रविवार, 12 जनवरी 2020

निर्मल मन ही परमात्मा की भक्ति कर सकता

निर्मल मन ही परमात्मा की भक्ति कर सकता



निरंकारी युवाओं ने अंग्रेजी भाषा में दिया प्रेम व भक्ति का संदेश
संवाददाता
देहरादून। निर्मल मन ही परमात्मा की भक्ति कर सकता है। निरंकारी युवा संतों ने अंग्रेजी भाषा में सत्गुरु सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी मिशन का संदेश देते हुए जोनल स्तरीय इंग्लिश मीडियम समागम के माध्यम से जन-जन को आध्यात्म से जुड़ने की प्रेरणा दी।
बता दें कि इस समागम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली से पधारे ज्ञान प्रचारक अविनाश गर्ग ने संत निरंकारी सत्संग भवन हरिद्वार बाईपास रोड के तत्वाधान में जोन मसूरी की कई ब्रांचों से पधारे श्रद्वालूओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि जब तक हमारे जीवन में पूर्ण सत्गुरु नही आता तब तक हमें सत्य का पता नही चल पता। जब हमारे जीवन में पूर्ण सत्गुरु आ जाता है तो हमें सत्य का पता चल जाता हैं कि यह परम सत्ता पहले भी थी और आज भी है। यह जिसकी रचना है वह पहले भी था और आज भी है। जो बिना सत्संग के भक्ति संभव नहीं है जब तक सेवा, सत्संग, सिमरन सेवा में नही बदल जाता तब तक हमारी भक्ति संभव नही है।
भक्ति के मर्म पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि मिशन की शिक्षा को जीवन में उतारना और उसके अनुसार अपना जीवन जीना ही भक्ति है। सत्संग में आने से मन की मैल धुल सकती है। प्रेम के बिना भक्ति अधूरी है भक्ति किसी कर्म का नाम नहीं बल्कि अवगुणों को छोड़कर सत्गुरु द्वारा सिखलाए गुणों को जीवन में धारण करना ही भक्ति है।
उन्होंने कहा कि सद्गुरु की कृपा से हमारे विचार बदले है और हमारे आध्यात्मिक विचारों में भिन्नता आई है। हमें प्रेम नम्रता वाला जीवन मिला है।  इस अवसर पर विभिन्न जगहों से आये श्रद्वालू के साथ साथ सेवादल व संगत ने प्रवचन का अमृतपान किया।


 


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