समाचारः समीक्षा
ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर, सच को सच कहने की हिम्मत
पूर्व सी0एम0 हरीश रावत की कथनी करनी में अन्तर
दोस्त-दुश्मन की पहचान नहीं, सत्तारूढ दल के नेताओं पर आक्रामक हुए
जगमोहन सेठी
देहरादून। उत्तराखण्ड नैनीताल हाईकोर्ट में 1 अक्टूबर को पूर्व मुख्यमंत्राी हरीश रावत के स्टिंग मामले की सुनवाई होने जा रही है। गौरतलब है कि 20 सितम्बर को जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अचानक जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे ने हरीश के खिलापफ हुए स्टिंग आपरेशन की सुनवाई के मामले का 1 अक्टूबर तक टालकर खुद सुनने से इन्कार कर दिया था।
नतीजतन अटकलबाजीयों का बाजार गर्म हो गया। हर नेता, वकील अपने अपने तरीकों से कहानियां और चर्चाएं गढ़ते सुनाई दिये। जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे जो अपनी निष्पक्ष न्यायप्रियता, ईमानदारी, किसी के दबाव में न आने वाले न्यायमूर्ति के रूप में अपनी प्रतिष्ठा और पहचान बनी हुई हैं, ने अचानक ही जिस तौर तरीके से हरीश रावत और उनके समर्थकों ने राजनीतिक अपफवाहों को रंग देने की नाकाम कोशिश की उसे महंगी पड़ सकती है।
हकीकत यह बतायी जाती है कि 1 अक्टूबर को होने वाली सुनवाई के दौरान हरीश रावत के लिए परेशानियां बढ़ सकती है। सी0बी0आई0 ने भी जमकर बहस करने का मन बना लिया है। इसमें कोई शक नहीं कि नाजुक हालातों को देखते हुए हरीश रावत ने अपने पार्टी कांग्रेस के प्रादेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और वरिष्ठ कांग्रेसी नेत्राी इन्दिरा हृदेश के दरबार में जाकर अपने बचाव के लिए गुहार लगाई है।
उल्लेखनीय है कि ये दोनांे नेता पिछले कई सालों से हरीश रावत से नाराज चले आ रहे है। हरीश रावत के घड़याली आंसूओं को पौंछने के लिए प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और इन्दिरा हृदेश ने एक औपचारिक पत्राकार सम्मेलन कांग्रेस भवन में बुलाया। सम्मेलन में जिस तौर तरीके से स्टिंग आपरेशन के बारे में हरीश रावत के साथ हमदर्दी दिखाने का नाटक खेल तथा कांग्रेसियों के समर्थन देने की बात की उसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे है। यानि यूं कहिये कि कांग्रेस की आंतरिक सियासत गरमा गयी है।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह एवं तेज तर्रार कांग्रेसी नेत्राी इंदिरा हृदेश मीडिया के सामने तो यह कहते है कि वह पूर्व विश्वासघाती मुख्यमंत्राी की इस संकट की घड़ी में उनके साथ खड़े हैं परन्तु हरीश मन ही मन डर रहे हैं कि उनके ये घोर विरोधी नेता के मन में हकीकत से कुछ और दिखाई देती है। हाईकोर्ट पर दबाव बनाने के लिये हरदा ने अपने समर्थकों के पास पहुंचने के लिये कहा पूर्व मुख्यमंत्री को डर सताये हुए है। उनका आत्म विश्वास टूट चुका है।
हाईकोर्ट पर दबाव बनाने के लिये हरदा ने अपने समर्थकों के पास पहुंचने के लिये कहा
कांग्रेस भवन में ही कई छोटे बड़े कांग्रेसियों का कहना है कि हरीश रावत ने अपने कार्यकर्ताओं के साथ जैसी बेवपफाई की है अब वैसा ही भुगत रहे है। सभी की कथनी करनी में अन्तर है अंदर से खुश हैं और बाहर से हरीश के प्रति वपफादारी दिखा रहे है। प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सी0बी0आई0 को कोसते हुए कहा है कि वह मुख्यमंत्राी हरीश रावत के स्टिंग आपरेशन में तिल का ताड़ बनाकर रिपोर्ट दर्ज कर रही है। यदि उनकी गिरफ्रतारी की गयी तो यकीनी तौर पर कहा जा सकता है कि उत्तराखण्ड कांग्रेस हरीश रावत के साथ खड़ी है।
अन्दरूनी जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से सी0बी0आई0 हरीश रावत की गिरफ्रतारी के लिए एपफ0आई0आर0 की लिखा पढ़ी कर रही है। हरीश रावत को डरने की जरूरत नहीं है, उत्तराखण्ड की कांग्रेस उनके साथ खड़ी है। गौरतलब है कि हरीश रावत के वकीलों ने 20 सितम्बर हो हुई सुनवाई में इस बात का विरोध किया था कि सी0बी0आई0 को अधिकार नहीं है कि वह अपनी प्रारम्भिक जांच की रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। क्योंकि स्टिंग आपरेशन में राज्यपाल द्वारा दी गयी अनुमति को पलटा नहीं जा सकता। जबकि हरीश रावत के वकीलों का कहना था कि चुनी हई सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन के दौरान स्टिंग मामले की सी0बी0आई0 जांच संबंधी संस्तुति करने के नोटिपिफकेशन को वापस ले लिया था और जांच के लिए एस0आई0टी0 का गठन किया गया था।
यह पहला मौका है जब उत्तराखण्ड के सट्टोरियों ने हरीश रावत की गिरफ्रतारी पर हजारों रूपयों का सट्टा लगाया हुआ है कि वह जेल जांएगे या नहीं। पिछली तारीख पर जस्टिस रमेश चन्द खुल्बे की आदालत में सुनवाई के दौरान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व अध्यक्ष अध्यक्ष किशोर उपाध्याय और विपक्ष की नेता इन्दिरा हृदेश अपने समर्थकों के साथ नैनीताल पहुंची थी, लेकिन सुनवाई न होने के कारण मामला 1 अक्टूबर तक टाल दिया गया।
सम्पर्क सूत्रः jagmohan-journalist/yahoo.com, jagmohanblitz@gmail.com