बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने हिला कर रख दिया

पिथौरागढ़ उपचुनाव से पहले भाजपा की उड़ी नींद, कांग्रेस उत्साहित!
हरियाणा-महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने हिला कर रख दिया



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। हाल ही में हरियाणा-महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के नतीजों ने भाजपा को हिला कर रख दिया है। उन नतीजों का असर प्रदेश में भी देखने को मिल रहा है। भाजपाई नेता अब जान गए है कि हर बार मोदी की लहर नैया पार नही लगाने वाली है। खुद भी जोर जतन करना होगा वरना जनता कुर्सी से बेदखल करने में वक्त नही लगायेगी। 
उत्तराखंड की राजनीति में हालिया दो प्रदेशों में हुए विधानसभा चुनावों नतीजों ने गहरा असर डाला है। खासकर पिथौरागढ़ में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगने वाली है। और यह चुनौती आसान रहने वाली नही है। राज्य के वित्त मंत्री रहे प्रकाश पंत के निधन से खाली हुई इस सीट पर उनके उत्तराधिकारी का चुनाव भी अपने आप में बड़ी चुनौती है। एक ओर पंचायत चुनाव का समापन हुआ और परिणाम घोषित होते ही चुनाव आयोग ने इस सीट पर उप चुनाव का ऐलान कर दिया। 
अब तब हवा में उड़ रहे भाजपाईयों को हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों ने जमीन पर उतार दिया है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस उत्साहित है। जैसे उसे संजीवनी ही मिल गई हो। वरना तो कांग्रेसियों में आम हो चला था कि मोदी के रहते उनका वापसी करना मुमकिन नही है। लेकिन आज वे उम्मीदों के घोड़े पर सवार होकर चल रहे है। जिस तरह से भाजपा को सत्ता में लाने का श्रेय खुद भाजपा से ज्यादा कांग्रेस का रहा है, उसी तरह अब प्रदेश में भी कांग्रेस को भाजपाईयों की गलतियों का भान था। लेकिन जनता के मूड पर ऐतबार न होता था। लेकिन जनता ने अपनी मुहर लगाकर जता दिया कि वह हठ पाल कर नही बैठी। 
जो जितना ज्यादा उड़ेगा, उसे उतने गहरे तक उतार दिया जायेगा। हालिया दो राज्यों के चुनावों में जनता का साफ संदेश है। अब इससे उत्तराखण्ड़ के भाजपाईयों के चेहरे की हवाईयां उड़ी हुई है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस को यह अवसर मिल गया कि वह खुद को साबित करे। वैसे भी उसके पास खोने के लिए कुछ नही है। हां, भाजपा को चोट पहुंचाने की कुव्वत अवश्य उसके भीतर है। संभवतया इस उपचुनाव में वह अपनी पूरी ताकत झौंक कर जता भी दे। क्योंकि इसका डर प्रदेश भाजपा पर साफ देखा जा सकता है। 
गौर हो कि 5 जून से खाली इस सीट के लिए भाजपा, कांग्रेस पहले से ही तैयारियां कर रहीं थी लेकिन राजनीति का उंट इस कदर करवट ले चुका है कि एक डरा सहमा हुआ है तो दूसरा खुशी से उछल रहा है। दो राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा की नींद उड़ी हुई है तो कांग्रेस की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी है। यहीं कारण है कि भाजपा अपनी रणनीति में बदलाव करने को मजबूर हो गई है। अब मोदी के दम पर उसकी वैतरणी पार नही लगेगी। उसे स्थानीय मुद्दों और विकास के बलबूते चुनाव में उतरना होगा। लेकिन कैसे? यह सवाल बड़ा है। क्योंकि मोदी ने भले ही भाजपा को प्रदेश में प्रचंड बहुमत दिलाया हो, एक तरह से यहां स्थानीय नेतृत्व को पंगु बनाकर रख दिया है। 
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट दावा करते है कि पार्टी उप चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है लेकिन जीत का सेहरा बंधने को लेकर संशय जरूर बरकरार है। वहीं एक के बाद एक ठोकर खाने वाली कांग्रेस में आशा के अंकुर फूटते दिखाई देते है। इसलिए वह दोगुने जोश के साथ मैदान में उतरने को तत्पर है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह मानते है कि भाजपा की प्रदेश सरकार ने जनता की भावना के अनुरूप काम नही किया है। वे कहते है कि इस बात को कांग्रेस जनता के बीच रखेगी। 
इस लिहाज से पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव दोनों पार्टियों के लिए बेहद अहम है। एक ओर इस उपचुनाव में भाजपा सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल है तो वहीं कांग्रेस के पास अपनी खोयी हुई ताकत को बटोरने का एक और अवसर। वैसे भी मोदी रहित चुनाव में भाजपा में एक शून्य ही उभरता है। बिन जनाधर वाले नेता और नेतृत्व की पार्टी, जिसका आधार लहरों की बैशाखियां मात्रा है जबकि कांग्रेस मझधर से उबर सकती है।


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