शनिवार, 18 जुलाई 2020

ग्लोबल टाईम्स के जरिए चीनी प्रोपगंडा

ग्लोबल टाईम्स के जरिए चीनी प्रोपगंडा



चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ संघर्ष छेड़ सकती है भारत सरकार
प0नि0ब्यूरो
देहरादून। चीन अपने मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स के जरिए भारत के विरूद्व लगातार दुष्प्रचार फैला रहा है। इसके तहत चीन ने आरोप लगाया है कि भारत कोविड-19 मामले में अपनी नाकामी से जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीन, नेपाल और पाकिस्तान सीमा पर संघर्ष छेड़ सकता है। 
ग्लोबल टाईम्स ने कहा है कि चीनी विश्लेषकों ने चेतावनी दी कि केाविड-19 संक्रमण और मौतों की संख्या के मामले में भारत दुनिया का अग्रणी देश बन सकता है, जो उसकर नाकामी की वजह होगा और यह देश में बहुत बड़ी आपदा का कारण बन सकता है। 
उसका कहना है कि 1 मिलियन कोविड-19 मामलों के साथ भारत दुनिया का तीसरा देश बन गया। कुछ भारतीय मीडिया आउटलेट्स ने भविष्यवाणी की कि अगले मिलियन तक पहुंचने में केवल एक महीने से भी कम समय लग सकता है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि भारत देश में कोरोना वायरस मामले में अपनी नाकामी को छिपाने के लिए चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ अपनी सीमाओं पर संघर्ष छेड़ सकता है। 
ग्लोबल टाईम्स के मुताबिक चीनी विश्लेषकों का मानना है कि भारत के कोविड-19 मामलों की संख्या 1 मिलियन तक पहुंचना आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि भारत महामारी की रोकथाम और नियंत्रण में नाकाम रहा है। उसने द हिंदू का हवाला देते हुए कहा कि असम के कामरूप जिले में एक कोविड-19 केयर सेंटर से करीब 100 मरीज भाग गए, क्योंकि उन्होंने उन्हें उचित भोजन और पानी उपलब्ध नहीं कराया गया था। 
शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंटरनेशनल रिलेशंस इंस्टीट्यूट कहना है कि कोविड-19 के तेजी से प्रसार ने भारत को एक अभूतपूर्व सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में डाल दिया है जिसने उसके आर्थिक विकास को बुरी तरह प्रभावित किया है। भारत कोरोना प्रसार के मामलों में जल्द ही अमेरिका को पछाड़ देगा। इसका कारण भारत की अक्षम चिकित्सा प्रणालियां है। 
उसने दावा किया कि वर्तमान कोविड-19 के प्रकोप को देखते हुए भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ा सकता है। उसने आरोप लगाया कि भारत सरकार जनता का ध्यान कोविड-19 से हटाने के लिए वही पुरानी चाल चलेगा, जैसा कि उसने जून में किया था। 
उसका दावा है कि भारत में रह रहे कुछ चीनी नागरिकों ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि भारत के लॉकडाउन के दौरान वायरस का संक्रमण नहीं रूका क्योंकि श्रमिकों का कारखानों में काम करना जारी रहा और आबादी की गतिशीलता नहीं रुकी। नई दिल्ली में रहने वाले एक चीनी कर्मचारी सर वैंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि स्थानीय सरकार ने संदिग्ध कोविड-19 लक्षणों के लिए स्क्रीन नहीं की, और स्थानीय अस्पतालों ने उन लोगों का इलाज करने से मना किया जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखायी दिया।


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