रविवार, 22 सितंबर 2019

जहरीली शराब पीकर मरने वालों से कोई सहानुभूति नही

सिस्टम पर व्यंगः जहरीली शराब पीकर मरने वालों से कोई सहानुभूति नही
भविष्य में कोई गलत काम करता है तो जनप्रतिनिधियों से शिकायत करें



अजय पांड़े
देहरादून। जहरीली शराब पीकर मरने वालों से मेरी कोई सहानुभूति नहीं है। उनको तो मरना ही था। चाहे आज मरें या फिर कल। किसी ने उन्हें जबरन जहरीली शराब नहीं पिलाई। मरने वाले सभी तीसमार खां थे। पलक झपकते ही बोतल का इंतजाम करना उनके बाएं हाथ का खेल था। स्वेच्छा से इस जहर का सेवन भी कर रहे थे। हां इतना जरूर है कि मानवता के तौर पर घटना से मुझे दुःख है। मरने वालों के परिजनों को देखकर बेहद सहानुभूति हो रही है। 
अमृत रूपी इस मदिरा को पीने से जिनकी मौत हुई है उनकी मौत ने कई सवाल जरूर खड़े किए हैं। मौत के सौदागर धन कमाने के लालच में लोगों की जिंदगी का सौदा करते हैं। वो किसकी शह पर व्यापार कर रहे थे, ये बड़ा सवाल है। उत्तराखंड राजभवन, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय और पुलिस महानिदेशालय सब आस-पास ही है। कहीं से भी चलें तो महज 10 मिनट की दूरी पर वो जगह है, जहां जहरीली शराब की बिक्री हुई है। आश्चर्य ये है कि इस जगह पर अवैध शराब के साम्राज्य की किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। 



प्रशासनिक अमला नाकाम है, नाकारा है और पूरी तरह से फेल है। प्रशासन पर तमाम सवाल उठेंगे और उठाए भी जा रहे हैं। कई अफसरों पर गाज गिरी है और आगे गिराई भी जाएगी। ये गन्दा धंधा कैसे रुकेगा और कौन रोकेगा। इसका परमानेंट इलाज क्या है कौन बताएगा। इस दुुःखद घटना के बाद पथरिया पीर के क्षेत्रवासियों से मुझे तमाम शिकायतें भी हैं। तुम्हारे क्षेत्र में लंबे समय से ये गोरखधंधा चल रहा था। लेकिन इसके जहरीला होने से पहले तुमने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को क्यों नहीं बताया। 
सभी जनप्रतिनिधि लोग तुम्हारे अपने थे, कोई गैर नहीं था। सत्ता पक्ष के विधायक गणेश जोशी जी तुम्हारे बगल में ही रहते हैं। अगर उनको जानकारी होती तो, विधायक जी इस पर जरूर एक्शन लेते। गणेश जोशी जी दबंग हैं, जनांदोलनों से ही बड़े नेता भी बने हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री और विधायक खजान दास जी बेहद भावुक किस्म के इंसान हैं, उनको भी बता सकते थे। तुम्हारे पड़ोस में रहने वाले देहरादून के मेयर साहब सुनील उनियाल गामा जी। गामा जी के पास तो बड़ी जिम्मेदारी है, मुख्यमंत्री जी के बेहद करीब हैं। अगर उनको बता देते तो वो उन लोगों पर शिकंजा कसते। तब कोई ऐसे गोरखधंधे के बारे में सोच भी नहीं पाता। 
सत्ता पक्ष के ये तीनों बड़े दिग्गज हर वक्त, हर समय आम जनता के साथ मुस्तैद रहते हैं। लेकिन तुम लोगों ने उनको पराया समझा। इस बात की उनको एक बार भी कोई जानकारी नहीं दी। जनप्रतिनिधियों से इतनी दूरी क्यों, ऐसा क्यों किया भाई लोगों। सत्ता पक्ष की ओर से इस काले कारोबार पर कोई कार्यवाही जरूर होती। पहले बताना था, जनप्रतिनिधि भी इंसान हैं। उन्हें हर बात की जानकारी नहीं होती। तुम्हारे बगल में चंद कदमों की दूरी पर कांग्रेस भवन भी तो था। 
मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कांग्रेस भवन में तुम्हारी जरूर सुनवाई होती। तुम लोगों ने, न बताने की बड़ी गलती कर दी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह किसी भी अधिकारी को बुलाकर फटकार लगा देते। प्रीतम सिंह की फटकार के बाद प्रशासनिक अमला पूरी तरह से मुस्तैद हो जाता। गोरखधंधे वालों पर बड़ी कार्रवाई होती। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना दबंग प्रवृत्ति के नेता के तौर पर जाने जाते हैं। प्रशासन के अफसरों पर धस्माना जी का काफी बड़ा प्रभाव रहता है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष बेहद संवेदनशील व्यक्तित्व हैं। कहीं भी घटना के बाद मौके पर सबसे पहले पहुंचते हैं। उनको इस बात की जानकारी होती तो सब काम छोड़कर वो तुम्हारी फरियाद जरूर सुनते। 
ऐसे लोगों को गिरेबान पकड़कर बाहर निकालने वालों में से हैं धस्माना जी। खैर, अब तो दुःखद घटना हो गई है। लेकिन आगे भविष्य में ऐसी घटनाएं ना हो। इसके लिए सबको सजग रहने की जरूरत है। ये 5 जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जो सीधे तौर पर इस क्षेत्र से जुड़े हैं। यहां की पूरी स्थिति को जानते हैं। अगर भविष्य में कोई गलत काम करता है तो क्षेत्रवासी इसने मिलकर जरूर शिकायत करें। जिससे दुबारा ऐसी घटनाएं न होने पाए।


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