शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

सेहत का सवालः शरीर में विटमिन-डी की कमी को पहचानें

सेहत का सवालः शरीर में विटमिन-डी की कमी को पहचानें



विटमिन-डी करता है हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने का काम
प0नि0डेस्क
देहरादून। शरीर में विटमिन-डी का होना बहुत जरूरी है। ऐसे में कैसे पता चले कि शरीर में विटमिन-डी की मात्रा कम है या पर्याप्त है। हमारे शरीर में विटमिन-डी जरूरत के मुताबिक है या नहीं, इसकी जांच कैसे हो? क्योंकि यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बूस्ट करने का काम करता है। यहां हम शरीर में होने वाले कुछ ऐसे बदलावों और लक्षणों के बारे में बात करेंगे जो विटमिन-डी की कमी होने पर नजर आते हैं।
विटमिन-डी एक साल्यूबल विटमिन है। शरीर में इसका उत्पादन आमतौर पर तब होता है जब हमारा शरीर सूर्य की किरणों के सीधे संपर्क में आता है। विटमिन-डी जब हमारे शरीर में सूर्य की किरणों के जरिए पहुंचता है तब यह ऐक्टिव फार्म में नहीं होता है। बल्कि हमारा शरीर अपने यूज के लिए इसे ऐक्टिव फार्म में बदलता है। विटमिन-डी के इस बदले हुए रूप को 25-हाइड्राक्सी विटामिन-डी कहते हैं।
शरीर में विटमिन-डी अगर 50 से 125 के बीच हो तो इसे पर्याप्त माना जाता है। वहीं 30 से कम होने पर यह शरीर में कमी को दर्शाता है और 125 से ज्यादा होने पर शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर शरीर में विटमिन-डी की मात्रा कम होती है तो कैल्शियम का पाचन नहीं हो पाता है। 
विटमिन-डी हड्ढियों को मजबूत रखता है। मसल्स को मजबूती देता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को नियंत्रित करता है। कोशिकाओं की वृद्वि में सहायता करता है। शरीर में सूजन, हड्ढियों में सिकुड़न को रोकता है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
विटमिन-डी की कमी के कारण क्या है? सूर्य की किरणों यूवीबी में ना बैठना। शरीर में विटमिन-डी का अवशोषण ना हो पाना। भोजन और पफलों के जरिए विटमिन-डी ना लेना। अधिक पलूशन भरे क्षेत्र में रहना। हर समय घर के अंदर या फुल बाजू के कपड़ों में रहना। कालेस्ट्राल कम करनेवाली कुछ खास दवाएं लेना। धूम्रपान करना, शरीर पर बहुत अधिक फैट जमा होना। प्रेग्नेंसी में विटमिन-डी के सप्लिमेंट्स ना लेना, किडनी और लीवर का ठीक से काम ना करना। बढ़ती उम्र के कारण कैल्शियम कम होना। त्वचा का रंग अधिक सांवला होना।
जिनके शरीर में विटमिन-डी की कमी होती है, वे हर समय खुद को थका हुआ अनुभव करते हैं। हल्का-सा काम करने या कुछ कदम चलने पर ही उनकी सांस फूलने लगती है। पिंडलियों में दर्द और कमजोरी अनुभव करना। उदास रहना और किसी काम में मन ना लगना। जोड़ों से चटकने की आवाज आना, हड्ढियों में दर्द होना और कमजोरी महसूस होना।
बच्चों में विटमिन-डी की कमी होने पर उनकी हड्ढियां बहुत मुलायम हो जाती हैं। विटमिन-डी की कमी होने पर भोजन और फलों के जरिए इसे शरीर में बढ़ाया जा सकता है। जो लोग नानवेज खाते हैं वे आइली फिश सेलमन, बीफ लिवर के जरिए इसे प्राप्त कर सकते हैं।
अंडे और डेयरी प्राडक्ट्स जैसे फोर्टिफाइड मिल्क के जरिए भी विटमिन-डी प्राप्त किया जा सकता है। संतरा, मशरूम और इंस्टेंट ओट्स भी विटमिन-डी प्राप्ति के सोर्स हैं। बाकी सूर्य की रोशनी में हर दिन कम से कम 45 मिनट बिताना जरूरी होता है।


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