रविवार, 20 दिसंबर 2020

सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानि एसआईपी क्या है!

 सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानि एसआईपी क्या है!



प0नि0डेस्क

देहरादून। एसआईपी नियमित रूप से निवेश के सिद्वांत पर काम करता है। यह बैंकों के आवर्ती जमा की तरह है जिसमें जमाकर्ता हर महीने कुछ छोटी राशि डालते हैं। ये एक बार में भारी पैसा निवेश करने की जगह म्यूचुअल फंड में कम अवधि का (मासिक या त्रैमासिक) निवेश करने की आजादी देता है। एसआईपी एक म्युचुअल फंड में एक साथ 5,000 रूपये के निवेश की बजाय 500 रूपये के 10 बंटे हुये निवेश की सुविधा देता है।

इससे अपनी अन्य वित्तीय जिम्मेदारियों को प्रभावित किये बिना म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। एसआईपी कैसे काम करता है ये बेहतर समझने के लिये रूपये कास्ट ऐवरेजिंग और पावर कंपाउंडिंग को समझना जरूरी है। एसआईपी एक औसत आदमी की पहुंच के भीतर म्यूचुअल फंड निवेश को ले आया है क्योंकि यह उन तंग बजट लोगों को भी निवेश करने योग्य बनाता है जो एक बार में बड़ा निवेश करने के बजाय 500 या 1,000 रूपये नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं।

एसआईपी के माध्यम से छोटी छोटी बचत करना शायद पहली बार में आकर्षक न लगे लेकिन ये निवेशकों को बचत की आदत डालता है और बढ़ते वर्षों में ये सुंदर प्रतिलाभ (रिटर्न) देते हैं। 1,000 रूपये महिने का एक एसआईपी का धन 9 फीसदी की दर से 10 वर्षों में बढ़कर 6.69 लाख रूपये, 30 साल में 17.38 लाख रूपये और 40 साल में 44.20 लाख तक हो सकता है।

यही नही धनी लोगों को भी ये गलत समय और गलत जगह पर निवेश करने की आशंका से बचाता है। हांलाकि एसआईपी का असली फायदा निचले स्तर पर निवेश करने से मिलता है।

एसआईपी के अन्य लाभ

अनुशासित निवेश- अपने धन कोष को सुरक्षित बनाये रखने के मुख्य नियम हैं- लगातार निवेश करें। अपने निवेशों पर ध्यान केन्द्रित रखें और अपने निवेश के तरीके में अनुशासन बनाये रखें। हर महीने कुछ राशि अलग निकालने से मसिक आमदनी पर अधिक अन्तर नही पड़ेगा। आपके लिये भी बड़े निवेश हेतु इकट्ठा पैसा निकालने से बेहतर होगा कि हर महीने कुछ रूपये बचाये जायें।

पावर कंपाउंड़िंग की शक्ति- निवेश गुरू सुझाव देते हैं कि एक व्यक्ति को हमेशा जल्दी निवेश शुरू करना चाहिये इसका एक मुख्य कारण है चक्रवृद्वि ब्याज मिलने का लाभ। इसका एक उदाहरण इस प्रकार है- एक निवेशक 30 साल की उम्र से 1,000 रूपये हर साल बचाना शुरू करता है। दूसरा निवेशक भी इतना ही धन बचाता है लेकिन 35 साल की आयु से। जब 60 साल की उम्र में दोनों अपना निवेश किया हुआ पैसा प्राप्त करते हैं तो पहले निवेशक फंड 12.23 लाख होता है और दूसरे का केवल 7.89 लाख। 

इस उदाहरण में 8 फीसदी की दर से रिटर्न मिलना मान सकते हैं। तो ये साफ है कि शुरू में 50,000 रूपये निवेश का फर्क आखिरी फंड पर 4 लाख से ज्यादा का प्रभाव डालता है। ये पावर कंपाउंड़िंग की शक्ति के कारण होता है। जितना लंबा समय निवेश करेंगे उतना ज्यादा रिटर्न मिलेगा।

मान लीजिये कि निवेशक हर साल 10,000 निवेश करने की बजाय 35 वर्ष की उम्र से हर 5 साल बाद 50,000 निवेश करता है। इस स्थिति में उसकी निवेश किया धन उतना ही रहेगा ;जो कि 3 लाख है लेकिन उसे 60 साल की उम्र में 10.43 लाख का फंड मिलता है। इससे पता चलता है कि देर से निवेश करने में समान धन डालने पर भी व्यक्ति शुरू में मिलने वाले चक्रवृद्वि ब्याज के फायदे को खो देता है।

रूपये की कीमत का औसत- ये मुख्य रूप से शेयरों में निवेश के लिये उपयोगी है। जब आप एक फंड में लगातार अंतराल पर समान धन का निवेश करते हैं तो रूपये की कम कीमत के समय में आप शेयर की ज्यादा यूनिट खरीदते हैं। इस प्रकार समय के साथ आपकी प्रति शेयर या (प्रति यूनिट) औसत कीमत कम होती जाती है। 

यह रूपये की औसत लागत की नीति होती है जो एक लंबी अवधि के समझदार निवेश के लिये बनाई गयी है। ये सुविधा अस्थिर बाजार में निवेश के खतरे को कम करती है और बाजार के उतार चढाव भरे सफर में आपको सहज बनाये रखती है।

जो लोग एसआईपी के माध्यम से निवेश करते हैं वे बाजार के उतार के समय को भी उतनी ही अच्छी तरह संभाल सकते हैं जैसे वो बाजार के चढाव के समय को। एसआईपी के द्वारा निवेश की औसत लागत कम होती है, तब भी जब आप बाजार के उफंचे या नीचे सभी प्रकार के दौर से गुजरते हैं।

सुविधाजनक- ये निवेश का बहुत ही आसान तरीका है। आपको केवल पूरे भरे हुये नामांकन फार्म के साथ चेक जमा करना होगा जिससे म्यूचु्अल फंड में आपके द्वारा कही गयी तारीख पर चेक जमा हो जायेगा और आपके खाते में शेयर यूनिट आ जायेंगी।

अन्य लाभ- एसआईपी निवेश में पैसा डालने या निकालने पर कोई टैक्स या शुल्क नही है। इसमें कैपिटल गेन पर लगने वाला टैक्स (जहां भी लागू होता है) निवेश करने के समय पर निर्भर होता है।


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