्तु पुरूष

 धरती पर एक खास मुद्रा में लेटे है वास्तु पुरूष

कम उम्र के बच्चों को इन चीजों का सेवन कराने से होगा उनका दिमाग तेज



प0नि0डेस्क

देहरादून। वास्तु पुरुष की कल्पना भूखंड में एक ऐसे औंधे मुंह पड़े पुरुष के रूप में की जाती है जिसमें उनका मुंह ईशान कोण व पैर नैऋत्य कोण की ओर होते हैं। उनकी भुजाएं व कंधे वायव्य कोण व अग्निकोण की ओर मुड़ी हुई रहती हैं।

मत्स्य पुराण के अनुसार वास्तु पुरुष की एक कथा है। देवताओं और असुरों का युद्व हो रहा था। इस युद्व में असुरों की ओर से अंधकासुर और देवताओं की ओर से भगवान शिव युद्व कर रहे थे। युद्व में दोनों के पसीने की कुछ बूंदें जब भूमि पर गिरीं तो एक अत्यंत बलशाली और विराट पुरुष की उत्पत्ति हुई। उस विराट पुरुष ने पूरी धरती को ढंक लिया।

उस विराट पुरुष से देवता और असुर दोनों ही भयभीत हो गए। देवताओं को लगा कि यह असुरों की ओर से कोई पुरुष है जबकि असुरों को लगा कि यह देवताओं की तरफ से कोई नया देवता प्रकट हो गया है। इस विस्मय के कारण युद्व थम गया और उसके बारे में जानने के लिए देवता और असुर दोनों उस विराट पुरुष को पकड़कर ब्रह्मा जी के पास ले गए।

उसे उन लोगों ने इसलिए पकड़ा कि उसे खुद ज्ञान नहीं था कि वह कौन है, क्योंकि वह अचानक उत्पन्न हुआ था। उस विराट पुरुष ने उनके पकड़ने का विरोध भी नहीं किया। फिर ब्रह्मलोक में ब्रह्मदेव के सामने पहुंचने पर उन लोगों नें ब्रह्मदेव से उस विराट पुरुष के बारे में बताने का आग्रह किया।

ब्रह्मा जी ने उस वृहदाकार पुरुष के बारे में कहा कि भगवान शिव और अंधकासुर के युद्व के दौरान उनके शरीर से गिरे पसीने की बूंदों से इस विराट पुरुष का जन्म हुआ है इसलिए आप लोग इसे धरतीपुत्र भी कह सकते हैं।

ब्रह्मदेव ने उस विराट पुरुष को संबोधित कर उसे अपना मानस पुत्र होने की संज्ञा दी और उसका नामकरण करते हुए कहा कि आज से तुम्हें संसार में वास्तु पुरुष के नाम से जाना जाएगा और तुम्हें संसार के कल्याण के लिए धरती में समाहित होना पड़ेगा अर्थात धरती के अंदर वास करना होगा।

ब्रह्मदेव ने कहा कि मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि जो भी कोई व्यक्ति धरती के किसी भी भू-भाग पर कोई भी मकान, तालाब या मंदिर आदि का निर्माण कार्य करते समय वास्तु पुरुष को ध्यान में रखकर करेगा तो उसको सपफलता और हर कार्य में सिद्वि मिलेगी और जो कोई बिना तुम्हारा पूजन करे निर्माण कार्य करेगा, तो उसे तकलीपफें और जीवन में अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।

ऐसा सुनकर वह वास्तु पुरुष धरती पर आया और ब्रह्मदेव के निर्देशानुसार एक विशेष मुद्रा में धरती पर बैठ गया जिससे उसकी पीठ नैऋत्य कोण व मुख ईशान कोण में था। इसके उपरांत वह अपने दोनों हाथों को जोड़कर पिता ब्रह्मदेव व धरती माता को नमस्कार करते हुए औंधे मुंह धरती में समाने लगा।


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सावन के महीने में पहनी जाती हैं हरी चूड़ियां

 इस महीने में हरे रंग की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ जाती है

सावन के महीने में पहनी जाती हैं हरी चूड़ियां



प0नि0डेस्क

देहरादून। सावन भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। यह महीना आयोजनों, अनुष्ठानों और भजन पूजन के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। इस महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसे श्रावण माह के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की आराधना कई तरह से की जाती है। कोई सावन के सोमवार का व्रत रखता है तो कोई 16 सोमवार और शिव तत्त्व में रम जाता है। 

गौर हो कि सावन के महीने में ज्यादातर महिलाएं और कुंवारी लड़कियां भगवान शिव की पूजा करती हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव की आराधना करने ने उनको मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। बता दें कि सावन के महीने में चूड़ियों की बिक्री बढ़ जाती है। खासतौर से इस महीने में हरे रंग की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन क्या आप जानते है कि सावन के महीने में हरी चूड़ियां क्यों पहनते है!

माना जाता है कि यदि कुंवारी लड़कियां सावन के महीने में शिव जी की पूजा करती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इस महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करना आसान होता है। वहीं सावन के महीने में महिलाएं हरी चूड़ियां तो पहनती हैं लेकिन इसके पीछे छुपे रहस्य को बहुत कम लोग जानते है। 

दरअसल सावन के महीने में सुहागिन स्त्रियों के लिए कई सारे त्योहार आते हैं, जिसमें कजरी, तीज, हरियाली तीज शामिल हैं। इन त्योहारों में शुरुआत से ही हरे रंग के कपड़े व हरी चूड़ियां पहनने का रिवाज है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि सावन का महीना प्रकृति के सौंदर्य का महीना होता है। ऐसे में हरा रंग प्रकृति को दर्शाता है। वहीं महादेव को समर्पित इस माह में सभी सुहागिन महिलाएं मेहंदी लगाती हैं।

सावन के महीने में चारों ओर हरियाली फैली रहती हैं, जिसे देखकर आंखों को बहुत सुकून मिलता है। मान्यता है कि हरे रंग के कपड़े या चूड़ियां पहनने से बुध ग्रह भी मजबूत होता है जिससे जीवन में खुशहाली आती है। इसके अलावा हरे रंग के कपड़े या चूड़ियां पहनने से भगवान शिव और विष्णु प्रसन्न होते हैं। वहीं हरा रंग पति-पत्नी के बीच अच्छे संबंध कायम करने में भी मददगार होता है।

यही कारण है कि शिव को प्रसन्न करने एवं प्रकृति के स्वरूप को अपने निकट महसूस करने के वास्ते हरे रंग की चूड़ियों को पहना जाता है। 


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बाइक से रियर व्यू मिरर हटाने पर खत्म हो जाएगी उसकी वारंटी!

 बाइक से रियर व्यू मिरर हटाने पर खत्म हो जाएगी उसकी वारंटी!



प0नि0डेस्क

देहरादून। वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ ही सड़क दुर्घटनाओं में भी इजापफा हो रहा है। वाहन चालकों की लापरवाही भी सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती तादाद की एक अहम वजह है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में दोपहिया वाहनों की तादाद सबसे ज्यादा है और सड़क हादसे का शिकार सबसे अधिक दोपहिया वाहन ही होते हैं।

अक्सर दोपहिया वाहन चालक अपनी बाइक या स्कूटर से रियर व्यू मिरर हटा लेते हैं। इससे कुछ पल के लिए बाइक स्टाइलिश दिखती तो है लेकिन ऐसा करना सड़क पर अपनी सुरक्षा के साथ समझौता करने जैसा होता है। कई लोगों का यह मानना होता है कि रियर व्यू मिरर हटा लेने से वह ट्रैफिक में कट करते हुए बाइक चला सकते हैं।

हालांकि अब बाइक से रियर व्यू मिरर हटाने से परेशानी हो सकती है। हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट में अधिवक्ता राजकुमार आदित्यन ने एक जन सूचना याचिका दायर की जिसमें दोपहिया वाहनों में रियर व्यू मिरर के महत्व और उसके इस्तेमाल से सड़क दुर्घटनाओं में बड़े स्तर पर रोकने के उपायों के बारे में बताया गया था।

याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने रियर व्यू मिरर हटाने वाले वाहनों की वारंटी रद्द करने का आदेश दिया है, साथ ही कोर्ट ने तमिलनाडु ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को राज्य में मोटर वाहन कानून का सख्ती से पालन करने का निर्देश भी जारी किया। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि रियर व्यू मिरर वाहन की सुरक्षा से जुड़ा एक अहम उपकरण है, इसे हटाने पर वारंटी को रद्द किया जा सकता है। कोर्ट ने राज्य के सभी डीलरशिप को इस नये नियम का अनिवार्य रूप से पालन करने का आदेश जारी किया है।

रियर व्यू मिरर से हम पीछे से आ रहे वाहन का पता लगा सकते हैं। अगर यह न हो तो हमें पीछे से आ रहे वाहनों का पता नहीं चलता और हम बिना सोचे समझे अपनी गाड़ी मोड़ लेते हैं जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। अक्सर दोपहिया वाहन चालक डीलरशिप से बाइक खरीदते समय उससे रियर व्यू मिरर हटवा लेते हैं जो सड़क पर बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।



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चिकनः स्वाद के साथ सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी

 चिकनः स्वाद के साथ सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी



प0नि0डेस्क

देहरादून। अगर आप नानवेज खाने के शौकीन हैं लेकिन चिकन खरीदते समय उसके ताजा होने या न होने की पहचान नहीं कर पाते हैं तो ये उपाय आपकी सहायता कर सकते हैं। 

चिकन बिरयानी हो या फिर चिकन करी, अगर उसे बनाते समय ताजा चिकन का इस्तेमाल नहीं किया गया है तो उसके स्वाद के साथ-साथ खाने वालों की सेहत खराब होने का भी खतरा बना रहता है। ऐसे में स्वाद और सेहत दोनों को ध्यान में रखते हुए कुछ सावधनी बरतनी चाहिये। 

बाजार से चिकन खरीदते समय आखिर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। 

फ्रेश चिकन की पहचान करने के उपायः

स्मेल से करें चेक- चिकन खरीदते समय उसकी गंध पर जरूर ध्यान दें। अगर चिकन आधे या एक घंटे पहले काटकर रखा हुआ है तो उससे गंदी स्मेल नहीं आएगी।

फ्रिज में रखा चिकन लेने से बचे- फ्रिज में रखा चिकन खरीदकर खाने से कई रोग घेर सकते हैं।फ्रिज  में रखा चिकन चार से पांच दिन पुराना भी हो सकता है।

हल्का गुलाबी रंग का चिकन- फ्रेश चिकन हमेशा गुलाबी रंग का नजर आएगा। अगर चिकन के उपरी भाग से लेकर अंदर का भाग पिंक कलर में दिखाई नहीं दे तो समझ सकते हैं कि चिकन फ्रेश नहीं है। इसके अलावा फ्रेश चिकन में हमेशा खून लगा दिखाई देता है। वहीं जो चिकन फ्रेश नहीं होता उनमें खून दिखाई नहीं देता है।

पैकेट बंद चिकन खरीदते समय उस पर लिखी एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें। इसके बाद पैकेट खोलकर उसकी स्मेल भी चेक करें। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार दुकानदार एक्सपायरी डेट मिटाकर फिर से नई एक्सपायरी डेट लिख देते हैं और लोग उसे सही समझकर खरीद लेते हैं।


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सोमवार, 26 जुलाई 2021

मिजोरम के साथ सीमा विवाद में झड़प

 मिजोरम के साथ सीमा विवाद में झड़प

असम के 6 पुलिसकर्मियों की मौत, 50 घायल



एजेंसी

गुवाहाटी। असम-मिजोरम बार्डर पर असम के सुरक्षाबलों और मिजोरम के नागरिकों के बीच झड़प के साथ फायरिंग भी हुई। इस हिंसा में असम पुलिस के 6 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। खुद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है। वहीं कछार के एसपी समेत कम से कम 50 कर्मी हिंसा में घायल हो गए हैं। 

सीमा पार से लगातार हो रही गोलीबारी के बीच जंगल में मौजूद असम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कछार के पुलिस अधीक्षक निंबालकर वैभव चंद्रकांत समेत कम से कम 50 कर्मी गोलीबारी और पथराव में घायल हो गए हैं। असम के सीएम हिमंता बिस्वा शर्मा ने ट्वीट किया कि मुझे यह सूचित करते हुए अत्यंत दुख हो रहा है कि असम पुलिस के छह वीर जवानों ने असम-मिजोरम सीमा पर हमारे राज्य की संवैधानिक सीमा की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है। शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदना।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक बार्डर पार से उपद्रवियों ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी, जब दोनों पक्षों के नागरिक अधिकारी मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे थे। अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि मैं तुरंत यह नहीं कह सकता कि कितने लोग घायल हुए हैं, लेकिन अनुमान कम से कम 50 कर्मियों का है। गोलीबारी में हमारे एसपी भी घायल हो गए और एक गोली उनके पैर में लगी। 

असम-मिजोरम बार्डर पर हुए तनाव पर बोलते हुए मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने बताया कि असम पुलिस के आईजी के नेतृत्व में हथियारों से लैस लगभग 200 असम पुलिस जवान वैरेंगटे आटो-रिक्शा स्टैंड पर आए। उन्होंने वहां तैनात सीआरपीएपफ जवानों की ड्यूटी पोस्ट को जबरन पार किया और मिजोरम पुलिस की ड्यूटी पोस्ट को नुकसान पहुंचाया।

मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने कहा कि आगजनी की सूचना पर वैरेंगटे शहर के निवासी, पूछताछ के लिए साइट पर रवाना हुए। असम पुलिस ने निहत्थे नागरिकों पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे, जिससे कई नागरिक घायल हुए।

लालचमलियाना ने कहा कि मिजोरम पुलिस पर आंसू गैस के गोले दागे गए और उसके बाद असम की ओर से गोलीबारी की गई। इसके बावजूद कि एसपी, कोलासिब जिला सीआरपीएफ ड्यूटी कैंप के अंदर असम पुलिस के साथ बातचीत कर रहे थे, मिजोरम पुलिस ने असम पुलिस पर वापस फायरिंग करके जवाब दिया।

मिजोरम के गृह मंत्री लालचमलियाना ने आगे कहा कि मिजोरम सरकार चाहती है कि असम के साथ अंतर-राज्यीय सीमा का मुद्दा शांति और समझ के माहौल में सुलझाया जाए। वहीं आज ही मिजोरम के सीएम जोरमथंगा ने पुलिस और नागरिकों के बीच झडप का एक विडियो ट्वीट करते हुए गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए अनुरोध किया था कि इस मामले पर तुरंत कोई कार्रवाई करें। इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय को भी टैग किया गया है।

दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद तब उपजा जब असम पुलिस ने अपनी जमीन पर कथित तौर पर अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान शुरू किया। 10 जुलाई को जब असम सरकार की टीम मौके पर गई तो उस पर अज्ञात लोगों ने आईईडी से हमला कर दिया।


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एसजेवीएन अध्यक्ष ने किया मोबाईल मेडिकल यूनिट का लोकार्पण

 एसजेवीएन अध्यक्ष ने किया मोबाईल मेडिकल यूनिट का लोकार्पण  



एसजेवीएन अपनी सामाजिक प्रतिबद्वताओं को पूरा करने के प्रति वचनबद्वः शर्मा

संवाददाता

शिमला। एसजेवीएन के प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने शिमला तथा आसपास के इलाकों के लोगों के लिए एसजेवीएन फाउंडेशन की ओर से निःशुल्क चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए मोबाइल हेल्थ वैन का लोकार्पण किया।

इस मौके पर नन्द लाल शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन अपनी सामाजिक प्रतिबद्वताओं को पूरा करने के प्रति सदैव वचनबद्व है। सीएसआर कार्यक्रमों के जरिए हितधारकों के जीवन की गुणवत्ता के उन्नयन के लिए प्रयासरत रहता है। स्थानीय समुदायों को 14 मोबाइल हेल्थ वैन के जरिए निःशुल्क चिकित्सा परामर्श सुविधाएं और दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए सतलुज संजीवनी सेवा कार्यक्रम की शुरुआत की गई।

उन्होंने बताया कि पहले से ही 13 मोबाइल हेल्थ वैन हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार एवं महाराष्ट्र के 11 जिलों, 101 ग्राम पंचायतों तथा 197 सामुदायिक स्थानों को कवर करते हुए सेवाएं प्रदान कर रही हैं। उन्होंने बताया कि नौ लाख से ज्यादा लोगों को उपचार सुविधाएं प्रदान की जा चुकी हैं। प्रत्येक मोबाइल हेल्थ वैन में एक डाक्टर, फार्मासिस्ट तथा सहायक स्टाफ से युक्त एक क्वालिफाइड मेडिकल टीम होती है। यह बेसिक डायग्नोस्टिक परीक्षण उपकरणों से लैस होती है।

एसजेवीएन फाउंडेशन कोविड-19 के विरुद्व लड़ाई में वित्तीय मदद देने सहित स्वास्थ्य देखभाल एवं स्वच्छता, शिक्षा एवं दक्षता विकास, समाज के कमजोर वर्गों के सशक्तिकरण, सततशील विकास, संस्कृति, विरासत एवं प्रसिद्व स्थलों के संरक्षण एवं संवर्धन, खेलों के विकास, सशस्त्र बल के भूतपूर्व सैनिकों, सैनिक विधवाओं तथा उनके आश्रितों हेतु उपाय, कुदरती आपदाओं/विपदाओं के दौरान राहत, अवसंराचनात्मक विकास, सामुदायिक विकास तथा ग्रामीण विकास के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहा है।

एसजेवीएन को नवोन्वेषी एवं सततशील सीएसआर पहलों की जरिए समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने के प्रति किए गए इसके प्रयासों के सम्मान स्वरूप कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी को कोरोना वारियर्स की श्रेणी के अंतर्गत सीआईडीसी विश्वकर्मा अवार्ड-2021 से नवाजा गया है। इसके स्वास्थ्य  के क्षेत्र में विभिन्न पहलों की शुरूआत करने के लिए हेल्पएज इंडिया द्वारा ‘गोल्ड प्लेट अवार्ड’ से भी नवाजा गया।

इस अवसर पर गीता कपूर निदेशक (कार्मिक) एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।


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अनिल वर्मा बने फेडरेशन आफ ब्लड डोनर्स आर्गेनाइजेशन आफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव

 अनिल वर्मा बने फेडरेशन आफ ब्लड डोनर्स आर्गेनाइजेशन आफ इंडिया के राष्ट्रीय  सचिव



संवाददाता

देहरादून। रक्तदान के क्षेत्र में राष्ट्र की अग्रणी संस्था फेडरेशन आफ ब्लड आर्गेनाइजेशन आफ इंडिया एवं  नेशनल इंस्टीट्यूट आफ बायोलाजिकल्स, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में दार्जिलिंग में दो दिवसीय वेबिनार आयोजित किया गया। सत्र के दूसरे दिन एफबीडीओआई की वार्षिक साधारण सभा में वर्ष 2023 तक नई गवर्निंग बाडी के चुनाव भी हुए। चुनाव में  देहरादून के अनिल वर्मा को फेडरेशन का राष्ट्रीय सचिव चुना गया। 

गौर हो कि रक्तदान अभियान में राष्ट्रीय स्तर पर डा0 कार्ल लैंडस्टीनर अवार्ड से सम्मानित अनिल वर्मा ने 138 बार रक्तदान करने के साथ ही रक्तदाता प्रेरक के रूप में  राष्ट्रीय स्तर पर अति विशिष्ट योगदान दिया है। वेबीनार में देशभर के सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर स्वैच्छिक रक्तदान को सौ प्रतिशत करने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की। साथ ही संगठन को और गतिशील  बनाने के लिए नई गवर्निंग बाडी का गठन किया।

एफ0बी0डी0ओ0आई0 के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 एन0के0 भाटिया ने अनिल वर्मा सहित समस्त कार्यकारिणी को बधाई दीं। सचिव चुने जाने के उपरांत वर्मा ने समस्त कार्यकारिणी का आभार व्यक्त करते हुए स्वैच्छिक रक्तदान आंदोलन को और अधिक गतिशील बनाने का आश्वासन दिया।


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सेलाकुई क्षेत्र के चार सरकारी विद्यालयों में वृक्षारोपण

 सिटीजन फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स द्वारा वृहद वृक्षारोपण

सेलाकुई क्षेत्र के चार सरकारी विद्यालयों में वृक्षारोपण



संवाददाता

देहरादून। सिटीजन फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स द्वारा राजकीय प्राथमिक विद्यालय बायखाला, राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय धूलकोट, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बहादुरपुर तथा राजकीय पूर्व माध्यमिक माडल स्कूल तेलपुरा में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर विभिन्न प्रजातियों के 100 से 120 वृक्ष लगाये गये, जिनमें मुख्यतः पीपल, कटहल, गुलमोहर, आम, निम्बू, नीम, पीला केसिया, जकरैण्डा, गुलाबी केसिया, कागजी निंबू इत्यादि वृक्ष शामिल थे। 

वृक्षारोपण अभियान में समिति के अध्यक्ष राम कपूर तथा समस्त सदस्यों के साथ-साथ रा0पू0मा0 माडल स्कूल तेलपुरा के प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार नेगी तथा राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय धूलकोट के प्रधानाध्यापक एन0डी0 जोशी ने भी सहयोग किया।



सिटीजन फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स समिति द्वारा वर्ष 2021 का यह द्वितीय वृक्षारोपण अभियान है, जो सेलाकुई क्षेत्र के चार सरकारी विद्यालयों में सम्पन्न किया गया। अत्यधिक वर्षा होने के बावजूद चारों विद्यालयों में सफल वृक्षारोपण आयोजित किया गया। वृक्षारोपण कार्यक्रम के उपरान्त राजकीय पूर्व माध्यमिक माडल स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा समिति को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया और समिति के उज्जवल भविष्य हेतु शुभकामनाएं प्रदान की।

वृक्षारोपण अभियान में अमरनाथ कुमार कोषाध्यक्ष सिटीजन फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएन्स, शम्भू शुक्ला संयोजक, नितिन कुमार प्रचार मंत्री, जे0पी0 किमोठी, राजेश बाली, दीपक वासुदेवा, हर्षवर्धन जमलोकी, अमित चौधरी, श्रीमती सीमा रावत तथा सुश्री सोनिया, आर0के0 हाण्डा आदि मौजूद रहे।


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 सिफारिश विहीन युवाओं के साथ बहुत बड़ा अन्यायः नेगी



सरकार के इशारे पर उपनल करेगा नौकरियों की बंदरबांट!

तिकड़मबाजों ने पहले ही हासिल कर ली है नौकरीः मोर्चा का आरोप

- 100 अवर अभियंताओं की नियुक्तियां होनी है उपनल के माध्यम से 

- राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन ने भेजा अधियाचन उपनल को 

- उपनल के माध्यम से होनी है मात्र रस्म अदायगी                   

- रस्म अदायगी बंद कर किसी चयन आयोग से विधिवत संपन्न कराएं परीक्षा 

संवाददाता              

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत जून माह को 100 अवर अभियंताओं के पद सृजित किए गए तथा शासन के निर्देश के क्रम में राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन विभाग ने इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कराने को लेकर अधियाचन उपनल को प्रेषित किया है, जिसमें बहुत जल्द उपनल प्रक्रिया संपन्न कर युवाओं को प्रायोजित कर देगा, जिनमें से 55 अवर अभियंता जल संस्थान एवं 45 पेयजल निगम में नियुक्त किए जाएंगे। 

नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि अवर अभियंता जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया हेतु उपनल जैसे गैर-जिम्मेदार विभाग को जिम्मेदारी देकर सरकार ने सिफारिश विहीन व योग्य युवाओं को छलने का काम किया है। उपनल ने आज तक आरक्षित वर्ग के हजारों युवाओं को भी शासनादेश के सापेक्ष प्रायोजित करने के बजाए खास पहुंच वालों को ही फायदा पहुंचाया है। उपनल के माध्यम से सरकार अपने खासमखास यानी ऊंची पहुंच रखने वाले युवाओं को नौकरी देगी। वैसे तो ये नियुक्ति प्रक्रिया मात्र रस्म अदायगी भर है। सूत्रों की माने तो नियुक्तियां तो अंदरखाने पहले ही हो चुकी हैं।                         

नेगी ने कहा कि इस कृत्य से प्रदेश के  सिफारिश विहीन युवाओं के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया जा रहा है। अगर नियुक्ति प्रक्रिया उपनल जैसे निगमों से ही होनी है तो इन चयन आयोगों का क्या महत्व रह जाता है। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इन पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया हेतु उपनल के स्थान पर किसी जिम्मेदार आयोग से परीक्षा/नियुक्ति प्रक्रिया संपन्न कराए।


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रविवार, 25 जुलाई 2021

 कितना खास है आने वाला एलआईसी का आईपीओ

हर वो अहम बात जो निवेश से पहले पता होनी चाहिए



प0नि0डेस्क

देहरादून। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ लाने की तैयारी पूरे जोरों पर है। हालांकि इतनी विशाल कंपनी का आईपीओ लाना इतना आसान नहीं है इसीलिए इसके लिए लक्ष्य इस वित्त वर्ष के अंत मार्च 2022 तक रखा गया है। मार्च से पहले इसे लाने का मतलब है कि यह जनवरी से मार्च के बीच कभी आ सकता है। कैबिनेट ने हाल में ही एलआईसी में विनिवेश को मंजूरी दी है। इसके लिए मर्चेंट बैंकर्स की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।

सरकार ने कहा है कि इस आईपीओ के तहत जारी शेयरों का करीब 10 फीसदी हिस्सा एलआईसी पालिसीधारकों के लिए रिजर्व रहेगा। उन्हें बाकी लोगों से सस्ता शेयर मिल सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पालिसीधारकों ने एलआईसी की करीब 28.9 करोड़ पालिसी खरीद रखी है। नियम कहता है कि एलआईसी को यह रिजर्वेशन सेबी के रेगुलेशन के मुताबिक और एक्सचेंजों से परामर्श के आधार पर ही देना होगा।

आईपीओ के नियमों के मुताबिक कोई कंपनी अपने कर्मचारियों को अधिकतम 10 फीसदी छूट पर शेयर दे सकती है लेकिन यहां गौर करने की बात यह है कि पालिसीधारक एलआईसी के कर्मचारी नहीं हैं इसलिए एलआईसी उन्हें कितना छूट दे सकता है, यह देखने वाली बात होगी। सरकार ने इसके लिए एलआईसी एक्ट 1956 में बदलाव किया है। कितना हिस्सा आईपीओ के माध्यम से बेचना है यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली एक समिति तय करेगी।

लिस्टेड होने के बाद अन्य कंपनियों की तरह एलआईसी का संचालन भी कंपनीज एक्ट और सेबी एक्ट के द्वारा होगा। इसे अपने मुनाफे या घाटे के तिमाही नतीजे सार्वजनिक करने होंगे और प्रमुख घटनाक्रमों की भी समय-समय पर एक्सचेंजों के माध्यम से जनता को जानकारी देनी होगी।

सरकार यदि पालिसीधारकों को 10 फीसदी की छूट पर शेयर देती है तो भी शेयर बाजार में लिस्ट होने के बाद एलआईसी का वैल्युएशन 10 से 15 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। सेबी के नियमों के मुताबिक 10 लाख करोड़ रुपये के आसपास के मार्केट कैप के अंदाजे से एलआईसी को कम से कम 55,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लाना होगा और यदि मार्केट कैप का अंदाजा 15 लाख करोड़ का होता है तो उसे 80,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लाना होगा।

एलआईसी के आईपीओ में शेयरों की कीमत क्या होगी यह बात भी काफी अहम होगी क्योंकि इसके पहले आए सरकारी बीमा कंपनियों के आईपीओ का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। साल 2017 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी का शेयर 770-800 रुपये में आफर किया गया था। यह बीएसई पर 748.90 रुपये में लिस्ट हुआ था और आज इसका शेयर काफी नीचे है। इसी साल जनरल इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया को एनएसई पर 857.50 रुपये पर लिस्ट किया गया था, लेकिन आज इसकी कीमत काफी नीचे पहुंच गई है।

सरकार के लिए एलआईसी का विनिवेश काफी अहम है। इसकी वजह यह है कि अगर उसे इस वित्त वर्ष में विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये पूरा करना है तो यह एलआईसी के द्वारा ही हो सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐलान किया था कि 2021-22 में सरकार विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाना चाहती है। दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना अभी परवान नहीं चढ़ पाई है। 

भारतीय बीमा कारोबार में एलआईसी का एकाधिकार जैसा है। एलआईसी के आकार और पहुंच को देखते हुए आगे भी इसकी कारोबारी संभावनाएं मजबूत रहने की उम्मीद है। एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी करीब 66 फीसदी है। 31 मार्च 2020 तक एलआईसी का कुल एसेट 37.75 लाख करोड़ रुपये का था। इसके पास 22.78 लाख एजेंट और 2.9 लाख कर्मचारियों का विशाल नेटवर्क है।

यही नहीं एलआईसी शेयर बाजार के सबसे बड़े संस्थागत निवेशकों में से है और यह कितनी सरकारी कंपनियों के लिए तारणहार की तरह सामने आता रहा है। इसने शेयर बाजार में मोटा निवेश कर रखा है। इसके भारी भरकम निवेश पोर्टफोलियो से भी अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है।


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2012 से 2016 के बीच 2 लाख फर्जी लाइसेंस बंटे

 2018 से 2020 के बीच देश के 81 फीसदी गन लाईसेंस जम्मू-कश्मीर में जारी



2012 से 2016 के बीच 2 लाख फर्जी लाइसेंस बंटे 

एजेंसी

जम्मू। जम्मू और कश्मीर में सर्च आपरेशन चलाकर सीबीआई ने 40 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। जांच एजेंसी ने दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया है। इसमें शाहिद इकबाल चौधरी और नीरज कुमार शामिल हैं। दोनों पर 2 लाख फर्जी गन लाइसेंस जारी करने के मामले में शामिल होने का आरोप है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर गन लाइसेंस जारी करने के मामले में देश में टाप पर है। यहां 2018 से 2020 तक सबसे ज्यादा हथियार लाइसेंस जारी किए गए। इन दो सालों में देशभर में 22,805 लाइसेंस जारी किए, इनमें से 18,000 अकेल जम्मू-कश्मीर में जारी हुए। देश के 81 फीसदी लाइसेंस यहां बांटे गए। इसको भारत के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा गन रैकेट बताया जा रहा है।

सीबीआई ने सर्च आपरेशन 4 साल के अंदर बड़ी तादाद में फर्जी लाइसेंस जारी करने के मामले में चलाया। जम्मू और कश्मीर के 22 जिलों में कलेक्टर और मजिस्ट्रेट की मिलीभगत से लाखों फर्जी हथियार लाइसेंस जारी करने का आरोप है। लाइसेंस जारी करने के एवज में पैसों का लेनदेन भी किया गया है।

सीबीआई के एक वरिष्ठ अध्किारी के मुताबिक छापेमारी में जरूरी दस्तावेज हाथ लगे हैं। इनके जरिए एजेंसी को जांच आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। आईएएस शाहिद चौधरी को समन जारी कर श्रीनगर के सीबीआई आफिस बुलाया जाएगा। चौधरी 2009 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और फिलहाल जम्मू और कश्मीर के जनजातीय मामलों के विभाग के प्रशासनिक सचिव के पद पर तैनात हैं। वे मिशन यूथ के सीईओ भी हैं।

इससे पहले चौधरी श्रीनगर के डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कमिश्नर रह चुके हैं। चौधरी कठुआ, राजौरी, उधमपुर और रियासी जिले के डिप्टी कमिश्नकर भी रह चुके हैं। आरोप है कि इन सभी पदों पर रहते हुए चौधरी ने हजारों गन लाइसेंस दूसरे राज्यों के लोगों को फर्जी नाम से जारी कर दिए।

श्रीनगर के अलावा सीबीआई ने अनंतनाग, बारामुला, जम्मू, उधमपुर, राजौरी और दिल्ली में भी छापामार कार्रवाई की है। इस दौरान कई सीनियर अधिकारियों के पुराने और वर्तमान घरों की तलाशी भी ली गई। सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि 20 गन हाउस में भी छापा मारा गया है। इस मामले में अब 8 पूर्व डिप्टी कमिश्नर से पूछताछ की जा रही है।

सीबीआई ने 2020 में 2 आईएएस अधिकारी राजीव रंजन और इतरात हुसैन रफीकी को गिरफ्रतार किया था। दोनों ने कुपवाड़ा जिले में डिप्टी कमिश्नर रहते हुए कई फर्जी गन लाइसेंस जारी किए थे। इससे पहले सीबीआई ने दिसंबर 2019 में श्रीनगर, जम्मू, गुरुग्राम और नोएडा की एक दर्जन जगहों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कुपवाड़ा, बारामूला, उधमपुर, किश्तवाड़, शोपियां, राजौरी, डोडा और पुलवामा के जिला कलेक्टरों और मजिस्ट्रेटों के घर की भी तलाशी ली गई थी। कश्मीर के कई अधिकारियों पर लंबे समय से गन लाइसेंस जारी करने के बदले रिश्वत लेने के आरोप लगते रहे हैं।

राजस्थान सरकार की एंटी टेररिज्म स्क्वाड (एटीएस) ने 2017 में ऐसे ही एक गन रैकेट का खुलासा किया था। उस समय 50 लोगों की गिरफ्रतारी की गई थी। उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने केस सीबीआई के हवाले कर दिया था। फरवरी 2020 में सीबीआई ने एक आरोपी को गिरफ्रतार किया था। उस पर कई लोगों के साथ बड़े-बड़े फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन करने के आरोप लगे थे। कई सरकारी अधिकारियों के नाम भी लिस्ट में सामने आए थे।


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शनिवार, 24 जुलाई 2021

सफाई कर्मियों को ठेका प्रथा से मुक्ति दिला संविदा कर्मी बनाओ: मोर्चा

 सफाई कर्मियों को ठेका प्रथा से मुक्ति दिला संविदा कर्मी बनाओ: मोर्चा      


   
    

# शासन/विभाग को नहीं है जानकारी इनकी संख्या व स्थिति की     
# सरकार को इनकी पीड़ा से नहीं है कोई सरोकार          # एक  हजार की आबादी पर दो कर्मियों की है व्यवस्था वर्ष 2011 के आधार पर  
# सफाई कर्मी  ₹5-7 हजार में खफा रहे अपना जीवन    # इन कर्मियों के बीमा की भी नहीं है व्यवस्था 
# सफाई कर्मियों को विशेष व्यवस्था के तहत मृत संवर्ग से बाहर करने की हो व्यवस्था  
संवाददाता
विकासनगर। पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश की नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों एवं नगर निगमों के साथ-साथ प्रदेश के अन्य विभागों यथा अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, शिक्षण संस्थानों आदि में वर्षों से कार्य कर रहे सफाई कर्मियों (पर्यावरण मित्र) में से अधिकांश ठेका प्रथा, दैनिक वेतन,  मोहल्ला स्वच्छता समिति आदि के माध्यम से कार्य कर रहे हैं, जिनको बामुश्किल ₹5-7 हजार में गुजर बसर करनी पड़ती है। बड़े दुख की बात है कि सरकार द्वारा  सफाई कर्मियों के पद को आउटसोर्स का पद विभागीय ढांचे में रखा गया है।                
नेगी ने कहा कि बड़े आश्चर्य की बात है की शासन व शहरी विकास निदेशालय तक को ये मालूम नहीं है कि इन पालिकाओं, नगर पंचायतों, निगमों में कितने सफाई कर्मी तैनात हैं तथा उनकी स्थिति क्या है यानी वे दैनिक, ठेका प्रथा, तदर्थ, संविदा, आउटसोर्स, मोहल्ला स्वच्छता समिति आदि किस श्रेणी के तहत  कार्य कर रहे हैं। जब शासन/निदेशालय को इनकी संख्या व स्थिति तक की जानकारी नहीं है तो इनका भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है। यहां तक कि इन कर्मियों के लिए न तो बीमा  कवर की व्यवस्था है और न ही कोई अन्य व्यवस्था, जबकि ये कर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना महामारी जैसी बीमारियों में भी अनवरत अपनी सेवा देते आ रहे हैं।
प्रदेश की लगभग 90-95 नगर पालिका/ नगर पंचायत/  निगमों में शासनादेशानुसार वर्ष 2011 के आधार पर 1000 की आबादी पर दो सफाई कर्मी तैनात किए जाने की व्यवस्था है।                       
नेगी ने कहा कि कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित सफाई कर्मियों को दैनिक वेतन, ठेका प्रथा आदि  व्यवस्था से छुटकारा दिला कर संविदा के दायरे में लाना चाहिए जिससे एक विशेष व्यवस्था के तहत इनको मृत संवर्ग से बाहर कर भविष्य में इनके नियमितीकरण का रास्ता साफ हो सके। 
पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, नरेंद्र तोमर व सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे।

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शुक्रवार, 23 जुलाई 2021

एसजेवीएन अध्यक्ष ने ‘मिनी स्मार्ट टाऊनशिप’ की आधारशिला रखी

 एसजेवीएन अध्यक्ष ने ‘मिनी स्मार्ट टाऊनशिप’ की आधारशिला रखी



टाऊनशिप एसजेवीएन प्रबंधन का कर्मचारियों के हितों के प्रति महत्ता को दर्शाता हैः शर्मा 

संवाददाता                                                     

देहरादून। एसजेवीएन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नन्द लाल शर्मा ने बिहार स्थित  बक्सर ताप विद्युत संयंत्र का दौरा किया। उन्हांेने विद्युत संयंत्र के लिए ‘मिनी स्मार्ट टाऊनशिप’ की आधारशिला रखी। इस दौरान कर्मचारियों को संबोधित करते हुए प्रबन्ध निदेशक शर्मा ने कहा कि ‘मिनी स्मार्ट टाऊनशिप’ एसजेवीएन प्रबंधन का अपने कर्मचारियों के हितों के प्रति महत्ता को दर्शाता है। 

उन्होंने कहा कि टाऊनशिप में आवासीय भवन, कार्यालय परिसर, अतिथि गृह, खेल परिसर, क्लब, अस्पताल, स्कूल, शापिंग काम्पलेक्स, आडिटोरियम एवं एम्फी थियेटर शामिल होंगे। स्मार्ट सिटी अवधारणा पर बनने जा रहे इस टाऊनशिप में ग्रीन बिल्डिंग प्रावधानों को शामिल किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी में वर्षा जल संचयन प्रणाली एवं ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए सोलर पैनलों की अत्याधुनिक अवधारणाएं होंगी। प्रस्ताावित टाऊनशिप में पर्याप्त खुले और हरित मार्गों, पार्कों एवं जल निकायों के साथ बहुमंजिला आवासीय ईकाईयां शामिल होंगी।

उन्होंने सभी हितधारकों को निर्धारित समय सीमा से पहले परियोजना को कमीशन करने के लिए उत्साहपूर्वक कड़ी मेहनत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल प्रौद्योगिकी के साथ 1320  मेगावाट के बक्सर थर्मल विद्युत संयंत्र को एसजेवीएन थर्मल प्रा0लि0 द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। संयंत्र में लगभग 11,000 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है। 

इसके अतिरिक्ति प्रबन्ध निदेशक ने अन्य निदेशकों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा और संयंत्र के सभी प्रमुख घटकों का निरीक्षण किया। उन्होंने कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी कार्यों की गति को बनाए रखने में जुड़े हुए सभी कार्मिकों के समर्पित प्रयासों की सराहना की।  

कार्यक्रम में निदेशक (कार्मिक) गीता कपूर, निदेशक (वित्त) ए0के0 सिंह तथा निदेशक ( विद्युत) सुशील कुमार शर्मा, एसजेवीएन थर्मल प्रा0 लिमिटेड (एसटीपीएल) के सीईओ संजीव सूद भी उपस्थित थे।


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यूपीजेई एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ की बैठक आयोजित

 यूपीजेई एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ की बैठक आयोजित



सेवानिवृत सदस्यों की विभिन्न समस्याओं पर गम्भीर विचार विमर्श 

संवाददाता

देहरादून। उत्तराखण्ड पावर जूनियर इंजीनियर्स एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ की एक बैठक एसोसिएशन के केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित की गयी। सभा की अध्यक्षता एसोसिएशन के आजीवन संरक्षक एवं सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ के अध्यक्ष ईं0 जी0एन0 कोठियाल ने की। सभा में देहरादून, रूडकी एवं हरिद्वार के पदाधिकारियों एवं वरिष्ठ सदस्यों ने प्रतिभाग किया। 

सभा में सेवानिवृत सदस्यों की विभिन्न समस्याओं पर गम्भीर विचार विमर्श किया गया। एसोसिएशन के सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ की अन्तरंग बैठक के बाद पदाधिकारियों ने उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0 के निदेशक (मा0सं0) से उनके कार्यालय में मुलाकात की तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों की विभिन्न समस्याओं के निराकरण हेतु विस्तृत चर्चा की। निदेशक (मा0सं0) ने समस्याओं पर सकारात्मक समाधन हेतु पदाध्किारियों को आश्वस्त किया। जिनमें से कुछ समस्याओं का विवरण निम्न प्रकार है-

उत्तराखण्ड सरकार के शासनादेश संख्या-1212-1(2) 2020-06(02) 15/2015 दिनांक 01.10.2020 द्वारा शासनादेश संख्या-205(ग्ग्टप्प्(10)2018.27(8)2017 दिनांक 15.10.2018 के द्वारा 31.12.2015 तक सेवानिवृत्त/दिवंगत कार्मिकों को एक रैंक एक पेंशन की स्वीकृति प्रदान की गयी थी किन्तु अधिकांश सेवानिवृत्त अवर अभियन्ताओं/दिवंगत अभियन्ताओं के आश्रितों को इसका लाभ आज तक नहीं मिल पाया है। 

सेवानिवृत्त प्रकोष्ठ के व्यक्तिगत प्रयासों के बावजूद भी खण्ड कार्यालयों से पेंशन पुनरीक्षण प्रकरण ऊर्जा भवन नहीं भेजे जा रहे हैं और यदि भेजे भी जाते हैं तो वे भी आधे-अधूरे भेजे जाते हैं, जिनका खामियाजा सेवानिवृत्त अवर अभियन्ताओं/दिवंगत अवर अभियन्ताओं के आश्रितों को भुगतना पड रहा है। जीवन की अन्तिम अवस्था में ये वृद्व किस किस के दरवाजे पर दस्तक देने जायंे? आदेश निर्गत होने के चार वर्ष उपरान्त भी पुनरीक्षित पेंशन का भुगतान न हो पाना अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

कारपोरेशन के आदेशानुसार प्रत्येक सेवारत, सेवानिवृत्त/पारिवारिक पेंशनर्स को प्रतिमाह निर्धारित विद्युत नियत शुल्क (फिक्स चार्ज) जमा करने हैं जो कि सेवारत कार्मिकों के वेतन से काट कर जमा हो रहा है तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों को स्वयं उपखण्ड कार्यालय जाकर प्रतिमाह जमा करना पडता है। जबकि पूर्व की व्यवस्था के अनुसार सेवानिवृŸा कार्मिकों का मासिक विद्युत नियत शुल्क को चिकित्सा भत्ते से काट लिया जाता था जो कि उचित और सुविधाजनक था क्योंकि इस व्यवस्था के अन्तर्गत माह की प्रथम तिथि को निगम के खाते में एकमुश्त धनराशि आ जाती थी। नयी व्यवस्था के अनुसार कभी कभी कई माह तक भी विद्युत नियत शुल्क जमा नहीं हो पाता है। वृद्वावस्था में सेवानिवृत्त कार्मिकों को आने-जाने में परेशानी का सामना करना पडता है तथा वाहन चलाने में भी परेशानी होती है।

अतः समस्या के समाधान हेतु निगम की पूर्व व्यवस्था के अनुसार सेवानिवृत्त कार्मिकों के मासिक विद्युत फिक्स चार्जेज को उनके मेडिकल एलाउंस से काटकर समायोजित कराने की व्यवस्था को पुनः बहाल करने के लिए निवेदन किया गया।

सभा में ईं0 कर्णसिंह संरक्षक, ईं0 आर0के0 जैन वरिष्ठ उपाध्यक्ष, ईं0 डी0एस0 गौड उपाध्यक्ष, ईं0 एस0के0 जैन सचिव, ईं0 एम0एम0 लाल वित्त सचिव, ईं0 ऐ0के0 स्वामी एवं ईं0 सतीश अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।


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हानिकारक है फ्रिज में रखा हुआ गुंधा आटा

 हानिकारक है फ्रिज में रखा हुआ गुंधा आटा



प0नि0डेस्क

देहरादून। आपने अपनी दादी या नानी से यह बात जरूर सुनी होगी कि आटा बचा कर मत रखना, घर में आत्मा आ जाती है। हालांकि इस बात में भले ही कोई सच्चाई ना हो, पर ये बात सोलह आने सच है कि फ्रिज में रखा गुथा हुआ आटा, सेहत के लिहाज से बहुत नुकसानदायक होता है। 

फ्रिज में रखे आटे से तैयार की गईं रोटियां या किसी भी प्रकार का भोजन, पेट की समस्या दे सकता है। अगर अपना समय बचाने के लिए फ्रिज में गुंधा हुआ आटा रखती हैं तो सावधान हो जाइए। क्योंकि आप अपना समय तो बचा ले रही हैं लेकिन बदले में अपने परिवार और ख़ुद की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।

गीले आटे में फर्मेंटेशन की प्रक्रिया जल्दी शुरू हो जाती है और आटे में कई तरह के बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जिससे हमें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इसमें पेटदर्द, कब्ज और पाचनसंबंधी समस्याएं प्रमुख हैं। 

ताजे और बासी खाने में वैसे भी कापफी अंतर होता है, वही बात आटे पर भी लागू होती है। प्रिफज में रखे बासी आटे की रोटियां भले ही आप ताजी बनाएं पर वह ताजे आटे की रोटियों जैसी नहीं बन पाती हैं।

धार्मिक मान्यता और बुज़ुर्गों की माने तो बासी आटे का गोला एक पिंड की तरह होता है, जिसकी तरफ आत्माएं आकर्षित होती हैं। जिस घर में रोजाना बचा हुआ आटा रखा जाता है, वहां धन और शांति की कमी रहती है। हालांकि इन बातों को पढ़े लिखे लोग बिल्कुल समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन इस बात को जरूर मानते हैं कि फ्रिज में रखा आटा सेहत के लिए खराब है। अगर हमारी सेहत ठीक नहीं रहेगी तो इलाज में पैसे लगेंगे और बीमारी में मन भी शांत नहीं रह सकता है।

हो सकता है कि आपको आदत हो और इस आदत को बदलने में वक्त लगे लेकिन इसे बदलिए। अगर बहुत जरूरी ना हो, तो फ्रिज में आटा नहीं रखें और रख रहे हैं तो बंद कंटेनर में रखें और उसे अगले दिन यूज करके खत्म कर दें।


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पेंशनभोगियों को महंगाई राहत बढ़ाने के आदेश जारी

 पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा पेंशनभोगियों को महंगाई राहत बढ़ाने के आदेश जारी 



एजेंसी

नई दिल्ली। कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय पर अमल करते हुए पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों (सशस्त्र बलों, अखिल भारतीय सेवाओं और रेलवे के पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों सहित) को दी जाने वाली महंगाई राहत को 01.07.2021 से बढ़ाकर मूल पेंशन/पारिवारिक पेंशन (अतिरिक्त पेंशन/पारिवारिक पेंशन सहित) का 28 फीसदी करने के आदेश 22.07.2021 को जारी कर दिए हैं, जो 17 फीसदी की मौजूदा दर में 11 फीसदी की वृद्वि को दर्शाता है।

कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न अप्रत्याशित स्थिति को देखते हुए पेंशनभोगियों को दी जाने वाली महंगाई राहत की तीन अतिरिक्त किस्तों, जो 01.01.2020, 01.07.2020 और 01.01.2021 से देय थीं, पर रोक लगा दी गई थी।

अब सरकार ने पेंशनभोगियों/पारिवारिक पेंशनभोगियों को दी जाने वाली महंगाई राहत को 01.07.2021 से बढ़ाकर मूल पेंशन/पारिवारिक पेंशन का 28 फीसदी करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस वृद्वि में 01.01.2020, 01.07.2020 और 01.01.2021 को देय अतिरिक्त किस्तों को समाहित या शामिल कर दिया गया है। 01.01.2020 से लेकर 30.06.2021 तक की अवधि के लिए महंगाई राहत की दर मूल पेंशन/पारिवारिक पेंशन के 17 फीसदी पर यथावत रहेगी।


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बुधवार, 21 जुलाई 2021

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘डिजिटल मीडिया आचार संहिता’ पर वेबिनार

 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘डिजिटल मीडिया आचार संहिता’ पर वेबिनार 



एजेंसी

नई दिल्ली। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विक्रम सहाय ने कहा कि ओटीटी प्लेटफार्मों और डिजिटल समाचारों के प्रकाशकों के लिए बनाई गई डिजिटल मीडिया आचार संहिता में आम नागरिक को शिकायत निवारण व्यवस्था के केंद्र में रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित नियमों के तहत एक अत्यंत सरल सह-नियामकीय संरचना सुनिश्चित की गई है जिसमें डिजिटल मीडिया से जुड़े प्रकाशकों के लिए एक आचार संहिता और एक त्रिस्तरीय शिकायत निवारण व्यवस्था शामिल है।

सहाय लद्दाख, जम्मू व कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तरी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के हितधारकों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा ‘डिजिटल मीडिया आचार संहिता’ विषय पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उत्तरी राज्यों के लिए इस वेबिनार का आयोजन दरअसल विभिन्न क्षेत्रों के हितधारकों के लिए पत्र सूचना कार्यालय की क्षेत्रीय इकाइयों के माध्यम से मंत्रालय द्वारा आयोजित किए गए विभिन्न वेबिनारों की श्रृंखला के तहत किया गया। इनमें जून और जुलाई 2020 के दौरान दक्षिणी, पश्चिमी, पूर्वी एवं पूर्वाेत्तर और मध्य क्षेत्रों के लिए आयोजित किए गए वेबिनार शामिल हैं।

सहाय ने संक्षिप्त प्रस्तुति देकर ‘डिजिटल मीडिया आचार संहिता’ के विभिन्न पहलुओं जैसे कि प्रकाशकों के लिए आचार संहिता त्रि-स्तरीय शिकायत निवारण व्यवस्था और डिजिटल मीडिया प्रकाशकों द्वारा विभिन्न सूचनाएं प्रस्तुत करने एवं इनके प्रकटीकरण से संबंधित प्रावधानों की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को 1,800 से भी अधिक प्रकाशकों की ओर से सूचना मिली है और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रकाशकों के कई निकायों एवं संगठनों ने इन नियमों के तहत स्व-नियमन निकायों के गठन के संबंध में सूचना भेजी है।

डिजिटल समाचारों के प्रकाशकों, पत्रकारों, ओटीटी प्लेटफार्मों और जनसंचार संस्थानों के शिक्षाविदों ने वर्चुअल परस्पर संवादात्मक बैठक में सक्रिय रूप से भाग लिया। वेबिनार के दौरान प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए कई सवालों, मुद्दों और शंकाओं का निराकरण किया गया। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सूचना एवं जनसंपर्क विभागों के प्रतिनिधि और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की क्षेत्रीय मीडिया इकाइयों के प्रमुख भी इस बैठक में शामिल हुए।


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आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए डब्ल्यूएचओ-जीएमपी/सीओपीपी प्रमाणन

 आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए डब्ल्यूएचओ-जीएमपी/सीओपीपी प्रमाणन



एजेंसी

नई दिल्ली। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के मोहन स्थित केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्युटिकल कार्पाेरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) ने 18 आयुर्वेदिक उत्पादों के डब्ल्यूएचओ-जीएमपी/सीओपीपी प्रमाणन के लिए आवेदन किया है। 

आवेदन की जांच औषधि महानियंत्राक (भारत) के कार्यालय में की गई है तथा इकाई का संयुक्त निरीक्षण मार्च में किया गया था जिसमें केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्राण संगठन (सीडीएससीओ), आयुष मंत्रालय तथा उत्तराखंड सरकार के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण के अधिकारी शामिल थे। शीघ्र अनुपालन के लिए संयुक्त निरीक्षण दल की टिप्पणियां आईएमपीसीएल को भेज दी गई है। 

संगत प्रावधानों तथा दिशा-निर्देशों के अनुरूप औषधि महानियंत्रक (भारत) द्वारा डब्ल्यूएचओ-जीएमपी/सीओपीपी जारी किया जाएगा। यह जानकारी आयुष राज्यमंत्री महेन्द्रभाई मुंजापारा द्वारा राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी गई।


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हिंदीभाषा डाट काम द्वारा लेखन के क्षेत्र में 34वीं प्रतिस्पर्धा का आयोजन

 पिता के लिए उकेरी श्रेष्ठ भावना तो ममता तिवारी और सविता धर को मिला ईनाम 



हिंदीभाषा डाट काम द्वारा लेखन के क्षेत्र में 34वीं प्रतिस्पर्धा का आयोजन

संवाददाता

इंदौर (मप्र)। मातृभाषा हिंदी के सम्मान की दिशा में हिंदीभाषा डाट काम परिवार की तरफ से निरन्तर स्पर्धा का क्रम जारी है। इसी कड़ी में ‘पिता का पसीना, प्रेम और हम’ विषय पर आयोजित स्पर्धा में ममता तिवारी और सविता धर प्रथम विजेता बनीं। इसी प्रकार क्रमशः एस0के0 कपूर एवं सुरेन्द्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ ने द्वितीय स्थान पाया। 

यह जानकारी मंच परिवार की सह सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन और संस्थापक सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने दी। उन्होंने बताया कि इस 34वीं स्पर्धा में भी सबने खूब उत्साह दिखाया। अनेक प्रविष्टियों में से श्रेष्ठता अनुरुप चयन और प्रदर्शन के बाद निर्णायक मंडल ने गद्य विधा में ‘पिता के परिश्रम-प्रेरणा की महती भूमिका’ के लिए सविता धर (पश्चिम बंगाल) को प्रथम चुना है। इसी प्रकार ‘पिता के ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकते’ के लिए सुरेंद्र सिंह राजपूत ‘हमसफर’ (मप्र) को दूसरा स्थान दिया गया है।

आपने बताया कि पद्य वर्ग में ‘पिता सम्मान अपना’ हेतु ममता तिवारी (छग) को पहला विजेता चयनित किया गया है। इसी वर्ग में एस0के0 कपूर (उप्र) को ‘पिता का हाथ, उजाले का साथ है’ हेतु दूसरा एवं ‘पिता का प्रेम जैसा हमने पाया’ रचना के लिए शंकरलाल जांगिड़ (राजस्थान) को तृतीय विजेता घोषित किया गया है।

सह-सम्पादक श्रीमती जैन ने बताया कि 1.10 करोड़ दर्शकों-पाठकों का अपार स्नेह पा चुके इस मंच की संयोजक सम्पादक प्रो0 डा0 सोनाली सिंह एवं मार्गदर्शक डा0 एम0एल0 गुप्ता ‘आदित्य’ ने सभी विजेताओं और सहभागियों को शुभकामनाएं देते हुए सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।


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वृक्षमित्र डा0 सोनी को अंतर्राष्ट्रीय एक्सीलेंस एवार्ड

 वृक्षमित्र डा0 सोनी को अंतर्राष्ट्रीय एक्सीलेंस एवार्ड 



संवाददाता

देहरादून। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में 1998 से लगातार कार्य कर रहे वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अंतर्राष्ट्रीय एक्सीलेंस एवार्ड 2021 से सम्मानित किया। इंटिलियो वैलफेयर फाउंडेशन (आईएनटी) पांच देशों का संगठन हैं जिसमें आस्ट्रेलिया, जापान, कनाडा, भारत व फीजी देश हैं इन देशों के ज्यूरी पैनल ने उत्तराखंड से डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी को चयनित कर यह सम्मान दिया हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा वृक्षमित्र डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी ने अंतरराष्ट्रीय एक्सीलेंस एवार्ड प्राप्त कर उत्तराखंड का नाम पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। इस सम्मान के लिए उन्हें शुभकामनाएं हैं। आईएनटी ग्रुप आस्ट्रेलिया के अध्यक्ष भुवन भट्ट ने भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिलने पर बधाई दी।

बताते चले कि डा0 त्रिलोक चंद्र सोनी पेशे से अध्यापक हैं जो जनपद टिहरी गढ़वाल के मरोड़ा (सकलाना) में प्रवक्ता भूगोल के पद पर कार्यरत हैं और मूलतः जनपद चमोली के विकासखंड देवाल ग्राम पूर्णा के रहने वाले है। ग्रामीण परिवेश में पले डा0 सोनी की शिक्षा दीक्षा गांव में हुई हैं और वर्तमान में भी वे पर्वतीय क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश में हैं। 1998 से पर्यावरण की अलख की लौ जलाये आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा चुके है। डा0 सोनी स्वयं अपने खर्चे से 600 से अधिक कार्यक्रम कर चुके है और दस हजार से अधिक लोगांे को पौधा उपहार में भेंट कर चुके है।

उनका कहना है कि खुशनुमा जीवन तभी हो सकता हैं जब हम प्रकृति की सेवा करेंगे इसलिए मेरा पेड़-मेरा दोस्त (मेरा वृक्ष-मेरा मित्र) के तहत एक एक पौधा लगाकर धरती का श्रंृगार बनाने में अपना योगदान दें। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को औषधीय तेजपात का पौधा उपहार में देकर बधाई दी।


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सेना के आरआर अस्पताल ने नैत्र कैंसर के इलाज के नए तरीके को पेश किया

 सेना के आरआर अस्पताल ने नैत्र कैंसर के इलाज के नए तरीके को पेश किया



एजेंसी

नई दिल्ली। आर्मी हास्पिटल रिसर्च एंड रेफरल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सशस्त्र बलों के अस्पतालों के इतिहास में पहली बार नेत्र रोग विशेषज्ञों और ओकुलर आन्कोलाजिस्ट की एक टीम ने कर्नल एस0के0 मिश्रा, लेफ्रिटनेंट कर्नल सोनाली विनय कुमार, लेफ्रिटनेंट कर्नल अशोक कुमार और डा0 मनोज सेमवाल के नेतृत्व में चार साल के बच्चे की आंख पर प्लेक ब्राकीथेरेपी की सफल प्रक्रिया पूरी की। 

बच्चा पहले ही कैंसर के कारण अपनी बाईं आंख की रोशनी खो चुका था और वह पूरी तरह से अपनी दृष्टि खोने के कगार पर पहुंच गया था। सर्जरी स्थानीयकृत रेडिएशन इलाज प्रक्रिया का इस्तेमाल करके की गई। जिसके तहत भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र बीएआरसी से प्राप्त एक स्वदेशी रूथेनियम 106 प्लेक को आंख में डाला गया और जिसे आसपास के ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी करने के लिए इस्तेमाल किया गया।

नेत्र ट्यूमर के उपचार का मुख्य उद्देश्य सबसे पहले रोगी के जीवन को बचाना फिर आंख को बचाना और बच्चे की अधिकतम दृष्टि को संरक्षित करना था। आर्मी हास्पिटल रिसर्च एंड रेफरल इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक करने वाला पहला सशस्त्र बल अस्पताल बन गया है।


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सॉलिसिटर जनरल से खनन कारोबारियों की पैरवी कराने पर क्यों आमदा सरकार?

 

सॉलिसिटर जनरल से  खनन कारोबारियों की पैरवी कराने पर क्यों आमदा सरकार?


मोर्चा का सवाल                        
# महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की फौज क्यों हो गई फ्लॉप                     
# क्या 100-150 सरकारी वकीलों का अमला है सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि को    
# लाखों-करोड़ों रुपया बहाया जा रहा सरकारी अमले पर                            
# जन सरोकार के मामलों में क्यों याद नहीं आती दिल्ली के बड़े वकीलों की  
संवाददाता
विकासनगर। पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित खनन कारोबार से जुड़ी दो जनहित याचिकाएं 104/2019 व 212/2019, जिसके द्वारा  स्टोन क्रेशर/ स्क्रीनिंग प्लांट पॉलिसी को चुनौती दी गई है तथा इस मामले में सुनवाई हेतु 22/07/2021 की तिथि नियत है। उक्त याचिकाओं के माध्यम से जनपद हरिद्वार, उधम सिंह नगर व नैनीताल के लगभग 300 से अधिक स्क्रीनिंग प्लांट्स/ स्टोन क्रशर  को स्कूल,अस्पताल आवासीय तथा धार्मिक क्षेत्र इत्यादि स्थानों से 300 मीटर दूर रखने एवं एक सुझाव के तहत अन्यत्र (औद्योगिक आस्थान/ क्षेत्र के रूप में विकसित कर) स्थापित किए जाने तथा पर्यावरण संरक्षण किए जाने से संबंधित है। नेगी ने कहा कि सरकार की छटपटाहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उक्त याचिकाओं में पैरवी हेतु सरकार द्वारा प्रदेश के महाधिवक्ता व सरकारी वकीलों की टीम को दरकिनार कर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता को विशेष रुप से आबद्ध किया गया है। कहीं खनन कारोबारियों का अहित न हो जाए; इसलिए मा.सर्वोच्च न्यायालय, दिल्ली में तैनात सॉलिसिटर  जनरल ऑफ इंडिया को  आबद्ध (एंगेज) किया गया।                   
नेगी ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उच्च न्यायालय में तैनात सरकारी वकील नाकाबिल हैं या खनन कारोबारियों का सरकार पर दबाव है। अधिकांश मामलों में सरकार द्वारा  बाहर के वकील बुलाकर वादों में पैरवी करानी पड़ रही है, जिसमें पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है।                
नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि  इन 100-150 सरकारी वकीलों की फौज पर लाखों-करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है, बावजूद इसके, इनकी नाकामी की वजह से अधिकांश मामले में मा. न्यायालय में रोजाना अधिकारियों की व्यक्तिगत पेशी के कारण कामकाज प्रभावित हो रहे हैं तथा अधिकारी रोजाना डांट खा रहे हैं।            नेगी ने कहा कि सरकार को खनन कारोबारियों की तो चिंता है, लेकिन राज्य के कर्मचारियों, युवा बेरोजगारों, श्रमिकों, आंदोलनकारियों व आमजन के हितों की कोई चिंता नही है और न ही इनके मामले में पैरवी हेतु दिल्ली से बड़े  (नामी-गिरामी) वकील बुलाए जाते हैं।                   
पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह व अमित जैन थे।

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