गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

बगदादी का अंडरविअर बना उसकी मौत की वजह! 

बगदादी का अंडरविअर बना उसकी मौत की वजह! 



अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस्लामिक स्टेट का सरगना और दुनिया का नंबर एक आतंकवादी बगदादी कुत्ते और कायर की मौत मारा गया।
एजेंसी
नई दिल्ली। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का सरगना अबू बक्र अल बगदादी उत्तर-पश्चिमी सीरिया में अमेरिकी स्पेशल फोर्स के हमले में मारा गया। हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि बगदादी की मौत में उसके अंडरविअर की अहम भूमिका रही। अमेरिकी सैनिकों के हमले से पहले खुफिया सूत्रों ने पहले उसका अंडरविअर हासिल कर डीएनए टेस्ट किया था। इसमें बगदादी के होने की पुष्टि होने के बाद हमला किया गया। सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (एसडीएफ) ने इसकी जानकारी दी।
कुर्दिश नेतृत्व वाले एसडीएफ के वरिष्ठ सलाहकार पोलट केन ने भी ट्विटर की इसकी जानकारी दी कि कैसे एसडीएफ इंटेलीजेंस ने बगदादी का पता लगाने में मदद की। केन ने कहा कि बगदादी तक पहुंचने में सक्षम हमारे स्त्रोत डीएनए टेस्ट के लिए उसका अंडरवियर लाए और 100 फीसदी सुनिश्चित किया कि संदिग्ध व्यक्ति अल बगदादी ही था। पोलट केन ने बताया कि एसडीएफ बगदादी को पकड़ने के लिए सीआईए के साथ 15 मई से काम कर रहा था।
उन्होंने कहा कि एसडीएफ इस बात की पुष्टि करने में कामयाब रहे कि वह (बगदादी) पूर्वी सीरिया के डीर अलजोर से इदलिब में चला गया था। इसी जगह उसे मार दिया गया। उन्होंने कहा कि जिस वक्त हमला हुआ तब बगदादी सीरिया के शहर जाराब्लस में जाने की कोशिश में था।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगदादी के मारे जाने की खुद घोषणा की है। ट्रंप ने कहा कि 'क्रूर' संगठन इस्लामिक स्टेट का सरगना और दुनिया का नंबर एक आतंकवादी बगदादी 'कुत्ते और कायर की' मौत मारा गया। उन्होंने व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बगदादी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि आईएस का सरगना अपने जीवन के अंतिम क्षणों में रोया, चीखा-चिल्लाया और फिर अपने तीन बच्चों की हत्या कर खुद को बम से उड़ा लिया। 
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने दुनिया के नंबर एक आतंकी सरगना को मार गिराया। अबू बक्र अल बगदादी मर चुका है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह आईएसआईएस का संस्थापक और नेता था जो दुनिया का सबसे क्रूर और हिंसक आतंकी संगठन है। अमेरिका कई सालों से बगदादी की तलाश कर रहा था। बगदादी को पकड़ना या मारना मेरे प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा की सर्वाेच्च प्राथमिकता रही।'
ट्रंप ने कहा कि वह एक तरफ से बंद सुरंग में भागते हुए गया। इस दौरान वह पूरे समय रोता और चिल्लाता रहा। जिस ठग ने दूसरों के मन में डर पैदा किया, उसके जीवन के अंतिम क्षण अमेरिकी सेना के खौफ में बीते। उन्होंने कहा कि अभियान में एक भी अमेरिकी सैनिक हताहत नहीं हुआ लेकिन बगदादी के कई समर्थक मारे गए। उन्होंने कहा कि उसके पास से बेहद संवेदनशील सामग्री और जानकारी मिली है।


पिसा-2021 में सफलता के लिए करें मेहनतः निशंक

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने केंद्रीय विद्यालय संगठन एवं नवोदय विद्यालय समिति के उपायुक्तों संग किया संवाद
पिसा-2021 में सफलता के लिए करें मेहनतः निशंक



एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे की मौजूदगी में केंद्रीय विद्यालय संगठन एवं नवोदय विद्यालय समिति के उपायुक्तों के साथ संवाद किया। इस अवसर पर केंद्रीय मन्त्री ने पिसा-2021 की तैयारियों की समीक्षा की और सभी उपायुक्तों को इस परीक्षा में भारत को सफलता दिलाने के लिए कड़ी मेहनत करने का निर्देश दिया। इस अवसर पर केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल एवं नवोदय विद्यालय समिति के आयुक्त विश्वजीत सिंह भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर निशंक ने कहा कि भारत 2021 में होने वाली पिसा की प्रतियोगिता में भाग लेने जा रहा है। यह परीक्षा भारतीय प्रतिभा को वैश्विक पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। हमारे विद्यार्थियों में योग्यता, अनुशासन एवं प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस जरूरत इस बात की है कि उन्हें सही दिशा और मार्गदर्शन मिले।
निशंक ने कहा कि हमें संकल्प लेना है कि इस परीक्षा में हमें दुनिया भर में अव्वल स्थान पर आना है और इसके लिए हमें मेहनत करनी होगी। हमें हमारी शिक्षण व्यवस्था को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना होगा तभी हमारे विद्यार्थी वैश्विक परीक्षाओं में अपना बेहतर स्थान सुनिश्चित कर पाएंगे। हमें किताबी ज्ञान के साथ-साथ अनुभवात्मक शिक्षा पर भी ध्यान देने की जरूरत है तभी हम इस कठिन परीक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर पाएंगे।
निशंक ने कहा कि पिसा परीक्षा अब बहुत दूर नहीं है इसलिए इसकी तैयारी अब युद्ध स्तर पर की जाएगी। उन्होंने मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री संजय धोत्रे की अध्यक्षता में प्रत्येक 15 दिन में समीक्षा बैठक करने का निर्देश दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि धोत्रे के नेतृत्व में पिसा परीक्षा की तैयारियां सही दिशा में आगे बढ़ेंगी एवं इस कठिन परीक्षा में देश सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर पायेगा।
निशंक ने सभी उपायुक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हम संकल्प ले लें तो 2021 की पिसा परीक्षा में इतिहास रच सकते हैं। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए समय का प्रबंधन एवं अनुशासन जरूरी है और ये दोनों गुण हमें विद्यार्थियों में विकसित करने होंगे। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए हमें विद्यार्थियों में गहन सोच की क्षमता विकसित करने की जरूरत है।
इस अवसर पर धोत्रे ने कहा कि हम एक बार पुनः पिसा की परीक्षा में शामिल हो रहे हैं और इस बार पूरी तैयारी के साथ इसमें शामिल होना है। हमें वैश्विक मानकों के हिसाब से अपने बच्चों को तैयार करना है ताकि हमें इस बार बेहतर परिणाम मिलें। हमें रटने वाली शिक्षा की जगह अनुभव आधारित शिक्षा पर बल देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हमें सिर्फ इस बार पिसा के लिए चुने हुए विद्यालयों और विद्यार्थियों को ही नहीं बल्कि धीरे-धीरे पूरे देश के विद्यालयों को उच्चस्तरीय शिक्षण उपलब्ध कराना होगा ताकि हमारी शिक्षा व्यवस्था पूरे विश्व की श्रेष्ठ शिक्षा प्रणालियों में शामिल हो सके।
बता दें कि पिसा आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी मूल्यांकन कार्यक्रम है, जिसमें विश्व के अनेक देश भाग लेते हैं। भारत ने 2021 में इस परीक्षा में भाग लेने का निर्णय लिया है। इस परीक्षा में केंद्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय समिति और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के विद्यार्थी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।


जालसाजों/षडयन्त्रकारियों के मुकदमें वापसी में त्रिवेन्द्र को दिखा जनकल्याण: मोर्चा

जालसाजों/षडयन्त्रकारियों के मुकदमें वापसी में त्रिवेन्द्र को दिखा जनकल्याण: मोर्चा
- चार सौ बीसी, जालसाजी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने वालों के मुकदमें किये वापस।
- सरकार ने सामाजिकता/नैतिकता को किया तार-तार।
- उच्च न्यायालय के निर्देश की भी है घोर अवहेलना।
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री/गृहमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में उन तमाम लोगों के मुकदमें वापस लेने का काम किया है, जिनके खिलाफ सामाजिक एवं आर्थिक अपराध की श्रेणी के धारा 420, 467, 468, 471, 465, 120बी, 452, 323, 504, 506 आदि के कई मुकदमें दर्ज थे।
नेगी ने कहा कि उक्त मुकदमें धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार कर आर्थिक अपराध करने, धोखा व षडयन्त्र करने, मारपीट आदि के थे, जो कि संज्ञेय  अपराध श्रेणी के थे। सरकार द्वारा इस प्रकार के मुकदमें वापस लेने से निश्चित तौर पर समाज में आर्थिक एवं सामाजिक अपराध व मारधाड़ करने वालों के हौसले बुलंद होंगे।
नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा जो मुकदमे जनसरोकार से सम्बन्धित थे, उनको वापस लेने में मोर्चा को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन ऐसे संज्ञेय एवं गैरजमानती अपराध के मुकदमें वापस लेकर सरकार ने नैतिकता को तार-तार करने का काम किया है। 


उच्च न्यायालय द्वारा 12 नवम्बर 2012 को एक जनहित याचिका में निर्देश दिये हैं कि अदालत को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि उन अनुप्रयोग को कानून के अनुसार तय किया जाता है और आपराधिक प्रक्रिया की धारा 321 के तहत अदालत के दायित्व का निर्वहन किया जाये' यानि मुकदमें जनहित/जनकल्याण में ही वापस हों।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा उपाध्यक्ष विजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज आदि मौजूद थे।

टीबी के नये वैक्सीन की खोज

ट्यूबरकुलोसिस यानि टीबी के नये वैक्सीन की खोज



टीबी के इलाज में क्रांति लायेगा नया टीका
एजेंसी
नई दिल्ली। उम्मीद है कि नई वैक्सीन टीबी की बीमारी से दीर्घकालिक सुरक्षा देगी, जिससे दुनिया भर में हर साल करीब 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है। बेहद संक्रामक यह रोग बैक्टीरिया की वजह से होता है और इसके इलाज के लिए दुनिया भर में दिया जाने वाला बीसीजी का टीका उतना कारगर नहीं है। इस नए टीके के शुरुआती परीक्षण सफल साबित हुए हैं लेकिन इसके लिए लाइसेंस मिलने में अभी कुछ और वर्ष लगेंगे।
इस रिसर्च में लगे दुनियाभर के शोधकर्ताओं की टीम ने हैदराबाद में फेफड़ों के स्वास्थ्य पर एक ग्लोबल समिट के दौरान इस वैक्सीन के बारे में बताया। यह वैक्सीन उस बैक्टीरिया के प्रोटीन से बनती है जो प्रतिरक्षा प्रक्रिया को शुरू करते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वैक्सीन शोध के अपने सबसे अहम चरण क्लिनिकल ट्रायल को पार कर चुकी है और दक्षिण अप्रफीका, केन्या और जाम्बिया में 3,500 से अधिक लोगों पर अब तक इसका परीक्षण किया जा चुका है।
टीबी विशेषज्ञों ने बताया कि यह टीका गेम चेंजर है। इस वैक्सीन की खास बात यह है कि यह उन वयस्कों पर भी प्रभावी है जो पहले से टीबी के बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से संक्रमित थे। ज्यादातर लोगों को जो माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस से संक्रमित होते हैं उन्हें टीबी नहीं होता तो यह टीका इससे पूरी तरह छुटकारा दे देगा।
अगर सब कुछ सही रहा तो यह वैक्सीन सबसे जरूरतमंद मरीजों तक 2028 या उसके बाद पहुंच जाना चाहिए। टीके के कामों में अकसर रिसर्च को बड़े पैमाने पर किए जाने की ज़रूरत होती है। ड्रग फर्म ग्लैक्सोस्मिथक्लाइनल जीएसके करीब 20 वर्षों से टीबी के टीके पर काम कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्लूएचओ के अनुसार 2018 में अनुमानित एक करोड़ लोग टीबी से बीमार पड़े, जो हाल के वर्षों में अपेक्षाकृत स्थिर संख्या है, जबकि दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी अप्रकट रूप से टीबी से संक्रमित है।
निष्क्रिय रूप से मौजूद टीबी वाले लोगों को अपने जीवन में इस बीमारी के पनपने का 5 से 10 फीसदी तक खतरा होता है। इस बीच कई दवाओं के प्रतिरोधी टीबी मल्टीड्रग रेजिस्टेंट-टीबी वो टीबी है जिसमें पहले चरण की कम से कम दो एंटी टीबी ड्रग काम नहीं करते, जो लोगों के स्वास्थ्य लिए एक प्रमुख खतरा बना हुआ है। ड्रग रेजिस्टेंट-टीबी की पहचान और इलाज करना न केवल कठिन है बल्कि यह अधिक महंगा भी है।
पूरी दुनिया के अनुमानित मामलों के एक चौथाई से अधिक मरीजों के साथ भारत पर टीबी के रोगियों का सबसे अधिक बोझ है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक देश में हर साल करीब 30 लाख नए टीबी के मामले दर्ज किए जाते हैं, इनमें से करीब एक लाख मल्टीड्रग रेजिस्टेंट के मामले होते हैं। इस बीमारी से हर वर्ष करीब 4 लाख भारतीयों की मौत होती है और इससे निबटने में सरकार सालाना करीब 17 लाख करोड़ रुपये खर्च करती है। 
भारत में टीबी के रोगियों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है, यह अच्छी खबर है। लेकिन भारत में टीबी के रोगियों की संख्या में उतनी गिरावट नहीं हो रही है। लक्ष्य को पूरा करने के लिए गिरावट की यह दर बहुत धीमी है। टीवी के रोगियों की संख्या में तेजी से गिरावट आए, इसके लिए इलाज और रोकथाम की गति को बढ़ाने की जरूरत है।


बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

अब नही हो सकेगा आइवीएफ तकनीक का दुरुपयोग

अब नही हो सकेगा आइवीएफ तकनीक का दुरुपयोग



इसका इस्तेमाल कर 70 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी मां बन रही 
एजेंसी
नई दिल्ली। भारत सरकार जल्द ही एक ऐसा विधेयक लाने वाली है जिसमें आइवीएफ के जरिए गर्भधारण करने की अधिकतम उम्र 50 वर्ष होगी। आईवीएफ तकनीक और एआरटी क्लीनिकों की सेवाओं को कानून के दायरे में लाने के लिए सरकार संसद के अगले सत्र में असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलाजी रेगुलेशन बिल 2019 पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार है, जो गर्भवती होने के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन से गुजरने वाली महिलाओं की आयु सीमा को कम कर देगी। विधेयक के मसौदे के अनुसार जो महिलाएं आइवीएफ के माध्यम से गर्भधारण करना चाहती हैं उनकी अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष होनी चाहिए।
आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कृत्रिम गर्भाधान की तकनीक है, जो अधिक उम्र में भी महिलाओं को मां बनने का अवसर प्रदान करता है। इसकी मदद से निःसंतान दंपति भी संतान सुख पा सकते हैं। इसमें महिला के अंडे और पुरुष के स्पर्म को लैबोरेट्री में एक साथ रखकर फर्टिलाइज करने के बाद महिला के गर्भ में स्थापित कर देते हैं। इस प्रक्रिया को एम्ब्रियो कल्चर व टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। इस तकनीक से 50 से 60 वर्ष की महिलाएं भी मां बन सकती हैं।
लेकिन अब तक देश में इस तकनीक का इस्तेमाल कर 70 साल से ज्यादा उम्र की महिलाएं भी मां बन रही हैं। इसका उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी की 74 वर्षीय मंगयम्मा ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। बच्चों का जन्म सिजेरियन आपरेशन के जरिए हुआ था। चार डाक्टरों की एक टीम ने यह आपरेशन किया था। डाक्टरों की टीम का नेतृत्व करने वाले डाक्टर एस0 उमाशंकर ने कहा कि मंगायम्मा सबसे अधिक उम्र में बच्चों को जन्म देने वाली दुनिया की इकलौती महिला बन गई है। हालांकि यह पहली घटना नहीं है जब इस तकनीक का उपयोग कर किसी बुजुर्ग महिला को मां बनाया गया हो। इससे पहले हरियाणा की 70 वर्षीय दलजिंदर कौर को बच्चे को जन्म देने वाली दुनिया की सबसे बुजुर्ग महिला माना जाता था।
दलजिंदर कौर ने 2016 में आइवीएफ तकनीक की इस्तेमाल कर एक बच्चे को जन्म दिया था। भले ही इस तकनीक के जरिए अधेड़ उम्र की महिलाएं मां बन रही हैं लेकिन इसने उस बहस को भी छेड़ दिया है कि क्या 70 के बाद किसी महिलाओं का मां बनना सही है, क्या यह तकनीक का दुरुपयोग नहीं है। इसके बाद ही डाक्टरों ने माना कि 50 से अधिक उम्र की किसी भी महिला को मां बनाना इस तकनीक का गलत इस्तेमाल है। डाक्टरों ने आइवीएफ मामले में एक उम्र तय किए जाने की बात कही है।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद आईसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक अगर कोई जोड़ा बच्चा गोद लेना चाहता है तो महिला की उम्र-50 वर्ष और पुरुष की आयु 55 वर्ष होनी चाहिए। ऐसे में डाक्टरों का कहना है कि एक महिला नौ महीने तक अपने पेट में बच्चे को रखने जा रही है इसमें उसका स्वस्थ होना और तंदरुस्त होना बहुत जरूरी है। और जब बच्चे के गोद लेने वाले माता-पिता की उम्र तय है तो आईवीएपफ तकनीक से मां बनने की चाहत रखने वाली मां की उम्र भी तय की जानी चाहिए।
सरकार आइवीएफ तकनीक से बच्चे पैदा करने की अधिकतम आयु 50 साल करने जा रही है। इस बिल का मकसद आइवीएफ तकनीक को नियंत्रित और निगरानी करने के साथ इस तकनीक को करने वाले प्रयोगशालाओं लैब्स की पूरी निगरानी और मापदंड के आधार पर उन्हें लाइसेंस र्प्रदान करना भी शामिल है। इस प्रस्तावित विधेयक में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी एआरटी के माध्यम से तकनीक के हो रहे उपयोग पर रोक लगाई जा सकेगी। साथ ही बांझपन के शिकार दंपति के शोषण को भी रोका जा सकेगा।


तीन पहियों वाला अजूबा स्कूटर लेकर आई यामाहा

तीन पहियों वाला अजूबा स्कूटर लेकर आई यामाहा



यामाहा कंपनी ने टोक्यो मोटर शो 2019 में आगे लगे दो पहिये वालेइस स्कूटर को शोकेस किया। यह स्कूटर 3सीटी के कॉन्सेप्ट पर आधारित है। 
एजेंसी
नई दिल्ली। टू व्हीलर कंपनी यामाहा ने हाल में तीन पहियों वाला स्कूटर ट्रीसिटी300 पेश किया है। इसमें फ्रंट में दो पहिये लगे हैं। इससे स्कूटर भीड़ में बिल्कुल दिखता है। कंपनी ने अर्बन मोबिलिटी को ध्यान में रखते हुए इसे खासतौर पर डिजाइन किया गया है। कंपनी ने टोक्यो मोटर शो 2019 में इस स्कूटर को शोकेस किया। यह स्कूटर 3ब्ज् के कॉन्सेप्ट पर आधारित है। हालांकि यामाहा की तरफ से इस स्कूटर के स्पेसिफिकेशंस या कीमत के बारे में अभी ऑफिशियली कोई जानकारी नहीं दी है।
इसमें 292सीसी का इंजन, लिक्विड कूल्ड, 4-स्ट्रोक, 4-वॉल्व, सिंगल सिलिंडर,एसओएचसी टाइप इंजन है। स्कूटर का वजन 239 किलोग्राम और फ्यूल टैंक की क्षमता 13 लीटर है। खबर है कि यह स्कूटर तीन रंगों में उपलब्ध होगी। कंपनी ने कहा है कि यह स्कूटर ट्राईसिटी फैमिली का सबसे हल्का वाहन है। यह लंबे सफर पर और हाइवे पर चलाने के लिए एक शानदार सवारी है।


 


 


हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने हिला कर रख दिया

पिथौरागढ़ उपचुनाव से पहले भाजपा की उड़ी नींद, कांग्रेस उत्साहित!
हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने हिला कर रख दिया



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। हाल ही में हरियाणा-महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने भाजपा को हिला कर रख दिया है। उन नतीजों का असर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है। भाजपाई नेता अब जान गए है कि हर बार मोदी की लहर नैया पार नही लगाने वाली है। खुद भी जोर जतन करना होगा वरना जनता कुर्सी से बेदखल करने में वक्त नही लगायेगी। 
उत्तराखंड की राजनीति में हालिया दो प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों नतीजों ने गहरा असर डाला है। खासकर पिथौरागढ़ में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगने वाली है। और यह चुनौती आसान रहने वाली नही है। राज्य के वित्त मंत्री रहे प्रकाश पंत के निधन से खाली हुई इस सीट पर उनके उत्तराधिकारी का चुनाव भी अपने आप में बड़ी चुनौती है। एक ओर पंचायत चुनाव का समापन हुआ और परिणाम घोषित होते ही चुनाव आयोग ने इस सीट पर उप चुनाव का ऐलान कर दिया। 
अब तब हवा में उड़ रहे भाजपाईयों को हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने जमीन पर उतार दिया है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस उत्साहित है। जैसे उसे संजीवनी ही मिल गई हो। वरना तो कांग्रेसियों में आम हो चला था कि मोदी के रहते उनका वापसी करना मुमकिन नही है। लेकिन आज वे उम्मीदों के घोड़े पर सवार होकर चल रहे है। जिस तरह से भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय खुद भाजपा से ज्यादा कांग्रेस का रहा है, उसी तरह अब प्रदेश में भी कांग्रेस को भाजपाईयों की गलतियों का भान था। लेकिन जनता के मूड पर ऐतबार न होता था। लेकिन जनता ने अपनी मुहर लगाकर जता दिया कि वह हठ पाल कर नही बैठी। 
जो जितना ज्यादा उड़ेगा, उसे उतने गहरे तक उतार दिया जायेगा। हालिया दो राज्यों के चुनावों में जनता का साफ संदेश है। अब इससे उत्तराखण्ड़ के भाजपाईयों के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस को यह अवसर मिल गया कि वह खुद को साबित करे। वैसे भी उसके पास खोने के लिए कुछ नही है। हां, भाजपा को चोट पहुंचाने की कुव्वत अवश्य उसके भीतर है। संभवतया इस उपचुनाव में वह अपनी पूरी ताकत झौंक कर जता भी दे। क्योंकि इसका डर प्रदेश भाजपा पर साफ देखा जा सकता है। 
गौर हो कि 5 जून से खाली इस सीट के लिए भाजपा, कांग्रेस पहले से ही तैयारियां कर रहीं थी लेकिन राजनीति का उंट इस कदर करवट ले चुका है कि एक डरा सहमा हुआ है तो दूसरा खुशी से उछल रहा है। दो राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा की नींद उड़ी हुई है तो कांग्रेस की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी है। यहीं कारण है कि भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव करने को मजबूर हो गई है। अब मोदी के दम पर उसकी वैतरणी पार नही लगेगी। उसे स्थानीय मुद्दों और विकास के बलबूते चुनाव में उतरना होगा। लेकिन कैसे? यह सवाल बड़ा है। क्योंकि मोदी ने भले ही भाजपा को प्रदेश में प्रचंड बहुमत दिलाया हो, एक तरह से यहां स्थानीय नेतृत्व को पंगु बनाकर रख दिया है। 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट दावा करते है कि पार्टी उप चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन जीत का सेहरा बंधने को लेकर संशय जरूर बरकरार है। वहीं एक के बाद एक ठोकर खाने वाली कांग्रेस में आशा के अंकुर फूटते दिखाई देते है। इसलिए वह दोगुने जोश के साथ मैदान में उतरने को तत्पर है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह मानते है कि भाजपा की प्रदेश सरकार ने जनता की भावना के अनुरूप काम नही किया है। वे कहते है कि इस बात को कांग्रेस जनता के बीच रखेगी। 
इस लिहाज से पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए बेहद अहम है। एक ओर इस उपचुनाव में भाजपा सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल है तो वहीं कांग्रेस के पास अपनी खोयी हुई ताकत को बटोरने का एक और अवसर। वैसे भी मोदी रहित चुनाव में भाजपा में एक शून्य ही उभरता है। बिन जनाधर वाले नेता और नेतृत्व की पार्टी, जिसका आधार लहरों की बैशाखियां मात्रा है जबकि कांग्रेस मझधर से उबर सकती है।


मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

गूगल आपको ट्रैक कर स्टोर करता है सारी डीटेल

गूगल आपको ट्रैक कर स्टोर करता है सारी डीटेल



एजेंसी
नई दिल्ली। आप ऐंड्रॉयड स्मार्टफोन या किसी गूगल डिवाइस का यूज करते हैं, तो हमेशा गूगल की नजर में हैं। गूगल अपने यूजर्स की लगभग हर ऐक्टिविटी को ट्रैक करता है। गूगल आज हमारी जरूरत बन गया है, लेकिन अपनी कई जरूरी सर्विसेज के बदले वह यूजर्स के पर्सनल डेटा की जानकारी रखता है। गूगल जानता है कि आपने कब कौन सी वेबसाइट विजिट की और आपने ऑनलाइन क्या खरीददारी की। 
इंटरनेट और वेब पर आप जो कुछ करते हैं वह गूगल नोट करता है। ऐसा उस मामले में ज्यादा होता है जब आप गूगल क्रोम से साइनइन हों। इसमें वो सारी चीजें शामिल हैं जिन्हें आप गूगल पर सर्च या गूगल के ऐप्स में करते हैं। गूगल यूजर के फोन से लोकेशन हिस्ट्री के डेटा को ऐक्सेस कर लेता है। इस कारण गूगल को यह पता रहता है कि आप कौन सी तारीख को कितने बजे किस जगह पर थे। गूगल उन सभी डिवाइसेज के डेटा पर नजर रखता है जिनमें गूगल अकाउंट से साइन इन किया गया हो।
वॉइस और ऑडियो ऐक्टिविटी की बात करें तो गूगल उनपर भी नजर रखता है। गूगल असिस्टेंट पर आप जो भी कमांड देते हैं उसे गूगल अपने पास स्टोर कर लेता है। गूगल असिस्टेंट से आप कुछ भी कहें वह उसे ट्रैक करता है। यहां तक की आपके द्वारा प्ले किया जाने ऑडियो रिकॉर्डिंग भी गूगल ट्रैक और स्टोर करता है। यूट्यूब की बात करें तो आपकी सर्च हिस्ट्री और वॉच हिस्ट्री का सारा डीटेल गूगल के पास अपडेट होता रहता है।
ऑनलाइन शॉपिंग का अगर शौक रखते हैं, तो गूगल की नजर यहां भी आप पर बनी हुई है। आपके द्वारा की जाने वाली खरीददारी, हवाई टिकट, यात्रा, अपकमिंग बिल के साथ ही वह कई अन्य जरूरी निजी जानकारियों के बारे में भी पूरी खबर रखता है। हालांकि इसके कुछ फायदे भी हैं। जैसे अगर आपकी फ्लाइट डीले हो गई तो वह आपको इसकी जानकारी देगा। इसके साथ ही अगर आपके किसी बिल को भरने की आखिरी तारीख आ गई है, तो वह इसके बारे में भी आपको नोटिफाइ कर देगा। गूगल की सर्विसेज आज के समय में सभी के लिए जरूरी हो गई हैं, लेकिन डेटा लीक के बढ़ते मामले को देखते हुए इसकी चिंता होना कोई अजीब बात नहीं है।


मोटर वाहन पंजीकरण टैक्स मामले में आयोग ने लगाई शासन को फटकार: मोर्चा     

मोटर वाहन पंजीकरण टैक्स मामले में आयोग ने लगाई शासन को फटकार: मोर्चा   


- वाहन विक्रेता द्वारा प्रदान की जाने वाली विशेष छूट के बावजूद पंजीकरण पर वसूला जाता है पूरा टैक्स 

- बिना कैबिनेट मंजूरी के किए थे आदेश जारी 

- सूचना आयुक्त ने  लगाई अनुसचिव व सचिव परिवहन कार्यालय को फटकार 

- मोटर वाहन मालिकों का आर्थिक शोषण किए जाने का है मामला 

संवाददाता 

विकासनगर। जन  संघर्ष  मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी ने बयान जारी कर कहा कि सचिव, परिवहन ने अप्रैल 2013 को एक आदेश जारी कर वाहन विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली विशेष छूट के बावजूद वाहन की वास्तविक कीमत के बिलों को न मानकर एक्स शोरूम मूल्य के आधार पर कर पंजीयन की व्यवस्था  किए जाने संबंधी  आदेश जारी किए थे, जिससे कई मामलों में ग्राहकों को अत्यधिक टैक्स देना पड़ता था, क्योंकि सरकार द्वारा टैक्स के  स्लैब बनाए गए हैं | वर्तमान में टैक्स की दरें काफी बढ़ाई गई है |                      

 उक्त आदेश को लेकर मोर्चा के जिला मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा पिन्नी द्वारा शासन से सूचना चाही गई थी कि वाहन के  देयकर की दरें मोटरयान के एक्स शोरूम मूल्य पर ही अधि रोपित किए जाने के मामले में कैबिनेट अथवा राजभवन से स्वीकृति से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराएं लेकिन विभाग द्वारा कोई सूचना उपलब्ध न करा कर अवरोध उत्पन्न किया गया, क्योंकि कैबिनेट द्वारा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था | उक्त मामले से क्षुब्ध होकर मा. सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया गया, जिसमें सूचना आयुक्त मा. श्री जे.पी. ममगई ने अनुसचिव परिवहन विभाग, उत्तराखंड शासन को कैबिनेट अथवा  राजभवन से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने के साथ साथ चेतावनी निर्गत कर अनुसचिव व सचिव कार्यालय परिवहन को फटकार लगाते हुए भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृति पर शास्ति अधिरोपित करने के निर्देश दिए |  मोर्चा प्रदेशवासियों का अहित नहीं होने देगा |   

सोमवार, 28 अक्तूबर 2019

ड्राइविंग लाइसेंस रीन्यू नहीं कराया तो फिर से देना होगा लर्नर टेस्ट

ड्राइविंग लाइसेंस रीन्यू नहीं कराया तो फिर से देना होगा लर्नर टेस्ट



अगर ड्राइविंग लाइसेंस एक साल में रीन्यू नहीं कराया तो फिर से लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। नए मोटर वीइकल ऐक्ट के तहत यह व्यवस्था की गई है।
एजेंसी
मुंबई। मोटर वीइकल (अमेंडमेंट) ऐक्ट के तहत महाराष्ट्र ने ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर नया नियम लागू कर दिया है। इसके तहत अगर ड्राइविंग लाइसेंस एक्सपायर हुए एक साल से ज्यादा समय हो जाता है तो आपको नए लर्नर (प्रशिक्षु) के तौर पर ही लिया जाएगा। इसका मतलब आपको फिर से लर्निंग लाइसेंस के लिए अप्लाई करना होगा और फिर परमानेंट लाइसेंस के लिए 30 दिन का इंतजार करना होगा। मौजूदा समय में अगर आप एक्सपायर्ड लाइसेंस के साथ ड्राइविंग करते पकड़े जाते हैं तो 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
आरटीओ अभय देशपांडे के अनुसार हम संशोधित मोटर वीइकल ऐक्ट के तहत काम करने के लिए बाध्य हैं। महाराष्ट्र ने राज्य के सभी 50 आरटीओ में इस नए नियम को लागू कर दिया है। उन्होंने कहा कि रीन्यूअल के लिए आने वाले आवेदनों को अब स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं दिया जाएगा और उन्हें लर्निंग लाइसेंस के आवेदनों की तरह ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा परमानेंट लाइसेंस के लिए किए जाने वाले एक महीने के इंतजार से भी छूट नहीं दी जाएगी।
नए नियमों से लोगों में काफी गुस्सा है। उन्हें लाइसेंस एक्सपायर होने पर फिर से लर्निंग लाइसेंस के लिए टेस्ट देना होगा भले ही वह पुराने ड्राइवर हों। बता दें कि यूपी में पहले लाइसेंस रीन्यू कराने के लिए आवेदन के साथ पुराने लाइसेंस की कॉपी देनी पड़ती थी लेकिन अब आवेदक को ड्राइविंग टेस्ट से गुजरना होगा।
नए नियम के मुताबिक आपको फिर से सारे दस्तावेज अपलोड करने होंगे। बायॉमेट्रिक करवाना होगा और लर्निंग टेस्ट भी देना होगा। एक डेप्युटी आरटीओ ने बताया कि कई लोग अब भी नए नियम से अनजान हैं। ऐसे में हमने ड्राइविंग स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे इस बारे में जागरूकता फैलाएं।


शासन चलाने में नाकाम त्रिवेंद्र घर बैठ आराम फरमाएंः मोर्चा         

शासन चलाने में नाकाम त्रिवेंद्र घर बैठ आराम फरमाएंः मोर्चा         



- मार्च 2019 में भारत सरकार द्वारा जारी किया गया था मदरसा शिक्षकों का वेतन  
- 7 महीने से पत्रावली शासन में धूल फांक रही   
- पत्रावली को शासन- निदेशालय ने बना दिया फुटबॉल 
- सरकार की ढीली पकड़ के चलते अधिकारी हो गए बेलगाम 
प0नि0संवाददाता    
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उत्तराखंड के मदरसा शिक्षकों को भारत सरकार द्वारा एसपीक्यूईएम योजना के तहत 28 मार्च 2019 में वर्ष 2014-2015 की द्वितीय किश्त के रूप में में 57.60 लाख रुपए की किस्त जारी की गई थी, लेकिन शासन व निदेशालय में बैठे निकम्मे एवं गैर जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही से इन गरीब शिक्षकों को 7 माह बाद भी वर्ष 2014-15 का वेतन आदि का भुगतान नहीं हो पाया। 
नेगी ने कहा कि गैर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा पत्रावली को फुटबॉल की तरह घुमाया जा रहा है जिसके चलते पत्रावली शासन से निदेशालय व फिर निदेशालय से शासन में घूम रही है। प्रदेश के मदरसों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान कराने की जाने की दिशा में भारत सरकार द्वारा इन शिक्षकों की तैनाती की गई थी, लेकिन तैनाती कर सरकार भूल गई, जिसके चलते इन शिक्षकों को भारी आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है।
अगर संकट की बात करें तो इन गरीब शिक्षकों को वर्ष 2015-16 से आज तक लगभग 5 वर्ष से वेतन नहीं मिला।     नेगी ने कहा मुख्यमंत्री रावत अगर गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर लगाम नहीं कस सकते तो घर बैठ आराम फरमाएं।
पत्रकार वार्ता में मदरसा शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो0 इस्लाम, सरफराज, गुलशाद राव, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज, सुरेंद्र आदि थे।


भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व भैया दूज

भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व भैया दूज



प0ं चैतराम भट्ट
देहरादून। भाई दूज पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है।  इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज का पर्व भाई बहन के रिश्ते पर आधारित पर्व है। भाई दूज दीपावली के दो दिन बाद आने वाला एक ऐसा उत्सव है, जो भाई के प्रति बहन के प्रेम और स्नेह को अभिव्यक्त करता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की खुशहाली के लिए कामना करती हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमदेव को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था।  जिससे उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और वे तृप्त हुए।  पाप मुक्त होकर वे सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गए। उन सब ने मिलकर एक महान उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था।
इसी वजह से यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई।  जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, यदि उस तिथि को भाई अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन ग्रहण करता है तो उसे उत्तम भोजन के साथ धन की प्राप्ति होती है।
पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक की यातनायें नहीं भोगता अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सूर्यदेव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज तथा यमुना से संबंधित है। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती कि वे उनके घर आकर भोजन ग्रहण करें परंतु यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल देते थे। कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर भाई यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो जाती हैं। प्रसन्नचित्त होकर भाई का स्वागत सत्कार कर भोजन करवाती हैं।
बहन यमुना के प्रेम, समर्पण और स्नेह से प्रसन्न होकर यमदेव ने वर मांगने को कहा, तब बहन यमुना ने भाई यमराज से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएं तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका कर भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमलोक  चले गए। तब से मान्यता है कि जो भाई आज के दिन पूरी श्रद्धा से बहन के आतिथ्य को स्वीकार करता है उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है।
भैया दूज पर्व तिथि व मुहूर्त 
29 अक्टूबर को भाई दूज तिथि- मंगलवार, 29 अक्टूबर, भाई दूज तिलक मुहूर्तः 13ः11 से 15ः23 बजे तक। द्वितीय तिथि प्रारंभ- 21ः07 बजे से, द्वितीय तिथि समाप्त- 21ः20 बजे तक।


रविवार, 27 अक्तूबर 2019

एसएमएस की वापसी, वॉट्सऐप को देगा चुनौती

एसएमएस की वापसी, वॉट्सऐप को देगा चुनौती



एजेंसी
नई दिल्ली। स्मार्टफोन्स और इंस्टैंट मेसेजिंग ऐप्स के आने से पहले बेसिक एसएमएस यूजर्स के लिए फ्रेंड्स और फैमिली से कनेक्ट रहने का एक बेस्ट ऑप्शन हुआ करता था। इंटरनेट डेटा, स्मार्टफोन और वॉट्सऐप के आने से टेक्स्ट मेसेज (एसएमएस) का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम होता गया। हालांकि अब इसे नया जीवन देने की तैयारी की जा रही है। अमेरिका की चार बड़ी टेलिकॉम कंपनियां एटी एंड टी, स्पिरिट, टी-मोबाइल और वैरिजोन ने एसएमएस को वापस लाने के लिए पार्टनरशिप कर ली है।
ये सभी कंपनियां आरसीएस (रिच कम्यूनिकेशन सर्विस) बेस्ड इकोसिस्टम पर मेसेजिंग शुरू करने का सोच रही हैं। यह एसएमएस रिसीव करने के लिए मोबाइल डेटा या वाई-फाई का इस्तेमाल करता है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में यह वॉट्सऐप को भी कड़ी टक्कर दे सकता है।
आरसीएस बेस्ड एसएमएस सर्विस को लेकर काफी समय से बातचीत चल रही थी। गूगल भी इसकी शुरुआत के लिए दबाव बना रहा था, लेकिन इस दिशा में कभी ज्यादा काम नहीं हुआ। हालांकि अब इन चारों कंपनी ने साझेदारी में क्रॉस कैरियर मेसेजिंग इनिशिएटिव (सीसीएमआई) शुरू करने की दिशा में पहला और जरूरी कदम उठा लिया है। दावा किया जा रहा है कि इससे यूजर्स को नेक्स्ट जेनरेशन मेसेजिंग का एक्सपीरियंस मिलेगा। उम्मीद जा रही है कि अगले साल तक यह सर्विस ऐंड्रॉयड डिवाइसेज के लिए शुरू हो जाएगी।
वॉट्सऐप की पैरंट कंपनी फेसबुक पर यूजर्स के डेटा को लीक करने के कई गंभीर आरोप लगे हैं। ऐसे में इस बात काफी संभावना है कि नई एसएमएस सर्विस के आने से यूजर्स को वॉट्सऐप का एक अच्छा विकल्प भी मिलेगा।
एसएमएस को ऐसे बेहतर बनाएगा
- आरसीएस के कारण यूजर 8000 कैरेक्टर के मेसेज भेजने की सहूलियत मिलेगी। पहले एसएमएस की कैरेक्टर लिमिट केवल 160 थी।
- यूजर्स को वॉट्सऐप की तरह ही रीड रिसीट मिलेगी और वे यह भी जान पाएंगे की सामने वाला यूजर कब टाइप कर रहा है।
- आरसीएस के कारण एसएमएस में फोटो और विडियो भी भेजे और रिसीव किए जा सकेंगे।
- वॉट्सऐप की तरह यूजर इसमें ग्रुप भी बना सकेंगे। इसमें ग्रुप मेंबर्स की अधिकतम सीमा 100 होगी।
वॉट्सऐप को चुनौती
इस ऐप को शुरू करने के लिए सभी टेलिकॉम कंपनियों को आरसीएस चैट ऐप डिवेलप करना होगा। अमेरिका में इस सर्विस को शुरू करने के लिए जरूरी प्रक्रियाएं शुरू हो चुकी है। भारत में इसे लॉन्च किया जाएगा या नहीं इस बारे में अभी पक्के तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता। वहीं आरसीएस बेस्ड एसएमएस वॉट्सऐप की तरह एंड-टू-एंड सब्सक्रिप्शन देगा या नहीं इस बारे में भी अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसके साथ ही वॉट्सऐप जैसे पॉप्युलर ऐप को छोड़ यूजर्स को एसएमएस इस्तेमाल करने के लिए लुभाना भी उतना आसान नहीं होगा।


पति नहीं लाया अंडा तो घर छोड़कर भागी महिला

पति नहीं लाया अंडा तो घर छोड़कर भागी महिला



महिला का पति दिहाड़ी मजदूर है। महिला के पति का कहना है कि वह परिवार के लिए रोज खाने के लिए अंडों का इंतजाम नहीं कर सकता है। उसकी पत्नी का प्रेमी इसी बात का फायदा उठाकर रोज अंडे लेकर आता था।
एजेंसी
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक विचित्र घटना सामने आई है, एक महिला घर में पति द्वारा अंडे नहीं दिए जाने के कारण घर छोड़कर भाग गई। पुलिस के अनुसार कैंपियरगंज में रहने वाली महिला चार महीने पहले भी अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी और बाद में वापस आ गई थी।
महिला ने पुलिस को बताया था कि पति ने उसे अंडे खाने को नहीं दिए और इस बात से वह दुखी हो गई। महिला का पति के साथ अंडों को लेकर विवाद हुआ और एक बार फिर वह घर से भाग गई। उसका प्रेमी भी अपने घर पर नहीं है, ऐसा माना जा रहा है कि दोनों साथ में फिर से भाग गए हैं।
महिला का पति दिहाड़ी मजदूर है। महिला के पति का कहना है कि वह परिवार के लिए रोज खाने के लिए अंडों का इंतजाम नहीं कर सकता है। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का प्रेमी इसी बात का फायदा उठाकर रोज अंडे लेकर आता था। उसने कहा कि वह अंडा खाने की शौकीन है और उसका प्रेमी रोज उसके लिए अंडा लेकर आता था।


देवी लक्ष्मी को चढ़ाते हैं खील-बताशे

देवी लक्ष्मी को चढ़ाते हैं खील-बताशे



दीपावली व माता लक्ष्मी से जुड़ी अनेक मान्यताएं व परंपराएं प्रचलित हैं
प0नि0डेस्क
देहरादून।
दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली व माता लक्ष्मी से जुड़ी अनेक मान्यताएं व परंपराएं प्रचलित हैं। ये मान्यताएं व परंपराएं इस प्रकार हैं-
दीपावली धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति का त्योहार है। इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन कर धन-संपत्ति की कामना की जाती है। खील-बताशे का प्रसाद किसी एक कारण से नहीं बल्कि उसके कई महत्व है। व्यवहारिक, दार्शनिक, और ज्योतिषीय ऐसे सभी कारणों से दीपावली पर खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। खील यानी धान मूलतः धान (चावल) का ही एक रूप है। यह चावल से बनती है और उत्तर भारत का प्रमुख अन्न भी है।
दीपावली के पहले ही इसकी फसल तैयार होती है, इस कारण लक्ष्मी को फसल के पहले भाग के रूप में खील-बताशे चढ़ाए जाते हैं। खील बताशों का ज्योतिषीय महत्व भी होता है। दीपावली धन और वैभव की प्राप्ति का त्योहार है और धन-वैभव का दाता शुक्र ग्रह माना गया है। शुक्र ग्रह का प्रमुख धान्य धान ही होता है। शुक्र को प्रसन्न करने के लिए हम लक्ष्मी को खील-बताशे का प्रसाद चढ़ाते हैं।
वैसे लक्ष्मी देवी को बेसन के लड्डू और भगवान गणेश को मोदक का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है।
ज्योतिषीय कारणों के साथ ही अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो भी यह लाभप्रद है। श्राद्ध में सोलह दिन तक खीर-पूरी और अन्य पकवानों के बाद नवरात्रि में नौ दिन उपवास से हमारा हाजमा प्रभावित होता है, खील सुपाच्य होती है। इससे कमजोर हाजमा ठीक होता है। खील बताशों का ज्योतिषीय महत्व भी होता है।


 


बग़दादी मारा गया!

बग़दादी मारा गया!



अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप  कोई बड़ी घोषणा करने वाले हैं। व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से घोषणा होने की जानकारी दी है लेकिन ये नहीं बताया है कि कैसी घोषणा होगी।

एजेंसी

न्यूयार्क। ऐसी रिपोर्ट आ रही है कि अमरीकी सेना ने इस्लामिक स्टेट समूह के ख़िलाफ़ ऑपरेशन चलाया है। राष्ट्रपति ट्रंप ने भी ट्वीट कर कहा है कि अभी तुरंत कुछ बड़ा हुआ है। ट्रंप ने यह ट्वीट तीन घंटे पहले किया था। यानी अमरीकी समय के हिसाब से रात में 10.30 बजे. अमरीकी मीडिया के अनुसार ट्रंप ने अबु बक्र अल-बग़दादी को सीरियाई प्रांत इदलिब में टारगेट करने के लिए एक ऑपरेशन की अनुमति दी थी।अमरीकी सेना के सूत्रों के हवाले से बताया है कि आईएस नेता की मौत हो गई है लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है। इससे पहले भी बग़दादी की मौत की ख़बरें कई बार आ चुकी हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार भी अमरीकी सेना ने बग़दादी के ख़िलाफ़ एक ऑपरेशन सफलतापूर्वक चलाया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए ने बग़दादी के लोकेशन का पता किया था।

 

शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान-रूद्रशिला की अगवानी

व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान-रूद्रशिला की अगवानी



एजेंसी
जोधपुर। कालीधार बटालियन द्वारा शुरू रुद्रशिला नाम के व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान की कोणार्क कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल वीएस श्रीनिवास ने  जोधपुर सैनिक स्टेशन में अगवानी की।
कालीधर बटालियन ने अपने 75 वें स्थापना दिवस के अवसर पर व्हाइट वाटर राफ्टिंग अभियान का आयोजन किया। मेजर रविकांत गौरव के नेतृत्व में 2 अधिकारियों, 4 जूनियर कमीशंड अधिकारियों और 18 सैनिकों के दल ने उत्तराखंड के पहाड़ों में रुद्रप्रयाग से ऋषिकेश तक गंगा नदी में लगभग 140 किमी की दूरी तय की।
लेफ्टिनेंट जनरल वीएस श्रीनिवास ने कहा कि सेना में इस तरह के अभियानों को सैनिकों को दृढ़ संकल्प और धैर्य के साथ प्रतिकूल परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए तैयार किया जाता है। यह सैनिकों के बीच धैर्य और निष्घ्ठा तथा साहस को बढ़ावा देने में मदद करता है। दल ने स्वच्छ भारत अभियान और नदी की पर्यावरण प्रणाली के संरक्षण जैसे वर्तमान सामाजिक मुद्दों पर स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाई।


फेसबुक ने शुरू की न्यूज सर्विस

फेसबुक ने शुरू की न्यूज सर्विस



एजेंसी
नई दिल्ली। सोशल साइट फेसबुक ने चुनिंदा प्रकाशनों के साथ अमेरिका में अपनी न्यूज सर्विस शुरू की है। इस नए न्यूज टैब को अमेरिका में अभी केवल 200,000 यूजर्स की लिमिटेड आडियंस के लिए रोलआउट और टेस्ट किया जाएगा। इस सर्विस को अभी 4 पब्लिशर्स कैटिगरी के साथ शुरू किया गया है। ये कैटिगरीज जनरल, टापिकल, डायवर्स और लोकल न्यूज हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक न्यूज सर्विस के शुरुआत में एबीसी न्यूज, एनबीसी न्यूज, फाक्स न्यूज, द न्यूयार्क टाइम्स, द लास एंजलिस टाइम्स, ब्लूमबर्ग मीडिया, यूएसए टुडे पब्लिशर गैनेट कार्पाेरेशन, बजफीड न्यूज, बिजनस इनसाइडर, वाशिंगटन पोस्ट और वाल स्ट्रीट जर्नल शामिल हैं। फेसबुक इन सभी पब्लिशर्स को लाइसेंस फीस देगा और इस सर्विस को 200 पब्लिकेशंस तक बढ़ाने करने की योजना बना रहा है।
नए न्यूज टैब में बाकी न्यूज सर्विसेज जैसे रेग्युलर फीचर्स होंगे, जहां यूजर प्रफेंडली इंटरफेस के साथ आर्टिकल्स यूजर्स को दिखेंगे। यहां दिखने वाले टू डेज स्टोरिज जैसे सेक्शन के लिए फेसबुक पर जर्नलिस्ट्स की टीम दिनभर की महत्वपूर्ण खबरें सिलेक्ट करेंगे। साथ ही यूजर्स अपनी पसंद के हिसाब से न्यूज को पर्सनलाइज कर सकेंगे। इन इंटरेस्ट टापिक्सम में बिजनस, इंटरटेनमेंट, हेल्थ, साइंट ऐंड टेक और स्पोर्ट्स शामिल होंगे। कई पब्लिशर्स इस सेक्शन में पेड सब्सक्रिप्शन भी यूजर्स को दे सकते हैं।
फेसबुक अपने न्यूज सेक्शन में लोकस ओरिजनल रिपोर्टिंग को जगह देने का भी प्लान बना रहा है। फेसबुक ने यह कदम इसके फाउंडर मार्क जकरबर्ग की उस अपील के बाद उठाया है जिसमें जकरबर्ग ने क्वालिटी जर्नलिज्म को बढ़ावा देने को कहा था। जकरबर्ग का मानना है कि यह सोशल मीडिया यूजर्स को वायरल अफवाहों और फेक न्यूज के झांसे में आने से बचाएगा। फेसबुक का नया सेक्शन सही और आथेंटिक खबरें यूजर्स तक पहुंचाने में मदद कर सकता है।


27 अक्‍टूबर को दीवाली

27 अक्‍टूबर को दीवाली



दीवाली का शुभ मुहूर्त और लक्ष्‍मी पूजन के सामान की लिस्ट 
दीवाली कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या को मनाई जाती है। दीवाली 27 अक्‍टूबर को है। इस दिन मां लक्ष्‍मी की षोडशोपचार यानी कि 16 तरीके से पूजा की जाती है।
पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। दीवाली का त्‍योहार खुशहाली, समृद्धि, शांति का प्रतीक है। रोशनी के इस त्यौहार को लेकर मान्यता है कि 
रावण की लंका का दहन कर 14 वर्ष का वनवास काटकर भगवान राम अपने घर लौटे थे। इस खुशी में प्रजा ने नगर में राम का स्वागत घी के दीपक जलाकर किया। पूरी अयोध्या को दीयों की रोशनी से भर दिया था। दीवाली के दिन को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। वहीं, यह भी माना जाता है कि दीवाली की रात को ही मां लक्ष्मी में भगवान विष्णु से शादी की थी। इस दिन श्री गणेश, मां लक्ष्‍मी और मां सरस्‍वती की पूजा का विधान है। मान्‍यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर दरिद्रता दूर होती है और सुख-समृद्धि तथा बुद्धि का आगमन होता है। 
पंचांग के अनुसार दीवाली कार्तिक मास के कृष्‍ण पक्ष की अमावस्‍या को मनाई जाती है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार दीवाली हर साल अक्‍टूबर या नवंबर महीने में आती है। इस बार दीवाली 27 अक्‍टूबर को है। 
इस बार दीवाली की तिथि और शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है। दीवाली/लक्ष्‍मी पूजन की तिथिरू 27 अक्‍टूबर। 
अमावस्‍या तिथि प्रारंभः 27 अक्‍टूबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से तथा अमावस्‍या तिथि समाप्‍तः 28 अक्‍टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट तक। लक्ष्‍मी पूजा मुहुर्तः 27 अक्‍टूबर को शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 08 बजकर 12 मिनट तक।
दीवाली पूजन की सामग्री की लिस्टः लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ। 


आईएएस-आईपीएस कौन ज्यादा पावरफुल!

आईएएस-आईपीएस कौन ज्यादा पावरफुल!



प0नि0डेस्क
देहरादून। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की परीक्षा सबसे मुश्किल परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। ऐसे में आईएएस-आईपीएस में से कौन सा पद ज्यादा शक्तिशाली होता है और क्यों?
आईएएस (इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस) जिसके जरिए ब्यूरोक्रेसी में एंट्री होती है। आईएएस में चुने गए उम्मीदवार विभिन्न मंत्रालयों-विभागों या जिलों के मुखिया होते हैं। आईएएस अफसर भारतीय नौकरशाही के सबसे बड़े पद कैबिनेट सेक्रेटरी तक भी जा सकते हैं।
वहीं आईपीएस यानी इंडियन पुलिस सर्विस के जरिए आप पुलिस महकमे के आला अफसरों में शुमार होते हैं। इसमें ट्रेनी आईपीएस से डीजीपी या इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीबीआई चीफ तक पहुंचा जा सकता है। यूपीएससी परीक्षा के 3 माध्यम से आयोजित की जाती है। जिसमें 3 लेवल होते हैं। 1. प्रीलिम्स, 2. मेंस परीक्षा , 2. इंटरव्यू।
आईएएस और आईपीएस में आईएएस का कोई ड्रेस कोड नहीं होता। वह हमेशा फॉर्मल ड्रेस में रहते हैं, लेकिन एक आईपीएस हमेशा ड्यूटी के दौरान वर्दी पहनते हैं। एक आईएएस के साथ एक या दो अंगरक्षक मिलेंगे। वहीं एक आईपीएस के साथ पूरी पुलिस फोर्स चलती है।
एक आईएएस अधिकारी लोक प्रशासन और नीति निर्माण और कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है। सरकार जो नीतियां बनाती है उन्हें लागू करवाने काम आईएएस अधिकारी का होता है। वहीं एक आईपीएस अधिकारी की कानून और व्यवस्था बनाए रखने और क्षेत्र में अपराध रोकने की जिम्मेदारी होती है। 
आईएएस तथा आईपीएस की शुरू के 3 महीने की ट्रेनिंग लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएए) में ही होती है। जिसे फाउंडेशन कोर्स भी कहते हैं। उसके बाद आईपीएस प्रशिक्षुओं को सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एसवीपीएनपी) हैदराबाद भेज दिया जाता है जहां उन्हें पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती है। हम पहले ही बता चुके हैं जो उम्मीदवार आईएएस ट्रेनिंग में टॉप करता है उन्हें मेडल और आईपीएस ट्रेनिंग में टॉप करने वाले उम्मीदवार को स्वार्ड आफ आनर दिया जाता है। वैसे तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो आईपीएस की ट्रेनिंग ज्यादा मुश्किल होती है। इसमें घुड़सवारी, परेड, हथियार चलाना शामिल होता है।
आईएएस और आईपीएस में नियंत्रणकर्ता कौन है। आईएएस का नियंत्रणकर्ता कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय होता है। वहीं आईपीएस का नियंत्रणकर्ता गृह मंत्रालय होता है।
आईएएस तथा आईपीएस दोनों ही सेवाओं का जॉब प्रोफाइल सर्वाेच्च होता है और दोनों ही बहुत शक्तिशाली पद हैं। लेकिन आईएएस एक डीएम के रूप में काफी ज्यादा शक्तिशाली होता है। एक आईपीएस के पास केवल अपने विभाग की जिम्मेदारी होती है। डीएम के रूप में एक आईएएस अधिकारी, पुलिस विभाग के साथ-साथ अन्य विभागों का भी मुखिया होता है।
आईएएस को आईपीएस से ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है। पहला कारण ये है कि राज्य का डायरेक्टर जनरल आपफ पुलिस (डीजीपी) राज्य का एक शक्तिशाली पुलिस अधिकारी होता है। लेकिन उसे गृह सचिव को रिपोर्ट करना पड़ता है।
सचिव रैंक का जो अधिकारी होता है, वह एक आईएएस अधिकारी होता है। ऐसे में आईपीएस अपनी रिपोर्ट आईएएस को रिपोर्ट करते हैं। वहीं अक्सर देखा जाता है सीबीआई, सीआरपीएफ, बीएसएफ जैसे केंद्रीय पुलिस बलों के सभी प्रमुख आईएएस सचिवों को रिपोर्ट करते हैं। ऐसे में एक आईपीएस को आईएएस के अंडर काम करना पड़ता है। आपको बता दें, डीजीपी को गृह सचिव को रिपोर्ट करने की आवश्यकता होती है और गृह सचिव डीजीपी का बॉस नहीं है। वह एक दूसरे के साथ समन्वय में काम करते हैं।


 


शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

अंटार्कटिका में कई किलोमीटर लंबी दरार 

अंटार्कटिका में कई किलोमीटर लंबी दरार 



वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दरारों ने दुनिया के लिए खतरा पैदा कर दिया है। उनको लगता है कि अंटार्कटिक की यह दरार बढ़ते-बढ़ते बर्फीली चादर को फाड़ देगी और कई ग्लेशियर समुद्रों में बह निकलेंगे।
एजेंसी
नई दिल्‍ली। दुनिया में ग्‍लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। ग्रीन हाउस गैस को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। ग्‍लोबल वार्मिंग बढ़ने से दुनिया में बड़े पर्यावरणीय बदलाव की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी ही एक घटना की सूचना अंटार्कटिका से मिल रही है। अंटार्कटिका के एक बहुत बड़े आइसबर्ग में दो बड़ी दरारें सामने आई हैं। इन दरारों को लेकर वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। इन दरारों की तस्वीरें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कोपरनिकस सेंटिनल उपग्रह ने ली है। तस्वीरों में पश्चिम अंटार्कटिक की बर्फ की चादर में दो बड़ी दरारें स्‍पष्‍ट तौर पर दिख रही है। ये दरारें 20 किलोमीटर की लंबाई में फैली हुई हैं।
अंटार्कटिका में नजर आई ये दोनों दरारें पाइन द्वीप ग्लेशियर पर दिखाई दे रही हैं। ये पश्चिम अंटार्कटिक में जमी बर्फ की चादर का हिस्सा है। यह बर्फ की चादर पिछले 25 साल से समुद्र में बड़ी मात्रा में बर्फ छोड़ रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इन दरारों के कारण एक नया हिमखंड बन सकता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट में सामने आया है कि जिस गति से पाइन द्वीप ग्लेशियर में प्रतिदिन 10 मीटर से अधिक तेजी से बर्फ आगे बढ़ रही है, उसी के कारण साल 1992, 1995, 2001, 2007, 2013, 2015, 2017 और 2018 में बड़ी प्राकृतिक आपदाएं आ चुकी हैं। अब अगर इसका पिघलना जारी रहा तो भविष्‍य में भी हमें आपदाओं के लिए तैयार रहना होगा।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बिना किसी कारण के ग्‍लेशियर में इस तरह की दरार आने के कारण बने नए हिमखंड में बर्फ का एक बड़ा हिस्सा तेजी से पिघल रहा है। वहीं, इसका शांत होना एक प्राकृतिक प्रक्रियाहै। व्यापक रूप से ऐसी घटनाओं के परिणामस्वरूप वैश्विक समुद्र के स्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। वहीं, इस घटना के वैज्ञानिक विश्लेषण से यह भी पता चला है कि समान आकार का यह नया हिमखंड शांत होने की प्रक्रिया से गुजर रहा है और जल्‍द ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दरारों ने दुनिया के लिए खतरा पैदा कर दिया है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की चादर को चीरती जा रही यह दरार वहां मौजूद रिसर्च स्टेशनों को भी खतरे में डाल रही हैं।
विशेषज्ञों को लगता है कि अंटार्कटिक की यह दरार बढ़ते-बढ़ते बर्फीली चादर को फाड़ देगी और कई ग्लेशियर समुद्रों में बह निकलेंगे। इससे समुद्र के जलस्‍तर और हमारी जलवायु पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग इस असामान्य वृद्धि के कारणों में एक है। दुनिया भर में लगातार बर्फ पिघल रही है। कुछ मामलों में प्रदूषण फैलाने वाली कुछ वस्तुओं के लंबे समय तक बर्फ में फंसे होने की भी आशंका है। लेकिन, बर्फ में गलन तेज हो रही है। पिछले महीने कुछ ही दिनों में ग्रीनलैंड 40 प्रतिशत से अधिक पिघल गया। इसमें कुल 2 गीगाटन से अधिक बर्फ होने का अनुमान है। ग्रीनलैंड में एक ही दिन में 2 अरब टन बर्फ गल चुकी है।


बैंक डूबा तो आपकी एफडी का क्या होगा!

बैंक डूबा तो आपकी एफडी का क्या होगा!



बैंक अकाउंट में कितनी भी रकम जमा हो, गारंटी सिर्फ 1 लाख रुपये तक की होती है
प0नि0डेस्क
देहरादून। बैंकों में जमा आपका पैसा कितना सुरक्षित है? बैंक चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, विदेशी हो या को-ऑपरेटिव, इनमें जमा पैसे पर सुरक्षा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कार्पाेरेशन की तरफ से उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए बैंक प्रीमियम भरते हैं। बैंक अकाउंट में कितनी भी रकम जमा हो, गारंटी सिर्फ 1 लाख रुपये तक की होती है। इसमें मूलधन और ब्याज, दोनों शामिल हैं। ऐसे में बैंक डूब जाने पर आपको मात्र 1 लाख रुपये ही मिलते हैं। ऐसे में अपनी फिक्स डिपॉज़िट का क्या होगा?
फिक्स डिपॉज़िट भी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कार्पाेरेशन के तहत आता है ऐसे में बैंक डूब जाने पर सिर्फ एक लाख रुपये ही खाताधारक निकाल सकता है। अगर आपके किसी एक बैंक में एक से अधिक अकाउंट और एफडी आदि हैं तो भी बैंक के डिफॉल्टर होने या डूब जाने के बाद आपको एक लाख रुपये ही मिलने की गारंटी है। डिफॉल्टर बैंक की सभी शाखाओं में जमाकर्ता द्वारा रखी गई सभी जमाओं को क्लब कर दिया जाता है। या दूसरे शब्दों में यदि कोई व्यक्ति बैंक की विभिन्न शाखाओं में पैसे जमा रखता है, तो उन्हें अधिकतम राशि केवल 1 लाख ही निकालने की अनुमति है।
अगर आप अपने पैसे पोस्ट ऑफिस में जमा करते हैं तो वह पूरी तरह से सुरक्षित रहती है। पोस्ट ऑफिस में जमा राशि की गारंटी सरकार की होती है। दरअसल गारंटी की योजनाओं में जमा पैसों का इस्तेमाल अपने कामों के लिए करती है। इसलिए इस पैसे पर पूरी गारंटी दी जाती है। वहीं, बैंकों में जमा राशि को सीआरआर (कैश रिजर्व रैशियो) और एसएलआर (वैधानिक तरलता अनुपात) में लगाया जाता है और बाकी रकम का आम लोगों या कॉर्पाेरेट को लोन दिया जाता है। लोन से मिलने वाले ब्याज से बैंक अपना बिजनस बढ़ाते हैं।


 


 


सत्यपाल मलिक का गोवा ट्रांसफर

सत्यपाल मलिक का गोवा ट्रांसफर



जीसी मुर्मू जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल
जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का तबादला हो गया है। उनको गोवा का राज्यपाल बनाया जाएगा।
एजेंसी
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का तबादला कर दिया गया है। सत्यपाल मलिक को अब गोवा राज्यपाल बनाया जाएगा. वहीं 1 नवंबर से आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू जम्मू कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे। इसके अलावा राधाकृष्ण माथुर लद्दाख के पहले एलजी बनाए गए हैं। पीएस श्रीधरन पिल्लई को मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया है। बता दें कि बीते 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के साथ-साथ उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया था।
बता दें कि जम्मू कश्मीर के पहले उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और केंद्रीय वित्त मंत्रालय में व्यय सचिव के तौर पर कार्यरत हैं। गुजरात के सीएम रह चुके नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान गिरीश चंद्र मुर्मू उनके प्रमुख सचिव थे। मुर्मू को नरेंद्र मोदी का करीबी विश्वासपात्र माना जाता है।
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले एलजी बनाए गए राधा कृष्ण माथुर त्रिपुरा कैडर के 1977 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी है। वह नवंबर 2018 में भारत के मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में सेवानिवृत्त हुए। 25 मई 2013 को इस पद पर नियुक्त होने के दो साल बाद माथुर भारत के रक्षा सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए। वह भारत के रक्षा उत्पादन सचिव, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सचिव और भारत के मुख्य सचिव और त्रिपुरा के मुख्य सचिव भी की भूमिका भी निभा चुके हैं।


 


पीएफ पर 6 लाख तक का फ्री इंश्योरेंस

पीएफ पर 6 लाख तक का फ्री इंश्योरेंस



अगर आप प्रविडेंट फंड जमा कर रहे हैं तो आपको मुफ्त में 6 लाख रुपये तक का लाइफ इंश्योरेंस मिलता है। इस इंश्योरेंस के लिए कर्मचारी को प्रीमियम नहीं जमा करना पड़ता है। लाइफ इंश्योरेंस की न्यूनतम सीमा 2.5 लाख रुपये है।
प0नि0डेस्क
देहरादून। अगर आपका प्रविडेंट फंड पीएफ जमा हो रहा है तो मुफ्त में आपको 6 लाख रुपये तक का लाइफ इंश्योरेंस भी मिलता है? इस विशेष सुविधा का लाभ हर च्थ् खाता धारक को मिलता है और इसके लिए उसे अलग से कुछ जमा करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए कर्मचारी को अलग से प्रीमियम भरने की जरूरत नहीं है।
ईपीएफओ की स्कीम, एंप्लॉयी डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस के तहत पीएफ खाताधारकों को यह लाभ मिलता है। ईडीएलआई के अंतर्गत किसी कर्मचारी को न्यूनतम 2.5 लाख और अधिकतम 6 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस कवर मुफ्त में मिलता है। अगर किसी कर्मचारी की आकस्मिक मौत हो जाती है तो उसके परिवार वाले इंश्योरेंस राशि क्लेम कर सकते हैं।
इस स्कीम में एंप्लॉयी को किसी तरह का योगदान नहीं करना पड़ता है। कर्मचारी के बदले कंपनी प्रीमियम जमा करती है। प्रीमियम अमाउंट कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता का 0.50 फीसदी होता है। हालांकि अधिकतम बेसिक सैलरी 15 हजार ही काउंट की जाएगी।
पिछले 12 महीने की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता का औसत निकाला जाएगा। इस राशि को 30 से गुना करना है और 1.5 लाख रुपये अलग से बोनस के रूप में मिलता है। ज्यादा आसान भाषा में समझने के लिए अगर एक कर्मचारी क की सैलरी (बेसिक$महंगाई भत्ता) 10 हजार रुपये है तो उसे 10,000x30= 3,00,000 रुपये मिलेंगे। अलग से 1.5 लाख का बोनस भी मिलेगा और कुल राशि 4.5 लाख रुपये होगी।


आनलाइन वेरिफाइ करें- कहीं पैनकार्ड फर्जी तो नही!

आनलाइन वेरिफाइ करें- कहीं पैनकार्ड फर्जी तो नही!



देश में बढ़ती फ्रॉड की घटनाओं के बीच फर्जी पैन कार्ड बनने का खतरा हो गया है। चूंकि पैन कार्ड बैंक खातों में इस्तेमाल होता है, इसलिए फर्जी पैन कार्ड से धांधली होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
एजेंसी 
नई दिल्ली। पैनकार्ड बतौर आईडी प्रूफ इस्तेमाल किया जाता है और नया बैंक खाता, डीमैट खाता खुलवाने या म्युचुअल फंड आदि खरीदने के लिए पैन कार्ड की आवश्यकता होती है। पैन कार्ड आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है और यह एक 10-डिजिट का अल्फान्यूमैरिक आईडी कार्ड होता है। खासकर आयकर भरने के दौरान पैन कार्ड अनिवार्य होता है।
देश में बढ़ती फ्रॉड की घटनाओं के बीच फर्जी पैन कार्ड बनने का खतरा पैदा हो गया है। चूंकि पैन कार्ड बैंक खातों में इस्तेमाल होता है, इसलिए फर्जी पैन कार्ड से धांधली होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए पैन कार्ड फर्जी तो नहीं है, यह पता करना जरुरी हो गया है। बता दें कि पैन कार्ड की सत्यता ऑनलाइन ही आसानी से पता की जा सकती है। इसके लिए लोगों के आयकर विभाग ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाना होगा।
आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाने के बाद वहां सीधी तरफ ऊपर 'वेरीफाई योर पैन डिटेल्स' के लिंक पर क्लिक करना होगा। क्लिक करने के बाद यूजर से उसके पैन कार्ड की डिटेल्स, जैसे पैन नंबर, पैन कार्ड होल्डर का पूरा नाम, उसकी जन्मतिथि आदि की जानकारी ली जाएगी। ये जानकारी भरने के बाद पोर्टल पर मैसेज आएगा कि भरी गई जानकारी आपके पैन कार्ड से मैच करती हैं या नहीं। इस तरह आप आसानी से पैन कार्ड की सत्यता का पता लगा सकते हैं।
कई संगठनों जैसे बैंक या अन्य सरकारी निकायों द्वारा को भी एक साथ कई पैन कार्ड की सत्यता जांची जाती है। इसके लिए इन बैंक या सरकारी निकायों द्वारा खुद को बल्क पैन वेरिफकेशन एजेंसी के तौर पर ई-फाइलिंग पोर्टल पर खुद को रजिस्टर कराना होगा। इसके बाद इकट्ठे भी पैन कार्ड की सत्यता जांची जा सकती है।


 


वन महकमे के फील्ड कर्मचारियों को सुरक्षा इंतजामों से लैस करे सरकारः मोर्चा          

वन महकमे के फील्ड कर्मचारियों को सुरक्षा इंतजामों से लैस करे सरकारः मोर्चा  


       
- वन बीट अधिकारी व वन दारोगाओं के पास नहीं है सुरक्षा के नाम पर लाठी
- जान जोखिम में डालकर करते हैं वनों की सुरक्षा, जोखिम भत्ता तक की व्यवस्था नहीं 
- वन तस्करों, खनन माफियाओं व जंगली जानवरों से पड़ता है जूझना 
- सांप, लंगूर, बंदर, बाघ व जंगली जानवरों को पकड़ने का भी है जिम्मा 
- चौबीसों घंटे ड्यूटी के उपरांत भी नहीं मिलता अतिरिक्त पारिश्रमिक
- कर्मचारियों की मांगों को लेकर मोर्चा शीघ्र देगा शासन में दस्तक
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सरकारी विभागों की  बदइंतजामी तथा अदूरदर्शिता का इससे  बड़ा हास्यास्पद तथा खतरनाक पहलू क्या होगा कि प्रदेश में वनों को बचाने के लिए तैनात वन बीट अधिकारी व वन दरोगा के पास सुरक्षा के नाम पर हथियार मुहैया कराना तो दूर लाठी तक की व्यवस्था नहीं की गई है।
नेगी ने कहा कि 5-10 हजार हेक्टेयर तक  के जंगल को वन तस्करों, खनन माफियाओं व जंगली जानवरों से बचाने का जिम्मा एक वन बीट अधिकारी के कंधे पर है जोकि दिन-रात जंगलों में गस्त करके वनों की कई प्रकार से रक्षा करते हैं तथा रात्रि के समय  घनघोर जंगलों में भी गस्त करते हैं। 
नेगी ने  हैरानी जताई  कि कई बार वन कर्मचारी व आमजन इन जंगली जानवरों का शिकार  होते हैं, लेकिन पुख्ता सुरक्षा इंतजामों की कमी के चलते इनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा पड़ता है। इसके साथ-साथ वन रक्षकों को सांप, लंगूर, बंदर व उत्पाती जानवरों को पकड़ने का भी जिम्मा है, लेकिन इंतजाम के नाम पर कुछ भी नहीं है। मोर्चा शीघ्र ही वन रक्षकों की सुरक्षा हेतु पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था व इनको जोखिम भत्ता आदि की मांग को लेकर शासन में दस्तक देगा।
पत्रकार वार्ता में दिलबाग सिंह, प्रदीप कुमार, सुशील भारद्वाज मौजूद रहे।


भूतों के अस्तित्व को साबित करने पर 50,000 का इनाम

भूतों के अस्तित्व को साबित करने पर 50,000 का इनाम



एजेंसी
गंजम/ओडिशा। लोगों को अंधविश्वास और डायन प्रथा से उबारने के लिए कलेक्टर ने एक रोचक पहल की है। उनमें जागरुकता पैदा करने और जादू-टोना एवं अंधविश्वास से जुड़ी अन्य कुप्रथाओं को दूर करने के मकसद से गंजम जिले के कलेक्टर विजय अमृत कुलंगे ने भूतों का अस्तित्व साबित करने वाले को 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।
कलेक्टर विजय अमृत कुलंगे ने कहा कि मेरी जानकारी के मुताबिक भूत का अस्तित्व नहीं होता। अगर कोई व्यक्ति भूत का अस्तित्व साबित कर दे या अंधविश्वासों को जायज ठहरा सके, तो मैं उसे 50,000 रुपए का इनाम दूंगा।
दरअसल गंजम जिले में जादू-टोने की दो घटनाएं सामने आने के बाद कलेक्टर ने यह आदेश दिया। गोपापुर में ग्रामीणों ने जादू-टोने के संदेह में 6 लोगों के दांत तोड़ दिए थे। जगन्नाथ प्रदा में लोगों को अपशिष्ट पदार्थ खाने के लिए मजबूर किया गया था। पुलिस ने एक मामले में 35 जबकि दूसरे में 10 लोगों को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा कुछ गांवों में लोगों का बहिष्कार करने की घटनाएं भी सामने आईं।
कुलंगे ने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि जादू-टोने से कोई बीमार नहीं होता। लोगों का विश्वास है कि उनके रिश्तेदार जादू-टोने की वजह से ही बीमार होते हैं। ऐसे में लोग बीमार व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाने की जगह वे उसे झाड़-फूंक करने वालों के पास ले जाते हैं। मेरी सलाह है कि किसी को दोष देने के बजाए लोग बीमार को अस्पताल ले जाएं।
कलेक्टर ने बताया कि साप्ताहिक जन सुनवाई में लोग टोने-टोटके संबंधी शिकायतें लेकर आते हैं। तमाम जागरूकता अभियानों के बावजूद, ग्रामीण इलाकों में लोग अभी भी अंधविश्वास के जाल में फंसे हैं। गांवों में स्वसहायता समूहों को बढ़ावा देकर लोगों को ये समझाने की जरूरत है कि इस तरह जादू-टोना करने से कोई बीमार नहीं होता।


एक साइकिलिस्ट की पंच केदार यात्रा

सोहन रावत का फिटनेस मंत्र



एक साइकिलिस्ट की पंच केदार यात्रा

प०नि०संवाददाता

देहरादून। एक निजी तीर्थ यात्रा से भी समाज को संदेश दिया जा सकता है। वही हौसले बुलंद हो तो कठिन को भी सरल किया जा सकता है। कमोबेश यही बात साइकिलिस्ट सोहन रावत की पंच केदार यात्रा से निकल कर आती है।

उत्तरांचल प्रेस क्लब में पत्रकारों संग अपनी अपनी साइकिल यात्रा का अनुभव साझा करते हुए सोहन रावत ने पर्सनल फिटनेस के प्रति जागरूकता पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कि उनकी पंच केदार यात्रा विशुद्ध रूप से तीर्थाटन ही था। इस दौरान उन्होंने साइकिल पर आना-जाना कुल मिलाकर 1465 किलोमीटर और करीब 130 किलोमीटर पैदल अपना सफर तय किया।

बकौल सोहन रावत इस वर्ष मई महीने में उन्होंने केदार यात्रा के दौरान ठान लिया की पंच केदार यात्रा का प्रयास करेंगे। अपने इरादों के साथ में साइकिल पर गंतव्य की ओर निकल पड़े। रावत ने बताया कि वह देहरादून से रुद्रप्रयाग के लिए निकले और दोपहर तक सकनी धार की चढ़ाई पार कर ली। शाम 7:00 बजे तक वे रुद्रप्रयाग पहुंच गए। अगले दिन रांसी और वहां से पैदल गोंडार गांव में विश्राम किया। फिर बाबा मद्महेश्वर के दर्शन कर वापस रांसी आ गए। जहां द्वितीय केदार के दर्शन पूरे हुए।

तृतीय केदार की यात्रा के दौरान उखीमठ से चोपता की चढ़ाई पारकर बाबा तुम नाथ के दरबार पर हाजरी लगाई। इसके बाद मंडल के जंगलों से गुजर कर सगर गांव आए। आगे की यात्रा कठिन थी। पनार बुग्याल के दुर्लभ रास्तों को पार कर उन्होंने बाबा रूद्र नाथ के दर्शन किए। यहां उन्होंने डोली यात्रा में भी प्रतिभाग किया।

बाबा गोपीनाथ के दर्शन कर हेलन एवं उरगम घाटी की 67 किलोमीटर की यात्रा कर बाबा कल्पेश्वर महादेव के दरबार में उपस्थिति दर्ज करायी। सोहन रावत इसके बाद बद्रीनाथ धाम की ओर चल पड़े। वाया जोशीमठ बद्रीनाथ धाम पहुंचकर उन्होंने बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया।इस प्रकार उनकी पंच केदार यात्रा देहरादून वापसी के साथ पूरी हुई।

सोहन रावत ने कहा कि इस पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने लोगों से संवाद किया और खुद की फिटनेस के प्रति जागरूक रहने का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि वह रोजाना करीब 45 किलोमीटर साइकिल में आना-जाना करते हैं, इससे वे खुद को फिट तो रखते ही हैं साथ ही पर्यावरण संतुलन में अपना योगदान भी हो जाता है।


निसंदेह साइकिलिस्ट सोहन रावत की पंच केदार यात्रा में सेहत के मंत्र छुपे हुए हैं। हालांकि यह सरल और सहज है लेकिन आधुनिकता की गतिशीलता ने प्रकृति के सिद्धांतों की उपेक्षा कर रखी है जिसकी वजह से तकलीफ आखिरकार हमें ही होती है। इसलिए साइकिलिस्ट सोहन रावत का मंत्र याद रखिए और स्वस्थ रहिए।

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

आसान हुए आधार में नाम-जन्मतिथि बदलने के नियम

आसान हुए आधार में नाम-जन्मतिथि बदलने के नियम



एजेंसी
नई दिल्ली। आधार में नाम या जन्म तिथि गलत होने पर वह परेशानी का कारण बन जाता है। इसे देखते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने जन्म तिथि में एक बार सुधार की सुविधा दी है। वहीं मोबाइल नंबर और अन्य बदलावों के लिए दस्तावेज की जरूरत भी नहीं होगी।
यूआईडीएआई ने नए फैसले के तहत आधार में नाम बदलने के लिए दो बार मौका देने का फैसला किया है। नाम ठीक कराने के लिए आपके पास पासपोर्ट, पैनकार्ड, मतदाता आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, सरकारी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा जारी पहचान पत्र, शैक्षणिक संस्थान का लेटर हेड, हथियार लाइसेंस, जाति एवं निवास प्रमाण पत्र, पेंशनकर्ता फोटो कार्ड, आवास प्रमाण पत्र जिसमें फोटो हो, ग्राम पंचायत प्रमुख द्वारा लेटर हेड पर जारी पते का प्रमाण पत्र में से कोई एक दस्तावेज होना चाहिए। इसे लेकर आधार केन्द्र पर जाकर नाम में सुधार करवा सकते हैं।
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने जन्म तिथि में सुधार के लिए कुछ शर्तें भी तय की हैं। इसके तहत यदि जन्म तिथि में बदलाव की स्थिति में तीन साल से कम का अंतर तो आप संबंधित दस्तावेज के साथ किसी नजदीकी आधार सुविधा केन्द्र में जाकर उसमें सुधार करवा सकते हैं। उम्र में यदि तीन साल से अधिक का अंतर है तो आपको क्षेत्रीय आधार केन्द्र में दस्तावेज लेकर जाना पड़ेगा। यूआईडीएआई ने यह भी कहा है कि आधार में लिंग में सुधार सुविधा अब एक बार ही मिलेगी।
जन्म तिथि में बदलाव के लिए जन्म प्रमाण पत्र, पैनकार्ड, पासपोर्ट, लेटर हेड पर ग्रुप-ए राजपत्रित अधिकारी द्वारा जारी जन्मतिथि, फोटो पहचान पत्र का प्रमाणपत्र, केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवा योजना फोटो कार्ड या पूर्व सैनिक फोटो आईडी लेटरहेड, कक्षा 10वीं या 12वीं का सर्टिफिकेट, फोटो आईडी कार्ड और पहचान पत्र में से कोई एक दस्तावेज आपके साथ होना चाहिए।


 


25 अक्‍टूबर को धनतेरस

25 अक्‍टूबर को धनतेरस



धनतेरस के दिन मां लक्ष्‍मी की पूजा का विधान है। इस दिन मां लक्ष्‍मी के छोटे-छोट पद चिन्‍हों को पूरे घर में स्‍थापित करना शुभ माना जाता है। इस बार दीवाली 27 अक्‍टूबर को है।
पं0 चैतराम
देहरादून। धनतेरस दीपावली पर्व का पहला दिन है। इस बार धनतेरस 25 अक्‍टूबर को है। मान्‍यता है कि क्षीर सागर के मंथन के दौरान धनतेरस के दिन ही आयुर्वेद के देवता भगवान धन्‍वंतरि का जन्‍म हुआ था। इस दिन माता लक्ष्‍मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्‍वंतरि की पूजा का विधान है। इसके अलावा धनतेरस के दिन मृत्‍यु के देवता यमराज की पूजा भी की जाती है। इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
धनतेरस दीपावली पर्व की शुरुआत का प्रतीक भी है। इसके बाद छोटी दीपावली या नरक चौदस, बड़ी या मुख्‍य दीपावली, गोवर्द्धन पूजाऔर भाई दूज या भैया दूज का त्‍योहार मनाया जाता है। धनतेरस से एक दिन पहले रमा एकादशी पड़ती है।
धनतेरस का पर्व हर साल दीपावली से दो दिन पहले मनाया जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक मास की तेरस यानी 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व हर साल अक्‍टूबर या नवंबर महीने में आता है। इस बार धनतेरस 25 अक्‍टूबर को है।
धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त
धनतेरस की तिथिः 25 अक्‍टूबर 2019 
त्रयोदशी तिथि प्रारंभः 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से 
त्रयोदशी तिथि समाप्‍तः 26 अक्‍टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट 
धनतेरस पूजा मुहूर्तः 25 अक्‍टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक 
अवधिः 01 घंटे 05 मिनट 
मान्‍यता है कि समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्‍वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। कहते हैं कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है।
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन लक्ष्‍मी पूजन करने से घर धन-धान्‍य से पूर्ण हो जाता है। इसी दिन यथाशक्ति  खरीददारी और लक्ष्‍मी गणेश की नई प्रतिमा को घर लाना भी शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन जिस भी चीज की खरीददारी की जाएगी उसमें 13 गुणा वृद्धि होगी। इस दिन यम पूजा का विधान भी है। मान्‍यता है कि धनतेरस के दिन संध्‍या काल में घर के द्वार पर दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्‍यु का योग टल जाता है। 


 


मंत्री हरक सिंह रावत पर सी0बी0आई0 द्वारा एफ0आई0आर0 मोर्चा की बड़ी जीत: नेगी

मंत्री हरक सिंह रावत पर सी0बी0आई0 द्वारा एफ0आई0आर0 मोर्चा की बड़ी जीत: नेगी



- वर्ष 2016 में जनहित याचिका में हरक सिंह, उमेश शर्मा आदि के खिलाफ की गयी थी सी0बी0आई0 जाँच की माँग।
- स्टिंग जनहित में न होकर किया गया था काली कमाई, ब्लैकमेलिंग व तख्तापलट के उद्देश्य से।
- उच्च न्यायालय ने अगस्त 2018 में स्टिंगबाजों को किये थे उक्त मामले में नोटिस जारी।
- तत्कालीन सरकार को अस्थिर कर प्रदेश का विकास किया था बाधित।
प०नि०संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि वर्ष 2016 में तत्कालीन हरीश रावत सरकार के खिलाफ मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मदन सिंह बिष्ट व सी0ई0ओ0 उमेश शर्मा द्वारा काली कमाई अर्जित करने, ब्लैकमेलिंग व तख्तापलट के उद्देश्य से किये गये स्टिंग मामले को लेकर मोर्चा अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका सं0 114/2016 दायर कर उक्त स्टिंगबाजों के खिलाफ भी सी0बी0आई0 जाँच कराने का आग्रह किया था, जिसमें मोर्चा द्वारा माँग की गयी थी कि उक्त स्टिंगबाजों द्वारा सैकड़ो-हजारों करोड़ रूपये के साम्राज्य मात्र 1.5-2 दशक में खड़े कर दिये गये हैं तथा इनका इतिहास फर्जीवाड़े व ब्लैकमेलिंग का रहा है। उक्त मामले पर संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा व  मनोज तिवारी की खण्डपीठ द्वारा दिनांक 28.08.2018 को मंत्री हरक सिंह रावत, सी0बी0आई0, उमेश शर्मा व मदन सिंह बिष्ट को नोटिस जारी किये गये थे।
नेगी ने कहा कि मोर्चा द्वारा कई वर्षों से उक्त व्यक्तियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है तथा स्टिंग मामले में भी मोर्चा द्वारा यह उल्लेख किया गया था कि स्टिंगबाज ही पैसों की पेशकश व षडयन्त्र रच रहे हैं तो फिर स्टिंग जनहित व प्रदेशहित में कैसे हुआ ! मोर्चा ने इस बात की भी माँग की थी कि अगर हरीश रावत के खिलाफ सी0बी0आई0 जाँच हो रही है तो इनके खिलाफ भी सी0बी0आई0 जाँच होनी चाहिए।
सी0बी0आई0 द्वारा पूर्व मुख्यन्त्री हरीश रावत के खिलाफ प्राथमिकी (एफ0आई0आर0) दर्ज करने के साथ-साथ हरक सिंह रावत, उमेश शर्मा आदि के खिलाफ भी जो एफ0आई0आर0 दर्ज करायी गयी है, इससे निश्चित तौर पर सच जनता के सामने आयेगा कि कैसे इन स्टिंगबाजों ने प्रदेश को तबाह करने का काम किया। नेगी ने कहा कि मोर्चा की माँग पर सी0बी0आई0 द्वारा स्टिंगबाजों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज होने से मोर्चा को भारी सफलता मिली है।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, दिलबाग सिंह, डाॅ0 ओ0पी0 पंवार, मौ0 असद, प्रवीण शर्मा पीन्नी आदि थे।


गति फाउंडेशन ने जारी की ‘दून पॉल्यूशन टेल्स अभियान’ की रिपोर्ट

गति फाउंडेशन ने जारी की 'दून पॉल्यूशन टेल्स अभियान' की रिपोर्ट



शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति सुधारने के लिए सार्वजनिक परिवहन और अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन पर ध्यान देने की सलाह
संवाददाता
देहरादून। गति फाउंडेशन ने शहर में प्रदूषण को लेकर चलाये गये एक अभियान के बाद अपनी रिपोर्ट जारी की है। 'दून पॉल्यूशन टेल्स अभियान' के दौरान मिले आउटपुट्स के बाद फाउंडेशन ने अपनी रिपोर्ट में शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति में चिन्ता जताई है और सलाह दी कि वायु प्रदूषण की स्थिति सुधारने के लिए सार्वजनिक परिवहन और अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन पर खास ध्यान दिया जाए।
इस अभियान की थीम 'वायु प्रदूषण को हराओ' थी। अभियान के तहत उन लोगों के जीवन को समझने और उनका डॉक्यूमेंटेशन करने की भी कोशिश की गई, जिनका ज्यादातर समय शहर में प्रदूषित वायु के बीच में गुजरता है। इसमें ऑटो चालक, स्ट्रीट वेंडर, ट्रैफिक पुलिस अधिकारी, कैब ड्राइवर, स्ट्रीट स्वीपर और छात्रों को मुख्य रूप से शामिल किया गया।  अभियान को सोशल मीडिया पर रुक्ववदच्वससनजपवदज्ंसमे के साथ साझा किया गया। इस दौरान देहरादून में वायु प्रदूषण पर मौजूदा साहित्य और अन्य स्रोतों की समीक्षा भी की गई।
रिपोर्ट कहती है कि दून में खराब सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के साथ वाहनों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। इसके अलावा कचरे को खुले में जलाये जाने, खाली प्लॉट कचरा फेंकने आदि से भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। देहरादून ने दिल्ली से आने वाले पुराने वाहनों को भी वायु प्रदूषण के लिए गंभीर समस्या बताया गया है। 
रिपोर्ट में अनियंत्रित रूप से बड़े पैमाने पर खुले में जलाये जा रहे कचरे को भी वायु प्रदूषण का बड़ा कारण बताया गया है। अभियान के दौरान शहर के अंदर कई स्थानों पर खुले में कचरा जलता पाया गया। रिपोर्ट ने यह भी कहा गया है कि शहरवासियों द्वारा खुले में कूड़ा जलाना समस्या आम बात होती चली जा रही है। 
गति फाउंडेशन के ऋषभ श्रीवास्तव के अनुसार अभियान का उद्देश्य वायु प्रदूषण के मुद्दे पर लोगों को अधिक व्यावहारिक और मानवीय बनाना था। जो लोग सड़क पर अधिकतम समय बिता रहे हैं, वे असली पीड़ित हैं। इस अभियान के माध्यम से ऑटो चालकों, सब्जी विक्रेताओं, यातायात पुलिस अधिकारियों आदि के जीवन पर वायु प्रदूषण के प्रभाव को समझने की कोशिश की गई। 
पिछले वर्ष फाउंडेशन ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में वायु प्रदूषण टेस्ट किया था। इस दौरान आईएसबीटी, सहारनपुर चौक और दून अस्पताल सबसे प्रदूषित क्षेत्र थे। ऋषभ के अनुसार पीएम 2.5 की निगरानी जल्द से जल्द शुरू किये जाने की जरूरत है। वर्तमान में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास केवल तीन मैनुअल वायु प्रदूषण मॉनिटर, राजपुर रोड, आईएसबीटी और क्लॉक टॉवर पर हैं और जो केवल पीएम 10, सल्फर और नाइट्रोजन स्तर की निगरानी करने में सक्षम हैं।


मशीन ने 200 सेकेंड में की वह गणना जिसमें कंप्यूटर को लगते 10 हजार साल

मशीन ने 200 सेकेंड में की वह गणना जिसमें कंप्यूटर को लगते 10 हजार साल



वैज्ञानिकों ने दावा किया कि उन्होंने गिनती की उस स्थिति को प्राप्त कर लिया है जिसने सबसे तेज सुपर कंप्यूटर को भी पीछे छोड़ दिया है, इसे क्वांटम सुपरमेसी कहते हैं
एजेंसी
पेरिस। वैज्ञानिकों ने बुधवार को दावा किया कि उन्होंने कैलकुलेशन की उस काल्पनिक अवस्था को प्राप्त कर लिया है जिसने विश्व के अब तक के सबसे तेज सुपर कंप्यूटर को भी पीछे छोड़ दिया है। इसे क्वांटम सुपरमेसी कहते हैं।
गूगल साइकामोर मशीन पर काम कर रही विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि उनकी क्वांटम प्रणाली ने मात्र 200 सेकेंड में उतनी गणना कर ली जिसे करने में पारंपरिक कंप्यूटर को 10,000 साल लगते। हालांकि गूगल के प्रतिद्वंद्वी आईबीएम के वैज्ञानिकों ने इस दावे पर सवाल उठाए हैं।
अगर वैज्ञानिकों के इस दावे की पुष्टि हो जाती है तो गूगल का उपकरण दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर बनाने में सक्षम होगा जो प्रति सेकेंड 20,000 खरब गणना कर सकेगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक साधारण कंप्यूटर यहां तक कि सबसे तीव्र गति से काम करने वाला कंप्यूटर भी दो छोटे डेटा के खंड के आधार पर काम करता है जिसे बिट्स कहते हैं और यह या तो एक या शून्य हो सकता है।
हालांकि, क्वांटम कंप्यूटर में डेटा के खंड 1 और शून्य एक साथ हो सकते हैं जिससे इसकी क्षमता बढ़ जाती है और बड़ी संख्या में आंकड़ों की गणना कर सकता है। इस हिस्से को डुबिट्स कहते हैं। इस दोहरी प्रवृत्ति की वजह से कंप्यूटर की गणना की क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि होती है।
'नेचर' में प्रकाशित शोधपत्र के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 54 क्यूबिट्स की मदद से क्वांटम प्रोसेर तैयार किया और इसका इस्तेमाल किन्हीं भी अंकों की उत्पत्ति प्रक्रिया से जुड़े कार्यों के लिए किया। शोधपत्र के मुताबिक साइकामोर ने नमूनों का मात्र 200 सेकेंड में पूरी सटीकता से आकलन किया और हल दे दिया जिसे करने में नियमित कंप्यूटर को 10,000 साल लगते।
इस खोज पर टिप्पणी करते हुए मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर शोधकर्ता विलियम ऑलिवर ने कहा कि दुनिया के शीर्ष सुपर कंप्यूटर में पारंपरिक अल्गोरिद्म (कलन विधि) पर क्वांटम श्रेष्ठता का प्रदर्शन बड़ी उपलब्धि है।
गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने ट्वीट किया कि टीम की इस बड़ी उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा हूं। उल्लेखनीय है कि क्वांटम कैलकुलेशन का इंकरप्टेड सॉफ्टेवयर और एआई में तत्काल इस्तेमाल होगा लेकिन इससे अधिक कुशल सौर पैनल, दवा बनाने और अधिक तेज गति से वित्तीय लेनदेन में मदद मिलेगी।


 

बुधवार, 23 अक्तूबर 2019

कठुआ रेप केस में गवाहों से झूठे बयान दिलवाने का आरोप

कोर्ट ने एसआईटी के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर के दिए निर्देश



कठुआ रेप केस में गवाहों से झूठे बयान दिलवाने का आरोप
एजेंसी
जम्मू। जम्मू कश्मीर की एक अदालत ने कठुआ में 2018 में एक बालिका के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की जांच करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) के छह सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के मंगलवार को पुलिस को निर्देश दिये। अदालत ने पुलिस को एसआईटी के उन छह सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किये जाने के निर्देश दिये जिन्होंने 2018 में कठुआ के एक गांव में आठ वर्षीय एक बालिका के साथ बलात्कार और हत्या मामले की जांच की थी और गवाहों को झूठे बयान देने के लिए कथित तौर पर उनका शोषण किया था और उन्हें विवश किया।
न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रेम सागर ने मामले के गवाहों सचिन शर्मा, नीरज शर्मा और साहिल शर्मा की एक याचिका पर जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को निर्देश देते हुए कहा कि इन छह लोगों के खिलाफ संज्ञेय अपराध बनता है। अदालत ने तत्कालीन एसएसपी आरके जल्ला (अब सेवानिवृत्त), एएसपी पीरजादा नाविद, पुलिस उपाधीक्षकों शतम्बरी शर्मा और निसार हुसैन, पुलिस की अपराध शाखा के उप निरीक्षक उर्फन वानी और केवल किशोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिये और जम्मू के एसएसपी से 11 नवम्बर को मामले की अगली सुनवाई पर अनुपालन रिपोर्ट देने को कहा।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने इस वर्ष जून में तीन मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जबकि मामले में सबूत मिटाने के लिए अन्य तीन को पांच वर्ष जेल की सजा सुनाई थी।


 


 


चांद पर दाग का राज खुला

चांद पर दाग का राज खुला



इसरो ने दो तस्वीरें जारी कर ये बताने की कोशिश की है कि चांद के चेहरे पर धब्बे क्यों हैं?
एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का चंद्रयान-2 लगातार चांद के बारे में नए-नए खुलासे कर रहा है। चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर भले ही सही लैंडिंग न कर पाया हो लेकिन चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा उसका ऑर्बिटर अब भी हर रोज नई और चौंकाने वाली तस्वीरें सामने ला रहा है। 22 अक्टूबर को भी इसरो ने ऐसी ही दो तस्वीरें जारी की हैं। ये पहली बार है जब इसरो ने चांद की ऐसी रंगीन तस्वीरें आम लोगों के लिए जारी की हैं। इन तस्वीरों में ये पता चल रहा है कि चांद की सतह पर काले दाग क्यों हैं? उसकी सतह पर इतने गड्ढे क्यों हैं?
ये खुलासा चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे डुअल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक एपर्चर राडार ने किया है। इस उपकरण ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद सतह का अध्ययन किया है। इस उपकरण से ये पता कर सकते हैं कि कहां गड्ढे हैं? कहां पहाड़ हैं? कहां समतल जमीन है? और कहां पत्थर पड़े हैं? इस उपकरण की खासियत ये है कि यह कम से कम चांद की सतह से 2 मीटर ऊंची किसी भी वस्तु की तस्वीर आराम से बनवा सकता है. इसके लिए इस उपकरण से दो प्रकार की किरणें निकलती हैं। उन किरणों के सतह से टकराने और उनके वापस लौटने के आंकड़ों को जुटाकर यह पता किया जाता है कि चांद की सतह पर क्या है?
डीएफ-एसएआर से पृथ्वी के इसरो सेंटर्स पर भेजी गई तस्वीरों से पता चलता है कि यह उपकरण चांद की सतह के ऊपर और सतह के नीचे की जानकारी देने में सक्षम हैं। साथ ही डीएफ-एसएआर यह भी बता सकता है कि चांद की सतह पर कौन सा गड्ढा कब बना है? आखिर चांद की सतह पर बने गड्ढों से चांद के काले धब्बों का क्या लेना-देना है? असल में यही गड्ढे और उनकी परछाइयां ही चांद के चेहरे पर काले धब्बे से दिखाई पड़ते हैं।
चांद की सतह पर अक्सर दर्जनों या उससे ज्यादा की संख्या में उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु टकराते रहते हैं। इनके टकराने की वजह से ही हजारों वर्षों से चांद की सतह पर ऐसे गड्ढे बन रहे हैं। डीएफ-एसएआर यह भी बता सकता है कि चांद की सतह पर कौन सा गड्ढा कब बना है? जैसे पहली तस्वीर में अगर आप ध्यान से देखें तो आपकों पता चलेगा कि कौन सा गड्ढा नया है और कौन सा पुराना है?
नए गड्ढे का रंग ज्यादा चमकदार और पीले रंग का दिख रहा है। उसके चारों तरफ ताजी मिट्टी और धूल दिखाई दे रही है। इन गड्ढों के अंदर का रंग चांद की सतह से चमकदार और हल्के रंग का होता है।
चांद की सतह पर जिन गड्ढों का रंग गहरा है। यानी काला, नीला और गहरा हरा है वह पुराना गड्ढा है। इन गड्ढों के अंदर का रंग चांद की सतह से मिलता है।
डीएफ-एसएआर से मिले आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि चांद की सतह पर उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु टकराने से वर्टिकल (सीधे-गहरे गड्ढे) और ऑबलीक (परोक्ष, टेढ़े गहरे गड्ढे) बनते हैं।
उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु जब एकदम सीधे जाकर चांद की सतह पर टकराते हैं तब जो गड्ढे बनते हैं उसे वर्टिकल क्रेटर या सीधा-गहरा गड्ढा कहते हैं। चारों तरफ से इनकी गहराई लगभग एक बराबर होती है।
उल्कापिंड, क्षुद्र ग्रह और धूमकेतु जब चांद की सतह से सीधे न टकराकर टेढ़े-मेढ़े तरीके से टकराते हैं तब ऑबलीक क्रेटर या परोक्ष, टेढ़े गहरे गड्ढे बनते हैं। इनमें एक तरफ से गड्ढे की गहराई ज्यादा होती है, जबकि एक तरफ हल्का ढलान होता है। ऐसे गड्ढों की गहराई एक समान नहीं होती है।
चांद की सतह पर कितने गड्ढे हैं, इसका सही आंकड़ा किसी भी देश की अंतरिक्ष एजेंसी या वैज्ञानिकों के पास नहीं हैं। लेकिन एक अनुमान के अनुसार चांद पर 5185 गड्ढे ऐसे हैं जो 19 किमी से ज्यादा चौड़े हैं। 10 लाख गड्ढों की चौड़ाई करीब एक किलोमीटर है। जबकि, करीब 50 लाख गड्ढे ऐसे हैं जिनकी चौड़ाई करीब 10 मीटर या उससे अधिक है।


 


 


 


दवाई की पत्ती पर लाल लकीर

दवाई की पत्ती पर लाल लकीर का मतलब!



स्वास्थ्य मंत्रालय की पोस्ट में बताया गया है ज़िम्मेदार बनें और बिना डॉक्टर की सलाह के लाल लकीर वाली दवाई की पत्ती से दवाइयां न खायें। आप ज़िम्मेदार, तो दवाई असरदार।.
एजेंसी
नई दिल्ली। अक्सर कहा जाता है कि दवाइयां बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं लेनी चाहिए। अगर आप बीमार हैं या फिर कोई सेहत से जुड़ी दिक्कत है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और उन्हीं कि बताई हुई दवाइयों का सेवन करें। बावजूद इस चेतावनी के कई मरीज या उनके परिजन टीवी या सोशल मीडिया पर विज्ञापन देख बिना डॉक्टर की सलाह के मनमानी दवाइयां ले लेते हैं, जिससे आगे चलकर घातक परिणाम हो सकते हैं। लोगों की इसी आदत को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट की है, जिसमें बताया गया है कि किन दवाइयों को बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं खाना चाहिए।
इस पोस्ट में बताया गया है ज़िम्मेदार बनें और बिना डॉक्टर की सलाह के लाल लकीर वाली दवाई की पत्ती से दवाइयां न खायें। आप ज़िम्मेदार तो दवाई असरदार।



वहीं पोस्ट में डाली गई तस्वीर पर लिखा हुआ है क्या आप जानते हैं? जिन दवाइयों की पत्ती पर लाल लकीर होती है उन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना कभी नहीं लेना चाहिए। कुछ दवाइयों जैसे कि एंटीबायोटिक्स की पत्ती पर एक खड़ी लाल लकीर होती है, इसका अर्थ यह होता है कि इन दवाइयों को केवल डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए। हमेशा डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाई का पूरा कोर्स लें।
बता दें कि लाल लकीर वाली दवाइयों को मेडिकल स्टोर वाले भी बिना डॉक्टर की रिसिप्ट या रसीद के बेच नहीं सकते। तो अगली बार लाल लकीर वाली दवाइयों को बिना डॉक्टर के सलाह के ना लें। साथ ही दूसरों को इस बात की जानकारी देकर जागरूक करें।


ब्रह्मोस मिसाइल ने टारगेट पर निशाना लगाया

ब्रह्मोस मिसाइल ने 300 किमी दूर स्थित टारगेट पर निशाना लगाया



वायुसेना ने पिछले दो दिनों में जमीन से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल के दो परीक्षण किए। इन दोनों परीक्षणों में मिसाइलों ने 300 किलोमीटर दूर स्थित टार्गेट को सीधे-सीधे हिट किया।
एजेंसी
अंडमान निकोबार। भारतीय वायुसेना ने पिछले दो दिनों में ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण किए। दागी गईं दोनों मिसाइलों ने 300 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य पर एकदम सटीक निशाना लगाया और उसे ध्वस्त कर दिया। जमीन से जमीन पर हमला करने वाली इन मिसाइलों को अब छोटे प्लैटफॉर्म से लॉन्च करने के बावजूद दूर स्थित लक्ष्य पर एकदम सटीक निशाना लगाया जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक वायुसेना ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह के ट्राक द्वीप से इन दो मिसाइलों को दो दिन में फायर किया है। रूटीन ऑपरेशनल ट्रेनिंग के लिए फायर की गईं इन मिसाइलों ने अपने लक्ष्य को एकदम सटीकता से ध्वस्त किया। बता दें कि ब्रह्मोस मीडियम रेंज की एक ऐसी सुपरसोनिक मिसाइल है, जिसे किसी एयरक्राफ्ट, शिप या छोटे प्लैटफॉर्म से भी दागा जा सकता है।
दागी गईं इन मिसाइलों का लक्ष्य लगभग 300 किलोमीटर दूर था। दोनों ही मिसाइलों ने अपने लक्ष्य को सीधे-सीधे हिट किया। इस परीक्षण के बाद भारतीय वायुसेना छोटे प्लैटफॉर्म से मिसाइल दागकर लक्ष्य पर सीधा हमला करने के मामले में और सशक्त हुई है और उसकी क्षमता बढ़ गई है।


केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा!

7वें पे मैट्रिक्स के तहत केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा!



केन्द्र सरकार नवंबर में केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में इजाफे का ऐलान कर सकती है। केंद्र सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार उनकी न्यूनतम सैलरी में इजाफा करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार अभी कर्मचारियों को मिलने वाली न्यूनतम सैलरी 18000 में 8000 रुपए का इजाफा कर सकती है।
एजेंसी
नई दिल्ली। केंद्रीय कर्मचारियों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। केन्द्र सरकार दिवाली के बाद नवंबर महीने में केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में इजाफे का ऐलान कर सकती है। केंद्र सरकार सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में इजाफा करेगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार अभी कर्मचारियों को मिलने वाली न्यूनतम सैलरी 18000 में 8000 रुपए का इजाफा कर सकती है। सरकार के आदेश के बाद केंद्रीय कर्मचारियों को 26 हजार रुपए प्रति महीने न्यूयनतम सैलरी के रूप में मिलेंगे।
बता दें कि केंद्रीय कर्मचारी लंबे समय से नरेंद्र मोदी सरकार से बेसिक सैलरी में बढ़ोतरी करने की मांग कर रहे हैं हालांकि पहले भी ऐसी कई मीडिया रिपोर्ट्स आती रही हैं जिसमें ये कहा गया है कि सरकार कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में इजाफा कर सकती हैं लेकिन हकीकत में ऐसा अभी तक संभव नहीं हो सका है। हालांकि इस बार मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों की मांग पर गंभीरता से विचार कर रही है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो केंद्र सरकार नवंबर महीने में कर्मचारियों की सैलरी में मांग के अनुरूप इजाफा कर सकती है।
केंद्रीय कर्मचारियों को मौजूदा दौर में 18000 रुपए प्रति महीने की बेसिक सैलरी मिल रही है। जो फिटमेंट फैक्टर 2.57 फीसदी है। कर्मचारी अपने बेसिक फिटमेंट फैक्टर में 3.68 फीसदी का इजाफा करने की मांग कर रहे है। अगर सरकार कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर 3.68 फीसदी कर देती है तो कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 26 हजार रुपए प्रति महीने हो जाएगी। 


मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019

नेता का मुंह काला कर गधे पर बैठाया

बीएसपी नेता का मुंह काला कर गधे पर बैठाया



बहुजन समाज पार्टी नेताओं के साथ बीएसपी कार्यकर्ताओं ने ही मारपीट की और फिर जूते की माला पहनाकर गधे पर बैठाकर घुमाया
एजेंसी
जयपुर। बहुजन समाज पार्टी नेताओं के साथ बीएसपी कार्यकर्ताओं ने ही मारपीट की और फिर जूते की माला पहनाकर गधे पर बैठाकर घुमाया। बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर राम जी गौतम जयपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक लेने आए थे। वह पार्टी ऑफिस में ही रुके थे।
सुबह जब मॉर्निंग वॉक पर वह पार्टी दफ्तर आ रहे थे तभी हाथों में बीएसपी का झंडा लिए भरतपुर से आए कार्यकर्ताओं ने उन्हें पकड़कर पहले तो पीटा और फिर मुंह काला कर, जूते की माला पहनाकर, गधे पर बैठाकर घुमाया।
राम जी गौतम कार्यकर्तओं के सामने हाथ जोड़ते रह गए। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि इससे पार्टी को नुकसान होगा। मुझे गोली मार दो मगर ये मत करो। वहीं पार्टी सुप्रीमों मायावती ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। मायावती ने ट्वीट कर आक्रोश जताया और कांग्रेस को साजिश का जिम्मेदार बताया।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि मायावती अपने घर की तरफ देखें। कांग्रेस के मोटर गैराज एवं आयोजना मंत्री ने कहा कि यूपी में अगर कुछ गड़बड़ होती है तो हम बीएसपी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराते। जो भी दोषी होंगे उनको बख्शा नही जाएगा।
दरअसल बीएसपी के 6 विधायक, कांग्रेस की गहलोत सरकार में शामिल हो गए। इसे लेकर कुछ नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि बीएसपी के राष्ट्रीय नेता पैसे मांगते हैं और बीएसपी सुप्रीमो पैसे लेकर टिकट बेचती हैं।  
बीएसपी नेताओं और पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में गए विधायकों के कार्यकर्ताओं के बीच विवाद चल रहा है। इसे लेकर पिछले कई दिनों से भरतपुर धौलपुर करौली के बीएसपी के कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।


दिवाली पर पटाखे फोड़ने का आइडिया!

दिवाली पर पटाखे फोड़ने का आइडिया!



न्यूज डेस्क
देहरादून। दीवाली आने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। इस पर्व को लोग बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। घर का हर कोना रोशनी से जगमगाता रहता है। बच्चे और युवा पटाखे फोड़ते हैं। लेकिन ये पटाखे चलाने की शुरुआत हुई कहां से हुई? इसके पीछे किसका दिमाग था और क्या मुगल भारत पटाखे लेकर आए थे या फिर इसके पीछे कुछ और ही कारण है। 
साल 1923 में अैया नादर और शनमुगा नादर काम की तलाश में कलकत्ता गए। यहां पर इन दोनों ने एक माचिस की फैक्ट्री में काम किया। इसके बाद ये दोनों अपने घर शिवकाशी जो कि तमिलनाडु में है लौट आये। यहां आकर इन्होंने माचिस की फैक्ट्री की नींव रखी।
साल 1940 में एक्स्प्लोसिव एक्ट में संशोधन किया गया, जिसमें एक खास स्तर के पटाखों के बनाने पर पाबंदी हटा दी यानि इसे वैध करार दे दिया गया। नादर ब्रदर्स ने इसका फायदा उठाया और इसी साल पटाखों की पहली फैक्ट्री डाल दी। इसके बाद उन्होंने पटाखों को दीवाली से जोड़ने की कोशिश शुरू कर दी।
नादर ब्रदर्स ने शिवकाशी में पटाखों की फैक्ट्री तेजी से फैलाई। साल 1980 तक सिर्फ शिवकाशी में ही पटाखों की 189 फैक्ट्रियां थीं। सुप्रीम कोर्ट भी पटाखों को लेकर बैन जारी कर चुका है, लेकिन लोगों के लिए दीवाली का मतलब पटाखों से जुड़ा हुआ है।
ऐसे में माना जा सकता है कि पटाखों का इतिहास 1940 से ज्यादा पुराना नहीं है। वहीं जहां तक सवाल है मुगलों का पटाखों से जुड़ने का, तो मुगलों के दौर में आतिशबाजी और पटाखों का खूब इस्तेमाल होता था लेकिन ये कहना सही नहीं होगा कि भारत में पटाखे मुगल ही लेकर आए थे।
कई जानकारों का तो ये तक मानना है कि मुगल तो भारत में पटाखे नहीं लाए, लेकिन उनसे पहले ही पटाखे आ चुके थे। माना तो ये भी जाता है कि मुगलों से पहले आए पटाखों का इस्तेमाल शिकार या फिर हाथियों की लड़ाई में किया जाता था। पटाखे चलाकर इन्हें डराया जाता था।


हमारे देश में बैंक डिपाजिट इंश्योरेंस महज एक लाख क्यों!

हमारे देश में बैंक डिपाजिट इंश्योरेंस महज एक लाख क्यों!



बैंकों में जमापूंजी के डूबने से लोग हताश हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे 
हमारे देश में बैंक डिपाजिट इंश्योरेंस महज एक लाख क्यों!
प0नि0डेस्क
देहरादून। पंजाब एंड महाराष्ट्र कोपरेटिव पीएमसी बैंक संकट के सामने आने के बाद बैंकों के ग्राहकों द्वारा जमा राशि की सुरक्षा को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं लोगों में व्याप्त हो गई है। अपनी जमापूंजी के बैंकों में डूबने से लोग हताश हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। कोई इलाज नहीं करवा पा रहा तो कोई बच्चों के स्कूल की फीस नहीं दे पा रहा। ऐसे में डिपाजिट पर इंश्योरेंस की सीमा बढ़ाए जाने को लेकर विचार किया जा रहा है। 
बता दें कि भारत में डिपाजिट इंश्योंरेंस की लिमिट दुनियाभर में सबसे कम है, जिसमें 1-2 लाख की बढ़ोतरी भी नाकाफी होगी। 1993 में तय किए गए डिपाडिट इंश्योरेंस में अब तक कोई बदलाव नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल है कि बैंक डिपाजिट इंश्योरेंस बढ़ाया जाना क्यों जरूरी है? जबकि पीएमसी बैंक संकट के बाद इसके ग्राहकों की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। हालत यह है कि खाते में पैसे होते हुए लोग अपने बच्चों की स्कूल फीस से लेकर इलाज तक का खर्च नहीं जुटा पा रहे हैं। इन मामलों से अब दूसरे बैंकों के ग्राहक भी चिंतित हैं।
विदित हो कि देश की संसद में करीब 58 साल पहले ऐसी ही चिंताओं को लेकर सवाल उठाए गए, जिसके बाद संसद ने डिपाजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कार्पाेरेशन एक्ट, 1961 नाम से एक कानून पास किया। इसके तहत डिपाजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कार्पाेरेशन डीआईसीजीसी नाम से एक संस्थान बनायी गयी, जो बैंक के दिवालिया या डूबने की स्थिति में प्रत्येक जमाकर्ता को एक निश्चित रकम के वापसी की गारंटी देता है। वर्ष 1968 में गारण्टी की यह रकम 5,000 रुपये थी।
इस रकम में समय-समय पर बढ़ोतरी होती गई और 1993 में इसे बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया। इसके बाद से आज तक इस रकम में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इसका मतलब यह कि अगर आज आपका बैंक किसी कारणवश डूब जाए तो आपको एक लाख रुपये तक ही वापस मिलने की गारंटी होगी। बाकी की रकम बट्टे खाते में चली जायेगी। 
भारतीय बैंकों में जमा पैसों पर मिलने वाला यह इंश्योरेंस पूरी दुनिया मंे सबसे कम है। अब आपको दुनिया के अन्य देशों में इस इंश्योरेंस की लिमीट भी बता देतें है। भारत की प्रति व्यक्ति आमदनी के स्तर वाले रूस में यह लिमिट 12 लाख और ब्राजील में 42 लाख रुपये है। चीन प्रत्येक खाते पर करीब 58 लाख रुपये की गारंटी देता है। ग्रीस हर खाते पर करीब 80 लाख रुपये की गारंटी देता है।
हालांकि ऐसी कुछ रिपोर्टें आई हैं कि सरकार डिपाजिट इंश्योरेंस कवर एक लाख से बढ़ाकर 2 से 5 लाख रुपये तक करने पर विचार कर रही है। स्टेट बैंक आफ इंण्यिा ने भी पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट में इसे लिमीट को बढ़ाकर 2 लाख करने का सुझाव जरूर दिया था।
हालांकि यह बढ़ोतरी बैंक के जमाकर्ताओं के लिए नाकाफी ही होगी क्योंकि 1993 के एक लाख रुपये को अगर सिर्फ महंगाई दर से जोड़ा जाए तो आज यह रकम 15 लाख रुपये से अधिक होती है। ऐसे में सरकार को डिपाजिट इंश्योरेंस का 1 लाख से बढ़ाकर 2 लाख करने का कोई तुक नहीं रह जाता। सरकार को इस लिमिट को कम से कम इतना बढ़ाना चाहिए, जिससे भविष्य में किसी और शख्स की जान न जाये।
हाल फिलहाल जिस तरह से सरकार लोगों के लिए लोकलुभावन योजनाओं द्वारा रिझाने का प्रयास कर रही है उसके मुकाबले यदि वह लोगों की रकम को न डूबने देने की गारण्टी दे तो इससे बेहतर बात क्या हो सकती है। हैरानी की बात है कि पीएमसी बैंक जैसे हादसे के बाद भी सरकार तो सरकार, किसी भी विपक्षी दल ने इसके लिए आवाज नही उठायी है। वहीं देशभर में विभिन्न संगठन जो अक्सर उपदेशकों की भूमिका में होते है, ने भी जरूरी नही समझा की इसके लिए सरकार पर दबाव बनाया जाये।


इंग्लैंड क्रिकेट का नया प्रारूप द हंड्रेड 

इंग्लैंड क्रिकेट का नया प्रारूप द हंड्रेड 



इंग्लैंड ऐंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने खेल को एक और नया प्रारूप दिया है। 100 गेंदों के इस फॉर्मेट को एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है।
एजेंसी
नई दिल्ली। करीब 3 साल से इंग्लैंड में क्रिकेट के इस प्रारूप के बारे में चर्चाएं चल रही थीं और अब यह हकीकत का रूप लेने वाला है। द हंड्रेड यानी 100 गेंदों का यह प्रारूप अपने अंतिम चरण में है। इस टूर्नामेंट की शुरुआत जुलाई 2020 में होगी। इस टूर्नमेंट में 8 फ्रैंचाइजी होंगी इसमें हर फ्रैंचाइजी की एक महिला और एक पुरुष टीम होगी।
इस टूर्नामेंट में कई बड़े खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। ऐसे में इंग्लैंड ऐंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड की सोच के बड़े होने की उम्मीद है। टी20 फॉर्मेट के हिट होने के बाद इस प्रारूप को भी क्रांतिकारी कदम के रूप में देखा जा रहा है। ईसीबी की कोशिश अब क्रिकेट को 100 गेंदों के मार्फत खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए अधिक तेज बनाने की है।
लेकिन आखिर यह द हंड्रेड यानी 100 गेंदों का यह प्रारूप क्या है? इसके नियम क्या हैं? चलिए एक नजर डालते हैं इसके नियम-कायदों पर-
एक टीम के लिए 100 गेंदेंः इस नियम ने इस प्रारूप को चर्चा का विषय बना दिया है। इस प्रारूप को मुख्य रूप से इस तरह तैयार किया गया है कि गर्मियों की छुट्टियों में महिलाएं और बच्चे इसका आनंद उठा सकें।
नियम व कायदे
एक मैच में कुल 200 वैध गेंदें फेंकी जाएंगी। यानी हर पारी में कुल 100 गेंदें। एक ओवर में 10 गेंद होंगी। 10 गेंद बाद बल्लेबाज छोर बदल सकेंगे। गेंदबाज या तो एक साथ 10 गेंद फेंकेगा या फिर पांच। यह फैसला टीम के कप्तान पर होगा। ऐसे में दो अलग गेंदबाज 10 गेंद पूरी कर सकते हैं। एक बोलर अधिकतर 20 गेंद फेंक सकेगा।
टाइम आउट- हर बोलिंग टीम को ढाई मिनट का रणनीतिक ब्रेक मिलेगा। टाइम आउट के दौरान कोच मैदान पर आकर टीम के साथ रणनीति पर चर्चा कर सकेगा।
पावर प्ले- टीम की शुरुआती 25 गेंद पावरप्ले होंगी। पावरप्ले के दौरान 30 गज के घेरे के बाहर सिर्फ दो खिलाड़ी रह सकेंगे। एक मैच करीब ढाई घंटे चलेगा।
टीमों के लिए नियम- एक टीम में अधिकतम 15 खिलाड़ी हो सकते हैं। टीम को अधिकतम 3 विदेशी खिलाड़ी रखने की इजाजत है। आठों टीमों को कम से कम एक इंग्लिश टेस्ट खिलाड़ी को जगह देना जरूरी होगा।


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