बुधवार, 8 अप्रैल 2020

कोई सहारा बनकर सामने आया तो कोई लूट मचा रहा

लोकडाउन के दौरान कालाबाजारी करने वालों पर सख्ती का डंडा चलाना जरूरी
कोई सहारा बनकर सामने आया तो कोई लूट मचा रहा



cदेहरादून। जनता कफ्रर्यू के बाद अचानक लाकडाउन की घोषणा करना सरकार की मजबूरी रही होगी और इससे देश में कोरोना वायरस के प्रसार में कमी भी आयी लेकिन लाकडाउन की नई व्यवस्था ने देशवासियों को एक प्रकार से आइना ही दिखाया है। लाकडाउन पीरियड में क्या आम क्या खास, सब अपने घरों में सिमट कर रह गए। हालांकि यह खुद को और दूसरों को बचाने की जंग है। एक ऐसी जंग जिसमें पीछे रहकर ही जीता जा सकता है। ऐसे में कई मजबूरियां दिखी और उससे उबारने के लिए बहुत से लोग मसीहा बनकर उभरे भी। लेकिन इन हालातों में कुछ लोग थे, जिन्होंने इसे कमायी का अवसर मान लिया।
कहां तो एक तरपफ बन्दा अपना पेट काटकर भी दूसरों की सेवा कर रहा है। दिन रात सेवा भाव से मजबूरों को मदद पहुंचा रहा है। वहीं दूसरी तरपफ ऐसे लोग भी नजर आ रहे है जिन्होंने लाकडाउन के दौरान घरों में सिमटे लोगों की मजबूरी का दोहन करना शुरू कर दिया। हालांकि शिकायत मिलने के बाद प्रशासनिक अमले हरकत में आये और स्थिति सामान्य हो गई। तो भी गाहे बगाहे ओवर रेटिंग और कालाबाजारी जैसी बातें सामने आ ही रहीं है। खासकर रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों की कालाबाजारी कई दफा खुलकर सामने आ रही है। 
मसलन बीडी सिग्रेट के ओवर रेट वसूलना और राशन, साग-सब्जी के मनमाने दाम लगाना। बहुत से व्यापारी तो इसके लिए खुद को बेचारा बता कर थोक के व्यापारियों आढ़तियों पर दोषारोपण करते भी दिखे। उनकी बात कुछ हद तक सहीं भी है। अचानक बहुत से व्यापारियों ने अपने माल को स्टाक कर दिया और दाम बढ़ा दिए। ऐसे में फुटकर सामान बेचने वाला भला ओवर रेट में सामान न बचे तो क्या करे? शुरूवात में यह परेशानी जरूर आयी लेकिन भला हों मीडिया का जो अपनी जान जोखिम में डालकर भी ऐसे दौर में रिपोर्टिंग कर रहा है। यह उसके ही प्रयास थे कि जानकारी प्रशासन तक पहुंची और कालाबाजारी पर अंकुश लगाया गया।   
लेकिन सब कुछ ठीक है कि गलतफहमी मत पाल बैठना, क्योंकि जहां तो लोग जागरूक है, मीडिया के लोग जहां सक्रिय रहते है, वहां एक डर है इसलिए कालाबाजारी करने वाले रंग नही दिखा पा रहें परन्तु दूरदराज के इलाकों में अब भी रूपये का माल डेढ से दो रूपये में बिक रहा है। क्योंकि वहां शिकायत नही हो रही और निगरानी करने वाला कोई नहीं है। 
एक बात अवश्य याद रखनी होगी कि यदि आपके आसपास इस तरह की लूट लाकडाउन के नाम पर चल रही है तो फोन उठाइये और निकटवर्ती पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी को शिकायत कीजिये, वरना कोई अन्तर्यामी तो है नहीं कि बिना कंप्लेन किए इसपर रोक लगा देगा।


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