रविवार, 10 जनवरी 2021

सरकार की वादाखिलाफी पर नाराजगी

घाट के लोगों ने मानव श्रृंखला बना कर सरकार को चेताया

सरकार की वादाखिलाफी पर नाराजगी

संंवाददाता
गोपेश्वर। मां नंदा देवी का मायका माने जाने वाले घाट विकासखंड की मुख्य मोटर सड़क नंदप्रयाग-घाट का चौड़ीकरण, सुधारीकरण एवं डामरीकरण का  स्वीकृत कार्य अब तक अपने अंजाम तक नहीं पहुंच सका है। 
दरअसल घाट ब्लाक को नंदा राजराजेश्वरी भगवती का मायका माना जाता हैं। प्रत्येक 12 वर्ष अथवा लग्नानुसार विश्व की सबसे लंबे पैदल यात्रा श्री नंदा राजजात यात्रा का प्रमुख केन्द्र के साथ ही प्रत्येक वर्ष भादों मास में आयोजित होने वाली श्री नंदा लोक जात यात्रा का आगाज इस ब्लाक के नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ से होता है। सिद्धपीठ के कारण ही प्रति वर्ष हजारों की संख्या में यहां पर देवी भक्तों का आना जाना लगा रहता हैं। 
एक तरह से पूरा घाट प्रखंड धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है लेकिन उचित यातायात सुविधा के अभाव में स्थानीय निवासियों के साथ ही यहां आने वाले देवी भक्तों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं।
गौर हो कि ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से मात्र 19 किमी मोटर सड़क की स्थिति आज भी बदहाल हैं।55 ग्राम पंचायतों वाले घाट ब्लाक मुख्यालय तक 1962 में सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था।तब से इसमें थोड़ा बहुत सुधार के अलावा बहुत कुछ अधिक नहीं हुआ हैं। 
दशकों से भूस्खलन, बाढ़, सड़क कटाव सहित तमाम अन्य दिक्कतों के चलते इस सड़क की स्थिति बद से बद्तर हो गई हैं। सरकार की इस उदासीनता के खिलाफ घाट प्रखंड की 55 ग्राम सभाओं के लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध जताया।  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 14 अगस्त 2017 को पुलिस लाईन गोपेश्वर में इस सड़क के चौड़ीकरण एवं डामरीकरण की घोषणा की थी, जिस पर 14 सितंबर 2017 को ही 1 करोड़ 28 लाख 44 हजार रुपयों की वित्तीय स्वीकृत के अलावा 15 अक्टूबर 2018 को इस सड़क को डेढ़ लाईन बनाये जाने की भी स्वीकृति देने की बात कागजों में कही गई लेकिन धरातल पर कुछ भी दिखाई नही पड़ रहा है।
इस सड़क की स्थिति के संबंध में मांग उठाए जाने के बावजूद जब किसी भी स्तर पर जनता की मांग नहीं सुनी गई तो पिछले साल 4 दिसंबर से स्थानीय जनता ने व्यापार संघ घाट व टैक्सी यूनियन घाट के सहयोग से ब्लाक मुख्यालय घाट में आंदोलन शुरू कर दिया। जोकि आज भी जारी हैं। 
आंदोलन के बावजूद स्थानीय लोगों की एक सूत्रीय मांग पूरी नही होने पर अब उनमें आक्रोश बढ़ गया है। मानव श्रृंखला का आंदोलन इसी की परिणिति है। पूरे प्रखंड के 55 ग्राम सभाओं के लोगोंं की एकजुटता सरकार के लिए संदेश है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में उसे भारी पड़ सकता है।

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