शनिवार, 11 अप्रैल 2020

सेना में बढ़ सकती है रिटायरमेंट की उम्र!

सेना में बढ़ सकती है रिटायरमेंट की उम्र!



पिछले एक दशक में सेना के पेंशन पर बजट करीब 3.5 गुना बढ़ गया है, जिसके कारण रिटायरमेंट की उम्र 58-60 करने पर विचार किया जा रहा है। 
एजेंसी
नई दिल्ली। भारतीय सेना थलसेना, नेवी और एयरफोर्सद् में लगातार बढ़ते पेंशन के खर्चे को कम करने के लिए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर विचार हो रहा है। सेना उन एरिया की पहचान कर रही हैं कि जहां रिटायरमेंट उम्र बढा़कर 58-60 साल की जा सकती है।
इस प्रस्ताव पर भी विचार चल रहा है कि रिटायरमेंट से पहले जवानों को एक साल कॉलेज एजुकेशन दी जाए या फिर उन्हें एक साल की स्टडी लीव दी जाए जिससे वह अपनी क्वॉलिफिकेशन बढ़ा सकें। फिर जब वह रिटायर हों तो उन्हें पेंशन की बजाय एकमुश्क कुछ रकम दी जाए। जिससे वह सेटल हो सकें और अपनी क्वॉलिफिकेशन के साथ दूसरा रोजगार कर सकें। एक प्रस्ताव उन्हें रिटायरमेंट से पहले रोजगार के दूसरे विकल्प उपलब्ध कराने का भी है।
डिफेंस का पेंशन बजट एक दशक में 3.5 गुना बढ़ा है। जिसे कम करने पर विचार किया जा रहा है। रक्षा मामलों की संसद की स्थाई समिति ने भी इस पर चिंता जाहिर की है और रक्षा मंत्रालय से पूछा कि क्या मंत्रालय के पास लगातार बढ़ती पेंशन लाएबिलिटी को कम करने का कोई रास्ता है। क्या मंत्रालय ने कोई ब्लूप्रिंट तैयार किया है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) ने समिति को बताया कि तीनों सेनाओं के चीफ के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाई जा सके। उन्होंने कहा कि अगर हम रिटायरमेंट की उम्र बढ़ा देते हैं तो खुद-ब-खुद पेंशन का बजट कम हो जाएगा। लेकिन अभी हम देख रहे हैं कि किस किस एरिया में लोग लंबे वक्त तक सर्विस में रह सकते हैं। हमने कुछ एरिया की पहचान की है जहां रिटायरमेंट ऐज बढ़ाई जा सकती है। सीडीएस के मुताबिक तीनों सेनाओं से इस बारे में पूछा है और एरिया की पहचान करने को कहा गया है। सीडीएस ने कहा कि कोशिश है कि हम कम से कम शुरू में 30 पर्सेंट फोर्स की रिटायरमेंट उम्र बढ़ाकर 58 से 60 साल तक करें, जैसा कि दूसरे सुरक्षा बलों में लागू है।
इसके अलावा तीनों सेनाओं में इंटीग्रेशन (एकीकरण) और जॉइंटमैनशिप (संयुक्तता) से भी बजट कम होने की उम्मीद है। इससे मैनपावर भी बचेगी। सीडीएस ने बताया कि हम देख रहे हैं कि क्या हम मेंटेनेंस की जरूरतों को आउटसोर्स कर सकते हैं और क्या हम कुछ सर्विस प्राइवेट सेक्टर से आउटसोर्स कर सकते हैं। इससे बजट बचेगा जिसका इस्तेमाल सेनाओं के मॉर्डनाइजेशन में कर सकते हैं।


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