शनिवार, 19 दिसंबर 2020

शिक्षा विकास का महत्वपूर्ण स्तम्भ

शिक्षा विकास का महत्वपूर्ण स्तम्भ



प्रो0 डा0 मैथ्यू प्रसाद

देहरादून। डा0 निशंक एक उच्च शिक्षित विद्वान, लेखक, दार्शनिक एवं कुशल प्रशासक हैं। उन्होंने इस विषय को गहनता से समझा और गंभीरता से इस पर कार्य किया। हालांकि इसमंे काफी समय लगा, क्योंकि इसमें लगभग सभी हितधारकों, शिक्षाविदों, दार्शनिकों, लेखकों, छात्र-संगठनों, अभिभावकों के साथ विचार-विमर्श किया गया। डा0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के कुशल नेतृत्व में डा0 कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में, उनकी समिति ने व्यापक संवाद के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया, जिसे केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा पारित किया गया। चूंकि शिक्षा समवर्ती सूची में आती है, इसलिए सभी राज्यों सेे सुझाव लिये गये, इसलिए, नई शिक्षा नीति का कोई खास विरोध नहीं हुआ। अलबत्ता, कुछ राज्यों ने आपत्तियां जरूर दर्ज कराईं। कोई भी नीति पूर्णतः परिपक्व नहीं होती, लेकिन जो भी तर्कसंगत, व्यवहारिक कमी-घटी पायी जाती है, उस पर भी मंथन कर उसकी सार्थकता के आधार पर नीति में संशोधन करना बुद्विमत्ता है। 



नई शिक्षा नीति में करीब-2 सभी कुछ है, जो अपेक्षित था, परन्तु यक्ष-प्रश्न है, इस नीति को किस तरह से धरातल पर उतारा जाये? इस नीति को सही माइने में (In truth & Spirit), धरातल पर उतारना केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। यह सब कुछ तभी संभव हो सकता है जब शिक्षा के लिए र्प्याप्त धन आवंटित हो। देश के जी0डी0पी0 का 6 प्रतिशत धन शिक्षा के लिए उपलब्ध कराया जाये, यह लक्ष्य रखा गया है। लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य में, देश की सुरक्षा के लिए खासे धन की आवश्यकता है, ऊपर से कोरोना काल में मंदी का भी दौर है, जो स्थाई नहीं है। परन्तु यह सच है कि केन्द्र व राज्यों के वित्त मंत्रालय को इसके लिए खासी मशकक्त करनी पड़ेगी। निशंक के शब्दों में ‘शिक्षा भारत निर्माण की मजबूत आधरशिला है।’ यह सत्य भी है। अब, केन्द्र व राज्य की सरकारों को देश की सुरक्षा के साथ-साथ, देश की आधारशिला को भी मजबूत करना होगा। इसके लिए शिक्षा संस्थानों में बुनियादी सुविधाओं जैसे प्रकाशयुक्त-हवादार भवन, शौचालय, दिव्यांगजनों के लिए विशेष सुविधायें, महिला शिक्षकों के शिशुओं के लिए क्रैच सुविधा, फर्नीचर, उत्तम श्याम पट्ट, शुद्व पेयजल, क्रीड़ा स्थल, प्रेक्षागृह, आवासीय सुविधा, सुसज्जित प्रयोगशालायें, श्रव्य-दृव्य उपकरण, व्याख्यान हाल, प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र, प्रार्थना भवन, सम्पर्क मार्ग आदि को उपलब्ध कराना होगा। इसके साथ ही, अतिमहत्वपूर्ण विषय है, शिक्षक-छात्र अनुपात का। यह व्यवहारिक होना चाहिये, जिससे की शिक्षक प्रत्येक छात्र पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान दे सके। इसके लिए छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की संख्या भी बढ़ानी होगी।

जहां तक उत्तराखण्ड का प्रश्न है तो प्रदेश की भूमि-स्थलाकृति (Land Topography), सुदूर, दुर्गम क्षेत्र, पर्वत व घाटियां, नई शिक्षा नीति को लागू करने में और भी चुनौतीपूर्ण होंगी। लेकिन प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा0 धन सिंह रावत, स्वयं भी उच्च शिक्षित तथा अपने विद्यार्थी काल में छात्र संगठन से जुडे रहे हैं। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है। इसी प्रकार विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय भी दृढ़-संकल्पित व कुशल प्रशासक हैं। इसके साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, प्रदेश से पलायन रोकने के लिए शिक्षा और कौशल विकास को हमेशा प्राथमिकता देते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रो0 नरेन्द्र सिंह के अनुसार परम्परागत तकनीकी ज्ञान को अपनाते हुए Vocal for Local  पर कार्यकर, ग्रामीण आजीविका में सुधर किया जाना चाहिये। 

यह एक अच्छी बात है कि प्रदेश का अधिकांश भाग दुर्गम क्षेत्र में होते हुए भी, प्रदेश में सकल छात्र नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio), राष्ट्रीय औसत अनुपात से अध्कि है। उत्तराखण्ड का सकल नामांकन अनुपात 32 फीसदी है जबकि राष्ट्रीय औसत अनुपात 26.3 फीसदी है। प्रदेश में अनुसूचित जाति व जनजातियों तथा विशेष रूप से छात्राओं का नामांकन अनुपात भी बहुत बेहतर है। 

क्योंकि प्रदेश सरकार, शिक्षा के विकास को लेकर दृढ़-संकल्पित है इसलिए, छात्रों, अभिभावकों व प्रदेशवासियों के सहयोग से, सरकार नई शिक्षा नीति में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार संशोधन कर, नई शिक्षा नीति को अमली-जामा पहनाने में अवश्य सफल होगी, ऐसी आशा और विश्वास किया जाता है।

दशकों बाद जो नई शिक्षा नीति उभर कर आयी है, वह राष्ट्र को सतत्व व परमवैभव सम्पन्न बनाने के लिये सक्षम प्रतीत होती है। निसंदेह, यह एक क्रांतिकारी कदम है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020, भारत को समृद्व बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इसका क्रियान्वयन, केन्द्र व राज्य सरकारों, शिक्षकों, अभिभावकों, छात्रों व सभी देशवासियों के सहयोग से अवश्य संभव होगा।

इस क्रान्तिकारी शिक्षा नीति के लिए, देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सभी कैबिनेट मंत्रीगण, केन्द्रिय शिक्षा मंत्री डा0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, राज्य सरकारों के शिक्षा मंत्रीगण, डा0 कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन व उनकी समिति के सदस्यगण एवं अन्य सहयोगी बधाई के पात्र हैं।

अन्त में, मैं यही कहुंगा कि शिक्षित होकर बड़ा आदमी बनना अच्छी बात है, लेकिन शिक्षित होकर अच्छा आदमी बनना, उससे भी बड़ी बात है।


ग्रन्थ सूची

कोठारी, अतुल0 उच्च शिक्षाः भारतीय दृष्टि, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, मातृभूमि, झण्डे वालान, नई दिल्ली। 

बत्रा, दीनानाथ0 शिक्षा का भारतीयकरण, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, सरस्वती बाल मन्दिर, नई दिल्ली। 

भागवत, मोहनराव0 भविष्य का भारत, विमर्श प्रकाशन, नई दिल्ली।

राव, दिगुभारती भास्कर0 नेशनल पॉलिसी ऑन एजूकेशन, डिस्कवरी पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली।


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