सोमवार, 6 जुलाई 2020

बीओसीआई ने वाहन बीमा वैधता के विस्तार की मांग की

बीओसीआई ने वाहन बीमा वैधता के विस्तार की मांग की


 


अपने मांग को लेकर बीओसीआई ने आईआरडीए से संपर्क किया
संवाददाता
देहरादून। बस एंड कार आपरेटर्स कंफेडरेशन आफ इंडिया (बीओसीआई) ने बीमा नियामक संस्था इरडा (आईआरडीए) से वाहन बीमा की वैधता को बढ़ाने की मांग उठाई है। बीओसीआई देश में प्राइवेट बस आपरेटर्स की एक शीर्ष संस्था है जोकि सार्वजनिक परिवहन के अलग-अलग सेगमेंट में 17 लाख बसों के संचालन और 30 करोड़ यात्रियों के सफर की जिम्मेदारी उठाती है। यह देशभर में सभी सार्वजनिक परिवहन में 80 प्रतिशत का योगदान करती है।
बीओसीआई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट आपरेटर्स जोकि विभिन्न एसोसिएशन और  जो फेडरेशंस के सदस्य हैं, ने वाहनों की बीमा वैधता को आगे बढ़ाने के लिए इरडा (आईआरडीए) और सरकार से दखल देने की मांग की है। निजी परिवहन सेक्टर कोविड-19 महामारी के दौरान हुए लाकडाउन में सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक रहा है और भारी आर्थिक नुकसान झेल रहा है। इस मुद्दे पर बीओसीआई ने अनेक राज्य सरकारों से भी संपर्क किया है। साथ ही सार्वजनिक परिहवन क्षेत्र की दुर्दशा की तरफ सड़क परिवहन एवं वित्त मंत्रालय का ध्यान खींचने के लिए अपना प्रतिनिधित्व भी कर रहा है।
आपरेटर्स का कहना है कि लाकडाउन के बाद से ही वाहन खड़े हैं, इसलिए यहां थर्ड पार्टी डैमेज लागू नहीं होगा। यह भी उल्लेखनीय है कि चूंकि बीमा प्रीमियम का बड़ा हिस्सा थर्ड पार्टी डैमेज के लिए चुकाया जाता है, इसलिए बीमा कंपनियों को बीमा की वैधता उतने दिनों के लिए बढ़ा देनी चाहिए जितने दिनों तक लाकडाउन रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने मोटर वाहन दस्तावेजों की वैधता 30 सितंबर तक बढ़ाने की घोषणा की है। इन दस्तावेजों में फिटनेस की वैधता, परमिट (सभी प्रकार के), ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन या अन्य संब8 दस्तावेज शामिल हैं। सरकार ने लाकडाउन के कारण दूसरी बार वैधता की तिथि बढ़ाई लेकिन व्यापक और थर्ड पार्टी पालिसी कवर्स के लिये वाहन बीमा की वैधता पर ध्यान नहीं दिया।
बस एंड कार आपरेटर्स कंफेडरेशन आफ इंडिया (बीओसीआई) के प्रेसिडेन्ट प्रसन्ना पटवधर््न ने कहा कि वर्तमान स्थिति में सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रदाता दिवालिया होने के कगार पर हैं। हम पर कई तरह के दबाव हैं, जैसे ईंधन के दामों में वृद्वि, सामाजिक दूरी के नियमों के कारण क्षमता में कमी, लोन की ईएमआई, टैक्स, बीमा प्रीमियम, आदि। पिछली तिमाही में कोई राजस्व नहीं मिला जिससे आर्थिक बोझ बढ़ता गया, इस कारण हम टूट रहे हैं। हम भारत के बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) और भारत सरकार से बीमा की वैधता को बिना अतिरिक्त प्रीमियम बढ़ाए एक्सपाइरी की तिथि से लाकडाउन के दिनों की संख्या के बराबर की अवधि तक बढ़ाने का आग्रह करते हैं। साथ ही वार्षिक वृद्वि को टालने की अपील करते हैं। वैधता के विस्तार से इस तनावग्रस्त क्षेत्र को अत्यावश्यक राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में आपरेटर्स प्रीमियम नहीं भर पाएंगे, जिससे बड़ी संख्या में डिफाल्ट्स होंगे, क्योंकि वे लाकडाउन के बाद से काम नहीं कर पा रहे हैं। हमने आईआरडीए को पत्र लिखकर सभी परिवहन वाहनों के लिये बीमा कवरेज के विस्तार का आग्रह किया है। बीओसीआई के सदस्य लगभग 1.5 मिलियन बसें और 1.1 मिलियन कारें चलाते हैं, जिनका उपयोग इंटरसिटी ट्रैवेल के लिये होता है, जैसे स्कूल बस और टूरिस्ट व्हीकल्स। एक बस के बीमा प्रीमियम के तौर पर उसका मालिक एक वर्ष में लगभग 1 लाख रूपये का भुगतान करता है। प्रीमियम बसों के लिये यह राशि 2 लाख रूपये तक हो सकती है।
सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र को काफी आर्थिक घाटा हुआ है और यह अब भी जारी है। भारत में अधिकांश लोग यात्रा के लिये सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर करते हैं, इसलिये इस सेक्टर की उत्तरजीविता जरूरी है। आपरेटर्स का खत्म होना और काम बंद करना सार्वजनिक जीवन और उन लाखों परिवारों की आजीविका को बुरी तरह प्रभावित करेगा, जो अपनी कमाई के लिये इस क्षेत्र पर निर्भर हैं।


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