बुधवार, 25 मार्च 2020

चीन की मंशा पर संदेह वाजिब

न्यूक्लीयर, बायलाजिकल, कैमिकल वारफेयर के लिए वायरस बनाने का शक!
चीन की मंशा पर संदेह वाजिब



प0नि0ब्यूरो
देहरादून। जहां एक ओर पूरी दुनिया में नोवल कोरोना को लेकर खौफ का वातावरण है और इसके संक्रमण और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। वहीं अब विश्व भर में चीन को शक की नजर से देखा जा रहा है। इस बारे में अमेरिका को तो यकीन है कि हो न हो चीन ने खुद अपने लैब में इस खतरनाक वायरस को पैदा किया है।
आज यदि विश्वभर में चीन की मंशा पर संदेह किया जा रहा है तो उसके वाजिब कारण भी है। क्योंकि उसने इस वायरस के संक्रमण की जानकारी को पहले तो छिपाकर रखा और जब बात हाथ से निकल गई तो अमेरिका पर दोष मढ़ना शुरू कर दिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अमेरिका क्यों चीन पर आरोप लगा रहा है कि उसने कोरोना वायरस को बतौर बायो वैपन की तरह विकसित किया है।
सेना के बारे में जानकारी रखने वाले एनबीसी वारफेयर के बारे में जानते है। इसका मतलब है न्यूक्लियर, बायोलाजिकल, कैमिकल वारफेयर। इसके तहत तीन तरह के हथियार और गोला बारूद दुश्मनों के निपटने के लिए तैयार किए जाते है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय समाज में इस प्रकार के हथियार प्रतिबंधित है। लेकिन दुर्भाग्य से तकरीबन हर महत्वाकांक्षी देश इसे डवलप करने में लगा हुआ है।  कहा जा रहा है कि चीन ने इस वायरस को हांगकांग के लोगों को सबक सिखाने के लिए तैयार किया था लेकिन एक चूक की वजह से यह लैब में लीक हो गया और इसने चीन के एक बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया। 
इस लिहाज से तो अमेरिका का दावा मजबूत है कि कोरोना वायरस प्रकोप पर जानकारी साझा करने की बजाए चीन ने उसे रहस्य की तरह छिपाकर रखा। उसका कहना सही भी प्रतीत होता है कि यदि बीजिंग ने इस खतरे के बारे में पहले ही चेतावनी दे दी होती तो पूरा विश्व इसके लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार होता। लेकिन चीन की गलतियों का खामियाजा आज पूरे विश्व को भुगतना पड़ रहा है। चीन के ईमानदार न रहने और कोरोना वायरस की गंभीरता के बारे में विश्व को सजग करने में धीमा रुख अपनाने को लेकर अमेरिका ने अफसोस जाहिर किया।
अमेरिका का कहना है कि चीन ने नोवल कोरोना के संक्रमण फैलने का भंडाफोड़ करने वालों को चुप करा दिया, पत्रकारों को निकाल दिया, नमूने बर्बाद किए और मौत एवं संक्रमित लोगों की संख्या छिपाई। उसने बड़े पैमाने पर अपने कृत्यों पर पर्दा डाला। दुनिया को इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।
हालांकि चीन भी अमेरिका के आरोपों पर प्रत्यारोप लगाते हुए कह रहा है कि चीन में नोवल कोरोना फैलाने में अमेरिका का हाथ है। चीन के आरोप का ईरान ने भी समर्थन किया है। हालांकि ईरान द्वारा संदेह जाहिर करने के पीछे वजह राजनीतिक है। लेकिन इसमें दो राय नही कि चीन ने जिस तरह से दोगला रवैया कोरोना वायरस को लेकर अपनाया, इसके लिए उसे सस्ते में नहीं छोड़ा जा सकता।
लेकिन कहते है कि समरथ को नहीं दोष गुसांई। चीन पर दोषारोपण होता रहेगा और वह इसी तरह अपने एनबीसी वारफेयर प्रोग्राम को आगे बढ़ाता रहेगा। चूंकि मानवीय भूल अवश्यसंभावी इसलिए आगे भी इस तरह के खतरे बने रहेंगे और उन्हें झेलना हमारी नियति बनी रहेगी।


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