रविवार, 12 जनवरी 2020

संतान के खुशहाली के लिए रखा जायेगा कल सकट व्रत

संतान के खुशहाली के लिए रखा जायेगा कल सकट व्रत



पं0 चैतराम भट्ट
देहरादून। हर माह में दो चतुर्थी तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष में जिसे विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। दूसरी कृष्ण पक्ष में जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस तरह एक साल में कुल 24 चतुर्थी व्रत पड़ते हैं। लेकिन सभी में माघ मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है। जिसे सकट चौथ, संकटाचौथ, तिलकुट चौथ आदि नामों से भी जाना जाता है। 
संकष्टी का अर्थ होता है संकटों का हरण करने वाली चतुर्थी। इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु और खुशहाल जीवन की कामना के लिए ये व्रत रखती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रख भगवान गणपति की विधि विधान अराधना की जाती है तथा उन्हें तिल के लड्ढू चढ़ाए जाते हैं।
व्रत रखने वाले इस दिन सुबह स्नान कर निर्जला व्रत करने का संकल्प लें। रात में चंद्र दर्शन के बाद इस व्रत को खोला जाता है। कई जगह महिलाएं पूरे दिन कुछ ग्रहण नहीं करती और अगले दिन इस व्रत को तोड़ती हैं। तो वहीं कुछ स्थानों पर व्रत तोड़ने के बाद खिचड़ी, मूंगफली और फलाहार किया जाता है। इस दिन शकरकंद जरूर खाया जाता है।
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर स्वच्छ हो जाएं। उसके बाद घर के मंदिर को साफ कर पूजा की तैयारी करें। पूजा के लिए एक साफ चौकी लें जिस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति को स्थापित करें। फिर विधि विधान से पूजा करें। कुछ जगहों पर इस दिन तिल और गुड़ का बकरा बनाकर उसकी बलि दी जाती है। व्रत रखने वाली महिलाएं एक जगह एकत्रित होकर गणेश जी की कथा सुनती हैं। ध्यान रखें कि बप्पा की पूजा में जल, अक्षत, दूर्वा, लड्ढू, पान, सुपारी का जरूर उपयोग करें। लेकिन तुलसी के पत्ते का भूलकर भी इस्तेमाल न करें।


माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग

  माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलाकर सेवाओं का उपयोग व्हाट्सएप उपयोगकर्ता $91 9013151515 पर केवल नमस्ते या हाय या डिजिलाकर भेजकर कर सकते है चैटबाट...