शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

‘राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह-2020 का आयोजन

‘राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह-2020 का आयोजन



समवेत भारत संस्था द्वारा ‘राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह-2020 कार्यक्रम एवं प्रतियोगिताओं का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन
संवाददाता
देहरादून। समवेत भारत संस्था ने ‘राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह’ को एक समारोह के रूप में आयोजित किया। इस कार्यक्रम के आयोजन में विज्ञान प्रसार (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार) एवं भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार) सहयोगी संस्थाओं के रूप में जुडी रही।
इस कार्यक्रम को तीन भाग में विभाजित किया गया। पहले भाग में पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों एवं सक्रिय कार्यकर्ताओं के द्वारा दिए गए वीडियो संदेशों को समवेत भारत की वेबसाइट पर जनसाधारण के लिए अपलोड किया गया। दूसरे भाग में एक आनलाइन वेबिनार आयोजित किया गया जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों ने सहभागिता की। 
वेबिनार का प्रारम्भ डा0 अनुसिंह उपाध्यक्ष समवेत भारत ने अतिथियों का स्वागत कर किया। उन्होंने बताया कि कैसे सर्वप्रथम 1952 में राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह का आयोजन वन्य जीवों को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में किया गया। 1972 में भारत सरकार ने वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड नामक एक वैधानिक संगठन की स्थापना की। इसी क्रम में डा0 कैलाश चंद्र निदेशक भारतीय प्राणी सर्वेक्षण कोलकाता ने भारत सरकार द्वारा जारी वन्य जीव संरक्षण से सम्बंधित नीतियों एवं कार्यक्रमांे पर प्रकाश डाला। साथ ही डा0 चंद्र ने भारतीय प्राणी सवेक्षण की मुख्य गतिविधियों का भी विस्तार पूर्वक उल्लेख किया।
तत्पश्चात डा0 अरविन्द सी रानाडे वैज्ञानिक ‘एफ’ विज्ञान प्रसार दिल्ली ने समवेत भारत संस्था के प्रयास की सराहना करते हुए बताया कि विज्ञान प्रसार का मुख्य उद्देश्य जान साधारण के बीच फैली हुई भांतियों को देर कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का संचार करना है। इस कार्यक्रम में सहभागिता कर विज्ञान प्रसार आम जनमानस के मध्य वसुधैव कुटुंबकम की भावना के अंतर्गत वन्य प्राणियों के प्रति संवेदना का संचार करना चाहता है। 
इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर दुर्गेश पंत निदेशक स्कूल आफ कंप्यूटर साइंसेज और आईटी उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी ने अपने विचार प्रस्तुत किये। साथ ही प्रोफेसर अमिता सिंह सीएसएलजी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने बताया कि किस प्रकार कोविड-19 वायरस के संक्रमण के कारण वन विभाग राष्ट्रीय पार्काे आदि की बजट में कटौती करने के कारण समस्या उत्पन्न हो रही ंहै। अन्य वक्ता डा0 बीके त्यागी वैज्ञानिक ‘एफ’ विज्ञान प्रसार नई दिल्ली ने कोविड-19 वायरस की चमगादड़ में उत्पत्ति व मनुष्य में इसके संक्रमण के कारणों का विस्तृत वर्णन किया। 
इसी क्रम में डा0 मुकेश ठाकुर वैज्ञानिक ‘सी’ जूलाजिकल सर्वे आफ इंडिया कोलकाता ने अपने एक अहम अनुसन्धान के विषय में बताया कि कैसे इटली, ईरान व चीन होते हुए कोविड-19 संक्रमण भारत पहुंचा। साथ ही डा0 मुकेश ठाकुर ने लैंडस्केप जेनेटिक्स, संरक्षण जीनोमिक्स, आणविक पारीरिस्थकीय और वन्यजीव संरक्षण से जुड़े अपने अन्य अनुसंधानों के विषय में भी विस्तृत रूप से बताया। तत्पश्चात डा0 रीमा पंत पर्यावरण विज्ञान विभाग वेलहम गर्ल्स स्कूल ने भी वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति अपने विचार प्रस्तुत किये।
इसके बाद डा0 उषा सिंह पीडीएफ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली ने बताया कि किस प्रकार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बायोडायवर्सिटी जोन है। वहां के निवासी प्रकृति तथा वन्य जीवों के साथ तालमेल बनाकर एक स्वस्थ वातावरण में रहते हैं। इसी क्रम में सुश्री सागरिका प्रबंध निदेशक अर्थलिंग्स ट्रस्ट नोएडा ने अपने विचार प्रस्तुत किये कि किस प्रकार सड़क पर रहने वाले कुत्तों व गायों के लिए आश्रय, भोजन एवं स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अर्थलिंग्स ट्रस्ट की नींव रखी। साथ ही अंतिम वक्ता सुश्री दीपिका चेत्री परियोजना समन्वयक उत्तराखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड ने बोर्ड द्वारा किये जा रहे प्रयासों एवं सरकार के नियमों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। 
अंत में डा0 नरोत्तम शर्मा निदेशक डीएनए लैब्स देहरादून ने पूरे कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह प्रयास समवेत भारत का इस और पहला कदम है। परिवर्तन लाने का यह प्रयास इसी प्रकार चलता रहे। अतिथियों का धन्यवाद करते हुए आरके सिंह समन्वयक समवेत भारत ने कार्यक्रम के तीसरे भाग की भी जानकारी दी। विभिन्न प्रतियोगिताएं भी इसी सन्दर्भ में स्कूल, कालेज पीएचडी छात्रों के लिए रखी गयी। जिनमें भाग लेने की अंतिम तारीख 15 अक्टूबर हैं समवेत भारत के वेबसाइट पर विस्तृत विवरण उपलब्ध है।


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