शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2019

अंटार्कटिका में कई किलोमीटर लंबी दरार 

अंटार्कटिका में कई किलोमीटर लंबी दरार 



वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दरारों ने दुनिया के लिए खतरा पैदा कर दिया है। उनको लगता है कि अंटार्कटिक की यह दरार बढ़ते-बढ़ते बर्फीली चादर को फाड़ देगी और कई ग्लेशियर समुद्रों में बह निकलेंगे।
एजेंसी
नई दिल्‍ली। दुनिया में ग्‍लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता जा रहा है। ग्रीन हाउस गैस को लेकर पूरी दुनिया चिंतित है। ग्‍लोबल वार्मिंग बढ़ने से दुनिया में बड़े पर्यावरणीय बदलाव की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी ही एक घटना की सूचना अंटार्कटिका से मिल रही है। अंटार्कटिका के एक बहुत बड़े आइसबर्ग में दो बड़ी दरारें सामने आई हैं। इन दरारों को लेकर वैज्ञानिक काफी चिंतित हैं। इन दरारों की तस्वीरें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के कोपरनिकस सेंटिनल उपग्रह ने ली है। तस्वीरों में पश्चिम अंटार्कटिक की बर्फ की चादर में दो बड़ी दरारें स्‍पष्‍ट तौर पर दिख रही है। ये दरारें 20 किलोमीटर की लंबाई में फैली हुई हैं।
अंटार्कटिका में नजर आई ये दोनों दरारें पाइन द्वीप ग्लेशियर पर दिखाई दे रही हैं। ये पश्चिम अंटार्कटिक में जमी बर्फ की चादर का हिस्सा है। यह बर्फ की चादर पिछले 25 साल से समुद्र में बड़ी मात्रा में बर्फ छोड़ रही है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इन दरारों के कारण एक नया हिमखंड बन सकता है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट में सामने आया है कि जिस गति से पाइन द्वीप ग्लेशियर में प्रतिदिन 10 मीटर से अधिक तेजी से बर्फ आगे बढ़ रही है, उसी के कारण साल 1992, 1995, 2001, 2007, 2013, 2015, 2017 और 2018 में बड़ी प्राकृतिक आपदाएं आ चुकी हैं। अब अगर इसका पिघलना जारी रहा तो भविष्‍य में भी हमें आपदाओं के लिए तैयार रहना होगा।
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक बिना किसी कारण के ग्‍लेशियर में इस तरह की दरार आने के कारण बने नए हिमखंड में बर्फ का एक बड़ा हिस्सा तेजी से पिघल रहा है। वहीं, इसका शांत होना एक प्राकृतिक प्रक्रियाहै। व्यापक रूप से ऐसी घटनाओं के परिणामस्वरूप वैश्विक समुद्र के स्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। वहीं, इस घटना के वैज्ञानिक विश्लेषण से यह भी पता चला है कि समान आकार का यह नया हिमखंड शांत होने की प्रक्रिया से गुजर रहा है और जल्‍द ही यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दरारों ने दुनिया के लिए खतरा पैदा कर दिया है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की चादर को चीरती जा रही यह दरार वहां मौजूद रिसर्च स्टेशनों को भी खतरे में डाल रही हैं।
विशेषज्ञों को लगता है कि अंटार्कटिक की यह दरार बढ़ते-बढ़ते बर्फीली चादर को फाड़ देगी और कई ग्लेशियर समुद्रों में बह निकलेंगे। इससे समुद्र के जलस्‍तर और हमारी जलवायु पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग इस असामान्य वृद्धि के कारणों में एक है। दुनिया भर में लगातार बर्फ पिघल रही है। कुछ मामलों में प्रदूषण फैलाने वाली कुछ वस्तुओं के लंबे समय तक बर्फ में फंसे होने की भी आशंका है। लेकिन, बर्फ में गलन तेज हो रही है। पिछले महीने कुछ ही दिनों में ग्रीनलैंड 40 प्रतिशत से अधिक पिघल गया। इसमें कुल 2 गीगाटन से अधिक बर्फ होने का अनुमान है। ग्रीनलैंड में एक ही दिन में 2 अरब टन बर्फ गल चुकी है।


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