बुधवार, 30 सितंबर 2020

प्रोफेसर वल्दिया के निधन पर कोश्यारी ने जताया शोक

प्रोफेसर वल्दिया के निधन पर कोश्यारी ने जताया शोक



संवाददाता
देहरादून। महाराष्ट्र तथा गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने वैज्ञानिक प्रोफेसर खड़क सिंह वल्दिया के निधन पर दुःख जताया है। अपने शोक संदेश मे राज्यपाल कोश्यारी ने कहा कि प्रोफेसर खड़क सिंह वल्दिया के निधन का समाचार अत्यंत दुःखदाई है। हमनें आज एक महान वैज्ञानिक को खो दिया है। 
उत्तराखंड के सूदूर पिथौरागढ़ से निकलकर उन्होंने भू गर्भ विज्ञान में न सिर्फ़ नाम कमाया बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर हिमालय को लेकर किये गए उनके शोधों ने विशेष ख्याति प्राप्त की। पदम भूषण और शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से नवाजे जा चुके डा0 वल्दिया कुमाऊं विश्व विद्यालय में भू गर्भ विभाग को स्थापित किया और कुलपति के रूप में उनका अभूतपूर्व योगदान रहा। 
उन्होंने कहा कि वे मां भगवती से उनको अपने श्री चरणों में स्थान देने की प्रार्थना करते है। और उनके परिवार जनों को इस दुख से उबरने की शक्ति की कामना करते है।


ग्लिसरीन फेस पर लगाने से पूर्व इन बातों पर दें ध्यान

ग्लिसरीन फेस पर लगाने से पूर्व इन बातों पर दें ध्यान



प0नि0डेस्क
देहरादून। महिलाओं को झुर्रियां, फाइन लाइन्स, ड्राई पैच और स्किन इंपफेक्शन जैसी त्वचा संबंधित समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। लेकिन अगर इन सबका एक हल चाहिये तो वह ग्लिसरीन ही है।
ग्लिसरीन सौंदर्य प्रसाधन में यह एक जाना पहचाना नाम है। इसके चमत्कारिक लाभ के कारण यह हर दूसरे त्वचा की देखभाल संबंधी उत्पादोें में मिल जाएगा। यह हर स्किन टाइप की महिलाओं को लाभ पहुंचाता है। ग्लिसरीन एक रंगहीन, मीठे स्वाद वाला गाढ़ा तरल है। यह पौधें एवं जानवरों दोनों से प्राप्त होता है। यह स्किन के लिए एक बेहतरीन क्लींजर साबित होता है।
इसके अलावा इसे बतौर टोनर भी यूज कर सकते हैं। यह त्वचा को इलास्टिसिटी को बढ़ाने के साथ-साथ स्मूद स्किन भी प्रदान करता है। चूंकि इसमें एंटी-एजिंग गुण भी होते हैं, इसलिए अगर लंबे समय तक जवां दिखना चाहते हैं तो भी इसे ब्यूटी रूटीन में शामिल करना चाहिए। इसे इस्तेमाल करने के भी कुछ नियम होते हैं। ग्लिसरीन चेहरे के लिए किसी वरदान से कम नहीं लेकिन जरूरी है कि उसे पफेस पर सही तरह से अप्लाई किया जाये तथा कुछ बातों का खास ध्यान रखें। 
वैसे तो यह वाटर साल्यूबल, नान टाक्सिक ग्लिसरीन स्किन पर काफी जेंटल होता है। लेकिन अन्य स्किन प्राडक्ट्स की ही तरह अगर पहली बार इसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो पैच टेस्ट करना न भूलें। पहले इसे हाथों पर अप्लाई करें। यदि फफोले या सूजन या पित्ती जैसे एलर्जी के लक्षण विकसित करते हैं तो डाक्टर से संपर्क करें। 
ग्लिसरीन आमतौर पर त्वचा पर उपयोग करने के लिए सुरक्षित है। हालांकि इसे कभी भी लंबे समय तक त्वचा पर नहीं छोड़ना चाहिए। इसकी थिक और चिपचिपी प्रकृति चेहरे पर धूल और प्रदूषण को आकर्षित करेगी। इसलिए अप्लाई करने के बाद इसे थोड़ी देर बाद धो लें। वैसे अगर ग्लिसरीन को नाइट स्किन केयर रूटीन में शामिल कर रही हैं और इसे ओवरनाइट मास्क की तरह अप्लाई करना चाहते हैं तो इस स्थिति में इसे गुलाब जल या किसी अन्य स्किन केयर इंग्रीडिएंट के साथ डायलूट कर लें। साथ ही इसका इस्तेमाल भी बेहद कम मात्रा में ही करें।
महिलाएं ग्लिसरीन को अपने फेस पर अप्लाई तो करना चाहती हैं, लेकिन सोचती हैं कि यह पशुओं के द्वारा प्राप्त है। इसलिए इसे अपनाने से कतराती है। ऐसे में वेजिटेबल ग्लिसरीन का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ग्लिसरीन पौधे के स्रोतों जैसे पाम आयल, सोया या नारियल के तेल से प्राप्त होता है और इसका उपयोग बड़ी संख्या में कास्मेटिक, भोजन और औषधीय उत्पादों में किया जाता है। ऐसे में अपनी स्किन को पैम्पर करने के लिए वेजिटेबल ग्लिसरीन को यूज कर सकते हैं।
यकीनन ग्लिसरीन का इस्तेमाल करते हुए इन सावधानियों को पूरी तरह बरतने पर आप बिना किसी परेशानी के एक खूबसूरती पा सकेंगे। 


 


राज्यहित में नहीं नेता-नौकरशाही का टकराव

जिम्मेदार लोगों को विवाद से पहले सौ बार सोचना चाहिये



राज्यहित में नहीं नेता-नौकरशाही का टकराव
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। प्रदेश में हाल फिलहाल जिस तरह जनप्रतिनिधियों एवं नौकरशाही के बीच तनातनी देखने को मिल रही है, वो बहुत ही गलत संदेश प्रस्तुत करती है। यह वास्तव में सत्ता में बैठे राजनेताओं की नेतृत्व क्षमता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाने वाली बात भी है। 
गलती किसकी है? यह बात अब गौण हो गई है। ऐसी नौबत ही क्यों आती है? क्योंकि सरकार में बैठे राजनेता और नौकरशाह एक दूसरे के प्रतिद्वंदी नही है, सहयोगी है। लेकिन आजकल उनका बर्ताव दुश्मनों सरीखा हो रखा है, जो प्रदेश के लिए किसी भी तरह से हितकारी नहीं कहा जा सकता। 
यह प्रदेश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हालात है। लेकिन प्रदेश के मुखिया का ऐसे प्रकरणों को गंभीरता से न लेना, उनकी अनुभवहीनता को उजागर करता है। वहीं यह बात उनकी नेतृत्व क्षमता की कमी को भी इंगित कर रहा है। वरना ऐसी अप्रिय स्थिति को टाला जा सकता था। लेकिन यहां पर प्रदेश के मुखिया का रवैया बेहद तटस्थ सा दिखाई दे रहा है। जो कि चौंकाने वाला है। 
खासकर तक जबकि ऐसे किस्से एक दो बार नहीं बल्कि बार-बार दोहराये जा रहें है। फर्क बस इतना है कि हर बार मंत्री बदल जाता है, अफसर बदल जाता है। लेकिन मूल में वहीं विवाद उभर कर आ जाता है। ऐसी परिस्थिति में प्रदेश के मुखिया को हस्तक्षेप करना चाहिये लेकिन यह दिख नहीं रहा। न नेता नौकरशाह की मान मर्यादा को रख रहा है और न ही नौकरशाह मंत्रियों या जनप्रतिनिधिें का मान रख रहा है। 
ऐसा लगता है जैसे इन सबके अपने अपने आका है जिनके इशारे पर यह लोग तमाम मर्यादाओं को तार-तार करने से गुरेज नहीं करते। सरकार के मुखिया मूक दर्शक बन तमाशा देख रहें है। ऐसा नहीं होना चाहिये। यह राज्यहित में घातक स्थिति है। क्योंकि चाहे राजनेता हो या नौकरशाह, उनको तमाम तरह की सुविधएं इसलिए मिलती है ताकि वे प्रदेश और जनता के विकास की जिम्मेदारी निभा सकें।


 


सिम्फनी ने दुनिया का पहला ‘यूनिवर्सल पैकेज्ड एयर कूलर’ लांच किया

सिम्फनी ने दुनिया का पहला ‘यूनिवर्सल पैकेज्ड एयर कूलर’ लांच किया



संवाददाता
देहरादून। एयर कूलर बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सिम्फनी लिमिटेड ने मेक इन इंड़िया को गति देने के मकसद से औद्योगिक और वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए ‘यूनिवर्सल पैकेज्ड एयर कूलर’ को लांच किया। यह दुनिया का पहला यूनिवर्सल पैकेज्ड एयर कूलर है जो इंस्टालेशन के दौरान उच्च स्तर की फ्रलेक्सिबिलिटी प्रदान करता है। ये एयर कूलर्स एसी की तुलना में 90 फीसदी बिजली की खपत कम करते हैं। 
इसकी रेंज में पीएसी 20यू, पीएसी 25यू और मूवीकूल एक्सएक्सएल माडल शामिल हैं जिसमें फोर-साइड कूलिंग पैड, डस्ट पिफल्टर और कूल फ्रलो डिस्पेंसर जैसी नई खूबियां मौजूद हैं। यूनिवर्सल एयर कूलर में सेम माडल के दो अलग-अलग एसकेयू के फायदे के साथ एक ही सेम मशीन को टाप या बाटम डिस्चार्ज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ये माडल्स कारखानों, गोदामों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों आदि जैसे बड़ी जगहों पर इंटाल करने के लिए उपयुक्त हैं। इस रेंज की कीमत 82,000 से 99,900 रुपये के बीच है। 
सिम्फनी और इसकी सहायक कंपनियों ने दुनिया भर में एक मिलियन से ज्यादा इंस्टालेशन पूरे कर लिए हैं और कूलर्स की इस नई रेंज की लान्चिंग के साथ सिम्पफनी इंडस्ट्रियल और कमर्शियल कूलिंग के लागत प्रभावी साल्यूशन के साथ बाजार में और गहराई तक प्रवेश करने के लिए तत्पर है। ये यूनिवर्सल पैकेज्ड एयर कूलर मशीनें विस्तृत सेल्स और सर्विस डीलर नेटवर्क के माध्यम से अब पूरे भारत में उपलब्ध हैं। 
सिम्फनी लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अचल बकेरी ने कहा कि हमने महसूस किया कि बड़ी जगहों के लिए पर्यावरण के अनुकूल कूलिंग उपकरण की भारी मांग है। ग्राहक एक अच्छे और साथ ही किफायती विकल्प की तलाश कर रहे हैं। हमारे देश में चीन से आयातित सस्ते और खराब गुणवत्ता वाले प्राडक्ट्स का प्रभुत्व है। 
उन्होंने कहा कि भारत में मौजूद अपार संभावनाओं को देखते हुए हमने दुनिया का पहला यूनिवर्सल इंडस्ट्रियल एयर कूलर लांच करने का फैसला किया। ये पूरी तरह से स्थानीय स्तर पर निर्मित हैं। साथ ही अपने उपभोक्ताओं के लिए सरकार की वोकल फार लोकल पहल में योगदान करने पर हम गर्व महसूस कर रहे हैं। 


टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में हिंदी पखवाड़ा का आयोजन 

टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड में हिंदी पखवाड़ा का आयोजन 



संवाददाता
ऋषिकेश। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के कारपोरेट कार्यालय में हिंदी पखवाड़ा मनाया गया। इस दौरान कर्मचारियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों का आनलाइन आयोजन किया गया। यह पखवाड़ा 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह से प्रारंभ हुआ एवं इसका समापन 29 सितंबर को राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक में पुरस्कार वितरण के साथ किया गया। बैठक एवं पुरस्कार वितरण समारोह निगम के निदेशक कार्मिक विजय गोयल की अध्घ्यक्षता में आयोजित किया गया। समारोह में कारपोरेट कार्यालय के सभी विभागों एवं अनुभागों के प्रमुखों तथा हिंदी नोडल अधिकारियों एवं विजेता कर्मचारियों ने कार्यक्रम में आनलाइन भाग लिया।   
निदेशक कार्मिक विजय गोयल ने सभी विजेता कर्मचारियों को बधाई देते हुए सभी कर्मचारियों से अपना समस्त सरकारी कामकाज हिंदी में कर राजभाषा विभाग के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ हिंदी अधिकारी पंकज कुमार शर्मा ने कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया। हिंदी पखवाड़ा के दौरान आयोजित हुई हिंदी निबंध प्रतियोगिता में हरीश चन्द्र उपाध्याय वरिष्ठ प्रबंधक, नोटिंग ड्राफ्रिटंग में शिवराज चौहान वरिष्ठ प्रबंधक, अनुवाद में संजय रावत प्रबंधक, कविता लेखन में एसके चौहान उप महाप्रबंधक प्रथम रहे।  
अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए अलग-अलग आयोजित की गई हिंदी ई-मेल प्रतियोगिता में अजय कुमार वरिष्ठ प्रबंधक एवं खीम सिंह बिष्ट वरिष्ठ सहायक प्रथम रहे। पखवाड़ा के दौरान नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य संस्थानों के लिए राजभाषा हिंदी प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया जिसमें केंद्रीय विद्यालय नं.-1, रुड़की के संजीव कुमार पीजीटी हिंदी प्रथम रहे। समारोह में मानव संसाधन विकास विभाग को अंतर विभागीय चल राजभाषा ट्रापफी तथा केंद्रीय संचार विभाग को उत्तरोत्तर प्रगतिगामी चल राजभाषा शील्ड प्रदान की गई।
इनके साथ ही विभिन्न प्रोत्साहन योजनाओं के अंतर्गत भी कर्मचारियों को पुरस्कृत किया गया। हिंदी में सर्वाधिक कार्य करने विभागाध्यक्षों की श्रेणी में एनके प्रसाद अपर महाप्रबंधक कामिक-प्रशासन, सर्वाधिक डिक्टेशन की श्रेणी में मुहर मणि कार्यपालक निदेशक ओएमएस, मूल रूप से टिप्पणी लेखन में सचिन मित्तल प्रबंधक एवं आशुतोष कुमार आनंद प्रबंधक प्रथम रहे। 


गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए पीएम ने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया

गंगा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए पीएम ने विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन किया



संवाददाता
देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कान्प्रफेंसिंग के माध्यम से नमामि गंगे मिशन के अंतर्गत प्रदेश में 6 बड़ी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया। मोदी ने गंगा नदी पर अपनी तरह के पहले संग्रहालय ‘गंगा अवलोकन’ का भी उद्घाटन किया। उन्होंने एक पुस्तक रोइंग डाउंन गंगेस और जल जीवन मिशन का नया लोगो भी जारी किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम पंचायतों और जल समितियों के लिए उपयोगी मार्गदर्शिका भी जारी की।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन का उद्देश्य देश के प्रत्येक घर को नल से जल उपलब्ध करवाना है। नया लोगो पानी के महत्व को समझते हुए एक-एक बूंद के जल संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा। मार्गदर्शिका को उल्लेखित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ग्राम पंचायतों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साथ-साथ सरकारी मशीनरी के लिए भी समान रूप से अहम है।
मोदी ने कहा कि गंगा अपने उद्गम स्थल उत्तराखंड से लेकर अपने आखिरी पड़ाव पश्चिम बंगाल तक देश की करीब 50 फीसदी आबादी के जीवन में अहम भूमिका अदा करती है। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे मिशन नदियों के संरक्षण का सबसे बड़ा मिशन है और इसका उद्देश्य सिपर्फ गंगा नदी की स्वच्छता नहीं है बल्कि यह समग्र नदियों की स्वच्छता पर केंद्रित है। 
मोदी ने कहा कि सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 4 रणनीतियों के साथ आगे बढ़ रही है। इसके तहत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की बड़ी संख्या में स्थापना, जो गंगा नदी में जाने वाले दूषित जल एवं मल को शुद्व कर सके। इन संयंत्रों का निर्माण आगामी 10-15 वर्षों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया जाना। गंगा नदी के पास वाले 5000 गांवों और 100 शहरों/कस्बों को खुले में शौच से मुक्त करना और गंगा की सभी सहायक नदियों में आने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए समग्रता में प्रयास किया जाना। 
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयास है कि उत्तराखंड में हरिद्वार के कुंभ में आने वाले श्रद्वालु अविरल और निर्मल गंगा नदी का दर्शन करें। गंगा अवलोकन संग्रहालय श्रद्वालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र होगा और गंगा से जुड़ी विरासत को समझने में, उसे जोड़ने में मदद करेगा।


सोमवार, 28 सितंबर 2020

हर्बलाइफ न्यूट्रीशन की संभव फाउंडेशन के साथ साझेदारी

हर्बलाइफ न्यूट्रीशन की संभव फाउंडेशन के साथ साझेदारी



स्वास्थ्य सेवा जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य जरूरतमंद लड़कियों और महिलाओं तक पहुंचना 
संवाददाता
देहरादून। वैश्विक न्यूट्रीशन कंपनी हर्बलाइफ न्यूट्रीशन ने महिलाओं और बच्चों के लिए ‘बिल्ड इट बेटर’ कार्यक्रम को सहयोग करने के लिए संभव फाउंडेशन के साथ साझेदारी की घोषणा की। यह कार्यक्रम अगले 10 महीनों में देश के 6 शहरों कोयंबटूर, मैंगलोर, इंदौर, गुवाहाटी, मुजफ्रफरपुर और पटना में चलाया जाएगा। इस पहल का लक्ष्य इंटरैक्टिव सत्रों के जरिए लड़कियों व महिलाओं के बीच पोषण और मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता, मातृ स्वास्थ्य देखभाल और चाइल्डकेयर के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छठी कक्षा से 1650 किशोरियों और प्रत्येक शहर में 500 महिलाओं तक पहुंचना है। हर सत्र के बाद महिलाओं और लड़कियों को सैनेटरी नैपकिन दी जाएंगी।
न्यूट्रीशन पावरहाउस के रूप में मशहूर कंपनी भारत में अपने बिजनेस के 20वें साल में है और यह निरंतर लोगों के लिए सक्रिय रूप से योगदान देने का प्रयास कर रही है। बिल्ड इट बेटर पहल के जरिए किशोर लड़कियों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण, मातृत्व मृत्यु दर और मासिक धर्म स्वच्छता जैसी समस्याओं को संबोधित किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के बारे में हर्बलाइफ न्यूट्रीशन इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट और कंट्री हेड अजय खन्ना ने कहा कि बिल्ड इट बेटर प्रोग्राम के लिए संभव फाउंडेशन के साथ हमारा सहयोग प्रभावशाली है जोकि महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित करेगा। यह महिलाएं और लड़कियां में बदलाव लाने की दमदार एजेंट हैं। 
संभव फाउंडेशन की ट्रस्टी और सीईओ श्रीमती गायत्री वासुदेवन ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे समाज में मासिक धर्म के बारे में बातचीत करना निषेध माना जाता है, खासतौर से ग्रामीण इलाकों में। हर्बलाइफ न्यूट्रीशन का यह प्रयास सराहनीय है, जो न केवल आम लोगों को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित करेगा, बल्कि एक व्यवहारिक बदलाव भी लाएगा। एक ऐसा बदलाव जहां जेंडर की परवाह किए बिना महिलाओं के स्वास्थ्य के इस अभिन्न पहलू पर चर्चा करना सामान्य होगा। 
हर्बलाइफ न्यूट्रीशन और संभव फाउंडेशन मिलकर लड़कियों के लिए मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन व पोषण संबंधी सत्र और महिलाओं के लिए पोषण, मातृ स्वास्थ्य और शिशु देखभाल पर सत्र आयोजित करेंगे। यह जागरूकता कार्यक्रम इंटरैक्टिव होगा और ग्रुप असाइनमेंट, रोल-प्ले गतिविधियों, वास्तविक-समय में सामुदायिक परियोजनाओं आदि के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता और संतुलित पोषण के महत्व के बारे में शिक्षित करेगा। 


 


झाझरा वन क्षेत्र के जंगल में वृक्षारोपण 

झाझरा वन क्षेत्र के जंगल में वृक्षारोपण 



सिटीजंस फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएंस संस्था द्वारा झाझरा वन क्षेत्र में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण 
संवाददाता
देहरादून। सिटीजंस फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएंस संस्था द्वारा झाझरा वन क्षेत्र में स्तर पर वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर 50 से अधिक आम के वृक्ष और 50 से अधिक वृक्ष अन्य प्रजातियों के लगाए गए जिनमंे बरगद, कनेर, पिलखन, पापड़ी, जामुन, आंवला, अमलतास इत्यादि वृक्ष शामिल किए गए। 
वृक्षारोपण के इस अवसर पर समिति के समस्त सदस्यों द्वारा लाकडाउन के नियमों का पूरा पालन किया गया और सभी सदस्यों ने वृक्षारोपण के दौरान अपने-अपने मास्क लगाकर वृक्ष लगाए। सिटीजंस फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएंस संस्था द्वारा किया गया उक्त वृक्षारोपण अभियान इस वर्ष का अंतिम वृक्षारोपण अभियान है। समिति द्वारा इस वर्ष में कुल 8 वृक्षारोपण कार्यक्रमों को पूरा किया गया है जिनमें करीब 700 से अधिक वृक्ष लगाए गए।
झाझरा वन क्षेत्र में आम के वृक्षों को लगाने का मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में आने वाले बंदरों की समस्या को समाप्त करना है और इसके साथ साथ जंगली जानवरों यथा बंदर, लंगूर इत्यादि को जंगलों में ही भोजन की प्राप्ति हो पाए।
इस वृक्षारोपण अभियान में समिति ने मुख्य अतिथि के रुप में प्रशांत खंडूरी ब्लाक अध्यक्ष मसूरी विधानसभा को आमंत्रित किया। खंडूरी द्वारा वृक्षारोपण अभियान में योगदान प्रदान किया गया और समिति द्वारा इस कोविड-19 बीमारी के समय मंे भी लगातार किए जा रहे वृक्षारोपण कार्यक्रमों की सराहना की और भविष्य में भी इसी प्रकार के सामाजिक कार्यों को किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया।
झाझरा वन क्षेत्र में किए गए वृक्षारोपण अभियान में समिति के संस्थापक तथा मुख्य संयोजक राम कपूर, सचिव, राजेश बाली, सरदार रणदीप सिंह अहलूवालिया, वीरेंद्र कुमार, नितिन कुमार, संदीप भाटिया, राकेश कुमार, गगन चावला, सनी कुमार, अनुराग शर्मा, हृदय कपूर इत्यादि सदस्य मौजूद रहे। 


में


नाक के जरिए कोरोना वैक्सीन देने की तैयारी

नाक के जरिए कोरोना वैक्सीन देने की तैयारी



दुनियाभर में कोविड-19 के लिए 320 वैक्सीन डेवलप की जा रही
एजेंसी
नई दिल्ली। कोविड-19 के मामले बढ़ने के साथ ही वैक्सीन की जरूरत बढ़ती जा रही है। अलग-अलग देशों में 300 से ज्यादा वैक्सीन का डेवलपमेंट हो रहा है। इनमें से अधिकतर वैक्सीन इंजेक्शन की शक्ल में दी जाने वाली हैं। हालांकि कुछ वैक्सीन ऐसी भी डेवलप की जा रही हैं जिन्हें नाक के जरिए शरीर में प्रवेश कराया जा सकता है। इन्हें नेजल या इंट्रानेजल वैक्सीन कहते है। 
कोरोना अक्सर नाक के जरिए एंट्री करता है। वैज्ञानिकों का तर्क है कि जिन टिश्यूज से पैथोजेन का सामना होगा, उन्हीं टिश्यूज में इम्युन रेस्पांस ट्रिगर करना असरदार हो सकता है। दूसरा तर्क जो नेजल स्प्रे के पक्ष में दिया जाता है कि एक बड़ी आबादी को इंजेक्शन लगवाने से डर लगता है। साथ ही इस तरह की वैक्सीन को बड़े पैमाने पर प्रोड्यूस करना आसान होता है। 
चूहों के एक ग्रुप को इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन दी गई। पिफर सार्स-कोविड-2 से एक्सपोज कराने के बाद, फेफड़ो में कोई वायरस नहीं मिला लेकिन वायरल आरएनए का कुछ हिस्सा जरूर पाया गया। इसके मुकाबले जिन चूहों को नाक के जरिए वैक्सीन दी गई थी, उनके फेफड़ों में इतना वायरल आरएनए नहीं था जिसे मापा जा सके। स्टडीज यह भी बतलाती हैं कि नेजल वैक्सीन आईजीसी और म्यूकोसल आईजीए डिपफेंडर्स को भी बढ़ावा देती हैं जो कि वैक्सीन के असरदार होने में मददगार हैं।
आमतौर पर इंट्रामस्कुलर (इंजेक्शन वाली) वैक्सीन कमजोर म्यूकोसल रेस्पांस ट्रिगर करती हैं क्योंकि उन्हें बाकी अंगों की इम्युन सेल्स को इन्फेक्शन की जगह पर लाना होता है। आम वैक्सीन के मुकाबले इन्हें बड़े पैमाने पर बनाना और डिस्ट्रीब्यूट करना आसान है। इसमें उसी प्राडक्शन तकनीक का यूज होना है तो इन्फ्रलुएंजा वैक्सीन में इस्तेमाल होती है।
नेजल वैक्सीन इम्युन सिस्टम को खून में और नाक में प्रोटीन्स बनाने के लिए मजबूर करती है जो वायरस से लड़ते हैं। डाक्टर नाक में एक छोटी सीरिंज (बिना सुईं वाली) से वैक्सीन का स्प्रे करेगा। यह वैक्सीन करीब दो हफ्रते में काम करना शुरू कर दी जाती है। नाक के जरिए दी जाने वाली दवा तेजी से नेजल म्यूकोसा (नम टिश्यू) में सोख ली जाती है, फिर उसे धमनियों या रक्त शिराओं के जरिए पूरी शरीर में पहुंचाया जाता है।
नेजल और ओरल वैक्सीन डेवलप करने वाली टेक्नोलाजी कम हैं। यह भी सापफ नहीं है कि कोविड-19 से मुकाबले के लिए कितनी वैक्सीन की जरूरत होगी। नेजल स्प्रे के जरिए दवा की बेहद कम मात्रा शरीर में जाती है। फ्रलू के लिए बनी नेजल वैक्सीन बच्चों पर तो असरदार है लेकिन एडल्ट्स में कमजोर पड़ जाती है।


 


मिठाई बनाने वालों को डब्बे पर लिखना होगा सरकार का आदेश

मिठाई बनाने वालों को डब्बे पर लिखना होगा सरकार का आदेश



एजेंसी
नई दिल्ली। मिठाई के शौकीन अक्सर नहींे जान पाते कि जो मिठाई वह बाजार से ले रहें है वो कितनी पुरानी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए फूड सेफ्रटी एंड स्टैंडर्ड्स अथारिटी आफ इंडिया एफएसएसएआई ने मिठाइयों की बिक्री से जुड़ा एक नया नियम बनाया है।
नए नियम के तहत अब ग्राहकों को बाजार में बिकने वाली खुली मिठाइयों के एक्सपायरी डेट की जानकारी मिल सकेगी। यानी मिठाई के दुकानदारों को बताना होगा कि ये मिठाई कब तक ताजी रहेगी। ये नियम 1 अक्टूबर से लागू हो जाएंगे।
एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा आयुक्तों को एक पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि सभी के हित में ध्यान रखते हुए यह तय किया गया है कि खुली मिठाइयों के मामले में बिक्री के लिए आउटलेट पर मिठाई रखने वाली ट्रे के साथ 1 अक्टूबर से अनिवार्य रूप से उत्पाद की बेस्ट बिपफोर डेट लिखी जाए।
पत्र में कहा गया है कि मिठाई बनाने की तारीख लिखनी होगी, लेकिन यह जरूरी नहीं होगा। यह मिठाई बनाने वाले दुकानदारी की मर्जी है कि वो मिठाई बनाने की तारीख लिखे या नहीं। बता दें कि आम घरों में इस्तेमाल होने वाले सरसों तेल में किसी दूसरे खाद्य तेलों की मिलावट करने पर एक अक्तूबर से पूरी तरह रोक लगा दी गई है।
एफएसएसएआई ने इस बारे में आदेश जारी किया है। एफएसएसएआई ने कहा है कि भारत में किसी भी अन्य खाद्य तेल के साथ सरसों तेल के मिश्रण पर 1 अक्टूबर से पूरी तरह रोक होगी।


सरकारी कर्मचारियों हेतु डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने को लेकर एसीएस से मिला मोर्चा       

सरकारी कर्मचारियों हेतु डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने को लेकर एसीएस से मिला मोर्चा       



- पूर्ववर्ती सरकार द्वारा पालिटेक्निक संस्थानों में डिप्लोमा कोर्सेज संचालित किए जाने के दिए थे आदेश       
- लगभग 4 साल में भी शुरू नहीं हुए पाठ्यक्रम संचालित 
- प्रदेश के सैकड़ों कर्मचारी करना चाहते हैं पार्ट टाइम डिप्लोमा कोर्सेज 
संवाददाता
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी से मुलाकात कर प्रदेश के भिन्न-भिन्न सरकारी विभागों/संस्थानों में कार्यरत कर्मचारियों के लिए पार्ट टाइम डिप्लोमा कोर्सेज शुरू कराने के मामले में पूर्ववर्ती आदेश का अनुपालन कराए जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा। 
श्रीमती रतूड़ी ने तकनीकी शिक्षा  एवं कौशल विकास  विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए। नेगी ने कहा कि दिसंबर 2016 में सरकार द्वारा प्रदेश के कर्मचारियों हेतु पालिटेक्निक संस्थानों में पार्ट टाइम डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित किए जाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन 4 साल बीतने को हैं, आज तक पाठ्यक्रम शुरू नहीं हो पाया। उक्त पाठ्यक्रम संचालित न होने से कर्मचारियों का भविष्य चौपट हो रहा है।


रविवार, 27 सितंबर 2020

लूडो में पिता से हारने पर कोर्ट पहुंची बेटी

लूडो में पिता से हारने पर कोर्ट पहुंची बेटी



भोपाल के फैमिली कोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया
एजेंसी
भोपाल। कोई भी खेल हार-जीत के साथ खत्म होता है। जब कोई व्यक्ति या टीमें आपस में खेलते हैं तो अंत में किसी का हरना तय है लेकिन कुछ खिलाड़ी हार को पचा नहीं पाते। मध्य प्रदेश के फैमिली कोर्ट में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है जिसमें एक बेटी अपने पिता के खिलाफ इसलिए अदालत पहुंच गई क्योंकि वह लूडो गेम में उनसे हार गई थी। 
एक 24 साल की युवती ने लूडो खेल को लेकर अपने पिता के खिलाफ भोपाल पफैमिली कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। युवती का आरोप है कि उसके पिता ने लूडो के खेल में उसके साथ चीटिंग की है। इस मामले में कोर्ट की काउंसलर सरिता ने कहा कि युवती ने कहा कि उसने अपने पिता पर भरोसा किया और उनसे धोखा देने की उम्मीद नहीं की। हमने उनके साथ चार काउंसलिंग सेशन बुलाए हैं।
युवती का कहना है कि पिता लूडो गेम में मुझे खुश करने के लिए हार भी तो सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और जीतने के लिए चीटिंग की जिससे उसके दिल को बेहद ठेस पहुंची और अब पिता के लिए सारा सम्मान खत्म हो चुका है। हालांकि काउंसलिंग के तमाम राउंड गुजरने के बाद युवती अब पाजिटिव फील कर रही है।
बता दें कि यूं तो फैमिली कोर्ट में घर परिवार से जुड़ीं तमाम बातों का निपटारा किया जाता है लेकिन लूडो से जुड़ा यह पहला केस बताया जा रहा है।


त्रिवेंद्र सरकार कर रही लोकतंत्र की हत्याः उमा सिसोदिया 

त्रिवेंद्र सरकार कर रही लोकतंत्र की हत्याः उमा सिसोदिया


संवाददाता
देहरादून। आम आदमी पार्टी की पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री व रायपुर विधानसभा प्रभारी उमा सिसोदिया ने प्रदेश की त्रिवेंद्र रावत सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने व विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। 
मीडिया को जारी अपने बयान में उमा सिसोदिया ने कहा कि प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार कोरोना काल की आड़ लेकर जनता व विपक्ष की आवाज को दबा रही है। 
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी लगातार जनहित के मुद्दों पर प्रदेश की निकम्मी रावत सरकार के खिलाफ जनता के सामने जा रही है जिससे सरकार बौखलाई हुई है और कोरोना की आड़ लेकर आप कार्यकर्ताओं पर जबरदस्ती मुकदमे पर मुकदमे लादे जा रहे हैं। 
जहां एक ओर मसूरी के शिफन कोर्ट के लोगों को बिना पुर्नविस्थापन के बेघर किये जाने के मुद्दे पर स्थानीय विधायक गणेश जोशी व पालिकाध्यक्ष के खिलाफ प्रदर्शन को प्रशासन द्वारा बलपूर्वक रोका गया वहीं दूसरी ओर विकासनगर के शीशमबाड़ा में नगर निगम के अवैध रूप से पर्यावरण मानकों के विरुद्व पूर्व में ब्लैक लिस्टेड कंपनी द्वारा संचालित ट्रेचिंग ग्राउंड हटाये जाने की मांग कर रहे आप कार्यकर्ताओं को डरा कर मुकदमे दर्ज किये जाने की धमकी प्रशासन द्वारा दी जा रही है। आम आदमी पार्टी इसकी कड़ी निंदा व विरोध करती है। 
उमा सिसोदिया ने कहा कि प्रदेश में आप के सक्रिय होने और 2022 में अपनी जमीन खिसकती देख त्रिवेंद्र सरकार डरी और बौखलाई हुई है और कोरोना आपदा एक्ट की आड़ में जनता व विपक्ष को डरा-दबा रही है जबकि आपदा एक्ट का सबसे ज्यादा उल्लंघन पूरे देश में भाजपा द्वारा ही किया जा रहा है। आम आदमी पार्टी संघर्ष व आंदोलन से उपजी पार्टी है और जनहित के मुद्दों सड़क से सदन तक सरकार से संघर्ष करेगी।


देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के भूमि चिन्हीकरण का कार्य आरंभ 

देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के भूमि चिन्हीकरण का कार्य आरंभ 



जार्ज एवरेस्ट में एक कार्टाेग्राफिक संग्रहालय का निर्माण भी प्रस्तावित 


संवाददाता
देहरादून। अवैध अतिक्रमण हटने के बाद बहुप्रतीक्षित देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के अंतर्गत भूमि चिन्हीकरण का कार्य आरंभ हो गया है। सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने रोपवे साइट तथा हाथीपांव स्थित जार्ज एवरेस्ट का निरीक्षण किया।
उन्होंने बताया कि देहरादून-मसूरी रोपवे के लिए पर्यटन विभाग के स्तर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस संबंध में ‘पोमा’ कंपनी के साथ कांट्रेक्चुअल एग्रीमेंट कर लिया गया है। साथ ही साइट पर किए गए अवैध अतिक्रमण को भी हटा लिया गया है। पर्यावरण विभाग से अनापत्ति प्राप्त हो जाने के उपरांत इस परियोजना पर कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।
देहरादून-मसूरी रोपवे पर्यटन विभाग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। एक हजार व्यक्ति प्रति घंटे (एक तरफ) की क्षमता वाले इस रोपवे के निर्माण के पश्चात पर्यटक राजपुर रोड से मसूरी टैक्सी स्टैंड के बीच की दूरी महज 15 मिनट में तय कर सकेंगे। इस रोपवे के बन जाने से जहां एक ओर पर्यटक पहाड़ों की वादियों की हरियाली का दर्शन करते हुए हवाई यात्रा के रोमांच का आनंद उठा सकेंगे वहीं दूसरी ओर इससे वायु प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन और देहरादून-मसूरी मार्ग पर ट्रैफिक जाम की समस्याओं से बचा जा सकेगा।
जार्ज एवरेस्ट के निरीक्षण के दौरान जावलकर के साथ सर्वे आफ इंडिया के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। सचिव पर्यटन ने बताया कि जार्ज एवरेस्ट में एक कार्टाेग्राफिक संग्रहालय का निर्माण प्रस्तावित है। इस संबंध में शीघ्र ही सर्वे आफ इंडिया के साथ एक मेमोरेंडम आफ अंडरस्टैंडिंग समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर किया जाएगा। 
ज्ञातव्य है कि जार्ज एवरेस्ट में लगभग 24 करोड़ रुपए की परियोजना पर कार्य किया जा रहा है जिसमें पर्यटकों के लिए इको प्रफेंडली लॉग हट्स, मोबाइल टायलेट, फूड वैन, ओपन थिएटर और हैरीटेज ट्रैक का निर्माण किया जाना है।


शनिवार, 26 सितंबर 2020

नौसेना कर्मियों को वीरता एवं गैर वीरता पदक 

नौसेना कर्मियों को वीरता एवं गैर वीरता पदक



नौसेना अलंकरण समारोह-2020
एजेंसी
कोच्चि। वाइस एडमिरल ए0के0 चावला फ्रलैग आफिसर कमांडिंग इन चीफ दक्षिणी नौसैनिक कमान (एसएनसी) ने राष्ट्रपति की ओर से यहां कोच्चिं नौसेना अड्ढे पर नौसेना अलंकरण समारोह में बहादुर नौसेना कर्मियों को वीरता एवं गैर वीरता पदक (गणतंत्र दिवस पर घोषित) प्रदान किए। इनके अलावा उन कर्मियों को भी सम्मानित किया जिन्होंने नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया, पेशेवर उपलब्धियां हासिल कीं, उच्चस्तरीय उल्लेखनीय सेवा की और सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस अवसर पर चार नौसेना मेडल (वीरता), दो नौसेना मैडल (ड्यूटी के प्रति समर्पण), चार विशिष्ट सेवा मेडल (लंबे समय तक वीरता का परिचय देना) समेत कुल दस पदक प्रदान किए गए। इस अवसर पर कमांडर इन चीफ ने एक जीवन रक्षा पदक-मेडल (साहसिक कार्य एवं आत्म बलिदान के लिए) के साथ साथ पिछले एक वर्ष में असाधारण सेवा के लिए एशोर यूनिट (प्रतिष्ठान) एवं एफ्रलोट यूनिट (जहाज) को वर्ष 2020-21 के लिए यूनिट साइटेशन दिए जाने की घोषणा की।
इस अवसर पर वाइस एडमिरल ए0के0 चावला ने कहा कि यह एक विशेष महत्व का अवसर है जिसमें अपने साथी नौसेनाकर्मियों की बहादुरी के कारनामों और ड्यूटी के प्रति समर्पण को भारतीय नौसेना औपचारिक मान्यता प्रदान करती है। उन्होंने सभी पदक विजेताओं को बधाई दी और इस बात को रेखांकित किया कि नौसेना के सभी पुरुष और महिला कर्मचारी हर समय आगे बढ़कर उसी तरह की निस्वार्थ सेवा देते हैं जैसी भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र के लिए हर समय देती है। 
उन्होंने इसके लिए हाल में आईएनएस निरीक्षक द्वारा मारिशस को प्रदान की गई सहायता का उदाहरण दिया और कहा कि यह प्रधानमंत्री की सागर (क्षेत्र के सभी देशों के लिए सुरक्षा और तरक्की-सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन दि रीजन) परिकल्पना पर आधारित था ।
इस अलंकरण समारोह के दौरान हुई रस्मी परेड में 50 कर्मियों ने सलामी गारद निकाली। सलामी गारद का निरीक्षण वाइस एडमिरल ए0के0 चावला ने किया। इससे पहले उन्होंने एसएनसी के विभिन्न जहाजों और प्रतिष्ठानों के नौसेनाकर्मियों की पलटनों द्वारा की गई परेड का निरीक्षण किया। इस परेड का नेतृत्व कमांडर अभिषेक तोमर ने किया।
समारोह में भारतीय नौसेना के वरिष्ठ एवं गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। यह समारोह (एनआईसी) सामान्य तौर पर भारतीय नौसेना के लिए ही आयोजित किया जाता है। फिर भी देश के वर्तमान स्वास्थ्य परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए इसे हर कमान के अपने कर्मचारियों के लिए स्थानीय तौर पर आयोजित किया गया। इनमें सामाजिक दूरी बनाए रखने के सभी नियमों और कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन किया गया।


अलंकरणों का विस्तृत विवरण इस प्रकार हैः
नौसेना मैडल (वीरता)- कमांडर शैलेंद्र सिंह, कमांडर विक्रांत सिंह, लेफ्रिटनेंट कमांडर रवीन्द्र सिंह चौधरी, लीडिंग सीमैन सुशील कुमार। नौसेना मैडल (ड्यूटी के प्रति समर्पण)- कोमोडोर एमपी अनिल कुमार, कोमोडोर गुरचरण सिंह। विशिष्ट सेवा मेडल- रियर एडमिरल तरुण सोब्ती, कोमोडोर अजीत वी कुमार, कोमोडोर आर रामकृष्णन अयैर, कैप्टन के निर्मल रघु। जीवन रक्षा पदक- चीफ पैटी आफिसर मुकेश कुमार। यूनिट साइटेशन- एशोर यूनिटः आईएएस चिल्का (प्रतिष्ठान)। अफ्रलोट यूनिट -आईएनएस सुजाता (जहाज)।


आकाश ने क्रिकेटर युवराज सिंह को बनाया ब्रांड एंबेसडर

आकाश ने क्रिकेटर युवराज सिंह को बनाया ब्रांड एंबेसडर



युवराज आकाश डिजिटल के नवीनतम ओम्नी-चैनल कैंपेन में नजर आयेंगे
संवाददाता
देहरादून। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले देश के संस्थान आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड ने क्रिकेटर युवराज सिंह को अपना ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है।
आकाश के चेहरे के रूप में युवराज सिंह आकाश डिजिटल के नवीनतम ओम्नी-चैनल कैंपेन सक्सेस इज वेटिंग की अगुवाई करेंगे। सक्सेस इज वेटिंग कैंपेन उन छात्रों के लिए होगा, जो मेडिकल एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में एक बार फिर से भाग लेना चाहते हैं। 
कंपनी को एक खिलाड़ी की वापसी की ऐसी प्रेरणादायक कहानी की जरूरत थी, जिसमें जोरदार तरीके से वापसी का मूल संदेश छिपा हो। युवराज सिंह की वापसी की कहानी प्रेरणा का स्रोत हैं। पहले उन्होंने क्रिकेट जगत में अपने सफल करियर से लोगों को प्रोत्साहित किया, पिफर कैंसर को हराकर वापसी करने की उनकी कहानी भी बेहद प्रेरणादायक है।
आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड के निदेशक एवं सीईओ आकाश चौधरी ने कहा कि हमें खुशी हो रही है कि युवराज सिंह आकाश परिवार का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने कहा कि हम छात्रों को यह समझाना चाहते हैं कि हम न केवल उनके संघर्ष में उनके साथ खड़े हैं, बल्कि उनकी कमजोरियों को भी समझते हैं और सफलता पाने के इच्छुक छात्रों के सहयोग से उन कमजोरियों को दूर करने के लिए तैयार हैं। 
आकाश इंस्टीट्यूट के साथ इस सहयोग पर क्रिकेटर युवराज सिंह ने कहा कि मैं आकाश से इसलिए जुड़ा हूं क्योंकि यह संस्थान अपने छात्रों को कभी भी हार नहीं मानने की शिक्षा देता है, साथ ही इस तरह की कठिन प्रवेश परीक्षाओं में सफलता हासिल करने में उनकी मदद करता है। 
आकाश इंस्टीट्यूट का उद्देश्य शैक्षणिक जगत में सफलता हासिल करने की इच्छा रखने वाले छात्रों की मदद करना है। यहां पाठ्यक्रम एवं अध्ययन सामग्रियों के विकास के साथ-साथ अध्यापकों के प्रशिक्षण एवं निगरानी के लिए घरेलू स्तर पर एक केंद्रीकृत प्रक्रिया मौजूद है, जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय शैक्षणिक टीम द्वारा किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में आकाश इंस्टीट्यूट के छात्रों ने विभिन्न मेडिकल एवं इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं तथा एनटीएसई, केवीपीवाई और ओलंपियाड जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में रिकार्ड सफलता हासिल की है।


गुरुवार, 24 सितंबर 2020

गलत तरीके से तो नहीं गूंध रहे रोटी के लिए आटा

परफेक्ट तरीके से आटा गूंधने का तरीका जरूर जानना चाहिये
गलत तरीके से तो नहीं गूंध रहे रोटी के लिए आटा



प0नि0 डेस्क
देहरादून। देश में अलग अलग तरीकों से कई तरह की पकवान एवं भोजन बनाया जाता है। हर राज्य की कुछ खास डिशेज होती हैं। जिसे उन जगहों पर बहुत पसंद किया जाता है। लेकिन कुछ चीजें ऐसी होते हैं जिसे पूरे देश में बनाया और खाया जाता है। जिस तरह चावल देशभर में खाया जाता है उसी तरह से गेंहू के आटे की रोटियां भी पसंद की जाती है। 
गर्म-गर्म रोटियां पूरे देश में खाई जाती है। इसे बनाना बेहद आसान है। लेकिन कई बार देखते हैं कि बिलकुल गोल बेली हुई रोटी भी फूलती नहीं है। इसके पीछे एक गलती है जो शायद आप भी कर रहे होंगे। रोटी बनाने के लिए हमें एकदम परफेक्ट तरीके से आटा गूंधने का तरीका जरूर जानना चाहिये। यकीनन ऐसे गूंधने से एक भी रोटी खराब नहीं होगी। हर रोटी गुब्बारे की तरह फूलेगी और आपके भोजन का स्वाद भी बढ़ायेगी।
आटा गूंधने के लिए हमें अपने पास आधा किलो आटा, पानी, घी 1 चम्मच चाहिये। यह मात्रा जरूरत के मुताबिक कम या ज्यादा की जा सकती है। अब सबसे पहल एक बड़ी परात लीजिये। इसमें सूखा आटा डालिये। ध्यान रहे कि बर्तन इतना बड़ा होना चाहिए कि आपको आटा मिलाने में दिक्कत ना आए। अब सबसे पहले इसमें थोड़ा सा पानी डालें। कभी भी एक बार में ही ढेर सारा पानी नहीं डालना है। वरना आटा खराब हो सकता है। अब इसे अच्छे से मिक्स करें। जब आटा चिपकने लगे तो हिसाब से इसमें धीरे-धीरे और पानी मिलाएं। 
आटे को धीरे धीरे अच्छी तरह मिक्स करें। इसे अच्छे से मसलना है। यह जरूर है कि पहले ये हाथों में चिपकेगा। लेकिन जब आप मसलने लगेंगे तो धीरे-धीरे ये हाथों को छोड़ देगा। अब काफी देर तक इसे मसलने के बाद आप देखेंगे कि ये एक जगह स्टोर सा होने लगा है। जब एक जगह आटा जमा हो जाए तो पानी डालना बंद कर दें। 
अब मुट्ठी बंद कर आटे को जमकर मसलिये। ऐसा पांच मिनट तक करना है। ऐसा करने से आटा नरम हो जाएगा। जितनी देर तक आटे को मसलेंगे, आटा उतना ही नरम होता जायेगा। अब हथेली पर एक चम्मच घी लीजिये और उसे आटे के ऊपर लगा दीजिये। इसके बाद आटे को 10 मिनट के लिए रख दे। 
परफेक्ट आटा तैयार है। इससे नरम रोटियों से लेकर पराठे तक तैयार हो जाएंगे। साथ ही एक भी रोटी खराब नहीं होगी। तो इस तरकीब हो आजमाकर देखिये और ताजी रोटी का मजा लीजिये।


 


कोयला बिजली उत्पादन निगल रहा है हमारे बच्चों की जिन्दगी

कोयला बिजली उत्पादन निगल रहा है हमारे बच्चों की जिन्दगी


क्लाइमेट कहानी
देहरादून। हर साल कोयला बिजली संयंत्रों के उत्सर्जन मानकों को लागू नहीं करने की वजह से 88,000 बच्चे अस्थमा का शिकार हो जाते हैं। 140,000 बच्चे समय से पहले मतलब प्री टर्म पैदा होते हैं और 3,900 नौनेहाल असमय पैदा होते ही अकाल मौत की गोद में समा जाते हैं। इस बात का पता चलता है हाल ही में जारी किये गए एक विडियो से जिसे डाक्टरों के एक समूह ने कुछ स्वयं सेवी संस्थाओं और कुछ चुनिन्दा नागरिकों के साथ मिलकर बनाया है।  
इन सभी ने विडियो के जरिये कोयला विद्युत् संयंत्रों द्वारा उगले जा रहे जहरीली धुआं और उससे होने वाले स्वास्थ्य को नुकसान पर अपनी चिंता व्यक्त की। इस विडियो को बनाने वाली मुख्य संस्थाएं हैं सीआरईए, डाक्टर फार क्लीन एयर, दिल्ली ट्री एसओएस, एक्सटिनकट रेबिल्ल्यन इंडिया, हेल्थी एनर्जी इनिशिएटिव, लेट मी ब्रीथ, माई राईट टू ब्रीथ, पेरेंट्स फार फ्रयूचर, वेरिअर माम्स।
चेस्ट सर्जन एवं लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक डा0 अरविंद कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाले जहरीले धुए हमारे बच्चों के नव विकसित फेफड़ों के लिए घातक साबित होते हैं। इसकी वजह से बच्चों में अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, और लगातार खंासी आने जैसे क्रोनिक रोगों को जन्म देते हैं।  इसकी वजह से बच्चों के फेफड़ों का लम्बे समय तक होने वाला विकास रुक जाता है जो उनके लिए घातक साबित हो सकता है। हर मिनट ऐसी जहरीली हवा में सांस लेने देना बच्चों के प्रति एक जघन्य अपराध है। 
विशेषज्ञों के मुताबिक उत्सर्जन मानकों को लागू करने से पहले के मुकाबले पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन चालीस फीसद कम हो जायेगा। एसओ2 और एलओयू का उत्सर्जन 48 प्रतिशत कम हो जायेगा और मर्क्युरी का उत्सर्जन 60 प्रतिशत कम हो जायेगा।
हालांकि सेंटर फार रिसर्च आन एनर्जी एंड क्लीन एयर के अनुसार आज तक वर्तमान चरणबद्व योजना के तहत उत्सर्जन मानकों का पालन करने के लिए आवश्यक कुल कोयला बिजली संयंत्र की क्षमता का केवल 1 फीसद ही फ्रलेयू-गैस डिसल्पफराइजेशन तकनीक स्थापित की है। जबकि कोयला क्षमता के कुल 169.7ळॅ से, एफजीडी कार्यान्वयन के लिए केवल 27 फीसद क्षमता को बिड अवार्ड किया गया है।
इस पर सीआरईए के विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट पर्यावरण प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्र की क्षति और मानव स्वास्थ्य क्षति के लिए बड़े योगदानकर्ता हैं। इन बिजली संयंत्रों से प्रदूषण के उत्सर्जन को कम करना अनिवार्य है, इसके आलावा अधिक टिकाऊ और किफायती रिन्यूएबल ऊर्जा स्रोतों को स्थानांतरित करना है।
वहीँ काउंसिल आन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर के अनुमान के अनुसार यदि सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथारिटी के नेशनल इलेक्ट्रिसिटी प्लान 2018 में रिटायरमेंट के लिए पहचाने जाने वाले सभी प्लांटों को पीसीटी से वापस ले लिया जाए, तो इसकी लागत 94,267 करोड़ रूपये होगी। यदि अकेले योग्य पौधों को शामिल किया गया था, तो इसकी लागत 80,587 करोड़ रुपये होगी। यदि अकेले योग्य पौधों को शामिल किया गया था, तो इसकी लागत 80,587 करोड़ रुपये होगी।
सामाजिक लागत के साथ प्रदूषण नियंत्रण प्रौद्योगिकी की लागत के बीच एक तुलनात्मक विश्लेषण, जैसा कि सीईईडब्ल्यू शहरी उत्सर्जन द्वारा एक अध्ययन में किया गया था ने गणना की कि एफजीडी स्थापना की पूंजी लागत उस क्षमता के आधार पर जिस पर संयंत्र संचालित हो रहा है, संयंत्र लोड कारक और पौधे के जीवन के हिसाब से 30-72 पैसे/ज्ञॅी तक पहुंच जाती है। यदि कोयला संयंत्र मानकों को पूरा करते हैं, तो स्वास्थ्य और सामाजिक लागत 8.5 रुपये/ज्ञॅी से घटकर 0.73 पैसे/ज्ञॅी हो जाती है।
बात बच्चों के स्वास्थ्य की हो तो एक मां का पक्ष रखते हुए वारियर माम्स के भावरीन कंधारी कहती हैं कि पावर प्लांटों को स्वच्छ वायु मानकों को तत्काल लागू करना चाहिए। भारतीयों के बीच पुरानी फेफड़ों की बीमारियों में स्पाइक दिखाता है कि कैसे हम सरकार की अनुचित प्राथमिकताओं के लिए और एक मां के रूप में एक कीमत चुका रहे हैं जो मुझे स्वीकार नहीं है कि यह मेरे बच्चों को उनकी जान की कीमत पर हो रहा है। 


 


देश का 4.34 लाख टन अनाज बर्बाद

देश का 4.34 लाख टन अनाज बर्बाद



सर्वाधिक 97113 टन वर्ष 2004-05 व सबसे कम 1930 टन वर्ष 2019-20 में अनाज बर्बाद हुआ हैै
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को भारतीय खाद्य निगम द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ खुलासा
संवाददाता
काशीपुर। एक ओर देश में बड़ी जनसंख्या कुपोषण तथा भूख से त्रस्त हैै वही दूसरी ओर भारतीय खाद्य निगम केे गोदामों में लाखों टन अनाज बर्बाद होे रहा है। वर्ष 2003-04 से 2020-21 (जुलाई तक) कुल 4 लाख 34 हजार 638 टन खाने का अनाज बर्बाद हो चुका है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट को भारतीय खाद्य निगम द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने भारत सरकार के खाद्य विभाग से देश मंें अनाज की बर्बादी व खराब होने के वर्षवार आंकड़ों के विवरण की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में भारतीय खाद्य निगम के मुख्यालय के केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी/उप महा प्रबंधक (गु.नि.) संजीव कुमार ने अपने पत्रांक 29 दिनांक 18-08-2020 से वर्ष 2003-04 सेे जुलाई 2020 तक के उपभोेग जारी होनेे योग्य न रहने वाले खाद्य अनाजों केे वर्षवार आंकड़े उपलब्ध कराये हैै। 
उपलब्ध सूचना के अनुसार वर्ष 2003-04 से 2020-21 (31 जुलाई 2020) तक कुल 4 लाख 34 हजार 638 टन देश का अनाज बर्बाद हुआ है व जारी होने या उपभोग योग्य नहीं रहा हैै जबकि सबसेे कम अनाज 1930 टन वर्ष 2019-20 में बर्बाद हुआ है। उपलब्ध आंकड़ोें के अनुसार कोरोना काल में भी वर्ष 2020-21 में अप्रैैल से जुलाई 2020 तक 1521 टन खाद्य अनाज बर्बाद हुआ हैै जबकि वर्ष 2019-20 मंे पूरे वर्ष में 1930 टन अनाज ही बर्बाद हुआ था। उपलब्ध आंकड़ों में सर्वाधिक 97113 टन अनाज वर्ष 2004-05 में तथा 95075 टन वर्ष 2005-06 में बर्बाद हुआ है। तीसरे स्थान पर वर्ष 2003-04 में 76262 टन अनाज बर्बाद हुआ हैै।
अन्य वर्षों के अनाज की बर्बादी के आंकड़ों के अनुुसार वर्ष 2006-07 में 25553 टन, 2007-08 में 34426 टन, 2008-09 में 20114 टन, 2009-10 में 6702 टन, 2010-11 में 6346 टन, 2011-12 में 3338 टन, 2012-13 में 3148 टन, 2013-14 में 24695 टन, 2014-15 में 8776 टन, 2017-18 में 5213 टन, 2019-20 में सबसे कम 1930 टन तथा 2020-21 मेेें जुुलाई 20 तक चार माह में 1521 टन खाने का अनाज बर्बाद हुआ है। 
नदीम ने बताया कि यह आंकड़े केवल भारतीय खाद्य निगम के द्वारा किसानोें से खरीदेे गयेे खाने के अनाजोें की वर्ष 2003-04 से 17 वर्षों की बर्बादी के है। अन्य स्थानों पर व पहले हुई अनाज की बर्बादी केे आंकड़े तो उपलब्ध ही नहीं कराये गये हैं। इसकी सूचना केे लिये अपील की गयी हैै। 


मंगलवार, 22 सितंबर 2020

हलवाइयों को मिलने वाले इंडेन एलपीजी सिलेंडरों में होगी ज्यादा ताकत

हलवाइयों को मिलने वाले इंडेन एलपीजी सिलेंडरों में होगी ज्यादा ताकत
एजेंसी
नई दिल्ली। आगामी त्योहारी मौसम से इंडेन के 19 किलो के सिलेंडर में मिलने वाले एलपीजी गैस में ज्यादा ताकत होगी। कंपनी ने इस सिलेंडर का ब्रांड नेम एक्स्ट्रा तेज रखा है। कंपनी का दावा है कि इस सिलेंडर के उपयोग करने से हलवाइयों को ईंधन के खर्च में 5 से 7 पफीसदी की बचत होगी।
इंडियन आयल कारपोरेशन के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एसएम वैद्य ने इसकी जानकारी दी है। कंपनी की 61वीं वार्षिक आम बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस नए तरह के एलपीजी का ब्रांड नाम एक्स्ट्रा तेज रखा गया है। इसमें सामान्य सिलेंडरों के मुकाबले ज्यादा दहन क्षमता होगी। इस सिलेंडर के गैस से खाना जल्दी बनेगा। इससे कामर्शियल गैस सिलेंडर इस्तेमाल करने वालों को ईंधन के बिल में 5 से 7 पफीसदी की बचत होगी। इसकी पायलट परियोजना पुणे से शुरू हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि कामर्शियल ग्राहकों के लिए कंपनी के वैज्ञानिकों ने एक नए तरह के एलपीजी का इजाद किया है। प्रयोग के दौरान सामान्य एलपीजी में ही कुछ एडिटिव मिलाया गया तो गैस की दहन क्षमता बढ़ गई। उसके विभिन्न परिस्थितियों में परीक्षण के बाद इसे कामर्शियल ग्राहकों के लिए, औद्योगिक ग्राहकों के लिए इसे जारी करने का मन बनाया गया।
इंडियन आयल इस समय अपने 12 एलपीजी प्लांटों में इस तरह के एलपीजी का उत्पादन शुरू कर दिया है। कंपनी की योजना है कि इस साल के अंत तक देश के हर हिस्से में वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर वाले ग्राहकों को इसी तरह के गैस उपलब्ध कराये। वैद्य का कहना है कि यह हो जाएगा क्योंकि इसकी पूरी तैयारी है।
ग्राहकों को इंडेन के एक्स्ट्रा तेज गैस से कम से कम 5 पफीसदी का पफायदा होगा। लेकिन इसके लिए उन्हें एक भी पैसा ज्यादा खर्च नहीं करना होगा। कंपनी का कहना है कि अभी कामर्शियल एलपीजी की जो कीमत है, उसी कीमत पर एक्स्ट्रा तेज गैस उपलब्ध कराया जाएगा।


सैकड़ों योग्य छात्रों को 100 फीसदी छात्रवृत्ति से सम्मानित किया जाएगा

राज्यपाल ने आकाश इंस्टीट्यूट की राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा ‘एंथे-2020’ लान्च की
सैकड़ों योग्य छात्रों को 100 फीसदी छात्रवृत्ति से सम्मानित किया जाएगा



संवाददाता
देहरादून। राज्यपाल श्रीमती बेबी रानी मौर्य ने आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड के फ्रलैगशिप एनुअल स्कालरशिप परीक्षा आकाश नेशनल टैलेंट हंट एग्जाम (एंथे) का ग्यारहवां संस्करण लान्च किया। 
गौर हो कि देश भर में 200 से अधिक केंद्रों के साथ डाक्टर एवं आईआईटीयन बनने के इच्छुक छात्रों को प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले अग्रणी संस्थान आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड ने अपनी प्रमुख वार्षिक छात्रावृत्ति परीक्षा के ग्यारहवें संस्करण की घोषणा की है, जिसे आकाश नेशनल टैलेंट हंट एग्जाम (एंथे) के नाम से जाना जाता है। देश के 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 26 नवंबर से 6 दिसंबर  के दौरान क्रमबद्व तरीके से इस परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। 
26 नवंबर से 6 दिसंबर के दौरान दोपहर 02ः‘00 बजे से लेकर शाम के 07ः00 बजे के बीच आनलाइन परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी। इस लागिन विंडो के दौरान छात्र कभी भी परीक्षा दे सकते हैं। सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आफलाइन परीक्षा का आयोजन 6 दिसंबर को दो पालियों में यानी सुबह 10ः30 बजे से 11ः30 बजे तक तथा शाम 4ः00 बजे से 5ः00 बजे तक किया जाएगा।
एंथे अखिल भारतीय स्तर पर निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक है, जो योग्य छात्रों को 100 फीसदी तक छात्रवृत्ति प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है तथा डाक्टर और आईआईटीयन बनने की दिशा में पहला कदम उठाने में उनकी सहायता करता है। केवल वर्ष 2019 में परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की संख्या 3.4 लाख से अधिक थी। एंथे-2020 के लिए नामांकन फार्म जमा करने की अंतिम तिथि आनलाइन परीक्षा की तारीख से 3 दिन पहले और आफलाइन परीक्षा की तारीख से 7 दिन पहले है। इस परीक्षा का शुल्क मात्रा 200 रुपये है, जिसका भुगतान नेट बैंकिंग चैनलों के अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या सीधे आकाश इंस्टीट्यूट की शाखा, केंद्र के माध्यम से किया जा सकता है।
दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के लिए परीक्षा के परिणाम 15 दिसंबर को घोषित होंगे, जबकि सातवीं, आठवीं और नौवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के लिए परीक्षा के परिणाम 17 दिसंबर को घोषित होंगे। कक्षा सातवीं से कक्षा नौवीं तक के 2000 से अधिक छात्रों को ट्यूशन शुल्क पर 100 फीसदी की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी, साथ ही 700 छात्रों को पुरस्कार दिया जाएगा। 
आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड के निदेशक एवं सीईओ आकाश चौधरी ने एंथे-2020 के लान्च के अवसर पर कहा कि पिछले एक दशक में एंथे को शानदार प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है, जिससे हम बेहद उत्साहित महसूस कर रहे हैं। आज यह मेडिकल या आईआईटी के अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा रखने वाले स्कूली छात्रों के लिए देश के सबसे बड़े प्रवेश द्वार के रूप में उभरकर सामने आया है। छात्रों की ज्यादा-से-ज्यादा भागीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए हमने सातवीं से बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों के आवेदन आमंत्रित किए हैं। हमें यकीन है कि विगत वर्षों की तरह इस साल भी लाखों की संख्या में छात्र इस प्रतिष्ठित टैलेंट हंट परीक्षा के लिए आवेदन करेंगे और अपने करियर के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इस शानदार अवसर का भरपूर लाभ उठाएंगे।


निःशुल्क मास्क और काढ़ा वितरण 

निःशुल्क मास्क और काढ़ा वितरण 



उत्तरांचल पंजाबी महासभा प्रेम नगर इकाई एवं भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा किया गया वितरण
संवाददाता
देहरादून। उत्तरांचल पंजाबी महासभा प्रेम नगर इकाई एवं भारतीय चिकित्सा परिषद द्वारा निशुल्क काढ़ा एवं मास्क वितरण किया गया। उक्त आयोजन कैंट विधायक हरबंस कपूर के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर डाक्टर डीडीके शर्मा अध्यक्ष भारतीय चिकित्सा परिषद, विशिष्ट अतिथि लालचंद शर्मा कांग्रेस महानगर अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथि डाक्टर भारत सब्बरवाल, विशिष्ट अतिथि पंकज मसोन अध्यक्ष दून वैली व्यापार मंडलने प्रतिभाग किया। 
इस अवसर पर राजीव सच्चर परदेश संगठन मंत्री, अशोक वर्मा अध्यक्ष प्रेम नगर इकाई, सरदार वीरेंद्र पाल सिंह डिंपी महासचिव, राजीव पुंज प्रदेश सचिव, श्रीमती कोमल वोहरा महिला महानगर अध्यक्ष गुरदीप कौर, पीएस कोचर प्रेम नगर इकाई संरक्षक, सरदार हिम्मत सिंह प्रेम नगर इकाई, कर्नल जगजीत सिंह राणा, सरदार जसवीर सिंह, डाक्टर आदर्श कुमार, विजेंद्र सेन बजाज, हरभजन सिंह उपाध्यक्ष, जितेंद्र तनेजा सचिव, सरदार हरविंदर सिंह नरूला, सरदार सुप्रीत सिंह शहरी, सरदार  राजेंद्र बाजवा, सरदार कुलविंदर सिंह टिंकू कोषाध्यक्ष, धर्मपाल, सरदार मनदीप सिंह, सरदार हरविंदर सिंह आदि मौजूद रहे।


सोमवार, 21 सितंबर 2020

संसद से कृषि के दो विधेयक पारित

संसद से कृषि के दो विधेयक पारित
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक- 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पारित 
प0नि0ब्यूरो
नई दिल्ली। विपक्ष के विरोध के बीच संसद में कृषि क्षेत्र के उत्थान और किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से दो विधेयक पारित किए गए। कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को लोकसभा से पहले ही पारित हो गया था जबकि राज्य सभा ने भी इस विधेयक को पारित कर दिया। यह विधेयक 5 जून 2020 को आए अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में प्रस्तुत किया था।
विधेयक के संबंध में नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने किसानों को उनके उत्पाद की बेहतर कीमत दिलाने और उनके जीवन स्तर को उठाने के लिए पिछले 6 वर्षों में अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अनाजों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर जारी रहेगी। एमएसपी की दरों में 2014-2020 के बीच उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी की गई है। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी की घोषणा आगामी सप्ताह में की जाएगी। कृषि मंत्री ने कहा कि इन विधेयकों में किसानों की सम्पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक-2020 के मुख्य प्रावधानों में किसानों को उनकी उपज के विक्रय की स्वतंत्राता प्रदान करते हुए ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना जहां किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से भी उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकें।
यह विधेयक राज्यों की अधिसूचित मंडियों के अतिरिक्त राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज निर्बाध रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं प्रदान करेगा। किसानों को अपने उत्पाद के लिए कोई उपकर नहीं देना होगा और उन्हें माल ढुलाई का खर्च भी वहन नहीं करना होगा।
विधेयक किसानों को ई-ट्रेडिंग मंच उपलब्ध कराएगा जिससे इलेक्ट्रोनिक माध्यम से निर्बाध व्यापार सुनिश्चित किया जा सके। मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्रा में पफार्मगेट, कोल्ड स्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्राता होगी। किसान खरीददार से सीधे जुड़ सकेंगे जिससे बिचौलियों को मिलने वाले लाभ के बजाए किसानों को उनके उत्पाद की पूरी कीमत मिल सके।
इस विधेयक को लेकर शंका है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज की खरीद बंद हो जाएगा। कृषक कृषि उत्पाद यदि पंजीकृत बाजार समितियों (एपीएमसी मंडियों) के बाहर बेचेंगे तो मंडियां समाप्त हो जाएंगी। ई-नाम जैसे सरकारी ई-ट्रेडिंग पोर्टल का क्या होगा?
इसपर सरकार द्वारा कहा गया है कि एमसपी पर पहले की तरह खरीद जारी रहेगी। किसान अपनी उपज एमएसपी पर बेच सकेंगे। आगामी रबी सीजन के लिए एमएसपी अगले सप्ताह घोषित की जाएगी। मंडिया समाप्त नहीं होंगी, वहां पूर्ववत व्यापार होता रहेगा। इस व्यवस्था में किसानों को मंडी के साथ ही अन्य स्थानों पर अपनी उपज बेचने का विकल्प प्राप्त होगा।
मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग व्यवस्था भी जारी रहेगी। इलेक्ट्रानिक मंचों पर कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ेगा। इससे पारदर्शिता आएगी और समय की बचत होगी। कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 के मुख्य प्रावधानों में कृषकों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ना। कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उसकी उपज के दाम निर्धारित करना। बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन। दाम बढ़ने पर न्यूनतम मूल्य के साथ अतिरिक्त लाभ।
इस विधेयक की मदद से बाजार की अनिश्चितता का जोखिम किसानों से हटकर प्रायोजकों पर चला जाएगा। मूल्य पूर्व में ही तय हो जाने से बाजार में कीमतों में आने वाले उतार-चढ़ाव का प्रतिकूल प्रभाव किसान पर नहीं पड़ेगा। इससे किसानों की पहुंच अत्याधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी, कृषि उपकरण एवं उन्नत खाद बीज तक होगी।
इससे विपणन की लागत कम होगी और किसानों की आय में वृद्वि सुनिश्चित होगी। किसी भी विवाद की स्थिति में उसका निपटारा 30 दिवस में स्थानीय स्तर पर करने की व्यवस्था की गई है। कृषि क्षेत्र में शोध एवं नई तकनीकी को बढ़ावा देना।
इसपर व्याप्त शंका है कि अनुबंधित कृषि समझौते में किसानों का पक्ष कमजोर होगा और वे कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगे। छोटे किसान संविदा खेती (कांट्रेक्ट फार्मिंग) कैसे कर पाएंगे? क्योंकि प्रायोजक उनसे परहेज कर सकते हैं। नई व्यवस्था किसानों के लिए परेशानी होगी। विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को लाभ होगा।
इस पर सरकार द्वारा स्पष्टीकरण दिया गया है कि किसान को अनुंबध में पूर्ण स्वतंत्राता रहेगी कि वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेच सकेगा। उन्हें अधिक से अधिक 3 दिन के भीतर भुगतान प्राप्त होगा। देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं। यह समूह (एफपीओ) छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे।
अनुबंध के बाद किसान को व्यापारियों के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं होगी। खरीदार उपभोक्ता उसके खेत से ही उपज लेकर जा सकेगा। विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने की आवश्यक्ता नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद के निपटाने की व्यवस्था रहेगी।


सड़क किनारे किया गया वृहद वृक्षारोपण

सड़क किनारे किया गया वृहद वृक्षारोपण



प्रेम नगर के बनिया वाला गांव में सिटीजंस फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएंस द्वारा किया गया वृक्षारोपण 
संवाददाता
देहरादून। सिटीजंस फार क्लीन एंड ग्रीन एंबिएंस संस्था ने प्रेम नगर के बनिया वाला गांव की मुख्य सड़क के किनारे वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया। 50 से अधिक पौधें का रोपण ट्री गार्ड सहित किया गया। इनमें मुख्यतः पीपल, बरगद, कनेर, पिलखन, जरकाण्दा, पापड़ी, जामुन, आंवला, अमलतास इत्यादि पौधे लगाये गए। 
वृक्षारोपण के अवसर पर समिति के समस्त सदस्यों द्वारा लाकडाउन के नियमों का पूरा पालन किया गया और सभी सदस्यों ने वृक्षारोपण के दौरान मास्क पहनकर पौधे लगाए। समिति का दावा है कि उसने इस वर्ष अब तक 7 वृक्षारोपण कार्यक्रमों के जरिए करीब 600 से अधिक वृक्ष लगाए है।
बता दें कि बनिया वाला गांव की मुख्य सड़क के किनारे वृक्ष नहीं है। इसको ध्यान में रखते हुए समिति ने इस मार्ग पर वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया। इस मुख्य मार्ग के किनारों पर चाय बागान ने अपनी बाउंड्री पर तार-बाड़ कर रखी है जिसकी वजह से सड़क के दोनों तरफ काफी झाड़ियां हो रखी थी जिसे समिति ने साफ करवा कर वृक्षारोपण की व्यवस्था की। वृक्षों के साथ-साथ वृक्षों की सुरक्षा के लिए ट्री गार्ड भी लगाए गए ताकि पौधों की रक्षा हो। 
वृक्षारोपण अभियान में समिति ने मुख्य अतिथि के रुप में जितेंद्र रावत मोनी राज्य मंत्री युवा कल्याण उत्तराखंड सरकार को आमंत्रित किया। रावत द्वारा वृक्षारोपण अभियान में योगदान प्रदान किया गया और समिति द्वारा लगातार किए जा रहे सामाजिक कार्यों की प्रशंसा की। जन संबोधि के महावीर प्रसाद पैन्यूली ने भी वृक्षारोपण अभियान में पहुंचकर वृक्षारोपण में समिति का सहयोग किया। 
वृक्षारोपण अभियान में समिति के संस्थापक तथा मुख्य संयोजक राम कपूर, कोषाध्यक्ष शंभू शुक्ला, संदीप मेहंदीरत्ता, वीरेंद्र कुमार, नितिन कुमार, जेपी किमोठी, राकेश कुमार, उदय दत्ता, प्रवीण पासवान, श्रीमती मंजुला रावत, सुश्री सोनिया, अनुराग शर्मा, सुखपाल सैनी, हृदय कपूर, सुंदर शुक्ला, शिवम शुक्ला, चेतन मेहंदी रत्ता इत्यादि मौजूद रहे। 


रविवार, 20 सितंबर 2020

टपकेश्वर महादेव की यात्रा पर पहुंचे ऋ़षिकेश साइकिल क्लब के रेड राइडर्स

टपकेश्वर महादेव की यात्रा पर पहुंचे ऋ़षिकेश साइकिल क्लब के रेड राइडर्स



संवाददाता
देहरादून। ऋषिकेश साइकिल क्लब के रेड राइडर्स ऋषिकेश से नये ट्रैक टपकेश्वर महादेव की यात्रा पर पहुंचे। टपकेश्वर महादेव मन्दिर समिति के संरक्षक लाल चन्द शर्मा द्वारा सभी सदस्यों का स्वागत किया गया।
ऋषिकेश साइकिल क्लब के सदस्य जयेन्द्र रमोला ने कहा कि क्लब के रेड राइडर्स पिछले कुछ माह से लगातार साइकिल चला रहे हैं और हमारे क्लब द्वारा ऋषिकेश से नरेन्द्र नगर-कुंजापुरी, कालू सिद्व, लक्ष्मण सिद्व, ऋषिकेश से मालाखुंटी, ऋषिकेश से हरिद्वार चीला होते हुए वापस ऋषिकेश, ऋषिकेश से डाट काली मन्दिर जैसे लम्बे ट्रैक किये हैं जबकि हम सभी रोज करीब 40 किलोमीटर का सफर तय करते हैं। क्लब में ज्यादातर राइडर्स 40 साल से अधिक आयु के हैं, सबसे बड़े राइडर 59 साल के हैं जो लगातार हर ट्रैक में भाग लेते हैं।
टपकेश्वर मन्दिर समिति के संरक्षक लाल चन्द शर्मा ने कहा कि आज के कोरोना महामारी के इस दौर में जहां एक ओर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व कोरोना की दवा बनाने को डब्ल्यूएचओ से लेकर पूरे विश्व की सरकारें प्रयासरत है जबकि आज खुद के प्रयासों से हम अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं और इसके लिये साइकिल सबसे अच्छा माध्यम है। ऋषिकेश साइकिल क्लब के द्वारा चलाये जा रहे अभियान का स्वागत हैं।
यात्रा में क्लब के सदस्यों में यशपाल चौहान, नीरज शर्मा, पंकज अरोड़ा, मनीष मिश्रा, शैलेंद्र भण्डारी, विपिन शर्मा, नरेन्द्र कुकरेजा, विक्रम शेरगे शामिल थे।


विश्व सफाई दिवस के मौके पर मैड ने चलाया सफाई अभियान

विश्व सफाई दिवस के मौके पर मैड ने चलाया सफाई अभियान



संवाददाता
देहरादून। विश्व सफाई दिवस के मौके पर मेकिंग ए डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस मैड संस्था की ओर से शिखर फाल क्षेत्र में दो दिवसीय सफाई अभियान चलाया गया। कोरोना को ध्यान में रखते हुये संस्था के 5 सदस्य ही इस अभियान में शामिल हुए और सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क का प्रयोग करते हुए यह सफाई अभियान पूर्ण किया गया। इस अभियान को जारी रखते हुये मैड के कुछ सदस्यों द्वारा फेसबुक लाइव के माध्यम से शहर की साफ-सफाई व रखरखाव पर चर्चा की गयी। सदस्यों ने पर्यावरण के प्रति सरकारी तंत्र व आम जन मानस की जिम्मेदारी के विषय मे बताया और साथ ही रिस्पना पुर्नजीवन को लेकर सरकार के रुख व प्रशासन द्वारा चली आ रही लापरवाही पर भी चर्चा की गयी।
शिखर फाल रिस्पना नदी का मुख्य उद्गम क्षेत्र हैं, परंतु यहां पर भारी मात्रा में कूड़े की समस्या रिस्पना नदी के लिए हानिकारक साबित हो रही है। मैड संस्था विगत 9 वर्षों से रिस्पना पुनर्जीवन के लिए कार्यरत रही है और समय-समय पर प्रशासन से रिस्पना के जल ग्रहण क्षेत्र में निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की मांग करती आई है। संस्था के सदस्यों ने बताया कूड़े में उन्हें भारी मात्रा में प्लास्टिक और मैगी रैपर मिले जो कि नदी के आसपास बनी दुकानें और निर्माण कार्यों का परिणाम है। इकट्ठा किए गए कूड़े को संस्था के सदस्यों द्वारा स्वयं ही पूरी सावधानी के साथ निस्तारित भी  किया गया। 
इस अभियान में संस्था की ओर से आर्ची, आयुषी, शुभम, शार्दुल, सौरभ, राहुल, आशुतोष,  एहराज, इंदर मौजूद रहे।


छात्रावृत्ति के आवेदन पत्रों का वितरण व जमा करने की प्रक्रिया

छात्रावृत्ति के आवेदन पत्रों का वितरण व जमा करने की प्रक्रिया



देहरादून। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल (अ0प्रा0) डी0के0 कौशिक ने अवगत कराया है कि जनपद के पूर्व सैनिकों एवं सैनिक विधवाओं/आश्रितों को उत्तराखण्ड सैनिक पुनर्वास संस्था की ओर से देय वर्ष 2020-2021 की छात्रवृत्ति के आवेदन पत्रों का निःशुल्क वितरण एवं जमा करने की प्रक्रिया 25 सितम्बर से प्रारम्भ की जायेगी।  
उन्होंने कहा कि आवेदन पत्र प्राप्त करने से पूर्व भूतपूर्व सैनिक एवं सैनिक विधवाएं अपने पाल्यों की पिछली कक्षा में प्राप्त अंकों का प्रतिशत सुनिश्चित कर ले जो जिला सैनिक कल्याण  कार्यालय नोटिस बोर्ड पर चस्पा हैं। आवेदन पत्र जमा करते समय समस्त मूल दस्तावेज लाने आवश्यक हैं। 
इसके अतिरिक्त एक अन्य जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग डिग्री एवं मेडिकल डिग्री कोर्सेज के आवेदन पत्र जमा करने की अन्तिम तिथि 31 दिसम्बर है। इंजीनियरिंग कोर्स के अतिरिक्त अन्य सभी कोर्सेज के आवेदन पत्र जमा करने की अन्तिम तिथि 31 अक्टूबर है।


महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन 

महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन 



महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए चयन बोर्ड की कार्यवाही 
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) प्रदान करने की जांच के लिए गठित विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड ने सेना मुख्यालय में कार्यवाही शुरू कर दी है। गौर हो कि बोर्ड का नेतृत्व एक वरिष्ठ जनरल अधिकारी करता है। बोर्ड में ब्रिगेडियर रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल होती है। प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए महिला अधिकारियों को पर्यवेक्षकों के रूप में कार्यवाही को देखने की अनुमति दी गई है।
सेना द्वारा जानकारी दी गई कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने वाली महिला अधिकारियों को न्यूनतम स्वीकार्य चिकित्सा श्रेणी में पाये जाने के बाद स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा।


शिफन कोर्ट में बेघर लोगों के लिए आगे आयी आप

शिफन कोर्ट में बेघर लोगों के लिए आगे आयी आप



बेघर हुए लोगों को जमीन आवंटित कर विस्थापन करने की मांग रखी
संवाददाता
देहरादून। आम आदमी पार्टी मसूरी के शिफन कोर्ट में अतिक्रमण विरोधी अभियान के कारण बेघर हुए लोगों के लिए आगे आयी और उनके विस्थापन को लेकर ज्ञापन भी दिया। ज्ञापन में आप पार्टी ने शासन से मांग की कि वह बेघर लोगों को जमीन आवंटित कर उनका विस्थापन करे।
ज्ञापन में कहा गया कि कोरोना काल में शासन और पालिका की राजनीति का शिकार बनी मसूरी के शिफन कोर्ट के लोग अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई गवां कर बेघर हो गए है। आज वे अपने परिवार लेकर दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है। 
आप का कहना था कि इन लोगों के पास कोरोना संकट के चलते पिछले छह माह से कोई रोजगार भी नही है जिससे इनकी स्थिति दयनीय हो गई है। आम आदमी पार्टी ने पालिका व शासन से मांग की कि इन बेघर लोगों के लिए अपने कर्तव्य व मानवता के मद्देनजर शासन और प्रशासन के स्तर पर व्यवस्था करें ताकि इन पीड़ितों को छत मिल सके।
इस विषय पर आम आदमी पार्टी मसूरी के कार्यकर्ताओं ने उप जिलाधिकारी और पालिका के अधिशासी अधिकारी को ज्ञापन दिया। इस दौरान उन्होंने आक्सीमीटर से उनका आक्सीजन लेवल भी चेक किया।


री-कनेक्ट व रिस्टार्ट टूरिज्म पर वर्चुअल बी2बी ट्रैवल ट्रेड प्रदर्शनी 

री-कनेक्ट व रिस्टार्ट टूरिज्म पर वर्चुअल बी2बी ट्रैवल ट्रेड प्रदर्शनी 



पर्यटन सांस्कृतिक और पर्यावरण को साझा करने का माध्यमः सतपाल महाराज
संवाददाता
देहरादून। री-कनेक्ट व रिस्टार्ट टूरिज्म विषय पर वर्चुअल बी2बी ट्रैवल ट्रैड प्रदर्शनी के शुभारंभ के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् गढ़ी कैंट से भाग लिया। इस वर्चुअल बी2बी ट्रैवल ट्रैड प्रदर्शनी के अलग-अलग सेशन में 18 देशों व 13 राज्यों ने भाग लिया।
वर्चुअल बी2बी ट्रैवल समिट में भाग लेते हुए पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि हम सभी मानव जाति के इतिहास में सबसे कठिन समय से गुजर रहे हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि हम जल्द से जल्द इस से बाहर निकलें और अपने जीवन में फिर से सामान्य समय वापस लाएं। इस महामारी के कारण पर्यटन सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है लेकिन यकीन है कि लोग उत्साह और प्रतिबद्वता के माध्यम से इससे बाहर निकल सकेंगे। 
राज्य सरकार पर्यटन क्षेत्र के पुनरूद्वार के लिए किये जा रहे प्रयासों और पहलों के बारे में बात करते हुए पर्यटन मंत्री ने बताया कि कोविद-19 नकारात्मक परीक्षण रिपोर्ट के साथ आगंतुकों की यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं है। ऐसे सभी पर्यटक सभी सार्वजनिक स्थानों और स्थलों पर निर्बाध रूप से जा सकते हैं।
उत्तराखण्ड सरकार ने टूरिस्ट इंसेंटिव कूपन स्कीम लान्च की है। इस योजना के तहत उत्तराखंड आने वाले सभी पर्यटकों को प्रतिदिन आवास शुल्क का 1000 या 25 प्रतिशत (जो भी कम हो) अधिकतम छूट के अधीन प्रदान किया जाएगा। यूटीडीबी द्वारा संचालित वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना और दीनदयाल होमस्टे योजनाओं के तहत लिए गए ऋण पर सरकार पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के लिए मूलराशि पर लगने वाले ब्याज की प्रति पूर्ति करेगी। होटल, रेस्तरां और अन्य सड़क के किनारे के ढाबों के लिए पानी के बिल में वार्षिक वृद्वि को इस साल सामान्य 15 प्रतिशत के बजाय 9 प्रतिशत तक लाया गया है।
पर्यटन क्षेत्र में रोजगार की समस्या के समाधान के बारे में बताया गया कि ‘वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार और होमस्टे जैसी योजनाओं के लिए आनलाइन पंजीकरण की सुविधा की गयी है। अब साधारण क्लिक के साथ एक निवासी इन योजनाओं के तहत पंजीकृत हो सकता है और नई बसों की खरीद के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी या 15 लाख तक का लाभ उठा सकता है। इसी तरह होमस्टे योजना के तहत पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 33 प्रतिशत या 10 लाख रुपये और मैदानी इलाकों में 25 प्रतिशत या 7.5 लाख रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। 
धार्मिक पर्यटन के लिए उत्तराखंड को ‘देवभूमि’ के रूप में भी जाना जाता है, धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में अपार अवसर है। इस तथ्य का संज्ञान लेते हुए, हमारी सरकार ने पहले से ही पवित्र सर्किटों जैसे रामायण सर्किट, सीता सर्किट और महाभारत सर्किट पर काम करना शुरू कर दिया है। एक बार यह नया सर्किट पूरा होने के बाद राज्य में धार्मिक पर्यटन के नए रास्ते खुलेंगे। 
उन्होंने कहा कि ‘साहसिक पर्यटन’ की दृष्टि से हाल के वर्षों में हमारा राज्य साहसिक प्रेमियों के बीच प्रसिद्व हो गया है। हमारे पहाड़ी इलाके और जंगल ट्रेकिंग, राफ्रिटंग, कैम्पिंग आदि जैसे रोमांचकारी रोमांच के लिए एक आदर्श स्थलाकृति प्रस्तुत करते हैं चाहे यह उच्च ज्वार के पानी में उतरने के बारे में हो या बढ़ती चोटियों पर। सरकार में साहसिक पर्यटन राज्य के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए हितधारकों के साथ मिलकर साहसिक पर्यटन का एक अंतिम अनुभव प्रदान करने के लिए काम कर रहा है।
री-कनेक्ट व रिस्टार्ट टूरिज्म विषय पर वर्चुअल बी2बी ट्रैवल ट्रेड प्रदर्शनी का आयोजन फेयरफेस्ट मीडिया लिमिटेड द्वारा किया गया। इसमें भाग लेने वाले अतिथियों संजीव अग्रवाल चैयरमेन व सीईओ फेयरफेस्ट मीडिया लिमिटेड, श्रीमती मीनाक्षी शर्मा महानिदेशक पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार, प्रफेड ओकिया एजी निदेशक मार्केट डेवलपमेंट केन्या टूरिज्म बोर्ड, अरविंद बुन्धु निदेशक मॉरीशस टूरिज्म प्रमोशन अथॉरिटी, जेनु देवन मैनेजिंग डायरेक्टर टूरिज्म कॉर्पाेरेशन आफ गुजरात लिमिटेड आदि ने पर्यटन के पुररूद्वार और खोलने के लिए किये गए उपायों पर अपने विचार साझा किए तथा वर्चुअल बी2बी ट्रैवल ट्रैड प्रदर्शनी का संचालन गजनफर इब्राहिम मैनेजिंग डायरेक्टर व सीएमओ ने किया।


पेटीएम प्ले स्टोर पर वापस आया

पेटीएम प्ले स्टोर पर वापस आया



गूगल ने यूपीआई कैशबैक और स्क्रैच कार्ड प्रचार के कारण हटाया 
संवाददाता
देहरादून। एक नाटकीय अंदाज में पेटीएम ऐप नीतिगत उल्लंघनों के कारण गूगल प्ले स्टोर से हटाए जाने के कुछ घंटों के भीतर ही पुनः गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इससे पहले घरेलू वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी पेटीएम के प्रमोशनल यूपीआई कैशबैक और स्क्रैच कार्ड व्यवस्था को गैम्बलिंग बताकर इसे अपने ऐप स्टोर से हटा दिया था।
पेटीएम ने कहा कि कैशबैक देना बिजनेस में एक मानक व्यवस्था है, जिसे गूगल-पे सहित सभी कंपनियां व्यवहार में लाती है। अमेरिका स्थित इस टेक कंपनी ने भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए करोड़ों का कैशबैक दिया है। नोएडा स्थित पेटीएम देश का सबसे बड़ा भुगतान ऐप है और यह गूगल-पे को कड़ी टक्कर देता है।
पेटीएम ने हाल ही में यूजर्स के लिए क्रिकेट के प्रति उनके लगाव को और मजबूत करने तथा कैशबैक प्रदान करने के लिए अपने ऐप पर पेटीएम क्रिकेट लीग शुरू किया है। यह खेल यूजर्स को प्रत्येक लेनदेन के बाद प्लेयर स्टिकर प्राप्त करने, उन्हें इकट्ठा करने और पेटीएम कैशबैक जीतने का अवसर देता है। गूगल ने पेटीएम को जानकारी दी कि वे पेटीएम ऐप को अपने स्टोर से हटा रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह प्ले स्टोर पर उनके गैम्बलिंग के नियमों का उल्लंघन करता है। उसके बाद पेटीएम एंड्राइड ऐप को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया और यह डाउनलोड या अपडेट के लिए अस्थायी रूप से अनुपलब्ध था।
विजय शेखर शर्मा ने कहा कि यह एक तरफा कारवाई देश में ऐप पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को चुनौती देता है। उन्होंने कहा कि यह उन कंपनियों को रोकने का एक तरीका है जो भारत में नवाचार कर रही हैं। यह सरकार के यूपीआई के साथ डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के अभियान को कमजोर करती है, क्योंकि पेटीएम पर जो कैशबैक दिया जाता है उसे सीधे यूपीआई द्वारा क्रेडिट किया जाता है।
ऐसा ही अभियान गूगल-पे सहित कई ऐप पर चल रहा है। वे सभी स्टिकर और स्क्रैच कार्ड देते हैं। हमें यह देखना है कि हम विदेशी कंपनियों को अपने पारिस्थितिक तंत्र को रेगुलेट करने की अनुमति देते हैं या नहीं। यह नियमों का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसके कार्यान्वयन का है- जो बेहद अनुचित है। गूगल स्वयं इसी तरह के प्रोमो अभियान चलाता है। यह एक अच्छी तरह से सोची-समझी योजना जान पड़ती है। 


शनिवार, 19 सितंबर 2020

जलवायु परिवर्तन हिमालय के भूगर्भीय जलस्तर को घटा रहा है: शोध

जलवायु परिवर्तन हिमालय के भूगर्भीय जलस्तर को घटा रहा है: शोध



क्लाइमेट कहानी
देहरादून। पानी के चश्मे हिमालय क्षेत्र के ऊपरी तथा बीच के इलाकों में रहने वाले लोगों की जीवन रेखा हैं। लेकिन पर्यावरणीय स्थितियों और एक दूसरे से जुड़ी प्रणालियों की समझ और प्रबंधन में कमी के कारण यह जल स्रोत अपनी गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं।
यह कहना है इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी में रिसर्च डायरेक्टर एवं एडजंक्ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अंजल प्रकाश का। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित डॉक्टर अंजल प्रकाश के इस अध्ययन के मुताबिक़ पानी के यह चश्मे जलापूर्ति के प्रमुख स्रोत है और वह भूतल और भूगर्भीय जल प्रणालियों के अनोखे संयोजन से फलते-फूलते और बदलते हैं। माकूल हालात में जलसोते या चश्मे के जरिए भूगर्भीय जल रिसकर बाहर आता है। यह संपूर्ण हिमालय क्षेत्र के तमाम शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में जलापूर्ति का मुख्य स्रोत है। भूतल जल निकासी नेटवर्क में भी यह चश्मे जरूरी पानी उपलब्ध कराते हैं। हिन्दू कुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र के अनेक इलाकों में भूगर्भीय जलस्तर घट रहा है नतीजतन इन जल स्रोतों के जरिए पानी की आपूर्ति में भी गिरावट आ रही है।
शोध के नतीजों पर रौशनी डालते हुए अंजल कहते हैं कि अध्ययन से यह जाहिर होता है कि अधिक ऊंचाई पर जलवायु के कारण होने वाले परिवर्तनों से नदियों और झरनों में पानी के प्रवाह में बदलाव हो रहा है। हिमालय के ऊपरी और मध्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए यह जल स्रोत उनकी जीवन रेखा हैं। वो आगे बताते हैं कि भूगर्भीय जल एचकेएच क्षेत्र के जल विज्ञान का एक जरूरी हिस्सा है। अध्ययनों से पता चलता है कि कई स्थानों पर भूगर्भीय जलस्तर पहले ही कम हो रहा है। मिसाल के तौर पर मध्य गंगा बेसिन में पहले ही भूजल ओवरड्राफ्ट दिख रहा है जिससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
एचकेएच क्षेत्र में पिछले करीब डेढ़ दशक से  ट्रांसबाउंड्री  जल संबंधी मुद्दों पर काम कर रही आईआईटी गुवाहाटी में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर डॉक्टर अनामिका बरुआ ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहाकि चूंकि हम हिमालय क्षेत्र में भूतल और भूगर्भीय जल के बीच अंतर संबंधों को तलाश रहे हैं। ऐसे में ट्रांसबाउंड्री सहयोग का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण नजर आता है। जैसा कि इस अध्ययन में जिक्र भी किया गया है। भूगर्भीय जल एक द्रव स्रोत है जो किसी राजनीतिक बंदिश की परवाह नहीं करता। इस अध्ययन में जलस्रोत को सतत तरीके से प्रबंधित करने के लिए क्षेत्रीय सहयोग का आह्वान किया गया है। क्षेत्र के प्रबंधन तंत्र को एक मंच पर आना होगा और एचकेएच क्षेत्र में सतही तथा भूगर्भीय दोनों ही प्रकार के जीवनदायी जल स्रोतों के बेहतर प्रबंधन के लिए तकनीकी तथा वैज्ञानिक जानकारी के साथ संयुक्त रूप से काम करना होगा।
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए अंजल कहते हैं कि क्षेत्र में भूजल प्रशासन के लिए इन सभी मुद्दों के अपने निहितार्थ हैं। अध्ययन से पता चलता है कि इस इलाके में जल तंत्रों के पुनर्विकास के लिए एक समन्वित योजना का सुझाव दिया गया है जो ट्रांसबाउंड्री किस्म की है और जिसमें विभिन्न गांवों में वाटर शेड फैले हुए हैं।
अध्ययन में इस तथ्य को दोहराया गया है कि हिमालय क्षेत्र ट्रांसबाउंड्री किस्म का है जिसमें विभिन्न गांवों में वाटर शेड फैले हुए हैं। इनकी वास्तविक संख्या आठ है। जल साझा करने की स्थिति में ट्रांसबाउंड्री प्रशासन को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। खासतौर पर जब किसी वाटरशेड में पड़ने वाले गांवों के बीच परस्पर विश्वास नहीं होता। इससे केएचके क्षेत्र के लगभग हर स्तर पर गैर प्रभावी जल प्रबंधन की स्थितियां पैदा हो जाती हैं। क्षेत्र में सतही और भूगर्भीय जल स्रोतों के संरक्षण के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण और ट्रांसबाउंड्री सहयोग जरूरी है।
हाल के आंकड़ों से जाहिर होता है कि एचकेएच क्षेत्र के ग्लेशियरों के उल्लेखनीय हिस्से खतरनाक तरीके से पिघल रहे हैं। हाल में प्रकाशित अध्ययन में ग्लेशियरों के पिघलने की वजह से क्षेत्र की जल व्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों और निहितार्थ को समझने की कोशिश की गयी है। खासकर नदी बेसिन तथा हिमालय क्षेत्र पर निर्भरता वाले भूजल पर। इस रिपोर्ट में एचकेएच क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने और भूगर्भीय तथा सतही जल में होने वाले बदलावों के बीच सम्बन्धों की पड़ताल की गयी है।
इस रिपोट पर प्रतिक्रिया देते हुए टेरी स्कूल ऑफ़ एडवांस्ड स्टडी नई दिल्ली में रीजनल वाटर स्टडीज विभाग के प्रमुख प्रोफेसर अरुण कंसल ने कहा कि यह लेख बेहद दिलचस्प है और सही समय पर लिखा गया है। इसमें स्प्रिंग शेड प्रबंधन के मुद्दे को रेखांकित करते हुए उसके महत्व को बताया गया है। राष्ट्रीय जल नीति 2012 और उसके बाद बनाई गई जल संबंधी नीतियों में स्प्रिंग शेड पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। जैसा कि हम जानते हैं कि पानी के चश्मे हिमालय क्षेत्र में रहने वाले लोगों की जीवन रेखा हैं और जल सततता के लिहाज से भी वे बेहद महत्वपूर्ण है। वे ग्लेशियरों और भूतल पर बहने वाले पानी के साथ परस्पर क्रिया के लिहाज से एक जटिल प्रणाली हैं और निगरानी तथा डेटा की कमी के कारण उनके प्रवाह का प्रारूपीकरण करना मुश्किल है। इंसान की गतिविधियों और स्थानीय कारणों से जल स्रोतों में लगातार गिरावट हो रही है। यह स्थानीय प्रशासन और जमीन के उपयोगों में बदलाव दोनों की ही वजह से हो रहा है। बहरहाल जैसा कि आपके लेख में सही कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघलने से जल स्रोतों की स्वतंत्रता पर गंभीर खतरा पैदा हुआ है और स्थानीय समुदायों में इससे संभालने की क्षमता नहीं है।


भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्लैक हाल के तारों को भेदने का पता लगाया

भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्लैक हाल के तारों को भेदने का पता लगाया


खगोल भौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने इसके लिए नया माडल खोजा
प0नि0ब्यूरो
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने बड़े ब्लैक होल की जांच करने का एक नया तरीका खोजा है जिससे उसके द्रव्यमान और घूमने जैसे गुणों का पता लगाकर तारों को भेदने के बारे में निरीक्षण किया जा सके। उन्होंने एक माडल तैयार किया है जिससे ब्लैक होल के द्रव्यमान और घूमने के बारे में जानकारी हासिल कर अनुमान लगाया जा सकता है कि कुछ ब्लैक होल बड़ी आकाशगंगाओं के केंद्र में पाए जाने वाले उच्च गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र में खगोलीय पिंडों के आसपास आने पर तारों को कैसे भेदते हैं।
गौर हो कि अधिकांश ब्लैक होल अलग-थलग होते हैं और उनका अध्ययन करना असंभव होता है। खगोलविद इन ब्लैक होल के पास के सितारों और गैस पर प्रभावों को देखकर उनका अध्ययन करते हैं। जब ब्लैक होल का ज्वारीय गुरुत्वाकर्षण, तारों के अपने गुरुत्वाकर्षण से अधिक हो जाता है तो सितारे विघटित हो जाते हैं और इस घटना को ज्वारीय विघटन घटना (टीडीई) कहा जाता है। यह माडल, जिससे तारे के ज्वारीय विघटन के बाद उसका अवलोकन किया जा सकता है और एक अभिवृद्वि डिस्क का निर्माण होता है। इससे ब्लैक होल के द्रव्यमान और नक्षत्रीय द्रव्यमान के बहुमूल्य आंकड़ों के निर्माण के अलावा भौतिकी के बारे में जानकारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बड़े ब्लैक होल अपनी गुरुत्वाकर्षण क्षमता से सितारों की परिक्रमा को नियंत्रित करते हैं और उसकी ज्वारीय ताकतें आसपास आने वाले सितारों को अलग कर सकती हैं या भेद सकती हैं। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने पहले विघटन की दर और उसके आंकड़ों की गणना की थी, जिसमें एक नए अध्ययन में दिए गए नक्षत्रीय व्यवधान घटना की टिप्पणियों पर ध्यान केंद्रित किया। ब्लैक होल के द्रव्यमान, नक्षत्रीय  द्रव्यमान और तारों की कक्षा के निकटतम दृष्टिकोण बिंदु का अध्ययन किया। टी मागेश्वरन ने ए मंगलम की देख-रेख में अपने पीएच0डी0 शोध कार्य में विघटन घटना में अभिवृद्वि और गतिशीलता का एक विस्तृत अर्ध-विश्लेषणात्मक माडल विकसित किया। उनका शोध न्यू एस्ट्रोनामी में प्रकाशित हुआ था।



एक आकाशगंगा में तारों को पकड़ कर लाखों वर्षों में लगभग कई बार भेदा जाता है। बाधित मलबा केप्लर कक्षा का अनुसरण करता है और एक बड़े पैमाने पर गिरावट दर के साथ लौटता है जो समय के साथ कम हो जाती है। अतिक्रमण करने वाले मलबे का बाहरी मलबे से संपर्क होता है जिसके परिणामस्वरूप गोलाकार और एक अभिवृद्वि डिस्क का निर्माण होता है। ब्लैक होल में पफंसने से पहले पीछे के छेद के बाहर पदार्थ का अस्थायी संचय होता है। यह एक्स-रे से विभिन्न वर्णक्रमीय बैंडों में निकलता है,  जिससे आप्टिकल से लेकर पराबैंगनी किरणों का विकिरण होता है। यह घटना एक विकसित प्रयोगशाला बनाती है जिसमें एक विकसित अभिवृद्वि डिस्क के भौतिकी का अध्ययन किया जाता है। इसमें अंतर्वाह, बहिर्वाह और विकिरण की गैस की गतिशीलता शामिल है।
टीम ने ब्लैक होल और संबंधित उत्सर्जन द्वारा नक्षत्रीय व्यवधान का पता लगाने की भविष्यवाणी की थी। उन्होंने ब्लैक होल के द्रव्यमान और स्पिन का अनुमान लगाने के लिए भविष्यवाणी का इस्तेमाल किया। ज्वारीय विघटन की घटनाएं महत्वपूर्ण और उपयोगी घटनाएं हैं जो अर्ध-आकाशगंगाओं में बड़े ब्लैक होल्स के द्रव्यमान का पता लगाने और भविष्यवाणी करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) इस समय इस माडल से ब्लैक होल के गुरुत्वाकर्षण में डिस्क के विकास में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार अतिक्रमण करने वाला मलबा एक बीज अभिवृद्वि डिस्क का निर्माण करता है जो ब्लैक होल और हवा से बड़े पैमाने पर नुकसान के कारण विकसित होता है लेकिन मलबे के गिरने से बड़े पैमाने पर लाभ होता है। इस माडल का मुख्य आकर्षण सभी आवश्यक तत्वों को शामिल करना है। अभिवृद्वि, पीछे जाना और हवा -लगातार, एक सूत्रीकरण में जो संख्यात्मक रूप से तेजी से क्रियान्वित होता है और पहले की स्थिर संरचना की तुलना में टिप्पणियों के लिए अभिवृद्वि माडल में अच्छी तरह समाहित होता दिखाता है।
इस समय-निर्भर माडल चमकीलेपन का अनुकरण करता है, जो ज्वार के विघटन के लिए तारों को पकड़ने की दर, ब्लैक होल की अवसंरचना (ब्रह्माण्ड में ब्लैक होल का जनसंख्या वितरण) और सर्वेक्षण मिशन के साधन विनिर्देश के साथ विघटन की अपेक्षित दर का परिणाम देता है। अवलोकन से पता लगाने की दर के साथ अपेक्षित पहचान दर की तुलना करके कोई ब्लैक होल जनसांख्यिकी की जांच कर सकता है। प्रेक्षणों के अनुरूप तारे और ब्लैक होल के मानदंड मिलते हैं जो सांख्यिकीय अध्ययन के लिए उपयोगी होते हैं और ब्लैक होल की जनसांख्यिकी का निर्माण करते हैं।


उत्तराखंड की जेलों में बड़ी संख्या में गंभीर रोगी हैै केैद

उत्तराखंड की जेलों में बड़ी संख्या में गंभीर रोगी हैै केैद



केन्द्रीय कारागार में 125 तथा हरिद्वार जिला जेल में 316 बीमार कैदी
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को कारागार महानिरीक्षक द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ खुलासा
संवाददाता
काशीपुर।  उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों में बीमार कैदी भी बड़ी संख्या में हैै। प्रदेश की केन्द्रीय कारागार/सम्पूर्णनन्द शिविर में 125 बीमार कैदी तथा हरिद्वार जिला जेल में 316 बीमार कैदी बंद है तथा इसमंे विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रसित है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उत्तराखंड के महानिरीक्षक कारागार कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड के महानिरीक्षक कारागार उत्तराखंड से उत्तराखंड की जेलों में बंद कैदियों के सम्बन्ध में विवरणों की सूचना मांगी थी। लोक सूचनाधिकारी द्वारा अपूर्ण सूचना उपलब्ध कराने पर इसकी प्रथम अपील विभागीय अपीलीय अधिकारी को की गयी। इस अपील में सूचना उपलब्ध कराने का आदेश होनेे के बाद लोक सूचना अधिकारी/मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कार्यालय महानिरीक्षक कारागार उत्तराखंड ने अपने पत्रांक 639 दिनांक 4 अगस्त के साथ विभिन्न जेलों केे अधीक्षकों द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना की प्रति उपलब्ध करायी हैै। 
उपलब्ध सूचना के अनुसार 30 जून को केन्द्रीय कारागार/सम्पूर्णनन्द शिविर सितारगंज जेल की कुल क्षमता 552 कैैदियों की हैै तथा केन्द्रीय कारागार सितारगंज में 660 तथा सम्पूर्णनन्द शिविर सितारगंज में 46 कुल 706 कैदी बंद थे। इन बंद कैदियोें में सिद्वदोष अर्थात सजायाफ्रता कैदियोें की संख्या सम्पूर्णनन्द शिविर में 45 तथा केन्द्रीय कारागार में 319 बंदी ही है।
सम्पूर्णनन्द शिविर/केन्द्रीय कारागार सितारगंज केे पफार्मेसिस्ट के उपलब्ध विवरण के अनुसार जेल में बीमार बंदियोें की संख्या 125 है। इसमें 22 हृदय रोेग, 12 एचटीएन 8 मिर्गी, 6 ईएनटी (नाक, कान, गला), 3 आर्थाे (हड्ढी रोग), 27 सर्जरी, 11 न्यूरो (मानसिक रोेग), 15 स्किन डिसीज (त्वचा रोग), 8 डायबिटीज (शुगर), 1 टीबी, 2 एचआईवी/एड्स, 2 कैंसर तथा 8 आई (आंख) रोेगोें सेे पीड़ित है। 
उपलब्ध देहरादून जिला कारागार की सूचना केे अनुसार 1 जनवरी 2019 सेे 31 दिसम्बर 2019 तक कुल 258 कैदी कारागार अस्पताल में भर्ती रहे हैं। चमोली जिला कारागार ने 6 बीमार बंदियोें की सूचना उपलब्ध करायी हैै इसमें 2 एचआईवी, 1 टीबी तथा 3 मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारी से पीड़ित हैै। 
हरिद्वार जिला जेल में 316 कैदी बीमार है। इसमें 2 टीबी, 74 डायविटीज, 15 एचआईवी/एड्स, 01 कैंसर, 96 हाई ब्लड प्रेशर, 19 हृदय रोेग, 24 मानसिक रोेग, 5 दौैरों, 29 फेफड़ों की बीमारी, 07 विकलांगता, 25 बवासीर, 07 हर्निया तथा 12 पथरी रोग सेे पीड़ित हैै। जिला जेल पौैड़ी की सूचना के अनुसार 1 अप्रैैल से जून तक 39 कैैदियों को उपचार हेतु जिला अस्पताल भेजा गया।


विज्ञान की नजर में घी खाने के शरीर में प्रभाव

विज्ञान की नजर में घी खाने के शरीर में प्रभाव



लोग आज भी घी को मोटापा और बीमारी देने वाला मानते है
प0नि0डेस्क
देहरादून। वसा का एक शुद्व स्रोत घी किसी भी तरह के ट्रांसफैट से मुक्त होता है। एक साल तक कमरे के तापमान पर ही इसे शुद्व रूप में रखा जा सकता है। भारत और मध्य पूर्व के देशों में पारंपरिक खानपान में घी का इस्तेमाल होता आया है। पश्चिम में लोग इसे क्लैरिफाइड बटर के नाम से जानते हैं।
छह हजार साल से भी पुराने पारंपरिक चिकित्सा विज्ञान आयुर्वेद में घी के इस्तेमाल का जिक्र मिलता है। यह गाय के दूध से बनने वाला घी होता है। भारत के घरों में मक्खन को कम आंच पर पकाते हुए जिस पारंपरिक तरीके से घी निकाला जाता है उससे घी में विटामिन ई, विटामिन ए, एंटीआक्सीडेंट और दूसरे आर्गेनिक कंपाउंड सुरक्षित रहते हैं।
बिना नमक वाले बटर को गरम करने से भी तरल घी और मक्खन अलग हो जाते हैं। इसी तरल को पश्चिमी देशों में क्लैरिफाइड बटर या घी के नाम से बेचा जाता है। ज्यादातर तरह के तेल को तेज आंच पर गर्म किए जाने से उसमें से प्रफी रैडिकल कहलाने वाले अस्थिर तत्व निकलते हैं जो कि शरीर में जाकर कोशिका के स्तर पर बदलाव ला सकते हैं। वहीं घी का स्मोकिंग प्वाइंट 500° फारेनहाइट होने के कारण तेज आंच पर भी उनके गुण नष्ट नहीं होते।
घी में विटामिन ई के रूप में जो शक्तिशाली एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है। वह शरीर में घूम रहे प्रफी रैडिकल्स को ढूंढ कर खत्म कर देता है। इस तरह कोशिकाओं और ऊत्तकों को प्रफी रैडिकल के नुकसान से बचाता है और कई बीमारियों की संभावना से भी।
घास के मैदानों में चरने वाली गायों के दूध से निकाला गया घी सबसे अच्छा माना जाता है। इसमें सीएलए यानि कान्जुगेटेड लिनोलेइक एसिड का भंडार मिलता है जो दिल की बीमारियों से लेकर कैंसर तक से लड़ने में मददगार होते हैं। आयुर्वेद में जलन और आंतरिक संक्रमण में इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। इसमें पाए जाने वाले ब्यूटाइरेट नाम के फैटी एसिड शरीर के इम्यून सिस्टम के लिए अच्छे माने जाते हैं। घी में एंटी वायरल और पाचन तंत्र के भीतर की सतह की मरम्मत के गुण भी पाए जाते हैं।
घी में मोनोसैचुरेटेड ओमेगा-3 पफैट काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह वही फैट हैं जो सालमन मछली में भी मिलते हैं और इस कारण से पश्चिम में काफी लोकप्रिय हैं और दिल को स्वस्थ रखने के लिए डाक्टर इसे खाने की सलाह भी देते हैं। चूंकि घी बनाने की प्रक्रिया में दूध के लगभग सारे ठोस हिस्से अलग कर दिए जाते हैं, इसलिए शर्करा (लैक्टोज) और प्रोटीन (केसीन) की एलर्जी वाले भी घी खा सकते हैं।
खाने में मौजूद कई तरह के विटामिनों और खनिजों के लिए घी एक माध्यम का काम करता है। यह पोषक तत्व घी में घुल कर ज्यादा आसानी से शरीर की पाचन तंत्र में सोखने लायक बन पाता है। घी फैट का स्रोत तो है ही और हाल तक हर तरह के फैट को लेकर विश्व में अच्छी धारणा नहीं थी। घी और कई तरह के मक्खन में भी सैचुरेटेड फैट होते हैं जिनका संबंध दिल की बीमारों से रहा है। अब तक ऐसी पर्याप्त स्टडी नहीं हुई है जो इसे सुरक्षित बता सकें।
अगर घी से कोई दिक्कत नहीं रही है तो इसे रोजाना अपने खानपान में शामिल रखें। आप जहां भी रहते हैं, जैसे परिवेश से आते हैं और परिवार के खानपान में जैसे घी शामिल रहा है वैसे ही खाना चाहिए। हालांकि अगर कोई स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कत है तो डाक्टर की सलाह लेकर ही घी लेना चाहिए।


शुक्रवार, 18 सितंबर 2020

लाकडाउन में अपनायें टेरेस गार्डनिंग, करें स्वरोजगार

लाकडाउन में अपनायें टेरेस गार्डनिंग, करें स्वरोजगार


गंगावली टेरेस गार्डन से श्री सुरेन्द्र बिष्ट के साथ लेखक


- पवन नारायण रावत
गंगोलीहाट। जी हां दोस्तों...। कोविड-19 यानि कि कोरोना महामारी ने सम्पूर्ण भारतवर्ष सहित पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। महानगरों में कार्य करने वाले अधिकतर लोगों का रोजगार उनसे छिन चुका है। उन्हें मजबूरी में अपने घर-गावों की राह पकड़नी पड़ी है। अनेक युवाओं के सामने रोजी रोटी जुटाने की समस्या मुंह बाएं खड़ी है। ऐसे समय में आवश्यकता है ऐसे घरेलू तरीके अपनाने की जिससे कि बिना अधिक धनराशि निवेश किये हुए अपने परिवार के मासिक व्यय को वहन किया जा सके। आज हम ऐसे ही एक तरीके की बात करेंगे जिसे कहा जाता है- टेरेस गार्डनिंग।
इसके लिए हमने बात की गंगोलीहाट निवासी टेरेस गार्डनिंग में विशेष अनुभव रखने वाले एवं गंगावली नर्सरी के संचालक सुरेन्द्र बिष्ट से। बिष्ट द्वारा प्रदान की गयी जानकारियों के आधार पर आइये जानते हैं कि टेरेस गार्डनिंग की शुरुआत कैसे करें और इससे कैसे लाभ उठायें।
कैसे शुरू करें टेरेस गार्डनिंग



अलग अलग प्रकार के गमले...


टेरेस गार्डनिंग शुरू करने के लिए आपको सिर्फ टेरेस या छत की आवश्यकता है। जहां पर धूप आ सके। हां अगर ज्यादा धूप आती है तो आप उस स्थान पर शेड भी लगा सकते हैं ताकि पौधों का तेज धूप से बचाव किया जा सके। सुरेन्द्र बिष्ट के अनुसार आपके पास जितनी भी जगह छत में उपलब्ध हो आप अपनी आवश्यकतानुसार उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने स्वयं अपनी छत में लगभग 1200 वर्गफीट जगह में टेरेस गार्डन स्थापित किया है जिसे नाम दिया है- गंगावली टेरेस गार्डन। इसमें गर्मी सर्दी एवं चौमासे समेत पूरे नौ महीने की सब्जी पर्याप्त मात्रा में तैयार हो जाती है। जिसमें आलू, प्याज, मिर्च, धनिया, पुदीना, टमाटर, अदरक, लहसुन, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, बैगन, राई, सरसों, पालक, गाजर, मूली, करेले, मटर, बंदगोभी, पफूलगोभी, ब्रोकली, एलोवीरा, बीन्स, तोरी एवं अन्य पफलियां आदि अनेक सब्जियां सीजन के अनुसार तैयार होती हैं। इसके अलावा अनेक चिकित्सकीय गुणों से भरपूर पौधे जैसे कि- तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, रोजमैरी, लेमनग्रास आदि के साथ ही आप अपनी पसंद के अनुसार अनेक फूल लगाकर अपने घर को महका सकते हैं।
गमले कैसे तैयार करें



असामी ( तीता ) बैंगन


सबसे पहला कार्य है पौधे तैयार करना। इसके लिये आपको गमले की आवश्यकता होती है। बिष्ट का कहना है कि हमने सिर्फ घरेलू इस्तेमाल हो चुके पुराने डिब्बे, अनाज के कट्टे, सीमेन्ट के कट्टे, थर्माेकोल के बाक्स आदि का इस्तेमाल करके ही गमले तैयार किये हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इन्हें तैयार कर लें। आप मल्टी लेयर तरीके से भी गमले रख सकते हैं। इसमें एक रैक रखी जाती है, जिसमें दो या तीन लेयर में गमले रखे जा सकते हैं। सबसे ऊपरी लेयर का इस्तेमाल हैंगिंग बास्केट के लिए भी किया जा सकता है। इस तरह कम जगह में ज्यादा गमले रखे जा सकते हैं।
मिट्टी कैसे तैयार करें



गंगावली टेरेस गार्डन


गमले तैयार होने के बाद सबसे जरूरी बात है मिट्टी तैयार करना। सुरेन्द्र कहते हैं कि आप मिट्टी अपने हाथों से ही तैयार करें तो यह सबसे बेहतर होगा। इसके लिए आपको सामान्य मिट्टी का ही इस्तेमाल करना चाहिए। गमले में दो भाग मिट्टी एक भाग बालू और एक भाग खाद मिलाकर गमला तैयार हो जाता है। ध्यान रखना चाहिए कि खाद जैविक ही उपयोग करें, इसके लिए गोबर, घरेलू वेस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग अधिक लाभदायक होता है। बिष्ट बताते हैं कि बरसात के मौसम में अत्यधिक बारिश के कारण गमलों में ऊपरी सतह से मिट्टी बह जाती है अतः अत्यधिक बारिश से गमलों को बचाना चाहिए एवं समय-समय पर उनके ऊपरी हिस्से की मिट्टी अलग कर उसमें जैविक खाद मिलाने का ध्यान रखना चाहिए।
कटिंग का रखें ध्यान



थर्मोकोल के गमले...


गमले में पौधे लगाने के बाद निश्चित समय में उनमें उत्पादन शुरू होता है। इसके लिए उनकी कटिंग भी समय पर जरूरी है। बेहतर उत्पादन के लिए थ्री जी कटिंग जरूरी है। इसमें पौधे के ऊपरी हिस्से की टिप काटी जाती है, उसके उपरान्त शाखा काटी जाती है फिर अंत में अन्य शाखाएं काटी जाती हैं। इसके उपरांत सिर्फ मादा फूल ही आते हैं। फोर जी कटिंग करने पर डबल पफूल आते हैं एवं फाइव जी कटिंग करने पर चार या पांच तक फूल आते हैं। इस प्रकार पैदावार बढ़ जाती है। पर साथ ही इसमें मिट्टी में पोषक तत्वों का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। जिससे कि पौधे को सही मात्रा में पोषण प्राप्त होता रहे।
ये सावधानी बरतें



हरी सब्जियाँ...


टेरेस गार्डनिंग में क्योंकि पौधे खुले में रहते हैं इसलिए अत्यधिक धूप एवं बारिश से जरूरी बचाव अवश्य करें। 
प्रतिदिन सुबह शाम अथवा कम से कम एक बार नियमित तौर पर सभी पौधों का निरीक्षण अवश्य करें। अगर किसी में कोई कमी या समस्या नजर आये तो उसका उचित निवारण कर दें।
पौधों में पानी की पर्याप्त मात्रा का ध्यान रखें। 
बरसात में बारिश एवं नमी अधिक होने के कारण गमले में मिट्टी एवं पोषक तत्वों का विशेष ध्यान रखें।
टेरेस गार्डनिंग के फायदे



पुदीने का फूल


गंगावली टेरेस गार्डनिंग से हुए फायदों के बारे में सुरेन्द्र बिष्ट कुछ इस प्रकार बताते हैं- पेड़ कटने से जंगल कम एवं कंक्रीट के जंगल लगातार बढ़ते जा रहे हैं, ऐसे में टेरेस गार्डनिंग हम सबकी प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी भी है।
आजकल घरों में कम स्थान होने की वजह से खेती एवं हरियाली कम हो गयी है। जिसकी भरपायी टेरेस गार्डनिंग से की जा सकती है।
संरक्षित खेती की जा सकती है। जैसे कि गंगावली टेरेस गार्डन में असम के बैगन (तीता बैंगन), इजराइल के टमाटर , देहरादून की स्ट्राबेरी आदि का उत्पादन किया गया है। 
शुद्व ताजा सब्जियां हर मौसम में प्राप्त हो जाती हैं।
पर्यावरण को संरक्षित करने में व्यक्तिगत भूमिका निर्वहन की जा सकती है।
हरियाली के बीच रहने पर मानसिक तनाव कम होता है।


गुरुवार, 17 सितंबर 2020

एसबीआई जनरल इंश्योरेंस का यस बैंक के साथ अनुबंध

ग्राहकों को गैर जीवन बीमा समाधान उपलब्ध कराने के लिए कार्पाेरेट एजेंसी अनुबंध साइन 



एसबीआई जनरल इंश्योरेंस का यस बैंक के साथ अनुबंध
संवाददाता
देहरादून। एसबीआई जनरल और यस बैंक ने एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के खुदरा उत्पाद अपने कार्पाेरेट और खुदरा ग्राहकों को वितरित करने हेतु एक कार्पाेरेट एजेंसी अनुबंध साइन किया है। एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी के उत्पाद 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित यस बैंक के ग्राहकों को पेश किए जाएंगे।
एसबीआई जनरल ने देश भर में अपने वितरण का दायरा बढ़ाने के लिए बैंकों, पेमेंट ऐप्स, ई-कामर्स खिलाड़ियों, ब्रोकरों आदि के साथ अर्थपूर्ण गठबंधन किए हैं। यह भागीदारी इस बात को लेकर प्रतिबद्व रहेगी कि ग्राहकों के लिए गैर-बीमा उत्पादों एवं सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पेश की जाए, साथ ही साथ उन्हें बेहतर अनुभव दिलाने के लिए समूची ग्राहक मूल्य श्रृंखला पर प्रौद्योगिकी से काम लिया जाए।



एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के मुख्य व्यवसाय अधिकारी अमर जोशी ने इस गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यस बैंक के साथ हमारा गठजोड़ एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह अखिल भारतीय स्तर पर बैंक की शाखाओं तथा डिजिटल नेटवर्क की मौजूदगी के जरिए ग्राहकों के व्यापक समूहों तक हमारे बीमा उत्पाद प्रस्तुत करके हमारी पहुंच बढ़ाने में मदद करेगा। हम यस बैंक के साथ साझेदारी करके उत्साहित और रोमांचित हैं, जिसके पास लंबे समय से ग्राहकों की सेवा करने का उल्लेखनीय अनुभव है। यह गठबंधन हमें अपनी मंजिल तक पहुंचने तथा अनछुए बाजारों को सेवाएं प्रदान करने में मदद करेगा।
इस अवसर पर बात करते हुए यस बैंक के ग्लोबल हेड (रिटेल बैंकिंग) राजन पेंटल ने कहा कि यस बैंक को एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के साथ अपनी यह यात्रा शुरू करते हुए बेहद खुशी हो रही है और हम अपने बढ़ते ग्राहक-आधार की विकसित होती बीमा जरूरतों को पूरा करने की दिशा में नजदीकी सहयोग करने के लिए तत्पर हैं। हमें भरोसा है कि यस बैंक की शाखाएं और इसकी डिजिटल बैंकिंग वाली अनूठी क्षमताएं एसबीआई जनरल के ब्रांड की ताकत और इसके अभिनव उत्पाद समूह के साथ मिल कर हमारे ग्राहकों का मूल्य अनुपात बढ़ा देंगी।
संगठनों के बीच हस्ताक्षरित अनुबंध का आदान-प्रदान यस बैंक के ग्लोबल हेड (रिटेल बैंकिंग) राजन पेंटल एवं एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के मुख्य व्यवसाय अधिकारी अमर जोशी द्वारा किया गया।


कांग्रेसियों ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन

कांग्रेसियों ने जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन



कोविड टेस्ट के नाम पर ली जा रही राशि पर छूट देने की मांग की
संवाददाता
देहरादून। महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचन्द शर्मा के नेतृत्व में कांग्रेसियों ने जिलाधिकारी देहरादून से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा और कोरोना महामारी के नाम पर दून में पुनः लॉक डाउन न लगाये जाने एवं कोविड टेस्ट के नाम पर ली जाने वाली 2000 रूपये की रकम पर छूट दिये जाने की मांग की।
जिलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन में कांग्रेसियों ने कहा कि संज्ञान में आया है कि राज्य सरकार द्वारा कुछ व्यापारियों के प्रस्ताव पर कोरोना महामारी के संक्रमण का हवाला देते हुए देहरादून में पुनः लॉक डाउन लगाये जाने का प्रस्ताव दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के चलते लगाये गये पिछले लॉक डाउन में व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा तथा उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। विषेशतः छोटे दुकानदार एवं फड व्यवसाय करने वाले व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पडा। छोटे व्यापार करने वाले कई लोगों को अपने कर्मचारियांे का वेतन एवं परिवार का भरण-पोषण करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इस प्रकार का निर्णय छोटे-छोटे व्यावसायिक प्रतिष्ठान चलाने वालांे के हित मंे नहीं है। अब पुनः लॉक डाउन की स्थिति में छोटे व्यापारियों का व्यवसाय पूर्ण रूप से प्रभावित होगा। इसी प्रकार बारबर का व्यवसाय करने वाले कई लोग पहले लगाये गये लॉक डाउन के कारण बेरोजगार हो चुके हैं तथा पुनः लॉक डाउन की स्थिति में उनके सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा।
प्रतिनिधिमण्डल ने जिलाधिकारी के सौंपे ज्ञापन में यह भी कहा कि महानगर के सभी बाजार एवं अन्य प्रतिष्ठानों को खोलने की अनुमति दी जा चुकी है। इसी प्रकार देहरादून शहर के मध्य स्थित एकमात्र पार्क गांधी पार्क को खोलने की अनुमति प्रदान की जाये। उन्हांेने यह भी कहा कि राज्य सरकार की गाइड लाईन के अनुसार जो लोग बाहरी राज्यों से उत्तराखण्ड राज्य की सीमा में प्रवेश करेंगे उनका कोविड टेस्ट अनिवार्य रूप से किया जायेगा जिसके लिए उन्हें बार्डर पर ही 2000 रूपये नकद रूप में चुकाने होंगे। ऐसे में गरीब वर्ग के लोगों को इतनी बडी धनराशि चुकाना संभव नहीं हो पायेगा तथा वे अपने आवश्यक कार्य से भी राज्य की सीमा में प्रवेश नहीं कर पायेंगे।
प्रतिनिधिमण्डल ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया कि कोरोना महामारी के नाम पर देहरादून महानगर में पुनः लॉक डाउन न लगाये जाने एवं कोविड टेस्ट के नाम पर ली जाने वाली 2000 रूपये की धनराशि में छूट दिये जाने के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश जारी किये जाये।
प्रतिनिधिमण्डल में पूर्व विधायक राजकुमार, केवल पुण्डीर, शकील अहमद, राजीव पुंज, महेन्द्र मल्होत्रा आदि शामिल रहे।


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