सोमवार, 10 अगस्त 2020

आत्म-निर्भर भारत पहल के लिए रक्षा मंत्रालय की बड़ी कोशिश

आत्म-निर्भर भारत पहल के लिए रक्षा मंत्रालय की बड़ी कोशिश



रक्षा उत्पादन के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए दी गई समयसीमा के बाद 101 वस्तुओं पर आयात प्रतिबंध
प0नि0ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद पर आत्मनिर्भर भारत निर्माण के लिए ‘आत्म-निर्भर भारत’ नाम से एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। प्रधानमंत्री के इस आह्वान से प्रेरणा लेते हुए सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने 101 वस्तुओं की एक सूची तैयार की है, जिनके आयात के लिए निर्धारित समय सीमा के बाद उनके आगे के आयात पर प्रतिबंध होगा।
यह रक्षा क्षेत्रा में आत्म-निर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह भारतीय रक्षा उद्योग को भविष्य में सशस्त्रा बलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने स्वयं के डिजाइन और विकास क्षमताओं का उपयोग करके या रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित प्रौद्योगिकियों को अपनाकर नकारात्मक सूची में शामिल वस्तुओं का निर्माण करने के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करेगा।
रक्षा मंत्रालय ने भारत में विभिन्न गोला-बारूद, हथियारों, प्लेटफार्मों, उपकरणों के निर्माण के लिए भारतीय उद्योग की मौजूदा और भावी क्षमताओं का आकलन करने के लिए यह सूची सेना, वायु सेना, नौसेना, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), रक्षा सार्वजनिक क्षेत्रा के उपक्रमों (डीपीएसयू), आयुध निर्माण बोर्ड (ओएफबी) और निजी उद्योग सहित सभी हितधारकों के साथ कई दौर की मंत्रणा के बाद तैयार की है।
सेना के तीनों अंगों द्वारा अप्रैल 2015 से अगस्त 2020 के बीच लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर ऐसी वस्तुओं की लगभग 260 योजनाओं को अनुबंधित किया गया था। 101 वस्तुओं के आयात पर नवीनतम प्रतिबंध के साथ, यह अनुमान है कि अगले 5 से 7 वर्षों के अंदर भारतीय उद्योगों के साथ लगभग चार लाख करोड़ रुपये के अनुबंध होंगे। इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं थल सेना और वायु सेना दोनों के लिए अनुमानित हैं, जबकि नौसेना के लिए लगभग 1,40,000 करोड़ रुपये की वस्तुओं के अनुबंध का अनुमान लगाया जाता है।
आयात पर प्रतिबंध लगाई जाने वाली इन 101 वस्तुओं की सूची में न केवल हल्की वस्तुएं शामिल हैं, बल्कि आर्टिलरी गन, असाल्ट राइफलें, लड़ाकू जलपोत, सोनार प्रणाली, मालवाहक विमान, हल्के लड़ाकू विमान (एलसीएच), रडार जैसे कुछ उच्च प्रौद्योगिकी हथियार प्रणालियां और हमारी रक्षा सेवाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई अन्य वस्तुएं भी शामिल हैं। 
इस सूची में दिसंबर 2021 की सांकेतिक आयात प्रतिबंध के साथ पहियों वाले बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (एएफवी) भी शामिल हैं, जिनमें से 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत पर सेना को लगभग 200 एएफवी के लिए अनुबंध करने की उम्मीद है। इसी तरह नौसेना दिसंबर 2021 की सांकेतिक आयात प्रतिबंध तिथि के साथ पनडुब्बियों की मांग कर सकती है जिसमें से लगभग 42,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर छह पनडुब्बियों के अनुबंध की उम्मीद है। 
वायु सेना के लिए, दिसबंर, 2020 के सांकेतिक आयात प्रतिबंध के साथ हल्के लड़ाकू विमान एलसीए एमके 1ए को सूचीबद्व करने का निर्णय लिया गया है। इनमें से 123 हल्के लड़ाकू विमान एलसीए एमके 1ए के लिए लगभत 85,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। इसलिए इन 101 वस्तुओं की सूची में अत्यधिक जटिल वस्तुएं भी शामिल हैं जिनमें से तीन उदाहरणों का विवरण ऊपर दिया गया है।
इन वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध को 2020 से 2024 के बीच धीरे-धीरे लागू करने की योजना है। इस सूची के उद्घोषणा के पीछे का उद्देश्य भारतीय रक्षा उद्योग को सशस्त्र बलों की अपेक्षित आवश्यकताओं के बारे में बताना है ताकि वे स्वदेशीकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सकें। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा उत्पादन संस्थाओं द्वारा ईज आफ डूइंग बिजनेस को प्रोत्साहित करने और सुविधाएं प्रदान करने के लिए कई प्रगतिशील उपाय अपनाए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे कि नकारात्मक आयात सूची में शामिल वस्तुओं की कमी दूर करने के लिए उपकरणों का उत्पादन दी गई समय-सीमा में पूरा किया जाए। इसमें रक्षा सेवाओं द्वारा उद्योग के साथ तालमेल बिठाने के लिए एक समन्वित तंत्र भी शामिल होगा।
सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए) आगे भी आयात प्रतिबंध के लिए इस तरह के अन्य उपकरणों की सभी हितधारकों के साथ सलाह मशविरा करके पहचान करेगा। इसका एक उचित नोट रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) में भी बनाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में आयात के लिए नकारात्मक सूची में शामिल किसी भी वस्तु पर कोई प्रक्रिया आगे ने बढ़ सके।
एक अन्य आवश्यक कदम के रूप में रक्षा मंत्रालय ने 2020-21 के लिए पूंजी खरीद बजट को घरेलू और विदेशी पूंजी खरीद मार्गों के बीच विभाजित किया है। चालू वित्त वर्ष में घरेलू पूंजीगत खरीद के लिए लगभग 52,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक अलग बजट मद बनाया गया है।


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