इम्यूनिटी
- चेतन सिंह खड़का
यदि इम्यूनिटी को जानना, जानो रक्त के कार्य
भली भांति कैसे चले, प्रतिरक्षा सरकार
अंगों में आक्सीजन पहुंचाना, पोषक द्रवों का परिवहन
घातक तत्वों का निष्कासन,
ये रक्त के महत्वपूर्ण उद्यम।
जिससे विकसित होता शरीर
पाते हम लम्बी आयु फिर।
तीन तत्वों का एक बने जो मिश्रण
पूरा हो जाता एक रक्त का कण
द्रव पदार्थ ‘प्लाज्मा’, लाल, श्वेत कणिकाएं
ये तीनों मिलकर रक्त बनाएं।
लाल कणिका की सर्विस
आक्सीजन, कार्बन डाई-आक्साइड को
अंगों की सैर कराना
श्वेत कणिका का दायित्व
प्रतिरक्षा का भार उठाना।
न्यूटोफिल्स, लिंफोसाइट्स, इओसिनाफिल्स,
बेसाफिल और ओनोसाइट्स।
श्वेत कणिका की ये पांच किस्म
चार को छोड़ एक को जाने।
लिंफोसाइट ही शत्रु को पहचाने
एंटीबॉडी का निर्माण की लड़ने की ठाने।
टी-बी सेल को हाथ पांव तुम मानो
टी सेल के दो स्वभाव प्रेरक मंदक जानो।
श्वेत कणिका अस्थिमज्जा में बनती
रोगाणु को प्रभावहीन करने का कार्य करती।
हिस्टामाईस, प्रोस्टाग्लेडिस द्रव प्रस्रवित करते
जो संक्रमण या चोट लगे तो सूजन उत्पन्न करते।
संवहित उत्तक से निर्मित होकर
इंटरफोन जीवाणुओं को समाप्त करते।
शरीर को सुरक्षा प्रदान करें
ये पदार्थ प्रोटीनों से बनें।
यह रोग प्रतिरोधक क्षमता स्वभाविक होती
मानव शरीर में पैतृक या जन्मजात होती।
एक्वायर्ड इम्यूनिटी जीवन में मिलती है
जैसे मां के दूध से प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है।
टी सेल लिंफोसाइट्स दो प्रकार के होते
जो कि शरीर की थाइमस गं्रथि में बनते।
इकस अनुपात 2ः4ः1 का होता
टी-4, टी-8 नाम बन गया छोटा।
बी सेल ‘लिंफोसाइट्स’, संक्रमण में प्रोटीन बनाते
जो अपने कार्यो से एंटीबाडीज कहलाते।
रोगाणु विषैले पदार्थ बनायें
जिनको हम एंटीजन बतायें।
ये दोनों मिल संयुक्त पदार्थ बनाते
मैक्रोफेज कोशिका द्वारा बाहर फैंके जाते।
जीवाणु का परिचय पत्र
उपरी सतह का प्रोटीन कवच।
टी-4 सेल पहरेदार, मालूम करते
शरीर में कब कौन प्रवेश करते।
शत्रु होने पर अलार्म बजा देते है
बी सेल गामा ग्लोब्यूलिन पैदा करते।
ये रोगाणु से उत्पन्न पदार्थ को,
प्रभावहीन बना करें रक्त से बाहर को,
यह रोग प्रतिरक्षण की प्रक्रिया क्रमबद्व चलती है
जनाब यही प्रतिरोधक क्षमता या इम्यूनिटी है।