सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

एलआर-एसएएम मिसाइलों के अंतिम उत्पादन बैच का फ्लैग ऑफ समारोह

 

एलआर-एसएएम मिसाइलों के अंतिम उत्पादन बैच का फ्लैग ऑफ समारोह



एजेंसी
नई दिल्ली। बीडीएल द्वारा एकीकृत तथा विभिन्न उद्योग भागीदारों के सहयोग से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन और विकसित लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एलआर-एसएएम) के अंतिम उत्पादन बैच को दिनांक 14 फरवरी 2021 को डीआरडीएल के एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, हैदराबाद में डीडीआर एंड डी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी और डिफेंस मशीन डिजाइन एस्टेब्लिशमेंट (डीएमडीई) के निदेशक रियर एडमिरल वी राजशेखर, वीएसएम की उपस्थिति में शुभारंभ किया गया।

भारतीय नौसेना के नवीनतम जहाजों को सुसज्जित करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और आईएआई इज़राइल द्वारा संयुक्त रूप से एलआर-एसएएम को विकसित किया गया है। यह एलआर-सैम मिसाइल प्रणाली लड़ाकू विमान, सबसोनिक और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों सहित विभिन्न हवाई लक्ष्यों के खिलाफ निश्चित क्षेत्र में एवं इलाके में रक्षा प्रदान कर सकती है। यह मिसाइल टर्मिनल चरण में आवश्यक गतिशीलता प्रदान करने के लिए स्वदेश में विकसित डूल पल्स रॉकेट मोटर और दोहरी नियंत्रण प्रणाली से संचालित है। मिसाइल की अत्याधुनिक हथियार प्रणाली सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर द्वारा डिज़ाइन की गई है जिसमें लक्ष्य की पहचान करने, ट्रैक करने, एंगेज करने एवं अधिक सम्भावना के साथ नष्ट करने की क्षमता निहित है ।

भारतीय नौसेना के जहाजों से अनेक उपयोगकर्ता उड़ान परीक्षणों के माध्यम से एलआर-एसएएम प्रणाली का कामयाब प्रदर्शन किया गया है। इस हथियार प्रणाली का सफलतापूर्वक उत्पादन किया गया है और इसे भारतीय नौसेना को सुपुर्द कर दिया गया है ।

डीडीआरएंडडी के सचिव ने स्वदेश में उत्पादन के प्रयासों के महत्व पर प्रकाश डाला और विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना कर 'मेक इन इंडिया' की दिशा में लक्ष्य को प्राप्त करने में उत्पादन के आदेशों को सफलतापूर्वक निष्पादित करने वाले उद्योगों की सराहना की। उन्होंने भारत भर में विभिन्न उद्योगों में उत्पादन गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने में मिसाइल सिस्टम क्वालिटी एश्योरेंस एजेंसी (एमएसक्यूएए), डीजी (एनएआई) के प्रयासों की भी सराहना की जिससे एयरोस्पेस गुणवत्ता मानकों के साथ मिसाइलों की डिलीवरी संभव हुई। 

भारतीय नौसेना के रियर एडमिरल वी राजशेखर, वीएसएम, ने उत्पादन आदेशों को सफलतापूर्वक पूरा करने एवं भारतीय नौसेना की वायु रक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से भविष्य में होने वाले युद्ध की आवश्यकताओं को दृष्टिगत रखते हुए इसी तरह की उन्नत हथियार प्रणालियों को डिजाइन और विकसित करने का आग्रह भी किया।

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