शनिवार, 20 जून 2020

चीन का अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा

चीन का अहंकार सिर चढ़कर बोल रहा



भारतीय राष्ट्रवादियों को चीनी उत्पादों का बहिष्कार बंद करना चाहिएः ग्लोबल टाइम्स
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर चीनी अहंकार को उजागर करते हुए अपने संपादकीय में लिखा है कि सीमा पर चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच एक गंभीर झड़प के बाद भारतीय जनता राष्ट्रवाद के लिए संघर्ष कर रही है। चीनी उत्पादों का बहिष्कार सबसे प्रमुख नारा है। भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह ने ट्वीट कर लोगों से सभी चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया। सेवानिवृत्त भारतीय सेना प्रमुख रंजीत सिंह ने लोगों को चीनी सामान बाहर फेंकने के लिए कहा कि हम आर्थिक रूप से चीन की रीढ़ तोड़ सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि भारत कथित रूप से उच्च व्यापार बाधाओं को लागू करने और चीन और अन्य जगहों से लगभग 300 उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और देश के 4 जी नेटवर्क उन्नयन में चीनी उपकरणों को बदलने के लिए भारतीय उत्पादों का उपयोग करने की योजना बना रहा है। ये भारत की दीर्घकालिक योजनाएं हो सकती हैं, लेकिन कुछ मीडिया ने इन योजनाओं का उपयोग भारतीय समाज की चीन विरोधी भावना को रोकने के लिए किया है।
उसका प्रपंच है कि सीमा विवाद में भारत अनुचित था। भारतीय सेना ने दो मिलिट्री कमांडर-स्तरीय वार्ता के दौरान पहुंची गलवान घाटी क्षेत्र को स्थिर करने के चीन-भारत की सहमति का उल्लंघन किया। उन्होंने वास्तविक रूप से वास्तविक नियंत्राण रेखा को पार किया और चीनी सैनिकों के टेंट को जबरन ध्वस्त कर दिया। इसके कारण मुठभेड़ हुई और भारत को कई सैनिक हताहत हुए।
ग्लोबल टाइम्स शेखी बघारते हुए कहता है कि घटना के बाद भारतीय अधिकारी आम तौर पर कम महत्वपूर्ण रहे हैं। भारतीय सैनिकों ने करार का उल्लंघन किया और फिर 17 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई क्योंकि वे घायल होने के बाद उच्च ऊंचाई पर थे। इन तथ्यों के आधार पर भारत के पास चीन विरोधी गोलबंदी करने के नैतिक आधार का अभाव है। लेकिन यहां पर चीन ने नहीं बताया कि उक्त मुठभेड़ में उसका कितना नुकसान हुआ।
चीन हमारे अंदरूनी अलगाव को अच्छे से समझता है इसलिए उसने उसको हवा देते हुए कहा कि भारत की चरम राष्ट्रवादी ताकतें अपनी भावनाओं को हवा देने के लिए सबसे सस्ते नारे चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर रही हैं। वास्तव में भारत की कट्टररपंथी ताकतें हर साल चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान करती रही हैं, लेकिन चीन-भारत व्यापार का विस्तार होता रहा है। भारत चीन से अधिक से अधिक वस्तुओं का आयात कर रहा है, जिसके कारण भारत को हर साल चीन के साथ अरबों के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में कई चीनी उत्पादों का उत्पादन नहीं किया जा सकता है और भारत पश्चिम से इन उत्पादों को सस्ते में नहीं खरीद सकता। उदाहरण के लिए चीन को दोष देने वाले कई भारतीय चीनी मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। चीनी लैंप, चीनी मिट्टी की चीजें और सूटकेस भारतीय उपभोक्ताओं की पहली पसंद है। उसने चुनौती देते हुए कहा है कि कम कीमतों और अच्छी गुणवत्ता के साथ इन उत्पादों को प्रतिस्थापित करना मुश्किल है।
ग्लोबल टाइम्स ने दंभ भरा कि चीन की जीडीपी भारत से लगभग पांच गुना है। इस तरह के अंतर के साथ एक छोटी अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी मंजूरी देना आसान कैसे हो सकता है? भारत चीन के प्रति अमेरिका के रवैये की नकल नहीं कर सकता। चीन के खिलापफ व्यापार युद्व छेड़ने पर भारत को अधिक नुकसान होगा और भारतीय लोगों की आजीविका, जिसका समर्थन चीनी उत्पादों ने किया है, इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लेकिन अगर भारत सीमा के मुद्दे पर राष्ट्रवादी भावना को खुश करने के लिए द्विपक्षीय सहयोग को बर्बाद कर देता है, तो यह खुद को चोट पहुंचाएगा।
उसका कहना है कि चीन ने भारत को मजबूर नहीं किया है, न ही चीन ने राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए भारत की कठिनाइयों का उपयोग किया है। भारत की वर्तमान कोविड-19 महामारी की स्थिति विकट है और देश आर्थिक रूप से नाजुक है। उम्मीद है कि चीन-भारतीय सीमा विवादों के शांतिपूर्ण नियंत्रण पर विनाशकारी दबाव को जोड़ने या गलवन घाटी क्षेत्र में स्थिति को स्थिर करने के लिए भारतीयों को संयम के बिना दुःख के लिए उकसाने के बजाय तर्कसंगत रह सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने कुटिल तरीके से चीन को पीड़ित बताने की कोशिश करते हुए कहा कि कुछ भारतीय राजनीतिक बलों और जनमत को अपने सैनिकों को सीमा पर उत्तेजक कार्रवाई करने के लिए उकसाना बंद करना चाहिए। कृपया भारतीय सैनिकों को बताएं कि एक शांतिपूर्ण एलएसी वह जगह है जहां भारत के वास्तविक हित हैं। बहादुर होने के अलावा सैनिकों को राजनीतिक रूप से स्पष्ट नेतृत्व वाला होना चाहिए और उनकी व्यापक दृष्टि होनी चाहिए।


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