सोमवार, 4 जनवरी 2021

गंगोलीहाट में आपका स्वागत है

गंगोलीहाट में आपका स्वागत है



पवन नारायण रावत

गंगोलीहाट। दोस्तों, क्या प्राकृतिक सौन्दर्य आपको आकर्षित करता है? क्या आप प्रकृति के बीच कुछ समय बिताना चाहते हैं? क्या आप शांत वादियों के बीच ध्यान में खो जाना चाहते हैं? या पिफर आप प्रकृति की गोद में फैली बिखरी हुई खूबसूरती के सुन्दर नजारों को अपनी ही नजर से कैद कर अपनी स्वर्णिम स्मृतियों के कैनवास पर सदा के लिये संजोना चाहते हैं? अगर हां, तो उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से बढ़िया जगह भला आपके लिये क्या हो सकती है।



तो आइये, आपको प्रकृति के खूबसूरत नजारों और शांत वादियों में देवदार और बांज के घने जंगलों के बीच स्थित धार्मिक पर्यटन के लिये प्रसिद्व स्थल गंगोलीहाट ले चलते हैं। गंगोलीहाट का अपना ही विशेष महत्व है। समुद्र तल से लगभग 1760 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह खूबसूरत पर्यटक स्थल उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुख्यालय से 77 किमी की दूरी पर स्थित है। यह हाट कालिका मन्दिर नामक सिद्वपीठ के लिये प्रसिद्व है। जमीन से 90 फीट नीचे एवं लगभग 160 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई विश्व प्रसिद्व पाताल भुवनेश्वर की गुफा, यहां से महज 14 किमी दूरी पर स्थित है।



गंगोलीहाट की नैसर्गिक सुंदरता, सामने की तरफ फैली वादियों का मनोरम दृश्य एवं बांज देवदार के घने जंगलों के बीच से गुजरती सीली सड़कें आपको अनायास ही आकर्षित कर लेती हैं। धार्मिक स्थलों में मनकेश्वर मन्दिर, लमकेश्वर मन्दिर, गुप्तेश्वर मन्दिर, सुरमल देवता मन्दिर, चामुंडा मन्दिर, हनुमान मन्दिर, कलशन मन्दिर, श्री 1008 गंगानाथ देवता मन्दिर दर्शनीय हैं। गुप्तड़ी एवं अन्य स्थानों से आप हिमालय की बर्फ से सराबोर चोटियों के दर्शन भी कर सकते हैं। गंगोलीहाट क्षेत्र में प्राकृतिक सुन्दरता एवं घने जंगलों की चारदीवारी के बीच लमकेश्वर मन्दिर एवं मणकेश्वर मन्दिर मार्ग, रणकोट उप्रेती से कुंजनपुर तक स्थानीय मार्ग सहित अन्य पगडंडियों वाले रास्ते ट्रैकिंग के लिये उपलब्ध हैं।



स्थानीय निवासी एवं पर्यावरण प्रेमी सुरेन्द्र बिष्ट का कहना है कि गंगोलीहाट से सालिखेत तक एवं वापसी के लिए एक बेहतरीन ट्रैकिंग मार्ग है। पूर्व में अल्मोड़ा-जौलजीवी पैदल सम्पर्क मार्ग को बड़ी संख्या में लोग इस्तेमाल करते थे। इसे पर्यटन ट्रैकिंग स्थल के तौर पर विकसित किया जा सकता है।



पैराग्लाइडिंग के अंतरराष्ट्रीय पायलट एवं स्थानीय निवासी शंकर बताते हैं कि गंगोलीहाट में साहसिक खेलों विशेषकर पैराग्लाइडिंग की बेहतरीन साइट हैं। उनके अनुसार यहां पर पैराग्लाइडिंग के अलावा साइकिलिंग एवं ट्रैकिंग विशेष तौर पर पर्यटन को आजीविका में बदलने एवं पलायन पर अंकुश रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

कैसे पहुंचे गंगोलीहाट

धार्मिक गंगोलीहाट पहुंचने के लिये हल्द्वानी के रास्ते वाया मन्दिर, अल्मोडा पनार होते हुए 214 किमी की दूरी अथवा अल्मोडा से सेराघाट के रास्ते लगभग 200 किमी से प्राकृतिक की दूरी सड़क मार्ग से तय करते हुए पहुंच सकते हैं। काठगोदाम हल्द्वानी तक ट्रेन सेवा उपलब्ध है। रणकोट कोविड-19 जब भी स्थितियां सामान्य हों, सुरेन्द्र और शंकर की टीम... यहां के किंग मार्ग, गंगोलीहाट और उसकी नैसर्गिक खूबसूरती के एवं साथ आपके स्वागत के लिये तैयार हैं। गंगोलीहाट बड़ी की शान्त खूबसूरत वादियां भी आपके स्वागत के लिये तैयार हैं।


गंगोलीहाट में झलतोला एवं दशाईथल के समीप दयाराणी में मिनी झील भी एक सुन्दर पर्यटक स्थल हैं। जहां सुरेन्द्र बिष्ट एवं शंकर सिंह जैसे पर्यावरण प्रेमी एवं अनुभवी लोगों की पर्यटन को रोजगार से जोड़ने के अत्याधुनिक प्रयासों की मुहिम एवं आम जनता के सहयोग का गठजोड़ होगा, वहां निश्चित रूप से पर्यटन के क्षेत्रा में नए आयाम स्थापित होंगे। यही वर्तमान की आवश्यकता है।


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