सोमवार, 30 सितंबर 2019

असम राइफल्स का नियंत्रण गृह मंत्रालय को देने के खिलाफ सेना

असम राइफल्स का नियंत्रण गृह मंत्रालय को देने के खिलाफ सेना
कहा- ऐसा करने से चीन सीमा पर निगरानी होगी प्रभावित



मौजूदा समय में असम राइफल्स का प्रशासनिक प्राधिकार गृह मंत्रालय के पास जबकि उसका परिचालन संबंधी नियंत्रण सेना के पास है।
एजेंसी
नई दिल्ली। सेना ने गृह मंत्रालय के उस प्रस्ताव को 'लाल झंडी' दिखा दी है जिसके तहत असम राइफल्स के संचालन नियंत्रण की जिम्मेदारी मंत्रालय अपने पास लेना चाहता है। सेना का कहना है कि इस कदम से चीन के साथ लगने वाली देश की संवेदनशील सीमा की निगरानी का काम गंभीर रूप से प्रभावित होगा, वह भी तब जब चीन भारत के साथ लगने वाली सीमा पर बुनियादी सैन्य ढांचे को मजबूत कर रहा है।
शीर्ष सैन्य सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव से चिंतित सेना ने रक्षा मंत्रालय के साथ इस मुद्दे को पिछले सप्ताह गंभीरता से उठाया है और उससे इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हुए कहा कि वह बताए कि करीब 185 साल पुराने असम राइफल्स का संचालन नियंत्रण गृह मंत्रालय को सौंपे जाने के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये गंभीर निहितार्थ होंगे। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति सीसीएस के गृह मंत्रालय के उस प्रस्ताव पर विचार करने की संभावना है जिसके तहत असम राइफल्स को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस आईटीबीपी के साथ मिलाने और उनका संयुक्त संचालन नियंत्रण उसे देने की बात है। एक शीर्ष सैन्य अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध करते हुए बताया कि सेना से असम राइफल्स का संचालन नियंत्रण लेकर इसे गृह मंत्रालय को स्थानांतरित करने से चीन के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी का काम गंभीर रूप से बाधित होगा।
सूत्रों के मुताबिक सेना के इस रुख से शीर्ष रक्षा पदाधिकारियों और सरकार के आला अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। असम राइफल्स में 55 हजार कर्मचारी हैं और यह म्यामां के साथ लगने वाली भारत की 1640 किलोमीटर लंबी सीमा की निगरानी करती है। इसके साथ ही असम राइफल्स अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा से लगे कुछ महत्वपूर्ण सेक्टरों में कड़ी चौकसी बरतने के लिये सेना को परिचालन और रसद संबंधी सहायता भी मुहैया कराती है। असम राइफल्स इसके साथ ही पूर्वाेत्तर क्षेत्र के उग्रवाद प्रभावित राज्यों में उग्रवाद विरोधी अभियान भी चलाती है।
मौजूदा समय में असम राइफल्स का प्रशासनिक प्राधिकार गृह मंत्रालय के पास है जबकि उसका परिचालन संबंधी नियंत्रण सेना के पास है। सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय ने पहले ही सीसीएस में पेश करने के लिए एक मसौदा नोट तैयार किया है जिसमें असम राइफल्स पर पूर्ण नियंत्रण की मांग की जाएगी। सूत्रों ने कहा कि असम राइफल्स सीमा पर सख्त चौकसी बरतने में सेना की सहायता करती है। इसके साथ ही असम राइफल्स के 70 से 80 फीसद कर्मचारी परंपरागत सैन्य भूमिका में तैनात हैं। असम राइफल्स के परिचालन का पूर्ण नियंत्रण 1965 से ही सेना के पास है।


पूरे देश में बदल जाएगा ड्रायविंग लाईसेंस और आरसी

पूरे देश में बदल जाएगा ड्रायविंग लाईसेंस और आरसी



एजेंसी
नई दिल्ली। देश में 1 सितंबर, 2019 से नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हो गया जिसके बाद ट्रैफिक नियमों में बहुत बदलाव हुए हैं और चालान राशि को कई गुना बढ़ाने के साथ नियमों को कड़ा कर दिया गया है। अब आपका ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) आने वाले समय में बदलने वाला है। दरअसल देश की सरकार ड्रायविंग लाईसेंस और आरसी से जुड़े नियमों में बदलाव करने जा रही है और ये नियम 1 अक्टूबर से लागू होंगे। इस नियम के लागू होने के बाद सभी लोगों को अपना डीएल बदलवाना पड़ेगा। बदले हुए नियमों के अनुसार अब डीएल और आरसी पंजीकरण प्रमाणपत्र एक ही रंग के होने वाले हैं।
भारत के हर राज्य में डीएल अलग-अलग होता हैं, लेकिन इस नियम के लागू होने के बाद देशभर में एक ड्राइविंग लाइसेंस एक जैसा होगा। अब हर राज्य में ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी अलग-अलग रंग के न होकर एक जैसे ही हो जाएंगे। इससे कुछ समय पहले सरकार ने इस बारे में एक अधिसूचना भी जारी की थी। अधिसूचना के अनुसार डीएल और आरसी में सभी जानकारी समान और उसी स्थान पर होगी, लेकिन पहले अलग-अलग  स्थान पर होती थी।
नए नियम के बाद ड्राइविंग लाइसेंस और आरसी में माइक्रोचिप और क्यूआर कोड दिए जाएंगे। इसके जरिए किसी का भी पिछला रिकॉर्ड छिप नहीं पाएगा। क्यूआर कोड ड्राइवर और व्हीकल को केंद्रीय डेटा बेस से सभी पहले से रिकॉर्ड किए गए रिकॉर्ड को पढ़ने की अनुमति देता है। सभी ड्राइविंग लाइसेंस के पीछे इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर अंकित किया जाएगा। ट्रैफिक पुलिस को क्यूआर कोड रीड करने के लिए हैंडी ट्रैकिंग डिवाइस दी जाएगी।


पर्यावरण संरक्षण के लिए कपड़ों के थेलों का वितरण

पर्यावरण संरक्षण के लिए कपड़ों के थेलों का वितरण


पर्यावरण संरक्षण के क्रम में प्लास्टिक के उत्पादों का प्रयोग न करने और इनके विकल्प के रूप मे कपड़े के थैलों को किया गया वितरण
संवाददाता
देहरादून। समाजसेवी यशवीर आर्य द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्रम में प्लास्टिक के उत्पादों का प्रयोग न करने और इन उत्त्पादों के विकल्प के रूप मे कपड़े के थैलों को वितरण करने की अनूठी पहल की गई ।
स्वयं के हाथों से बुने कपड़े के थैले बांटकर जनमानस को इन्हें प्रयोग के लिये प्रदान किए गए। हाथों से बुने कपड़े के थैले बांटने के कार्यक्रम के लिए सभी लोग गैरसैण राजधानी निर्माण अभियान, धरना स्थल हिन्दी भवन के सामने एकत्र हुए। जहां से सभी ने अपने-अपने वाहनों से लाल पुल के पास सब्जी-फल बाजार के लिए प्रस्थान किया।
लाल पुल के पास सब्जी-फल बाजार में सभी ने यशवीर आर्य के नेतृत्व में लोगों को कपड़े के थैले प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अनूठे प्रयास को जागरूक बनो, आवाज उठाओ संस्था की रचनाधर्मिता की कोशिश से संभव हुआ। 
कार्यक्रम के तहत कपड़े के थैले बांटकर नागरिकों को जागरूक किया गया व उनसे प्लास्टिक त्यागने का अनुरोध किया गया। फल-सब्जी विक्रेताओं के साथ साथ सब्जी-फल खरीदने आए ग्राहकों ने भी कार्यक्रम को खूब सराहा व खुद भी कार्यक्रम में भागीदारी की। 
कार्यक्रम में मनोज ध्यानी, मदन सिंह भंडारी, वीरेन्द्र सिंह रावत, रविन्द्र प्रधान, विजय सिंह रावत, प्रवीण गुसांई, राकेश चन्द्र सती, राजेन्द्र सिंह नेगी, सोहन सिंह रावत, चतुर सिंह नेगी, सुशील कुमार त्यागी, अरविंद गुप्ता आदि उपस्थित रहे। 


मुख्य न्यायधीश का नशे को लेकर दिया बयान सरकार की नाकामी: मोर्चा


मुख्य न्यायधीश का नशे को लेकर दिया बयान सरकार की नाकामी: मोर्चा


संवाददाता


विकासनगर। मोर्चा कार्यालय में पत्रकार वार्ता में जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि दून में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायधीश ने अपने सम्बोधन में प्रदेश के युवाओं एवं राज्य में तेजी से बढ़ रहे नशा एवं नशा कारोबार को लेकर जो कहा है, वह निश्चित तौर पर प्रदेश सरकार के लिए आत्मचिन्तन करने की बात है।


नेगी ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रदेश नशे का हब बनने एवं नशे के कारोबार में अप्रत्याशित वृद्वि होने का जो जिक्र किया गया है, वो इस बात का द्योतक है कि प्रदेश अब ज्यादा दिनों तक सुरक्षित नहीं रह पायेगा। अगर इस माहमारी का जड़ से खात्मा नहीं किया गया तो गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे। पूरा प्रदेश नशे की जद में है, लेकिन सरकार है कि जागने को तैयार नहीं !



नेगी ने कहा कि यह शर्मनाक है कि मोर्चा द्वारा प्रदेश पुलिस महानिदेशक को ज्ञापन सौंपकर इन सभी तथ्यों से अवगत कराया था, जिनमें कहा गया था कि अगर इस कारोबार पर पूर्णरूप से अंकुश नहीं लगाया गया तो वो दिन दूर नहीं जब सेना व सशस्त्रबलों को भर्ती हेतु युवा ढूंढे नहीं मिलेगें।


उनका आरोप है कि मोर्चा की बात को सरकार द्वारा गम्भीरता से नहीं लिया गया, लेकिन मुख्य न्यायधीश द्वारा नशे का हब बनने जैसे शब्दों का प्रयोग करना निश्चित तौर पर सरकार के लिए डूब मरने वाली बात है। उच्च न्यायधीश के बयान के बाद बेहतर होगा सी0एम0 त्रिवेन्द्र घर पर आराम फरमायें।



सुमित नागल ने एटीपी चैलेंजर जीत रचा कीर्तिमान

सुमित नागल ने अर्जेंटीना में एटीपी चैलेंजर जीत रचा कीर्तिमान



भारत के उदीयमान टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर क्ले इवेंट जीत लिया है। यह इस सत्र में किसी भारतीय का पहला एटीपी चैलेंजर टाइटल है।
एजेंसी
ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना)। भारत के उदीयमान टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर क्ले इवेंट टाइटल जीत लिया है। यह इस सीजन में किसी भारतीय का पहला एटीपी चैलेंजर टाइटल है। जबकि 22 साल के नागल के करियर का यह दूसरा चैलेंजर खिताब है। उन्होंने पहली बार 2017 में बेंगलुरु चैलेंजर इवेंट पर कब्जा जमाया था।
सुमित नागल ने अर्जेंटीना में ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर टूर्नामेंट के फाइनल में अर्जेंटीना के वर्ल्ड नंबर-166 फेकुंडो बैगनिस को 6-4, 6-2 से हराया। सेमीफाइनल में उन्होंने ब्राजील के वर्ल्ड नंबर-108 थियागो मोंटेइरो को 6-0, 6-1 से हराया था। इस खिताब के साथ ही सुमित ने एटीपी की जारी ताजा रैंकिंग में 26 स्थान की छलांग मारते हुए 135वें स्थान पर कब्जा कर लिया है।
नागल ब्यूनस आयर्स एटीपी चैलेंजर खिताब जीतने वाले पहले एशियाई हैं। पाब्लो क्यूवास, काइल एडमंड और पाब्लो अंडुजर ही गैर-अर्जेंटिनाई खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इस प्रतियोगिता को जीता है। नागल को प्रतियोगिता में 7वीं सीड मिली थी, जबकि अर्जेंटीना के फेकुंडो बैगनिस को 8वीं वरीयता दी गई थी। नागल दक्षिण अमेरिकी धरती पर क्ले टाइटल जीतने वाले पहले भारतीय भी बने।
सुमित नागल ने इस खिताबी जीत के बाद कहा कि यह काफी शानदार था. मैं यहां अकेले आया था। मेरे साथ मेरे कोच (सासा नेंनसेल) और ट्रेनर (मिलोस गागेलिक) भी नहीं थे। कोच के बिना खेलना मुश्किल होता है। लेकिन अब यहां ट्रॉफी उठाना मेरे लिए वाकई शानदार है और मुझे खुद पर गर्व है।
उन्होंने कहा, श्आज मैं यहां खिताब जीता हूं और अब मुझे अगले सप्ताह ब्राजील जाना है। जहां एक और चैलेंजर टूर्नामेंट खेलना है। इसलिए मेरे पास इस जीत का जश्न मनाने का समय नहीं है। मुझे अभी भी काफी मेहनत करने की जरूरत है, ताकि मैं अपने प्रदर्शन में और सुधार कर सकूं।
सुमित नागल इस साल यूएस ओपन में रोजर फेडरर से 6-4, 1-6, 2-6, 4-6 से लड़ते हुए हार गए थे। 2015 में विंबलडन (जूनियर) के ब्वॉयज डबल्स में चैम्पियन रहे सुमित नागल 20 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता फेडरर के खिलाफ पहला सेट जीतने वाले वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे।


 


 


 


 


एसबीआई में नहीं कर पाएंगे मुफ्त में पैसे जमा

1 अक्टूबर से एसबीआई के 5 नियमों में बदलाव, नहीं कर पाएंगे मुफ्त में पैसे जमा
एक अक्टूबर से बैंक के ग्राहक एक महीने में अपने खाते में केवल तीन बार ही मुफ्त मे रुपये जमा कर पाएंगे।



एजेंसी
नई दिल्ली। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कई नियम 1 अक्टूबर से बदलने जा रहे हैं। यह नियम आपके रोजाना बैंक के लेन देन से जुड़े हैं। 1 अक्टूबर से एनईएफटी, आरटीजीएस, मंथली मिनिमम बैलेंस, फ्री ट्रांजेक्शन समेत 5 नियमों में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं। यहां तक कि अब से एसबीआई ग्राहक एक सीमा के बाद अपने ैएसबीआई अकाउंट में मुफ्त पैसे भी जमा नहीं कर पाएंगे।  ऐसे में अगर आप भी एसबीआई ग्राहक तो नियम जरूर जानें जो 1 अक्टूबर से पूरे देश में लागू होने जा रहे हैं।
1 अक्टूबर से शहरों में मिनिमम बैलेंस को 5000 से घटाकर 3000 रुपये कर दिया जाएगा। वहीं सेमी अर्बन ब्रांच में में ग्राहकों को 2000 रुपये और रूरल ब्रांच में 1000 रुपये मिनिमम बैलेंस का एवरेज मेंटेन करना होगा। 
एक अक्टूबर से बैंक के ग्राहक एक महीने में अपने खाते में केवल तीन बार ही रुपये जमा कर पाएंगे। चौथी बार या उससे ज्यादा बार रुपये जमा कराने पर हर ट्रांजेक्शन पर 50 रुपए प्लस 12 फीसदी जीएसटी का चार्ज देना होगा।
अगर आप सेविंग बैंक अकाउंट होल्डर हैं तो 1 अक्टूबर से आपको 10 चेक फ्री मिलेंगे। इसके बाद 10 चेक वाली चेकबुक 40 रुपये$जीएसटी और 25 चेक वाली चेकबुक के लिए 75 रुपये$जीएसटी वसूला जाएगा। इसके अलावा अगर कोई चेक बाउंस होने के अलावा किसी तकनीकी के कारण लौटता है तो चेक जारी करने वाले को 150 रुपये प्लस जीएसटी का चार्ज देना है।
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) के शुल्क में भी बदलाव किया जाएगा। 10,000 रुपये तक का एनईएफटी लेनदेन पर 2 रुपये प्लस जीएसटी और 2 लाख से ज्यादा रकम का एनईएफटी करने पर 20 रुपये पर प्लस जीएसटी देना होगा। वहीं आरटीजीएस से 2 लाख से 5 लाख तक रुपये की ट्रांजेक्शन पर 20 रुपये प्लस जीएसटी देना होगा और 5 लाख रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर 40 रुपये प्लस जीएसटी देना होगा।
1 अक्टूबर से मेट्रो शहरों के एसबीआई एटीएम में से ज्यादा से ज्यादा 10 बार फ्री डेबिट ट्रांजेक्शन किया जा सकेगा। वहीं दूसरी जगहो पर 12 फ्री ट्रांजेक्शन की जा सकेगी। अभी यह लिमिट 6 ट्रांजेक्शन की ही है।


रविवार, 29 सितंबर 2019

बीएसएनएल ने कई प्लान्स को किया रिवाइज

बीएसएनएल ने 200 रूपये से कम के कई प्लान्स को किया रिवाइज
अब रोज मिलेगा 3जीबी तक डेटा



एजेंसी
नई दिल्ली। सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल अपने सब्सक्राइबर बेस को बढ़ाने के लिए लगातार नए-नए प्लान लाने के साथ ही पुराने प्लान्स को भी रिवाइज कर रही है। पिछले कुछ महीनों में कंपनी ने अपने कई प्लान्स को रिवाइज किया है। कंपनी की कोशिश है कि वह प्राइवेट टेलिकॉम कंपनियों से मिल रहे स्पर्धा में खुद को बनाए रखे। इसी कड़ी में बीएसएनएल ने 186 रुपये और 187 रुपये वाले प्रीपेड प्लान्स को रिवाइज किया है। 
186 रुपये वाले प्लान को कंपनी ने इसे कुछ महीनों पहले बंद कर दिया था। हाल ही में इस प्लान ने बीएसएनएल के पोर्टफोलियो में वापसी की है। कंपनी ने इस प्लान में मिलने वाले बेनिफिट्स को भी बदला है। अब इस प्लान में यूजर्स को रोज 3जीबी डेटा ऑफर किया जा रहा है जो पहले डेली 2जीबी हुआ करता था। डेली डेटा लिमिट के खत्म होने के बाद इंटरनेट स्पीड घटकर 40एमबीपीएस हो जाती है। प्लान में सब्सक्राइबर्स को कॉलिंग के लिए डेली 250 मिनट दिए जा रहे हैं। 28 दिन की वैलिडिटी के साथ आने वाले इस प्लान में यूजर्स को रोज 100 फ्री एसएमएस भी दिया जा रहा है। वहीं, 187 रुपये वाले प्लान में भी यूजर्स को 186 रुपये वाले प्लान में मिलने वाले बेनिफिट ऑफर किए जा रहे हैं।
बीएसएनएल ने 186 रुपये और 187 रुपये वाले प्लान के साथ ही 153 रुपये वाले प्लान को भी रिवाइज कर दिया है। पहले इस प्लान में 103 रुपये की टॉक वैल्यू के साथ 100 रुपये का टॉप-अप मिलता था जिसकी वैलिडिटी 28 दिन होती थी। हालांकि रिविजन के बाद ये प्लान यूजर्स को रोज 1.5जीबी डेटा के साथ किसी भी नेटवर्क पर करने के लिए अनलिमिटेड कॉलिंग ऑफर कर रहा है। इस प्लान की खास बात है कि यह बिना किसी डेली कॉल लिमिट के आता है।
कंपनी ने अपने 192 रुपये वाले स्पेशल टैरिफ वाउचर में भी बदलाव कर दिया है। अब इस एसटीवी में सब्सक्राइबर्स को रोज 3जीबी डेटा ऑफर किया जा रहा है जो पहले 2जीबी था। कॉलिंग के लिए इस वाउचर में रोज 250 मिनट मिलेंगे। इसके साथ ही इस वाउचर को सब्सक्राइब कराने वाले यूजर्स को डेली 100 फ्री एसएमएस के साथ रोज एक नैशनल डिस्काउंट डील या कूपन भी दिया जा रहा है।
इसके अलावा बीएसएनएल ने 118 रुपये वाले एसटीवी को भी रिवाइज कर दिया है। इस प्लान में अब सब्सक्राइबर्स को 40एसबीपीएस की एफयूपी के साथ रोज 500जीबी डेटा दिया जा रहा है। 28 दिन की वैलिडिटी के साथ आने वाले इस प्लान में यूजर्स को कॉलिंग के लिए रोज 250 मिनट मिलेंगे।


कप्तान पारस खडका ने ‘शतक’ जड़कर टी-20 में रचा इतिहास

कप्तान पारस खडका ने 'शतक' जड़कर टी-20 में रचा इतिहास
ऐसा करने वाले बने दुनिया के पहले खिलाड़ी
मैच में सिंगापुर ने पहले बैटिंग करते हुए 152 रनों का लक्ष्य नेपाल को दिया था। इसके जवाब में पारस की आतिशी पारी के दम पर नेपाल ने इसे 16 ओवर में ही चेज कर लिया।



एजेंसी 
सिंगापुर। टी-20 ट्राई सीरीज के दूसरे मैच में नेपाल क्रिकेट टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया। इस मुकाबले में नेपाल के कप्तान पारस खड़का ने शानदार बल्लेबाजी के दम पर न सिर्फ अपनी टीम को जीत दिलाई बल्कि वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम किया है। सिंगापुर के खिलाफ खेले गए इस मैच में पारस की पारी के दम पर नेपाल को 9 विकेट के बड़े अंतर से जीत मिली। पारस ने इस मैच में 106 रनों की नाबाद शतकीय पारी खेली। पारस के इस पारी की जमकर सराहना हो रही है।
इस 106 रनों की पारी के दम पर पारस खडका दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए हैं, जिन्होंने टी-20 मुकाबले में चेज करते हुए शतक जड़ा हो। इससे पहले टी20 क्रिकेट टीम का कोई भी कप्तान रन चेज करते हुए अब तक शतक नहीं लगा पाया था। पारस ऐसा करने वाले दुनिया के पहले टी20 कप्तान बन गए। अपनी इस पारी में पारस ने 52 गेंदों का सामना किया और 7 चौके और 9 छक्के जड़कर ये पारी खेली।
पारस ने 49 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया। टी-20 में सबसे तेज शतक जड़ने वाले वो एशिया के चौथे खिलाड़ी हो गए हैं। इससे पहले पारस वन-डे में भी नेपाल की तरफ से पहला शतक लगाने वाले खिलाड़ी बन चुके हैं। इस मैच में सिंगापुर ने पहले बैटिंग करते हुए 152 रनों का लक्ष्य नेपाल को दिया था। इसके जवाब में पारस की आतिशी पारी के दम पर नेपाल ने इसे 16 ओवर में ही चेज कर लिया।


 


87वां वायु सेना दिवस

87वां वायु सेना दिवस



एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना 8 अक्टूबर 2019 को पूरे गर्व के साथ अपना 87वां स्थापना दिवस मनायेगी। इस दिन वायु सेना दिवस परेड सह प्रतिष्ठापन समारोह वायु सेना के विभिन्न विमानों द्वारा एक शानदार प्रदर्शन वायु सेना स्टेशन हिंडन (गाजियाबाद) में संपन्न होगा। इस वायु प्रदर्शन के लिए पूर्वाभ्यास 1 अक्टूबर 2019 (मंगलवार) से शुरू हो जाएगा। वैसे सामान्य क्षेत्र जहां से  विमान कम ऊंचाई पर उड़ान भरेंगे, वो हैं वज़ीरपुर पुल - करावलनगर - अफ़जलपुर - हिंडन, शामली - जिवाना - चांदीनगर - हिंडन, हापुड़ - पिलखुआ - गाजियाबाद - हिंडन।
कम ऊंचाई पर उड़ान भरते समय इन वायु सेना के विमानों के लिए पक्षी हमेशा से एक गंभीर खतरा रहे हैं। खाने-पीने की चीजें बाहर फेंके रहने के कारण ये पक्षी आ जाते हैं। विमानों, पायलटों की सुरक्षा एवं जमीन पर आम लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए भारतीय वायु सेना ने दिल्ली, गाजियाबाद और आस-पास के इलाकों के लोगों से अपील किया है कि आप अपने घर के बाहर खाने-पीने की चीजें या कचरा ना फेंके। इसके अलावा, यदि आपको किसी भी तरह के कचरे/ मरे हुए जानवरों के अवशेष बाहर दिखाई दे, तो तत्काल इसकी सूचना वायु सेना ईकाई / पुलिस स्टेशन को दें, जो आकर इसका सही तरीके से निस्तारण कर सकें। इसके अलावा बर्ड हज़ार्ड कॉम्बैट टीम (बीएचआईएम) के अधिकारी को नं. 7031639259 पर फोन/एसएमएस कर भी सूचित करें।  
ये प्रदर्शन वायु सेना के एन-32 विमानों के प्रसिद्ध “आकाश गंगा” टीम द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के साथ स्काई डाईवर्स के प्रदर्शन के साथ 8 बजे शुरू होगा।
फ्लाईपास्ट में विंटेज विमान, आधुनिक परिवहन विमान और फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान शामिल होंगे। यह समारोह 10 बजकर 52 मिनट  पर स्पेल बाइंडिंग एरोबैटिक डिस्प्ले के साथ संपन्न होगा।  


 


हिमाचल के वैज्ञानिक ने उत्तराखण्ड़ में बनाया रिकार्ड

हिमाचल के वैज्ञानिक ने उत्तराखण्ड़ में बनाया रिकार्ड


एक पौधे पर उगा दिए गेंदे के 865 फूल



एजेंसी
सोलन। गेंदे के एक पौधे पर 865 फूल खिलाने वाले सोलन के खुंभ अनुसंधान केंद्र चंबाघाट के वैज्ञानिक डा0 बृज लाल अत्री का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हो गया। करीब 4 वर्ष पूर्व हासिल इस उपलब्धि के लिए उन्हें बीते दिन लिम्का बुक की तरफ से प्रमाणपत्र मिला।
ड0 अत्री ने वर्ष 2015 में यह कारनामा किया था। इसके वीडियो और फोटो उन्होंने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भेजे थे। ड0 अत्री के पत्राचार के बाद इसके सकारात्मक परिणाम आए हैं। उन्होंने मुक्तेश्वर नैनीताल (उत्तराखंड) में यह गेंदे का फूल उगाया था।
इस पौधे में 865 फूल खिले, जो एक रिकॉर्ड था। डॉ0 अत्री ने इसे लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स गुड़गांव (हरियाणा) भेजा जो 2017 के रिकॉर्ड में शामिल कर लिया। अब करीब 4 साल बाद उन्हें प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है।
डा0 अत्री ने बताया कि वर्ष 2015 में उनका ध्यान सब्जी उगाने की तरफ था। इसके लिए मुक्तेश्वर में एक क्यारी बना रखी थी। जहां उन्होंने गेंदे का फूल भी उगा दिया। सब्जियों को मिल रहे पानी व खाद से यह फूल कुछ ही समय में बहुत फैल गया, लेकिन काफी समय तक इसमें फूल नहीं उगे।
आखिर में पौधे को उखाड़ने की सोची तो चमत्कारिक रूप से इसमें एक साथ कई फूल उगने शुरू हो गए। यह पौधा एक मीटर लंबा और इतना ही चौड़ा था। फूलों की गिनती के लिए इसे कई भागों में बांटा गया।


शारदीय नवरात्र की संपूर्ण संक्षिप्त जानकारी

शारदीय नवरात्र की संपूर्ण संक्षिप्त जानकारी
शारदीय नवरात्र घटस्थापना मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि, कथा, दुर्गा पूजा, नवमी, महानवमी और दशहरा की जानकारी



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से आरम्भ हो गये हैं। दुर्गा अष्टमी, महाष्टमी 6 अक्टूबर, नवमी, महानवमी 7 अक्टूबर और दशमी, दशहरा, विजयदशमी का पर्व 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्र में मां दूर्गा की विशेष पूजा की जाती है। इन नवरात्रों में 9 दिन मां के अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। मां के इन रूपों की पूजा करने से जीवन के सभी सुखों के साथ साथ सिद्धियों की भी प्राप्ति होती है।
शारदीय नवरात्रि का आरंभ अश्विन प्रतिपदा 29 सितंबर से नवमी तिथि तक शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की विशेष पूजा होती है। पहले नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त के साथ ही देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसके बाद देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा, देवी चंद्रघंटा की पूजा, देवी कूष्माण्डा की पूजा, देवी स्कंदमाता की पूजा, देवी कत्यायिनी की पूजा, देवी कालरात्रि की पूजा, देवी महागौरी की पूजा और देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि अनुसार की जाती है। शारदीय नवरात्रि को महानव्रात्रि के नाम से भी जाना जाता है। शारदीय नवरात्रि में नवमी तिथि के दिन छोटी छोटी कन्याओं को मां का रूप मानकर कन्या पूजा की जाती है और उनसे आर्शीवाद लिया जाता है।
शारदीय नवरात्रि में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 16 मिनट से 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा, अगर आप इस मुहूर्त में कलश स्थापना ना कर पायें तो घटस्थापना अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा उसमें कर लीजियेगा। दुर्गा अष्टमी, महाअष्टमी और अष्टमी में कन्या पूजन 6 अक्टूबर है। दुर्गा नवमी, महानवमी और नवमी की पूजा 7 अक्टूबर को की जाएगी। दशहरा और विजयदशमी का पर्व 8 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
शारदीय नवरात्रि में इस बार 5 सबसे शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि बन रहे हैं। इस दौरान सिद्धियां प्राप्ति के लिए विशेष पूजा की जाती है साथ ही कोई भी शुभ काम सर्वार्थ सिद्धि में किया जा सकता है।
सर्वार्थ सिद्धि तिथि
पहला नवरात्रि 29 सितंबर दिन रविवार, सर्वार्थ सिद्धि का समय सुबह 05ः43 से शाम 07ः08 तक
चौथा नवरात्रि 2 अक्टूबर दिन बुधवार, सर्वार्थ सिद्धि का समय दोपहर 12ः53 से (03 अक्टूबर) सुबह 05ः44 तक
पांचवां नवरात्रि 3 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार, सर्वार्थ सिद्धि का समय सुबह 05ः44 से दोपहर 12ः11 तक
आठवां नवरात्रि 6 अक्टूबर दिन रविवार, सर्वार्थ सिद्धि का समय दोपहर 03ः05 से (07 अक्टूबर) सुबह 05ः46 तक
नवमी, महानवमी, नौंव नवरात्रि 7 अक्टूबर दिन सोमवार, सर्वार्थ सिद्धि का समय शाम 05ः26 से (8 अक्टूबर) सुबह 05ः46 तक
अश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को शुरु होने वाले नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इन नवरात्रिें को अश्विन नवरात्रि भी कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के सभी नौ रुपों की पूजा की जाती है। यह नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरु होकर नवमी तिथि तक चलते हैं और इसके अगले दिन विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि 4 बार आतें हैं जिनमें दो गुप्त नवरात्रि होते हैं और दो बार के नवरात्रि जिनमें चैत्र और अश्विन मास के नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। शारदीय नवरात्रि में मां कि विधिवत पूजा और व्रत करने से जीवन की सभी समस्याएं समाप्त होती है। इसके अलावा इन नवरात्रिें में मां की आराधना करने से सिद्धियों की प्राप्ति भी होती है। शारदीय नवरात्रि में किया गया जप, तप और हवन विशेष लाभ पहुचांता है।
शारदीय नवरात्रि पूजा विधि 
नवरात्रि के पहले दिन सूर्याेदय से पूर्व उठकर साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद एक साफ चौकी लेकर उस पर एक लाल कपड़ा बिछाकर मां की प्रतिमा और तस्वीर स्थापित करें। 
प्रतिमा स्थापित करने के बाद मां का रोली से तिलक करें। उन्हें फूल और माला चढ़ाएं। इसके बाद गाय के गोबर का उपला लेकर उससे अज्ञारी करें। 
अज्ञारी के लिए उसमें कपूर, सामग्री, घी और बतासें चढ़ाएं। इसके बाद मां की धूप और दीप से आरती उतारें और मां का आर्शीवाद लें।
पौराणिक कथा के अनुसार एक समय महिषासुर ने देवलोक पर अपना अधिपत्य कर लिया था। वह सभी देवताओं का अंत करना चाहता था। महिषासुर को भैंसा दानव भी कहा जाता था। महिषासुर तीनों लोक पर अपना कब्जा करना चाहता था। कोई भी देवता उसका सामना नहीं कर सकता था। इसलिए सभी देवता ब्रह्मा जी के पास इस समस्या के समाधान के लिए गए। सभी देवताओं ने ब्रह्मा जी से यह आग्रह किया कि वह इस समस्या का कोई समाधान उन्हें बताएं। इसके बाद सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों का उपयोग करके देवी दुर्गा का निर्माण किया।
मां दूर्गा की उत्पत्ति सभी देवताओं की शक्तियों से ही किया जा सकता था। जिससे महिषासुर का अंत किया जा सके। मां दुर्गा का रूप अत्ंयत ही सुंदर और मोहक था। मां के मुख से करुणा, दया, सौम्यता और स्नेह झलकता है। मां की दस भुजाएं हैं और सभी भुजाओं अलग-अलग अस्त्र से सुशोभित हैं। सभी देवताओं की और से उन्हें अस्त्र प्राप्त थे। 
भगवान शिव ने त्रिशुल, भगवान विष्णु ने चक्र, भगवान वायु ने तीर आदि दिए हैं। जिससे वह पापियों का अंत कर सकें और धरती पर पुनरू धर्म की स्थापना कर सकें। मां शेर की सवारी करती हैं। यह शेर हिमावंत पर्वत से लाया गया था। महिषासुर को यह वरदान था कि वह किसी कुंवारी कन्या के हाथों ही मरेगा। जिस समय मां महिषासुर के सामने गई। वह मां के रूप पर अत्यंत मोहित हो गया और मां को अपने आधीन के लिए कहा। मां को उसकी इस बात पर अत्यंत क्रोध आया और मां ने उसका वध कर दिया। मां ने अपने शास्त्रों का प्रयोग करके उसे मार डाला तो मां के शेर ने भी उसके शरीर का रक्तपान किया। इसी वजह से हर साल नवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है और मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
मां दूर्गा की स्थापना के बाद उनके सभी रूपों की पूजा करने के बाद अंत में मां को नवमी के दिन विदा किया जाता है। इसके लिए कन्याओं को भोजन कराया जाता है। नौ छोटी- छोटी कन्याओं को माता का स्वरूप मानकर उनको सूजी के हलूए और चने का प्रसाद बनाकर उनको भोजन कराया जाता है। इसके बाद उन्हें उपहार स्वरूप कुछ न कुछ अवश्य दिया जाता है। इसके बाद उनके पैर छुकर उनका आर्शीवाद प्राप्त किया जाता है। इस तरह से नवरात्रि की संपूर्ण विधि को संपन्न करने के बाद नवमी के दिन मां दूर्गा को विदा किया जाता है। कन्या पूजन के बिना नवरात्रि के व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसलिए नवरात्रि में महानवमी के दिन कन्या पूजन को अधिक महत्व दिया गया है।
शारदीय नवरात्रि की नवमी के अगले दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक रूप में मनाया जाता है। माना जाता है। इसी दिन भगवान राम ने रावण को मारकर माता सीता को कैद से मुक्त कराया था। विजयदशमी को उत्तर भारत में विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले बनाकर हर साल फूंके जाते हैं। जिससे लोगांे को बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश दिया जाता है। विजयदशमी पर मेलों कई जगह पर मेलों का भी आयोजन होता है। हिंदू धर्म के अनुसार विजयदशमी को अधिक महत्व दिया जाता है।


शनिवार, 28 सितंबर 2019

जनरल बिपिन रावत ने चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला  

थलसेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने चीफ्स आफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला  



एजेंसी
नई दिल्ली। थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने एक संक्षिप्त समारोह में चीफ आफ स्टाफ कमेटी सीओएससी के निवर्तमान अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ से सीओएससी के अध्यक्ष पद की बैटन प्राप्त की।
सीओएससी के निवर्तमान अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ ने तीनों सेनाओं से संबंधित सभी मामलों पर अग्रणी भूमिका निभाई। भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की पूरी स्क्वार्डन के विमानों के परिचालन और उड़ान भरने का व्यापक अनुभव रखने वाले एयर चीफ मार्शल को 31 मई को सीओएससी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। उनके प्रबंधन में तीनों सेनाओं ने 'एकता के जरिये जीत' के ध्येय वाक्य के अनुरूप अनेक मोर्चों पर एकता और एकजुटता प्रदर्शित करते हुए शानदार कामयाबी हासिल की।
41 वर्षों के गौरवशाली करियर के साथ जनरल बिपिन रावत आपरेशनल और स्टापफ से संबंधित लंबे अनुभव के धनी हैं। थल सेना अध्यक्ष के रूप में वह जनवरी 2017 से सीओएससी के सदस्य हैं। सीओएससी में उनके कार्यकाल के दौरान कमेटी ने एकता और एकजुटता के लक्ष्य के साथ तीनों सेनाओं के बीच परिचालन, प्रशिक्षण और प्रशासन से संबंधित विविध मामलों पर विचार-विमर्श किया। जनरल रावत ने अपनी दूरदृष्टि और व्यवसायिक सूझबूझ के साथ महत्वपूर्ण मामलों पर अपने तटस्थ विचार प्रकट करते हुए इस कमेटी में अपार योगदान दिया है।  
सीओएससी के अगले अध्यक्ष के तौर पर जनरल रावत चीफ आफ डिफेन्स स्टाफ सीडीएस की नियुक्ति को अमल में लाने, तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण को बढ़ावा देने, सेनाओं की समकालिक प्रगति को प्रोत्साहन देने, आधुनिक युद्व कौशल क्षमताओं का त्वरित संचालन करने और उन्हें समकालिक बनाने पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं ताकि सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित किया जा सके।


65 साल का हाथी बना वीवीआईपी, सुरक्षा में तैनात रहेगी सेना

65 साल का हाथी बना वीवीआईपी, सुरक्षा में तैनात रहेगी सेना



एजेंसी
कोलंबो। नेताओं या फिर अन्य महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा में आपने जवानों को तैनात रहते हुए जरूर देखा होगा लेकिन क्या कभी ये देखा है कि किसी जानवर की सुरक्षा हथियारों से लैस जवान कर रहे हों।
दरअसल श्रीलंका की सरकार ने एक हाथी की सुरक्षा के लिए हथियारों से लैस जवानों को तैनात करने का फैसला किया है। बता दें कि इस हाथी का नाम नंडुनगमुवा राजा है जिसकी ऊंचाई करीब 10.5 फीट है। यह श्रीलंका का सबसे बड़ा पालतू हाथी है जिसकी उम्र 65 साल हो चुकी है।
नंडुनगमुवा की सुरक्षा का श्रीलंकाई सरकार ने फैसला इसलिए लिया है क्योंकि वो वहां के पारंपरिक त्योहारों के दौरान कई मुख्य सड़कों से गुजरता है। इस दौरान कोई उसे नुकसान न पहुंचाए इसलिए सरकार ने उसकी सुरक्षा के लिए एक सैन्य टुकड़ी को तैनात कर दिया है।
नंडनगमुवा हाथी की सुरक्षा को लेकर उसके मालिक ने कहा कि साल 2015 में एक कार्यक्रम के दौरान हाथी एक बाइक से टकराते-टकराते रह गया था। इसे वाकये का वीडियो देखने के बाद सरकार ने उसके मालिक से संपर्क किया और पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का भरोसा दिया था। सैनिकों के साथ हाथी को नियंत्रित करने के लिए दो महावतों की भी सरकार ने नियुक्ति की है।
दिलचस्प है का नंडनगमुवा हाथी वहां इसलिए भी लोकप्रिय है क्योंकि वो उन चुनिंदा हाथियों में शामिल हैं जो हर साल भगवान गौतम बुद्ध के अवशेष वाले पिटारे को झांकी के दौरान बौद्ध मंदिर तक पहुंचाता है।
इस झांकी के लिए और पिटारे को बौद्ध मंदिर तक पहुंचाने के लिए हाथी को हर साल अगस्त महीने में कैंडी हिल रिसॉर्ट तक 90 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है। इस आयोजन में वहां करीब 100 हाथी हिस्सा लेते हैं।


 


जमीन के हर टुकड़े की होगी अपनी पहचान

जमीन के हर टुकड़े की होगी अपनी पहचान, मिलेगा यूआईडी नंबर



ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनीक लैंड पार्सल नंबर सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है। यह नंबर सर्वे किए गए हर प्लॉट को दिया जाएगा। इस कदम से जमीन के मालिकाना हक में गड़बड़ी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
एजेंसी
नई दिल्ली। देश में जमीन को जल्द ही एक यूनीक आइडेंटिटी नंबर दिया जाएगा। इस कदम से जमीन के मालिकाना हक में गड़बड़ी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्टैंडर्ड यूनीक लैंड पार्सल नंबर के सिस्टम पर काम शुरू कर दिया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह नंबर सर्वे किए गए हर प्लॉट को दिया जाएगा।
यूनीक आइडेंटिटी नंबर में प्लॉट के साइज और मालिकाना हक के विवरणों सहित राज्य, जिला, तहसील, तालुका, ब्लॉक और सड़क की जानकारी होगी। अधिकारी ने कहा कि यूनीक लैंड पार्सल नंबर को बाद में आधार और रेवेन्यू कोर्ट सिस्टम से लिंक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार का मानना है कि सभी जमीनों को यूनीक आइडेंटिटी नंबर देने से रियल एस्टेट ट्रांजैक्शंस में आसानी होगी, प्रॉपर्टी के टैक्सेशन से जुड़े मुद्दों में मदद मिलेगी और सरकारी प्रॉजेक्ट्स के लिए जमीन का अधिग्रहण करना आसान होगा। यह लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन की दिशा में कदम होगा।
यह किसी इन्सान को मिलने वाले आधार की तरह होगा। एक नंबर से प्लॉट की खरीद-बिक्री, टैक्स के भुगतान और मालिकाना हक से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी। सरकार लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन को लेकर अब आगे बढ़ रही है। यह जीआईएस-टैग्ड होने के कारण किसी भी जमीन के विवरण हासिल करना आसान हो जाएगा।
ऐसा अनुमान है कि देश की अदालतों में लंबित मामलों में जमीन से जुड़े विवादों की हिस्सेदारी लगभग दो-तिहाई की है। ऐसे मामलों के समाधान में कई वर्ष लगते हैं और इससे इन जमीनों पर निर्भर सेक्टर्स और प्रॉजेक्ट्स पर असर पड़ता है। इसके अलावा लोन लेने के लिए अक्सर जमीन का इस्तेमाल जमानत देने की खातिर किया जाता है। जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद होने से ऐसी जमीन गिरवी नहीं रखी जा सकती।
यूनीक आइडेंटिटी नंबर की लंबे समय से जरूरत है। इस सिस्टम को लागू करने से देश के लैंड रिकॉर्ड को व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी। इससे देश के रियल्टी सेक्टर में विदेशी निवेशकों की दिलचस्पी भी बढ़ेगी, जो जमीनों के मालिकाना हक को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने से निवेश करने से हिचकते हैं।
सरकार पहले ही प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस के कंप्यूटराइजेशन और सभी लैंड रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन के लिए नैशनल लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम को लागू कर रही है। हालांकि कुछ राज्यों में इसे लेकर प्रगति बहुत धीमी है। फाइनैंस मिनिस्ट्री ने हाल में एक रिपोर्ट में कहा था कि देश को एक अलग डिजिटल लैंड रिकॉर्ड मिशन की जरूरत है।


आचार संहिता की जय

आचार संहिता की जय
चेतन सिंह खड़का
देहरादून। यह जब जब लगी, इसने खून के आंसू रुलाया। हर बार मुंह में आते ग्रास को छिना। अब तो इसका नाम लेकर दातागण पिण्ड छुड़ा ले रहे हैं।
इस पीड़ा को एक प्रकाशक से बेहतर कौन महसूस कर सकता है। साल दो साल में इसका कहर लघु और छोटे मझोले समाचार पत्रों पर टूटता ही है। हां, बड़े बेनर की इससे यारी है। विज्ञापन हो या पेड़ न्यूज, बड़े बढ़े रहते हैं। लेकिन ले दे के गाज लघु एवं छोटे मझौले अखबारों पे गिरती है। 
सरकार बड़ों को ओबलाइज करतीं हैं और बाकी उपेक्षित कर दिए जाते हैं। अब क्यों रोना रोयें, क्योंकि समरथ को नहीं दोष गुसाईं। बंस इतना ही कि आचार संहिता तेरी जय। अब जल्दी से दफा हो। यों पेट में लात मत मार।


पैन कार्ड से आधार कार्ड को लिंक करने की बढ़ी तारीख

पैन कार्ड से आधार कार्ड को लिंक करने की बढ़ी तारीख
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब आधार से पैन कार्ड को लिंक कराने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर तय की गई है। इससे पहले यह 30 सितबंर थी।



एजेंसी 
मुंबई। पैन कार्ड से से आधार कार्ड को लिंक कराने की अंतिम तारीख को बढ़ा दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब आधार से पैन कार्ड को लिंक कराने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2019 तय की गई है। इससे पहले यह 30 सितबंर 2019 थी। बता दें कि जुलाई में बजट पेश के दौरान पैन-आधार लिंकिंग नियमों में बदलाव की जाने की घोषणा की गई थी। सेंट्रल बोर्ड आफ डायरेक्ट टैक्सेज सीबीडीटी ने पैन-आधार लिंक करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2019 घोषित की है।
आपका पैन और आधार लिंक है या नही इसे जानने के लिए आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट https://www1.incometaxindiaefiling.gov.in/e&FilingGS/Services/AadhaarPreloginStatus.html पर जा सकते हैं। इसके बाद आपको जानकारी मिल जाएगी।
बताया गया है कि वित्त मंत्रालय ने आधार और पैन कार्ड को लिंक कराने की आखिरी तारीख 30 सितबंर से बढ़ाकर 31 दिसंबर 2019 कर दी है। इसको लेकर नोटिफिकेशन भी जारी किया है।
आधार और पैन कार्ड को लिंक करने के लिए सबसे पहले आपको इनकम टैक्स की ऑफिशियल वेबसाइट www.ncometaxindiaefiling.gov.in  पर जाना होगा. जहां पर आपको पैन-आधार लिंक करने का विकल्प दिखाई पड़ेगा। आईटी की वेबसाइट पर दिए गए लिंक पैन आधार लिंक ऑनलाइन पर क्लिक करिए। अपना पैन नंबर डालिए। पूछे गए स्थान पर अपना आधार नंबर डालिए।
आधार में लिखा गया अपना नाम सही कैटेगरी में भरिए। अगर आपके आधार कार्ड में केवल बर्थ ईयर ही लिखा हुआ है तो आप उस बॉक्स पर मार्क करिए जहां पर लिखा हो- आई हैव ओनली ईयर ऑफ बर्थ इन आधार कार्ड। अगर आप अपनी आधार से जुड़ी डिटेल्स को यूआईडीएआई से चेक कराना चाहते हैं तो आप आई एग्री टू वैलिडेट माय आधार डिटेलस विद यूआईडीएआई वाले बॉक्स को टिक करें।
पैन कार्ड को आधार कार्ड के साथ लिंक करने के लिए स्क्रीन पर नजर आने वाले इमेज कोड को भी भरना होगा। अगर आपको इस चरण में किसी तरह की परेशानी आ रही है तो आप ओटीपी के लिए भी रिक्वेस्ट कर सकते हैं। इसके बाद आधार पैन को लिंक करने के लिए लिंक आधार के विकल्प पर क्लिक करें।


जिलाधिकारी से की पर्यावरणविद डॉ सोनी ने मुलाकात

जिलाधिकारी से की पर्यावरणविद डॉ सोनी ने मुलाकात

संवाददाता

नई टिहरी। टिहरी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाओं में नियुक्त पीठासीन अधिकारी के प्रशिक्षण लेने पहुचे वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने जिलाधिकारी डॉ वी षणमुगम से मुलाकात की।

उन्होंने कहा  कि जिलाधिकारी ने प्रशिक्षण ले रहे कर्मचारियों के लिए उपस्थिति के समय ही तीन कूपन जिसमे चाय, नास्ता व भोजन की निःशुल्क व्यवस्था की हैं वो तारीफेकाविल हैं। वृक्षमित्र ने उनकी इस पहल की सराहना करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी को बधाई दी। साथ ही उन्होंने ने अपने द्वारा पौधों को विशेष खास दिवसों पर भावनाओ से जोड़कर पौधरोपण के संबंध में बताया।

डा० सोनी ने कहा कि पौधों का रोपण मित्र के रूप में हो इसके लिए मेरा पेड़-मेरा दोस्त अभियान चलाकर जन जन को जागरूक व प्रेरित कर रहा हुं। जिलाधिकारी डॉ वी षणमुगम ने डा सोनी द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए बधाई दी। 

जिलाधिकारी से मुलाकात में राजेंद्र कैंतुरा,संजय नौटियाल, प्यार सिंह पोखरियाल, अरविंद भट्ट आदि मौजूद थे।

मुख्यमन्त्री शराब माफियाओं से यारी/डील का खुलासा कब करेंगेः मोर्चा 

सीरियल अटैक-6
मुख्यमन्त्री शराब माफियाओं से यारी/डील का खुलासा कब करेंगेः मोर्चा 



- सुप्रीम कोर्ट के आदेश को माफियाओं के हित में किया गया था दरकिनार 
- सत्ता संभालते ही राज्य मार्ग को किया गया था जिला मार्ग घोषित
- लोक निर्माण विभाग का जिम्मा भी है सीएम त्रिवेंद्र के पास
संवाददाता
विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बयान 'भ्रष्टाचार है तो तुरन्त बतायें' की कड़ी में मोर्चा द्वारा सीरियल अटैक किये जाने की घोषणा की गयी थी।
उक्त मामले में छठवां अटैक करते हुए नेगी ने कहा कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करते ही मात्र 15-20 दिन के भीतर शराब माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए रातों-रात राज्य मार्ग को जिला मार्ग घोषित कर दिया, जबकि राज्य मार्गों पर शराब की दुकानों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी, लेकिन जिन शराब माफियाओं की बदौलत मुख्यमंत्री पद नसीब हुआ, उनका एहसान उतारने के लिए सीएम त्रिवेंद्र रावत, जिनके पास लोक निर्माण विभाग का जिम्मा भी है, ने दिनांक 08/04/17 को माफियाओं के हक में आदेश जारी कर दिया। नेगी ने कहा कि प्रदेश की जनता अपने हक हकूक के लिए परेशान है लेकिन ऐसी फुर्ती जनमानस के लिए जीरो टालरेंस के महानायक ने कभी नहीं दिखाई।
मोर्चा सीएम से मांग करता है कि शराब माफियाओं से यारी/डील की दास्तान कब जगजाहिर करोगे!


पूर्व सी0एम0 हरीश रावत की कथनी करनी में अन्तर

समाचारः समीक्षा 
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, सच को सच कहने की हिम्मत
पूर्व सी0एम0 हरीश रावत की कथनी करनी में अन्तर



दोस्त-दुश्मन की पहचान नहीं, सत्तारूढ दल के नेताओं पर आक्रामक हुए
जगमोहन सेठी
देहरादून। उत्तराखण्ड नैनीताल हाईकोर्ट में 1 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्राी हरीश रावत के स्टिंग मामले की सुनवाई होने जा रही है। गौरतलब है कि 20 सितम्बर को जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अचानक जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे ने हरीश के खिलापफ हुए स्टिंग आपरेशन की सुनवाई के मामले का 1 अक्टूबर तक टालकर खुद सुनने से इन्कार कर दिया था। 
नतीजतन अटकलबाजीयों का बाजार गर्म हो गया। हर नेता, वकील अपने अपने तरीकों से कहानियां और चर्चाएं गढ़ते सुनाई दिये। जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे जो अपनी निष्पक्ष न्यायप्रियता, ईमानदारी, किसी के दबाव में न आने वाले न्यायमूर्ति के रूप में अपनी प्रतिष्ठा और पहचान बनी हुई हैं, ने अचानक ही जिस तौर तरीके से हरीश रावत और उनके समर्थकों ने राजनीतिक अपफवाहों को रंग देने की नाकाम कोशिश की उसे महंगी पड़ सकती है। 
हकीकत यह बतायी जाती है कि 1 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई के दौरान हरीश रावत के लिए परेशानियां बढ़ सकती है। सी0बी0आई0 ने भी जमकर बहस करने का मन बना लिया है। इसमें कोई शक नहीं कि नाजुक हालातों को देखते हुए हरीश रावत ने अपने पार्टी कांग्रेस के प्रादेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्राी इन्दिरा हृदेश के दरबार में जाकर अपने बचाव के लिए गुहार लगाई है। 
उल्लेखनीय है कि ये दोनांे नेता पिछले कई सालों से हरीश रावत से नाराज चले आ रहे है। हरीश रावत के घड़याली आंसूओं को पौंछने के लिए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और इन्दिरा हृदेश ने एक औपचारिक पत्राकार सम्मेलन कांग्रेस भवन में बुलाया। सम्मेलन में जिस तौर तरीके से स्टिंग आपरेशन के बारे में हरीश रावत के साथ हमदर्दी दिखाने का नाटक खेल तथा कांग्रेसियों के समर्थन देने की बात की उसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे है। यानि यूं कहिये कि कांग्रेस की आंतरिक सियासत गरमा गयी है। 
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह एवं तेज तर्रार कांग्रेसी नेत्राी इंदिरा हृदेश मीडिया के सामने तो यह कहते है कि वह पूर्व विश्वासघाती मुख्यमंत्राी की इस संकट की घड़ी में उनके साथ खड़े हैं परन्तु हरीश मन ही मन डर रहे हैं कि उनके ये घोर विरोधी नेता के मन में हकीकत से कुछ और दिखाई देती है। हाईकोर्ट पर दबाव बनाने के लिये हरदा ने अपने समर्थकों के पास पहुंचने के लिये कहा पूर्व मुख्यमंत्री को डर सताये हुए है। उनका आत्म विश्वास टूट चुका है।
हाईकोर्ट पर दबाव बनाने के लिये हरदा ने अपने समर्थकों के पास पहुंचने के लिये कहा
कांग्रेस भवन में ही कई छोटे बड़े कांग्रेसियों का कहना है कि हरीश रावत ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ जैसी बेवपफाई की है अब वैसा ही भुगत रहे है। सभी की कथनी करनी में अन्तर है अंदर से खुश हैं और बाहर से हरीश के प्रति वपफादारी दिखा रहे है। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सी0बी0आई0 को कोसते हुए कहा है कि वह मुख्यमंत्राी हरीश रावत के स्टिंग आपरेशन में तिल का ताड़ बनाकर रिपोर्ट दर्ज कर रही है। यदि उनकी गिरफ्रतारी की गयी तो यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि उत्तराखण्ड कांग्रेस हरीश रावत के साथ खड़ी है। 
अन्दरूनी जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से सी0बी0आई0 हरीश रावत की गिरफ्रतारी के लिए एपफ0आई0आर0 की लिखा पढ़ी कर रही है। हरीश रावत को डरने की जरूरत नहीं है, उत्तराखण्ड की कांग्रेस उनके साथ खड़ी है। गौरतलब है कि हरीश रावत के वकीलों ने 20 सितम्बर हो हुई सुनवाई में इस बात का विरोध किया था कि सी0बी0आई0 को अधिकार नहीं है कि वह अपनी प्रारम्भिक जांच की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। क्योंकि स्टिंग आपरेशन में राज्यपाल द्वारा दी गयी अनुमति को पलटा नहीं जा सकता। जबकि हरीश रावत के वकीलों का कहना था कि चुनी हई सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन के दौरान स्टिंग मामले की सी0बी0आई0 जांच संबंधी संस्तुति करने के नोटिपिफकेशन को वापस ले लिया था और जांच के लिए एस0आई0टी0 का गठन किया गया था। 
यह पहला मौका है जब उत्तराखण्ड के सट्टोरियों ने हरीश रावत की गिरफ्रतारी पर हजारों रूपयों का सट्टा लगाया हुआ है कि वह जेल जांएगे या नहीं। पिछली तारीख पर जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे की आदालत में सुनवाई के दौरान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व अध्यक्ष अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और विपक्ष की नेता इन्दिरा हृदेश अपने समर्थकों के साथ नैनीताल पहुंची थी, लेकिन सुनवाई न होने के कारण मामला 1 अक्टूबर तक टाल दिया गया। 


सम्पर्क सूत्रः jagmohan-journalist/yahoo.com, jagmohanblitz@gmail.com


शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

99 रुपये में पूरे साल मच्छरों से सुरक्षा!

99 रुपये में पूरे साल मच्छरों से सुरक्षा!



बीमार पड़े तो मिलेगा इलाज का पूरा खर्च
सिर्फ 99 रुपये में मच्छरों के काटने से होने वाली 7 खतरनाक बीमारी से सुरक्षा कवर
एजेंसी
नई दिल्ली। एयरटेल पेमेट्स बैंक और एचडीएफसी ईआरजीओ जनरल इंश्योरेंस कंपनी साथ मिलकर मोस्किटो डिसीज प्रोटेक्शन पॉलिसी लेकर आई हैं। इस पॉलिसी के तहत एयरटेल पेमेंट्स बैंक के कस्टमर्स को सिर्फ सालाना 99 रुपये में मच्छरों के काटने से होने वाली 7 खतरनाक बीमारी जैसे डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जापानी एन्सेफलाइटिस, काला-अजार, लसीका फाइलेरियासिस (एलिफेंटियासिस) और जीका वायरस से सुरक्षा कवर मिलेगा। इन बीमारियों की गंभीरता को समझते हुए कंपनी ने यह पॉलिसी लॉन्च की है।
बता दें कि दुनियाभर में जितने भी संक्रामक रोग है उनमें 17 फीसदी सिर्फ मच्छर के काटने से होते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के आंकड़ो के मुताबिक साल 2015 में मलेरिया ने दुनियाभर 4,38,000 लोगों की जान ली। वहीं सिर्फ भारत में 2015 में डेंगू के 99,913 केस दर्ज कराए गए। डेंगू, मलेरिया के अलावा मच्छर के काटने से चिकनगुनिया, जापानी एन्सेफलाइटिस, काला-अजार, लसीका फाइलेरियासिस (एलिफेंटियासिस) और जीका वायरस जैसी खतरनाक बीमारियां भी होती है।
मॉस्किटो डिसीज प्रोटक्शन पॉलिसी एचडीएफसी ईआरजीओ के 'वॉलेट इंश्योरेंस पॉर्टफोलियो' का एक हिस्सा है। इसके तहत मच्छरों से होने वाली 7 खतरनाक बीमारियों के लिए एयरटेल पेमेंट्स बैंक के कस्टमर्स को 99 रुपये में इंश्योरेंस कवर दिया जाएगा।
पॉलिसी के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 24 घंटे से कम समय के लिए भी हॉस्पिटल में भर्ती होता है तो उसका खर्च भी इस पॉलिसी के तहत कवर किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे लेबर हैं जो डेली वेजेस पर काम करते हैं। अगर वो बीमारी के चलते एक दिन पर काम पर न जाए तो उनके पैसे काट लिए जाते हैं।
इस प्रोटेक्शन प्लान के तहत ऐसे लोगों को फाइनेंशियल सुरक्षा प्रदान की जाएगी। अगर कोई व्यक्ति बीमारी के चलते काम पर हॉस्पिटल में भर्ती है तो इस पॉलिसी के तहत उसे उसकी दिन की मजदूरी जितना पैसा भी दिया जाएगा।


सरकार ने पेंशन नियमों में किया बदलाव

सरकार ने पेंशन नियमों में किया बदलाव



7 साल से कम की सर्विस पर भी फैमिली को मिलेगी बढ़ी हुई पेंशन
सरकार ने इस बारे में पेंशन नियमों में संशोधनों को अधिसूचित कर दिया 
एजेंसी
नई दिल्ली। 7 साल से कम के सेवाकाल में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु पर उसके परिवार के सदस्य अब बढ़ी हुई पेंशन पाने के हकदार होंगे। सरकार ने इस बारे में पेंशन नियमों में संशोधनों को अधिसूचित कर दिया है। माना जा रहा है कि इस कदम का लाभ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों की विधवाओं को मिल सकेगा।
इससे पहले किसी कर्मचारी के परिजनों को आखिरी वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ी हुई पेंशन तभी मिलती थी, जब कर्मचारी ने मृत्यु से पहले कम से कम सात साल तक सर्विस दी हो। अब सात साल से कम के सेवाकाल में मृत्यु होने पर भी कर्मचारी के परिजन बढ़ी हुई पेंशन पाने के पात्र होंगे। यह पेंशन 10 सालों तक मिलेगी।
सरकारी अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) दूसरा संशोधन नियम, 2019 नामक ये नियम एक अक्टूबर 2019 से लागू होंगे।
अधिसूचना में कहा गया है कि ऐसे सरकारी कर्मचारी जिनकी मृत्यु एक अक्टूबर 2019 तक दस साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले हो जाती है और उन्होंने लगातार सात साल तक का सेवाकाल पूरा नहीं किया है, उनके परिजनों को एक अक्टूबर 2019 से उप नियम (3) के तहत बढ़ी हुई दर पर पेंशन मिलेगी। इसके लिए पारिवारिक पेंशन पाने की अन्य शर्तों को पूरा करना होगा।
इसमें कहा गया है कि मृत्यु पर गैच्युटी के संदर्भ में ग्रैच्युटी की राशि कार्यालय के प्रमुख द्वारा कर्मचारी के पूरे सेवाकाल के बारे में जानकारी और सत्यापन के बाद तय की जाएगी। कार्यालय प्रमुख अस्थायी मृत्यु ग्रैच्युटी के भुगतान की तारीख से छह माह के भीतर इस राशि को तय करेगा।
कार्मिक एवं लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने बयान में कहा कि सरकार का मानना है कि पारिवारिक पेंशन की बढ़ी दर किसी सरकारी कर्मचारी के अपने करियर की शुरुआत में मृत्यु होने की स्थिति में अधिक जरूरी है क्योंकि शुरुआत में उसका वेतन भी कम होगा। इसी के मद्देनजर सरकार ने 19 सितंबर 2019 को जारी अधिसूचना के जरिए केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1972 के नियम 54 में संशोधन किया है।


जनधन के पैसों से सरकार अपनी छवि चमकाने में मशगूल

कर्ज में डूबी त्रिवेंद्र सरकार जनधन के पैसों से अपनी छवि चमकाने में मशगूल



मनमोहन लखेड़ा
देहरादून। त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने उत्तराखंड से प्रकाशित सभी लघु एवं मध्यम समचार पत्रों के अस्तित्त्व को पूरी तरह समाप्त करने की ठानी है। इस कार्य में त्रिवेन्द्र के मूर्ख मीडिया सलाहकारोँ का भी अहम योगदान है। तधाकथित केवल तीन-चार अखबारों को ही सूचना विभाग द्वारा विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। जबकि उत्तराखण्ड प्रिंट मीडिया विज्ञापन की सूचीबद्ता मे प्रदेश से प्रकाशित लगभग 1400 लघु एवं मध्यम वर्ग के समाचार पत्र शामिल हैं।
सूचना विभाग की नियमावली के अनुसार उक्त सभी सूचीबद्ध समाचार पत्रों को वर्ष वार निर्धारित विज्ञापन दिये जाने का प्रावधान है लेकिन एक साज़िश के तहत उन विज्ञापनो को भी बन्द कर दिया गया है। इससे पहले बिना किसी भेदभाव के प्रदेश से प्रकाशित होने वाले छोटे व मंझोले दैनिक व साप्ताहिक समाचारपत्रों को सजावटी विज्ञापन ज़ारी किये जाते थे लेकिन अब उन्हें इससे वंचित रखा गया है। यह सरासर त्रिवेंद्र सरकार की छोटे समाचार पत्रों की अवहेलना व उन्हें हत्तोसाहित करना है। हकीकत तो यह है कि सरकार की उप्लबधियों व कार्यक्रमों को जन जन तक पहुँचाने में छोटे व मझोले समचार पत्र अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
बताया जाता है कि प्रिंट मीडिया का 80 प्रतिशत बजट तथाकथित तीन-चार बडे अखबारों को विज्ञापनो के तौर पर दिया जा रहा है। वहीं त्रिवेंन्द्र रावत ने विज्ञापन रूपी समाचार प्रकाशित कर स्वयं अपनी उपलब्धियों का गुणगान करने की एवज में उक्त अखबारों को लाखों रुपये खैरात के तौर पर बांटा हैं। सूचना विभाग के आला अफसर मौन है। भरोसेमन्द सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के मुखिया त्रिवेन्द्र रावत ने केवल तीन अखबारों पर ही कृपा करने के मौखिक आदेश अपने अधीनस्थ विभाग के अफसरों को दिये हुए हैं। वंही दूसरी ओर त्रिवेंन्द्र सरकार ने दिल्ली, कर्नाटक, लखनऊ की मैग्ज़ीनो को विशेषांक के नाम पर करोड़ों रूपये लुटा दिये। विशेषांकांे की बन्दर बांट में मीडिया सलाहकारों की भी अहम भूमिका बतायी जाती है। बहरहाल 50 हज़ार करोड़ रूपये के कर्ज में डूबी सरकार जन धन के रूपये से अपनी छवि चमकाने में कोई कसर नही छोड़ रही है। त्रिवेंन्द्र सरकार के खिलाफ पत्रकारों में काफी रोष है। सरकार की इस भेदभाव नीति के खिलाफ प्रदेश के पत्रकारों ने आँदोलन छेड़ने का ऐलान किया है।


घोंचू पुलिस का पालनहारः पुलिस व्यवस्था चरमराई

समाचारः समीक्षा
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, सच को सच कहने की हिम्मत
घोंचू पुलिस का पालनहारः पुलिस व्यवस्था चरमराई



जगमोहन सेठी


देहरादून। इस समाचार को लिखे जाने तक कुल मिलाकर जहरीली शराब पीने से 7 व्यक्तियों की मौत हो गयी है। इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है, शहर में आम सवाल लोग एक दूसरे से पूछ रहे है। कुछ लोग तो वरिष्ठ पुलिस कप्तान अरूण मोहन जोशी की भ्रष्ट, बेईमान, पुलिस कोतवाली को दोषी ठहरा रहे है वहीं कुछ लोग जहरीली शराब सप्लाई करने वाले भाजपायी पार्षद अजय कुमार सोनकर उर्फ घोंचू सहित उसके अन्य दो भाईयों को दोषी ठहरा रहे है। जबकि घोंचू का छोटा भाई चकराता रोड़ पर जूस बेचता है, इसके बारे में घोंचू के आस पड़ोस के लोग कहते हैं वह एक शरीफ आदमी है। जबकि उसके भाई का घोंचू के धन्धे से कोई लेना देना नहीं है। 


जहरीली शराब से 7 पीयक्कड़ लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है? दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं है?



इस बात को घोंचू के आस पड़ोस में रहने वाले लोग भी मानते है। बाहर से आये मेहमान घोंचू के चाचा का इस काण्ड से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन पुलिस उसे भी उठा कर ले गई है। कई ऐसे सनसनीखेज तत्थ उजागर हुए है जिनमें घोंचू को बचाने के लिए कमजोर सबूतों पर आधारित कहानी गढ़ी गयी है। जहरीली शराब सप्लाई करने के कारण पुलिसिया भ्रष्टाचार को लेकर पुलिस कप्तान अरूण मोहन जोशी की कथनी और करनी में अन्तर लग रहा है। 
दारू पीने वाले मीडिया का एक गुट शहर कोतवाल के समर्थन में उसे साफ सुथरी छवि वाला बता रहे है तो दूसरा गुट अपने तौर तरीकों से भ्रष्ट, बेईमान साबित करने में लगे है। कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि मीडिया अपने तौर तरीके से शराब के प्रलोभन में अपना खेल खेल रहा है और मुर्गीबाजी की तलाश में लगा रहता है। इस प्रकरण को लेकर एक चैनल के वरिष्ठ पत्रकार होने का दावा करने वाले ब्यूरो प्रभारी का कहना है कि जो अकसर किसी न किसी बहाने से पुलिस अधिकारियों के घरों में जाकर शराब पीने व लम्बी लम्बी सिगरेटों का शौकीन है। अकसर ये पत्रकार सचिवालय के मीडिया सेन्टर और प्रेस क्लब में कुन्ठाओं से ग्रस्त डींगे हांकता रहता है कि वह पुलिस विभाग के आई0पी0एस0 अधिकारी के साथ दारू पीता है, उनका दोस्त है। 
यह भी हकीकत है कि वह अपने दो जूनियर दलाल पत्रकारों की मदद् से दिनभर अधिकारियों उनके कार्यकलापों के बारे में जानकारियों हासिल करता रहता है और अपने तौर तरीकों से इस्तेमाल करता है। गहरी छानबीन के बाद कहा जा सकता है कि अजय सोनकर उर्फ घोंचू ने नदी की जमीन पर अवैध कब्जे करके कच्चे-पक्के मकानों का निर्माण कराया है। लेकिन न जाने क्यों पार्षद के दबदबे के कारण निगम के कर्मचारी और दूसरे पार्षद आंखें बन्द किये हुए है। कहने वाले तो यहां तक कहते है कि निगम के अन्दर एक ऐसा काकस बन चुका है जो घोंचू के इशारे पर नाचता है। नही तो किसकी हिम्मत है कि नदी के किनारे शराब सप्लाई का शानदार दफ्तर बनाये हुए है। 
एक ईमानदार, युवा वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक के ये पुलिस कर्मी पिछले कई सालों से अवैध शराब की सप्लाई का कार्य कर रहे हैं। मजे की बात यह कि कि पुलिस की नाक के नीचे ही घोंचू के पार्टी ने नाम पर ही कार्यकर्ता घर-घर शराब बेचते और सप्लाई का काम करते है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि घर घर सप्लाई मंहगी होनी चाहिये थी परन्तु घोंचू की शराब दुकान से भी ज्यादा सस्ती घर पर ही मुहैया हो रही है तथा रात लगभग 9 बजे से सुबह 2-2ः30 बजे तक शराब, मुर्गा मुसल्लम की दावतों का दौर चलता रहता है। नतीजतन गश्त लगाने वाले पुलिस कर्मचारी और अधिकारी घोंचू के दफ्तर और आवास पर छापेमारी न कर उसके दरबार में खाते पीते रंगरलियां में अपनी थकान को उतारते हैं। अपुष्ट खबरों पर यकीन करें तो अपनी गश्त की थकान को उतारने के घोंच और उसके कारिंदे पुलिस के साथ रंगरंगीलीयों का खेल भी खेलते हैं। घोंच ने पार्षद होने के प्रभाव का नाजायज फायदा उठाकर कब्जाई जमीनों पर झुग्गी झोपड़ी, कच्चे पक्के मकानों में कूड़ा बिनने वाली औरतों को अच्छे खासे मोटे किराये पर रहने के लिए दिया हुआ है और अपने सप्लाई के धंधे में लगा रखा है।
नगर निगम के मेयर एक ईमानदार, मेहनतकश, स्वस्थ सोच वाले सरल स्वभावी भाजापायी नेता हैं। सत्तारूढ़ दल के कुछ भाजापायी नेताओं ने जिस तौर तरीके से मुख्यमंत्री को इस काण्ड से बेवजह दूर-दूर तक का कोई सम्बन्ध नहीं होने के बावजूद बदनाम करने के लिए अपना ब्राहमण बनाम ठाकुर का राजनीतिक खेल खेल रहे हैं और विपक्ष इसको हवा दे रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि पुलिस, मीडिया और अपराधियों का गठजोड़ जो सामने आया है उसने इस काण्ड को और अधिक चिन्ता का विषय बना दिया है। जो एक जांच का विषय है। 
यही वजह लगती है कि जहरीली शराब पीने के बाद कई लोगों की मौंत ने मामले को हल्का फुल्का बनाकर अपने लाडले-दुलारे पालनहार घोंचू को पुलिसियां कहानियों की चर्चाओं के बीच नाटकीय ढ़ग से गिरफ्तारी दिखाकर जेल भेज दिया है। अजय सोनकर के मकान के बगल वाली गली में डर और भय का माहौल बना हआ है। शायद इसीलिए मौहल्ले के रहने वाले लोग जबान नहीं खोलना चाहते और हकीकत को बयान करने से डरते हैं। 
जोरों से हवा फैली हुई है कि पुलिस ने अजय सोनकर के खिलाफ हल्की फुल्की धाराओं में चालान किया है जो कुछ ही समय में जमानत में बाहर आकर प्रतिशोध की भावना से लोगों को तंग करेगा। यह एक कड़वा सच है कि पुलिस अजय सोनकर उर्फ घोंचू के इशारे पर नाचती है। घोंचू का इतना जबरदस्त दबदबा है कि उसका धन्धा अभी भी बदस्तर जारी है। एक पड़ोसी को यह विश्वास दिलाते हुए कि उसका नाम नहीं आयेगा जो कहानियां बतायी है उससे पुलिस का घिनौना और शर्मनाक चेहरा उजागर होता है। उल्टा इस व्यक्ति ने सवाल करते हुए संवाद लेखक से पूछा क्या आप समझते है कि घोंचू की अवैध कमाई का हिस्सा बटवारे के ऊपर तक नहीं जाता और फिर बड़े अधिकारियों का नाम व्यगांत्मक तरीके से उछालने लगता है जिनका इस काण्ड से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। 
यह कड़वा सच है कि हर चौकी, थाने में अभिसूचना ईकाई के छोटे बड़े अधिकारी पुलिस पर निगरानी रखने के लिए तैनात रहते हैं जिनकी सीधा जवाबदेही पुलिस कप्तान के पास रहती है। लेकिन लगता है कि अभिसूचना ईकाई के अधिकारी व कर्मचारी भी इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से कतराये हुए हैं। कुल मिलाकर हमारी पुलिस व्यवस्था ही चरमरा गयी है जिसमें सुधार लाने की जरूरत है। 
-सम्पर्क सूत्रः jagmohan-journalist/yahoo.com, jagmohanblitz@gmail.com


देशी शराब व्यवसायियों का छलका दर्द

देशी शराब व्यवसायियों का छलका दर्द

सरकार से सवाल- नुकसान की भरपाई कौन करेगा

संवाददाता

देहरादून। प्रदेश के देशी शराब व्यवसायियों ने हाल ही में कथित तौर पर हुई जहरीली शराब से मौतों के बाद देशी शराब के ठेके बंद किए जाने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि उन छह दिनों के दौरान हुए राजस्व की भरपाई कौन करेगा।

प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान देशी शराब व्यवसायियों ने कहा कि वे मीडिया के माध्यम से सरकार तक अपनी बात रखना चाहते हैं। इस दौरान उनका दर्द भी छलका। 

 उनका कहना था कि शराब राज्य में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला व्यापार है। इसके बाद भी शराब व्यापारियों को माफिया कहा जाता है ।

उन्होंने कहा कि पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में शराब से कुल राजस्व वर्ष उन्नीस सौ करोड़ निर्धारित किया गया है जबकि उत्तराखंड में हर वर्ष वृद्धि करते हुए इस वर्ष 2,019-20 में निर्धारित राजस्व 3 हजार करोड़ किया गया।

देशी शराब व्यवसायियों का कहना था कि सरकार कहती हैं कि शराब से उसे राजस्व की जरूरत नहीं है। दूसरी तरफ हर वर्ष शराब के दामों में भारी वृद्धि की जाती है। ऐसे में लोग स्वयं तय करें कि माफिया सरकार है या शराब व्यापारी। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार विदेशी या बाहरी प्रदेश से व्यापार के लिए लोगों को आमंत्रित कर रही है। जबकि स्थानीय लोग व्यापार करना चाहते हैं तो वे अपने प्रदेश में ही व्यापार नहीं कर पा रहे हैं।

शराब व्यवसायियों ने बताया कि दिनांक 19 /09/ 2019 दिन शुक्रवार शाम 7:00 बजे दूरसंचार के माध्यम से शासन प्रशासन द्वारा अवगत कराया गया कि तत्काल जिले की सभी देसी मदिरा दुकान व कुछ विदेशी मदिरा दुकान बंद करा दी जाए। क्योंकि कुछ लोगों की शराब पीने से मौत हो गई है। हालांकि शराब जहरीली है इसको शासन आज तक सिद्ध नहीं कर पाया।

उन्होंने कहा कि दून जिले की सभी देसी मदिरा दुकान का 1 दिन का राजस्व नगद राजकोष में जमा कराना पड़ता है वह राशि 50 लाख प्रतिदिन है। 5 दिन दुकाने बंद रही जिससे ₹ 2 करोड़ 50 लाख की हानि हुई।

 जिला अधिकारी महोदय द्वारा 20/09/2019 को लिखित आदेश जारी किया गया कि दुर्घटना घटित क्षेत्र के अंतर्गत ही दुकानें बंद किया जाए लेकिन शासन-प्रशासन 24/09/2019 यानी 5 दिन तक दुकानें बंद करा रखी थी। जिले की सभी देशी मदिरा दुकानों से सैंपल जांच के लिए ले जाया गया। सभी सैंपल मानक के अनुरूप पाया गया।  शराब व्यापारीगण सरकार व उन्होंने शासन से मांग करते हुए कहा कि इन 5 दिनों में जो राजस्व की हानि हुई है जो राजस्व करीब तीन करोड़ का है, उसे माफ किया जायेगा। उन्होंने  सरकार से अनुरोध किया हैं कि शराब व्यापार के लिए कुछ ऐसा नियम बनाया जाए कि जितनी शराब की बिक्री आवंटित दुकानों से हो उतना ही राजस्व निर्धारित हो।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा वहम फैलाया गया कि जाफरान शराब जहरीली थी लेकिन  यह गलत बात है। देशी शराब व्यवसायियों ने अपने प्रति सरकार के रवैए पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि शराब व्यापारियों से नफरत है तो बिहार व गुजरात जैसे प्रदेशों की तरफ उत्तराखंड को भी शराब मुक्त कर दें ।

उनका कहना था कि यदि किसी भी दुकान से मूल्य से अधिक बिक्री होने पर चैनल व समाचार पत्र  मामले को खूब उछालते  है  लेकिन 5 दिन जिले की सभी देसी मदिरा दुकान बंद पड़ी थी तो एक भी चैनल व समाचार पत्र ने किसी भी शराब व्यापारी से नहीं पूछा कि जो दुकान बंद है इनका राजस्व कैसे जमा होगा या उसे क्या सरकार माफ करेगी!

उन्होंने कहा कि क्षेत्र में जो दुर्घटना घटित हुई है उससे सभी शराब व्यापारियों को बहुत दुख है। सरकार अवैध शराब बिक्री करने वालों के खिलाफ सख्ती से पेश आई है और त्वरित अपराध में संलिप्त रहने वाले व्यक्तियों को पकड़कर जेल भी भिजवा दिया। यदि शासन प्रशासन अवैध शराब व नशाखोरी के खिलाफ इसी तरह कारवाई करती रही तो निश्चित रूप से अवैध नशाखोरी बंद हो जाएगी ।

उन्होंने सुझाव दिया कि अवैध शराब की रोकथाम के लिए गली मोहल्लों में कुछ ऐसे होर्डिंग में बैनर लगवाये जाए जिसमें सरकारी नंबर लिखे हुए हो जिस पर कोई भी व्यक्ति अवैध शराब बेचने वालों के खिलाफ शिकायत कर सकें। कोई भी यदि अवैध तरीके से शराब बेच रहा है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ।

इस अवसर पर देशी शराब व्रायवसायी राम कुमार जयसवाल, दिनेश मल्होत्रा, प्रतीक जुयाल, विजय नेगी,  शैलेंद्र जयसवाल, रामबाबू , अतुल सिंघल आदि मौजूद रहे।

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

अपने पैन नंबर को आधार से घर बैठे करें लिंक

अपने पैन नंबर को आधार से घर बैठे करें लिंक
30 सितंबर तक पैन-आधार को लिंक कराना जरूरी



प0नि0डेस्क
देहरादून। आयकर विभाग ने पैन-आधार को लिंक कराना अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत सभी को 30 सितंबर तक पैन-आधार को लिंक कराना होगा। 30 सितंबर तक लिंक नहीं होने पर कार्ड को रद्द माना जाएगा। अगर आपने अभी तक आधार-पैन को लिंक नहीं कराया है तो जल्द से जल्द इसे लिंक करा लें। 
बता दें कि इन्हे लिंक कराने के लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी। आप बस एक एसएमएस के जरिए इन्हे लिंक करा सकते हैं। इसके अलावा आप ऑनलाइन प्रोसेस से भी ऐसा कर सकते है। आप घर बैठे पैन-आधार लिंक कैसे कर सकते हैं!
आयकर विभाग ने करदाताओं को ऑप्शन दिया है कि वह एसएमएस के जरिए भी आधार-पैन को लिंक कर सकते हैं। यह तरीका सबसे आसान है।  इसके लिए आपको अपने फोन में UIDPN  टाइप करना है। इसके बाद स्पेस देकर अपना आधार नंबर और उसके बाद पैन नंबर दर्ज करना है। 
मसलन UIDPAN<space><12&digit Aadhaar><space><10&digit PAN> लिखकर 567678 या 56161 पर भेजना है। इसके बाद आयकर विभाग आपके दोनों नंबर को लिंक प्रोसेस में डाल देगा।
आप ऑनलाइन भी कर सकते हैं लिंक
यदि आपका अकाउंट नही बना है तो सबसे पहले खुद को रजिस्टर कीजिए। आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट www.incometaxindiaefiling.gov.in  पर जाएं। वेबसाइट पर लिंक आधार का ऑप्शन दिखाई देगा, यहां क्लिक करें।
लॉगइन करने के बाद अपने अकाउंट की प्रोफाइल सेटिंग में जाएं। प्रोफाइल सेटिंग में आपको आधार कार्ड लिंक करने का ऑप्शन दिखेगा, इसे सेलेक्ट करें। यहां दिए गए सेक्शन में अपना आधार नंबर और कैप्चा कोड भरें। जानकारी भरने के बाद नीचे दिख रहे लिंक आधार ऑप्शन पर क्लिक करें। इसके बाद आपका आधार लिंक हो जाएगा।
अगर पैन कार्ड को आधार से लिंक न करने पर इनकम टैक्स ऐक्ट की धारा 139।। के तहत आपका पैन इनवैलिड माना जाएगा। इससे आपका टैक्स रिफंड फंस सकता है।


अवैध बिकने वाली शराब का विरोध क्यों नही होता

शराब को लेकर टीएसआर सरकार और शराब विरोधियों का दोहरा रवैया!
अवैध बिकने वाली शराब का विरोध क्यों नही होता



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। 07 जून 2017। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सनगांव डोईवाला में थानो चौक पर स्थानीय महिलाओं के आग्रह पर शराब की दो दुकानों के आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त करवाये। मुख्यमंत्री  जौलीग्रांट  एयरपोर्ट से सन गांव सड़क मार्ग से एक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे। उक्त दौरे के बीच थानो चौक में स्थानीय महिलाओं के आग्रह पर मुख्यमंत्री द्वारा दो दुकानों के आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त करवाये गये।
खबर लोकलुभावनी जरूर लगती है लेकिन इसमें भी राजनीति की बू आ रही है। यह बात टीएसआर के दोहरे रवैये को उजागर करने वाला है। ठीक उसी तरह जैसे शराब का विरोध करने वाले लोग है। क्या अपने सुना है कि गली मोहल्ले या क्षेत्र में शराब का अवैध कारोबार करने वालों के घर के सामने किसी ने जाकर प्रदर्शन किया या उनके घरों से शराब की बोतलें निकालकर फोडी है। तो फिर वैध रूप से बेची जा रही शराब के विरोध का औचित्य क्या है?
हमारे देश में अजीब सा माहौल सृजित हो रहा है। खानपान से लेकर रहन-सहन तक में विचारधारा दूसरों पर थोपने का सिलसिला सा बन गया है। कोई शाकाहारी है तो वह औरों का मांसाहार छुड़ाने के वास्ते रात दिन एक कर देता है। सड़क गली मोहल्ले की और उसमें कई कई स्पीड़ ब्रैकर जबकि वहां ज्यादातर वहीं के वाशिन्दों ने वाहन दौड़ानी है। जिस तरह से स्पीड ब्रैकर बनाकर दुर्घटनाएं नही रोकी जा सकती, उसी तरह से शराब की दुकानें बंद करवा कर आप अपनों की शराबखोरी कैसे रोक सकते है?
या फिर आप चाहते है कि अवैध शराब बिके या फिर लोग बाग नशे के लिये सबसे सुरक्षित तरीका छोड़कर इससे भी हानिकारक नशें की ओर बढ़ चलें। यानि हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को त्याग कर ओटोमिक एनर्जी का रूख कर लिया जाये। ताकि बर्बादी हो तो नुकसान का अंदाज लगाने के लिये हिसाब-किताब करने की भी जरूरत न रहे। लेकिन मुख्यमंत्री है तो कुछ भी फैसले कर सकते है। शराब की दुकाने अलाट हुई और उसे निरस्त कर दिया, इसमें बड़ी बात क्या है?
लेकिन जनाब अभी पेंच बाकी है। यह तो सबको मालूम है कि शराब की दुकानों के लिये पर्ची सिस्टम अपनायी जाती है। इसके लिये दावेदार बकायदा बीस-बाइस हजार का रिस्क लेते है। लाखों की रकम का ड्राफ्रट बनवाते है। उसके बाद ही कहीं जाकर लाटरी निकलती है। तो भी राजस्व चुकाने के लिये व्यवसायिक जोखिम उठाना पड़ता है।
इतना कुछ करने के बाद यदि लाटरी निकली और काम धंधे का वक्त आया तो दुकान निरस्त कर दी गई। यह उक्त व्यवसायी के साथ अन्याय नही तो क्या है? फिर उन अन्य लोगों के पैसों की वापसी का क्या जिन्होंने पर्ची निकलने की आस में निवेश किया। उनके साथ क्या प्रदेश सरकार ने धोखा नही किया? यदि ऐसा काम कोई निजी तौर पर करता तो चार सौ बीसी के आरोप में सलाखों के पीछे होता।
यदि आप वाकयी शराब की दुकानों का विरोध कर रहे लोगों के प्रति संवेदनशील है तो अन्य स्थानों पर जहां विरोध हो रहा है, शराब की दुकानों को निरस्त करने का काम क्यों नही करते है।


सी0एम0 त्रिवेन्द्र खो चुके मानसिक सन्तुलन: मोर्चा

सी0एम0 त्रिवेन्द्र खो चुके मानसिक सन्तुलन: मोर्चामें
- डेंगू मामले में सी0एम0 का बयान गैरजिम्मेदाराना।
- प्रदेश में हुई मौतों को मौत नहीं मानते सी0एम0।


- सरकारी अस्पताल है सिर्फ रैफर सेंटर, अधिकाशं में चिकित्सक नहीं।
- सरकारी अस्पताल के भरोसे जनता नहीं गवां सकती अपनी जान।
- सी0एम0 हाउस में बैठकर आंकड़े नहीं पता लगते !
प०नि०संंवाददाता

विकासनगर। अपने कार्यालय में जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने बयान जारी कर कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उच्च न्यायालय द्वारा डेंगू के मामले में संज्ञान लेने के पश्चात् दिये गये बयान कि ''प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डेंगू से नहीं हुई मौत'' की मोर्चा घोर निन्दा करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि हिलटाॅप व भांग की खेती ने त्रिवेन्द्र का मानसिक संतुलन बिगाड़ दिया है।

नेगी ने कहा कि एक अनुभवहीन, गैरजिम्मेदरा अदूरदर्शी सी0एम0 की तजुर्बेकारी का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जिस प्रदेश के अधिकांश सरकारी चिकित्सालयों में चिकित्सक व सुविधाएं नहीं हो तथा सरकारी चिकित्सालय मात्र रैफर सेंटर बनकर रह गये हों, उनकी बात करना समझ से परे है।
मोर्चा ने हैरानी जतायी कि जिस प्रदेश सरकार को डेंगू मामले में राजभवन तलब कर चुका हो तथा न्यायालय नोटिस जारी कर चुका हो, उस प्रदेश में सी0एम0 की ओछी बयान बाजी शर्मशार करने वाली है।
नेगी ने कहा कि बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिस प्रदेश में हजारों मरीज डेंगू से जूझ रहे हों तथा दर्जनों लोग असमय मौत की आगोश में समा चुके हों, उस प्रदेश के सी0एम0 द्वारा सरकारी अस्पताल का आंकड़ा जनता को दिखाया जाना बहुत ही गैर जिम्मेदाराना है।
मोर्चा ने सी0एम0 को प्राईवेट अस्पतालों एवं जनता के बीच जाकर डेंगू का अपडेट लेने की सलाह दी, सी0एम0 हाउस में बैठकर आंकड़े नहीं पता चलते।

कमाई का बेहतरीन मौका

कमाई का बेहतरीन मौका



आईआरसीटीसी 30 सितंबर को लाएगा आईपीओ
आईआरसीटीसी ने आईपीओ लाने के लिए अगस्त में सेबी को दस्तावेज सौंपे थे। अब खबर है कि रेल टिकट की सुविधा उपलब्ध कराने वाली यह कंपनी 30 सितबंर को आईपीओ लाएगी।
एजेंसी
नई दिल्ली। इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (आईआरसीटीसी) में निवेशकों को पैसे लगाने का जल्द मौका मिलेगा। आईआरसीटीसी ने नवरात्रों के दौरान 30 सितंबर को अपना आईपीओ लाने का फैसला किया है। आईपीओ का प्राइस बैंड 315-320 रुपये रखा गया है। आईआरसीटीसी ने यह घोषणा ऐसे समय में की है जब शेयर बाजार में काफी उथल-पुथल देखने को मिला है। हालांकि मोदी सरकार द्वारा कॉर्पाेरेट टैक्स में कटौती के बाद बाजार में तेजी देखी गई है। सरकार को उम्मीद है कि आईआरसीटीसी के आईपीओ से 400 करोड़ रुपए जुटा लेगी।
आईआरसीटीसी भारतीय रेल में खानपान सेवाओं के साथ-साथ ऑनलाइन रेल टिक बुक कराने की सुविधा उपलब्ध कराती है। इसके साथ ही टूरिज्म के क्षेत्र में भी आईआरसीटी काम कर रही। कंपनी के शेयरों को बंबई शेयर बाजार और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कराने की योजना है।
आईआरसीटीसी ने आईपीओ लाने के लिए अगस्त में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को दस्तावेज सौंपे थे। तब सूत्रों के हवाले से खबर थी कि यह आईपीओ 500 से 600 करोड़ रुपये का होगा। आईडीबीआई कैपिटल मार्केट्स एंड सिक्योरिटीज, एसबीआई कैपिटल मार्केट्स और यस सिक्योरिटीज (इंडिया) आईपीओ का प्रबंधन करेंगी।


ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की चेतावनी

ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया की चेतावनी



पेट की एसिडिटी को कम करने वाली इस दवा से हो सकता है कैंसर
रेनिटिडिन एक सस्ते दाम में मिलने वाली बहुत पुरानी दवा है, जिसका इस्तेमाल पेट की एसिडिटी को कम करने के लिए किया जाता है।
एजेंसी 
नई दिल्ली। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया ने रेनिटिडिन पर सार्वजनिक स्वास्थ्य चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि इसमें ऐसे रसायन पाए जाते हैं, जिससे कैंसरहो सकता है। रेनिटिडिन एक सस्ते दाम में मिलनेवाली बहुत पुरानी दवा है, जिसका इस्तेमाल पेट की एसिडिटी को कम करने के लिए किया जाता है।
गौर हो कि कई अन्य देशों के ड्रग रेगुलेटर ने भी इसमें हानिकारक रसायन पाएं और इसे अपने यहां प्रतिबंधित किया है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के अधीन ड्रग्स कंट्रोलर वीजी सोमानी ने सभी राज्यों को निर्देश जारी कर रेनिटिडिन को लेकर चेतावनी जारी की है और कहा कि वे मरीजों की सुरक्षा के लिए सभी ड्रग निर्माताओं से कदम उठाने के कहें।
रेनिटिडिन दवा का उपयोग देश में कई लक्षणों के इलाज में किया जाता है और यह अलग-अलग फोर्मूलेशन में टैबलेट और इंजेक्शन के रूप में उपलब्ध है। यह सेड्युल एच के तहत प्रेसक्रिप्शन ड्रग है, यानी इसे दवाई की दुकान से खरीदने के लिए डाक्टर की पर्ची की जरुरत होती है।
इस दवाई में कैंसर के कारकों का पता सबसे पहले अमेरिका की एफडीए ने लगाया था और इस संबंध में अलर्ट जारी किया था। भारत में इस दवाई का उत्पादन करने वाली कंपनियों को तुरंत प्रभाव से इस दवा का उत्पादन रोकने के लिए कहा गया है।
ड्रग कंट्रोलर के निर्देशों के तहत डॉक्टरों को यह सलाह जारी की गई है कि वे इस दवाई को मरीजों को लेने की सलाह ना दें।


बुधवार, 25 सितंबर 2019

आधार को पैन से लिंक नहीं करते तो नतीजा क्या होगा!

तय समय सीमा के अंदर आधार को पैन से लिंक नहीं करते तो नतीजा क्या होगा!



एजेंसी 
नई दिल्ली। आधार को पैन से लिंक करवाने की अंतिम तारीख यानि 30 सिंतबर नजदीक है। आयकर विभाग ने आधार को पैन से लिंक करवाना अनिवार्य किया है। आधार को पैन से लिंक करने के लिए अब महज 7 दिन से भी कम दिन का समय रह गया है। वहीं कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि अगर हम तय समय सीमा के अंदर आधार को पैन से लिंक नहीं करते हैं तो इसका नतीजा क्या होगा।
अगर आप ऐसा नहीं करते तो 1 अक्टूबर से आपका पैन कार्ड निष्क्रिय हो जाएगा। जबकि इससे पहले ये नियम था कि आप अपने पैन कार्ड का इस्तेमाल ट्रांजेक्शन के लिए तब तक नहीं कर सकेंगे जब तक कि आप इसे तय समय सीमा के अंदर आधार से लिंक नहीं कर लेते। ऐसा नहीं करने पर पैन कार्ड अमान्य हो जाता था।
यहां अमान्य पैन का मतलब यहां ऐसे समझा जाएगा कि जैसे ये पहले कभी आपके पास था ही नहीं। वहीं निष्क्रिय पैन का मतलब है कि आप पैन कार्ड का इस्तेमाल ट्रांजेक्शन के लिए तब तक नहीं कर सकेंगे जब तक कि आप इसे तय समय सीमा के अंदर आधार से लिंक नहीं कर लेते। हालांकि सरकार को अभी आधिकारिक तौर पर 'निष्क्रिय' को परिभाषित करना है। सरकार को अभी इस बारे में स्पष्ट करना है कि क्या एक बार जो पैन कार्ड निष्क्रिय कर दिया जाएगा क्या वह तय समय सीमा के बाद भी रि-एक्टिवेट किया जा सकेगा या नहीं।
बता दें कि वित्त मंत्रालय द्वारा 31 मार्च को जारी एक अधिसूचना के अनुसार जिसके पास भी पैन कार्ड है और आधार कार्ड दोनों है उन्हें दोनों को जोड़ना होगा। इस वर्ष की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने भी पैन-आधार लिंक को अनिवार्य बनाते हुए आयकर अधिनियम की धारा 139 एए को बरकरार रखा था।


सर्विस रोड रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण होने के बाद बनेगी

सर्विस रोड रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण होने के बाद बनेगी



डायवर्जन वैकल्पिक रोड बनाने व पुराने मार्ग रखरखाव व यातायात चालू रखने का दीपक बिल्डर्स का दायित्व
सूचना अधिकार के अन्तर्गत नदीम उद्दीन को पीडब्लूडी ने  उपलब्ध करायी सूचना
प0नि0संवाददाता
काशीपुर। काशीपुर मेन चौैराहे पर राष्ट्रीय राजमार्ग सं0 74 व 121 पर निर्माणाधीन रेलवे ओवर ब्रिज के दोनों ओर सर्विस रोड बनाने को कितने ही आदेश व दावे किये जाये लेकिन यह रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण होने के बाद ही बनेगी लेकिन वैकल्पिक मार्ग के रखरखाव व यातायात चालू रखने का दायित्व आरओबी निर्माण करने वाले ठेकेदार दीपक बिल्डिर्स का है। 
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने लोक निर्माण विभाग से काशीपुर मेें रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के चलते यातायात तथा सर्विस रोड तथा पूर्व रोड रखरखाव सम्बन्धी सूचनायें मांगी थी। इसके उत्तर में राष्ट्रीय राजमार्ग मार्ग खण्ड, लोक निर्माण विभाग के लोेक सूचना अधिकारी ने अपने पत्रांक 365/2सी0 सू0अ0 दिनांक 19-09-2019 से सूचनायें उपलब्ध करायी हैै।
उपलब्ध सूचना के अनुसार रेलवे ओवर ब्रिज के दोनों ओर सर्विस रोड का निर्माण किया जाना है जो रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के उपरान्त किया जायेगा। रेलवे ओवर ब्रिज का कार्य दो वर्श में पूर्ण होने का अनुबंध किया गया हैै। रेलवे ओवर ब्रिज के कार्य स्थल को यातायात हेतु पूर्णतया बन्द करने तथा मात्र दो पहिया वाहनों हेतु खुला रखने हेतुु निर्देशित किया गया हैै। आरओबी निर्माण ठेकेदार से हुये अनुबंध के क्लाज 10.4 के अनुसार निर्माण के दौरान सड़क के रखरखाव का कार्य ठेकेदार द्वारा किया जाना है।
उपलब्ध क्लाज 10.4 की प्रति के अनुसार ठेकेदार का दायित्व हैै कि एग्रीमेंट की तिथि से 10 दिन पूर्व की स्थिति के समान वह पूर्व मार्ग को अपनी लागत पर बनाये रखे और आवश्यक रखरखाव तथा देखरेख कार्य करवाता रहे। उपलब्ध क्लाज 16.1 के अनुसार निर्माण के दौरान ठेकेदार सुरक्षित यातायात हेतु बेरिकेट्स, चिह्न, मार्किग्ंस, झण्डे तथा लाइट लगवायेेगा तथा ट्रेफिक पास होने मंे कम से कम हस्तक्षेप करेगा। 
उपलब्ध सूचना के अनुसार मार्ग के वैकल्पिक व्यवस्था हेतु दो डायवर्जन रोड का निर्माण किया गया हैै। डायवर्जन-1 टांडा तिराहे सेे परमानन्दपुर मोटर मार्ग तथा डायवर्जन-2 बैलजूड़ी मोड़ से स्टेडियम मार्ग। वैकल्पिक मार्गों की चौड़ाई व लम्बाई का विवरण भी उपलब्ध कराया गया हैै। डायवर्जन 1 रोड की लम्बाई 13.360 किमी0 हैै। इसमें परमानन्दपुर से 5.7 किमी0 तक इसकी चौैड़ाई 18 मीटर तथा 5.7 किमी0 से 12.820 किमी तक 21 मीटर तथा 12.820 किमी0 से 13.360 किमी0 तक 18 मीटर हैै जबकि पेटेेड रोड परमानन्दपुर में डायवर्जन रोड प्रारंभ से 12.820 किमी0 तक 5.50 मीटर तथा 12.820 किमी0 से 13.360 किमी0 तक 9 मीटर से 11 मीटर है चौड़ी। 
डायर्वजन 2 बैलजूड़ी मोड़ से 0.525 किमी0 तक 11 मीटर, 0.525 से 1.450 किमी0 तक 10 मीटर, 1.450 से 2.025 किमी0 तक 7.50 मीटर 2.025 से 2.575 किमी0 तक 10 मीटर, 2.575 से 3.475 किमी0 तक 14 मीटर, 3.475 से 4.200 तक 11 मीटर तथा 4.200 किमी0 से मार्ग के अंत 4.202 मीटर  स्टेडियम तक 13 मीटर चौड़ी दर्शाया गया है। जबकि प्रांरभ से 0.525 किमी0 तक पेेटेड रोड 5.50 मीटर, 0.525 से 1.450 तक 7 मीटर, 1.450 से 2.025 तक 3.75 मीटर, 2.025 से 2.575 तक 5.50 मीटर 2.575 किमी से अन्त 4.202 किमी तक 7 मीटर चौैड़ी पेटेड रोड दर्शायी गयी हैै। 
नदीम को उपलब्ध सूचना के अनुसार आरओबी निर्माण करनेे वाले ठेकेदार का नाम दीपक बिल्डर्स तथा पता नियर लोधी क्लब, शहीद भगत सिंह नगर लुधियाना (पंजाब) है।


बड़ी तीव्रता के भूकंप आने की वजह!

बड़ी तीव्रता के भूकंप आने की वजह!



नासा के वैज्ञानिकों ने इसका खुलासा किया
एजेंसी
नई दिल्ली। धरती अपनी धुरी पर रफ्तार से घूम रही है। यदि इसका अपनी धुरी पर घूमना थमने लगे तो इसका परिणाम क्या होगा.? वैज्ञानिकों की मानें तो यदि ऐसा हुआ तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार धीमी हो रही है जिससे चंद्रमा इससे धीरे धीरे दूर होता जा रहा है। यह घटना बड़े भूकंपों की वजह बन सकती है। 
नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के सोलर सिस्टम के एम्बेस्डर मैथ्यू फुन्के के मुताबिक चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर एक ज्वारीय उभार बनाता है। यह उभार भी धरती की घूर्णन गति से घूमने का प्रयास करता है। इससे धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार सुस्त पड़ जाती है। वैज्ञानिकों का मत है कि धरती की घूर्णन गति या अपनी धुरी पर घूमने की गति सुस्त पड़ने से भूकंपीय घटनाएं बढ़ जाती है। 
वैज्ञानिकों की मानें तो यह ब्रह्मांड कोणीय संवेग के सिद्धांत पर काम करता है। ब्रह्मांड में मौजूद पिंडों की गति भले ही अलग अलग हो लेकिन उनके कोणीय संवेग का योग नहीं बदलता है। चंद्रमा की वजह से जब धरती का कोणीय संवेग मंद पड़ता है तो चंद्रमा इसे संतुलित करने के लिए अपनी कक्षा में थोड़ा और आगे बढ़ जाता है। अध्ययन के मुताबिक चंद्रमा हर साल लगभग डेढ़ इंच आगे बढ़ रहा है। जिससे धरती पर भविष्य में बड़े भूकंप आ सकते हैं।
कोलोराडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक रोजर बिल्हम और मोंटाना यूनिवर्सिटी के रेबेक्का बेंडिक (त्मइमबबं ठमदकपबा) ने अपने अध्ययन में पाया कि वर्ष 1900 के बाद से सात से अधिक की तीव्रता वाले भूकंपों में इजाफा हुआ है। 20वीं सदी के अंतिम पांच वर्षों में जब धरती की घूर्णन गति में थोड़ी कमी देखी गई तब सात से अधिक के तीव्रता के भूकंपों की संख्या अधिक थी। वैज्ञानिकों ने इस दौरान हर साल 25 से 30 तेज भूकंप दर्ज किए। इनमें औसतन 15 बड़े भूकंप थे।
इस अध्ययन से पहले लंदन के वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस ने अपने अध्ययन में पाया था कि धरती यदि एकाएक घूमना बंद का वातावरण गतिमान बना रहेगा। हवा 1,670 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलेगी। यह तूफानी हवा रास्ते में आने वाली हर चीज को ध्वस्त करती चली जाएगी। मनुष्य किसी बंदूक की गोली की रफ्तार से एक दूसरे से टकराएंगे। इसके साथ ही पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र समाप्त हो जाएगा। 
वैज्ञानिक माइकल स्टीवंस के मुताबिक धरती का घूर्णन थमने से नरंगी के आकार वाली पृथ्वी पूरी तरह से गोल हो जाएगी। समद्रों का पानी एकाएक उछलने से बाढ़ की स्थिति होगी। पृथ्वी पर आधे साल दिन रहेगा और आधे साल रात रहेगी। इससे धरती पर इंसानों की आबादी खत्म हो जाएगी। हालांकि नासा वैज्ञानिकों की मानें तो कई अरब साल तक ऐसी घटना होने की कोई आशंका नहीं है।
इससे पहले हुए एक अध्घ्ययन में पाया गया था कि धरती पर दिशा की जानकारी देने वाला मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल अपनी स्थिति बदल रहा है। मैग्नेटिक नॉर्थ पोल का डायरेक्शन उत्तर धू्रव से सालाना 55 किलोमीटर की दर से साइबेरिया की तरफ खिसक रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो बीते कुछ दशकों में पृथ्वी का चुंबकीय उत्तरी ध्रूव इतनी तेजी से खिसका है कि पूर्व में लगाए गए अनुमान अब जलमार्ग के लिए सही नहीं बैठ रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि मैग्ननेटिक नॉर्थ पोल के स्थान बदलने से जलमार्ग के जरिए यातायात में समस्याएं आ रही हैं। कॉलाराडो यूनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानी एवं नए वर्ल्ड मैगनेटिक मॉडल के प्रमुख शोधकर्ता अर्नाेड चुलियट ने बताया कि इस बदलाव की वजह से स्मार्टफोन और उपभोक्ता के इस्तेमाल वाले कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स कंपासों में समस्या आ रही है।
भूकंप एक ऐसी विपदा है जिसे इंसान आज तक डीकोड नहीं कर सका है।


सियाचिन ग्लेशियर को नागरिकों के लिए खोला जाएगा

सियाचिन ग्लेशियर को नागरिकों के लिए खोला जाएगा



एजेंसी
नई दिल्ली। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने एक सम्मेलन में कहा कि भारतीय सेना ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर समेत कुछ चौकियों को आम नागरिकों के लिए खोलने की योजना बना रही है। इससे पहले भी सेना आमजनों को प्रशिक्षण शिविरों और सैन्य संस्थानों का दौरान करने की अनुमति देती रही है। 
जनरल रावत ने कहा कि भारतीय सेना और इसकी कार्यप्रणाली में आने वाली चुनौतियों को लेकर आम लोगों में जिज्ञासाएं बढ़ी हैं। ऐसे में यदि कुछ चौकियों पर नागरिकों को जाने की अनुमति मिलती है तो यह राष्ट्रीय एकीकरण के लिए अच्छा होगा। हालांकि न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवालों से बताया कि फिलहाल सेना ने यह तय नहीं किया है कि किन स्थानों पर नागरिकों को जाने की अनुमति दी जाएगी।
सेना के सूत्रों के अनुसार लद्दाख आने वाले नागरिक सेना से लगातार अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें टाइगर हिल और उन स्थानों तक जाने की अनुमति दी जाए, जहां पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ा था। सियाचिन दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है जो लद्दाख का हिस्सा है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद यह केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है। सेना के हजारों जवान कड़ाके की सर्दी के बावजूद यहां सालभर तैनात रहते हैं।
सेना प्रमुख ने इस योजना पर पाकिस्तान द्वारा आपत्ति जताने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है। लद्दाख का पूरा क्षेत्र भारत का है और इन मुद्दों पर निर्णय लेना भारत सरकार पर निर्भर है। 2007 से भारत आम नागरिकों को सियाचिन बेस कैंप से 11,000 से 21,000 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित अन्य स्थानों पर ट्रेकिंग करने की अनुमति दे रहा है।


मंगलवार, 24 सितंबर 2019

ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) अब आधार कार्ड से होगा लिंक! 

ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) अब आधार कार्ड से होगा लिंक! 



एजेंसी
नई दिल्ली। ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) को आधार कार्ड से लिंक कराने के पीछे सरकार का मकसद है कि जालसाजों पर नकेल कसी जा सके। इसके अलावा फर्जी और डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वालों पर भी लगाम लगाया जा सकेगा।
देश भर में मोटर व्हीकल एक्ट की चर्चा है। ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए सरकार ने बड़े बदलाव किए हैं। नियमों का उलंघन करने पर 10 गुना जुर्माना भी लगाया जा रहा है। अब सरकार ने ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर एक नई घोषणा की है। केंद्रीय आईटी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि ड्राइविंग लाइसेंस को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।
पटना में एक समारोह में रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि देश भर में ड्राइविंग लाइसेंस की जालसाजी पर लगाम लगाने के लिए अब ड्राइविंग लाइसेंस को आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य होगा। उन्होनें कहा कि अगर आधार इसके लिए अनिवार्य कर दिया जाएगा तो डुप्लिकेट ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनाया जा सकता है।
रविशंकर प्रसान ने कहा कि आधार कार्ड किसी भी तरह के भ्रष्टाचार की जांच में अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि आधार के माध्यम से डिजिटल पहचान के कारण सरकारी खजाने में एक लाख 47 हजार 677 करोड़ रुपये की बचत हुई है। फिलहाल अभी इस बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की गई है कि किस तरह से आप अपने ड्राइविंग लाइसेंस को आधार कार्ड से लिंक कर सकते हैं।
बीते दिनों नए ट्रैफिक नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। जिसके तहत बिना ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) के ड्राइविंग करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा शराब पीकर वाहन चलाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना, वहीं मानसिक या शारीरिक रूप से अनफिट होने के बावजूद ड्राइविंग करने पर 1,000 रुपये का जुर्माना देने का नियम बनाया गया है।
सरकार का मानना है कि आधार कार्ड की अनिवार्यता के चलते देश भर में तकरीबन हर नागरिक के पास आधार कार्ड है। उक्त व्यक्ति की व्यक्तिगत पहचान जैसे बायोमैट्रिक इत्यादि का पूरा डाटा भी सरकार के पास रहता है। ऐसे में इसे ड्राइविंग लाइसेंस से लिंक करने के बाद एक व्यक्ति डुप्लीकेट लाइसेंस या फिर किसी तरह का फर्जी डीएल नहीं बनवा सकता है।
इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि किसी भी आपात स्थिति या दुर्घटना इत्यादि के मामले में आरोपी की तत्काल पहचान की जा सकेगी। इसके अलावा उसके ड्राइविंग लाइसेंस या आधार कार्ड के चलते उस तक आसानी से पहुंचा भी जा सकेगा और पुलिस उपयुक्त कार्यवाही को अंजाम दे सकेगी। इस समय देश में कई ऐसे वाहन चालक हैं जिनके पास फर्जी और डुप्लीकेट ड्राइविंग लाइसेंस हैं। इसके अलावा सरकार पूरे देश में एक ड्राइविंग लाइसेंस को जारी करने की योजना पर भी तेजी से काम कर रही है।


झूठी उपलब्धियों के विज्ञापनों से सरकार नहीं चला करती, मुख्यमन्त्री जी: मोर्चा

झूठी उपलब्धियों के विज्ञापनों से सरकार नहीं चला करती, मुख्यमन्त्री जी: मोर्चा
- अगर धरातल पर कार्य किया होता तो विज्ञापन छपवाने की नहीं पड़ती जरूरत!
- अगर विज्ञापन छपवाना ही है तो अपने काले कारनामों का छपवायें!
- मोर्चा मुख्यमन्त्री के झूठ के पुलिंदों को लेकर राजभवन में देगा दस्तक।
संवाददाता
देहरादून। मोर्चा कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि मुख्यमन्त्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत झूठे विज्ञापन छपवाकर अपनी सरकार का परचम लहराने वाले पहले मुख्यमन्त्री बन गये हैं।
नेगी ने कहा कि प्रदेश कर्ज के सहारे चल रहा है तथा वहीं दूसरी ओर करोड़ों रूपये के झूठे विज्ञापन छपवाकर जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने जैसा काम किया जा रहा है।
मोर्चा ने सी0एम0 पर तंज कसते हुए कहा कि अगर विज्ञापन ही छपवाना है तो अपने काले कारनामों का छपवायें तथा उसमें इन प्रश्नों का उत्तर जरूर छपवायें कि खनन डील का बिचैलिया कौन था, बेरोजगारों को रोजगार कब मिलेगा, डंेगू से हुई दर्जनों मौतों का जिम्मेदार कौन, पी0डब्ल्यू0डी0 टेण्डर घोटाले का जिम्मेदार कौन, ढैंचा बीज घोटाले की काली कमाई कहाँ खपायी तथा उसकी सी0बी0आई0 जाँच क्यों नहीं, इन्वेस्टर्स समिट कराकर कितना निवेश हुआ, शराब माफियाओं के लिए रातों-रात स्टेट हाईवे को जिला रोड क्यों किया, प्रदेश का राजस्व दिनों-दिन क्यों घट रहा, हजारों करोड़ के बाजारू कर्ज से क्या विकास कार्य किया, हरिद्वार व देहरादून में शराब से मरने वाले सौ से अधिक लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन, प्रदेश में हो रही आत्महत्याओं का जिम्मेदार कौन ? 108 आपात सेवा के कर्मचारियों को रोजगार कब मिलेगा !
नेगी ने कहा कि प्रदेश की जनता इस सरकार से त्रस्त हो चुकी है तथा अपने दुर्भाग्य पर रो रही है। नेगी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारें भी विज्ञापन छपवाया करती थी लेकिन वो सच हुआ करता था, अब तो सिर्फ और सिर्फ झूठ। मोर्चा शीघ्र ही इस मामले में राजभवन में दस्तक देगा।
पत्रकार वार्ता में मोर्चा महासचिव आकाश पंवार, मौ0 असद, राजेन्द्र पंवार, प्रवीण शर्मा पीन्नी आदि  मौजूद रहे।


सोमवार, 23 सितंबर 2019

नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के आतंकी लॉन्चिंग पैड पर 450-500 आतंकी हैं मौजूद!

नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के आतंकी लॉन्चिंग पैड पर 450-500 आतंकी हैं मौजूद!
पाकिस्तान की कोशिश किसी भी तरह इन आतंकियों की घुसपैठ कराने की है क्योंकि बाद में बर्फ पड़ने की वजह से घुसपैठ कराना मुश्किल हो जाएगा।



एजेंसी
नई दिल्ली। नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान के आतंकी लॉन्चिंग पैड पर 450-500 आतंकी मौजूद हैं जो भारत में घुसपैठ करने की फिराक में हैं। सेना के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि पहले 200-250 आतंकी होते थे लेकिन इस बार इनकी संख्या दोगुनी है। पाकिस्तान की कोशिश अभी किसी भी तरह इन आतंकियों की घुसपैठ कराने की है क्योंकि बाद में बर्फ पड़ने की वजह से घुसपैठ कराना मुश्किल हो जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि त्योहारों के मद्देनजर इस समय और सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि आतंकी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। चार दिन पहले बालाकोट में आतंकियों के फिर से सक्रिय होने की खुफिया रिपोर्ट मिली है। पिछले 2 महीने में नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) से 60 आतंकी घुसपैठ कर दाखिल हुए। सूत्रों के अनुसार 4 से 5 लांच पैड से आतंकी घुसपैठ की तैयारी में हैं और इसको देखते हुए सेना व सुरक्षा बल एलओसी और आईबी पर हाई अलर्ट पर हैं। सेना अब सरहद पर बचाव नहीं बल्कि आक्रमक भूमिका में है।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पाकिस्तान ने हाल ही में बालाकोट को फिर सक्रिय कर दिया है और करीब 500 घुसपैठिए भारत में घुसने की फिराक में हैं। अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी में उन्होंने मीडिया से कहा कि पाकिस्तान ने हाल ही में बालाकोट को फिर सक्रिय कर दिया है। इससे पता चलता है कि बालाकोट प्रभावित हुआ था। वह क्षतिग्रस्त और नष्ट हुआ था इसलिए लोग वहां से चले गए थे और अब वह फिर से सक्रिय हो गया है।
उन्होंने कहा कि करीब 500 घुसपैठिए भारत में घुसने की फिराक में है। जनरल रावत ने कहा कि आतंकवादियों की हमारे इलाके में घुसपैठ करवाने के लिए पाकिस्तान संघर्षविराम उल्लंघन करता है। हम जानते हैं कि संघर्षविराम उल्लंघन से कैसे निपटना है। हमारी फौज जानती है कि खुद को कैसे पोज़िशन करें और कैसे कार्रवाई करें। हम सतर्क हैं, और सुनिश्चित करेंगे कि घुसपैठ की कोशिशें नाकाम हों।
उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकवादियों और पाकिस्तान में बैठे उनके हैंडलरों के बीच कम्युनिकेशन ब्रेकडाउन हुआ है, लेकिन लोगों से लोगों के बीच कोई कम्युनिकेशन ब्रेकडाउन नहीं हुआ है। 


दोपहर में होता है पितरों का भोजन

दोपहर में होता है पितरों का भोजन
दक्षिण दिशा की और पिंडदान और तर्पण



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। पितृ पक्ष यानि श्राद्ध पितरों का याद करने का समय माना गया है। भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को ऋषि तर्पण से आरंभ होकर यह आश्विन कृष्ण अमावस्या तक जिसे महालया कहते हैं उस दिन तक पितृ पक्ष चलता है। इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है और उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। पितृ पूजा में कई बातें ऐसी हैं जो रहस्यमयी हैं और लोगों के मन में सवाल उत्पन्न करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है।
श्राद्ध का नियम है कि दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों में सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए बताया गया है। लेकिन दोपहर का समय पितरों के लिए माना गया है। इसलिए कहते हैं कि दोपहर में भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए। दिन का मध्य पितरों का समय होता है। 
दरअसल पितर मृत्युलोक और देवलोक के मध्य लोक में निवास करते हैं जो चंद्रमा के ऊपर बताया जाता है। दूसरी वजह यह है कि दोपहर से पहले तक सूर्य की रोशन पूर्व दिशा से आती है जो देवलोक की दिशा मानी गई है। दोपहर में सूर्य मध्य में होता है जिससे पितरों को सूर्य के माध्यम से उनका अंश प्राप्त हो जाता है। तीसरी मान्यता यह है कि दोपहर से सूर्य अस्त की ओर बढ़ना आरंभ कर देता है और इसकी किरणें निस्तेज होकर पश्चिम की ओर हो जाती है। जिससे पितृगण अपने निमित्त दिए गए पिंड, पूजन और भोजन को ग्रहण कर लेते हैं।
पितृपक्ष में पितरों का आगमन दक्षिण दिशा से होता है। शास्त्रों के अनुसार दक्षिण दिशा में चंद्रमा के ऊपर की कक्षा में पितृलोक की स्थिति है। इस दिशा को यम की भी दिशा माना गया है। इसलिए दक्षिण दिशा में पितरों का अनुष्ठान किया जाता है। रामायण में उल्लेख मिलता है कि जब दशरथ की मृत्यु हुई थी तो भगवान राम ने स्वपन में उनको दक्षिण दिशा की तरफ जाते हुए देखा था। रावण की मृत्य से पहले त्रिजटा ने स्वप्न में रावण को गधे पर बैठकर दक्षिण दिशा की ओर जाते हुए देखा था।
सनातन धर्म के अनुसार किसी वस्तु के गोलाकर रूप को पिंड कहा जाता है। शरीर को भी पिंड माना जा सकता है। धरती को भी एक पिंड रूप है। हिंदू धर्म में निराकार की पूजा की बजाय साकार स्वरूप की पूजा को महत्व दिया गया है क्योंकि इससे साधना करना आसान होता है। इसलिए पितरों को भी पिंड रूप मानकर यानी पंच तत्वों में व्यप्त मानकर उन्हें पिडदान दिया जाता है। 
पिंडदान के समय मृतक की आत्मा को अर्पित करने के लिए चावल को पकाकर उसके ऊपर तिल, शहद, घी, दूध को मिलाकर एक गोला बनाया जाता है जिसे पाक पिंडदान कहते हैं। दूसरा जौ के आटे का पिंड बनाकर दान किया जाता है। पिंड का संबंध चंद्रमा से माना जाता है। पिंड चंद्रमा के माध्यम से पितरों को प्राप्त होता है। ज्योतिषीय मत यह भी है कि पिंड को तैयार करने में जिन चीजों का प्रयोग होता है उससे नवग्रहों का संबंध है। इसके दान से ग्रहों का अशुभ प्रभाव दूर होता है। इसलिए पिंडदान से दान करने वाले को लाभ मिलता है।
पितरों की पूजा में सफेद रंग का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि सफेद रंग सात्विकता का प्रतीक है। आत्मा का कोई रंग नहीं है। जीवन के उस पार की दुनिया रंग विहीन पारदर्शी है इसलिए पितरों की पूजा में सफेद रंग का प्रयोग होता है। दूसरी वजह यह है कि सफेद रंग चंद्रमा से संबंध रखता है जो पितरों को उनका अंश पहुंचाते हैं।
पुराणों के अनुसार व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध करना चाहिए। यदि जिनकी मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। श्राद्ध मृत्यु वाली तिथि को किया जाता है। मृत्यु तिथि के दिन पितरों को अपने परिवार द्वारा दिए अन्न जल को ग्रहण करने की आज्ञा है। इसलिए इस दिन पितर कहीं भी किसी लोक में होते हैं वह अपने निमित्त दिए गए अंश को वह जहां जिस लोक में जिस रूप में होते हैं उसी अनुरूप आहार रूप में ग्रहण कर लेते हैं।


समिति के संविधान में किया गया आंशिक संशोधन

राठ जन विकास समिति की आम सभा का आयोजन 
समिति के संविधान में किया गया आंशिक संशोधन



संवाददाता
देहरादून। राठ जन विकास समिति की आम सभा मनोरंजन सदन यमुना कॉलोनी में समिति की अध्यक्ष श्रीमती दर्शन रावत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक का संचालन करते हुए कुलानन्द घनशाला महासचिव द्वारा अपनी वार्षिक रिपोर्ट आम सभा में प्रस्तुत की गई। जिसमें गत वर्ष मंे किये गये कार्यों, 18वें स्थापना दिवस पर सम्मानित किये गये शहीदों के परिवारों एवं राठ क्षेत्र के मेधावी छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने तथा राठ क्षेत्र के निर्धन मेधावी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा दिये जाने एवं अन्य कार्यों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया।
समिति के कोषाध्यक्ष मेहरबान सिंह गुसांई द्वारा गत वर्षों का लेखा जोखा आम सभा में प्रस्तुत किया गया, जिसे ध्वनिमत से पारित किया गया। सभा में शेखरानन्द रतूड़ी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष द्वारा वर्ष 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा राठ भवन हेतु भूमि दिये जाने पर डा0 धन सिंह रावत राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार द्वारा गत 18वें स्थापना दिवस 25 दिसम्बर, 2018 को राठ भवन को भूमि उपलब्ध किये जाने के आश्वासन पर सरकारी स्तर से मंत्री द्वारा किये जा रहे प्रयासों के लिए सराहना की तथा आशा व्यक्त की गई कि 19वें स्थापना दिवस 25 दिसम्बर तक राठ भवन हेतु भूमि उपलब्ध हो जायेगी।
समिति के मीडिया प्रभारी हीरामणी भट्ट ने बताया कि समिति के संविधान में आंशिक संशोधन करते हुए अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष, संगठन सचिव, सांस्कृतिक सचिव एवं संयुक्त सचिव के 7 पदों पर चुनाव होगा तथा चुने गये 7 पदाधिकारी, 24 पदाधिकारियों/सदस्यों का चुनाव करेंगे। कुल मिलाकर 31 कार्यकारणी ही रहेगी। आमंत्रित सदस्यों को भी कार्यकारणी नामित करेगी तथा सलाहकार के पदों पर भी चयन किया जायेगा।
समिति के क्रियाकलापों पर श्रीमती दर्शन रावत अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि समिति आजीवन सदस्यों की संख्या में बढोतरी करने के लिए सभी सदस्य अथक प्रयास करें। उन्होंने कहा कि जनपद पौड़ी गढ़वाल के मांडाखाल जहां से राठ क्षेत्र प्रारम्भ होता है। पूर्व शिक्षा मंत्री स्व0 डॉ0 शिवानन्द नौटियाल की स्मृति में प्रवेश द्वारा बनाये जाने पर डॉ0 धन सिंह रावत राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का आभार व्यक्त किया गया। सभा के अन्त में डॉ0 विपिन पोखरियाल, डीएन एण्ड लैब के नेतृत्व में डेंगू के रोक थाम के लिए जानकारी दी गई।
आम सभा की बैठक में सलाहकार एमएन बनख्वाल, डॉ0 आरके पन्त, डॉ0 सुन्दरलाल पोखरियाल, पुरूषोत्तम ममगांई, प्रेम बल्लभ गोदियाल, राकेश मोहन खंकरियाल, अशोक रावत, बल्लवन्त सिंह गुसांई, धन सिंह गुसांई, रामप्रकाश खंकरियाल, राजेन्द्र सिंह नेगी, गायत्री ढौंडियाल, मातवर सिंह कण्डारी, दयाल सिंह चौहान, प्रेम सिंह कण्डारी, दिनेश चन्द्र रतूड़ी, बलवन्त सिंह गुसांई, भगीरथ ढाैंडियाल, कमल रतूड़ी, दरबान सिंह नेगी, कृपाल सिंह टम्टा, गोविन्द सिंह रावत, हरि प्रसाद गोदियाल एवं प्रेम सिंह रावत सहित सैकड़ो आजीवन सदस्य मौजूद रहे।


शराब माफियाओं के हाथों का खिलौना बनी त्रिवेन्द्र सरकारः आम आदमी पार्टी 

शराब माफियाओं के हाथों का खिलौना बनी त्रिवेन्द्र सरकारः आम आदमी पार्टी 



आम आदमी पार्टी ने दून में जहरीली शराब कांड के लिये सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र रावत पर हमला बोला 
संवाददाता
देहरादून। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवीन पिरशाली ने मीडिया में जारी अपने बयान में कहा कि आज उत्तराखंड में सरकार शराब माफियाओं की गुलाम हो चुकी है, उनके लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का तोड़ निकाल कर रातों-रात राज्य मार्ग को जिला मार्ग में परिवर्तित कर शराब माफियाओं को त्वरित राहत देने वाली भाजपा सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र रावत के पास आबकारी विभाग भी है इसलिए शराब माफिया उनको अपने हाथों की कठपुतली बनाये हुए हैं।
आम आदमी पार्टी का लगातार उत्तराखंड में अवैध शराब और शराब की कालाबाज़ारी खुलेआम चल रही है और यह सब भाजपा नेताओं और भाजपा सरकार की नाक के नीचे हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में शराब सरकार के लिए हमेशा ही उगाही का एक महत्वपूर्ण जरिया रही है इसलिए वो चाहे कांग्रेस के पिछले मुख्यमंत्री हो या अभी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री हों दोनों पर ही शराब के छीटे पड़ रहे हैं।
जनता अब ये खेल को समझने लगी है कि उत्तराखंड में सभी सरकारों ने राजस्व के नाम पर शराब को हमेशा उगाही का माध्यम बनाया है और इसके लिए शराब माफियाओं को महत्व दिया है। सरकार ने आजतक कोई भी ठोस आबकारी नीति नही बनायी है जिसकी वजह से शराब माफियाओं का कारोबार फलफूल रहा है और मासूम जनता अपनी जान गंवा रही है। त्रिवेन्द्र सरकार ने देवभूमि को दारूभूमि बना दिया है।
पिरशाली ने कहा कि भाजपा के इसी सरकार के कार्यकाल में जहरीली शराब से अब तक उत्तराखंड में सेैकड़ों मौतें हो चुकी हैं और कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं लेकिन इसके बावजूद भी सरकार के कान में जूं तक नही रेंग रही हैं, यह सब खेल सरकार की शह पर ही हो रहा है। इस कांड में भाजपा नेताओं की संलिप्तता साफ नजर आ रही है इसलिए सरकार ज़हरीली शराब कांड की जांच से घबरा रही है कि कहीं इसकी आंच सरकार को न झुलसा दे। नागरिकों से अनुरोध है कि अपनी सुरक्षा स्वयं करे, सरकार के भरोसे न रहें क्योंकि उत्तराखंड डबल इंजन की सरकार सो रही है।


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