बुधवार, 18 सितंबर 2019

सड़क किनारे गाड़ी लगाकर फोन पर बात करने पर भी कट सकता है चालान





सड़क किनारे गाड़ी लगाकर फोन पर बात करने पर भी कट सकता है चालान

न्यूज़ डेस्क


देहरादून। नए मोटर व्हीकल एक्ट के बाद बढ़े जुर्माने को लेकर  हंगामा मचा है। लेकिन भारी जुर्माने के साथ कुछ अन्य प्रावधानों के बारे में लोग नहीं जानते जबकि इनको जानना भी बहुत जरूरी है। मसलन फोन पर बात करते हुए गाड़ी चलाना। आमतौर पर सब को पता है कि अगर आप गाड़ी चलाते वक्त फोन पर बात करते हैं तो  चालान कट सकता है लेकिन अगर आप सड़क किनारे गाड़ी खड़ी कर फोन पर बात कर रहे हैं तो इस पर भी चालान कट सकता है। 


सड़क पर वाहन चलाते समय अगर फोन पर बात करते हुए पकड़े गए तो मोटर व्हीकल एक्ट में 5000 रुपये के चालान का प्रावधान है। ऐसे में कई बार आप वाहन को सड़क किनारे लगाकर फोन पर बात करते हैं। लेकिन  यदि आप वाहन को सड़क किनारे लगाकर फोन पर बात करने की सोच रहे हैं तो पहले यह भी देख ले कि वह साइलेंट जोन में तो नहीं आता क्योंकि, साइलेंट जोन में यदि आप ने फोन का प्रयोग किया तो भी  1000 रुपये का चालान किया जा सकता है। साइलेंट जोन में हॉर्न बजाने पर भी 1000 रुपये के चालान का प्रावधान है।


माता-पिता बाइक पर घर से निकलें तो ध्यान रखें कि क्या उनके साथ उनका बच्चा भी है। अगर उनके साथ मौजूद बच्चे की उम्र 4 साल से अधिक है तो उसे तीसरी सवारी माना जाएगा। उसके खिलाफ नए मोटर व्हीकल एक्ट में चालान का प्रावधान है। उसे तीसरी सवारी मानकर धारा 194ए में प्रति सवारी 200 रुपये का चालान किया जाएगा। ऐसे में अगली बार ध्यान रखें कि बाइक पर चलते समय दो सवारी होने के बाद अपने साथ 4 साल से ज्यादा उम्र के बच्चे को लेकर न चलें।


यही नहीं, सरकार ने अब 14 साल से कम उम्र के बच्चे के लिए भी कार में सफर के दौरान सीट बेल्ट लगाना अनिवार्य कर दिया है। अगर वह ऐसा करता हुआ नहीं पाया जाता है तो इस श्रेणी में सेक्शन 194बी में 1000 रुपये के चालान का प्रावधान है। अगर वह सीट बेल्ट नहीं लगाता है तो उसके लिए सेफ्टी सीट जो बच्चों के लिए आती है उसका प्रयोग करना पड़ेगा।


मोटर व्हीकल एक्ट (संशोधित) पर को लेकर बनी संसदीय कमेटी ने सुझाव दिया था कि नए नियम लागू करने से पहले तकनीकी चीजों के बारे में जनता और पुलिस को जागरूक किया जाए। साइन बोर्ड, सिग्नल, डिवाइडर, स्पीड जैसी छोटी-छोटी जानकारी लोगों को दें। वहीं, ट्रैफिक कर्मियों को भी ट्रेनिंग दी जाए। हालांकि, ऐसा हुआ नहीं।


सड़क यातायात शिक्षण संस्थान (आईआरटीई) ने 2017 में दिल्ली की सड़कों पर लगे संकेतकों का अध्ययन किया था। उसकी रिपोर्ट के अनुसार, 75 प्रतिशत संकेतक इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों पर खरे नहीं उतरे। लोग ही नहीं, पुलिसकर्मियों को भी इनकी बेहद कम जानकारी थी।




 








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