शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

ई-कचरा प्रबंधन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे दून के मोबाइल डीलर

ई-कचरा प्रबंधन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे दून के मोबाइल डीलर
- सैमसंग के अधिकृत मोबाइल डीलरों को ई-कचरा प्रबंधन नियमों की जानकारी नहीं
- गति फाउंडेशन ने किया 10 अधिकृत सैमसंग डीलरों और 6 अन्य मल्टी ब्रांड मोबाइल डीलरों को सोशल आडिट 



प0नि0संवाददाता
देहरादून। शहर में तेजी के साथ मोबाइल डीलर्स के शोम रूम खुल रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि शहर के 88 प्रतिशत मोबाइल डीलर ई-कचरा प्रबंधन नियामवली को लेकर जागरूक नहीं हैं और 63 प्रतिशत डीलर तो ऐसे हैं जिन्होंने यह नाम ही नहीं सुना है। 
देहरादून स्थिति एन्वायरनमेंटल एक्शन एवं एडवोकेसी ग्रुप गति फाउंडेशन द्वारा शहर के 16 मोबाइल डीलर्स के साथ एक सोशल आडिट में यह बात सामने आई। इनमें से 10 सैमसंग के अधिकृत डीलर हैं और 6 विभिन्न ब्रांडो के मोबाइल पफोन बेचते हैं। यह सोशल आडिट ई-कचरा प्रबंधन नियम-2016 को आधार बनाकर किया गया, जिसे भारत सरकार द्वारा नोटिफाइड किया गया है। इससे पहले गति फाउंडेशन के एक अन्य सर्वे में यह बात सामने आई है कि शहर में ई-वेस्ट का 72  प्रतिशत हिस्सा मोबाइल और उसकी एसेसरीज से पैदा होता है।
ई-कचरा प्रबंधन नियम 2016 का नियम-7 कहता है कि डीलर को ई-कचरा वापस लेने के लिए उपभोक्ता को बॉक्स अथवा बिन उपलब्ध करवाना होगा। लेकिन शहर के 94 प्रतिशत मोबाइल डीलर्स ऐसी कोई सुविधा उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं। 88 प्रतिशत डीलर्स के पास ई-कचरा एकत्रा करने के लिए कोई तंत्र नहीं है।
गति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने सोशल आडिट में सामने आये इन नतीजों पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि आज के इस दौर में जबकि ई-कचरा एक बड़ा पर्यावरणीय खतरा बन चुका है और स्मार्ट फोन एक जरूरत बन गया है, ई-कचरा प्रबंधन की व्यवस्था और इस बारे में जानकारी का भारी अभाव है। ई-कचरे के संबंध में शहर के मोबाइल डीलर्स की जागरूकता का स्तर वास्तव में बहुत कम है। बाजार में अपने उत्पाद बेच रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इस बारे में चिन्ता करनी चाहिए। ई-कचरे को ईको प्रफैंडली तरीके से निस्तारित करने के लिए कंपनियों को डीलर्स की मदद करनी चाहिए।
2016 के नियम सापफ तौर पर कहते हैं कि कंपनियों को अपनी वापस खरीद योजनाओं के बारे में उपभोक्ताओं को जागरूक करना चाहिए। लेकिन 56 प्रतिशत डीलर ऐसी किसी योजना से अनभिज्ञ हैं। नियम के अनुसार निर्माता अपना कचरा खुद निस्तारित करने के लिए बाध्य हैं, लेकिन 88 प्रतिशत डीलर्स को इस बारे में जानकारी नहीं है।
गति फाउंडेशन के ऋषभ श्रीवास्तव का कहना है कि आने वाले समय में ई-वेस्ट और ज्यादा पैदा होगा। हम सरकारी विभागों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर ई-वेस्ट के बारे में लोगों को जागरूक करने और ई-वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने की दिशा में कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं। इस सोशल आडिट में अनुष्का मर्ताेलिया, हेम साहू, अध्ययन ममगाईं और नीलम कुमारी शामिल हुए।


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