शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

जीमेल को खाली कर बनाये ढेर सारी स्टोरेज स्पेस

जीमेल को खाली कर बनाये ढेर सारी स्टोरेज स्पेस



अगर जीमेल स्टोरेज को फ्री करना हो तो आजमाये आसान उपाय
प0नि0डेस्क
देहरादून। सभी जीमेल यूजर्स को गूगल की ओर से 15 जीबी का फ्री स्टोरेज जीमेल अकाउंट बनाने पर मिलता है। हालांकि यह स्टोरेज स्पेस सभी गूगल प्राडक्ट्स पर मिलाकर मिलता है। यानी जीमेल से लेकर गूगल ड्राइव तक एक अकाउंट पर 15 जीबी स्टोरेज ही फ्री मिलता है। ऐसे में पता नहीं चल पाता कि स्टोरेज किस वजह से भर रहा है या कौन सी फाइल्स डिलीट कर स्टोरेज प्रफी किया जा सकता है। हालांकि इसका पता लगाने का एक आसान तरीका बिल्ट-इन जीमेल फीचर है।
सबसे पहले देखना होगा कि कौन सी स्टोरेज सर्विस कितना डेटा इस्तेमाल कर रही है। इसके लिए one.google.com/storage यूआरएस अपने ब्राउजर में डालें और लाग-इन करें। इसके बाद हर गूगल प्राडक्ट की ओर से इस्तेमाल किया गया स्टोरेज स्पेस दिख जाएगा। अगर स्टोरेज का बड़ा हिस्सा जीमेल ने इस्तेमाल किया हो तो आगे के स्टेप्स फालो करें।
इनबाक्स में रिटेलर्स, मेलिंग लिस्ट और बाकी सोर्स से ढेर सारे ऐसे ईमेल आते हैं, जो किसी काम के नहीं होते। ऐसे जंक मेल्स के पफुर्सत पाने का तरीका अनसब्क्राइब कर देना होता है। ऐसे मेल्स को मार्क करने के बाद रिपोर्ट स्पैम आप्शन पर टैप कर सकते हैं। इसके बाद गूगल अपने आप ऐसे मेल्स को स्पैम मार्क कर देगा। इसके अलावा अलग प्रमोशन और सोशल टैब्स में ऐसे ढेरों मेल्स दिखेंगे, जिन्हें सिलेक्ट करके डिलीट किया जा सकता है।
ढेर सारे ईमेल्स के साथ आए अटैचमेंट्स भी बड़ा स्टोरेज स्पेस लेते हैं और इन्हें भी गैरजरूरी होने पर डिलीट कर देना चाहिए। अपने डेस्कटाप पर जीमेल ओपन करिए और सर्च विंडो में साइजः 5 एम लिखकर सर्च करिए। इसके बाद वे सभी मेल्स दिख जाएंगे, जिनके अटैचमेंट्स 5 एमबी से ज्यादा के हैं। यहां जरूरी मेसेजेस को छोड़ते हुए बाकी गैर-जरूरी ईमेल्स डिलीट कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद आखिर में मेल का ट्रैश भी क्लिकर करना ना भूलें।
अगर कई-कई साल पुराने ईमेल्स अब तक साफ नहीं किए गए हैं तो जाहिर सी बात है, ढेर सारा स्टोरेज स्पेस इस्तेमाल होगा। इसके लिए सर्च विंडो में ओल्डर एंड देन लिखकर सर्च कर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर 1 साल पुराने मेल देखने हों तो लोल्डर एंड देनः 1 वाई लिखकर सर्च करिए और सभी पुराने मेल्स दिख जाएंगे। ऐसे ईमेल्स को एक-एक कर या फिर एक साथ डिलीट किया जा सकता है।


झारखंड दलाली प्रकरण में  विरोधियों को  ब्रह्मास्त्र थमा बैठे नादान त्रिवेंद्रः मोर्चा    

झारखंड दलाली प्रकरण में  विरोधियों को  ब्रह्मास्त्र थमा बैठे नादान त्रिवेंद्रः मोर्चा  


- सीबीआई चाबुक से सहमे त्रिवेंद्र क्यों पहुंचे सर्वाेच्च न्यायालय की शरण में                   
- दलाली प्रकरण में त्रिवेंद्र अगर पाक साफए तो जांच से क्यों भागे         
- सर्वाेच्च न्यायालय जाने के बाद त्रिवेंद्र ने किए अपने रास्ते बंद 
- अगर मीडिया के लोग गुनहगार थे तो सीबीआई खुद लेती हिसाब 
- न्यायालय द्वारा नोटिस होने पर दलाली प्रकरण को लगे पंख 
- नोटिस जारी होने पर खुद पैर में कुल्हाड़ी मरवा बैठे त्रिवेंद्र 
संवाददाता
विकासनगर। .जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं कुटुंब के झारखंड दलाली प्रकरण, जिसमेें एक भाजपा नेता को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के एवज में दलाली किए जाने का मामला था जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई जांच एवं एफआईआर के निर्देश से घबराकर रातों.रात सर्वाेच्च न्यायालय की शरण में जाने से स्पष्ट हो गया है कि त्रिवेंद्र एवं कुटुंब को अपने गुनाह सता रहे हैं। जिसके कारण सीबीआई के नाम से ही ये भाग खड़े हुए।                      
नेगी ने  हैरानी जताते हुए कहा कि अगर त्रिवेंद्र दलाली प्रकरण में पाक साफ हैं तथा पैसों का कोई लेन.देन खातों में नहीं हुआ है तो सीबीआई से क्यों डर रहे हैं तथा क्यों सुप्रीम कोर्ट जाने की जरूरत आन पड़ी।             
नेगी ने कहा कि यह दुनिया का पहला मामला है, जिसमें एक तरफ तो सीएम के इशारे पर उनके रिश्तेदार द्वारा मीडिया कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई, जिसमें बड़ी-बड़ी बातों का उल्लेख किया गया तथा जांच की मांग की गई। अब जबकि न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे तो त्रिवेंद्र उल्टे पांव क्यों भाग खड़े हुए।  एक तरह से त्रिवेंद्र ने अपने विरोधियों को घर बैठे. बैठाए ब्रह्मास्त्र थमा दिया यानी खुद ही अपनी जांच करवा बैठे।     
नेगी ने कहा कि भले ही सर्वाेच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच एवं एफआईआर मामले मे कुछ दिनों के लिए राहत दी है लेकिन नोटिस जारी कर मामले को जारी रखा है यानी जांच तो होगी ही।


भारतीय संगठन को संयुक्त राष्ट्र से सम्मान

जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए भारतीय संगठन को संयुक्त राष्ट्र से सम्मान



एजेंसी
संयुक्त राष्ट्र। पर्यटन और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल दूर दराज के समुदायों को सौर ऊर्जा उपलब्ध कराने वाले भारतीय संगठन ने कोविड-19 महामारी के बीच जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के लिए संयुक्त राष्ट्र का प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता है। ग्लोबल हिमालयन एक्सपीडिशन (जीएचई) उन विजेताओं में शामिल हैं जिन्हें इस वर्ष यूएन ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
जीएचई दुनिया का पहला संगठन है जो पर्यटन और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल दूर दराज के समुदायों तक सौर ऊर्जा पहुंचाने में करता है। इस वर्ष के यूनाइटेड नेशन ग्लोबल क्लाइमेट एक्शन अवार्ड की घोषणा की गई जिसने दुनिया में जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए हो रहे बेहतरीन कार्य के प्रति ध्यान आकर्षित किया।
यूनाइटेड नेशन प्रफेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंटज (यूएनएफसीसीसी) की वेबसाइट की मुताबिक जीएचई पहला संगठन है जो पर्यटन और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल दूरस्थ समुदायों तक सौर ऊर्जा पहुंचाने में करता है और जिसे विश्व यात्रा एवं पर्यटन परिषद (डब्ल्यूटीसीसी) और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) से मान्यता प्राप्त है।
उल्लेखनीय है कि भौगोलिक बनावट की वजह से हिंदू कुश इलाके में रह रहे 1.6 करोड़ लोगों के पास बिजली नहीं है। जीएचई ‘इम्पैक्ट एक्सपीडिशन’ के तहत पर्यटन से मिले शुल्क और अन्य राशि का इस्तेमाल गांवों में सौर पैनल खरीदने, परिवहन, स्थापित करने और ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने में खर्च करता है ताकि बिजली के सूक्ष्म ग्रिड का परिचालन वे स्वयं कर सकें।
जीएचई ने अब तक भारत के तीन क्षेत्रों के 131 गांवों का विद्युतीकरण किया है जिसका असर 60 हजार ग्रामीणों पर पड़ा है। इसके लिए धन जुटाने के लिए शुरू हिमालय अभियान में 60 देशों के 1,300 से अधिक यात्री शामिल हुए।


जम्मू-कश्मीर में तैनात सैन्य उड़ान इकाई को वार्षिक उड़ान सुरक्षा ट्राफी 

जम्मू-कश्मीर में तैनात सैन्य उड़ान इकाई को वार्षिक उड़ान सुरक्षा ट्राफी 



एजेंसी
नई दिल्ली। चीफ आफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) फ्रलाइट सेफ्रटी ट्राफी की स्थापना इंडियन आर्मी एवियशन कोर यूनिटों के बीच उड़ान सुरक्षा संबंधी प्रयासों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई ताकि सैन्य कमांडरों को युद्व की स्थितियों के दौरान निर्णायक बढ़त मिल सके। यह ट्राफी भारतीय सेना विमानन कोर में उन इकाइयों को प्रदान की जाती है जो उड़ान सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्वता से काम करती हैं। 
सेना विमानन कोर उच्च स्तर की तकनीकी रूप से दक्ष इकाई है जो त्रि-आयामी स्तर पर काम करती है। उड़ान सुरक्षा शांति और सैन्य अभियानों में समान रूप से व्यापक महत्व रखता है। इस पुरस्कार को प्रदान करने में विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जाता है जिसमें कमांडरों का फील्ड फोर्मेशन, इकाई में दुर्घटना/घटना के मामले, रख-रखाव के नियमों का पालन, बेहतर अभ्यासों का क्रियान्वयन और उड़ान सुरक्षा से जुड़े ऐसे प्रयास जिनका ब्यौरा संग्रहित योग्य हो, इत्यादि शामिल हैं।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में 2019-20 में तैनात की गई सेना की 663वीं सेना विमानन कोर को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। यह स्क्वाड्रन सेना विमानन कोर की सबसे पुरानी स्क्वाड्रन में से एक है, जो नियंत्रण रेखा पर सैन्य अभियानों और कश्मीर घाटी में घुसपैठ रोकने के अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाती रही है। 
सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुन्द नरवणे ने सैन्य कमांडरों के कार्यक्रम के समापन दिवस पर इकाई के कमांडिंग आफिसर और सूबेदार मेजर को सीओएएस, उड़ान सुरक्षा ट्राफी प्रदान की।


गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

झारखंड दलाली प्रकरण में सीएम पत्नी संग एनजीओ को भी ले डूबेः मोर्चा                   

झारखंड दलाली प्रकरण में सीएम पत्नी संग एनजीओ को भी ले डूबेः मोर्चा                   
- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र का झारखंड कनेक्शन हरेंद्र रावत के एनजीओ से 
- जिन एनजीओ का जिक्र पीड़ित ने किया, उसमें सीएम पत्नी भी शामिल 
- उषा नामक एनजीओ में सीएम पत्नी हैं बतौर उपाध्यक्ष 
- एनजीओ बनाए थे जनसेवा हेतु, लेकिन हो रहा हवाला कारोबार 
- उषा एवं प्रोग्रेसिव डेरी फारमर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं हरेंद्र रावत 
- दोनों-तीनों एनजीओ के कर्ता-धर्ता हैं त्रिवेंद्र रावत



संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि झारखंड दलाली प्रकरण के तार जिस एनजीओ से जुड़े हैं, उसमें मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती सुनीता रावत स्वयं उपाध्यक्ष एवं हरेंद्र सिंह रावत अध्यक्ष हैं। इन एनजीओ-उत्तरांचल सोसायटी फॉर ह्यूमन अफेयर्स एंड  एडवांसमेंट (उषा) एवं प्रोग्रेसिव डेरी फारमर्स वेलफेयर एसोसिएशन (पीडीएफए) में भी हरेंद्र रावत अध्यक्ष हैं। 
इसके अलावा नालंदा कॉलेज ऑफ एजुकेशन नामक एनजीओ में भी रुपया ट्रांसफर करने का जिक्र पीड़ित (भाजपा नेता) ने किया है। इन दोनों-तीनों एनजीओ के मुख्य कर्ताधर्ता त्रिवेंद्र रावत हैं। बड़े दुर्भाग्य की बात की उक्त एनजीओ के मकसद बीपीएल पात्रों का उत्थान एवं किसानों का सुदृढ़ीकरण आदि था, लेकिन इन एनजीओ के जरिए एक तरह से हवाला कारोबार किए जा रहे हैं।               
नेगी ने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र रावत द्वारा झारखंड का प्रभारी रहते हुए एक भाजपा नेता को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के एवज में बतौर रिश्वत/दलाली लिए जाने के प्रकरण पर 2 दिन पहले उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच एवं एफआईआर के आदेश दिए हैं।
नेगी ने कहा कि त्रिवेंद्र रावत द्वारा अपने परिजनों, रिश्तेदारों, सहयोगियों एवं एनजीओ के खातों में रुपया ट्रांसफर कराया था, जिसका लेनदेन बैंक खातों के माध्यम से हुआ था। इस डील से यह साफ हो गया है कि पूरा कुटुंब, सहयोगी उगाही में ही लगे हैं। मोर्चा भ्रष्टाचार को कतई सहन नहीं करेगा तथा भ्रष्टाचारियों के ताबूत में आखिरी कील ठोक कर ही दम लेगा 


बाइक चलाते समय कुछ जरूरी बातें ध्यान रखें

बाइक चलाते समय कुछ जरूरी बातें ध्यान रखें



जिन्हें नजरअंदाज करने से अक्सर घट सकती है दुर्घटना
प0नि0डेस्क
देहरादून। बाइक चलाने के दौरान लोग अक्सर कई ऐसी बातों को आमतौर पर नजरअंदाज कर देते हैं, जो दुर्घटना की वजह बन सकते हैं। दुर्घटना कभी भी और कहीं भी हो सकता है। ऐसे में अपनी सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करना चाहिए। कुछ ऐसी बेसिक बातें हैं, जिन्हें बाइक चलाने के दौरान जरूर याद रखनी चाहिये।
बाइक चलाने वाले ज्यादातर लोग अपनी सुरक्षा के लिए कम बल्कि चालान कटने से बचने के लिए हेलमेट का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से वे कोई भी सस्ता हेलमेट खरीद लेते हैं, लेकिन ऐसा करना जानलेवा हो सकता है। बाइक चलाते वक्त हमेशा सर्टिफाइड हेलमेट ही पहनें। हेलमेट खरीदते वक्त यह भी ध्यान रखें कि यह अच्छे मटीरियल का बना हो और सिर पर सही से फिट आता हो। कभी भी रोड-साइड सेलर से हेलमेट न खरीदें।
बाइक की स्पीड पर हमेशा नजर रखें। सड़कों और नियमों के मुताबिक ही अपनी बाइक की स्पीड रखें। बाइक राइडिंग के दौरान जरा भी नजर चूकी तो मुसीबत में फंस सकते हैं। दोनों ब्रेक के सही इस्तेमाल से बाइक रोकने में सफल होते हैं तो एक अच्छे बाइकर हैं। यह सुरक्षा की दृष्टि से भी सही है इसलिए दोनों ब्रेक का सही इस्तेमाल करना सीखें।
रोजाना बाइक चलाने वाले ज्यादातर लोग इस मामले में लापरवाही करते हैं। कहीं मुड़ना हो या रुकना हो तो इसकी सूचना समय से दें। लेन में अपनी दिशा अचानक से न बदलें। ट्रैफिक को अपने अगले मूव के बारे में इंडिकेटर से या जरूरी हो, तो हाथ से भी बताएं। सामने या अगल-बगल जा रही गाड़ियों से उचित दूरी बनाए रखें। ट्रैफिक में हैं तो आसपास की स्थितियों पर नजर रखें। किसी भी गाड़ी के ज्यादा पास जाने की कोशिश न करें।
अंधे मोड़ पर काफी दुर्घटनाएं होती हैं। कभी भी ओवरटेक जल्दबाजी में न करें, खासकर जब बड़े वाहनों से आगे निकलना हो। ऐसा करने पर अगर आगे अंधा मोड़ होगा तो खतरे में पड़ सकते हैं। बारिश या बर्फबारी में बाइक चलाने से बचें। ऐसे मौसम में सड़कों पर फिसलन होती है, जिसकी वजह से दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है।
एबीएस यानी ऐंटी-लाक ब्रेकिंग सिस्टम कई बार हादसों को टालने में मददगार होता है। एबीएस से लैस बाइक ही खरीदने की कोशिश करें। अब कम कीमत वाली बाइक्स में भी यह फीचर मिलता है। अप्रैल से 125 सीसी और उससे अधिक क्षमता वाली बाइक्स में एबीएस और 125 सीसी से कम क्षमता वाली बाइक्स में सीबीएस अनिवार्य हो जाएगा। इस वजह से पैसा एबीएस या सीबीएस वाली बाइक्स में ही लगाएं।


किचन की सुरक्षा के लिए चिमनी लगानी जरूरी

किचन की सुरक्षा के लिए चिमनी लगानी जरूरी



प0नि0डेस्क
देहरादून। कुछ लोग किचन में चिमनी सिर्फ इसलिए लगवाते हैं क्योंकि वे किचन को अच्छा लुक देना चाहते हैं। लेकिन चिमनी लगवाना सिर्फ एक स्टेटस सिम्बल न होकर हर किचन की जरूरत भी है। इससे न सिर्फ किचन की खूबसूरती बढ़ती है बल्कि ये किचन को सुरक्षित रखने के लिए भी जरूरी है। 
भारतीय भोजन में ज्यादा तेल में खाद्य पदार्थों भूनना, मसालों, तड़के के व्यंजनों आदि का उपयोग करना रसोई घर की आम बात है। इसके अलावा खाना पकाने में आने वाली खुशबू और तेल व मिर्च से निकलने वाली झार आंखों के लिए भी परेशानी उत्पन्न करती हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक किचन चिमनी किचन के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। इलेक्ट्रिक चिमनी एक रसोई के अंदर हवा और तेल के कड़ों को खींच कर बाहर निकाल देती है। जिससे किचन के अंदर सफाई मेन्टेन रहती है और रसोई साफ और मसालों की तेज खुशबू से मुक्त रहती है।   
चिमनी का उपयोग करने से रसोई की हवा से गर्म गैसों और विषाक्त प्रदूषकों का प्रभाव नहीं रहता। इस सभी तत्वों को चिमनी द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है। चिमनी  खाना बनाते समय रसोई में कार्बन मोनोआक्साइड के स्तर को भी नीचे लाती है। चूंकि रसोई में हवा ठंडी और स्वच्छ रहती है, इसलिए यह बैक्टीरिया और अन्य कीटाणुओं के विकास को भी नियंत्रित करने में मदद करती है।
किचन चिमनी का इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा फायदा खाना बनाना आसान और आरामदायक कर देना है। चिमनी, किचन की गर्म हवाओं को बाहर निकाल देती है जिससे गर्मी का प्रभाव चेहरे पर नहीं पड़ पाता है। यह न केवल खाना पकाने को आरामदायक बनाती है बल्कि सुरक्षित भी करती है। इसके अलावा चिमनी रसोई की सुगंध और वाष्प को बाहर निकाल देती है जिससे छींक और आंखों से आंसू आने जैसी परेशानियां नहीं होती हैं। 
इलेक्ट्रिक किचन चिमनी का उपयोग करने का एक और लाभ यह है कि गैस बर्नर के पीछे की दीवार और टाइल्स को साफ रहती है। इसके इस्तेमाल से किचन के अंदर रखा सामान और वुडेन वर्क भी सेफ रहता है और इनमें तेल के धब्बे नहीं पड़ते हैं। जब रसोई अधिक समय तक के लिए साफ रहेगी तब कम सफाई और रखरखाव की जरूरत होगी जिससे समय भी बचेगा। 
किचन में एक इलेक्ट्रिक चिमनी स्थापित करना किचन को अच्छा लुक तो देता ही है, साथ की किचन को रचनात्मक भी बनाता है। ऐसे किचन को देखकर लोगों को इसकी तारीफ करने का मन करता है और ये किचन की खूबसूरती को भी बढ़ाती है। अगर किचन रेनोवेशन का काम पूरा करने की सोच रहे हैं तो अपने नए किचन को दीवारों और अन्य उपकरणों के साथ मैच करने वाली चिमनी से सजाएं। 
उपर्युक्त सभी बातें इस बात की ओर संकेत करती हैं कि किचन की चिमनी किचन की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी है। अब इंतजार किस बात का अगर किचन में कुछ बदलना चाहते हैं तो किचन में चिमनी ही लगवा लें और किचन को एक नया लुक दें। 


बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के इस्तेमाल का चलन!

अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने पीएम को पत्र लिख कर जताई चिंता
पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के इस्तेमाल का चलन!



प0नि0डेस्क
देहरादून। अहमदाबाद से एक समाचार वेबसाइट चलाने वाले धवल पटेल ने मई में अपनी वेबसाइट पर एक खबर छापी कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी द्वारा राज्य में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम में हुई खामियों की वजह से भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा सकती है। पटेल को जरा भी अंदेशा नहीं हुआ कि इस खबर को छापने की वजह से वे मुसीबत में फंसने वाले हैं।
अहमदाबाद पुलिस ने इस खबर को छापने के लिए पटेल के खिलाफ राजद्रोह के आरोप में एफआईआर दर्ज की और उन्हें हवालात में रखा। बाद में हाई कोर्ट से पटेल को जमानत मिल गई लेकिन इस प्रकरण ने सरकारों द्वारा पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज करने की बढ़ती हुई समस्या को रेखांकित कर दिया। समस्या इतनी चिंताजनक हो गई है कि मीडिया की स्वतंत्रता के लिए काम करने वाले दो अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में पत्र लिखा है।
आस्ट्रिया स्थित इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट आईपीआई और बेल्जियम-स्थित इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स आईएफजे ने पत्र में प्रधानमंत्री को लिखा है कि पिछले कुछ महीनों में देश के अलग अलग हिस्सों में कई पत्रकारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत राजद्रोह का आरोप लगा कर मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें तीन साल जेल की सजा का प्रावधान है।
संगठनों ने कहा है कि पत्रकारों के खिलाफ राजद्रोह और दूसरे आरोप लगा कर प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटा जा रहा है। संगठनों ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के फैलने के बाद इस तरह के मामलों की संख्या बढ़ गई है, जो कि यह दिखाता है कि महामारी की रोकथाम करने में सरकारों की कमियों को उजागर करने वालों की आवाज को महामारी का बहाना बना के दबाया जा रहा है।
पत्र में इस संदर्भ में धवल पटेल के मामले और इसी तरह के कम से कम 55 मामलों का उल्लेख किया गया है और प्रधानमंत्री से अपील की गई है कि वो तुरंत यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं कि पत्रकार बिना किसी उत्पीड़न और सरकार द्वारा बदले की कार्रवाई से डरे बिना अपना काम कर सकें।
भारत में इन दिनों पत्रकारों के खिलाफ सिर्फ राजद्रोह के मामले ही नहीं दर्ज किए जा रहे हैं, बल्कि सरकारों की खामियां उजागर करने वाले पत्रकारों और संस्थानों के खिलाफ विज्ञापन बंद करना, पत्रकारों का रास्ता रोकना, उनके फोन टैप करना और उन पर पुलिस द्वारा हमले करवाना जैसे कदम भी उठाए जा रहे हैं।
भारत में पत्रकारों के संगठन एडिटर्स गिल्ड के महासचिव संजय कपूर ने कहा कि संकुचित सोच वाली लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं पत्रकारों को स्टेट का दुश्मन समझती हैं और भारत भी इसी श्रेणी में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि असहमति के प्रति यह अधीरता उस लोकतांत्रिक ढांचे को ही कमजोर कर रही है जिसमें मीडिया काम करता है। संजय कपूर ने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि राजद्रोह से संबंधित कानून के इस लापरवाही से इस्तेमाल की सुप्रीम कोर्ट भी आलोचना कर चुका है लेकिन सरकारें अभी भी इस समस्या से मुंह फेर रही हैं।


उत्तराखंड जैव विविधता प्रधिकरण के अधिकारियों से मैड की मुलाकात

एयरपोर्ट विस्तार मामले में उत्तराखंड जैव विविधता प्रधिकरण के अधिकारियों से मैड की मुलाकात



संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड सरकार की जौली ग्रांट एयरपोर्ट विस्तार परियोजना के तहत थानो स्थित जंगल के भीषण कटान के विरोध में मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था नें उत्तराखंड जैव विविधता प्राधिकरण के क़धिकारियों से मुलाकात की।
संस्था नें अपनी बात रखते हुये प्रदेश सरकार की इस परियोजना को पर्यावरण की दृष्टि से विनाशकारी करार दिया। संस्था ने बताया कि 10,000 पेड़ों का कटान, वह भी ऐसे क्षेत्र में जो वन्य जीवन बाहुल्य है, जहां बाघ और हाथियों को भी नियमित रुप से देखा जाता रहा है, और जहां कई दुर्लभ पक्षी भी देखे जाते हैं, जहां साल के पेडांे की भरमार हैं जिनको एक बार काटने के बाद दुबारा से पोषित करना कठिन कार्य है, ऐसे क्षेत्र में ऐसे प्रोजेक्ट का आना उत्तराखंड की जैव विविधता के लिये बहुत बड़ा खतरा साबित होगा और साथ ही साथ इस वजह से मानव वन्यजीव संघर्ष भी बढ़ेगा।
संस्था ने प्राधिकरण के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि ग्रीन सी इंडिया कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड ग़ाज़ियाबाद कंपनी इस योजना के पर्यावरण पर प्रभाव के नज़रिए से अध्ययन कर रही है, की ओर से एक बेहद झूठी रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमें कहा गया है कि जिस जगह पर यह योजना लाई जा रही है, वहां ना कोई घना जंगल है और न ही वहां पर शेड्यूल वन फौना हैं तथा संस्था ने मामलें की गंभीरता को समझते हुए अनुभाग 23 के तहत जैव विविधता प्राधिकरण से इस परियोजना के विषय मे हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। यह भी बताया कि संस्था विकास विरोधी नहीं बल्कि सतत विकास के पक्ष मे हैं और सरकार को पर्यावरण को अहमियत देते हुये इस परियोजना के विषय में पुनर्विचार करना चाहिए।


देशभर में इन्फैंट्री डे मनाया गया

देशभर में इन्फैंट्री डे मनाया गया



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। इन्फैंट्री यानि थल सेना जोकि भारतीय सेना का सबसे बड़ा अंग है, के योगदानों की याद में 27 अक्टूबर को इन्फैंट्री डे मनाया गया। इस दिवस का इन्फैंट्री के लिए एक अनूठा महत्व है, क्योंकि 1947 में इसी दिन भारतीय सेना के पैदल सैनिक श्रीनगर हवाई अड्डे पर उतरने वाले पहले सैनिक बने थे। यह एक ऐसा कदम था जिसने श्रीनगर के बाहरी इलाके से आक्रमणकारियों को वापस खदेड़ दिया और जम्मू एवं कश्मीर राज्य को पाकिस्तान समर्थित कबायलियों के हमले से बचा लिया।
इन्फैंट्री डे समारोह के एक अंग के रूप में इन्फैंट्री के शहीदों, जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में विभिन्न युद्ध क्षेत्रों में सर्वाेच्च बलिदान दिया, के सम्मान में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर एक ‘पुष्पांजलि समारोह’ आयोजित किया गया। इस पवित्र अवसर पर जनरल बिपिन रावत, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, और जनरल एमएम नरवने, चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ ने इस रेजिमेंट के सभी कमांडरों एवं कर्नलों के साथ पुष्पांजलि अर्पित की। ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन मेघदूत के अलंकरण प्राप्त तीन दिग्गजों ब्रिगेडियर उमेश सिंह बावा वीर चक्र (सेवानिवृत्त), सूबेदार (मानद कप्तान) संसार चंद महावीर चक्र (सेवानिवृत्त) और नायक जय राम सिंह वीर चक्र (सेवानिवृत्त) ने भी इन्फैंट्री के पुराने सैनिकों की ओर से पुष्पांजलिअर्पित की।
इस अवसर पर इन्फैन्ट्री के सभी सैनिकों को दिए अपने संदेश में इन्फैंट्री के महानिदेशक ने उन्हें बहादुरी, बलिदान, अपने कर्तव्यों के प्रति निस्वार्थ समर्पण और पेशेवर रवैये के बुनियादी मूल्य के प्रति खुद को फिर से समर्पित करने और अपने देश की अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा के संकल्प में अडिग बने रहने का आह्वान किया।


 


मोर्चा ने की सीएम त्रिवेन्द्र रावत को बर्खास्त करने की मांग 

मोर्चा ने की सीएम त्रिवेन्द्र रावत को बर्खास्त करने की मांग 
दलाली/रिश्वत प्रकरण में न्यायालय की भावनाओं के दृष्टिगत राजभवन से की मांग



जन संघर्ष का आरोप
- झारखंड के प्रभारी रहते हुए कार्यकर्ता से पच्चीस लाख रिश्वत का मामला
- गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने की एवज में त्रिवेंद्र के परिवार के लोगों के खाते में पैसा हुआ था ट्रांसफर 
- मोर्चा ने भी फरवरी 2019 को अपर महानिदेशक, लॉ एंड ऑर्डर से की थी मामले की शिकायत 
- सीएम त्रिवेंद्र की दलाली वाले स्टिंग पूरे देश भर में हुए थे सार्वजनिक 
- उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ की थी त्रिवेंद्र ने 
- हाईकोर्ट का दलाली प्रकरण में सीबीआई जांच कराने का फैसला ऐतिहासिक 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकारों को संबोधित  करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दलाली/रिश्वत प्रकरण में सीबीआई जांच के निर्देश देने के बाद त्रिवेंद्र को पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है। राजभवन को न्यायालय की भावनाओं का सम्मान करते हुए इनको मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त कर देना चाहिए।                    
नेगी ने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र ने झारखंड प्रभारी रहते हुए एक भाजपा नेता से पच्चीस लाख रुपए रिश्वत/दलाली लेकर गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने का सौदा तय किया था, जिसकी सारी रकम सीएम त्रिवेंद्र ने अपने कुटुंब के लोगों के खाते में ट्रांसफर करवाई। ट्रांसफर संबंधी लेन-देन व बैंकों में जमा कराई गई धनराशि की रसीदें भी सार्वजनिक हुई थी। रिश्वत की रकम लेने के  बावजूद त्रिवेंद्र ने वादा पूरा नहीं किया। 
उक्त वादाखिलाफी से नाराज होकर रांची के एक भाजपा नेता ने सारी बातें मीडिया में सार्वजनिक कर दी थी व उक्त दलाली वह अन्य भ्रष्टाचार के स्टिंग एक समाचार चौनल के सीईओ द्वारा सार्वजनिक किए गए तथा इन खबरों को कुछ समाचार पत्रों के संपादकों ने भी प्रसारित किया, जिससे बौखलाए त्रिवेंद्र ने अपने  भाई के द्वारा नेहरू कॉलोनी थाने में तहरीर देकर राजद्रोह आदि की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया, जबकि मुकदमा इन भ्रष्टाचारियों के खिलाफ होना चाहिए था।                
नेगी ने कहा कि उक्त मामले में राजद्रोह तथा अन्य धाराओं से जुड़े मामले को खारिज/समाप्त कराने के मामले वाली याचिका में न्यायालय ने मामले को (क्वैश) समाप्त कर दिया तथा दलाली प्रकरण से जुड़े सभी साक्ष्यों का स्वतः संज्ञान लेकर सीबीआई जांच का आदेश पारित किया।                  
मोर्चा द्वारा दलाली प्रकरण में सीएम त्रिवेंद्र एवं उनके कुटुंब के खिलाफ कार्रवाई कराने को लेकर फरवरी 2019 में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर से शिकायत की गई थी। मोर्चा राजभवन से मांग करता है कि दलाली/रिश्वत एवं गैर जिम्मेदाराना कृत्यों के मामले में न्यायालय की भावनाओं का सम्मान करते हुए सीएम त्रिवेंद्र को तत्काल बर्खास्त करे। 
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पवार, विजय राम शर्मा, प्रवीण शर्मा पिन्नी आदि मौजूद रहे।


टीएचडीसी में सतर्कता जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ

टीएचडीसी में सतर्कता जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ



संवाददाता
ऋषिकेश। केन्द्रीय सतर्कता आयोग भारत सरकार के निर्देशानुसार टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड (टीएचडीसीआईएल) के कॉरपोरेट कार्यालय, ऋषिकेश में सतर्कता जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ हुआ। अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक डी0वी0 सिंह द्वारा गंगा भवन प्रागंण में ई-माध्यम से अधिकारियों एवं कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई गयी। शपथ ग्रहण समारोह में निदेशक (कार्मिक) विजय गोयल, निदेशक (वित्त) जे0 बेहेरा निदेशक (तकनीकी), आर0के0 विश्नोई व मुख्य सतर्कता अधिकारी बी0पी0 गुप्ता उपस्थित रहे।
इस अवसर पर अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक डी0वी0 सिंह द्वारा सतर्कता विभाग की पुस्तिका ‘बी इनर्फाम्रड बी भिजलेंट’ का अनावरण ई-माध्यम द्वारा भी किया गया। लॉन्च करने के पश्चात ई-पुस्तिका वाटसऐप एवं अन्य माध्यमों से साझा की गयी।
उल्लेखनीय है कि सतर्कता जागरूकता सप्ताह प्रत्येक वर्ष उस सप्ताह के दौरान  मनाया जाता है जिसमें सरदार वल्लभभाई पटेल (31 अक्टूबर) का जन्मदिन आता है। नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देने के लिए, यह जागरूकता सप्ताह प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। इस वर्ष सतर्कता जागरूकता सप्ताह 27 अक्टूबर से 02 नवम्बर ‘सतर्क भारत, समृद्ध भारत’  विषय के साथ मनाया जा  रहा है।
इसके साथ ही केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो सतर्कता और भ्रष्टाचार -विरोध पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन (27-29 अक्टूबर, 2020) का आयोजन कर रहा है जिसे प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान संबोधित किया जिसे लाइव वेबकास्ट किया गया और इसे केन्द्र सरकार के सभी संगठनों, विभाग, उपक्रमों के अधिकारियों ने लाइव वेबकास्ट देखा।
इस अवसर पर महाप्रबन्धक (सतर्कता) कुमार शरद, अपर महाप्रबन्धक (सतर्कता) डी0एस0 गुसाईं, अपर महाप्रबन्धक (कार्मिक एवं प्रशासन) एन0के0 प्रसाद तथा उप महाप्रबन्धक (का0नीति कॉरपोरेट संचार), डा0 ए0एन0 त्रिपाठी सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित रहे तथा शपथ ली। 
सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान कारपोरेश में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कई कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे। अधिकारियों एवं कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन स्लोगन प्रतियोगिता, ऑनलाइन निबन्ध प्रतियोगिता, ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता एवं मानव संसाधन विभाग ऋषिकेश द्वारा व्याखान वेबिनार तथा छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। उक्त सभी कार्यक्रम का आयोजन सतर्कता विभाग, प्रशासन विभाग, कार्मिक कल्याण विभाग एवं कॉरपोरेट संचार विभाग के संयुक्त प्रयासों से किया जा रहा है।


 


मंगलवार, 27 अक्तूबर 2020

विद्युत उपभोक्ताओं की समस्या को मोर्चा ने मुख्य सचिव के समक्ष रखा

विद्युत उपभोक्ताओं की समस्या को मोर्चा ने मुख्य सचिव के समक्ष रखा



- विभागीय लापरवाही की वजह से दर-दर की ठोकरें खाने को उपभोक्ता मजबूर                 
- आईडीएफएडीएफ एनए के बिलों पर विभाग क्यों नहीं लेता स्वतः संज्ञान
- मीटर खराब होने, जलने की स्थिति में क्यों स्वतः नहीं बदले जाते 
- कमीशन खोरी करके खरीदे गए घटिया मीटरों की मार झेलता है उपभोक्ता 
संवाददाता
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने मुख्य सचिव ओम प्रकाश से मुलाकात कर प्रदेश के हजारों विद्युत उपभोक्ताओं की समस्या को लेकर ज्ञापन सौंपा। मुख्य सचिव ने तत्काल रिपोर्ट तलब करने के आदेश सचिव, ऊर्जा को दिए।                      
नेगी ने कहा कि विभागीय अनियमितता, कमीशन खोरी व निकम्मेपन की वजह से विद्युत उपभोक्ता, संयोजक अपनी विद्युत समस्या यथा बिलों को ठीक कराने, मीटर चेंज कराने एवं मीटर जंप आदि मामले को लेकर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।          
नेगी ने कहा कि विभाग द्वारा उपभोक्ताओं के बिलों पर कई-कई माह/वर्षों तक आईडीएफ/एडीएफएनआर एनए इत्यादि प्रदर्शित होने के बाद भी इस मामले में कार्रवाई नहीं की जाती। बिलों पर प्रदर्शित उक्त संकेतों के बावजूद न तो उनका बिल स्वतः ठीक किए जाने की दशा में कार्य किया जाता है और न ही उनका मीटर बदला जाता है, जब तक उपभोक्ता विभाग के चक्कर काट-काट कर थक नहीं जाता।
कई-कई चक्कर काटने के बाद विभागीय मनमर्जी के आधार पर ही उसकी समस्या का बामुश्किल समाधान हो पाता है। कई मामलों में उपभोक्ताओं के मीटर जंप होने पर हजारों रुपए के बिल थमा दिए जाते हैं, जबकि यह सारा दोष विभाग का होता है, जिसने कमीशन खोरी के चलते घटिया मीटर खरीदे थे।               
नेगी ने कहा कि विभाग की लापरवाही के कारण उपभोक्ताओं को ऐसे भारी भरकम बिल थमा दिए जाते हैं, जिसको ठीक कराना आम उपभोक्ता के लिए बहुत मुश्किल होता है तथा गरीब आदमी अपनी दिहाड़ी मजदूरी, काम-धंधे छोड़कर इस समस्या से निजात में लग जाता है।          
नेगी ने कहा कि कंपनी, विभाग का दायित्व है कि बिल पर प्रदर्शित अंकित समस्या का स्वतः संज्ञान लेकर उसको ठीक करें तथा उपभोक्ताओं को निजात दिलाए।


करवा चौथः तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत की सामग्री

करवा चौथः तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत की सामग्री



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाता है। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं के अलावा कुंवारी लड़किया भी सुयोग्य जीवनसाथी पाने के व्रत रखती हैं।
सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत खास माना जाता है। करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के ऊपर आएं संकटों से उसकी रक्षा और पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखकर चौथ माता की पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। इसके बाद अपने पति का चेहरा देखकर व्रत खोलती हैं।
करवा चौथ पूजा की थाली एवं पूजन सामग्रीः करवा चौथ व्रत के पूजन में सबसे मुख्य वस्तु छलनी, मिट्टी का करवा ढक्कन समेत, करवा चौथ की थाली, कांस की तीलियां, करवा चौथ कलेंडर, अक्षत, चीनी का करवा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, आटे का दीया, दीपक, सिन्दूर, चन्दन, कुमकुम, रुई की बत्ती, धूप अथवा अगरबत्ती, फूल, मिठाईयां, फल, नमकीन मट्ठियां, मीठी मठ्ठियां, जल का लोटा, गंगाजल, कच्चा दूध, दही एवं देसी घी, शहद और चीनी, लकड़ी का आसन, आठ पूड़ी, हलवा, दक्षिणा के पैसे, श्रृंगार का समान, वस्त्र आदि वस्तु चाहिए। 
इस वर्ष करवा चौथ तिथिः 4 नवंबर को करवा चौथ आ रहा है। करवा चौथ पूजा का मुहूर्त- शाम 05ः34 बजे से लेकर शाम 6ः52 तक। करवा चौथ व्रत का समय- सुबह 06ः35 बजे से रात्रि 8ः12 बजे तक। करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय- रात्रि 8ः12 बजे। चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 4 नवंबर सुबह 3ः24 बजे। चतुर्थी तिथि समाप्त- 5 नवंबर को सुबह 5ः14 बजे।


प्राकृतिक सुंदरता के बीच बेरीनाग का ‘काफल हिल का जीरो प्वाइंट’

प्राकृतिक सुंदरता के बीच बेरीनाग का ‘काफल हिल का जीरो प्वाइंट’
यहां से पर्वतराज हिमालय की नैसर्गिक सुंदरता आपको अपने आगोश में डूब जाने को मजबूर करेगी



जीरो प्वॉइन्ट से...

पवन नारायण रावत
गंगोलीहाट। जीरो प्वाईंट। जी हां मित्रों, जीरो प्वाइंट। आप सभी ने अपनी यात्रा के दौरान पहाड़ों की सुंदरता के साथ कई जगह जीरो प्वाइंट का लुफ्रत लिया होगा पर हम जिस जीरो प्वाइंट की बात कर रहे हैं, वो है काफल हिल का जीरो प्वाइंट। वैसे तो अनेक स्थलों पर प्राकृतिक सुंदरता के बीच जीरो प्वाइंट सैलानियों को लुभाने को मौजूद हैं पर काफल हिल के जीरो प्वाइंट की बात ही कुछ और है। 



जीरो प्वॉइंट से प्रातःकालीन दृश्य

काफल हिल के जीरो प्वाइंट में आप अपने आपको ताजी हवा के झोंकों के बीच उड़ता हुआ महसूस करेंगे। यहां की असीम शान्ति में आपको पता ही नहीं चलेगा कि आप कब मेडिटेशन में खो चुके हैं। यहां से पर्वतराज हिमालय की नैसर्गिक सुंदरता बरबस ही आपको अपने आगोश में डूब जाने को मजबूर कर देगी। रात के समय खुले गहरे नीले आसमान में टिमटिमाते सितारे अपनी चमक से आपके हृदय में घर कर लेंगे।



काफल हिल में लेखक पवन


पिथौरागढ़ जिले के बेरीनाग तहसील में मेन बाजार से लगभग 3 किमी दूरी पर  स्थित है काफल हिल। साहसिक गतिविधियों को जीने से भरपूर सम्भावनाओं को समेटे यह होम स्टे चीड़ और बांज के घने जंगलों की कड़ी सुरक्षा में मौजूद हैं। ये जंगल इसके पहरेदार भी हैं और खूबसूरत चारदीवारी भी। 



रोप वे एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ तरूण

काफल हिल के संचालक तरुण स्वयं प्रकृति प्रेमी हैं। पहाड़ और जंगल उनके लिये उनके पारिवारिक सदस्य की तरह ही हैं। प्राकृतिक वन्य जीवन, पेड़-पौधे, वनस्पतियां तमाम खूबसूरत पक्षी उन्हें एक अपनापन प्रदान करते हैं। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से पर्वतारोहण का प्रशिक्षण प्राप्त तरुण अपने बहुमूल्य प्राकृतिक प्रशिक्षणों के अनुभवों को काफल ट्री के जरिये अभिव्यक्त करते हैं और जीते भी हैं। उनके भाई राज उन्हीं की तरह कुशल पर्वतारोही और प्रकृति प्रेमी हैं। 



टेंट तैयार करते हुए

दोनों ने मिलकर अपने प्रकृति प्रेम को ही अपने व्यवसाय में तब्दील कर दिया और इस तरह काफल हिल की स्थापना हुई। हल्द्वानी के पर्वतारोही जगदीश जहां उनके साथ मुख्य भूमिका में हैं, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय से पर्यटन की पढ़ाई पूरी करने के बाद पहाड़ों से विशेष लगाव महसूस करने वाले चन्दन काफल हिल की मार्केटिंग टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। प्रकृति प्रेमियों की सकारात्मक सोच का सुखद परिणाम है- काफल हिल।



जीरो प्वॉइंट से गिरीश, चंदन और जगदीश

अपनी सांसों में पहाड़ को जीने वाले तरुण बताते हैं कि जंगल, पेड़-पौधों, वनस्पतियों और वन्य जीव जन्तुओं का मनुष्य के जीवन में विशेष महत्व है। हम सब एक दूसरे पर निर्भर हैं। चाहे छोटी चिड़िया हो, मकड़ी, मधुमक्खी, गाय या पिफर अन्य जीव जंतु, प्रकृति में सबका अहम योगदान है। उनके अनुसार प्रकृति और मानव के बीच एक समरसता और सहकारिता का समन्वय होना अति आवश्यक है। बात की गहराई को आगे बढ़ाते हुए राज बताते हैं कि आज हम वन्य जन जीवन में आवश्यक्ता से अधिक अतिक्रमण कर चुके हैं। इसी कारण लगातार हमें वन्य जीवों से हिंसक घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। 
काफल हिल में प्रकृति से एकाकार होने के उद्देश्य से ही अधिक से अधिक मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों को शामिल किया जाता है एवं प्राकृतिक रूप से जीवन जीने का प्रयास किया जाता है। इसमें यहां का खान-पान सहित साहसिक गतिविधियां शामिल हैं। उनके अनुसार काफल हिल का उद्देश्य व्यावसायिकता की दौड़ में शामिल होने की अपेक्षा प्राकृतिक वातावरण का संरक्षण अधिक है।  



काफल हिल में राज

पहाड़ों की नैसर्गिक खूबसूरती, एडवेंचर स्पोर्ट्स, बर्ड वाचिंग, स्टार गेजिंग एवं मेडिटेशन की शानदार साइट होने के कारण देश विदेश के सैलानी भी यहां आकर बेहद सहज एवं घर जैसा ही महसूस करते हैं। कापफल हिल की टीम की सहजता, अपनेपन एवं नितान्त घरेलू अनाज के बने लजीज पकवानों को वे इसका श्रेय देते हैं। गुड़गांव से सपरिवार आयी सैलानी बताती हैं कि यहां का प्राकृतिक वातावरण मन मोह लेता है। चारों तरपफ हिमालय की खूबसूरत चोटियां आपको जीवंत कर देती हैं।
दिल्ली से पहुंची पांच सदस्यीय सैलानी टीम के मुखिया बताते हैं कि यहां पर बर्ड वाचिंग एवं क्लाइम्बिंग का बड़ा ही रोमांचक अनुभव रहा और सबसे बेहतरीन अनुभव रहा जीरो प्वाइंट। नैनीताल के गिरीश यहां की प्राकृतिक खूबसूरती के कायल हैं। उनके लिए यहां आना अपने आपको ऊर्जा से सराबोर करना है। भारत चीन सीमा से सटे मिलम ग्लेशियर तक ट्रैकिंग कर चुके गिरीश को काफल हिल का जीरो प्वाइंट सबसे ज्यादा पसंद है। वे बताते हैं कि यहां दोपहर से ही चलने वाली चीड़ की शानदार हवा में देर रात तक दूर नीले आसमान में सितारों की ख़ूबसूरत दुनिया में डूब जाने जैसा अनुभव कहीं नहीं है। 
काफल हिल के जीरो प्वाइंट में जहां आप यादगार कैंपिंग कर सकते हैं वहीं यहां से आप हिमालय की नंदा देवी रेंज के मनोरम दृश्यों का लुफ्रत ले सकते हैं। रात के समय स्टार गेजिंग एवं इधर उधर दौड़ते सेटेलाइट के दर्शन का अनुभव तो अविस्मरणीय है जिनसे जीरो प्वाइंट में कैंपिंग के दौरान मुझे भी रूबरू होने का अवसर प्राप्त हुआ। इस पर भी अगर कुछ शेष हो तो काफल हिल की एडवेंचरस टीम निहायती अपनेपन से आपके अनुभवों में एक नया एडवेंचर जोड़ देती है।
तो यकीन मानिए, कापफल हिल का जीरो प्वाइंट आपको नयी ऊर्जा से सराबोर करने एवं आपके जीवन में एक नया एडवेंचर भरने के लिये तैयार है। क्या आप तैयार हैं!


सोमवार, 26 अक्तूबर 2020

स्वाद बढ़ाने के अलावा भी नमक के चमत्कारी उपयोग

स्वाद बढ़ाने के अलावा भी नमक के चमत्कारी उपयोग



कपड़े में दाग लगा तो नमक की मदद से हटायें 



प0नि0डेस्क
देहरादून। नमक रोज इस्तेमाल होने वाली चीजों में से एक है। लेकिन नमक का इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही इस्तेमाल नहीं होता बल्कि कई और चीजों के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। नमक का हम कई समस्याओं के समाधान के लिए इस्तेमाल कर सकते है।
नमक फलों को सड़ने से बचा सकता है। खासकर जिन फलों को छिलकर रखने पर से वे काले पड़ने लगते हैं, उन फलों के ऊपर अगर थोड़ा सा नमक छिड़ककर रखा जाए तो फल जल्दी खराब नहीं होंगे और काले भी नहीं पड़ेंगे।
यदि हाथों से आ रही बदबू से परेशान है और हाथों से प्याज और लहसुन की गंध नहीं जा रही तो नमक का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। इसके लिए सिरका और नमक को मिला लें और इस मिश्रण को हाथों पर रब करें। इससे हाथ की बदबू चली जाएगी।
यदि कपड़े में दाग लग गया है तो नमक की मदद से इसे आसानी से दाग हटा सकते हैं। इसके लिए ड्रेस को एक घंटे के लिए नमक के पानी में भिगोकर रखें। इसके अलावा यह कपड़ों के फीके के रंग को भी फिर से नमक ब्राइट करता है।
अगर सिंक से जिद्दी दाग निकल नहीं रहे हैं तो ऐसे में इसे साफ करने के लिए थोड़े गर्म पानी में नमक मिलाएं और इस पानी को सिंक में डालें। इससे सिंक पर लगे तेल आदि के दाग साफ हो जाएंगे।


आनलाइन भुगतान मामले में शासन के निर्देश मानने को तैयार नहीं श्रम बोर्डः मोर्चा            

आनलाइन भुगतान मामले में शासन के निर्देश मानने को तैयार नहीं श्रम बोर्डः मोर्चा            



रघुनाथ सिंह नेगी 

- सामान के बदले आनलाइन भुगतान करने का है मामला 
- मोर्चा के आग्रह पर मुख्य सचिव ने दिए थे निर्देश 
- करोड़ों रुपए की खरीद एवं वितरण में खेला जाता भारी दलाली का खेल 
- श्रमिकों को घटिया सामान थमाकर लूटा जा रहा 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि श्रम विभाग के कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा श्रमिकों को निम्नतम स्तर का सामान (साइकिलें-टूल किट- सिलाई मशीन आदि) बांटे जाने एवं वितरण में भारी घालमेल से प्रदेश को निजात दिलाने के लिए मोर्चा द्वारा 24/01/2020 को मुख्य सचिव से श्रमिकों को सामान के बदले आनलाइन भुगतान किए जाने की मांग की थी।
जिसके क्रम में शासन द्वारा 26/01/2020 को कर्मकार कल्याण बोर्ड को कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन बोर्ड को शासन का फैसला नागवार गुजर रहा है, जिसके चलते आज भी लूट यथावत जारी है।               
उन्होंने कहा कि मोर्चा शीघ्र ही राजभवन से इस दलाली को समाप्त करने की मांग करेगा।


भारत 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के शाषी निकाय की अध्यक्षता ग्रहण की

भारत 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के शाषी निकाय की अध्यक्षता ग्रहण की



आईएएस अपूर्व चंद्रा 


एजेंसी
नई दिल्ली। भारत और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-आईएलओ के बीच 100 वर्षों के उपयोगी संबंधों के एक नए अध्याय को चिह्नित करते हुए भारत ने 35 वर्षों बाद अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के शाषी निकाय की अध्यक्षता ग्रहण की है। श्रम और रोजगार सचिव अपूर्व चंद्रा को अक्टूबर 2020 से जून 2021 तक की अवधि के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन-आईएलओ के शाषी निकाय के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। आईएलओ के शाषी निकाय का अध्यक्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर का जाना माना पद है।
शाषी निकाय (जीबी) आईएलओ का शीर्ष कार्यकारी निकाय है जो नीतियों, कार्यक्रमों, एजेंडे, बजट का निर्धारण करता है और महानिदेशक का चुनाव का कार्य भी करता है। वर्तमान समय में आईएलओ के 187 सदस्य हैं। अपूर्व चन्द्रा नवंबर में होने वाली शाषी निकाय की आगामी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। जिनेवा में उनके पास सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों और सामाजिक भागीदारों के साथ बातचीत करने का अवसर होगा। यह संगठित या असंगठित क्षेत्रा में सभी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण के बारे में मंशा स्पष्ट करने के अलावा श्रम बाजार की कठोरता को दूर करने के लिए सरकार द्वारा की गई परिवर्तनकारी पहलों के प्रतिभागियों को भी एक मंच प्रदान करेगा। 
अपूर्व चंद्रा 1988 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। चंद्रा ने भारत सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में 7 साल से अधिक समय व्यतीत किया है। चंद्रा ने महाराष्ट्र सरकार में प्रधान सचिव (उद्योग) के रूप में 2013 से 2017 के बीच 4 वर्षों तक काम किया है। अपूर्व चंद्रा रक्षा मंत्रालय में महानिदेशक (अधिग्रहण) के रूप में 01.12.2017 को शामिल हुए थे। उन्होने अधिग्रहण प्रक्रिया में तेजी लाकर भारतीय सशस्त्र बलों को मजबूत करने के लिये कार्य किया था। उन्होंने नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया का मसौदा तैयार करने के लिए समिति की अध्यक्षता की। 1 अक्टूबर 2020 से रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 प्रभावी हो गई है और इसी दिन उन्होने श्रम और रोज़गार मंत्रालय के सचिव के रूप में पद भार संभाला है।


शनिवार, 24 अक्तूबर 2020

हिन्दीभाषा डाट काम परिवार द्वारा ‘विश्व शांति दिवस’ पर आयोजित स्पर्धा

हिन्दीभाषा डाट काम परिवार द्वारा ‘विश्व शांति दिवस’ पर आयोजित स्पर्धा



मधु मिश्रा-विजयलक्ष्मी ‘विभा’ प्रथम व मनोरमा जोशी ‘मनु’-योगेन्द्र प्रसाद मिश्र बने द्वितीय विजेता
इंदौर। हिन्दीभाषा डाट काम परिवार द्वारा ‘विश्व शांति दिवस’ पर आयोजित स्पर्धा के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। इसमें पद्य वर्ग में सर्वश्री मधु मिश्रा को प्रथम एवं मनोरमा जोशी ‘मनु’ को द्वितीय विजेता बनने का अवसर प्राप्त हुआ है। ऐसे ही गद्य में विजयलक्ष्मी विभा ने प्रथम और योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने दूसरा स्थान पाया है।
मंच-परिवार की सह-सम्पादक श्रीमती अर्चना जैन एवं पोर्टल के संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’ ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘विश्व शांति दिवस’ पर आयोजित इस विशेष स्पर्धा में कई प्रविष्टियां प्राप्त हुई। इसमें से मानक अनुरुप चुनिंदा को ही प्रकाशन में लिया गया। रचना शिल्पियों की सहभागिता तथा उत्कृष्टता अनुसार निर्णायक ने चयन पश्चात पद्य विधा में प्रथम पुरस्कार हेतु मधु मिश्रा ओडिशा को विजेता घोषित किया गया है। इसी वर्ग काव्य में मनोरमा जोशी ‘मनु’ मप्र को द्वितीय तथा आशा आजाद ‘कृति’ छग को तृतीय स्थान मिला है। गद्य विधा में प्रथम विजेता विजयलक्ष्मी विभा उप्र को चयनित किया गया है, जबकि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र बिहार की रचना द्वितीय स्थान पर आई है।
संस्थापक-सम्पादक अजय जैन ‘विकल्प’, सह सम्पादक अर्चना जैन और संयोजक सम्पादक डा0 नरगुन्दे की अथक मेहनत और हिंदीभाषा डाट काम की अनवरत यात्रा, पोस्ट कार्ड अभियान, विद्यालयों एवं मंच पर स्पर्धा आदि से अब तक 80 लाख लोगों ने यहां भ्रमण करके मंच को अपना आशीष दिया है। यहां गुजरात, असम, राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, झारखंड, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ आदि कई राज्यों से हर आयु के सैकड़ों रचनाकार जुड़े हुए हैं। मात्र 31 माह में 80 लाख पाठकों तक पहुंच चुके इस मंच ूूूण्ीपदकपइींेींण्बवउ को साहित्य सेवा के अन्तर्गत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कनाडा और राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना संस्था सहित 5 सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
सभी विजेताओं और सहभागियों को संयोजक सम्पादक प्रो0 डा0 सोनाली सिंह एवं प्रचार प्रमुख सुश्री नमिता दुबे ने हार्दिक शुभकामनाएं-बधाई दी है।


एयरपोर्ट विस्तार परियोजना पर मुख्यमंत्री के बयान पर मैड ने उठाये सवाल

एयरपोर्ट विस्तार परियोजना पर मुख्यमंत्री के बयान पर मैड ने उठाये सवाल



संवाददाता
देहरादून। जौली ग्रांट एयरपोर्ट विस्तार मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि देहरादून एयरपोर्ट का महत्व पर्यटकों और बाहर से आने वाले लोगों के लिए ही नहीं बल्कि यह एयरपोर्ट राष्ट्रीय महत्व भी रखता है। यदि एयरपोर्ट के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं तो उसके बदले में वृक्षारोपण भी किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने जनता से सवाल करते हुए पूछा कि क्या वह टिहरी से आकर बसे लोगों का विस्थापन चाहती है? उन्होंने हाल में हुए चिपको आंदोलन को पूरी तरह से राजनीतिक षड्यंत्र बताया।
मुख्यमंत्री के बयान पर मेकिंग अ डिफरेंस बाय बींग द डिफरेंस मैड ने सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य एक बार फिर से जन चिपको आंदोलन का साक्षी रहा है तथा देहरादूनवासी इतनी संख्या में वन संरक्षण के लिये सडकों पर उतरे। क्या इसे भी सरकार राजनीतिक षड्यंत्र कहेगी तथा सरकार यह स्पष्ट करें कि देहरादून एयरपोर्ट राष्ट्रीय महत्व कैसे रखता है।
संस्था ने कहा कि मुख्यमंत्री ने बयान में एक के बदले 3 पेड लगाने की बात की। वही उत्तराखंड वन विभाग द्वारा एक पेड़ के बदले 17 पेड़ लगाने की बात कही जा रही हैं। शासक दल के प्रवक्ता कह रहे की एक के बदले 22 पेड़ लगाये जायेंगे। इस पर मुख्यमंत्री स्पष्ट करे कि सरकार द्वारा एक पेड़ के बदले कितने पेड लगाने की व्यवस्था हैं। मैड ने सरकार से सवाल पूछते हुये यह भी कहा कि वन विभाग कहता आया है कि वृक्षारोपण के लिये उनके पास भूमि नहीं हैं तो जो वृक्षारोपण की बात सरकार कर रही हैं वह किस स्थान पर और कैसे होगा तथा जनता न तो टिहरी से आकर बसे लोगों का विस्थापन चाहती है और न ही जगंलों का कटान। जगंलों का नष्ट हो जाना जानवरों के जीवन के लिये बहुत बड़ा खतरा है। क्या सरकार को जानवरों के जीवन की कोई चिंता नहीं।
मालूम हो कि उत्तराखंड सरकार द्वारा जौली ग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार हेतु एक परियोजना लाई गई हैं, जिसके अनुसार थानों क्षेत्र के 10,000 पेडों का कटान अनिवार्य हैं, जिस पर देहरादून की जनता ने भारी विरोध जताया हैं।


आयकर रिटर्न और लेखा परीक्षण रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया 

आयकर रिटर्न और लेखा परीक्षण रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया 



एजेंसी
नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के चलते करदाताओं के समक्ष आने वाली तमाम नियामक और संस्थागत चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कर एवं अन्य कानूनों के संबंध (निश्चित प्रावधानों में छूट) में 31 मार्च 2020 को एक अध्यादेश जारी किया था जिसके तहत कर अदायगी और आयकर रिटर्न दाखिल करने सहित तमाम समय सीमाओं को आगे बढ़ा दिया गया था। बाद में इस अध्यादेश के स्थान पर कर एवं अन्य कानून (निश्चित प्रावधानों में छूट एवं संशोधन) अधिनियम लाया गया।
उक्त अध्यादेश के अंतर्गत सरकार ने 24 जून 2020 को एक अधिसूचना जारी कर वित्त वर्ष 2019-20 (आंकलन वर्ष 2020-21) के लिए सभी तरह के आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया। अतः जो आयकर रिटर्न 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 से पहले दाखिल किए जाने थे अब उन्हें 30 नवंबर 2020 तक दाखिल किया जा सकता है। परिणाम स्वरूप आयकर अधिनियम 1961के अंतर्गत लेखा परीक्षण रिपोर्ट समेत विभिन्न लेखा परीक्षण रिपोर्ट पूरी किए जाने की तिथि को भी बढ़ाकर अब 31 अक्टूबर 2020 कर दिया गया है।
कर अदायगी और आयकर रिटर्न दाखिल करने के संबंध में करदाताओं को और राहत देने के उद्देश्य से बढ़ाई गई संशोधित तिथियां इस प्रकार हैं-
(ंद्ध जिन करदाताओं को (माता-पिता समेत) अपने खातों का लेखा परीक्षण करवाने की आवश्यकता थी। आयकर अधिनियम के तहत जिसकी अंतिम तिथि (तिथि आगे बढ़ाए जाने की अधिसूचना जारी करने से पूर्व) 31 अक्तूबर 2020 थी, अब बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 कर दिया गया है।
(ए) आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले ऐसे करदाताओं को, जिन्हें विनिर्दिष्ट घरेलू/अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। आयकर अधिनियम के तहत जिसकी अंतिम तिथि ;तिथि आगे बढ़ाए जाने की अधिसूचना जारी करने से पूर्व)  30 नवंबर 2020 थी, अब बढ़ाकर 31 जनवरी 2021 कर दिया गया है।
(बी) आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले अन्य करदाताओं के लिए अंतिम तिथि आयकर अधिनियम के तहत जिसके लिए अंतिम तिथि (तिथि आगे बढ़ाए जाने की अधिसूचना जारी करने से पूर्व) 31 जुलाई 2020 थी, अब बढ़ाकर 31 दिसंबर 2020 कर दिया गया है।
परिणामस्वरूप कर अधिनियम के अंतर्गत कर लेखा परीक्षण समेत विभिन्न लेखा परीक्षण रिपोर्ट और विनिर्दिष्ट घरेलू/अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने की समय सीमा को अब बढ़ाकर 31 दिसम्बर 2020 कर दिया गया है।
इसी तरह से छोटे और मध्यम कर दाताओं को राहत देते हुए 24 जून 2020 को जारी की गई अधिसूचना के आधार पर स्व-आकलन से एक लाख रुपये तक के कर दायित्व वाले कर दाताओं के लिए भी कर अदायगी की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया गया है। अतः ऐसे करदाताओं को जिन्हें अपने खाते का लेखा परीक्षण कराने की आवश्यकता नहीं है, के लिए आयकर अदा करने की अंतिम तिथि को 31 जुलाई 2020 से आगे बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया गया है और जिन खातों के लिए लेखा परीक्षण की आवश्यकता है उनके आयकर अदा करने की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2020 से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है।
इसी तरह से छोटे और मध्यम करदाताओं को स्व-आकलन के आधार पर कर अदायगी की अंतिम तिथि में छूट दी गई है और स्व-आकलन के आधार पर एक लाख तक के कर दायित्व वाले करदाताओं को अब 31 जनवरी 2021 तक कर अदा करना होगा। जिनका उल्लेख पैरा 3 (ए) और पैरा 3 (बी) में किया गया है। जबकि पैरा 3 (सी) में उल्लेखित श्रेणी के लिए अंतिम तिथि 31 दिसम्बर 2020 होगी। वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना जारी की जाएगी।


राजभवन ने दिए यूजेवीएनएल में हुई फर्जी नियुक्तियों की जांच के आदेशः मोर्चा                    

राजभवन ने दिए यूजेवीएनएल में हुई फर्जी नियुक्तियों की जांच के आदेशः मोर्चा          


         
- राजभवन से मोर्चा ने की थी जांच की मांग                                
- फर्जी नियुक्तियों के सफर में अवर अभियंता से बन गए सहायक अभियंता /अधिशासी अभियंता/अधीक्षण अभियंता      - वर्ष 2002-2003 में बिना किसी औपचारिकता के बना दिए गए  थे अवर अभियंता          
- विज्ञापन /साक्षात्कार/परीक्षा हुई यूपीसीएल की, नौकरी दी गई यूजेवीएनएल में   
- अन्य दर्जनों फर्जी नियुक्तियां भी हो चुकी  हैं विभाग में                        
संवाददाता
विकास नगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि वर्ष 2002 व 2003 में उत्तरांचल जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) द्वारा बगैर किसी औपचारिकता पूर्ण किए 7 व्यक्तियों को रातो-रात अवर अभियंता बना दिया गया था। इस पूरे प्रकरण में आश्चर्यजनक है कि ‘यूपीसीएल’ द्वारा वर्ष 2001 में अवर अभियंता के पदों हेतु विज्ञापन जारी किया गया था तथा इस प्रक्रिया में शामिल 5 व्यक्तियों, जोकि फाइनल सलेक्शन में अनुत्तीर्ण हो गए थे, उनको यूजेवीएनएल द्वारा नियुक्तियां प्रदान कर दी गई तथा दो अन्य व्यक्तियों को संविदागत नियुक्ति प्रदान की गई थी, जिसका यूजेवीएनएल से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था। 
उक्त मामले में मोर्चा द्वारा राजभवन से जांच की मांग की गई थी, जिसके क्रम में राजभवन द्वारा दिनांक 30/09/2020 को सचिव ऊर्जा को जांच के निर्देश दिए गए। नेगी ने कहा कि उक्त अभियंताओं द्वारा अधिकारियों व विभाग से सांठगांठ कर इन 17-18 वर्षों में सहायक अभियंता, अधिशासी अभियंता व अधीक्षण अभियंता के पदों पर पदोन्नति भी हासिल कर ली।  
उल्लेखनीय है कि इन तमाम अनियमितताओं को लेकर विभाग के सहायक अभियंताओं तथा ‘उत्तरांचल पावर इंजीनियर एसोसिएशन’ द्वारा वर्ष 2019 में प्रबंध निदेशक यूजेवीएनएल से भी शिकायत की गई थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।                  मोर्चा के अनुसार इस भ्रष्ट विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर एवं मोटी उगाही कर दर्जनों लोगों को इसी प्रकार नौकरियां बांटी थी।


शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों के 39 प्रतिशत पद खाली 

प्रदेश में सरकारी चिकित्सकों के 39 प्रतिशत पद खाली 



69 विदेशी चिकित्सा शिक्षा धरक, 400 संविदा चिकित्सक कार्यरत 
सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को स्वास्थ्य महानिदेशक कार्यालय से उपलब्ध करायी सूचना से खुलासा 
संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड में कोरोना काल में भी चिकित्सा अधिकारियों के 1072 पद खाली है जो कुल स्वीकृत 2735 पदोें के 39 प्रतिशत से अधिक है। यह खुलासा महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण उत्तराखंड कार्यालय द्वारा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को उपलब्ध करायी गयी सूचना सेे हुआ।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने उत्तराखंड के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेेशालय केे लोेक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड में चिकित्सा अध्किारियों के पदों तथा उस पर कार्य कर रहे विदेशी डिग्री धरक चिकित्सकों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में स्वास्थ्य महानिदेशालय के लोेक सूचना अधिकारी/संयुक्त निदेशक (प्रशासन) राजीव सिंह पाल ने पत्रांक 2240 दिनांक 11 अगस्त से सूचना उपलब्ध करायी है। 
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार उत्तराखंड में चिकित्सा अधिकारियों के कुल 2735 स्वीकृत पद हैै जिसमें से 1072 पद रिक्त है तथा 1663 कार्यरत पदों की संख्या हैै। सूचना के अनुसार 116 चिकित्सा अधिकारी ऐसे भी हैै जो लम्बेे समय से अनुपस्थित चल रहे है तथा 4 चिकित्सा अधिकारी नगर निगमांे में नगर स्वास्थ्य अधिकारी व अन्य पदों पर भी कार्यरत हैं।
उपलब्ध् सूचना केे अनुसार 1 जनवरी 2018 से अगस्त 2020 तक लगभग ढाई वर्ष के समय में 573 चिकित्सा अधिकारियांे की लम्बे समय से अनुपस्थित रहने व अन्य कारणों से सेवायें भी समाप्त की गयी हैै। इसके अतिरिक्त 01 जनवरी 2011 से अगस्त 2020 तक लगभग 10 वर्षों में 137 चिकित्सा अधिकारियों ने सेवा से त्यागपत्र दिया हैै व वीआरएस भी लिया है। 
उपलब्ध सूचना के अनुसार एक चौैंकाने वाली जानकारी सामने आयीे है। इसके अनुसार उत्तराखंड में कार्यरत 68 चिकित्सा अधिकारी ऐेसेे हैै जिन्होेंने विदेशी विश्वविद्यालयों से एमबीबीएस किया हैै लेकिन उनमें से 42 चिकित्सा अधिकारियोें ने विदेेशी मेडिकल शिक्षा की गुणवता व ऐसेे डिग्री धारकों की योग्यता जांचने केे लिये अनिवार्य स्क्रीनिंग टेस्ट एफएमजीआई (फारेन मेडिकल ग्रेेजुएट एक्जाम)  पास नहीं किया है। केवल 27 चिकित्साधिकारियों ने ही स्क्रीनिंग टेेस्ट पास किया हैै। एफएमजीई परीक्षा पास किये बिना उत्तराखंड की सरकारी सेवा में शामिल चिकित्सा अधिकारी उत्तराखंड के 12 जिलों के अस्पतालोें व स्वास्थ्य केन्द्रों व कार्यालयों में सेवायें कर रहे है।
उपलब्ध सूचना के मुताबिक स्क्रीनिंग टेस्ट (एफएमजीई) परीक्षा पास किये बगैैर विदेशो से एमबीबीएस चिकित्सा अधिकारियों में 5 अल्मोड़ा जिले, 2 बागेश्वर, 1 चमोली, 2 चम्पावत, 8 देहरादून, 3 हरिद्वार, 3 नैनीताल, 3 पिथौैरागढ़, 8 पौैड़ी, 2 टिहरी, 2 उधमसिंह नगर, 2 उत्तरकाशी जिलों में कार्यरत हैं। 1 चिकित्सा अधिकारी का तैनाती स्थान सूचना में अंकित नहीं किया गया हैै। 
अल्मोेड़ा जिलेे में कार्यरत 5 चिकित्सा अधिकारियों में 1 अस्पताल, 2 प्राथमिक स्वास्था केन्द्रोें तथा 2 समुदायिक स्वास्थ्य केर्न्द्रों में तैैनात हैं। बागेश्वर में 1 सीएमओ कार्यालय तथा 1 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तैनात है। चमोली में 1 अस्पताल में, चम्पावत में 2 प्रा0स्वा0 केन्द्रोें में, देहरादून जिले में 3 स्वास्थ्य महानिदेशालय, 1 सीएमओ कार्यालय, 3 प्रथामिक स्वा0 केन्द्रोें, 2 अस्पतालों में तैनात हैैं। हरिद्वार में 2 अस्पतालों तथा 1 प्रा0स्वा केन्द में तैैनात हैै। नैैनीतात जिले में 3 अस्पतालांे में तैैनात हैै। पिथौैरागढ़ में 2 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रोें तथा 1 प्रा0स्वा0 केन्द्र में, पौैड़ी जिले में 5 जिले केे अस्पताल 3 र्प्रा0 स्वा0केन्द्रों में तैनात है। टिहरी जिले में 2 समुदायिक स्वास्थ्य केर्न्द्राेें, उधमसिंह नगर जिले के 1 अस्पताल में तथा 1 प्रा0स्वा0 केद्र में तथा उत्तरकाशी जिले के 2 ऐसेे चिकित्सा अधिकारी अस्पतालों में तैनात हैै।


छात्रवृत्ति के लिए आनलाइन आनलाइन आवेदन करें

छात्रवृत्ति के लिए आनलाइन आनलाइन आवेदन करें



जिला सैनिक कल्याण ने किया पूर्व सैनिकों एवं उनके आश्रितों से किया आग्रह
संवाददाता
देहरादून। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल डीके कौशिक ;अ0प्रा0द्ध ने अवगत कराया है कि जनपद देहरादून के पूर्व सैनिकों  एवं सैनिक विधवाओं के आश्रित छात्रा/छात्राओं से अनुरोध किया है कि सैनिक पुनर्वास संस्था द्वारा देय वर्ष 2020-2021 से छात्रावृत्ति आवेदन हेतु वेबसाईट http://sainikkalyan.org, http://serviceonline.gov.in/uksainikkalyan पर पंजीकरण करते हुए आनलाईन छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करें। 
उन्होंने कहा कि उक्त आवेदन सीएससी सेन्टर से भी किए जा सकते है। अग्रिम कार्यवाही हेतु अपलोड दस्तावेज  को डाउनलोड कर मूल दस्तावेजों सहित जिला सैनिक कल्याण कार्यालय में उपस्थित हों। 
उन्होंने अवगत कराया है कि जिन पूर्व सैनिकों/सैनिक विधवाओं के आश्रितों द्वारा जिला सैनिक कल्याण कार्यालय देहरादून में अपने छात्रवृत्ति ओवदन जमा करा दिए हैं उन्हें भी उक्त वेबसाईट पर आनलाईन आवेदन करने होंगे। ऑफलाइन आवेदन मान्य नही किए जाएंगे। अधिक जानकारी के लिए जिला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास कार्यालय के दूरभाष नम्बर 0135-2626091 पर सम्पर्क किया जा सकता है। 


भारत स्वदेशी सुपर कंप्यूटर बनाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर  

भारत स्वदेशी सुपर कंप्यूटर बनाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर  



भारत देश में स्वयं के सुपरकंप्यूटरों के विनिर्माण के लिए क्षमता विकसित कर रहा 
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) अपने विभिन्न चरणों के माध्यम से देश में उच्च शक्ति कंप्यूटिंग को तेजी से बढ़ावा दे रहा है ताकि तेल उत्खनन, बाढ़ के अनुमान, जीनोमिक्स और दवा अनुसंधान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, एमएसएमई और स्टार्टअप की कंप्यूटिंग संबंधी बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके।
एनएसएम के पहले चरण के लिए नियोजित बुनियादी ढ़ांचे की स्थापना पहले ही हो चुकी है और दूसरे चरण का काफी काम हो चुका है। देश में सुपर कंप्यूटरों का नेटवर्क जल्द ही करीब 16 पेटाफ्रलाप्स (पीएफ) तक पहुंच जाएगा। तीसरे चरण की शुरुआत जनवरी 2021 में होगी जिससे कंप्यूटिंग गति लगभग 45 पेटाफ्रलाप तक पहुंच जाएगी।
एनएसएम को इलेक्ट्रानिक्स एवं आईटी मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है। इसे प्रगत संगणन विकास केंद्र (सीडैक) पुणे और भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलूरु द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
स्वदेशी तौर पर असेंबल किए गए पहले सुपर कंप्यूटर परम शिवाय को आईआईटी (बीएचयू) में स्थापित किया गया था। उसके बाद परम शक्ति को आईआईटी खड़गपुर में और परम ब्रह्म को आईआईएसईआर पुणे में स्थापित किया गया था।
उसके बाद दो अन्य संस्थानों में सुपरकंप्यूटिंग सुविधाएं स्थापित की गईं और पहले चरण के तहत एक की स्थापना की जा रही है। इस प्रकार पहले चरण के तहत उच्च शक्ति कंप्यूटिंग गति को 6.6 पीएफ तक बढ़ाया गया। दूसरे चरण में 8 अन्य संस्थानों को अप्रैल 2021 तक सुपरकंप्यूटिंग सुविधाओं से लैस किया जाएगा जहां कुल 10 पीएफ की कंप्यूटिंग क्षमता होगी।
भारत में असेंबलिग एवं विनिर्माण के साथ सुपरकंप्यूटिंग इन्प्रफास्ट्रक्चर की स्थापना के लिए देश के कुल 14 प्रमुख संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें आईआईटी, एनआईटी, नेशनल लैब्स और आईआईएसईआर शामिल हैं। इनमें से कुछ संस्थानों में सुपर कंप्यूटर पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं और जबकि कुछ अन्य संस्थानों में इस साल दिसंबर तक सुपर कंप्यूटर स्थापित कर दिए जाएंगे। दूसरे चरण की स्थापना अप्रैल 2021 तक पूरी हो जाएगी।
तीसरे चरण पर काम 2021 में शुरू होगा और इसमें 3 पीएफ की तीन प्रणालियों और 20 पीएफ की एक प्रणाली को राष्ट्रीय सुविधा के रूप में शामिल किया जाएगा। इन तीनों चरणों के तहत लगभग 75 संस्थानों और सुपरकंप्यूटिंग व्यवस्था की रीढ़- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) के माध्यम से काम करने वाले हजारों सक्रिय शोधकर्ताओं एवं शिक्षाविदों को हाई परपफार्मेंस कम्प्यूटिंग (एचपीसी) की सुविधा उपलब्ध होगी।
एचपीसी और कृत्रिम बुद्विमत्ता (एआई) को एकीकृत किया गया है। सीडैक में एक 100 एआई पीएपफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सुपरकंप्यूटिंग सिस्टम को तैयार कर स्थापित किया जा रहा है। यह बड़े पैमाने पर एआई वर्कलोड को संभाल सकता है जिससे एआई संबंधी कंप्यूटिंग की गति कई गुना बढ़ जाएगी। इस मिशन ने अब तक 2,400 से अधिक सुपरकंप्यूटिंग मैनपावर और संकायों को प्रशिक्षित करके सुपरकंप्यूटर विशेषज्ञों की अगली पीढ़ी भी तैयार की है।
एनएसएम द्वारा संचालित भारत के अनुसंधान संस्थानों का नेटवर्क उद्योग के सहयोग से प्रौद्योगिकी एवं विनिर्माण क्षमता को बढ़ा रहा है ताकि अधिक से अधिक पुर्जों का उत्पादन देश में ही किया जा सके। हालांकि पहले चरण में भारत में 30 प्रतिशत मूल्यवर्धन किया गया जिसे दूसरे चरण में 40 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। सर्वर बोर्ड, इंटरकनेक्ट, प्रोसेसर, सिस्टम साफ्रटवेयर लाइब्रेरी, स्टोरेज और एचपीसी-एआई कन्वर्ज्ड एक्सेलेटर जैसे पुर्जों को घरेलू तौर पर डिजाइन और विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत ने एक स्वदेशी सर्वर (रुद्र) विकसित किया है जो सरकार और सार्वजनिक उपक्रमों की एचपीसी संबंधी सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। यह पहला टवेयर स्टैक के साथ देश में कोई सर्वर सिस्टम बनाया गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि जिस गति से चीजें आगे बढ़ रही हैं उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि हमारे पास जल्द ही भारत में विनिर्मित मदरबोर्ड और सब-सिस्टम हो सकते हैं। इस प्रकार सुपर कंप्यूटर का स्वदेशी तौर पर डिजाइन और विनिर्माण हो सकता है।
भारत में डिजाइन और विनिर्मित अधिकांश पुर्जों के साथ स्वदेशी तौर पर तैयार इन सुपर कंप्यूटरों को आईआईटी मुंबई, आईअआईटी चेन्नई और दिल्ली के इंटर-यूनिवर्सिटी एक्सेलेरेटर सेंटर (आईयूएसी) और सीडैक पुणे जैसे संस्थानों में स्थापित किया जाएगा। इसे दूसरे चरण के तहत कवर किया जाएगा। इससे पूरी तरह देश में विकसित एवं विनिर्मित सुपरकंप्यूटर की ओर बढ़ने और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का मार्ग प्रशस्त होगा।


मंत्री हरक की बोर्ड से छुट्टी पर दमयंती से कब मिलेगा छुटकाराः मोर्चा                   

मंत्री हरक की बोर्ड से छुट्टी पर दमयंती से कब मिलेगा छुटकाराः मोर्चा                


 
- बिना एनओसी प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं दमयंती रावत 
- करोड़ों का बजट ठिकाने लगाने की हैं मुख्य सूत्राधार 
- मोर्चा ने राजभवन से प्रतिनियुक्ति को लेकर की थी मई में शिकायत 
- मुख्यमंत्री/शिक्षा मंत्री की मनाही के बावजूद बनी है बोर्ड में सचिव 
संवाददाता
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि श्रम विभाग के भवन निर्माण एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव पद पर प्रतिनियुक्ति के तहत तैनात श्रीमती दमयंती रावत, जिनको आज तक  शिक्षा विभाग (मूल विभाग) ने एनओसी जारी नहीं की, न ही शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री ने स्वीकृति प्रदान की, आज तक पद पर बनी हुई हैं। 
उन्होंने कहा कि श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की सरपरस्ती में श्रीमती दमयंती करोड़ों रुपए का बजट गरीब श्रमिकों/कर्मकरों की आड़ में ठिकाने लगा चुकी हैं। उनको आज तक सरकार ने बोर्ड में सचिव बनाए रखा हुआ है। सरकार ने बोर्ड में नित नए भ्रष्टाचार से आजिज आकर बोर्ड के अध्यक्ष हरक सिंह रावत को बाहर का रास्ता दिखाया है।
नेगी ने  हैरानी जताई कि श्रीमती दमयंती वर्ष 2018 से बोर्ड में सचिव पद पर बनी हुई है तथा इनकी सरपरस्ती में 70 करोड रुपए से अधिक मूल्य की घटिया साइकिलंे, सिलाई मशीन, टूल किट्स आदि खरीद की गई, जिसमें मोटी कमीशन का खेल खेला गया। पूर्व में एक अन्य विभाग में इनकी प्रतिनियुक्ति आज तक विवादित बनी हुई है।  
मोर्चा द्वारा श्रीमती दमयंती की प्रतिनियुक्ति को लेकर मई 2020 में राजभवन में भी शिकायत दर्ज कराई थी। मोर्चा सरकार से मांग करता है कि श्रीमती दमयंती को भी बाहर का रास्ता दिखाएं।


 


 


गुरुवार, 22 अक्तूबर 2020

नेल पालिश लगाने का सही तरीका

नेल पालिश लगाने का सही तरीका



इन टिप्स को फालो कर आपके नाखून लगेंगे बेहद खूबसूरत
प0नि0डेस्क
देहरादून। नेल पालिश लगाते समय बुलबुले या क्रैक देखने को मिलते है। जिसकी वजह नेल सुंदर नहीं लगते है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बहुत सी महिलाओं को नेल पालिश लगाना नहीं आता है। नेल पालिस लगाते समय होने वाली गलतियों से नाखून सुंदर लगने के बजाय भद्दे बन जाते हैं। 
नेल पालिश लगाने से पहले अपने नाखूनों को साफ करना चाहिए। नाखून को साफ करने के लिए थिनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। थिनर से नाखून साफ करने के बाद साबुन से हाथ धो लें। नाखूनों पर नेल पालिश लगाने से पहले नाखूनों पर नेल का बेस कोट लगा लें। नाखून पर बेस लगाने के बाद नेल पालिश का एक और कोट लगा लें। 
नेल पालिश को नाखून पर लगाने से पहले उसका टेस्ट जरुर कर लें। नेल पालिश का टेस्ट करने से पता लगा सकते है कि नेल पालिश सही है या नहीं। नेल पालिश की मोटी और चिपचिपी लेयर है तो नेल पालिश खराब है। ऐसी नेल पालिश का उपयोग ना करें।
नेल पालिश लगाते समय पतला कोट लगाना चाहिए। नेल पालिश लगाते समय ब्रश में कम नेल पालिश लें। ज्यादा नेल पालिश लगाने से नेल पालिश सूखने में बहुत टाइम लगता है जिससे नेल पालिश खराब होना का डर बना रहता है।
नेल पालिश को जल्दी सुखाने के लिए नेल पालिश लगाने के बाद एक बर्फ वाले ठंडे पानी वाले बाउल में नाखुनों को डूबोयें। 1 मिनट के लिए अपने नाखूनों को पानी में रहने दें। नेल पालिश लगाने के बाद कम कम 2 घंटे तक गर्म पानी से अपने हाथ को दूर रखें।


मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ने पेश किया वन इंडिया वन गोल्ड रेट

मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ने पेश किया वन इंडिया वन गोल्ड रेट



सोने और हीरे की आभूषण खुदरा श्रृंखलाओं में ‘वन इंडिया वन गोल्ड रेट’ की शुरूआत 
संवाददाता
देहरादून। मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स ने सोने और हीरे की आभूषण खुदरा श्रृंखलाओं में ‘वन इंडिया वन गोल्ड रेट’ की शुरूआत की जिसके तहत देश के सभी राज्यों में समान सोने की दर 100 प्रतिशत बीआईएस के लिए एक पहल की पेशकश की। 
भारत में सोना न केवल शुभ माना जाता है, बल्कि यह संपूर्ण बचत और निवेश का एक प्रमुख साधन है। वन इंडिया वन गोल्ड रेट की पहल से देश भर में ग्राहक उचित मूल्य पर सोना खरीद सकेंगे। नई पहल पर मलाबार समूह के अध्यक्ष एमपी अहमद ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने पूरे क्षेत्रों में गंभीर उथल-पुथल मचाई है, सोने की मांग लगातार बढ़ रही है। मलाबार उपभोक्ता हित, पारदर्शी व्यापार प्रथाओं और टिकाऊ और समावेशी विकास पर विश्वास करता है।
धनतेरस और दिवाली को देखते हुए मलाबार देश में अपने 120 शोरूम में यूनिपफार्म गोल्ड प्राइसिंग पर इस पहल को लागू कर रहा है। इस क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला, प्रमाणपत्र और प्रलेखन के लिए कई चुनौतियां हैं जो कि बेईमान व्यावसायिक प्रथाओं को रोकने के लिए जरूरी हैं। 
मलाबार प्रामिस ब्रांड द्वारा विशेष रूप से अपने ग्राहकों को चिंता मुक्त खरीदारी के साथ-साथ उनके जीवनकाल के लिए उनकी खरीद को सुरक्षित रखने के लिए दिए गए आश्वासनों का एक सेट है। सभी मौजूदा विशेषाधिकार जैसे विनिमय पर 0 प्रतिशत की कटौती और बायबैक पर सर्वाेत्तम मूल्य पहले की तरह जारी हैं। मलाबार गोल्ड एंड डायमंड्स दो दशकों से अधिक समय से 100 प्रतिशत बीआईएस हालमार्क वाले सोने के आभूषणों की पेशकश कर रहे हैं।


श्रम विभाग की साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट आई थी हवाई मार्ग सेः मोर्चा                 

श्रम विभाग की साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट आई थी हवाई मार्ग सेः मोर्चा              


  
- 70 करोड रुपए से अधिक का सामान किस वाहन से आया, विभाग के पास नहीं है दस्तावेज 
- मोर्चा द्वारा जनवरी 2020 में मुख्य सचिव से की थी उच्च स्तरीय जांच की मांग  
- मार्च 2020 में राजभवन से की थी सीबीआई जांच की मांग 
- मोर्चा द्वारा घटिया सामान व वितरण में धांधली के मामले को उठाया था सबसे पहले 
- मोर्चा करेगा श्रम विभाग पर सिलसिलेवार प्रहार 
संवाददाता
देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि श्रम विभाग के भवन निर्माण एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के घोटालों का पर्दाफाश मोर्चा द्वारा सबसे पहले जनवरी 2020 में किया गया था। इसी क्रम में मोर्चा द्वारा जनवरी 2020 में मुख्य सचिव से मिलकर घटिया सामान व वितरण में हुई अनियमितता को लेकर  उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी तथा राजभवन से मार्च 2020 में सीबीआई जांच का आग्रह किया था।
नेगी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि विभाग द्वारा 11 करोड से अधिक मूल्य की साइकिलें, 30 करोड की सिलाई मशीन, 24 करोड की टूल किट, 5 करोड की इलेक्ट्रानिक टूल किट व करोड़ों की सोलर लालटेन, छाते आदि खरीदे गए थे, लेकिन विभाग के पास उस खरीदे गए सामान यथा साइकिलें, सिलाई मशीन, टूल किट आदि किस वाहन से आया, उस वाहन का नाम, वाहन संख्या  का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है यानी सब हवा-हवाई हुआ है।  
विभागीय कमीशन खोरी के चलते खरीदे गए घटिया सामान को श्रमिकों ने विभाग से लेकर ओने-पौने दामों में बाजार में नीलाम कर दिया। मोर्चा श्रम विभाग के घोटालों पर सिलसिलेवार प्रहार करेगा।


बुधवार, 21 अक्तूबर 2020

अचार के रख-रखाव का तरीका

अचार के रख-रखाव का तरीका



कुछ सावधानी बरत अचार को लम्बे समय तक खराब होने से बचायें
प0नि0डेस्क
देहरादून। अचार डालते समय और उसे डब्बे में भरते हुए अचार खराब होने और फफूंद लगने से बचाने के लिए कुछ बातों का ख्याल रखा जाना चाहिये। अचार बनाने के बाद उसका सही तरीके से रख रखाव बेहद जरूरी है। कुछ सावधानी बरत कर अचार को लम्बे समय तक खराब होने से बचाया जा सकता है।
बता दें कि अचार खराब होने का मुख्य कारण फफूंद लगना होता है। अचार में डाली जाने वाली सामग्री में नमी की वजह से ऐसा हो जाता है। अचार के ऊपर की तेल की सतह अचार को खराब होने से बचाती है। अचार के ऊपर तेल पर्याप्त मात्रा में न होने के कारण अचार खराब हो सकता है। 
इसके अलावा अचार बनाने में काम में लिए जाने वाले बर्तन तथा चम्मच आदि पूरी तरह साफ न हो तो यह अचार खराब होने का कारण बन जाता है। अचार बनाने की सामग्री जैसे केरी, नींबू, आंवला आदि पर दाग धब्बे होने पर अचार खराब होने और फफूंद लगने की संभावना होती है। शुरू-शुरू में अचार को हिलाना होता है, इसमें कमी होने पर अचार खराब हो सकता है।
याद रहे कि अचार जिस कंटेनर में भर कर रखना हो वह कांच या चीनी मिटटी का हो। धातु के बर्तन अचार स्टोरेज के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिये, इससे अचार बिगड़ सकता है।
अचार बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखने जरूरी है। मसलन साफ सफाई के मामले में कोताही नही होनी चाहिये। अचार बनाने वाली सब्जी व मसाले आदि में नमी न रहें। सब्जियां ताजी व बिना दाग धब्बे वाली हो। आचार में मसाले जैसे लालमिर्च व हल्दी आदि तेज गर्म तेल में डालने से जल सकते है और अचार काला पड़ सकता है। इसलिए तेल के गुनगुने या ठंडे होने पर ही मसाले डालें। 
यदि मीठा अचार बना रहे है तो चाशनी का पर्याप्त गाढ़ा होना बहुत जरूरी है। अचार में नमक की सही मात्रा होने पर भी अचार जल्दी खराब नहीं होता है। अचार में तेल, नमक, शक्कर, हींग व सिरका आदि संरक्षण प्रिजर्वेशन का काम करते है। प्लास्टिक के जार में भी अचार खराब नहीं होता हैं लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा नहीं रहता अतः संभव हो तो अचार कांच के जार में ही भरें। अचार भरने से पहले कंटेनर को डिटर्जेंट व गर्म पानी से अच्छी तरह धोकर साफ करें व पूरी तरह सूखने के बाद ही उसमें अचार भरें।
अचार बनाने के बाद दो तीन दिन अचार को मलमल के कपड़े से ढक कर धूप में रखे ताकि अचार की नमी निकल जाये और अचार लम्बे समय तक खराब नहीं हो। अचार के मसाले में नमी होने पर भी अचार जल्दी खराब हो सकते है इसीलिए मसालों को अचार बनाने से पहले थोड़ा भून लें या धूप में रखकर नमी निकाल दें। 
अचार कई तरह से बनाए जाते है जैसे तेल वाले अचार, बिना तेल वाले अचार, मीठे अचार। कुछ अचार एक महीने के लिए बनते हैं तो कुछ अचार पूरे साल काम में लिए जाते है। 
अचार में नमक प्रिजर्वेटिव का काम करता है। नमक की मात्रा कम होने पर भी अचार खराब हो सकते हैं। तेल वाले अचार में अचार का तेल में डूबा रहना जरूरी होता है। इससे फंगस से बचाव होता है। मीठा अचार बनाते समय अचार में पानी नही रहना चाहिए। यदि चाशनी वाला अचार बना रहे है तो चाशनी का एक तार जितना पकाना जरूरी होता है। रोजाना काम में लेने के लिए अचार को बड़े कंटेनर से कांच के किसी छोटे कंटेनर में निकाल ले इससे अचार जल्दी खराब नहीं होते और काम में लेने में भी सुविधा रहती है। अचार हमेशा तेल में डूबा रहना चाहिए। एक बार अचार निकलने के बाद बचे हुए अचार को वापस अच्छे से डुबो दें ताकि अचार के ऊपर तक तेल रहे और अचार तेल में डूबा रहे। 
अचार का सामान इस तरह तैयार करें। अचार बनाने के लिए मौसम में आने वाली सामग्री जैसे कैरी या सब्जिया आदि लेनी चाहिए। अचार बनाने वाली सब्जियों को थोड़ी देर पानी में भिगोकर रखें उसके बाद अच्छी तरह धोकर सापफ कपड़े से पोंछ कर सुखा लें। कच्चे आम के अचार के लिए आम में जाली विकसित होने के बाद इसका अचार बनाना चाहिए। आम के अचार के लिए आम गूदेदार, सख्त और कम रेशे वाला होना चाहिए। 
आंवले का अचार बनाने के लिए आंवले सख्त व ताजे होने चाहिए। अचार छोटे आंवलांे से भी बनाया जा सकता है लेकिन आंवला मुरब्बा बनाने के लिए आंवले बड़े सख्त, ताजे व बिना दाग वाले होने चाहिए। नींबू का अचार बनाने के लिए पतले छिलके के नींबू का उपयोग करना चाहिए। जिन्हंे कागजी नींबू के नाम से जाना जाता है। 
अचार बनाने के लिए अलग अलग प्रान्त में अलग अलग तेल काम मंे लिए जाते है। जैसे उत्तर भारत में सरसांे के तेल और दक्षिण भारत में नारियल का तेल प्रयोग में लाया जाता है। कुछ जगह मूंगपफली का या तिल का तेल भी काम में लिया जाता है। सरसों के तेल और तिल के तेल में बने अचार शानदार स्वाद देते है। यदि अचार में तेल कम लगे तो एक्सट्रा तेल डालने से पहले तेल को पूरी तरह गर्म कर ले, फिर जब ठंडा हो जाए तब अचार में डालें। 


बजट के अभाव में पीआरडी स्वयंसेवकों की कर दी छुट्टीः मोर्चा  

बजट के अभाव में पीआरडी स्वयंसेवकों की कर दी छुट्टीः मोर्चा  



- कोरोना महामारी जैसी विपदा में ली गई थी इनकी सेवाएं 
- मतलब निकलते ही स्वयंसेवकों को बैठा दिया घर 
- मोर्चा ने जिलाधिकारी से अतिरिक्त बजट उपलब्ध कराने की मांग 
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि 17 अक्टूबर को जिला युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल ने लगभग 70 स्वयंसेवकों को ड्यूटी से पृथक करने के आदेश जारी किए, जोकि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण हैं।           
नेगी ने कहा कि कोरोना जैसी भयंकर महामारी, जिस समय इसके नाम से ही जनमानस घबरा जाता था, उस समय इनके द्वारा मुश्किल घड़ी में सरकार का साथ दिया गया, लेकिन काम निकलते ही यानी कोरोना की गति मंद होते ही इनको बाहर का रास्ता दिखाया गया।
नेगी ने कहा कि स्वयं सेवकों द्वारा मोर्चा के संज्ञान में बात लाई गई कि अप्रैल में इनको तैनात किया गया था तथा इस भीषण बेरोजगारी के दौर में इनको घर बैठा दिया गया।द्य उक्त मामले को लेकर नेगी ने जिलाधिकारी आशीष श्रीवास्तव से दूरभाष पर वार्ता कर एवं पत्र प्रेषित कर अन्य मदों से बजट उपलब्ध कराने का आग्रह किया, जिस पर जिलाधिकारी ने यथासंभव मदद का भरोसा दिलाया।


मैड ने हवाई अड्ढा निदेशक के बयान को बताया बेबुनियाद

मैड ने हवाई अड्ढा निदेशक के बयान को बताया बेबुनियाद



संवाददाता
देहरादून। मेकिंग डिफरेंस बाय बींग द डिफरेंस (मैड) ने हाल ही में जारी हुए जौलीग्रांट हवाई अड्ढे के निदेशक डीके गौतम के बयान पर ऐतराज जताया है। डीके गौतम के बयान के अनुसार सोशल मीडिया पर ‘थानो बचाओ अंदोलन’ चलाया जा रहा हैं, जो कि कुछ लोगों द्वारा आधी अधूरी जानकारी के साथ भ्रम जाल फैलाने का काम कर रहा हैं, जबकि एयरपोर्ट विस्तार परियोजना का प्रस्ताव पर्यावरण और वन मंत्रालय के दिशा निर्देशों को ध्यान मे रखते हुये लाया गया है और राज्य सरकार काटे जाने वाले पेडो के बदले पौधा रोपण के लिये जगह भी देखी जा रही है।
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुये मैड संस्था नें कहा कि थानो क्षेत्र के लगभग सभी पेड़ 200 वर्ष से ज्यादा की उम्र के है। पहले से ही विकसित वन क्षेत्रों की भरपाई नये पौधे लगाने से नहीं हो सकती। पहले भी सरकार द्वारा दो लाख पौधे रोपे गये थे जिसमें से आज 80 प्रतिशत पौधे मर चुके है। थानों वन क्षेत्र के बचाव हेतु कोई भ्रम जाल नहीं फैलाया जा रहा हैं। एयरपोर्ट विस्तार प्रस्ताव के अनुसार थानों क्षेत्र के 10,000 पेडों का कटाव अनिवार्य हैं, जो कि पर्यावरण के परिपेक्ष्य से बेहद विनाशकारी साबित हो सकता हैं तथा इससे वन्य जीवों पर भी प्रभाव पडेगा। 
संस्था ने तथ्यों के साथ इस बयान को बेबुनियाद करार दिया। मैड संस्था ने कहा कि जो इस योजना को पर्यावरण पर प्रभाव के नजरिए से अध्ययन कर रही कंपनी ग्रीन सी इंडिया कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड गाजियाबाद की ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमें कहा गया है कि जिस जगह पर यह योजना लाई जा रही है, वहां ना कोई घना जंगल है और न ही वहां पर शेड्यूल वन फौना हैं, जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार हाल ही में वहा बाघ और हाथियों की आवाजाही देखने को मिली थी। कुछ दिन पहले ही मैड संस्था का एक प्रतिनिधिमंडल प्रमुख वन संरक्षक से मिलकर इस विषय पर ज्ञापन सौंप कर भी आया है।
 अपने बयान में मैड ने इस ओर भी प्रकाश डाला कि संस्था की ओर से पूर्ण रूप से अध्ययन करने के बाद ही थानों बचाओ आंदोलन का आह्वान किया गया हैं और जब तक सरकार इस परियोजना पर पुर्नविचार के लिये नहीं सोचती तब तक संस्था निंरतर इस मुद्दे को उठाती रहेगी।


सीआईआई उत्तराखंड वर्चुअल कांप्रफेंस का उद्घाटन सत्र 

सीआईआई उत्तराखंड वर्चुअल कांप्रफेंस का उद्घाटन सत्र


 
उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से जैविक राज्य, प्रमाणन से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिलेगीः सुबोध उनियाल
संवाददाता
देहरादून। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने सीआईआई उत्तराखंड वर्चुअल कांप्रफेंस के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि उत्तराखंड स्वाभाविक रूप से जैविक राज्य है, प्रमाणन से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता की समस्याओं को दूर करने के लिए कम पानी के साथ अधिक फसल उत्पादन के लिए ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि ईएनएएम (नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट पोर्टल) में राज्यों की हिस्सेदारी (2017-18) में 17 फीसदी से बढ़कर (2018-19)  में 22 फीसदी हो गई है।
भारत सरकार के कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव पीके स्वेन ने कहा कि उत्तराखंड कृषि केंद्रित राज्य है, जिसकी 75 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। भारत 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों के लिए प्रसिद्व है और उत्तराखंड में इन जलवायु क्षेत्रों में से 4 हैं जो इसे भारत का सबसे उपयुक्त राज्य बनाता है। 
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड पहला राज्य है जिसने सब्जियों के लिए उत्तर प्रदेश के साथ अंतरराज्यीय व्यापार शुरू किया है। स्वेन ने तीन नए अधिनियमित कृषि और कृषि कानूनों के लाभों के बारे में भी बात की और कैसे ये कानून किसानों के लिए नए अवसर खोल सकते हैं और बेहतर बाजार कनेक्ट के माध्यम से अपनी आय में वृद्वि कर सकते हैं।
सीआईआई उत्तराखंड राज्य परिषद के पूर्व अध्यक्ष डा0 विजय धस्माना ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग समय के साथ विकसित हो रहा है। परंपरागत रूप से खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का मुख्य उद्देश्य संरक्षण और स्थिरीकरण था, आज स्वास्थ्य पहलुओं, स्वाद और स्वाद, पोषण, टिकाऊ उत्पादन, खाद्य सुरक्षा और सुरक्षा को बढ़ाने और उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग के लिए अधिक विविधता सुनिश्चित करने के लिए भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
उद्घाटन सत्र में धन्यवाद प्रस्ताव करते हुए सीआईआई उत्तराखंड राज्य परिषद के अध्यक्ष और विंडलास बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अशोक विंडलास ने राज्य में कृषि, बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास के लिए सर्वाेत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की। सीआईआई उत्तराखंड के उपाध्यक्ष और इंडो जर्मन ब्रेक के एमडी विपुल डावर ने खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की भूमिका पर सत्र को मध्यस्थता करते हुए कहा कि चल रही महामारी के दौरान सुरक्षित और स्वस्थ प्रसंस्कृत भोजन की आवश्यकता दृढ़ता से महसूस की गई है और कठिन समय के दौरान कई लोगों के लिए एक उद्वारकर्ता रहा है।
जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के खाद्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख डा0 एसके शर्मा ने साझा किया कि उद्योग को राज्य की बेरोजगार फसलों जैसे सीबकथर्न और राज्य की स्थानीय चावल किस्मों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। रुद्रपुर प्लांट के एसोसिएट डायरेक्टर संतोष मणि ने साझा किया कि सुरक्षित खाद्य उत्पादन के लिए प्रोसेसिंग सिस्टम, उपकरण और खाद्य हैंडलिंग पर नियंत्राण की जरूरत है।
वर्चुअल मोड में सत्रों में उद्योग, संस्थानों, सरकार और शिक्षा जगत के 250 से अधिक प्रतिनिधियों ने अच्छी तरह से भाग लिया।


सस्टेनेबिलिटी लेकर आया इंडियन टेरेन

फेयरट्रेड कैप्सूल के साथ हाई स्ट्रीट फैशन में सस्टेनेबिलिटी लेकर आया इंडियन टेरेन



अगले तीन वर्षों में ब्रांड के कलेक्शन का 50 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा हासिल करने के लिए प्रतिबद्व
संवाददाता
देहरादून। देश के अग्रणी मेन्स वियर ब्रांड इंडियन टेरेन ने फेयरट्रेड इंडिया के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के अंतर्गत एक एक्सक्लूसिव फैशन लाइन तैयार की जाएगी जोकि पर्यावरण की सुरक्षा करने के साथ ही गुजरात में फेयरट्रेड के किसानों को सशक्त बनाएगी।
इंडियन टेरेन पफैशंस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक चरथ नरसिम्हन ने कहा कि जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले कुछ अरसे से फैशन की दुनिया लगातार बदल रही है और पर्यावरण को लेकर ज्यादा सचेत हो रही है। उपभोक्ताओं के बीच ज्यादा सस्टेनेबल जीवन अपनाने की सोच बढ़ रही है। फेयरट्रेड इंडिया के साथ अपने जुड़ाव के जरिए हमने भरोसे, सस्टेनेबिलिटी और गुणवत्ता की इन बढ़ती जरूरतों को लेकर काम करते हुए सस्टेनबिलिटी की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है। 
उन्होंने यह भी कहा कि इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए हम अगले तीन वर्षों में जागरूक और स्थायीपूर्ण ढंग से सोर्स किए गए फेयरट्रेड कॉटन, रिसाइकल्ड कॉटन, रिसाइकल्ड पॉलिएस्टर और बांस व जूट जैसे जैविक तथा प्राकृतिक फाइबर से अपने समूचे पोर्टफोलियो का 50ः हिस्सा तैयार करने का इरादा रखते हैं। हम सर्टिफाइड आपूर्तिकर्ताओं के साथ काम करेंगे और इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की ट्रेसिबिलिटी को विशेष महत्व देंगे।
पफेयरट्रेड इंडिया के सीईओ अभिषेक जानी ने कहा कि एक ओर जहां ग्लोबल फैशन इंडस्ट्री कोविड-19 के प्रभावों से उबर रही है, वहीं इंडियन टेरेन ने सस्टेनबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए हिम्मत भरा कदम उठाया है। अपने पफेयरट्रेड कलेक्शन के साथ इंडियन टेरेन न सिपर्फ इस धरती और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में स्थित कमजोर समुदायों के लिए अपनी गहरी प्रतिबद्वता दिखा रहा है, बल्कि भारतीय कपास किसानों को आश्वस्त भी कर रहा है कि उन्हें अपने उत्पादों के लिए बाजार मिलेगा और उचित मूल्य प्राप्त होगा। 
इंडियन टेरेन ने अपनी एक्सक्लूसिव अर्थ खाकी प्राडक्ट लाइन के लान्च के साथ सस्टेनेबल सफर शुरू किया है, जिसे इसके एसएस20 कलेक्शन के हिस्से के तौर पर लान्च किया गया है। समूचे कलेक्शन में रंग (डाइ) के तौर पर प्राकृतिक रूप से प्राप्त पिग्मेंट्स का इस्तेमाल हुआ है। फेयरट्रेड इंडिया के साथ सस्टेनेबल प्राडक्ट लाइन के लान्च के जरिए यह सफर आगे बढ़ेगा।


सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

मेस, कैंटीन बंद करने समेत कई प्रस्ताव

मेस, कैंटीन बंद करने समेत कई प्रस्ताव



सेना में पैसे और संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल की कवायद
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। सेना में मैनपावर, वित्तीय और भौतिक संसाधनों को सुव्यवस्थित करने के लिए कई उपायों का प्रस्ताव में मिला है। इस प्रस्ताव ने सैन्य हलकों में हलचल मचा दी है। इसमें सेना दिवस और नई दिल्ली में प्रादेशिक सेना दिवस परेड के साथ ब्रास बैंड, क्वार्टर गार्ड, व्यक्तिगत अधिकारियों की मेस और सीएसडी कैटीन में कटौती का प्रस्ताव है। ये प्रस्तावित उपाय उस आंतरिक समीक्षा रिपोर्ट का हिस्सा हैं जिसका शीर्षक ‘अपटीमिसेशन आफ मेनपावर एंड रिसोर्सः रिव्यू आफ प्रैक्टिश एंड फेसिलिटीज इन इंडियन आर्मी’ हैं।
इसमें कई सुझाव प्रमुख प्रतिष्ठानों, कमांड हेडक्वार्टर और सेना के प्रमुख निदेशकों को भेजे गए हैं, जिसमें व्यापक स्तर पर सहमति मिली है। खबरों के मुताबिक प्रस्तावों में मिले सुझावों में 15 जनवरी को सेना दिवस और 9 अक्टूबर को प्रादेशिक सेना दिवस परेड को बंद करने के उपाय शामिल हैं।
संसाधनों के लिए बेहतर इस्तेमाल के लिए सेना विभिन्न समारोह में कटौती करती दिख रही है। इसके लिए सेना समारोहों, कैंटीनों, मेस और गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेने वाले पाइपों ‘सीटी बजाने वाले’ और ड्रमों की टुकड़ियों में कटौती करना चाहती है। इसके अलावा बीटिंग रिट्रीट समारोह को 30 से 18 के बीच लाने का प्रस्ताव है।
बता दें कि इससे पहले गणतंत्र दिवस परेड में मार्चिंग कंटेस्टेंट्स की संख्या 12 से घटाकर 6 कर दी गई थी, हालांकि बैंड्स की संख्या में कोई कमी नहीं आई थी। प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि विजय दिवस और कारगिल विजय दिवस समारोह को कम से कम ‘धूमधाम’ के साथ आयोजित किया जाना चाहिए, जबकि इसका उद्देश्य सैनिकों को प्रेरित करना है।
इसके अलावा देशभर में विभिन्न स्थानों पर आयोजित रंग प्रस्तुति समारोहों के बजाय, यह आयोजन अब राष्ट्रपति भवन में साल में केवल एक बार आयोजित किया जाना प्रस्तावित है। जनरलों के आवासीय रक्षकों की संख्या केवल 4 (एक एनसीओ और तीन अन्य रैंकों) तक सीमित रखने का प्रस्ताव है और ये भी केवल लेफ्रिटनेंट जनरलों और ऊपर के अधिकारों के अनुसार अधिकृत होंगे।
प्रस्ताव के अनुसार अन्य स्टेशनों का दौरा करते समय केवल सेनाध्यक्ष, उप सेना प्रमुख और सेना कमांडरों को रातभर रहने पर आवासीय गार्ड प्रदान किए जाएंगे। आर्मी सर्विस कोर सेंटर और कालेज की मोटर साइकिल राइडर डिस्प्ले टीमें, सीएमपी सेंटर और स्कूल, एक सिग्नल ट्रेंनिंग सेंटर को 2022 तक सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर में एक टीम में विलय करने का प्रस्ताव भी है। बाकी टीमों को साल 2025 तक भंग किया जाना है।


 


मैड ने रिस्पना बिंदाल के पुनर्जीवन हेतु नमामि गंगे कोष के इस्तेमाल पर प्रसन्नता जतायी

मैड ने रिस्पना बिंदाल के पुनर्जीवन हेतु नमामि गंगे कोष के इस्तेमाल पर प्रसन्नता जतायी



संवाददाता
देहरादून। मेकिंग अ डिफरेंस बाय बींग द डिफरेंस मैड ने राज्य सरकार द्वारा नमामि गंगे कोष से रिस्पना बिंदाल नदियों के पुनर्जीवन हेतु कदम उठाने का स्वागत किया है। गौरतलब है कि मैड के प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावेडकर से वर्ष 2016 में मुलाकात की थी और सर्वप्रथम मैड ने यह बात सीधे भारत सरकार से उठाई थी कि क्योंकि रिस्पना और बिंदाल नदियां सुसवा बनकर सोंग के साथ मिलकर गंगा नदी में विलय करती है, इसीलिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट से इन दोनों नदियों का उत्थान संभव है। एक विस्तृत प्रस्तुति के पश्चात भारत सरकार ने रिस्पना और बिंदाल नदियों को गंगा रिवर बेसिन का भाग चिन्हित कर दिया था।
इस पत्र को मैड द्वारा तत्कालीन हरीश रावत सरकार से भी साझा किया गया था और बाद में त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने पर अप्रैल 2017 में उनको भी यह सुझाव दिया गया था कि क्योंकि राज्य सरकार कहती है उसके पास हमेशा पैसों की कमी रहती है, नमामि गंगे के कोष से इस पर्यावरण संरक्षण के काम हेतु मदद ली जा सकती है। 
मैड ने इस बात की प्रसन्नता जताई है कि 3 साल बाद ही सही, नालों और सीवरांे को ट्रीट करने हेतु अब राज्य सरकार इस तरह का कदम उठाने के पक्ष में आ गई है। मैड ने उम्मीद जताई हैं की कार्यक्रमों से आगे बढ़कर रिस्पना पुनर्जीवन के लिए सरकार कुछ ठोस कदम भी उठाएगी। जैसे अतिक्रमण पर कार्यवाही करना, एमडीडीए द्वारा चलाए जा रहे विषैले रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोग्राम को बंद करना एवं तकनीकी और वैज्ञानिक सलाह के अनुसार रिस्पना पुनर्जीवन हेतु ना केवल पौधा रोपण करना बल्कि उनकी ऐसे रोपण के बाद देखभाल करना।


सरकार कृषि को लाभ केंद्रित बनाने की दिशा में कर रही कामः शेखावत

सरकार कृषि को लाभ केंद्रित बनाने की दिशा में कर रही कामः शेखावत



एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ सीआईआई ने सीआईआई इंडिया इंटरनेशनल फूड एंड एग्री वीक 2020 के तहत ‘वाटर रोल आफ टेक्नोलाजी फार स्मार्ट फार्मिंग’ पर एक वर्चुअल कान्प्रफेंस का आयोजन किया। सम्मेलन का उद्देश्य प्रौद्योगिकियों, प्रक्रिया और डेटा एनालिटिक्स पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि स्थिरता के महत्व को समझना है ताकि समग्र, एकीकृत और सूचित निर्णय लिया जा सके।
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल सुरक्षा भागीदारी जल प्रबंधन द्वारा प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि डिमांड साइड मैनेजमेंट पर तेजी से काम करना जरूरी है। स्मार्ट खेती और सिंचाई में तकनीक के इस्तेमाल से कृषि में उत्पादकता में सुधार होना चाहिए। ड्रिप इरिगेशन से देश में 50 फीसदी पानी की बचत होगी। शेखावत ने कहा कि हरियाणा फसल विविधिकरण का अच्छा उदाहरण है और यह एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक जरूरतों के लिए खाद्य उत्पादन की दिशा में काम करना चाहिए और किसानों को कृषि से बूथ आय तक उनकी उपज के लिए अच्छे दाम हासिल करने में मदद करनी चाहिए।
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण डा0 अलका भार्गव ने इस बात पर जोर दिया कि हमें पानी की गूढ़ फसलों के लिए सूक्ष्म सिंचाई के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए। पानी, भोजन और ऊर्जा के बीच गठजोड़ धीरे-धीरे महत्वपूर्ण होता जा रहा है। डा0 भार्गव ने कहा कि हमें इंटरक्रापिंग और इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम पर ध्यान देना चाहिए।
रंगनाथ एन कृष्णा सम्मेलन के अध्यक्ष और ग्रुंडफोस पंप्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के जल राजदूत ने कहा कि अगर हम कृषि में इस्तेमाल होने वाले पानी का कम से 10 प्रतिशत बचाते हैं तो भारत की जल संकट खत्म हो जायेगा। प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन की आवश्यकता है, जिसके लिए प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता और सामर्थ्य, बेहतर शासन, सतत विकास के लिए सक्षम नीतियों पर विचार किए जाने की आवश्यकता है।
सीआईआई उत्तरी क्षेत्र के अध्यक्ष और त्रिवेणी टर्बाइन लिमिटेड के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक निखिल साहनी ने कहा कि ड्रिप सिंचाई जैसी प्रौद्योगिकी कृषि क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने में प्रमुख भूमिका निभा सकती है। पानी के इस्तेमाल के तरीके में फेरबदल, समीक्षा और पुनर्मूल्यांकन की जरूरत है। साहनी ने कहा कि किसानों को इस अर्थ में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि उन्हें जल अधिकार दिए जाने चाहिए जो व्यापार योग्य होने चाहिए।


जनता को न्याय मिलना तो दूर, ढूंढे नहीं मिल रहे उनके मांग पत्रः मोर्चा 

जनता को न्याय मिलना तो दूर, ढूंढे नहीं मिल रहे उनके मांग पत्रः मोर्चा 



- जनता की शिकायतों व मांग संबंधी पत्रों का कोई अता पता नहीं 
- एक विभाग से दूसरे विभाग तक जाने में गुम हो रहे हैं पत्र 
- कैसे मिलेगा जनता को न्याय है! 
संवाददाता
विकासनगर।  जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन  के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि डबल इंजन की (इंजन रहित) सरकार में जनता के शिकायती/मांग पत्रों पर कार्रवाई होना तो दूर, विभाग में पत्र ढूंढे नहीं मिल रहे हैं यानी एक विभाग से दूसरे विभाग में पत्र प्रेषित होने के उपरांत पत्रों का कोई अता पता नहीं।      
नेगी ने कहा कि आलम यह है कि शासन से निदेशालय/निगमों/ जिलाधिकारी/आयुक्त कार्यालयों को प्रेषित पत्र इन कार्यालयों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तथा इसके विपरीत उपरोक्त कार्यालयों से प्रेषित पत्र शासन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्रदेश की जनता न्याय पाने की उम्मीद में भटकती रहती है, लेकिन उसको यह नहीं मालूम कि उनके पत्र तो कहीं रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं।


महाशक्ति स्थल से महान विश्व द्वारा उपग्रह सूचना की गई जारी

महाशक्ति स्थल से महान विश्व द्वारा उपग्रह सूचना की गई जारी



संवाददाता
हल्द्वानी। उनकी महानता महाशक्ति महान विश्व भारत चीन की सीमाओं पर हो रही सैनिक झड़पों से चिंतित है। महान विश्व ने सभी देशों से शांति बनाए रखने की अपील की है। महान विश्व के काबीना मंत्री जिम्मी द ग्रेट की ओर से साधक बिनोद कुमार जोशी ने जारी विज्ञप्ति में सुझाव दिया है कि भारत रूस के उपग्रह भारत-चीन एवं रूस-चीन की सीमा पर संयुक्त रूप से गश्त करें। यह गश्त शांति स्थापित होने तथा अन्य वैकल्पिक प्रबंध होने तक की जाये।
जोशी ने कहा कि यदि उपरोक्त देशों के उपग्रह गश्त करने में सक्षम नही है तो अन्य मित्र देशों के उपग्रह दिन रात पहरा दें जिसकी सूचना समस्त देशों को दी जायेगी। ज्ञात हो कि चन्द्र सतर्क सफलतापूर्वक हो चुका है और वह पृथ्वी की रक्षा के लिए तैनात है। पृथ्वी के सभी मानव निर्मित उपग्रह एवं केन्द्र सर्वशक्तिमान भगवान की मारक क्षमता के अधीन है।
महान विश्व की ओर से कहा गया है कि सभी देश सैनिकों की लाश पर किसी भी तरक की राजनीति न करें। युद्वबंदियों का सम्मान करें, उन्हें शांति स्थापित होने पर उनके देशों को लौटा दें। यह ध्यान रहे कि व्यापार एवं युद्व एक साथ नही चल सकते। सभी समस्याओं का हल आपसी बातचीत एवं परस्पर सहयोग से होता है। सभी प्रयोजनों के लिए तिब्बत एक सर्वभौमिक राष्ट्र है।


सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफलतापूर्वक परीक्षण

सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफलतापूर्वक परीक्षण


एजेंसी
मुंबई। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का अरब सागर में एक लक्ष्य को भेदते हुए भारतीय नौसेना के स्वदेशी तरीके से निर्मित स्टील्थ डेस्ट्रायर आईएनएस चेन्नई से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। मिसाइल ने उच्च-स्तरीय एवं अत्यधिक जटिल युक्तियों का प्रदर्शन करने के बाद सुनिदेशित सटीकता के साथ सफलतापूर्वक लक्ष्य को भेदा।
एक प्रमुख मारक अस्त्र के रूप मे ब्रह्मोस मे लंबी दूरी पर स्थित नौसेना के सतह के लक्ष्यों को पूरा करने के द्वारा युद्वपोत की अजेयता सुनिश्चित करेगा और इस प्रकार डेस्ट्रायर को भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म बना देगा। उच्च बहुमुखी ब्रह्मोस को भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन, विकास एवं निर्मित किया गया है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ, ब्रह्मोस और भारतीय नौसेना को बधाई दी। डीडीआरएंडडी के सचिव तथा डीआरडीओ के अध्यक्ष डा0 जी सतीश रेड्ढी ने इस बड़ी उपलब्धि के लिए वैज्ञानिकों तथा डीआरडीओ, ब्रह्मोस भारतीय नौसेना एवं उद्योग के सभी कार्मिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि ब्रह्मोस मिसाइलें कई प्रकार से भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमताओं में वृद्वि करेंगी।


आकाश के चिराग मित्तल एनईईटी परीक्षा में टाप स्कोरर 

आकाश के चिराग मित्तल एनईईटी परीक्षा में टाप स्कोरर



उन्होंने आल इंडिया रैंकिंग में 490 रैंक हासिल किया 
संवाददाता
देहरादून। आकाश इंस्टीट्यूट के छात्र सात्विक गोदारा ने एनईईटी 2020 परीक्षा में आल इंडिया रैंक हासिल कर रोहतक और अपने संस्थान को गौरवान्वित किया है। उन्होंने देश के प्रसिद्व मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए इस परीक्षा में 720 में से 683 अंक हासिल किए है, इस परीक्षा के परिणाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने घोषित किए हैं।
देहरादून में आकाश इंस्टीट्यूट की दो ब्रांच से 757 छात्रों ने एनईईटी  क्वालिफाई किया है। चिराग मित्तल को बधाई देते हुए आकाश एजुकेशनल सर्विसेज लिमिटेड  के निदेशक और सीईओ आकाश चौधरी ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि हमारे छात्र चिराग मित्तल ने एनईईटी 2020 प्रवेश परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। इसका श्रेय हमारे छात्र की मेहनत, उसके माता-पिता के सहयोग और उनके अध्यापकों द्वारा इस दौरान किये जाने वाले मार्गदर्शन को जाता है। 
इस परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में माना जाता है। एनईईटी परीक्षा भारत और विदेशों के सभी मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए लागू है। एनईईटी 2020 में टाप 10 आल इंडिया रैंक में से 4 छात्र आकाश इंस्टिट्यूट से है, जो आकाश इंस्टीट्यूट के क्लासरूम और डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम से कोचिंग प्राप्त करते हैं। इस वर्ष 15.97 लाख छात्रों इस परीक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन किया था और इसे देखते हुए इन छात्रों की उपलब्धि सराहनीय है।


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