बुधवार, 11 सितंबर 2019

अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड श्रीनगर बांध की लीकेज तुरंत समय सीमा में रोकेः एनजीटी

अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड श्रीनगर बांध की लीकेज तुरंत समय सीमा में रोकेः एनजीटी



प0नि0संवाददाता
देहरादून। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने माटू जन संगठन के उत्तम सिंह भंडारी व विमल भाई याचिका पर अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह श्रीनगर बांध की पावर चैनल में हो रही लीकेज को तुरंत समय सीमा के अंदर रोके। अपने आदेश में प्राधिकरण के मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, न्यायाधीश एसपी बागडी तथा विशेषज्ञ सदस्य नवीन नंदा ने कहा कि अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड जल्दी ही समयबद्ध रूप में अग्रिम कार्यवाही सुनिश्चित करें जिसकी ऊर्जा विभाग टिहरी जिलाधिकारी तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निगरानी करें।
याचिका में कहा गया था कि उत्तराखंड में अलकनंदा के किनारे बनी श्रीनगर जल विद्युत परियोजना का पावर चैनल (खुली नहर) 4 किलोमीटर लंबा है। जो अलकनंदा का पानी पावर हाउस तक बिजली बनाने के लिए ले जाता है। 2015 में इसमें बहुत रिसाव हुआ था। जिससे टिहरी गढ़वाल में इस परियोजना से प्रभावित मंगसू, सुरासु व नोर थापली गांवो की फसलें और मकानांे को नुकसान हुआ।
प्राधिकरण ने 23 मई को अगली सुनवाई से पहले उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल से 1 महीने में ई-मेल पर इस संदर्भ में रिपोर्ट मांगी थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस काम के समन्वयन और अनुपालन की जिम्मेदारी भी दी गई थी। जिसके अनुपालन में जिलाधिकारी टिहरी ने 11 जून को एक समिति का गठन किया था। इस समिति में  विभिन्न विभागों के 4 अधिकारी रहे जो क्रमशः उप जिलाधिकारी कीर्ति नगर, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड श्रीनगर, अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड नरेंद्र नगर और अमित पोखरियाल क्षेत्रीय अधिकारी उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि 18 जून को नहर का निरीक्षण किया गया जिसमें 6 अधिकारी मौजूद थे। निरीक्षण में पाया गया कि ग्राम सुपाना में लीकेज हो रहा है। ग्राम सुपाना, मंगसू, नोर आदि के नागरिकों ने मौके पर बताया कि कई सालों से श्रीनगर बांध के पॉवर चैनल के रिसाव से उनके गांव में खतरा है। उनके जीवन पर खतरा है। उन्हें यहां से रिसाव के समय कहीं और जाना पड़ता है। इसको देखते हुए उन्हें कहीं और पुनर्वासित करना चाहिए। 
वाडिया इंस्टीट्îूट ऑफ हिमालयन जूलॉजी देहरादून द्वारा अपनी रिपोर्ट 30-12-2015  द्वारा इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रेषित की गई जिसमें उनके द्वारा पावर चैनल को पुनः सुदृढ़ीकरण करने हेतु निर्देशित किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की इस आदेश को बांध कंपनी सहित उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल को अनुपालन के लिए भेज रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वे तुरंत वाडिया इंस्टीट्îूट की रिपोर्ट लागू करने की कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे ताकि भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति ना हो।
विमल भाई ने अपने वकील राहुल चौधरी एवं सुश्री मीरा गोपाल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जनहित की इस याचिका के वादियों का पक्ष में एनजीटी में रखा। उन्होंने श्रीनगर बांध के पावर चैनल से प्रभावित क्षेत्र के उन ग्रामीणों का भी आभार जताया जिन्होंने खुलकर पावर चैनल के नुकसान का खुलासा किया जिसके आधार पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट दी।


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