शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

लाखों समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के अस्तित्व का संकट

सरकार की नीतियों का असर!



लाखों समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के अस्तित्व का संकट


प0नि0ब्यूरो
देहरादून। भारत के समाचारपत्रों के पंजीयन कार्यालय यानि आरएनआई ने अनुलग्नक-तीन annuexure-iii के जारी कर देशभर के राज्यवार उन समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के प्रकाशकों की संख्या जारी की है जिन्होंने वित्त वर्ष 2015-16, 2016-17 और 2017-18 की एनुअल रिर्टन पिछले तीन वर्षो से दाखिल नही की है। 
गौर हो कि उक्त सूची में सबसे कम समाचार पत्र एवं पत्रिकाएं लक्ष्यद्वीप तथा उमण एवं दीव की है। जहां से महज 7-7 प्रकाशकों ने तीन वर्षो की एनुअल रिर्टन दाखिल नही की है। जबकि देश में सबसे ज्यादा रिर्टन दाखिल न करने वाले प्रकाशकों में महाराष्ट्र पहले नंबर पर है। उसके बार क्रमश' उत्तरप्रदेश एवं दिल्ली का नंबर आता है।
सूची के मुताबिक महाराष्ट्र के 15,180, उत्तरप्रदेश के 13,787 तथा दिल्ली के 12,926 प्रकाशकों ने अपने रिर्टन दाखिल नही किए है। बता दें कि उत्तराखंड़ के 1,322 प्रकाशक भी उक्त सूची में दर्शाये गए है जिन्होंने 2015 से पिछले तीन वर्षो से अपने एनुअल रिर्टन दाखिल नही किए है। आरएनआई की सूची के अनुसार देशभर में विभिन्न प्रदेशों के समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं की संख्या 1,04,964 है जिन्होंने विगत तीन वर्षो से अपने रिर्टन दाखिल नही किए है।


 


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