सोमवार, 16 मार्च 2020

कोरोना वायरस से बचाव: आखिरी रास्ता

कोरोना वायरस से बचाव: आखिरी रास्ता



कोरोना वायरस तेजी से पैर पसार रहा है, ऐसे में अगर इसके प्रकोप से बचना चाहते हैं तो सिर्फ एक ही विकल्प है। सोशल डिस्टैंसिंग पर ध्यान देना होगा। हर उस जगह से दूरी बनानी होगी,जहां भीड़-भाड़ होती है।
एजेंसी
नई दिल्ली। दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। दुनिया भर में 6,500 से भी अधिक लोग मारे जा चुके हैं और करीब 1.70 लाख लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।  जरूरी है कि पुरानी महामारियों से सबक सीखा जाए। अमेरिका में 1918 में स्पैनिश फ्लू आया था, तब सैंट लुईस में फिलाडेल्फिया के मुकाबले मौतों की संख्या आधी थी। इसकी वजह ये थी कि उस दौरान फिलाडेल्फिया ने प्रथम विश्वयुद्ध का समर्थन के लिए रैलियां की थीं, जबकि सैंट लुईस ने सभी स्कूल, चर्च, फैक्ट्रियां और सार्वजनिक जगहों पर लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी थी। उन्होंने तुरंत एक्शन लिया था, जिसकी वजह से हजारों लोगों की जान बच गई।
सिंगापुर, ताइवान, हॉन्ग कॉन्ग, थाईलैंड और जापान चीन के सबसे नजदीक हैं, लेकिन किसी भी देश में इंफेक्शन तेजी से नहीं फैला। क्योंकि इन सभी पर 2003 में सार्स वायरस फैला था।इन देशों को सबक मिल चुका है कि वायरल इंफेक्शन कितनी तेजी से फैल सकता है और उन्होंने सोशल डिस्टैंसिंग पर पूरा ध्यान दिया।
ईरान, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन ने एक्शन लेने में देर की, इसलिए वहां संक्रमण काफी बढ़ गया है। भारत ने विदेशी यात्रियों पर जल्दी कंट्रोल किया, जिसकी वजह से भारत अभी बचा हुआ है। बहुत से लोग कोरोना वायरस से मरने की 3 फीसदी की दर को देख रहे हैं और सोच रहे हैं कि ये कम है। 
भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है और कोविड-19 बहुत ही तेजी से फैल रहा है। कोरोना वायरस का हर मरीज करीब 3 अन्य लोगों को संक्रमित कर रहा है और उनमें से संक्रमण करीब 2 हफ्तों तक रह रहा है। भारत में अब तक करीब 115 लोगों में ये संक्रमण फैल चुका है और 2 लोगों की मौत भी हो गई है। संक्रमित लोगों में से 5 फीसदी को आईसीयू में रखने की जरूरत है और 1 फीसदी गंभीर होते हैं, जिन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत होती है।
जिन लोगों को पहले से ही कोई बीमारी है, जैसे हाई बीपी, इम्यून सिस्टम की दिक्कत, कैंसर है या उनकी उम्र 70 साल से अधिक है, उनके लिए यह वायरस जानलेवा है। भारत में कोरोना वायरस बेकाबू हुआ तो यह बम की तरह फटेगा, क्योंकि यहां की आबादी बहुत ज्यादा है। 
हमारे पास महज सोशल डिस्टैंसिंग का विकल्प है, जिसके जरिए वायरस के फैलाव को कम कर सकते हैं। चीन की तरह पूरी तरह से शहरों को बंद नहीं कर सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य से कदम हैं, उन्हें उठाया जा सकता है-
सभी यात्राएं टालने की कोशिश करें, भले ही वह अंतराष्ट्रीय हों या घरेलू, बस से हों, ट्रेन से हों या हवाई यात्रा हो। लंबी दूरी की यात्राएं करने से बचें, क्योंकि ये वायरस उनके जरिए ही तेजी से फैल रहा है।
उन सभी जगहों पर जाने से बचें जहां कम जगह पर अधिक लोग हों। मसलन स्कूल, जिम, मॉल, बाजार, पब, थिएटर, मंदिर, अन्य पूजा स्थल, स्वीमिंग पूल आदि। भले ही ऑफिस में या फैक्ट्री में काम करते हैं, इंफेक्शन का खतरा है और सहकर्मी भी संक्रमित हो सकते हैं या संक्रमित कर सकते हैं।
अगर काम पर जाना जरूरी है तो अपने सहकर्मियों से कम से कम 6 फुट का फासला रखें। कैंटीन जाने से बचें। बाहरी लोगों से मीटिंग करने से बचें। 10 से अधिक लोगों के समूह में ना मिलें। हर कॉन्फ्रेंस, स्पोर्ट्स इवेंट, मेले, रैलियां, क्रिकेट मैच आदि से जितना हो सके उतना दूरी बनाए रखें।


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