शनिवार, 29 फ़रवरी 2020

दावाः फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे हैं उर्दू अनुवादक

दावाः प्रदेश के विभागों में बिना पद के फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे हैं उर्दू अनुवादक



देहरादून में इनकी संख्या 100 से अधिक, अन्य सभी जिलों में भी कर रहे फर्जी तरीके से नौकरी
संवाददाता
देहरादून। समाजसेवी विकेश सिंह नेगी ने एक प्रेसवार्ता में प्रदेश के कई विभागों में फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे उर्दू अनुवादकों को लेकर बड़ा खुलासा किया। उत्तराखंड में उर्दू अनुवादकों के बिना पद के फर्जी तरीके से नौकरी करने को लेकर उन्होंने नैनीताल हाईकोर्ट में क्यू वांरटोरिट दायर की हुई है। 
विकेश सिंह नेगी मुख्यमंत्री दरबार से लेकर नैनीताल हाईकोर्ट तक भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने का काम कर रहे हैं। नेगी के मुताबिक आरटीआई के माध्यम से ज्ञात हुआ कि आबकारी ही नहीं उत्तराखंड के कई विभागों में उर्दू अनुवादक सालों से बिना पद के फर्जी तरीके से नौकरी कर रहे हैं। 
नेगी ने पुलिस मुख्यालय, एसएसपी ऑफिस, जिलाधिकारी कार्यालय सहित कई विभागों से सूचना के अधिकार में जानकारी मांगी कि उनके यहां कितने उर्दू अनुवादों के पद हैं और इन पदों पर नियुक्ति के लिये शासनादेश एवं गजट नोटिफिकेशन कब जारी हुआ। सूचना के अधिकार के तहत जब विभागों से सूचना आनी शुरू हुई तो उसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।
नेगी ने कहा कि देहरादून एसएसपी ऑफिस से सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने के बाद जो जवाब आया वह हैरान करने वाला था। एसएसपी ऑफिस ने सूचना के अधिकार के तहत बताया कि उनके यहां उर्दू अनुवादकों के लगभग 10 पद हैं। जो विगत 28/2/1996 को स्वतः ही समाप्त हो गये थे। सवाल यह उठता है कि अगर यह पद 1996 में स्वतः ही समाप्त हो गये थे तो इन पदों पर आज तक कर्मचारी किस आधार पर काम कर रहे हैं और उन्हें किस आधार पर उन्हें वेतन दिया जा रहा है। यह पूरा प्रकरण एक बड़े भ्रष्टाचार की तरफ इशारा कर रहा है।
उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय में भी उर्दू अनुवादकों के पद पर कर्मचारी कार्यरत हैं। सूचना के अधिकार के तहत पुलिस मुख्यालय ने भी एसएसपी ऑफिस की तरह ही जवाब दिया कि पद 28/2/1996 को स्वतः ही समाप्त हो गये थे। पुलिस मुख्यालय ने अपने जवाब में कहा है कि हमने इन्हें शासनादेश संख्या 80सीएम/47-का-94-15-10-94 दिनांक 20 अगस्त 1994 और जीओ संख्या 80सीएम/47-का-94-15-10-94 दिनांक 03/02/1995 के आधार पर उर्दू अनुवादकों के पद पर नियुक्ति दी थी।  जिसमें साफ तौर पर लिखा गया है कि यह पद 28/2/1996 को स्वतः ही समाप्त हो जायेंगे। 
नेगी ने सवाल किया कि अगर ऐसा है तो इन पदों को आज तक समाप्त क्यों नहीं किया गया। जब इन पदों का गजट नोटिफिकेशन हुआ ही नहीं था तो फिर किस आधार पर इन पदों पर कर्मचारी आज तक काम कर रहे हैं और किस आधार पर उन्हें प्रमोशन दिया गया है।  
जिला अधिकारी कार्यालय से जवाब आया कि उर्दू अनुवादकों के पद 28/2/1996 को स्वतः ही समाप्त हो गये थे। इन पदों का कभी भी गजट नोटिफिकेशन सरकार द्वारा आजतक नहीं किया गया था। आबकारी महकमें भी यही हाल हैं। विकेश सिंह नेगी द्वारा आबकारी विभाग में तैनात इंस्पेक्टर शुजआत हुसैन की नौकरी को चुनौती मामले में सरकार की तरफ से नैनीताल हाईकोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है। 
सरकार ने खुद हाईकोर्ट में इस बात को स्वीकार कर लिया है कि देहरादून में तैनात इंस्पेक्टर शुजआत हुसैन कानूनन नौकरी में हैं ही नहीं। इसके बावजूद हुसैन को सेवा में अभी तक कैसे रखा है, इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। उनके साथ ही उधमसिंह नगर में तैनात इंस्पेक्टर राबिया का मामला भी शुजआत की तरह का ही है।
कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग ने सूचना के अधिकार के तहत उर्दू अनुवादकों को लेकर मांगी गई जानकारी के तहत जवाब दिया कि कार्यालय में इसको लेकर कोई रिकार्ड धारित नहीं है। जवाब में कहा गया कि आप उक्त सूचना उत्तर प्रदेश राज्य से प्राप्त करने का कष्ट करें।  
इस मामले में विकेश सिंह नेगी का कहना है कि उर्दू अनुवादकों के पद आबकारी विभाग के लिये बुंदेलखंड और उत्तराखंड नहीं थे। विकेश कहते है किं उत्तर प्रदेश में सन 1995 से ही इस फर्जीवाड़े की शुरूआत हुई। विकेश के मुताबिक यूपी की मुलायम सरकार ने उर्दू अनुवादक और कनिष्ठ लिपिक पद पर सिपर्फ भरण पोषण के लिए रखा था। उस समय भी इन दोनों के नियुक्ति पत्रों में साफ लिखा था कि यह नियुक्ति 28-2-1996 को स्वतः ही समाप्त हो जायेगी। फिर कैसे आज तक इन पदों पर कर्मचारी सरकारी सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। आखिर कौन है वह जिसकी मिलीभगत से सरकार को करोड़ो रूपये का चूना हर माह लग रहा है।
हाईकोर्ट में पूरे मामले की लड़ाई लड़ रहे नेगी कहते हैं कि इस पूरे मामले में कुछ लोग मुख्यमंत्री की ईमानदार छवि को धूमिल करने में लगे हुए हैं। यही नहीं मिलीभगत कर मुख्यमंत्री के जीरो टालरेंस को भी चुनौती दे रहे हैं। विकेश कहते हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कुछ नौकरशाह मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हों। अब देखना होगा इन मामलों पर सरकार कब वाजिब कार्रवाई कर जीरो टालरेंस का संदेश देती है।
विकेश कहते हैं कि मुख्यमंत्री को सभी विभागों में जांच करानी चाहिए। क्योंकि इन नियुक्तियों का गजट नौटिफिकेशन हुआ ही नहीं था। यह इलाहबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने 1995 में कहा था। अगर ऐसा है तो फर्जी नौकरी कर सरकार को जो अब तक आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया है उसकी रिकवरी के साथ ही इनकी संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए।  


बच्चों को सर्दी और जुकाम में देने वाले कफ सिरप में जहर

बच्चों को सर्दी और जुकाम में देने वाले कफ सिरप में जहर



8 राज्यों में उक्त जहरीले कफ सीरप की बिक्री पर लगी रोक
एजेंसी
नई दिल्ली। कोल्डबेस्ट-पीसी नाम का कफ सीरप बच्चों की जान का दुश्मन बन गया है लेकिन प्रतिबंधित होने के बावजूद बाजार में धड़ल्ले से बिक रहा है। दरअसल खांसी-जुकाम में दिए जाने वाले इस सिरप में जहरीली रासायन पाए गए। जिस कारण जम्मू के ऊधमपुर में 9 बच्चों की जान चली गई व कई बीमार हो गए हैं। अब स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत एक्शन लेते हुए इस सीरप की खरीद और बिक्री पर लगा दी है। सूत्रों की मानें तो 8 राज्यों से इस जहरीले कफ सीरप की 5,000 बोतलें भी वापस मंगा ली गई हैं।
यह कफ सिरप हिमाचल प्रदेश की फार्मास्यूटिकल्स कंपनी डिजीटल विजन बनाती है। इसकी सप्लाई प्रदेश समेत 7 दूसरे राज्यों में भी की जाती है। जम्मू और कश्मीर के ड्रग एंड फूड कंट्रोल आर्गेनाइजेशन के एसिस्टेंट ड्रग्सकंट्रोलर सुरिंदर मोहन ने बताया कि दिसंबर 2019 के आखिरी दिन और 17 जनवरी के बीच जम्मू कश्मीर में एक के बाद एक 9 बच्चों की मौत हो गई, सारी मौतों में एक बात कामन थी कि सबने कोल्डबेस्ट-पीसी पी थी, जिसके बाद सिरप की जांच पीजीआई चंडीगढ़ में करायी गई। रिपोर्ट में आया कि सिरप में डाई इथाइलीन ग्लाइकोल की मात्रा असंतुलित है और मानव सेहत के लिए हानिकारक है।
रिपोर्ट सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया और इसके प्रोडक्शन को तुरंत रूकवाने के आदेश दे दिए गए हैं। इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय और तमिलनाडु में भी यह दवा वापस मंगाई जा रही है। ऐसे में लोगों से भी यह अपील की जा रही है कि वे यह सिरप न खरीदें। अगर किसी ने डाक्टर की सलाह पर भी यह दवा खरीद ली है तो उसे तत्काल वापस कर दें या नष्ट कर दें। अस्पतालों और दवा विक्रेताओं को भी यह सिरप किसी को न देने को निर्देशित किया गया है। हैरानी की बात यह है कि 2011 में फूड एंड ड्रग एडमिस्ट्रेशन अमेरिका द्वारा चेतावनी देने के बाद भी इसे बनाया और बेचा जा रहा था। 
बच्चों के लिए घातक है यह कफ सीरप- पीसी नामक यह कफ सिरप छोटे बच्चों के लिए घातक है। इस दवा को 4 साल से छोटे बच्चे को देने से मना किया गया था। बीपी, डायबिटीज और महिला गर्भवती को भी यह दवा देना मना था। इसमें डी एैथलीन ग्लाईको नामक जो साल्ट पाया जाता है, वह बच्चों के लीवर और किडनियों पर सीधा असर करता है। इससे खून में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे इन्फेक्शन हो जाता है।


 


रोजाना 132 करोड़ रुपये की घूस देते है ट्रक ड्राइवरः रिपोर्ट

रोजाना 132 करोड़ रुपये की घूस देते है ट्रक ड्राइवरः रिपोर्ट



एक खबर के मुताबिक यह घूस यातायात या राजमार्ग पुलिस को दी जाती है। एनजीओ सेवलाइपफ फाउंडेशन की अध्ययन में कहा गया है कि ट्रक ड्राइवरों को हर साल 48000 करोड़ रुपये रोजाना 132 करोड़ रुपये बतौर घूस चुकानी पड़ती है।
एजेंसी
नई दिल्ली। देश में ट्रक ड्राइवर और उनके मालिक रोजाना घूस के तौर पर सालाना 48 हजार करोड़ रुपये चुकाते है। एक खबर के मुताबिक यह घूस यातायात या राजमार्ग पुलिस को दी जाती है। एनजीओ सेवलाइफ फाउंडेशन के अध्ययन में कहा गया है कि ट्रक ड्राइवरों को हर साल 48000 करोड़ रुपये रोजाना 132 करोड़ रुपये बतौर घूस चुकानी पड़ती है। यह अध्ययन 10 प्रमुख परिवहन और ट्रांसपोर्ट केंद्रों में किया गया था। 82 फीसदी से अधिक डाइवरों और ट्रक मालिकों का कहना है कि रोड पर चलते समय उन्हें एक या दो विभागों के अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ती है। यहां तक कि पूजा समितियों जैसे स्थानीय समूह भी घूस लेकर उनके ट्रक निकलने देते हैं। इस तरह से हर चक्कर में ट्रक डाइवरों को औसत 1257 रुपये चुकाने होते हैं।
इस अध्ययन में शामिल ट्रांसपोर्ट हबों में गुवाहाटी सबसे खराब था, जहां 97.5 पफीसदी ड्राइवरों ने दावा किया था कि उन्होंने रिश्वत दी थी। इसके बाद चेन्नई 89 फीसदी और दिल्ली 84.4 फीसदी का स्थान रहा। रिपोर्ट का दावा है कि आरटीओ भी घूस मांगते हैं। 44 फीसदी डाइवरों ने माना है कि आरटीओ भी उनसे घूस लेते हैं। खूसखोरी में सबसे ज्यादा आरटीओ बंगलुरू के आगे हैं।
इतना ही नहीं रिपोर्ट से पता चला है कि ड्राइवरों के एक बड़े हिस्से करीब 47 फीसदी ने अपने ड्राइविंग लाइसेंस को रिन्यू करने के लिए रिश्वत देने की बात स्वीकार की है। मुंबई के लगभग 93 पफीसदी ड्राइवरों और ट्रक मालिकों ने दावा किया कि उन्हें इसके लिए रिश्वत देनी पड़ी, इसके बाद गुवाहाटी 83 फीसदी और दिल्ली-एनसीआर 78 फीसदी का स्थान मिला।
औसतन एक ड्राइवर ने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए 1,789 रुपये का भुगतान किया, दिल्ली में रिश्वत की राशि अधिकतम 2,025 रुपये थी।


त्रिवेंद्र माफियाओं पर मेहरबान, बेरोजगार घूम रहे परेशान:  मोर्चा

त्रिवेंद्र माफियाओं पर मेहरबान, बेरोजगार घूम रहे परेशान:  मोर्चा - खनन/शराब माफियाओं के हक में लाए जा रहे नित नए विधेयक          


- बेरोजगारों के लिए नहीं है कोई ठोस योजना सरकार के पास   

- बंद होते उद्योगों से सरकार का कोई लेना देना नहीं               

- प्रदेश की जनता सड़कों पर, मुखिया पड़े हैं बेसुध             

 - प्रदेश की जनता का सौदा कर डाला माफियाओं के हाथों 

संवाददाता  

विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए हाल ही में इन 15- 20 दिनों में खनन/शराब माफियाओं के हक में रातों-रात कई विधेयक लाकर प्रदेश की जनता का सौदा कर डाला है |                 

नेगी ने कहा कि पहले पट्टों के आवंटन का अधिकार शासन का था, जिसको हटाकर जिला प्रशासन को दिया गया | पूर्व की व्यवस्था अनुसार शासन स्तर से आवंटन में अधिक समय लगता था तथा धन के बंटवारे में काफी हिस्सा शासन के अधिकारियों के पास चला जाता था, अब सिर्फ जिला स्तर का होगा, ऐसा करने से काली कमाई का वितरण सिर्फ एक-दो लोगों के बीच ही होगा | इसी प्रकार शराब के लाइसेंसों की प्रक्रिया में भी शिथिलता प्रदान की गई है | कुछ दिन पहले अवैध भंडारण मामले में कार्रवाई का अधिकार जिला अधिकारी से छीनकर कर अपर जिलाधिकारी को दिया गया एवं पट्टों में मैनुअल चुगान के बजाय जेसीबी वह अन्य उपकरणों से खोद डालने का अधिकार दिया गया है | 

नेगी ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगार/ कर्मचारी/ किसान/ भोजन माताएं/ आंगनवाड़ी कर्मी सभी सड़कों पर उतरकर अपना हक मांगते रहे, लेकिन इनके लिए कोई नीति/ कार्य योजना सरकार नहीं बना पाई, वहीं दूसरी ओर माफियाओं के हक में बगैर जनता के आंदोलन किए नित नए विधेयक पास हो रहे हैं | प्रदेश में उद्योग तेजी से बंद हो रहे हैं तथा प्रदेश कर्ज में डूब रहा है, उसकी चिंता न कर मुखिया को सिर्फ माफियाओं की चिंता है | पत्रकार वार्ता में डा० ओपी पंवार, नरेंद्र तोमर, सुशील भारद्वाज  आदि मौजूद थे।

मेजर जनरल माधुरी कानिटकर बनेंगी पहली महिला लेफ्टिनेंट जनरल

मेजर जनरल माधुरी कानिटकर बनेंगी पहली महिला lieutenant जनरल



एजेंसी
नई दिल्ली। रक्षा क्षेत्र में महिलाओं ने एक और नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मेजर जनरल माधुरी कानिटकर को लेफ्टिनेंट जनरल की अगली रैंक के लिए मंजूरी दे दी गई है। उनके पति राजीव एक सेवानिवृत्त lieutenant जनरल हैं। यह भारत के इतिहास में पहली बार होगा कि पति और पत्नी दोनों भारतीय सेना में  लेफ्टिनेंट जनरल रहे हैं। 
एक रिपोर्ट के अनुसार मेजर जनरल माधुरी कानिटकर ने पुणे में एएफएमसी के डीन के रूप में दो साल से अधिक समय तक काम करने के बाद मई 2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उत्तरी कमान क्षेत्रा के युद्व चिकित्सा देखभाल के प्रभारी मेजर जनरल मेडिकल, उधमपुर के रूप में कार्यभार संभाला था।
वह देश की तीसरी महिला और सशस्त्र बलों की पहली बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्हें लेफ्टिनेंट जनरल के पद के लिए चुना गया है। उनका नाम पैनल में शामिल कर दिया है लेकिन पद तभी ग्रहण किया जाएगा जब वर्ष के अंत में वैकेंसी आएगी। कानिटकर ने तीन साल पहले पुणे में एएफएमसी की पहली महिला डीन के रूप में कार्यभार संभाला था। उन्हें आर्मी मेडिकल कोर में पहली बाल चिकित्सा नेप्रफोेलाजी यूनिट स्थापित करने का श्रेय भी दिया जाता है।


अपने क्रोम को तुरंत करें अपडेट वरना होगा नुकसान

गूगल क्रोम के यूजर्स के लिए वार्निंग जारी
अपने क्रोम को तुरंत करें अपडेट वरना होगा नुकसान



प0नि0डेस्क
देहरादून। गूगल ने अपने अहम ऐप गूगल क्रोम का इस्तेमाल करने वालों के लिए एक अहम चेतावनी जारी की है। ज्यादातर यूजर्स विभिन्न गेजेट्स में गूगल क्रोम बाउजर का प्रयोग करते हैं। गूगल क्रोम में एक बड़ा फाल्ट सामने आया है, जो आपके गेजेट को नुकसान पहुंचा सकता है। इस खतरे से बचाने के लिए गूगल ने यूजर्स को अलर्ट तो जारी किया ही है, साथ ही गूगल क्रोम का नया लेटेस्ट अपडेट वर्जन भी पेश किया है। गूगल क्रोम का यह नया स्टेबल वर्जन 80.0.3987.122 है, जो अब विंडोज़ और लीनेक्स के यूजर्स के लिए उपलब्ध है। 
यदि आप भी गूगल क्रोम का प्रयोग करते हैं जो बेहतर होगा आप भी नए गूगल क्रोम के लेटेस्ट वर्जन को जल्द इंस्टाल कर लें। गूगल ने इसके लिए 31 मार्च तक का समय दिया है। इसके बाद से यह नई सेवा प्रभावी हो जाएगी।
गूगल क्रोम के लेटेस्ट वर्जन को सभी को इन्स्टाल कर लेना चाहिये। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि गूगल ने जब तक इस फाल्ट का पता लगाकर इसका साल्युशन खोजा था, इसी बीच हैकर्स ने इसका मिसयूज कर लिया है। गूगल ने इस फाल्ट को कन्फर्म किया है और कहा है कि क्रोम 80 में मेजर फाल्ट का पता चला है। इसमें ऐसी समस्या है जिससे जावा स्क्रिप्ट की भी हैकिंग हो सकती है। साथ ही हैकर्स पीसी में अनरेसट्रिक्टेड कोड भी रन कर सकते हैं।
अपने गूगल क्रोम को अपडेट करने के लिए सबसे पहले क्रोम वेब बाउजर पर जाना होगा। यहां आपको अबाउट क्रोम पर जाना होगा और अपडेट टू डाउनलोड और इंस्टाल के आप्शन को अलाव करना होगा।
गूगल क्रोम के इस लेटेस्ट अपडेट के डाउनलोड और इंस्टाल होने के बाद बाउजर को दोबारा ओपन करना होगा। इसके लिए आप सेटिंग्स में जाकर अबाउट गूगल क्रोम में नए वर्जन को अब देख पाएंगे।


शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2020

भोजन के नियमः समय से खायें या भूख लगने पर!

भोजन के नियमः समय से खायें या भूख लगने पर!



ये दोनों तरीके ना अच्छे ना ही बुरे, इनके अपने-अपने लाभ और नुकसान
प0नि0डेस्क
देहरादून। सभी अलग-अलग समय पर अलग-अलग चीजें खाते हैं। हर आदमी के खाने का खास तरीका होता है। कुछ लोग भूख लगती है, तब खाते हैं और कुछ लोग जब उनका खाने का समय होता है, तब खाते हैं। हालांकि ये दोनों तरीके ना अच्छे होते हैं और ना ही बुरे इसलिये इनके अपने-अपने लाभ व नुकसान होते हैं।
खाना सबके लिए जरुरी है लेकिन इसे सब अलग-अलग तरीके खाते हैं। शरीर को उर्जा के नुकसान और मेटाबोलिज्म को धीरे होने से रोकने के लिए हर 3 से 4 घंटे पर न्यूट्रीशन की जरुरत होती है। यहां समय पर खाने और भूख लगने पर खाने के फायदे-नुकसान की बात हो रही हैं।
भूख लगने पर खाने के अपने फायदे है। मसलन इससे शरीर की जरूरतें पूरी होती हैं। जब भूख लगती है तब दिमाग ठीक से काम करना बंद कर देता है इसलिए इस समय खाना अच्छा होता है क्योंकि इससे शरीर को जरुरी न्यूट्रीयेंट्स मिल जाते हैं जिनकी उन्हें जरुरत होती है।
बाडी न्यूट्रीयेंट्स को अच्छे से अवशोषित करती है। भूख लगने पर यदि संतुलित डाइट खाते है तो उसमें मौजूद विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, फैट आसानी से शरीर में अवशोषित होते हैं और शरीर को ऊर्जा मिलती है। वहीं भूख लगने पर खाने के नुकसान भी है। ऐसा करने से शरीर को सही न्यूट्रीयेंट्स नहीं मिलते। जब भूख लगती है तो बन्दा नहीं सोचता कि क्या सही है और क्या गलत। जो मिला उसे ही खा लेता है। इससे सही न्यूट्रीयेंट्स नहीं मिलते हैं।
जब भूख लगती है तब यह ध्यान नहीं रखा जाता कि कितना खाना है और खाते जाते हैं। इस वजह से ज्यादा खा लेते हैं जिससे कई दिक्कतें हो सकती हैं। तनाव के कारण भूख लग सकती हैं। यदि खाने के एक या दो घंटे के बाद ही भूख लगती है तो इसका कारण तनाव हो सकता है। तनाव खाने के तरीके को प्रभावित करता है। इसलिए तनाव मुक्त रखने की कोशिश करें।
समय से खाने के पफायदे कई फायदें है। जैसे शरीर शेड्यूल फालो करने के लिए प्रशिक्षित होता है। सही टाइम पर सही चीज खाने से ज्यादा नहीं खाया जाता और पाचन तंत्र पर ज्यादा स्ट्रेस नहीं पड़ता है और शरीर स्वस्थ रहता हैं। एसिडिटी और थकान नहीं होती है। यदि खाने के लिए शेड्यूल फालो न किया जाये तो पेट से जुड़ी कई सारी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती हैं। इसलिए समय पर खाने से थकान और पेट की समस्यायें नहीं होती हैं इससे शरीर कोे ऊर्जा मिलती है। शरीर को अवशोषण का समय मिलता है। अगर अपने समय के अनुसार ही खाते है तो शरीर को न्यूट्रीयेंट्स को सही ढंग से अवशोषण करने का समय मिल जाता है जिससे शरीर स्वस्थ रहता है।
वहीं शेड्यूल पर खाने के नुकसान भी है। मसलन भूख खत्म हो जाती है। कभी कभी समय से पहले भूख लगती है और ऐसे में अपने टाइम को फालो करने पर भूख खत्म हो जाती है और कई सारी पेट की दिक्कतें हो सकती हैं। पूरा खाना नहीं खाते हैं। कभी कभी कई कारणों से भूख नहीं होती है और अपने टाइम के अनुसार खाने लगते हैं जिससे सम्पूर्ण भोजन नहीं कर पाते हैं। इस वजह से पूरे न्यूट्रीयेंट्स नहीं मिलते हैं।
जल्दी थक जाते हैं। कभी कभी हल्का खाना खाते है जोकि जल्दी पच जाता है और भूख लग जाती है लेकिन अपने खाने के टाइम का इंतजार करते हैं। तो ऐसे में कमजोरी और थकान हो सकती है।


गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020

देखरेख के अभाव में बार बार घायल होती सालीखेत पम्पिंग योजना

देखरेख के अभाव में बार बार घायल होती सालीखेत पम्पिंग योजना



संवाददाता
गंगोलीहाट। नगरीय क्षेत्रों एवं आसपास के गांवों को पेयजल उपलब्ध कराने वाली सालीखेत गंगोलीहाट पम्पिंग योजना उचित देखरेख के अभाव में अपने उद्देश्यों की पूर्ति में अपेक्षानुरूप सफल नहीं हो पा रही है। हज़ारों की आबादी पेयजल आपूर्ति उपलब्ध कराने वाली इस महत्वपूर्ण योजना के अनुरक्षण की कमी के चलते इसके लाभों से वंचित होने को मजबूर हैं।
दरअसल पिछले तीन दिनों से गंगोलीहाट में पानी नहीं आने से पेयजल का संकट गहरा गया है। नगरवासियों एवं आसपास के ग्रामीणों को पेयजल की कमी से जूझना पढ़ रहा है। बताया गया है कि पम्पिंग योजना के सालीखेत स्थित स्टेज एक में ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त होने से पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इस कारण क्षेत्रवासियों में काफी रोष है। स्थानीय निवासी सुरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि इतनी महत्वपूर्ण परियोजना होने के बावजूद इसमें बार बार खराबी आना चिंताजनक है।
इस सम्बन्ध में विधुत विभाग के उप खण्ड अधिकारी पवन रावत द्वारा अवगत कराया गया कि सालीखेत स्थित स्टेज वन में जल संस्थान द्वारा स्थित दोनों  ट्रांसफार्मर एक कच्ची दीवार के किनारे स्थित हैं, जहां से इन पर पानी की धार टपकती है, जिससे अत्यधिक  नमी के कारण ट्रांसफार्मर में खराबी की संभावना अधिक होती है। यह स्थान ट्रांसफार्मर रखने हेतु उचित नहीं है। इसके लिये ट्रांसफार्मरों को वर्तमान स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जाना आवश्यक है। इसके बारे में जल संस्थान के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। जल संस्थान द्वारा इस पर अग्रिम कार्यवाही किये जाने पर ही इसका स्थायी समाधान हो पायेगा।
बताते चलें कि सालीखेत गंगोलीहाट पम्पिंग योजना का लोकार्पण 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा किया गया था। इस महत्वपूर्ण पम्पिंग योजना में तीन स्टेज हैं। प्रथम स्टेज सालीखेत में 7.5 लाख लीटर की टैंक क्षमता है। बेलूरी स्थित द्वितीय स्टेज में 90 हज़ार लीटर एवं चौड़िका स्थित तृतीय स्टेज में 90 हज़ार लीटर की टैंक क्षमता है।


उपभोक्ता अदालतों में पद रिक्त होने की वजह से कामकाज ठप्प

उपभोक्ता अदालतों में पद रिक्त होने की वजह से कामकाज ठप्प



सूचना अधिकार सेे नदीम उद्दीन को उपलब्ध सूचना से हुआ खुलासा
संवाददाता
काशीपुर। उत्तराखंड मेें प्रदेश के उपभोक्ता केसों का फैसला करने वाले अधिकारियों के 38 प्रतिशत पद रिक्त हैै। इससे राज्य की सबसे बड़ी अदालत व प्रदेश के सभी 13 जिला फोरमोें की अपील सुुनने वाले उपभोक्ता आयोेग तथा तीन जिलो के जिला उपभोक्ता फोरमों का अदालती काम काज ठप्प है औैर उपभोेक्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा हैै। यह खुलासा सूचना अधिकार ने सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को राज्य उपभोक्ता आयोेग द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से हुआ। 
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) ने राज्य में उपभोक्ता फोरम व आयोग में उपभोक्ता केेसोें का फैसला करने वालेे अध्यक्ष व सदस्योें केे रिक्त पदों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर मंे राज्य उपभोक्ता आयोेग की लोक सूचना अधिकारी/प्रशासनिक अधिकारी वन्दना शर्मा नेे अपनेे पत्रांक 66 दिनांक 22 फरवरी से सूचना उपलब्ध करायी है। 
उपलब्ध सूचना के अनुसार राज्य में 13 जिला उपभोक्ता फोरमों में 14 पद तथा राज्य उपभोक्ता आयोेग में 2 पद रिक्त है जिसके कारण राज्य उपभोक्ता आयोेग तथा 3 जिलों में उपभोक्ता केसोें का फैसला नहीं हो पा रहा हैै। इसकेे कारण जहां प्रदेश भर के जिला फोरमों के आदेशोें की राज्य उपभोक्ता आयोग में लम्बित अपीलोें पर फैसला नहीं हो पा रहा है, वही 20 लाख से एक करोड़ तक के उपभोक्ता केसोें का आयोेग में फैसला नहीं हो पा रहा हैै। इसके अतिरिक्त कोरम पूरा न होने के कारण तीन जिलो में उपभोेक्ता केसों का फैसला नहीं हो पा रहा हैै। वर्तमान में केवल दो जिलों में ही उपभोक्ता फोरम सुचारू चल रहे है, शेष 8 जिलोें में भी सदस्य की रिक्ति केे कारण सुचारू रूप सेे उपभोक्ता फोरम नहीं चल पा रहे है। 
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार राज्य उपभोक्ता आयोेग में उपभोक्ता केेसोें व अपीलों का फैसला 01 अगस्त 2019 से नहीं हो पा रहा हैै। आयोेग में 17 जुलाई 2019 से महिला सदस्य तथा 01 अगस्त 2019 से पुरूष सदस्य का पद रिक्त हैै।
उधमसिंह नगर जिले में 12 अक्टूबर 2019 से उपभोक्ता केस निपटारा महिला सदस्य का पद रिक्त होने से ठप्प हो गया है। यहां अध्यक्ष का पद 01 अप्रैल 2019 सेे रिक्त है। अल्मोड़ा जिले में 25 सितम्बर 2019 को महिला सदस्य का पद रिक्त होेने से उपभोक्ता केसों के फैसले नहीं हो रहे है। पुरूष सदस्य का पद 16 अप्रैल 2019 से रिक्त हैै। रूद्रप्रयाग जिले में 23 अक्टूबर 2018 से अदालती कार्य महिला सदस्य का पद रिक्त होने सेे ठप्प हो गया हैै जबकि पुरूष सदस्य का पद 09 जनवरी 2018 से ही रिक्त है। प्रदेष के अन्य 8 जिलों में भी सदस्योें के एक-एक पद रिक्त होनेे से उपभोेक्ता फोरमोें का कार्य सुचारू नहीं चल रहा हैै। इन फोरमों में किसी एक सदस्य या अध्यक्ष केे अवकाश पर होनेे या अध्यक्ष व सदस्य केे मत में अंतर होने पर फैसला नहीं हो सकता हैै। 
प्रदेश केे जिन अन्य 8 जिला उपभोक्ता फोरमोें में सदस्यों के पद रिक्त हैै उनमें पिथौैरागढ़ में 2 मार्च 2018, नैैनीताल में 17 अप्रैल 2019, देहरादून में 27 मई 2019, टिहरी गढ़वाल में 21 सितम्बर 2019, पौड़ी गढ़वाल में 18 नवम्बर 2019, चमोली में 09 जनवरी 2020 से महिला सदस्योें केे पद रिक्त है। चम्पावत में 24 अप्रैल 2019, उत्तरकाषी में 25 सितम्बर 2019 से पुरूष सदस्योें के पद रिक्त है। 


 


राजभवन नहीं चला रहा फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले में सरकार पर चाबुक: मोर्चा       




राजभवन नहीं चला रहा फॉरेस्ट गार्ड भर्ती मामले में सरकार पर चाबुक: मोर्चा               

संवाददाता   

देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के  पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि प्रदेश सरकार की प्रशासनिक अक्षमताओं एवं नकारापन की वजह से प्रदेश के हजारों फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में प्रतिभाग करने वाले अभ्यर्थियों के साथ सरकार द्वारा  छल करने का काम किया गया है |                 

नेगी ने कहा  कि ऐसा संभव ही नहीं है कि इस मामले में  सरकार  का कोई  गुर्गा शामिल ना हो | उक्त पेपर लीक होने से स्पष्ट हो गया है कि सरकार में ईमानदार लोगों के लिए कोई जगह नहीं है, सिर्फ और सिर्फ माफिया और जालसाजों का राज है |              

नेगी ने कहा कि कई दिनों से प्रदेश के हजारों युवा भर्ती घोटाले /पेपर लीक मामले में आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की |  प्रदेश के बेरोजगारों के लिए सरकार कोई नीति नहीं बना पा रही, वहीं दूसरी ओर खनन/ शराब माफियाओं के लिए रातो-रात मनमाफिक फैसले लिए जा रहे हैं |               

मोर्चा राजभवन से मांग करता है कि भर्ती घोटाले/ पेपर लीक मामले में सरकार पर चाबुक चलाने एवं  परीक्षा दोबारा  कराने के निर्देश सरकार को दें |



 


बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

जीओ के माध्यम से होंगे देवभूमि के धार्मिक स्थलों के दर्शन

जीओ के माध्यम से होंगे देवभूमि के धार्मिक स्थलों के दर्शन



- चारधाम के डिजीटल दर्शन कर सकेंगे श्रद्वालु
- प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों से आरती का होगा लाईव प्रसारण
- जिओ उपलब्ध करवाएगा डिजीटल प्लेटपफार्म
संवाददाता
देहरादून। जल्द ही दुनियाभर के श्रद्वालु जो देवभूमि नहीं आ पाते हैं, यहां के चारधाम सहित अन्य प्रमुख मंदिरों और धार्मिक स्थलों के आनलाईन दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए जिओ एक डिजीटल प्लेटफार्म तैयार करेगा। श्री केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री सहित अन्य धार्मिक स्थलों का दर्शन किया जा सकेगा। यह जानकारी प्रदेश सरकार द्वारा एक विज्ञप्ति के जरिए दी गयी है। 
विज्ञप्ति के मुताबिक उत्तराखण्ड में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्वालु आते हैं। इनके अलावा लाखों लोग ऐसे भी हैं जो कि पूरी श्रद्वा होने पर भी किन्हीं कारणों से नही आ पाते हैं। ऐसे लोग भी चारधाम सहित देवभूमि में स्थित अन्य मंदिरों के दर्शन लाभ कर सकें, इसके लिए प्रदेश सरकार जिओ के सहयोग से आनलाईन व्यवस्था करने जा रही है। जिओ डिजीटल प्लेटफार्म तैयार कर प्रदेश सरकार को उपलब्ध करवाएगा।
गौरतलब है कि इन्वेस्टर्स समिट से पहले अगस्त 2018 में मुम्बई में आयोजित रोड़ शो के दौरान मुकेश अम्बानी ने मुख्यमंत्री से भेंट कर डिजीटल उत्तराखण्ड के लिए नेट कनेक्टीवीटी में सहयोग का प्रस्ताव दिया था। इसी क्रम में जिओ ने पफाईबर कनेक्टीवीटी पर काम किया। लगभग 89 प्रतिशत काम किया जा चुका है।
राज्य सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं के बाद पिछले वर्ष रिकार्ड संख्या में श्रद्वालु चारधाम और हेमकुण्ड साहिब आए थे। आल वेदर रोड़ और ़ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाईन परियोजना बनने के बाद एक करोड़ श्रद्वालुओं के आने का अनुमान है। इतने बड़े स्तर पर व्यवस्थाएं करने के लिए चारधाम देवस्थानम बोर्ड बनाया गया है। चारधाम देवस्थानम बोर्ड के बाद डिजीटल प्लेटफार्म पर चारधाम के दर्शन लाभ की उपलब्धता, उत्तराखंड की आध्यात्मिकता को देश विदेश के श्रद्वालुओं तक पहुंचाने में बहुत बड़ी पहल होगी।


भारतीय वायु सेना और रायल एयर फोर्स के संयुक्त युद्वाभ्यास इन्द्रधनुष के 5वें संस्करण की शुरुआत

भारतीय वायु सेना और रायल एयर फोर्स के संयुक्त युद्वाभ्यास इन्द्रधनुष के 5वें संस्करण की शुरुआत



एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना आईएएफ और रायल एयर फोर्स आरएएफ ने वायु सेना स्टेशन हिंडन पर इंद्रधनुष युद्वाभ्यास के पांचवें संस्करण की संयुक्त रूप से शुरुआत की। युद्व अभ्यास के इस संस्करण में बेस डिफेंस एंड फोर्स प्रोटेक्शन पर जोर दिया गया है। आतंकी तत्वों से सैन्य प्रतिष्ठानों को अभी हाल के खतरों को देखते हुए युद्व अभ्यास का यह विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इन्द्रधनुष युद्वाभ्यास भारतीय वायुसेना और रायल एयर फोर्स को अपने प्रतिष्ठानों को आतंकी खतरों से निपटने के लिए मान्य रणनीतियों और युक्तिों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
आरएएफ के दल में उनकी रेजिमेंट के 36 विशेष लड़ाके शामिल हैं जबकि भारतीय वायु सेना में गरुड़ फोर्स के 42 लड़ाके शामिल हैं। दोनों दल संयुक्त रूप से कार्य करने वाली योजनाओं और परिदृश्यों के आधार पर मिशन पूरा करेंगी। दोनों पक्ष विशेष हथियारों, उपकरणों और वाहनों का भी उपयोग करेंगे। विशेष मिशन में शहरी निर्मित जोन में एयरफील्ड आक्रमण, बेस डिफेंस और आतंकवाद विरोधी अभियान शामिल हैं। इन अभ्यासों में सी-130 जे विमान से पैरा ड्राप्स, एमआई-17 वी 5 हेलीकाप्टरों द्वारा सामरिक इनसर्जन और विभिन्न हवाई सेंसरों का उपयोग शामिल हैं।
भारतीय वायुसेना और रायल एयर फोर्स एक दूसरे के परिचालन अनुभव, प्रशिक्षण दर्शन, समकालीन प्रौद्योगिकियों और सर्वाेत्तम प्रक्रियाओं के अनुसरण से महत्वपूर्ण लाभ अर्जित करेंगी। आपसी समझ और मिलनसारिता बढ़ाने के लिए इस अभ्यास के दौरान कुछ सामाजिक खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। इस अभ्यास का औपचारिक समापन 29 फरवरी को होगा।


ढैंचा बीज घोटाले की एस0एल0पी0 सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, मोर्चा दाखिल करेगा रिव्यू

ढैंचा बीज घोटाले की एस0एल0पी0 सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज, मोर्चा दाखिल करेगा रिव्यू
 - उच्च न्यायालय ने भी राजनैतिक पृष्ठ भूमि के आधार पर खारिज की थी पूर्व में मोर्चा की पी0आई0एल0३१
- कृषि मन्त्री रहते वर्ष 2010 में त्रिवेन्द्र ने दिया था घोटाले को अन्जाम


- त्रिपाठी जाँच आयोग ने पाया था त्रिवेन्द्र को भ्रष्टाचार का दोषी
- मुख्यमन्त्री बनते ही त्रिवेन्द्र ने पलट दिया था एक्शन टेकन रिपोर्ट को अपने पक्ष में
संवाददाता
देहरादून। स्थानीय होटल में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र रावत ने वर्ष 2010 में कृषि मन्त्री रहते हुए ढैंचा बीज घोटाले को अन्जाम दिया था, जिसको लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिसको उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। उक्त फैसले के खिलाफ मोर्चा द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एस0एल0पी0 योजित की गयी, जिसको सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहकर खारिज कर दिया कि मामले में अत्याधिक विलम्ब किया गया है व पूर्व में पारित उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है।

नेगी ने कहा कि उक्त घोटाले की जाँच को लेकर पूर्ववर्ती सरकार ने वर्ष 2013 में एकल सदस्यीय एस0सी0 त्रिपाठी जाॅंच आयोग का गठन किया था। आयोग द्वारा उक्त मामले में त्रिवेन्द्र रावत को तीन बिन्दुओं पर दोषी पाया, जिसमें कृषि अधिकारियों का निलम्बन और फिर इस आदेश को पलटना, सचिव, कृषि द्वारा मामले की जाॅंच विजीलेंस से कराये जाने के प्रस्ताव पर अस्वीकृति दर्शाना तथा बीज डिमांड प्रक्रिया सुनिश्चित किये बिना अनुमोदन करना। इस प्रकार आयोग ने इस मामले में उ0प्र0 कार्य नियमावली 1975 का उल्लंघन पाया तथा रावत के खिलाफ सिफारिश की है कि रावत प्रीवेंसन आफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 13(1) (डी) के अन्तर्गत आते हैं तथा सरकार उक्त तथ्यों का परीक्षण कर कार्यवाही करे।

आयोग की उक्त रिपोर्ट/सिफारिश को सदन के पटल पर रखा गया, जिसमें सदन ने एक्शन टेकर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिये। इस मामले में कोई कार्यवाही होती, इसी दौरान वर्ष 2017 में मुख्यमन्त्री बनते ही त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों पर दबाव डालकर स्वयं को क्लीन चिट दिलवा दी।
मोर्चा द्वारा वर्ष 2018 में उक्त मामले को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गयी थी, जिस पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 18.09.2018 को यह कहकर याचिका खारिज कर दी कि याची राजनैतिक व्यक्ति है तथा पूर्व में गढ़वाल मण्डल विकास निगम का उपाध्यक्ष रहा है।
नेगी ने कहा कि त्रिवेन्द्र के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा शीघ्र ही सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ रिव्यू (समीक्षा याचिका) दाखिल करेगा तथा फिर से उच्च न्यायालय में एक अलग याचिका मोर्चा द्वारा दाखिल कर त्रिवेन्द्र के घोटाले को आमजन तक पहुॅंचायेगा।
पत्रकार वार्ता में विअजयराम शर्मा, दिलबाग सिंह, अनिल कुकरेती, भीम सिंह बिष्ट आदि थे।

मेरा पेड़-मेरा दोस्त के तहत लगाए रुद्राक्ष के पौधे


 




मेरा पेड़-मेरा दोस्त के तहत लगाए रुद्राक्ष के पौधे

संवाददाता

देहरादून। क्लेमेंट टाउन के सैनिक परिसर में मेरा पेड़- मेरा दोस्त अभियान के तहत मित्र रूप में देववृक्ष रुद्राक्ष व फलदारी लीची, जामुन के पौधों का रोपण प्रख्यात पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी के नेतृत्व में तथा ब्रिगेडियर सुभाष पंवार अध्यक्ष कैंट बोर्ड, सीईओ अभिषेक राठौर की गरिमामय उपस्थिति में श्रेष्ठिता सोनी व श्रेष्ठ सोनी ने अपने परिवार संग अपने जन्मदिन पर पौधों का रोपण किया तथा पौधे उपहार में भेंट भी किये। इस अनोखी पहल पर पौधारोपण में कैंट अधिकारियों व कर्मचारियों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभा किया और अपने जन्मदिन, शादी की सालगिरह व पारिवारिक शुभ अवसर पर एक एक पौधा लगाने का संकल्प भी लिया।

        ब्रिगेडियर सुभाष पंवार ने कहा जिस प्रकार से पर्यावरण में बदलाव आ रहा हैं उसे समय से हमे रोकना होगा ताकि एक संतुलित वातावरण बन सके, इसे हम पेड़ पौधों को लगाकर बना सकते है वृक्षमित्र डॉ सोनी की बहुत अच्छी पहल हैं जन्मदिन पर पौधे लगाने की आज उन्होंने अपने बच्चों के जन्मदिन पर हमारे कैम्प परिसर में पौधों का रोपड़ किया हैं यह बहुत की सराहनीय पहल हैं में उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए बधाई देता हूं।

      वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने अपील करते हुए कहा जो प्राकृतिक संसाधन प्रकृति ने हमे निःशुल्क दिए हैं उन्हें संरक्षित करके रखे और इस धारा में जन्मदिन, शादी की सालगिरह व अपने यादगार पलो की याद में तथा अपनो की याद में आनेवाले पीढ़ी के लिए एक एक पौधा दोस्त व मित्र रूप में जरूर रखे तभी हमारा पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा।

    सीईओ अभिषेक राठौर ने कहा जीने के लिए शुद्ध प्राणदायी वायु पेड़ पौधों से मिलता है डॉ सोनी की यह बहुत अच्छी पहल हैं अपने विशेष पलो पर पौधे लगाकर  पेड़ पौधे बचाने की हम सबको उनके साथ देना चाहिए। कार्यक्रम में ओएस विनोद कुमार, संतोष कुमार, ई0 वीके गुप्ता, विमल सिसौदिया, इसिराद अली, दीपक कुमार, राम पांडे, जयदेव, एम एन जुयाल मौजूद रहे।




 


बिना क्लीनर ऐप के स्मार्टफोन का स्टोरेज खाली करने का तरीका

बिना क्लीनर ऐप के स्मार्टफोन का स्टोरेज खाली करने का तरीका



कई क्लीनर ऐप यूजर डेटा की चोरी करने के साथ ही डिवाइस को भी नुकसान पहुंचाते हैं
प0नि0डेस्क
देहरादून। स्मार्टफोन यूजर्स को अक्सर फोन स्टोरेज फुल होने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वे फोन में मौजूद फालतू फोटोज और विडियो को डिलीट कर स्पेस बनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में यह समस्या फिर सामने आ जाती है। कुछ यूजर ऐसे भी हैं जो थर्ड पार्टी स्टोरेज क्लीनर ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन हाल में आई एक रिपोर्ट में इन्हें खतरनाक बताया है। 
रिपोर्ट के अनुसार गूगल प्ले स्टोर पर कई ऐसे क्लीनर ऐप हैं जो यूजर डेटा की चोरी करने के साथ ही डिवाइस को भी नुकसान पहुंचाते हैं। कुछ ऐसी ट्रिक्स है जिनसे बिना क्लीनर ऐप्स की मदद लिए फोन के स्टोरेज को खाली कर सकते हैं।
ज्यादातर ऐंड्रायड ऐप्स यूजर अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कैश डेटा का इस्तेमाल करते हैं। कैश डेटा समय की बचत करता है, लेकिन यह फोन के इंटरनल स्टोरेज में कापफी जगह लेता है। अगर इसे समय-समय पर क्लियर न किया जाए तो यह स्टोरेज कम करने के साथ ही फोन की स्पीड को भी धीमा कर देता है। 
किसी ऐप के सही ढंग से काम करने के लिए कैश डेटा की जरूरत नहीं पड़ती। यह केवल यूजर की सहूलियत के लिए है। ऐसे में बेहतर होगा कि जब भी फोन के स्टोरेज को खाली करने का ख्याल आए तो सबसे पहले कैश डेटा को डिलीट करें। यह तुरंत फोन में स्टोरेज को बढ़ा देगा। हर ऐप यूजर को बेस्ट एक्सपीरियंस देने के लिए कैश बनाता है। स्मार्टफोन की सेटिंग में दिए गए स्टोरेज आप्शन में जाकर ऐप के कैश डेटा को क्लियर कर सकते हैं।
फोन में क्लिक की गई सभी फोटोज का गूगल फोटो आटोमैटिकली बैकअप ले लेता है। इससे यह पक्का हो जाता है कि फोटो हमेशा सेफ रहेंगे और फोन खोने या बदलने की स्थिती में भी उन्हें ऐक्सेस कर सकेंगे। हालांकि कई यूजर यह गलती करते हैं कि वे फोटो के बैकअप होने के बाद भी उसे डिवाइस पर सेव रखते हैं। 
ऐसा करने से फोन के स्टोरेज में कमी आती है। बेहतर होगा कि गूगल पर स्टोर हुए पफोटोज को सिस्टम मेमरी से डिलीट कर दें। किसी कान्टेंट को तुरंत ऐक्सेस नहीं करना है तो गूगल फोटोज में दिए गए प्रफी अप स्पेस आप्शन का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से सारे फोटो फोन से तो डिलीट हो जाएंगे लेकिन क्लाउड पर सेव रहेंगे।
कई ऐसे यूजर हैं जिन्हें फोन में ढेरों ऐप रखने की आदत होती है। इन ऐप्स की संख्या 100 तक भी हो सकती है। इनमें से आधे ऐप ऐसे होते हैं जिनकी जरूरत केवल इंस्टाल किए जाने के वक्त होती है। कुछ ऐप्स ऐसे भी होते हैं जिन्हें महीनों से इस्तेमाल नहीं कर रहे। फोन के स्टोरेज के लिए अच्छा रहेगा कि इन फालतू ऐप्स की पहचान कर उसे डिलीट कर दिया जाए।
सभी स्मार्टफोन एक डाउनलोड फोल्डर के साथ आते हैं। इस फोल्डर को आमतौर पर माई फाइल्स में जाकर देखा जा सकता है। समय बीतने के साथ ही इसमें कई सारी डाउनलोड की हुई फाइलें सेव हो जाती है। इनमें से कुछ ही ऐसी होती होंगी जिनकी जरूरत डाउनलोड किए जाने के कुछ दिन बाद होती होगी। फोन के स्टोरेज का खाली करने के लिए उन फाइल्स को डिलीट कर दें जिसकी जरूरत न हो।
यदि इन तरीकों के बाद भी फोन का स्टोरेज पूरा तरह प्रफी नहीं हो रहा तो डिवाइस के जंक फाइल्स को डिलीट करें। जंक फाइल्स को डिलीट करने के लिए गूगल फाइल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। जंक फाइल्स वे फाइलें होती हैं जो न तो कैश में दिखती हैं और ना हीं डाउनलोड्स में। नजर न आने के बावजूद भी ये स्मार्टफोन के स्टोरेज को कम करने का काम करती हैं। गूगल फाइल्स फोन में मौजूद डूप्लिकेट फाइल्स को डिटेक्ट कर लेता है और यूजर को बताता है कि कौन से ऐप ज्यादा स्टोरेज ले रहे हैं।
स्मार्टफोन का इंटरनल स्टोरेज जरूरत के हिसाब से कम है तो एक एसडी कार्ड का इस्तेमाल करें। आजकल लगभग सभी फोन माइक्रो एसडी कार्ड स्लाट के साथ आते हैं।


 


चींटियों से छुटकारा पाने के आसान तरीके

चींटियों से छुटकारा पाने के आसान तरीके



संवाददाता
देहरादून। घर के किसी कोने में चींटियों को देखकर दिमाग खराब होने लगता है। घर में कहीं कोई मीठी चीज खुली रह गई तो उसपर टूट पड़ती हैं। वे जैसे ही खाने की कोई चीज फर्श पर रह जाती है, न जाने अचानक कहां से प्रकट हो जाती हैं। 
इन चींटियों से निपटा कैसे जाए? उन्हें मारना अच्छा आइडिया नहीं पर कुछ तरीके हैं, जिससे उनसे छुटकारा मिल जाएगा। 
वाइट विनेगर और पानी को समान मात्रा में मिलाएं और उससे जहां भी चींटियां दिखती हों वह जगह पोछें। दिन में तीन-चार बार यह प्रक्रिया दोहराने पर चींटियां लुप्त हो जायेंगी। 
घर के जिस कोने में चींटियां दिख रही हों, वहां बोरैक्स और शक्कर मिलाकर रख दें। चींटियां इस मिश्रण को खाती हैं, उनका डायजेस्टिव सिस्टम खराब होने लगता है। जिसके चलते वे मर जाती हैं। 
जिन जगहों में चींटियों का अड्ढा हो, उसके आसपास खट्टे फलों के छिलके रखें। नींबू और संतरे के छिलके पहले चींटियों के घरौंदे के पास रखेंगे तो उन्हें भगाने में फायदा होगा। 
आटे से चींटियों की एलर्जी है। किचन शेल्फ्रस और चींटियों की बांबी के पास आटा छिड़कें, काम बन जाएगा। घर के दरवाजे और उसके प्रफेम के आसपास नमक छिड़कें। चींटियां नमक की इस बाधा को पार नहीं पा सकेंगी।


शराब का विरोध या विरोध के नाम पर नाटक

उत्तराखंड़ की नियतिः शराब हमेशा यहां की राजनीति के केन्द्र बिन्दु में रहती है!
शराब का विरोध या विरोध के नाम पर नाटक



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। कारण चाहे जो हो, यह हमारे प्रदेश की नियति बन गई है कि शराब हमेशा यहां की राजनीति के केन्द्र बिन्दु में रहती है। फिलहाल भी यही हो रहा है। पहले तो प्रदेश सरकार ने शराब के अंधधुंध दाम बढ़ा दिए। तब कोई विरोध नही हुआ लेकिन उसके परिणाम स्वरूप जब एक के बाद एक शराब व्यवसायी धराशायी होने लगे तो सरकार चेती। उसने भूल सुधर हेतु कदम उठाने शुरू किए तो विपक्ष का विरोध चरम पर होने लगा। 
यह विड़म्बना ही कही जायेगी कि शराब का कारोबार करने वाले विकट हालात में अपना कारोबार करते है। उन्हें इस धंधे में सपफेद काला सब करना पड़ता है। इसके बावजूद बदनामी हाथ आती है। इस व्यवसाय के लोग सबसे ज्यादा चंदा देते है और राजनीतिक दल का यह सहारा बनते है। यही कारण है कि हर सत्ताधारी दल के यह कृपापात्र बन जाते है। लेकिन सत्ता से उतरते ही वहीं राजनीतिक दल इनको शराब माफिया कहने लगते है। 
 यह नाइंसाफी ही कही जायेगी। लीगल वे पर कारोबार करने के बावजूद अंडर टेबल हर महीने लाखों की रिश्वत, मुफ्रत की शराब का वितरण आदि आदि। इसके बाद माफिया होने की बदनामी। यदि वास्तव में यह लोग बुरे है तो फिर शराब पर प्रतिबंध ही क्यों नही लगा दिया जाता? वरना यदि यह लीगल है तो शराब कारोबार करने वालों को शराब माफिया कहने पर भी रोक लगनी चाहिये।
यह सर्वविदित है कि प्रदेश में शराब और खनन का काम करने वालों से राजनीतिक दलों को आसरा मिलता रहता है। क्योंकि इन्हीं धंधों में बड़ा मार्जिन पाया जाता था। लेकिन मुर्गी के अंड़े एक ही दिन में निकालने के चक्कर में सरकारों ने इनका अत्याधिक दोहन किया। इससे हुआ यह कि शराब का काम करने वाले जमीन पर आ गये। प्रदेश में शराब की दुकानों का कोई खरीददार नही मिल रहा। आगे भी इस कारोबार की डगर मुश्किल दिखायी देती है।  
ऐसे में जाहिर है कि सरकार का शराब के जरिए राजस्व वसूली की योजना को पलीता लगना ही लगना है। वहीं यह भी सच है कि इसके लिए सरकारों ने शराब का सेवन करने वालों की खाल उधेड़ कर रख दी है। ऐसे में सीधी सी बात है कि आप या तो इस कारोबार को बंद कर दो या फिर वाजिब टैक्स लगाओ। लेकिन सरकारों का आचरण इसके विपरीत ही रहा है। यह आचरण दरअसल अवैध शराब बेचने वालों के लिए जाने अंजाने ही सही संरक्षण का काम करता है। वैसे भी उत्तराखंड़ में हमेशा सरकारी और वैध स्तर पर बिकने वाली शराब का ही विरोध होता है। कभी यह नही सुना गया कि अवैध शराब बेचने वाले का विरोध हो रहा है।
प्रदेश के शराब का व्यवसाय करने वाले सबसे ज्यादा जोखिम लेते है और सबसे ज्यादा राजस्व सरकार को कमाकर देते है लेकिन इन्हें कभी इज्जत की नजरों से नही देखा जाता। यदि शराब पीना गुनाह नही, शराब पिलाना गुनाह नही है तो शराब का व्यवसाय करना माफियागिरी कैसे हो गया? जनता को आधी अध्ूारी तस्वीर दिखाकर भड़काने की बजाय विपक्ष को भी विवेक से काम लेना चाहिये।


मंगलवार, 25 फ़रवरी 2020

जिम कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर में उत्तराखण्ड एडवेंचर टूरिज्म सम्मिट का आयोजन 

जिम कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर में उत्तराखण्ड एडवेंचर टूरिज्म सम्मिट का आयोजन 



संवाददाता
देहरादून। राज्य में पर्यटन विभाग द्वारा 20 से 22 मार्च के मध्य जिम कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर में उत्तराखण्ड एडवेंचर टूरिज्म सम्मिट का आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन को सफल बनाने के उद्देश्य से सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर द्वारा गढ़ी कैन्ट स्थित पर्यटन मुख्यालय में फेडरेशन ऑफ इण्डियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (फिक्की) और एडवेंचर टुअर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इण्डिया (ए0टी0ओ0ए0आई0) के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की गयी, जिसमें सम्बन्धितों तथा पर्यटन विभाग के अधिकारियों को सभी व्यवस्थायें समय से पूर्ण किये जाने के निर्देश दिये गये।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार इस आयोजन में साहसिक पर्यटन के स्थानीय स्टेकहोल्डर्स को आमंत्रित किया जायेगा। ऋशिकेश, भीमताल, रामनगर, उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ आदि साहसिक पर्यटन गंतव्यों के स्टेकहोल्डर्स तथा राज्य के टुअर ऑपरेटर्स इससे विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। राज्य सरकार का उद्देश्य साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में अवस्थापना विकास करते हुये स्थानीय उत्साही युवाओं को आर्थिक रूप से मजबूती प्रदान करना है। 
 बैठक के बाद सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य एडवेंचर के उपकरणों यथा माउन्टेन एक्सीसिरीज, साईकलिंग एक्सीसिरीज, राफ्टिंग एक्सीसिरीज, आदि के लिए एक आदर्श बाजार बनने की योग्यता रखता है। इसी क्रम में देश-विदेश के इच्छुक निवेशकों, उद्यमियों तथा पर्यटन व्यवसाईयों को स्कीईंग, पैराग्लाईडिंग, राफ्टिंग आदि जैसी साहसिक गतिविधियों की अपार सम्भावनाओं को साकार करने हेतु आमंत्रित किया जा रहा है। उन्होनें बताया कि इस तीन दिवसीय आयोजन में राज्य में साहसिक पर्यटन से सम्बन्धित निवेश योग्य प्रोजेक्ट्स के विषय में उद्यमियों को जानकारी दी जायेगी। कान्फ्रेंस सेशन में इस क्षेत्र के गणमान्य वक्ताओं द्वारा निवेशकों को इस क्षेत्र की संभावनाओं के विषय में बताया जायेगा।
समिट के विषय में अधिक जानकारी के लिये मोबाईल नं0- 8826275246, 9911132393 पर सम्पर्क किया जा सकता है एवं समिट में प्रतिभाग करने के लिये वेबसाइट ूूूण्नांजेण्पद पर रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है।


 


गोपाल अध्यक्ष शंकर महामंत्री चुने गए

गोपाल अध्यक्ष शंकर महामंत्री चुने गए



श्रमजीवी पत्रकार यूनियन देहरादून के चुनाव सम्पन्न
संवाददाता
देहरादून। श्रमजीवी पत्रकार यूनियन देहरादून की महत्वपूर्ण बैठक उज्जवल रेस्टोरेंट में आयोजित की गई। बैठक के उपरांत हुए चुनाव में सर्वसम्मति से गोपाल सिंघल को जिलाध्यक्ष और शंकर कुशवाहा को पुनः जिला महामंत्री चुना गया।
 बैठक में समाचार पत्रों को सूचीबद्ध करने के लिए अपनाए जाने वाले नियमों के संबंध में जानकारी हासिल की और अपने दस्तावेजो की जांच कर उनको जिला सूचना कार्यालय में दुरुस्त करने को कहा गया। वही प्रेस मान्यता के संबंध में भी चर्चा की गई। 
 मुख्यमंत्री द्वारा डोईवाला में श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के लिए आवंटित की गई भूमि के संबंध में चर्चा हुई। इस संबंध में जिला इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल डोईवाला जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लेकर अवगत कराएगा साथ ही जिला प्रशासन से भी चर्चा करेंगे, साथ ही डोईवाला में भी नई कार्यकारिणी का गठन का भी निर्णय लिया गया। यह भी तय किया गया यूनियन केवल अपने सदस्यों के मामलो को ही आगे उठाए।
 बैठक के अंतिम सत्र में जिला कार्यकारिणी के कार्यकाल का 1 वर्ष पूर्ण होने के तदुपरांत नए चुनाव कराए गये। सर्वसम्मति से गोपाल सिंघल को यूनियन जिला देहरादून का जिला अध्यक्ष बनाया गया। शंकर कुशवाहा को पुनः महामंत्री का दायित्व दिया गया। 
 इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष आनंद सिंह, चौहान नरेंद्र रस्तोगी, राजेश जुयाल, नवीन बरमोल, विक्रम श्रीवास्तव, अनिल मित्तल, भूपेंद्र नेगी, राजेश शर्मा, बॉबी शर्मा, दिनेश शर्मा, कृष्ण कुमार, मोहित कुमार समेत कई पत्रकार मौजूद रहे।


 


टिड्डी आक्रमण व उसके नियंत्रण की तैयारियों के आकलन हेतु उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन

टिड्डी आक्रमण व उसके नियंत्रण की तैयारियों के आकलन हेतु उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन



एजेंसी
नई दिल्ली। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री भारत सरकार के निर्देशानुसार सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण, भारत सरकार की अध्यक्षता मंे  एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें राजस्थान, गुजरात, पंजाब व हरियाणा राज्यो से उच्च स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक मंे राजस्थान से प्रमुख सचिव कृषि, कृषि आयुक्त व संयुक्त निदेशक (पादप संरक्षण), गुजरात से अतिरिक्त मुख्य सचिव, पंजाब से संयुक्त निदेशक(टिड्डी नियंत्रण) व हरियाणा से संयुक्त निदेशक (पादप संरक्षण) ने भाग लिया। भारत सरकार के विशेष सचिव, कृषि आयुक्त, संयुक्त सचिव (पीपी), निदेशक(पीपी), संयुक्त निदेशक, कीट विज्ञान, अतिरिक्त सचिव,राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, निदेशक विदेश मंत्रालय, अनिदेशक, गृह मंत्रालय, मुख्य प्रबंध निदेशक, एचआईएल लिमिटेड ने भाग लिया।
संयुक्त सचिव (पीपी) ने देश मे किए गए टिड्डी नियंत्रण के बारे मे पावर पॉइंट के द्वारा माह मई 2019 से अब तक किए गए टिड्डी नियंत्रण के बारे मंे व नियंत्रण के दौरान अनुभव की गई कठिनाइयों व सफलताओं पर विस्तार से चर्चा की गई। फसलों मे टिड्डी से हुए नुकसान के बारे मे चर्चा की गई व एनडीआरएफ़, एसडीआरएफ़ के मानको के अनुसार सहायता की स्थिति के बारे मे बताया।
कृषि सचिव ने टिड्डी नियंत्रण हेतु आगामी तैयारियो के लिए राजस्थान, गुजरात, पंजाब व हरियाणा के टिड्डी प्रभावित जिलों मे टिड्डियों के बारे में जागरूकता अभियान कार्यक्रम एक निश्चित  समय मे आयोजित करने हेतु कहा जिसमे राज्य कृषि विभाग के अधिकारी, व ग्राम स्तर पर राजस्व विभाग के पटवारी, ग्राम विकास अधिकारियों, कृषकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। सीमा सुरक्षा बल के कार्मिको को भी टिड्डी के बारे मे प्रशिक्षित किया जाएगा।
सचिव ने इस वर्ष के नियंत्रण व उपलब्ध संसाधनो को ध्यान मे रखते हुए आगामी मौसम मे भारत सरकार के टिड्डी नियंत्रण संगठन, राज्य सरकार, स्थानीय कृषकों, बीएसएफ़ व अन्य संगठनो के द्वारा संयुक्त प्रयास द्वारा टिड्डी नियंत्रण करने हेतु कहा व राज्य सरकारों को टिड्डी नियंत्रण के लिए आवश्कतानुसार संसाधन हेतु सहायता देने व बैठक के अंत में सचिव ने अब तक किए गए प्रयासों पर संतुष्टि व्यक्त की, कठिन परिश्रम की प्रशंसा की और भविष्य मे बेहतर प्रयास की अपेक्षा की  और सभी को धन्यवाद कहा।   


सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

बिना ब्लू टिक के जानें आपका मेसेज पढ़ा गया या नहीं

बिना ब्लू टिक के जानें आपका मेसेज पढ़ा गया या नहीं



प0नि0डेस्क
देहरादून। वाट्सऐप दुनिया का सबसे लोकप्रिय इंस्टैंट मेसेजिंग ऐप है। इस मेसेजिंग ऐप आपका मेसेज पढ़ा गया है या नहीं ये जानने का सबसे आसान तरीका ब्लू टिक है। जिससे आपको मेसेज का जवाब मिले या नहीं पर आपको यह पता चल जाता है कि आपका मेसेज पढ़ लिया गया है। 
हालांकि वाट्सऐप ब्लू टिक को आपफ करने का भी आप्शन देता है। ऐसे में अगर किसी ने अपनी ब्लू टिक सेटिंग्स आफ कर रखी हैं तो मेसेज पढ़ा गया या नहीं यह सेंडर को पता नहीं चलता है। एक ट्रिक हैं जिससे आप रिसीवर की ब्लू टिक सेटिंग्स आफ होने पर भी यह पता लगा सकेंगे कि आपका मेसेज पढ़ा गया है या नहीं। 
इसके लिए सबसे पहले दूसरे व्यक्ति को वाइस मेसेज भेजें। अगर रिसीवर ने आपका वाइस मेसेज सुना है तो वाइस मेसेज पर ब्लू टिक होगा। यह ब्लू टिक तब भी दिखेगा अगर रिसीवर ने ब्लू टिक सेटिंग्स आफ कर रखी होंगी। इस तरह आप ब्लू टिक सेटिंग्स आपफ होने पर भी आपको पता चल जाएगा कि रिसीवर ने आपके मेसेज रीड किए हैं या नहीं। वाट्सऐप पर यह एक तरह की डिजाइन एरर है जो 2018 में सामने आई थी।


 


आलू को सही तरीके से करें स्टोर

आलू को सही तरीके से करें स्टोर



लम्बें समय तक नहीं होंगे खराब
प0नि0डेस्क
देहरादून। आलू से सिर्फ एक सब्जी नहीं बनती बल्कि इसे आप कई तरह की डिश तैयार कर सकते हैं। इतना ही नहीं आलू की मदद से कई तरह के स्नैक्स आदि भी बनाए जाते हैं, जो खाने में बेहद टेस्टी भी लगते हैं। वैसे आलू सिर्फ स्वाद ही नहीं सेहत भी प्रदान करता है। 
आलू में कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, विटामिन बी6, विटामिन सी, फास्पफोरस, मैगनीज, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कापर, फाइबर, थायमिन आदि कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो सेहत को विभिन्न मायनों में लाभ पहुंचाता है। लेकिन इसका लाभ सिर्फ तभी मिलता है, जब इसे सही तरह से स्टोर किया जाए। अगर आलूओं को सही तरह से स्टोर नहीं किया जाए तो ये अंकुरित होने लगते हैं।
जब इन्हें सही तरह से स्टोर नहीं किया जाता है तो यह हरे हो जाते हैं। आलू के हरे हो जाने के बाद उसमें सोलेनाइन नामक विषैला पदार्थ होता है, जो सेहत को नुकसान पहुंचाता है। आपको शायद पता ना हो, लेकिन आलू को स्टोर करने का भी एक तरीका होता है, जिसके बारे में ज्यादात्तर महिलाओं को जानकारी ही नहीं होती। जानते हैं आलूओं को स्टोर करने का सही तरीका।
आलूओं को आप जहां पर भी रखें, इस बात का जरुर ध्यान रखें कि वहां पर हवा का आवागमन हो। इसलिए आप आलू को हवादार कंटेनर में स्थानांतरित करें। वहीं अगर आप उन्हें प्लास्टिक बैग में रख रही हैं तो आप उसे बांध के न रखें। बल्कि हवा के आने-जाने के लिए थोड़ा स्थान जरूर छोड़ दें।
आमतौर पर महिलाएं आलूओं को बास्केट में रखकर काउंटरटाप पर रख देती हैं। लेकिन खुले में आलू को स्टोर नहीं करना चाहिए। बेहतर होगा कि आप उन्हें एक दराज में, एक टोकरी में, एक कोठरी में, एक पेपर बैग में याबैम्बू वेजिटेबल स्टीमर में रखें। बस ध्यान रखें कि आप उन्हें बस ऐसी जगह पर रखें, जहां पर अंधेरा हो।
यह एक ऐसी गलती है, जो अधिकतर महिलाएं कर बैठती हैं। आजकल मार्केट में ऐसी टोकरियां होती हैं, जिनमें आलू व प्याज को एक साथ रखा जाता है। हालांकि ऐसा करना सही नहीं माना जाता। दरअसल अगर आलूओं और प्याज को एक साथ रखने से आलू तेजी से अंकुरित हो सकते हैं और प्याज की तरह स्वाद हो सकता है। इसके अलावा इन्हें केले और दूसरे पफलों के साथ भी नहीं रखना चाहिए।
भले ही आपके पास रसोई में आलू को स्टोर करने के लिए कोई कूल स्थान ना हो, लेकिन फिर भी आपको इन्हें कमरे में सबसे गर्म स्थानों में रखने से बचना चाहिए। इसलिए आप आलू को ओवन के बगल में या सिंक के नीचे न रखें।


रविवार, 23 फ़रवरी 2020

निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा साफ-सफाई व वृक्षारोपण

निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा साफ-सफाई व वृक्षारोपण



फाउंडेशन की सभी सामाजिक गतिविधियों को नियमित रूप से मानव में ईश्वर अंश को जानकर किया जाता है।
संवाददाता
देहरादून। स्वच्छ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन ने सरकारी अस्पतालों में मेगा सफाई अभियान का सम्पूर्ण भारत में आयोजन का निर्णय लिया। इसी कड़ी में दून अस्पताल में फाउंडेशन द्वारा स्वच्छता अभियान के तहत साफ-सफाई व वृक्षारापेण किया गया। जिसमें मिशन के स्वयंसेवकों, सेवादल और संत निरंकारी मिशन के 650 सक्रिय सदस्यों ने भाग लिया। वहीं दून अस्पताल प्रशासन द्वारा मिशन को एक पार्क की देखभाल एवं साफ-सफाई का जिम्मा सुपुर्द किया गया। बता दें कि सतगुरु सुदीक्षा जी महाराज के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से फाउंडेशन की सभी सामाजिक गतिविधियों को नियमित रूप से मानव में ईश्वर अंश को जानकर किया जाता है।
ज्ञातव्य हो कि दून अस्पताल के सीएमएस के0के0 टम्टा एवं सुशील ओझा की अध्यक्षता में मिशन के सक्रिय स्वयंसेवकों, सेवादल और संत निरंकारी मिशन के सक्रिय सदस्यों की मदद से अस्पताल के भवन, शौचालयों, जल निकासी के साथ-साथ जल क्षेत्रों और पार्कों की स्वच्छता की गई। वहीं इस अभियान के तहत सम्पूर्ण भारत के 400 शहरों के 1266 सरकारी अस्पतालों में मिशन के लगभग 3.5 लाख स्वयंसेवकों, सेवादल और संत निरंकारी मिशन के सक्रिय सदस्यों द्वारा स्वच्छता की गई।
गौरतलब हो कि निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में फाउंडेशन द्वारा 2003 से समय-समय पर स्वच्छता और वृक्षारोपण अभियान चलाये जा रहे है। वर्ष 2010 से विभिन्न सामाजिक गतिविधियां जैसे कि ऐतिहासिक स्मारकों, समुद्री तटों और नदियों के किनारे, अस्पतालों, सार्वजनिक स्थानों और विशेष रूप से प्रमुख रेलवे स्टेशनों को साफ-सुथरा बनाने के लिए पिछले 6-7 वर्षों से लगतार स्वच्छता अभियान चलाये जा रहे हैं वहीं इन प्रयासों को जन-साधारण और सरकार द्वारा सराहा गया है। अपने आदर्शों को व्यावहारिकता के धरातल पर मूर्त रूप देते हुए जैसा कि ‘जीवन की सार्थकता तभी है, अगर यह दूसरों के लिए जिया जाए’। 
संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन निरंकारी बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के मानव कल्याण के दृष्टिकोण से निर्देशित है, जिसका मानव के प्रति भाव है कि ‘प्रदूषण भीतर हो या बाहर, दोनों हानिकारक हैं’।


 


इंडियन नेवल सिम्फोनिक ऑर्केस्ट्रा-2020 की शानदार प्रस्तुति

इंडियन नेवल सिम्फोनिक ऑर्केस्ट्रा-2020 की शानदार प्रस्तुति



एजेंसी
नई दिल्ली। इंडियन नेवल बैंड ने लोधी रोड स्थित जवाहरलाल नेहरू इंडोर स्टेडियम में आयोजित इंडियन नेवल सिम्फोनिक ऑर्केस्ट्रा के दौरान समां बांधकर संगीत प्रेमियों के दिलो-दिमाग पर छा गया। इस विश्व प्रसिद्ध बैंड ने हाल में स्कॉटलैंड में रॉयल एडिनबर्ग मिलिट्री टैटू, मास्को में स्पैस्काया टावर इंटरनेशनल मिलिट्री म्यूजिक फेस्टिवल और रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में रसियन फेडरेशन नेवी डे परेड जैसे जानेमाने सैन्य बैंड महोत्घ्सवों में भाग लिया और सैन्य संगीत, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय संगीत और अन्य समकालीन लोकप्रिय संगीत एवं लोक संगीत की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ श्रोताओं को आकर्षित और मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस मधुर संगीत संध्या के दौरान बैंड ने दर्शकों के दिलों करीब पहुंचने में सफल रहा और स्विंग, वाल्ट्ज, मूवी थीम, डिस्को, फंक, लोकप्रिय एवं देशभक्ति संगीत जैसे विभिन्न मोर्चें पर अपनी प्रतिभा एवं पेशेवर अंदाज को प्रस्तुत किया। नौसेना के इस बैंड ने 29 जनवरी को विजय चौक पर आयोजित बीटिंग रिट्रीट समारोह में भी भाग लिया था जहां उसने उम्दा प्रस्तुति दी थी। इस बैंड ने संगीत निदेशक (नौसेना) कमांडर वीसी डी क्रूज के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया। वीसी डी क्रूज गोवा के पिलर म्यूजिक स्कूल और लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक के पूर्व छात्र हैं।
इस संगीत संध्या का आयोजन नौसेना दिवस की गतिविधियों के तहत किया गया और इसकी मेजबानी नौसेनाध्घ्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह ने की। इस अवसर पर दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।


जन संघर्ष मोर्चा को मिली बड़ी सफलता

जन संघर्ष मोर्चा को मिली बड़ी सफलता



शासन के निर्देश पर भर्ती प्रक्रिया निरस्तः नेगी
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि मोर्चा के प्रयास से  शासन के निर्देश पर मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने कार्रवाई करते हुए दिनांक 17 फरवरी को भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने तथा पुनः विज्ञापन उत्तराखंड परिशिष्ट में विज्ञापित कराने व साक्षात्कार में पारदर्शिता बरतने के निर्देश प्रबंधक श्री गुरु राम राय इंटर कॉलेज सहसपुर को दिए।
नेगी ने कहा कि मोर्चा द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून एवं  विद्यालय प्रबंधन गुरु राम राय इंटर कॉलेज सहसपुर द्वारा भर्ती प्रक्रिया में विज्ञप्ति प्रकाशन मामले में अनियमितता कर हजारों युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ के मामले में मुख्य सचिव/सचिव को शिकायती पत्र सौंपा था। मुख्य सचिव ने सचिव, विद्यालयी शिक्षा को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए थे। शासन के निर्देश पर मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून ने निरस्तीकरण की कार्रवाई की।
नेगी ने कहा कि मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून द्वारा दिनांक 14/11/19 को तीन रिक्त पदों (एक प्रवक्ता, 2 सहायक अध्यापक) पर भर्ती प्रक्रिया/विज्ञापन जारी करने के आदेश प्रबंधक गुरु राम राय इंटर कॉलेज सहसपुर को दिए। मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून व विद्यालय प्रबंधन ने मिलकर अपने खास चेहतों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से उक्त विज्ञापन बहुत ही साजिशन दो प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के गढ़वाल परिशिष्ट में प्रकाशित कराए, जिससे कुमाऊं मंडल, हरिद्वार व जनपद देहरादून के अभ्यर्थियों को इसकी भनक न लगे। जिस जनपद में  विद्यालय स्थित है, उस जनपद के बेरोजगारों को रिक्तियों के बारे में जानकारी ही नहीं। विद्यालय प्रबंधन द्वारा दिनांक 22/11/19 के माध्यम से मुख्य शिक्षा अधिकारी देहरादून को पत्र प्रेषित कर विज्ञापन  दो प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशन का उल्लेख किया। उक्त षड्यंत्र में शामिल मुख्य शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई करने के बजाय 07 फरवरी को साक्षात्कार की कार्रवाई संपन्न करा दी।                  
नेगी ने कहा कि प्रदेश के हजारों बेरोजगारों से शिक्षा विभाग द्वारा खिलवाड़ किया गया है, क्योंकि जानकारी के अभाव में लोग आवेदन करने से वंचित रह गये थे। नेगी ने कहा कि मोर्चा बेरोजगार युवाओं से कतई खिलवाड़ नहीं होने देगा। मोर्चा की यह बहुत बड़ी जीत है।              


पत्रकार वार्ता में विजय राम शर्मा, दिलबाग सिंह, भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज, मो0 आरिफ आदि मौजूद रहे। 


शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

मीडिया जिम्मेदारी से अपने दायित्व का निर्वहन करेः राजेन्द्र जोशी 

जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखण्ड की जिला इकाई का द्विवार्षिक अधिवेशन
मीडिया जिम्मेदारी से अपने दायित्व का निर्वहन करेः राजेन्द्र जोशी 



संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड विज्ञापन अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र जोशी ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है इसलिए इसकी जिमेदारी बहुत बड़ी है। उन्होंने कहा कि  पत्रकारिता एक दर्पण की तरह साफ होनी चाहिए। यह प्रयास किया जाना चाहिए कि इससे समाज को नई दिशा मिले ताकि समाज मे व्याप्त बुराईयों को जड़ से उखाड़ फेंका जा सके। मीडिया को अत्यन्त संवेदनशीलता से कार्य करना चाहिए। उक्त विचार उन्होंने परेड ग्राउंड स्थित उज्जवल रेस्टोरेंट में आयोजित जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखंड जनपद इकाई के द्विवार्षिक अधिवेशन में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि समाचारो की विश्वसनीयता खत्म होती जा रही है, पत्रकार को सजगता के साथ वही समाचार परोसने चाहिए जो तथ्यात्मक हो। भ्रामक समाचार फैलाकर सनसनी फैलाना पत्रकारिता के मापदंडो के खिलाफ है।
विशिष्ट अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार अशोक प्रसाद मिश्रा ने कहा कि पत्रकार विशिष्ट व्यक्ति नहीं है बल्कि वो भी सामान्य नागरिक है। व्यवस्था में उन्हें भी खास शक्तियां मिली हैं जिसका सकारात्मक प्रयोग किया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए पर्यावरणविद एवं समाजसेवी जगदीश बाबला ने कहा कि यूनियन से वे लंबे समय से संपर्क में है और इसके कार्य पत्रकारों के सरोकारों के लिए होते है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को ऐसे ही सशक्त झंडे के नीचे आकर अपने अधिकारों के लिए काम करना चाहिए।
आई0जे0यू0 के नेशनल काउन्सलर गिरीश पंत ने कहा कि जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखंड सदैव पत्रकारों के हितो के लिए संघर्षरत है। उन्होंने कहा कि जर्नलिस्ट यूनियन इस प्रदेश की एक ऐसी बड़ी यूनियन है जो अपने सभी सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा के तहत प्रत्येक सदस्य का डेढ-डेढ लाख रुपये का जीवन बीमा हर वर्ष कराती है। उन्होंने सरकार द्वारा छोटे एवं मझोले समाचार पत्रों के साथ किये जा रहे भेदभाव पूर्ण नीति की आलोचना करते हुये पत्रकारों से एकजुट होने का आह्वान किया। 
इस अवसर पर यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अरुण प्रताप सिंह ने मीडिया में आ रहे बदलाव को चिंताजनक बताया। उन्होंने कहा कि बड़े मीडिया हाउस ने आम जनता के सवाल हाशिये पर डाल दिये हैं उससे आम आदमी के सोचने समझने की क्षमता पर ग्रहण लगा दिया गया है। यूनियन के प्रदेश महामंत्री उमा शंकर प्रवीण मेहता ने कहा है कि बाजारवाद ने मीडिया को बाजारनुमा बना दिया है। अगर पत्रकार न चेता तो पत्रकारिता खतरे में पड़ जाएगी। 
यूनियन की जिला इकाई के महामंत्री चेतन सिंह खड़का ने यूनियन के कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यूनियन लगातार पत्रकारों की समस्याओं को हल करने को प्रयासरत है। अधिवेशन में वेलमेड अस्पताल के सीईओ डा0 अजहर जावेद ने घोषणा की कि वेलमेड अस्पताल पत्रकारों के लिए डिस्काउंट कार्ड बनाएगी ताकि उसका फायदा पत्रकारों और उसके परिजनों को मिल सके।


चेतन सिंह खड़का अध्यक्ष व अवनीश गुप्ता महामंत्री निर्वाचित 



संवाददाता
देहरादून।धिवेशन के दूसरे सत्र में जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ उत्तराखंड के जिला इकाई की नई कार्यकारिणी के चुनाव हेतु अधिकारी उमा शंकर प्रवीन मेहता एवं उप चुनाव अधिकारी संजीव पंत को बनाया गया। जिनकी देखरेख में चुनाव सम्पन्न हुआ। चुनाव में सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद पर चेतन सिंह खड़का एवं महामंत्री पद पर अवनीश गुप्ता व कोषाध्य्क्ष पद पर धनराज गर्ग को निर्वाचित किया गया। जिला कार्यकारिणी के अन्य पदों पर मनोनीत करने का अधिकार नवनियुक्त अध्यक्ष व  महामंत्री को  सौंपा गया। 
अधिवेशन में द्विजेंद्र बहुगुणा, ललिता बलूनी, ज्योति भट्ट ध्यानी, जाहिद अली, चैतराम भट्ट, सूर्य प्रकाश शर्मा, मूलचंद शीर्षवाल, राकेश बर्थवाल, एसपी उनियाल समीना, संजय पाठक, दीपक गुप्ता, विजय कुमार शर्मा, संजय अग्रवाल, महेंद्र सिंह चौहान, नवीन बर्थवाल, अभिनव नायक, मुकेश रावत, मुकेश सिंघल, सतीश कुमार, विनोद पुण्डीर, अधीर मुखर्जी, जगमोहन सिंह रावत, अमनदीप कौर, अतुल भर्तरिया, सुरेंद्र आर्य, कंवर सिंह सिद्धू, संदीप रावत, अमित नेगी, पीएस नेगी, गिरीश तिवारी, अजय गुलाटी, शार्दुल राणा, वीरेश कुमार, दीपक फर्स्वाण, राकेश बड़थ्वाल, त्रिलोक पुण्डीर, राकेश डोभाल समेत काफी संख्या में पत्रकार एवं वेलमेड अस्पताल के दुर्गेश सिंह, अजय नेगी, सौरभ आदि मौजूद थे।


आधार कार्डधारक 10 मिनट में पा सकते हैं पेन कार्ड

आधार कार्डधारक 10 मिनट में पा सकते हैं पेन कार्ड



ऑनलाइन इंस्टेंट पेन कार्ड पाने की प्रक्रिया पूरी तरह फ्री आसान और पेपरलेस है। इसमें किसी भी तरह का दस्तावेज अपलोड करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एजेंसी
नई दिल्ली। नया पेन कार्ड लेने के लिए अब दो पेज का एप्लीकेशन फॉर्म भरने की जरूरत नहीं है और ना ही इसके लिए कुछ दिनों तक इंतजार करने की जरूरत है। आयकर विभाग ने करदाताओं के लिए एक नई सुविधा शुरू की है। इसमें अगर आपके पास आधार कार्ड है, तो बिना किसी देरी के ऑनलाइन पेन कार्ड मुहैया करा दिया जाएगा। साथ ही इसके लिए कोई शुल्क भी नहीं लिया जाएगा।
इंस्टेंट ई-पेन कार्ड एप्लीकेशन फॉर्म में सिर्फ अपना आधार कार्ड नंबर दर्ज करने की आवश्यकता होगी। इसके बाद ई-केवाईसी प्रोसेस के लिए आपके लिंक्ड मोबाइल फोन नंबर एक ओटीपी भेजा जाएगा। इसके बाद 10 मिनट में पीडीएफ फोरमेट में परमानेंट अकाउंट नंबर यानी पैन जारी हो जाएगा। एक ई-पेन कार्ड भौतिक प्रति की अपेक्षा ज्यादा बेहतर होता है, लेकिन आप चाहें तो केवल 50 रुपये में रीप्रिंट का ऑर्डर देकर एक लेमिनेटेड पेन कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।
ऑनलाइन इंस्टेंट पेन कार्ड के लिए इस तरह  करें आवेदन
- सबसे पहले आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर जाएं और बाईं तरफ स्थित क्विक लिंक सेक्शन के इंस्टेंट पेन थ्रू आधार पर क्लिक करें।
- अब नए पेज पर गेट न्यू पैन पर क्लिक करें।
- नए पेन कार्ड के अलॉटमेंट के लिए अपना आधार नंबर दर्ज करें। इसके बाद कैप्चा कोड डालें। अब आपके लिंक्ड मोबाइल फोन नंबर पर एक ओटीपी जनरेट होगा।
- ओटीपी को दर्ज करें और आधार की जानकारी को वेलीडेट करें।
- आपके पास पेन कार्ड एप्लीकेशन के लिए आपकी ई-मेल आईडी को वेलीडेट करने का भी विकल्प होगा।
- अब आपके आधार नंबर का ई-केवाईसी डेटा यूआईडीएआई के साथ एक्सचेंज्ड होगा, जिसके बाद आपको इंस्टटेंट ई-पेन जारी हो जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में 10 मिनट से अधिक का समय नहीं लगेगा। 
- अब आप चैक स्टे्टस/डाउनलोड पैन पर आधार नंबर सबमिट करके पीडीएफ फोरमेट में अपना पेन डाउनलोड कर सकते हैं। अगर आधार डेटाबेस के साथ आपकी ई-मेल आईडी रजिस्टर्ड है, तो आपके ई-मेल पर भी पीडीएफ फोरमेट में आपको पेन भेज दिया जाएगा।
ऑनलाइन इंस्टेंट पेन कार्ड पाने की यह प्रक्रिया पूरी तरह फ्री, आसान और पेपरलेस है। आपको इसमें पोर्टल पर किसी भी तरह का दस्तावेज अपलोड करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।


दिल्ली कैंट में थल सेना भवन की आधारशिला

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली कैंट में थल सेना भवन की आधारशिला रखी



एजेंसी
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली कैंट में नए सेना मुख्यालय थल सेना भवन की आधारशिला रखी। इस अवसर पर सैनिकों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इस भवन के निर्माण से सेना के सभी विभाग एक छत के नीचे आ जाएंगे और ये रक्षा संबंधी मुद्दों से प्रभावी ढंग से निपटने के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा में सामूहिक योगदान में मदद करेंगे। 
उन्होंने कहा कि यह नया भवन बहुमूल्य संसाधनों को बचाने और प्रशासनिक दक्षता में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। रक्षामंत्री ने नए भवन की आधारशिला को प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि यह भवन हमारे सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में देशवासियों को स्मरण कराएगा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सशस्त्र बलों के कर्मियों ने राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान दिया है। उनके बलिदान के कारण ही भारत एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा है। यह नया भवन लोगों को नई लगन और उत्साह के साथ नए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करेगा।
सशस्त्र बलों में बेहतर सहयोग और एकीकरण के महत्व पर जोर देते हुए चीफ आफ डिफेन्स स्टाफ की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग का निर्माण एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे देश की सैन्य क्षमता को बढ़ाने और रक्षा-संबंधी मुद्दों से निपटने में बेहतर तालमेल लाने में मदद मिलेगी।
यह नया भवन 39 एकड़ क्षेत्र में बनाया जा रहा है इसमें कार्यालय परिसर और पार्किंग के लिए 7.5 लाख वर्ग मीटर क्षेत्र का निर्माण किया जाएगा। इस भवन का पांच साल में निर्माण होने की उम्मीद है। इस नए भवन में 1700 सैन्य और सिविलियन तथा 1300 उप-कर्मचारी काम करेंगे। फिलहाल सेना मुख्यालय साउथ ब्लाक, सेना भवन, हट्समेंट एरिया, आरके पुरम, शंकर विहार और अन्य स्थानों परपफैला हुआ है।


भर्तियों/निविदाओं के विज्ञापन प्रदेशीय परिशिष्ट में हो प्रकाशितः मोर्चा                  

भर्तियों/निविदाओं के विज्ञापन प्रदेशीय परिशिष्ट में हो प्रकाशितः मोर्चा        


         
- अधिकारी सांठगांठ कर विज्ञापन प्रकाशित कराते हैं भिन्न-भिन्न मंडलों/जनपदों के परिशिष्ट में 
- भर्तियों/ठेकों की निविदाओं में सांठगांठ कर खेला जाता है खेल 
- जानकारी के अभाव में लोग रह जाते हैं वंचित 
- मोर्चा शीघ्र ही साजिश की समाप्ति को शासन में देगा दस्तक
संवाददाता
विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रदेश में विज्ञापित होने वाली सरकारी नौकरियों भर्तियों/सरकारी ठेकों में संबंधित विभाग के अधिकारी/ साजिशकर्ता बड़ी चालाकी से समाचार पत्रों से सांठगांठ कर विज्ञापन प्रदेशीय परिशिष्ट में प्रकाशित कराने के बजाए भिन्न मंडलो/जनपदों में प्रकाशित कराते हैं, जिस कारण नौकरी की तलाश में भटक रहे बेरोजगार व ठेकेदार जानकारी के अभाव में वंचित रह जाते हैं, यानि प्रतिभाग  नहीं कर पाते।          
नेगी ने कहा कि इस प्रकार के विज्ञापन परिशिष्टीय मामले में विभाग या कुछ प्रतिष्ठित एवं सर्वाधिक पढ़े जाने वाले समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है, उसमें अलग-अलग संस्करण होते हैं यथा कुमाऊं/गढ़वाल/देहरादून/ हरिद्वार/विकास नगर डोईवाला/मसूरी इत्यादि-इत्यादि। इस खेल में यह समझना जरूरी है की गढ़वाल के विज्ञापन/समाचार कुमाऊं के समाचार पत्रों में प्रकाशित नहीं होते। 
इसी प्रकार गढ़वाल के समाचार कुमाऊं, देहरादून के हरिद्वार, डोईवाला के मसूरी, मसूरी के विकास नगर आदि के समाचार प्रकाशित नहीं होते चाकू-छूरे की घटनाओं को छोड़कर, जिस कारण हजारों-लाखों प्रतिभाग करने वाले बेरोजगार/ठेकेदार व जरूरतमंद इस समाचार की जानकारी के अभाव में प्रतिभाग नहीं कर पाते तथा सांठगांठ करने वाले लोग विभागीय मिलीभगत कर इसका पफायदा उठाकर नौकरियां व ठेके हासिल कर लेते हैं, जिसका मुख्य कारण प्रतिस्पर्धा का न होना है। नेगी ने कहा कि मोर्चा शीघ्र ही उक्त अनियमितता की समाप्ति को लेकर मुख्य सचिव से मिलकर विज्ञापन प्रदेशीय परिशिष्ट में प्रकाशन कराने की मांग करेगा। 
पत्रकार वार्ता में मो0 असद, भीम सिंह बिष्ट, प्रवीण शर्मा पिन्नी, सुशील भारद्वाज, संदीप ध्यानी आदि मौजूद रहे।


शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

भारत में लान्च हुआ शाओमी का इलेक्ट्रिक टूथब्रश

भारत में लान्च हुआ शाओमी का इलेक्ट्रिक टूथब्रश



इसे वाइट कलर वेरिएंट में लान्च किया गया है और ये आईपीएक्स7 वाटर रेजिस्टेंट है
एजेंसी
नई दिल्ली। चीनी टेक कंपनी शाओमी भारत में अपने स्मार्ट होम इकोसिस्टम के प्राडक्ट्स भारत में लान्च कर रही है। कंपनी ने भारत में इलैक्ट्रिक टूथब्रश टी-300 लान्च कर दिया है। इसकी कीमत 1,299 रुपये रखी गई है। 
शाओमी ने इसे माई क्राउड पफंडिंग के तहत पेश किया है। यानी यदि कंपनी को 1000 टूथब्रश के लिए फंडिंग मिलती है तो ही इसे खरीद पाएंगे। इसके लिए डिलिवरी 10 मार्च से शुरू होगी।
शाओमी ने दावा किया है कि इलैक्ट्रिक टूथब्रश टी-300 की बैटरी बैअकप 25 दिन का होगा। इसे वाइट कलर वेरिएंट में लान्च किया गया है और ये आईपीएक्स7 वाटर रेजिस्टेंट है। कंपनी ने कहा है कि इसमें दिया गया प्लास्टिक ब्रश हेड को स्टोर करने में आसानी होगी।
इस इलैक्ट्रिक टूथब्रश में क्नचवदज ज्लदमग ैजंबसमंद ब्रिस्टल्स दिए गए हैं और दावा किया गया है कि ये दांतों की सफाई बेहतर तरीके से करेंगे और प्लेक से बचाएंगे। इस इलेक्ट्रिक टूथब्रश मे मैग्नेटिक लेविटेशन सोनिक मोटर का इस्तेमाल किया गया है जो 1 मिनट में 31000 बार वाइब्रेशन्स करता है। कंपनी ने कहा है कि ये दांतों की सपफाई के लिए काफी है। इसमें दो अलग अलग मोड्स मिलेंगे- डुअल प्रो ब्रश और इक्वी क्लीन आटो टाइमर।
शाओमी के इस इलेक्ट्रिक टूथब्रश को चार्ज कर सकते हैं। इसके लिए यूएसबी टाइप सी चार्जर की जरूरत होगी जो 5ॅ आउटपुट देता है। इसे नार्मल स्मार्टफोन चार्जर से भी चार्ज कर पाएंगे। 
इसका ब्रश हेड अलग से भी खरीदा जा सकता है। कंपनी ने दावा किया है कि एक ब्रश हेड को आप चार महीनों तक लगातार यूज कर सकते हैं। इसके साथ कंपनी एक साल की वारंटी भी दे रही है।


सूचना का अधिकार का असरः विधायक खर्चने लगे निधि

सूचना का अधिकार का असरः विधायक खर्चने लगे निधि



उत्तराखंड में 40 प्रतिशत विधायक निधि खर्च होेनेे कोे शेेष
17 विधायकोें की आधी से कम तथा  5 विधायकोें की 75 प्रतिशत सेे अधिक खर्च
सूचना अधिकार सेे र्प्राप्त सूचनाओं केेे छपनेे सेे हुआ भारी सुधार
संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड केे वर्तमान विधायकों को दिसम्बर 2019 तक कुल 798.75 करोड़ रूपयेे की विधायक निध् िउपलब्ध हुुई जबकि उसमें सेे दिसम्बर 2019 तक केवल 60 र्प्रतिशत 481.16 करोड़़ की विधायक निधि ही खर्च होे सकी। 40 र्प्रतिशत 317.58 करोेड़ की विधायक निधि खर्च होेनेे को शेष हैै। सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को र्ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना सेे यह मामला र्प्रकाश मेें आया हैै।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन नेे उत्तराखंड केे र्ग्राम्य विकास आयुक्त कार्यालय सेे विधायक निधि खर्च सम्बन्ध्ी सूचना मांगी थी। जिसके उत्तर मेें लोक सूचना अधिकारी/आयुक्त र्प्रशासन हरगोविंद भट्ट द्वारा अपनेे पत्रांक 3211केे साथ विधायक निधि वर्ष 2017-18 से 2019-20 का विवरण दिसम्बर 2019 उपलब्ध कराया है। जिसमें दिसम्बर 2019 के अंत तक की विधायक निधि खर्च का विवरण दिया गया हैै।
उपलब्ध सूूचना केे अनुुसार उत्तराखंड के 71 विधायक को 1125 लाख रूपयेे प्रति विधायक की दर सेे 79875 लाख रूपयेे की विधायक निधि दिसम्बर 2019 तक उपलब्ध करायी गयी। इसमें सेे जनवरी 2020 केे र्प्रारंभ मंेे रूपये 31758 लाख की विधायक निधि खर्च होेनेे कोे शेष हैै।  
उत्तराखंड केे 71 विधायकों में 17 विधायकों की आधी विधायक निधि भी खर्च नहीं हुई हैै। सबसे कम विधायक निधि खर्च करने वाले विधायक धारचूला विधायक हरीश सिंह धामी है जिनकी केवल 30 प्रतिशत विधायक निधि खर्च हुई हैै जबकि इनसे अधिक 33 प्रतिशत केदारनाथ विधायक मनोज रावत तथा 39 प्रतिशत खर्च वाले रानीखेत विधायक करन मेहरा है। इनके अतिरिक्त हरिद्वार विधायक मदन कौशिक की 40, श्रीनगर विधायक धनसिंह, जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कंुजवाल की 41-41 प्रतिशत, गंगोत्री विधायक गोपाल सिंह रावत की 43, गंगोली हाट विधायक मीना गंगोला की 44, बद्रीनाथ विधायक महेन्द्र भट्ट तथा डीडीहाट विधायक बिशन सिंह चुफाल की 45-45 प्रतिशत, थराली विधायक मगन लाल शाह, पिथौैरागढ़ विधायक प्रकाश पंत तथा कर्णप्रयाग विधायक सुरेन्द्र सिंह नेगी की 46-46 प्रतिशत, चकराता विधायक प्रीतम सिंह, प्रताप नगर विधायक विजय सिंह पवार की 47-47 प्रतिशत, खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धमी की 48 प्रतिशत, द्वाराहाट विधायक महेश नेगी की 49 तथा विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौैहान की 50 प्रतिशत विधायक निधि दिसम्बर 2019 तक खर्च हो सकी है।
उत्तराखंड के 5 विधायकोें की 75 र्प्रतिशत सेे अध्कि विधायक निधि खर्च होे चुुकी हैै। सर्वाधिक 78 प्रतिशत विधायक निधि हरिद्वार ग्रामीण से विधायक यतीश्वरानन्द की दिसम्बर 2019 तक खर्च हुई हैै। 76 प्रतिशत विधायक निधि खर्च वाले विधायकों में 4 विधायक बीएचईएल हरिद्वार से आदेश चौहान, लक्सर से संजय गुप्ता, कपकोट से बलवन्त सिंह, भगवानपुर से ममता राकेश हैैं। 74 प्रतिशत विधायक निधि खर्च वालोें में 5 विधायक नामित जी0आई0सी0मैनन, मसूरी से गणेश जोशी, टिहरी से धनसिंह नेेगी, लालकुआं से नवीन चन्द्र दुम्का तथा लोहाघाट से पूरन सिंह फर्त्याल हैैं। 73 प्रतिशत खर्च वाले 3 विधायक खानपुर से कुुंवर प्रणव सिंह चौैम्पियन, रूड़की से प्रदीप बत्रा तथा भीमताल से राम सिंह कैड़ा हैं। धर्मपुर से विनोद चमोली तथा कैंट विधायक हरबंश कपूर व सितारगंज से सौैरभ बहुगुणा की 72 प्रतिशत तथा कालाढूंगी से बंशीधर भगत, पुरौला से राजकुमार गदरपुर से अरविन्द पाण्डेेय की 71 प्रतिशत विधायक निधि खर्च हो सकी हैै। 
नदीम को उपलब्ध विवरणों के अनुसार वर्ष 2017 की तुुलना मेें वर्ष 2019 मेें विधयक निधि खर्च की धनराशि मेें भारी सुधर हुआ है। दिसम्बर 2017 में उपलब्ध 195.25 करोड़ की विधायक निधि में से केवल 12 प्रतिशत 23.29 करोड़ की धनराशि ही खर्च हुई थी। 
नदीम के अनुसार विधायक निधि खर्च में पिछलेे दो वर्ष में खासी वृद्वि का एक कारण सूचना अधिकार से प्राप्त विधायक निधि की सूचनाओं का र्प्रेेस, इलैक्ट्रानिक तथा सोशल मीडिया केे माध्यम सेे जनता के सामनेे आना भी है। नदीम नेे जनहित मेें ऐेसी सूचनाओं संबंधी समाचार र्प्रकाशित करनेे पर मीडिया कर्मियोें का आभार व्यक्त किया हैै।


गुरुवार, 20 फ़रवरी 2020

वोटर कार्ड के आधार से लिंक होते ही दे पाएंगे केवल एक वोट

वोटर कार्ड के आधार से लिंक होते ही दे पाएंगे केवल एक वोट



केंद्र सरकार ने वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने की अनुमति दे दी है। इसके लागू होते ही देशभर में फर्जी वोटरों की पहचान हो जाएगी।
एजेंसी
नई दिल्ली। मतदाता पहचान पत्र वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया पर काम शुरू हो चुका है। चुनाव आयोग के इस प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने सहमति जता दी है। चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए आधार अधिनियम में संशोधन करने को कहा गया है। इससे वोटर कार्ड की पहचान करके उसे कैंसिल किया जा सकेगा। साथ ही प्रवासी मतदाताओं को रिमोट वोटिंग अधिकार देने में आसानी होगी।
उदाहरण के तौर पर किसी शख्स का उसके गांव के वोटर लिस्ट में नाम है और वह लंबे समय से शहर में रह रहा है। वह शख्स शहर के वोटर लिस्ट में भी अपना नाम अंकित करवा लेता है। फिलहाल दोनों जगहों पर उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट में अंकित रहता है। लेकिन आधार से लिंक होते ही केवल एक वोटर का नाम एक ही जगह वोटर लिस्ट में हो सकेगा। यानी वह केवल एक जगह ही अपना वोट दे पाएगा।
चुनाव सुधारों पर चर्चा के लिए चुनाव आयोग और मंत्रालय की बैठक में तय हुआ कि चुनाव प्रक्रिया इस तरह से बनाया जाए कि एक वोटर केवल एक जगह पर ही अपना वोट दे सके। चुनाव आयोग के शीर्ष पदाधिकारियों और कानून सचिव के बीच हुई बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कानून मंत्रालय को पोल पैनल की ओर से प्रस्तावित सुधारों के कार्यान्वयन को तेजी से लागू करने पर जोर दिया। इस बैठक में 2004-05 से पहले तक प्रस्तावित सुधारों पर भी चर्चा हुई। 
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार सरकार 12 अंकों के आधार नंबर के साथ वोटर कार्ड को लिंक करने के लिए तेजी से काम कर रही है। इसके लिए आधार अधिनियम में संशोधन के लिए जल्द ही एक कैबिनेट नोट ले जाया जाएगा। मालूम हो कि चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को जनप्रतिनिधि एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। इसमें कहा गया है कि वोटर कार्ड के लिए आधार नंबर देना अनिवार्य बनाया जाएगा। काननू मंत्रालय ने प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए डेटा को कई स्तर पर स्तर पर सुरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अगस्त 2019 में वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने का प्रस्ताव भेजा था, जिसे कानून मंत्राी रविशंकर प्रसाद ने मान लिया था। आयोग ने प्रस्ताव में कहा था कि वोटर कार्ड को आधार से लिंक करने का कानूनी आधार उन्हें दिया जाए।
चुनाव आयोग ने ये भी स्पष्ट किया था कि यह वोटर कार्ड बनवाने के लिए नए और पुराने दोनों कार्ड पर लागू होने चाहिए। यानी अगर कोई नया वोटर कार्ड बनवाता है तो उसे आधार नंबर बताना होगा। साथ ही अगर किसी का पुरान वोटर कार्ड है तो उसे अपने आधार नंबर से लिंक कराना होगा। ऐसा नहीं करने पर उस शख्स का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया जाएगा।
आयोग की दलील है कि एक ही मतदाता के एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र बनवाने की समस्या के समाधान के लिये इसे आधार से जोड़ना ही एकमात्र विकल्प है। मंत्रालय ने आयोग की इस दलील से सहमति जताते हुये आधार के डाटा को विभिन्न स्तरों पर संरक्षित करने की अनिवार्यता का पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
बैठक में आयोग ने मतदाता बनने की अर्हता के लिये उम्र संबंधी प्रावधानों में भी बदलाव का सुझाव दिया है। मौजूदा व्यवस्था में प्रत्येक साल की एक जनवरी तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वालों को मतदाता बनने का अधिकार मिल जाता है। आयोग ने उम्र संबंधी अर्हता के लिये एक जनवरी के अलावा साल में एक से अधिक तारीखें तय करने का सुझाव दिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने विधि मंत्रालय के अधिकारियों को चुनाव सुधार संबंधी आयोग के लगभग 40 लंबित प्रस्तावों की भी याद दिलायी। ये प्रस्ताव पिछले कई सालों से लंबित हैं। इनमें सशस्त्र बल और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के लिए निर्वाचन नियमों को लैंगिक आधार पर एक समान बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
इसके तहत आयोग ने महिला सैन्यकर्मियों के पति को भी सर्विस वोटर का दर्जा देने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव के लंबित प्रस्ताव पर अमल करने का अनुरोध किया है। मौजूदा व्यवस्था में सैन्यकर्मियों की पत्नी को सर्विस वोटर का दर्जा मिलता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी के पति को यह दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है।
उल्लेखनीय है कि आयोग के प्रशासनिक मामले सीधे तौर पर विधि मंत्रालय के तहत आते हैं। चुनाव में गलत हलफनामा पेश करने के बारे में मौजूदा व्यवस्था में दोषी ठहराये जाने पर उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत धोखाधड़ी का ही मामला दर्ज होता है। आयोग ने गलत हलफनामा देकर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है।
एक अन्य प्रस्ताव में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद के चुनाव में भी चुनाव प्रचार खर्च की सीमा तय करने की पहल की है। इसके अलावा आयोग ने मंत्रालय से मुख्य चुनाव आयुक्त की तर्ज पर दो चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक संरक्षण देने के पुराने प्रस्ताव पर विचार करने का अनुरोध किया है।


वृक्षमित्र डा० सोनी ने पौधे उपहार में भेंटकर दिया पानी बचाने का संदेश

वृक्षमित्र डा० सोनी ने पौधे उपहार में भेंटकर दिया पानी बचाने का संदेश

संवाददाता

देहरादून। हिमालयीय विश्व विद्यालय में डीएवी कॉलेज, हिमालयीय विश्व विद्यालय देहरादून व उत्तराखंड जल संस्थान द्वारा आयोजित पीने के पानी की शुद्धता पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें राष्ट्रीय सेवा योजना गढ़वाल मंडल के कार्यक्रम अधिकारियो ने भी प्रतिभाग किया। कार्यशाला में विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों ने पीने के पानी की शुद्धता बनाए रखने का संकल्प लिया और उसका प्रशिक्षण भी दिया गया। 

 कार्यशाला में राजकीय इंटर कालेज मरोड़ा सकलाना टिहरी से एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डा० त्रिलोक चंद्र सोनी ने हिमालयीय विश्व विद्यालय कुलपति राकेश शाह, डीएवी कॉलेज के प्राचार्य डा० अजय सैक्सेना, हिमालयीय विश्व विद्यालय के कुलसचिव निशान्तराज जैन व प्राचार्य डा० अनिल कुमार झा, नमामि गंगे उत्तराखंड प्रभारी प्रो० प्रभाकर बडोनी, डा० प्रशांत सिंह, उपनिदेशक उच्चशिक्षा उत्तराखंड आनंद सिंह उनियाल एनएसएस मंडलीय समन्वयक पुष्कर सिंह नेगी, एससी पचुरी को तुलसी व पॉम के पौधे उपहार में भेंटकर पेड़ पौधे व पानी को बचाने तथा उसकी शुद्धता बनाये रखने का संदेश दिया और जन्मदिन, शादी की सालगिरह, अपने माता पिता, पितरों व अपने यादगार पलो के नाम पर एक एक पौधा लगाने की अपील भी की। जहां पर डा० सोनी की इस अनोखे पहल की प्रशंसा करते हुए पर्यावरण संरक्षण व पौधरोपण का संकल्प लिया। 

कार्यकम में हिमांशु, देव कुमार, पारितोष, डा० मदनमोहन नोडियाल, धनसिंह घरिया, विनोद कुमार, सरिता उनियाल, डा० सुनीता राणा, डॉ कुसुम ध्यानी व कई गणमान्य उपस्थित रहे।

बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

टिहरी बांध परियोजना सी0बी0आई0पी0 अवार्ड से सम्मानित 

टिहरी बांध परियोजना सी0बी0आई0पी0 अवार्ड से सम्मानित 



संवाददाता
टिहरी गढ़वाल। टिहरी बांध परियोजना को हाइड्रो पावर सेक्टर में बेस्ट परफारमिंग यूटिलिटी अवार्ड-2020 से सीबीआईपी सेंटल बोर्ड आफ इरीगेशन एंड पावर द्वारा सम्मानित किया गया। यह अवार्ड माननीय जल संसाधन राज्य मंत्री भारत सरकार रतन लाल कटारिया द्वारा डी0वी0 सिंह अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक, टीएचडीसीआईएल को स्कोप कंवेशन सेंटर नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया। 
इस अवसर पर राजीव बिश्नोई निदेशक तकनीकी सहित मुहर मणि कार्यपालक निदेशक यू0सी0 कन्नौजिया, महाप्रबन्धक एनसीआर तथा संजीव आर महाप्रबन्धक ओ0 एंड एम0 भी उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि टिहरी व कोटेश्वर जल विद्युत परियोजनाओं तथा गुजरात के पाटन व द्वारका में पवन ऊर्जा परियोजनाओं की कमीशनिंग के उपरांत टीएचडीसी की कुल संस्थापित क्षमता 1513 मेगावाट  हो गयी है। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड देश का प्रमुख विद्युत उत्पादक संस्थान होने के साथ ही एक मिनी-रत्न कटेगरी-प्रथम व शेड्यूल ‘ए’ दर्जा प्राप्त संस्थान है।


उत्तराखण्ड़ में नेतृत्व परिवर्तन के अफवाह की हवा

सच या झूठ से ज्यादा महत्वपूर्ण यह कि इससे भाजपा को क्या मिलेगा
उत्तराखण्ड़ में नेतृत्व परिवर्तन के अफवाह की हवा



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा इन दोनों ही दलों की इस मामले में एक जैसी नियति रही है कि अगले चुनाव में जीत हाथ से खिसकती दिखी तो इन्होंने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चाल चली। हालांकि दोनों ही दलों को इसके बावजूद कामयाबी हाथ नही लगी। फायदे की जगह सदैव ही बंटाधर हुआ। अब चूंकि एक बार फिर से प्रदेश की राजनीति में सत्ता परिवर्तन की अफवाह जोर पकड़ रही है तो जरूरी हो जाता है कि सच या गलत से इतर चर्चा हो कि इससे भाजपा को क्या मिलेगा।
खासकर तब जबकि जो नुकसान होना था, वो हो चुका। यहां पर इस बात को संज्ञान में लाना जरूरी है कि हर बार की तरह प्रदेश की सत्ता के नेतृत्व परिवर्तन की अफवाह को भाजपाईयों ने ही हवा दी है। यह हवा भी दिल्ली से चली है। पहले तो खबर फैली की सतपाल महाराज को त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह लाया जा रहा है। लेकिन एक आध दिन में इसमें भी फेरबदल हो गया और निशंक के सिर सेहरा बांध जाने लगा। 
अब सच क्या है? यह तो भाजपा का आलाकमान ही बेहतर जानता है। लेकिन जहां इस खबर ने वर्तमान नेतृत्व की नींद उड़ाकर रख दी है तो वहीं प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण पैदा हो गया है। यदि इसमें जरा सी भी सच्चाई है तो क्या वाकई भाजपा आलाकमान ने विपक्ष द्वारा वर्तमान सरकार के मुखिया पर लगाये जाते रहे नकारापन के आरोपों से इत्तेफाक रख लिया है! और यह मान लिया है कि अगला चुनाव त्रिवेन्द्र सरकार के नेतृत्व में वह नही जीत सकती? 
इसके अलावा अहम बात यह है कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी क्या हार जीत के मिथ को अगला नेता तोड़ पायेंगा? इतिहास इस बात का गवाह है कि ऐसा करके भी कभी हार टली नही है। चूंकि प्रदेश की जनता अपनी राष्ट्रीय सोच के लिए जानी जाती है और इसीलिए यहां उसने कभी भी क्षेत्रीय दलों को उभरने का मौका नही दिया। लेकिन दिल्ली में जिस तरह से औपचारिकता को तिलांजलि देकर आप जैसी पार्टी को वहां की जनता ने सत्ता का सुख भेंट किया है, वह वास्तव में यहां के राजनीतिक दलों के लिए खतरे की घंर्टी के समान है।  
वो तो कांग्रेस के बिखरे नेतृत्व ने फिलहाल वाकओवर दे रखा है वरना अबकी बार कांग्रेस को रोकना शायद भाजपा के बूते की बात नही होती। संभवतया इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा आलाकमान जनता का ध्यान भटकाते हुए नेतृत्व परिवर्तन का दांव चल सकती है। हालांकि ज्यादातर लोग इन अफवाहों को नकार रहें है लेकिन धरातल पर इस सरकार का भविष्य सुखमय तो नही ही दिख रहा है। ऐसे में भाजपा आलाकमान नेतृत्व परिवर्तन का टोटका आजमाये तो हैरान नही होना चाहिए।


महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान

महाशिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से भगवान शिव की अराधना करते हैं। इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 21 फरवरी शुक्रवार को मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव पर जल चढ़ाने से वह प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
महाशिवरात्रि पर भक्त पूरे दिन और रात व्रत रखते हैं। अगले दिन सुबह व्रत का पारण करते हैं। महाशिवरात्रि पर सूर्य उत्तरायण रहते हैं और चंद्रमा कमजोर स्थिति में होते हैं। चंद्रमा मन के कारक हैं इसलिए चंद्रमा को मजबूत करने के लिए शिवरात्रि पर भोले का अभिषेक करना चाहिए।
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्तः 21 फरवरी शुक्रवार की शाम 05 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी 2020 शनिवार शाम 07 बजकर 2 मिनट तक।
इस दिन पहले भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। भगवान शिव के सामने पूरी रात दीपक जलाएं। उन्हें चंदन का तिलक लगाएं। तीन बेलपत्र, भांग धतूरा, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर लोगों में प्रसाद बांटें।
पूजा में सभी सामग्री चढ़ाते हुए ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।


केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने को लेकर न्यायालय में दस्तक देगा मोर्चा: नेगी   


 



केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने को लेकर न्यायालय में दस्तक देगा मोर्चा: नेगी 

संवाददाता                 

देहरादून। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि उत्तराखण्ड प्रदेश को केन्द्रशासित प्रदेश बनाये जाने की मांग को लेकर लेकर बहुत शीघ्र मोर्चा मा. उच्च न्यायालय में दस्तक देगा |

         नेगी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य गठन के 19 वर्षों के कार्यकाल में वर्तमान व पूर्ववर्ती सरकारों ने राज्य गठन की अवधारणा को तार-तार करने का काम किया है। राज्य गठन का उद्देश्य प्रदेश में सिर्फ और सिर्फ शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, सुशासन, पलायन, सुलभ न्याय आदि तमाम मुद्दों को लेकर हुआ था, लेकिन जनता को न्याय मिलना तो दूर सिर्फ  ठोकरें ही मिली।

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्रदेश की जनता को छोटे-मोटे न्याय पाने के लिए दर-दर की ठोकरे खानी पड़ती हैं, तथा अन्ततः उसको माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खट-खटाना पड़ता है, जिसका नतीजा यह हुआ कि वर्तमान श्री त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यकाल में 19,614 याचिकायें (एम0एस0/एस0एस0/एस0बी0/पी0आई0एल0) योजित की गई तथा पूर्ववर्ती सरकारों के समय भी हजारों की तादाद में याचिकायें योजित की गयी।

नेगी ने कहा कि प्रदेश लगभग 33000 करोड़ बाजारू कर्ज में डूब गया है तथा लगभग 2800 करोड़ रूपया प्रतिवर्ष कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च हो रहे हैं।

राज्य गठन की सारी अवधारणा चूर-चूर होकर रह गई है तथा प्रदेश में माफियाओं, लुटेरों, बलात्कारियों, जालसाओं का राज स्थापित हो गया है। स्वास्थ्य-शिक्षा के क्षेत्र में इतनी गिरावट आई है कि हजारों स्कूल/अस्पताल बंद हो गए तथा सरकारी अस्पताल भी भगवान भरोसे चल रहे हैं। प्रदेश में युवाओं को रोजगार मिलना एक दिव्य स्वप्न हो गया है तथा सुविधाओं के अभाव में बहुत तेजी से पलायन हो रहा है। आलम यह है कि प्रदेश में माफिया राज स्थापित होने के कारण रेत-बजरी 20-25 हजार प्रति ट्रक बिक रहे हैं। प्रदेश में स्थापित हजारों उद्योग उद्योग बंद हो गए हैं |

 



 


मंगलवार, 18 फ़रवरी 2020

30 की उम्र के बाद शरीर में आते हैं बदलाव

30 की उम्र के बाद शरीर में आते हैं बदलाव



ऐसे में रखें अपनी सेहत का ख्याल!
एजेंसी
देहरादून। 30 साल के बाद इंसान को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। उम्र के हिसाब से व्यक्ति को अपना ध्यान रखने की जरूरत होती है। महिला हो या पुरुष 30 साल के बाद हर किसी के जीवन में और शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं। सेहत पर सबसे ज्यादा असर खानपान का होता है। गलत खानपान की वजह से हम कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। साथ कुछ परेशानियां जैसे बालों झड़ने के कारणों में से एक हो सकता है। 
अगर आप उम्र के हिसाब से देखें तो ज्यादा उम्र ही नहीं कम उम्र जैसे 30 साल या उसके आसपास की उम्र के लोगों के बाल सिर के आगे और बीच से उड़ जाते हैं। भले ही इस उम्र में पहुंचने पर ये बदलाव दिखे नहीं लेकिन इस उम्र के पार होने पर जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनाने के लिए सेहत का ख्याल विशेष रूप से रखना जरूरी होता है। 
सबसे पहले तो खानपान स्वस्थ होना चाहिए। हमारा मेटाबालिज्म इसके लिए जिम्मेदार होता है। जितना तेज मेटाबालिज्म होगा, उतना ही हम ऊर्जावान और सक्रिय रहेंगे। 30 की उम्र को पार करने के बाद हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ सेहत का ख्याल रखे।
उम्र बढ़ने के साथ शरीर में यौन शक्ति बढ़ाने वाले हार्माेन टेस्टोस्टेरान के साथ कई हार्माेन की कमी होने लगती है। इसके लिए महिलाओं को आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मटर, कद्दू के बीज, हरी सब्जियां, किशमिश का सेवन करना चाहिए। महिलाओं को हड्ढियों के लिए विटामिन डी के साथ कैल्शियम का सेवन जरूर करना चाहिए। 
उम्र बढ़ती के साथ एस्ट्रोजन का स्तर घटता है जो कि हड्ढियों को प्रभावित कर सकती है। इसके लिए आपको दूध, दही, पनीर, ब्रोकली, बादाम आदि का सेवन करना चाहिए।
बढ़ती उम्र के साथ तनाव होना आम बात हो सकती है। स्वस्थ आहार के अलावा 30 की उम्र में पहुंचने पर महिलाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। वैसे तो तनाव से कोई घिर सकता है लेकिन 30 की उम्र के बाद पुरुष हो या महिला दोनों में तनाव के लक्षण ज्यादा देखने को मिल सकते हैं। 
इस उम्र में तनाव आम है, लेकिन जरूरत से ज्यादा तनाव मानसिक स्वास्थ्य नुकसानदायक हो सकता है। इससे बचने के लिए खुद की जीवनशैली को मेंटेन रखें, सुबह सैर करें, व्यायाम करें लोगों से मिलें और कसरत करते रहें। 
30 साल की उम्र पार करने के बाद नियमित मेडिकल चेकअप करवाएं। अगर किसी बीमारी के लक्षण दिखे तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।


बेरोजगारी एवं जन विरोधी नीतियों के विरोध में जन जागरण कार्यक्रम का समर्थन

बेरोजगारी एवं जन विरोधी नीतियों के विरोध में जन जागरण कार्यक्रम का समर्थन



संवाददाता
देहरादून। कांग्रेस पार्टी के द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे बेरोजगारी और भाजपा सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जन जागरण कार्यक्रम का पूर्व सैनिकों ने पूरजोर समर्थन किया है। प्रदेश के पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष कैप्टन बलवीर सिंह रावत अध्यक्ष ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि यह कटु सत्य है कि देश के युवा बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि युवाओं को बेरोजगारी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण मांगना चाहिये। 
उनका कहना है कि 2013 में लोकसभा चुनाव की तैयारी के परिपेक्ष में देश के युवाओं को मोदी ने अपनी जुमलेबाजी और हवाई वायदांे के बलबूते केंद्र में सत्तासीन होने के उद्देश्य से गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए हैदराबाद आंध्र प्रदेश व दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में युवाओं की देशव्यापी रैली आयोजित की थी। इन रैलियों में प्रवेश के लिए प्रत्येक गरीब और बेरोजगार युवा से पांच रूपये लिए गए थे। साथ ही रैलियों में उपस्थित युवाओं से वायदा किया गया था कि अगर केंद्र में भाजपा सत्तासीन होती है तो भाजपा सरकार प्रत्ति वर्ष देश में 2 करोड युवाओं को रोजगार देगी। 
कै0 रावत ने कहा कि मोदी के आश्वासन और झूठे वायदे से आज समस्त देश की जनता अपने युवाओं की बेरोजगारी से चिंतित है इसलिए प्रधानमंत्राी स्पष्ट करें कि कितने और कहां-कहां, किन युवाओं को रोजगार मिला है। शायद इस विषय का उत्तर देना प्रधानमंत्री के लिए आसान नहीं होगा।।                 
कैप्टन बलबीर सिंह रावत ने गरीबी व बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के हित और हक में उनको बेरोजगारी भत्ता दिए जाने हेतु राष्ट्रीय स्तर पर ठोस नीति का निर्धारण किए जाने की मांग की। उनका कहना है कि यदि निर्धारित समयावधि में युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाता है तो केंद्र और राज्य सरकारें आपस में मिलकर बेरोजगार युवाओं को केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घोषित करें और उन्हें सरकारी कर्मचारी के रूप में पेंशन का लाभ देने पर विचार करें।


 


नहीं यूज कर पाएंगे अपना आधार कार्ड, अगर नहीं मालूम हैं ये नंबर

नहीं यूज कर पाएंगे अपना आधार कार्ड, अगर नहीं मालूम हैं ये नंबर



यूआईडीएआई की वेबसाइट से आधार की इलेक्ट्रानिक कापी को आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इसमें मास्क्ड आधार  डाउनलोड करने का भी विकल्प दिया जाता है। लेकिन इसे इस्तेमाल करना आसान नहीं होता हैं, क्योंकि ये पासवर्ड से प्रोटेक्डेड होता है। 
एजेंसी
नई दिल्ली। आप अपने आधार कार्ड की इलेक्ट्रानिक कापी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। महज 2 से 3 स्टेप्स में आसानी से आधार जारी करने वाली संस्था यूआईडीएआई की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। यह जानना जरूरी है कि आधार की इलेक्ट्रानिक कापी खोलने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है और यह यूआईडीएआई द्वारा डिजिटली साइन हुआ होता है। आधार कार्ड की तरह ही इसकी इलेक्ट्रानिक कापी भी इस्तेमाल करने के लिए वैलिड होती है लेकिन आधार की इलेक्ट्रानिक कापी डाउनलोड करने से पहले और डाउनलोड करने के बाद कुछ बातों का ख्याल रखना होता है। क्योंकि डाउनलोड हो जाने के बाद भी अगर पासवर्ड नहीं पता हैं तो आधार की कापी को न तो खोलकर देख सकते हैं और न ही उसका कहीं पर इस्तेमाल होगा।
आधार को यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके लिए आपको इस वेबसाइट पर जाने के बाद माई आधर सेक्शन में जाकर डाइनलोड आधर के विकल्प पर क्लिक करना होगा। इसे दो तरीकों से डाउनलोड कर सकते हैं।
एनरोलमेंट नंबर की मदद से आधार डाउनलोड करनाः इस तरीके से आधार डाउनलोड करने के लिए 28 अंकों वाला आधार एनरोलमेंट नंबर होना जरूरी है। साथ ही आपका अपना पूरा नाम और पिन कोड भी देना होगा। ये तीनों जानकारियां देने के बाद रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी मैसेज भेजा जाएगा। इस ओटीपी को उपयुक्त जगह पर भरकर सबमिट करने के बाद आधार डाउनलोड हो जाएगा। आधार की यह कापी पीडीएफ फार्मेट में होगा, जिसे एडोब रीडर की मदद से खोला जा सकता है।
नंबर की मदद से डाउनलोड करनाः आपके पास 28 अंकों वाला आधार नंबर उपलब्ध नहीं है तो 12 अंकों के आधार नंबर की मदद से भी डाउनलोड कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के लिए भी आपको अपना पूरा नाम और पिनकोड देना होगा। इसके बाद ओटीपी जेनरेट कर आधार को डाउनलोड किया जा सकता है।
आनलाइन आधार डाउनलोड करने के बाद यह पीडीएफ फार्मेट में होगा, जिसे खोलने के लिए आपको पासवर्ड की जरूरत होगी। आधार की इलेक्ट्रानिक कापी को खोलने के लिए आपको अपने नाम के पहले चार अक्षर को कैपिटल में और जन्म के साल को बिना किसी स्पेस के भरना होगा। आन लीजिए किसी का नाम एबीसीडीएफ  और वह 1980 में जन्मा है तो आधार की इलेक्ट्रानिक कापी का पासवर्ड एबीसीडी1980 होगा।
आपके पास मास्क्ड आधार डाउनलोड करने का भी विकल्प होता है। अगर आप चाहते हैं आपके द्वारा डाउनलोड किए गए ई आधार में आधार नंबर नहीं दिखाई दे तो आप इस विकल्प को चुन सकते हैं। मास्क्ड आधार में आपके आधार नंबर के पहले 8 अंकों की जगह गगगग लिखा होता है। इसमें आधार नंबर का केवल अंतिम 5 अंक ही दिखाई देता है।


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